Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A with Solutions Set 3 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Set 3 with Solutions
निर्धारित समय: 3 घण्टे
पूर्णांक: 80
सामान्य निर्देशः
1. इस प्रश्नपत्र में दो खण्ड हैं- खण्ड ‘अ’ और ‘ब’ । खण्ड-अ में वस्तुपरक/बहुविकल्पीय और खण्ड-ब में वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
2. प्रश्नपत्र के दोनों खण्डों में प्रश्नों की संख्या 17 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
3. यथासम्भव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए ।
4. खण्ड ‘अ’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 44 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
5. खण्ड ‘ब’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
खण्ड – ‘अ’ (बहुविकल्पीय / वस्तुपरक प्रश्न)
अपठित गद्यांश व काव्यांश (10 अंक)
1. निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय / वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपतराय था । वे नवाबराय नाम से उर्दू में लिखते थे। उनके ‘सोज़े – वतन’ कहानी-संग्रह की सभी प्रतियाँ तत्कालीन अंग्रेज़ी सरकार ने ज़ब्त कर ली थीं। सरकारी कोप से बचने के लिए उर्दू अख़बार ज़माना के संपादक मुंशी दयानारायण निगम ने उन्हें नवाबराय के स्थान पर ‘प्रेमचंद ‘ उपनाम सुझाया। यह नाम उन्हें इतना पसंद आया कि नवाबराय के स्थान पर वह प्रेमचंद हो गए। हिंदी पुस्तक एजेंसी की एक प्रेस कलकत्ता में थी जिसका नाम वणिक प्रेस था । इसके मुद्रक थे ‘महावीर प्रसाद पोद्दार’ । वे प्रेमचंद की रचनाएँ बांग्ला के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार शरत बाबू को पढ़ने के लिए दिया करते थे। एक दिन पोद्दार जी शरत बाबू के घर गए। वहाँ उन्होंने देखा कि शरत बाबू प्रेमचंद का कोई उपन्यास पढ़ रहे थे जो बीच में खुला हुआ था । पोद्दार जी ने उसे उठाकर देखा तो उपन्यास के एक पृष्ठ पर शरत बाबू ने उपन्यास सम्राट लिख रखा था। बस यहीं से पोद्दार जी ने प्रेमचंद को ‘ उपन्यास सम्राट प्रेमचंद’ लिखना शुरू कर दिया ।
(1) प्रेमचंद का वास्तविक नाम क्या था ? वे किस नाम से उर्दू में लिखते थे ?
(क) नवाबराय, वे गुलाब राय के नाम से उर्दू में लिखते थे ।
(ख) प्रेमचंद, वे धनपत राय के नाम से उर्दू में लिखते थे।
(ग) गुलाब राय, वे नवाबराय के नाम से उर्दू में लिखते थे ।
(घ) धनपत राय, वे नबावराय के नाम से उर्दू में लिखते थे।
उत्तर:
(घ) धनपत राय, वे नबावराय के नाम से उर्दू में लिखते थे।
(2) प्रेमचंद की कौन-सी पुस्तक किसने ज़ब्त कर ली थी ?
(क) ‘सोज़े वतन’ पुस्तक- अंग्रेज़ सरकार ने
(ख) कर्मभूमि – ज़माना के संपादक ने
(ग) गबन उपन्यास – अंग्रेज़ सरकार ने
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) ‘सोज़े वतन’ पुस्तक- अंग्रेज़ सरकार ने
(3) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उचित विकल्प चुनिए-
कथन (A) : प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपतराय था ।
कारण (R) : पोद्दार जी ने प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट नाम दिया।
(क) कथन (A) गलत है, किन्तु कारण (R) सही है।
(ख) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत हैं ।
(ग) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है।
(घ) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर:
(घ) कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(4) ‘धनपत राय को प्रेमचंद नाम मुंशी दयानारायण निगम ने दिया। इसके पीछे क्या कारण था ? ‘ – उपर्युक्त कथन के पक्ष में निम्नलिखित तर्कों पर विचार कीजिए-
1. अपने अख़बार की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए
2. सरकारी कोप से बचाने के लिए
3. धनपतराय को प्रसिद्धि दिलाने के लिए
(क) 1 सही है।
(ख) 2 सही है।
(ग) 3 सही है।
(घ) 1 और 3 सही हैं ।
उत्तर:
(ख) 2 सही है।
व्याख्या-प्रेमचंद नवाबराय के नाम से उर्दू में कहानियाँ लिखा करते थे। उन्हें सरकारी कोप से बचाने के लिए उर्दू अख़बार ज़माना के संपादक मुंशी दयाराम निगम के नवाबराय के स्थान पर प्रेमचंद के नाम से लिखने की सलाह दी।
(5) हिंदी पुस्तक एजेंसी की प्रेस का क्या नाम था और वह कहाँ थी ?
(क) हिंदू प्रेस – बनारस में
(ख) वणिक प्रेस – कलकत्ता में
(ग) जागरण प्रेस – कलकत्ता में
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) वणिक प्रेस – कलकत्ता में
2. निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय / वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए।
कलम देश की बड़ी शक्ति है भाव जगाने वाली,
दिल की नहीं दिमागों में भी आग लगाने वाली !
पैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे,
और प्रज्वलित प्राण देश क्या कभी मरेगा मारे ?
लहू गर्म रखने को रखो, मन में ज्वलित विचार,
हिंसक जीव से बचने को चाहिए किन्तु तलवार !
एक भेद है और, जहाँ निर्भय होते नर-नारी,
कलम उगलती आग, जहाँ अक्षर बनते चिनगारी ।
जहाँ मनुष्यों के भीतर, हरदम जलते हैं शोले,
बाँहों में बिजली होती, होते दिमाग में गोले ।
जहाँ लोग पालते लहू में ‘ हालाहाल’ की धार
क्या चिन्ता यदि वहाँ हाथ में नहीं हुई तलवार ।
(1) मानव को तलवार की आवश्यकता कब पड़ती है?
(क) अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने हेतु
(ख) दुश्मनों के दमन और हिंसक जीवों से बचाव हेतु
(ग) युद्ध का अभ्यास करने हेतु
(घ) दूसरों को डराने के लिए
उत्तर:
(ख) दुश्मनों के दमन और हिंसक जीवों से बचाव हेतु
व्याख्या-मानव को तलवार की आवश्यकता दुश्मनों के दमन और हिंसक जीवों से बचाव के लिए पड़ती है।
(2) ‘कलम उगलती आग, जहाँ अक्षर बनते चिंगारी’ का भाव है-
(क) कलम से आग निकलती है।
(ख) कलम से लिखे गए अक्षरों से चिंगारियाँ फूटती हैं।
(ग) कलम द्वारा रचित रचनाओं से क्रांति के भाव उत्पन्न होते हैं ।
(घ) कलम से रचित साहित्य लोगों के मन में क्रोध का संचार करता है ।
उत्तर:
(ग) कलम द्वारा रचित रचनाओं से क्रांति के भाव उत्पन्न होते हैं ।
(3) इस काव्यांश में कलम को देश की बड़ी शक्ति क्यों कहा गया है ?
(क) कलम में देशवासियों के मन में उत्साह, वीरता आदि भाव भरने की शक्ति है ।
(ख) कलम से हम लिख सकते हैं।
(ग) कलम से काव्य रचना की जा सकती है।
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) कलम में देशवासियों के मन में उत्साह, वीरता आदि भाव भरने की शक्ति है ।
(4) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उचित विकल्प चुनिए-
कथन (A): कलम और तलवार दोनों क्रांति का माध्यम हैं।
कारण (R) : इनसे लोगों में क्रोध की भावना उत्पन्न होती है।
(क) कथन (A) गलत है, किन्तु कारण (R) सही है।
(ख) कथन (A) गलत है, किन्तु कारण (R) सही है ।
(ग) कथन (A) व (R) सही हैं और कथन (A), (R) की सही व्याख्या है।
(घ) कथन (A) व (R) सही हैं और कथन (A), (R) की सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर:
(क) कथन (A) गलत है, किन्तु कारण (R) सही है।
व्याख्या-कलम मनुष्य के मन में ज्ञान का दीपक प्रज़्ज्वलित करती है तथा तलवार दुश्मन का सामना करने व हिंसक पशुओं से बचाव करती है।
(5) इस काव्यांश का उचित शीर्षक होगा-
(क) कलम उगलती आग
(ख) कलम की शक्ति
(ग) कलम की महिमा
(घ) कलम और तलवार
उत्तर:
(घ) कलम और तलवार
व्याकरण (16 अंक)
3. निर्देशानुसार ‘ उपसर्ग और प्रत्यय’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)
(1) ‘पराजय’ शब्द में उपसर्ग है-
(क) पर
(ख) परा
(ग) प्र
(घ) पर:
उत्तर:
(ख) परा
(2) ‘परि’ उपसर्ग से बना शब्द नहीं है-
(क) परिक्रमा
(ख) परिभ्रमण
(ग) परिनाप
(घ) परिधि
उत्तर:
(घ) परिधि
(3) ‘चमकीला’ में प्रत्यय है-
(क) आ
(ख) ला
(ग) ईला
(घ) कीला
उत्तर:
(ग) ईला
(4) ‘न’ प्रत्यय से निर्मित शब्द है-
(क) चलन
(ख) खून
(ग) दातुन
(घ) पतलून
उत्तर:
(क) चलन
(5) ‘बिकाऊ’ में प्रत्यय है-
(क) ऊ
(ख) अऊ
(ग) आऊ
(घ) उ
उत्तर:
(ग) आऊ
4. निर्देशानुसार ‘समास’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)
(1) ‘यश-अपयश’ का समास विग्रह कर समास का नाम बताइए –
(क) यश है जो अपयश – द्वंद्व समास
(ख) यश का अपयश – द्वंद्व समास
(ग) यश और अपयश – द्वंद्व समास
(घ) यश से अपयश – द्वंद्व समास
उत्तर:
(ग) यश और अपयश – द्वंद्व समास
व्याख्या-द्वंद्व समास में दोनों पद प्रधान होते हैं तथा और, या, अथवा आदि योजक शब्द से जुड़ते हैं।
(2) ‘गुरु दक्षिणा’ का समास विग्रह कर समास का भेद बताइए –
(क) गुरु और दक्षिणा – द्वंद्व समास
(ख) गुरु से दक्षिणा – तत्पुरुष समास
(ग) गुरु है जो दक्षिणा – कर्मधारय समास
(घ) गुरु के लिए दक्षिणा – तत्पुरुष समास
उत्तर:
(घ) गुरु के लिए दक्षिणा – तत्पुरुष समास
(3) ‘दशानन’ का समास विग्रह कर समास का नाम बताइए-
(क) दश आनन हैं जिसके – बहुव्रीहि समास
(ख) दश के आनन – तत्पुरुष समास
(ग) दश रूपी आनन – कर्मधारय समास
(घ) दश और आनन – द्वंद्व समास
उत्तर:
(क) दश आनन हैं जिसके – बहुव्रीहि समास
व्याख्या-बहुब्रीहि समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता बल्कि समस्त पद किसी अन्य के विशेषण का कार्य करता है अत: इस समस्त पद दशानन का प्रयोग भी (रावण) के लिए किया गया है।
(4) ‘आजन्म’ का समास विग्रह कर समास का नाम बताइए-
(क) आज के जन्म – तत्पुरुष समास
(ख) जन्मभर – अव्ययी भाव समास
(ग) जन्मभर – कर्मधारय समास
(घ) जन्मभर – द्विगु समास
उत्तर:
(ख) जन्मभर – अव्ययी भाव समास
(5) ‘मुखचन्द्र’ का समास विग्रह कर समास का नाम बताइए-
(क) मुख और चन्द्र – द्वंद्व समास
(ख) मुख जैसा चन्द्र – तत्पुरुष समास
(ग) चन्द्ररूपी मुख – कर्मधारय समास
(घ) मुखरूपी चन्द्र – बहुव्रीहि समास
उत्तर:
(ग) चन्द्ररूपी मुख – कर्मधारय समास
5. निर्देशानुसार ‘अर्थ के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(1) ‘उफ ! पेट में बहुत दर्द हो रहा है।’ अर्थ के आधार पर वाक्य भेद बताइए-
(क) आज्ञावाचक वाक्य
(ख) इच्छावाचक वाक्य
(ग) विस्मयवाचक वाक्य
(घ) संकेतवाचक वाक्य
उत्तर:
(ग) विस्मयवाचक वाक्य
(2) ‘स्वामीजी ने शिकागो जाने का निश्चय किया । ‘ संदेहवाचक वाक्य में बदलिए-
(क) शायद स्वामीजी ने शिकागो जाने का निश्चय कर लिया है।
(ख) क्या स्वामीजी ने शिकागो जाने का निश्चय कर लिया ?
(ग) ओह ! स्वामीजी ने शिकागो जाने का निश्चय कर लिया ।
(घ) स्वामी जी शिकागो जाने का निश्चय करो ।
उत्तर:
(क) शायद स्वामीजी ने शिकागो जाने का निश्चय कर लिया है।
(3) ‘कल हम मेला देखने जाएँगे’ निषेधवाचक वाक्य में बदलिए-
(क) कल हम मेला देखने नहीं जाएँगे।
(ग) कल हम मेला देखने नहीं गए थे
(ख) शायद हम कल मेला देखने जाएँ ।
(घ) हम मेला देखने कभी नहीं जाएँगे ।
उत्तर:
(क) कल हम मेला देखने नहीं जाएँगे।
व्याख्या-निषेध वाचक वाक्य में ‘नहीं’ शब्द का प्रयोग किया जाता है।
(4) ‘हमने सारा सामान ठीक से रख दिया । ‘ निषेधवाचक वाक्य में बदलिए-
(क) हम सारा सामान ठीक से रखेंगे।
(ख) हम सारा सामान ठीक से नहीं रख पाते ।
(ग) हमने सारा सामान ठीक से नहीं रखा है।
(घ) हमने सारा सामान कहीं भी रख दिया है।
उत्तर:
(ग) हमने सारा सामान ठीक से नहीं रखा है।
(5) ‘मज़दूरों ने काम कर दिया है।’ प्रश्नवाचक वाक्य में बदलिए-
(क) शायद मज़दूरों ने काम कर लिया है।
(ख) क्या मज़दूरों ने काम कर लिया है?
(ग) क्या मज़दूरों ने काम समाप्त कर लिया है?
(घ) क्या मज़दूरों ने काम नहीं किया ?
उत्तर:
(ख) क्या मज़दूरों ने काम कर लिया है?
व्याख्या-प्रश्नवाचक वाक्य में कोई प्रश्न या बात पूछी जाती है तथा किसी वाक्य को प्रश्नवाचक में बदलते समय काल (समय) का भी ध्यान रखा जाता है।
6. निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए- (1 × 4 = 4)
(1) ‘कालिन्दी कूल कंदब की डारन’ में अलंकार है-
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) यमक अलंकार
(ग) श्लेष अलंकार
(घ) उपमा अलंकार
उत्तर:
(क) अनुप्रास अलंकार
व्याख्या-‘क’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।
(2) ‘असंख्य कीर्ति – रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी’ में अलंकार है-
(क) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार
उत्तर:
(ख) उपमा अलंकार
(3) ‘मन – सागर मनसा लहरें बड़े- बहे अनेक’ में अलंकार है-
(क) उपमा अलंकार
(ख) रूपक अलंकार
(ग) यमक अलंकार
(घ) श्लेष अलंकार
उत्तर:
(ख) रूपक अलंकार
(4) ‘तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के’ में अलंकार है-
(क) श्लेष अलंकार
(ख) यमक अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार
(घ) रूपक अलंकार
उत्तर:
(ख) यमक अलंकार
व्याख्या-इस पंक्ति में बरछी शब्द का प्रयोग दो बार किया गया है। पहले बरछी शब्द का अर्थ है हथियार और दूसरे बर छीने का अर्थ है श्रेष्ठ योद्धा छीन लिए हैं इसलिए यहाँ यमक अलंकार है।
(5) निम्न में से अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है-
(क) सुरुचि सुवास सरस अनुरागा
(ख) मंगन को देख पट देत बार – बार है
(ग) तिरगुन फाँस लिए कर डोलै, बोले मधुरी बानी
(घ) ज़रा से लाल के सर से कि जैसे धुल गई हो
उत्तर:
(क) सुरुचि सुवास सरस अनुरागा
पाठ्य पुस्तक क्षितिज भाग-1 (14 अंक)
गद्य खण्ड (7 अंक)
7. निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
इस हुजूम में आगे-आगे चल रहे हैं, सालिम अली। अपने कंधों पर, सैलानियों की तरह अपने अंतहीन सफ़र का बोझ उठाए, लेकिन यह सफ़र पिछले तमाम सफ़रों से भिन्न है । भीड़-भाड़ की जिंदगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिरी पलायन है। अब तो वे उस वन-पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं, जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो । कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे, तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा ?
(1) अंतहीन सफ़र का आशय है-
(क) बहुत लम्बी यात्रा
(ख) मृत्यु के उपरान्त अन्तिम यात्रा
(ग) जंगलों में भटक जाना
(घ) हुजूम में आगे चलना
उत्तर:
(ख) मृत्यु के उपरान्त अन्तिम यात्रा
व्याख्या-अंतहीन सफ़र का आशय है एक ऐसी यात्रा जिसका कभी अंत न हो। लेखक ने सालिम अली की मृत्यु के उपरान्त उनकी शवयात्रा का वर्णन करते समय इसका प्रयोग किया है।
(2) सालिम अली का यह आखिरी पलायन कैसा था ?
(क) अपना घर-परिवार छोड़ रहे थे
(ख) अपना दफ़तर छोड़ के भाग रहे थे
(ग) विदेश जाकर बस रहे थे
(घ) वे मौत के आगोश में चले गए थे
उत्तर:
(घ) वे मौत के आगोश में चले गए थे
व्याख्या – सालिम अली की मृत्यु हो चुकी थी, वे इस संसार को छोड़कर जा चुके थे। अब वे भीड़ भरी ज़िन्दगी और तनाव के माहौल से बहुत दूर जा रहे थे ।
(3) प्रकृति से सालिम अली का सम्बन्ध कैसा था ?
(क) प्रकृति उनके लिए उपभोग की वस्तु थी
(ख) वे प्रकृति पर विजय पाना चाहते थे
(ग) वे प्रकृति का दोहन कर सफ़ल होना चाहते थे
(घ) वे प्रकृति का आत्मीय हिस्सा बनकर रहना चाहते थे
उत्तर:
(घ) वे प्रकृति का आत्मीय हिस्सा बनकर रहना चाहते थे
व्याख्या – सालिम अली प्रकृतिमय हो चुके थे । उन्होंने प्रकृति की एक हँसती-खेलती दुनिया अपने चारों ओर बसा रखी थी और उसी का आत्मीय हिस्सा बनकर रहना चाहते थे ।
(4) ‘सपनों के गीत गाने’ का तात्पर्य है-
(क) अपना पसंदीदा कार्य करना
(ख) नींद में गाना गाना
(ग) गाने में सपनों का वर्णन करना
(घ) झूठी बातें करना
उत्तर:
(क) अपना पसंदीदा कार्य करना
व्याख्या – हर व्यक्ति सपने देखता है और जीवन भर उन्हें पूरा करने का प्रयास करता है । उस सपने से संबंधित प्रत्येक कार्य को करने में उसे आनंद की अनुभूति होती है।
(5) सालिम अली किसकी तरह प्रकृति में विलीन हो रहे थे ?
(क) वन पक्षी
(ग) जलीय पौधे
(ख) वन सिंह
(घ) सुगंधित वायु
उत्तर:
(क) वन पक्षी
व्याख्या-सालिम अली जीवन भर पक्षियों की खोज में लगे रहे। उनका जीवन पूरी तरह पक्षियों को ही समर्पित था इसलिए लेखक ने उन्हें वन-पक्षी की संज्ञा दी है।
8. ‘क्षितिज भाग-I’ के गद्य पाठों पर आधारित निम्नलिखित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 2 = 2)
(1) थुक्पा क्या है?
(क) तीर्थ स्थल का नाम
(ख) मंगोलों की एक जाति
(ग) एक खाद्य पदार्थ
(घ) एक पारंपरिक वस्त्र
उत्तर:
(ग) एक खाद्य पदार्थ
व्याख्या-सत्तू या चावल के साथ मूली हड्डी और माँस के साथ पतली लेई की तरह पकाए गए खाद्य पदार्थ को थुक्पा कहते हैं।
(2) जानवरों में सबसे अधिक बुद्धिहीन प्राणी किसे समझा जाता है ?
(क) बैल को.
(ख) सियार को गधे को
(ग) हाथी को
(घ) गधे को
उत्तर:
(घ) गधे को
व्याख्या – गधे को कभी क्रोध करते नहीं देखा जाता। उसे चाहे जितना मारो या खराब सड़ी हुई घास खाने को दो लेकिन उसके चेहरे पर कभी असंतोष दिखाई नहीं देता । शायद उसके इसी सीधेपन के कारण उसे पशुओं में सबसे ज़्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है।
काव्य खण्ड (7 अंक)
9. निम्नलिखित पठित पद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरें पहिरौंगी ।
ओढ़ि पितंबर लै लकुटी बन गोधन ग्वारनि संग फिरौंगी ॥
भावतो वोहि मेरो रसखानि सों तेरे कहे सब स्वाँग करौंगी ।
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा ना धरौंगी ॥
(1) इस सवैये में किसके प्रति किसके प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है ?
(क) गोपियों के प्रति श्रीकृष्ण के प्रेम की
(ख) श्री कृष्ण के प्रति गोपियों के निश्छल प्रेम की
(ग) माता यशोदा के प्रति श्रीकृष्ण के प्रेम की
(घ) श्री कृष्ण के प्रति माता यशोदा के प्रेम की
उत्तर:
(ख) श्री कृष्ण के प्रति गोपियों के निश्छल प्रेम की
(2) यहाँ कौन किसके कहने पर क्या करने को तैयार है ?
(क) गोपी अपनी सखी के कहने पर श्री कृष्ण का स्वांग रचने को तैयार हैं।
(ख) एक गोपी श्री कृष्ण के कहने पर राधा का रूप धारण करने को तैयार है
(ग) ग्वाल बाल श्री कृष्ण के कहने पर खेलने को तैयार हैं
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) गोपी अपनी सखी के कहने पर श्री कृष्ण का स्वांग रचने को तैयार हैं।
(3) गोपी श्री कृष्ण का रूप धारण करते समय क्या करने को तैयार नहीं हैं?
(क) गोपी मोर के पंख का मुकुट धारण करना नहीं चाहती।
(ख) गोपी गले में गुंजों की माला नहीं पहनना चाहती ।
(ग) गोपी श्री कृष्ण की मुरली को अपने होठों पर धारण नहीं करना चाहती ।
(घ) गोपी पीतांबर धारण करना नहीं चाहती।
उत्तर:
(ग) गोपी श्री कृष्ण की मुरली को अपने होठों पर धारण नहीं करना चाहती ।
व्याख्या – गोपी श्री कृष्ण की मुरली को अपने होठों पर धारण नहीं करना चाहती हैं क्योंकि कृष्ण सदैव मुरली को अपने पास रखते थे जिससे गोपियों को ईर्ष्या होती थी ।
(4) गोपी मुरली को अपने होठों पर क्यों नहीं रखना चाहती ?
(क) उन्हें मुरली बजाना नहीं आता
(ख) मुरली के प्रति सौतिया डाह या ईर्ष्या के कारण
(ग) क्योंकि मुरली बहुत कठोर है
(घ) क्योंकि मुरली बजाना बहुत मुश्किल है
उत्तर:
(ख) मुरली के प्रति सौतिया डाह या ईर्ष्या के कारण
व्याख्या – श्रीकृष्ण गोपियों को भूलकर मुरली को अपने होठों पर लगाए रखते हैं। मुरली के प्रति सौतिया डाह या ईर्ष्या के कारण गोपी मुरली को धारण नहीं करना चाहती हैं।
(5) ‘अधरान धरी अधरा न धरौंगी’ पंक्ति में निहित अलंकार लिखिए ।
(क) रूपक अलंकार और अनुप्रास अलंकार
(ख) यमक अलंकार और उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग) अनुप्रास अलंकार और यमक अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार और श्लेष अलंकार
उत्तर:
(ग) अनुप्रास अलंकार और यमक अलंकार
व्याख्या- ‘अ’ वर्ण की क्रमानुसार आवृत्ति के कारण अनुप्रास और ‘अधरान’ शब्द की दो बार आवृत्ति तथा अर्थ भिन्न होने के कारण – अधरान – होठों पर, अधरान – होठों पर नहीं, यमक अलंकार है ।
10. पाठ्यपुस्तक में निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित दो प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 2 = 2)
(1) कच्चे धागे किस का प्रतीक हैं?
(क) कमज़ोर धागों का
(ख) मनुष्य के कर्मों का
(ग) कच्ची डोर का
(घ) कमज़ोर और नाशवान सहारे का
उत्तर:
(घ) कमज़ोर और नाशवान सहारे का
(2) अरहर और सनई कैसी फसलें हैं?
(क) फलीदार
(ख) रेशेदार
(ग) जड़दार
(घ) सभी
उत्तर:
(क) फलीदार
व्याख्या – अरहर और सनई फलीदार फ़सलें हैं । इनकी फ़सलें पकने पर, जब हवा चलती है, तब इनमें से मधुर आवाज़ आती है।
खण्ड – ‘ब’ (40)
(वर्णनात्मक प्रश्न)
पाठ्य पुस्तक क्षितिज भाग-1 व पूरक पाठ्य पुस्तक कृतिका भाग-1 (20 अंक)
11. गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए – (2 × 3 = 6)
(1) लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है। यह भूल जाते हो । हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
हीरा के कथन से ज्ञात होता है कि प्रेमचंद स्त्रियों के प्रति सम्मान का भाव रखते थे । हीरा और मोती के माध्यम से लेखक ने यह बताया है कि नारी प्रेम और त्याग की मूर्ति है अतः उसके साथ अन्याय और अत्याचार नहीं करना चाहिए, अपितु उसे श्रद्धा के भाव से देखना चाहिए ।
(2) “जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ़ हाथ की नहीं, पाँव की अँगुली से इशारा करते हो” इस पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
फटे जूते में से निकलने वाली अँगुली को देखकर लेखक को लगता है जैसे अँगुली लेखक और समाज पर व्यंग्य कर रही है और संकेत द्वारा उनके प्रति अपनी घृणा को प्रकट कर रही है। इस घृणा का कारण था कि समाज के लोग परिस्थितियों से जूझने के बदले उनसे समझौता करते रहें जबकि प्रेमचंद ने रास्ते में आने वाली बाधा रूपी चट्टानों से निरंतर संघर्ष किया, उन्हें लगातार ठोकर मारी। इसी प्रयास में उनके जूते भी फट गए। उन्होंने कभी भी झूठी मान्यताओं और आडम्बरों के प्रभाव में आकर समझौता नहीं किया। तभी वे हाथ की अँगुली की अपेक्षा पैर की अंगुली से इशारा करना पसंद करते हैं।
(3) लारेंस कौन थे? उनमें और सालिम अली में क्या समानता थी ? ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर लिखिए ।
उत्तर:
लारेंस 20वीं सदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार थे और प्रकृति प्रेमी थे । लारेंस और सालिम अली दोनों ही प्रकृति एवं पक्षी प्रेमी थे । यही नहीं दोनों ही पक्षी विज्ञानी भी थे । उन दोनों ने अपना पूरा जीवन प्रकृति को समर्पित कर दिया था।
(4) उस समय तिब्बत में हथियार का क़ानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय रहता था ?
उत्तर:
उस समय तिब्बत में हथियार का क़ानून न रहने के कारण यात्रियों को अपनी सुरक्षा का भय रहता था। डाकू पहले लोगों को मार देते और फिर देखते कि उनके पास पैसा है या नहीं। उस समय पहाड़ों की यात्रा सुरक्षित न थी ।
12. निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए- (2 × 3 = 6)
(1) ‘हिमकर निराश कर चला रात भी काली’ का भाव स्पष्ट कीजिए । बताइए कि कवि को कोयल भी कैसी प्रतीत हो रही है और क्यों ?
उत्तर:
चन्द्रमा छिप गया, कवि निराश हो गया, चारों ओर अंधेरा छा गया । स्वतन्त्रता सेनानियों को अकारण बंद कर दिया गया था, उनकी व्यथा बढ़ गई थी। काली रात उनकी निराशा को बढ़ा रही थी । कोयल भी अंग्रेज़ों के काले कानून की तरह काली दिखाई पड़ रही थी क्योंकि वह इस समय कूक कर कवि की वेदना को और बढ़ा रही है।
(2) ‘सुषुम – सेतु’ किसे कहा गया है ? यह सेतु ईश्वर प्राप्ति में बाधक है या सहायक ? समझाइए ।
उत्तर:
‘सुषुम – सेतु’ से तात्पर्य है – हठयोग में सुषुम्ना नाड़ी की साधना । इस कठिन साधना के बाद भी ईश्वर प्राप्ति की निश्चितता नहीं होती। संसार से उदासीनता व इन्द्रिय निग्रह भी आवश्यक है, अत: यह ईश्वर प्राप्ति में सहायक बन सकती है, क्योंकि चेतना का मार्ग सुषुम्ना मार्ग से ही शिव तत्त्व का साहचर्य प्राप्त कर सकता है और चेतना का शिवत्व में विलीन होना ही परम गति है। यह पल दो पल का नहीं वरन् कठिन व वास्तविक साधना सेतु है ।
(3) सुविधा और मनोरंजनों के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं- ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता के आधार पर लिखिए ।
उत्तर:
बच्चे सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से इसलिए वंचित हैं क्योंकि उनके माँ-बाप ग़रीब हैं। जब उनके पास पेट भरने के लिए रोटी ही नहीं है तो उनके पास उनके लिए खेल-खिलौने कहाँ से आ सकते हैं ? इसलिए उनके बच्चे खेलने नहीं बल्कि काम करने के लिए जाते हैं।
(4) मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ खोजता फिरता है?
उत्तर:
कबीर के अनुसार हिन्दू अपने ईश्वर को मंदिर तथा पवित्र तीर्थ स्थलों में ढूँढ़ता है तो मुस्लिम अपने अल्लाह को काबे या मस्ज़िद ‘ में ढूँढ़ता रहता है। कुछ मनुष्य ईश्वर को योग, वैराग्य तथा अनेक प्रकार की धार्मिक क्रिया-कलापों में खोजते रहते हैं।
13. पूरक पाठ्यपुस्तक कृतिका भाग- I के पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)
(1) ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
जिस प्रकार मानव शरीर में रीढ़ की हड्डी का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है उसी प्रकार वैवाहिक जीवन में पुरुष और स्त्री भी रीढ़ की हड्डी के समान होते हैं क्योंकि दोनों के रिश्ते पर ही पूरा परिवार टिका होता है। इस पाठ के द्वारा बताया गया है कि स्त्री पुरुष दोनों में ही समानताएँ होनी चाहिए, नारी को पुरुष से कम नहीं समझना चाहिए ।
(2) बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे ?
उत्तर:
बाढ़ की खबर सुनकर लोग पहले से ही अपनी सुरक्षा से सम्बन्धित आवश्यक सामान जुटाने लगे। उन्होंने ईंधन, मोमबत्ती, पीने का पानी, कम्पोज की गोलियाँ, आलू इत्यादि सभी पहले से एकत्रित करना प्रारम्भ कर दिया। ताकि बाढ़ यादि आए भी तो कुछ दिनों तक उनका गुज़ारा चल सके। उन्हें अभाव न झेलना पड़े।
(3) रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाना और विवाह के लिए शिक्षा को छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है ?
उत्तर:
रामस्वरूप की बेटी ने बी. ए. पास किया था किन्तु उन्होंने गोपाल प्रसाद से यह बात छिपाई थी । गोपाल प्रसाद लड़की की पढ़ाई-लिखाई को कोई महत्त्व नहीं देते थे। वे घरेलू जीवन में लड़की की पढ़ाई को व्यवधान मानते थे इसलिए रामस्वरूप ने यह बात छिपाई। रामस्वरूप अपनी बेटी के लिए वर की तलाश करते-करते परेशान हो गए थे । वे परिस्थितियों के सामने खुद को मज़बूर पाते थे। उनकी नज़र में पढ़ाई व आदर्शों का महत्त्व था, इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाई किन्तु विवाह के मामले में उन्हें लगा था कि आदर्श नवयुवक उन्हें नहीं मिल रहा है। वे परिस्थितियों के सामने टूट चुके थे तथा चाहते थे कि बस किसी भी तरह उनकी बेटी का विवाह हो जाए। वर्तमान हिन्दू समाज में लड़की के पिता की जो-जो विवशताएँ (समाज का सच) हैं, रामस्वरूप उन सभी से जूझ रहे थे।
लेखन (20 अंक)
14. निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए- (6 × 1 = 6)
(1) नर हो, न निराश करो मन को
[ संकेत बिंदु – सूक्ति का अर्थ, निराशा में डूबना शोभनीय नहीं, उपसंहार ।]
उत्तर:
सूक्ति का अर्थ – ‘नर हो, न निराश करो मन को’ यह सूक्ति कविवर मैथिलीशरण गुप्त की है । कवि का कहना है कि मनुष्य को कभी निराश नहीं होना चाहिए । व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए । यदि मनुष्य ठान ले तो इस संसार में कुछ भी असम्भव नहीं है। हमें हमेशा अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए । मन में कभी भी निराशा को जगह नहीं देनी चाहिए। महाराणा प्रताप एवं रानी लक्ष्मीबाई ने अन्तिम क्षण तक हार स्वीकार नहीं की थी ।
निराशा में डूबना शोभनीय नहीं – मनुष्य की समस्त इन्द्रियों का संचालक मन ही है । मन के कहने पर ही इन्द्रियाँ सक्रिय होती हैं। मन के द्वारा ही मनुष्य साधनहीन होने पर भी हार को जीत में बदल सकता है, जबकि यदि मन में दुर्बलता हो तो सभी साधनों के होते हुए भी मनुष्य पराजय का मुख देखता है। इसलिए कभी भी निराशा को अपने पास नहीं फटकने देना चाहिए। इसीलिए कहा जाता है कि हर रात के बाद सुबह होती है। सभी विद्वानों एवं ऋषि मुनियों द्वारा मन को संयमित एवं बलवान बनाने पर बल दिया है। संयम के द्वारा बलवान मन ही दृढ़ संकल्प ले सकता है। निराशा में डूबा मनुष्य कोई भी निर्णय नहीं ले सकता । यदि एक बार मनुष्य लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सका तो उसे अपना प्रयत्न जारी रखना चाहिए। जीवन सफ़लता-असफलता, लाभ-हानि, जय-पराजय का ही दूसरा रूप है। भगवान राम ने वनवासी जीवन व्यतीत करते हुए भी लंका के बलशाली राजा रावण को हराया। हनुमान ने एक ही छलांग में समुद्र को लाँघ लिया था । नेपोलियन ने कहा था कि “असंभव शब्द मूर्खों के शब्द कोष में होता है ।”
उपसंहार – इतिहास यह सिद्ध करता है कि जब-जब मनुष्य ने निराशा का दामन थामा है तब-तब प्रगति एवं विकास का रथ थम गया है। इसलिए हमेशा अपने लक्ष्य के प्रति आशावान होना चाहिए। मनुष्य के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
(2) सत्संगति
[ संकेत बिंदु – सत्संगति का अर्थ, सत्संगति का महत्त्व, कुसंगति की हानियाँ, निष्कर्ष ।]
उत्तर:
सत्संगति का अर्थ – सत्संगति का अर्थ है – श्रेष्ठ मनुष्यों की संगति व सत्संगति के प्रभाव से अनेक दुश्चरित्र व्यक्ति सच्चरित्र बने हैं ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं। अनेक क्रूर-कर्म पुरुष सत्संगति से ही महापुरुष बन गए, क्योंकि गुण और दोष मनुष्य में संगति से ही आते हैं ‘संसर्गजा : दोष गुणा: भवन्ति ।’
सत्संगति का महत्त्व – सत्संगति से मनुष्य की समाज में प्रतिष्ठा होती है। गुलाब के पौधे के पास की मिट्टी भी कुछ समय में सुवासित होकर अपने संपर्क में आने वाले को सुंगध से भर देती है। ठीक इसी प्रकार दुष्ट-से-दुष्ट व्यक्ति भी सज्जनों के संपर्क में आकर दयावान, विनम्र, परोपकारी और ज्ञानवान हो जाता है। सत्संगति से मनुष्य विवेकी और सदाचारी बनता है । सदाचारी बनने पर समाज उसका आदर-सम्मान करने लगता है।
कुसंगति की हानियाँ – कुसंगति से अनेक हानियाँ होती हैं। श्रेष्ठ विद्यार्थी जो सदैव प्रथम श्रेणी में ही उत्तीर्ण होते हैं वे कुसंगति से बिगड़ जाते हैं। असफ़ल तक हो जाते हैं। केवल नीच साथियों के कारण बड़े-बड़े घराने नष्ट हो गए।
निष्कर्ष – बुद्धिमान से बुद्धिमान व्यक्ति पर भी कुसंगति का प्रभाव अवश्य पड़ता है। यह ऐसा जादू है जो कि अपना प्रभाव दिखाए बिना नहीं रहता ।
(3) पराधीन सपनेहु सुख नाहिं
[ संकेत बिंदु – स्वतंत्रता मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार, महान् पुरुषों के विचार, स्वतंत्रता की रक्षा ।]
उत्तर:
स्वतंत्रता मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार – ‘स्वतंत्रता मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है।’ केवल मनुष्य ही क्या, स्वतंत्रता समस्त प्राणियों का अधिकार है । प्रत्येक प्राणी चाहे वह नर हो या नारी, पशु हो या पक्षी सभी स्वतंत्र रहना चाहते हैं । जीवन की यदि कोई विडम्बना है तो वह है पराधीनता। रूसो ने कहा है- “मनुष्य स्वतंत्र उत्पन्न होता है, किन्तु सब जगह वह बन्धनों से जकड़ा है।”
महान पुरुषों के विचार – नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने भी कहा था- ‘मनुष्य के लिए कठोरतम दंड है- पराधीन होना । ‘ पराधीनता को शत्रु करार देते हुए गोस्वामी तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ में कहा है- ‘पराधीन सपनेहु सुख नाहिं ।’ कवि श्री वियोगी हरि लिखते हैं- जो मनुष्य पराधीन नहीं उनके लिए स्वर्ग-नरक में अन्तर नहीं । इसके विपरीत जो मनुष्य पराधीन हैं, उनके लिए स्वर्ग भी नरक के समान होता है ।
स्वतंत्रता की रक्षा – स्वाधीनता जीवन का अमृत है और पराधीनता विष । स्वाधीन प्राणी की भावनाओं पर कोई अंकुश नहीं होता । वह स्वेच्छा से विचरण करता है । इंसान तो क्या पक्षी भी पिंजरे में रहकर स्वादिष्ट भोजन की अपेक्षा आज़ाद रहकर भूखा रहना अधिक पसंद करते हैं। किसी कवि ने कहा है- “हम पक्षी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे, कनक तीलियों से टकराकर, पुलकित पंख टूट जाएँगे ।”
15. किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए- (5 × 1 = 5)
विद्यालय में पीने के पानी की कमी के सम्बन्ध में प्राचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए।
अथवा
शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षकों के सम्मान हेतु विद्यार्थियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम का वर्णन करते हुए बड़ी बहन को पत्र लिखिए ।
उत्तर:
सेवा में,
प्राचार्य महोदय,
अ.ब. स. विद्यालय
अ.ब. स. नगर ।
दिनांक- 02/05/20XX
विषय – विद्यालय में पीने के पानी की कमी के संदर्भ में पत्र |
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं कक्षा नौ ‘अ’ का छात्र हूँ। हमारे विद्यालय में पिछले कई दिनों से पीने के पानी की समस्या चल रही है। नलों में पानी बहुत कम आता है। कई बार तो बिल्कुल पानी नहीं आता है। इस कारण विद्यार्थियों को बाहर से पानी की बोतलें खरीदनी पड़ती हैं। आपसे प्रार्थना है कि आप शीघ्र पानी की उचित व्यवस्था करने का आदेश दें ताकि हमारी पानी की समस्या दूर हो सके ।
हम सब इसके लिए आभारी रहेंगे ।
धन्यवाद ।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अ.ब. स
कक्षा-नौ ‘अ’
अथवा
विवेकानन्द छात्रावास, जयपुर
राजस्थान ।
दिनांक: …………
आदरणीया दीदी,
सादर प्रणाम ।
मैं कुशल रहकर आपकी कुशलता की कामना करती हूँ। मैं इस पत्र में अपने विद्यालय में मनाए गए शिक्षक दिवस के बारे में बता रही हूँ। 5 सितम्बर को हमारे विद्यालय में शिक्षक दिवस मनाया गया था। इस दिन प्रधानाचार्य द्वारा शिक्षकों का सम्मान किया गया। हम सब विद्यार्थियों ने ही उस दिन कक्षाएँ लीं, शिक्षकों के सम्मान में हम सब छात्र-छात्राओं ने अनेक प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, संगीत आदि का आयोजन किया । प्रबन्धक महोदय द्वारा समस्त शिक्षकों को उपहार प्रदान किए गए और अन्त में भोज हुआ । शिक्षकगण भी बहुत प्रसन्न हुए। इस प्रकार यह शिक्षक दिवस का समारोह एक यादगार बनकर रह गया।
माँ-पिताजी को मेरा सादर प्रणाम व छोटे भाई को शुभाशीष ।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में –
आपकी छोटी बहन,
कविता
16. ‘असली धन’ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए लगभग 100 शब्दों में लघुकथा लिखिए । (5 × 1 = 5)
अथवा
किसी पाठ्यक्रम विवरण के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त कराने हेतु लगभग 100 लगभग शब्दों में ई-मेल लिखिए ।
उत्तर:
असली धन
एक बार एक राजा था । वह पशु-पक्षियों को देखने के लिए वन में जाया करता था। एक बार तेज़ तूफान में फँस कर राजा रास्ता भटक कर जंगल के दूसरे छोर पर पहुँच गया। भूख-प्यास से बेचैन राजा एक पेड़ के नीचे बैठ गया। तभी राजा की नज़र वहाँ खेलते तीन बच्चों पर पड़ी। राजा ने उन्हें अपने पास बुलाया और उनसे मदद करने को कहा। बच्चे तुरंत अपने घर गए और राजा के लिए भोजन और पानी ले आए। राजा बच्चों के व्यवहार से बहुत प्रसन्न हुआ । उसने कहा कि मैं तुम तीनों को कुछ इनाम देना चाहता हूँ तुम जो चाहो माँग लो।
थोड़ी देर सोचने के बादं पहले बच्चे ने काफ़ी सारा धन माँगा जिससे वह बढ़िया पकवान खा सके और कीमती वस्त्र पहन सके। दूसरे बालक ने भी बड़ा-सा घर और गाड़ी माँगी। तीसरा बालक बोला कि मुझे धन-दौलत नहीं चाहिए। मैं पढ़-लिखकर विद्वान बनना चाहता हूँ। क्या आप मेरी मदद करेंगे ? राजा तीसरे बालक की बात सुन बहुत खुश हुआ। राजा ने पहले व दूसरे बालक की इच्छा पूर्ति हेतु धन, घर, गाड़ी दी वहीं तीसरे बालक की शिक्षा का प्रबंध किया। तीसरा बालक बहुत होशियार था वह पढ़-लिख कर विद्वान बन गया। तब राजा ने उसकी विद्वता से प्रसन्न होकर उसे अपना मंत्री बना लिया । दरबार में सभी उसकी विद्वता से प्रभावित थे और उसका आदर करते ।
वहीं पहले बालक का सारा धन व्यर्थ के कार्यों व मौज-मस्ती में बर्बाद हो गया तथा दूसरे बालक का घर व गाड़ी भी बाढ़ आ जाने से पानी में बह गए। दोनों बालक फिर से ग़रीब हो गए तब वे तीसरे बालक के पास गए जो मंत्री था । वे दोनों दुःखी होकर बोले कि हमने राजा से इनाम माँगने में बड़ी भारी भूल की। तब तीसरे बच्चे ने कहा असली दौलत (धन) शिक्षा है जो सदैव हमारे पास रहती है और हमें धनवान बनाती है। तब दोनों बालकों को बहुत पछतावा हुआ उसने निश्चय किया कि वे भी मेहनत और लगन से शिक्षा प्राप्त कर अपना जीवन सुखी बनाएँगे ।
अथवा
दिनांक : 23-04-XX
From : [email protected]
To : [email protected]
Cc : [email protected]
BCC : ……….
विषय : पाठ्यक्रम विवरण के सम्बन्ध में
माननीय महोदय,
मैं माधुरी वैश्य दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में हिन्दी विषय की शोध छात्रा हूँ। मैं आपके संस्थान से कम्प्यूटर विज्ञान में डिप्लोमा करना चाहती हूँ। आजकल कम्प्यूटर की उपयोगिता प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ गई है क्योंकि अधिकतर कार्यों में कम्प्यूटर का उपयोग होने लगा है, इसलिए पाठ्यक्रम में शामिल इस विषय का गहन अध्ययन करना चाहती हूँ । पाठ्यक्रम से सम्बन्धित जानकारी हेतु आप मुझे पाठ्यक्रम की विवरणिका की एक प्रति भेज दीजिए ।
आपके इस सहयोग से मुझे पाठ्यक्रम को समझने में सहायता मिलेगी।
धन्यवाद
शोधार्थी
माधुरी वैश्य
दयालबाग़ एजुकेशनल कॉलेज
आगरा
17. सचिन के रिटायरमेंट को लेकर आपके और आपके दोस्त के बीच हुए संवाद को लगभग 80 शब्दों में लिखिए। (4 × 1 = 4)
अथवा
आप अपनी कॉलोनी की कल्याण परिषद् के अध्यक्ष हैं। अपने क्षेत्र के पार्कों की साफ़-सफ़ाई के प्रति जागरूकता लाने हेतु लगभग 80 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए ।
उत्तर:
दो मित्रों के बीच संवाद
शरद : अरे, अमित ! तू इस समय यहाँ, मुझे तो आश्चर्य हो रहा है?
अमित : क्यों, मैं यहाँ आ नहीं सकता क्या ?
शरद : आ क्यों नहीं सकता, आ सकता है पर इस समय तो भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच चल रहा है। उसे छोड़कर तू यहाँ ? तू तो क्रिकेट मैच का दीवाना है।
अमित : सही कहा पर अब तो मज़ा नहीं आता क्योंकि टीम में सचिन तेंदुलकर नहीं है न ।
शरद : हाँ यार, ठीक कहा, सचिन आखिर सचिन है । कल की सी बात है कपिल देव कप्तान था और 15-16 साल का स्कूल का छात्र सचिन पाकिस्तान के खिलाफ खेलने आया था।
अमित : हाँ और उसने क्रिकेट के लिए अपनी दसवीं की परीक्षा भी छोड़ दी थी, समय जाते देर नहीं लगती।
शरद : सही कहा । उसके रिटायर होने की घोषणा पर तू कितना रोया था ।
अमित : हाँ मित्र, मुझे बहुत दुःख हुआ था उसके जैसा महान क्रिकेटर सदियों में आता है। उसके रिटायरमेंट के बाद मेरा मन भी क्रिकेट से हट गया है इसलिए मैं अब मैच नहीं देखता ।
अथवा
क. ख. ग. नगर
क. ख.ग. कॉलोनी
कल्याण परिषद्
तिथि – 00.00.20
आवश्यक सूचना
पार्कों की साफ़-सफ़ाई के संदर्भ में
विदित हो कि दिनांक 00.00.20….. (शनिवार) को दोपहर 12 बजे से दोपहर 2 बजे तक कॉलोनी के पार्कों को स्वच्छ करने तथा स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिए एक अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए क.ख.ग. कॉलोनी के सभी निवासियों से अनुरोध है कि वे इस स्वच्छता अभियान में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाएँ। इस अभियान में हमारे साथ नगर के अन्य सरकारी साफ़-सफ़ाई कर्मचारी और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल होंगे।
निवेदक,
अध्यक्ष