गोल NCERT Class 6 Hindi Chapter 2 Extra Question Answer
Class 6 Hindi Chapter 2 Extra Questions गोल अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘गोल’ पाठ रचना की कौन-सी विधा है?
उत्तर:
‘गोल’ पाठ रचना की विधा संस्मरण है।
प्रश्न 2.
सन् 1933 में ध्यानचंद किस रेजीमेंट की ओर से खेलते थे?
उत्तर:
सन् 1933 में ध्यानचंद ‘पंजाब रेजीमेंट’ की ओर से खेलते थे।
प्रश्न 3.
ध्यानचंद को किस टीम के खिलाड़ी ने हॉकी स्टिक मारी थी ?
उत्तर:
ध्यानचंद को ‘सैंपर्स एंड माइनर्स’ टीम के खिलाड़ी ने हॉकी स्टिक मारी थी।
प्रश्न 4.
ध्यानचंद ने उससे अपना बदला कैसे लिया?
उत्तर:
ध्यानचंद ने उससे अपना बदला लगातार छह गोल बना कर लिया।
प्रश्न 5.
ध्यानचंद जी सफलता का मूलमंत्र क्या था ?
उत्तर:
ध्यानचंद की सफलता का मूलमंत्र लगन, साधना और खेल भावना था ।
प्रश्न 6.
‘नौसिखिया’ शब्द से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
‘नौसिखिया’ शब्द का अर्थ नया सीखने वाला है।
प्रश्न 7.
बर्लिन ओलंपिक में जब ध्यानचंद कप्तान बने तो वे सेना के किस पद पर थे ?
उत्तर:
बर्लिन ओलंपिक में जब ध्यानचंद कप्तान बने तो वे ‘लांस नायक’ के पद पर थे।
प्रश्न 8.
‘बर्लिन ओलंपिक’ में ध्यानचंद की टीम को कौन सा पदक प्राप्त हुआ?
उत्तर:
‘बर्लिन ओलंपिक’ में ध्यानचंद की टीम को ‘स्वर्ण पदक’ प्राप्त हुआ।
प्रश्न 9.
ध्यानचंद का जन्मदिन किस रूप में मनाया जाता है?
उत्तर:
ध्यानचंद का जन्मदिन ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
प्रश्न 10.
भारत का सर्वोच्च ‘खेल रत्न’ पुरस्कार किसके नाम पर दिया जाता है?
उत्तर:
भारत का सर्वोच्च ‘खेल रत्न’ पुरस्कार ध्यानचंद के नाम पर दिया जाता है।
Class 6 Hindi Chapter 2 Extra Question Answer गोल लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘माइनर्स टीम के खिलाड़ी ने ध्यानचंद के सिर पर स्टिक क्यों मारी ?
उत्तर:
ध्यानचंद ‘पंजाब रेजीमेंट’ की ओर से खेल रहे थे। ‘माइनर्स टीम के खिलाड़ी उनसे गेंद छीनने का प्रयास करने में विफल हो रहे थे। इतने में एक खिलाड़ी को गुस्सा आ गया उसने हॉकी स्टिक ही ध्यानचंद के सिर पर मार दी।
प्रश्न 2.
ध्यानचंद ने अपनी चोट का बदला लेने के लिए क्या किया?
उत्तर:
ध्यानचंद पट्टी बाँधकर फिर से मैदान में आ गए। उन्होंने लगातार छह गोल करके अपनी प्रतिद्वंदी टीम को बुरी तरह हराकर बदला लिया।
प्रश्न 3.
ध्यानचंद की सफलता का राज क्या था?
उत्तर:
ध्यानचंद का अपनी सफलता हेतु कोई गुरुमंत्र न था। वे यह मानते थे कि यदि हम खेल को लगन, साधना और खेल भावना से खेलें तो अवश्य सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
प्रश्न 4.
ध्यानचंद ने कब और कैसे ‘हॉकी’ खेलना शुरू किया?
उत्तर:
अपनी 16 वर्ष की आयु में ध्यानचंद ‘फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट’ में सिपाही के रूप में भर्ती हुए। टीम के सूबेदार मेजर तिवारी थे, उन्होंने ध्यानचंद को क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया। पहले तो वे नौसिखिए की भाँति खेलते थे लेकिन धीरे-धीरे उनके खेल में निखार आता गया ।
प्रश्न 5.
ध्यानचंद को ‘हॉकी के जादूगर’ की उपाधि क्यों मिली?
उत्तर:
सन् 1936 में बर्लिन ओलंपिक में जब उन्हें कप्तान बनाया गया तो वे सेना में ‘लांस नायक’ के पद पर थे। लोग उनके खेलने के ढंग से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहना शुरू कर दिया ।
प्रश्न 6.
ध्यानचंद में अच्छे खिलाड़ी होने के कौन-से विशेष गुण थे?
उत्तर:
ध्यानचंद में अच्छे खिलाड़ी होने के निम्नलिखित गुण थे-
(क) वे लगन, साधना और पूर्ण खेल भावना से खेलते थे।
(ख) वे जीतने का श्रेय स्वयं न लेकर पूरी टीम को देते थे।
(ग) वे अपना नहीं बल्कि अपने देश का नाम करना चाहते थे।
Class 6 Hindi Chapter 2 Extra Questions गोल दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
खेल जगत में ध्यानचंद का नाम विस्मरणीय है- कैसे?
उत्तर:
खेल जगत में ध्यानचंद का नाम अविस्मरणीय रहेगा। उनकी उपाधि ‘हॉकी का जादूगर’ कोई और शायद कभी न प्राप्त कर पाएगा। ओलंपिक खेलों में भारत को प्रथम स्वर्ण पदक ध्यानचंद के प्रयासों से ही प्राप्त हुआ। वे अपनी नहीं बल्कि देश की जीत को सर्वोपरि मानते थे।
यही कारण है कि उनका जन्मदिन ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है और भारत का सर्वोच्च खेल पुरस्कार ‘खेल रत्न’ उनके नाम पर दिया जाता है ।
Class 6 Hindi Chapter 2 Extra Question Answer गोल मूल्यपरक / व्यावहारिक प्रश्न
प्रश्न 1.
आप अपने जीवन में ध्यानचंद की कौन-कौन सी बातों को अपनाने की चेष्टा करेंगे?
उत्तर:
मैं अपने जीवन में ध्यानचंद की निम्नलिखित बातों को अपनाने की चेष्टा करूँगा /करूंगी।
(क) अपने जीवन का उद्देश्य अवश्य बनाना चाहिए ।
(ख) जो भी कार्य करो लगन और ईमानदारी से करो।
(ग) स्वयं के साथ-साथ दूसरों को भी ऊँचा उठाने का प्रयास करो।
(घ) सामूहिक रूप से प्राप्त की गई जीत का श्रेय सभी को दें।
(ङ) जीवन में तरक्की पाने पर भी स्वयं को कभी विराम न दें, निरंतर आगे बढ़ने का प्रयास करें।
प्रश्न 2.
पाठ ‘गोल’ हमें क्या शिक्षा देता है ?
उत्तर:
पाठ ‘गोल’ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम जीवन में जिस राह का चुनाव करें पूरी तन्मयता से उसके लिए कार्य भी करें। परिस्थितियाँ कैसी भी हों, कभी अपने मार्ग से डगमगाना नहीं चाहिए। जैसे ध्यानचंद ने जब ‘हॉकी’ खेलने का मार्ग चुना तो बुलंदियों को छूकर ही दम लिया।
Class 6 Hindi Chapter 2 Extra Questions अर्थग्रहण संबंधी एवं बहुवैकल्पिक प्रश्न
दिए गए गद्यांशों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
[1]
खेल के मैदान में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक की घटनाएँ होती रहती हैं। खेल में तो यह सब चलता ही है। जिन दिनों हम खेला करते थे, उन दिनों भी यह सब चलता था।
सन् 1933 की बात है। उन दिनों में, मैं पंजाब रेजिमेंट की ओर से खेला करता था। एक दिन ‘पंजाब रेजिमेंट’ और ‘सैंपर्स एंड माइनर्स टीम’ के बीच मुकाबला हो रहा था। ‘माइनर्स टीम’ के खिलाड़ी ‘मुझसे गेंद छीनने की कोशिश करते, लेकिन उनकी हर कोशिश बेकार जाती। इतने में एक खिलाड़ी ने गुस्से में आकर हॉकी स्टिक मेरे सिर पर दे मारी।
प्रश्न-
(क) यह वक्तव्य कहाँ से लिया गया है? इसमें ‘मैं’ कौन है?
उत्तर:
यह वक्तव्य ‘गोल’ पाठ से लिया गया है जिसके रचयिता मेजर ध्यानचंद हैं। इसमें ‘मैं’ मेजर ध्यानचंद के लिए प्रयुक्त हुआ है।
(ख) कौन-सी दो टीमें खेल रही थीं?
उत्तर:
‘पंजाब रेजिमेंट’ और ‘सैंपर्स एंड माइनर्स टीम’ खेल रही थीं।
(ग) ‘माइनर्स टीम’ के खिलाड़ी ने किसके सिर पर और क्यों स्टिक मारी?
उत्तर:
‘माइनर्स टीम’ के खिलाड़ी ने मेजर ध्यानचंद के सिर पर स्टिक मारी क्योंकि वे जीत की ओर बढ़ रहे थे।
[2]
मैं पट्टी बाँधकर फिर मैदान में आ पहुँचा। आते ही मैंने उस खिलाड़ी की पीठ पर हाथ रखकर कहा, “तुम चिंता मत करो, इसका बदला मैं जरूर लूँगा।” मेरे इतना कहते ही वह खिलाड़ी घबरा गया। अब हर समय मुझे ही देखता रहता कि मैं कब उसके सिर पर हॉकी स्टिक मारने वाला हूँ। मैंने एक के बाद एक झटपट छह गोल कर दिए। खेल खत्म होने के बाद मैंने फिर उस खिलाड़ी की पीठ थपथपाई और कहा, “दोस्त, खेल में इतना गुस्सा अच्छा नहीं। मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है। अगर तुम मुझे हॉकी नहीं मारते तो शायद मैं तुम्हें दो ही गोल से हराता । ” वह खिलाड़ी सचमुच बड़ा शर्मिंदा हुआ। तो देखा आपने मेरा बदला लेने का ढंग ? सच मानो, बुरा काम करने वाला आदमी हर समय इस बात से डरता रहता है कि उसके साथ भी बुराई की जाएगी।
बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
ध्यानचंद पट्टी बाँधकर क्यों आए ?
(क) उनके सिर में दर्द था।
(ख) उन्हें दूसरी टीम के खिलाड़ी ने स्टिक मारी थी।
(ग) वे गिर गए थे।
(घ) यह उनका शौक था।
उत्तर:
(ख) उन्हें दूसरी टीम के खिलाड़ी ने स्टिक मारी थी।
प्रश्न 2.
दूसरी टीम का खिलाड़ी घबरा क्यों गया था ?
(क) ध्यानचंद ने उसे कहा था कि वे उससे बदला लेंगे।
(ख) वह खेल में हारने वाला था ।
(ग) उसे टीम से निकाला जा रहा था।
(घ) ध्यानचंद ने उसकी शिकायत खेलं विभाग में कर दी थी।
उत्तर:
(क) ध्यानचंद ने उसे कहा था कि वे उससे बदला लेंगे।
प्रश्न 3.
ध्यानचंद ने झटपट कितने गोल किए?
(क) दो
(ख) चार
(ग) छह
(घ) नौ
उत्तर:
(ग) छह
प्रश्न 4.
खिलाड़ी शर्मिंदा क्यों हुआ?
(क) ध्यानचंद ने उसे बड़े प्यार से माफ कर दिया।
(ख) ध्यानचंद ने उसके किए कार्य हेतु उसकी पीठ थपथपाई।
(ग) क्योंकि ध्यानचंद ने उसे बुरी तरह से हराकर अपना बदला लिया था ।
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर:
(ग) क्योंकि ध्यानचंद ने उसे बुरी तरह से हराकर अपना बदला लिया था ।
प्रश्न 5.
बुरा करने वाले के मन में सदा क्या विचार आता है?
(क) उसके साथ भी बुरा होगा।
(ख) जिसके साथ मैंने बुरा किया है उससे क्षमा माँग लेनी चाहिए।
(ग) उसे मन ही मन पछतावा होता है।
(घ) वह सबसे छिपकर रहना चाहता है।
उत्तर:
(क) उसके साथ भी बुरा होगा।
[3]
आज मैं जहाँ भी जाता हूँ बच्चे व बूढ़े मुझे घेर लेते हैं और मुझसे मेरी सफलता का राज जानना चाहते हैं। मेरे पास सफलता का कोई गुरु मंत्र तो है नहीं। हर किसी से यही कहता कि लगन, साधना और खेल भावना ही सफलता के सबसे बड़े मंत्र हैं।
प्रश्न-
(क) ध्यानचंद को हर जगह कौन घेर लेते है?
उत्तर:
ध्यानचंद को हर जगह बूढ़े और बच्चे घेर लेते हैं।
(ख) लोग उनसे क्या जानना चाहते हैं?
उत्तर:
वे उनसे उनकी सफलता का राज जानना चाहते हैं।
(ग) ध्यानचंद की नज़र में बड़े मूलमंत्र क्या हैं?
उत्तर:
ध्यानचंद की नज़र में लगन, साधना और खेल भावना ही सफलता के बड़े मूलमंत्र हैं।
[4]
मेरा जन्म सन् 1904 में प्रयाग में एक साधारण परिवार में हुआ। बाद में हम झाँसी आकर बस गए। 16 साल की उम्र में मैं ‘फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट’ में एक साधारण सिपाही के रूप में भर्ती हो गया। मेरी रेजिमेंट का हॉकी खेल में काफी नाम था। पर खेल में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं थी। उस समय हमारी रेजिमेंट के सूबेदार मेजर तिवारी थे। वे बार-बार मुझे हॉकी खेलने के लिए कहते। हमारी छावनी में हॉकी खेलने का कोई निश्चित समय नहीं था । सैनिक जब चाहे मैदान में पहुँच जाते और अभ्यास शुरू कर देते। उस समय तक मैं एक नौसिखिया खिलाड़ी था ।
बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
मेजर ध्यानचंद का जन्म कब हुआ ?
(क) 1906
(ख) 1904
(ग) 1903
(घ) 1902
उत्तर:
(ख) 1904
प्रश्न 2.
सिपाही के रूप में वे सबसे पहले कहाँ भरती हुए ?
(क) फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट
(ख) बर्लिन ओलंपिक
(ग) पंजाब रेजीमेंट
(घ) सैंपर्स एंड माइनर्स टीम
उत्तर:
(क) फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट
प्रश्न 3.
फर्स्ट ब्राह्मण रेजीमेंट के सूबेदार कौन थे ?
(क) मेजर बलवंत
(ख) मेजर ध्यानचंद
(ग) मेजर दानवीर
(घ) मेजर तिवारी
उत्तर:
(घ) मेजर तिवारी
प्रश्न 4.
सैनिक मैदान में जाकर क्या करते थे?
(क) दौड़ लगाते थे।
(ख) गप्पें हाँकते थे।
(ग) हॉकी का अभ्यास करते थे।
(घ) मैदान की सफाई करते थे।
उत्तर:
(ग) हॉकी का अभ्यास करते थे।
प्रश्न 5.
ध्यानचंद कैसे खिलाड़ी थे?
(क) कुशल
(ख) नौसिखिए
(ग) श्रेष्ठ
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) नौसिखिए
[5]
जैसे-जैसे मेरे खेल में निखार आता गया, वैसे-वैसे मुझे तरक्की भी मिलती गई। सन् 1936 में बर्लिन ओलंपिक में मुझे कप्तान बनाया गया। उस समय मैं सेना में लांस नायक था। बर्लिन ओलंपिक में लोग मेरे हॉकी खेलने के ढंग से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मुझे ‘हॉकी का जादूगर’ कहना शुरू कर दिया। इसका यह मतलब नहीं कि सारे गोल मैं ही करता था। मेरी तो हमेशा यह कोशिश रहती कि मैं गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साथी खिलाड़ी को दे दूँ ताकि उसे गोल करने का श्रेय मिल जाएं। अपनी इसी खेल भावना के कारण मैंने दुनिया के खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया। बर्लिन ओलंपिक में हमें स्वर्ण पदक मिला। खेलते समय मैं हमेशा इस बात का ध्यान रखता था कि हार या जीत मेरी नहीं, बल्कि पूरे देश की है।
प्रश्न-
(क) ध्यानचंद सर्वप्रथम किस टीम के कप्तान बने और कब ?
उत्तर:
ध्यानचंद सर्वप्रथम सन् 1936 में बर्लिन ओलंपिक के कप्तान बने ।
(ख) बर्लिन ओलंपिक के बाद ध्यानचंद को कौन-सी उपाधि मिली ?
उत्तर:
बर्लिन ओलंपिक के बाद ध्यानचंद को ‘हॉकी का जादूगर’ की उपाधि मिली।
(ग) खेलते समय ध्यानचंद किस बात का पूरा ध्यान रखते थे?
उत्तर:
खेलते समय ध्यानचंद इस बात का ध्यान रखते थे कि हार या जीत मेरी नहीं बल्कि पूरे देश की होनी चाहिए।
परीक्षोपयोगी अन्य आवश्यक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘गोल’ शीर्षक पाठ में किस खेल के बारे में बताया गया है।
उत्तर:
‘गोल’ शीर्षक पाठ में हॉकी खेल के बारे में बताया गया है।
प्रश्न 2.
यह पाठ किस शैली में रचित है ?
उत्तरः
यह पाठ ‘आत्मकथा’ शैली में रचित है। इस संस्मरण भी कहा जाता है।
प्रश्न 3.
लेखक ने 1933 की किस घटना का उल्लेख किया है ?
उत्तर:
लेखक बताता है कि 1933 की एक घटना है। तब लेखक पंजाब रेजिमेंट की टीम के एक खिलाड़ी के रूप में हॉकी खेलता था। एक बार उनकी टीम का मुकाबला सैपर्स एंड माइनर्स टीम के साथ हॉकी मैच था। उसी मैच के दौरान विपक्षी टीम के एक खिलाड़ी ने गुस्से में आकर लेखक के सिर में स्टिक दे मारी थी। उससे लेखक घायल हो गया था। वह सिर पर पट्टी बाँधकर पुनः मैदान