Click here to access the best NCERT Solutions Class 6 Hindi Malhar Chapter 5 Question Answer रहीम के दोहे textbook exercise questions and answers.
रहीम के दोहे Class 6th Hindi Malhar Chapter 5 Question Answer
रहीम के दोहे Class 6 Question Answer
पाठ से
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सबसे सही (सटीक) उत्तर कौन-सा है ? उसके सामने तारा (★) बनाइए—
प्रश्न 1.
“रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल। आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल।” दोहे का भाव है-
• सोच-समझकर बोलना चाहिए।
• मधुर वाणी में बोलना चाहिए।
• धीरे – धीरे बोलना चाहिए।
• सदा सच बोलना चाहिए।
उत्तर:
• सोच-समझकर बोलना चाहिए।
प्रश्न 2.
“रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि । जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।” इस दोहे का भाव क्या है?
• तलवार सुई से बड़ी होती है।
• सुई का काम तलवार नहीं कर सकती।
• तलवार का महत्व सुई से ज्यादा है।
• हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है।
उत्तर:
• हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है।
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने यही उत्तर क्यों चुने?
उत्तर:
- सोच-समझकर बोलना चाहिए ताकि बाद में पछतावा न पड़े।
- हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है अर्थात किसी को उसके रूप, आकार या आर्थिक स्थिति से नहीं आंकना चाहिए क्योंकि प्रत्येक का अपनी-अपनी जगह महत्व होता है।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से कुछ दोहे स्तंभ 1 में दिए गए हैं और उनके भाव स्तंभ 2 में दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और रेखा खींचकर सही भाव से मिलान कीजिए।
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
1. रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय ।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय ।। |
1. सज्जन परहित के लिए ही संपत्ति संचित करते हैं। |
2. कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत ।
बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत।। |
2. सच्चे मित्र विपत्ति या विपदा में भी साथ रहते हैं। |
3. तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान।। |
3. प्रेम या रिश्तों को सहेजकर रखना चाहिए। |
उत्तर:
1. → 3
2. → 2
3. → 1
पंक्तियों पर चर्चा
नीच दिए गए दोहों पर समूह में चर्चा कीजिए और उनके अर्थ या भावार्थ अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए –
(क) “रहिमन बिपदाहू भली, जो थोरे दिन होय ।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय ।। ”
उत्तर:
रहीमदास का मानना है कि थोड़े दिन की विपदा भी भली होती है जो हमें यह बता देती है कि संसार में कौन हमारा हितैषी है और कौन अहितैषी अर्थात कौन हमारा मुश्किल में साथ देने वाला है और कौन नहीं।
(ख) “रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल।
आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल ।”
उत्तर:
रहीमदास का कहना है कि हमारी जीभ बिलकुल बावरी अर्थात पागल जैसी होती है । यह कई बार ऐसा कुछ बोल देती है कि दिमाग को जूते खाने पड़ते हैं अर्थात मनुष्य को पछताना पड़ता है।
सोच-विचार के लिए
दोहों को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
प्रश्न 1.
“रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।”
(क) इस दोहे में ‘मिले’ के स्थान पर ‘जुड़े’ और ‘छिटकाय’ के स्थान पर ‘चटकाय’ शब्द का प्रयोग भी लोक में प्रचलित है। जैसे—
“रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय ।।”
इसी प्रकार पहले दोहे में ‘डारि’ के स्थान पर ‘डार’, ‘तलवार’ के स्थान पर ‘तरवार’ और चौथे दोहे में ‘’मानुष’ के स्थान पर ‘मानस’ का उपयोग भी प्रचलित हैं। ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
डारि के स्थान पर डार तलवारि के स्थान पर तलवार मानुष के स्थान पर मानस आदि शब्दों का प्रयोग थोडी-सी दूरी पर बोली बदल जाने के कारण होता है।
(ख) इस दोहे में प्रेम के उदाहरण में धागे का प्रयोग ही क्यों किया गया है? क्या आप धागे के स्थान पर कोई अन्य उदाहरण सुझा सकते हैं? अपने सुझाव का कारण भी बताइए।
उत्तर:
कवि ने प्रेम के टूटने को धागे द्वारा दर्शाया है कि जिस प्रकार धागा एक बार टूट जाए तो उसे जोड़ने के लिए गाँठ लगानी पड़ती है। ऐसे ही प्रेम संबंधों में दरार आ जाए तो भले ही उन्हें फिर से जोड़ लिया जाए परंतु मन-मुटाव रह ही जाता है। इसे हम अन्य उदाहरणों द्वारा भी समझ सकते है जैसे-
- नदी के जल से एक लोटा पानी ले लिया जाए तो उन्हें दोबारा नदी में मिलाया तो जा सकता है परंतु उसे उसकी सहोदर (मित्र) बूँदों से नहीं मिलाया जा सकता। ऐसे ही किसी से संबंध अगर टूट जाए तो दोबारा वैसे नहीं बन पाते।
- एक टूटे हुए लकड़ी के डंडे को प्रयत्न करके सिल भी लिया जाए तो हम पहले की भाँति उसका प्रयोग नहीं कर सकते। हर बार ध्यान से प्रयोग करना पड़ता है।
- एक कीमती कपड़े के फट जाने पर उसे कितना भी सिल लिया जाए लेकिन मन में उसका फटा होना खटकता ही रहता है।
प्रश्न 2.
“तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिँ न पान ।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान।।”
इस दोहे में प्रकृति के माध्यम से मनुष्य के किस मानवीय गुण की बात की गई है? प्रकृति से हम और क्या-क्या सीख सकते हैं?
उत्तर:
प्रकृति के माध्यम से इस दोहे में मनुष्य के इस मानवीय गुण की बात की गई है कि जैसे पेड़ अपने फल नहीं खाते, सरोवर अपना जल ग्रहण नहीं करते। ऐसे ही सज्जन धन का संचय स्वयं के लिए न करके दूसरों की भलाई के लिए करते हैं। प्रकृति से हम और गुण भी सीख सकते हैं। जैसे-
- नदियों के जल की भाँति निरंतर आगे बढ़ना चाहिए।
- जिस प्रकार तपती गरमी से बचाने के लिए वृक्ष छाया देते हैं, वैसे ही दूसरों के कठिन समय में हमें उनकी मदद करनी चाहिए।
- फूलों की भाँति अपने अच्छे कार्यों की सुगंध चारों ओर बिखेरनी चाहिए।
- सूरज की भाँति अच्छे कार्य करने पर अपना नाम जग में चमकाना चाहिए।
- चाँद की चाँदनी की ठंड कला की भाँति अपने विचारों से सबको प्रभावित करना चाहिए।
- पर्वतों की भाँति अपने विचारों को दृढ़ रखना चाहिए।
- सागर की भाँति अपने हृदय को विशाल बनाना चाहिए। जीवन में अच्छी-बुरी जिन भी घटनाओं का सामना हो उन्हें गहराई से अपने अंदर समेटना चाहिए।
शब्दों की बात
हमने शब्दों के नए-नए रूप जाने और समझे। अब कुछ करके देखें-
• शब्द-संपदा
कविता में आए कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इन शब्दों को आपकी मातृभाषा में क्या कहते हैं? लिखिए।
कविता में आए शब्द | मातृभाषा में समानार्थक शब्द |
तरुवर | |
बिपति | |
छिटकाय | |
सुजान | |
सरवर | |
साँचे | |
कपाल |
उत्तर:
कविता में आए शब्द | मातृभाषा में समानार्थक शब्द |
तरुवर | पेड़ |
बिपति | कष्ट |
छिटकाय | तोड़ना |
सुजान | सज्जन |
सरवर | तालाब |
साँचे | सच्चे |
कपाल | दिमाग |
विशेष- विद्यार्थी अपनी-अपनी मातृभाषा के शब्द भी लिख सकते हैं।
• शब्द एक अर्थ अनेक
“रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।”
इस दोहे में ‘पानी’ शब्द के तीन अर्थ हैं— सम्मान, जल, चमक।
इसी प्रकार कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। आप भी इन शब्दों के तीन-तीन अर्थ लिखिए। आप इस कार्य में शब्दकोश, इंटरनेट, शिक्षक या अभिभावकों की सहायता भी ले सकते हैं।
कल – ________, _________, _________
उत्तर:
कल – आने वाला कल, चैन या शांति, पुर्जा/मशीन
पत्र – ________, _________, _________
उत्तर:
पत्र – पत्ता, चिट्ठी, दल
कर – ________, _________, _________
उत्तर:
कर – हाथ, टैक्स, किरण
फल – ________, _________, _________
उत्तर:
फल – परिणाम, एक खाने का फल (आम), हल का अग्र भाग
पाठ से आगे
आपकी बात
“रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि ।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि ॥”
इस दोहे का भाव है— न कोई बड़ा है और न ही कोई छोटा है। सबके अपने-अपने काम हैं, सबकी अपनी-अपनी उपयोगिता और महत्ता है। चाहे हाथी हो या चींटी, तलवार हो या सुई, सबके अपने-अपने आकार-प्रकार हैं और सबकी अपनी-अपनी उपयोगिता और महत्व है। सिलाई का काम सुई से ही किया जा सकता है, तलवार से नहीं। सुई जोड़ने का काम करती है जबकि तलवार काटने का। कोई वस्तु हो या व्यक्ति, छोटा हो या बड़ा, सबका सम्मान करना चाहिए।
अपने मनपसंद दोहे को इस तरह की शैली में अपने शब्दों में लिखिए | दोहा पाठ से या पाठ से बाहर का हो सकता है।
उत्तर:
बड़े बड़ाई न करै; बड़ो न बोले बोल ।
रहिमन हीरा कब कहैं, लाख मेरो टकै का मोल रहीमदास जी कहते हैं कि जिनमें बड़प्पन होता है वे अपनी बड़ाई स्वयं कभी नहीं करते। उनके कार्य ही उनके कौशल को दर्शा देते हैं। जैसे हीरा कितना भी बहुमूल्य क्यों न हो लेकिन कभी अपने मुँह से अपने बारे में नहीं कहता। हमें भी अपने गुणों को दर्शाना नहीं चाहिए। वे स्वतः ही हमारे कार्यों के माध्यम से सबके समक्ष आ जाते हैं। जैसे- कुशल खिलाड़ी अपने खेल से, बावर्ची अपने स्वादिष्ट पकवानों से अच्छा नर्तक अपने नृत्य से श्रेष्ठ गायक अपने गायन से प्रतिभाशाली विद्यार्थी अपने परिणाम से ही जाना जाता है।
सरगम
• रहीम, कबीर, तुलसी, वृंद आदि के दोहे आपने दृश्य-श्रव्य (टी.वी. रेडियो) माध्यमों से कई बार सुने होंगे। कक्षा में आपने दोहे भी बड़े मनोयोग से गाए होंगे। अब बारी है इन दोहों की रिकॉर्डिंग (ऑडियो या विजुअल) की। रिकॉर्डिंग सामान्य मोबाइल से की जा सकती है। इन्हें अपने दोस्तों के साथ समूह में या अकेले गा सकते हैं। यदि संभव हो तो वाद्ययंत्रों के साथ भी गायन करें। रिकॉर्डिंग के बाद दोहे स्वयं भी सुनें और लोगों को भी सुनाएँ ।
• रहीम, वृन्द, कबीर, तुलसी, बिहारी . आदि के दोहे आज भी जनजीवन में लोकप्रिय हैं। दोहे का प्रयोग लोग अपनी बात पर विशेष ध्यान दिलाने के लिए करते हैं। जब दोहे समाज में इतने लोकप्रिय हैं तो क्यों न इन दोहों को एकत्र करें और अंत्याक्षरी खेलें। अपने समूह मिलकर दोहे एकत्र कीजिए। इस कार्य में आप इंटरनेट, पुस्तकालय और अपने शिक्षकों या अभिभावकों की सहायता भी ले सकते हैं।
आज की पहेली
1. दो अक्षर का मेरा नाम, आता हूँ खाने के काम
उल्टा होकर नाच दिखाऊँ, मैं क्यों अपना नाम बताऊँ।
2. एक किले के दो ही द्वार, उनमें सैनिक लकड़ीदार
टकराएँ जब दीवारों से, जल उठे सारा संसार।
खोजबीन के लिए
रहीम के कुछ अन्य दोहे पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता से पढ़ें, देखें व समझें।
NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 5 अक्षरों का महत्व (Old Syllabus)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
निबंध से
प्रश्न 1.
पाठ में ऐसा क्यों कहा गया है कि अक्षरों के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई?
उत्तर-
अक्षरों की खोज के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई। अब आदमी अपने हिसाब-किताब को लिखकर रखने लगा, जिससे वह ‘सभ्य’ कहा जाने लगा। आदमी के लिखना आरंभ करने से ही इतिहास का आरंभ हुआ और एक पीढ़ी के विचार दूसरी पीढ़ी तक पहुँचने लगे। इसी के साथ विकास गति तेज़ हुई। इस प्रकार एक नए युग की शुरुआत हुई।
प्रश्न 2.
अक्षरों की खोज का सिलसिला कब और कैसे शुरू हुआ? पाठ पढ़कर उत्तर लिखो।
उत्तर-
अक्षरों की खोज का सिलसिला लगभग छह हजार वर्ष पहले शुरू हुआ। इससे पहले व्यक्ति चित्रों के द्वारा अपने भाव व्यक्त करता था। जैसे पशु-पक्षियों, आदमियों के चित्र। बाद में भाव-संकेत अस्तित्व में आए। इसके बाद अक्षरों की खोज
प्रश्न 3.
अक्षरों के ज्ञान से पहले मनुष्य अपनी बात को दूर-दराज के इलाकों तक पहुँचाने के लिए किन-किन माध्यमों का सहारा लेता था?
उत्तर-
मनुष्य अक्षरों की खोज करने से पूर्व अपने संदेशों को दूर-दराज के इलाकों तक पहुँचाने के लिए चित्रों का सहारा लेता था। वह पशु-पक्षियों, आदमियों तथा अन्य वस्तुओं के चित्र बनाकर अपनी बात दूर-दूर के इलाकों में पहुँचाता था। बाद में इन चित्रों ने भाव संकेतों का रूप ले लिया और मनुष्य इनके माध्यम से अपनी बात पहुँचाने लगा।
निबंध से आगे
प्रश्न 1.
अक्षरों के महत्त्व की तरह ध्वनि के महत्त्व के बारे में जितना जानते हो, लिखो।
उत्तर-
अक्षरों द्वारा लिखकर अपने भाव व्यक्त किए जाते हैं और ध्वनियों द्वारा बोलकर। अक्षर और ध्वनि भाषा के दोनों रूपों-लिखित और मौखिक भाषा के मुख्य आधार स्तंभ हैं। अक्षरों के बिना लिखा नहीं जा सकता और ध्वनियों के बिना बोलने की कल्पना नहीं की जा सकती है। कान से सुनी गई प्रत्येक आवाज ध्वनि कहलाती है। अपनी भाषा की सार्थक ध्वनियों के उच्चारण द्वारा ही हम अपना भाव व्यक्त करते हैं इसलिए अक्षरों के समान ही ध्वनियाँ महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 2.
मौखिक भाषा का जीवन में क्या महत्त्व होता है? इस पर शिक्षक के साथ कक्षा में बातचीत करो।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 3.
हर वैज्ञानिक खोज के साथ किसी-न-किसी वैज्ञानिक का नाम जुड़ा होता है, लेकिन अक्षरों के साथ ऐसा नहीं है, क्यों? पता करो और शिक्षक को बताओ।
उत्तर-
यह सत्य है कि हर वस्तु के आविष्कार में किसी न किसी वैज्ञानिक का योगदान रहता है, लेकिन अक्षरों की खोज किसी व्यक्ति विशेष की देन नहीं है। यह मानव जाति के सम्मिलित प्रयास का फल है। अक्षरों का विकास अनेक वर्षों के प्रयास एवं अभ्यास के फलस्वरूप हुआ। इसको किसी एक व्यक्ति ने आविष्कार नहीं किया। अतः इसके साथ किसी वैज्ञानिक का नाम नहीं जुड़ पाया।
प्रश्न 4.
एक भाषा को कई लिपियों में लिखा जा सकता है। उसी तरह कई भाषाओं को एक ही लिपि में लिखा जा सकता है। नीचे एक ही बात को अलग-अलग भाषाओं में लिखा गया है। इन्हें ध्यान से देखो और इनमें दिए गए वर्गों की मदद से कोई नया शब्द बनाने की कोशिश करो
उत्तर-
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1.
पुराने ज़माने में लोग यह क्यों सोचते थे कि अक्षर और भाषा की खोज ईश्वर ने की थी? अनुमान लगाओ और बताओ?
उत्तर-
पुराने जमाने के लोग नहीं जानते थे कि अक्षरों की खोज किसने की है। उनका ज्ञान सीमित था। उनकी ईश्वर के प्रति निष्ठा अधिक थी। उन्हें यह भी अनुमान नहीं रहा होगा कि अक्षरों की खोज मानव भी कर सकता है। वे ईश्वर को सर्वशक्तिमान मानते थे। पुराने जमाने के लोगों का विचार रहा होगा कि मानव इतना ज्ञानवान नहीं हो सकता कि वह अक्षरों की खोज कर सकता है। इसलिए वे सोचते होंगे कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की थी।
प्रश्न 2.
अक्षरों के महत्त्व के साथ ही मनुष्य के जीवन के गीत, नृत्य और खेलों का भी महत्व है। कक्षा में समूह में बातचीत करके उनके महत्त्व के बारे में जानकारी इकट्ठी करो और कक्षा में प्रस्तुत करो।
उत्तर-
जीवन में गीत, नृत्य और खेलों का भी बहुत महत्त्व है। गीत, नृत्य हमारा सांस्कृतिक विकास करते हैं। संगीत में तीन विद्याएँ शामिल हैं-गायन, ताल-सुर और नृत्य। संगीत को श्रेष्ठ कलाओं में रखा गया है। इसी प्रकार खेल-कूद को भी मानवीय विकास में महत्त्वपूर्ण माना गया है। इनकी मदद से हम अपनी अभिव्यक्ति को पूर्णता देते हैं। खेलों से हम स्वस्थ रहते हैं और हमारा शारीरिक और मानसिक विकास होता है। खेल हममें सहयोग, एकजुटता, सहनशीलता, नेतृत्व गुण आदि को विकसित करते हैं।
प्रश्न 3.
क्या होता अगर…
(क) हमारे पास अक्षर न होते
(ख) भाषा न होती
उत्तर-
(क) अगर हमें अक्षरों का ज्ञान न होता तो हम आज भी हज़ारों वर्ष पहले वाली दुनिया में भटकते। भावों, विचारों को लिखकर व्यक्त न कर पाते। तब हम अपना ज्ञान अगली पीढ़ी तक नहीं पहुँचा पाते और हमारा पूर्ण विकास नहीं हो पाता। हम वहाँ तक नहीं पहुँच पाते, जहाँ आज हैं। भाषा भावों को प्रकट करने का साधन है।
(ख) भाषा नहीं होती तो हम अपने विचारों को न तो बोलकर और न लिखकर दूसरों पर प्रकट कर पाते। हमारा सामाजिक दायरा बढ़ नहीं पाता और अलगाव बना रहता। जैसे पशु साथ रहकर भी अलग रहते हैं, वैसी स्थिति मनुष्य की भी होती।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
अनादि काल में रेखांकित शब्द का अर्थ है जिसकी कोई शुरु आत या आदि न हो। यह शब्द मूल शब्द के शुरू में कुछ जोड़ने से बना है। इसे उपसर्ग कहते हैं। इन उपसर्गों को अलग करके मूल शब्दों को लिखकर उनका अर्थ समझो-
असफल ……….
अदृश्य …………
अनुचित ……….
अनावश्यक ………
अपरिचित ………..
अनिच्छा …………
उत्तर
प्रश्न 2.
वैसे तो संख्याएँ संज्ञा होती हैं पर कभी-कभी ये विशेषण का काम भी करती हैं, जैसे नीचे लिखे वाक्य में-
- हमारी धरती लगभग पाँच अरब साल पुरानी है।
- कोई दस हजार साल पहले आदमी ने गाँवों को बसाना शुरू किया।
इन वाक्यों में रेखांकित अंश ‘साल’ संज्ञा के बारे में विशेष जानकारी दे रहे हैं, इसलिए संख्यावाचक विशेषण हैं। संख्यावाचक विशेषण का इस्तेमाल उन्हीं चीजों के लिए होता है जिन्हें गिना जा सके, जैसे– चार संतरे, पाँच बच्चे, तीन शहर आदि। पर यदि किसी चीज़ को गिना नहीं जा सकती तो उसके साथ संख्या वाले शब्दों के अलावा मापतोल आदि के शब्दों का इस्तेमाल भी किया जाता है-
- तीन जग पानी
- एक किलो चीनी
यहाँ रेखांकित हिस्से परिमाणवाचक विशेषण हैं, क्योंकि इनका संबंध मापतोल से है। अब आगे लिखे हुए को पढ़ो। खाली स्थानों में बाक्स में दिए गए मापतोल के उचित शब्द छाँटकर लिखो।
प्याला कटोरी एकड़ मीटर लीटर किलो ट्रक चम्मच
- तीन ………….. खीर
- दो …………. जमीन
- छह ………….. कपड़ा
- एक …………. रेत
- दो …………… कॉफ़ी
- पाँच …………… बाजरा
- एक ………….. दूध
- तीन ………….. तेल
उत्तर
- तीन कटोरी खीर
- दो एकड़ जमीन
- छह मीटर कपड़ा
- दो कप कॉफ़ी
- एक ट्रक रेत
- पाँच किलो बाजरा
- एक लीटर दूध
- तीन चम्मच तेल
कुछ करने को
प्रश्न 1.
अपनी लिपि के कुछ अक्षरों के बारे में जानकारी इकट्ठी करो-
(क) जो अब प्रयोग में नहीं रहे।
(ख) प्रचलित नए अक्षर जो अब प्रयोग में आ गए हैं।
उत्तर-
(क) जो प्रयोग में अब नहीं हैं- क्त, झ, ञ
(ख) नए अक्षर अब प्रयोग में हैं- अ, झ, ख, ल
प्रश्न 2.
लिखित और मौखिक भाषा के हानि-लाभ के बारे में दोस्तों के बीच चर्चा करो।
उत्तर-
लिखित भाषा स्थायी रूप है। इससे ज्ञान-विज्ञान सुरक्षित रहता है। इसके द्वारा हम जो कहते हैं या करते हैं उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है। लिखित भाषा के द्वारा ही हम अपने विचार दूर-दराज के इलाकों में भेज सकते हैं। लिखित भाषा लंबे समय तक सुरक्षित रहती है। उसके माध्यम से इतिहास का पता चलता है। इसी भाषा के चलते ज्ञान का अथाह भंडार संचित और प्रसारित होता है। लिखित भाषा ही हमारे जीवन को सभ्य, नियमित और अनुशासित करने में सहायक होती है। मौखिक भाषा सहज है। यह भाषा का मूल रूप है।
मौखिक भाषा का रिकॉर्ड नहीं रखा जाता है और न ही इसके एक पीढ़ी के द्वारा प्राप्त किए गए ज्ञान को दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाया जा सकता है। इसलिए मौखिक भाषा का क्षेत्र सीमित होता है। यह सिर्फ दो व्यक्ति के बीच संवाद कर सकती है।
प्रश्न 3.
अक्षर ध्वनियों (स्वरों और व्यंजनों) के प्रतीक होते हैं। उदाहरण के लिए ‘हिंदी’, ‘उर्दू’ और ‘बाँग्ला’ आदि शब्दों में प्रत्येक अक्षर के लिए उसकी ध्वनि निर्धारित है। कुछ चित्रों से भी संकेत व्यक्त होते हैं। नीचे कुछ चित्र दिए गए हैं। उनसे क्या संकेत व्यक्त होते हैं, बताओ-
उत्तर-
(क) पहला चित्र-आगे स्कूल होने का संकेत
(ख) दूसरा चित्र-वृत्त (सर्किल) के बाईं ओर जाने का संकेत
(ग) तीसरा चित्र-सड़क दाईं ओर घूम रही है।
(घ) चौथा चित्र-सड़क बाईं ओर घूम रही है।
प्रश्न 4.
अपने आस-पास के किसी मूक-बधिर बच्चों के स्कूल में जाकर कुछ समय बिताओ और अपने अनुभव लिखो।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
अन्य पाटोतर हल प्रश्न
बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर
(क) अक्षरों की खोज का सिलसिला लगभग कब शुरू हुआ?
(i) एक हजार साल पहले
(ii) दस हजार साल पहले
(iii) छह हजार साल पहले
(iv) दो हजार साल पहले
(ख) धरती कितने साल पुरानी है?
(i) चार अरब साल
(ii) पाँच अरब साल
(iii) तीन अरब साल
(iv) छह हजार साल
(ग) गाँवों का विकास कितने वर्ष पूर्व हुआ?
(i) आठ हजार
(ii) बारह हज़ार
(iii) छह हज़ार
(iv) दस हज़ार
(घ) अक्षर ज्ञाने से पहले मनुष्य किस प्रकार संदेश भेजता था?
(i) आवाज रिकार्ड करके
(ii) चिल्लाकर
(iii) चित्रों के माध्यम से
(iv) घंटी बजाकर
(ङ) स्थायी भाषा कौन-सी है?
(i) मौखिक
(ii) लिखित
(iii) सांकेतिक
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क) (iii)
(ख) (ii)
(ग) (iv)
(घ) (ii)
(ङ) (iv)
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
अब तक दुनिया में कितनी पुस्तकें छप चुकी हैं?
उत्तर-
दुनिया में अब तक करोड़ों पुस्तकें छप चुकी हैं।
प्रश्न 2.
धरती का अस्तित्व कब से है?
उत्तर-
धरती का अस्तित्व लगभग पाँच अरब साल पहले से है।
प्रश्न 3.
आदमी ने गाँवों में रहना कब से शुरू किया?
उत्तर-
करीब दस हज़ार वर्ष पहले आदमी ने गाँवों में रहना शुरू किया।
प्रश्न 4.
मनुष्य से पहले इस धरती पर किसका राज्य रहा?
उत्तर-
धरती पर करोड़ों साल तक केवल जानवरों और वनस्पतियों का राज्य रहा।
प्रश्न 5.
सूर्य का चित्र किसका द्योतक बन गया?
उत्तर-
आगे चलकर सूर्य का चित्र ‘ताप’ या ‘धूप’ का द्योतक बन गया।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
पाठ में ऐसा क्यों कहा गया है कि अक्षरों के साथ नए युग की शुरुआत हुई?
उत्तर-
अक्षरों की खोज के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई। आदमी अपने विचार एवं अपने हिसाब-किताब को लिखकर रखने लगा। तब से मानव को ‘सभ्य’ कहा जाने लगा। आदमी ने जब से लिखना शुरू किया, तब से ‘इतिहास’ आरंभ हुआ और एक पीढ़ी के विचार दूसरी पीढ़ी तक पहुँचने लगे, जिससे एक नए युग की शुरुआत हुई।
प्रश्न 2.
अक्षरों की खोज का सिलसिला कब और कैसे शुरू हुआ? पाठ पढ़कर उत्तर लिखिए।
उत्तर-
अक्षरों की खोज का सिलसिला लगभग छह हज़ार साल पहले शुरू हुआ। अक्षर बनाने से पहले मनुष्य अपने भाव पशु, पक्षियों और आदमियों के चित्रों के माध्यम से प्रकट करता था।
प्रश्न 3.
आज हज़ारों पुस्तकें और समाचार-पत्र छपने लगे हैं। यह कैसे संभव हुआ?
उत्तर-
आज हजारों पुस्तकें, समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ हमें उपलब्ध हैं। इसकी उपलब्धि अक्षर-खोज के कारण ही संभव हो पाया है। यदि अक्षर खोज न होता, तो आज हज़ारों पुस्तकें, समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ छप नहीं पाते। इस स्थिति में मनुष्य मौखिक भाषा का ही प्रयोग करता रहता।
प्रश्न 4.
अक्षरों के ज्ञान से पूर्व मनुष्य अपनी बात को दूर दराज के इलाकों तक पहुँचाने के लिए किन-किन माध्यमों का सहारा लेता था?
उत्तर-
अक्षरों के ज्ञान से पूर्व मनुष्य अपनी बात को दूर दराज़ इलाकों तक पहुँचाने के लिए कई तरीके अपनाए थे। उनमें चित्रों के जरिए अपने भाव व्यक्त करना था। जैसे-पशु, पक्षियों, व्यक्तियों के चित्र।