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जलाते चलो Class 6th Hindi Malhar Chapter 7 Question Answer
जलाते चलो Class 6 Question Answer
पाठ से
आइए, अब हम इस कविता से अपनी मित्रता को और घनिष्ठ बना लेते हैं। इसके लिए नीचे कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। हो सकता है कि इन्हें करने के लिए आप कविता को फिर से पढ़ने की आवश्यकता अनुभव करें।
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन – सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए-
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सी बात इस कविता में मुख्य रूप से कही गई है?
• भलाई के कार्य करते रहना
• दीपावली के दीपक जलाना
• बल्ब आदि जलाकर अंधकार दूर करना
• तिमिर मिलने तक नाव चलाते रहना
उत्तर:
• भलाई के कार्य करते रहना
प्रश्न 2.
“जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की, चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी”
यह वाक्य किससे कहा गया है?
• तूफ़ान से
• मनुष्यों से
• दीपकों से
• तिमिर से
उत्तर:
• मनुष्यों से
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर:
विद्यार्थी अपने अध्यापक या मित्रों की सहायता से चर्चा करें।
मिलकर करें मिलान
कविता में से चुनकर कुछ शब्द यहाँ दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
शब्द | अर्थ या संदर्भ |
1. अमावस | 1. पूर्णमासी, वह तिथि जिस रात चंद्रमा पूरा दिखाई देता है। |
2. पूर्णिमा | 2. विद्युत दिये अर्थात बिजली से जलने वाले दीपक, बल्ब आदि उपकरण। |
3. विद्युत – दिए | 3. समय, काल, युग संख्या में चार माने गए हैं- सत्ययुग (सतयुग), त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग । |
4. युग | 4. अमावस्या, जिस रात आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता। |
उत्तर:
1. अमावस – (4),
2. पूर्णिमा – (1)
3. विद्युत – दीये – (2),
4. युग – (3)
पंक्तियों पर चर्चा
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
“दिये और तूफ़ान की यह कहानी
चली आ रही और चलती रहेगी,
जली जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी।
रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि
कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा।”
उत्तर:
कवि ने संदेश दिया है कि संघर्ष और सफलता की कहानी निरंतर चल रही है। हमें निराश और हतोत्साहित नहीं होना है क्योंकि अगर एक भी दीपक जल रहा है तो मानवता फैलती रहेगी। प्रेम, त्याग व ज्ञान के संदेश संसार में फैलेंगे और जीवन सार्थक होगा।
सोच-विचार के लिए
कविता को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए—
(क) कविता में अँधेरे या तिमिर के लिए किन वस्तुओं के उदाहरण दिए गए हैं?
उत्तर:
– अमावस
– निशा
– तिमिर की सरिता
– तिमिर की शिला
– पवन
– तूफ़ान
(ख) यह कविता आशा और उत्साह जगाने वाली कविता है। इसमें क्या आशा की गई है? यह आशा क्यों की गई है?
उत्तर:
यह कविता जीवनरूपी दीप में स्नेह व अपनापन रूपी तेल भरकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। निराशा के बीच ही आशा की एक किरण दिखाई देती है । मानव और विश्व कल्याण हेतु हमें महापुरुषों के पदचिह्नों पर चलना होगा। प्रेम, सद्भावना और मानवीय सौहार्द से यह जीवन खुशहाल बनता है। नई पीढ़ी इतिहास में हुए महान लोगों से प्रेरणा लेकर एक सुंदर भविष्य की नींव रखेगी। कविता मनुष्य के हृदय में विश्व बंधुत्व की आशा जाग्रत करती है।
(ग) कविता में किसे जलाने और किसे बुझाने की बात कही गई है?
उत्तर:
मनुष्य आशा रूपी दीपक जलाकर रखें। स्नेह से भरे दीपक चारों ओर जले और बिना स्नेह वाले विद्युत – दिये बुझा देने चाहिए क्योंकि बनावटी वस्तुएँ बाधा उत्पन्न करती हैं।
कविता की रचना
“जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर
कभी तो धरा का अँधेरा मिटेगा ।”
इन पंक्तियों को अपने शिक्षक के साथ मिलकर लय सहित गाने या बोलने का प्रयास कीजिए। आप हाथों से ताल भी दे सकते हैं। दोनों पंक्तियों को गाने या बोलने में समान समय लगा या अलग-अलग? आपने अवश्य ही अनुभव किया होगा कि इन पंक्तियों को बोलने या गाने में लगभग एक-समान समय लगता है। केवल इन दो पंक्तियों को ही नहीं, इस कविता की प्रत्येक पंक्ति को गाने में या बोलने में लगभग समान समय ही लगता है। इस विशेषता के कारण यह कविता और अधिक प्रभावशाली हो गई है।
आप ध्यान देंगे तो इस कविता में आपको और भी अनेक विशेष बातें दिखाई देंगी।
(क) इस कविता को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस कविता की विशेषताओं की सूची बनाइए, जैसे इस कविता की पंक्तियों को 2–4, 2-4 के क्रम में बाँटा गया है आदि।
(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर:
कविता पर आधारित रचनात्मक गतिविधियाँ विद्यार्थी स्वयं करेंगे। अपने अध्यापकों व साथियों की सहायता से गतिविधि पूर्ण करें।
मिलान
स्तंभ 1 और स्तंभ 2 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। मिलते-जुलते भाव वाली पंक्तियों को रेखा खींचकर जोड़िए-
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
1. कभी तो तिमिर का किनारा मिलेगा। | 1. विश्व की भलाई का ध्यान रखे बिना प्रगति करने से कोई लाभ नहीं होगा। |
2. जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर। | 2. विश्व में सुख-शांति क्यों कम होती जा रही है? |
3. मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में घिरी आ रही है अमावस निशा-सी । | 3. विश्व की समस्याओं से एक न एक दिन छुटकारा अवश्य मिलेगा। |
4. बिना स्नेह विद्युत – दिये जल रहे जो बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा। | 4. दूसरों के सुख-चैन के लिए प्रयास करते रहिए। |
उत्तर:
1. → 3
2. → 4
3. → 2
4. → 1
अनुमान या कल्पना से
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए—
(क) “दिये और तूफ़ान की यह कहानी
चली आ रही और चलती रहेगी”
दीपक और तूफ़ान की यह कौन-सी कहानी हो सकती है जो सदा से चली आ रही है?
(ख) “जली जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी”
दीपक की यह सोने जैसी लौ क्या हो सकती है जो अनगिनत सालों से जल रही है?
उत्तर:
विद्यार्थी अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर की सहायता से सामूहिक चर्चा गतिविधी पूर्ण करें।
शब्दों के रूप
“कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी”
‘अमावस’ का अर्थ है ‘अमावस्या’। इन दोनों शब्दों का अर्थ तो समान है लेकिन इनके लिखने-बोलने में थोड़ा-सा अंतर है। ऐसे ही कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इनसे मिलते-जुलते दूसरे शब्द कविता से खोजकर लिखिए। ऐसे ही कुछ अन्य शब्द आपस में चर्चा करके खोजिए और लिखिए।
1. दिया ______
2. उजेला ______
3. अनगिन _____
4. ______
5. _____
6. _______
उत्तर:
1. दिया – दीप
2. उजेला – उजाला
3. अनगिन – अनगिनत
4. दिन – दिवस
5. धरा – धरती
6. सिल – शिला
अर्थ की बात
(क) “जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर”
इस पंक्ति में ‘चलो’ के स्थान पर ‘रहो’ शब्द रखकर पढ़िए। इस शब्द के बदलने से पंक्ति के अर्थ में क्या अंतर आ रहा है? अपने समूह में चर्चा कीजिए।
(ख) कविता में प्रत्येक शब्द का अपना विशेष महत्व होता है। यदि वे शब्द बदल दिए जाएँ तो कविता का अर्थ भी बदल सकता है और उसकी सुंदरता में भी अंतर आ सकता है।
नीचे कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। पंक्तियों के सामने लगभग समान अर्थों वाले कुछ शब्द दिए गए हैं। आप उनमें से वह शब्द चुनिए, जो उस पंक्ति में सबसे उपयुक्त रहेगा-
प्रश्न 1.
बहाते चलो ________ तुम वह निरंतर (नैया, नाव, नौका)
कभी तो तिमिर का _____ मिलेगा। (तट, तीर, किनारा)
उत्तर:
नैया, किनारा
प्रश्न 2.
रहेगा _____ पर दिया एक भी यदि (धरा, धरती, भूमि)
कभी तो निशा को ______ मिलेगा।। (प्रात:, सुबह, सवेरा)
उत्तर:
धरा, सवेरा
प्रश्न 3.
जला दीप पहला तुम्हीं ने _____ की (अंधकार, तिमिर, अँधेरे)
चुनौती _____ बार स्वीकार की थी। (प्रथम, अव्वल, पहली)
उत्तर:
तिमिर प्रथम
प्रतीक
(क) “कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा ”
निशा का अर्थ है— रात।
सवेरा का अर्थ है— सुबह ।
आपने अनुभव किया होगा कि कविता में इन दोनों शब्दों का प्रयोग ‘रात’ और ”सुबह’ ‘के लिए नहीं किया गया है। अपने समूह में चर्चा करके पता लगाइए कि ‘निशा’ और ‘सवेरा’ का इस कविता में क्या-क्या अर्थ हो सकता है।
(संकेत— निशा से जुड़ा है ‘अँधेरा’ और सवेरे से जुड़ा है ‘उजाला’)
उत्तर:
(ख) कविता में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में मिलकर इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें उपयुक्त स्थान पर लिखिए।
(ग) अपने समूह में मिलकर ‘निशा’ और ‘सवेरा’ के लिए कुछ और शब्द सोचिए और लिखिए।
(संकेत – नीचे दिए गए चित्र देखिए और इन पर विचार कीजिए ।)
पंक्ति से पंक्ति
“जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की
चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी”
कविता की इस पंक्ति को वाक्य के रूप में इस प्रकार लिख सकते हैं-
“तुम्हीं ने पहला दीप जला तिमिर की चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी ।
” अब नीचे दी गई पंक्तियों को इसी प्रकार वाक्यों के रूप में लिखिए-
1. बहाते चलो नाव तुम वह निरंतर ।
2. जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर ।
3. बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा।
4. मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में घिरी आ रही है अमावस निशा-सी।
सा/सी/से का प्रयोग
“घिरी आ रही है अमावस निशा-सी
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी”
इन पंक्तियों में कुछ शब्दों के नीचे रेखा खिंची है। इनमें ‘सी’ शब्द पर ध्यान दीजिए। यहाँ ‘सी’ शब्द समानता दिखाने के लिए प्रयोग किया गया है। ‘सा/सी/से’ का प्रयोग जब समानता दिखाने के लिए किया जाता है तो इनसे पहले योजक चिह्न (-) का प्रयोग किया जाता है।
अब आप भी विभिन्न शब्दों के साथ ‘सा / सी / से’ का प्रयोग करते हुए अपनी कल्पना से पाँच वाक्य अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए।
उत्तर:
पाठ से आगे
आपकी बात
(क) “रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि
कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा ”
यदि हर व्यक्ति अपना कर्तव्य समझ ले और दूसरों की भलाई के लिए कार्य करे तो पूरी दुनिया सुंदर बन जाएगी। आप भी दूसरों के लिए प्रतिदिन बहुत-से अच्छे कार्य करते होंगे। अपने उन कार्यों के बारे में बताइए ।
(ख) इस कविता में निराश न होने, चुनौतियों का सामना करने और सबके सुख के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया है। यदि आपको अपने किसी मित्र को निराश न होने के लिए प्रेरित करना हो तो आप क्या करेंगे? क्या कहेंगे? अपने समूह में बताइए।
(ग) क्या आपको कभी किसी ने कोई कार्य करने के लिए प्रेरित किया है? कब? कैसे? उस घटना के बारे में बताइए ।
अमावस्या और पूर्णिमा
(क) “भले शक्ति विज्ञान में है निहित वह
कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी”
आप अमावस्या और पूर्णिमा के बारे में पहले ही पढ़ चुके हैं। क्या आप जानते हैं कि अमावस्या और पूर्णिमा के होने का क्या कारण है?
आप आकाश में रात को चंद्रमा अवश्य देखते होंगे। क्या चंद्रमा प्रतिदिन एक-सा दिखाई देता है? नहीं। चंद्रमा घटता-बढ़ता दिखाई देता है। आइए जानते हैं कि ऐसा कैसे होता है। आप जानते ही हैं कि चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है जबकि पृथ्वी सूर्य की ।
आप यह भी जानते हैं कि चंद्रमा का अपना कोई प्रकाश नहीं होता। वह सूर्य के प्रकाश से ही चमकता है। लेकिन पृथ्वी के कारण सूर्य के कुछ प्रकाश को चंद्रमा तक जाने में रुकावट आ जाती है। इससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जो प्रतिदिन घटती-बढ़ती रहती है। सूरज का जो प्रकाश बिना रुकावट चंद्रमा तक पहुँच जाता है, उसी से चंद्रमा चमकदार दिखता है। इसी छाया और उजले भाग की आकृति में आने वाले परिवर्तन को चंद्रमा की कला कहते हैं।
चंद्रमा की कला धीरे-धीरे बढ़ती रहती है और पूर्णिमा की रात चंद्रमा पूरा ‘दिखने लगता है। इसके बाद कला धीरे-धीरे घटती रहती है और अमावस्या वाली रात चाँद दिखाई नहीं देता। चंद्रमा की कलाओं के घटने के दिनों को ‘कृष्ण पक्ष’ को कहते हैं। ‘कृष्ण’ शब्द का एक अर्थ काला भी है। इसी प्रकार चंद्रमा की कलाओं के बढ़ने के दिनों को ‘शुक्ल पक्ष’ कहते हैं। ‘शुक्ल’ शब्द का एक अर्थ ‘उजला’ भी है।
(ख) अब नीचे दिए गए चित्र में अमावस्या, पूर्णिमा, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को पहचानिए और ये नाम उपयुक्त स्थानों पर लिखिए—
(यदि पहचानने में कठिनाई हो तो आप अपने शिक्षक, परिजनों या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।)
तिथिपत्र
आपने तिथिपत्र (कैलेंडर ) अवश्य देखा होगा। उसमें साल के सभी महीनों की तिथियों की जानकारी दी जाती है।
नीचे तिथिपत्र के एक महीने का पृष्ठ दिया गया है। इसे ध्यान से देखिए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
(क) दिए गए महीने में कुल कितने दिन हैं?
(ख) पूर्णिमा और अमावस्या किस दिनाँक और वार को पड़ रही है?
(ग) कृष्ण पक्ष की सप्तमी और शुक्ल पक्ष की सप्तमी में कितने दिनों का अंतर है?त्तर:
(घ) इस महीने में कृष्ण पक्ष में कुल कितने दिन हैं?
(ङ) ‘वसंत पंचमी’ की तिथि बताइए ।
आज की पहेली
समय साक्षी है कि जलते हुए दीप
अनगिन तुम्हारे पवन ने बुझाए।
‘पवन’ शब्द का अर्थ है हवा।
नीचे एक अक्षर-जाल दिया गया है। इसमें ‘पवन’ के लिए उपयोग किए जाने वाले अलग-अलग नाम या शब्द छिपे हैं। आपको उन्हें खोजकर उन पर घेरा बनाना है, जैसा एक हमने पहले से बना दिया है। देखते हैं, आप कितने सही नाम या शब्द खोज पाते हैं।
खोजबीन के लिए
कविता संबंधित कुछ रचनाएँ दी गई हैं, इन्हें पुस्तक में दिए गए क्यू. आर. कोड की सहायता से पढ़ें, देखें व समझें।
• हम सब सुमन एक उपवन के
• बढ़े चलो
• रोज़ बदलता कैसे चाँद भाग 1
• रोज़ बदलता कैसे चाँद भाग 2
पाठ पर आधारित गतिविधियों को छात्र – छात्राएँ मिलकर अपने शिक्षकों की सहायता से पूर्ण करें।
NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 7 साथी हाथ बढ़ाना (Old Syllabus)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
गीत से
प्रश्न 1.
इस गीत की किन पंक्तियों को तुम आप अपने आसपास की जिंदगी में घटते हुए देख सकते हो?
उत्तर-
इस गीत की निम्नलिखित पंक्तियों को हम अपने आसपास की जिंदगी में घटते हुए देख सकते हैं-
साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया।
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया,
फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें।
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें।
प्रश्न 2.
‘सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया’-साहिर ने ऐसा क्यों कहा है? लिखो।
उत्तर-
साहिर ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि एक साथ मिलकर काम करने से बड़ी से बड़ी बाधाओं में भी रास्ता निकल आता है, यानी काम आसान हो जाता है। साहसी व्यक्ति सभी बाधाओं पर आसानी से विजय पा लेता है क्योंकि एकता और संगठन में शक्ति होती है जिसके बल पर वह पर्वत और सागर को भी पार कर लेता है।
प्रश्न 3.
गीत में सीने और बाँहों को फ़ौलादी क्यों कहा गया है?
उत्तर-
सीने और बाँह को फ़ौलादी इसलिए कहा गया है क्योंकि हमारे इरादे मजबूत हैं। हमारे बाजुओं में आपार शक्ति है। हम ताकतवर हैं। हम बलवान हैं। हमारी बाँहें फ़ौलादी इसलिए भी हैं कि इसमें असीम कार्य क्षमता का पता चलता है। हमारी बाजुएँ काफ़ी शक्तिशाली भी हैं।
गीत से आगे
प्रश्न 1.
अपने आसपास तुम किसे साथी मानते हो और क्यों ? इससे मिलते-जुलते कुछ और शब्द खोजकर लिखो।
उत्तर-
हमारे माता-पिता, भाई-बहन, मित्र, सहपाठी, शिक्षक, पड़ोसी-ये सभी हमारे साथी हैं। क्योंकि ये सब हमें किसी न किसी रूप में सहयोग करते हैं। साथी से मिलते-जुलते शब्द हैं-सहायक, सखा, संगी, सहचर, शुभचिंतक, मित्र, मीत आदि।
प्रश्न 2.
‘अपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक कक्षा, मोहल्ले और गाँव/शहर के किस-किस तरह के साथियों के बीच तुम्हें इस वाक्य की सच्चाई महसूस होती है। और कैसे?
उत्तर-
कुछ बातों के संबंध में हम अपने साथियों से जुड़े होते हैं। इन मामलों में हमारी सोच एक होती है और हमारे सुख-दुख की अनुभूति भी एक होती है। उदाहरण के लिए। पानी-बिजली की कमी, ट्रैफिक जैसी रोजमर्रा की मुश्किलों से जब हमारा सामना होता है तो हमें लगता है जैसे हमारा दुख एक है। वहीं दूसरी ओर विद्यालय के लिए पदक जीतना, कक्षा में अच्छे अंक लाना और बड़े होकर कुछ बनने की चाह से पता चलता है कि हमारा सुख भी एक ही है।
प्रश्न 3.
इस गीत को तुम किस माहौल में गुनगुना सकते हो?
उत्तर-
इस गीत को स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या किसी संगठन की स्थापना के अवसर पर गा सकते हैं। खेल के मैदान में भी यह गीत खिलाड़ियों में जोश पैदा कर सकता है। वैसे तो यह गीत कभी-भी गुनगुनाया जा सकता है, पर विशेषकर जब सहयोग और संगठन की शक्ति बतानी हो तब यह गीत महत्त्व रखता है।
प्रश्न 4.
‘एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना’-
- तुम अपने घर में इस बात का ध्यान कैसे रख सकते हो?
- पापा के काम और माँ के काम क्या-क्या हैं?
- क्या वे एक-दूसरे का हाथ बँटाते हैं?
उत्तर-
- अपने घर के छोटे-बड़े कामों में माता-पिता का हाथ बँटा कर हम इस बात की। ध्यान रख सकते हैं।
- पापा और माँ को बहुत से काम करने होते हैं। जहाँ एक ओर पापा कार्यालय जाते हैं और घर के लिए आवश्यक बाहरी कामों का ध्यान रखते हैं वहीं माँ घर की सफाई, खाना बनाना, कपड़े धोना, हम सबों को पढ़ाना, खरीदारी करना और कई छोटे-बड़े कामों की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेती है।
- हाँ, वे इन कामों से एक-दूसरे का हाथ बँटाते हैं।
प्रश्न 5.
यदि तुमने ‘नया दौर’ फ़िल्म देखी है तो बताओ कि यह गीत फ़िल्म में कहानी के किस मोड़ पर आता है? यदि तुमने फ़िल्म नहीं देखी है तो फ़िल्म देखो और बताओ।
उत्तर-
‘नया दौर’ फिल्म में जब कच्ची सड़क को पक्का करने के लिए सब मिल जुल कर काम करते हैं तब यह गीत आता है। यह गीत उनके सहयोग, उत्साह और जोश को प्रदर्शित करता है।
कहावतों की दुनिया
प्रश्न 1.
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं।
(क) ऊपर लिखी कहावतों का अर्थ गीत की किन पंक्तियों से मिलता-जुलता है?
(ख) इन दोनों कहावतों का अर्थ कहावत-कोश में देखकर समझो और उनका वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर-
(क)
- एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
- एक से मिले तो कतरा, बन जाता जाता है दरिया
एक से एक मिले तो ज़र्रा, बन जाती है सेहरी
एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत
एक से एक मिले तो इंसाँ, बस में कर ले किस्मत।
प्रश्न 2.
नीचे हाथ से संबंधित कुछ मुहावरे दिए गए हैं। इनके अर्थ समझो और प्रत्येक मुहावरे से वाक्य बनाओ-
- हाथ को हाथ न सूझना
- हाथ साफ़ करना
- हाथ-पैर फूलना
- हाथों-हाथ लेना।
- हाथ लगना।
उत्तर-
- बिजली चली जाने के बाद इतना अँधेरा हो गया कि हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था।
- मौका मिलते ही चोर ने गहनों पर अपना हाथ साफ कर दिया।
- पुलिस को देख कर चोर के हाथ-पैर फूल गए।
- नई किताब के बाजार में आते ही सबने उसे हाथों-हाथ लिया।
- तुम नहीं जान सकते कि कितने इंतजार के बाद यह इनामी राशि मेरे हाथ लगी
भाषा की बात
प्रश्न 1.
हाथ और हस्त एक ही शब्द के दो रूप हैं। नीचे दिए गए शब्दों में हस्त और हाथ छिपे हैं। शब्दों को पढ़कर बताओ कि हाथों का इनमें क्या काम है-
हाथघड़ी, हथौड़ा, हस्तशिल्प, हस्तक्षेप, निहत्था, हथकंडा, हस्ताक्षर, हथकरघा
उत्तर
- हाथघड़ी- हाथघड़ी हाथ की कलाई पर पहनी जाती है।
- हथौड़ा- एक ऐसा लोहे का औज़ार है जिसे हाथ से पकड़कर चलाया जाता है।
- हस्तशिल्प- इस शिल्पकारी को हाथ (हस्त) से किया जाता है।
- हस्तक्षेप- बीच-बचाव करने के लिए। इसका अर्थ है दखल देना।
- निहत्था- जिसके हाथ में कोई हथियार न हो, उसे निहत्था कहते हैं।
- हथकंडा- किसी कार्य को पूरा करने के लिए अनुचित तरीका अपनाने को हथकंडा कहते हैं। इसमें भी हाथ का कार्य नहीं है।
- हस्ताक्षर- हाथ से अपना नाम लिखकर किसी कार्य हेतु स्वीकृति देना।
- हथकरघा- हाथ से किए जाने वाले छोटे-मोटे उद्योग धंधे, जैसे चरखा चलाना, कपड़ा बुनना, टोकरी बुनना आदि।
प्रश्न 2.
इस गीत में परबत, सीस, रस्ता, इंसाँ शब्दों के प्रयोग हुए हैं। इन शब्दों के प्रचलित रूप लिखो।
उत्तर
- परबत – पहाड़, पर्वत
- सीस – शीश, सिर, माथा
- रस्ता – रास्ता
- इंसाँ – इंसान, मनुष्य
प्रश्न 3.
“कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना”-
इस वाक्य को गीतकार इस प्रकार कहना चाहता है
(तुमने) कल गैरों की खातिर (मेहनत) की, आज (तुम) अपनी खातिर करना।
इस वाक्य में ‘तुम’ कर्ता है जो गीत की पंक्ति में छंद बनाए रखने के लिए हटा दिया गया है। उपर्युक्त पंक्ति में रेखांकित शब्द ‘अपनी’ का प्रयोग कर्ता ‘तुम’ के लिए हो रहा है, इसलिए यह सर्वनाम है। ऐसे सर्वनाम जो अपने आप के बारे में बताएँ निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। (निज का अर्थ ‘अपना’ होता है।)
निजवाचक सर्वनाम के तीन प्रकार होते हैं जो नीचे दिए वाक्यों में रेखांकित हैं-
मैं अपने आप (या आप) घर चली जाऊँगी।
बब्बन अपना काम खुद करता है।
सुधा ने अपने लिए कुछ नहीं खरीदा।
अब तुम भी निजवाचक सर्वनाम के निम्नलिखित रूपों का वाक्यों में प्रयोग करो।
- अपने को
- अपने से
- अपना
- अपने पर
- अपने लिए
- आपस में
उत्तर-
- अपने को- हमें अपने को दुश्मन से बचाना है।
- अपने पर- मुझे अपने पर भरोसा है।
- अपने से- अपने से बड़े व्यक्तियों की बात मानना चाहिए।
- अपने लिए- हमें अपने लिए कुछ वक्त निकलना चाहिए।
- अपना- आप इसे अपना ही समझिए।
- आपस में- आपस में झगड़े मत करो।
कुछ करने को
प्रश्न 1.
बातचीत करते समय हमारी बातें, हाथ की हरकत से प्रभावशाली होकर दूसरे तक पहुँचती हैं। हाथ की हरकत से या हाथ के इशारे से भी कुछ कहा जा सकता है।
नीचे लिखे हाथ के इशारे किन अवसरों पर प्रयोग होते हैं? लिखो-
- ‘क्यों’ पूछते हाथ
- मना करते हाथ
- समझाते हाथ
- बुलाते हाथ
- आरोप लगाते हाथ
- चेतावनी देते हाथ
- जोश दिखाते हाथ
उत्तर-
- ‘क्यों’ पूछते हाथ- का प्रयोग हम किसी से प्रश्न करते समय करते हैं।
- ‘मना करते हाथ’- किसी की बात को मना करने के लिए किया गया हाथों का प्रयोग।
- बुलाते हाथ- किसी को बुलाने के लिए किया गया हाथों का प्रयोग।
- आरोप लगाते हाथ- किसी पर दोष मढ़ते समय हाथ की ऊँगली का इशारा।
- जोश दिखाते हाथ- जोश दिखाने के लिए दोनों हाथों का इशारा करते हैं।
- समझाते हाथ- हम हाथ के संकेत से समझाते हैं।
- चेतावनी देते हाथ- किसी काम के परिणाम के विषय में आगाह करते समय।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
बहुविकल्पी प्रश्न
(क) ‘साथी हाथ बढ़ाना’ गीत के गीतकार कौन हैं?
(i) विष्णु प्रभाकर
(ii) दिलीप एम. साल्वी
(iii) साहिर लुधियानवी
(iv) सुमित्रानंदन पंत
(ख) किसके सहारे इंसान अपना भाग्य बना सकता है-
(i) धन के
(ii) खेल के
(iii) मेहनत के
(iv) किस्मत के
(ग) गीतकार कहाँ राहें पैदा करने की बात कह रहा है?
(i) समुद्र में
(ii) हवा में
(iii) वन में
(iv) चट्टानों में
(घ) राई का पर्वत कैसे बनता है?
(i) एक से एक मिलते चले जाने पर
(ii) खेत में पैदा होने पर
(iii) व्यापारियों द्वारा खरीदे जाने पर
(iv) वर्षा होने पर साथी हाथ बढ़ाना
(ङ) हमारी मंज़िल क्या है?
(i) सत्य
(ii) झूठ
(iii) छल
(iv) फरेब
उत्तर
(क) (iii)
(ख) (iii)
(ग) (iv)
(घ) (i)
(ङ) (i)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
यह गीत किसको संबोधित है?
उत्तर-
यह गीत देशवासियों को संबोधित है।
प्रश्न 2.
‘साथी हाथ बढ़ाना’ वाक्य किस ओर संकेत करता है?
उत्तर-
साथी हाथ बढ़ाना वाक्य का संकेत है-मिलकर कार्य करना।
प्रश्न 3.
इंसान चाहे तो क्या कर सकता है?
उत्तर-
इंसान चाहे तो चट्टानों में भी रास्ता निकाल सकता है।
प्रश्न 4.
“गैरों’ के लिए हमने क्या किया है?
उत्तर-
‘गैरों’ के लिए हमने अपनी सुख-सुविधाओं की परवाह न करके उनके कार्यों को पूरा किया है।
प्रश्न 5.
हमारा लक्ष्य क्या है?
उत्तर-
हमारा लक्ष्य सत्य की प्राप्ति है। हमें मिल-जुलकर उन्नति के रास्ते पर चलना चाहिए।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
इस गीत का आशय क्या है?
उत्तर-
इस गीत का आशय यह है कि हमें आपस में मिल-जुलकर काम करना चाहिए। अकेला व्यक्ति काम करते-करते थक भी सकता है। संगठन और शक्ति के सामने बड़ी-बड़ी बाधाएँ दूर हो जाती हैं। मिल-जुलकर मेहनत करने से भाग्य भी बदल सकते हैं।
प्रश्न 2.
क्या बिना सहयोग के आगे बढ़ा जा सकता है?
उत्तर-
बिना किसी के सहयोग के अकेले आगे बढ़ना कठिन कार्य है। जीवन में हर पल पर हमें किसी न किसी के मदद की आवश्यकता होती है। इसका समाधान हमारे जीवन में कई लोगों के सहयोग एवं मार्गदर्शन से होता है। अतः बिना सहयोग के आगे बढ़ना असंभव-सा लगता है।
प्रश्न 3.
इस गीत से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर-
इस गीत से हमें प्रेरणा मिलती है कि हमें प्रत्येक कार्य मिल-जुलकर करना चाहिए, परिश्रम से कभी घबराना नहीं चाहिए। और सभी के सुख-दुख में सहयोग देना चाहिए। यह कविता हमें एकता और संगठन की शक्ति के बारे में भी बताती है।