Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 5 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 5 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में खंड ‘अ’ में वस्तुपरक तथा खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
- खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘अ’
(वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित बोध, अभिव्यक्ति और माध्यम, पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-2 व पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग-2 से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे गए हैं। जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
अपठित बोध –
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 10 = 10)
शिक्षा जीवन के सर्वांगीण विकास हेतु अनिवार्य है। शिक्षा के बिना मनुष्य विवेकशील और शिष्ट नहीं बन सकता। विवेक से मनुष्य में सही और गलत का चयन करने की क्षमता उत्पन्न होती है। विवेक से ही मनुष्य के भीतर उसके चारों ओर घटते घटनाक्रमों के प्रति एक उचित दृष्टिकोण उत्पन्न होता है। शिक्षा ही मानव-को-मानव के प्रति मानवीय भावनाओं से पोषित करती है।
शिक्षा से मनुष्य अपने परिवेश के प्रति जाग्रत होकर कर्त्तव्याभिमुख हो जाता है। ‘स्व’ से ‘पर’ की ओर अग्रसर होने लगता है। निर्बल की सहायता करना, दुखियों के दु:ख दूर करने का प्रयास करना, दूसरों के दु:ख से दु:खी हो जाना और दूसरों के सुख से स्वयं सुख का अनुभव करना जैसी बातें एक शिक्षित मानव में सरलता से देखने को मिल जाती हैं। इतिहास, साहित्य, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, दर्शनशास्त्र इत्यादि पढ़कर विद्यार्थी विद्वान ही नहीं बनता, वरन् उसमें एक विशिष्ट जीवन दृष्टि, रचनात्मकता और परिपक्वता का सृजन भी होता है। शिक्षित सामाजिक परिवेश में व्यक्ति अशिक्षित सामाजिक परिवेश की तुलना में सदैव ही उच्च स्तर पर जीवन-यापन करता है।
आज के आधुनिक युग में शिक्षा का अर्थ बदल रहा है। शिक्षा भौतिक आकांक्षा की पूर्ति का साधन बनती जा रही है। व्यावसायिक शिक्षा के अंधानुकरण मे छात्र सैद्धांतिक शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं, जिसके कारण रूस की क्रांति, फ्रांस की क्रांति, अमेरिकी क्रांति, समाजवाद, पूँजीवाद, राजनीतिक व्यवस्था, सांस्कृतिक मूल्यों आदि की सामान्य जानकारी भी व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को नहीं है। यह शिक्षा का विशुद्ध रोज़गारोन्मुखी रूप है। शिक्षा के प्रति इस प्रकार का संकुचित दृष्टिकोण अपनाकर विवेकशील नागरिकों का निर्माण नहीं किया जा सकता। भारत जैसे विकासशील देश में शिक्षा रोजगार का साधन न होकर साध्य हो गई है। इस कुप्रवृत्ति पर अंकुश लगाना आवश्यक है। जहाँ मानविकी के छात्रों को पत्रकारिता, साहित्य-सृत, विज्ञापन, जनसंपर्क इत्यादि कोर्स भी कराए जाने चाहिए, ताकि उन्हें रोज़गार के लिए भटकना न पड़े, वहीं व्यावसायिक कोर्स करने वाले छात्रों को मानविकी के विषय; जैसे-इतिहास, साहित्य, राजनीतिशास्त्र, दर्शन आदि का थोड़ा-बहुत अध्ययन अवश्य करना चाहिए, ताकि समाज को विवेकशील नागरिक प्राप्त होते रहें, तभी समाज में संतुलन बना रह सकेगा।
(क) एक शिक्षित व्यक्ति में समाज कल्याण हेतु किन बातों का होना आवश्यक है?
(i) निर्बल की सहायता करना
(ii) दूसरों के दु:ख से दु:खी हो जाना
(iii) दुखियों के दु;ख दूर करने का प्रयास करना
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(ख) शिक्षा के द्वारा मनुष्य में कैसी भावना उत्पन्न होती है?
(i) भौतिक उन्नति की
(ii) वसुधैव कुटुंबकम की
(iii) स्वार्थ पूर्ति की
(iv) अनुशासनहीनता की
उत्तर :
(ii) वसुधैव कुटुंबकम की
(ग) ‘शिक्षा भौतिक आकांक्षा की पूर्ति का साथन बनती जा रही है’, पंकित का क्या आशय है?
(i) व्यावसायिक शिक्षा मनुष्य को सभी सुविधाएँ उपलब्य कराती है
(ii) व्यावसायिक शिक्षा वर्तमान में मात्र धन कमाने का साधन बनती जा रही है
(iii) व्यावसायिक शिक्षा मनुष्य के लक्ष्य प्राप्ति का साधन बन रही है
(iv) व्यावसायिक शिक्षा मानवीय मूल्यों का विस्तार करने का साधन है
उत्तर :
(ii) व्यावसायिक शिक्षा वर्तमान में मात्र धन कमाने का साधन बनती जा रही है
(घ) व्यावसायिक शिक्षा के अंधानुकरण का क्या परिणाम सामने आया है?
(i) छात्र सैद्धांतिक शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं
(ii) छात्र का सर्वांगीण विकास तीव्र गति से हो रहा है
(iii) छात्र सामाजिक होते जा रहे है
(iv) छात्र अपना उत्तरदायित्व स्वयं उठा रहे हैं
उत्तर :
(i) छात्र सैद्धांतिक शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं
(ङ) व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को किसकी जानकारी नहीं है?
(i) राजनीतिक व्यवस्था की
(ii) सांस्कृतिक मूल्यों की
(iii) सामान्य इतिहास की
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(च) गद्यांश के अनुसार, विवेकशील नागरिकों का निर्माण करने में किसे बाधक माना गया है?
(i) आधुनिक शिक्षा को
(ii) शिक्षा के प्रति संकुचित दृष्टिकोण को
(iii) समतामूलक समाज को
(iv) शिक्षा के प्रति व्यापक दृष्टिकोण को
उत्तर :
(ii) शिक्षा के प्रति संकुचित दृष्टिकोण को
(छ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. शिक्षा से ही व्यक्ति में जागरूकता आती है तथा अपने इर्द-गिर्द होने वाले घटनाक्रम के प्रति सचेत होकर वह सही निर्णय ले पाता है।
2. व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों में सामाजिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक मूल्यों का भी समावेश होता है।
3. वर्तमान में शिक्षा का स्वरूप केवल रोजगारोन्मुखी रह गया है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 3
(iv) 2 और 3 .
उत्तर :
(iii) 1 और 3
(ज) ‘इस कुम्रवृत्ति पर अंकुश लगाना आवश्यक है।’ इससे लेखक सिद्ध करना चाहता है कि शिक्षा
(i) रोजगार का साधन होनी चाहिए
(ii) मानवीय भावनाओं का पोषण नहीं करती
(iii) भौतिक आकांक्षा की पूर्ति का साधन है
(iv) विवेकशील नागरिकों के निर्माण में सहायक नहीं है
उत्तर :
(i) रोजगार का साथन होनी चाहिए
(झ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए। कथन (A) व्यावसायिक कोर्स करने वाले छात्रों को मानविकी के विषय का अध्ययन भी करना आवश्यक है। कारण (R) मानविकी विषय छात्रों को विवेकशील बनाता है जिससे समाज में संतुलन स्थापित होता है। कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्यख्या करता है
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
उत्तर :
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ञ) गद्यांश में किस कुप्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की बात की गई है?
(i) शिक्षा रोजगार प्राप्ति का साधन न होकर साध्य बनने की
(ii) शिक्षा के सर्वांगीण विकास की
(iii) शिक्षा के रोजगारोन्मुखी न होने की
(iv) शिक्षा के बढ़ते मूल्य को कम करने की
उत्तर :
(i) शिक्षा रोजगार प्राप्ति का साधन न होकर साध्य बनने की
प्रश्न 2.
दिए गए पद्यांश पर आधारित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
निज रक्षा का अधिकार रहे जन-जन को
सबकी सुविधा का भार किंतु शासन को।
मैं आयों का आदर्श बताने आया,
जन-सम्मुख धन का तुच्छ जताने आया।
सुख-शांति हेतु मैं क्रांति मचाने आया,
विश्वासी का विश्वास बचाने आया,
मैं आया उनके हेतु कि जो तापित हैं,
जो विवश, विकल, बल-हीन, दीन शापित हैं।
हो जाएँ अभय वे जिन्हें कि भय भासित हैं,
जो कौणप-कुल से मूक-सदृश शासित हैं।
मैं आया, जिसमें बनी रहे मर्यादा,
बच जाए प्रबल से, मिटै न जीवन सादा।
सुख देने आया, दु:ख झेलने आया।
मैं मनुष्यत्व का नाद्य खेलने आया,
मैं यहाँ एक अवलंब छोड़ने आया,
गढ़ने आया हूँ, नहीं तोड़ने आया।
जगदुपवन के झंखाड़ छाँटने आया।
मैं राज्य भोगने नहीं, भुगाने आया।
हंसों को मुक्ता-मुक्ति चुगाने आया।
भव में नव वैभव व्याप्त कराने आया।
नर को ईश्वरता प्राप्त कराने आया।
संदेश यहाँ मैं नहीं स्वर्ग का लाया,
इस भूतल को ही स्वर्ग बनाने आया।
अथवा आकर्षण पुण्यभूमि का ऐसा,
अवतरित हुआ मैं, आप उच्च फल जैसा।
(क) प्रस्तुत पद्यांश के अनुसार शासक का क्या कार्य होता है?
(i) प्रजा के लिए धन की व्यवस्था करना
(ii) प्रजा के लिए सभी प्रकार के सुख-साधनों का प्रबंध करना
(iii) प्रजा के लिए मनोरंजन की व्यवस्था करना
(iv) प्रजा के लिए धरती को स्वर्ग बनाना
उत्तर :
(ii) प्रजा के लिए सभी प्रकार के सुख-साधनों का प्रबंच करना
(ख) राम इस धरती पर किनके लिए आए हैं?
(i) बलहीन लोगों के लिए
(ii) दीन-हीन लोगों के लिए
(iii) विवश लोगों के लिए
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(ग) मनुष्यत्व का नाटक किस प्रकार खेला गया?
(i) स्वयं दुःख झेलकर अन्य सभी को सुख देकर
(ii) दूसरों को बेसहारा छोड़कर
(iii) हंसों को मोती देकर
(iv) स्वयं को सुख तथा अन्य सभी को दु:ख देकर
उत्तर :
(i) स्वयं दुःख झेलकर अन्य सभी को सुख देकर
(घ) निम्नलिखित कथनों पर विधार कीजिए
1. राम इस धरती पर भयाक्रांत लोगों को अभय दान करने आए थे।
2. राम इस धरती को स्वर्ग समान बनाने आए थे।
3. राम इस धरती पर स्वर्ग का संदेश लेकर आए थे। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/है?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 2 और 3
उत्तर :
(iii) 1 और 2
(ङ) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए (1)
कॉलम- 1 | कॉलम- 2 |
A. धरती को बनाने की | 1. रक्षा करने हेतु |
B. बलहीन, दीन और शापित की | 2. शासन |
C. देशवासियों की सुख-सुविधा का भार | 3. स्वर्ग |
A B C
(i) 2 3 1
(iii) 2 1 3
(ii) 1 2 3
(iv) 3 1 2
उत्तर :
(iv) 312
अभिव्यक्ति और माध्यम –
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
(क) भारत में पत्रकारिता की शुरुआत कब हुई? (1)
(i) 1853 ई. में
(ii) 1780 ई. में
(iii) 1767 ई. में
(iv) 1857 ई. में
उत्तर :
(ii) 1780 ई. में
(ख) इंटरनेट पत्रकारिता का अन्य प्रचलित नाम क्या है?
(i) ऑनलाइन पत्रकारिता
(ii) वेब पत्रकारिता
(iii) साइबर पत्रकारिता
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(ग) जब किसी समाचार या घटना का सीधे घटना स्थल से ही प्रसारण किया जाता है, उसे क्या कहते हैं? (1)
(i) लाइव समाचार
(ii) विलोम स्तूपी समाचार
(iii) ऊर्ध्वस्तूपी समाचार
(iv) स्थानीय समाचार
उत्तर :
(i) लाइव समाचार
(घ) सूची I को सूची II से सुमेलित कीजिए (1)
सूची I | सूची II |
A. विदेशों से प्राप्त होने वाले समाचार | 1. प्रादेशिक समाचार |
B. स्वयं के देश के समाचार | 2. स्थानीय समाचार |
C. प्रदेशों से प्राप्त होने वाले समाचार | 3. अंतर्राष्ट्रीय समाचार |
D. समाचार-पत्र के प्रकाशन स्थान के आस-पास के क्षेत्र के समाचार | 4. राष्ट्रीय समाचार |
कृट
A B C D
(i) 4 3 2 1
(ii) l2 1 4 3
(iii) 1 4 2 3
(iv) l3 4 1 2
उत्तर :
(iv) 3 4 1 2
(ङ) निम्नलिखित में से कौन-सा फ़ीचर लेखन का तत्व है?
(i) परिवेश
(ii) छंद
(iii) कल्पना
(iv) बिंब
उत्तर :
(iii) कल्पना
पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग 2 –
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए।
फिर हम परदे पर दिखलाएँगे
फूली हुई आँख की एक बड़ी तस्वीर
बहुत बड़ी तस्वीर और उसके होठों पर एक कसमसाहट भी (आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे)
एक और कोशिश दर्शक
धीरज रखिए
देखिए
हमें दोनों एक संग रूलाने हैं
आप और वह दोनों
(कैमरा बस करो नहीं हुआ रहने दो परदे पर वक्त की कीमत है)
अब मुस्कुराएँगे हम
(क) कार्यक्रम का प्रस्तुतकर्ता परदे पर क्या दिखाने की बात करता है?
(i) फूली हुई बड़ी आँख
(ii) अपाहिज व्यक्ति के होंठों की पीड़ा
(iii) अपाहिज व्यक्ति का दु:ख-दर्द
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(ख) प्रस्तुतकर्ता की दृष्टि में कार्यक्रम सफल कब माना जाएगा?
(i) जब अपाहिज व्यक्ति का दु:ख व्यक्त होगा
(ii) जब दर्शक उससे तादात्म्य कर लेगा
(iii) जब अपाहिज व्यक्ति और दर्शक की मन:स्थिति एक जैसी हो जाएगी
(iv) जब प्रस्तुतकर्ता स्वयं अपाहिज के दर्द को समझेगा
उत्तर :
(iii) जब अपाहिज व्यक्ति और दर्शक की मनःस्थिति एक जैसी हो जाएगी
(ग) अपाहिज की स्थिति का चित्रण करने वाले कार्यक्रम निर्माता का उद्देश्य क्या होता है?
(i) पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाना
(ii) दु:खी व पीड़ित व्यक्ति की व्यथा का वर्णन करना
(iii) कार्यक्रम की व्यावसायिक सफलता और लोकत्रियता
(iv) संवेदनहीन समाज का चित्रण करना
उत्तर :
(iii) कार्यक्रम की व्यावसायिक सफलता और लोकप्रियता
(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए। कथन (A) दूरदर्शन वाले अपाहिज की सूजी हुई आँखें बहुत बड़ी करके दिखाता है। कारण (R) आँखों में हुए मोतियाबिंद को सबकों दिखा सके।
(i) कथन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की व्याख्या नहीं करता है
(iv) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
उत्तर :
(i) कथन (A) सही है, परतु कारण (R) गलत है।
(ङ) ‘हमें दोनों एक संग रुलाने हैं’ पंकित में ‘दोनों शब्द किनके लिए आया है?
(i) कवि और अपाहिज व्यक्ति के लिए
(ii) अपाहिज ख्यक्ति और दर्शक के लिए
(iii) दर्शक और कवि के लिए
(iv) प्रस्तुतकर्ता और अपाहिज व्यक्ति के लिए
उत्तर :
(ii) अपाहिज व्यक्ति और दर्शक के लिए
प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
शांत दर्शकों की भीड़ में खलबली मच गई-‘पागल है पागल, मरा-ऐ! मरा-मरा।’… पर वाह रे बहादुर! लुट्टन बड़ी सफाई से आक्रमण को सँभालकर निकलकर उठ खड़ा हुआ और पैंतरा दिखाने लगा। राजा साहब ने कुश्ती बंद करवाकर लुट्टन को अपने पास बुलवाया और समझाया। अंत में, उसकी हिम्मत की प्रशंसा करते हुए, दस रुपये का नोट देकर कहने लगे-“जाओ, मेला देखकर घर जाओ।…”
(क) शांत भीड़ में खलबली क्यों मच गई?
(i) चाँद सिंह द्वारा लुट्टन सिंह को झपटकर दबोच लेने के कारण
(ii) राजा द्वारा कुश्ती न करने का आदेश देने के कारण
(iii) भीड़ में उपद्रवियों के घुस आने के कारण
(iv) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(i) चाँद सिंह द्वारा लुट्टन सिंह को झपटकर दबोच लेने के कारण
(ख) ‘पर वाह रे बहादुर।’ पंक्ति में बहादुर शब्द किस व्यक्ति के लिए प्रयुक्त हुआ है?
(i) लुट्टन सिंह पहलवान
(ii) चाँद सिंह पहलवान
(iii) राजा साहब
(iv) मैनेजर साहब
उत्तर :
(i) लुट्टन सिंह पहलवान
(ग) राजा साहब ने लुट्टन सिंह की प्रशंसा क्यों की?
(i) क्योंकि उसने चाँद सिंह को कुश्ती की चुनौती दी थी
(ii) क्योकि उसने गाँव के लोगों की सहायता की
(iii) क्योंकि उसने अपने परिवार को सँभाला था
(iv) क्योकि उसने कुश्ती के लिए संघर्ष किया था
उत्तर :
(i) क्योंकि उसने चाँद सिंह को कुश्ती की चुनौती दी थी
(घ) दी गई सूची-I का सूची-II से सुमेलन कीजिए
सूची-I | सूची-II |
A. लुट्टन | 1. गाँव का पहलवान |
B. पैंतरा दिखाना | 2. चाँद सिंह |
C. शेर का बच्चा | 3. मुद्रा दिखाना |
A B C
(i) 3 1 2
(ii) 1 3 2
(iii) 1 2 3
(iv) 2 1 3
उत्तर :
(ii) 1 3 2
(ङ) राजा द्वारा लुट्टन सिह को दस रुपये का नोट देकर मेला देखकर घर जाने को कहने के पीछे क्या कारण था?
(i) कुश्ती लड़ने के लिए तैयार करना
(ii) कुश्ती लडने से मना करना
(iii) कुश्ती की प्रतियोगिता हार जाना
(iv) कुश्ती की प्रतियोगिता जीत जाना
उत्तर :
(ii) कुश्ती लड़ने से मना करना
पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग 2 –
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 10 = 10)
(क) यशोधर बाबू ने जब बेटे का उपहार में दिया हुआ ‘ऊनी गाउन’ पहना, तो उन्हें कैसा लगा?
(i) जैसे उनके अंगों में किशनदा उतर आए हों
(ii) जैसे वे आधुनिक हो गए हों
(iii) जैसे वे नए विचारों के प्रति सहज हो गए हों
(iv) जैसे उन्हें कुछ काटने को दौड़ रहा हो
उत्तर :
(i) जैसे उनके अंगों में किशनदा उतर आए हों
(ख) ‘सित्वर वैडिंग’ कहानी में ‘जो हुआ’ वाक्य से क्या अभिव्यक्त हो सकता है?
(i) पता नहीं, क्या हुआ होगा
(ii) किशनदा की निराशा
(iii) किशनदा के प्रति लोगों का ध्यान न जाना
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(ग) सिल्वर वैडिंग कहानी के मुख्य पात्र द्वारा परंपरागत सिद्धांतों को अपनाकर उनके निजी जीवन पर क्या प्रभाव पडा?
(i) उनका निजी जीवन अत्यंत सहज हो गया था
(ii) उनका अपने परिवार के बीच तालमेल नहीं बैठता था
(iii) उनकी अपने परिवार में अच्छी खासी साख थी
(iv) उनका व्यक्तित्व अन्यंत संकुचित हो गया था
उत्तर :
(ii) उनका अपने परिवार के बीच तालमेल नहीं बैठता था
(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) यशोधर बाबू अपने परिवार के सदस्यों के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते थे। कारण (R) यशोधर बाबू की सोच में नए विचार निरर्थक हैं।
कूट
(i) कथन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ङ) ‘जूझ’ कहानी के अनुसार आनंदा का किसके कारण पढाई में मन लगाने लगा?
(i) नई कक्षा में प्रवेश पाने के कारण
(ii) वसंत पाटिल के संपर्क में आने के कारण
(iii) चह्राण द्वारा मजाक उड़ाए जाने के कारण
(iv) कक्षा में उत्तीर्ण होने के कारण
उत्तर :
(ii) वसंत पाटिल के संपर्क में आने के कारण
(च) ‘जूझ’ कहानी में आनंदा और उसकी माँ द्वारा झूठ का सहारा न लिए जाने की स्थिति में क्या होता?
(i) आनंदा के जीवन में अकेलापन ठहर जाता
(ii) वह कभी कविताएँ लिखना नहीं सीख पाता
(iii) वह रिक्षित होने से वंचित रह जाता
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(छ) ‘अतीत के दबे पाँव’ में लेखक ने किसका वर्णन किया है?
(i) इतिहास के अनछुए पक्षों का
(ii) पौराणिक स्मृतियों के अध्ययन का
(iii) इतिहासकारों की सोच व विचार शक्ति का
(iv) सिंधु घाटी की सभ्यता का
उत्तर :
(iv) सिंघु घाटी की सभ्यता का
(ज) मुअनजो-दड़ो में स्थित अजायबधर को किसके समान बताया गया है?
(i) कस्बाई स्कूल की इमारत के समान
(ii) मुर्दों के टीले के समान
(iii) संपन्न बस्ती के समान
(iv) नियोजित व्यवस्था के समान
उत्तर :
(i) कस्बाई स्कूल की इमारत के समान
(झ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. आनंदा को पाठशाला में पुन: पाँचवीं कक्षा में बैठना पड़ा।
2. वसंत पाटिल से मित्रता के कारण आनंदा की पढ़ाई में रुचि हो गई।
3. आनंदा को सौंदलगेकर की कविताओं में रुचि नही थी।
4. कविता के माध्यम से आनंदा व सौंदलगेकर में निकटता बढ़ी। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1, 2 और 3
(iv) 1, 2 और 4
उत्तर :
(iv) 1, 2 और 4
(ञ) मुअनजो-दड़ो की नगर-नियोजन व्यवस्था के संबंध में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(i) मुअनजो-दड़ो की सड़ें संकरी थीं
(ii) मुअनजो-दड़ो में जल निकासी का प्रबंध अति उन्नत था
(iii) घरों की बनावट व सार्वजनिक स्थानों की योजना तार्किक एवं सुव्यवस्थित थी
(iv) मुअनजो-दड़ो मानव निर्मित छोटे-मोटे टीलों पर बसा हुआ था
उत्तर :
(i) मुअनजो-दड़ो की सड़के सैकरी थीं
खंड ‘ब’
(वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में जनसंचार और सृजनात्मक लेखन, पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-2 व पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग-2 से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन –
प्रश्न 7.
निम्नलिखित दिए गए 3 विषयों में से किसी 1 विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6 × 1 = 6)
(क) भारतीय संस्कृति में अतिथि का स्थान
उत्तर :
भारतीय संस्कृति अपने उच्य एवं उदात्त मूल्यों के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है। ‘अतिथि देवो भवः’ अर्थात् अतिथि को देवता के समान मानना भारतीय संस्कृति का एक ऐसा ही मूल्य है, जो इसकी महानता को प्रदर्शित करता है। हमारे यहाँ प्राचीनकाल से ही अतिथि को आदरणीय मानते हुए उसे देवता तुल्य समझा गया है। भारतीय संस्कृति में सेवा करने को बहुत महत्व दिया गया है। अतिथि को देवता मानना इसी सेवा-भाव का विस्तारित रूप है।
अतिथि-सत्कार का मनुष्य पर प्रभाव दूसरों की सेवा करने का अवसर बड़े सौभाग्य से मिलता है। अतिथि का उचित आदर-सत्कार करने से अतिथि प्रसन्नता एवं अपनेपन का अनुभव करता है तथा हमारे मन में संतुष्टि का भाव आता है। अतिथि को सम्मान देने वाले व्यक्ति के यश में वृद्धि होती है, उसके घर में सुख्समृद्धि का वास रहता है और वह सज्जनों के आशीर्वाद का पात्र बनता है, इसलिए भारतीय संस्कृति में अतिथि को देयता मानकर उसकी सेवा करने की सीख दी गई है।
वर्तमान परिस्थितियों में बदलती मान्यता वर्तमान समय में ‘अतिथि देवो भव:” का आदर्श धीरे-धीरे परिवर्तित हो रह्त है। आजकल प्रायः सभी व्यक्तियों की जीवन-शैली बहुत व्यस्त हो गई है। ऐसे में लोगों के पास दूसरों के लिए तो क्या स्वर्य के लिए मी समय नहीं है। अतः आज लोगों के पास अतिथि के सेवा-सक्कार के लिए पर्याप्त समय ही नहीं है, लेकिन फिर मी लोग अपने अतिथियों का ध्यान रखने की कोशिश करते हैं।
आज के समय में अतिथि बनने वाले व्यक्ति को अपने संबंधी की ब्यावहारिक कठिनाइयों को समझना चाहिए। उसे छोटी-मोटी ग़तियों या भूलों को नजरअंदाज करते हुए अपना मंतथ्य पूरा हो जाने के बाद आतिथ्य करने वाले परिवार या व्यक्ति का धन्यवाद करते हुए समय पर विदा लेनी चाहिए, तभी अतिथि का मान बना रहता है।
(ख) जीवन में कुसंगति के दुष्परिणाम
उत्तर :
कुसंगति का अर्थ है-कुबुद्धि (बुरी संगत), दुर्भाव, कुरुचि आदि। कुसगति में फैसे व्यक्तियों का विकास सर्वथा अवरुद्ध हो जाता है। बचपन में बालक अबोध होता है। उसे अचेे-दुरे की पहचान नहीं होती, यदि वह अच्छी संगति में रहता है, तो उसमें अच्छे संस्कार आते हैं और यदि उसकी संगति बुरी है, तो उसकी आदर्ते भी बुरी हो जाती हैं।
कुस्संगति के द्वारा व्यक्ति हीन-भावना से ग्रस्त होकर अपने मार्ग से विचलित हो जाता है। जिस व्यक्ति में कुब्बुद्धि, दुर्भाव आदि भावनाएँ व्याप्त होती है, उसे स्वयं ही धन, वैभव, यश आदि से हाथ थोना पड़ता है। सत्संगति में रहकर व्यक्ति योग्य और कुसंगति में पड़कर व्यक्ति अयोग्य बनकर समाज और परिवार दोनों में निरादर प्राप्त करता है। कुसंगति इंसान के जीवन में दुःखों का भंखार लाती है।
कुस्सति का मानव जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। कुसंगति से सदा हानि होती है। कुसंगति काजल की कोठरी के समान है, जिससे बेदाग निकलना असंभव है। जीजाबाई की संगति में शिवाजी ‘छत्रपति शिवाजी’ बने, दस्यु रत्नाकर सुसंगति के प्रभाव से महात्रकि वाल्मीकि बने, जिन्होंने रामायण नामक अमर काव्य लिखा। वहीं दूसरी ओर कुसंगति में पड़कर भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य, कर्ण, दुर्योधन आदि पतन के गर्त में चले गए। ये सभी अपने आपमें विद्धान और वीर थे, लेकिन कुसंगति का प्रभाव इन्हे विनाश की ओर खींच लाया।
विद्यार्थी जीवन में सत्संगति का विशेष महत्व है। वह जैसी संगति में रहते हैं, स्वयं वैसे ही बन जाते हैं। कुसंगति व्यक्ति को अंदर से कलुषित कर उसका सर्वनाश कर देती है। इसलिए कहा गया है कि ” दुर्जन यदि विद्वान भी हो, तो उसका संग त्याग देना चाहिए।” हम जैसी संगति में रहते हैं, वैसा ही हमारा आघरण बन जाता है। तुलसीदास का कथन है
‘बिनु सत्संग विवेक न होई।’
अत: मनुष्य का प्रयास यही होना धाहिए कि वह कुसंगति से बचे और सुसंगति में रहे, तभी उसका कल्याण निश्चित है।
(ग) आजादी के 75 वर्षो बाद भारत की स्थिति
उत्तर :
भारतवर्ष को प्रारीनकाल में आर्यवर्त, जंबूदीप, हिंदुस्तान तथा सोने की चिड़िया आदि अनेक नामों से जाना जाता था। हिंदुस्तान विश्व में अपनी संस्कृति एवं सभ्यता के नाम से जाना जाता है। आज भी भारत का नाम लेते ही शांति प्रिय देश की छवि सामने आ जाती है। अपनी विशेषताओं के कारण ही भारतवर्ष विश्व पटल पर अमिट छाप बनाए हुए है।
स्वरंत्रता से पूर्व भारत द्रिटिश सरकार के आधिपत्य में था। गुलामी से पूर्व भारत गणराज्यों में बँटा हुआ था। उस समय यह सोने की चिड़िया कहलाता था। अंग्रेजों ने कूटनीति द्वारा व्यापार के द्वारा भारत की संपदा का दोहन किया और इसे पूर्ण रूप से अपने आधिपत्य में ले लिया। कठिन संघर्षों तथा बलिदानों के खून से सींची गई 75 वर्ष पहले मिली आजादी, प्रत्येक भारतीय को स्वतंत्रता का रोमांचित अनुभव कराती है।
आज आजादी के 75 वर्ष बाद भारत विश्व आर्थिक जगत की एक महत्तपूर्ण शक्ति बन चुका है। इतना ही नहीं, आज का भारत परमाणु शक्ति के साथ-साथ जन शक्ति का भी विशाल सागर बन चुका है। गुलामी की बेड़ियों में अनेक वर्षो तक जकड़े होने के बावजूद भी भारतवर्ष ने विश्वास के साथ उत्तरोत्तर वृद्धि करते हुए विकसित देशों से टक्कर लेते हुए आज विश्व पटल पर अपना तिरंगा लहरा दिया है। विश्व के चीन, जापान, अमेरिका, रूस, फ्रांस, द्रिटेन, कनाड़, स्विट्जरलेंड, साउ्थ अफ्रीका आदि शक्तिशाली देश सभी क्षेत्रों में भारत के साथ व्यापारिक, आर्थिक, सामाजिक, नैतिक आदि सभी प्रकार के संबंध बनाने में लगे हुए हैं।
भारत आज विश्व की छठी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थान बना चुका है। आज भारत सरकार मेक इन इडिया, स्मार्ट इंडिया, सर्वशिक्षा अभियान, स्वच्छता अभियान, नारी सशक्तीकरण, सुकन्या समृद्धि योजना, वृद्धावस्था पेशन योजना, स्वरोजगार योजना जैसी असंख्य योजनाओं के क्रियान्वयन के द्वारा भारत के सभी नागरिकों को उनके अधिकार दिलाने तथा उनके जीवन को खुशहाल बनाने में लगी हुई है। आज भारत लगभग सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर चुका है। आजादी के 75 वर्षो में भारत ने संसार के लगभग सभी देशों से अपने पारस्परिक संबंधों को मजबूती प्रदान की है।
भारत के प्रगतिशील कद्मों की चुनौतियों को मानते हुए अंतर्राष्ट्रीय मंचों एवं वार्ताओं में भारत की बातों को पूरी गंभीरता के साथ सुना और समझा जाता है तथा भारत की सराहना की जाती है। वह विश्व शांति का अग्रदूत है और हमेशा बना रहेगा तथा निरंतर प्रगति करते हुए एक दिन विश्व सभ्यता की प्रथम और विशालतम अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर लगभग 40 शब्दों में निर्देशानुसार उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) नाटक लेखन का प्रथम अंग किसे माना गया है एवं कहानी का नाट्य रूपांतरण करने से पहले क्या-क्या शर्त अनिवार्य हैं? अथवा
चरमोत्कर्ष से क्या अभिप्राय है? कहानी में चरमोत्कर्ष का चित्रण अत्यंत सावधानीपूर्वक क्यों करना चाहिए?
उत्तर :
नाटक का प्रथम अंग समय का बंधन माना गया है। समय का यह बंघन नाटक की रचना पर अपना पूरा प्रभाव डालता है, इसलिए शुरुआत से लेकर अंत तक एक निश्चित समय-सीमा के भीतर ही नाटक पूरा होना होता है। नाटक का विषय भूतकाल हो या भविष्यकाल इन दोनों ही स्थितियों में वर्तमानकाल में संयोजित होता है। यही कारण है कि नाटक के मंच निर्देश हमेशा वर्तमानकाल में लिखे जाते है। चाहे काल कोई भी हो उसे एक समय में, एक स्थान विशेष पर वर्तमानकाल में ही घटित होना होता है। कहानी का नाट्य रूपांतरण करने से पहले यह जानकारी होनी आवश्यक है कि वर्तमान रंगमंच में क्या संभावनाएँ हैं और यह तभी सभव है, जब अच्छे नाटक देखे जाएँ। इसके अतिरिक्त कहानी को नाटक में रूपांतरित करने के लिए कहानी की विषय-वस्तु तथा कथावस्तु को समय और स्थान के आधार पर दृश्यों में विभाजित ; किया जाता है। तात्पर्य यह है कि यदि कोई घटना एक स्थान और एक समय में ही घट रही है, तो वह एक दृश्य होगा।
अथवा
जब कहानी पढ़ते-पढ़ते पाठक कौतूहल (जिज्ञासा) की पराकाष्ठा पर पहुँच जाए, तब उसे कहानी का चरमोत्कर्ब या चरम स्थिति कहते हैं। कथानक के अनुसार कहानी चरमोत्कर्ष (क्लाइमेक्स) की ओर बढ़ती है। कहानी का चरम उत्कर्ष पाठक को स्वयं सोचने और लेखकीय पक्षधर की ओर आने के लिए प्रेरित करने वाला होना चाहिए। पाठक को यह भी लगना चाहिए कि उसे स्वतंत्रता दी गई है और उसने जो निष्कर्ष निकाले हैं, वह उसके अपने हैं। कहानीकार को कहानी के चरमोत्वर्ब का चित्रण अत्यंत सावधानीपूर्वक करना चाहिए, क्योंकि भावों या पात्रों के अतिरिक्त अभिव्यक्ति ही चरम उत्कर्ष के प्रभाव को कम कर सकती है।
(ख) विशेष लेखन क्या है? विशेष लेखन में डेस्क पर काम करने वाले उपसंपादकों व संवाददाताओं से क्या अपेक्षा की जाती है?
अथवा
समाचार मुख्य रूप से कितने प्रकार के होते हैं? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
किसी भी क्षेत्र में जब सामान्य लेखन से हटकर विशेष लेखन किया जाता है, तो उसे विशेष लेखन कहते हैं। अखबार या पत्र-पत्रिका में खेल, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण आदि विषयों पर विशेष प्रकार का लेखन प्रकाशित होता है। पत्र-पत्रिकाओं व समाचार-पत्रों के अतिरिक्त टी. वी. और रेडियो चैनलों में विशेष लेखन के लिए अलग डेरक होता है। उस विशेष डेस्क पर काम करने वाले पत्रकारों का समूह भी अलग होता है। इन डेस्कों पर काम करने वाले उपसंपादकों और संवाददाताओं से अपेक्षा की जाती है कि संबंधित विषय या क्षेत्र में उसकी विशेषझता होगी। डेस्कों पर काम करने वाले संवाददाताओं के बीच काम का विभाजन सामान्यतया उनकी रुचि तथा संबंधित विषय के ज्ञान को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।
अथवा
समाचार के प्रकार
मुख्य रूप से समाचार चार प्रकार के होते हैं
1. राष्ट्रीय 2. अंतर्राष्ट्रीय 3. प्रादेशिक 4. स्थानीय
विदेशों से प्राप्त होने वाले समाधार ‘अंतर्राष्ट्रीय समाचार’ कहलाते हैं, जबकि ‘राष्ट्रीय’ समाचारों का संबंध अपने देश के समाचारों से है। देश के विभिन्न प्रदेशों से प्राप्त होने वाले समाचारों को ‘प्रादेशिक समाचार’ की श्रेणी में रखा जाता है। स्थानीय समाचारों से समाचार-पत्रों की गतिशीलता बढ़ती है। स्थानीय समाचार समाचार-पत्र के प्रकाशन स्थान या उसके आस-पास के क्षेत्र से संबंधित ख़बरों के समूह होते हैं।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘बाघों की घटती संख्या’ विषय पर आलेख लिखिए।
उत्तर :
बाघ हमारे देश की राष्ट्रीय संपत्ति है तथा भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया है। 20 वी शताब्दी के आरंभ में भारत में हजारों की संख्या में बाघ मौजूद थे, जोकि वर्तमान में लगातार कम होते जा रहे हैं। आयों की गिरती संख्या को रोकने तथा पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने एवं बाचों की जनसंख्या में वृद्धि करने के उद्देश्य से 1 अँ्रैल, 1973 को भारत में बाघ परियोजना का शुभारंभ किया गया। वैश्विक रूप से बाचों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ के अनुसार, हमने एक शताब्दी में बाध संरक्षित क्षेत्र में दाघों की लगभग 97% संख्या गँवा दी है। बाघ को संकटापन्न एवं विलुप्त जीव की श्रेणी में रखा गया है। वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ के अनुसार, विश्व में लगभग 3900 बाघ ही बचे हैं। भारत में विश्व के सर्वाधिक बार्घो (2968) का निवास है।
वर्ल्ड वाइल्ड फंड के अनुसार, बाधों की संख्या घटने का मुख्य कारण मानवीय हस्तक्षेप है, न कि प्राकृतिक क्रियाकलाप। इस धरती पर सर्वाधिक विवेकशील प्राणी होने के कारण मनुष्य का नैतिक दायित्व समाज तथा पर्यावरण के प्रति बढ़ जाता है। पर्यावरणीय अस्थिरता को रोकने के लिए बाघों का उचित संरक्षण आवश्यक है। यद्धपि वैश्विक रूप से बाधों के संरक्षण हेतु प्रयास किए जा रहे है, जिनकी झलक हमें पीट्सबर्ग में आयोजित विश्व बाच सम्मेलन में मिली थी, तथापि इसके लिए वैश्विक रूप से एक समन्वित कार्यरूप और प्रोत्साहन की आवश्यकता है।
(ख) समाचार लेखन हेतु आवश्यक तथ्यों का अपने शब्दों में उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
समाचार लेखन हेतु निम्न आवश्यक तथ्यों का ध्यान रखा जाना अनिवार्य है
- समाचार लिखने से पूर्व उसकी पृष्ठभूमि का ज्ञान होना आवश्यक है।
- समाधार प्राप्त होने के बाद उससे संबंधित अनेक पक्षों एवं तथ्यों को समाहित कर समश्रता के साथ लिखना अपेक्षित है।
- समाचार अनुछ्छेदों में विभाजित होना चाहिए।
- अनुच्छेद न तो अघिक बड़े तथा न ही अति संक्षिप्त या लघु होने चाहिए।
- एक अनुच्छेद में यथासंभव एक ही आयाम या पक्ष होना चाहिए।
- समाचार में शब्दों की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।
- समाचार की भाषा में समासिकता का गुण विद्यमान होना चाहिए।
- समाधार लेखन में शब्दों का निरर्थक प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(ग) पत्रकारीय लेखन से आप क्या समझते हैं? पत्रकार कितने प्रकार के होते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
समाचार-पत्रों व समाचार के अन्य माध्यमों के पत्रकार अपने पाठकों, श्रोताओं तथा दर्शकों तक तथ्यों तथा सूचनाओं को पहुँचाने के लिए लेखन के विभिन्न रूपों का प्रयोग करते हैं। इसे ही पत्रकारीय लेखन कहा जाता है। पत्रकार के निम्न तीन प्रकार हैं
(i) पूर्णकालिक पत्रकार यह किसी समाचार संस्था में कार्य करने वाला नियमित वेतनभोगी कर्मचारी होता है।
(ii) अंशकालिक पत्रकार इसे स्ट्रिंगर भी कहा जाता है। यह पत्रकार किसी समाचार संगठन के लिए एक निश्चित मानदेय पर कार्य करने वाला कर्मचारी होता है।
(iii) फ्रीलांसर अर्थात् स्वतंत्र पत्रकार ऐसे पत्रकार का संबंध किसी विशेष समाचार संस्था या संगठन से नहीं होता, बल्कि यह अलग-अलग अखबारों के लिए भुगतान के आधार पर लिखता है।
पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग 2 –
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए।
(क) रक्षाबंधन की तैयारी का वर्णन कवि (शायर) ने किस प्रकार किया है? ‘रुबाइयाँ’ पाठ के आधार पर उत्तर लिखिए।
उत्तर :
रक्षार्बधन की तैयारी का वर्णन करते हुए शायर ने बताया है कि रक्षाबंधन के दिन सुबह-सुबह जब आकाश पर काले बादल छाए होते हैं, तो एक नन्ही-सी बच्ची अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधने को तैयार होती है। वह नन्ही-सी बच्ची बड़े उत्साह में है। वह उमंग के साथ हाथ में राखी लेकर खड़ी है। राखी के लच्छे में बिजली-सी चमक है, वैसी ही चमक व चपलता बच्ची में अपने भाई को राखी बाँधने के लिए है। ‘शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह मानता है।
(ख) कवि ने कविता की उड़ान और खिलने को चिडिया और फूलों से किस तरह भिन्न बताया है?
उत्तर :
कवि का मानना है कि कविता की उड़ान सीमाहीन एवं अनंत होती है, क्योंकि कविता में कवि का मन भावों एवं असीम कल्पनाओं के पंख लगाकर उड़ता है, जबकि चिड्रिया के पंखों की एक निश्चित एवं सीमित सामर्थ्य होती है। इसके अतिरिक्त चिड़िया सभी स्थानों तक उड़कर नहीं पहुँच सकती, जबकि कविता की उड़ान में यह संभव है। इस प्रकार, सीमा एवं सामर्थ्य संबंधी अंतर चिड़िया और कविता की उड़ान का मुख्य अंतर है।
कवि कहता है कि कविता एवं फूल दोनों खिलते है, लेकिन फूल एक बार खिलकर मुरझा जाते है, नष्ट हो जाते हैं, जबकि दूसरी ओर कविता एक बार खिलने अर्थात् शब्दों के रूप में अभिव्यक्ति प्राप्त कर लेने के बाद निरंतर नया अर्थग्रहण करके विकसित होती रहती है।
(ग) तुलसीदास के सवैये के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि उन्हें भी जातीय भेदभाव का दबाव झेलना पड़ा था।
उत्तर :
दुलसीदास जी ने अपने सवैये में कहा है कि
“धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूतु कहाँ, जोलहा कहाँ कोका काहू की बेटी सों बेटा न ब्याहब, काहू की जाति बिगार न सोऊ।”
वस्तुतः तुलसीदास जी सामाजिक यथार्थ एवं जातिगत ताने-बाने से अच्छी तरह परिचित थे। उन्होंने इस जाति व्यवस्था को लगभग पूरी तरह नकार दिया। उन्हें कोई शाजपूत कहे या जुलाहा, इससे उन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता। जातिप्रथा का सबसे मजबूत रूप विवाह के रूप में दिखता है, जहाँ अपनी जाति से बाहर निकलना एक तरह से सामाजिक ‘निषेध’ माना जाता है।
तुलसीदास जी जातीय भेदभाव को नकारने के बावजूद उसका दबाव महसूस करते हैं। यही कारण है कि वे कहते हैं कि किसी की बेटी के साथ अपने बेटे का विवाह करके किसी की जाति को बिगाड़ना नहीं चाहते हैं। जो जिस रूप में है, बह उसी रूप में खुश रहे, संतुष्ट रहे, लेकिन वे स्वर्य के लिए शोषक जाति ब्यवस्था से बाहर होने की घोषणा करते हैं।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ कविता के आधार पर बताइए कि ममता की शक्तिककिस प्रकार उजागर हुई है?
उत्तर :
कवि ने पद्यांश में स्पष्ट दर्शाया है कि माँ की ममता में अद्भुत शक्ति होती है। चिड़िया जब बच्चों के लिए भोजन लेने दूर निकल जाती है, तो वापसी में उसके पंख जल्दी-जल्दी चलते हैं, बच्चों के प्रति मगता के कारण उसकी उड़ान की गति और उसके मन की व्यग्रता बढ़ जाती है।
(ख) ‘छोटा मेरा खेत’ कविता में कवि ने कवि-कर्म और कृष्क-कार्य को समान बताया है। कैसे?
उत्तर :
‘छोटा मेरा खेत’ कविता में कवि ने कवि के कार्य और कृषक के कार्य में समानता बताई है। जिस प्रकार एक किसान खेत में बीज बोता है, वह बीज अंकुरित होकर पौधा बनता है तथा परिपक्व होने पर सभी का पेट भरता है, उसी प्रकार कागज रूपी खेत पर कवि भावनात्मक कल्पना से बीजारोपण करता है। कल्पना का आश्रय पाकर यही भाव विकसित होकर रचना का रूप धारण कर लेता है।
(ग) ‘हम पूछ्छ-पूछकर उसको रुला देंगे’ में कौन-सा भाव निहित है? ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के संदर्भ में लिखिए।
उत्तर :
‘हम पूछ-पूछकर उसको रुला देंगे’ में क्रूरता का भाव निहित है। इसमें दूरदर्शन पत्रकार के दुस्साहसिक नकारात्मक आत्मविश्वास का भाव भी अभिव्यक्त होता है, मानो उसे पूरा विश्वास है कि वह ऐसे एवं इस डंग से सवाल पूछेगा कि अपाहिज व्यक्ति के पास रोने के अतिरिक्त और कोई रास्ता न होगा। इस प्रकार, उसके सामाजिक कार्यक्रम के माध्यम से दर्शकों में करुणा एवं सहानुभूति का भाव जागृत हो जाएगा और यह प्रस्तुति की सफलता होगी। यह कथन दूरदर्शन पर अपाहिज व्यक्ति का साक्षात्कार लेने वाले पत्रकार का है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में लुट्टन सिंह ने अचानक बिना कुछ सोचे-समझे दंगल में चाँद सिंह को कुश्ती के लिए चुनौती क्यों दे दी?
उत्तर :
लुट्टन सिंह बचपन से अनाथ की तरह पला था। जिस माँ समान सास के यहाँ उसने अपना सारा बचपन बिताया था, उसको गाँववासी किसी-न-किसी बात पर परेशान किया करते थे। उन सभी को उसने कसरत के द्वारा कसे हुए शरीर से भयभीत कर दिया था। इसके अतिरिक्त वह एक दृढ़ निश्वयी व्यक्तित्व वाला व्यक्ति था। उसी जवानी व निश्चयी व्यक्तित्व की हिम्मत और ढोलक की ललकारती हुई थाप ने उसकी सोचने की शक्ति को बिजली की शक्ति में परिवर्तित कर दिया था। अतः उसने अचानक बिना सोचे-समझे दंगल में चांद सिंह को कुश्ती के लिए चुनौती दे दी।
(ख) ‘शिरीष के फूल’ में लेखक ने संसार में मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए गाँधीजी के समान अवधूतों की आवश्यकता पर बल दिया है। क्यों?
उत्तर :
गाँधीजी में शिरीष के समान कठोरता के साथ-साथ कोमलता का गुण मी विद्यमान था। वे अपने परिवेश से रस बींचकर कोमल एवं कठोर बन गए थे। जनसामान्य के साथ कोमलता का व्यवहार करने वाले गाँधीजी कभी-कभी देश और समाज के हित के लिए अत्यधिक कठोर बन जाते थे। वे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान होने वाली हिंसा, खून-खराबा, अग्निदाह आदि हिंसात्मक गतिविधियों के बीच में अहिंसक बने रहते थे, इसलिए लेखक ने संसार में मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए गाँधीजी के समान अवचूतों की आवश्यकता पर बल दिया है।
(ग) स्र्री के विवाह संबंधी मानवाधिकार को कुचलने की कुपरंपरा का पालन भक्तिन पाठ में किस प्रकार हो पाया है? स्पष्ट कीजिए।(3)
उत्तर :
स्त्री को यह मानवाधिकार प्राप्त है कि वह निर्णय करे कि वह अपना विवाह किससे करना चाहती है अथवा वह विदाह करना चाहती भी है या नहीं। भक्तिन की बेटी का विवाह बिना उसकी इच्छा के भक्तिन के जेठ के बड़े बेटे के साले से करा दिया गया, जिसे भक्तिन की बेटी पसंद नहीं करती थी। वह लड़का भक्तिन की बेटी के कमरे में विवाह से पहले ही जबरदस्ती घुस गया था, तो उसने उसके मुंह पर तमाचा मारा था। उस युवक ने पंचों को अपने पक्ष में कर लिया और पंचों से खह निर्णय करा लिया कि उन दोनों का विवाह होगा। निश्चित रूप से यह स्त्री के अधिकार का हनन था। अतः यह घटना स्त्री के मानवाधिकार को कुचलने को दर्शाती है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) चूरन बेचने वाले भगत जी को लेखक अपने जैसे विद्वानों से भी श्रेष्ठ विद्वान क्यों मानता है?
उत्तर :
लेखक के अनुसार, चूरन बेचने वाले भगत जी को वह शक्ति प्राप्त है, जो हममें से शायद ही किसी को प्राप्त हो, जैसे उनका मन अडिग रहता है। पैसा उनसे आगे होकर भीख माँगता है कि मुझे लो, लेकिन उनका मन तो चंचल नहीं है, इसलिए वे उस पैसे को लेते ही नहीं और बाजार का जादू भी ऐसे श्रेष्ठ व्यक्ति के हुदय को नहीं पिघला पाता। इसलिए लेखक ने भगत जी को श्रेष्ठ विद्वान् कह्हा है।
(ख) ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ में लेखक ने लोक प्रचलित विश्वासों को अंधविश्वास कहकर उनके निराकरण पर बल दिया है। इस कथन की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
लेखक ने इंदर सेना के कार्यक्रमों को अंधविश्वास का नाम दिया है। आम आदमी इंदर सेना के काम को लोक प्रचलित विश्वास कहते हैं, परंतु लेखक इन्हें गलत बताता है। लेखक इन अंधविश्वासों को खत्म करने के लिए कहता है, क्योंकि इन्हें दूर करने से ही समाज का विकस हो सकता है।
(ग) ‘श्रम विभाजन और जाति-प्रथा’ पाठ में डों. आंबेडकर अपनी कल्पना में समाज का कैसा रूप देखते हैं?
उत्तर :
डों. आंबेडकर की कल्पना का आदर्श समाज़ स्वतंत्रता, समता और भतृत्व अर्थात् भाईचारे पर आधारित है। उनके आदर्श समाज में जातीय भेदभाव का तो नामोनिशान ही नहीं है। इस आदर्श समाज में करनी पर बल दिया जाता है, कथनी पर नहीं।
पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग 2 –
प्रश्न 14.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 2 प्रश्नों में से किसी 1 प्रश्न का लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। यशोधर जी धार्मिक गतिविधियों में भी रुचि रखते हैं। पाठ के आधार पर लिखिए। (4 × 1 = 4)
अथवा
मुअनजो-दड़ो की जल निकासी व्यवस्था की उत्कृष्टता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
यशोधर जी शाम को मदिर जाते हैं और प्रवचन भी सुनते हैं। पूजा भी वे नियम से ही करते हैं और निश्चित सिद्धांतों वाले व्यक्ति हैं, क्योंकि उनका विश्वास पुराने रीति-रिवाजों में बना हुआ है। जैसे-जैसे उनकी उम्र दलती जा रही है, वैसे-वैसे वह भी किशनदा की तरह रोज मंदिर जाने, संध्या-पूजा करने और गीता प्रेस गोरखपुर की किताबें पद्ने का प्रयत्न करने लगे हैं। पूजा में मन नहीं लगने पर भी वे प्रयत्नपूर्वक अपने मन को भागवत्-भजन में लगाने की कोशिश करते रहते हैं।
किशनदा से मिले संख्कारों व परंपराओं को जीवित रखने की कोशिश करते हुए वे घर में होली गवाना, ‘जन्यो पुन्यूं’ के दिन सब कुमाउँनियों को जनेक बदलने के लिए अपने घर आमंत्रित करना, रामलीला की तालीम के लिए क्वार्टर का कमरा देना आदि कार्य करते हैं। इससे पता चलता है कि धार्मिक गतिविधियों के प्रति विश्वास उनके मन में समाया हुआ है।
अथवा
मुअनजो-दड़ो में पानी की निकासी का सुव्यवस्थित प्रदंध बहुत ही प्रशंसनीय है। घरों की नालियों में पक्की ईटें होती थीं। ढकी हुई नालियाँ मुख्य सड़क के दोनों ओर समांतर दिखाई देती हैं। बस्ती के भीतर भी इनका यही रूप है। प्रत्येक घर में एक स्नानघर है। घरों के भीतर से पानी या मैल की नालियों बाहर हौदी तक आती हैं और फिर नालियों के जाल से जुड़ जाती हैं। कही-कहीं वे खुली हैं, पर ज्यादातर बंद हैं।
स्वास्थ्य के प्रति मुअनजो-दड़ो के बाशिदों के सरोकार का यह बेहतर उदाहरण है। इसलिए वहाँ की जल निकरसी व्यवस्था अत्यधिक सुदृढ़ है। वर्तमान समय में भी इसी तकनीक को अपनाया गया है। बड़े-बड़े शहरों और महानगरों में जो सीवर व्यवस्था है, वह किसी रूप में मुअनजो-दड़ो की जल निकासी व्यवस्था से प्रभावित रही होगी। यही कारण है कि जिस प्रकार आज की नालियों और सीवर के होल ढके हुए होते है, उसी प्रकार साफ़-सफ़ाई और स्वास्थ्य की दृष्टि से सभी छोटी-बड़ी नालियाँ ढकी होती थी। अंततः कहा जा सकता है कि नगर की जल निकासी बेजोड़ तथा अद्भुत थी।