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सीखो NCERT Class 3rd Hindi Veena Chapter 1 Question Answer
सीखो Class 3 Question Answer
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास (पृष्ठ 2-8)
बातचीत के लिए
प्रश्न 1.
आपको इस चित्र में क्या-क्या दिखाई दे रहा है?
उत्तर-
सूरज, पहाड़, पक्षी, पेड़, आम, फूल, नदी, पत्थर, बादल।
प्रश्न 2.
इनमें से कौन-कौन सी वस्तुएँ आप प्रतिदिन देखते हैं?
उत्तर-
सूरज, पक्षी, पत्थर, पेड़, फूल तथा बादल।
प्रश्न 3.
उगते हुए सूरज को देखकर आपके मन में किस प्रकार के भाव आते हैं?
उत्तर-
उगता सूरज देखकर मेरा मन जोश से भर जाता है और शांति मिलती है। यह सोचकर शांति मिलती है कि मेरे काम करने के लिए मेरे पास आज का पूरा दिन है।
प्रश्न 4.
रंग-बिरंगे फूलों को देखकर आपको कैसा लगता है?
उत्तर-
रंग-बिरंगे फूलों को देखकर मेरा मन प्रसन्नता (खुशी) से भर जाता है।
कविता की बात
प्रश्न 1.
किससे क्या सीखें, मिलान कीजिए-
उत्तर-
प्रश्न 2.
कविता में किससे सीखने की बात आपको सबसे अच्छी लगी?
उसका चित्र बनाइए और नाम लिखिए-
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 3.
पढ़िए और बताइए कि यह भाव कविता की किस पंक्ति में आया है-
(क) पेड़ों की झुकी डालियों से हमें यह सीखना है कि हमें हमेशा विनम्र रहना चाहिए। (कविता की पंक्ति)
(ख) हवा के झोंकों से हमें सीखना है कि हम हमेशा कुछ न कुछ काम करते रहें। (कविता की पंक्ति)
(ग) नदी-नहर से हमें सीखना है कि जीवन आगे बढ़ने का नाम है और हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए। (कविता की पंक्ति)
उत्तर-
(क) तरु की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना।
(ख) सीख हवा के झोंकों से लो, कोमल भाव बहाना।
(ग) जलधारां से सीखो आगे जीवन-पथ में बढ़ना।
कविता से आगे
प्रश्न 1.
सूरज से ‘जगना और जगाना’ सीखने की बात कही गई है। हम सूरज से और क्या-क्या सीख सकते हैं? कोई दो बातें लिखिए-
उत्तर-
(क) सूरज से हम दूसरों के जीवन में प्रकाश भरना सीख सकते हैं। हमें लोगों के जीवन के दुख दूर करके उजाला भरना चाहिए।
(ख) सूरज से हम अनुशासन सीख सकते हैं। जैसे- सूरज बिना किसी की परवाह किए समय पर उदय और अस्त होता है, वैसे ही हमें भी बिना किसी चीज़ की परवाह किए अपने जीवन में अनुशासन लाना चाहिए।
प्रश्न 2.
लता और पेड़ों से एक-दूसरे के साथ प्रेम और सद्भाव की बात सीखने के लिए कहा गया है। इनसे हम और क्या-क्या सीख सकते हैं? कोई दो बातें लिखिए-
उत्तर-
(क) लता और पेड़ से हम सद्भाव के अलावा एक-दूसरे को उन्नति (विकास) के पथ अग्रसर करना भी सीख सकते हैं।
(ख) लता और पेड़ से हम दूसरों के लिए जीना भी सीख सकते हैं। वे अपने जीवन में लोगों को फल-फूल इत्यादि देते हैं और खुश रहते हैं।
प्रश्न 3.
हम सभी में कोई न कोई विशेषता अवश्य होती है। आप अपने सहपाठी की कौन-सी बात सीखना चाहते हैं?
उत्तर-
मेरा सहपाठी हमेशा सबकी सहायता करता है। कक्षा में वह बढ़-चढ़कर सबकी मुश्किलें दूर करता है। मैं भी उसकी इस बात को सीखना चाहता हूँ।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
ऊपर दी गई सूची को ध्यान से पढ़िए। इनमें से कोई दो शब्द लेकर वाक्य बनाइए-
उत्तर-
(क) पथ – हमें हमेशा सच्चाई के पथ पर चलना चाहिए।
(ख) तरु – तरु हमें फल-फूल और लकड़ी देते हैं।
प्रश्न 2.
दूध और पानी से सीखो, मिलना और मिलाना। रेखांकित शब्दों के समान कुछ और शब्द बनाइए-
उत्तर-
हँसना और हँसाना | खाना और खिलाना |
लड़ना और लड़ाना | पीना और पिलाना |
भरना और भराना | सोना और सुलाना |
प्रश्न 3.
‘स’ और ‘प’ वर्ण से प्रारंभ होने वाले शब्दों को कविता से खोजकर लिखिए-
उत्तर-
प्रश्न 4.
तालिका ‘अ’ तथा ‘ब’ में दिए गए शब्दों का उच्चारण कीजिए और इनमें अंतर पहचानिए-
उत्तर-
विद्यार्थी स्वयं करें।
बूझो तो जानें
प्रश्न 1.
एक फूल, एकं फल है भाई।
दोनों मिलकर बने मिठाई ।
उत्तर-
गुलाब-जामुन।
प्रश्न 2.
बिना बाल की पूँछ लिए वह भाग रहा है, सब सोते, वह रात-रात भर जाग रहा है। काट-काटकर कागज, कपड़े खुश होता है, और धरातल के नीचे घर में सोता है।
उत्तर-
चूहा।
आइए मिलकर गाएँ
प्रश्न 1.
आइए, पाठ में पढ़ी गई कविता को हम सब मिलकर गाएँ-
उत्तर-
आइए मिलकर गाएँ।
Class 3 Hindi Chapter 1 सीखो काव्यांशों की व्याख्या
1. फूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित गाना।
तरु की झुकी डालियों से नित सीखो शीश झुकाना।
सीख हवा के झोंकों से लो, कोमल भाव बहाना।
दूध तथा पानी से सीखो, मिलना और मिलाना।
सूरज की किरणों से सीखो, जगना और जगाना|
लता और पेड़ों से सीखो, सबको गले लगाना। (पृष्ठ 1)
शब्दार्थ : नित – रोज, प्रतिदिन। भौंरा – भँवरा। तरु – पेड़। शीश – सिर। कोमल – नरम, नाजुक। लता – बेल।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वीणा – भाग-1’ में संकलित कविता ‘सीखो’ में से ली गई है। इसके कवि श्रीनाथ सिंह जी हैं। इसमें वे प्रकृति की अलग-अलग चीजों से शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा दे रहे हैं। उनका मानना है कि प्रकृति हर क्षण मानव को एक नई सीख देती है।
व्याख्या – कवि कहता है कि हमें फूलों से सदा हँसना सीखना चाहिए। चाहे कैसी भी परिस्थितियाँ हो, हमें हँसकर उनका मुकाबला करना चाहिए। भौंरों से गाना सीखना चाहिए और पेड़ों की झुकी डालियों से हमें शीश झुकाना सीखना चाहिए। हवा के कोमल बहते हुए झोंके मन को शीतलता और आनंद से भर देते हैं। कवि कहते हैं कि हवा के झोंकों से हमें निरंतर काम करना, शीतलता और कोमलता जैसे भाव ग्रहण करने चाहिए। दूध और पानी आपस में अच्छी तरह घुल-मिल जाते हैं और पानी भी दूध जैसा दिखने लगता है। ठीक इसी प्रकार हमें भी भेद. भाव मिटाकर मिल जुलकर रहना चाहिए। कवि कहते हैं कि सूरज से हमें रोज नियम से जगना और जगाना सीखना चाहिए। बेलें अक्सर पेड़ों पर लिपटी दिखाई पड़ती हैं और पेड़ और बेल दोनों ही फल देते हैं। बेलें किसी भी पेड़ पर लिपट जाती हैं ठीक उसी प्रकार हमें भी सबको गले लगाना चाहिए। हमें मन में कोई बैर भाव नहीं रखना चाहिए।
2. दीपक से सीखो जितना हो सके अँधेरा हरना।
पृथ्वी से सीखो प्राणी की सच्ची सेवा करना।
जलधारा से सीखो आगे, जीवन-पथ में बढ़ना।
और धुएँ से सीखो हरदम, ऊँचे ही पर चढ़ना। (पृष्ठ 1)
शब्दार्थ : दीपक – दीया। हरना – दूर करना। पृथ्वी – धरती। प्राणी – जीव। पथ – रास्ता, मार्ग।
प्रसंग – पूर्ववत्।
व्याख्या – कवि कहता है कि दीपक छोटा-सा होता है किंतु अपनी क्षमता के अनुसार अँधेरे को दूर करता है ठीक उसी प्रकार हमें भी जीवन के अँधेरों को दूर करने की सीख दीपक से लेनी चाहिए। पृथ्वी अर्थात् धरती अपने ऊपर रहने वाले सभी लोगों की चाहे वे अच्छे हैं या बुरे, सबकी सच्ची सेवा करती है। सबके साथ एक समान व्यवहार करती है। पृथ्वी से हमें सच्ची सेवा का गुण ग्रहण करना (अपनाना) चाहिए। कवि आगे कहते हैं कि हमें जलधारा अर्थात् नदी से जीवन में सदा आगे बढ़ने की सीख लेनी चाहिए। नदी के रास्ते में चाहे कितने ही पत्थर-कंकड़ आए, नदी आगे बढ़ती ही रहती है ठीक वैसे ही हमें भी चाहे कितनी ही मुश्किलें आए, जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए। इसी तरह धुएँ से हमें सदा ऊँचा उठना सीखना चाहिए। धुआँ सदा ऊपर की ओर जाता है वैसे ही हमें भी ऊँचा उठने की कोशिश करनी चाहिए।
Class 3 Hindi Chapter 1 सीखो कविता का सार (Summary of the Poem)
‘सीखो’ कविता श्रीनाथ सिंह जी ने लिखी है। इसमें कवि ने हमें प्रकृति की भिन्न-भिन्न चीजों से अच्छी बातें सीखने के लिए प्रेरित किया है। कवि कहता है कि हमें फूलों से सदैव हँसना, भँवरों से गाना, पेड़ों की झुकी डालियों से विनम्र रहना, हवा से सदैव कार्य करते रहना तथा दूध और पानी से एक साथ मिलकर रहना सीखना चाहिए। कवि कहता है कि हमें सूरज से सदैव निश्चित समय पर जगना और जगाना सीखना चाहिए। लता और पेड़ों से हमें सबको आगे बढ़कर गले लगाना सीखना चाहिए। दीपक से हमें दूसरों के जीवन के अँधेरों को दूर करना तथा धरती से प्राणियों की सच्ची सेवा करना सीखना चाहिए। जल की धारा से जीवन पथ पर निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा लेनी चाहिए। धुएँ से हमेशा हमें ऊँचा और ऊँचा उठना सीखना चाहिए।
- इस कविता के माध्यम से विद्यार्थी अपने पर्यावरण तथा विज्ञान की अनेकों चीजों से परिचित होंगे।
- उन्हें न केवल पृथ्वी, पेड़-पौधों, फूल, नदी इत्यादि की जानकारी प्राप्त होगी अपितु सूर्य, प्रकाश तथा नभ का भी ज्ञान प्राप्त होगा।
- बच्चे हिंदी भाषा के साथ-साथ आरंभिक विज्ञान की चीजों को सोचने-समझने तथा उनसे संबंधित प्रश्न पूछने के लिए भी प्रेरित होंगे।
- प्रकृति के अनमोल उपहारों के बारे में जानकर उसके प्रति कृतज्ञ होंगे तथा पाठ के अभ्यास के माध्यम से छोटे-छोटे वाक्य बनाना भी सीखेंगे।