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प्रकृति पर्व – फूलदेई NCERT Class 3rd Hindi Veena Chapter 9 Question Answer
प्रकृति पर्व – फूलदेई Class 3 Question Answer
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास (पृष्ठ 75-79)
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
त्यौहार क्यों मनाए जाते हैं?
उत्तर-
त्यौहार हमारे जीवन में खुशियों का स्रोत है। विभिन्न त्यौहार हमारे गौरवशाली इतिहास, संस्कृति, धर्म, मान्यताओं को स्मरण करने का भव्य अवसर है। विभिन्न लोक-परंपराओं, ऋतुओं, फसलों, महीनों से जुड़ा त्यौहार हमें अपने परिवार और समाज से जोड़े रखता है। हर त्यौहार सामाजिक रीति-रिवाजों व सांस्कृतिक विरासतों को आने वाली पीढ़ियों के हाथों सुरक्षित-पहुँचाने का एक माध्यम है इसलिए त्यौहार मनाए जाते हैं।
प्रश्न 2.
आपका प्रिय त्यौहार कौन-सा है?
उत्तर-
होली का त्यौहार मुझे बहुत अच्छा लगता है।
प्रश्न 3.
आप अपना प्रिय त्यौहार कैसे मनाते हैं?
उत्तर-
मेरा प्रिय त्यौहार होली है। प्रत्येक वर्ष फागुन पूर्णिमा के दिन होली का त्यौहार मनाया जाता है। होलिका दहन के दूसरे दिन हम सब मिलकर रंग-गुलाब एक-दूसरे को लगाते हैं। रंग घोलकर पिचकारियों में भरते हैं और अपने मित्रों के साथ खूब रंग खेलते हैं। घर-घर जाकर मिठाइयाँ, गुजिया खाते हैं और हम सब प्रेम से गले मिलते हैं। इस तरह हम होली का त्यौहार मनाते हैं।
प्रश्न 4.
वसंत ऋतु के आगमन पर भारत में मनाए जाने वाले त्यौहार कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
वसंत पंचमी, मकर संक्रांति, बिहू, चापचर कुट, होली, लोहड़ी, बुद्ध पूर्णिमा, बैसाखी, गुड़ी पड़वा, ओबड़ी, शिवरात्रि।
प्रश्न 5.
उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में माँ को इजा कहकर पुकारते हैं। आप अपनी माँ को क्या कहकर पुकारते हैं?
उत्तर-
- मम्मी
- अम्मी
- आई
- माई
- मम्मा
सोचिए और लिखिए
प्रश्न 1.
फुलारी किसे कहते हैं?
उत्तर-
फूलदेई का त्यौहार मनाने के लिए उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बच्चों की टोली कई प्रकार के फूल अपनी छोटी-छोटी डलियों में एकत्रित करते हैं। बच्चों की टोली जो देहली (द्वार) पर अक्षत और एकत्रित की हुई फूल डालती हैं उन्हें ‘फुलारी’ कहते हैं।
प्रश्न 2.
फुलारी को मिले चावल और गुड़ से क्या-क्या बनाया जाता है?
उत्तर-
फुलारी को मिले चावल और गुड़ से हलवा, छोई या साई व पापड़ी जैसे अन्य स्थानीय व्यंजन बनाए जाते हैं।
प्रश्न 3.
फूलदेई को ‘बाल – पर्व’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
फूलदेई बच्चों को प्रकृति प्रेम और सामाजिक सद्भाव की सीख बचपन से ही देने का पर्व है। यह त्यौहार बच्चों द्वारा मनाया जाता है, इसलिए फूलदेई को ‘बाल-पर्व’ कहा जाता है।
प्रश्न 4.
फूलदेई पर्व बच्चों को प्रकृति से कैसे जोड़ता है?
उत्तर-
फूलदेई पर्व को मनाने के लिए बच्चे सुंदर पहाड़ों में फूल खिलने का इंतजार करते हैं। ऊँची-ऊँची पहाड़ियों से जब बर्फ पिघलने लगती है, इस संकेत से बच्चे खुश होते हैं कि वसंत ऋतु का आगमन हो चुका है। विभिन्न फूलों को एकत्रित कर जब बच्चों की टोली देहली पर गाती हुई फूल डालती हैं तब बच्चे प्रकृति से जुड़ाव महसूस करते हैं। इस तरह यह पर्व बच्चों को प्रकृति से जोड़ता है।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
ऊपर दिए गए चित्र में शिक्षक पूजा से प्रश्न पूछ रहे हैं। पूजा उत्तर देते हुए अपने और अपने मित्रों के बारे में बता रही है। इन दोनों उदाहरणों में पूर्ण विराम (|) अल्प विराम (,) और प्रश्नवाचक चिह्न (?) का प्रयोग किया गया है।
नीचे दिए गए वाक्यों में इन विराम चिह्नों का उपयोग कर वाक्य ठीक कीजिए-
गरिमा को फल खाना बहुत पसंद है वह अपने मित्र गौरव दीपक ममता और नवजोत को भी फल खाने की सलाह देती है क्या आपको भी फल खाना पसंद है
उत्तर-
गरिमा को फल खाना बहुत पसंद है। वह अपने मित्र गौरव, दीपक, ममता और नवजोत को भी फल खाने की सलाह देती है। क्या आपको भी फल खाना पसंद है?
पता कीजिए
प्रश्न 1.
फूलदेई वसंत ऋतु (मार्च-अप्रैल) में मनाया जाने वाला त्यौहार है। ऐसे ही शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) और हेमंत ऋतु (नवंबर-दिसंबर) में मनाए जाने वाले त्यौहारों की जानकारी खोजिए और लिखिए-
उत्तर-
शरद ऋतु में मनाया जाने वाला त्यौहार | हेमंत ऋतु में मनाया जाने वाला त्यौहार |
दशहरा | दीपावली |
करवाचौथ | धनतेरस |
नवरात्रि | भाईदूज |
छठपूजा | गोवर्धन पूजा |
गोपाष्टमी | रूप चतुर्दशी |
प्रश्न 2.
आपके विद्यालय में मिलने वाले अवकाशों की जानकारी प्राप्त कीजिए और ऋतुओं के आधार पर नीचे दी गई तालिका में लिखिए-
हमारे अवकाश
उत्तर-
हमारे अवकाश
अवकाश | कब से कब तक | कितने दिनों तक |
ग्रीष्मकालीन अवकाश | 1 मई से 14 जून तक | 45 दिन |
शरदकालीन अवकाश | 9 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक दशहरे की छुट्टियाँ | 6 दिन |
शीतकालीन अवकाश | 25 दिसंबर से 31 दिसंबर तक | 7 दिन |
छात्रों से उत्तर आपेक्षित है।
प्रश्न 3.
आइए, अपना घर सजाएँ-
फूलदेई के दिन घरों को स्वच्छ करके मुख्य द्वार की देहली को गोबर-मिट्टी से लीपकर तैयार किया जाता है। आप अपने घर को त्यौहारों के लिए सजाने हेतु किन-किन वस्तुओं का प्रयोग करते हैं?
उत्तर-
रंगोली | लाइट लड़ी |
तोरण | मोमबत्ती |
दीया | फूल |
मेरी कलाकारी
प्रश्न 1.
फूल, आम और अशोक के पत्तों से या अन्य किसी भी वस्तु के उपयोग से सुंदर तोरण बनाइए-
उत्तर-
विद्यार्थी स्वयं बनाएँ।
कल्पना कीजिए
प्रश्न 1.
मधुरानी एक दिन उद्यान में गई। वह बहुत प्रसन्न थी । वहाँ उसे मिली सूरजमुखी बहन और सूरज मामा। सोचकर लिखिए, वे तीनों आपस में क्या बातचीत कर रहे होंगे?
उत्तर-
मधुरानी – सूरजमुखी बहन! तुम सुबह जल्दी उठ जाती हो?
सूरजमुखी – हाँ मधुरानी! देखो सूरज मामा भी जागकर रोशनी फैला रहे हैं।
मधुरानी – सूरज मामा आप रोज सवेरे सबसे पहले क्यों जाग जाते हो?
सूरज मामा – मैंने यदि देर कर दी मधुरानी! तो सारा जग सोता ही रह जाएगा।
मधुरानी – ओ! ओ! तो ठीक है सूरज मामा आज से मैं भी रोज सवेरे उठकर सूरजमुखी बहन से मिलने आऊँगी।
सूरज मामा – बहुत बढ़िया मधुरानी।
सूरजमुखी – जरूर आना मधुरानी।
Class 3 Hindi Chapter 9 प्रकृति पर्व – फूलदेई पाठ का सार
फूलदेई उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। यह त्यौहार बच्चों के द्वारा मनाया जाता है, इसलिए इसे ‘बाल पर्व’ भी कहा जाता है। यह त्यौहार चैत्र मास की संक्रांति के दिन मनाया जाता है। फूलदेई वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। चैत्र ऋतु आते ही ऊँची-ऊँची पहाड़ियों से बर्फ पिघलने लगती है। इस समय उत्तराखंड के सुंदर पहाड़ फूलों से लद जाते हैं। बुरांस, फ्योंली और कई प्रकार के फूल सभी बच्चे अपनी छोटी-छोटी डलियों में एकत्रित कर हर घर के मुख्य द्वार पर अक्षत के साथ फूल डालते हैं।
सभी बच्चे गीत गाकर ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि सभी की देहली (द्वार) फूलों से भरी रहे। ईश्वर सबकी रक्षा करे। सबका मंगल करे। सबको क्षमा करे। सबके घर में सुख-समृद्धि हो और घर अन्न से भरा रहे। बच्चों की इस टोली को ‘फुलारी’ कहते हैं। सभी घरों को पूर्णतः साफ करके देहली (द्वार) को गोबर-मिट्टी से लीपकर तैयार किया जाता है। ‘फुलारी’ जब गाकर अपना आशीर्वाद देते हैं तो हर घर से उन्हें चावल, गुड़ और पैसे भी दिए जाते हैं।
बच्चों द्वारा एकत्रित किए गए चावल और गुड़ को मिलाकर हलवा, छोई व पापड़ी जैसे व्यंजन बनाए जाते हैं। यह त्यौहार बच्चों को प्रकृति प्रेम और सामाजिक सद्भाव की सीख देता है। साथ ही यह त्यौहार लोकगीतों, मान्यताओं और परंपराओं से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। यह पर्व प्रकृति तथा संस्कृति से जुड़े रहने की प्रेरणा भी देता है।
शब्दार्थ : पर्व – त्यौहार। व्यंजन – भोजन-सामग्री। टोली – समूह, दल। मास – महीना। अक्षत – बिना टूटा हुआ/पूजा की थाली में प्रयोग होने वाला चावल। प्रकृति – पर्यावरण/प्राकृतिक दुनिया जंगल, नदियाँ, पहाड़, पशु इत्यादि। समृद्धि – धन-सुख, ऐश्वर्य से परिपूर्ण। देहली – घर का मुख्य द्वार, चौखट।
- विद्यार्थी त्यौहारों की महत्ता से परिचित होंगे।
- प्रांतीय त्यौहार अपना विशेष महत्त्व रखते हैं- यह जानेंगे।
- उत्तराखंड का ‘फूलदेई’ त्यौहार क्यों और कैसे मनाया जाता है? यह समझ पाएँगे।
- त्यौहार खुशियों एवं मेल के प्रतीक हैं- इस तथ्य से परिचित होंगे।