जलाते चलो Class 6 Summary Notes in Hindi Chapter 7
जलाते चलो Class 6 Summary in Hindi
इस कविता के माध्यम से कवि ‘द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी’ हृदय में आशा और ज्ञान का संचार करते हैं। हर प्रकार की कठिनाइयों और मुसीबतों का सामना करते हुए मनुष्य अपने जीवन के नए रास्ते बना सकता है। अँधेरे से उजाले की ओर एवं अज्ञान को दूर कर ज्ञान की ओर बढ़ने के लिए तत्पर रहना चाहिए। प्रेम, सौहार्द और मानवता के मूल्यों द्वारा मनुष्य अपने जीवन को सही दिशा में अग्रसर कर सकता है और धरती पर अंधकार रूपी बुराइयों का नाश करने में सक्षम हो सकता है। यदि मनुष्य मिल-जुलकर आगे बढ़ेंगे, तो ही विश्व-कल्याण का सपना साकार हो सकता है।
जलाते चलो कविता कवि परिचय
अभी आपने जो कविता पढ़ी है, उसे हिंदी के प्रसिद्ध कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी ने लिखा है। बाल साहित्य के चर्चित रचनाकारों में द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। उन्होंने बच्चों के लिए बहुत-सी रचनाएँ लिखी हैं। उनके द्वारा लिखित ‘हम सब सुमन एक उपवन के’ जैसे गीत आज भी बहुत लोकप्रिय हैं।
Class 6 Hindi जलाते चलो कविता
जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर
कभी तो धरा का अँधेरा मिटेगा ।
भले शक्ति विज्ञान में है निहित
वह कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी,
मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में
घरी आ रही है अमावस निशा-सी।
बिना स्नेह विद्युत-दिये जल रहे जो
बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा।।
जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की
चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी,
तिमिर की सरित पार करने तुम्हीं ने
बना दीप की नाव तैयार की थी।
बहाते चलो नाव तुम वह निरंतर
कभी तो तिमिर का किनारा मिलेगा।
युगों से तुम्हीं ने तिमिर की शिला पर
दिये अनगिनत है निरंतर जलाए,
समय साक्षी है कि जलते हुए दीप
अनगिन तुम्हारे पवन ने बुझाए।
मगर बुझ स्वयं ज्योति जो दे गए वे
उसी से तिमिर को उजेला मिलेगा।
दिये और तूफ़ान की यह कहानी
चली आ रही और चलती रहेगी.
जली जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी।
रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि
कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा।
– द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी