NCERT Solutions for Class 8 Hindi Bharat ki Khoj भारत की खोज is part of NCERT Solutions for Class 8 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 8 Hindi Bharat ki Khoj भारत की खोज.
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 8 |
Subject | Hindi |
Chapter Name | भारत की खोज |
Number of Questions Solved | 27 |
Category | NCERT Solutions |
NCERT Solutions for Class 8 Hindi Bharat ki Khoj भारत की खोज
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
‘आखिर यह भारत है क्या? अतीत में यह किस विशेषता का प्रतिनिधित्व करता था? उसने अपनी प्राचीन शक्ति को कैसे खो दिया? क्या उसने इस शक्ति को पूरी तरह खो दिया है? विशाल जनसंख्या का बसेरा होने के अलावा के या आज उसके पास ऐसा कुछ बचा है जिसे जानदार कहा जा सके?’
ये प्रश्न अध्याय दो के शुरुआती हिस्से से लिए गए हैं। अब तक आप पूरी पुस्तक पढ़ चुके होंगे। आपके विचार से इन प्रश्नों के क्या उत्तर हो सकते हैं? जो कुछ आपने पढ़ा है उसके आधार पर और अपने अनुभवों के आधार पर बताइए।
उत्तर-
भारत एक विशाल जनसंख्या वाला प्राचीनतम देश है। यहाँ की विशिष्ट संस्कृति और सभ्यता है। भारत की सभ्यता और संस्कृति की महानता शुरू से वर्तमान तक विश्व में लोकप्रिय रही है। यही कारण है कि अनेक हमलावरों ने इसे नष्ट करने का प्रयास किया इसके बावजूद भी इसकी सत्ता को कोई समाप्त नहीं कर पाया। आज भी विश्व की महान सभ्यताओं के नष्ट होने के बाद भी यह अपना अस्तित्व बनाए हुए है। यहाँ की जनता, उनका रहन-सहन खान, पान सोचने-विचारने का तरीका शामिल है। भौमिक स्वरूप में नदी, पहाड़, मैदान जंगल आ सकते हैं। भारत अतीत में महान संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता था। यहाँ की राष्ट्रीयतावाद की अवधारणा प्रमुख थी।
प्रश्न 2.
आपके अनुसार भारत यूरोप की तुलना में तकनीकी-विकास की दौड़ में क्यों पिछड़ गया था?
उत्तर
हमारे विचार में भारत यूरोप की तुलना में तकनीकी विकास की दौड़ में इसलिए पिछड़ गया क्योंकि उस समय इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति आरंभ हुई जबकि विश्व के कई देशों में पुनर्जागरण पंद्रहवीं शताब्दी में ही शुरू हो चुका था। इसके अतिरिक्त उस समय उत्तरी भारत में लगातार बाहरी आक्रमण हो रहे थे। हमलों के कारण भारत का ध्यान अपना अस्तित्व बचाने पर केंद्रित हो गया। वह अपनी आंतरिक सुरक्षा में लगा रहा। सभी संसाधनों के होते हुए भी भारत वैज्ञानिक खोजों और आविष्कारों की ओर ध्यान केंद्रित न कर सका। यही कारण था कि भारत यूरोप से तकनीकी विकास की दौड़ में पिछड़ गया।
प्रश्न 3.
नेहरू जी ने कहा कि-‘मेरे खयाल से, हम सब के मन में अपनी मातृभूमि की अलग-अलग तसवीरें हैं और कोई दो आदमी बिलकुल एक जैसा नहीं सोच सकते।” अब आप बताइए कि-
(क) आपके मन में अपनी मातृभूमि की कैसी तसवीर है?
(ख) अपने साथियों से चर्चा करके पता करो कि उनकी मातृभूमि की तसवीर कैसी है और आपकी और उनकी तसवीर (मातृभूमि की छवि) में क्या समानताएँ और भिन्नताएँ हैं?
उत्तर-
(क) हमारे मन में मातृभूमि की तसवीर है- भारत के विशाल मैदान, हरे-भरे खेत, नदियाँ, पर्वत यहाँ के बसने वाले लोग तथा विपत्ति में धर्म का अनुसरण करने की सीख देने वाला देश तथा इसकी ममतामयी तसवीर है।
(ख) हमारे साथियों के मन में अपने देश के प्रति अटूट लगाव है। वे अपने देश की संप्रभुता, रक्षा के लिए सदैव बलिदान देने के लिए तैयार रहते हैं। कुछ मित्र ऐसे भी हैं जो संशय में रहते हैं क्योंकि उनमें पश्चिमी सभ्यता का रंग चढ़ा हुआ है। वे विदेशों में जाकर बसना चाहते हैं। उन्हें पश्चिमी रहन-सहन और तौर तरीके पसंद हैं।
प्रश्न 4.
जवाहर लाल नेहरू ने कहा, “यह बात दिलचस्प है कि भारत अपनी कहानी की इस भोर-बेला में ही हमें एक नन्हें बच्चे की तरह नहीं, बल्कि अनेक रूपों में विकसित सयाने रूप में दिखाई पड़ता हैं।” उन्होंने भारत के विषय में ऐसा क्यों और किस संदर्भ में कहा है?
उत्तर-
नेहरू जी ने सिंधु घाटी सभ्यता का वर्णन करते हुए भारत के विषय में ऐसा इसलिए कहा क्योंकि भारत की सभ्यता व संस्कृति विश्वविख्यात, प्राचीनतम सभ्यता है। यह संसार में अन्य देशों को मार्गदर्शन करते हुए आ रहा है। प्राचीन काल से यह शिक्षा का केंद्र रहा है। भारत सदियों से गणित, खगोलशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र, औषधि विज्ञान, मूर्तिकला तथा अनेक शिल्पकलाओं में विकसित देश रहा है।
प्रश्न 5.
सिंधुघाटी के अंत के बारे में अनेक विद्वानों के कई मत हैं। आपके अनुसार इस सभ्यता का अंत कैसे हुआ होगा, तर्क सहित लिखिए।
उत्तर-
सिंधुघाटी की सभ्यता के बारे में विचार है- अकस्मात किसी ऐसी दुर्घटना जैसे भूकंप बाढ़ व मौसम के प्रभाव के कारण इस सभ्यता का अंत हो गया होगा। इस सभ्यता के अंत का दूसरा कारण हमारे विचार से यह हो सकता है कि खुदाई के दौरान इस सभ्यता में हथियार नहीं मिले हैं। इस बात से पता चलता है कि यहाँ के लोग शांतिप्रिय थे। शायद बाहरी लोगों ने आक्रमण कर इस सभ्यता का अंत कर दिया होगा।
प्रश्न 6.
उपनिषदों में बार-बार कहा गया है कि-”शरीर स्वस्थ हो मन स्वच्छ हो और तन-मन दोनों अनुशासन में रहें।” आप अपने दैनिक क्रिया-कलापों में इसे कितना लागू कर पाते हैं? लिखिए।
उत्तर-
उपनिषदों में बार-बार कहा गया है कि शरीर स्वस्थ हो, मन अच्छा हो और तन-मन दोनों अनुशासन में रहें।” यह सौ प्रतिशत सही कहा गया है। मैं भी अपने दैनिक क्रियाकलापों में इसे लागू करने का प्रयास करता हूँ। इसके अलावे तन और मन को स्वस्थ रखने के लिए प्रातः जल्दी उठना, प्रातः कालीन सैर करना, व्यायाम करना योग कक्षाओं में जाने का नियमित प्रयास करता हूँ। इसके अलावे सभी काम समय पर निपटाने का प्रयास करता हूँ।
प्रश्न 7.
नेहरू जी ने कहा कि-“इतिहास की उपेक्षा के परिणाम अच्छे नहीं हुए।” आपके अनुसार इतिहास लेखन में के या-क्या शामिल किया जाना चाहिए? एक सूची बनाइए और उस पर कक्षा में अपने साथियों और अध्यापकों से चर्चा कीजिए।
उत्तर
इतिहास अतीत का वह आइना होता है, जिसके माध्यम से हम अच्छे-बुरे का ज्ञान प्राप्त करते हैं। इसके माध्यम से हम वर्तमान और भविष्य को सुधारते हैं। इसके साथ ही ऐतिहासिक भविष्य को सँवार पाते हैं। हमारे विचार से इतिहास लेखन में प्रमुख घटनाओं को, प्रमुख व्यक्तियों को, जो समय को प्रभावित करते हैं, प्रमुख तिथियों को, शिलालेखों, खंडर के अवशेष, तत्कालीन, साहित्य एवं विदेशी यात्रियों के यात्रा-विवरण, उस काल के सिक्के को शामिल किया जाना चाहिए।
प्रश्न 8.
“हमें आरंभ में ही एक ऐसी सभ्यता और संस्कृति की शुरुआत दिखाई पड़ती है जो तमाम परिवर्तनों के बावजूद आज भी बनी हुई है।” आज की भारतीय संस्कृति की ऐसी कौन-कौन सी बातें/चीजें हैं, जो हजारों साल पहले से चली आ रही हैं। आपस में चर्चा करके पता लगाइए।
उत्तर-
हमें शुरुआत से ही एक ऐसी सभ्यता और संस्कृति दिखाई पड़ती है जो अनेक परिवर्तनों के बावजूद आज भी हमारी प्रेरणा बनी हुई है; जैसे- सत्य, अहिंसा, परोपकार एवं त्याग की भावना, अतिथि सत्कार गुरुजनों का आदर जन्मभूमि से प्यार, मातृभूमि की रक्षा की भावना आदि हमारे पौराणिक युग से लेकर आज तक उनकी परंपरा ज्यों की त्यों बनी है।
प्रश्न 9.
आपने पिछले साल ( सातवीं कक्षा में) बाल महाभारत कथा पढ़ी। भारत की खोज में भी महाभारत के सार को सूत्रबद्ध करने का प्रयास किया गया है-“दूसरों के साथ ऐसा आचरण नहीं करो जो तुम्हें खुद अपने लिए स्वीकार्य न हो। आप अपने साथियों से कैसे व्यवहार की अपेक्षा करते हैं और स्वयं उनके प्रति कैसा व्यवहार करते हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर-
मैं अपने साथियों से उम्मीद करता हूँ कि वे मित्रवत व्यवहार करें, आपस में सुख-दुख में साथ खड़े हों। किसी संकट या मुसीबत के समय वह साथ खुलकर खड़े हों। आपस में प्रेम और मित्रता तथा सद्भाव रखें। वह स्वार्थी और अवसरवादी न हो। मैं भी अपने साथियों के साथ अच्छा व्यवहार करता हूँ। हम भी उनसे अच्छे व्यवहार की अपेक्षा रखते हैं।
प्रश्न 10.
प्राचीन काल से लेकर आज तक राजा या सरकार द्वारा ज़मीन और उत्पादन पर ‘कर’ (tax) लगाया जाता रहा है। आजकल हम किन-किन वस्तुओं और सेवाओं पर कर देते हैं- सूची बनाइए।
उत्तर-
आजकल हम निम्नलिखित वस्तुओं और सेवाओं पर कर देते हैं- आय पर कर, खाद्य-पदार्थों पर बिक्री कर, सर्विस टैक्स, वस्त्रों पर कर, होटल के खाने पर कर, वैट टैक्स उत्पादन पर, उत्पाद टैक्स गृह टैक्स, सीमा शुल्क टैक्स। अब भारत सरकार एवं राज्यों के सहमति से एक टैक्स बनाया गया है जिसे जी.एस.टी. कहते हैं।
प्रश्न 11.
(क) प्राचीन समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रभाव के दो उदाहरण बताइए।
(ख) वर्तमान समय में विदेशों में भारतीय संस्कृति के कौन-कौन से प्रभाव देखे जा सकते हैं? अपने साथियों के साथ मिलकर एक सूची बनाइए। (संकेत-खान-पान, पहनावा, फ़िल्में हिंदी, कंप्यूटर, टेलीमार्केटिंग आदि)
उत्तर
प्राचीन काल में विदेशों में भारतीय संस्कृति के उदाहरण हैं- हिंदू धर्म का प्रसार, बौद्ध धर्म के प्रचार, आर्य सभ्यता ज्ञान, विज्ञान व ज्योतिष के क्षेत्र में रहा। इसके अलावे खाने-पीने की अनेक वस्तुओं का प्रचलन, भारतीय वस्त्रों का चलन आदि पर भारतीय संस्कृति का प्रभाव पड़ा। वर्तमान समय में वेदांत, अहिंसा, अतिथि सत्कार, उदारता, सहनशीलता सर्व-धर्म समभाव, भारत के बने कपड़े अब विदेशों में काफ़ी लोकप्रिय हैं। कंप्यूटर, ललितकलाएँ, खान-पान आदि के क्षेत्रों में भारत ने विदेशों पर असर छोड़ा है।
प्रश्न 12.
पृष्ठ संख्या 34 पर कहा गया है कि जातकों में सौदगारों की समुद्री यात्राओं, यातायात के हवाले भरे हुए हैं। विश्व/ भारत के मानचित्र में उन स्थानों/रास्तों को खोजिए, जिनकी चर्चा इस पृष्ठ पर की गई।
उत्तर-
छात्र विश्व/भारत के मानचित्र पर इन स्थानों को स्वयं खोजें तथा इसमें सामाजिक विज्ञान के अध्यापक से मदद लें।
प्रश्न 13.
कौटिल्य के अर्थशास्त्र में अनेक विषयों की चर्चा है, जैसे, “व्यापार और वाणिज्य, कानून और न्यायालय, नगर व्यवस्था, सामाजिक रीति-रिवाज, विवाह और तलाक, स्त्रियों के अधिकार, कर और लगान, कृषि, खानों और कारखानों को चलाना, दस्तकारी, मंडियाँ, बागवानी, उद्योग-धंधे, सिंचाई और जलमार्ग, जहाज़ और जहाजरानी, निगमें, जन-गणना, मत्स्य-उद्योग, कसाई खाने, पासपोर्ट और जेल-सब शामिल हैं। इसमें विधवा विवाह को मान्यता दी गई है और विशेष परिस्थितियों में तलाक को भी।” वर्तमान में इन विषयों की क्या स्थिति है? अपनी पसंद के किन्हीं दो-तीन विषयों पर लिखिए।
उत्तर-
भारत के व्यापार में वर्तमान में इन विषयों की स्थिति में काफ़ी परिवर्तन हुआ है। इनमें कुछ क्षेत्रों की स्थिति इस प्रकार हैव्यापार और वाणिज्य-वर्तमान समय में भारत का व्यापार और वाणिज्य काफ़ी विकसित रूप में है। अब हम कई वस्तुओं का निर्यात करते हैं। जैसे भारतीय वस्त्र, कंप्यूटर तथा अन्य मशीनें भारत से अन्य देशों में निर्यात की जाती है। इन क्षेत्रों में लगातार प्रगति हो रही है। कृषि- भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि की दशा में काफ़ी सुधार हो रहा है। हमारी सरकार कृषि को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयत्नशील है।
उन्नत किस्म के बीज, खाद, कृषि यंत्र सिंचाई के साधनों के विकास से कृषि की प्रति हेक्टेयर पैदावार बढ़ी है। फिर आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। कृषि पर आधारित होकर जीवन पालन करना मुश्किल हो रहा है। नारी स्वतंत्रता-आजादी के बाद से भारत में स्त्रियों की दशा में लगातार सुधार हो रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में महिलाएँ पुरुषों से आगे हैं। वे आत्मनिर्भर हो रही हैं। उन्हें पुरुषों की भाँति अब आजादी मिल रही है। रोजगार और सरकारी नौकरियों में वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।
प्रश्न 14.
आजादी से पहले किसानों की समस्याएँ निम्नलिखित थीं “गरीबी, कर्ज, निहित स्वार्थ, जमींदार, महाजन, भारी लगान और कर, पुलिस के अत्याचार- “आपके विचार से आजकल किसानों की समस्याएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर-
आजकल वर्तमान परिस्थितियों में किसानों की समस्याएँ निम्न हैं- गरीबी, कर्ज, निहित स्वार्थ, जमींदार, महाजन, फसल का उचित मूल्य न मिलना, गरीबी, पूँजी का आभाव सिंचाई साधनों का अभाव उन्नत किस्म का बीज का उपलब्ध न होना, कर्ज का बोझ सरकार का कोरा आश्वासन सरकारी सहायता का समय पर उन तक न मिल पाना।
प्रश्न 15.
“सार्वजनिक काम राजा की मर्जी के मोहताज नहीं होते, उसे खुद हमेशा इनके लिए तैयार रहना चाहिए।” ऐसे कौन-कौन से सार्वजनिक कार्य हैं जिन्हें आप बिना किसी हिचकिचाहट के करने को तैयार हो जाते हैं?
उत्तर-
बहुत से ऐसे सार्वजनिक कार्य हैं जो हम बिना झिझक के करने के लिए तैयार रहते हैं। कार्य निम्नलिखित हैं वृक्षारोपण का काम, अपने आस-पास सफ़ाई का काम, गरीब बच्चों व परिवारों के लिए सुविधाएँ जुटाना जैसे पुस्तक, कॉपियाँ आदि। अस्पताल में गरीब मरीजों की देखभाल करना इसके अलावे नेत्रदान, रक्तदान, चिकित्सा, शिक्षा व्यवस्था, नारी कल्याण, वृद्धाश्रम, अनाथाश्रम के लिए सार्वजनिक कार्य हैं।
प्रश्न 16.
महान सम्राट अशोक ने घोषणा की कि वह प्रजा के कार्य और हित के लिए हर स्थान पर और हर समय हमेशा उपलब्ध हैं। हमारे समय के शासक/लोक-सेवक इस कटौती पर कितना खरा उतरते हैं? तर्क सहित लिखिए।
उत्तर-
हमारे समय में शासक वर्ग यानी नेता प्रजा के कार्य और भलाई के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं। वे चुनाव के वक्त दिखते हैं और जनता के कल्याण के लिए लंबी-चौड़ी घोषणाएँ तथा वायदे करते हैं। जीत जाने के बाद वे अपना शक्ल नहीं दिखाते। जनता की समस्याओं को सुनने, समझने और हल करने में रुचि नहीं होती। उन्हें तो चुनाव के समय जनता याद आती है।
प्रश्न 17.
“औरतों के परदे में अलग-अलग रहने से सामाजिक जीवन के विकास में रुकावट आई।” कैसे?
उत्तर-
औरतों के परदे में अलग-थलग रहने से सामाजिक जीवन के विकास में रुकावट आई। उन्हें शिक्षा से वंचित रहना पड़ा। अब समाज में उनकी भागीदारी कम हो गई। उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य में गिरावट आई । औरतें घर की चारदीवारी तक सिमट कर रह गईं । नारी उत्पीड़न बढ़ गया। पुरुषों के अधिकार और वर्चस्व बढ़ते गए। इससे समाज के विकास में रुकावट आई।
प्रश्न 18.
मध्ये काल के इन संत रचनाकारों की अनेक रचनाएँ अब तक आप पढ़ चुके होंगे। इन रचनाकारों की एक-एक रचना अपनी पसंद से लिखिए-
- अमीर खुसरो
- कबीर
- गुरुनानक
- रहीम
उत्तर-
- अमीर खुसरो-पहेलियाँ एवं मुकरियाँ
- कबीर-बीजक
- गुरूनानक-गुरुग्रंथ साहिब
- रहीम-रहीम के दोहे।
1. अमीर खुसरो-वह आवै तो शादी होय उस बिन दूजा और न कोए। मीठे लागे उनके बोल, क्यों सखी साजन। न सखी ढोल।
2. कबीर-कबीर एक महान समाज सुधारक थे, जिन्होंने समाज में व्याप्त तत्कालीन कुरीतियों पर जमकर प्रहार किया।
मौको कहाँ हूँढे बँदे, मैं तो तेरे पास में।
ना मैं देवल ना मैं मस्जिद, ना काबे कैलाश में।
ना तो कौने क्रियाकर्म में नहीं यो बैराग में, कहो कबीर सुनो भई साधो, सब स्वाँसों की स्वाँस में।
3. गुरुनानक-चारि नदी अगनी असराला कोई गुरुमुखि बुझै सबदि निराला।
साकत दुरमति डूबहि दाझहिं
गुरि राखे हरि सिव राता है।
4. रहीम-रहिमन यहि संसार में सबसे मिलियो धाइ।
ना जाने केहि भेस में नारायण मिलि जाइ।।
प्रश्न 19.
बात को कहने के तीन प्रमुख तरीके अब तक आप जान चुके होंगे-
(क) अभिधा
(ख) लक्षणा
(ग) व्यंजना
बताइए, नेहरू जी का निम्नलिखित वाक्य इन तीनों में से किसका उदाहरण है? यह भी बताइए कि आपको ऐसा क्यों लगता है?
“यदि ब्रिटेन ने भारत में यह बहुत भारी बोझ नहीं उठाया होता (जैसा कि उन्होंने हमें बताया है) और लंबे समय तक हमें स्वराज्य करने की वह कठिन कला नहीं सिखाई होती, जिससे हम इतने अनजान थे, तो भारत न केवल अधिक स्वतंत्र और अधिक समृद्ध होता …. बल्कि उसने कहीं अधिक प्रगति की होती।”
उत्तर-
व्यंजना शब्द शक्ति
इसमें अंग्रेजों पर व्यंग्य है। अंग्रेज़ों ने हमारा बोझ उठाया नहीं बल्कि हम पर थोपा था, जिससे मुक्त होने में हमें लंबा समय लगा।
प्रश्न 20.
“नयी ताकतों ने सिर उठाया और वे हमें ग्रामीण जनता की ओर ले गईं। पहली बार एक नया और दूसरे ढंग का भारत उन युवा बुदधिजीवियों के सामने आया…’ आपके विचार से आज़ादी की लड़ाई के बारे में कही गई ये बातें किस नयी ताकत’ की ओर इशारा कर रही हैं? वह कौन व्यक्ति था और उसने ऐसा क्या किया जिसने ग्रामीण जनता को भी आज़ादी की लड़ाई का सिपाही बना दिया?
उत्तर-
उपर्युक्त वाक्य इशारा करती है कि भारत के माध्यम वर्ग में नयी ताकत’ की खोज की गई है जिसमें हर विपत्ति का सामना करने की शक्ति थी। उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया। इससे मध्यम वर्ग में राजनीतिक चेतना जाग उठी। यह वर्ग भारत की आजादी के लिए जागरूक हो उठा। यह वर्ग उठ खड़ा होकर आजादी के लिए सीना ताने खड़ा रहा।
प्रश्न 21.
‘भारत माता की जय’ आपके विचार से इस नारे में किसकी जय की बात कही जाती है? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।
उत्तर-
‘भारत माता की जय’ के नारे से हमारे विचार में भारत की पावन भूमि, नदियाँ, जंगल, पर्वत, सागर पशु-पक्षी समस्त प्राणी जगत इतिहास भूगोल की जय की बात कही गई है। क्योंकि इन सबको मिलाकर भारत माता की तसवीर पूरी होती है। इन चीजों को किसी तरह से भारत माता से अलग नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 22.
(क) भारत पर प्राचीन काल से ही अनेक विदेशी आक्रमण होते रहे। उनकी सूची बनाइए। समय क्रम में बनाएँ तो और भी अच्छा रहेगा।
(ख) आपके विचार से भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना इससे पहले के आक्रमणों से किस तरह अलग है?
उत्तर-
ब्रिटिश सरकार से पूर्व पहले जितनी भी जातियों ने भारत पर आक्रमण किया या तो उसने देश में खूब लूट-पाट मचाई धन-संपत्ति लूटकर चले गए या इसी धरती की सभ्यता या संस्कृति को अपना लिया और यहीं बस गए। उन विदेशियों ने भारत पर शासन भी किया तो भारत को अपनेपन के भाव से देखा। लेकिन इसके विपरीत अंग्रेजों की शासन सत्ता पूर्णतया अलग थी। उन्होंने भारत को लूटा और शासन की बागडोर अपने हाथ में लेकर भारत को गुलाम बना दिया। भारत का प्रशासनिक ढाँचा इंग्लैंड से तैयार होने लगा।
(क) भारत पर प्राचीन काल में होने वाले आक्रमणों को निम्नलिखित रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है-
महमूद गज़नवी, मोहम्मद गोरी, नादिरशाह, अफगानियों का आक्रमण, मंगोलों का आक्रमण, तुर्कों का आक्रमण, अंग्रेज़ों
का आक्रमण।।
प्रश्न 23.
(क) अंग्रेजी सरकार शिक्षा के प्रसार को नापसंद करती थी, क्यों?
(ख) शिक्षा के प्रसार को नापसंद करने के बावजूद अंग्रेज़ी सरकार को शिक्षा के बारे में थोड़ा बहुत काम करना पड़ा/क्यों?
उत्तर-
(क) अंग्रेजी सरकार शिक्षा के प्रसार को इसलिए नापसंद करती थी क्योंकि अंग्रेज़ चाहते थे कि भारतीय अशिक्षित व असभ्य रहें ताकि भारतीय पढ़ लिखकर जागरूक न बने। जिससे उनका शासन निर्बाध गति से चलता रहे। उनमें नई चेतना तथा अपनी आज़ादी के प्रति लगाव पैदा न हो।
(ख) शिक्षा के प्रसार को नापसंद करने के बावजूद अंग्रेजी सरकार को अंग्रेज़ी शिक्षा का प्रचार-प्रसार भारत में करना पड़ा।
इसके निम्नलिखित कारण थे-
- उसे अपना काम चलाने के लिए कुछ भारतीयों की आवश्यकता थी। अतः वे अपना काम कराने के लिए कम वेतन पर क्लर्क तैयार कर सके।
- वे भारतीयों को पश्चिमी सभ्यता के रंग में रंगना चाहते थे। ताकि वे अंग्रेज़ी सरकार के भक्त बने रहें।
- इन पर भारतीय समाज सुधारकों के माध्यम से शिक्षा के प्रचार-प्रसार का दबाव बनाया जा रहा था।
प्रश्न 24.
ब्रिटिश शासन के दौर के लिए कहा गया कि-“नया पूँजीवाद सारे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा था उससे हर सूरत में भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ना ही था।” क्या आपको लगता है कि अब भी नया पूँजीवाद पूरे विश्व में जो बाज़ार तैयार कर रहा है, उससे भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ रहा है? कैसे?
उत्तर-
निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि इस नए पूँजीवाद से पूरे विश्व के साथ भारत के आर्थिक ढाँचे पर भी प्रभाव पड़ रहा है। इस पूँजीवाद के परिणामस्वरूप वर्तमान पीढ़ी में किसी भी तरह कोई न कोई व्यवसाय अपनाकर धन कमाने की होड़ बढ़ी है। इसका प्रभाव यह पड़ा कि देश की पूँजी बाहर जा रही है, स्थानीय उद्योग धंधे का पतन हो रहा है। बाज़ार में विदेशी सामानों की भरमार है। इससे समाज में अमीरी-गरीबी की खाई बढ़ रही है। धनी और धनी तथा गरीब और गरीब होते जा रहे हैं। हमारा धन पूँजीपतियों के हाथों में जा रहा है। इससे स्वदेशी उद्योग धंधे चौपट हो रहे हैं। लोगों का विदेशी वस्तुओं के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा है।
प्रश्न 25.
गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर निम्नलिखित में किस तरह का बदलाव आया, पता कीजिए-
(क) कांग्रेस संगठन में।
(ख) लोगों में विद्यार्थियों, स्त्रियों, उद्योगपतियों आदि में।
(ग) आजादी की लड़ाई के तरीकों में।
(घ) साहित्य, संस्कृति, अखबार आदि में।
उत्तर-
(क) कांग्रेस संगठन में शिथिलता समाप्त हो गई। गांधी जी के आने से कांग्रेस संगठन की मजबूती बढ़ी। इसमें किसान एवं मजदूर वर्ग भी शामिल होकर नए उमंग के साथ कार्य करने लगे।
(ख) छात्र विश्वविद्यालय छोड़कर आंदोलन में कूद पड़े, औरतें भी शामिल हुईं। कई धनी वर्ग भी गांधी जी के संपर्क में आए। इन लोगों ने गांधी के साथ अंग्रेज़ों के विरुद्ध नारा बुलंद किया।
(ग) आज़ादी की लड़ाई के तरीकों में भी परिवर्तन आया। ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध लड़ाई में गांधी जी ने सत्य और अहिंसा को प्रमुख हथियार बनाया।
(घ) साहित्य, संस्कृति का विकास हुआ। कई अखबार निकले। अखबारों में अंग्रेजों की दमन की नीति की खबरें प्रमुखता से छपने लगीं। स्वतंत्रता के प्रति लोगों में जागरुकता बढ़ी।
प्रश्न 26.
“अक्सर कहा जाता है कि भारत अंतर्विरोधों का देश है।” आपके विचार से भारत में किस-किस तरह के अंतर्विरोध हैं? कक्षा में समूह बनाकर चर्चा कीजिए।
(संकेत-अमीरी-गरीबी, आधुनिकता-मध्ययुगीनता, सुविधा-संपन्नता-सुविधाविहीन आदि)
उत्तर-
भारत अंतर्विरोधों का देश है। इस देश में अनेक प्रकार के अंतर्विरोध रहे हैं।
(क) इसमें जहाँ एक ओर काफ़ी अमीरी है तो दूसरी ओर अधिकांश जनता गरीबी की मार झेल रही है। अमीर गरीब के बीच खाई-चौड़ी होती जा रही है। देश में अमीर लोग कई प्रकार की सुविधाओं के माध्यम से उत्तम जीवन व्यतीत कर रहे हैं। तो गरीब लोग जो सुविधाविहीन हैं वे निम्न स्तरीय जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर हैं। शहरों में आधुनिकता की झलक दिखाई देती है तो गाँव अभी भी मध्ययुगीन दौर में हैं।
प्रश्न 27.
पृष्ठ संख्या 122 पर नेहरू जी ने कहा है कि-”हम भविष्य की उस ‘एक दुनिया की तरफ़ बढ़ रहे हैं जहाँ राष्ट्रीय संस्कृतियाँ मानव जाति की अंतरराष्ट्रीय संस्कृति में घुलमिल जाएँगी।” आपके अनुसार उस ‘एक दुनिया में क्या-क या अच्छा है और कैसे-कैसे खतरे हो सकते हैं?
उत्तर
हमारे अनुसार वह दुनिया सबसे अच्छी होगी जिसमें सबको जीने रहने खाने की आज़ादी बिना भेद-भाव का हो। इसका परिणाम यह होगा कि कोई देश अलग-थलग नहीं रह सकता। सभी देशों की संस्कृतियाँ एक-दूसरे से घुलमिल जाएंगी यानी सभी देश मिलकर ही उन्नति की ओर अग्रसर हो पाएँगे। एक-दूसरे से मिल-मिलाप बढ़ेगा तथा सभी उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ते जाएँगे। इससे हम भारतीय अच्छे विश्व नागरिक बन सकेंगे।
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