Students can benefit from Sarangi Hindi Book Class 2 Solutions Chapter 1 नीमा की दादी by practicing regularly and seeking help when needed.
NCERT Solutions for Class 2 Hindi Sarangi Chapter 1 नीमा की दादी
प्रश्न 1.
नीमा की दादी घर पर ही क्यों रहती हैं?
उत्तर :
नीमा की दादी अपने घुटनों में दर्द के कारण घर पर ही रहती हैं।
प्रश्न 2.
मैदान में जाकर दादी ने क्या किया होगा?
उत्तर :
मैदान में जाकर दादी ने नीमा को बच्चों के साथ मज़े से खेलते देखा होगा।
प्रश्न 3.
नीमा कहती है, “मैं पाँच बजे खेलने जाती हूँ पर दस मिनट में ही छह बज जाते हैं।” क्या आपके साथ भी ऐसा होता है?
उत्तर :
हाँ, मेरे साथ भी ऐसा ही होता है। खेलने में समय बहुत जल्दी कटता है।
प्रश्न 4.
आप स्कूल से घर जाकर अपना समय कैसे बिताते हैं?
उत्तर :
मैं भी घर जाकर अपनी माँ को स्कूल की सारी बातें बताती/बताता हूँ। शाम को खेलने के बाद स्कूल का काम करती/करता हूँ।
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
प्रश्न 1.
इस कहानी में कौन-कौन हैं?
उत्तर :
इस कहानी में नीमा और दादी हैं।
प्रश्न 2.
नीमा स्कूल की बातें अपनी दादी को बताती है। आप स्कूल की बातें किसे बताते हैं?
उत्तर :
मैं अपनी स्कूल की बातें माँ को बताती/बताता हूँ।
प्रश्न 3.
इस कहानी में नीमा और दादी हैं। ‘न’ और ‘द’ से शुरू होने वाले कुछ शब्दों की सूची बनाइए-
उत्तर :
शब्दों का खेल :
प्रश्न 1.
नीचे कुछ वर्ण और कुछ मात्राएँ दी गई हैं। इन्हें जोड़कर अपने शब्द बनाइए और अपनी कॉपी में लिखिए-
उत्तर :
प्रश्न 2.
कुछ अक्षर छूट गए हैं। उन्हें लिखिए
उत्तर :
प्रश्न 3.
कहानी में ‘इंतज़ार’ शब्द आया है।
अक्षर के ऊपर लगने वाली बिंदी को अनुस्वार कहते हैं। ‘इतज़ार’ में जैसे ही ‘इ’ के ऊपर बिंदी लगाई ‘इंतज़ार’ हो गया। आइए, ऐसे ही कुछ अन्य शब्दों को देखते हैं-
उत्तर :
Sarangi Class 2 Hindi Chapter 1 नीमा की दादी Summary
Sarangi Hindi Book Class 2 Chapter 1 नीम की दादी कहानी का सार
इस पाठ में नीमा और उसकी दादी के बारे में बताया गया है। नीमा रोज़ स्कूल से दोपहर के दो बजे घर लौटती है। उसकी दादी घर में अकेली होती हैं। अपने घुटनों में दर्द के कारण वह कहीं आती-जाती नहीं हैं। उन्हें नीमा का इंतजार रहता है। वह समय बिताने के लिए कभी सब्ज़ी काटती हैं तो कभी अपने घुटनों पर तेल मलती हैं। नीमा स्कूल से आकर खाना खाते समय दादी को स्कूल की बातें सुनाती है। शाम को खेलने चली जाती है।
एक दिन नीमा शाम को खेलने जाने लगी तो दादी ने उसे थोड़ी देर रुककर जाने के लिए कहा। दादी ने कहा कि उसके बिना उनका समय नहीं कटता। इस पर नीमा उनकी चप्पलें उन्हें देते हुए बोली कि वह भी उसके साथ खेलने चलें। खेलने में समय का पता ही नहीं चलता। नीमा कहती है कि वह पाँच बजे खेलने जाती है और दस मिनट में ही छह बज जाते हैं। इस पर दादी जोर से हँसती हैं और उसके साथ खेल के मैदान की तरफ चल पड़ती हैं।
शब्दार्थ :
- सिर्फ़ – केवल।
- इंतज़ार – राह देखना, किसी का रास्ता देखना।