Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 6 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 6 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में खंड ‘अ’ में वस्तुपरक तथा खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
- खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘अ’
(वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित बोध, अभिव्यक्ति और माध्यम, पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-2 व पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग-2 से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे गए हैं। जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
अपठित बोध –
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सवाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 10 = 10)
वर्तमान सांप्रदायिक संकीर्णता के विषम वातावरण में संत-साहित्य की उपादेयता बहुत है। संतों में शिरोमणि कबीरदास भारतीय धर्म निरपेक्षता के आधार पुरुष हैं। संत कबीर एक सफल साधक, प्रभावशाली उपदेशक, महान नेता और युग-द्रष्टा थे। उनका समस्त काव्य विचारों की भव्यता और हदय की तन्मयता तथा औदार्य से परिपूर्ण है। उन्होने कविता के सहारे अपने विचारों और भारतीय धर्मनिरपेक्षता के आधार को युग-युगांतर के लिए अमरता प्रदान की। कबीर ने धर्म को मानव धर्म के रूप में देखा था। सत्य के समर्थक कबीर हदय में विचार-सागर और वाणी में अभूतपूर्व शक्ति लेकर अवतरित हुए थे। उन्होंने लोक-कल्याण की कामना से प्रेरित होकर स्वानुभूति के सहारे काव्य रचना की।
वे पाठशाला या मकतब की ड्योढ़ी से दूर जीवन के विद्यालय में ‘मसि कागद हुयो नहिं की दशा में जीकर सत्य, ईश्वर पर विश्वास, प्रेम, अहिंसा, धर्मनिरपेक्षता और सहानुभूति का पाठ पढ़ाकर अनुभुतिमूलक ज्ञान का प्रसार कर रहे थे। कबीर ने समाज में फैले हुए मिथ्याचारों और कुत्सित भावनाओं की धज्जियाँ उड़ा दीं। स्वकीय भोगी हुई वेदनाओं के आक्रोश से भरकर समाज में फैले हुए ढोंग और पाखंडों, कुत्सित विचारधाराओं के प्रति दो टूक शब्दों में उन्होंने जो बातें कहीं, उनसे समाज की आँखें फटी-की-फटी रह गईं और साधारण जनता उनकी वाणियों से चेतना प्राप्त कर उनकी अनुगामिनी बनने को व्यग्र हो उठी। देश की सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक आदि सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान वैयक्तिक जीवन के माध्यम से प्रस्तुत करने का अनूठा प्रयत्न संत कबीर ने किया। उन्होंने बाँह उठाकर बलपूर्वक कहा
कबीरा खड़ा बाज़ार में, लिए लुकाठी हाथ।
जो घर जारे आपना, चले हमारे साथ।।
(क) वर्तमान युग में संत साहित्य को अधिक उपयोगी क्यों माना जाता है?
(i) सांप्रदायिक भेदभाव के कारण
(ii) प्रेम, भाइचारे एवं सद्भावना पर अत्यधिक बल देने के कारण
(iii) कबीर के विचारों को महत्त्वपूर्ण न मानने के कारण
(iv) लोक कल्याण को महत्त्व न देने के कारण
उत्तर :
(ii) प्रेम, भाइचारे एवं सद्भावना पर अत्यधिक बल देने के कारण
(ख) गद्यांश में कबीर के लिए किस उपमान का प्रयोग किया गया है?
(i) महान नेता
(ii) युग-द्रष्टा
(iii) सफल साधक
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(ग) ‘अभूतपूर्व’ शब्द का तात्पर्य है?
(i) अद्वितीय
(ii) अपूर्व
(iii) अनूठी
(iv) अनुपम
उत्तर :
(iii) अनूठी
(घ) कबीर ने अनुभूतिमूलक ज्ञान का प्रसार किसके द्वारा किया था?
(i) ईश्वर पर विश्वास के द्वारा
(ii) अहिंसा के द्वारा
(iii) धर्मनिरपेक्षता के द्वारा
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार कबीर ने धर्म को किस रूप में देखा?
(i) मानव धर्म
(ii) ईंश्वर धर्म
(iii) सामाजिक धर्म
(iv) ये सभी
उत्तर :
(i) मानव धर्म
(च) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कबीर ने अपनी कविता के माध्यम से धर्मनिरपेक्षता की भावना जनता में जागृत की।
2. कबीर ने शिक्षा अच्छे विद्यालय से प्राप्त की थी।
3. जनसामान्य की समस्याओं का समाधान करने में कबीर की वाणी अग्रणी थी। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) 1 और 2
(iii) 1 और 3
(iv) केवल 3
उत्तर :
(iii) 1 और 3
(छ) सामान्य जनता कबीर के बताए मार्ग पर चलने के लिए व्यग्र क्यों हो गई?
(i) कबीर के विचारों से प्रभावित होकर
(ii) समाज में फैले हुए ढोंग के कारण
(iii) अन्य आधार न मिलने के कारण
(iv) जबरदस्ती धर्म परिवर्तन के कारण
उत्तर :
(i) कबीर के विचारों से प्रभावित होकर
(ज) ‘कबीर ने धर्म को मानव धर्म के रूप में देखा था’ इस पंक्ति से लेखक का आशय है कि
(i) कबीर ने एकमात्र मानव धर्म को स्वीकार किया
(ii) कबीर लोक कल्याण को ही मानव धर्म स्वीकार करते थे
(iii) कबीर हिंदू धर्म के समर्थक थे
(iv) कबीर ने ईंश्वर की सर्वव्यापकता बताई
उत्तर :
(ii) कबीर लोक कल्याण को ही मानव धर्म स्वीकार करते थे
(झ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) साधारण जनता कबीर की अनुगामिनी बन गई।
कारण (R) कबीर ने समाज में फैले हुए आडंबरों व कुत्सित भावनाओं का अपने काव्य के माध्यम से खंडन किया। कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
उत्तर :
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ञ) कबीर का काव्य लोक-कल्याण की कामना से प्रेरित था, क्योंकि
(i) उन्होंने स्वानुभूति के सहारे काव्य की रचना की
(ii) उन्होंने धर्म को मानव धर्म के रूप में देखा
(iii) उनके काव्य में विचारों की भव्यता थी
(iv) उनका काव्य औदार्य से परिपूर्ण था
उत्तर :
(ii) उन्होंने धर्म को मानव धर्म के रूप में देखा
प्रश्न 2.
दिए गए पद्यांश पर आधारित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
रोटी उसकी, जिसका अनाज, जिसकी जमीन, जिसका श्रम है;
अब कौन उलट सकता स्वतंत्रता का सुसिद्ध, सीधा क्रम है।
आज़ादी है अधिकार परिश्रम का पुनीत फल पाने का,
आज़ादी है अधिकार शोषणों की धज्जियाँ उड्राने का।
गौरव की भाषा नई सीख, भिखमंगों की आवाज़ बदल,
सिमटी बाँहों को खोल गरुड़ उड़ने का अब अंदाज बदल।
स्वाधीन मनुज की इच्छा के आगे पहाड़ हिल सकते हैं;
रोटी क्या? ये अंबरवाले सारे सिंगार मिल सकते हैं।
(क) प्रस्तुत काव्यांश किससे संबंधित है?
(i) आजादी के अभिप्राय से
(ii) जीवन की सुख व शांति से
(iii) शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने से
(iv) परिश्रम के परिणाम से
उत्तर :
(i) आजादी के अभिप्राय से
(ख) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. परिश्रमी व्यक्ति ही रोटी का अधिकारी है।
2. जमीन का मालिक ही उस पर उगाए गए अनाज का अधिकारी है।
3. आजादी ही लोगों में सुख-चैन ला सकती है। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 2 और 3
उत्तर :
(i) केवल 1
(ग) स्वाधीन व्यक्ति जीवन में क्या-क्या कर सकता है?
(i) बड़ी-से-बड़ी कठिनाई का डटकर सामना
(ii) असंभव कार्य को भी संभव बनाना
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) दूसरे के सामने झुकना
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों
(घ) ‘गौरव की भाषा नई सीख’ पंक्ति का क्या आशय है?
(i) अंग्रेजी भाषा सीखना
(ii) प्रगति हेतु अन्य भाषा सीखना
(iii) स्वाभिमानी बनने का प्रयास करना
(iv) दूसरों के सामने बनावटी बनना
उत्तर :
(iii) स्वाभिमानी बनने का प्रयास करना
(ङ) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए
कॉलम – 1 | कॉलम – 2 |
A. रोटी पर अधिकार | 1. परिश्रम का फल पाने, शोषण का विरोध करने |
B. आजादी आवश्यक है | 2. स्वतंत्रता के साथ जीने और उसके बल पर सफलता पाने |
C. कवि का व्यक्ति को परामर्श | 3. जो अपनी जमीन पर श्रम करके अनाज पैदा करता है। |
कूट
A B C
(i) 3 1 2
(iii) 1 2 3
(iv) 3 2 1
उत्तर :
(i) 3 1 2
अभिव्यक्ति और माध्यम –
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
(क) भारत में एफ. एम. रेडियो के प्रसारण की शुरुआत कब की गई?
(i) वर्ष 1990 में
(ii) वर्ष 1991 में
(iii) वर्ष 1992 में
(iv) वर्ष 1993 में
उत्तर :
(iv) वर्ष 1993 में
(ख) किसी विशेष विचारधारा या उद्देश्य को उठाकर उसे आगे बढ़ाना तथा इसके लिए जनमत तैयार करने वाली पत्रकारिता क्या कहलाती है?
(i) एडवोकेसी पत्रकारिता
(ii) पीत पत्रकारिता
(iii) वाचडॉग पत्रकारिता
(iv) सनसनीखेज पत्रकारिता
उत्तर :
(i) एडवोकेसी पत्रकारिता
(ग) समाचारों को संकलित करने वाला व्यक्ति क्या कहलाता है?
(i) पत्रकार
(ii) संवाददाता
(iii) रिपोर्टर
(iv) समाचारवाचक
उत्तर :
(ii) संवाददाता
(घ) निम्न में से कौन-सा अखबार प्रिट रूप में न होकर केवल इंटरनेट पर ही उपलब्ध है?
(i) जागरण
(ii) हिंदुस्तान
(iii) प्रभात खक्षर
(iv) प्रभासाक्षी
उत्तर :
(iv) प्रभासाक्षी
(ङ) सूची I को सूची II से सुमेलित कीजिए
सूची I | सूची II |
A. जिज्ञासा | 1. अमेरिका |
B. न्यायालय पत्रकारिता | 2. पत्रकारिता का दायित्व |
C. जनहित के लिए संघर्ष | 3. पत्रकारिता का मूल तत्त्व |
D. पीत पत्रकारिता की शुरुआत | 4. प्रशासनिक काम-काज की गड़बड़ी को सार्वजनिक करना |
कूट
A B C D
(i) 2 3 4 1
(ii) 3 4 2 1
(iii) 1 4 3 2
(iv) 4 3 1 2
उत्तर :
(ii) 3 4 2 1
पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग 2
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगे
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल?
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विल्लता है
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
(क) चिड़िया अपने बच्चों के लिए चिंतित है, यह कैसे स्पष्ट होता है?
(i) चिड़िया की उड़ान की गति से
(ii) बहुत दूर तक उड़ने से
(iii) चिडिया द्वारा बच्चों को अकेला छोड़ने से
(iv) चिड़िया के मंद गति से उड़ने से
उत्तर :
(i) चिड़िया की उड़ान की गति से
(ख) प्रस्तुत पद्यांश में कवि किससे प्रभावित होता है?
(i) अपनी प्रिय से
(ii) चिड़िया के परों की चंचल गति से
(iii) चिड़िया के बच्चों से
(iv) प्रकृति की अनुपम महिमा से
उत्तर :
(ii) चिड़िया के परों की चंचल गति से
(ग) कवि के पैरों की गति को कौन-सा भाव शिथिल कर देता है?
(i) चिड़िया की तीव्र उड़ान
(ii) बच्चों की व्याकुलता
(iii) समय का तीव्र गति से व्यतीत होना
(iv) कवि से मिलने को किसी का व्याकुल न होना
उत्तर :
(iv) कवि से मिलने को किसी का व्याकुल न होना
(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) कवि कहता है मुझसे मिलने के लिए न कोई व्याकुल है और न ही उत्कंठित है।
कारण (R) कवि पक्षियों को दाना डालने प्रतिदिन पैदल जाता है।
कूट
(i) कथन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की व्याख्या नहीं करता है
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
उत्तर :
(i) कथन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है।
(ङ) ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ पंक्ति के माध्यम से कवि द्वारा किसके महत्त्व को दर्शाया गया है?
(i) कवि के
(ii) समय के
(iii) चिड़िया के
(iv) बच्चे के
उत्तर :
(ii) समय के
प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
पड़ोस में एक महानुभाव रहते हैं, जिनको लोग भगत जी कहते हैं। चूरन बेचते हैं। यह काम करते, जाने उन्हें कितने बरस हो गए हैं। लेकिन किसी एक भी दिन चूरन से उन्होंने छ: आने से ज्यादा पैसे नहीं कमाए। चूरन उनका आस-पास सरनाम है और खुद खूब लोकप्रिय हैं। कहीं व्यवसाय का गुर पकड़ लेते और उस पर चलते तो आज खुशहाल क्या, मालामाल होते! क्या कुछ उनके पास न होता! इधर दस वर्षों से मैं देख रहा हूँ, उनका चूरन हाथों-हाथ बिक जाता है। पर वह न उसे थोक में देते हैं, न व्यापारियों को बेचते हैं। पेशगी ऑर्डर कोई नहीं लेते। बंधे वक्त पर अपनी चूरन की पेटी लेकर घर से बाहर हुए नहीं कि देखते-देखते छः आने की कमाई उनकी हो जाती है। लोग उनका चूरन लेने को उत्सुक जो रहते हैं। चूरन से भी अधिक शायद वह भगत जी के प्रति अपनी सद्भावना का देय देने को उत्सुक रहते हैं। पर छः आने पूरे हुए नहीं कि भगत जी बाकी चूरन बालकों को मुफ़्त बाँट देते हैं। कभी ऐसा नहीं हुआ कि कोई उन्हें पच्चीसवाँ पैसा भी दे सके। कभी चूरन में लापरवाही नहीं हुई और कभी रोग होता भी मैंने उन्हें नहीं देखा है।
(क) लोग भगत जी का चूरन खरीदने को उत्सुक रहते थे। चूरन खरीदने वालों की उत्सुकता का क्या कारण था? (1)
(i) भगत जी के प्रति उनकी सद्भावना
(ii) भगत जी की बालकों को मुफ्त में चूरन बाँटने की प्रवृत्ति
(iii) भगत जी का व्यापारी स्वभाव
(iv) भगत जी का अधिक पुराना व्यापारी होना
उत्तर :
(i) भगत जी के प्रति उनकी सद्भावना
(ख) भगत जी सदैव नियम पर डटे रहते थे। उनका कौन-सा नियम था?
(i) कम चूरन बेचना
(ii) बाजार का मोल-भाव न करना
(iii) छः आने से अधिक का चूरन न बेचना
(iv) बच्चों को कम कीमत पर चूरन बेचना
उत्तर :
(iii) छ: आने से अधिक का चूरन न बेचना
(ग) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) भगत जी छः आने का चूरन बिकने के बाद बचा हुआ चूरन बालकों में मुफ्त बाँट देते थे।
कारण (R) भगत जी का चूरन केवल छः आने का ही बिक पाता था। इससे अधिक का कोई खरीदार नहीं आता था।
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
(घ) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए
कॉलम 1 | कॉलम- 2 |
A. चूरन शीघ्र बिक जाता है। | 1. आज खुशहाल व मालामाल होते |
B. भगत जी व्यवसाय का गुर पकड़ लेते तो | 2. चूरन मुफ्त बाँट देते |
C. छः आने पूरे होने पर | 3. गुणवत्ता के कारण |
कूट
A B C
(i) 3 1 2
(ii) 1 2 3
(iii) 2 3 1
(iv) 1 3 2
उत्तर :
(i) 3 1 2
(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. चूरन की पेटी खोलते ही सारा चूरन भगत जी का तुरंत बिक जाता था।
2. भगत जी को व्यापार करना नहीं आता था।
3. भगत जी कभी भी बीमार नहीं पड़ते थे। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 3
(iv) 1 और 2
उत्तर :
(ii) केवल 3
पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग 2
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 10 = 10)
(क) यशोधर बाबू का आधुनिक विचारों के पक्ष में न होना किस तथ्य की ओर संकेत करता है?
(i) यशोधर बाबू सिद्धांतवादी व्यक्ति थे
(ii) यशोधर बाबू रूढ़िवादी व्यक्ति थे
(iii) यशोधर बाबू देहाती व्यक्ति थे
(iv) यशोधर बाबू गाँधीवाद के प्रवर्तक थे
उत्तर :
(i) यशोधर बाबू सिद्धांतवादी व्यक्ति थे
(ख) यशोधर बाबू को अपने बच्चों की कौन-सी बात सही लगती है?
(i) डी.डी.ए. फलैट के लिए पैसा न भरने को अपनी भूल मानना
(ii) परंपराओं का निर्वाह उचित ढंग से न करना
(iii) आधुनिक बनना
(iv) समय के अनुसार चलना
उत्तर :
(i) डी.डी.ए. फलैट के लिए पैसा न भरने को अपनी भूल मानना
(ग) यशोधर बाबू के व्यव्तित्व निर्माण में किशनदा ने कैसे योगदान दिया?
(i) नौकरी लगाने के साथ जीवन के विभिन्न प्रसंगों पर दिशा-निर्देश देकर
(ii) रूदिवादी विचारों को अपनाकर
(iii) अपने अनुभवों का वर्णन करके
(iv) जीवन के केवल सुखद समय में साथ देकर
उत्तर :
(i) नौकरी लगाने के साथ जीवन के विभिन्न प्रसंगों पर दिशा-निर्देश देकर
(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) लेखक ने कहानी का शीर्षक जूझ रखा है।
कारण (R) कहानी में नायक की अनेक समस्याओं से जूझने की प्रवृत्ति बताई गई है।
कूट
(i) कथन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) क्थन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ङ) “आने दे अब उसे, में उसे सुनाता हूँ कि नहीं अच्छी तरह देख।” यह कथन किसने व किससे कहा, ‘जूझ’ कहानी के आधार पर बताइए।
(i) दत्ता राव ने लेखक के पिता से
(ii) दत्ता राव ने लेखक की माता से
(iii) लेखक के पिता ने उसकी माता से
(iv) लेखक के पिता ने लेखक से
उत्तर :
(ii) दत्ता राव ने लेखक की माता से
(च) ‘जूझ’ कहानी के अनुसार आनंदा विद्यालय क्यों नहीं जाता था?
(i) उसकी पढ़ने की इच्छा नहीं थी
(ii) उसके पिता को उसका पढ़ना अच्छा नहीं लगता था
(iii) घर के कार्यों में अत्यधिक व्यस्तता के कारण
(iv) (ii) और (iii) दोनों
उत्तर :
i(iv) (ii) और (iii) दोनों
(छ) सिंधु सभ्यता में कुंड के तल में और दीवारों पर इंटों के बीच चूने और चिरोड़ी के गारे का उपयोग किसलिए किया जाता होगा?
(i) कुंड का पानी रिस न सके
(ii) बाहर का अशुद्ध पानी कुंड में न जाने पाए
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) कुंड की सुंदरता बढ़ाने के लिए
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों
(ज) मुहरें, धातु-पत्थर की मूर्तियों आदि के मिलने पर क्या संभव हो पाया है?
(i) सिंधु घाटी सभ्यता का अध्ययन करना
(ii) इतिहास की पयाप्त जानकारी मिलना
(iii) भविष्य की अध्ययन की पृष्ठभूमि तैयार करना
(iv) ऐतिहासिक स्थल का ज्ञान होना
उत्तर :
(i) सिंधु घाटी सभ्यता का अध्ययन करना
(झ) ‘जूझ’ कहानी के लेखक के दादा के चरित्र की विशेषता के संबंध में निम्न में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
(i) वे राव साहब का सम्मान करते थे
(ii) वे अत्यधिक गुस्सैल प्रवृत्ति के थे
(iii) वे खेत का सारा काम स्वयं ही करते थे
(iv) वे लेखक की पढ़ाई में बाधक थे
उत्तर :
(iii) वे खेत का सारा काम स्वयं ही करते थे
(अ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मुअनजो-दड्रो अपने दौर में घाटी की सध्यता का केंद्र था।
2. मुअनजो-दड़ो सीमित जनसंख्या वाला क्षेत्र था।
3. बौद्ध स्तूप वाले चबूतरे को पुरातत्त्व के विद्वानों द्वारा ‘गढ़’ कहा जाता है।
4. मुअनजो-दड्रो में मिले कुंड का उपयोग पवित्र या आनुष्ठानिक रूप में किया जाता था। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/है?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1,2 और 4
(iv) 1,3 और 4
उत्तर :
(iii) 1,3 और 4
खंड ‘ब’
(वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में जनसंचार और सृजनात्मक लेखन, पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-2 व पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग-2 से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन –
प्रश्न 7.
निम्नलिखित दिए गए 3 विषयों में से किसी 1 विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6 × 1 = 6)
(क) साहित्य लोक जीवन का प्रहरी
उत्तर :
डों. राजेंद्र प्रसाद ने कहा है-“जिस देश को अपनी भाषा और साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता।” वास्तव में, किसी भी राष्ट्र की भाषा एवं साहित्य के अध्ययन के आधार पर वहां की सम्यता एवं संस्कृति के विकास का सहज ही आकलन किया जा सकता है, क्योंकि साहित्य में मानवीय समाज के सुख-दु;ख, आशा-निराशा, साहस-भय और उत्थान-पतन का स्पष्ट चित्रण रहता है। साहित्य की इन्हीं विशेषताओं के कारण इसे ‘समाज का दर्पण’ कहा जाता है।
वास्तव में, देखा जाए तो साहित्य एक स्वायत्त आत्मा है और उसकी सृष्टि करने वाला भी ठीक से यह नहीं बता सकता कि उसके रचे साहित्य की गूँज कब और कहाँ तक जाएगी। यदि साहित्य समाज में नैतिक सत्य की चिंता है, तो यह समाज की दूरगामी वृत्तियों का रक्षक तत्त्व भी है।
साहित्य में सत्य की साधना है, शिवत्व की कामना है और सौंदर्य की अभिव्यंजना है। शुद्ध, जीवंत एवं उत्कृष्ट साहित्य मानव एवं समाज की संबेदना और उसकी सहज वृत्तियों को युगों-युगों तक जनमानस में संचारित करता रहता है। तभी तो शेक्सपियर हो या कालिदास, उनकी कृतियाँ आज भी लोगों के हृदय को आप्लावित कर रही हैं। राजनीतिक दृष्टि से विश्व चाहे कितने ही गुटों में क्यों न बंट गया हो, किंतु साहित्य के प्रांगण में सब एक हैं, क्योंकि दुनिया का मानव एक है तथा उसकी वृत्तियों भी सब जगह और सभी कालों में एकसमान हैं। समाज की सुषुप्त विवेक-शक्ति को जागृत करना साहित्य का दुनियादी लक्ष्य है। साहित्य जनमानस को आलोक स्तंभ के समान दिशा और प्रकाश देता है। साहित्यिक परिस्थितियों जैसी होंगी, उस काल के साहित्य का स्वरूप भी वैसा ही होगा।
वास्तव में, जीवन साहित्य का आधार है। साहित्य की समृद्धि के बिना जीवन एवं समाज का सम्यकृ विकास असंभव है। साहित्य और समाज का संबंध अन्योन्याश्रित है। साहित्य अर्थात् रचनात्मकता मानवीय प्रकृति का अभिन्न अंग है, इसलिए जिस साहित्य का अपने समाज से जितना आदान-प्रदान होगा, वह साहित्य उतना ही जीवंत, संवेदनशील एवं प्रभावशाली होगा।
(ख) साहस का व्यक्ति के जीवन में महत्त्व एवं उपयोगिता
उत्तर :
मानव एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में रहकर विभिन्न प्रकार के अच्छे-बुरे कर्म करता है तथा अपनी रुचि के अनुसार अच्छाई और बुराई को अपनाता है। उन्हीं अच्छे-बुरे गुणों में से एक गुण साहस भी है। साहसी व्यक्ति कभी भी जीवन में असफल नहीं होता है। साहस का वास्तविक अर्थ है-किसी अज्ञात वस्तु की प्राप्ति के आनंद के कारण ही सभी प्रकार के कष्टों और जोखिमों का सामना करना। नि:संदेह साहसिक कार्य करने की भावना का मनुष्य के चरित्र पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। यह मनुष्य को वीर, दृढ और निर्भीक बनाता है। यह मनुष्य को सचेत और सोध-समझकर कदम उठाने वाला साहसी, परंतु दुस्साहस न करने वाला बनाता है। साहस की भावना का विकास दृढ़ता से किया जाता है। इससे हमें शक्ति तथा प्रेरणा मिलती है। तेनसिंह द्वारा एवरेस्ट पर चढ़ाई और राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा बहुत ही प्रेरणादायक सिद्ध हुई है। हेनसांग और फाहान तो पैदल ही हिमालय के कठिन रास्तों की बाधाओं को लॉघते हुए भारत पहुँचे थे।
साहस का सकारात्मकता से गहरा संबंध है। सकारात्मकता नैतिक साहस को बताती है। प्लेटो ने कहा कि साहस हमें डर से सामना करना सिखाता है। रानी लक्ष्मीबाई ने अपने साहस के बल पर ही अंग्रेजों की विशाल सेना का डटकर सामना किया। जीत साहस नहीं है, बल्कि वह संघर्ष साहस है, जो हम सब जीतने के लिए करते हैं। सफल न होने पर अगले प्रयास के लिए ऊर्जा जुटाना भी साहस ही तो है।
साहस की भावना मनुष्य को स्वावलंबी, स्वयंसेवी, सहायक, चरित्रवान, दयावान, सहयोगी, आत्मनिर्भर और निडर बनाती है। विवेकानंद जी ने कहा है कि “विश्व में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो ज़ाते हैं कि उनमें समय पर साहस का संचार नहीं हो पाता, वे भयभीत हो उत्ते हैं।”
साहस हर व्यक्ति में होता है, जरूरत बस इतनी है कि वे स्वयं को पहथानें, जानें और मंजिल की ओर एक कदम बढ़ाएँ। कहा भी गया है कि Fortune Favors The Brave. कहने का तात्पर्य यह है कि साहस से ही संसार का कठिन-से-कठिन कार्य संभव होता है।
(ग) समर्पण भाव की सार्थकता
उत्तर :
महान क्रॉतिकारी संत एवं युग-प्रवर्तक कवि कबीर ने लिखा है
“एकहि साधे सब सथे, सब साधे सब जाय।
माली सींचे मूल को, फूलै फले अघाय।”
कहने का तात्पर्य है कि जिस प्रकार माली के द्वारा पीचे की जड़ को सींचने से पूरे पेड़ की सिंचाई हो जाती है और समूचा पेड़ हरा-भरा होकर खूब फलता-फूलता है, ठीक उसी प्रकार व्यक्ति यदि अपने मूल लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपना तन-मन-धन समर्षित कर दे, तो . मूल लक्ष्य की प्रापित होते ही उसे अन्य सभी अनुषंगी लक्ष्य स्वयं ही प्राप्त हो जाते हैं।
सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति अपने तन, मन एवं धन को किसी बिंदु विशेष अर्थात् लक्ष्य विशेष के लिए पूरी तरह समर्पित कर दे, वह अपनी समूथी एकाग्रता एवं निष्ठा को अपने लक्ष्य की प्राप्ति से जोड़ दे। एक ही समय में अनेक कार्यों को प्रारंभ करने से कोई भी कार्य पूर्णता तक नहीं पहुँच पाता, परिणामस्वरूप हमारे सभी कार्य अधूरे रह जाते है, इसलिए हमें अतिशय व्यग्रता न दिखाते हुए एक समय में कोई एक काम ही पूरी तल्लीनता एवं निष्ठा के साथ करना धाहिए, ताकि हम एकाग्रचित्त होकर उसमें सफलता प्राप्त कर सकें।
एक ही कार्य या लक्ष्य को साधने से यह तात्पर्य नहीं है कि किसी भी कार्य या लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश की जाए, बल्कि मूल कार्य या लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश भी की जानी चाहिए, तभी वह प्रयास सार्थक होगा। जिस प्रकार पौधे की जड़ में पानी देने से वह खूब फलता-फूलता है, लेकिन यदि पौधे की जड़ों को न सींधकर केवल उसके पत्तों की सिंचाई की जाए, तो वह पौधा जीवित नहीं रह पाएगा, उसी प्रकार यदि जीवन के मूल लक्ष्य की पहचान न करके अन्य लक्षों को प्राप्त करने की कोशिश की जाएगी, तो उससे अन्य लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं होगी और जीवन में सफलता पाना संदिग्ध हो जाएगा। स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है-“एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।”
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर लगभग 40 शब्दों में निर्देशानुसार उत्तर दीजिए।
(क) कहानी लेखन हेतु किन विशेषताओं का होना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
अभिनय ही संवाद को नाटक में प्रभावशाली बनाता है। नाटक की अभिनेयता में किन गुणों का होना आवश्यक है?
उत्तर :
कहानी लेखन हेतु निम्नलिखित व्रिशेषताओं का होना आवश्यक है
(i) कहानी का आरंभ आकर्षक होना चाहिए, ताकि पाठक का मन उसमें रम जाए।
(ii) कहानी में विभिन्न घटनाओं और प्रसंगों को संतुलित विस्तार देना चाहिए। किसी प्रसंग को न अत्यंत संक्षिप्त लिखें और न ही अनावश्यक रूप से विस्तृत करें।
(ii) कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा प्रवाहमयी होनी चाहिए। उसमें क्लिष्ट शब्द तथा लंबे वाक्य नहीं होने चाहिए।
(iv) कहानी का शीर्षक उपयुक्त तथा आकर्षक होना चाहिए।
(v) कहानी के संवाद पात्रों के स्वभाव एवं पृष्ठभूमि के अनुकूल होने चाहिए।
(vi) कहानी का अंत सहज ढंग से होना चाहिए।
अथवा
अभिनेयता किसी भी नाटक का अनिवार्य गुण है। अभिनय किसी अभिनेता या अभिनेत्री द्वारा किया जाने वाला वह कार्य है, जिसके द्वारा वे किसी कहानी को रंगमंच पर दर्शाते हैं। अभिनय ही संवाद को नाटक में प्रभावशाली बनाता है। पात्र अपनी भाव-भंगिमाओं व तौर-तरीकों से संवाद व नाटक दोनों को प्रभावी बना देते हैं। नाटक की अभिनेयता में रंगमंच के संकेतों का होना आवश्यक है। कौन-सा संवाद किस प्रकार बोलना है, किस प्रकार से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी है, कैसे हाव-भाव रखने हैं, यह सद रंगमच के संकेतों के अंतर्गत आता है। रंगमंच की सज्जा, प्रकाश व्यवस्था, ध्वनि व्यवस्था आदि भी रंगमंच अभिनेयता के लिए आवश्यक गुण हैं।
(ख) विशेष विषय पर लिखा गया लेख सामान्य लेख से अलग होता है। विशेष लेखन की भाषा-शैली कैसी होती है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मुद्रित माध्यमों के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
विशेष लेखन की कोई भी निश्चित शैली नहीं होती। सामान्य लेखन की तरह ही विशेष लेखन का भी यह सर्वमान्य नियम है कि विशेष लेखन सरल व समझ में आने वाला होना चाहिए। विशेष लेखन की भाषा-शैली विषय के अनुसार निर्धारित होती है। विशेष लेखन उल्टा पिरामिड शैली तथा फीचर शैली दोनों में ही लिखा जाता है। विशेष लेखन के प्रत्येक क्षेत्र के लिए विशेष तकनीकी शब्दावली का प्रयोग किया जाता है; जैसे-
कारोबार और व्यापार के लिए- तेजड़िया, मंदड़िया, सोना उछला, चाँदी लुढ़की, बाजार धड़ाम आदि।
पर्यावरण और मौसम के लिए- आर्द्रता, टॉक्सेस, कचरा, ग्लोबल वार्मिंग आदि।
खेल के लिए- जर्मनी ने घुटने टेके, न्यूजीलैंड के पाँव उखड़े, भारतीय शेर कंगाहुओं पर भारी।
अथका
मुद्रित माध्यमों के अंतर्गत अखबार, पत्रिकाएँ आदि आते हैं। इनका हमारे दैनिक जीवन में काफी महत्त्व है। इनकी महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित है
(i) मुट्रित माध्यमों में स्थायित्व होता है।
(ii) आप इन्हें अपनी इच्छानुसार पढ़ सकते हैं।
(iii) आप इन्हें लंबे समय तक प्रयोग में ला सकते हैं।
(iv) यह माध्यम लिखित भाषा का विस्तार है।
(v) यह चिंतन, विचार और विश्लेषण का माध्यम है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए।
(क) ‘बस्ते का बढ़ता बोझ’ विषय पर एक आलेख लिखिए।
उत्तर :
भारी बस्तों के भार से दबे बच्चों का झुंड आपको प्रत्येक शहर में दिख सकता है। किताबों के बीच सिसकते बचपन ने शिक्षा की बुनियाद को हिलाकर रख दिया है। एक छोटे बच्चे के लिए दस-बारह किताबें रोज़ स्कूल ले जाना और उन्हें पढ़ना कठिन होता है। इसका सहज अंदाज़ा लगाया जा सकता है, यह पढ़ाई का उचित तरीका नहीं हो सकता। इससे हमारे बच्चों के मानसिक विकास को चोट पहुँचती है। उनका मानसिक विकास नहीं हो पाता। बस्ते के बढ़ते अनादश्यक बोझ से बच्चा मानसिक रूप से कुठित हो जाता है। छोटे बच्चों की शिक्षा का माध्यम केवल पुस्तकीय न होकर व्यावहारिक एवं रचनात्मक होना चाहिए। भारी बस्तों के भार से बच्ये दबे जा रहे हैं। उन्हें बचपन में ही भारी बस्तों का बोझ उठाना पड़ता है।
बच्चे बचपन से ही किताबों के बोझ के कारण ऊब जाते हैं। बचपन में बच्चों को उनकी रुचि के अनुरूप पढ़ाना चाहिए, जिससे पढ़ाई के प्रति बच्चों की रचि बड़े, न कि घटे। आज जरूरत है प्रतिभाओं को निखारने की, उनकी आंतरिक क्षमताओं को जगाने की, लेकिन ‘बस्ते का बढ़ता बोझ’ उन्हें शिक्षा के प्रति असह्ज बना रहा है। हमें चाहिए कि विद्यालयी शिक्षा की प्रक्रिया में परिवर्तन लाकर बच्यों के बस्तों के बढ़ते बोझ को क्म करें। इसके लिए पाठ्यक्रम को सुधारने की आवश्यकता है।
(ख) समाचार के विभिन्न तत्त्वों में से किन्हीं दो तत्त्वों पर विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
समाचार बनना तभी संभव होता है, जब उसमें समाचार के तत्त्व सम्मिलित हों। सभाचार के दो तत्त्य निम्नलिखित हैं
(i) नवीनता समाचार में नवीनता का होना अत्यंत आवश्यक होता है। घटना, विधार आदि जितने नए व ताजा होंगे, उतना ही समाथार बनने की संभावना बढ़ जाएगी। अतः समाचार को समयानुकूल प्रेषित करना आवश्यक है।
(ii) निकटता पाठक, ओोता, दर्शक अपने क्षेत्र की निकटवर्ती घटनाओं, जानकारियों को प्राप्त करना चाहते हैं, अपने आस-पास के क्षेत्र, राज्यों की जानकारी को प्राप्त करने के लिए पाठक, भ्रोता अथवा दर्शक उत्सुक रहते हैं। अपने निकट की जानकारी एवं घटनाओं को हम इसलिए प्राप्त करना चाहते हैं, क्योंकि उससे हम साभाजिक, सास्कृतिक, राजनैतिक आदि रूप से जुड़े होते हैं। अतः समाचार में निकटता का तत्त्व महत्त्वपूर्ण होता है।
(ग) फीचर लेखन करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
फीचर एक विशेष पत्रकारीय लेखन होता है। यह एक सुव्यवस्थित, सृजनात्मक तथा आत्मनिष्ठ लेखन होता है। फीचर लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
- फीचर के विषय से जुड़े हुए लोगों की उपस्थिति अनिवार्य होती है।
- फीचर में शामिल तथ्यों की अभिव्यक्ति ऐसी होनी चाहिए कि पाठक को ऐसा लगे कि वह उन्हें देख एवं सुन रहा है।
- फीचर में सृजनात्मकता व मनोरंजकता भी होनी चाहिए।
- फीचर कथात्मक विवरण व विश्लेषण होता है अतः इसे किसी बैठक की कार्यवाही या विवरण की तरह नहीं लिखा जाना चाहिए।
- फीचर का कोई-न-कोई उद्देश्य होना चाहिए।
- फीचर को कहीं से भी प्रारम्भ किया जा सकता है, क्योंकि फीधर लेखन का कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं होता।
- फीचर में प्रारंभ से लेकर अंत तक प्रवाह व गति बनी रहनी चाहिए।
पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग 2 –
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए।
(क) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता को आप करुणा की कविता मानते हैं या कूरता की? तर्कसम्मत उत्तर दीजिए।
उत्तर :
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में दूरदर्शन चैनल वाले कमजोर व लाचार व्यक्ति के दु:ख की मार्केटिंग करते हैं। उन्हें उनकी सहायता से कोई मतलब नहीं होता, वे तो केवल अपना मतलब साधते हैं। दूरदर्शन चैनल वाले अपाहिज व्यक्ति को बार-बार अपना दुःख बताने के लिए विवश करते हैं, जिसका प्रमुख उद्देश्य मात्र अपने चैनल की लोकप्रियता बढ़ाना और पैसा कमाना है, जिसके लिए वे बेकार के प्रश्न पूछने से भी नहीं हिचकिचाते हैं। वे अपाहिजों की पीड़ा को बढ़ा-चद्राकर पूछ्ते हैं। यह कार्य असामाजिक है। अतः हमारे मत से यह कविता क्रूरता की कविता है।
(ख) ‘पतंग’ कविता में कवि ने बच्चों को कपास की तरह कोमल बताया है तथा उनके पैरों को ‘बेचैन’ कहा है। कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि ने बच्चों की भावनाओं की ओर संकेत करते हुए कहा है कि बच्चों की भावनाएँ क्यास की तरह श्वेत, कोमल तथा पवित्र होती हैं। यहाँ बच्चों के लिए कपास का विशेष रूप से प्रयोग किया गया है। यहाँ बच्च्चों के शरीर की दुर्लभ लोच, नरमाई, सहनशीलता तथा कष्ट-रोधी शक्ति की ओर भी संकेत किया गया है। कवि ने बच्चों के पैरों को ‘बेचैन’ की संज्ञा इसलिए दी है, क्योंकि उनके पैर हमेशा घूमने, चलने, दौड़ने तथा कूदने के लिए व्याकुल रहते हैं। ये कभी भी रुकने का नाम नहीं लेते। उनके पैरों में एक ऐसी व्याकुलता रहती है मानो वे संपूर्ण पृथ्वी को ही नाप लेंगे।
(ग) कविता के किन उपमानों को देखकर कहा जा सकता है कि ‘उषा’ कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्दचित्र है?
उत्तर :
‘उषा’ कविता में कवि शमशेर बहादुर सिंह ने ग्रामीण उपमानों का प्रयोग कर गाँव की सुबह के गतिशील शब्दचित्र को सामने लाने का प्रयास किया है। कविता में नीले रंग के प्रातःकलीन आकाश को ‘राख से लीपा हुआ चाँका’ कहा गया है। ग्रामीण परिवेश में ही गृहिणी भोजन बनाने के बाद चौके (चूल्हे) को राख से लीपती है, जो प्राय: काफ़ी समय तक गीला ही रहता है। दूसरा बिंब काले सिल का है। काला सिल अर्थात् पत्थर के काले टुकड़े पर केसर पीसने का काम भी गाँव की महिलाएँ ही करती हैं। तीसरा बिंब काली स्लेट पर लाल खड़िया चॉक से लिखने वाली क्रिया नन्हें ग्रामीण बालकों द्वारा की जाती है। इन बिंबात्मक चेतनाओं में गतिशील शब्दचित्र भी मॉजूद हैं। गतिशीलता इस अर्थ में भी है कि तीनों शब्दचित्र स्थिर न होकर किसी-न-किसी क्रिया के अभी-अभी समाप्त होने के सूचक हैं।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) पेट की आग की विशालता और भयावहता को कवि ने कैसे प्रस्तुत किया है? ‘कवितावली’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि ने पेट की आग की विशालता और भयावहता को स्पष्ट करने के लिए कहा है कि यह अग्नि समुद्र की आग से भी बड़ी है। समुद्र में कई बार कुछ स्थलों पर भयानक अग्नि की लपटें उठती हैं। इसे बड़वाग्नि कहा जाता है। पेट की आग उससे भी भयानक होती है, क्योंकि लोग भूख की ज्वाला को मिटाने के लिए बेटा-बेटी तक बेच डालते हैं।
(ख) कल्पना के रसायन से रचना अधिक परिपक्व तथा अनंतता को प्राप्त होती है। यहाँ ‘कल्पना के रसायन’ का क्या अभिप्राय है? ‘छोटा मेरा खेत’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘कल्पना के रसायन’ से कवि का अभिप्राय है कि रथना कल्पना के रसायन को पीकर आनंद रस से परिपूर्ण हो जाती है। यहीं कवि ने कविता की रचना के लिए कल्पना के महत्त्व को प्रतिपादित किया है। जिस प्रकार खेत में खाद्यान्न उत्पन्न करने के लिए किसान बीज, जल तथा रसायनों का उपयोग करता है, उसी प्रकार एक कवि रचना के सृजन के लिए शब्दरूपी बीज को पन्नों पर डालता है तथा कविता के शब्दों को भाव, संवेदना के जल से सिंचित कर कल्पनारूपी रसायन से उर्वर बनाता है, जिससे कविता परिपक्व होकर आनंदानुभूति कराने में सक्षम होती है तथा अनंतता को प्राप्त हो जाती है।
(ग) किसी के दुःख का प्रदर्शन करके कार्यक्रम को रोचक बनाना कहाँ तक उचित है? ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के आधार पर बताइए।
उत्तर :
किसी के दुःख की प्रस्तुति करके कार्यक्रम को रोचक बनाना अत्यंत निंदनीय और मानवता के विरुद्ध कार्य है। जो दुःखी है, उसके दुःख का प्रदर्शन करना, उससे तरह-तरह के दु:खदायी सवाल पूछना, स्वयं इशारे करके दु:खी मुद्राएँ बनाना आदि वास्तव में दुःख का उपहास करना है। यह एक ऐसा कार्य है, जिसे मानवता के विरुद्ध अपराध की संज्ञा दी जा सकती है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘शिरीष के फूल’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक के मत तथा पुराने कवियों के मतों में क्या अंतर है?
उत्तर :
‘शिरीष के फूल’ पाठ में पुराने कवि बकुल के पेड़ में झूला लगा देखना चाहते थे। उनका मानना था कि बकुल जैसे मजबूत पेड़ की डालियों में झूला लगाने से स्त्रियाँ आसानी से झूला झूल सकेंगी। उन्हें चोट लगने का भय नहीं रहेगा। इसके विपरीत लेखक का मानना है कि शिरीष के वृक्ष की डाल कुछ कमजोर जरूर होती है, परंतु उसमें डाले गए झूले में झूलने वाली रमणियों का वजन भी तो कम होता है। अतः शिरीष के वृक्ष की डाल पर भी झूला डालना उचित ही है।
(ख) लेखक के अनुसार, बाजार का जादू व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर किस प्रकार प्रभाव डालता है? बाज़ार के जादू के प्रभाव से बचने का क्या उपाय है?
उत्तर :
बाजार में एक गहरा जादू है। यह जादू व्यक्ति के मन-मस्तिक्क पर उसी प्रकार प्रभाव डालता है, जिस प्रकार चुंबक का जादू लोहे पर चलता है। जब व्यक्ति की जेब भरी होती है और मन खाली हो, तो जादू का असर बूब चलता है। जेब खाली और मन भरा न होने पर भी उसका जादू चल जाता है।
इस प्रभाव से बचने के लिए हमें बाज़ार में तब जाना चाहिए, जब हमारा मन खाली न हो। जिस प्रकार यदि गर्मी में पानी पीकर बाहर जाएँ, तो लू लगने की संभावना कम रहती है, उसी प्रकार यदि आपका मन लक्क्य से भरा हो तो आप बाज़ार से अपने मनचाही वस्तु खरीद लेंगे और बाजार आपको परेशान नहीं कर पाएगा।
(ग) ‘लक्ष्मी’ के ‘भक्तिन’ बनने की प्रक्रिया क्यों मर्मस्पर्शी है? अपने शब्दों में उत्तर दीजिए।
उत्तर :
लक्ष्मी का जीवन दुःखों से भरा है। बचपन में ही उसकी माँ की मृत्यु हो गई और अपनी जवानी में ही बह विधवा हो गई। पति की मृत्यु के बाद उसके ससुराल वाले भी उसकी संपत्ति हड़पना चाहते थे, इसलिए वे उसकी दूसरी शादी के लिए जोर देने लगे, परंतु दूसरे विवाह के लिए उसने साफ-साफ मना कर दिया।
उसने बड़े दामाद को घरजमाई बनाकर रखा, परंतु वह भी शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त हो गया। अपने घर में धन का अभाव रहने के कारण वह एक बार लगान न चुका पाई, जिसके कारण उसे धूप में खड़े रहने की सजा भी मिली। इसी अपमान के कारण वह शहर चली आई और लेखिका के यहाँ सेविका बन गई। उसकी वेशभूषा देखकर लेखिका ने उसका नाम ‘भक्तिन’ रख दिया। इस प्रकार, ‘लक्ष्मी ‘ के ‘भक्तिन’ बनने की प्रक्रिया अत्यंत मर्मस्पर्शी है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) लाशों को बिना कफ़न के ही पानी में बहा देने की सलाह क्यों दी जा रही थी? ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
गाँव वाले आर्थिक रूप से इतने समर्थ नहीं थे कि वे आपस में एक-दूसरे की आर्थिक सहायता कर सकें। वे केवल अपनी भावनाओं को प्रकट करके ही एक-दूसरे की सहायता कर सकते थे। अतः जब महामारी के कारण घरों में से लगातार एक-दो लाशें निकलने लगीं, तब उन्हें कफ़न तक के लिए भी सोचना पड़ रहा था। अतः लाशें बिना कफ़न के ही बहा देने की सलाह दी जा रही थी।
(ख) ‘श्रम विभाजन और जाति-प्रथा’ पाठ के आधार पर बताइए कि जाति-प्रथा के पोषक लोग क्या स्वीकार करने को तैयार हैं?
उत्तर :
जाति-म्रथा के पोषक लोग यह स्वीकार करने को तैयार हैं कि व्यक्ति को जीवन, शरीर तथा संपत्ति की सुरक्षा तथा अधिकार की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, परंतु वे मनुष्य को उसकी कुशलता के अनुसार उसकी क्षमता का सक्षम तथा प्रभावशाली उपयोग करने की स्वतंत्रता देने के लिए तैयार नहीं हैं। जाति-प्रथा के कारण व्यक्ति अपना व्यवसाय अपनी इच्छा के अनुसार नहीं धुन सकला। उसे वही कार्य करना पड़ता है, जो उसे जाति के आधार पर मिला हो। चाहे वह व्यवसाय उसके लिए उपयुक्त हो या अनुपयुक्त।
(ग) हमारा एकमात्र लक्ष्य स्वार्थ ही क्यों रह गया है? ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
स्वार्थ ही हमारा एकमात्र लक्ष्य इसलिए रह गया है, क्योंकि आज देशवासी स्वहित को सर्वोपरि मानते हैं। देश के बारे में कोई भी नहीं सोचता। आज प्रत्येक व्यक्ति आत्मकेंद्रित है। वह धन, वैभव तथा मूल्यवान वस्तुएँ पाना चाहता है। हुम आपस में लोगों व नेताओं के भ्रष्टाचार की बातें करते हैं, किंतु हमने अपने आपको कभी नहीं परखा कि क्या हम भी तो अपने स्तर पर, अपने दायरे में इस अष्टाथार का अंग तो नहीं बन रहे हैं। अतः स्वार्थ साधन ही उसका एकमात्र लक्ष्य रह गया है।
पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग 2
प्रश्न 14.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 2 प्रश्नों में से किसी 1 प्रश्न का लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। वाई डी पंत का आदर्श कौन था? उसके व्यक्तित्व की तीन विशेषताएँ लिखिए। (4 × 1 = 4)
अथवा
“सिधु सभ्यता में खेती का उन्नत रूप भी देखने को मिलता है।” क्या आप इस कथन से सहमत हैं? उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
वाई डी पंत अर्थात् यशोधर बाबू के आदर्श किशनदा थे। किशनदा इस कहानी के हर संदर्भ में हस्तक्षेप करते हुए भी सबसे दूर हैं। उनकी मृत्यु हो चुकी है, किंतु वे अपने मानस-पुत्र यशोधर बाबू के रूप में मानो जीवित हैं।
उनके व्यक्तित्य की उल्लेखनीय विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(i) किशनदा सरल हुदय रखने वाले एवं सहयोगी व्यक्ति हैं। वे मूल रूप से पहाड़ी क्षेत्र से संबंधित है, जो दिल्ली में नौकरी करते हैं। पहाड़ी क्षेत्र से आने वाले अनेक युवक अपने काम से दिल्ली आने पर उन्हीं के घर में शरण लेते हैं। वे यशोधर बाइू को स्नेह से ‘भाऊ’ कहकर पुकारते हैं।
वे अविवाहित हैं तथा उन्होंने अपने घर को मेस जैसा बना दिया है, जहाँ कोई भी व्यक्ति आकर आपसी सहयोग से खा-पका सकता था।
(ii) वे परोपकारी प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं तथा सिद्धांतवादी भी। किशनदा ने ही मैट्रिक पास यशोधर पंत को न केवल सरकारी नौकरी दिलवाने में मदद की, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर अपनी जेब से पैसे भी उधार दिए। उन्होंने अपने जीवन में कुछ सिद्धांतों को अपनाया हुआ था, जिनका वे दृठता से पालन करते थे।
(iii) किशनदा अनुभवी व्यक्ति हैं और अपने अनुभवों का लाभ अपने प्रियजनों को भी देते हैं। यशोधर बाबू के ब्यक्तित्व निर्माण में किशन दा का अपूर्व योगदान है। वे उन्हें ऑफिस के कार्यों के साथ-साथ जीवन के विभिन्न प्रसंगों पर भी दिशा-निर्देश देते हैं।
अथवा
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज के शुरू में यह समझा जाता था कि इस घाटी के लोग अन्न नहीं उगाते थे। नई खोजों के साथ यह स्पष्ट हो गया कि यहाँ उन्नत बेती होती थी। अनाज आदि की ज़रूरतें वे आयात करके पूरा कर लेते थे। खेतिहर और पशु-पालक सभ्यता को कुछ विद्वानों द्वारा माना भी गया है। लोहा न होने के कारण पत्थर और ताँबे के औज़ार ही खेती के प्रयोग में लाए जाते थे। इतिहासकार इरफान हबीब का मानना है कि यहां के लोग रबी की फसल भी उगाते थे। गेहुं, कपास, चने और सरसों के प्रमाण खुदाई के दौरान मिले हैं। यहाँ ज्वार, बाजरा, रागी की उपज के साथ-साथ खजूर, अंगूर और खरबूजे भी उगाए जाते थे और बेर की झाड़ियों के चिह्न भी पाए गए हैं। वहाँ कपास की भी खेती होती थी। इन्हीं सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हम इस बात से सहमत हैं कि सिंधु सभ्यता में खेती का उन्नत रूप देखने को मिलता है।