NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 1 ईदगाह
Class 11 Hindi Chapter 1 Question Answer Antra ईदगाह
प्रश्न 1.
‘ईदगाह’ कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे ईंद के अवसर पर ग्रामीण परिवेश का उल्लास प्रकट होता है ।
उत्तर :
कहानी का प्रारंभ ईंद के आने के उल्लास से होता है। प्रकृति भी ईंद के अवसर पर अत्यंत मनोरम हो गई है। बच्चे इंदगाह पर लगनेवाले ईद के मेले में जाने की तैयारी कर रहे हैं। वे अपने-अपने पैसों से खिलौने, मिठाई आदि खरीदने का हिसाब लगा रहे हैं। हामिद की दादी उसे तीन पैसे देकर मेले में अन्य बच्चों के साथ भेजती है। बच्चे हैसते-खेलते-दौड़ते हुए मेले में जा रहे हैं। मेले में खिलौने, हलवाई, मनियारी आदि की दुकानें लगी हैं। बच्चे अपनी पसंद की चीजें खरीदते हैं। पुलिस लाइन और ईदगाह में सामूहिक रूप से नमाज पढ़नेवालों का वर्णन किया गया है। हामिद् व्यर्थ की वस्तुओं में पैसे बरबाद न करके दादी के लिए चिमटा खरीदता है क्योंकि तवे से रोटी उतारते समय उसका हाथ जल जाता है। हामिद चिमटे के गुणों से सब बच्चों को हैरान कर देता है। अमीना सारी दोपहरी भूखा रहने पर हामिद को डाँटती है पर उसके लिए चिमटा लाने पर उसके प्रति अपार स्नेह से भर उठती है। इन सभी प्रसंगों में ईद के अवसर पर ग्रामीणों के उल्लास को व्यक्त किया गया है।
प्रश्न 2.
‘उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा। विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद् की आनंद-भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी।’ इस कथन के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि आशा का प्रकाश मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
उत्तर :
यदि मनुष्य के मन में उत्साह, उमंग, कुछ करने की भावना तथा साहस हो तो वह कठिन-से-कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है क्योंकि उसे विश्वास होता है कि उसका परिश्रम असफल नहीं होगा, उसकी आशाएँ पूरी होंगी। आशावान व्यक्ति को सर्वत्र शुभ ही दिखाई देता है। वह कभी निराश नहीं होता।
प्रश्न 3.
‘उन्हें क्या खबर कि चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहारम हो जाए।’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
बच्चे ईद के दिन बहुत प्रसन्न है। वे सुबह से ही ईंदगाह पर जाने की रट लगा रहे हैं। उन्हें इस बात की चिंता नहीं है कि ईद का खच्च कैसे चलेगा ? उनके पिता चौधरी के घर रुपयों के लिए दौड़ गए हैं क्योंक वे चौधरी से पैसे लेना चाहते हैं। यदि आज चौधरी ने उन्हें पैसे देने से मना कर दिया तो वे ईद नहीं मना पाएँगे और यह खुशियों से भरा ईद का त्योहार भी उनके लिए मातम मनाने वाला मुहरम बन जाएगा।
प्रश्न 4.
‘मानो भातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है।’ इस कथन के संद्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है’।
उत्तर :
ईंद के मेले में गाँव के सभी बच्चे एक साथ मिलकर जा रहे हैं। उनमें अमीर-गरीब, ऊँच-नीच का कोई भेदभाव नहीं हैं। वे आपस में हैंसी-मजाक करते हुए इस प्रकार जा रहे हैं जैसे सभी एक ही परिवार के सदस्य हों। इस प्रकार ईद के इस पावन पर्व पर सभी मिल-जुलकर एक हो गए हैं। इससे स्पष्ट है कि धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है।
प्रश्न 5.
ईदगाह कहानी के शीर्षक का औचित्य सिद्ध कीजिए। क्या इस कहानी को कोई और शीर्षक दिया जा सकता है ?
उत्तर :
इस कहानी का प्रमुख घटनास्थल ईदगाह है। इस कहानी की प्रमुख घटनाएँ- ईद के अवसर पर ईदगाह की चमक-दमक देखकर बच्चों का उत्साहित एवं प्रफुल्लित होना, ईदगाह जाने की तैयारियाँ, हामिद द्वारा चिमटा खरीदना, बच्चों द्वारा मेले में जकर खिलौने-मिठाई आदि खरीदना-सब ईदगाह में ही घटित हुई हैं। इसी आधार पर कहानी को ‘ईवगाह’ शीर्षक दिया गया होगा। हामिद द्वारा दादी के लिए चिमटा खरीदने तथा मेले में जाकर खिलौना, मिठाई आदि न खरीदने की घटना के आधार पर इस कहानी को अन्य शीर्षक दिया जा सकता है। इस घटना से हामिद के मन में अपनी दादी के प्रति आदर का भाव दिखाई देता है। वह खिलौना न खरीदकर दादी के लिए चिमटा इसलिए खरीदता है क्योंकि तवे से रोटी उतारते समय उसका हाथ जल जाता था। वह सारी दोपहरी भूखा रह लेता है परंतु मिठाई खरीदकर नहीं खाता। अन्य बच्चों को खिलौने लेते और मिठाई खाते देखकर हामिद का मन ललचाता अवश्य है परंतु दादी के कष्ट को याद कर वह सब कुछ भुलाकर उसके लिए चिमटा खरीदता है। इसलिए इस कहानी का शीर्षक ‘बालक का बड़पन’ भी हो सकता है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(क) कई बार यही क्रिया होती है ……… आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है।
(ख) बुढ़िया का क्रोध ……… स्वाद से भरा हुआ।
उत्तर :
इस पाठ का ‘सप्रसंग व्याख्या’ वाला भाग देखिए।
प्रश्न 7.
हामिद ने चिमटे की उपयोगिता को सिद्ध करते हुए क्या-क्या तर्क दिए ?
उत्तर :
हामिद का चिमटा देखकर उसके सभी ग्रामीण साथियों ने उसकी हैसी उड़ाई पर उसने तर्क के बल पर सभी को पराजित कर दिया। सम्मी ने अपनी खँँरी की प्रशंसा की तो हामिद ने कहा-मेरा चिमटा चाहे तो तुम्हारी खँंजरी का पेट फाड़ डाले। मेरा बहादुर चिमटा आग में, पानी में, आँधी में तुफान में बराबर डटा रहेगा। कंधे पर रखने से यह बंदूक तथा हाथ में लेने से यह फकीरों का चिमटा बन जाएगा। यह मंजीर का काम भी दे सकता है।
प्रश्न 8.
गाँव से शहर जानेवाले रास्ते के मध्य पड़नेवाले स्थलों का ऐसा वर्णन प्रेमचंद ने किया है मानों आँखों के सामने चित्र उपस्थित हो रहा हो। अपने घर और विद्यालय के मध्य पड़नेवाले स्थानों का अपने शब्दों में वर्णंन कीजिए।
उत्तर :
मेरा घर शहर के अंदर के रामनगर क्षेत्र में है। यहाँ से मेरा विद्यालय चार किलोमीटर दूर खुले प्राकृतिक वातावरण में है। मैं घर से विद्यालय की बस में विद्यालय जाती हूँ। हमारी बस हमारे क्षेत्र से चलकर मुख्य बाज़ार से निकलती है। बाज़ार में वस्तों, मिठाई, किरयाना, मनियारी आदि के सामान की अनेक टुकानें हैं। बाज़ार के बाद सिनेमाघर हैं। जहाँ दिखाई जाने वाली फिल्म के पोस्टर लगे होते हैं। वहाँ से बस हमारे नगर के महाविद्यालय के मुख्य द्वार के सामने से निकलती है। महाविद्यालय बहुत विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके साथ ही सार्वजनिक चिकित्सालय है। अंत में हमारा विद्यालय आ जाता है। हमारे विद्यालय के चारों ओर हरियाली है तथा मनोरम वातावरण है।
प्रश्न 9.
‘बच्चे हामिद ने बूट्डे हामिद का पार्ट खेला था। बुढ़िया अमीना बालिका बन गई ।’ इस कथन में ‘बूड़े हामिद’ और ‘ बालिका अमीना’ से लेखक का क्या आशय है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
हामिद मेले में जाकर भी मिठाई आदि कुछ नहीं खाता। वह सुबइ घर से गया था और दोपहर के समय घर लौटा है। इस बीच उसने कुछ भी नहीं खाया-पिया था। दादी के दिए पैसों से वह दादी के लिए चिमटा लेकर आया है क्योंकि रोटी उतारते समय तवे से दादी की उँगलियाँ जल जाती थीं। हामिद भूखा-प्यासा रहकर दादी के लिए चिमटा लाया यह सोचकर दादी का मन भर आया और वह बालिका के समान रोने लगी कि इतना छोटा बच्चा कैसे उसका ध्यान रख रहा है और उसे आशीवर्वद देने लगी। उसे हामिद एक बुजुर्ग लग रहा था और वह उसके सामने बालिका बन गई थी।
प्रश्न 10.
‘दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी। हामिद इसका रहस्य क्या समझता।’ लेखक के अनुसार हामिद अमीना की दुआओं और आँसुओं के रहस्य को क्यों नहीं समझ पाया ? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
मुंशी प्रेमचंद ने यहाँ इस रहस्य की ओर संकेत किया है कि किस भावना के वशीभूत होकर हामिद की दादी एक बालिका के समान रोती जा रही है और साथ ही दामन फैलाकर उसे आशीर्वाद भी दे रही है। वह दादी के मन में छुपे हुए इस भेद को नहीं समझ पा रहा था क्योंकि वह नादान बालक था।
प्रश्न 11.
हामिद के चरित्र की कोई तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
हामिद के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(क) निडर-हामिद एक निडर बालक है। उसकी दादी को चिंता है कि वह ईद के मेले में अकेला कैसे जाएगा ? उसे डर है कि मेले की भीड़-भाड़ में हामिद कहीं खो न जाए। उसके पास जूते भी नहीं हैं। वह नंगे पाँव इतनी दूर कैसा जा पाएगा ? इसपर हामिद दादी को समझाता है कि तुम छरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊँगा। बिल्कुल न डरना। इस प्रकार दादी को समझाकर वह गाँव के अन्य बच्चों के साथ मेले में जाता है।
(ख) समझदार-हामिद बहुत समझदार है। उसकी दादी उसे मेले में खर्च करने के लिए तीन पैसे देती है। वह वहाँ यिटाई अथवा खिलाँने लेने के स्थान पर दादी के लिए चिमटा खरीदता है क्योंकि तवे पर रोटियाँ सेकते समय दादी की उँगलियाँ जल जाती थीं। यह हामिद की समझदारी का ही प्रमाण है।
(ग) सहनशील-हामिद की सहनशीलता देखते ही बनती है। मोहसिन, सम्मी, महमूद आदि उसके खिलौना अथवा मिठाई न खरीदने पर उसका मज़ाक उड़ाते हैं। मोहसिन उसे रेवड़ी देने का दिखावा करके स्वर्य खा लेता है। इन सब बातों से हामिद क्रोधित नहीं होता बल्कि चुपचाप सब कुछ सहन कर लेता है।
(घ) तर्कशील-हामिद अपनी बात को तर्क दूबारा सिद्ध कर देता है। चिमटे को अन्य बच्चों के खिलौने से श्रेष्ठ बताने के लिए वह चिमटे को बंदूक, मंजीरा आदि बताकर प्रभावित करता है और बच्चे भी अपने खिलौने से बदलकर उसका चिमटा लेना चाहते हैं परंतु हामिद उनें नहीं देता है।
अपनी इन्ही विशेषताओं के कारण हामिद हमें सर्वाधिक प्रभावित करता है।
प्रश्न 12.
हामिद के अतिरिक्त इस कहानी के किस पात्र ने आपको सर्राधिक प्रभावित किया और क्यों ?
उत्तर :
‘ईदगाह’ कहानी में हामिद के अतिरिक्त उसकी दादी अमीना हमें बहुत प्रभावित करती है। वह अपने पुत्र और पुत्रवध की मृत्यु के बाद पौत्र हामिद की परवरिश करती है। उसे हर समय हामिद् की चिंता लगी रहती है। वह उसे ईंद के मेले में भेजते समय तीन पैसे देती है। उसे उसके पाँव में जूतों के न होने तथा तीन कोस तक पैदल चल कर मेले में जाने की भी चिंता है। मेले में हामिद कुछ खाता-पीता नहीं बल्कि दादी के लिए चिमटा ले आता है। दादी उसके कुछ खाने-पीने के स्थान पर चिमटा लाने पर पहले तो उसे डाँटती है, बाद में हामिद को अपनी चिंता करते देख कि रोटी बनाते समय उसके हाथों को जलने से बचाने के लिए वह चिमटा लाया है, उसपर न्योछावर हो जाती है। इस प्रकार ममता की मूर्ति दादी हमें बहुत प्रभावित करती है।
प्रश्न 13.
‘बच्चों में लालच एवं एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है’ -कहानी से कोई दो प्रसंग चुनकर इस मत की पुष्टि कीजिए।
उत्तर :
पहला प्रसंग उस समय का है जब बच्चे मिठाई खरीदकर खा रहे होते है। कोई रेवड़ी, कोई गुलाबजामुन तो कोई सोहन हलवा खरीदता है। हामिद कुछ नही खरीदता। मोहसिन हामिद को रेवड़ी देने का दिखावा करके रेवड़ी अपने मुँह में डाल लेता है तो हामिद खिसिया जाता है और सब उसका मजाक उड़ाते हैं। जैसे ही मोहसिन को अपनी गलती का अहसास होता है वह अल्ला कसम कहकर हामिद को रेवड़ी लेने के लिए कहता है। महमूद भी उसे गुलाब-जामुन देना चाहता है। दूसरा प्रसंग हामिद के द्वारा चिमटा खरीदने का है। सब बच्चे चिमटा अपने हाथ में लेकर देखना चाहते हैं। पहले कोई बच्चा अपने खिलौना हामिद को नहीं दिखाता था परंतु अब सभी बारी-बारी से अपना खिलौना हामिद को दिखा रहे थे और उसका चिमटा अपने हाथ में लेकर देख रहे थे। इन दोनों प्रसंगों से स्पष्ट है कि बच्चों में होड़ के साथ-साथ निश्लता भी होती है।
प्रश्न 14.
‘प्रेमचंद की भाषा बहुत सजीव, मुहावरेदार और बोलचाल के निकट है।’ कहानी के आधार पर इस कथन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘ईदगाह’ कहानी भाषा-शैली की दृष्टि से मुंशी प्रेमचंद की उच्चकोटि की रचना है। भाषा पूर्णत: पात्रानुकूल है। कहानी के प्रारंभ में लेखक ने काव्यात्मक भाषा के प्रयोग से ईद के त्योहार का खुशनुमा वातावारण प्रस्तुत किया है। “रमज्ञान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आई है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात है। वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीवल है मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है।”
लेखक ने सामान्य बोल-चाल के शब्दों के साथ-साथ तत्सम शब्दावली के प्रयोजन, सामग्री, शास्त्रार्थ, आघात, आतंकित, मोहित, परास्त जैसे शब्दों का भरपूर प्रयोग किया गया है। पात्रों की दृष्टि से गाँव में प्रचलित शब्दों जैसे-अब्बाजान, अम्मीजान, अल्लाह मियाँ, नियामतें, अठन्नी, जिन्नात, कानिसटिबिल, जाजिम, सिजदे, हिंडोला, घुड़कियाँ का प्रयोग यथास्थान उचित रूप से किया गया है। गाँव से मेले में जाने के लिए अब लोग निकलते हैं तो उनके साथ चल रहे बच्चों की हरकतों का लेखक ने बाल मनोविज्ञान के अनुसार सहज चित्रण किया है।” गाँव से मेला चला। और बच्चों के साथ हामिद भी जा रहा था। कभी सब-के-सब दौड़कर आगे निकल जाते। फिर किसी पेड़ के नीचे खड़े होकर साथवालों का इंतज़ार करते। यह लोग क्यों इतना धीरे-धीरे चल रहे हैं। हामिद् के पैरों में तो जैसे पर लग गए हैं। वह कभी थक सकता है।
कहानी की शैली मुख्य रूप से वर्णनात्मक है किंतु संवादों के द्वारा कहानी में रोचकता तथा गति का समावेश हो गया है। संवाद संक्षिप्त, चुस्त, पात्रानुकूल तथा सहज हैं- जैसे दुकानदार और हामिद का यह वार्तालाप-
“हामिद ने दुकानदार से पूछा-यह चिमटा कितने का है ?
दुकानदार ने उसकी ओर देखा और कोई आदमी साथ न देखकर कहा-तुम्हारे काम का नहीं है जी ।
‘बिकाऊ है कि नहीं ?’
‘बिकाऊ क्यों नहीं है। और यहाँ क्यों लाद लाए हैं?
‘तो बताते क्यों नहीं, कै पैसे का है ?’
‘छह पैसे लगेंगे।’
हामिद का दिल बैठ गया।
‘ठीक-ठीक बताओ!’
‘ठीक-ठीक पाँच पैसे लगेंगे, लेना हो लो, नहीं चलते बनो।’
हामिद ने कलेजा मज़बूत करके कहा- ‘तीन पैसे लोगे ?’
इस प्रकार स्पष्ट है कि ‘ईदगाह’ कहानी की भाषा-शैली अत्यंत सहज, भावपूर्ण तथा प्रवाहमयी है।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
प्रेमचंद की कहानियों का संग्रह ‘मानसरोवर’ के नाम से आठ भागों में प्रकाशित है। अपने पुस्तकालय से उसे लेकर पढ़िए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
इस कहानी में लोक प्रचलित मुहावरों की भरमार है, जैसे-नानी मरना, छक्के छूटना आदि । इसमें आए मुहावरों की एक सूची तैयार कीजिए।
उत्तर :
आँखें बदलना, ईद मुहरम हो जाना, कुबेर का धन, राई का पर्वत बनाना, अरमान निकालना, बेड़ा पार लगाना, मुँह चुराना, पर लगना, जी चुराना, आँखों तले अँधेरा, खिसिया जाना, मिजाज दिखाना, आग में कूदना, गद्गद होना, दिल कचोटना, मैदान मारना, उल्लू बनाना, सिर पर सवार होना, बाल भी बांका न होना, माटी का चोला माटी में मिलना, एड़ी-चोटी का जोर लगाना।
Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 1 ईदगाह
प्रश्न 1.
मिठाई न खरीद पाने पर हामिद् अपने-आपको कैसे समझाता है ?
उत्तर :
हामिद के साथी मिठाइयाँ खरीदते और खाते हैं। वे हामिद को दिखा-दिखाकर खाते है। हामिद मिठाइयों को ललचाई आँखों से देखता है। हामिद ने किताब में मिठाइयों की बुराइयों के बारे में पढ़ा था। वह स्वयं को समझाता है कि खाएँ मिठाइयाँ, अपने-आप इनका मुँह सड़ेगा और फोड़े-फुँसियाँ निकलेंगी। जब इनकी जबान चटोरी हो जाएगी तो घर से पैसे चुराकर खाएँगे और घरवालों की मार भी खाएँगे। किताब में झूठी बातें थोड़े ही लिखी होती हैं। मेरी जबान तो खराब भी नही होगी।
प्रश्न 2.
हामिद ने खिलॉने क्यों नहीं खरीदे ?
उत्तर :
हामिद को अपनी गरीबी का अहसास था। असमय ही वह प्रौढ़ बुद्धिवाला बन गया था। खिलौने तो चार दिन का खेल हैं। चिमटों को एक दुकान पर देखकर उसे खयाल आया कि दादी के पास चिमटा नहीं। तवे से रोटियाँ उतारती हैं तो हाथ जल जाता है। चिमटा देखकर दादी प्रसन्न होंगी। घर में एक काम की चीज़ हो जाएगी।
प्रश्न 3.
ईंद के दिन गाँव के बच्चे क्यों प्रसन्न थे ?
उत्तर :
रमज़ान के पूरे तीस रोजों के बाद ईंद आई थी। ईंद मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार है। त्योहार सबके हिदय में खुशियाँ भर देता है। बच्चे सबसे अधिक प्रसन्न हैं क्योंकि वे गृहस्थी की चिंताओं से मुक्त हैं। रोज्ज ईंद का नाम रटते थे। उसका आना उनको प्रसन्नता से भर देता है। वे मेले में जाएँगे, घूमेंगे-फिरेंगे, मनपसंद मिठाइयाँ खाएँगे और खिलौने खरीदेंगे।
प्रश्न 4.
ईंद की नमाज के द्वारा लेखक ने क्या संदेश दिया है ?
उत्तर :
ईदद का त्योहार छोटे-बड़े का भेद मिटा देता है। इस अवसर पर सब एक-दूसरे के गले लगकर मिलते हैं। ईंदगाह में कोई धन और पद नहीं देखता। ईंद आपसी भाईचारे को बनाए रखने तथा अनुशासनमय जीवन व्यतीत करने का संदेश देती है। ईंद का पर्व ही यह बताता है कि सभी में एक ही आत्मा का निवास है। सभी भ्रातृत्व के एक सूत्र में बँघे हैं।
प्रश्न 5.
चिमटा खरीदकर हामिद ने अच्छा किया या बुरा ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
चिमटा खरीदकर हामिद ने अच्छा ही किया। उसे अपनी निर्धनता का आभास था। उसे अपनी दादी का भी खयाल था क्योंकि तवे से रोटी उतारते समय उसके हाथ जल जाते थे। खिलौने तो थोड़ी देर के लिए मन बहलाते हैं और चिमटा हमेशा काम आएगा।
प्रश्न 6.
ईंद के दिन अमीना का दिल क्यों कचोट रहा था ?
उत्तर :
अमीना का दिल कचोट रहा था क्योंकि हामिद अकेला मेले में जा रहा था। उसे उसकी सुरक्षा का पूरा ध्यान था। उसे डर था कि कहीं हामिद मेले में खो न जाए। फिर तीन-चार कोस कैसे चलेगा ? पाँव में छाले पड़ जाएँगे। यह सब सोचकर अमीना का दिल कचोट रहा था। वह दुखी थी और भयभीत भी।
प्रश्न 7.
ईंदगाह का वातावरण कैसा होता है ?
उत्तर :
ईदगाह का वातावरण बहुत शांत होता है। सभी एक पंक्ति में खड़े हो जाते हैं। सभी वजू करते हैं। बड़ा सुंदर संचालन होता है। हजारों सिर एक साथ सिजदे में झुक जाते हैं, फिर सब-के-सब एक साथ खड़े हो जाते हैं ऐसा लगता है कि मानो भ्रातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है। यहाँ कोई पद या धन का गौरव नहीं होता। सभी समान होते हैं।
प्रश्न 8.
अमीना कौन है ? उसने छाती क्यों पीट ली ?
उत्तर :
अमीना हामिद की दादी है। हामिद के माता-पिता नहीं हैं इसलिए अमीना ही उसकी देखभाल करती है। हामिद मेले में गया था। उसके पास केवल तीन पैसे थे। उन पैसों का सदुपयोग कर वह दादी के लिए चिमटा ले आया क्योंकि तवे से रोटी उतारते समय उसके हाथ जल जाते हैं। अमीना उसकी इस दूरदर्शिता से परिचित नहीं थी और वह यह कल्पना भी नहीं कर सकती थी कि हामिद मेले में भूखा-प्यासा रहकर चिमटा लाएगा। अत: उसने छाती पीटकर हामिद की इस नासमझी पर दुख प्रकट किया।
प्रश्न 9.
चिमटा कौन लाया था ? उसके प्रति आपके मन में कैसे भाव हैं ?
उत्तर :
चिमटा हामिद लेकर आया था। हमारे मन में उसके प्रति सहानुभूति का भाव उत्पन्न होता है। हम उसकी दूरदर्शिता तथा समझदारी से प्रभावित होते हैं। उसमें निडरता तथा तर्क की शक्ति भी है। वह अपने साथियों को अपनी दलीलों से पराजित कर देता है। उसमें संयम का भाव भी है। उसे दादी की सुविधा का भी ध्यान है। उसके चरित्र से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि पैसों का सदुपयोग करने में समझदारी है।
प्रश्न 10.
हामिद में बुजुर्ोो जैसी सोच के क्या कारण थे ?
उत्तर :
हामिद के माता-पिता नहीं थे। वह अपनी दादी अमीना के पास रहता था। अमीना की निर्धनता का कोई ठिकाना नहीं था। हामिद बालक होते हुए भी जीवन की कठिनाइयों से परिचित हो गया था। यही कारण है कि वह मेले में तीन पैसे न तो खिलौने पर खर्च करता है और न ही मिठाई पर। वह दादी के लिए चिमटा खरीदकर ले आता है क्योंकि रोटियाँ सेंकते समय दादी की उंगलियाँ जलती थीं। चिमटे की उपयोगिता को भली-भौति समझता है। घर में जो काम एक बूढ़ा अथवा प्रौढ़ व्यक्ति कर सकता है, वह हामिद ने कर दिखाया।
प्रश्न 11.
‘ईंदगाह’ कहानी का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर :
इस कहानी में लेखक ने बड़े सुंदर ढंग से एक मुस्लिम गरीब परिवार के साथ-साथ शहर में होनेवाले मेले का यथार्थ तथा व्यापक चित्र प्रस्तुत किया है। साथ ही मेले में भिन्न-भिन्न वस्तुओं को देखते हुए एक पितृविहीन अनाथ बच्चे की मानसिकता तथा विवशताओं का बड़ा ही मार्मिक और मनोवैज्ञानिक चित्रण किया है। एक बच्चे का अपनी वृद्धा दादी के प्रति अपार प्रेम का भी वर्णन है। यही प्यार बच्चे को बूड़ा बना देता है।
प्रश्न 12.
ईदगाह कहानी में हामिद कौन है ? उसकी भूमिका क्या है ?
उत्तर :
हामिद ‘ईंदगाह’ कहानी का मुख्य पात्र है। वह चार-पाँच वर्ष का एक गरीब है, जो अपनी दादी के साथ रहता है। गत वर्ष उसके पिता का हैस्द्रह्य की बीमारी से देहांत हो गया। पिता की मृत्यु के बाद उनके शोक में हामिद की माँ पीली होते-होते एक दिन मर गई। लेकिन किसी को माँ के मरने की बीमारी का पता नहीं चला।
प्रश्न 13.
हामिद की वेशभूषा का वर्णन करते हुए बताएँ कि हामिद खुश क्यों था ?
उत्तर :
हामिद अत्यंत निर्धन है। उसके पाँव में जूते नहीं हैं। सिर पर एक पुरानी टोपी है जिसका गोटा काला पड़ गया है। गरीबी में भी वह अत्यंत प्रसन्न है क्योंकि उसकी दादी ने उसके दिल में कुछ आशाएँ बाँधी थीं। उसके पिता थैलियाँ और अम्मीजान नियामतें लेकर आएँगी तब वह अपने दिल के सभी अरमान पूरे कर लेगा।
प्रश्न 14.
माता-पिता की मृत्यु के बाद हामिद किसके साथ रह रहा था और वह उसे क्या कहती थी ?
उत्तर :
माता-पिता की मृत्यु के बाद हामिद अपनी दादी अमीना के साथ रहता था। उसकी दादी उससे असीम प्रेम करती थी। हामिद उसी की गोद में सोता था। वह हामिद को सदैव कहती थी कि उसके अब्बाजान रुपये कमाने गए हैं। बहुत-सा धन कमाकर लाएँगे। अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बड़ी अच्छी चीज्जें लाने गई हैं।
प्रश्न 15.
ईंद के दिन अमीना क्यों रो रही थी ?
उत्तर :
हामिद की दादी अमीना अत्यंत गरीब एवं फटेहाल है। उसके घर में अनाज का दाना तक नहीं है। उसका एकमात्र पुत्र अल्लाह की गोद में चला गया है। आज ईंद के पर्व पर उसके पास अपने पोते हामिद को देने के लिए मात्र तीन पैसे के सिवाए और कुछ नहीं है। अत: अपनी इसी विवशता के कारण वह मुँह छुपाए घर के कोने में बैठी अपनी किस्मत पर रो रही थी।
प्रश्न 16.
ईंदगाह पहुँचने से पूर्व लड़कों ने क्या देखा ?
उत्तर :
सभी लड़के सज-धजकर शहर जाने को तैयार हो गए। वे हँसते-खेलते शहर पहुँचे, जहाँ उन्होंने सबसे पहले अदालत, कॉलेज, क्लब-घर आदि की बड़ी-बड़ी इमारतें देखीं। इसके बाद हलवाइयों की बड़ी-बड़ी दुकानें देखीं, जहाँ लोगों की खूल भीड़ लगी हुई थी। अंत में इमली के घने वृक्षों के नीचे उन्हें ईदमाह दिखाई दी।
प्रश्न 17.
ईंदगाह के अंदर का दुश्य अंकित कीजिए।
उत्तर :
ईंदगाह के अंदर रोज्ञादारों की एक के बाद एक पंक्तियाँ लगी हुई थीं। यहाँ अमीर-गरीब का कोई भेद-भाव नहीं था। सब मिलकर एक साथ सिजदे में झुक रहे थे और फिर एक साथ खड़े हो जाते थे। वहाँ भाई-चारे का अत्यंत सुंदर दृश्य देखते ही बनता था। नमाज के बाद सब आपस में गले मिल रहे थे।
प्रश्न 18.
मोहसिन ने अपने मामू की कौन-सी बात अपने दोस्तों को बताई ?
उत्तर :
मोहसिन ने अपने दोस्तों से कहा कि उसके मामू एक थाने में कानिसटिबिल हैं। वह बीस रुपया महीना पाते हैं लेकिन पचास रुपये घर भेजते हैं। एक बार उसने जब अपने मामू से पूछा कि आप इतने रुपये कहाँ से पाते हैं ? तब उसके मामू ने हँसकर उत्तर दिया कि अल्लाह उन्हें देता है । कुछ देर बाद फिर उन्होंने कहा कि वे लोग चाहें तो एक दिन में लाखों रुपयों कमा लें लेकिन वे उतना ही कमाते हैं कि उनकी बदनामी न हो और नौकरी भी न जाए।
प्रश्न 19.
मोहसिन की माँ ने उसे और उसकी बहन को दो-दो चाँटे क्यों लगाए ?
उत्तर :
मोहसिन जैसे ही घर पहुँचा। मोहसिन की छोटी बहन ने दौड़कर भिश्ती उसके हाथ से छीन ली और मारे खुशी के उछ्लने लगी। उछलते ही भिश्ती उसके हाथ से हूटकर नीचे गिर गया और सुरलोक सिधार गया। इसी बात पर दोनों भाई-बहन में मार-पीट हो गई। दोनों खूब रोए। उनकी अम्मी उनका शोर सुनकर बाहर आई और दोनों को दो-दो चाँटे लगाए।
प्रश्न 20.
अमीना दादी का मन गद्गद क्यों हो गया ?
उत्तर :
हामिद ने जब अत्यंत अपराधी भाव से कहा दादी तुम्हारी उँगलियाँ तवे से जल जाती थीं; इसलिए उसने चिमटा खरीदा। सहसा दादी का क्रोध स्नेह में बदल गया। यह मूक स्ेेह था। खूब ठोस, रस और स्वाद से भरा हुआ। वह सोचने को विवश हो गई कि छोटे-से बालक में कितना त्याग, कितना सद्भाव और कितना विवेक है जो दूसरों को खिलौने लेते और मिठाई खाते देखकर डगमगाया नहीं। अपने पोते की इन्हीं खाबियों को देखकर दादी का मन गद्गद हो गया।
प्रश्न 21.
हामिद और दुकानदार के मध्य हुई वार्ता का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
- हामिद – यह चिमटा कितने का है ?
- दुकानदार – तुम्हारे काम का नहीं है जी।
- हामिद – बिकाऊ है कि नहीं ?
- दुकानदार – बिकाऊ क्यों नहीं है। और यहाँ क्यों लाद लाए हैं ?
- हामिद – तो बताते क्यों नहीं, कै पैसे का है ?
- दुकानदार – छः पैसे लगेंगे।
- हामिद – ठीक-ठीक बताओ।
- दुकानदार – ठीक-ठीक पाँच पैसे लगेंगे, लेना हो लो, नहीं तो चलते बनो।
- हामिद – तीन पैसे लोगे ?