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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 5 with Solutions

January 23, 2025 by Bhagya

Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 5 are designed as per the revised syllabus.

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 5 with Solutions

समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश:

  • इस प्रश्न-पत्र में खंड ‘अ’ में वस्तुपरक तथा खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
  • खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
  • खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
  • दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।

खंड ‘क’
अपठित बोध (18 अंक)

खंड ‘क’ में अपठित बोध के अंतर्गत अपठित गद्यांश व पद्यांश से संबंधित बहुविकल्पीय, अतिलघूत्तरात्मक तथा लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से बहुविकल्पीय तथा अतिलघूत्तरात्मक के प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक तथा लघूत्तरात्मक के लिए 2 अंक निर्धारित हैं।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पदेकर दिए गए प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए। (10)
राणा संप्राम सिंह वीरगति प्राप्त कर चुके थे। चित्तौड़ के सिंहासन पर उनके बड़े पुत्र विक्रमादित्य बैठे, कितु उनकी अयोग्यता के कारण राजपूत सरदारों ने उन्हें गद्दी से हटा दिया। राणा साँगा के छोटे पुत्र उद्यसिंह राज्य के उत्तराधिकारी घोषित किए गए, किंतु वे अभी छ: वर्ष के बालक थे। अतएव दासी-पुत्र बनवीर को उनका संरक्षक और उनकी ओर से राज्य का संचालनकर्ता बनाया गया, क्योंकि महारानी करुणावती का भी स्वर्ववास हो चुका था।

राज्य का लोभ मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देता। बनवीर भी राज्य के लोभ से पिशाच बन गया। उसने सोचा कि यदि राणा साँगा के दोनों पुत्रों को मार दिया जाए, तो चित्तौड़ का सिंहासन उसके लिए निष्कंटक हो जाएगा। इसी विचार से एक रात नंगी तलवार लिए वह अपने भवन से निकला। उसने लालच में अंधे होकर विक्रमादित्य की हत्या कर दी।

राजकुमार उदयसिंह सायंकाल का भोजन करके सो चुके थे, उनका पालन-पोषण करने वाली पन्नाधाय को बनवीर के बुरे अभिप्राय का कुछ पता न था। कीरत बारी रात में जूठे पत्तल हटाने आया। उसने पन्ना को बनवीर द्वारा विक्रमादित्य की हत्या का समाचार दिया। बारी उस समय वहीं था और बनवीर का यह कुकृत्य देखकर किसी प्रकार भागता हुआ, पन्ना के पास आया। उसने कहा-‘वह यहाँ आता ही होगा’।

पन्ना चौंकी और उसे अपना कर्त्वव्य स्थिर करने में क्षणभर भी न लगा। उसने बालक उदयसिंह को उठाकर बारी को दे दिया और कहा-“इन्हें लेकर चुपचाप निकल जाओ। मैं तुम्हें बेरिस नदी के तट पर मिलूँगी।”

उदयसिंह सो रहे थे, उन्हें टोकरे में लिटाकर, ऊपर से पत्तलें ढककर बारी राजभवन से निकल गया। इधर पन्ना ने अपने पुत्र चंदन को कपड़ा ओढ़ाकर उदयसिंह के पलंग पर सुला दिया। दोनों बालक लगभग एक ही अवस्था के थे। अपने स्वामी के बालक और राज्य के उत्तराधिकारी की रक्षा के लिए उस धर्मनिष्ठ धाय ने अपने कलेजे के टुकड़े का बलिदान करने का निश्चय कर लिया था।

नंगी रक्त सनी तलवार लिए बनवीर कुछ क्षणों के बाद ही आ धमका। उसने कड़क कर पूछा-उदय कहाँ है?’
पन्नाधाय ने अँगुली से अपने सोते पुत्र की ओर संकेत कर दिया। तलवार उठी और उस अबोध बालक का सिर धड़ से अलग हो गया। बनवीर चला गया। कर्त्तव्यनिष्ठ पन्नाधाय के मुख से न चीख निकली, न नेत्रों से औँसू गिरे। उसे तो अभी अपना धर्म निभाना था, उसका हुदय फटा जा रहा था। पुत्र का शव लेकर वह राजभवन से निकली।

बेरिस नदी के तट पर उसने पुत्र का अंतिम संस्कार किया और चित्तौड़ के नन्हे निंद्रित अधीश्वर को लेकर रात्रि में ही चित्तौड़ से बाहर निकल गई। बेचारी धाय! कोई उसे आश्रय देकर बनवीर से शत्रुता मोल लेना नहीं चाहता था। अत: वह एक से दूसरे ठिकानों में भटकती फिरी। अंत में देयरा के आशाशाह ने उसे आश्रय दिया।

बनवीर को उसके कर्म का दंड मिलना था, मिला। राणा उदयसिंह जब गद्दी पर बैठे, पन्नाधाय की चरणधूलि अपने मस्तक पर लगाकर उन्होंने अपने को धन्य माना। पन्ना चित्तौडड़ की सच्ची धात्री सिद्ध हुई और सेवक धर्म के आदर्श का पाठ दुनिया को सिखा गई। पन्नाधाय की उज्ज्वल कीर्ति अमर है।

(क) बनवीर किसका पुत्र था? (1)
(i) राजा का
(ii) दासी का
(iii) कृषक का
(iv) ये सभी
उत्तर :
(ii) दासी का

(ख) कथन (A) लोभ मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देता।
कारण (R) लोभ मनुष्य को पिशाच बना देता है। (1)
कूट
(i) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iv) कथन (A) और कारण ( R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 4 with Solutions

(ग) राणा साँगा के बड़े पुत्र का क्या नाम था? (1)
(i) उदयसिंह
(ii) विक्रमादित्य
(iii) बनवीर
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) विक्रमादित्य

(घ) राणा साँगा का उत्तराधिकारी किसे घोषित किया गया? (1)
उत्तर :
राणा साँगा के बड़े पुत्र विक्रमादित्य को अयोग्यता के कारण राजपूत सरदारों ने गद्दी से हटा दिया और उद्यसिंह को राणा साँगा का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।

(ङ) पन्नाधाय ने क्या निर्णय लिया और क्यों? (2)
उत्तर :
पन्नाधाय को जब उदयसिंह के प्राण संकट में नज़र आए तो उन्होने अपनी कर्त्वव्यपरायणता का परिचय देते हुए अपने पुत्र चंदन को उदय के स्थान पर लिटाकर, बलिदान कर देने का निर्णय लिया, जिससे राज्य के उत्तराधिकारी की रक्षा हो सके।
अपने इस कर्ताव्य द्वारा उन्होंने अपनी कर्चव्यनिष्ठता का परिचय दिया तथा चित्तौड़ के उत्तराधिकारी को बचाने के लिए अपने पुत्र तक का बलिदान दे दिया।

(च) पन्नाधाय बेरिस नदी के तट पर क्यों पहुँची? उसे अनेक ठिकानों पर क्यों भटक्ना पड़ा? (2)
उत्तर :
पन्नाधाय के बेरिस नदी के तट पर पहुँचने के मुख्य दो कारण थे-प्रथम तो नदी का तट नगर के बाहर होने के कारण उदयसिंह के लिए सुरक्षित स्थान था तथा द्वितीय पन्नाधाय को अपने मृत पुत्र का अंतिम संस्कार भी करना था।
इसके पशचात् वह रात्रि के अंधेरे में ही ‘उदय’ को लेकर चित्तौड़ से बाहर निकल गई, परंतु बनवीर के भय से किसी ने उसे आश्रय नही दिया। अत: उसे अनेक जगह भटकना पड़ा।

(छ) प्रस्तुत गद्यांश से क्या शिक्षा मिलती है? (2)
उत्तर :
प्रस्तुत गद्यांश से यह शिक्षा मिलती है कि मानव को अपनी कर्त्तव्यपरायणता के लिए सर्वस्व त्याग करने से भी नहीं हिचकिचाना चाहिए एवं अपने कर्तव्यप्यालन के लिए कठिन-से-कठिन परिस्थितियों में भी सदैव तत्पर रहना चाहिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़र दिए गए प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए। (8)
इन लहरों के टकराने पर, आता रह-रह कर प्यार मुझे।।
मैं हूँ अपने मन का राजा, इस पार रहुँ, उस पार चलूँ।
मैं मस्त खिलाड़ी हूँ ऐसा, जी चाहे जीतूँ, हार चलूँ।
मैं हूँ अबाध, अविराम अथक, बंधन मुझको स्वीकार नहीं।
मैं नहीं अरे ऐसा राही, जो बेबस-सा मन मार चलूँ।।
कब रोक सकी मुझको चितवन, मदमाते कजरारे घन की,
कब लुभा सकी मुझको बरबस, मधु-मस्त फुहारें सावन की।
जो मचल उठें अनजाने ही अरमान नहीं मेरे ऐसे,
राहों को समझा लेता हूँ सब बात सदा अपने मन की।।
इन उठती-गिरती लहरों का कर लेने दो श्रृंगार मुझे,
इन लहरों के टकराने पर, आता रह-रह कर प्यार मुझे।।

(क) अपने मन का राजा कौन है? (1)
(i) कवि
(ii) सैनिक
(iii) मजदूर
(iv) नौकर
उत्तर :
(i) कवि

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 4 with Solutions

(ख) प्रस्तुत पद्यांश का उद्देश्य क्या है? (1)
(i) व्यक्ति को निर्भीक और स्वाभिमानी बनाना
(ii) व्यक्ति को स्वेच्छाचारी बनाना
(iii) व्यक्ति को कर्त्तव्य के प्रति अनिष्ठावान बनाना
(iv) व्यक्ति को आलसी बनाना
उत्तर :
(i) व्यक्ति को निर्भींक और स्वाभिमानी बनाना

(ग) सुमेलित कीजिए (1)

सूची I सूयी II
A. जाति-प्रथा की जटिल प्रक्रिया के तहत 1. वह कार्य जीवनपर्यंत करना
B. जिस जाति में जन्मे 2. पेशा बदलने की फूट नहीं देती
C. जाति-प्रथा 3. व्यक्ति का आधारभूत जीवन और कठिन हो गया

कूट
A B C
(i) 2 3 1
(ii) 1 3 2
(iii) 3 1 2
(iv) 1 2 3
उत्तर :

सूची I सूयी II
A. जाति-प्रथा की जटिल प्रक्रिया के तहत 3. व्यक्ति का आधारभूत जीवन और कठिन हो गया
B. जिस जाति में जन्मे 1. वह कार्य जीवनपर्यंत करना
C. जाति-प्रथा 2. पेशा बदलने की फूट नहीं देती

(घ) कवि को क्या स्वीकार नहीं है? (1)
उत्तर :
कवि को किसी प्रकार का बंधन स्वीकार नहीं है।

(ङ) कवि कैसा राही है? (2)
उत्तर :
कवि स्वतंत्र विचारों वाला राही है। वह जो भी कार्य करता है, मन लगाकर करता है। वह किसी भी कार्य को दूसरे के अधीन रहकर नहीं करता है। कवि अपनी राह चुनने के लिए स्वतंत्र है किसी के अधीन नहीं है। उसके रास्ते में कितनी ही बाधाएँ क्यों न आ जाएँ, वह उन बाधाओं को दूर कर अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेता है अर्थात् अपने उद्देश्य को पूरा कर लेता है।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 4 with Solutions

(च) प्रस्तुत पंद्याश से हमें क्या शिक्षा मिलती है? (2)
उत्तर :
इस पद्यांश से हमें शिक्षा मिलती है कि बाधाओं (समस्याओं) से कभी भी घबराना नहीं चाहिए बस्कि उनका स्वागत करना चाहिए, क्योंकि प्रत्येक बाधा (समस्या) कुछ-न-कुछ सिखाकर ही जाती है। कष्ट पीड़ादायक अवश्य होते हैं, लेकिन उनमें हमारे लिए अदृश्य सीख छछिपी होती है जिसको ग्रहण कर हम अपने जीवन में कुछ सीमा तक बाधाओं से छुटकारा पा सकते हैं।

खंड ‘ख’
अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्यपुस्तक (22 अंक)

खंड ‘ख’ में अभिव्यक्ति और माध्यम से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूखे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित 3 विषयों में से किसी 1 विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6 × 1 = 6)
(क) रामचरितमानस की प्रासंगिकता
उत्तर :
रामचरितमानस की प्रासंगिकता
आज रामचरितमानस की प्रासंगिकता है, क्योंकि हर ओर मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं परंपराओं का हास होता जा रहा है। वर्तमान पीठ़ी आज गुणों की अपेक्षा दुर्गुणों को अपनाती जा रही है। आज जन्म देने वाले माता-पिता का सम्मान दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा है, इसलिए पुन: रामर्चरितमानस में वर्णित आदर्शों, मान्यताओं और मर्यांदाओं की रक्षा के लिए भावी पीढ़ी को रामचरितमानस का ज्ञान होना आवश्यक है। ‘रामचरितमानस’ मेरी सर्वाधिक प्रिय पुस्तक है। इसे हिंदू परिवारों में धर्म-ग्रंथ का दर्जा प्राप्त है, इसलिए ‘रामचरितमानस’ हिंदू संस्कृति का केंद्र है।

‘रामचरितमानस’ अवधी भाषा में रचा गया महाकाव्य है, इसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास ने सोलहवीं सदी में की थी। इसमें भगवान राम के जीवन का वर्णन है। यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत के महाकाव्य ‘रामायण’ पर आधारित है। तुलसीदाम्र ने इस महाकाव्य को सात कांडों में विभाजित किया है। इन सात कांडों के नाम हैं- ‘बालकांड’, ‘अयोध्याकांड’, ‘अरण्यकांड’, ‘किष्किधाकांड’, ‘सुंदरकांड’, ‘लंकाकांड’ एवं ‘उत्तरकांड’। ‘रामचरितमानस’ में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र जी के उत्तम चरित्र का विषद् वर्णन है, जिसका अध्ययन पाशचात्य सभ्यता की अंधी दौड़ में भटकती वर्तमान पीढ़ी को मयाद्वित करने के लिए आवश्यक है, क्योंक ‘रामचरितमानस’ में वर्णित रामचंद्र जी का. संपूर्ण जीवन शिक्षाप्रद है।

‘रामचरितमानस’ में गुरु-शिष्य, माता-पिता, पति-पत्नी, भाई-बहन इत्यादि के आदर्शों को इस तरह से प्रस्तुत किया गया है कि ये आज भी भारतीय समाज के प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। यह तत्कालीन समाज को विभिन्न बुराइयों से मुक्त कर उसमें श्रेष्ठ गुण विकसित करने का मार्गदर्शन करता है। काव्य-शिल्प एवं भाषा के दृष्टिकोण से भी ‘रामचरितमानस’ अति समृद्ध है। इसके छंद और चौपाइयाँ आज भी जन-जन में लोकप्रिय हैं। इस ग्रंथ की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सरलता एवं गेयता है, इसलिए इसे पढ़ने में आनंद आता है। ‘रामचरितमानस’ को भारत में सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला ग्रंथ माना जाता है। विदेशी विद्वानों ने भी इसकी खूब प्रशंसा की है।

(ख) देशेप्रेम की भावना सर्वश्रेष्ठ भावना
उत्तर :
देशफ्रेम की भावना सर्वंश्रेष्ठ भावना
“जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं। वह हृदय नहीं है, पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।” मैथिलीशरण गुप्त की इन काव्य पंक्तियों का अर्थ यह है कि देशण्रेम के आभाव में मनुष्य जीवित प्राणी नहीं, बल्कि पत्थर के ही समान कहा जाएगा। हम जिस देश या समाज में जन्म लेते हैं, उसकी उन्नति में समुचित सहयोग देना हमारा परम कर्त्तव्य है। स्वदेश के प्रति यही कर्त्तव्य भावना, इसके प्रति प्रेम अर्थात् स्वदेश-प्रेम ही देशभक्ति का मूल स्रोत है।

वास्तय में, देशप्रेम की भावना मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ भावना है। इसके सामने किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत लाभ का कोई महत्त्व नहीं होता। यहु एक ऐसा पवित्र व सात्विक भाख है, जो मनुष्य को निरंतर त्याग की प्रेरणा देता है, इसलिए कहा गया है-“जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” अर्थांत् जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं। यही कारण है कि मनुष्य जहाँ रहता है, अनेक कठिनाइयों के बावजूद उसके प्रति उसका मोह कभी खत्म नहीं होत। स्वदेश-प्रेम को किसी विशेष क्षेत्र एवं सीमा में नहीं बाँधा जा सकता।

हमारे जिस कार्य से देश की उन्नति हो, वही स्वदेश-प्रेम की सीमा में आता है। जाति-प्रथा, दहेज प्रथा, अंधविश्वास, छुआछूत इत्यादि कुरीतियाँ देश के विकास में बाधक हैं। हम इन्हें दूर करने में अपना योगदान कर देश-सेवा का फल प्राप्त कर सकते हैं। अशिक्षा, निर्धनता, बेरोजगारी, व्यभिचार एवं भ्षष्टाचार के विरुद्ध जंग छेड्रकर हम अपने देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर कर सकते हैं। हम समय पर टैक्स का भुगतान कर देश की प्रर्गति में सहायक हो सकते है। इस प्रकार, किसान, मजदूर, शिक्षक, सरकारी कर्मचारी, चिकित्सक, सैनिक और अन्य सभी पेशेवर लोगों के साथ-सांथ देश के हर नागरिक द्वारा अपने कर्त्वव्यों का समुचित रूप से पालन करना भी देशर्भक्ति ही है।

नागरिकों में स्वदेश-प्रेम का अभाव राष्ट्रीय एकता में सबसे बड़ी बाधा के रूप में कार्य करता है। अपनी स्वतंत्रता की रक्षा एवं राष्ट्र की उन्नति के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक है और राष्ट्रीय एकता बनाए रखना तभी संभव है, जब हम देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों का पालन करेंगे।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 4 with Solutions

(ग) इंटरनेट वर्तमान युग की माँग ही नहीं, बल्कि आवश्यकता भी बन गया है
उत्तर :
इंटरनेट वर्तमान युग की माँग ही नही, खल्कि आवश्यकता भी बन गया है
इंटरनेट वर्तमान युग की माँग ही नहीं, बल्कि आवश्यकता भी बन गया है, क्योंकि इंटरनेट न केवल मानव के लिए अति उपयोगी है, बल्कि संचार में गति एवं विविधता के माध्यम से इसने दुनिया को पूर्ण रूप से बदलकर रख दिया है। इंटरनेट ने भौगोलिक सीमाओं को समेट दिया है। भारत में इंटरनेट सेवा की शुरुआत बीएसएनएल ने वर्ष 1995 में की थी। अब एयरटेल, जियो आदि जैसी दूरसंचार कंपनियाँ भी इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराती हैं। पूरे विश्व में इंटरनेट से जुडने वाले लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।

कंप्यूटर नेटवर्क का आविष्कार सूचनाओं को साझा करने के उद्देश्य से किया गया था। पहले इसके माध्यम से किसी भी प्रकार की सूचना को साझा करना संभव नहीं था, किंतु अब सूचना प्रौद्योगिकी के युग में दस्तावेजों एवं ध्वनि के साथ-साथ वीडियो का आदान-प्रदान करना भी संभब हो गया है।

विदेश जाने के लिए हवाई जहाज का टिकट बुक कराना, किसी पर्यटन स्थल पर स्थित होटल का कोई कमरा बुक कराना, किसी किताब का ऑर्डर देना, अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए विज्ञापन देना, अपने मित्रों से ऑनलाइन चैटिंग करना, डॉंक्टरों से स्वास्थ्य संबंधी सलाह लेना या वकीलों से कानूनी सलाह लेना आदि सभी सुविधाएँ इंटरनेट पर उपलब्ध हैं।

इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा का प्रचलन भी बढ़ा है। इसके द्वारा शिक्षक घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से देश के किसी भी कोने में बैठे विद्यार्थियों को पढ़म सकते हैं। इससे शिक्षक और विद्यार्थी अपने अनुकूल समय का चुनाव कर इंटरनेट के द्वारा एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं। वर्तमान समय में इंटरनेट शिक्षा की माँग बढ़ती जा रही है।

इंटरनेट के कई लाभ हैं, तो इसकी-कई हानियाँ भी हैं। इसके माध्यम से मनुष्य तक अश्लील सामग्री की पहुँच आसान हो गई है। कई लोग इंटरनेट का दुरुपयोग अश्लील साइटों को देखने और सूचनाओं को चुराने में करते हैं। अत: इंटरनेट का प्रयोग करते समय आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढिए और किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 4 = 8)
(क) “कहानी लेखन हेतु पात्र एवं चरित्र-चित्रण अत्यंत महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं।” स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
कहानी लेखन हेतु पात्र एवं चरित्र-चित्रण अत्यंत महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं, क्योंकि कहानी का संचालन उसके पात्रों के द्वारा ही होता है। पात्रों के गुण-दोष को उनका चरित्र-चित्रण कहा जाता है। प्रत्येक पात्र का अपना स्वरूप, स्वभाव और उद्देश्य होता है। पात्रों का अध्ययन कहानी की एक बहुत महत्वपूर्ण और बुनियादी शर्त है। कहानीकार के सामने पात्रों का स्वरूप जितना स्पष्ट होगा, उतनी ही आसानी उसे पात्रों का चरित्र-चित्रण करने और उसके संवाद लिखने में होगी। पात्रों का चरित्र-चित्रण कहानीकार द्वारा पात्रों के गुणों का बखान तथा दूसरे पात्रों के संवाद के माध्यम से किया जा सकता है।

(ख) एंकर बाइट को स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
बाइट का अर्थ है-कथन टेलीविजन पत्रकारिता में बाइट का काफी महत्त्व है। टेलीविजन में किसी भी खबर की पुष्टि करने के लिए इससे संबंधित बाइट दिखाई जाती है। किसी घटना की सूचना देने और उसके द्श्य दिखाने के साथ ही इस घटना के बारे में प्रत्यक्षदर्शियों या संबंधित व्यक्तियों का कथन दिखाकर और सुनाकर खबर को प्राथमिकता प्रदान की जाती है।

(ग) अप्रत्याशित विषय का क्या अर्थ है? अप्रत्याशित विषयों पर लेखन से कौन-कौन से लाभ हैं? (2)
उत्तर :
अप्रत्याशित ऐसा विष्य है, जिस पर लेखन करने की कभी आशा ने की गई हो, उस पर लेखन करना ही अप्रत्याशित विषयों पर लेखन कहलाता है। अप्रत्याशित विषयों पर लेखन के निम्नलिखित लाभ हैं

  • अप्रत्याशित लेखन लेखक की मौलिक रचना होती है। यह किसी भी रचना की नकल नहीं होती।
  • अप्रत्याशित लेखन से लेखन कौशल तथा अभिव्यक्ति कौशल का विकास होता है।
  • इससे भाषा पर अच्छी पकड हो जाती है।
  • इससे हम विषय को तार्किक रूप में सुसंबद्ध तरीके से लिख पाएँगे।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 4 with Solutions

(घ) पत्रकारिता जगत में ‘बीट’ से आप क्या समझते हैं? (2)
उत्तर :
पत्रकारिता जगत में बीट से अभिप्राय है-कार्य विभाजन। समाचार कई प्रकार के होते हैं; जैसे-राजनीतिक, अपराध, खेल, आर्थिक, फिल्म तथा कृषि संबंधी समाचार आदि। संवाददाताओं के बीच काम का बँटवारा उनके ज्ञान एवं रुचि के आधार पर किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे ही ‘बीट’ कहा जाता है। बीट रिपोर्टर को अपने बीट (क्षेत्र) की प्रत्येक छोटी-बड़ी जानकारी एकत्र करके कई स्रोतों द्वारा उसकी पुष्टि करके विशेषजता प्राप्त करनी चाहिए, तभी उसकी खबर विश्वसनीय मानी जाएगी।

(ङ) भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
भारत में इंटरनेट पत्रकारिता का अभी दूसरा दौर चल रहा है, जबकि विश्व स्तर पर इंटरनेट पत्रकारिता का तीसरा दौर चल रहा है। भारत के लिए प्रथम दौर वर्ष 1993 से प्रारंभ माना जाता है। दूसरा दौर वर्ष 2003 से प्रारंभ हुआ है। भारत में यथार्थ रूप से ‘रीडिफ डॉटकॉम’, ‘इंडिया इफोलाइन’ तथा ‘सिफी’ जैसी कुछ साइ़ें वेब पत्रकारिता का कार्य कर रही हैं। रीडिए को भारत की पहली साइट कहा जा सकता है, जो गंभीरता के साथ इंटरनेट पत्रकारिता कर रही है। वेबसाड़ट पर विशुद्ध पत्रकारिता करने का श्रेय तहलका डॉटकॉम को जाता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढिए और किन्हीं 2 प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) विशेष रिपोर्ट कैसे लिखी जाती है और यह कितने प्रकार की होती है? (4)
उत्तर :
विशेष रिपोर्ट के अंतर्गत सामान्य समाचारों से अलग वे विशेष समाचार, जो गहरी छानबीन, विश्लेषण और व्याख्या के आधार पर प्रकाशित किए जाते हैं, विशेष रिपोर्ट कहलाते हैं। ऐसी रिपोटों को लिखने के लिए किसी घटना, समस्या या मुद्दे की गहरी छानबीन की जाती है और उससे संबंधित महत्त्वूपर्ण तथ्यों को इकट्ठा किया जाता है। तथ्यों के विश्लेषण के द्वारा उसके नतीजे, प्रभाव और कारणों को स्पष्ट किया जाता है। विशेष रिपोर्ट के निम्नलिखित प्रकार होते हैं

  1. खोजी रिपोर्ट इसमें अनुपलब्य तथ्यों को गहरी छानबीन कर सार्वर्जनिक किया जाता है।
  2. इन-डेप्य रिपोर्ट इसमें सार्वजनिक रूप से प्राप्त तथ्यों की गहरी छानबीन कर उसके महत्त्वूपर्ण पक्षों को पाठकों के सामने लाया जाता है।
  3. विश्लेषणात्मक रिपोर्ट इसमे किसी घटना या समस्या का विवरण सूक्ष्मता के साथ विस्तार से दिया जाता है। रिपोर्ट अधिक विस्तृत होने पर कई दिनों तक किस्तों में प्रकाशित की जाती है।
  4. विवरणात्मक रिपोर्ट इसमें किसी घटना या समस्या को विस्तार एवं बारीकी के साथ प्रस्तुत किया जाता है।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 4 with Solutions

(ख) रेडियो और टेलीविजन समाचार की भाषा-शैली कैसी होनी चाहिए? (4)
उत्तर :
रेडियो और टेलीविजन समाचार की भाषा-शैली का स्तर निम्नलिखित रूप में होना चाहिए।

  1. भाषा के स्तर पर गरिमा को बनाए रखने के लिए सरल भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  2. भाषा सभी वर्ग के लोगों की समझ में आनी चाहिए।
  3. वाक्य छोटे तथा सरल होने चाहिए।
  4. जटिल शब्दों का प्रयोग वाक्यों में नही करना चाहिए।
  5. गैर-जरूरी विशेषणों, सामासिक और तत्सम शब्दों एवं अतिरंजित उपमाओं से बचना चाहिए।
  6. आमजन की समझ में आने वाली भाषा का प्रयोग करना चाहिए।

(ग) जनसंचार के मुद्रित माध्यमों की क्या कमियोँ हैं? (4)
उत्तर :
जनसंचार के मुद्रित माध्यमों की कमियाँ निम्नलिखित हैं

  1. 1. अशिक्षित लोगों के लिए अनुपयोगी।
  2. घटित घटना की जानकारी रेडियो तथा टेलीविजन की भाँति तुरंत न मिलना।
  3. मुद्रित माध्यमों पर खबर या रिपोर्ट के लिए एक डेड लाइन होती है, जबकि रेडियो, टेलीविजन और इंटरनेट माध्यम पर ऐसा प्रतिबंध नहीं होता।
  4. मुद्रित माध्यम से अशुद्धि होने पर सुधार हेतु अगले अंक की प्रतीक्षा करनी पड़ती है, जबकि अन्य माध्यमों में तत्काल सुधार किया जा सकता है।
  5. समाचार-पत्र (मुद्रित माध्यम) निश्चित अव्वधि अर्थात् 24 घंटे में एक बार, साप्ताहिक सप्ताह में एक बार तथा मासिक माह में एक बार प्रकाशित किया जाता है।

खंड ‘ग’
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 एवं वितान भाग-2 (40 अंक)

खंड ‘ग’ में पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 से गद्य व पद्य खंड से बहुविकल्पीय प्रश्न, अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न व लघूतरात्मक प्रश्न तथा वितान भाग- 2 से लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछ्छे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्य को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
सोचिए
बताइए
आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है
कैसा
यानी कैसा लगता है
(हम खुद इशारे से बताएँगे कि क्या ऐसा?)
सोचिए
बताइए
थोड़ी कोशिश करिए
(यह अवसर खो देंगे?)
आप जानते हैं कि कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते
हम पूछ-पूछकर उसको रुला देंगे
इंतजार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का करते हैं?
(यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा)

(क) अपाहिज व्यक्ति को बार-बार अपना दुःख बताने के लिए मजबूर करने के पीछे दूरदर्शन वालों का क्या उद्वेश्य हो सकता है? (1)
(i) अपाहिज के प्रति संवेदनशीलता होना
(ii) अपाहिज की स्थिति में सुधार हेतु प्रयास करना
(iii) अपने कार्यक्रम को व्यावसायिक रूप से सफल बनाना
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iii) अपने कांक्रम को व्यावसायिक रूप से सफल बनाना

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(ख) मानवता के विरुद्ध क्या है? (1)
(i) किसी के दु:ख का प्रदर्शन करना
(ii) किसी का मजाक बनाना
(iii) किसी से उसके बारे में जानकारी लेना
(iv) किसी के दर्द को बढ़ाना
उत्तर :
(i) किसी के दु:ख का प्रदर्शन करना

(ग) ‘हम पूछ-पूछकर रूला दैंगे’ पंक्ति में कौन-सा भाव निहित है? (1)
(i) क्रूरता का
(ii) सामाजिक न्याय का
(iii) मानवीय करुणा का
(iv) दु:ख एवं संवेदनशीलता का
उत्तर :
(i) क्रूरता का

(घ) कथन (A) दूरदर्शन पर दर्शक उस अपंग व्यक्ति के रोने का इंतजार करते हैं।
कारण (R) दर्शक भी दूरदर्शन पर अपंग व्यक्ति के दुख-दर्द को उसके मुख से सुनना चाहते हैं। कूट
(i) कथन (A) सही है, कितु कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, कितु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही ब्याख्या नहीं करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

(छ) अलंकार की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है? (1)
(i) अपाहिज होकर-उत्रेक्षा अलंकार
(ii) कैसा लगता है-पुनरुक्ति अलंकार
(iii) रोचक बनाने के वास्ते-उपमा अलंकार
(iv) पूळ-पूछकर-अनुप्रास अलंकार
उत्तर :
(iv) पूछ-पूछकर-अनुप्रास अलंकार

प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘आत्मपरिचय’ में कवि के कथन “शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ”‘ का विरोधाभास स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तर :
कवि का यह कथन कि मैं शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ, विरोधाभास की स्थिति को उत्पन्न करता है। इसके पीछे छिपा रहस्य यह है कि जब कवि अपने संघर्षों को कविता का रूप देता है, तो वह शीतल वाणी बन जाती है, जबकि उसका मन दु:खों की अग्नि में जल रहा होता है। वह अपने दु;खों एवं विरोधों को कोमल शब्दों के माध्यम से अपनी रचनाओं में व्यक्त करता है। इसीलिए उसकी शीतल वाणी में भी असंतोष एवं व्याकुलता की आग छिपी रहती है।

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(ख) ‘उषा’ कविता में प्रातः कालीन आकाश की पवित्रता, निर्मलता और उज्ज्चलता के लिए प्रयुक्त कथनों को स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तर :
पवित्रता जिस स्थान पर मंगल कार्य करना हो, उसे राख से लीप कर पवित्र बना दिया जाता है। लीपे हुए चौंके के समान ही प्रात:कालीन आकाश भी पवित्र है।
निर्मलता कालापन मलिन अथवा दोषपूर्ण माना जाता है। उसको निर्मल बनाने के लिए उसे जल से धो लेते हैं। जिस प्रकार काली सिल पर लाल केसर रगड़ने से तथा बाद में उसे धोने से उस पर झलकने वाली लालिमा उसकी निर्मलता की सूचक बन जाती है, उसी प्रकार प्रात:कालीन आकाश भी हल्की लालिमा से युक्त होने के कारण निर्मल दिखाई देता है।
उज्ज्यलता जिस प्रकार नीले जल में गोरा शरीर उज्ज्वलता की चमक से युक्त तथा मोहक लगता है उसी प्रकार प्रात:कालौन आकाश भी उज्ज्वल प्रतीत होता है। नील जल में किसी की गौर, झिलमिल देह जैसे हिल रही हो।

(ग) बात की चूड़ी मरने से क्या तात्पर्य है? (3)
उत्तर :
‘बात की चूड़ी मरने’ का अर्थ बात को बेवजह घुमाने सै है, आडंबरपूर्ण शब्दों के प्रयोग से उसका प्रभाव नष्ट हो जाना। जिस प्रकार पेंच की चूड़ी मरने से, उसका यथास्थान निर्मित खाँचे के नष्ट होने से कसाय नष्ट हो जाता है, वैसे ही भाषा के अनावश्यक विस्तार से बात का प्रभाव कम हो जाता है। मूल बात शब्दज्जाल में उलझ कर रह जाती है। फिर बात कील की तरह ठोंक भले ही दी जाए, लेकिन उसका वैसा प्रभाव नहीं रह जाता। वह श्रोता या पाठक के ह्दयय तक नहीं पहुँच पाती। अत: बात्त को सरल भाषा और कम-से-कम शब्दों में सटीक ढंग से कहा जाना चाहिए, तभी वह प्रभावशाली रहती है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) अपंगता की पीड़ा दर्शाने के लिए दूरदर्शन वाले क्या करते हैं? (2)
उत्तर :
अपंगता की पीड़ा दर्शाने के लिए दूरदर्शन वाले, दूरदर्शन के परदे पर एक फूली हुई आँख की बड़ी तस्वीर तथा अपाहिज व्यक्ति के होंठों की कसमसाहट अर्थात् कहने और न कहने की पीड़ा से उत्पन्न उस व्यक्ति के चेहरे की स्थिति को दिखाते हैं। वस्तुत: वे ऐसा पीड़ा को अधिक प्रदर्शित करने के लिए करते हैं।

(ख) पूँजीपतियों को अपने खिलाफ क्रांति का डर क्यों रहता है? ‘बादल राग’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
पूँजीपतियों को अपने खिलाफ क्रांति का डर रहता है, क्योकि पूँजीपति वर्ग मजदूरों की मेहनत से अपने लिए अपार सम्पत्ति जमा करता है तथा मजदूर और गरीब वर्ग का ही शोषण करता है। पूँजीपति कमजोर और गरीब वर्ग को और ज्य़ादा कमज़ोर और गरीब बना देते हैं। पूँजीपतियों को हमेशा यह ड्रर भी सताता रहता है कि कहीं ये कमज़ोर वर्ग क्रांति न कर दें। पूँजीपति को अपनी धन सम्पति के छिन जाने का भय हमेशा बना रहता है।

(ग) ‘लक्ष्मण-मूच्च्ञ और राम का विलाप’ प्रसंग के आधार पर बताइए कि पंख के बिना पक्षी और सूँड के बिना हाथी की क्या दशा होती है? (2)
उत्तर :
मूर्छित हुए लक्ष्मण को देखकर श्रीराम बहुत ज्यादा भाव-विह्ल हो रहे हैं। वे लक्ष्मण के प्रति अपना मोह और स्नेह प्रकट करते हुए कहते हैं कि हे भाईं लक्ष्मण! तुम्हारे बिना मेरी स्थिति इतनी द्यनीय है कि मैं स्वयं को इस प्रकार शक्तिहीन महसूस कर रहा हू, जिस प्रकार पक्षी अपने पंखों के बिना दीन-हीन हो जाते हैं तथा मणि के बिना साँप और सूँड के बिना हाथी लाचार हो जाता है। वे अपने महत्त्वपूर्ण कार्य नहीं कर पाते।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
जाति-प्रथा पेशे का दोषपूर्ण पूर्व निर्धारण ही नहीं करती, बल्कि मनुष्य को जीवनभर के लिए एक पेशे से बाँध भी देती है। भले ही पेशा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारण वह भूखा मर जाए। आधुनिक युग में यह स्थिति प्राय: आती है, क्योंकि उद्योग-धंधों की प्रक्रिया व तकनीक में निरंतर विकास और कभी-कभी अकस्मात् परिवर्तन हो जाता है, जिसके कारण मनुष्य को अपना पेशा बदलने की आवश्यकता पड़ सकती है और यदि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनुष्य को अपना पेशा बदलने की स्वतंत्रता न हो, तो इसके लिए भूखा मरने के अतिरिक्त क्या चारा रह जाता है? हिंदू धर्म की जाति-प्रथा किसी भी व्यक्ति को ऐसा पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती है, जो उसका पैतृक पेशा न हो, भले ही वह उसमें पारंगत हो। इस प्रकार, पेशा परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति-प्रथा भारत में बेरोज़गारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है।

(क) जाति-प्रथा बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे है? (1)
(i) हिंदू धर्म के कारण
(ii) पैतृक व्यवसाय के कुशल होने के कारण
(iii) पेशा परिवर्तन की अ, न देने के कारण
(iv) विषम परिस्थितियों को महत्त्व देने के कारण
उत्तर :
(iii) पेशा परिवर्तन की अनुमति न देने के कारण

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(ख) पेशा बदलने की स्वतंत्रता के अभाव का क्या परिणाम होता है? (1)
(i) मनुष्य की निरंतर प्रग्गति होती है
(ii) मनुष्य सदैव दूसरों को कोसता रहता है
(iii) मनुष्य को भूखा मरना पड़ता है
(iv) मनुष्य सदैव निम्न ही रहता है
उत्तर :
(iii) मनुष्य को भूखा मरना पड़ता है

(ग) कथन (A) जाति-प्रथा बेरोज़गारी का प्रत्यक्ष व प्रमुख कारण है। (1)
कारण (R) जाति-प्रथा प्रतिकूल परिस्थितियों में भी व्यक्ति को पेशा बदलने की अनुमति नहीं देती। कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर :
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

(घ) सुमेलित कीजिए (1)

सूची I सूयी II
A. जाति-प्रथा की जटिल प्रक्रिया के तहत 1. वह कार्य जीवनपर्यंत करना
B. जिस जाति में जन्मे 2. पेशा बदलने की घूट नहीं देती
C. जाति-प्रथा 3. व्यक्ति का आधारभूत जीवन और कठिन हो गया

कूट
A B C
(i) 2 3 1
(ii) 3 1 2
(iii) 1 2 3
(iv) 3 2 1
उत्तर :
(ii)

सूची I सूयी II
A. जाति-प्रथा की जटिल प्रक्रिया के तहत 3. व्यक्ति का आधारभूत जीवन और कठिन हो गया
B. जिस जाति में जन्मे 1. वह कार्य जीवनपर्यंत करना
C. जाति-प्रथा 2. पेशा बदलने की घूट नहीं देती

(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए (1)
1. जीवनयापन न कर पाने की स्थिति में भी व्यक्ति जाति-प्रथा के कारण अपना व्यवसाय नहीं बदल सकता।
2. आधुनिक युग में जाति-प्रथा की सीमा में रहते हुए भी व्यक्ति अपना मनचाहा पेशा अपना सकता है।
3. हिंदू धर्म की जाति-प्रथा में व्यक्ति को अपना पैतृक व्यवसाय ही करना आवश्यक है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(iv) 1 और 3

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प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढकर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘पर्चेजिंग पावर’ से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तर :
‘पर्चेजिंग पावर’ का अर्थ है पैसे की वह पावर, जिससे आप कभी भी महँगी-से-महँगी वस्तुएँ खरीद सकते हैं। मॉल की संस्कृति, सामान्य बाज़ार और हाट की संस्कृति सभी ‘पर्चंज्ञिंग पावर’ से चलते हैं। मॉल की संस्कृति में लगभग सभी प्रकार की वस्तुएँ एक ही स्थान पर ऊँची कीमतों में मिल जाती हैं। ग्राहक भी धनादय वर्ग के होते हैं। अत: वे महँगी कीमत पर भी सामान खरीदने को तैयार हो जाते हैं। इसलिए ‘पर्चेजिंग पावर’ का असली रूप तो मॉल में ही दिखाई देता है।

(ख) लेखिका को किस घटना के बाद लगा कि भक्तिन उसका साथ नहीं छोड़ना चाहती? ‘भक्तिन’ पाठ के आधार पर बताइए। (3)
उत्तर :
युद्ध को देश की सीमा में बढ़ते हुए देखकर जब लोग परेशान हो उठे, तब भक्तिन के बेटी-दामाद उसके नाती को लेकर भक्तिन को बुलाने आए, तब भी वह लेखिका को छोड़ने का मन न बना पाई। वह उन सबको देख आती है और रुपया भेज देती है, पर वह उनके साथ नही गई क्योंकि उनके साथ जाने के लिए उसे लेखिका का साच छोड़ना पड़ता, जो शायद अक्तिन के लिए जीवन के अंतिम समय तक संभव न था। इस घटना के बाद ही लेखिका को लगा कि भक्तिन उसका साथ नहीं छोड़ना चाहती।

(ग) ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में दंगल में विजयी होने के पश्चात् लुट्टन सिंह की जीवन-शैली में क्या परिवर्तन आ गया था? (3)
उत्तर :
दंगल में विजयी होने के पश्चात् लुट्टन सिंठ को राज पहलवान की पदवी मिल गई तथा वह राजदरबार का सम्माननीय प्राणी बन गया। मेलों में वह घुटने तक लंबा चोला पहने, मतवाले हाथी की तरह झ्यूमता हुआ घूमता। दुकानदार उससे चुहलबाज़ी करते रहते थे। उसकी बुद्धि बच्चों जैसी हो गई थी। सीटी बजाता, औँखों पर रेगीन चश्मा लगाए और खिलौने से खेलता हुआ वह राजदरबार में आता। राजा साहब उसका बहुत ध्यान रखते थे और किसी को भी उससे लड़ने की आज्ञा नहीं देते थे।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर लिखिए।
(क) भारत की जाति-प्रथा को आधुनिक समाज उचित नहीं मानता, क्यों? स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
भारत की जाति-प्रथा को आधुनिक समाज उचित नहीं मानता, क्योकि भारत की जाति-प्रथा श्रमिकों का अस्वाभाविक विभाजन करती है तथा विभाजित वर्गों को एक-दूसरे की अपेक्षा ऊँच-नीच का एहसास भी कराती है, यह सर्वथा अनुचित है। इससे देश में विषमता की भावना प्रबल होती है तथा श्रष्टाचार फैलता है। ऐसा विश्व के किसी भी समाज में नहीं पाया जाता।

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(ख) लेखक के अनुसार अंधविश्वास किसमें है? ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
लेखक ने इस पाठ में लोक प्रचलित विश्वास तथा विज्ञान के द्वंद्व का सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया है। जब आषाड़ के महीने में वर्षा के न होने पर इंदर सेना कीचड़ में लेटकर वारिश के लिए प्रार्थना करती है, तब गाँव वाले उन पर पानी डालते हैं। लेखक के अनुसार, यह अंधविश्वास है। लोगों को हमेशा विश्वास को तर्क की कसौटी पर परखना चाहिए। यदि वह समय की आवश्यकता पर खरा उतरे, तभी उसे अपनाना चाहिए।

(ग) परिवर्तन प्रकृति का नियम है। इस परिवर्तनशील संसार में मनुष्य को समयानुसार परिवर्तन करते रहना चाहिए। इस तथ्य को शिरीष की पुरानी फलियो के माध्यम से कैसे प्रकट किया गया है? (2)
उत्तर :
परिवर्तन प्रकृति का नियम है। अत: मनुष्य को समयानुसार परिवर्तन करते रहना चाहिए। जो व्यक्ति समय के साथ चलते हैं, वे नए को स्वीकारते हुए जीवन पथ पर अग्रसर होते रहते हैं। वे समाज में अपनी पहचान बना पाते हैं। वे ही समाज में सम्मान प्राप्त करते हैं। इसके विपरीत जो व्यक्ति एक ही स्थान पर स्थिर रहते हैं, उन्हें दूसरे लोगों द्वारा धक्का दे दिया जाता है। ठीक उसी प्रकार जैसे पुराने शिरीष के फूलों को नए फूल व पत्ते मिलकर धक्का दे देते हैं तथा उस स्थान पर स्वयं उग जाते हैं। अत: व्यक्ति को वृद्धावस्था में आदर-सम्मान प्राप्त करने हेतु नई पीढ़ी के विचारों तथा नए युग के परिवर्तन के अनुसार स्वयं में परिवर्तन कर लेना चाहिए।

पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2

प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्ही 2 प्रश्नों के लगभग 100 शब्दों में उत्तर लिखिए। (5 × 2 = 10)
(क) मुअनजो-दड़ो से प्राप्त जानकारी के आधार पर सिंदु सभ्यता की सामाजिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (5)
उत्तर :
सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से सिंघु सभ्यता के सामाजिक वातावरण को बहुत अनुशासित होने का अनुमान लगाया गया है। वहाँ का अनुशासन ताकत के बल पर नहीं था। नगर योजना, वास्तुशिल्प, मुहर, पानी या साफ़-सफ़ाई जैसी सामाजिक व्यवस्था में एकरूपता से यह अनुशासन प्रकट होता है। सिंधु सभ्यता में सुनियोजित नगर थे, पानी की निकासी व्यवस्था अच्छी थी, सड़के लंबी व चौड़ी थी, कृषि भी की जाती थी, यातायात के साधन के रूप में बैलगाड़ी भी थी। प्रत्येक नगर में मुद्रा, अनाज भंडार, स्नानगृह आदि थे तथा पक्की ईंटों का प्रयोग होता था। सिंधु सभ्यता में प्रदर्शन या दिखावे की प्रवृत्ति नहीं थी। यही विशेषता इसको अलग सांस्कृतिक धरातल पर खड्रा करती है। यह धरातल संसार की दूसरी सभी सभ्यताओं से पृथक् है।

(ख) ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी के आधार पर यशोधर बाबू के मानसिक द्वंद्व की व्यंजक किन्हीं दो घटनाओं का उल्लेख कीजिए। (5)
उत्तर :
‘सिल्वर वैडिंग’ के केंद्रीय पात्र यशोधर पंत रहते तो वर्तमान में हैं, परंतु वे अपने अतीत से बाहर नहीं निकल पाते। वे कहते हैं कि उनकी तो परंपरा ही ऐसी है। वह पत्नी से कहते हैं, “जिस तरह तुमने बुढ़ियाकाल में यह बर्गैर बाँह का ब्लाउज़ पहनना, रसोर्ई से बाहर दाल-भात खा लेना, ऊँची हील वाली सैंडल पहनना और ऐसे ही पचासों काम अपनी बेटी की सलाह पर शुरू कर दिए हैं, मुझे तो वे ‘समहाउ इंप्रॉपर’ ही मालूम होते हैं। एनीवे, मैं तुम्हें ऐसा करने से रोक नहीं रहा। देयरफोर, तुम लोगों को भी मेरे जीने के कंग पर कोई एतराज नहीं होना चाहिए।

चंद्रदत्त तिवारी द्वारा बेटे की प्रशंसा सुनने पर प्रफुल्लित हुए यशोधर बाब्यू की मानसिकता को प्रकट करते हुए लेखक लिखता है कि “यशोधर बाबू ने बेटों की खरीदी हुई प्रत्येक नई चीज़्र के संदर्भ में यही टिप्पणी की है कि ये क्या हुआ, समहाउ मेरी तो समझ में आता नहीं, इसकी क्या ज़रूरत थी। तथापि उन्हें कहीं इस बात से थोड़ी खुशी भी होती है कि इस चीज़ के आ जाने से उन्हें नए दौर के निश्चय ही गलत, मानकों के अनुसार बड़ा आदमी मान लिया जा रहा है” वे चाहते हैं कि उनके बच्चे उनके व्यवहार और रहन-सहन का अनुकरण करें, परंतु उनकी संतानें उन्हें रूढ़िवादी समझती हैं।

वे घर में आधुनिक सुविधाओं की वस्तुएँ देखकर गर्व महसूस करते हैं, परंतु फिर भी उन्हें यह सब ‘समहाड इंप्रोपर’ लगता है। इन्हीं विपरीत परिस्थितियों में सामंजस्य स्थापित करने के प्रयास के कारण यशोधर बायू के मन में अंतद्वद्व चलता रहता है।

CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 4 with Solutions

(ग) आपके अनुसार आनंदा का आत्मविश्वास कक्षा में किस प्रकार बढ़ा होगा? (5)
उत्तर :
आनंदा और वसंत पाटिल कक्षा में अच्छे मित्र बन गए थे। वसंत बहुत ही होशियार लड़का था। आनंदा वसंत की आदतों का ही अनुसरण करता था, जिसके कारण आनंदा भी मेहनती और होशियार बन गया। अध्यापक भी अब आनंदा को कक्षा में शाबाशी देने लगे और बात-बात पर उसकी पीठ भी थपथपाते थे। अध्यापक आनंदा के साथ अपनेपन का व्यवहार करने लगे। धीरे-धीरे लेखक एवं वसंत पाटिल की दोस्ती गहरी हो गई। वे दोनों एक-दूसरे की सहायता से कक्षा में अनेक काम करने लगे। वसंत यदि कक्षा में शाबाशी पाने का कोई काम करता, तो लेखक भी दूसरे दिन कुछ वैसा ही काम करने की कोशिश करता। लेखक की लगन एवं एकाग्रता से प्रभावित होकर अध्यापक उसे उसके नाम से पुकारने लगे। इससे कक्षा में आनंदा का आत्मविश्वास बढ़ने लगा।

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