• NCERT Solutions
    • NCERT Library
  • RD Sharma
    • RD Sharma Class 12 Solutions
    • RD Sharma Class 11 Solutions Free PDF Download
    • RD Sharma Class 10 Solutions
    • RD Sharma Class 9 Solutions
    • RD Sharma Class 8 Solutions
    • RD Sharma Class 7 Solutions
    • RD Sharma Class 6 Solutions
  • Class 12
    • Class 12 Science
      • NCERT Solutions for Class 12 Maths
      • NCERT Solutions for Class 12 Physics
      • NCERT Solutions for Class 12 Chemistry
      • NCERT Solutions for Class 12 Biology
      • NCERT Solutions for Class 12 Economics
      • NCERT Solutions for Class 12 Computer Science (Python)
      • NCERT Solutions for Class 12 Computer Science (C++)
      • NCERT Solutions for Class 12 English
      • NCERT Solutions for Class 12 Hindi
    • Class 12 Commerce
      • NCERT Solutions for Class 12 Maths
      • NCERT Solutions for Class 12 Business Studies
      • NCERT Solutions for Class 12 Accountancy
      • NCERT Solutions for Class 12 Micro Economics
      • NCERT Solutions for Class 12 Macro Economics
      • NCERT Solutions for Class 12 Entrepreneurship
    • Class 12 Humanities
      • NCERT Solutions for Class 12 History
      • NCERT Solutions for Class 12 Political Science
      • NCERT Solutions for Class 12 Economics
      • NCERT Solutions for Class 12 Sociology
      • NCERT Solutions for Class 12 Psychology
  • Class 11
    • Class 11 Science
      • NCERT Solutions for Class 11 Maths
      • NCERT Solutions for Class 11 Physics
      • NCERT Solutions for Class 11 Chemistry
      • NCERT Solutions for Class 11 Biology
      • NCERT Solutions for Class 11 Economics
      • NCERT Solutions for Class 11 Computer Science (Python)
      • NCERT Solutions for Class 11 English
      • NCERT Solutions for Class 11 Hindi
    • Class 11 Commerce
      • NCERT Solutions for Class 11 Maths
      • NCERT Solutions for Class 11 Business Studies
      • NCERT Solutions for Class 11 Accountancy
      • NCERT Solutions for Class 11 Economics
      • NCERT Solutions for Class 11 Entrepreneurship
    • Class 11 Humanities
      • NCERT Solutions for Class 11 Psychology
      • NCERT Solutions for Class 11 Political Science
      • NCERT Solutions for Class 11 Economics
      • NCERT Solutions for Class 11 Indian Economic Development
  • Class 10
    • NCERT Solutions for Class 10 Maths
    • NCERT Solutions for Class 10 Science
    • NCERT Solutions for Class 10 Social Science
    • NCERT Solutions for Class 10 English
    • NCERT Solutions For Class 10 Hindi Sanchayan
    • NCERT Solutions For Class 10 Hindi Sparsh
    • NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kshitiz
    • NCERT Solutions For Class 10 Hindi Kritika
    • NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit
    • NCERT Solutions for Class 10 Foundation of Information Technology
  • Class 9
    • NCERT Solutions for Class 9 Maths
    • NCERT Solutions for Class 9 Science
    • NCERT Solutions for Class 9 Social Science
    • NCERT Solutions for Class 9 English
    • NCERT Solutions for Class 9 Hindi
    • NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit
    • NCERT Solutions for Class 9 Foundation of IT
  • CBSE Sample Papers
    • Previous Year Question Papers
    • CBSE Topper Answer Sheet
    • CBSE Sample Papers for Class 12
    • CBSE Sample Papers for Class 11
    • CBSE Sample Papers for Class 10
    • Solved CBSE Sample Papers for Class 9 with Solutions 2024-2025
    • CBSE Sample Papers Class 8
    • CBSE Sample Papers Class 7
    • CBSE Sample Papers Class 6
  • Textbook Solutions
    • Lakhmir Singh
    • Lakhmir Singh Class 10 Physics
    • Lakhmir Singh Class 10 Chemistry
    • Lakhmir Singh Class 10 Biology
    • Lakhmir Singh Class 9 Physics
    • Lakhmir Singh Class 9 Chemistry
    • PS Verma and VK Agarwal Biology Class 9 Solutions
    • Lakhmir Singh Science Class 8 Solutions

Learn CBSE

NCERT Solutions for Class 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

Class 11 Hindi Antra Chapter 2 Question Answer दोपहर का भोजन

January 27, 2023 by Bhagya

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 2 दोपहर का भोजन

Class 11 Hindi Chapter 2 Question Answer Antra दोपहर का भोजन

प्रश्न 1.
सिद्धेश्वरी ने अपने बड़े बेटे रामचंद्र से मँझले बेटे मोहन के बारे में झूठ क्यों बोला ?
उत्तर :
रामचंद्र ने जब सिद्धेश्वरी से मोहन के बारे में पूछा तो सिद्धेश्वरी को पता नहीं था कि मोहन कहाँ है। फिर भी वह रामचंद्र से मोहन के बारे में झूठ बोलते हुए कहती है कि मोहन किसी लड़के के घर पढ़ने गया है, आता ही होगा। उसने रामचंद्र को यह भी कहा कि उसका दिमाग बहुत तेज़ है और उसका मन सदा पढ़ाई में लगा रहता है। वह हमेशा अपनी पढ़ाई की ही बातें करता रहता है।

प्रश्न 2.
कहानी के सबसे जीवंत पात्र के चरित्र की दृढ़ता का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर :
सिद्धेश्वरी ‘दोपहर का भोजन’ कहानी का सबसे जीवंत पात्र है। लेखक ने अभावग्रस्त सिद्धेश्वरी की दशा का यथार्थ चित्रण किया है। उसके पास आटा केवल इतना था कि उससे सात रोटियाँ बन पाई थीं। दो-दो रोटियाँ उसने मुंशी जी, रामचंद्र और मोहन को दे दी थीं। एक मोटी, भद्दी और जली हुई रोटी उसके लिए शेष रह गई थी। पानीवाली दाल का भी आधा कटोरा और थोड़ी-सी चने की तरकारी उसके लिए बची थी। जैसे ही वह खाना खाने लगी उसकी नज़र सोए हुए प्रमोद पर जा पड़ी। उसने रोटी का आधा हिस्सा प्रमोद के लिए रख दिया और आधी रोटी स्वयं खाने ही लगी थी कि उसकी भूख का दर्द उसकी आँखों से बह निकला फिर भी वह अपने परिवार को भोजन कराती है तथा सबको एकजुट रखने के प्रयास करती है जो उसके चरित्र की दृढ़ता का ही परिणाम है। वह किसी के सामने अपनी व्यथा व्यक्त नहीं करती है।

प्रश्न 3.
कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे गरीबी की विवशता झाँक रही हो।
उत्तर :
‘दोपहर का भोजन’ कहानी में-लेखक ने निम्न मध्यवर्गीय परिवार की आर्थिक विपन्नता का सजीव चित्रण किया गया है। परिवार का मुखिया बेरोज़गार है फिर भी उसकी पत्नी खींचतान करके घर का खर्चा चला रही है परंतु खाना खाने के बाद मुंशी जी औंधे मुँह घोड़े बेचकर ऐसे सो रहे थे जैसे उन्हें काम की तलाश में कहीं जाना ही नहीं है। अभावों में जीने के कारण सिद्धेश्वरी चाहकर भी किसी से खुलकर नहीं बोल पाती। मुंशी जी चुपचाप दुबके हुए खाना खाते हैं। रामचंद्र बाहर से आते ही धम्म-से चौकी पर बैठकर बेजान-सा वहीं लेट जाता है। जब वह खाना खाने बैठता है तो खाने की ओर दार्शनिक की तरह देखता है। इन सबसे इस परिवार की घोर विपन्नता का ज्ञान होता है जो इस परिवार की ही नहीं इन जैसे निम्न मध्यमवर्गीय जीवन जीनेवाले सभी परिवारों की त्रासदी है।

प्रश्न 4.
“सिद्धेश्वरी का एक दूसरे सदस्य के विषय में इूठ बोलना परिवार को जोड़ने का अनथक प्रयास था” -इस संबंध में अपने विचार रखें।
उत्तर :
सिद्धेश्वरी जानती है कि परिवार को जोड़ने के लिए उसे परिवार के सभी सदस्यों के बीच स्नेह संबंध बनाकर रखने हैं, इसलिए वह दोपहर का भोजन खिलाते समय मुंशी जी को अपने बड़े बेटे रामचंद्र द्वारा उनकी प्रशंसा करने तथा उसकी नौकरी के शीं्र लगने की बात बताती है तथा मँझले बेटे मोइन को उसके बड़े भाई द्वारा उसकी प्रशंसा करने की बात कहकर सबके मन में एक-दूसरे के प्रति स्नेह उत्पन्न कर उन्हें एक जुट रखने का प्रयास करती है। इसके लिए वह झूठ बोलने से भी नहीं हिचकती है।

प्रश्न 5.
‘अमरकांत आम बोलचाल की ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जिससे कहानी की संवेदना पूरी तरह उभरकर आ जाती है।’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अमरकांत की कहानियाँ भारतीय जीवन के अंतर्विरोधों का सजीव चित्रण करती हैं। इसमें मुख्य रूप से कस्बाई मध्यवर्गीय तथा निम्नवर्गीय परिवारों की विभिन्न समस्याओं का यथार्थ अंकन प्राप्त होता है। ‘दोपहर का भोजन’ कहानी में एक अभावग्रस्त परिवार की भूख और विवशता का ऐसा चित्रण किया गया है जिसमें परिवार के सभी सदस्य घर के अभाव से परिचित हैं इसलिए एक-आध रोटी खाकर भूखे पेट ही उठ जाते हैं। बाप-बेटा काम की तलाश में दर-दर भटक रहे है। खाने के लिए कुछ न होते हुए भी सिद्धेश्वरी परिवार को जोड़े हुए है। अमरकांत की अधिकांश कहानियाँ बोलचाल की सहज भाषा में लिखी गई हैं जिनमें कहीं-कहीं तत्समप्रधान शब्दावली के अतिरिक्त अरबी, फ़ारसी, अंग्रेज़ी तथा देशज शब्दों का प्रयोग भी मिलता है। जैसे ‘दोपहर का भोजन’ कहानी में- ‘वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा-भर पानी लेकर गट-गट चढ़ गई।’ …… ‘बाहर की गली से गुजरते हुए, खड़-खड़ैया इक्के की आवाज़ आ रही थी और खटोले पर सोए, बालक की साँस का खर-खर शब्द सुनाई दे रहा था।’ ….. ‘आधा मिनट सुन्न खड़ी रही’ ….. ‘मोहन कटोरे को मुँह में लगाकर सडड़-सड़ पी रहा था।’ …… ‘तदुपरांत एक लोटा पानी लेकर खाने बैठ गई।’ इनकी कहानियों का शिल्प-विधान वर्णनात्मक है जो पात्रों के संवादों के माध्यम से गति प्राप्त करता है। जैसे ‘दोपहर का भोजन’ कहानी में जब रामचंद्र की थाली में रोटी का केवल एक टुकड़ा शेष रह जाता है, तो सिद्धेश्वरी ने उठाने का उपक्रम करते हुए प्रश्न किया, ‘एक रोटी और लाती हूँ?’

रामचंद्र हाथ से मना करते हुए हड़बड़ाकर बोल पड़ा, ‘नही, नहीं जजरा भी नही। मेरा पेट पहले ही भर चुका है। मैं तो यह भी छोड़ने वाला हैं। बस, अब नहीं।’ सिद्धेश्वरी ने ज़िद्द की ‘अच्छा, आधी ही सही।’

रामचंड्र बिगड़ उठा- ‘अधिक सिलाकर बीमार कर डालने की तबीयत है क्या ?’ इस प्रकार के संवादों से पात्रों का चरित्र उद्घाटित होता है। इसी कहानी के अंत में लेखक का यह कथन ‘सारा घर मक्खियों से भनभन कर रहा था। आँगन की अलगनी पर एक गंदी साड़ी टैंगी थी, जिसमें कई पैबंद लगे हुए थे।’ समस्त वातावरण को सजीवता प्रदान करते हुए निम्न मध्यवर्गीय परिवार की दयनीय दशा का शब्द चित्र ही उपस्थित कर देता है। इस प्रकार के बिंबविधान में लेखक अत्यंत निपुण है।

प्रश्न 6.
रामचंद्र, मोहन और मुंशी जी खाते समय रोटी न लेने के लिए छह बहाने करते हैं उसमें कैसी विवशता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
रामचंद्र की थाली में जब रोटी का केवल एक टुकड़ा शेष रह गया तो सिद्धेश्वरी ने उठने का उपक्रम करते हुए प्रश्न किया, “एक रोटी और लाती हू ?
-रामचंद्र हाथ से मना करते हुए बड़बड़ाकर बोल पड़ा, “नहीं-नहीं ज़रा भी नहीं। मेरा पेट पहले ही भर चुका है। मैं तो यह भी छोड़ने वाला हैं। बस, अब नहीं।”
-सिद्धेश्वरी ने जिदद्द की, “अच्छा, आधी ही सही।”
-रामचंद्र बिगड़ उठा, “अधिक खिलाकर बीमार कर डालने की तबीयत है क्या ? तुम लोग ज़ा भी नहीं सोचती हो। बस, अपनी ज्रिद्द। भूख रहती तो क्या ले नहीं लेता ?” इन संवादों में माँ और बेटे को पता है कि किसी के हिस्से में दो से अधिक चपातियाँ

नहीं हैं। माँ सिद्धेश्वरी बार-बार रोटी देने का आग्रह करके शिष्टाचार निभा रही है परंतु आधा-पेट खाकर उठ जानेवाला रामचंद्र स्वाभाविक रूप से इस नाटक से क्रुद्ध हो जाता है। वह शांत होकर बहाना बनाता है कि अधिक खाने से बीमार पड़ जाएगा। दोनों एक-दूसरे से सच्चाई छुपा रहे हैं कि घर में सबके लिए सिर्फ दो-दो रोटियाँ ही बनती हैं। इसी प्रकार से मोहन को जब सिद्धेश्वरी और चपाती देना चाहती है तो वह भी एक कटोरी पानीवाली दाल पीकर उठ जाता है।

इसी प्रकार से मुंशी जी को खाना खिलाते हुए-सिद्धेश्वरी ने पूछा, “बड़का की कसम, एक रोटी देती हूँ अभी बहुत-सी हैं। मुंशी ने पत्नी की ओर अपराधी के समान तथा रसोई की ओर कनखी से देखा, तत्पश्चात किसी छँटे उस्ताद की भाँति बोले, “रोटी ? रहने दो, पेट काफ़ी भर चुका है। अन्न और नमकीन चीज्रों से तबीयत ऊब भी गई है। तुमने व्यर्थ में कसम धरा दी। खैर, कसम रखने के लिए ले रहा हैं। गुड़ होगा क्या ?”
सिद्धेश्वरी ने बताया कि हैंडिया में थोड़ा-सा गुड़ है।
मुंशी जी ने उत्साह के साथ कहा, तो थोड़ा गुड़ का ठंडा रस बनाओ, पीकँगा। तुम्हारी कसम भी रह जाएगी, जायका भी बदल जाएगा, साथ-ही-साथ हाजमा भी दुखस्त होगा। हाँ, खाते-खाते नाक में दम आ गया है। ‘ै यह कहकर ठहाका मारकर हैस पड़े। मुंशी जी की हैंसी में भी एक दर्द का अहसास है। यह ठहाका उनकी विपन्नता पर है। वे पेट भरकर खा भी नहीं सकते। उन्हें बहाना बनाकर गुड़ का ठंडा रस माँगना पड़ता है।

प्रश्न 7.
मुंशी जी तथा सिद्धेश्वरी की असंबद्ध बातें कहानी से कैसे संबद्ध हैं ? लिखिए।
उत्तर :
मुंशी जी जब खाना खाने आते हैं तो पहले तो उनमें बच्चों के संबंध में बातें होती हैं परंतु डेढ़ रोटी खाने के बाद चुप्पी छा जाती है। मुंशी जी चुपचाप शेष आधी रोटी खा रहे थे। सिद्धेश्वरी को यह खामोशी बहुत अखर रही थी। वह खूब खुलकर बातें करना चाहती थी। इस मौन को तोड़ने के लिए वह वैसे ही कह उठती है कि शायद अब वर्षा नहीं होगी तो मुंशी जी कोई विशेष प्रतिक्रिया व्यक्त न करके वहाँ मक्खियों के अधिक होने की बात कहते हैं। इसके बाद सिद्धेश्वरी फूफाजी की बीमारी के बारे में पूछती है तो मुंशी जी गंगाशरण बायू की लड़की की एम०ए० पास लड़के से शादी तय होने की सूचना देते हैं। इनके यह व्यर्थ के वार्तालाप यही सिद्ध करते हैं कि वे अपने घर की दयनीय दशा को छिपाने के लिए कुछ भी बातचीत करके भुला देना चाहते हैं। वे कुछ पल अपनी विपन्नता को भूल जाना चाहते हैं।

प्रश्न 8.
‘दोपहर का भोजन’ शीर्षक किन दृष्टियों से पूर्ण तथा सार्थक है ?
उत्तर :
‘दोपहर का भोजन’ कहानी में लेखक ने एक ऐसे निम्न मध्यवर्गीय परिवार की विपन्नता का चित्रण किया है ‘जिसमें गृहस्वामिनी सात रोटी, पतली दाल और चने की तरकारी से परिवार के पाँच सदस्यों को दोपहर का भोजन करा देती है। वह स्वयं आधी रोटी खाकर ही गुजारा करती है। वह खाना बनाकर सबके आने की प्रतीक्षा करती है और सब को खिलाकर ही स्वयं आधी रोटी खाती है। इस प्रकार सारी कहानी दोपहर के भोजन को लेकर ही रची गई है, अत: इस कहानी का शीर्षक ‘दोपहर का भोजन’ सर्वथा उचित है।

प्रश्न 9.
आपके अनुसार सिद्धेश्वरी के झूठ सौ सत्यों से भारी कैसे हैं? अपने शब्दों के उत्तर दीजिए।
उत्तर :
सिद्धेश्वरी के झूठ सौ सत्यों से भारी इसलिए हैं क्योंक वह इन झूठों के द्वारा ही घर के सभी सदस्यों के मन में एक-दूसरे के प्रति प्रेमभाव उत्पन्न करती है। मुंशी जी रामचंद्र के मुँह से अपनी प्रशंसा तथा उसकी नौकरी लगने की बात सुनकर निश्चिंत हैं। मोहन अपने भाई से अपनी प्रशंसा सुनकर उसके प्रति आदर भाव रख रहा है। सिद्धेश्वरी सबको एक-दूसरे की बात स्वयं ही बनाकर कह रही है, परंतु इससे परिवार जुड़ रहा है। अत: सिद्धेश्वरी के सभी झूठ सौ सत्यों से भी भारी हैं।

प्रश्न 10.
आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) वह मतवाले की तरह उठी और गगरे से लोटा-भर पानी लेकर गट-गट चढ़ा गई।
(ख) यह कहकर उसने अपने मँझले लड़के की ओर इस तरह देखा, जैसे उसने कोई चोरी की हो।
(ग) मुंशी जी ने चने के दाने की ओर इस दिलचस्पी से दृष्टिपात किया, जैसे उनसे बातचीत करनेवाले हों।
उत्तर :
(क) सिद्धेश्वरी सुबह से परिवार वालों के लिए खाना बनाने में जुटी हुई थी। दोपहर तक बह खाना बनाकर उनकी प्रतीक्षा कर रही थी। वह स्वयं भी भूखी थी। इसी सोच में वह डूबी हुई थी कि अचानक उसे प्यास लगी। भूख के मारे वह लड़खड़ाती-सी उठकर गगरे से लोटा भरकर पानी पी लेती है।

(ख) सिद्धेश्वरी मोहन को झूठे ही सांत्वना देते हुए कहती है कि उसका बड़ा भाई उसकी प्रशंसा कर रहा था कि वह पढ़नेलिखने में बहुत ही होशियार है। मोहन जानता था कि यह शब्द उसके भाई ने नहीं कहे होंगे। माँ ही अपने आप बना कर कह रही है। अपने इसी कथन पर स्वयं को लक्जित अनुभव करती हुई सिद्धेश्वरी मोहन की ओर ऐसे देखती है, जैसे कि उसने कोई चोरी की हो।

(ग) सिद्धेश्वरी वातावरण को सहज बनाने के लिए मुंशी जी से कोई न कोई बात करती है। वह उनसे फूफा जी की तबीयत के बारे में पूछती हैं, परंतु मुंशी जी अभी भी अपनी भूख मिटाने में लगे थे इसलिए पत्नी के प्रश्न पर ध्यान न देकर थाली में बचे हुए चने के दानों की ओर देखते हैं।

योग्यता-विस्तार –

प्रश्न 1.
अपने आस-पास मौजूद समान परिस्थितियों वाले किसी विवश व्यक्ति अथवा विवशतापूर्ण घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
रात के गयारह बजे का समय था। जी० टी० रोड से निकलते हुए एक तीव्र गति वाहन ने एक युवक को कुचल दिया। अधमरा युवक रातभर सड़क पर पड़ा सड़पता रहा। आने-जाने वालों ने पुलिस के भय से उसका न तो कोई उपचार किया और न ही अस्पताल ले गए। सुबह किसी भले आदमी ने उसे अस्पताल पहुँचाया तो वहाँ उसने उपचार होने से पहले ही दम तोड़ दिया। यदि उसे समय रहते चिकित्सा मिल जाती, तो वह बच सकता था।

प्रश्न 2.
‘भूख और गरीबी में प्रायः धैर्य और संयम नहीं टिक पाते हैं।’ इसके आलोक में सिद्धेश्वरी के चरित्र पर कक्षा में चचां कीजिए।
उत्तर :
इस कहानी में सिद्धेश्वरी का आत्म-निष्कासन अत्यंत मार्मिक है। वह सब कुछ देखकर, सहकर भी कटु नहीं हो पाती। वह पूरे परिवार को जोड़े रखने के प्रयत्न करती है। वह स्वयं भूखी रहती है, परंतु परिवार के अन्य सदस्यों को भूखे उठता देखकर परेशान है। वह ममतामयी माँ, विश्वासपात्र पत्नी और धरती जैसे धैर्य वाली नारी है। वह सबको भोजन कराने के बाद जब वह स्वयं खाने बैठती है तो शेष एक मोटी, भद्दी और जली हुई रोटी बची होती है जिसमें से आधी प्रमोद के लिए रखकर आधी रोटी, आधा कटोरा दाल और बची हुई चने की तरकारी से अपना पेट भरने का प्रयास करती है। इन्हीं बिंदुओं पर कक्षा में चरचा की जा सकती है।

Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 2 दोपहर का भोजन

प्रश्न 1.
सिद्धेश्वरी का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर :
अमरकांत द्वारा रचित कहानी ‘दोपहर का भोजन’ में सिद्धेश्वरी केंद्रीय पात्र है। पूरी कहानी के केंद्र में रहने के कारण कहानी की कथा का विकास सिद्धेश्वरी के चरित्र से ही होता है। सभी पात्रों के भावों की प्रतिक्रिया सिद्धेश्वरी ही झेलती है। घर की अभावग्रस्तता, निर्धनता एवं तनाव की भोक्ता भी वही है। सिद्धेश्वरी के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) ममतामयी – सिद्धेश्वरी की अथाह ममता, सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार तथा आत्म-त्याग की पराकाष्ठा ही सारे परिवार को बाँध रखने का साधन है। वह सारी पीड़ा और अभावों को स्वयं पी जाना चाहती है, जिससे परिवार के अन्य सदस्य प्रसन्न रह सकें। वह रामचंद्र के सामने मोहन की प्रशंसा करती है तो मोहन के सामने रामचंद्र की। मुंशी जी के सामने रामचंद्र की प्रशंसा करके सबको बांधकर रखना चाहती है। किराया नियंत्रण-विभाग से निकाले गए मुंशी चंद्रिका प्रसाद की पत्नी सिद्धेश्वरी तीन बच्चों की माँ भी है। बड़े लड़के की बेकारी की पीड़ा को वह समझती है। उसकी कटुता को अपनी ममता से शांत करना चाहती है। मँझला बेटा मोहन पढ़ाई में साधारण है, परंतु वह दोनों भाइयों को निकट लाने के लिए एक-दूसरे के सामने उनकी प्रशंसा करती है। छ: वर्षीय प्रमोद की दुरावस्था की सारी पीड़ा भी वही झेलती है। रोगी एवं कुपोषण का शिकार उसका प्रमोद नाम का ही प्रमोद है, वरना उसकी हालत देख कर ही सिद्धेश्वरी को रोना आता है।

(ii) कुशल गृहिणी – सिद्धेश्वरी कुशल गृहिणी है। वह अभाव में भी घर में शांति बनाए रखती है। सबकी आवश्यकताओं का ध्यान रखती है। सबकी मनचाही बातें कहकर उन्हें प्रसन्न करती है। अपनी पीड़ा को छुपाकर मुसकराहट का रूप देने का प्रयास करती है।

भारतीय गृहिणी का आदर्श रूप उसमें है, भले ही यह परंपरागत रूप आज की स्थितियों से मेल नहीं खाता। वह भूखे रहने पर भी पानी पी कर गुजारा कर लेती है। अपने हिस्से की एक रोटी में से आधी रोटी नन्हें प्रमोद के लिए बचाकर रख लेती है। इस प्रकार उसकी अथाह ममता का परिचय मिलता है। वह पूरा प्रयत्न करती है कि बुरे दिनों में भी घर का कोई सदस्य उपेक्षित या अपमानित अनुभव न करे।

(iii) समझौतावादी – सिद्धेश्वरी ने निर्धनता से समझौता कर लिया है। वह फटे-पुराने, पैबंद लगे वस्त्र पहनती है। अपनी इच्छाओं या आवश्यकताओं को लेकर उसे कोई शिकायत नहीं। उसे केवल इस बात का दुख है कि उसका पति तथा उसकी संतान रसोई में से भूखे उठ जाते हैं।

(iv) सहनशीलता – आत्म-निर्वासन अथवा आत्म-त्याग की चरम सीमा सिद्धेश्वरी के चरित्र को ऊँचा उठा देते हैं। वह पतिव्रत धर्म का पूरा पालन करती है तथा पति के बेकार होने पर भी उसका निरादर नहीं करती और न ही उससे हर समय अभावों का रोना रोती है। सिद्धेश्वरी के चरित्र में धरती की-सी सहनशीलता है। उसका जीवन परिवार को पूरी तरह समर्पित है। संक्षेप में कह सकते हैं कि सिद्धेश्वरी एक आदर्श नारी के रूप में हमारे सामने आती है। वह कुशल गृहिणी, ममतामयी माँ, कर्तव्यपरायण पत्ली तथा समझदार महिला है। निर्धनता तथा अभावों से वह हँसकर जूझती है और घोर निर्धनता में भी हार नहीं मानती। उसका चरित्र आदर्श भारतीय नारी का चरित्र है।

प्रश्न 2.
लेखक ने ‘दोपहर का भोजन’ कहानी में परिवार की विपन्तता का कैसे चित्रण किया है ?
उत्तर :
इस कहानी में लेखक ने परिवार की दयनीय दशा का सजीव चित्रण किया है । घर की स्थिति इतनी दयनीय है कि सबको भरपेट भोजन भी नसीब नहीं हो रहा। रामचंद्र इंटर पास है फिर भी उसे कहीं काम नहीं मिल रहा। रामचंद्र को खाना-खिलाते वह पूछती है, “वहाँ कुछ हुआ क्या ?” रामचंद्र भावहीन आँखों से माँ की ओर देखकर कहता है, “समय आने पर कुछ हो जाएगा।” जब रामचंद्र मोहन के बारे में माँ से पूछता है तो वह रामचंद्र के सामने यही कहती है कि अपने किसी साथी के घर पढ़ने गया है।

मुंशी चंद्रिका प्रसाद के पास पहनने के लिए तार-तार बनियान है। आँगन की अलगनी पर कई पैबंद लगी गंदी साडियाँ टँगी हुई हैं। दाल पनिभौला बनती है। प्रमोद अध-टूटे खटोले पर सोया है। वह हड्डियों का ढाँचा मात्र रह गया है। मुंशी जी पँतालीस के होते हुए भी पचास-पचपन के लगते हैं। कहानी के अंत में भी वहाँ मक्खियाँ और गंदगी दिखाई पड़ती है। अलगनी पर पैबंद लगी गंदी साडियों, पानी भरी दाल और गिनती की रोटियों से गरीबी की भयानकता बढ़ती जाती है। इस प्रकार इस कहानी में लेखक ने निम्न मध्यर्गीय परिवार की विपन्नता का सजीव चित्रण किया है।

प्रश्न 3.
सिद्धेश्वरी रोटी लेने के लिए रामचंद्र, मोहन और मुंशी जी से जो इसरार करती है, उसके मर्म का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
जब रामचंद्र घर खाना खाने आता है तो सिद्धेश्वरी उसे खाना देती है। माँ के कहने पर भी वह और रोटी नहीं लेता क्योंकि वह जानता है कि अभी औरों को भी खाना है। मोहन को भी वह दो रोटी, दाल और तरकारी देती है और वह भी और रोटी लेने से मना कर देता है, पर दाल माँग कर पी लेता है। अंत में मुंशी जी आते हैं। उन्हें भी वह दो रोटी, दाल और चने की तरकारी देती है। जब और रोटी के लिए पूछती है तो वे घर की दशा से परिचित होने के कारण रोटी लेने से मनाकर देते हैं, किंतु गुड़ का ठंडा रस पीने के लिए माँगते हैं। जितनी बार सिद्धेश्वरी किसी को एक और चपाती खाने का आग्रह करती है तो उतनी बार लगता है कि अब समस्या विकराल हो जाएगी।

परिवार के सदस्यों कें एक अदृश्य-सा समझौता है। कोई भी दो रोटी से अधिक की माँग नहीं करता और न ही इससे अधिक चपाती खाने का अधिकार रखता है। एक माँ और पत्नी के नाते वह उन्हें और रोटी लेने के लिए बार-बार अनुरोध करती है। इस कहानी का कथानक निम्न-मध्यमवर्गीय परिवार की आर्थिक विपन्नता को लेकर चला है। परिवार के सारे सदस्य फटे-पुराने कपड़े पहने, आधा-पेट खाकर रसोई से उठ जाते हैं। सिद्धेश्वरी इस स्थिति में भी सभी सदस्यों को प्रसन्न करने का प्रयत्ल करती है। वह सभी सदस्यों से वहीं बातें करती हैं जिनसे उन्हें प्रसन्नता मिले। उसका यह प्रयत्न सफल भी रहता है। भूखे रहने की पीड़ा को वे कुछ समय के लिए भूल भी जाते हैं। इससे सिद्धेश्वरी को भी क्षणिक सुख की अनुभूति होती है, जो उसके स्वयं खाना खाने के लिए बैठने पर आँसुओं में परिवर्तित हो जाती है-यह सोचकर कि वह अपने परिवार को पेट-भर खाना भी नहीं खिला सकती।

प्रश्न 4.
सिद्धेश्वरी और मुंशी जी के संवादों को विवरण के रूप में लिखिए।
उत्तर :
मुंशी जी ने दाल सुड़कते हुए सिद्धेश्वरी से बड़के के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि वह अभी खाना खाकर गया है और आप की प्रशंसा कर रहा था। वह कह रहा था कि कुछ ही दिनों में उसकी नौकरी लग जाएगी। मुंशी जी यह सुनकर बहुत प्रसन्न होते हैं और बड़के को ‘पगला है’ कहते हैं। तब सिद्धेश्वरी बड़के को होशियार तथा समझदार बताती है जिसकी मोहन भी इज्ज़त करता है। मुंशी जी बड़के को बचपन से ही होनकार मानते हैं। कुछ देर बाद सिद्धेश्वरी वर्षा नहीं होने की संभावना व्यक्त करती है तो मुंशी जी मविखयों के होने पर चिंता जताते हैं। सिद्धेश्वरी उन्हें एक रोटी और लेने के लिए कहती है परंतु वे मना कर देते हैं और गुड़ का ठंडा रस बनाने के लिए कहते हैं।

प्रश्न 5.
कहानी के प्रारंभ में सिद्धेश्वरी की मन:स्थिति का विवरण अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
कहानी के प्रारंभ में सिद्धेश्वरी खाना बनाने के बाद चूल्हा बुझाकर दोनों घुटनों के बीच सिर रखकर विचारों में खो जाती है। वह सोचती है कि उसका घर-संसार कैसे चलेगा, क्योंक उसके पति की नौकरी छूट गई थी। प्यास लगने पर वह पानी पीती है तो खाली पेट पानी पीने से पानी उसके कलेजे में जाकर लगता और वह कुछ देर जमीन पर लेट जाती है। वह आधे घंटे तक ऐसे ही पड़ी रहती है कि अचानक सोए हुए प्रमोद पर भिनभिनाती हुई मक्खियाँ देखती है। वह उठती है और उसके मुँह पर अपना फ़ा हुआ गंदा ब्लाउज डाल देती है। जैसे ही वह बाहर किवाड़ की आड़ से गली में देखती है कि तेज धूप है और बारह बज चुके हैं तो वह इस चिंता से व्यग्र हो उठती है कि घर के सदस्य अब तक खाना खाने क्यों नहीं आए।

प्रश्न 6.
सिद्धेश्वरी ने ओसारे में अध-दूटे खटोले पर क्या देखा ?
उत्तर :
सिद्धेश्वरी ने ओसारे में अध-टूटे खटोले पर सोए अपने छह वर्षीय पुत्र प्रमोद को देखा, जो नंग-धड़ंग पड़ा था। उसके गले तथा छाती की हड्डियाँ साफ़ दिखाई दे रही थीं। उसके हाथ-पैर बासी ककड़ियों की तरह सूखे तथा बेजान पड़े थे। उसका पेट हँडिया की तरह फूला हुआ था। उसका मुँह खुला हुआ था। उस पर अनगिनत मक्खियाँ भिनभिना रही थीं।

प्रश्न 7.
कहानी में रामचंद्र कौन है तथा उसका सिद्धेश्वरी से क्या संबंध है?
उत्तर :
रामचंद्र सिद्धेश्वरी का बड़ा पुत्र है। उसकी उम्र लगभग इक्कीस वर्ष है। उसका कद लंबा है। वह दुबला-पतला, गोरे रंग का है। उसकी अँखें बड़ी-बड़ी है तथा होंठों पर झुर्रियाँ हैं। वह एक स्थानीय दैनिक समाचार पत्र के दफ्तर में प्रूफ-रीडरी का काम सीखता है। पिछले वर्ष उसने इंटर की परीक्षा पास की थी।

प्रश्न 8.
सिद्धेश्वरी ने अपने कौन-से पुत्र के लिए रामचंद्र से झूठ बोला और क्या बोला ?
उत्तर :
सिद्धेश्वरी ने अपने मँझले पुत्र मोहन के लिए रामचंद्र से झूठ बोला। उसने रामचंद्र से झूठ-मूठ कहा कि वह किसी लड़के के यहाँ पढ़ने गया है, आता ही होगा। दिमाग उसका बड़ा तेज़ है और उसकी तबीयत चौबीसों घंटे पढ़ने में ही लगी रहती है। हमेशा उसी की बात करता रहता है।

प्रश्न 9.
मोहन के बारे में आप क्या जानते हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
मोहन सिद्धेश्वरी का मँझला लड़का है। वह रामचंद्र का छोटा भाई है। उसकी आयु अट्ठारह वर्ष की है। वह कुछ साँवला है। उसकी आँखें छोटी हैं। उसका शरीर रामचंद्र की तरह दुबला-पतला है। उसका कद छोटा है। वह उम्र की अपेक्षा कहीं अधिक गंभीर और उदास दिखाई देता है। इस वर्ष वह हाई स्कूल का प्राइवेट इम्तिहान देने की तैयारी कर रहा है।

प्रश्न 10.
कहानी में मुंशी चंद्रिका प्रसाद कौन हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर :
कहानी में मुंशी चंद्रिका प्रसाद सिद्धेश्वरी के पति हैं। वह प्रमोद, मोहन और रामंचद्र के पिता हैं। उनकी आयु पैतालीस वर्ष के लगभग है, किंतु वे पचास-पचपन के लगते हैं। शरीर का चमड़ा अब झूलने लग गया है। उनके सिर के बाल झड़ गए हैं। सिर आईने की भौंति चमकने लगा है। उनकी गंदी धोती के ऊपर अपेक्षा कुछ साफ़ बनियान के तार लटक रहे हैं।

प्रश्न 11.
कहानी में प्रयोग किए गए देशज शब्दों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर :
‘दोपहर का भोजन’ कहानी में कहानीकार अमरकांत ने देशज शब्दों का अत्यधिक मात्रा में प्रयोग किया है, जो निम्नलिखित हैं-गगरे, ओसारे, खटोले, हैंडिया, किवाड़, आड़, गमछा, बड़कू, खड़खड़िया, इक्के, बड़का, बड़बड़ाना, तरकारी, सुड़-सुड, खस-खस, चुभला-चबा, सुड़कते, जुगाली, धम से, सरकना, लीपना-पोतना, उचका, झट से, पनियाई, छिपुली, कनखी, मँझला धड़तले, पुक-पुक, सबक, बर्राक, पंडूक, ठहाका, बटलोई, उँड़ोल आदि।

प्रश्न 12.
अमरकांत की कहानियों का परिचय दें।
उत्तर :
अमरकांत प्रेमचंद्र की परंपरा पर चलने वाले कहानीकार हैं। इनकी अधिकतर कहानियों के कथानक दु:खपूर्ण होते है। इनकी कहानियाँ यथार्थवादी होती हैं। इनकी कहानियौँ जीवन के कठोर धरातल से होकर गुजरती हैं। इनकी कहानियों में रोचकता और प्रभावात्मकता की कहीं कमी देखने को नहीं मिलती। इनके कथानक सरल, संक्षिप्त तथा सार्थक होते हैं।

प्रश्न 13.
अमरकांत की कहानियों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
आधुनिक दौर के कहानीकारों में अमरकांत का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके द्वारा रचित कहानियाँ मध्यवर्ग की पीड़ा, विषाद तथा व्यंग्य को व्यक्त करती हैं। उनके द्वारा रचित कुछ कहानियाँ इस प्रकार से हैं-दोपहर का भोजन, ज़िंदगी और जोंक, पलाश के फूल, प्रतीक्षा, संवादन्यये, गगन बिहारी, छिपकली, डिप्टी कलक्टरी, मूस संत तुलसीदास और सोलहवाँ साल, शुभचिंता, क्यान की दो तलवारें, उधार आदि।

प्रश्न 14.
‘दोपहर का भोजन’ कहानी का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
‘दोपहर का भोजन’ कहानी अमरकांत द्वारा रचित है। यह यथार्थवादी शैली पर आधारित कहानी है। इस कहानी में अमरकांत ने एक मध्यवर्गीय परिवार की पीड़ा, विषाद तथा दुख का शब्द चित्र खींचा है। लेखक ने कहानी का प्रारंभ यथार्थवाद शैली को आधार बनाकर किया। उन्होने इस कहानी में मध्यवर्ग की कारूणिक गाथा का बड़ा ही सजीव वर्णन किया है। कहानीकार ने कहानी में देशज शब्दों का भरपूर प्रयोग किया है-चगरे, गमछा, बर्राक, सुड़कना, जुगाली, सुड़-सुड़, सरकना, लीपना-पोतना, धमसे, कनखी, छिपुली, पुक-पुक, उचका, झट से, मँझला, बड़का, झूठ-मूठ आदि। आम बोल-चाल की भाषा का प्रयोग करते हुए उर्दू एवं तत्सम शब्दों का भी सहारा लिया गया है। मुहावरों का भी यथासंभव प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 15.
‘दोपहर का भोजन’ कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
‘दोपहर का भोजन’ अमरकांत द्वारा रचित एक यथार्थवादी कहानी है। इस कहानी में मध्यमवर्ग की पीड़ा, दु:ख एवं विषाद का चित्रण हुआ है। कहानीकार ने कहानी में विशुद्ध साहित्यिक भाषा का प्रयोग न करके सरल, संक्षिप्त एवं सहज स्वाभाविक भाषा का प्रयोग किया है। इनकी कहानियों में बोरियत, बोझिलता एवं जटिलता आदि का कोई स्थान नहीं है। मुहावरों की अभिव्यंजना से भाषा-शैली सटीक बन गड़ी है। व्यंग्य शैली इनकी कहानियों की प्रमुख विशेषता है। अपनी इसी शैली से अमरकांत पाठक का मन मोह लेते हैं।

प्रश्न 16.
‘दोपहर का भोजन’ कहानी में अमरकांत द्वारा प्रयोग किए गए मुहावरों को सूचीबद्ध कीजिए-
उत्तर :
आधुनिक कहानीकार अमरकांत ने अपनी कहानी ‘दोपहर का भोजन’ को अधिक रोचक और मार्मिक बनाने के लिए निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग किया है –
हाथ खींचना, तार-तार लटकना, जान देना, तबीयत उठाना, छँटा उस्ताद, कमस धरना, आँखें भर आना, सुड़-सुड़ पीना, गटगट चढ़ाना, चूल्हा-बुझाना, खाने में जुटना, खाते-खाते नाक में दम, फीकी हैसी-हैंसना, खाने में जुटना, कसम रखना, बड़बड़ाने लगना आदि।

प्रश्न 17.
सिद्धेश्वरी द्वारा रोटी लेने की बात पर मुंशी जी ने क्या कहा ?
उत्तर :
मुंशी जी ने पत्नी की ओर अपराधी के समान देखा और किसी घुटे उस्ताद की भौँति बोले, रोटी रहने दो, पेट काफ़ी भर चुका है। अन्न और नमकीन चीज़ों से तबीयत ऊब भी गई है। तुमने व्यर्थ में कसम दे दी। तब मुंशी जी ने उत्साह से कहा कि थोड़े गुड़ का ठंडा रस बनाओ, पीऊँगा। तुम्हारी कसम भी रह जाएगी, जायका भी बदल जाएगा, साथ-ही-साथ हाजमा भी दुरुस्त होगा।

11th Class Hindi Book Antra Questions and Answers 

Filed Under: CBSE

LearnCBSE.in Student Education Loan
  • Student Nutrition - How Does This Effect Studies
  • Words by Length
  • NEET MCQ
  • Factoring Calculator
  • Rational Numbers
  • CGPA Calculator
  • TOP Universities in India
  • TOP Engineering Colleges in India
  • TOP Pharmacy Colleges in India
  • Coding for Kids
  • Math Riddles for Kids with Answers
  • General Knowledge for Kids
  • General Knowledge
  • Scholarships for Students
  • NSP - National Scholarip Portal
  • Class 12 Maths NCERT Solutions
  • Class 11 Maths NCERT Solutions
  • NCERT Solutions for Class 10 Maths
  • NCERT Solutions for Class 9 Maths
  • NCERT Solutions for Class 8 Maths
  • NCERT Solutions for Class 7 Maths
  • NCERT Solutions for Class 6 Maths
  • NCERT Solutions for Class 6 Science
  • NCERT Solutions for Class 7 Science
  • NCERT Solutions for Class 8 Science
  • NCERT Solutions for Class 9 Science
  • NCERT Solutions for Class 10 Science
  • NCERT Solutions for Class 11 Physics
  • NCERT Solutions for Class 11 Chemistry
  • NCERT Solutions for Class 12 Physics
  • NCERT Solutions for Class 12 Chemistry
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 1
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 2
  • Metals and Nonmetals Class 10
  • carbon and its compounds class 10
  • Periodic Classification of Elements Class 10
  • Life Process Class 10
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 7
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 8
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 9
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 10
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 11
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 12
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 13
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 14
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 15
  • NCERT Solutions for Class 10 Science Chapter 16

Free Resources

RD Sharma Class 12 Solutions RD Sharma Class 11
RD Sharma Class 10 RD Sharma Class 9
RD Sharma Class 8 RD Sharma Class 7
CBSE Previous Year Question Papers Class 12 CBSE Previous Year Question Papers Class 10
NCERT Books Maths Formulas
CBSE Sample Papers Vedic Maths
NCERT Library

NCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 10
NCERT Solutions for Class 9
NCERT Solutions for Class 8
NCERT Solutions for Class 7
NCERT Solutions for Class 6
NCERT Solutions for Class 5
NCERT Solutions for Class 4
NCERT Solutions for Class 3
NCERT Solutions for Class 2
NCERT Solutions for Class 1

Quick Resources

English Grammar Hindi Grammar
Textbook Solutions Maths NCERT Solutions
Science NCERT Solutions Social Science NCERT Solutions
English Solutions Hindi NCERT Solutions
NCERT Exemplar Problems Engineering Entrance Exams
Like us on Facebook Follow us on Twitter
Watch Youtube Videos NCERT Solutions App