NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 6 खानाबदोश
Class 11 Hindi Chapter 6 Question Answer Antra खानाबदोश
प्रश्न 1.
जसदेव की पिटाई के बाद मज़दूरों का समूचा दिन कैसे बीता ?
उत्तर :
जसदेव की पिटाई के बाद मज़दूरों का समूचा दिन अदृश्य भय और दहशत में बीता था। मजदूरों को यह डर लग रहा था कि सूबे सिंह किसी भी वक्त लौटकर आ सकता है।
प्रश्न 2.
‘ईटों को जोड़कर बनाए चूल्हे में जलती लड़कियों की चिट-पिट जैसे मन में पसरी दुशिचिंताओं और तकलीफ़ों की प्रतिध्वनियाँ थीं जहाँ सब कुछ अनिश्चित था।’ यह वाक्य मानो की किस मनोस्थिति को उजागर करता है ?
उत्तर :
इस कथन से यह ज्ञात होता है कि मानो इस भट्टे पर आकर खुश नहीं है। उसका मन अनेक चिंताओं से घिरा रहता है। उसे यहाँ के वातावरण में रहते हुए एक अनजाना भय लगा रहता है तथा वह अपने भविष्य के प्रति बहुत आशंकित रहती है कि कल न जाने क्या होगा ? इस प्रकार उसकी मानसिक स्थिति अत्यंत व्यथा से संतप्त रहती है।
प्रश्न 3.
मानो अभी तक भट्ठे की ज्तिद्यी से तालमेल क्यों नहीं बैठा पाई थी ?
उत्तर :
भद्ठा शहर से दूर खेतों में था जहाँ यातायात की उचित व्यवस्था नही थी और न ही मनोरंजन का कोई साधन था। दिन के समय भट्ठे पर बहुत भीड़-भाड़ रहती थी। भट्ठे का संपूर्ण वातावरण हलचल से भरा रहता था। मज़दूर और मालिक सभी अपना काम करते हुए भविष्य के सपने बुनते हैं लेकिन जैसे ही शाम होती है भट्ठे का वातावरण सुनसान हो जाता है, मालिक शहर लौट जाते है और दिनभर की मेहनत से थके हुए लोग अपने-अपने झोंपड़ों में चले जाते हैं जहाँ वे दिनभर की थकावट उतारते हैं। भट्ठा सुनसान जगह खेतों में होने के कारण यह डर लगा रहता है कि कही अँधेरे में साँप-बिच्छू जैसे जंगली जानवर न निकल आए। मानो को रात के समय ऐसा लगता था जैसे आसपास का पूरा जंगल सिमट कर उसकी झोंपड़ी के आगे आ गया हो। ऐसे सुनसान वातावरण में उसका मन घवराने लगता था। उसने सुकिया से कई बार वापस गाँव जाने के लिए कहा लेकिन सुकिया ने उसकी बात नहीं मानी। मानो सुकिया को समझाती कि अपने गाँव में तो वह तंगी में भी गुजारा करके खुश रह सकती है क्योंकि वहाँ के सभी लोग अपनी जान-पहचान के हैं जिनके साथ सुख-दुख बाँटा जा सकता है। यहाँ भह्ठे पर तो कहने को भी अपना कोई नहीं है सभी पराए लोग है। इसलिए मानो अभी तक भट्ठे की जिंद्री से तालमेल नहीं बिठा पाई थी।
प्रश्न 4.
‘खुद के हाथ पंथी ईंटों का रंग ही बदल गया था। उस दिन ईंटों को देखते-देखते मानो के मन में बिजली की तरह एक खयाल काँधा था।’ वह खयाल क्या था जो मानो के मन में बिजली की तरह काँधा ? इस संदर्भ में सुकिया के साथ हुए उसके वार्तालाप को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
मानो और सुकिया भट्ठे पर काम करते थे। दोनों जिस गाँव से आए थे, वहाँ अधिकतर कच्चे मकान थे। मानो ने जब अपने हाथ से पथी इंटों को भट्ठे में तपने के बाद बदले हुए रंग में देखा तो उसे विश्वास नहीं हुआ। वह बहुत देर तक ईंटों का लाल रंग को देखती रही। इंटों के बदले हुए रंग ने मानो के अंदर एक तीव्र आकांक्षा को जन्म दे दिया था। वह इंटों से बने अपने छोटे-से घर का सपना देखने लगी थी। उसने सुकिया से भी घर बनाने की इच्छा प्रकट की लेकिन सुकिया उसकी बात टाल गया। मानो उस रात जितना सोने की कोशिश करती थी, उतनी ही नींद आँखों से दूर होती गई थी क्योंकि उसके दिलो-दिमाग में इंटों का लाल रंग छा गया था। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह कमर तोड़ मेहनत करने को तैयार थी।
प्रश्न 5.
असगर ठेकेदार के साथ जसदेव को आता देखकर सूबे सिंह क्यों बिफ़ पड़ा और जसदेव को मारने का क्या कारण था ?
उत्तर :
सूबे सिंह ने अपने दफ्तर में मानो को बुलाया था। सुकिया और जसदेव जानते थे कि सूबे सिंह अनैतिक कार्य के लिए मानो को बुला रहा है। इसलिए असगर ठेकेदार के साथ मानो के स्थान पर जसदेव चला गया। मानो के स्थान पर जसदेव को आता देखकर सूबे सिंह बिफर पड़ा और उसे गालियाँ देकर मारने लगा कि वह मानो के स्थान पर क्यों आया है।
प्रश्न 6.
‘सुकिया ने मानो की ऑखों से बहते तेज़ अधड़ों को देखा और उनकी किरकिराहटट अपने अंतर्मन में महसूस की। सपनों के टूट जाने की आवाज्त उसके कानों को फाड़ देती थी।’ प्रस्तुत पंक्तियों का संदर्भ बताते हुए आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
मानो की थापी हुई इटों को किसी ने तोड़ दिया था। असगर ठेकेदार ने साफ़-साफ़ कह दिया था कि टूटी-फूटी इँटों का कोई पैसा नहीं दिया जाएगा। इससे मानो को लगा कि जैसे उसका पक्की ईंटों का घर ही धराशायी हो गया हो। सुकिया भी शोर सुनकर वहाँ आ जाता है और मानो की आँखों से बहते हुए आँसुओं को देखकर उसका मन भी रो पड़ता है। उसे लगता है कि उन्होंने जो सपने देखे थे वे सभी चूर-चूर हो गए हैं। उसे लग रहा था कि अब तो उन्है यह भट्ठा छोड़ना ही पड़ेगा क्योंकि सूबे सिंह मानो के न मिलने से उनसे खार खाए बैठा है।
प्रश्न 7.
‘खानाबदोश’ कहानी में आज के समाज की किन-किन समस्याओं को रेखांकित किया गया है ? इन समस्याओं के प्रति कहानीकार के दुष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक ने ‘खानाबदोश’ कहानी में मालिक-मज़दर के अंतर से उत्पन्न होनेवाली समस्या, जात-पाँत की समस्या को उठाया है। मजदूर की मेहनत और ईमानदारी से भट्ठे के मालिक खूय पैसा कमा रहे हैं लेकिन उनकी सुविधा के लिए कोई भी साधन उपलब्ध नहीं कराते हैं। मज़दूरों शहर से दूर भट्ठों पर ही दबड़ेनुमा झोंपड़ियाँ बनाकर रहते है जिसमें आदमी हंग से खड़ा नहीं हो पाता है। बीमार पड़ने या चोट लगने पर दवाई की सुविधा नहीं है। सूबे सिंह जैसे मालिक लोग मजदूर स्त्रियों के आत्म-सम्मान को चोट पहुँचाते हैं। उनका कहना न मानने पर उन्हें तंग करके काम छोड़ने को मजबूर कर देते हैं।
लेखक ने कहानी में जात-पाँत की समस्या को उठाया है मज़दूरों होकर भी आपस में काम करनेवाले जात-पाँत को मानते हैं। जसदेव ब्राह्मण होने के कारण मानो के हाथ की बनी रोटी नहीं खाता है। असगर ठेकेदार के यह कहने पर कि वह ब्राहमण है क्यों इन मज़दूर के चक्कर में पड़ता है जब से जसदेव सुकिया और मानो से दूर-दूर रहने लगता है। लेखक ने कहानी में यह दिखाने का प्रयास किया है कि मज़दूर वर्ग को सपने देखने का अधिकार नहीं है। वह मेहनत और ईमानदारी का जीवन व्यतीत नहीं कर सकते हैं। दिन-रात की मेहनत-मज़दूरी के बाद उन्हें इतने पैसे भी नही मिलते कि वह अपने लिए अच्छे खाने और रहने का इंतजाम कर सकें। मानो के माध्यम से ब्राहमण मानसिकता पर चोट की है, “फिर तुम तो दिन-रात साथ काम करते हो… मेरी खातिर पिटे… फिर यह बयान म्हारे बीच कहाँ से आ गया… ?’
प्रश्न 8.
‘चल ! यो लोग महारा घर ना बणने देंगे।’ सुकिया के इस कथन के आधार पर कहानी की मूल संवेदना स्पष्ट डालिए।
उत्तर :
‘खानाबदोश’ कहानी में लेखक ने मज़दूर वर्ग का पूँजीपति वर्ग द्वारा किए जा रहे शोषण को चित्रित किया है। मज्ञदूर वर्ग यदि ईमानदारी से मेहनत मज़ूरी करके इस्ज़त के साथ जीवन बिताना चाहता है, तो सूबे सिंह जैसे समृद्ध और ताकतवर लोग उन्हें जीने नहीं देते हैं। सुकिया और मानो गाँव छोड़कर शहर से दूर भट्ठे पर, अपना ईंटों का घर बनाने का सपना पूरा करने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं। दोनों जमा किए पैसों को देख-देखकर खुश होते हैं। सूबे सिंह अपनी दौलत से मानो को खरीदना चाहता है लेकिन मानो अपने घर में, अपने परिवार के साथ इक्जत की ज़िंद्गी बिताना चाहती है इसलिए अपने पति सुकिया के साथ मिलकर सूबे सिंह की ज़्यादतियों का सामना करती हुई मेहनत से काम करती है। एक दिन मानो द्वारा बनाई गई ईटें रात को कोई तोड़ जाता है जिससे उसके सपने भी टूट जाते हैं। वे दोनों अपने टूटे सपनों को साथ लेकर, बाकी सब छोड़कर खानाबदोशों की तरह अगले पड़ाव के लिए चल पड़ते हैं।
इस कहानी के माध्यम से लेखक ने मज़दूरों पर होनेवाले अत्याचारों तथा शोषण को दिखाया है कि किस प्रकार पूँजीपति मजदूरों की मेहनत से अपने को अमीर बनाता है फिर उसी पूँजी से उनका शोषण करता है। उनके जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं करता है। मज़दूर एक बार अपनी जमीन से उखड़कर, सपने पूरे करने की आस लेकर शहर आते हैं, लेकिन वे जिंदगीभर सूबे सिंह जैसे लोगों के कारण जमीन से जुड़ नहीं पाते हैं। उम्रभर खानाबदोश ही रहते हैं।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) अपने देस की सूखी रोटी भी परदेस के पकवानों से अच्छी होती है।
(ख) इत्ते छेर-से नोट लगे हैं घर बणाने में। गाँठ में नहीं है पैसा चले हाथी खरीदने।
(ग) उसे एक घर चाहिए था पक्की इंटों का। जहाँ वह अपनी गृहस्थी और परिवार के सपने देखती थी।
(घ) फिर तुम तो दिन-रात साथ कम करते हो….मेरी खातिर पिटे…फिर यह बामन महारे बीच कहाँ से आया…. ?
(ङ) सपनों के काँच उसकी आँख में किरकिरा रहे थे।
उत्तर :
(क) मानो सुकिया के साथ गाँव छोड़कर भट्ठे पर काम करने आ जाती है लेकिन भट्ठे के माहौल में उसका दिल नहीं लगता। वह सुकिया से गाँव वापस चलने के लिए कहती है लेकिन सुकिया वापस गाँव में जाकर नर्क की जिंदगी नहीं बिताना चाहता है। मानो उससे कहती है कि गाँव में सभी लोग अपने हैं। अपनों के बीच सुख-दुख उठाते हुए हम कम खाकर भी खुश रह सकते हैं। यहाँ परदेश में अपना कोई नहीं है यदि हम यहाँ सुख-सुविधाओं में रहें तो उसका क्या लाभ ! हमारा सुख-दुख बाँटने वाला तो अपना कोई नही है, सभी पराए हैं।
(ख) भट्वे में पकी लाल इंटों को देखकर मानो के दिल में अपना पक्का घर बनाने की इच्छा जन्म लेती है। वह सुकिया को अपनी इच्छा बताती है। सुकिया उसे समझाता है कि उसकी यह इच्छा पूरी नही हो सकती है क्योंकि हम मज़दूर है। घर बनाने में केवल इंटे ही नहीं लगती, उसमें अन्य सामान रेत, सीमेंट, लकड़ी, लोहा आदि लगता है। घर दो-चार रुपयों में नहीं बनता है उसके लिए बहुत सारे रुपए चाहिए जो हमारे पास नहीं हैं। हम मेहनत मज्ञदूरी करनेवाले लोग पक्के घर का सपना देख सकते हैं। उसे पूरा करने की ताकत हमारे पास नहीं है।
(ग) सूबे सिंह मानो को किसनी की तरह अपने जाल में फँसाना चाहता था लेकिन मानो के स्वाभिमान के कारण उसे फैसा नहीं पाता। मानो में इक्ज़त से जिंदगी जीने की इच्छा बहुत अधिक थी इसलिए वह सूबे सिंह के पास नही जाती। मानो भट्ठे पर रहते हुए एक पक्के घर का सपना देखती है जहाँ वह अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रहना चाहती है। वह अपना सपना पूरा करने के लिए कमर तोड़ मेहनत करने के लिए तैयार है लेकिन वह अपना आत्मसम्मान खोकर अपना सपना पूरा नहीं करना चाहती।
(घ) जसदेव मानो को सूबे सिंह से बचाने के लिए उसकी मार खाता है। वह घायल हो जाता है मानो उसको दवा लगाती है और उसके लिए रोटी लेकर जाती है। सुकिया उसे रोकता है लेकिन मानो उसकी बात नहीं मानती है। जसदेव ब्राहमण होने के कारण उसके हाथ की बनी रोटी खाने से इनकार कर देता है क्योकि मानो निम्न जाति की है। मानो उससे कहती है कि वह भी तो उसकी तरह एक मज्रदूर है, उसके साथ काम करता है और सूबे सिंह से उसकी इक्ज़त बचाने के लिए भिड़ गया था। उस समय तो उनके मध्य जात-पांत नहीं थी। अब रोटी खाने के समय ब्राहमण कहाँ से उनके मध्य आ गया है। वह तो औरत होने के कारण उसे रोटी खिलाने आ गई थी।
(ङ) सूबे सिंह और मानो-सुकिया में एक लड़ाई चल रही थी। सूबे सिंह उन्हें परेशान करता है लेकिन वे दोनों उसकी तरफ़ ध्यान नहीं देते, अपने काम में लगे रहते हैं। मानो के सत्र का बाँध उस दिन टूट जाता है जब वह अपनी बनी ईंटों को टूटा हुआ देखती है। ठेकेदार उनको टूटी हुई इँटों की मज़दूरी देने से मना कर देता है। मानो को लगता है कि ईटें टूटने से उसके सपने भी टूट गए हैं। सब लोग उनके विर्द्ध हो गए हैं। वह सुकिया के साथ वहाँ से चल पड़ती है। उसने भट्ठे पर रहते हुए जो पक्के घर का सपना देखा था वह टूट गया था। टूटे हुए सपने का काँच उसकी आँखों में चुभ रहा था क्योंकि उसे लग रहा था कि उसका घर का सपना अब कभी पूरा नहीं होगा।
प्रश्न 10.
नीचे दिए गए गद्यांश की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
भद्ठे से उठते ……… था, यह भट्ठा।
उत्तर :
सप्रसंग व्याख्या खंड देखिए।
योर्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
अपने आस-पास के क्षेत्र में जाकर ईंटों के भट्ठे को देखिए तथा ईंटें बनाने एवं उसे पकाने की प्रक्रिया का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
प्रश्न 2.
भट्ठा-मज़दूरों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थीं अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
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प्रश्न 1.
‘खानाबदोश’ कहानी के आधार पर सुकिया का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर :
‘खानाबदोश’ कहानी ओमप्रकाश वाल्मीकि द्वारा रचित है। इस कहानी में सुकिया शोषित समाज का प्रतिनिधित्व करता है। वह गाँव छोड़कर अपनी पत्नी मानो के साथ भट्ठे पर काम करता है।
(i) परिश्रमी – सुकिया एक मेहनती मजदूर है। वह काम करने से जी नहीं चुरता। भट्टे का मालिक मुखतार सिंह उसके एक सप्ताह के काम से प्रसन्न होकर उसे ईँटं बनाने के लिए साँचा दे देता है जिससे उसकी दिहाड़ी बढ़ जाती है यह उसकी मेहनत का फल था।
(ii) ईमानदार – सुकिया बहुत ईमानदार है। वह अपना सारा काम ईमानदारी से करता है। जल्दी उठकर वह सुबह अपने काम में लग जाता है और शाम तक लगा रहता है। वह इधर-उधर खाली नहीं बैउता।
(iii) यथार्थवादी – सुकिया को यथार्थ में जीना आता था। वह सपने नहीं देखता था क्योंकि उसे अपने हालात पता थे। जब मानो घर बनाने का सपना देखती है तो सुकिया उसे ऐसा सपना देखने के लिए मना करता है क्योंकि घर दो-चार रुपयों से नहीं बनता। उसके लिए ढेर सारा पैसा चाहिए जो उसके पास नहीं है। यदि वह सारी उम्र भी मेहनत करे तब भी घर बनाने के लिए पैसे नहीं जोड़ सकता।
(iv) सहनशील – सुकिया अपने मालिक के अत्याचारों को सहन करता है। उसे पता है कि मालिक की ताकत के सामने उसका कोई अस्तित्व नहीं है, इसलिए वह उसकी छोटी बदतमीजी को भी सहन करता है।
(v) स्वाभिमानी – सुकिया अपना स्वाभिमान खोकर जीना नहीं चाहता। जब सूबे सिंह उसकी पली मानो को सेवाटहल के लिए अपने दफ्तर में कुलाता है तो वह उसे जाने से रोकता है और उसकी जगह स्वरं जाने के लिए तैयार हो जाता है। कह मानो की इज्ज़त बचाने के लिए भट्ठा छोड़ने को तैयार हो जाता है लेकिन सूबे सिंह के गलत इरदों के सामने झुक्ता नहीं।
(vi) जात – पात में विश्वास करने वाला-सुकिया निम्न जाति का है। उसे पता है कि उच्व जाति के लोग उनके हाथ का बना तो दूर, छुआ भी नही खा सकते। इसलिए वह मानो को जसदेव के लिए रोटी ले जाने के लिए मना करता है क्योंकि जसदेव जाति का ब्राहमण था।
इस प्रकार पता चलता है कि सुकिया परिश्रमी, ईमानदार, सहनशील तथा स्वाभिमानी है वह परदेश में अपनी पत्नी की इज्ज़त करना जानता है।
प्रश्न 2.
‘खानाबदोश’ कहानी के आधार पर मानो का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर :
‘खानाबदोश’ कहानी में मानो सुकिया की पत्ली है वह सुकिया के साथ गाँव छोड़कर भट्ठे पर काम करने आती है।
(i) आजाकारी – मानो सुकिया की प्रत्येक बात को उसकी आज्ञा समझकर मानती है। मानो सुकिया से गाँव में अपनों के बीच चलने की बात करती है क्योंकि उसका मन भट्टे पर नहीं लगता। सुकिया उसे गाँव की नरक वाली जिंदगी की याद दिलाता है और यदि कुछ पाना चाहती हो तो कुछ छोड़ना तो पड़ेगा। सुकिया की बात सुनकर वह फिर कभी गाँव जाने की बात नहीं करती।
(ii) परिश्रमी – सुकिया की तरह मानो भी परिश्रमी है। वह भट्ठे पर दिन-रात कमर तोड़ मेहनत करती है जिससे वह अपने भविष्य के लिए कुछ पैसे जोड़ ले।
(iii) ईमानदार – वह सुकिया और अपने काम के प्रति ईमानदार है। वह अपने काम से काम रखती है। बेकार में इधर-उधर की बात नहीं करती। वह सुकिया के सिवाय किसी और के बारे में नहीं सोचती।
(iv) सपने देखनेवाली – मानो अन्य औरतों की तरह अपने घर का सपना देखती है। जिसमे उसका परिवार उसके साथ रहे तथा खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करे। भट्ठे पर रहते हुए वह लाल-लाल पक्की ईंटों के घर का सपना देखती है।
(v) कर्मठता में विश्वास – वह अपने देखे हुए सपने को पूरा करने में विश्वास रखती है उसके लिए वह अपने पति सुकिया के साथ मिलकर मेहनत करती है। उसे अपनी मेहनत से अपना घर बनाना है इसलिए वह आलस नहीं करती। दिन-रात मेहनत करने पर भी थकावट अनुभव नर्ही करती।
(vi) आत्म – सम्मान की रक्षा करनेवाली-मानो अपनी इज्जत की रक्षा करना जानती है। वह अपने सपने पूरा करने के लिए अपनी इज्जत का सौदा नहीं करती। क्योंक वह किसनी नहीं बनना चाहती, जिसने सूबे सिंह के दिखाए चमक-दमक वाले जाल में फैसकर अपना सब खो दिया और सबकी नज्ञरों से गिर गई। वह अपनी इजज़त बचाने के लिए भट्ठा छोड़ने को भी तैयार है।
(vii) ममतामयी – मानो ममतामयी औरत है। वह औरत होने के कारण जात-पात में विश्वास नहीं रखती। इसीलिए निम्न जाति के होते हुए वह घायल जसदेव के लिए रोटी बनाकर ले जाती है। वह यह नहीं देख सकती कि उसके होते हुए उसके बराबर वाली झोंपड़ी में कोई भूखा सोए।
(viii) सहनशील – जब मानो सूबे सिंह के गलत इरादों के साथ समझौता नहीं करती तो सूबे सिंह उन्हें तंग करना आरंभ कर देता है। छोटी-छोटी गलतियों के लिए उनकी मज़दूरी काट लेता है। मानो पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता, वह अपने काम से मतलब रखते हुए चुपचाप सब सहन करती है।
(ix) भावुक – मानो बात-बात पर बहुत भावुक हो जाती है वह भट्ठे से निकली लाल-लाल इंटों को देखकर भावुक हो जाती है और पक्की ईटों के घर का सपना देखने लगती है। जब उसकी बनाई ईंटों को रात के समय कोई तोड़ जाता है तो वह उनको देखकर पागलों की तरह रोने लगती है क्योंकि इटं टूटने से उसके सपने भी टूट जाते हैं। मानो एक आम औरत की तरह होते हुए भी अलग है। वह सपने देखती है, उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करती है अपने पति के दुख-सुख की साथिन भी है। सबसे बड़ी बात बह है कि वह इक़जत का सौदा नहीं करती। इज्ज़त बचाने के लिए उसे सपनों को टूटते हुए देखना स्वीकार है।
प्रश्न 3.
भट्ठे पर रहनेवालों का जीवन कैसा था ?
उत्तर :
भट्टा शहर से दूर खेतों में था। दिन में वहाँ बहुत शोर रहता था। रात होते ही दिन का शोर सन्नाटे में डूब जाता था। भट्ठे पर तीस मज़दूर काम करते थे। भट्ठे का जीवन बहुत अजीब था। वहाँ पर काम करनेवाले अलग-अलग जगह से आए हुए थे। उनमें जात-पाँत का भेदभाव भी था। दिन में एक जगह, एक-दूसरे का हाथ बँटाने वाले मज़दूरों के मन में भी जात-पांत की भावना थी। धीरे-धीरे मज़दूरों की संख्या बढ़ने से गाँव जैसा वातावरण बन रहा था। रात के समय वहॉँ की जिंदगी नीरस और बेरंग हो जाती थी।
भट्ठे पर थोड़ी देर के लिए ताज़गी का अनुभव होता था, जब झोपड़ी के बाहर चूल्हों पर बनते हुए खाने से महक उठती थी। सारा दिन कड़ी मेहनत करनेवाले लोगों के लिए भोजन भी पर्याप्त मात्रा में नहीं होता था। वे लोग अधिकतर गुड़ या मिर्च की चटनी से खाना खाते थे। सब्जी तो बहुत कम बनती थी। यदि भट्ठे पर कोई बीमार या घायल हो जाए तो वहाँ दवाई का प्रबंध नहीं था। मज्जदूर लोग मिट्टी लगाकर ही घाव भर लेते थे। फिर भी मज़दूर वहॉँ दिनभर कड़ी मेहनत के बाद भी अपनी छोटी-छोटी बातों में खुशी दूँढ़ लेते हैं तथा वे अपने आनेवाले भविष्य के सुनहरे सपने देखते हैं जो शायद एक दिन पूरे हो जाएँ।।
प्रश्न 4.
भट्ठा छोड़ते हुए मानो की मानसिक दशा कैसी धी ?
उत्तर :
मानो ने भट्ठे पर रहते हुए पक्के मकान का सपना देखा था। उसका सपना सूबे सिंह ने अपने पैरों के नीचे रौंद दिया था। जब मानो और सुकिया के सूबे सिंह के अत्याचारों को सहने की सीमा समाप्त हो गई तो उन्होने भट्ठा छोड़ने का निर्णय लिया। मानो सुकिया का हाथ पकड़े उसके पीछे-पीछे चल रही थी लेकिन कदम उठ नहीं रहे थे क्योंकि उसके सपने पीछे छूट रहे थे। उसे सभी पराए लग रहे थे। उसने जसदेव की तरफ़ भी देखा, उसे लगा कि जसदेव उन्हें रोक लेगा लेकिन जसदेव भी चुप रहा। इससे वह और भी टूट गई। टूटे हुए सपने लिए दुखी मन से बिना कुछ शब्द बोले वह अपने पति के साथ अगले पड़ाव के लिए चल दी थी जिसका पता उसके पति को भी नहीं था।
प्रश्न 5.
उस दिन की घटना के बाद सूबे सिंह ने किस प्रकार उन्हें भट्ठा छोड़ने को मजबूर कर दिया ?
उत्तर :
सूबे सिंह ने मानो को अपने दफ़्तर में सेवाटहल के लिए बुलवाया था। सुकिया उसका मतलब जानता था। उसने मानो को वहाँ जाने नहीं दिया। इस बात को लेकर जसदेय और सूबे सिंह का झगड़ा भी हुआ था। सूबे सिंह को इसमें अपना अपभान अनुभव हुआ। उसने मानो और सुकिया को परेशान करना आरंभ कर दिया। सुकिया से ईंट बनाने का साँचा छीनकर उसे मोरी के काम पर लगा दिया था। मोरी का काम खतरेवाला था। जरा भी असावधानी से मृत्यु भी हो सकती थी। मानो को जसदेव के साथ काम करना पड़ता था। जसदेव में भी मानो निम्न जाति की है वाली भावना आ गई थी। वह उसपर हुक्म चलाने लगा था। सूबे सिंह ने असगर ठेकेदार से भी कह दिया था कि उससे बिना पूछे उन दोनों को मजदुरी नहीं देनी है।
इस प्रकार छोटी-से-छोटी गलती पर मजदूरी कटने लगी थी, फिर भी दोनों अपना काम ईमानदारी से कर रहे थे। एक रात किसी ने मानो की बनाई ईटें तोड़ दी थीं सबको पता था यह काम किसका है लेकिन कोई कुछ नहीं बोला। असगर ठेकेदार ने भी टूटी हुई ईटों की मजदूरी देने से इनकार कर दिया। इस व्यवहार तथा वहाँ के पराएपन वाले वातावरण ने उन्हें भट्ठा छोड़ने के लिए मज़बूर कर दिया। इससे यह भी पता चलता हैं कि सूबे सिंह जैसे लोग अपनी मनमानी पूरी न होने पर मजदूरों को किस ढंग से परेशान करते हैं और उन्हैं जीवनभर भटकने के लिए मजबूर कर देते हैं।
प्रश्न 6.
‘खानाबदोश’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर अपने बिचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
संसार में प्रत्येक वस्तु का कोई-न-कोई नाम अवश्य होता है। बिना नाम के वस्तु की कल्पना नही की जा सकती। नाम से ही उसकी विशिष्टता बनती है। साहित्यिक क्षेत्र में भी प्रत्येक रचना का नाम उसकी अलग पहचान बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है। कहानी का शीर्षक कहानी के मूलकध्य, पात्र, उद्देश्य आदि के अनुरूप सरल, संक्षिप्त, मौलिक तथा जिज्ञासापूर्ण होना चाहिए। कहानी का शीर्षक कहानी की कथावस्तु के अनुरूप है। मानो और सुकिया गाँव की नर्क वाली जिंदगी छोड़कर शहर में कुछ सपने लेकर आते हैं। दोनों भट्ठे पर इंटें पाथने का काम करते हैं। भट्टे का मालिक सूबे सिंह मानो के आत्म-सम्मान को चोट पहुँचाना चाहता है। मानो और सुकिया इस बात का विरोध करते हैं। सूबे सिंह उन्हें छोटी-छोटी बातों के लिए तंग करना शुरू कर देता है। भट्ठे पर काम करनेवाले मज़दूर भी जात-पाँत को लेकर एक-दूसरे से खिंचे रहते हैं। बदले मानो और सुकिया वातावरण में अपने सपने बिखरते दिखाई देते हैं। कहानी के अंत में सुकिया मानो का हाथ पकड़कर, सब कुछ छोड़कर खानाबदोश की तरह अगले पड़ाव के लिए दिशाहीन यात्रा पर चल पड़ते हैं। इस प्रकार कहानी का शीर्षक ‘खानाबदोश’ सर्वथा उचचत है।
प्रश्न 7.
चूल्हे में जलती लकड़ियों की चिट-चिट से लेखक को क्या भान होता है ?
उत्तर :
लेखक को चूल्हे में जलती लकड़ियों की चिट-चिट मन में फैली दुश्चिता और तकलीफ़ों की प्रतिध्वानियाँ लगती थीं जहाँ सब कुछ अनिश्चित था।
प्रश्न 8.
सुकिया के मन में कौन-सी बात बैठ गई थी ?
उत्तर :
सुकिया के मन में यह बात घर कर गई थी कि नर्क की जिदगी से निकलना है तो कुछ तो छोड़ना पड़ेगा। यदि तरक्की करनी है तो गाँव से निकलकर शहर में काम करना होगा।
प्रश्न 9.
पाठ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यों का अर्थ अपने शब्दों मे लिखिए-
(क) भट्ठे का सबसे खतरेवाला काम था मोरी पर काम करना।
(ख) दिनभर की गहमा-गहमी के बाद यह भद्ठा अधंरे की गोद् में समा जाता था।
(ग) अब कपड़े-लत्तों की कमी नहीं थी।
(घ) नहीं …….. भट्ठा नहीं छोडना है।
(ङ) एक शीत-युद्ध जारी था उनके बीच।
(च) उसे लगने लगा था, जैसे तमाम लोग उसके खिलाफ़ हैं।
उत्तर :
(क) भट्ठे पर मिट्टी से इटें पाथने के बाद, उन्हें पक्का करने के लिए गलियारे में इकट्ठा कर दिया जाता है। ईंटों के बीच खाली जगह में ठेकेदार की निगरानी में कोयला, लकड़ी, बुरादा, गन्ने की बाली से भरने घर आग लगा दी जाती है। बीच-बीच में मोरियों से भट्ठे में कोयला बुरादा डालना पड़ता था। यह सबसे खतरनाक होता था क्योंकि आग भड़कने से फैलने का डर लगा रहता था। और जरा-सी असावधानी से मौत भी हो सकती है।
(ख) दिनभर भट्ठे पर मालिक, ठेकेदार और मज़दूरों की गहमा-गहमी रहती थी। रात होते ही मालिक और ठेकेदार शहर चले जाते थे और मज़दूर वहीं बनी अपनी झोंपड़ियों में चले जाते थे। भट्ठा शहर से दूर था इसलिए वहाँ कोई आवाजाही नहीं थी। दिन की गहमा-गहमी रात होते ही अँधेरे की गोद में समा जाती थी।
(ग) किसनी और महेश कुछ दिन पहले भट्ठे पर काम करने आए थे। सूबे सिंह ने किसनी को अपने जाल में फँसा लिया था। सूबे सिंह किसनी को तरह-तरह का सामान लाकर देता था। किसनी को अब मिट्टी गारे का काम नहीं करना पड़ता था। इज्ज़त खोने के बाद किसनी के पास अब कपड़े-लत्तों की कमी नहीं रह गई थी।
(घ) सूबे सिंह द्वारा बुलाए जाने पर मानो उसके पास नहीं जाती। मानो किसनी बनना नहीं चाहती थी। उसे लग रहा था कि यहाँ पर वह सुरक्षित नहीं है। उसे सुकिया पर विश्वास था कि यदि उसकी इज्जत बचाने के लिए भट्ठा छोड़ना पड़ा तो वह छोड़ देगा। भट्ठा छोड़ने के खयाल से मानो को अपना सपना टूटता दिखाई दिया। वह भट्ठा छोड़ने की अपेक्षा अपने को सूबे सिंह के गलत इरादों से लड़ने के लिए तैयार करने लगी थी।
(ङ) सूबे सिंइ मानो को अपने जाल में फँसता न देखकर उसे तंग करने के लिए नए-नए बहाने ढूँढ़े लगा था। सुकिया से साँचा वापिस लेकर उसे मोरी के काम पर लगा दिया था और मानो को जसदेव के साथ काम करना पड़ता था। सूबे सिंह और सुकिया मानो के बीच चुप्पी चल रही थी। सूबे सिंह ऐसा युद्ध लड़ रहा था जिसका दूसरी तरफ़ से कोई जवाब नहीं था।
(च) भट्ठे पर मानो द्वारा बनाई गई ईंटों को रात के समय कोई तोड़ गया था, जिन्हें देखकर मानो पागल हो गई थी क्योंकि उसके सपने भी टूट गए थे। सबको पता था यह किसका काम है लेकिन कोई बोल नहीं रहा था। सुकिया को ऐसा लग रहा था कि सूबे सिंह के तूफान से उसका घर टूट गया है। वह एकदम अकेला पड़ गया है। कोई भी उसके साथ नहीं है। सभी उसे अपने खिलाफ़ लग रहे थे।
प्रश्न 10.
लेखक ने ‘खानाबदोश’ कहानी के माध्यम से क्या चित्रित करना चाहा है ?
उत्तर :
लेखक ने ‘खानाबदोश’ कहानी में मज़दूरी करके किसी तरह गुज़र-बसर कर रहे मजजदूर वर्ग के शोषण और यातना को चित्रित किया है। उन्होंने यह भी बताया है कि मज़दूर वर्ग यदि ईमानदारी से मेहनत और मज़दूरी करके इज्ज़त के साथ जीवन जीना चाहता है तो कहानी में वर्णित, सूबे सिंह जैसे समृद्ध और ताकतवर लोग उन्हें जीने नहीं देते। कहानी इस बात की ओर भी संकेत करती है कि मज़दूर वर्ग हमारे समाज की जातिवादी मानसिकता से नहीं उबर पाया है।
प्रश्न 11.
भट्ठे पर सबसे कठिन काम कौन-सा और क्यों होता है ?
उत्तर :
भट्ठे पर सबसे कठिन काम मोरी पर काम करना होता है। वहाँ इंटें पकाने के लिए कोयला, बुरादा, लकड़ी और गन्ने की बाली को मोरियों के अंदर डालना होता है। थोड़ी-सी असावधानी भी मौत का कारण बन सकती है। मजदूरों को चौबीसों घंटे इ्यूटी पर यहाँ लगाया जाता है।
प्रश्न 12.
सुकिया मानो के हर सवाल का क्या उत्तर देता था ?
उत्तर :
सुकिया के मन में एक बात घर कर गई थी। नर्क की ज़िंदगी से निकलना है तो कुछ छोड़ना भी पड़ेगा। मानो की हर बात का उसके पास यही एक जवाब था। अपने उत्तर के तर्क में वह कहता है कि बड़े-बूड़े भी कहा करते हैं कि आदमी की औकात घर से बाहर कदम रखने पर होती है। घर में तो चूहा भी शेर होता है। कंधे पर लट्ठ रखकर घूमनेवाले चौधरी शहर में सरकारी अफ़सरों के आगे सीधे खड़े भी नहीं हो पाते। बकरियों के समान मिमियाने लगते हैं और गाँव में गरीब को इनसान नहीं समझते।
प्रश्न 13.
मानो और सुकिया किसके साथ और कहाँ आ गए थे ?
उत्तर :
मानो और सुकिया गाँव, देहात छोड़कर एक दिन असगर ठेकेदार के साथ भट्ठे पर आ गए। वे दिहाड़ी मज़दूर बनकर आए थे। सुकिया के हफ़्तेभर के काम से खुश होकर भट्ठे के ठेकेदार असगर ने उसे साँचे से इंट बनाने का काम दे दिया।
प्रश्न 14.
भट्ठे का मालिक कौन था तथा वहाँ पर कितने लोग काम करते थे ?
उत्तर :
भट्ठे का मालिक मुखतार सिंह था। भट्ठे पर लगभग तीस मज़दूर काम करते थे। काम के बाद वे सभी मजदूर भट्ठे पर भी रहते थे। भट्ठा मालिक मुखतार सिंह और असगर ठेकेदार साँझ होते ही शहर लौट जाते थे। शहर से दूर, दिनभर की गहमा-गहमी के बाद ईंट का भट्ठा अंधेरे की गोद में समा जाता था। चारों ओर सन्नाटा छा जाता था। रोशनी के नाम पर झोपड़ियों में टिमटिमाती ढिबरियाँ ही दिखाई पड़ती थीं।
प्रश्न 15.
किसनी सूबेसिंह के साथ कहाँ जाती थी और महेश में क्या परिवर्तन आया ?
उत्तर :
किसनी सूबेसिंह के समक्ष अपनी इइ्ज़त खो चुकी थी। वह अब सूबेसिंह की वासना को मिटाने का एक साधन थी। सूबेसिंह किसनी को अकसर शहर लेकर जाता था। किसनी केरंग-ढंग में बदलाव आ गया था। अब वह भट्ठे पर गारे मिट्टी का काम नहीं करती थी। किसनी कई-कई दिनों तक शहर से लौटती नहीं थी। जब वह लौटती तो थकी, निढाल और मुरझाई हुई होती थी। महेश रोज़ रात में शराब पीकर मन की भड़ास निकालता था। दिन में भी अपनी झोपड़ी में पड़ा रहता था।
प्रश्न 16.
भट्ठे में पक्की लाल ईंटों को देखकर मानो कौन-सा सपना देखने लगी थी ?
उत्तर :
भट्ठे में पक्की लाल इँटों को देखकर मानो अपना पक्का घर बनाने का सपना देखने लगी थी। उसने सुकिया से पूछा कि एक घर बनाने में कितनी ईटें लगती हैं। सुकिया ने कहा ईंटों के अलावा लोहा, सीमेंट, लकड़ी, रेत आदि सामान भी लगता है। यह सुनकर मानो बेचैन हो गई। उसके दिमाग में इंटों का लाल रंग छा गया था। वो सुकिया से अपने घर के लिए इटें बनाने को भी कहती है। अब मानो और सुकिया का एक ही लक्ष्य था कि पैसे इकट्ठा करके अपने लिए पक्की इँटों का घर बनाना।
प्रश्न 17.
कहानी में प्रयुक्त आँचलिक शब्दों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर :