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NCERT Class 6 Hindi Malhar Chapter 2 Question Answer गोल

July 30, 2024 by phani

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गोल Class 6th Hindi Malhar Chapter 2 Question Answer

गोल Class 6 Question Answer

पाठ से

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए-

प्रश्न 1.
“दोस्त, खेल में इतना गुस्सा अच्छा नहीं। मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है। अगर तुम मुझे हॉकी नहीं मारते तो शायद मैं तुम्हें दो ही गोल से हराता।” मेजर ध्यानचंद की इस बात से उनके बारे में क्या पता चलता है?
• वे अत्यंत क्रोधी थे।
• वे अच्छे ढंग से बदला लेते थे।
• उन्हें हॉकी से मारने पर वे अधिक गोल करते थे।
• वे जानते थे कि खेल को सही भावना से खेलना चाहिए।
उत्तर:
• वे जानते थे कि खेल को सही भावना से खेलना चाहिए।

प्रश्न 2.
लोगों ने मेजर ध्यानचंद को ‘हॉकी का जादूगर’ कहना क्यों शुरू कर दिया?
• उनके हॉकी खेलने के विशेष कौशल के कारण
• उनकी हॉकी स्टिक की अनोखी विशेषताओं के कारण
• हॉकी के लिए उनके विशेष लगाव के कारण
• उनकी खेल भावना के कारण
उत्तर:
• उनके हॉकी खेलने के विशेष कौशल के कारण

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर:
विद्यार्थी के स्वयं करने के लिए।

NCERT Class 6 Hindi Malhar Chapter 2 Question Answer गोल

मिलकर करें मिलान

पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
NCERT Class 6 Hindi Malhar Chapter 2 Question Answer गोल 2

शब्द अर्थ या संदर्भ
1. लांस नायक 1. स्वतंत्रता से पहले सूबेदार भारतीय सैन्य अधिकारियों का दूसरा सबसे बड़ा पद था।
2. बर्लिन ओलंपिक 2. भारतीय सेना का एक पद (रैंक) है।
3. पंजाब रेजिमेंट 3. सैनिकों के रहने का क्षेत्र।
4. सैंपर्स एंड माइनर्स टीम 4. वर्ष 1936 में जर्मनी के बर्लिन शहर में आयोजित ओलंपिक खेल प्रति-योगिता, जिसमें 49 देशों ने भाग लिया था।
5. सूबेदार 5. स्वतंत्रता से पहले अंग्रेजों की भारतीय सेना का एक दल ।
6. छावनी 6. अंग्रेजों के समय का एक हॉकी दल ।

उत्तर-
1. → 2
2. → 4
3. → 5
4. → 6
5. → 1
6. → 3

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार कक्षा में अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

(क) “बुरा काम करने वाला आदमी हर समय इस बात से डरता रहता है कि उसके साथ भी बुराई की जाएगी।”
उत्तर:
यदि कोई व्यक्ति किसी को बुरा-भला कहता है, गलत व्यवहार करता है या किसी भी प्रकार की चोट पहुँचाता है तो उसे अपने अंतर्मन से ग्लानि का अहसास होता है। उसे ऐसा लगता है कि उसके साथ भी कभी भी कुछ बुरा घटित हो सकता है या जिसका बुरा उसने किया है, वह भी किसी-न-किसी रूप में उससे बदला अवश्य लेगा। जैसे – ध्यानचंद जब ‘पंजाब रेजिमेंट’ की ओर से ‘सैं पर्स एंड माइनर्स’ टीम के साथ खेल रहे थे तो उनसे मुकाबला न कर पाने पर एक खिलाड़ी ने उनके सिर पर स्टिक दे मारी। लेकिन थोड़ी देर के बाद जब मेजर ध्यानचंद सिर पर पट्टी बाँधकर फिर से खेलने आ गए तो वह मन-ही-मन डरने लगा।

(ख) “मेरी तो हमेशा यह कोशिश रहती कि मैं गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साथी खिलाड़ी को दे दूँ ताकि उसे गोल करने का श्रेय मिल जाए। अपनी इसी खेल भावना के कारण मैंने दुनिया के खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया।”
उत्तर:
इन पंक्तियों में ध्यानचंद के व्यक्तित्व की यह भावना उजागर होती है कि वे अपनी टीम में अपने साथियों का भी पूरा सम्मान करते थे। टीम की जीत का श्रेय केवल स्वयं न लेकर पूरी टीम को दिलाना चाहते थे। इसी कारण गोल के पास ले जाकर गेंद अपने किसी साथी खिलाड़ी को दे देते थे ताकि वह भी गोल कर सके। उनकी इसी खेल भावना के कारण लोग उन्हें पसंद करते थे। ध्यानचंद ने अपने शब्दों में भी कहा है कि खेलते समय में इस बात का ध्यान रखता हूँ कि हार या जीत मेरी नहीं, बल्कि पूरे देश की है।

सोच-विचार के लिए

संस्मरण को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-

(क) ध्यानचंद की सफलता का क्या रहस्य था?
उत्तर:
ध्यानचंद की सफलता का रहस्य था उनकी खेल के प्रति सच्ची लगन, साधना और खेल भावना। उन्होंने जब हॉकी खेलना शुरू किया तो वे बिल्कुल नौसिखिए थे। धीरे-धीरे अभ्यास से उनके खेल में निखार आता गया और उनको तरक्की भी मिलती गई। हॉकी सीखने के लिए कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी वे निरंतर प्रयासरत रहे। 1936 में वे बर्लिन ओलंपिक टीम के कप्तान बने और अपने हॉकी खेलने के ढंग से लोगों को इतना प्रभावित किया कि ‘हॉकी के जादूगर’ कहलाए।

(ख) किन बातों से ऐसा लगता है कि ध्यानचंद स्वयं से पहले दूसरों को रखते थे?
उत्तर:
यह कथन सत्य है कि ध्यानचंद स्वयं से पहले दूसरों को रखते थे। वे गेंद को अपने साथियों के पास ले जाते थे ताकि वे गोल कर सकें। जीत का श्रेय केवल स्वयं न लेकर टीम को देना चाहते थे। दूसरी ओर इस बात का भी सदा ध्यान रखते थे कि हार या जीत उनकी नहीं पूरे देश की हो। जो यह दर्शाता है कि वे सच्चे देशप्रेमी थे।

संस्मरण की रचना

“उन दिनों में मैं, पंजाब रेजिमेंट की ओर से खेला करता था । ”
इस वाक्य को पढ़कर ऐसा लगता है मानो लेखक आपसे यानी पाठक से अपनी यादों को साझा कर रहा है। ध्यान देंगे तो इस पाठ में ऐसी और भी अनेक विशेष बातें आपको दिखाई देंगी। इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए ।

(क) अपने-अपने समूह में मिलकर इस संस्मरण की विशेषताओं की सूची बनाइए।
उत्तर:
विद्यार्थी के स्वयं करने योग्य ।

(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी के स्वयं करने योग्य।

शब्दों के जोड़े, विभिन्न प्रकार के

(क) “जैसे-जैसे मेरे खेल में निखार आता गया, वैसे-वैसे मुझे तरक्की भी मिलती गई।”
इस वाक्य में ‘जैसे-जैसे’ और ‘वैसे-वैसे’ शब्दों के जोड़े हैं जिनमें एक ही शब्द दो बार उपयोग में लाया गया है। ऐसे जोड़ों को ‘शब्द-युग्म’ कहते हैं। शब्द-युग्म में दो शब्दों के बीच में छोटी-सी रेखा लगाई जाती है जिसे योजक चिह्न कहते हैं। योजक यानी जोड़ने वाला। आप भी ऐसे पाँच शब्द-युग्म लिखिए।
उत्तर:
(क) रख-रखाव
(ख) साज-सज्जा
(ग) खान-पान
(ङ) टेढ़ी-मेढ़ी
(घ) चाल-चलन

(ख) “खेल के मैदान में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक की घटनाएँ होती रहती हैं।”
इस वाक्य में भी आपको दो शब्द-युग्म दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इन शब्द-युग्मों के दोनों शब्द भिन्न-भिन्न हैं, एक जैसे नहीं हैं। आप भी ऐसे पाँच शब्द-युग्म लिखिए जिनमें दोनों शब्द भिन्न-भिन्न हों।
उत्तर:
(क) ज्यों-ज्यों नदी का जल बढ़ता गया, त्यों-त्यों लोग गाँव छोड़कर जाते रहे।
(ख) जब-जब देश पर विपदा आती है, तब-तब सरकार सहायता अवश्य करती है।
(ग) बूँद-बूँद टपकनें से भी सारा कमरा पानी-पानी हो गया।
(घ) राम-राम रटते रटते वह ईश्वर का भक्त बन गया।
(ङ) धीरे-धीरे साफ़-सफ़ाई करके माँ ने घर का कोना-कोना चमका डाला।

(ग) “हार या जीत मेरी नहीं, बल्कि पूरे देश की है।”
“आज मैं जहाँ भी जाता हूँ बच्चे व बूढ़े मुझे घेर लेते हैं।”
उत्तर:
“हार या जीत मेरी नहीं, बल्कि पूरे देश की है।”
“आज मैं जहाँ भी जाता हूँ बच्चे व बूढ़े मुझे घेर लेते हैं।”

इन वाक्यों में जिन शब्दों के नीचे रेखा खिंची है, उन्हें ध्यान से पढ़िए। हम इन शब्दों को योजक की सहायता से भी लिख सकते हैं, जैसे- हार-जीत, बच्चे-बूढ़े आदि ।
आप नीचे दिए गए शब्दों को योजक की सहायता से लिखिए—

• अच्छा या बुरा
उत्तर:
अच्छा या बुरा – अच्छा-बुरा

• छोटा या बड़ा
उत्तर:
छोटा या बड़ा – छोटा-बड़ा

• अमीर और गरीब
उत्तर:
अमीर और गरीब – अमीर-गरीब

• उत्तर और दक्षिण
उत्तर:
उत्तर और दक्षिण – उत्तर – दक्षिण

• गुरु और शिष्य
उत्तर:
गुरु और शिष्य – गुरु-शिष्य

• अमृत या विष
उत्तर:
अमृत या विष – अमृत-विष

NCERT Class 6 Hindi Malhar Chapter 2 Question Answer गोल

बात पर बल देना

“मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है। ”
“मैंने तो अपना बदला ले लिया है। ”

इन दोनों वाक्यों में क्या अंतर है? ध्यान दीजिए और बताइए। सही पहचाना ! दूसरे वाक्य में एक शब्द कम है। उस एक शब्द के न होने से वाक्य के अर्थ में भी थोड़ा अंतर आ गया है।

हम अपनी बात पर बल देने के लिए कुछ विशेष शब्दों का प्रयोग करते हैं जैसे— ‘ही’, ‘भी’, ‘तो’ आदि। पाठ में से इन शब्दों वाले वाक्यों को चुनकर लिखिए। ध्यान दीजिए कि यदि उन वाक्यों में ये शब्द न होते तो उनके अर्थ पर इसका क्या प्रभाव पड़ता।
उत्तर:
बात पर बल देने वाले शब्द ‘निपात’ कहलाते हैं।
(क) मेरे इतना कहते ही खिलाड़ी घबरा गया।
(ख) अब हर समय मुझे ही देखते रहना ।
(ग) अगर तुम मुझे हॉकी नहीं मारते तो शायद मैं तुम्हें दो ही गोल से हराता ।
(घ) तो देखा आपने मेरा बदला लेने का ढंग ।
(ङ) उसके साथ भी बुराई की जाएगी।
(च) मैं जहाँ भी जाता हूँ बच्चे व बूढ़े मुझे घेर लेते हैं।
(छ) लगन, साधना और खेल भावना ही सफलता का सबसे बड़ा मूलमंत्र है।
यदि वाक्यों में ‘ही’ ‘भी’ ‘तो’ आदि शब्दों का प्रयोग न किया जाए तो ये सामान्य वाक्य का रूप ले लेते हैं और ये शब्द वाक्य को प्रभावी बनाते हैं।

पाठ से आगे

आपकी बात

(क) ध्यानचंद के स्थान पर आप होते तो क्या आप बदला लेते? यदि हाँ, तो बताइए कि आप बदला किस प्रकार लेते?
उत्तर:
यदि मैं ध्यानचंद के स्थान पर होता तो मुझे अपने प्रतिद्वंदी पर क्रोध तो आता और पलटकर बदला लेने की इच्छा भी होती। एक खिलाड़ी होने के नाते स्वयं पर संयम रखता क्योंकि हार-जीत होना खेल का नियम होता है।
मारपीट या ईर्ष्या करने वाला खिलाड़ी कभी सच्चा खिलाड़ी नहीं हो सकता, यह सोचकर चुप रहता ।

(ख) आपको कौन-से खेल और कौन-से खिलाड़ी सबसे अधिक अच्छे लगते हैं? क्यों?
उत्तर:
विद्यार्थी अपने मनपसंद खेल और खिलाड़ियों के नाम लिखें।

समाचार-पत्र से

(क) क्या आप समाचार-पत्र पढ़ते हैं? समाचार-पत्रों में प्रतिदिन खेल के समाचारों का एक पृष्ठ प्रकाशित होता है। अपने घर या पुस्तकालय से पिछले सप्ताह के समाचार पत्रों को देखिए। अपनी पसंद का एक खेल-समाचार अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

(ख) मान लीजिए कि आप एक खेल संवाददाता हैं और किसी खेल का आँखों देखा प्रसारण कर रहे हैं। अपने समूह के साथ मिलकर कक्षा में उस खेल का आँखों देखा हाल प्रस्तुत कीजिए। (संकेत—इस कार्य में आप आकाशवाणी या दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले खेल-प्रसारणों की कमेंटरी की शैली का उपयोग कर सकते हैं। बारी-बारी से प्रत्येक समूह कक्षा में सामने डेस्क या कुर्सियों पर बैठ जाएगा और पाँच मिनट के लिए किसी खेल के सजीव प्रसारण की कमेंटरी का अभिनय करेगा।)
उत्तर:
नोट- मनोरंजन एवं बौद्धिक भाग विद्यार्थियों के स्वयं करने योग्य ।

डायरी का प्रारंभ

कुछ लोग प्रतिदिन थोड़ी-थोड़ी बातें किसी स्थान पर लिख लेते हैं। जो वे सोचते हैं, या जो उनके साथ उस दिन हुआ या जो उन्होंने देखा, उसे ईमानदारी से लिख लेते हैं या टाइप कर लेते हैं। इसे डायरी लिखना कहते हैं।
क्या आप भी अपने मन की बातों और विचारों को लिखना चाहते हैं? यदि हाँ, तो आज से ही प्रारंभ कर दीजिए—

  • आप जहाँ लिखेंगे, वह माध्यम चुन लीजिए। आप किसी लेखन – पुस्तिका में या ऑनलाइन मंचों पर लिख सकते हैं।
  • आप प्रतिदिन, कुछ दिनों में एक बार या जब कुछ लिखने का मन करे तब लिख सकते हैं।
  • शब्दों या वाक्यों की कोई सीमा नहीं है चाहे दो वाक्य हों या दो पृष्ठ । आप जो मन में आए उसे उचित और शालीन शब्दों में लिख सकते हैं।

आज की पहेली

यहाँ एक रोचक पहेली दी गई है। इसमें आपको तीन खिलाड़ी दिखाई दे रहे हैं। आपको पता लगाना है कि कौन-से खिलाड़ी द्वारा गोल किया जाएगा-
NCERT Class 6 Hindi Malhar Chapter 2 Question Answer गोल 3

झरोखे से

आपने भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी के बारे में बहुत-कुछ बात की होगी। अब हम हॉकी जैसे ही अनोखे खेल के बारे में पढ़ेंगे जिसे आप जैसे लाखों बच्चे अपने गली-मुहल्लों में खेलते हैं। इस खेल का नाम है — डाँडी या गोथा ।

डाँडी या गोथा

यह भील-भिलाला बच्चों का खेल है। ‘डाँडी’ और ‘गोथा’ शब्द का अर्थ एक ही है- खेलने की हाथ-लकड़ी। देखा जाए तो यह खेल काफी-कुछ हमारे राष्ट्रीय खेल हॉकी जैसा है। अंतर बस इतना है कि हॉकी में गोल करने के लिए गोलपोस्ट होते हैं, जबकि इस खेल में ऐसा कोई निर्धारण नहीं है। दूसरा अंतर यह है कि भील-भिलाला बच्चों की यह गेंद, हॉकी की अपेक्षा एकदम साधारण होती है। यह बाँस की बनी होती है।

खेल सामग्री

1. बाँस के गुट्टे की गेंद जिसे ‘दुईत’ कहते हैं।

2. ‘गोथा’ यानी अंग्रेजी के ‘L’ अक्षर की तरह नीचे से मुड़ी हुई बाँस की डंडियाँ।

NCERT Class 6 Hindi Malhar Chapter 2 Question Answer गोल

3. राख से खेल के मैदान में सीमांकन करना और घेरे के भीतर एक छोटा वृत्त बनाना।

कैसे खेलें

NCERT Class 6 Hindi Malhar Chapter 2 Question Answer गोल 4

1. वैसे तो इसे चाहे जितने खिलाड़ी खेल सकते हैं, मगर दोनों दलों में कम से कम दो-दो खिलाड़ी हों।

2. टॉस करना। टॉस जीतने वाला दल खेल प्रारंभ करेगा।

3. गेंद को छोटे घेरे या वृत्त में रखना। हमला करने वाले दल के खिलाड़ी खेल प्रारंभ होते ही बॉल को पीटते हुए बचाव दल के दायरे में दूर तक ले जाना चाहते हैं।

4. दोनों दलों के एक-एक खिलाड़ी अपनी-अपनी तरफ की ‘डी’ में खड़े रहते हैं। वे प्रयास करते हैं कि गेंद रेखा पार न करे।

5. खिलाड़ी डाँडी या गोथा के दोनों ओर से खेल सकते हैं, जबकि ऐसी सुविधा हॉकी के खेल में नहीं है।

6. बाकी सारा खेल हॉकी के खेल के समान होता है। प्रश्न उठता है कि इस खेल में गोलपोस्ट नहीं होते यानी गोल करने का मामला नहीं बनता, तो हार-जीत क निर्णय कैसे किया जाता है? उत्तर यह है कि जो दल गेंद को अधिक से अधिक बार विरोधी के पाले में ढकेलता है, वही बलवान है और इसलिए विजयी भी।

7. खेल के दो विशेष नियम हैं। पहला, गेंद को शरीर के किसी भी अंग से न छूना, न रोकना। दूसरा, गेंद को हवाई शॉट न मारना और न उसे हवा में शॉट खेलकर साथी खिलाड़ी को पास देना। बाकी लकड़ी से आप गेंद को रोक सकते हैं या हिट कर सकते हैं। आगे जैसा कि बता चुके हैं, जो दल बीच की रेखा को पार करके विरोधी दल के क्षेत्र में अधिक से अधिक दबाव या प्रवेश बनाए रखता है, वह विजयी होता है। विशेष—यह खेल होली का त्योहार आने के कुछ दिन पहले से खेला जाता है। अंत में जिस दिन होलिका जलाई जाती है, उस दिन ये दुइत और गोथे (गेंद और डंडे) आग में डाल दिए जाते हैं।

साझी समझ

(क) आपने इस खेल के नियम पढ़कर अच्छी तरह समझ लिए हैं। अब अपने मित्रों के साथ मिलकर ‘डाँडी’ या ‘गोथा’ खेल खेलिए ।

(ख) आप भी ‘डाँडी’ या ‘गोथा’ जैसे अनेक स्वदेशी खेल अपने मित्रों के साथ मिलकर अपने विद्यालय, घर या मोहल्ले में खेलते होंगे। अब आप ऐसे ही किसी एक खेल के नियम इस प्रकार से लिखिए कि उन्हें पढ़कर कोई भी बच्चा उस खेल को समझ सके और खेल सके।

खोजबीन के लिए

नीचे ध्यानचंद जी के विषय में कुछ सामग्री दी गई है जैसे— फिल्में, साक्षात्कार आदि, इन्हें पुस्तक में दिए गए क्यू.आर. कोड की सहायता से पढ़ें, देखें व समझें।

  • हॉकी के जादूगर – मेजर ध्यानचंद – प्रेरक गाथाएँ
  • हॉकी के जादूगर- मेजर ध्यानचंद
  • ओलंपिक
  • मेजर ध्यानचंद से साक्षात्कार

पढ़ने के लिए

एक दौड़ ऐसी भी

कई साल पहले ओलंपिक खेलों के दौरान एक विशेष दौड़ होने जा रही थी। सौ मीटर की इस दौड़ में एक आश्चर्यजनक घटना हुई। नौ प्रतिभागी आरंभिक रेखा पर तैयार खड़े थे। उन सभी को कोई-न-कोई शारीरिक विकलांगता थी।

सीटी बजी, सभी दौड़ पड़े। बहुत तीव्र तो नहीं, पर उनमें जीतने की होड़ अवश्य तेज़ थी। सभी जीतने की उत्सुकता के साथ आगे बढ़े। सभी, बस एक छोटे से लड़के को छोड़कर। तभी छोटा लड़का ठोकर खाकर लड़खड़ाया, गिरा और रो पड़ा।

उसकी पुकार सुनकर बाकी प्रतिभागी दौड़ना छोड़ देखने लगे कि क्या हुआ? फिर एक-एक करके वे सब उस बच्चे की सहायता के लिए उसके पास आने लगे। सब के सब लौट आए। उसे दोबारा खड़ा किया। उसके आँसू पोंछे, धूल साफ़ की। वह छोटा लड़का एक ऐसी बीमारी से ग्रस्त था, जिसमें शरीर के अंगों की बढ़त धीमी होती है और उनमें तालमेल की कमी भी रहती है।

फिर तो सारे बच्चों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा और साथ मिलकर दौड़ लगाई और सब के सब अंतिम रेखा तक एक साथ पहुँच गए। दर्शक मंत्रमुग्ध होकर देखते रहे, इस प्रश्न के साथ कि सब के सब एक साथ यह दौड़ जीते हैं, इनमें से किसी एक को स्वर्ण पदक कैसे दिया जा सकता है? निर्णायकों ने सबको स्वर्ण पदक देकर समस्या का बढ़िया हल ढूँढ़ निकाला। उस दिन मित्रता का अनोखा दृश्य देख दर्शकों की तालियाँ थमने का नाम नहीं ले रही थीं।

NCERT Class 6 Hindi Malhar Chapter 2 Question Answer गोल 5

NCERT Solutions for Class 6 Hindi Chapter 2 बचपन (Old Syllabus)

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

संस्मरण से

प्रश्न 1.
लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या-क्या काम करती थी ं?
उत्तर-
बचपन में इतवार की सुबह लेखिका अपने मोजे धोती थी, फिर जूतों पर पॉलिश करके उसे कपड़े या ब्रश से रगड़कर चमकाती थी।

प्रश्न 2.
‘तुम्हें बताऊँगी कि हमारे समय और तुम्हारे समय में कितनी दूरी हो चुकी है।’-इस बात के लिए लेखिका क्या-क्या उदाहरण देती हैं?
उत्तर-
लेखिका अपने समय से आज के समय की दूरी को बताने के लिए निम्नलिखित उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं-
(क) तब उन दिनों रेडियो और टेलीविज़न की जगह कुछ घरों में ग्रामोफ़ोन होते थे।
(ख) पहले कुल्फ़ी होती थी अब आइसक्रीम हो गई। कचौड़ी-समोसा अब पैटीज़ में बदल गया है।
(ग) फ़ाल्से और खसखस के शरबत के स्थान पर कोक और पेप्सी जैसे शीतल पेयों ने ले लिया है। उनके समय में कोक नहीं। लेमनेड, विमटो मिलती थी।

प्रश्न 3.
पाठ से पता करके लिखो कि लेखिका को चश्मा क्यों लगाना पड़ा? चश्मा लगाने पर उनके चचेरे भाई उन्हें क्या कहकर चिढ़ाते थे?
उत्तर-
लेखिका को रात में टेबल लैंप के सामने बैठकर पढ़ने के कारण उनकी नजर कमजोर हो गई थी, इस वजह से उन्हें चश्मा लगाना पड़ा। उनके चचेरे भाई चश्मा लगाने पर उन्हें छेड़ते हुए कहते थेआँख पर चश्मा लगाया ताकि सूझे दूर की यह नहीं लड़की को मालूम सूरत बनी लंगूर की!

प्रश्न 4.
लेखिका अपने बचपन में कौन-कौन सी चीजें मज़ा ले-लेकर खाती थीं? उनमें से प्रमुख फलों के नाम लिखो।
उत्तर-
लेखिका बचपन में चॉकलेट को बड़े मजे से खाती थी। उनको सप्ताह में एक बार चॉकलेट खरीदने की छूट थी। लेखिका चॉकलेट को साइडबोर्ड पर रख देती थी फिर बिस्तर पर लेटकर मजे से खाती थी। इसके अतिरिक्त कुल्फ़ी, शहतूत, फ़ाल्से के शरबत, चॉकलेट, पेस्ट्री तथा फल मजे ले-लेकर खाती थी। कुछ प्रमुख फल ‘काफल’ और ‘चेस्टनट’ था।

संस्मरण से आगे

प्रश्न 1.
लेखिका के बचपन में हवाई जहाज़ की आवाजें, घुड़सवारी, ग्रामोफ़ोन और शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल ही आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें थीं। आज क्या-क्या आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें तुम्हें आकर्षित करती हैं? उनके नाम लिखो।
उत्तर-
आज की आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें हैं-कंप्यूटर, टेलीविज़न, इंटरनेट, मोबाइल, रोबोट, मेट्रो ट्रेन, मोटर कार, बाइक आदि।
इनके प्रति हम आज ज्यादा आकर्षित होते हैं।

प्रश्न 2.
अपने बचपन की किसी मनमोहक घटना को याद करके विस्तार से लिखो।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
सन् 1935-40 के लगभग लेखिका को बचपन शिमला में अधिक दिन गुज़रा उन दिनों के शिमला के विषय में जानने का प्रयास करो।
उत्तर-
लेखिका का बचपन अधिकांशतः शिमला में गुजरा। उन दिनों शिमला विकसित होने लगा था। वहाँ रेस्टोरेंट, मॉल, अच्छी दुकानें आदि खुल गई थीं। छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा शहर, चढ़ाई-चढ़कर गिरजा मैदान पहुँचना और उतर कर मॉल जाना ये सब घटनाएँ सुखद थीं। संध्या के समय धुंधलके में गहराते पहाड़, रिज पर बढ़ती रौनक, मॉल के दुकानों की चमक और स्कैंडल प्वांइट ये सब शिमला की खूबसूरती की झलक दिखाते हैं।

प्रश्न 2.
लेखिका ने इस संस्मरण में सरवर के माध्यम से अपनी बात बताने की कोशिश की है, लेकिन सरवर का कोई परिचय नहीं दिया है। अनुमान लगाइए कि सरवर कौन हो सकता है?
उत्तर-
इस संस्मरण में लेखिका ने दो बार सरवर का नाम लिया है। सरवर का नाम लेखिका ने संकेत के रूप में लिया है। इसके अलावा उस व्यक्ति के लिए अन्य संबोधन का प्रयोग नहीं हुआ है। अतः संभव है कि सरवर कोई पत्रकार या उनका मित्र लेखक रहा होगा जिन्हें वह अपनी जीवनी सुना रही हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
क्रियाओं से भी भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं। जैसे मारना से मार, काटना से काट, हारना से हार, सीखना से सीख, पलटना से पलट और हड़पना से हड़प आदि भाववाचक संज्ञाएँ बनी हैं। तुम भी इस संस्मरण से कुछ क्रियाओं को छाँटकर लिखो और उनके भाववाचक संज्ञा बनाओ।
उत्तर

क्रिया भाववाचक संज्ञा
गूंजना गूँज
उभार उभरना
दौड़ना दौड़
चढ़ना चढ़ाई
चाल चलन
गहराना गहराई
खींजना खीज़
बदलना बदलाव

प्रश्न 2.
चार दिन, कुछ व्यक्ति, एक लीटर दूध आदि शब्दों के प्रयोग पर ध्यान दो तो पता चलेगा कि इसमें चार, कुछ और एक लीटर शब्द से संख्या या परिमाण का आभास होता है, क्योंकि ये संख्यावाचक विशेषण हैं। इसमें भी चार दिन से निश्चित संख्या का बोध होता है, इसलिए इसको निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं और कुछ व्यक्ति से अनिश्चित संख्या का बोध होने से इसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। इसी प्रकार एक लीटर दूध से परिमाण का बोध होता है इसलिए इसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।

अब तुम नीचे लिखे वाक्यों को पढ़ो और उनके सामने विशेषण के भेदों को लिखो-
(क) मुझे दो दर्जन केले चाहिए।
(ख) दो किलो अनाज दे दो।
(ग) कुछ बच्चे आ रहे हैं।
(घ) सभी लोग हँस रहे थे।
(ङ) तुम्हारा नाम बहुत सुंदर है।
उत्तर-
(क) दो दर्जन- निश्चित संख्यावाचक विशेषण।
(ख) दो किलो- निश्चित परिणामवाचक विशेषण।
(ग) कुछ- अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण।
(घ) सभी- अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण।
(ङ) (i) तुम्हारा- सार्वनामिक विशेषण
(ii) बहुत- अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(iii) सुंदर- गुणवाचक विशेषण

प्रश्न 3.
कपड़ों में मेरी दिलचस्पियाँ मेरी मौसी जानती थीं।
इस वाक्य में रेखांकित शब्द ‘दिलचस्पियाँ’ और ‘मौसी’ संज्ञाओं की विशेषता बता रहे हैं, इसलिए ये सार्वनामिक विशेषण हैं। सर्वनाम कभी-कभी विशेषण का काम भी करते हैं। पाठ में से ऐसे पाँच उदाहरण छाँटकर लिखो।
उत्तर-
(क) हम बच्चे इतवार की सुबह इसी में लगते
(ख) उन दिनों कुछ घरों में ग्रामोफ़ोन थे।
(ग) हमारा घर माल से ज्यादा दूर नहीं था।
(घ) अपने-अपने जूते पॉलिश करके चमकाते।
(ङ) यह गाना उन दिनों स्कूल में हर बच्चे को आता था।

कुछ करने को

प्रश्न 1.
अगर तुम्हें अपनी पोशाक बनाने को कहा जाए तो कैसी पोशाक बनाओगे और पोशाक बनाते समय किन बातों का ध्यान रखोगे? अपनी कल्पना से पोशाक का डिज़ाइन बनाओ।
उत्तर-
स्वयं करें।
संकेत : छात्र अपनी कल्पना से डिज़ाइन बनाएँ। लड़के कोट-पैंट या कुर्ता पाजामे का डिजाइन बना सकते हैं और लड़कियाँ फ्रॉक या सलवार कमीज को डिजाइन बना सकती हैं। यह भी लिखें कि पोशाक बनाते समय आप किस बात का ध्यान | रखेंगे-पहनने में सुविधा और आराम का या आधुनिकता और कारीगरी का।

प्रश्न 2.
तीन-तीन के समूह में अपने साथियों के साथ कपड़ों के नमूने इकट्ठा करके कक्षा में बताओ। इन नमूनों को छूकर देखो और अंतर महसूस करो। यह भी पता करो कि कौन-सा कपड़ा किस मौसम में पहनने के लिए अनुकूल है।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
हथकरघा और मिल के कपड़े बनाने के तरीकों के बारे में पता करो। संभव हो तो किसी कपड़े के कारखाने में जाकर जानकारी इकट्ठी करो।
उत्तर-
हथकरघा पर हाथ से कपड़े बनाए जाते हैं और मिल में मशीन के द्वारा। छात्र किसी कारखाने का भ्रमण कर यह जानने का प्रयास करें कि कपड़े बनाने की प्रक्रिया क्या है।

प्रश्न 4.
हमारे देश में तरह-तरह के भोजन, तरह-तरह की पोशाकें प्रचलित हैं। कक्षा के बच्चे और शिक्षक इनके विविध रूपों के बारे में बातचीत करें। उत्तर-छात्र स्वयं करें।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

(क) “बचपन’ पाठ किसकी रचना है-
(i) प्रेमचंद
(ii) रवींद्रनाथ टैगोर
(iii) महादेवी वर्मा
(iv) कृष्णा सोबती

(ख) लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या काम करती थी?
(i) वह विद्यालय जाती थी।
(ii) वह पौधों की देख-रेख करती थी।
(iii) वह नृत्य करती थी।
(iv) वह अपने मोजे व जूते पॉलिश करती थी

(ग) लेखिका का जन्म किस सदी में हुआ था?
(i) 18वीं सदी
(ii) 20वीं सदी
(iii) 21वीं सदी
(iv) 22वीं सदी

(घ) पहले गीत-संगीत सुनने के क्या साधन थे?
(i) रेडियो
(ii) टेलीविज़न
(iii) ग्रामोफ़ोन
(iv) सी० डी० प्लेयर

(ङ) हर शनिवार लेखिका को क्या पीना पड़ता था?
(i) घी
(ii) ऑलिव ऑयल
(iii) सरसों तेल
(iv) नारियल तेल

उत्तर-

(क) (iv)
(ख) (iv)
(ग) (ii)
(घ) (iii)
(ङ) (ii)

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इस संस्मरण में लेखिका किसकी चर्चा कर रही है?
उत्तर-
इस संस्मरण में लेखिका अपने बचपन की चर्चा कर रही है।

प्रश्न 2.
लेखिका का जन्म किस सदी में हुआ था?
उत्तर-
20वीं सदी में।

प्रश्न 3.
लेखिको को सप्ताह में कितनी बार चॉकलेट खरीदने की छूट थी?
उत्तर-
लेखिका को सप्ताह में एक बार चॉकलेट खरीदने की छूट थी।

प्रश्न 4.
हर शनिवार को लेखिका को क्या पीना पड़ता था?
उत्तर-
हर शनिवार को लेखिका को ऑलिव ऑयल या कैस्टर ऑयल पीना पड़ता था।

प्रश्न 5.
दुकान में किस ट्रेन का मॉडल था?
उत्तर-
दुकान में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल था।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखिका बचपन में कौन-कौन सी चीजें मज़ा ले-लेकर खाती थी ?
उत्तर-
लेखिका बचपन में कुल्फ़ी, शहतूत, फ़ाल्से के शरबत, चॉकलेट, पेस्ट्री तथा फले मजे ले-लेकर खाती थी। कुछ प्रमुख फल काफ़ल और चेस्टनट हैं।

प्रश्न 2.
लेखिका बचपन में कैसी पोशाक पहना करती थी? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बचपन में लेखिका रंग-बिरंगे कपड़े पहनती थी। उन्होंने पिछले दशकों में क्रमशः अनेक प्रकार के पहनावे बदले हैं। लेखिका पहले फ्रॉक उसके बाद निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे पहनती थी। उन दिनों फ्रॉक के ऊपर की जेब में रूमाल और बालों में इतराते रंग-बिरंगे रिबन का चलन था। लेखिका तीन तरह की फ्रॉक इस्तेमाल किया करती थी। एक नीली पीली धारीवाला फ्रॉक था जिसका कॉलर गोल होता था। दूसरा हलके गुलाबी रंग का बारीक चुन्नटवाला घेरदार फ्रॉक था, जिसमें गुलाबी फ्रिल लगी होती थी। लेमन कलर के बड़े प्लेटों वाले गर्म फ्रॉक का जिक्र करती हैं, जिसके नीचे फ़र टॅकी थी।

प्रश्न 3.
चश्मा लगाते समय डॉक्टर ने क्या भरोसा दिया था?
उत्तर-
चश्मा लगाते समय डॉक्टर ने आश्वासन दिया था कि कुछ दिन चश्मा पहनने के बाद चश्मा आँखों से उतर जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके लिए लेखिका स्वयं को ही जिम्मेदार मानती है। दिन की रोशनी में न काम कर रात में टेबल लैंप के सामने काम करने के कारण उनका चश्मा कभी नहीं हटा।

प्रश्न 4.
टोपी के संबंध में लेखिका क्या सोचती थी?
उत्तर-
लेखिका बचपन के दिनों में सिर पर टोपी लगाना पसंद करती थी। उनके पास कई रंगों की टोपियाँ थीं। उनका कहना है कि सिर पर हिमाचली टोपी पहनना आसान था जबकि सिर पर दुपट्टा रखना थोड़ा कठिन काम।

प्रश्न 5.
उम्र बढ़ने के साथ-साथ लेखिका के पहनावे में क्या-क्या बदलाव हुए हैं? पाठ से मालूम करके लिखिए।
उत्तर-
उम्र बढ़ने के साथ-साथ लेखिका के पहनावे में और रहन-सहन में जमीन-आसमान का अंतर आ गया है। बचपन में लेखिका रंग-बिरंगी पोशाकें पहनती थी। जैसे पहले फ्रॉक, उसके बाद निकर-वॉकर, स्कर्ट, लहँगे इत्यादि। वर्तमान परिवेश में वे चूड़ीदार पजामी और ऊपर से घेरेदार कुर्ता पहनती हैं।

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