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चतुर गीदड़ NCERT Class 3rd Hindi Veena Chapter 8 Question Answer
चतुर गीदड़ Class 3 Question Answer
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास (पृष्ठ 67-71)
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
आपको भूख लगती है तो आपको कैसा लगता है?
उत्तर-
जब हमें भूख लगती है तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता है। ऐसा लगता मर ही जाएँगे। उस समय जो कुछ भी भोजन हमारे सामने होता है लगता है। ऐसी फल-सब्ज़ियाँ जिसे हम खाना पसंद नहीं करते हैं, भी हम खा लेते हैं।
प्रश्न 2.
अपने मित्र’ की सहायता आप किस-किस प्रकार से करते हैं?
उत्तर-
- जब कभी मेरा मित्र स्कूल में पेन, पेंसिल, कॉपी या पुस्तक लाना भूल जाता है, तब मैं उसे अपना सामान दे देता हूँ।
- जब मेरे मित्र को अकेले सामान लेने बाजार जाना पड़ता है तब मैं उसके साथ चला जाता हूँ।
- जब कभी स्कूल में मेरा मित्र टिफिन या पानी का बॉटल लाना भूल जाता है, मैं उसे अपना टिफिन और पानी देकर उसकी मदद करता हूँ।
- जब मेरे दोस्त की तबीयत खराब होती है तो मैं उसके पास बैठता हूँ। उसे पानी और फल लाकर देता हूँ।
- सुख-दुख में मैं अपने मित्र का साथ हमेशा निभाता हूँ।
प्रश्न 3.
कहानी का शीर्षक ‘चतुर गीदड़’ क्यों है?
उत्तर-
कहानी का शीर्षक ‘चतुर गीदड़’ इसलिए है क्योंकि गीदड़ ने सूझ-बूझ और चतुराई। से अपनी जान बचाई।
प्रश्न 4.
आप इस कहानी को और क्या नाम देना चाहेंगे?
उत्तर-
‘होशियार गीदड़ ‘
‘कछुए की मित्रता’
‘मूर्ख मगरमच्छ’
‘मगरमच्छ और गीदड़’
‘बुद्धिमान गीदड़’ इत्यादि छात्र स्वयं कहेंगे।
प्रश्न 5.
अपनी सूझ-बूझ का कोई अनुभव बताइए?
उत्तर-
छात्रों से उत्तर आपेक्षित है।
सोचिए और लिखिए
प्रश्न 1.
तालाब में मछलियाँ क्यों नहीं थी?
उत्तर-
तालाब में मछलियाँ इसलिए नहीं थी क्योंकि तालाब की सारी मछलियों को मगरमच्छ ने चट (खा) कर लिया था।
प्रश्न 2.
कछुए ने क्या उपाय सोचा?
उत्तर-
कछुए ने सोच-विचारकर एक उपाय सोचा कि तालाब के किनारे मगरमच्छ चुपचाप अपनी साँस रोके मरा हुआ-सा पड़ा रहेगा। जैसे ही गीदड़ आएगा कछुआ (मैं) ज़ोर-ज़ोर से रो-रोकर मित्र के मर जाने का दुख व्यक्त करूँगा/करेगा। इस तरह सूखे पत्ते डालकर ढँकने का बहाना बनाकर कछुआ उसे पास बुलाएगा और मगरमच्छ तुरंत गीदड़ को पकड़ लेगा।
प्रश्न 3.
गीदड़ ने समझदारी कैसे दिखाई?
उत्तर-
गीदड़ ने समझदारी दिखाते हुए कछुए से कहा – “भाई मैंने तो सुना है कि मर जाने पर मगरमच्छ की पूँछ हिलती रहती है। लगता है, अभी यह पूरी तरह नहीं मरा।” यह कहकर गीदड़, मगरमच्छ के पूँछ हिलाने का इंतज़ार करने लगा। उसने कछुए की बात का भरोसा नहीं किया।
प्रश्न 4.
गीदड़ को मगरमच्छ की सच्चाई कैसे पता चली?
उत्तर-
गीदड़ ने जब कहा कि मरने पर मगरमच्छ की पूँछ हिलती रहती है इतना सुनते ही मूर्ख मगरमच्छ अपने को मरा हुआ साबित करने के लिए अपनी पूँछ ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा। यह देखकर गीदड़ को मगरमच्छ की सच्चाई का पता चल गया कि वह मरा नहीं, जिंदा है।
कहानी से
प्रश्न 1.
नीचे कहानी से जुड़े कुछ चित्र और बातें हैं। उनका आपस में मिलान कीजिए-
उत्तर-
- भूख के मारे प्राण निकलना – मगरमच्छ
- गीदड़ को लाने का प्रयत्न – कछुआ
- डर के मारे प्यासा रह जाना – गीदड़
- पूँछ हिलाना – मगरमच्छ
भाषा की बात
प्रश्न 1.
कहानी में पशुओं के लिए तालाब ही पानी का स्रोत है। नीचे दी गई वर्ग पहेली से पानी के अन्य स्रोतों को ढूँढ़कर लिखिए-
उत्तर-
प्रश्न 2.
सही वाक्य बनाइए-
‘दो मित्र कहीं जा रहे हैं’
इस वाक्य में ‘द’ को ‘क’, ‘म’ को ‘ग’ और ‘ह’ को ‘प’ से बदल दिया गया है।
इस तरह नया वाक्य बना-
‘को गित्र कपीं जा रपे पैं
अब दिए गए वाक्य में ‘ल’ को ‘ह’ और ‘स’ को ‘भ’ से बदलकर नया वाक्य बनाइए।
मैं बलुत सूखा/सूखी हूँ।
सही वाक्य – ____________________________
उत्तर-
सही वाक्य – मैं बहुत भूखा/भूखी हूँ।
प्रश्न 3.
कहानी में आए शब्दों का प्रयोग करते हुए नए वाक्य बनाकर लिखिए-
उत्तर-
- कठिन – मज़दूर कठिन परिश्रम करके अपना पेट भरते हैं।
- प्रयत्न – मैंने अपने प्रयत्न से इस जंगल को हरा-भरा कर दिया।
- सहायता – हमें गरीबों की सहायता करनी चाहिए।
- प्यारा – मुझे भारत देश जान से भी प्यारा है।
पश्न 4.
एक मछली, अनेक मछलियाँ। नीचे दिए गए शब्दों के एक और अनेक रूप लिखिए-
उत्तर-
एक | अनेक |
मछली | मछलियाँ |
चूड़ी | चूड़ियाँ |
मक्खी | मक्खियाँ |
लड़की | लड़कियाँ |
टोपी | टोपियाँ |
ककड़ी | ककड़ियाँ |
पता कीजिए और लिखिए
प्रश्न 1.
इस कहानी में मगरमच्छ, गीदड़ और कछुए जैसे पात्र आपने देखे हैं। मगरमच्छ जल और थल दोनों पर ही रहता है जबकि गीदड़ केवल थल पर रहता है। आप इस तरह के और प्राणियों के नाम पता करके नीचे दी गई तालिका में लिखिए-
उत्तर-
जल व थल पर रहने वाले जीव | थल पर रहने वाले जीव |
साँप | गिलहरी |
मेंढ़क | कुत्ता |
कछुआ | शेर |
घड़ियाल | घोड़ा |
मेरी सोच
प्रश्न 1.
यदि हम गीदड़ के स्थान पर होते तो क्या करते?
उत्तर-
- हम कछुए से कभी बात नहीं करते।
- हम उस तालाब के किनारे कभी नहीं आते।
- आगे छात्र स्वयं उत्तर दें ……..।
आप क्या सोचते हैं?
प्रश्न 1.
अगर मगरमच्छ पूँछ न हिलाता तो अनुमान लगाइए कि कहानी का क्या अंत होता?
उत्तर-
- अगर मगरमच्छ पूँछ न हिलाता तो गीदड़ समझ ही नहीं पाता कि वह जिंदा है।
- अगर मगरमच्छ पूँछ न हिलाता तो गीदड़ उसके पास खड़ा रहता और पलक झपकते ही मगरमच्छ गीदड़ को चट कर जाता।
Class 3 Hindi Chapter 8 चतुर गीदड़ पाठ का सार
एक दिन की बात है-तालाब के किनारे मगरमच्छ बैठे-बैठे सोच रहा था कि उसने तो सारी मछलियाँ चट कर ली है। अब वह क्या खाएगा? भूख से तो उसके प्राण ही निकल जाएँगे। उसे बड़ी तेज़ भूख भी लगी थी। इतने में उसका मित्र कछुआ आया। कछुए को उसने सारी परेशानी बताई।
गीदड़ को तालाब तक लाने के लिए मगरमच्छ ने अपने मित्र कछुए से सहायता माँगी। तभी कछुए ने एक उपाय सोचा और मगरमच्छ से कहा, “तुम यहाँ साँस रोके पड़े रहना। ऐसा लगे कि तुम मर गए हो।” मगरमच्छ ने ऐसा ही किया। गीदड़ को दूर से आते देख कछुआ ज़ोर-ज़ोर से यह कहकर रोने लगा कि उसका मित्र इस दुनिया में नहीं रहा। अब वह अकेला रह गया है।
यह सुनकर गीदड़ मन-ही-मन खुश हुआ कि अब वह निश्चिंत होकर तालाब का पानी पी सकता है। उसे प्यासा नहीं रहना पड़ेगा। रोते-रोते कछुए ने गीदड़ से सहायता माँगी कि पास आकर मरे हुए मगरमच्छ को पत्तों से ढक दें। गीदड़ जब मगरमच्छ के पास आया तो उसे लगा कि मगरमच्छ की साँसे चल रही है वह मरा नहीं है। बस फिर क्या था गीदड़ ने अपनी बुद्धि लगाई और सच्चाई का पता लगाने के लिए कछुए से कहा- ‘भाई! मैंने तो सुना है कि मर जाने पर मगरमच्छ की पूँछ हिलती रहती है। लगता है अभी वह पूरी तरह मरा नहीं।’
इतना सुनते ही मूर्ख मगरमच्छ अपनी पूँछ हिलाकर यह जताने लगा कि वह मर गया है। मगरमच्छ को पूँछ हिलाते देख गीदड़ को सच्चाई का पता चल गया और वह भाग खड़ा हुआ। इस तरह गीदड़ ने समझदारी और चालाकी से अपनी जान बचाई।
शब्दार्थ : मित्र – दोस्त, सखा। स्वर्ग सिधारना – मर जाना। प्राण निकलना – मर जाना। चतुर – चालाक, होशियार। चट करना – खा लेना। प्रयत्न – कोशिश, प्रयास। ढाँप – ढाँक देना या ढाकना।
- प्रस्तुत पाठ के माध्यम से विद्यार्थी बड़ी सरलता से जल तथा थल दोनों स्थानों पर रहने वाले प्राणियों के बारे में जानेंगे।
- उन्हें उनके स्वभाव, भोजन इत्यादि का भी ज्ञान प्राप्त होगा।
- अपने आस-पास के परिवेश को इस पाठ के माध्यम से बच्चे अधिक सरलता से समझ पाएँगे।
- इससे बच्चों की अन्वेषण शक्ति, सर्जनात्मक चिंतन और तार्किक चेतना भी बढ़ेगी।