Download Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 1 2019 PDF to understand the pattern of questions asks in the board exam. Know about the important topics and questions to be prepared for CBSE Class 9 Hindi B board exam and Score More marks. Here we have given Hindi B Sample Paper for Class 9 Solved Set 1.
Board – Central Board of Secondary Education, cbse.nic.in
Subject – CBSE Class 9 Hindi B
Year of Examination – 2019.
Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 1
हल सहित
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड है – क, ख, ग, घ ।
- चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खण्ड के क्रमशः उत्तर दीजिए |
खण्ड ‘क’ : अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएहाल में ही ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी के न्यूरो साइंस प्रोफेसर फोस्टर के नेतृत्व वाले 3 सदस्यीय दल के स्कूली बच्चों पर किए गए शोध से कई दिलचस्प नतीजे सामने आए, जिसमें उन्होंने पाया कि जो छात्र परीक्षा वाले दिनों में सामान्य से ज्यादा सोए, उनके परिणाम अन्य से बेहतर रहे।
शोधकर्ताओं का कहना है कि किशोरों में सामान्य प्रवृत्ति यह रहती है कि परीक्षा के दौरान वे देर से सोते हैं और देर से ही उठते हैं। सामान्यत: सुबह 10 बजे से पहले वे पूरी तरह से चैतन्य नहीं हो पाते हैं। छात्र पहले दोपहर के बाद पूरी तरह से सजग होते हैं और सबसे कठिन पाठों को इसी समय पढ़ना चाहिए। यह प्रक्रिया छात्रों में 21 साल की उम्र तक कायम रहती है।
जागने की भी एक क्षमता होती है, लेकिन जब सिर पर पढ़ाई का भूत सवार रहता है। तो जागते रहने के लिए या तो छात्र बार-बार चाय-कॉफी का सेवन करते हैं या फिर उठ कर टहलते हैं अथवा बार-बार मुँह धोते रहते हैं। इन सबका असर न होने पर वे जागते रहने हेतु नींद न आने की गोली आदि का सेवन भी करते हैं। इससे उनकी नींद भले ही कुछ समय के लिए गायब हो जाए, लेकिन इसका सेहत पर बुरा असर पड़ता है। रात भर जागने वाले परीक्षार्थी जब सुबह परीक्षा देने जाते हैं तो उन्हें झपकी आने लगती है, जिस पर उनका कोई वश नहीं होता है। ऐसे में रातभर जो कुछ उन्होंने पढ़ा वह सब भूल जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मस्तिष्क की कार्यक्षमता घट जाती है। आखिरकार उसे भी तो आराम चाहिए जो नींद से ही मिल सकता है। परीक्षा के दौरान रातभर जागने से परीक्षार्थी के पाचन तन्त्र पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
प्रकृति ने रात सोने के लिए बनाई है और दिन कार्य करने के लिए। अब यदि प्रकृति के नियम के विरुद्ध कार्य करेंगे तो उसका परिणाम तो भुगतना ही पड़ेगा।
(क) न्यूरो साइंस प्रोफेसर के नेतृत्व में किए जाने वाले शोधकार्य के क्या परिणाम निकले, यह कार्य किस पर किया गया था?
(ख) जागते रहने के लिए छात्र किन तरीकों को अपनाते हैं?
(ग) रातभर जागकर पढ़ने वाले विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? समझाइए।
(घ) प्रकृति द्वारा मानव के लिए किस नियम की बात गद्यांश में की गयी है?
(इ) प्रस्तुत पद्यांश के द्वारा लेखक हमें क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर-
(क) स्कूली बच्चों पर किये जाने वाले शोध कार्य के ये परिणाम निकले कि जो छात्र परीक्षा वाले दिनों में सामान्य से ज्यादा सोए, उनके परिणाम अन्य से बेहतर रहे।
(ख) चाय-कॉफी का सेवन, टहलना, बार-बार मुँह धोना, नींद न आने की गोलियाँ खाना।
व्याख्यात्मक हल :
जागते रहने के लिए छात्र चाय-कॉफी का सेवन करते हैं, टहलते हैं, बार-बार मुँह धोते हैं और जब इन सबसे भी प्रभाव नहीं पड़ता है तो वे नींद न आने की गोलियाँ खाते
(ग) स्वास्थ्य खराब होना, उल्टी आना, पाचन तन्त्र प्रभावित होना। मस्तिष्क की कार्य क्षमता का घटना।
व्याख्यात्मक हल :
रातभर जागकर पढ़ने वाले विद्यार्थियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उनके मस्तिष्क की कार्यक्षमता घट जाती है। उनका पाचनतन्त्र भी प्रभावित होता है। साथ ही रातभर जागने के कारण परीक्षा केन्द्र में उन्हें झपकी आने लगती है, जिस पर उनका कोई वश नहीं होता है।
(घ) प्रकृति ने रात सोने के लिए बनायी है और दिन कार्य करने के लिए बनाया है।
(इ) प्रत्येक कार्य समय पर करना। प्रकृति के नियमों का पालन करना।
2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
अब जाग उठो कमर कसी, मंजिल की राह बुलाती है।
ललकार रही हमको दुनिया, भेरी आवाज लगाती है॥
है ध्येय हमारा दूर सही, पर साहस भी तो क्या कम है।
हमराह अनेकों साथी हैं, कदमों में अंगद का दम है॥
सोने की लंका राख करें, वह आग लगानी आती है।
पग-पग पर कांटे बिछे हुए, व्यवहार कुशलता हममें है॥
विश्वास विजय का अटल लिए, निष्ठा, कर्मठता हममें है।
विजयी पुरुषों की परम्परा अनमोल हमारी थाती है॥
(क) कवि कमर कसने की बात क्यों कह रहा है?
(ख) हमारे कदमों में ‘अंगद का दम है’ कथन का क्या आशय है?
(ग) विजयी पुरुषों के क्या गुण होते हैं?
उत्तर-
व्याख्यात्मक हल :
लेखक हमें सभी कार्य समय पर करने व प्रकृति के नियमों का पालन करने का सन्देश देना चाहता है। (क) कवि कमर कसने की बात इसलिए कह रहा है क्योंकि मंजिल की राह बुला रही है।
(ख) हमारे कदमों में ‘अंगद का दम’ का आशय है कि हमारे कदम अडिग हैं। वे कभी विपरीत परिस्थितियों में भी विचलित नहीं हो सकते।
(ग) विजयी पुरुष में विजय का अटल विश्वास होता है, उनमें निष्ठा और कर्मठता के गुण भी होते हैं।
खण्ड ‘ख’ : व्याकरण
3. (क) निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए-
(i) संतुलन
(ii) कविता
(ख) निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग कीजिए-
जंगल, साझ
(ग) निम्नलिखित शब्दों में से वह शब्द चुनिए जिसमें अनुनासिक चिहन का प्रयोग होता है |
उगुली, अशा
(घ) निम्नलिखित शब्दों में से नुक्ते के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँटिएजिंदगी, मालूम
उत्तर-
(क) (i) स् + अं + + उ + ल् + अ + + अ
(ii) क + अ + व + वा + इ + + आ
(ख) जंगल
(ग) उगुली
(घ) जिंदगी
4. (क) निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग व मूलशब्द को अलग-अलग कीजिए-
(i) उपदेश
(ii) अनुवाद
(ख) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय व मूल शब्द को अलग-अलग कीजिए-
(i) घटती
(ii) ओढ़नी
उत्तर-
(क) शब्द उपसर्ग मूल शब्द
(i) उपदेश उप देश
(ii) अनुवाद अनु वाद
(ख) (i) घट + ती
(ii) ओढ़ + नी
5. (क) निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद कीजिए
(i) तथैव
(ii) सम्भाषण
(ख) निम्नलिखित शब्दों में संधि कीजिए
(i) स्व + इच्छा
(ii) पूर्व + उक्त
(ग) निम्नलिखित वाक्यों में उचित स्थान पर सही विराम चिह्न लगाइए-
(i) भरत दशरथ के पुत्र तपस्वी थे
(ii) इस बालक पर यह कहावत लागू होती है होनहार बिरवान के होत चीकने पात
(iii) सुबह सुबह कौवा कॉंव काँव करने लगा
उत्तर-
(क)
(i) तथा + एव
(ii) सम + भाषण
(ख)
(i) स्वेच्छा
(ii) पूर्वोक्त
(ग)
(i) भरत (दशरथ के पुत्र) तपस्वी थे।
(ii) इस बालक पर यह कहावत लागू होती है, ‘होनहार बिरवान के होत चीकने पात’।
(iii) सुबह-सुबह कौवा काँव-काँव करने लगा।
खण्ड ‘ग’ : पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्यपुस्तक
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) हमारी शहरी सभ्यता धूल के संसर्ग से क्यों बचना चाहती है?
(ख) सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की क्या भावना थी?
(ग) ग्राम देवी के मणि भवन पर कौन-कौन से लोग गाँधी जी से मिलने आते थे। ‘शुक्र तारे के समान’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
(क) हमारी सभ्यता धूल को गर्द समझती है। वह बनावटी प्रसाधन सामग्री और सलमे-सितारों को ही सौंदर्य मान गाँव की धूल में । उन सलमे-सितारों के धुंधले पड़ने से आशंकित होती है। इसलिए वह धूल से अर्थात् ग्राम्य संस्कृति से बचना चाहती है।
(ख) सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की यह भावना थी कि अब सरस्वती की साधना की जाए। वे विश्वविद्यालय में शिक्षक बनकर अपना पूरा समय अध्ययन, अध्यापन तथा शोध कार्यों में लगाना चाहते थे।
(ग) ग्राम देवी के मणि भवन पर गाँधी जी से मिलने जुल्मों और अत्याचारों की कहानियाँ पेश करने के लिए पीड़ितों के दल के दल उमड़ते रहते थे।
7. “यहाँ बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना, भिड़ाना।” “धर्म की आड़’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भारत में धर्म के कुछ ठेकेदार साधारण लोगों की बुद्धि को भ्रमित कर देते हैं जिससे वे कुछ सोच-समझ नहीं पाते। देश में धर्म की धूम है। धर्म के नाम पर उत्पात किए जाते हैं, जिद की जाती है, भोले-भाले लोगों को बेवकूफ़ बनाया जाता है। अपना आसन ऊँचा करने के लिए धूर्त लोग धर्म की आड़ लेते हैं। मूखों की बुद्धि पर परदा डालकर धर्म और ईमान के नाम पर स्वार्थसिद्ध करते हैं। जान देने और जान लेने को तैयार रहते हैं। इस प्रकार वे साधारण लोगों का दुरुपयोग कर शोषण करते हैं।
अथवा
मई की रात को कैंप तीन में क्या घटना घटी और एक अन्य साथी ने लेखिका की। जान कैसे बचाई?
उत्तर-
15-16 मई, 1984 को बुद्ध पूर्णिमा के दिन जब लेखिका ल्होत्से की बर्फीली सीधी ढलान पर सुन्दर नाइलॉन के बने तंबू के कैंप तीन में गहरी नींद में सोई हुई थी तभी रात में लगभग 12.30 बजे उसके सिर के पिछले हिस्से में एक जोरदार धमाके के साथ कोई सख्त चीज टकराई। वह बर्फ का बड़ा विशालकाय पुंज था, जिसने कैंप को तहस-नहस करने के साथ सभी व्यक्तियों को चोटिल किया। लेखिका तो बर्फ के नीचे फंस गयी थी। तभी लोपसांग अपनी स्विस छुरी की मदद से उनके तंबू का रास्ता साफ करने में सफल हो गया तथा उसने ही लेखिका के चारों तरफ के कड़े जमे बर्फ की खुदाई कर लेखिका को बर्फ की कब्र से बाहर खींच कर निकाला। इस तरह लेखिका की जान बची।
8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) रैदास ईश्वर के साथ किन-किन रूपों में एकाकार हो गए हैं?
(ख) संघर्ष करते रहने वाला व्यक्ति क्या कभी थक सकता है? यदि हाँ तो किन स्थितियों में?
(ग) सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दण्डित किया गया?
उत्तर-
(क) रैदास ईश्वर के साथ चंदन-पानी, वन-मोर, चाँद-चकोर, दीपक-बाती, मोती-धागा, सुहागा-सोना आदि रूपों में एकाकार हो गए हैं।
व्याख्यात्मक हल :
रैदास की आत्मा परमात्मा के प्रेम में उसी तरह एकाकार हो गई है जिस तरह चंदनपानी, वन-मोरचाँद-चकोर, दीपक-बाती, मोती-धागा, सुहागा-सोना आदि एक-दूसरे के बिना
अधूरे व महत्वहीन हो जाते हैं और मिलन हो जाने से एकाकार हो जाते हैं।
(ख) सच्चा संघर्ष करने वाला व्यक्ति तब तक नहीं थकता जब तक उसे लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो जाती। उसके लिए थकावट लक्ष्य के मार्ग को त्यागना है न कि लक्ष्य पर चलने के लिए लंबा मार्ग अपनाना। वह केवल उन स्थिति में थकता है जब उससे लक्ष्य के मार्ग पर चलते-चलते कोई चूक हो जाये।
(ग) सुखिया के पिता पर अछूत होने के बावजूद भी चुपके से मन्दिर में घुसकर मन्दिर की पवित्रता नष्ट करने का आरोप लगाकर दण्डित किया गया।
• वह जीवन-पथ पर संघर्षों से थकेगा नहीं।
• विश्राम के लिए रुकेगा नहीं।
• क्योंकि थकने का अर्थ है कि हार मान लेना, जो कवि नहीं चाहता। अधिकतर लोग कठिनाइयों से घबरा जाते हैं।
• रुकने का अर्थ है सुविधाओं के प्रलोभन से अपने लक्ष्य को भुला देना। लक्ष्य पर पहुँचने से पहले रास्ता छोड़ देते हैं।
9. ‘अग्निपथ’ कविता में कवि ने मनुष्य को कौन-सी शपथ लेने को प्रेरित किया है। और क्यों? लिखिए।
उत्तर-
व्याख्यात्मक हल : कवि कहता है कि जीवन रूपी संघर्षमयी पथ पर चलते हुए मनुष्य को कठिनाइयों से घबराकर हार मानकर थकना नहीं है और न ही मार्ग की कठिनाइयों के बीच मिली। सुविधाओं के मोहजाल में फसकर अपने लक्ष्य को भुलाकर रुक जाना है। अपने लक्ष्य पर पहुँचने से पहले न तो विश्राम करेगा और न ही पीछे मुड़कर देखेगा। यही शपथ लेने के लिए कवि पथिक को प्रेरित करता है।
अथवा
‘आदमीनामा’ कविता का प्रतिपाद्य बताइए। उत्तर’आदमीनामा’ शीर्षक कविता में नजीर अकबरावादी ने आदमी के विभिन्न रूपों को दर्शाया है। इस संसार में कुछ आदमी बहुत अच्छे हैं तो कुछ हद दर्जे के कमीने हैं। कुछ लोग मन्दिर-मस्जिद बनाने तथा धार्मिक प्रवचन देने का काम करते हैं तो कुछ वहाँ से जूतियाँ तक चुरा ले जाते हैं। कुछ लोग दूसरों की मदद करने को तैयार रहते हैं तो कुछ दूसरे को जान से मार डालने तक से नहीं हिचकिचाते। दुनिया में कुछ लोग शाही सुख भोगने वाले हैं तो कुछ भुखमरी में रह रहे हैं। सभी लोग अपनी-अपनी विशेषताएँ तथा कमियाँ रखते हैं। सभी लोग एक समान नहीं हो सकते।
10. ‘घायलों की सहायता के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है”- गिल्लू के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि किसी घायल के प्रति आपके व्यवहार में क्या विशेषता होगी?
उत्तर-
• गिल्लू के घायल होने पर लेखिका द्वारा सेवा
• धैर्य से सेवा करने पर सुखद परिणाम
व्याख्यात्मक हल : लेखिका को गिल्लू निश्चेष्ट अवस्था में गमले की संधि में मिला था। उसके शरीर पर कौओं की चोंच के जख्म थे। लेखिका ने उसे उठाया और धैर्यपूर्वक उसके घावों को साफ किया और मरहम लगाया। उन्होंने रूई की बत्ती बनाकर उसे दूध भी पिलाने की कोशिश की, उन्होंने बड़े धैर्य के साथ रात-दिन उसकी सेवा की। उनकी इसी धैर्य पूर्ण सेवा के कारण गिल्लू एकदम स्वस्थ हो गया।
अथवा
मालाबार में हिन्दू-मुसलमानों के पारस्परिक सम्बन्धों के बारे में ‘हामिद खाँ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
मालाबार में हिन्दू-मुसलमान प्रेम से रहते हैं। यदि किसी को बढ़िया चाय पीनी हो, या बढ़िया पुलाव खाना हो तो लोग बेखटके मुसलमानी होटल में जाया करते हैं। यहाँ सब मिल-जुलकर रहते हैं। मुसलमानों ने भारत में जिस पहली मस्जिद का निर्माण किया, वह मालाबार के कोइगल्लूर में है। यहाँ दंगे न के बराबर होते हैं। यहाँ आपसी समझ व सद्भावना है।
अथवा
बाहरी लोगों का लगातार आना त्रिपुरा के लिए लाभदायक कैसे साबित हुआ?
उत्तर-
त्रिपुरा भारत के सबसे छोटे राज्यों में से है। तीन तरफ से यह बांग्लादेश से घिरा हुआ है और शेष भारत के साथ इसका जुड़ाव मिजोरम व असम द्वारा बनता है। त्रिपुरा के ज्यादातर शहर बांग्लादेश की सीमा के करीब होने के कारण वहाँ के अवैध लोगों की आवक है असम व पश्चिम बंगाल से भी लोग यहाँ आकर बसे हैं जिसके कारण काफी समस्या है लेकिन लाभ भी है। इसके कारण यह राज्य बहुधार्मिक समाज का उदाहरण भी बना। त्रिपुरा में उन्नीस अनुसूचित जनजातियों और विश्व के चारों बड़े धर्मों का प्रतिनिधि त्व मौजूद है। त्रिपुरा के उन्नीस कबीलों में से दो चकमा और मुध महायानी बौद्ध हैं। जो बर्मा से आए थे।
खण्ड ‘घ’ : लेखन
11. दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर किसी एक विषय पर लगभग 80 से 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए-
(क) ट्रैफिक जाम में फैसा ‘मैं’
(i) ट्रैफिक की समस्या का आधार
(ii) लोगों की जल्दबाजी और व्यवस्था की कमी
(iii) सुधार के उपाय
(ख) यात्रा जिसे मैं भूल नहीं पाता
(i) कहाँ की यात्रा
(ii) विशेष घटना का वर्णन
(iii) अविस्मरणीय कैसे
(ग) देश में बढ़ता भ्रष्टाचार
(i) भ्रष्टाचार व्यवस्था का अंग
(ii) भ्रष्टाचार का कारण और स्वरूप
(iii) समाधान व नागरिकों के कर्तव्य
उत्तर-
(क) ट्रैफिक जाम में फंसा ‘मैं’
विज्ञान ने आज हमारी जीवन शैली को पूरी तरह बदल दिया है। विज्ञान के आविष्कारों में से एक महत्वपूर्ण आविष्कार है-यातायात के साधन, जिसके कारण हम मीलों की दूरी कुछ ही समय में सहजता से पूरी कर लेते हैं जिसे पूरा करने में प्राचीन समय में हमें महीनों लग जाते थे। वर्तमान समय में अधिकांश लोगों के पास अपने निजी वाहन कार, मोटरसाइकिल, स्कूटर आदि हैं तथा सड़कों पर जाम की दिनोंदिन
बढ़ती समस्या का सबसे बड़ा कारण हैं। आज हर व्यक्ति जल्दी में नजर आता है। और इसी जल्दबाजी के कारण सड़क पर जाम लग जाता है। बाइक, कार सवार अपनी लाइन में चलने के स्थान पर दूसरे को ओवर टेक करते हैं तथा ट्रैफिक पुलिस के द्वारा सख्ती से अपने कर्तव्य पालन न करने के कारण इसे बढ़ावा मिलता है। ट्रैफिक जाम की समस्या से मुक्ति पाने के लिए सरकार को ट्रैफिक के कड़े नियम बनाने चाहिए तथा सख्ती से उन्हें लागू करना चाहिए। इसके साथ ट्रैफिक के नियमों के बारे में लोगों को जागरुक करना चाहिए। सभी के सम्मिलित प्रयासों से ही इस समस्या से निजात मिल सकती है।
(ख) यात्रा जिसे मैं भूल नहीं पाता मैंने
अलग-अलग साधनों से अपने जीवन में कई यात्राएं की हैं। मैं रमेश चौहान एक गाँव का रहने वाला हूँ जो आगरा जिले में आता है। मैं अपनी परीक्षा देने के लिए नागपुर जा रहा हूँ। मैं जब आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के इंतजार में खड़ा था तभी थोड़ी देर में ट्रेन आ गयी और मैं अपना बैग लेकर उसमें चढ़ गया। मैं अभी तक अकेला ही था, लेकिन तभी अचानक एक लड़का मेरी तरफ दौड़ा, जिस्का नाम अमन था और मुझसे कुछ कहने की कोशिश करने लगा, लेकिन वह इतना । अधिक घबराया हुआ था कि कुछ भी नहीं बोल पा रहा था। मैंने उसे तसल्ली दी और उससे उसके विषय में पूछा तो वह बोला कि वह भी महराष्ट्र जा रहा है, लेकिन उसकी सीट कन्फर्म नहीं है। मैंने उसे धैर्य बंधाते हुए अपनी सीट पर बैठा लिया। अब वह शांत व प्रसन्न नजर आ रहा था। फिर धीरे-धीरे हम दोनों में बातचीत शुरू हो गयी और कुछ देर में ऐसा महसूस हुआ कि हम दोनों एक-दूसरे को काफी अच्छी तरह से जानते हैं। रेल तेजी से गन्तव्य की ओर चली जा रही थी। हम दोनों ने एक साथ भोजन किया। हवा तेज थी जब हम नागपुर से कुछ दूर ही थे तभी हमें संतरों के दूरदूर फैले बाग दिखने लगे। संतरों की खुशबू से वातावरण महक रहा था। तभी नागपुर रेलवे स्टेशन पर आकर रेल रुकी और मैं अमन जो अब तक मेरा दोस्त बन चुका था, को अलविदा कहकर रेल से उतर गया। एक अजनबी की मदद व अमन के व्यवहार से मेरा मन प्रसन्न था। अत: हमें जब कभी दूसरों की सहायता करने का अवसर मिले तो हमें अपने कर्तव्य का निर्वाह अवश्य करना चाहिए।
(ग) देश में बढ़ता भष्ट्राचार
भ्रष्टाचार का तात्पर्य है- भ्रष्ट व्यवहार या अनैतिक व्यवहार। दुर्भाग्य से आज सारे भारतवर्ष में भ्रष्टाचार व्याप्त है। जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं रह गया है जिसमें ईमानदारी से कार्य होता है। आज विद्यालय में प्रवेश का मामला हो या नौकरी मिलने का सब जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है। सरकारी कार्यालयों में तो काम तभी हो पाता है। जब उन्हें घूस मिल जाती है। पुलिस के भ्रष्टाचार का तो कहना ही क्या? जब अपराधी निकल जाता है, तब पुलिस हवा में इंडे चलाती हुई आती है और गरीब बेकसूरों को पकड़कर ले जाती है।
भारत में भ्रष्टाचार इसलिए पनपता है क्योंकि यहाँ का नेता स्वयं भ्रष्ट है। इसलिए वह भ्रष्ट लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही नहीं करता। यहाँ की न्याय प्रणाली भी भ्रष्टाचार की लपेट में आ गयी है। यदि हम भ्रष्टाचार के मूल में जाएँ तो उसका मूल कारण मानव का स्वार्थ, उसकी लिप्सा तथा धन लोलुपता दिखाई देती है। आज प्रत्येक व्यक्ति उचित तथा अनुचित साधनों द्वारा धन प्राप्त करने में लगा दिखाई देता है। मनुष्य की बढ़ती हुई आवश्यकता है तथा उन्हें पूरा करने के लिए अपनाए जा रहे साधन, अनियंत्रित होती महँगाई तथा अमीर-गरीब के बीच का बढ़ता अंतर ही भ्रष्टाचार को जन्म देता है।
यदि हम भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहते हैं तो हमें प्रत्येक व्यक्ति के मनोबल को ऊँचा उठाना होगा तथा शिक्षक, साहित्यकार, पत्रकार, कवि, कलाकार एकजुट होकर नवयुवाओं में आचरण की शुद्धता के संस्कार भरें और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई छेड़ दें। यदि भ्रष्ट राजनेता अपने आचरण को सुधार लें तो भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। साथ ही हमें न्यायिक व्यवस्था को मजबूत बनाना होगा। नई तकनीक भी भ्रष्टाचार को समाप्त करने में अपना योगदान दे सकती है।
12. विदेश में रहने वाले अपने मित्र को भारतीय त्योहारों के विषय में पत्र लिखिए।
उत्तर-
मित्र को पत्र
परीक्षा भवन
दिल्ली।
दिनांक : 20 अक्तूबर, 20…….
प्रिय मित्र,
सस्नेह नमस्कार!
कल ही तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर एक नई जानकारी प्राप्त हुई। तुमने ऑस्ट्रेलिया में मनाए जाने वाले त्योहारों का बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है। अब मैं इस पत्र में भारतीय त्योहारों के विषय में लिख रहा हूँ। भारत त्योहारों का देश है जिनमें दीवाली, दशहरा, होली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, लोहड़ी, करवाचौथ, बसंत पंचमी, बैसाखी, 15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्तूबर, 14 नवंबर आदि प्रमुख हैं। पर इसके अतिरिक्त भी यहाँ बहुत-से त्योहार मनाए जाते हैं। दीवाली अज्ञान पर ज्ञान की विजय, दशहरा असत्य पर सत्य की जीत, होली में सभी पुराने बैरों को भूलकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं। हर त्योहार भारतीय बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। दीवाली दीपों का त्योहार है, दशहरा मेलों का त्योहार तथा होली रंगों का त्योहार है। मित्र, इस पत्र में इतनी जानकारी पर्याप्त है। शेष अगले पत्र में लिखेंगा। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना तथा छोटे भाई को। प्यार देना।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
क. ख. ग.
अथवा
अपने मित्र को कार-दुर्घटना में उसके पिता की मृत्यु पर संवेदना-पत्र लिखिए।
उत्तर-
मित्र को संवेदना पत्र
ए-26/15, शालीमार बाग
दिल्ली
दिनांक : 15-6-20………
तुम्हारे पूज्य पिताजी की एक कार-दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु का समाचार सुनकर हृदय में असीम पीड़ा हुई। कुछ क्षणों के लिए इस समाचार पर विश्वास नहीं हुआ। पिछले सप्ताह ही तो मुझे उनसे मिलने का अवसर प्राप्त हुआ था। वे मुझे भी अपना ही पुत्र मानते थे। उनका वह मुस्कान से भरा मुखमण्डल आज भी मेरी आँखों के समक्ष विद्यमान है।
मित्र! ईश्वर की लीला भी बहुत विचित्र है। इस संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है। उसकी आज्ञा के सम्मुख हमें अपना सिर झुकाना ही पड़ता है। मृत्यु पर किसी का भी वश नहीं चलता, मैं जानता हूँ कि तुम्हारे ऊपर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है, पर धैर्य धारण करने के अतिरिक्त कोई अन्य उपाय भी तो नहीं है। तुम तो स्वयं बुद्धिमान एवं धैर्यशील हो। तुम्हें धैर्य धारण करने के साथ ही घर के अन्य सदस्यों को भी धैर्य बँधाना चाहिए। मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूँ कि वह तुम्हें और तुम्हारे परिवार को इस आकस्मिक आघात को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।
तुम्हारा मित्र
अरुण
13. दिए गए चित्र को ध्यान से देखकर अपने मन में उभरे विचारों को अपनी भाषा में लगभग 20-30 शब्दों में प्रस्तुत कीजिए। विचारों का वर्णन स्पष्ट रूप में चित्र से ही सम्बद्ध होना चाहिए।
उत्तर-
• विषय-वस्तु
• संवादों की सटीकता
• भाषा
व्याख्यात्मक हल :
प्रस्तुत चित्र में दो बालक अपने-अपने पूजा करने के तरीके से ईश्वर से प्रार्थना करते हुए सभी को यह संदेश दे रहे हैं कि जिस दिन हिन्दुओं और मुस्लिमों का आपसी भेदभाव समाप्त हो जायेगा, उसी समय से अपना भारत सच्चा स्वर्ग बन जायेगा।
14. समाज में बढ़ते भ्रष्टाचार व उसके दुष्परिणामों पर अध्यापिका व छात्र के बीच होने वाली बातचीत को 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
अध्यापिका व छात्र की बीच बातचीत
शिक्षिका – बच्चो! आज के अखबार में भ्रष्टाचार से सम्बन्धित खबर पढ़ी तुमने।
छात्र – जी! बीएसएनएल अधिकारी रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया।
शिक्षिका – आज कोई भी विभाग इससे अछूता नहीं रह गया है।
छत्र – जी! चाहे रेलवे हो या नगर निगम या विद्युत विभाग हर जगह भ्रष्टाचार नजर आता है।
शिक्षिका – भ्रष्टाचार का जाल इस तरह फैल गया है कि देश का विकास रुक गया है। बताओ, इसके दुष्परिणाम किस रूप में दिखाई देते हैं?
छत्र – भ्रष्टाचार के कारण कालाबाजारी, रिश्वतखोरी, बेइमानी, मिलावटखोरी आदि सबको बढ़ावा मिल रहा है।
शिक्षिका – बिल्कुल ठीक, भ्रष्टाचार ही इन सब समस्याओं की जड़ है।
15. भारतीय सेना में भर्ती होने की प्रेरणा देने वाला विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर-
• विषय-वस्तु
• प्रस्तुति
• भाषा
व्याख्यात्मक हल :
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