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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी is part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी.
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Hindi Kritika |
Chapter | Chapter 3 |
Chapter Name | रीढ़ की हड्डी |
Number of Questions Solved | 21 |
Category | NCERT Solutions |
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर ”एक हमारा ज़माना था…” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?
उत्तर
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद दोनों पुराने जमाने के बुजुर्ग हैं। दोनों को वर्तमान जमाने की तुलना में अपना जमाना याद आता है। ये यादें स्वाभाविक हैं। इन यादों के लिए इन्हें प्रयत्न नहीं करना पड़ता। ये अपने आप मन में आती हैं। परंतु इन तुलनाओं को दूसरों के सामने प्रकट करके उन्हें नीचा दिखाना गलत है। यह तर्कसंगत नहीं है। ऐसा करने से बुजुर्ग लोग अपने हाथों में ऐसा हथियार ले लेते हैं जिसकी काट वर्तमान पीढ़ी के पास नहीं होती। यों भी हर ज़माने की अपनी स्थितियाँ होती हैं। ज़माना बदलता है तो उसमें कुछ कमियों के साथ कुछ सुधार भी आते हैं। परंतु बुजुर्ग लोग प्रायः अपने पक्ष में एकतरफा अनुभव सुनते हैं, जो कि तर्कसंगत नहीं है। यह मनोरंजन के लिए तो ठीक है, किंतु इसका कोई महत्त्व नहीं है।
प्रश्न 2.
रामस्वरूप की अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है?
उत्तर
रामस्वरूप लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने के पक्षधर हैं। उन्होंने उमा को कॉलेज की शिक्षा दिलवाकर बी.ए. पास करवाया। इसके अलावा उमा को संगीत, कला आदि का भी ज्ञान है। रामस्वरूप चाहते हैं कि उमा की शादी अच्छे परिवार में हो। संयोग से परिवार तो उच्च शिक्षित मिला परंतु उसकी सोच अच्छी न थी। लड़के का पिता और स्वयं लड़का दोनों ही चाहते हैं कि उन्हें दसवीं पास लड़की ही चाहिए। एक लड़की का पिता होने के कारण लड़के वालों की इच्छा को ध्यान में रखकर कर्तव्य और वक्तव्य में विरोधाभास रखते हैं। ऐसी परिस्थिति एक विवाह योग्य पुत्री के पिता की विवशता को उजागर करता है।
प्रश्न 3.
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है?
उत्तर-
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप अपनी बेटी से अपेक्षा करते हैं कि वह सज धजकर सुंदर रूप में पेश आए। इसके लिए वह पाउडर आदि बनावटी साधनों का उपयोग करे। वह आने वाले मेहमानों के सामने ढंग से बात करे, अपनी व्यवहार कुशलता से उनका दिल जीत ले। उसमें जो-जो गुण हैं, उन्हें ठीक तरह प्रकट करे ताकि वह होने वाले पति और ससुर को पसंद आ जाए। वह उसे कम पढ़ी लिखी लड़की के रूप में भी पेश करना चाहता है।
रामस्वरूप का व्यवहार ढोंग और दिखावे को बढ़ावा देता है। यह झूठ पर आधारित है। बी.ए. पढ़ी लिखी होकर भी उसे मैट्रिक बताना सरासर धोखा है। ऐसी ठगी पर खड़े रिश्ते कभी टिकाऊ नहीं होते। इसी प्रकार पाउडर लगाकर सुंदर दीखना भी धोखे में रखने जैसा है। रामस्वरूप के व्यवहार को हम उचित नहीं कह सकते।
प्रश्न 4.
गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिज़नेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं? अपने विचार लिखें।
उत्तर-
गोपाल प्रसाद वकील हैं। वे चालाक किस्म के इनसान हैं। वे मानवीय रिश्तों से अधिक महत्त्व पैसों को देते हैं। शादी जैसे पवित्र संस्कार को भी वे ‘बिजनेस’ की तराजू में तौलते हैं। बिजनेस’ शब्द से उनकी इस मानसिकता का पता चल जाता है। इधर रामस्वरूप चाहते हैं कि उनकी बेटी उमा का रिश्ता गोपाल प्रसाद के लड़के शंकर से हो जाए जो मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है परंतु समस्या यह है कि गोपाल प्रसाद और उनका बेटा दोनों ही चाहते हैं कि लड़की अधिक से अधिक दसवीं पास होनी चाहिए। इस कारण रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाने के लिए झूठ बोलते हैं। यहाँ मेरा मानना है कि दोनों समान रूप से अपराधी हैं पर गोपाल प्रसाद का यह अपराध उनकी घटिया सोच तथा रूढ़िवादी सोच का परिणाम है जबकि रामस्वरूप का अपराध उनकी विवशता का परिणाम है।
प्रश्न 5.
“…आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं…” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है?
उत्तर-
इस कथन के माध्यम से उमा शंकर की निम्नलिखित कमियों की ओर ध्यान दिलाना चाहती है
- शंकर बिना रीढ़ की हड्डी के है, अर्थात् व्यक्तित्वहीन है। उसका कोई निजी मत, स्थान या महत्त्व नहीं है। वह अपने । पिता के इशारों पर हीं-हीं करने वाला बेचारा जीव है। उसे जैसा कहा जाता है, वैसा ही करता है। वह पिता की उचित-अनुचित सभी बातों पर हाँ-हाँ करता चलता है। ऐसा पति पति होने योग्य नहीं है।
- शंकर लड़कियों के पीछे लग-लगकर अपनी रीढ़ की हड्डी तुड़वा बैठा है। उसका सरेआम अपमान हो चुका है। अतः वह अपमानित, लंपट और दुश्चरित्र है।
- उसका शरीर कमज़ोर है। उससे सीधा तन कर बैठा भी नहीं जाता। इसलिए वह विवाह के योग्य नहीं है।
प्रश्न 6.
शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की-समाज को कैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर-
‘रीढ़ की हड्डी’ नामक एकांकी का पात्र शंकर उन नवयुवकों का प्रतीक है जो सामाजिक और वैचारिक प्रगति से आज भी अछूते हैं। ऐसे युवक महिलाओं को उचित स्थान नहीं देना चाहते हैं। वे पुरुषों के बराबर नहीं आने देना चाहते हैं। शिक्षा जैसी अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं मानवीयता जगाने वाली मणि को पुरुषों के लिए ही उचित मानते हैं। ऐसे युवा न शारीरिक रूप से मजबूत हैं और न चारित्रिक रूप से। ऐसा व्यक्तित्व समाज को चारित्रिक पतन की ओर उन्मुख करता है। इसके विपरीत उमा उन लड़कियों का प्रतीक है जो सजग और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं। वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। उनका चरित्र समाज को उन्नति की ओर उन्मुख करने वाला है। अतः समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है।
प्रश्न 7.
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का शीर्षक सार्थक, सफल और व्यंग्यात्मक है। इस नाटक की मूल समस्या है-वर का व्यक्तित्वहीन होना। यदि शंकर समझदार और व्यक्तित्वसंपन्न युवक होता तो गोपाल प्रसाद की इतनी हिम्मत न होती कि वह दो सुशिक्षित वयस्कों के बीच में बैठकर अपनी फूहड़ बातें करे और अशिक्षा को प्रोत्साहन दे। कम पढ़ी लिखी बहू चाहना गोपाल प्रसाद की जरूरत हो सकती है, शंकर की नहीं। अगर शंकर अपने पिता के रोबदाब के आगे यूँ भी नहीं कर सकता, बल्कि उनकी हाँ में हाँ मिलाता है तो वह उसकी कायरता है। उस कायरता को दिखाने के लिए उसे रीढ़ की हड्डी के बिना दिखाया गया है। इस प्रकार, रीढ़ की हड्डी’ व्यंग्यात्मक, संकेतपूर्ण, सार्थक और सफल शीर्षक है।
एक अच्छे शीर्षक में जिज्ञासा होनी चाहिए, जो पाठक को आतुर कर दे। यह शीर्षक जिज्ञासातुर करने वाला है।
प्रश्न 8.
कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
उत्तर-
कथावस्तु के आधार पर मैं नि:संदेह एकांकी का मुख्य पात्र उमा को ही मानता हूँ क्योंकि एकांकी की सारी कथावस्तु उसी के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। एकांकी के मुख्य पुरुष पात्र शंकर पर वह चारित्रिक, शारीरिक और तार्किक कौशल में भारी पड़ती है। उमा उच्च शिक्षित होने के साथ-साथ कला एवं संगीत में भी निपुण है। एकांकी में एक बार जब उसकी एंट्री होती है तो वह मंच पर अंत तक बनी रहती है। वह अपनी निपुणता से गोपाल प्रसाद और शंकर के निरुत्तर ही नहीं करती है बल्कि उनकी आँखें भी खोलकर रख देती है। एकांकी का समापन भी उमा के माध्यम से होता है। अतः उमा एकांकी की मुख्य पात्र है।
प्रश्न 9.
एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
रामस्वरूप
रामस्वरूप प्रगतिशील विचारों का एक विवश पिता है, जिसे अपनी बेटी के सुंदर भविष्य के लिए समाज की मान्यताओं के आगे झुकना पड़ता है। इसलिए उसके व्यक्तित्व के कुछ पक्ष सबल हैं, तो कुछ दुर्बल। उनके व्यक्तित्व की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
प्रगतिशील – रामस्वरूप मूल रूप से प्रगतिशील विचारों का व्यक्ति है। वह चाहता है कि लड़कियों को भी उच्च शिक्षा दी जानी चाहिए। इसलिए वह अपनी बेटी उमा को खूब पढ़ाता-लिखाता है। उसे उमा को बी.ए. तक पढ़ाने में गर्व ही है। यह उसके व्यक्तित्व का उज्ज्वल गुण है।
विवश पिता – रामस्वरूप की दुर्बलता यह है कि वह बेटी उमा की शादी अपने जैसे अच्छे खानदान में करना चाहता है, किंतु अच्छे खानदानों में अधिक पढ़ी लिखी बहू को स्वीकार नहीं किया जाता। वे कम पढ़ी लिखी बहू चाहते हैं ताकि वे उसे नियंत्रण में रखकर उस पर मनमाना रोब चला सकें। यहीं रामस्वरूप दुर्बल हो जाता है। वह गोपाल प्रसाद जैसे लोगों का तिरस्कार करने की बजाय उनके अनुसार ढलने की कोशिश करता है। इसके लिए वह झूठ भी बोलता है, उमा से ढोंग भी करवाता है तथा गोपाल प्रसाद की ऊलजलूल बातों का समर्थन भी करता चला जाता है।
गोपाल प्रसाद
गोपाल प्रसाद समाज की गली-सड़ी यथास्थितिवादी भावनाओं का प्रतिनिधि है। वह पुरुष प्रधान समाज का वह अंग है जो चली आ रही रूढ़ियों को जैसे-तैसे सही सिद्ध करता हुआ अपना दबदबा बनाए रखना चाहता है। उसकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं –
बड़बोला- गोपाल प्रसाद बड़बोला व्यक्ति है। वह अपनी विशेषताओं का बखान करने में चूक नहीं करता। नए जमाने की तुलना में अपने जमाने की अच्छाई का वर्णन हो। खाने-पीने की बात हो, अपने शरीर की ताकत का वर्णन हो, अपनी मैट्रिक को बढ़ा चढ़ाकर दिखाना हो, वह ऊँचे-ऊँचे स्वर में बिना शर्म-संकोच के बोलता चला जाता है। वह हावी होना जानता है। उसके सामने और लोग दब जाते हैं। शंकर तो बिलकुल भीगी बिल्ली बना रहता है।
चालाक – गोपाल प्रसाद घाघ है। वह बेटे की शादी को बिजनेस समझता है। इसलिए वह घाटे का सौदा नहीं करना चाहता। वह होने वाली बहू को ठोक-बजाकर जाँचता है। उसके चश्मे से लेकर पढाई-लिखाई, संगीत, पेंटिंग, सिलाई, इनाम-सभी योग्यताओं की परख करता है। वह ऐसी सर्वांगपूर्ण बहू चाहता है, जो उसके कहने के अनुसार चल सके। इसलिए वह मैट्रिक से अधिक पढ़ी-लिखी बहू नहीं चाहता। उसके सामने उसे अपने दबने का भी भय है।
गोपाल प्रसाद झूठ बोलने में भी कुशल है। उसका बेटा शंकर एक साल फेल हो चुका है। परंतु वह कुशलतापूर्वक जतलाता है कि वह बीमारी के कारण रह गया था।
हँसौड़ – गोपाल प्रसाद स्वभाव से हँसौड़ है। वह इधर-उधर की चुटीली बातें करके सबका मन लगाए रखता है। खूबसूरती पर टैक्स लगाने का मज़ाक इसी तरह का मनोरंजक मज़ाक है।
लिंग भेद का शिकार – गोपाल प्रसाद वकील होते हुए भी लिंग भेद का शिकार है। वह पढ़ाई-लिखाई पर लड़कों का अधिकार मानता है, लड़कियों का नहीं। उसके शब्दों में-‘कुछ बातें दुनिया में ऐसी हैं जो सिर्फ मर्दो के लिए हैं और ऊँची तालीम भी ऐसी चीजों में से एक है।’ गोपाल प्रसाद अपनी गलत-ठीक बातों को सही सिद्ध करना जानता है। इसके लिए वह तर्क न करके ज़ोर-जोर से बोलता है तथा दूसरों पर हावी होकर बात करता है। उसकी अपशब्द भरी कुतर्क शैली का उदाहरण देखिए-“ भला पूछिए, इन अक्ल के ठेकेदारों से कि क्या लड़कों की पढ़ाई और लड़कियों की पढ़ाई एक बात है। जनाब, मोर के पंख होते हैं, मोरनी के नहीं, शेर के बाल होते हैं, शेरनी के नहीं :::’।
प्रश्न 10.
इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।
उत्तर-
रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का उद्देश्य है-समाज के लोगों की दोहरी मानसिकता सबके सामने लाना, लड़कियों के विवाह में आनेवाली समस्याओं की ओर समाज का ध्यान खींचना तथा युवाओं द्वारा अपनी शिक्षा और चरित्र की मजबूती का। ध्यान न रखना। एकांकी में गोपाल प्रसाद और उनका बेटा शंकर जैसे लोग हैं जो उच्च शिक्षित होकर भी कम पढ़ी-लिखी बहू चाहते हैं और स्त्रियों को समानता का दर्जा नहीं देना चाहते हैं। उमा को देखने आए लड़के वाले उसे वस्तु की तरह देखते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से दहेज की माँग करते हैं। इसके अलावा शंकर जैसे युवा का अपनी पढ़ाई पर ध्यान न देना तथा उसकी चारित्रिक दुर्बलता की ओर ध्यान आकर्षित करना इस एकांकी का उद्देश्य है।
प्रश्न 11.
समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?
उत्तर-
हम निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं-
- लोगों में सुशिक्षित नारी के लाभों का प्रचार कर सकते हैं।
- सुशिक्षित बहू को स्वीकार करके उन्हें सम्मान दे सकते हैं।
- सुशिक्षित कन्याओं को नौकरी दिलाकर उन्हें पुरुषों के समान महत्त्व दे सकते हैं।
- कम पढ़ी लिखी बहू चाहने वालों को समझा-बुझाकर रास्ते पर ला सकते हैं।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
प्रश्न 1.
उमा की शिक्षा के विषय में प्रेमी और रामस्वरूप के विचार किस तरह अलग थे? इनमें से किसके विचार आप उचित मानते हैं और क्यों? (मूल्यपरक प्रश्न)
उत्तर-
उमा की शिक्षा के विषय में प्रेमा और रामस्वरूप के विचार अलग-अलग थे। प्रेमा चाहती थी कि उमा को इंट्रेस तक ही पढ़ाया जाए जबकि रामस्वरूप उच्च शिक्षा के समर्थक थे। उन्होंने अपनी बेटी को कॉलेज में पढ़ाकर बी.ए. करवाया। मुझे इनमें से रामस्वरूप के विचार अधिक उचित लगते हैं क्योंकि शिक्षा से व्यक्ति का विकास होता है। उच्च शिक्षा पाकर व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा होता है। उसमें साहस आता है जिससे वह अपनी बात उचित ढंग से कह सकता है। शिक्षा स्त्री-पुरुष के बीच समानता लाने में सहायक होती है। इसके अलावा रामस्वरूप के विचार से स्त्रियाँ समाज में उचित सम्मान एवं गरिमा पाने की पात्र बनती हैं।
प्रश्न 2.
गोपाल प्रसाद ऐसा क्यों चाहते थे कि उनकी बहू ज्यादा से ज्यादा दसवीं ही पास हो ?
उत्तर-
गोपाल प्रसाद स्वयं उच्च शिक्षित थे। वे वकालत के पेशे से जुड़े थे। उनका बेटा शंकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था। इसके बाद भी वे चाहते थे कि उनकी बहू ज्यादा से ज्यादा दसवीं ही पास हो। उनकी ऐसी चाहत के पीछे यह सोच रही होंगी कि उच्च शिक्षा प्राप्त लड़कियाँ अधिक जागरूक होती है। इससे वे अपने अधिकारों के प्रति सजग होती है। उनमें सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती हैं। ऐसी लड़कियों को बहू बनाने से उन पर अत्याचार नहीं किया जा सकता, उन्हें डरवाया नहीं जा सकता और अपने ऊपर हुए अत्याचार पर मुँह बंद नहीं रखती हैं।
प्रश्न 3.
यदि उमा की स्थिति कम पढ़ी-लिखी लड़कियों जैसी होती तो एकांकी का अंत किस तरह अलग होता?
उत्तर-
एकांकी की प्रमुख नारी पात्र उमा यदि बी.ए. पास और सुशिक्षित न होती और उसकी स्थिति कम पढ़ी-लिखी लड़कियों-सी होती तो वह सादगी पूर्ण जीवन जीने के बजाय अपनी माँ के कहने पर सज-धजकर गोपाल प्रसाद और शंकर के सामने आती। गोपाल प्रसाद और शंकर उससे अपनी मर्जी से तरह-तरह के सवाल करते और वह सिर झुकाए उत्तर देने को विवश रहती। वह शंकर की चारित्रिक कमजोरी जानते हुए भी खामोश रहती और अपनी बातें दृढ़ता एवं साहस से कह पाती। गोपाल प्रसाद और शंकर को तो ऐसी ही लड़की चाहिए थी। वे उमा को पसंद कर लेते तब एकांकी का अंत सुखद होता और सब खुश रहते।
प्रश्न 4.
लड़कियों की शिक्षा और खूबसूरती के बारे में गोपाल प्रसाद के विचार किस तरह अलग थे? ‘रीढ़ की हड्डी’ नामक पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
गोपाल प्रसाद पढ़े-लिखे सुशिक्षित वकील थे। उनका बेटा मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था परंतु लड़कियों की शिक्षा के बारे में उनका विचारे यह था कि लड़कियों को अधिक पढ़ा-लिखा नहीं होना चाहिए। पढ़ाई-लिखाई तो मर्दो के लिए बनी चीज़ है। इसके विपरीत वे स्त्री के लिए खूबसूरती आवश्यक मानते हैं। यह खूबसूरती चाहे स्वाभाविक हो या कृत्रिम पर नारी के लिए आवश्यक है। इस बारे में पुरुष एक बार तो मान भी जाते हैं पर स्त्रियाँ यह कभी भी मानने को तैयार नहीं। होती हैं कि वे खूबसूरत न दिखें। इस तरह लड़कियों की शिक्षा अरै उनकी खूबसूरती के बारे में गोपाल प्रसाद के विचार परस्पर विरोधी हैं।
प्रश्न 5.
गोपाल प्रसाद और शंकर के सामने गीत गाती उमा ने अपना गीत अधूरा क्यों छोड़ दिया?
उत्तर-
गोपाल प्रसाद अपने पुत्र शंकर के साथ उसके विवाह के लिए उमा को देखने आए थे। उमा अपने पिता रामस्वरूप के कहने पर मीरा का पद ‘मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरों न कोई तल्लीनता से गा रही थी। अचानक उमा की दृष्टि ऊपर उठी, उसने शंकर को देखा और पहचान लिया कि यह वह शंकर है जो लड़कियों के हॉस्टल में आगे-पीछे घूमता था। वहाँ नौकरानी द्वारा पकड़े जाने पर उसके (नौकरानी के) पैरों पड़कर अपना मुँह छिपाकर भागे थे। ऐसे चरित्रहीन लड़के के सामने से उसका आत्मसम्मान रोक रहा था और उसने अपना गीत अधूरा छोड़ दिया।
प्रश्न 6.
इस एकांकी में आपको शंकर के व्यक्तित्व में कौन-कौन-सी कमियाँ नज़र आईं, उनका वर्णन कीजिए। उत्तर- गोपाल प्रसाद पेशे से वकील हैं। शंकर उनका पुत्र है जो मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। शंकर उच्चशिक्षित होकर भी चाहता है कि उसकी शादी किसी ऐसी लड़की से हो जो दसवीं से अधिक पढ़ी-लिखी न हो ताकि वह शंकर की किसी उचित-अनुचित बात का जवाब न दे सके और न विरोध कर सके, बस उसकी हाँ में हाँ मिलाती रहे। इसके अलावा शंकर में मौलिक विचारों की कमी है। वह शारीरिक और चारित्रिक रूप से दुर्बल है। वह अपने पिता की हाँ में हाँ मिलाता रह जाता है।
प्रश्न 7.
‘रीढ़ की हड्डी’ नामक यह एकांकी अपने उद्देश्य में कितना सफल रही है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘रीढ़ की हड्डी’ नामक एकांकी के माध्यम से समाज में व्याप्त दहेज की समस्या, लड़कियों को शिक्षा से दूर रखने की साजिश, लड़की के पिता की विवशता, लड़के के पिता की दहेज लोलुपता, युवाओं में शिक्षा एवं चरित्र की मजबूती के प्रति घटती रुचि आदि समस्याओं को उभारने का प्रयास किया गया है। एकांकी की प्रमुख नारी पात्र उमा ने अपनी उच्च शिक्षा, साहस और वाक्पटुता से शंकर और उसके पिता को जवाब दिया है और शंकर की पोल खोलकर लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा की सार्थकता सिद्ध कर दिया है, उसे देखते हुए यह एकांकी अपने उद्देश्य में पूर्णतया सफल रही है।
प्रश्न 8.
रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के आधार पर उमा की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख करते हुए बताइए कि वर्तमान में इनकी कितनी उपयोगिता है?
उत्तर-
उमा ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी की प्रमुख नारी पात्र है। वह बी.ए. पास सुशिक्षित है। उसमें अवसर पर अपनी बातें कहने की योग्यता है। एकांकी की कथावस्तु उमा के इर्द-गिर्द घूमती है। उमा की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- बी.ए. पास उमा सुशिक्षित तथा प्रगतिशील विचारों वाली लड़की है। उसे उच्च शिक्षा पाने पर शर्म नहीं बल्कि गर्व है।
- उमा बनावटी सुंदरता से दूर रहने वाली तथा सादगी पसंद लड़की है।
- उमा शिक्षा के साथ ही संगीत एवं पेंटिंस में भी रुचि रखती है।
- उमा स्वाभिमानिनी है। उसे गोपाल प्रसाद द्वारा अपने बारे में तरह-तरह से पूछताछ किया जाना अच्छा नहीं लगता है।
- उमा साहसी एवं वाक्पटु है। वह गोपाल प्रसाद की बातों का जवाब देकर निरुत्तर कर देती है।
प्रश्न 9.
रामस्वरूप अपने घर की साज-सज्जा पर विशेष ध्यान देते हुए दिखाई देते हैं। उनका ऐसा करना समाज की किस मानसिकता की ओर संकेत करता है तथा ऐसी प्रथाओं के पीछे क्या कारण होते होंगे?
उत्तर-
गोपाल प्रसाद अपने बेटे शंकर के साथ उमा को देखने आने वाले हैं। यह जानकर रामस्वरूप अपने बैठक के कमरे को सजाते हैं। वे तख्त बिछवाकर उस पर दरी और चादर बिछवाते हैं। कमरे में हारमोनियम और सितार रखवा देते हैं। उन्होंने घर की सजावट पर विशेष ध्यान दे रखा है। उनका ऐसा करना समाज की दिखावटी या अधिक बढ़-चढ़कर दिखाने की मानसिकता की ओर संकेत करता है ताकि दूसरे लोग प्रभावित हों और उसे सामर्थ्यवान समझे। ऐसी प्रथाओं के पीछे आगंतुकों को प्रभावित करने की प्रवृत्ति, अपनी सुंदर अभिरुचि का प्रदर्शन तथा अपनी हैसियत दर्शाने की चाहत होती है।
प्रश्न 10.
उमा की व्यथा आज के समय में कितनी प्रासंगिक है? इस स्थिति में सुधार लाने के लिए एक युवा होने के नाते आप क्या-क्या सुझाव देना चाहेंगे? ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के आलोक में लिखिए।
उत्तर-
उमा साहसी, शिक्षित, समझदार तथा विवाह योग्य लड़की है। वह बी.ए. पास प्रगतिशील विचारों वाली लड़की है। मेडिकल की पढ़ाई कर रहा दुर्बल शरीर एवं कमजोर चरित्र वाला नवयुवक शंकर उसे देखने अपने पिता गोपाल प्रसाद के साथ आता है। गोपाल प्रसाद को दसवीं पास बहू चाहिए। वे उमा को दसवीं पास समझते हैं। उससे गाना-बजाना, सिलाई-कढाई तथा इनाम-विनाम जीतने जैसी तरह-तरह की बातें पूछते हैं और अपने बेटे की सच्चाई का पता चलने पर उमा की उच्च शिक्षा को उसकी कमी बताकर चले जाते हैं।
उमा की यह व्यथा समाज की बहुत-सी लड़कियों की व्यथा है। उन्हें भी उमा के समान ही यह सब सहना और झेलना पड़ता है। इस स्थिति में सुधार लाने के लिए युवाओं को लड़कियों की उच्च शिक्षा का महत्त्व समझना चाहिए। उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। समाज में लड़कियों के साथ भेदभाव न करने की जागरुकता फैलानी चाहिए। इसके लिए युवाओं को दहेज विवाह के लिए आगे आकर पहल करनी चाहिए।
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