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चींटी NCERT Class 3rd Hindi Veena Chapter 2 Question Answer
चींटी Class 3 Question Answer
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास (पृष्ठ 10-12)
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
आपने अपने आस-पास, घर और विद्यालय में कौन-कौन से जीव-जंतु देखे हैं?
उत्तर-
तितली, कौआ, मधुमक्खी, मच्छर, बिल्ली, तोता आदि।
प्रश्न 2.
आपने सबसे छोटा कौन-सा कीट देखा और कहाँ देखा है?
उत्तर-
मैंने सबसे छोटा कीट दीमक को देखा। मैं माँ के साथ अपने घर के पास एक बगीचे में गई थी। वहीं लकड़ी में मैंने उसे देखा।
प्रश्न 3.
आपने चींटी के अतिरिक्त और कौन-कौन से श्रम करने वाले जीव देखे हैं?
उत्तर-
मधुमक्खी, तितली, चिड़िया आदि।
प्रश्न 4.
नन्ही चींटी के बारे में अपना कोई अनुभव बताइए।
उत्तर-
कुछ दिन पहले माँ रसोई में चाय बना रही थी। मैं भागकर माँ के पास गई तो उनसे टकरा गई। माँ चाय में चीनी डाल रही थी। चम्मच हाथ से छूटकर नीचे गिर गया और चीनी फैल गई। माँ ने सारी चीनी समेट कर कूड़ेदान में डाल दी और हम रसोई से बाहर चले गए। लेकिन जब वापिस आए तो देखा कि बहुत-सी चींटियाँ एक चीनी के दाने के आस-पास हैं। मैं तो घबरा ही गई थी। माँ ने समझाया कि चींटियाँ अक्सर मीठे की तरफ खिंची चली आती हैं।
कविता से आगे
प्रश्न 1.
नीचे कुछ वस्तुओं के चित्र बने हैं। बताइए, चींटियाँ किसे खाना चाहेंगी? उस पर का चिह्न बनाइए-
उत्तर-
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों को पूरा कीजिए-
(क) घर को __________________________
(ख) पर्वत पर __________________________
(ग) दाना चुनकर __________________________
(घ) श्रम का राग __________________________
उत्तर-
(क) घर को खूब सजाती चींटी।
(ख) पर्वत पर चढ़ जाती चींटी।
(ग) दाना चुनकर लाती चींटी।
(घ) श्रम का राग सुनाती चींटी।
प्रश्न 3.
कविता के अनुसार चींटी हमको क्या-क्या करना सिखाती है? लिखकर बताइए-
उत्तर-
- कभी न घबराना।
- मेहनत करके खाना।
- घर को खूब सजाना।
- निरंतर आगे बढ़ते रहना।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
कविता में चींटी को क्या-क्या कहा गया है-
उत्तर-
कलाकार अडिग
मेहनती पर्वतारोही
प्रश्न 2.
कितनी बार आई चींटी?
‘चींटी’ कविता में ‘चींटी’ शब्द कितनी बार आया है? इन्हें गिनें और उतनी चींटियाँ बनाकर इस पंक्ति को पूरा करें-
उत्तर-
चींटी शब्द आठ (8) बार आया है।
‘प्रश्न 3.
आइए, ‘चींटी’ कविता को आगे बढ़ाते हैं-
उत्तर-
चीनी का दाना दिख जाए
उसको लेने जाती चींटी
नन्हीं चींटी बढ़ती आगे
ज़रा नहीं घबराती है।
मेहनत का फल मीठा होता
हमको यह सिखलाती है।
प्रश्न 4.
शब्दों की तुकबंदी-
उत्तर-
दाना – गाना
धूप – कूप
कड़ी – बड़ी
राग – भाग
प्रश्न 5.
चींटी से भेंट
आपके घर के कई कोनों में चींटी आती-जाती है। एक दिन वह आपको रोककर आपसे कुछ कहती है। आपके और उसके बीच क्या-क्या बातें हुई होंगी, लिखिए-
उत्तर-
आप – नमस्ते चींटी! आज आप अकेली आई हैं?
चींटी – नहीं, सबके साथ आई हूँ।
आप – तो बाकी सब कहाँ हैं?
चींटी – बस, मेरे पीछे-पीछे ही आ रही हैं।
Class 3 Hindi Chapter 2 चींटी काव्यांशों की व्याख्या
1. हर पल चलती जाती चींटी,
श्रम का राग सुनाती चींटी।
कड़ी धूप हो या हो वर्षा,
दाना चुनकर लाती चींटी।
सचमुच कैसी कलाकार है,
घर को खूब सजाती चींटी। (पृष्ठ 9)
शब्दार्थ : श्रम – मेहनत। राग – गाना। कड़ी – बहुत/अत्यधिक।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वीणा- भाग-1’ में संकलित कविता ‘चींटी’ में से ली गई है। इसके कवि प्रकाश मनु जी हैं। इसमें वे चींटी की विशेषताएँ, प्रकृति के विभिन्न रूप तथा श्रम (मेहनत ) का महत्त्व समझा रहे हैं।
व्याख्या – कवि कहते हैं कि चींटी बहुत ही मेहनती होती है। चींटी सदा चलती ही रहती है। वह हमें मेहनत करना सिखाती है। चाहे कितनी भी बारिश हो या धूप हो, वह मेहनत करके दाना चुनकर लाती है। इसके अलावा चींटी बहुत ही बढ़िया कलाकार होती है। वह अपने घर को बहुत ही सुंदर ढंग से अलग-अलग चीजों से सजाती है। इसके घर में बहुत से छोटे-छोटे भाग (कमरे) होते हैं। इनमें वह चीजें ला- लाकर रखती है, जैसे- कहीं अंडे, कहीं अनाज के दाने आदि।
2. छोटा तन पर बड़े इरादे,
नहीं कभी घबराती चींटी।
नन्हे नन्हे पैर बढ़ाकर,
पर्वत पर चढ़ जाती चींटी।
काम बड़े करके दिखलाती,
जहाँ कहीं अड़ जाती चींटी।
मेहनत ही पूजा है प्रभु की,
हमको यही सिखाती चींटी। (पृष्ठ 9)
शब्दार्थ : तन – शरीर। इरादे – होंसले। घबराती – डरती।
प्रसंग – पूर्ववत्।
व्याख्या – चींटी बहुत ही छोटी होती है पर उसके इरादे बहुत ही बड़े होते हैं। बड़ी से बड़ी चीज़ को भी उठाने से बिलकुल नहीं घबराती है। अपने शरीर से कई गुना ज्यादा भार उठा लेती है। अपने छोटे-छोटे पैरों से बड़े-बड़े पहाड़ों पर चढ़ जाती है। अनेकों बार फिसलती है किंतु एक पर्वतारोही की तरह पर्वत पर चढ़ ही जाती है। अगर ठान लेती है या अड़ जाती है तो बड़े से बड़े काम को भी कर लेती है। हमें पूरी मेहनत से अपने कार्य को करना चाहिए। कर्म (मेहनत ) करना ही भगवान की पूजा है- चींटी हमें यह सिखाती है।
Class 3 Hindi Chapter 2 चींटी कविता का सार (Summary of the Poem)
इस कविता के कवि प्रकाश मनु जी हैं। वे कहते हैं कि अगर आपने ( अपने घर, स्कूल, बाग, सड़क या ) कहीं भी चींटी को देखा होगा तो वह निरंतर चलती रहती है। चींटी हमें मेहनत का पाठ पढ़ाती है। चींटी बहुत मेहनती होती है। चाहे कितनी भी धूप हो या बारिश हो लेकिन फिर भी वह दाना चुनना नहीं छोड़ती। चींटी वास्तव में एक बहुत अद्भुत कलाकार होती है। यह अपने घर को बहुत सलीके से सजाती बनाती है। चींटी का शरीर तो बहुत छोटा होता है किंतु इसके इरादे बहुत बड़े होते हैं। अपने से दो गुना या तीन गुना भार उठा लेती है, घबराती नहीं है। छोटी-सी चींटी अपने नन्हे नन्हे पैरों से पर्वत पर चढ़ जाती है। कोई भी कैसा भी काम है उसे करके दिखलाती है। जब अड़ जाती है तो काम पूरा करके ही छोड़ती है। चींटी हमें यह सिखाती है कि हमें अपना कर्म करना चाहिए। अपना कर्म करना ही प्रभु की पूजा है। हमें मेहनत से अपने काम पूरे करने चाहिए।
- इस कविता के माध्यम से बच्चे अपने इर्द-गिर्द दिखाई देने वाले जीव-जंतुओं के संसार के बारे में जान पाएँगे।
- विशेषकर बच्चों को नन्हीं सी चींटी की स्वभावगत विशेषताओं के साथ-साथ उसकी शारीरिक संरचना का भी ज्ञान प्राप्त होगा।
- इसके अतिरिक्त अपने पर्यावरण अर्थात् प्रकृति की देन धूप, बारिश, सूरज, पर्वत आदि के बारे में भी जान सकेंगे।
- बड़ी ही सरलता एवं सुगमता से बच्चे नन्हीं चींटी के माध्यम से श्रम की महिमा को समझ पाएँगे।
- चींटी की गृह–निर्माण कला के द्वारा बच्चों को आरंभिक वास्तुकला के बारे में भी पता चलेगा।