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NCERT Solutions for Class 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 7 with Solutions

January 24, 2025 by Bhagya

Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 7 are designed as per the revised syllabus.

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 7 with Solutions

समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश:

  • इस प्रश्न-पत्र में खंड ‘अ’ में वस्तुपरक तथा खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
  • खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
  • खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
  • दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।

खंड ‘क’
अपठित बोध (18 अंक)

खंड ‘क’ में अपठित बोध के अंतर्गत अपठित गद्यांश व पद्यांश से संबंधित बहुविकल्पीय, अतिलघूत्तरात्मक तथा लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से बहुविकल्पीय तथा अतिलघूत्तरात्मक के प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक तथा लघूत्तरात्मक के लिए 2 अंक निर्धारित हैं।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए। (10)
शिक्षा, जीवन के सर्वांगीण विकास हेतु अनिवार्य है। शिक्षा के बिना मनुष्य विवेकशील और शिष्ट नहीं बन सकता। विवेक से मनुष्य में सही और गलत का चयन करने की क्षमता उत्पन्न होती है। शिक्षा ही मानव-को-मानव के प्रति मानवीय भावनाओं से पोषित करती है।

शिक्षा से मनुष्य अपने परिवेश के प्रति जाग्रत होकर कर्तब्याभिमुख हो जाता है। ‘स्व’ से ‘पर’ की ओर अग्रसर होने लगता है। निर्बल की सहायता करना, दुखियों के दु:ख दूर करने का प्रयास करना, दूसरों के दु:ख से दु:खी हो जाना और दूसरों के सुख से स्वयं सुख का अनुभव करना जैसी बातें एक शिक्षित मानव में सरलता से देखने को मिल जाती हैं। शिक्षित सामाजिक परिवेश में व्यक्ति अशिक्षित सामाजिक परिवेश की तुलना में सदैव ही उच्च स्तर पर जीवनयापन करता है, परंतु आज आधुनिक युग में शिक्षा का अर्थ बदल रहा है। शिक्षा भौतिक आकांक्षा की पूर्ति का साधन बनती जा रही है। व्यावसायिक शिक्षा के अंधनुकरण में छात्र सैद्धांतिक शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं। यह शिक्षा का विशुद्ध रोजगारोन्मुखी रूप है। शिक्षा के प्रति इस प्रकार का संकुचित दृष्टिकोण अपनाकर विवेकशील नागरिकों का निर्माण नहीं किया जा सकता।

भारत जैसे विकासशील देश में शिक्षा रोज़गार का साधन न होकर साध्य हो गई है। इस कुप्रवृत्ति पर अंकुश लगना आवश्यक है। जहाँ मानविकी के छात्रों को पत्रकारिता, साहित्य-सृजन, विज्ञापन, जनसंपर्क इत्यादि कोर्स भी कराए जाने चाहिए ताकि उन्हें रोजगार के लिए न भटकना पड़े, वहीं व्यावसायिक कोर्स करने वाले छात्रों को मानविकी के विषय; जैसे-इतिहास, साहित्य, राजनीतिशास्त्र, दर्शन आदि का थोड़ा-बहुत अध्ययन अवश्य करना चाहिए ताकि समाज को विवेकशील नागरिक प्राप्त होते रहें, तभी समाज में संतुलन बना रह सकेगा।

(क) शिक्षा के द्वारा मनुष्य में कैसी भावना उत्पन्न होती है? (1)
(i) ‘स्व’ से उत्पन्न भावना
(ii) बसुधैव कुटुंबकम की
(iii) भौतिक आकांक्षा पूर्ति की
(iv) रोज़गार प्राप्ति की भावना
उत्तर :
(ii) वसुधैव कुटुंबकम की

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 7 with Solutions

(ख) निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (1)
1. शिक्षा द्वारा सामाजिक गुण उत्पन्न होते हैं।
2. शिक्षित व्यक्ति अपने अनुभव समाज के समक्ष बेहतर तरीके से रख सकता है।
3. शिक्षा व्यवस्साय में ईष्प्या भाबना उत्पन्न करती है। कूट
(i) केवल 2 सही।
(ii) 1 और 3 सही हैं।
(iii) 1 और 2 सही हैं।
(iv) 2 और 3 सही हैं।
उत्तर :
(iii) 1 और 2 सही हैं।

(ग) कथन (A) शिक्षा के बिना मनुष्य विवेकशील व शिष्ट नहीं बन सकता। (1)
कारण (R) शिक्षा से मनुष्य में सही व गौलन का चयन करने की क्षमता उत्पन्न होती है। कूट
(i) कथन (A) सही हैं, किंतु कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) गलत हैं।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कथन (A) कारण (R) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कथन (A), कारण (R) की सही व्याख्या करता हैं।

(घ) शिक्षा से मनुष्य का सर्वांगीण विकास होता है। तर्क के साथ इसकी पुष्टि कीजिए। (1)
उत्तर :
मानव जीवन विकास की विभिन्न अवस्थाओं को शिक्षा के द्वारा ही कुशलतापूर्वक संपूर्ण कर पाता है। शिक्षा से मनुष्य का बौद्धिक विकास, सांस्कृतिक विकास एवं सामाजिक विकास होता है। शिक्षा के द्वारा ही मनुष्य नेतृत्व क्षमता, सदाचार, सहानुभूति, सहिष्गुता, अनुशासन आदि मानवीय गुणों का विकास कर सक्ता है।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 7 with Solutions

(ङ) “शिक्षा भौतिक आकांक्षा की पूर्ति का साधन बनती जा रही है।” पंक्ति में निहित भाव को स्पष्ट करें। (2)
उत्तर :
व्यावसायिक शिक्षा वर्तमान में मात्र धन कमाने का साथन बनती जा रही है। भौतिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए शिक्षा ने व्यावस्तायिक स्तर पर शोषण कर मनुष्य-मनुष्य के बीच आपसी मतमेद उत्पन्न कर दिए हैं। व्यावसायिक शिक्षा के कारण व्यक्ति में मानवीय मूल्यों का अभाव हुआ है। इससे जीवन में विशिष्ट एवं व्यापक दृष्टिकोण का हास होता जा रहा है।

(च) सिर्फ़ व्यावसायिक शिक्षा पर ज़ोर देने से कौन-कौन से सामाजिक दोष उत्पन्न हो रहे हैं? (2)
उत्तर :
व्यक्ति व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण कर रोज़गार प्राप्त करने के योग्य तो हो जाता है, लेकिन मानविकी विषयों का अध्ययन न करने से उसमे सैद्धांतिक एवं मानवीय गुणों का अभाव हो जाता है। व्यावसायीकरण से मुनाफ़ाखोरी एवं धनार्जन की प्रवृत्ति में वृद्धि होती है, जिससे गरीब एवं प्रतिभावान छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते।

(छ) प्रस्तुत गद्यांश का तर्क के साथ सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक बताइए। (2)
उत्तर :
प्रस्तुत गद्यांश में शिक्षा का जीवन में महत्त्व दर्शाति हुए उसके उपयोग से परिचित कराया गया है, जिससे स्पष्ट होता है कि शिक्षा के ज़रिए व्यक्ति समाज में अपनी मान-प्रतिष्ठा बनाए रखने के साथ ही राष्ट्र को गौरवांवित करने में समर्थ होता है। अत: इसका सर्वांधिक उचित शीर्षक ‘शिक्षा का महत्त्व’ है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पघ्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए।
ॠषि-मुनियों, साधु-संतों को
नमन, उन्हें मेरा अभिनंदन।
जिनके तप से पूत हुई है
भारत देश की स्वर्णिम माटी
जिनके श्रम से चली आ रही
युग-युग से अविरल परिपाटी।
जिनके संयम से शोभित है

जन-जन के माथे पर चंदन।
कठिन आत्म-मंथन के हित
जो असि-धारा पर चलते हैं
पर-प्रकाश हित पिघल-पिघलकर
मोम-दीप-सा जलते हैं।
जिनके उपदेशों को सुनकर
सँवर जाए जन-जन का जीवन।

सत्य-अहिंसा जिनके भूषण
करुणामय है जिनकी वाणी
जिनके चरणों से है पावन
भारत की यह अमिट कहानी।
उनके ही आशीष, शुभेच्छा,
पाने को करता पद-वंदन।

(क) ॠषि-मुनि, साधु-संत नमन करने योग्य क्यों हैं? (1)
(i) धार्मिक विश्वास के कारण
(ii) तप, श्रम और संयम का आदर्श प्रस्तुत करने के कारण
(iii) उच्च शिक्षा का पालन करने के कारण
(iv) देश में धर्म-संस्कृति का प्रचार करने के कारण
उत्तर :
(ii) तप, श्रम और संयम का आदर्श प्रस्तुत करने के कारण

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 7 with Solutions

(ख) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए (1)
1. ॠषि-मुनियों के तप से भारत की मिट्टी पवित्र हो गई है।
2. प्रत्येक मनुष्य ऋषि-मुनियों का वंदन कर अपने माथे पर तिलक लगवाता है।
3. ऋषि-मुनियों के आभूषण सोने-चाँदी के नहीं वरन् सत्य-अहिंसा ही हैं। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं ?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(iv) 1 और 3

(ग) सुमेलित कीजिए (1)

सूथी I सूची II
A. ॠषि-मुनियों के आभूषण 1. ॠषि-मुनियों के उपदेशों को सुनकर
B. जन-धन का जीवन संवर जाता है 2. सत्य अहिसा है
C. ॠषि-मुनियों की वाणी 3. करुणामय है

कूट
A B C
(ii) A B C
(i) 2 1 3
(ii) 3 2 1
(iii) 1 1 2
(iv) 3 1 2
उत्तर :
(i)

सूथी I सूची II
A. ॠषि-मुनियों के आभूषण 2. सत्य अहिसा है
B. जन-धन का जीवन संवर जाता है 1. ॠषि-मुनियों के उपदेशों को सुनकर
C. ॠषि-मुनियों की वाणी 3. करुणामय है

(घ) ‘असि-धारा पर चलते हैं’ पंक्ति का क्या आशय है? (1)
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति से आशय ऐसे कठोर व्रत से है, जो तलवार की धार पर चलने के समान हो अर्थांत् ऋषि-मुनि सुखों को त्यागकर संसार को दु:खों से मुक्त कराने के लिए कष्टमय जीवन बिताते हैं।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 7 with Solutions

(ङ) अषि-मुनि अपनी किस विशेषता के कारण वंदनीय हैं? (2)
उत्तर :
ऋबि-मुनि सत्य, अहिंसा और करुणामय वाणी के कारण वंदनीय हैं। वे संसार का पथ-प्रदर्शन करने के लिए अपने जीवन में अनेक प्रकार के कष्टों को सहन करते हैं, उनका मुख्य ध्येय संसार के दु:खों का निवारण करना होता है। वे परोपकार के लिए कष्ट सहन करते हैं, उनका अपना कोई स्वार्थ नहीं होता, इसलिए भी वे वंदनीय होते हैं।

(च) ऋषि-मुनियों का जीवन किस पर आधारित होता है तथा उनके संपर्क में आने पर क्या प्रतिक्रिया होती है? (2)
उत्तर :
ऋषि-मुनि जीवनभर सत्य का अनुसरण करते हैं। भारतीय संस्कृति के सिद्धांत ‘सत्यमेव जयते’ के पोषक होते हैं। सत्य, अहिंसा और करुणामय वाणी उनके आभूषण होते हैं। इन्हीं आभूषणों पर उनका जीवन आधारित होता है। वे मन, वचन और कर्म से पूर्णरूपेण अहिंसावादी होते हैं। उनके संपर्क में आकर हिंसक भी अहिंसक बन जाता है।

खंड ‘ख’
अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्यपुस्तक (22 अंक)

खंड ‘ख’ में अभिव्यक्ति और माध्यम से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित 3 विषयों में से किसी 1 विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6 × 1 = 6)
(क) अपने जीवन की मधुर स्मृतियों का वर्णन
उत्तर :
अपने जीवन की मधुर स्मृतियों का वर्णन
मेरे जीवन की मधुर स्मृतियाँ मेरे बचपन से जुड़ी हैं, जो मेरे हदय को रोमांचित करती हैं। किसी भी व्यक्ति के बचपन के दिन जीवन के बड़े महत्त्वपूर्ण दिन होते हैं। बचपन में सभी व्यक्ति चितामुक्त जीवन जीते हैं। बचपन के दिनों में खेलने, उछलने-कूदने, खाने-पीने में बड़ा आनंद आता है। उन दिनों में माता-पिता, दादा-दादी तथा अन्य बडे़े लोगों का प्यार और दुलार बड़ा अच्छा लगता है। एक बार हम सभी छुट्टियों में कश्मीर गए थे। वहाँ के नज़ारे बहुत सुहावने थे और जब हम बर्फ की पहाड़ियों पर चल रहे थे, तभी मेरा पैर फिसल गया और मैं फिसलकरं नीचे आ गया, लेकिन मुझे कोई चोट नहीं आईं थी। थोड़ी देर बाद्र मेरी बुआ का लड़का भी फिसलकर नीचे आ गया।

यह देखकर हम सभी को हँसी आ गई और धीरे-धीरे करके सभी फिसलकर नीचे आने लगे। इस प्रकार उस समय हमने बहुत मजजे किए। वे पल आज भी मुक्ने बहुत याद आते हैं। इसी प्रकार बचपन की एक अन्य घटना मुझे अभी तक याद है। उन दिनों मैं तीसरी कक्षा में पढ़ता था। मेरी अर्द्धवार्षिक परीक्षा चल रही थी। हिंदी की परीक्षा में हाथी पर निबंध लिखने का प्रश्न आया था। निबंध लिखने के क्रम में मैंन ‘चल-चल मेरे हाथी’ वाली फिल्म गीत की चार पंक्तियाँ लिख दी। इसकी चर्चा पूरे विद्यालय में फैल गई।

शिक्षकगण एवं माता-पिता सभी ने हँसते हुए मेरी प्रशंसा की, परंतु उस समय मेरी समझ में नहीं आया कि मैने अच्छा किया या बुरा। इस तरह बचपन की कई यादे ऐसी हैं, जो भुलाए नहीं भूलत्ती। इन मधुर स्मृतियों के कारण ही फिर से पाँच-सात वर्ष का बालक बनने की इच्छा होती है, परंतु बचपन’ में किसी को पता ही कहाँ चलता है कि ये उसके जीवन के सुनहरे दिन हैं।

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(ख) मेरी प्रिय ॠतु
उत्तर :
मेरी प्रिय ॠतु
मेरी प्रिय ऋतु वसंत ऋतु है। वैसे हमें भारत में प्रत्येक वर्ष मुख्य रूप से चार ऋतुओं का आनंद लेने का सुनहरा अवसर मिलता है। सबको अपनी-अपनी पसंद की ऋतु अधिक प्रिय होती है। भारत में सर्दियों के बाद फरवरी से अप्रैल तक के महीने में वसंत ऋतु का मौसम होता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार, वसंत ॠतु माब महीने से चैत्र महीने तक रहती है। सर्दियों के मौसम के बाद वसंत ऋतु में हल्की-सी गर्माहट के साथ मौसम बहुत ही सुहावना हो जाता है। इन दिनों प्रकृति के मौसम में अद्भुत-सी सुंदरता और अनोखी महक चारों ओर फैली होती है। पेड़ो की हरियाली, रंग-बिरंगे फूल, चिड़ियों का चहचहाना और हवाओं में एक सोधी-सी महक होती है।

पौधों में नए फूलों और नई टहनियों का आगमन होता है तथा पशु-पक्षियों का नया संचार होता है एवं भँवरे कलियों के रस से शहद का निर्माण कार्य करने में व्यस्त हो जाते हैं। मुझे वसंत का मौसम इसलिए प्रिय लगता है, क्योंकि इस समय मौसम का तापमान बेहद सुखद हो जाता है। प्रकृति का मौसम देख मेरा जीवन उमंगों से भर जाता है। चारों ओर फैली प्राकृतिक बहार मुझे इस मौसम में नए जीवन का एहसास कराती है। यह मौसम मेरे लिए सबसे मोहक और रोमांचित करने वाला मौसम होता है।

अत: मैं तो ईंश्वर से हमेशा प्रार्थना करता हूँ कि वसंत का यह मौसम हमेशा ही ऐसा बना रहे, जिससे मेरे साथ-साथ सभी का जीवन आनंदमयी और सुखों से भरा रहे।

(ग) प्रातः काल योग करते लोग
उत्तर :
प्रात:काल योग करते लोग
प्रात:काल का समय बहुत सुहावना होता है। उगते हुए सूर्य की लालिमा के साथ-साथ चिड़ियों की चहचहाहट और धीमी-धीमी बहती हवा शरीर को एक अद्भुत आनंद से भर देती है। उस समय चारों ओर का वातावरण शांत होता है। प्रकृति अपने सुंदर रूप में होती है। ऐसा समय योग करने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होता है। एक दिन मैं प्रातःकाल के समय पार्क में घूमने गया। मैंने वहाँ देखा कि बहुत-से लोग घास के मैदान में अपना आसन बिछाकर योग कर रहे थे। योग करते समय वे बहुत प्रसन्न नज़र आ रहे थे। उनमें केक्ल वृद्ध व्यक्ति ही नहीं, बल्कि सभी आयु वर्ग के लोग थे। जब उनका योग पूरा हो गया तब मैंने एक व्यक्ति से योग के विषय में पूछा कि प्रात:काल योग करने से क्या लाभ होता है, तो उस व्यक्ति ने बताया कि योग हमारे जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

योग हमारे शरीर, मन एवं आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करता है। यह मन को शांत एवं स्थिर रखता है, तनाव दूर कर सोचने की क्षमता तथा आत्मविश्वास और एकाग्रता को बढ़ाता है। नियमित रूप से योग करने से हमारा शरीर तो स्वस्थ रहता ही है, साथ ही यदि कोई रोग है, तो इसके द्वारा उसका उपचार भी किया जा सकता है। वर्तमान परिवेश में योग न केवल हमारे लिए लाभकारी है, बल्कि विश्व में बढ़ते प्रदूषण एवं मानवीय व्यस्तताओं से उत्पन्न समस्याओं के निवारण में इसकी सार्थकता और भी बढ़ गई है। इस प्रकार प्रात:काल योग करते लोगों को देखकर तथा योग से होने वाले लाभों के विषय में जानकर मुझ्े भी योग करने की प्रेरणा मिली। हम सभी लोगों को प्रात:काल योग करना चाहिए।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पदिए और किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 4 = 8 )
(क) कहानी को रोचक और प्रामाणिक बनाने में देशकाल और वातावरण का चित्रण अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कहानी को रोचक और प्रामाणिक बनाने में देशकाल और वातावरण का चित्रण अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योकि प्रत्येक घटना, पात्र और समस्या का अपना देशकाल और वातावरण होता है। कहानी में वास्तविकता लाने के लिए देशकाल और वातावरण का प्रयोग किया जाता है। कहानी को प्रामाणिक और रोचक बनाने के लिए इनका प्रयोग अत्यंत आवश्यक है।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 7 with Solutions

(ख) अभिनेयता का अर्थ स्पष्ट करते हुए बताइए कि अभिनेयता न होने से नाटकों में क्या दोष आता है? (2)
उत्तर :
अभिनेयता वह कला है, जिसके द्वारा अभिनेता चलचित्र या नाटक में किसी चरित्र का अभिनय करता है। अभिनेता परिकल्पना एवं दर्शक के बीच माध्यम का कार्य करता है। अभिनय की कला का ज्ञान एवं अभिनेता के भाव प्रस्तुतीकरण को सार्थक बनाते हैं।
नाटकों में अभिनेयता न होने पर दर्शकों के हृदय में भाव या अर्थ अभिभूत नहीं हो पाएगा। अत: नाटक नीरस हो जाएगा।

(ग) सिनेमा या मंच पर अभिनीत नाटकों की तुलना में रेडियो नाटक की अवधि सीमित क्यों रखी जाती है? तर्क सहित उत्तर दीजिए (2)
उत्तर :
सिनेमा या मंच पर अभिनीत नाटकों की तुलना में रेडियो नाटक की अवधि सीमित इसलिए रखी जाती है, क्योकि रेडियो पूरी तरह से श्रव्य माध्यम है। रेडियो नाटक का लेखन सिनेमा व रंगमंच के लेखन से थोड़ा भिन्न तथा मुश्किल होता है। इसमे संबादों को ध्वनि प्रभावों के माध्यम से संप्रेषित करना होता है। यहाँ न तो मंच सज्जा, वस्त्र सज्जा होती है और न ही अभिनेता के चेहरे की भावर्भंगिमा। केवल आवाज के माध्यम से ही नाटक को प्रस्तुत किया जाता है। इसमे मतुष्य की एकाम्नता सीमित होती है। सामान्य रूप से रेडियो नाटक की अवधि 15-30 मिनट रखी जाती है, क्योकि मनुष्य की सुनने की एकाग्रता अर्वधि इतनी ही होती है।

(घ) संवाद से जुड़ा वह कौन-सा तथ्य है, जो रेडियो नाटक पर विशेष रूप से लागू होता है और क्यों? (2)
उत्तर :
संवाद से जुड़ा वह तथ्य है-संवाद। जिस चरित्र को संबोधित है, उसका नाम लेना, क्योकि रेडियो में कौन, किससे बात कर रहा है, यह हम देख नहीं पाते, इसलिए जो पात्र या चरित्र संवाद कर रहा है या जिसे संबोधित कर रहा है, उसका नाम लेना आवश्यक हो जाता है, विशेष रूप से जब दृश्यों में दो से अधिक पात्र उपस्थित हों। इसके अतिरिक्त रेडियो नाटक में कई बार जब कोई पात्र विशेष एक्शन या हरकत कर रहा हो, तो उस हरकत को भी संवाद का हिस्सा बनाना चाहिए; जैसे-कोई चलता-चलता थक गया हो, तो उसे कहीं बैठते हुए इस तरह संवाद करना होगा-बड़ा थक गया हूँ, जरा थोड़ी देर यहाँ बैठता हूँ (और ‘आह’ की आवाज के साथ वह बैठ जाता है)।

(ङ) पत्रकारिता में ‘बीट’ शब्द का क्या अर्थ है? बीट रिपोर्टर की रिपोर्ट कब विश्वसनीय मानी जाती है? समझाकर लिखिए। (2)
उत्तर :
समाचार कई प्रकार के होते हैं; जैसे- राजनीति, अपराध, खेल, आर्थिक, फिल्म तथा कृषि संबंधी समाचार आदि। संवाददाताओं के बीच काम का बंटवारा उनके ज्ञान एवं रुचि के आधार पर किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे ही ‘बीट’ कहते हैं।
बीट रिपोर्टर को अपने बीट (क्षेत्र) की प्रत्येक छोटी-बड़ी जानकारी एकत्र करके कई सोतों द्वारा उसकी पुष्टि करके विशेषज्ञता प्राप्त करनी चाहिए। तब ही उसकी स्रार विश्वसनीय मानी जाती है।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पदिए और किन्हीं 2 प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए।
(क) संपादकीय लेखन किसे कहते हैं? इसमें संपादक का नाम क्यों नहीं लिखा जाता है?
उत्तर :
संपादकीय लेखन संपादक द्वारा किसी प्रमुख घटना या समझ्या पर लिखे गए विचारात्मक लेख को, कहते है। जिसे संबंधित समाचार-पत्र की राय भी कहा जाता है। संपादकीय लेखन किसी एक व्यक्ति का विचार या राय 7 होकर समग्र पत्र-समूह की राय होता है, इसलिए संपादकीय लेखन में संपादक अथवा लेखक का नाम नहीं लिखा जाता है।
अखखारों में संपादकीय लेखन पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाले संपादकीय अग्रलेख, लेख और टिप्पणियाँ इसी संपादकीय लेखन की श्रेणी में आती हैं।

(ख) फीचर को व्याख्यायित करते हुए फीचर लेखन के उद्देश्य बताइए।
उत्तर :
फीचर एक सुख्यवस्थित, सुजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन है। किसी भी वस्तु, घटना, स्थान या व्यक्ति विशेष की विशेषताओं को उद्घाटित करने वाला विशिष्ट आलेख फीचर कहलाता है, जिसमें सर्जनाल्मकता, काल्पनिकता, तथ्य, घटनाएँ, विचार, भावनाएँ आदि एकसाथ उपस्थित रहते हैं। फीचर लेखन का उपयोग पत्रिकाओं, समाचार पत्रों और औनलाइन मीडिया में बडे पैमाने पर किया जाता है।

फीचर का मुख्य उद्देश्य पाठक को सूचना देना, शिक्षित करना तथा उनका मनोरंजन करना होता है। फीचर लेखन की कोई सुनिश्चित शैली नही होती। फीचर लेखन आमतौर पर एक कथा कहानी के माध्यम से एक नई वस्तु का प्रतिनिधित्व करती है और कथानक तथा कहानी पात्रों का उपयोग करती है। फीचर लेखन में प्रयुक्त सामग्री काल्पनिक नहीं होती है, वह काफी हद तक रचनात्मकता पर निर्भर करती है। फीचर लेखन का उद्देश्य पाठक से भावनात्मक रूप से जुड़ने का प्रयास करना है तथा पाठकों को सोचने-समझने के लिए प्रेरित करना है।

(ग) साक्षात्कार पर टिप्पणी करते हुए बताइए कि साक्षात्कार को सफल बनाने में साक्षात्कारकर्ता में किन गुणों का होना अनिवार्य है?
उत्तर :
साक्षात्कार में पत्रकार/साक्षात्कारकर्ता द्वारा अन्य व्यक्ति से उसकी भावनाएँ, विचार व राय आदि जानने के लिए सवाल पुठकर जानकारी एकत्र करना होता है। साक्षात्कार परस्पर मौलिक वार्तालाप की पद्धति है, जिसमें बातचीत में नए विचार तथा चिंतन पैदा होते हैं। एक सफल साक्षात्कार वह होता है, जिसमें पत्रकार उन सभी प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर सके, जिन्हें पाठक/दर्शक/श्रोता जानना चाहते हैं। साक्षात्कार लेने के लिए पत्रकार को उस व्यक्ति के संदर्भ में सभी जानकारियाँ पहले से ज्ञात होनी चाहिए।

वास्तव में साक्षात्कारकर्ता की कुशलता ही साक्षात्कार की सफलता पर आधारित होती है। साकात्कारकर्ता में प्रत्यक्षीकरण की तीक्ष्गता, परिवर्तनशीलता, समायोजनशीलता तथा विविध साक्षात्कार लेने का अनुभव होना चाहिए। उच्च व्यक्तित्व साक्षात्कारकता का प्रभुख गुण है। इसके अतिरिक्त सत्यता की खोज की क्षमता उच्चकोटि की मनोवैज्ञानिकता, सक्रिय सहयोग लेने की क्षमता, निष्पक्षता और ईमानदारी, कुशलता एवं चतुराई आदि गुण एक अच्छे व सफल साक्षात्कारकर्ता के गुण हैं।

खंड ‘ग’
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 एवं वितान भाग-2 (40 अंक)

खंड ‘ग’ में पाठ्यपुस्तक आरोह भाग- 2 से गद्य व पद्य खंड से बहुविकल्पीय प्रश्न, अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न व लघूत्तरात्मक प्रश्न तथा वितान भाग- 2 से लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
दिवाली की शाम घर पुते और सजे चीनी के खिलौँने जगमगाते लावे वो रूपवती मुखड़े पै इक नर्म दमक बच्चे के घरॉंदे में जलाती है दीये आँगन में ठुनक रहा है जिदयाया है बालक तो हई चाँद पै ललचाया है दर्पण उसे दे के कह रही है माँ देख आईंने में चाँद उतर आया है
(क) दिवाली के दिन घर की साज-सज्जा कैसी होती है? (1)
(i) अस्त-व्यस्त
(iii) बच्चों के खिलौने घर में फैले हुए
(ii) साफ़-सुंदर पुते हुए घर
(iv) अस्वच्छ व गंदी
उत्तर :
(ii) साफ-सुंदर पुते हुए घर

(ख) दिवाली के दिन माता बच्चों को ……. लाकर देती है। (1)
(i) नए व सुंदर कपड़े
(ii) मनपसंद मिठाई
(iii) चीनी मिट्टी के खिलौने
(ii) मिट्टी के दीये
उत्तर :
(iii) चीनी मिट्टी के खिलौने

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 7 with Solutions

(ग) माता के चेहरे पर कोमलता का भाव कब आता है? (1)
(i) दीप जलाते समय
(ii) भोजन बनाते समय
(iii) खिलौने लाते समय
(iv) दीप बनाते समय
उत्तर :
(i) दीप जलाते समय

(घ) कथन (A) माँ बच्चे को दर्पण में चाँद दिखाकर कहती है देख चाँद दर्पण में आ गया है। कारण (R) बच्चा माँ से चाँद लाने की ज़िद कर रहा है। कूट (1)
(i) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

(ङ) सुमेलित कीजिए। (1)

सूची I सूची II
A. ठुनक, जिदयाया 1. चित्रात्मक शैली
B. मिट्टी के खिलौने, दियों का जलना 2. स्त्री सौंदर्य ब बात्सल्य भाव
C. बच्चे की गतिविधियों का वर्णन 3. सार्थंक भावों की अभिव्यक्ति
D. माँ को रूपवती मुखड़े पर लिए नर्म दमक कहना 4. दीपावली का पारंपरिक पर्व

कूट
A B C D
(i) 2 1 4 3
(ii) 3 4 1 2
(iii) 1 2 3 4
(iv) 1 2 4 3
उत्तर :
(ii)

सूची I सूची II
A. ठुनक, जिदयाया 3. सार्थंक भावों की अभिव्यक्ति
B. मिट्टी के खिलौने, दियों का जलना 4. दीपावली का पारंपरिक पर्व
C. बच्चे की गतिविधियों का वर्णन 1. चित्रात्मक शैली
D. माँ को रूपवती मुखड़े पर लिए नर्म दमक कहना 2. स्त्री सौंदर्य ब बात्सल्य भाव

प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘आत्मपरिचय’ में कवि के कथन “शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ” का विरोधाभास स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तर :
कवि का यहि कथन कि वह शीतल वाणी में आग लिए घूम रहा है, विरोधाभास की स्थिति को उत्पन्न करता है, क्योंकि जब कवि अपने संघर्षों को कबिता का रूप देता है, तो वह शीतल वाणी बन जाती है, जयकि उसका मन दुःखों की अग्न में जल रहा होता है। वह अपने दु:खों एवं विरोधों को कोमल शब्दों के माध्यम से अपनी रचनाओं में व्यक्त करता है। इसलिए उसकी शीतल वाणी में भी असंतोष एवं व्याकुलता की आग छिपी रहती है।

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(ख) कवि प्रकृति के सौँदर्य को रोककर रखना चाहता है, क्यों? ‘बगुलों के पंख’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तर :
‘बगुलों के पंख्र’ एक सुंदर दृश्य कविता है। कबिता से गुजरता हुआ एक-एक दृश्य चित्र की भाँति उभर जाता है। कवि काले बादलों के नीचे से पंक्ति बनाकर उड़ते बगुलों को देखता रह जाता है। ये उसे कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साँझ की श्वेत काया के समान प्रतीत होते है। यह दृश्य इतना मोहक है कि कवि इसमे अटका-सा रह जाता है, इसलिए कवि प्रकृति के इस दृश्य को रोककर रखना चाहता है, जिससे वह उन्हें अधिक समय तक देखता रहे। कवि इसे माया कहता है। इस दृश्य में कवि प्रकृति सौद्यर्य से बँधने तथा बिधने की चरम स्थिति को व्यक्त करता है। ऐसा प्रकृति के इस दृश्य का कवि के मन पर पड़ने वाले मोहक प्रभाव के कारण संभव हुआ है।

(ग) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में कविता के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए। (3)
उत्तर :
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता वास्तव में मीडिया द्वारा लोगों की पीड़ा बेचने की स्थिति को दर्शाती है। इसमें कवि बताना चाहता है कि मीडिया वाले समर्थ तथा सशक्त होते हैं। वे किसी की भी करुणा को खरीद-बेच सकते हैं। वे ऐसे व्यक्तियों को समाज के सामने लाकर सहानुभूति बटोरना चाहते है, जो कमजोर और अशक्त हैं। एक अपाहिज की करणणा को पैसे एवं प्रसिद्धि के लिए टेलीविजन पर कुरेदना वास्तव में क्रूरता की चरम सीमा है। किसी की हौनता, अभाव, दुःख और कष्ट सदा से करणणा के कारण अथवा उद्दीपन रहे हैं, कितु इन कारणों को सार्वजनिक कार्यक्रम के रूप में प्रसारित करना और अपने चैनल की श्रेष्ठता साबित करने के लिए तमाशा बनाकर उसे फूहड ढ्वंग से प्रदर्शित करना क्रूरता है। इससे कविता के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध होती है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) लक्ष्मण के बिना राम अपनी दशा की तुलना किससे करते हैं तथा कैसे? (2)
उत्तर :
लक्ष्मण के बिना राम अपनी दशा की तुलना पंखहीन पक्षी, सुँड रहित हाथी और मणि रहित सर्प से करतें हुए कहते हैं कि हे भाई! लक्ष्मण, तुम्हारे बिना मेरी स्थिति इतनी दयनीय है कि मैं स्वयं को इस प्रकार शक्तिहीन महसूस कर रहा हुँ, जिस प्रकार पक्षी अपने पंखों के बिना दीन-हीन हो जाते हैं तथा मणि के बिना साँप और सूँड़ के बिना हाथी लाचार हो जाता है।

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(ख) पृथ्वी का प्रत्येक कोना बच्चों के पास स्वतः आ जाता है, कैसे? ‘पतंग’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
जब बच्चे पतंग उड़ाते हैं, तो वे चाहते हैं कि उनकी पतंग सबसे ऊँची रहे, क्योंकि वे पतंग के माध्यम से सारे ब्रह्मांड में घूमना चाहते हैं। वे कल्पना की रंगीन दुनिया में खो जाते है, इसलिए उनके लिए पृथ्वी का प्रत्येक कोना अपने आप सिमटता चला जाता है अर्थाव् पतंग उड़ाने के समय बच्चों के सामने पृथ्वी का कोना-कोना सिमट जाता है।

(ग) ‘बात सीधी थी पर’ कविता का संदेश स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
इस कविता में बताया गया है कि प्रत्येक बात की सटीक अभिव्यक्ति के लिए कुछ अर्थपूर्ण शब्द होते हैं। जिस प्रकार पेंच के लिए एक निश्चित साँचा होता है, उसी प्रकार प्रत्येक बात को बताने वाले शब्द भी सुनिश्चित होते हैं। यदि हम उनमें नयापन का दिखावा करने के लिए अनावश्यक शब्द डालने का प्रयास करेंगे, तो वे उसी प्रकार हो जाएँगे जैसे पेंच की चूड्डी टूटने पर पेंच खाँचे के अंदर ही बिना कसाव लाए घूमता रहता है अर्थात् कवि नए शब्दों की व्याख्या करता रह जाएगा और जिस मूल संबेदना को वह व्यक्त करना चाहता है; उस बात का मूलभाब मर जाएगा। इसलिए कवि स्वाभाविक एवं सहज भाषा के प्रयौग पर जोर देता है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्य को चुनकर लिखिए।
मैं असल में था तो इन्हीं मेंढक-मंडली वालों की उमर का, पर कुछ तो बचपन के आर्यसमाजी संस्कार थे और एक कुमार-सुधार सभा कायम हुई थी उसका उपमंत्री बना दिया गया था-सो समाज-सुधार का जोश कुछ ज्यादा ही था। अंधविश्वासों के खिलाफ तो तरकस में तीर रखकर घूमता रहता था। मगर मुश्किल यह थी कि मुझे अपने बचपन में जिससे सबसे ज्यादा प्यार मिला वे थीं जीजी। यूँ मेरी रिश्ते में कोई नहीं थीं। उम्र में मेरी माँ से भी बड़ी थीं, पर अपने लड़के-बहू सबको छोड़कर उनके प्राण मुझी में बसते थे और वे थीं उन तमाम रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों, पूजा-अनुष्ठानों की खान, जिन्हें कुमार-सुधार सभा का यह उपमंत्री अंधविश्वास कहता था और उन्हें जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता था।
(क) कुमार-सुधार सभा क्या थी? (1)
(i) समाज में व्याप्त अंधविश्वासों के खिलाफ़ संघर्ष करने वाली सभा
(ii) समाज के युवावर्ग को सुधारने वाली सभा
(iii) समाज से गंदगी को साफ करने वाली सभा
(iv) समाज से अलग विचारधारा लेकर चलने वाली सभा
उत्तर :
(i) समाज में व्याप्त अंधविश्वासों के खिलाफ संघर्ष करने वाली सभा

(ख) लेखक को कुमार-सुधार सभा में कौन-सा पद मिला था? (1)
(i) सचिव
(ii) उपसचिव
(iii) मंत्री
(iv) उपमंत्री
उत्तर :
(iv) उपमंत्री

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 7 with Solutions

(ग) लेखक में विश्वास नहीं रखता था। (1)
(i) अंधविश्वास
(ii) मूर्तिपूपा
(iii) तीज-त्योहार
(iv) साधु-संन्यासी
उत्तर :
(i) अंधविश्वास

(घ) कथन (A) लेखक को समाज-सुधार का जोश कुछ ज्यादा ही था। (1)
कारण (R) लेखक में बचपन से ही आर्यसमाजी संस्कार थे। कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर :
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

(ङ) सुमेलित कीजिए (1)

सूची I सूयी II
A. लेखक से सबसे ज्यादा प्यार करती थी 1. आर्यसमाजी
B. बचपन के संस्कार थे 2. लेखक
C. कुमार- सुंधार सभा का उपमंत्री है 3. जीजी

कूट
A B C
A B C
(i) 2 3 1
(ii) 3 2 1
(iii) 3 1 2
(iv) 1 1 3
उत्तर :
(ii)

सूची I सूयी II
A. लेखक से सबसे ज्यादा प्यार करती थी 3. जीजी
B. बचपन के संस्कार थे 1. आर्यसमाजी
C. कुमार- सुंधार सभा का उपमंत्री है 2. लेखक

प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढकर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) आधुनिक युग में भी बेटी पैदा करने पर स्री को उपेक्षा ही सहनी पड़ती है। ‘भक्तिन’ पाठ के आधार पर बताइए। (3)
उत्तर :
आधुनिक युग में भी बेटी पैदा करने पर स्त्री को उपेक्षा ही सहनी पड़ती है क्योकि यह पुरानी परंपरा इतनी गहरी है कि आध्युनिक युग में भी इसकी परछाई कहीं-न-कहीं दिखाई दे ही जाती है। पुराने समय में बेटी पैदा करके माँ को दुनिया वालों के ताने, सुनने पड़ते थे और आधुनिक युग में भी यही परंपरा दिखाई देती है, जैसा भक्तिन के साथ हुआ। भक्तिन ने लगातार एक के बाद एक तीन कन्याओं को जन्म दिया, जिसके कारण उसे सास और जिठानियों की कड़वी बाते सुननी पड़ती थीं, क्योंकि उसकी सास और जिठानियों ने तो पुत्रों को जन्म दिया था और भक्तिन ने एक भी पुत्र को जन्म नहीं दिया था।

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(ख) ‘बाजार दर्शन’ पाठ के आधार पर बताइए कि पैसे की पावर का रस किन दो रूपों में प्राप्त किया जाता है? (3)
उत्तर :
‘बाजार दर्शन’ पाठ के आधार पर पैसे की पातर का रस इन दो रूपों में प्राप्त किया जाता है। पैसे की पावर का असली रस ‘पर्चेज्ञिंग पावर’ में है। पैसे की पावर से खरीदे गए मकान, संपत्ति दूर से ही दिखाई पड़ते हैं। दूसरे संयमी लोग पैसे की बचत करके पैसे की पावर का रस प्राप्त करते हैं। पैसा इकट्टा होने पर हम आवश्यकता पड़ने पर उसका उपयोग भी कर सकते हैं और हमें किसी से मदद माँगने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती।

(ग) लुट्टन पहलवान का कुश्ती का स्कूल जल्दी ही खाली क्यों हो गया? (3)
उत्तर :
लुट्टन पहलवान का कुश्ती का स्कूल जल्दी ही खाली इसलिए हो गया, क्योंकि राजा श्यामानंद की मृत्यु के पश्चात् उनके पुत्र ने लुट्टन पहलवान को राज दरबार से निकाल दिया, तो गाँव वालों ने उनके लिए एक झोंपड़ी डाल दी। लुट्टन पहलवान ने कुश्ती सिखाने के लिए गाँब के नौज़ान बच्चों हेतु एक स्कूल खोल दिया। बच्चे उससे दाँव सीखते, परंतु गाँब की परिस्थिति खराब होने के कारण धीरे-धीरे वे भी मज़दूरी आदि में लग गए। इस तरह, कुश्ती सीखने के लिए उसके पास केवल उसके अपने दोनों पुत्र ही रह गए। वे भी दिनभर मजदूरी करते और जो कुछ मिलता, उसी से अपना रहने-खाने का प्रबंध आदि करते। इस प्रकार पहलवान का स्कूल अंत में खाली हो गया और वहाँ कोई भी शिष्य नहीं रहा।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) बच्चों की टोली इंद्र भगवान से किस प्रकार बारिश करवाने के लिए प्रार्थना करती है? ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
जब इंदर सेना घर-घर जाकर पानी माँगती थी, तब पानी की कमी के बाद भी लोग अपने घरों में रखा पानी उनके ऊपर डाल देते थे। उसके बाद वे भीगे बदन मिट्टी में लेटते हुए, पानी फेंकने से उत्पन्न कीचइ को हाथ-पाँव, बदन, पेट सब पर मलकर ‘गंगा मैया की जय’ बोलते और काले बादलों से पानी बरसाने की प्रार्थना करते थे।

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(ख) लेखक ने शिरीष के वृक्ष को अधिक महत्त्व क्यों दिया है? (2)
उत्तर :
लेखक ने शिरीष के वृक्ष को अवधूत के समान बताया है। शिरीष के फूल कमझोर होते हैं, लेकिन इसके फल अत्यंत कठोर होते हैं। शिरीष के वृक्ष बड़े और छायादार होते हैं। ये आधी, तूफान, भयंकर गर्मी तथा लू में मी डटकर खड़े रहते है।
ज्येष्ठ की प्रचंड गर्मी में शिरीष का वृक्ष ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है, जो पुष्पित, पल्लवित रहता है और शीतलता प्रदान करता है। इसलिए लेखक ने शिरीष के वृक्ष को अधिक महत्त्व दिया है।

(ग) ‘जाति-प्रथा और श्रम का विभाजन’ पाठ के आधार पर बताइए कि डॉ. आंबेडकर बौद्ध धर्म के अनुयायी क्यों बने? (2)
उत्तर :
डों. अंबेडकर ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म को अपनाया, क्योंकि मनुष्य के विकास के लिए स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व ये तीनों ही चीजें जरूरी हैं। हिंदू धर्म में इन तीनों चीजों का अभाव था। उनका मानना था कि धर्म मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धर्म के लिए। इसके अतिरिक्त डॉ. अंबेडकर का जीवन तीन व्यक्तियों से अत्यधिक प्रभावित हुआ। ये तीन महान व्यक्ति थे -महात्मा बुद्ध, कबीर तथा ज्योतिया फुले। डाँ. अंबेडकर के चितन और रचनात्मकता में इन तीनों महापुरुषों के विचारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। चूँकि, हिंदू समाज में जातीय उत्पीड़न होता था, इसलिए अंबेडकर का हिंदू समाज से मोह भंग हो गया था। उन्होंने 14 अक्टूबर, 1956 को 5 लाख अनुयायियों के साथ बौद्ध मत को ग्रहण किया।

पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2

प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 100 शब्दों में उत्तर लिखिए।
(क) ‘जूझ’ कहानी प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष करने की प्रेरक कथा है। इस कथन की सोदाहरण समीक्षा कीजिए। (5)
उत्तर :
‘जूझ’ कहानी प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष करने की प्रेरक कथा इसलिए है, क्योकि लेखक का जीवन संघर्ष से परिपूर्ण रहा है। इस आधार पर लेखक का जीवन-संघर्ष सभी के लिए एक आदर्श प्रेरणा स्रोत कहा जा सकता है। वह जटिल परिस्थितियों में भी शिक्षा प्राप्त करने के लिए कठिन प्रयास करता है। वह सेती का काम करने के साथ-साथ पढ़ाई भी करता है। उसके सहपाठी उसके पहनावे को देखकर मजाक उड्राते हैं। इन सब बाधाओं को वह अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर पार कर लेता है।

कविता लिखने का शौक अंतत: उसके लिए बहुत बड़ा लक्ष्य बन जाता है, जिसे वह सफलतापूर्वक प्राप्त करता है। वस्तुतः कहानी के लेखक में समस्याओं से जूझने की प्रवृत्ति है। इसी जूझने की प्रवृत्ति के कारण वह अपने जीवन-लक्ष्यों को एक के बाद एक प्राप्त करता जाता है। वह अपने आलसी एवं गैर-जिम्मेदार पिता को भी संतुष्ट रखते हुए अपनी आगे की पढ़ाई करता है। विपरीत परिस्थितियों से जूझने की क्षमता के अतिरिक्त कहानी के लेखक में कठिन परिश्रम एवं दृढ संकल्य संबंधी चारित्रिक विशेषताएँ मौजूद हैं।

वह पढ़ने के लिए किसी भी स्तर का परिश्रम करने को सहर्ष तैयार रहता है। वह अपनी धुन में रमने की प्रवृत्ति यानी लगनशीलता के कारण ही उच्च स्तर का कवि बन सका। इस प्रकार, कहा जा सकता है कि ‘जूझ” कहानी के लेखक का जीवन-संघर्ष हमारे लिए अत्यधिक प्रेरणादायक है।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 7 with Solutions

(ख) ‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ के आधार पर सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा कीजिए। (5)
उत्तर :
सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से सिंधु घाटी सभ्यता के सामाजिक वातावरण को बहुत अनुशासित होने का अनुमान लगाया गया है। वहॉँ का अनुशासन ताकत के बल पर नहीं था। नगर योजना, वास्तुशिल्प, मुहर, पानी या साफ-सफाई जैसी सामाजिक व्यवस्था में एकरूपता से यह अनुशासन प्रकट होता है।

सिंधु सभ्यता में सुनियोजित नगर थे, पानी की निकासी की व्यबस्था अच्छी थी। सड़के लंबी व चौड़ी थी, कृषि की जाती थी और यातायात के साधन के रूप में बैलगाड़ी भी थी। प्रत्येक नगर में मुद्रा, अनाज भंडार, स्नानगृह आदि थे तथा पक्की ईंटों का प्रयोग होता था। सिंधु घाटी सभ्यता में प्रदर्शन या दिखावे की प्रवृत्ति नहीं थी। यही विशेषता इसको अलग सांस्कृतिक धरातल पर खड्रा करती है। यह धरातल संसार की दूसरी सभी सभ्यताओं से पृथक् है।

(ग) ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी के आधार पर पीढ़ियों के अंतराल के कारणों पर प्रकाश डालिए। क्या इस अंतराल को कुछु पाटा जा सकता है, कैसे? स्पष्ट कीजिए। (5)
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी में पीढ़ियों के अंतराल की समस्या को समाज के सामने रखा गया है। अंतराल का कारण यह है कि पुरानी पीढ़ी नए बदलाव को समझना ही नहीं चाहती, स्वीकार करना तो दूर की बात है। पंत जी भी इस बात को मानते हैं कि उनके बच्चे दुनियादारी उनसे ज़्यादा अच्छी तरह समझते है। फिर भी वे पुराने विचारों में रहना अधिक पसंद करते हैं। रहन-सहन, पहनावा, आपसी रिश्तेदारी सभी यशोधर जी को अपने पुराने विचारों या सोच के कारण ‘समहाड इंप्रॉपर’ लगते हैं। इस पूरी कहानी में नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के अंतराल को दर्शाया गया है। इस अंतर को कम करने का एक ही तरीका है-बदलावा पुरानी पीढ़ी के लोगों को समझना चाहिए कि नई पीड़ी बदलाव चाहती है। वह संसार में अपने नियमों के साथ जीना चाहती है और नई पीढ़ी को भी पुराने विचारों को उसी सीमा तक बदलना चाहिए, जिससे पुरानी पीढ़ी दु:खी न हो और नई पीढ़ी भी पतन की और न जाए। समय के साथ तालमेल बिठाकर ही हम अपने आपको तथा दूसरों को प्रसन्न रख सकते हैं।

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