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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 4 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में खंड ‘अ’ में वस्तुपरक तथा खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
- खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘अ’
(वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित बोध, अभिव्यक्ति और माध्यम, पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-2 व पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग-2 से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
अपठित बोध –
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 10 = 10)
भारत एक विशाल देश है, जिसमें भिन्न-भिन्न प्रकार की समस्याएँ व्याप्त हैं, जिनमें से एक है-जनसंख्या वृद्धि। जनसंख्या वृद्धि देश के विकास में बाधा का कार्य करती है, इसलिए हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता जनसंख्या वृद्धि को रोकना है। इस क्षेत्र में हमारे सभी प्रयत्न निष्फल रहे हैं। ऐसा क्यों है? यह इसलिए भी हो सकता है, क्योंकि समस्या को देखने का हर एक का अलग दृष्टिकोण है। जनसंख्याशास्त्रियों के लिए यह आँकड़ों का अंबार है। अफसरशाही के लिए यह टारगेट तय करने की कार्यविधि है। राजनीतिज्ञ इसे वोट बैंक की दृष्टि से देखता है। ये सब अपने-अपने ढंग से समस्या को सुलझाने में लगे हैं। अतः पृथक्-पृथक् किसी के हाथ सफलता नहीं लगी।
परंतु यह स्पष्ट है कि परिवार के आकार पर आर्थिक विकास और शिक्षा का बहुत प्रभाव पड़ता है। यहाँ आर्थिक विकास का तात्पर्य पाश्चात्य मतानुसार भौतिकवाद नहीं जहाँ बच्चों को बोझ माना जाता है। हमारे लिए तो यह सम्मानपूर्वक जीने के स्तर से संबंधित है। यह मौजूदा संपत्ति के समतामूलक विवरण पर ही निर्भर नहीं है वरन् ऐसी शैली अपनाने से संबंधित है, जिसमें अस्सी करोड़ लोगों की ऊर्जा का बेहतर उपयोग हो सके। इसी प्रकार स्त्री-शिक्षा भी है। यह समाज में एक नए प्रकार का चितन पैदा करेगी, जिससे सामाजिक और आर्थिक विकास के नए आयाम खुलेंगे और साथ ही बच्चों के विकास का नया रास्ता भी खुलेगा।
अतः जनसंख्या की समस्या सामाजिक है। इसे सरकार अकेले नहीं सुलझा सकती। केंद्रीकरण से हटकर इसे ग्राम-ग्राम, व्यक्ति-व्यक्ति तक पहुँचाना होगा। जब तक यह जन-आंदोलन नहीं बन जाता, तब तक सफलता मिलना संदिग्ध है।
(क) हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता जनसंख्या वृद्धि को रोकना क्यों है?
(i) यह देश के विकास में बाधा का कार्य करती है
(ii) यह देश की उन्नति में सहायक है
(iii) यह देश को अन्य देशों से आगे ले जाती है
(iv) यह देश के लिए नए अवसर पैदा करती है
उत्तर :
(i) यह देश के विकास में बाधा का कार्य करती है
(ख) प्रस्तुत गद्यांश किस विषयवस्तु पर आधारित है?
(i) जनसंख्या वृद्धि : समस्या और समाधान पर
(ii) आर्थिक विकास में जनसंख्या की भूमिका पर
(iii) विकास के नए आयाम पर
(iv) शिक्षा के योगदान पर
उत्तर :
(i) जनसंख्या वृद्धि : समस्या और समाधान पर
(ग) निम्नलिखित में से किस पर आर्थिक विकास और शिक्षा का बहुत प्रभाव पइता है?
(i) देश
(ii) समाज
(iii) भौतिकता
(iv) परिवार का आकार
उत्तर :
(iv) परिवार का आकार
(घ) आर्थिक विकास से क्या तात्पर्य है?
(i) सम्मानपूर्वक जीने का स्तर
(ii) भौतिकवाद
(iii) शिक्षा का स्तर
(iv) संपन्नता
उत्तर :
(i) सम्मानपूर्वक जीने का स्तर
(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जनसंख्या वृद्धि के संबंध में प्रत्येक व्यक्ति का दृष्टिकोण अलग होने के कारण इस समस्या का समाधान असंभव है।
2. आर्थिक विकास का अभिप्राय भौतिकवाद है।
3. स्त्री-शिक्षा बच्चों के विकास का एक नया द्वार है। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(iv) 1 और 3
(च) ‘स्त्री-शिक्षा समाज में एक नए चितन को पैदा करेगी’ इस कथन से लेखक सिद्ध करना चाहते हैं कि
(i) स्त्री-शिक्षा से लोगों की सोच में सुधार होगा
(ii) स्त्री-शिक्षा से लोगों की जीवन-शैली में परिवर्तन होगा
(iii) स्त्री-शिक्षा से सामाजिक व आर्थिक विकास के साथ-साथ बच्चों का भी विकास होगा
(iv) स्त्री-शिक्षा से सामाजिक समस्या उत्पन्न हो जाएगी
उत्तर :
(iii) स्री-शिक्षा से सामाजिक व आर्थिक विकास के साथ-साथ बच्चों का भी विकास होगा
(छ) सामाजिक और आर्थिक विकास के नए आयाम किसके माध्यम से खुलेंगे?
(i) जनसंख्या वृद्धि
(ii) आपसी समझ
(iii) शिक्षा
(iv) भेदभाव
उत्तर :
(iii) शिक्षा
(ज) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पदिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए। कथन (A) आर्थिक विकास की तरह शिक्षा भी महत्त्वपूर्ण है।
कारण (R) शिक्षा परिवार के आकार को निश्चित करती है। .
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) क्थन (A) की सही व्याख्या करता है।
(झ) जनसंख्या की समस्या को किस प्रकार की समस्या माना गया है?
(i) आर्थिक
(ii) सामाजिक
(iii) राजनीतिक
(iv) वैयक्तिक
उत्तर :
(ii) सामाजिक
(ञ) हम किस प्रकार जनसंख्या को नियंत्रित कर सकते हैं?
(i) इसे जन-आंदोलन बनाकर
(ii) सरकार के सहयोग से
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) जनसंख्या वृद्धि पर पूर्णत: रोक लगाकर
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों
प्रश्न 2.
दिए गए पद्यांश पर आधारित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
बंद कर दो बमबारी, मत करो घुसपैठ। तीन बार युद्ध हार चुके, अबकी बार कर देंगे मटियामेट।। शांति के हम साधक, शांति हमारा नारा। युद्ध में नहीं हम पीछे, मिटा देंगे नामोनिशान तुम्हारा।। तिरंगे की लाज रखना, सतत प्रयास रहेगा। कश्मीर, कारगिल, लेह, लद्दाख में, दुश्मनों का खून बहेगा।। जमीन पर अपनी किसी को टिकने नहीं देंगे, भारत माँ के मस्तक पर, दुश्मनों को आने नहीं देंगे। पहल हम करेंगे नहीं, युद्ध के वास्ते।
(क) प्रस्तुत पद्यांश में कवि किसे चुनौती दे रहा है?
(i) सैनिकों को
(ii) दुश्मन देश को
(iii) आतंकवादियों को
(iv) नक्सलवादियों को
उत्तर :
(ii) दुश्मन देश को
(ख) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
घुसपैठियों को मारकर ही खुल सकेंगे शांति के बंद रास्ते॥ भारतीय जवान का प्रण, जाएँगे हम लड़ने, जान हथेली पर लेकर राष्ट्र की रक्षा की खातिर, कर देंगे प्राण न्योछावर।। आखिरी साँस तक हम बॉर्डर पर लड़ते रहेंगे। मारे गए सैनिकों का, हम बदला लेकर रहेंगे। नहीं डर तन का, नहीं चिंता मरने की फिक्र है तो भारत माँ की, कर्तव्य है रक्षा करने का।। तोड़ेंगे गढ़ दुश्मनों के चूर-चूर कर डालेंगे। गोलियों की बौछार से, अंग-अंग को छेद देंगे।। आग है सीने में हमारी, तूफान मस्तिष्क में चल रहा। दुश्मनों के खून की प्यास, हमारी हर धड़कन में बह रही।
1. भारत देशवासी युद्ध कला में प्रवीण होते हुए भी शांति के साधक हैं।
2. उचित समय आने पर शांति के द्वार स्वत: ही खुल जाएँगे।
3. प्रथम घुसपैठियों को मारकर ही शांति का द्वार खोला जा सकता है। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(iv) 1 और 3
(ग) कवि किसका बदला लेने की बात कर रहा है?
(i) मारे गए सैनिकों का
(ii) हिंसा का
(iii) अपनों के खून का
(iv) अशांति का
उत्तर :
(i) मारे गए सैनिकों का
(घ) राष्ट्र की रक्षा हेतु भारतीय जवान कौन-सा प्रण करते हैं?
(i) प्राण न्योछावर करने का
(ii) दुश्मन का खून बहाने का
(iii) बॉर्डर पर लड़ने का
(iv) बदला लेने का
उत्तर :
(i) प्राण न्योछावर करने का
(ङ) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए
कॉलम- 1 | कॉलम- 2 |
A. मटियामेट | 1. तपस्वी |
B. साधक | 2. युद्ध |
C. कारगिल | 3. अस्तित्व समाप्त करना |
कूट
A B C
(i) 2 1 3
(ii) 3 1 2
(iii) 1 3 2
(iv) 3 2 1
उत्तर :
(ii) 3 1 2
अभिव्यक्ति और माध्यम –
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
(क) जनसंचार का मुख्य कार्य क्या है?
(i) सूचना संप्रह एवं प्रसार करना
(ii) सूचना का विश्लेषण करना
(iii) ज्ञान के स्तर में वृद्धि करना
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(ख) सर्वप्रथम किस सदी में रेडियो के विकास की शुरुआत हुई?
(i) 17 वीं
(ii) 18 वीं
(iii) 19 वीं
(iv) 20 वीं
उत्तर :
(iii) 19 वीं सदी
(ग) प्रसार भारती का गठन कब किया गया?
(i) वर्ष 1987 में
(ii) वर्ष 1990 में
(iii) वर्ष 1992 में
(iv) वर्ष 1997 में
उत्तर :
(iv) वर्ष 1997 में
(घ) तेजडिया, मंदड़िया, सोना उछला जैसे शब्दों का उल्लेख विशेष लेखन के किस क्षेत्र में किया जाता है?
(i) खेल
(ii) पर्यांवरण
(iii) मौसम
(iv) कारोबार और व्यापार
उत्तर :
(iv) कारोबार और व्यापार
(ङ) सूची I को सूची II से सुमेलित कीजिए
सूची I | सूची II |
A. विलोम स्तूपी पद्धति | 1. फीचर लेखन के मुख्य तत्त्व |
B. संपादक के नाम पत्र | 2. शीर्षक |
C. समाचार का प्रवेशद्वार | 3. संपादकीय पृष्ठ |
D. कल्पना, तथ्य तथा लेखन कला | 4. समाचार लेखन शैली |
कूट
A B C D
(i) 4 3 2 1
(ii) 3 2 1 4
(iii) 2 1 4 3
(iv) 1 4 3 2
उत्तर :
(i) 4 3 2 1
पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग 2 –
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
प्रात: नभ था बहुत नीला शंख जैसे भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका (अभी गीला पड़ा है)
बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खडिया चाक
मल दी हो किसी ने
नील जल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
और ……
जादू टूटता है इस उषा का अब सूर्योदय हो रहा है।
(क) कवि ने प्रातःकालीन वातावरण की समानता नीले शंख से क्यों की है?
(i) भोर के समय वातावरण का रंग नीले शंख जैसा बुझा होने के कारण
(ii) कवि को नीले शंख का रंग पसंद होने के कारण
(iii) भोर के समय वातावरण के अनेक रंग बदलने के कारण
(iv) नीले शंख के अतिरिक्त अन्य उपमा न मिलने के कारण
उत्तर :
(i) भोर के समय वात्तावरण का रंग नीले शंख जैसा बुझा होने के कारण
(ख) अलंकार की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?
(i) बहुत नीला शंख जैसे-उत्प्रेक्षा अलंकार
(ii) राख से लीपा हुआ चौका-उपमा अलंकार
(iii) बहुत काली सिल-यमक अलंकार
(iv) जरा सा लाल केसर-अतिशयोक्ति अलंकार
उत्तर :
(ii) राख से लीपा हुआ चौका-उपमा अलंकार
(ग) कवि ने भोर के नभ को राख से लीपा हुआ गीला चौका कहा है। यहाँ चौके के गीला होने का क्या भावार्थ है?
(i) नए जीवन का उदय
(ii) वातावरण में नमी
(iii) भोजन के लिए तैयार होना
(iv) वातावरण में शुष्कता
उत्तर :
(ii) वातावरण में नमी
(घं) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) सूर्य की किरणें हिलती हुई नायिका के समान लगती हैं।
कारण (R) प्रातःकालीन नमी एवं मंद हवा चल रही है।
कूट
(i) कथन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ङ) ‘नील जल’ के उपमान के माध्यम से कवि किसे चित्रित करता है?
(i) नीले स्वच्छ आकाश को
(ii) सुंदर स्त्री के रूप को
(iii) नीले रंग की सुंदरता को
(iv) पानी के अनेक रूप को
उत्तर :
(i) नीले स्वच्छ आकाश को
प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है। जाति-प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की स्वेच्छा पर निर्भर नहीं रहता। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्त्व नहीं रहता। ‘पूर्व लेख’ ही इसका आधार है। इस आधार पर हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि आज के उद्योगों में गरीब तो ‘अरुचि’ के साथ केवल विवशतावश कार्य करते हैं। ऐसी स्थिति स्वभावत: मनुष्य को दुर्भावना से प्रस्त रहकर चालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी स्थिति में जहाँ काम करने वालों का न दिल लगता हो न दिमाग, वहाँ कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है। अतः यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो जाता है कि आर्थिक पहलू से भी जाति-प्रथा हानिकारक प्रथा है, क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणा, रुचि व आत्म-शक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़कर निष्क्रिय बना देती है।
(क) गद्यांश के अनुसार श्रम विभाजन की दृष्टि से जाति-प्रथा दोषपूर्ण क्यों है?
(i) व्यक्तिगत रुचियों को ध्यान में न रखने के कारण
(ii) मनुष्य के पेशे को पूर्व लेख से जोड़े जाने के कारण
(iii) मनुष्य को स्वतंत्र छोड़े जाने के कारण
(iv) व्यक्तिगत भावनाओं को ध्यान में रखने के कारण
उत्तर :
(ii) मनुष्य के पेशे को पूर्व लेख से जोड़े जाने के कारण
(ख) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए। कथन (A) आर्थिक पहलू से जाति-प्रथा हानिकारक है।
कारण (R) जाति-प्रथा मनुष्य की रुचि एवं आत्म-शक्ति को कम करके उसे निक्रिय बना देती है। कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
(ii) कथन (A) गलत है, कितु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
उत्तर :
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, तथा कारण (R) क्थन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ग) कार्य-कुशलता बढ़ाने के लिए क्या आवश्यक है?
(i) रुचि के अनुसार काम करने का अवसर प्रदान करना
(ii) कार्य को जबरन थोपा जाना
(iii) कार्य करने की विशेष छूट प्रदान करना
(iv) उत्पादकता को कम कर देना
उत्तर :
(i) रुचि के अनुसार काम करने का अवसर प्रदान करना
(घ) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए (1)
कॉलम- 1 | कॉलम- 2 |
A. श्रम विभाजन की दृष्टि से जाति प्रथा | 1. पूर्व लेख |
B. जाति प्रथा का आधार | 2. विवशता वंश कार्य करते हैं। |
C. गरीब अरुचि के साथ | 3. गम्भीर दोषों से युक्त है |
कूट
A B C
(i) 2 3 1
(ii) 1 2 3
(iii) 3 2 1
(iv) 3 1 2
उत्तर :
(iv) 3 1 2
(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कार्य निर्धारित होने से कार्य का महत्त्व बढ़ता है।
2. जाति-प्रथा के कारण श्रमिक अरुचि के साथ विवशतावश ही उद्योगों में कार्य कर रहे हैं।
3. जाति-प्रथा का श्रम-विभाजन मनुष्य की स्वेच्छा पर निर्भर करता है। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 2
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(ii) केवल 2
पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग 2
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्य को चुनकर लिखिए। (1 × 10 = 10)
(क) यशोधर बाबू ऑफिस में दिनभर के शुष्क व्यवहार का निराकरण कैसे करते थे?
(i) छुट्टी के समय चलते-चलते जूनियरों से कोई मनोरंजक बात करके
(ii) छुटटी के समय एक कप चाय पीकर
(iii) ऑफिस की सुस्त घड़ी को सही करके
(iv) ऑंिस के कर्मचारियों को चाय पिलाकर
उत्तर :
(i) छुट्टी के समय चलते-चलते जूनियरों से कोई मनोरंजक बात करके
(ख) यशोधर बाबू ऑफिस से छुट्टी के बाद जल्दी घर पहुँचना पसंद क्यों नहीं करते थे?
(i) अपने व्यवहार के कारण
(ii) पत्नी और बच्चों से हर छोटी-बड़ी बात में मतभेद होने के कारण
(iii) ऑफिस का अतिरिक्त काम करने के कारण
(iv) बाहर के वातावरण में शांति प्राप्त करने के कारण
उत्तर :
(ii) पत्नी और बच्चों से हर छोटी-बड़ी बात में मतभेद होने के कारण
(ग) किशनदा यशोधर बाबू को रोज सुबह जल्दी किस कारण उठाते थे?
(i) घर का काम करने के लिए
(ii) पढ़ाई-लिखाई करने के लिए
(iii) सुबह जल्दी उठने की आदत डालने के लिए
(iv) ध्यान और योग करने के लिए
उत्तर :
(iii) सुबह जल्दी उठने की आदत डालने के लिए
(घ) ‘जूझ’ कहानी में लेखक के दादा के चरित्र की विशेषता क्या है?
(i) वे लेखक की प्रगति में बाधक हैं
(ii) वे राव साहब का सम्मान करते हैं
(iii) वे अपनी पत्नी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करते
(iv) ये सभी
उत्तर :
(ii) वे राव साहब का सम्मान करते हैं
(ङ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) आनंदा खेती का काम नहीं करना चाहता था।
कारण (R) लेखक यह जान गया था कि खेती से जीवनभर कुछ हाथ नहीं आएगा। कूट
(i) कथन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(च) लेखक ने सिंधु सभ्यता को जल संस्कृति किस आधार पर कहा है?
(i) उस समय अधिक वर्षा होने के कारण
(ii) नदी, कुएँ, कुंड, स्नानागार और बेजोड़ जल निकासी के कारण
(iii) केवल नदियों के किनारे बसी होने के कारण
(iv) जल की बर्बादी को रोकने के कारण
उत्तर :
(ii) नदी, कुएँ, कुंड, स्नानागार और बेजोड़ जल निकासी के कारण
(छ) “मुअनजो-दड़ो में मिले कुंड की बनावट ही इसके आनुष्ठानिक प्रयोग का प्रमाण माना जाता है।” इस कथन से क्या तात्पर्य है?
(i) कुंड का उपयोग पवित्र या आनुष्ठानिक रूप में किया जाता होगा
(ii) कुंड की बनावट के विषय में कोई जानकारी उपलब्य नहीं है .
(iii) कुंड एक धर्म विशेष का द्योतक न होकर संपूर्ण समाज का रूप है
(iv) कुंड केवल उच्च वर्ग के प्रयोग हेतु था
उत्तर :
(i) कुंड का उपयोग पवित्र या आनुष्ठनिक रूप में किया जाता होगा
(ज) आनंदा के विषय में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(i) आनंदा को विद्यालय में पढ़ने जाने के पश्चात् कविता लिखने की लगन लग गई थी
(ii) आनंदा मैस की पीठ पर कविता लिखता था
(iii) कविता लिखने के बाद आरंदा शीघ्रतापूर्वक उसे साँदलगेकर को दिखाने उनके घर पहुँच जाता था
(iv) आनंदा को कविता पढ़ने व लिखने का कोई शौक नहीं था
उत्तर :
(iv) आनंदा को कविता पढ्ने व लिखने का कोई शौक नहीं था
(झ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. मुअनजो-दड्रो सभ्यता के लोगों की कला में रुचि थी।
2. मुअनजो-दड़ो की खुदाई में पत्थर की मूर्तियाँ, पशु-पक्षियों की सुंदर आकृतियाँ तथा सुनिर्मित मुहरें मिली हैं।
3. सिंधु सभ्यता में दिखावे तथा आडंबर को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया था।
4. सिंधु सभ्यता के लोग मिट्टी के बर्तन व उपकरणों का उपयोग करते थे। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1, 2 और 3
(iv) 1, 2 और 4
उत्तर :
(iv) 1, 2 और 4
(ञ) मुअनजो-दड़ो के घरों की दीवारें मोटी थीं। उन मोटी दीवारों से क्या अनुमान लगाया जा सकता है? (1)
(i) घरों की मोटी दीवारे केवल प्रदर्शन मात्र के लिए ही थीं
(ii) ये दीवारें प्राकृतिक आपदा से सुरक्षा के लिए बनी थीं
(iii) इन दीवारों पर दूसरी मंजिल भी रही होगी
(iv) ये दीवारें सुंदर चित्रकारी करने के लिए बनाई गई थीं
उत्तर :
(iii) इन दीवारों पर दूसरी मंजिल भी रही होगी
खंड ‘ब’
(वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में जनसंचार और सृजनात्मक लेखन, पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-2 व पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग-2 से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन –
प्रश्न 7.
निम्नलिखित दिए गए 3 विषयों में से किसी 1 विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6 × 1 = 6)
(क) बेटियों के लिए आवश्यक होती शिक्षा
उत्तर :
भारतीय समाज में बेटे और बेटियों के मध्य काफी समय से भेदभाव चलता आ रहा है। बेटों को घर का वारिस और बेटियों को पराया धन मानकर उन्हें अनेक चीजों से वंचित किया जाता रहा है। किसी ने सच ही कहा है कि जब आप एक महिला को शिक्षा देकर शिक्षित करते हैं, तो आप एक पूर्ण परिवार को शिक्षित करते हैं। समाज में जहाँ बेटियों को 20 वीं सदी के अंत तक शिक्षा से वंचित रखा गया है, वहीं अब बेटियों को शिक्षित करने के लिए विशेष अभियान और योजनाएँ आयोजित की जा रही हैं। बेटियों को शिक्षा प्रदान करने से वे न केवल अपना, बल्कि देश के विकास और समृद्धि में भी मदद करेगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बेटी के जीवन में शिक्षा का कितना महत्त्व होता है। शिक्षा जीवन जीने का एक अनिवार्य हिस्सा होती है, जो एक व्यक्ति को निपुणता से नई चीजें सीखने और दुनिया के तथ्यों के बारे में जानने में मदद करती है। एक शिक्षित लड़की आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ दूसरों के द्वारा किए जा रहे अत्याचारों का भी स्वयं सामना कर सकती है और साथ ही अपने बच्चों का भी पालन-पोषण अच्छे तरीके से कर सकती है। शिक्षा के माध्यम से, वे एक स्वस्थ और स्वच्छ जींवन शैली का नेतृत्व कर सकती हैं। यदि बेटियाँ शिक्षित होंगी, तो उन्हें गरिमा और सम्मान के साथ देखा जाने लगेगा। शिक्षित बेटियाँ विभिन्न व्यवसायों (कुक, इंजीनियर, डॉक्टर व राजनीति) में सफलता हासिल कर अन्य लड़कियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन सकती हैं।
(ख) वृक्ष मनुष्य के सच्चे हितैषी हैं
उत्तर :
वृक्ष संपूर्ण विश्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। यदि इस धरती पर कोई वृक्ष नहीं होगा, तो मनुष्य का जीवन जीना भी बहुत मुश्किल होगा, क्योंकि पेड़-पौधे ही मनुष्य को ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और कार्बन-डाइ-ऑक्साइड का अवशोषण करते हैं।
मनुष्य वृक्षों द्वारा शुद्ध हवा प्राप्त करते हैं और एक सुंदर वातावरण बनाए रखते हैं। मनुष्यों द्वारा वृक्षों का उपयोग कई कार्यों के लिए किया जाता है, जिसमें पेड़ों की लकड़ी से कागज, गोंद और फर्नीचर आदि सामान बनाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त वृक्षों से फल, फूल और भोजन भी प्राप्त होता है।
इस संसार में पेड़-पौधों से मिलने वाली अनेक महत्त्वपूर्ण चीजे हैं, जिनमें अनाज, दाल, फल, सज्जियाँ, औषधियाँ आदि सम्मिलित हैं, लेकिन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण पारिस्थितिक प्रणाली में विचलन आ गया है; जैसे-बाढ़. सूखा, भूकप जैसी प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ रही हैं, लेकिन कुछ लोग लालची स्वभाव के कारण इन आपदाओं से सीख नहीं लेते, यदि यह सब इसी प्रकार चलता रहा, तो पृथ्वी खतरे में पड़ जाएगी और तब हमें जीने के लिए न ऑक्सीजन मिलेगी और न ही भोजन। अतः प्रत्येक मनुष्य को वृक्षों से लाभ लेने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। अपने स्तर पर पर्यावरण की रक्षा के लिए सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर वृक्षारोपण कार्यक्रमों पर बल देना चाहिए, क्योंकि वृक्ष मनुष्य के सच्चे हितैषी होते हैं, वे स्वार्थी नहीं होते।
(ग) फैशन का बढ़ता चलन
उत्तर :
मनुष्य पैदा होते ही परंपराओं, रीति-रिवाजों, शिष्टाचारों, औपचारिकताओं का गुलाम बन जाता है। इसी प्रकार वह फैशन से भी प्रभावित होता है। समय के साथ समाज की व्यवस्था में बदलाव आते रहते है। इन्हीं बदलावों के अंतर्गत रहन-सहन में भी परिवर्तन होता है। किसी भी समाज में फैशन वहों की जलवायु, विकास तथा परिवर्तन पर निर्भर करता है। सभ्यता के विकास के साथ-साथ वहां के निवासियों के जीवन स्तर में भी परिवर्तन आता है।
20 वीं सदी के उत्तरार्द्व में पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव से समाज के खुलेपन की नींव पड़ी, जिसमें फिल्मों के द्वारा फैशनपरस्ती को बढ़ावा दिया गया। इसकी देखा-देखी युवाओं में भी फैशनपरस्ती का मोह बढ़ने लगा। इससे संपूर्ण सामाजिक जीवन फैशनपरस्ती की चपेट मे आ गया है। वर्तमान समय में फैशन के विविध रूप देखने को मिल रहे हैं। युवतियाँ एवं प्रौढ़ नए-नए फैशन के विश्रापन करते प्रतीत होते हैं; जैसे-पारदर्शी वस्त्र पहनकर घूमना, बालों में नई-नई कटिंग, सौदर्य प्रसाधनों के द्वारा चेहरे को जरूरत से अधिक आर्कषक बनाना आदि। चाहे भरपेट मोजन न मिले, रोजगार की सुव्यवस्था न हो, पुरानी पीढ़ी के लोग दुत्कारते रहें, तब भी नई पीढ़ी फैशनपरस्ती को सक्य जीवन का श्रेष्ठ प्रदर्शन मानने लगी है। इस प्रकार समाज में उठना, बैठना, वार्तालाप करना, चलना फिरना, खाना-पहनना आदि सब फैशन के अनुसार ढाला जाने लगा है। समय के अनुरूप स्वयं को ढालना उचित है, परंतु दिखावटी फैशन के मोह में पड़कर स्वयं को पतन की ओर धकेलना उचित नहीं है। सामाजिक जीवन पर बढ़ते हुए फैशन का जो दुष्पभाव पड़ रहा है, उस पर प्रतिबंध आवश्यक है।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर लगभग 40 शब्दों में निर्देशानुसार उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) अप्रत्याशित लेखन का बुनियादी नियम सुसंबद्धता है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“नाटक की कहानी भले ही भूतकाल या भविष्यकाल से संबंधित हो, परंतु उसे वर्तमान में घटित होना पइता है” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अप्रत्याशित लेखन का दुनियादी नियम सुसंबद्धता है, क्योंकि इसका उद्देश्य भाषा के माध्यम से किसी विषय पर विचार करने और उस विचार को व्याकरणिक शुद्धता के साथ सुगठित रुप अभिव्यक्त करना है। विवरण – विवेचन के सुसंबद्ध होने के साथ-साथ उसका सुसंगत होना अच्छे लेखन की विशेषता है।
अथवा
नाटक का विषय भूतकाल हो या भविष्य काल, इन दोनों ही स्थितियों में वर्तमान काल में संयोजित होता है। यही कारण है कि नाटक के मंच निर्देश हमेशा वर्तमान काल में लिखे जाते हैं। चाहे काल कोई भी हो उसे एक समय में, एक स्थान विशेष पर वर्तमान काल में ही घटित होना होता है। समय को लेकर एक और तथ्य यह है कि साहित्य की अन्य विधाओं, जैसे- कहानी, उपन्यास, कविता को हम कभी भी पढ़ते तथा सुनते हुए बीच में रोक सकते हैं और कुछ समय बाद फिर वहीं से पढ़ना या सुनना शुरू कर सकते हैं, परंतु नाटक के साथ ऐसा संभव नहीं है। नाटक के तीन अंक होते है उसे भी समय को ध्यान में रखकर बाँटने की आवश्यकता होती है।
(ख) कहानी लेखन हेतु संवादों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
अथवा
नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन करते समय कौन-कौन सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए?
उत्तर :
कहानी के पात्रों के द्वारा किए गए उनके विचारों की अभिव्यक्ति को संवाद या कथोपकथन कहते हैं। कहानी में संवाद का विशेष महत्त्व होता है। संवाद ही कहानी तथा पात्र को स्थापित एवं विकसित करते हैं, साथ ही॰कहानी को गति देकर आगे बढ़ाते हैं। जो घटना या प्रतिक्रिया को कहानीकार घटित होती हुई नहीं दिखा सकता, उन्हें वह संवादों के माध्यम से प्रस्तुत करता है। इस प्रकार कहानी में संवादों का अत्यंत महत्त्व है।
अथवा
नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन के लिए अभी तक कोई निश्चित फार्मूला निर्धारित नहीं किया गया है। अतः ऐसे विषयों पर लेखन करते समय निम्नलिखित बाते ध्यान में रखनी आवश्यक हैं
(i) नए और अप्रत्याशित विषय के संबंध में व्यक्त वस्तुस्थिति की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
(ii) नए और अप्रत्याशित विषय के संबंध में चिंतन करते समय हमारे मस्तिष्क में जो भी विचार आएँ, उन्हें हमें सार्थक और सुसंगत रूप में व्यक्त करना चाहिए।
(iii) इस विषय की सबसे पहले एक रूपरेखा बनानी चाहिए।
(iv) नए और अप्रत्याशित विषय का स्वरूप जैसा भी हो, उस पर लिखते समय सुसंबद्धता और सुसंगति का ध्यान रखना चाहिए।
(v) नए और अप्रत्याशित विषयों पर व्यक्त विचारों में आत्मनिष्ठता और लेखनीय व्यक्तित्व की स्पष्ट छाप प्रतिबिबित होनी चाहिए।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘भारत की सैन्य शक्ति’ विषय पर एक फ़ीचर लिखिए।
उत्तर :
भारतीय सैन्य शक्ति हमारे देश की रक्षा की सबसे बड़ी प्रणाली के रूप में जानी जाती है। एक सुरक्षा कवच बनकर ये हमारे देश की सेवा करते हैं। यह देश के दुश्मनों से हमारी रक्षा करते हैं। इसलिए हमें अपनी भारतीय सेना पर गर्व और अभिमान है। जब भारतीय सेना वर्दी में हथियारों को लिए कदम से कदम मिलाकर एकसाथ सीमा की ओर चलती है, तो यह हमारे भारत की ताकत को दर्शाती है। भारतीय सेना में बहादुर और साहसी लोगों की भर्ती की जाती है, जो केवल देश के लिए जीते हैं और देश के लिए ही मरते है। भारतीय सशस्त्र सेना का एक बड़ा भाग हमारी धल सेना के रूप में हमारे भारतीय सीमाओं की रक्षा करता है। वहीं वायु सेना हमारे आकाशीय सीमाओं को, तो जल सेना हमारी समुद्री सीमाओं की रक्षा में हमेशा तत्पर रहती हैं। युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं के समय जरूरत पड़ने पर ये तीनों सेनाएँ एक साथ मिलकर देश की सेवा करती हैं। यह सेना अपनी जान और अपने परिवार की फिक्र किए बिना दिन-रात हमारी सेवा और सुरक्षा में लगी रहते हैं।
अतः हम सभी को अपनी सेना का मनोबल बढ़ाना चाहिए तथा हमें अपनी सेना के प्रति सम्मान और गर्व का भाव रखना चाहिए। भारतीय सेना अपने राष्ट्र और नागरिकों की रक्षा के प्रति हमेशा समर्षित रहती है।
(i) क्या – अर्थात् क्या घटित हुआ?
(ii) कब – अर्थात् घटना कब घटी?
(iii) कहाँ – अर्थात् घटना किस स्थान पर घटी यानी वह किस स्थान से संबंघित है?
(iv) कौन – अर्थात् घटना किससे संबंधित है?
(v) क्यों – अर्थात् घटना क्यों घटी?
(vi) कैसे – अर्थात् घटना कैसे घटित हुई?
(ख) समाचार लेखन के ककार कौन-कौन से हैं? प्रत्येक पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
किसी समाचार को लिखते समय मुख्यतः छह प्रश्नों का जवाब देना अनिवार्य होता है। इन्हें छ: ‘ककार’ कहा जाता है। किसी भी समाचार में इन छ: ककारों का होना सामान्यतया आवश्यक माना जाता है।.
ये छ: ककार निम्नलिखित हैं
(ग) एक पत्रकार के लेखन की भाषा-शैली कैसी होनी चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
भाषा का झान पत्रकार का सबसे बड़ा गुण होता है। पत्रकार की भाषा जितनी पैनी होगी, वह उतना ही सफल और सक्षम होगा। किसी भी भाषा की रचना सामान्य परिस्थितियों में नहीं होती, भाषा परिवर्तनों में जन्म लेती है और परिवर्तनों के साथ ही विकसित होती है। पत्र-पत्रिकाओं का सीधा संबंध सामान्य जनता से होता है। इसलिए एक पत्रकार की भाषा सीधी, सरल व सहज होनी चाहिए, जिससे लोगों को समझने में कोई परेशानी न आए। इसकी भाषा जनसाधारण के लिए सुबोध होनी चाहिए अर्थात् कम शब्दों में पूरी बात समझाने वाली होनी चाहिए।
पाठ्य-पुस्तक अरोह भाग 2
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) “भ्रातृशोक में हुई राम की दशा को कवि ने प्रभु की नर-लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में रचा है।” क्या आप इससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर :
‘लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप’ कविता में लक्ष्मण के प्रति श्रीराम के प्रेम की हदयस्पर्शी अभिव्यक्ति हुई है। यहां श्रीराम का मानवीय रूप दृष्टिगत होता है। वे साधारण मानव की तरह अधीर होते हैं तथा कहते हैं कि उन्हें यदि ज्ञात होता कि वन में भाई का विछोह होगा, तो वे पिता को दिए गए वचन का भी पालन नहीं करते।
वे कहते हैं कि संसार में पुत्र, स्त्री आदि तो एकाधिक बार मिल जाते हैं, परंतु सहोदर भाई पुन: नहीं मिलता। वे कहते हैं कि लक्षमण के बिना वे कौन-सा मुँह लेकर अयोध्या जाएँगे? इन पंक्तियों में श्रीराम की आंतरिक व्यथा का मर्मस्पर्शी चित्रण हुआ है।
(ख) ‘पतंग’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि किशोर और युवावर्ग समाज का मार्गदर्शक हैं। युवावर्ग ही विश्व की एकता को स्थायित्व दे सकता है।
उत्तर :
किशोर और युवा अवस्था ऐसी अवस्थाएँ होती हैं, जिसमें क्षमता और इच्छाशक्ति उच्च स्तर पर होती हैं। ये स्वयं अपना लक्ष्य निर्धारित करते हैं और उसे पाने की हर संभव कोशिश करते हैं। उनकी आँखों में जीवन की ऊँचाइयों को पाने के सपने होते हैं। किशोर तथा युवा वर्ग अपनी निश्लतता से विश्व की एकता को स्थायित्व दे सक्ते हैं।
(ग) “जग-जीवन का भार लिए फिरने” का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
चिंतनशील व्यक्ति अपने तक ही सीमित नहीं रहता। कवि तो स्वतंत्र-चेतना का व्यक्ति होता है। वह संसार की सोचता है। संसार में अभाव है, पीड़ा है, छल-कपट है, नित्य नूतन समस्याएँ हैं। कविगण उनके कारण एवं निदान के विषय में चिंतन करते रहते हैं। सब समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करना तो उनके वश में नहीं होता, लेकिन वे अपने साहित्य में कोई महत्त्वपूर्ण समस्या उठाते हैं और फिर उसके निराकरण के लिए संसार को एक रास्ता भी दिखाते हैं। इसी कारण कवि यह कहता है कि में संसार का भार अपने कंरों पर लिए फिरता हूं।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) ‘कविता के बहाने’ में कविता एक खेल के समान होती है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कविता के बहाने कवि कविता एवं बालक में समानता व्यक्त करते हुए कहता है कि कविता एक खेल है और बच्चों के खेल में किसी प्रकार की कोई सीमा नहीं होती। जिस प्रकार बच्चा अपने-पराए का भेद किए बिना सब जगह अपने स्वाभाविक रूप में रहते हुए समानता की भावना को प्रसारित करता है, ठीक उसी तरह कविता भी सबके लिए समानता की भावना को प्रचारित करती है। वह समान अर्थ एवं भाव रखते हुए सभी को एक ही सीख देती है।
(ख) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता को क्या संवेदनहीन कहा जा सकता है? तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता वास्तव में मीडिया द्वारा लोगों की पीड़ा बेचने की स्थिति को दर्शाती है। तथाकथित संबेदनशील कार्यक्रमों का संचालन करने वाले स्वयं संबेदनहीन होते हैं। वे पीड़ित व्यक्ति से अर्थहीन एवं मूर्खतापूर्ण प्रश्न पूछते हैं, क्योंकि उनका उद्देश्य सिर्फ़ ऐसे प्रश्न करना है, जिससे पीड़ित की वेदना, आँसुओं के रास्ते छलक उठे और दर्शक उनके कार्यक्रम में रुचि लें। किसी भी तरह उनकी टी आर पी बढ़े और उन्हें इसका व्यावसायिक लाभ प्राप्त हो सके। उनका एकमात्र उद्देश्य अपाहिज या पीड़ायुक्त व्यक्ति की वेदना को दूरदर्शन के माध्यम से बेचना होता है। इसलिए इस कविता को संवेदनहीन की कबिता माना जाना चाहिए।
(ग) समाज का धनी वर्ग प्रभुत्वशाली होते हुए भी परिवर्तन से भयभीत रहता है। क्यों? ‘बादल राग’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
समाज का धनी वर्ग प्रभुत्वशाली है। यह वर्ग पूँजीवादी तथा सामंती है। इसे किसी भी प्रकार के सामाजिक परिवर्तन से भय होता है। यह वर्ग शोषण की बुनियाद पर टिका होता है। कमजोर, वंचित तथा पिछड़े लोग इसके शिकार बनते हैं, लेकिन जब दबी-कुचली जनता अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने लगती है, तो शोषक वर्ग भयभीत हो जाता है।
विप्लव के बादल जब घोर गर्जना करते हैं, तो धनी वर्ग अपने विनाश, मृत्यु तथा लुटने की आशका से ग्रस्त हो जाता है। ऐसा धनी वर्ग अपने महल के शयनकक्ष में भी भयभीत दिखता है। उसे अपने अस्तित्व तथा शोषण की प्रक्रिया के अंत का बोच कौँपने के लिए विवश कर देता है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) लोगों ने लइकों की टोली को मेंढक-मंडली का नाम किस आधार पर दिया? यह टोली स्वयं को इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी? ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
गाँव के कुछ लोगों को लड़कों का नंग-धड़ंग होकर कीचड़ में पथपथ होना अध्छा नहीं लगता था। इस कारण वे उन लड़कों की टोली को ‘मेंढक-मंडली’ के नाम से पुकारते थे। लड़कों की वह टोली वर्षा के देवता इंद्र से वर्षा करने की प्रार्थना करती थी। वे लोक-विश्वास के आधार पर इंद्रदेव के दूत बनकर सबसे पानी इसलिए माँगते थे, जिससे इंद्रदेव भी उन्हें वर्षा का दन करें। इसलिए वे अपने आपको ‘इंद्र सेना’ कहकर बुलाते थे।
(ख) बाजार के जादू का प्रभाव समाप्त हो जाने पर ग्राहक की दशा कैसी हो जाती है तथा उसे क्या बोध होता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
बाज़ार का जादू से तात्पर्य उस स्थिति से है, जब व्यक्ति बाजार की चकारौंध देखकर उसकी वस्तुओं को खरीदने के लिए उत्सुक होता है। जिस प्रकार चुंबक लोहे को अपनी ओर खींचती है, उसी प्रकार बाजार का जादू चढ़ने पर मनुष्य उसकी ओर आकर्षित होता है। उसे लगता है कि मैं यह सामान भी लूँ, वह भी लूँ। उसे सभी वस्तुएँ अनिवार्य तथा आराम बढ़ाने वाली मालूम होती हैं, लेकिन मनुष्य पर बाज़ार के जादू के उतरने का प्रभाव यह पड़ता है कि फैसी चीजों की बहुतायत उसके आराम में मदद नहीं देती, बल्कि खलल ही डालती हैं। उसे लगने लगता है कि इससे थोड़ी देर गर्व जरूर महसूस होता है, पर इससे अभिमान की ग्लानि को और खुराक ही मिलती है।
(ग) पहलवान लुट्टन सिंह को राजा साहब की कृपा दृष्टि कब प्राप्त हुई?
उत्तर :
लुट्टन सिंह सुडाँल शरीर वाला एक देहाती पहलवान था। उसने एक बार श्यामनगर के राजा की आज्ञा लेकर पजाब के पहलवान चाँद सिंह को ढोलक की ताल का अनुसरण कर चित्त कर दिया था। अतः राजा साहब ने खुश होकर उसे अपने दरबार में रख लिया था और उस दिन से राजा साहब के देहांत तक वह राज-पहलवान बना रहा।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहती इसलिए हो गई, क्योंकि भक्तिन देहाती थी। शहर में लेखिका के पास सेविका के रूप में आ जाने से महादेवी का खाना-पहनना देहाती हो गया। भक्तिन ने देहाती खाने की विशेषताएँ बता बताकर उनके खाने की आदत बदल डाली। लेखिका को रात में मकई के दलिये के साथ मट्ठा पीना पड़ा, बाजरे के तिल मिलाकर बने पुए खाने पड़े और ज्वार के भुने हुए भुट्टे की खिचड़ी खानी पड़ी। उसकी बनाई हुई सफेद महुए की लापसी को संसार के श्रेष्ठ हलवे से अधिक स्वादिष्ट मानकर खाना पड़ा। भक्तिन ने लेखिका को देहाती भाषा और कहावतें भी सिखा दीं। इस प्रकार महादेवी देहाती बन गई।
(ख) ‘कालिदास अनासक्त योगी की तरह थे, इसलिए वे मेघदूत काव्य का निर्माण कर सके।’ लेखक के इस कथन का क्या अभिप्राय है? ‘शिरीष के फूल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कालिदास अनासक्तयोगी की तरह थे, इसलिए वे मेघदूत काव्य का निर्माण कर सके। शिरीष दृक्ष अद्भुत, अवधूत तथा अनासक्त है। वह मस्त व फक्कड़ जैसा है। इस तरह कालिदास आदि महाकवि भी अनासक्त, मर्त और फक्कड़ा प्रवृत्ति के होते हैं। कवि को हानि-लाभ, राग-द्वेष, यश-अपयश आदि की चिंता न करके अनासक्त रहना पड़ता है। सब कुछ अवधूत की तरह सहन करने तथा अनासक्त रहकर आगे बढ़ने से ही महान् लक्ष्य मिलता है।
(ग) हमारे समाज में जाति-प्रथा किस रूप में स्थापित की गई है? ‘श्रम विभाजन’ पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर :
‘श्रम विभाजन और जाति-प्रथा’ पाठ में ‘जातिवाद’ का पोषक श्रम-विभाजन को कहा गया है। जातिवाद के पोषको का मानना है कि आधुनिक सभ्य समाज में कार्य-कुशलता लाने के लिए श्रमविभाजन आवश्यक है, परंतु जाति-प्रथा में श्रम-विभाजन स्वाभाविक विभाजन नहीं है, क्योंकि यह व्यक्ति की रुचि, कार्य-कुशलता तथा क्षमता पर आधारित नहीं हैं। यह भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण है।
पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग 2 –
प्रश्न 14.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 2 प्रश्नों में से किसी 1 प्रश्न का लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए।
(क) ‘सिंधु की सभ्यता पूर्ण विकसित मानव सभ्यता थी’ इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं? (4 × 1 = 4)
अथवा
‘जूझ’ के कथानायक का मन पाठशाला जाने के लिए क्यों तइपता था? उसे खेती का काम अच्छा क्यों नहीं लगता था? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर :
‘सिंधु की सभ्यता पूर्ण विकसित मानव सभ्यता थी, इस विचार से हम पूर्णरूप से सहमत हैं, क्योंकि यह सभ्यता धर्मतंत्र या राजतंत्र की ताकत का प्रदर्शन करने वाले महलों, उपासना स्थलों आदि का निर्माण नहीं करती, बल्कि यह सभ्यता समाज या मानव पोषित संस्था का समर्थन करती थी। इस सभ्यता में आडंबर को स्थान नहीं दिया गया था, अपितु चारों ओर सुन्दरता ही दिखाई देती थी। सभ्यता के केंद्र में समाज को प्रथम स्थान दिया गया है। इन्हीं कारणों से सिंघु सम्यता पूर्ण विकसित मानव सम्यता थी।
अथवा
‘जूझ’ कहानी का कथानायक पढ़ना चाहता था, इसलिए उसका मन पाठशाला जीने के लिए तड़पता था, उसे खेती का काम अच्छा नहीं लगता था। वस्तुतः खेती द्वारा अत्यंत कठिनाई से जीवन-यापन होता है, क्योंकि खेती के कार्य में परिश्रम भी बहुत अधिक करना पड़ता है। कथानायक का पिता आलसी और कामचोर व्यक्ति था तथा वह स्वयं खेत में कार्य नहीं करता था। वह अपने पुत्र से ही खेती का कार्य करवाना चाहता था। इसके विपरीत, कथानायक सोचता था कि वह पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी करेगा या कोई व्यवसाय, जिससे वह पर्याप्त धन अर्जित कर सकेगा। वह चाहता था कि धन क्माकर वह कोई अच्छा-सा व्यापार करे। इस प्रकार उसके मन में पाठशाला जाने की तीव्र इच्छा उमड़ती थी।