Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 4 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 4 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में खंड ‘अ’ में वस्तुपरक तथा खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
- खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘क’
अपठित बोध (18 अंक)
खंड ‘क’ में अपठित बोध के अंतर्गत अपठित गद्यांश व पद्यांश से संबंधित बहुविकल्पीय, अतिलघूत्तरात्मक तथा लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से बहुविकल्पीय तथा अतिलघूत्तरात्मक के प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक तथा लघूत्तरात्मक के लिए 2 अंक निर्धारित हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए। (10)
राष्ट्रीय भावना के अभ्युदय एवं विकास के लिए भाषा भी एक प्रमुख तत्त्व है। मानव समुदाय अपनी संवेदनाओं, भावनाओं एवं विचारों की अभिव्यक्ति हेतु भाषा का साधन अपरिहार्यत: अपनाता है। इसके अतिरिक्त उसके पास कोई विकल्प नहीं है। दिव्य ईश्वरीय आनंदानुभूति के संबंध में भले ही कबीर ने ‘गूंगे केरी शर्करा’ उक्ति का प्रयोग किया था, परंतु इससे उनका लक्ष्य शब्दरूपी भाषा के महत्त्व को नकारना नहीं था। प्रत्युत उन्होंने भाषा को ‘बहता नीर’ कहकर भाषा की गरिमा प्रतिपादित की थी।
विद्धानों की मान्यता है कि जिस प्रकार किसी एक राष्ट्र के भू-भाग की भौगोलिक विविधताएँ तथा उसके पर्वत, सागर, सरिताओं आदि की बाधाएँ उस राष्ट्र के निवासियों के परस्पर मिलने-जुलने में अवरोधक सिद्ध हो सकती हैं, उसी प्रकार भाषागत विभिन्नता से भी उनके पारस्परिक संबंधों में निर्बाधता नहीं रह पाती।
आधुनिक विज्ञान के युग में यातायात एवं संचार के साधनों की प्रगति से जिस प्रकार भौगोलिक बाधाएँ अब पहले की तरह बाधित नहीं करती, उसी प्रकार यदि राष्ट्र की एक संपर्क भाषा का विकास हो जाए तो पारस्परिक संबंधों के गतिरोध बहुत सीमा तक समाप्त हो सकते हैं।
मानव का अपना एक निश्चित व्यक्तित्व होता है। भाषा अभिव्यक्ति के माध्यम से इसके व्यक्तित्व को साकार करती है। उसके अमूर्त मानसिक वैचारिक स्वरूप को मूर्त एवं बिंबात्मक रूप प्रदान करती है। मनुष्यों के विविध समुदाय हैं। उनकी विविध भावनाएँ हैं, विचारधाराएँ हैं, संकल्प एवं आदर्श हैं। उन्हें भाषा ही अभिव्यक्त करने में सक्षम होती है।
साहित्य, शास्त्र, गीत-संगीत आदि में मानव समुदाय अपने आदर्शों, संकल्पनाओं, अवधारणाओं एवं विशिष्टताओं को वाणी देता है। भाषा ही एक ऐसा साधन है, जिससे मनुष्य एक-दूसरे के निकट आ सकते हैं। उनमें परस्पर घनिष्ठता स्थापित हो सकती है। अतः राष्ट्रीय भावना के विकास के लिए भाषा-तत्त्व परम आवश्यक है।
(क) भाषा को ‘बहता नीर’ कहने का तात्पर्य है (1)
(i) भाषा गतिरोधक है
(ii) भाषा गतिशील है
(iii) भाषा अवरोधक है
(iv) ये सभी
उत्तर :
(ii) भाषा गतिशील है
(ख) कथन (A) भाषा राष्ट्रीय भावना के विकास के लिए आवश्यक है। (1)
करण (R) भाषा अभिव्यक्ति के माध्यम से मानव के व्यक्तित्व को साकार करती है।
कूट
(i) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कथन (A), कारण (R) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, परंतु कथन (A), कारण (R) की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) व कारण (R) दोनों गलत हैं
उत्तर :
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कथन (A), कारण (R) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(ग) निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (1)
1. संचार के साधनों के लिए भाषा अवरोधक है।
2. मनुष्य की विविध भावनाएँ, संकल्प व आदर्श हैं।
3. भाषा से मनुष्य एक-दूसरे से दूर होता है।
(i) केवल 3 सही है।
(ii) 1,2 और 3 सही हैं
(iii) केवल 2 सही है।
(iv) 1 और 3 सही हैं।
उत्तर :
(iii) केबल 2 सही है।
(घ) कबीरदास का ‘गूंगे केरी शर्करा’ से क्या तात्पर्य है? (1)
उत्तर :
कबीरदास जी ने ‘गूंगे केरी शर्करा’ का उदाहरण देकर एक गूंगे व्यक्ति की इन्हीं भाबनाओं को स्पष्ट किया है। शर्कस (शक्कर) के उपभोग से वह मीठे स्वाद का आनंद तो ले लेता है, लेकिन उस स्वाद को व्यक्त करने में असहाय होता है।
(ङ) देश के हित के लिए संपर्क भाषा क्यों आवश्यक है ? (2)
उत्तर :
देश को मजबूत बनाने, एकता एवं अखंडता बनाए रखने में संपर्क भाषा एक अहम् भूमिका का निर्वाह करती है। यदि राष्ट्र की एक संपर्क भाषा विकसित होती है, तो लोग चाहे पर्वतीय क्षेत्र या समुद्र तटीय क्षेत्र के निवासी हों, वे एक-दूसरे को समझने में, विचार प्रकट करने में सक्षम होते हैं। संपर्क भाषा के माध्यम से ही देश-विदेश में संपर्क किया जाना संभव हो पाया है।
(च) प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उचित शीर्षक क्या है? उसके पक्ष में तर्क दीजिए। (2)
उत्तर :
भाषा के माध्यम से ही देश के लिए कर्तंव्यनिष्ठ तथा राष्ट्र निर्माण हेतु अच्छे नागरिक बनाए जा सकते हैं। इसके द्वारा विचारों के आदान-प्रदान, सभ्यता-संस्कृति के प्रसार आदि को बढ़ावा मिलता है, जो मनुष्य को एकजुट रहने तथा संपर्क बनाने में सहायक है। अत: प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक ‘भाषा की उपयोगिता’ हो सकता है।
(छ) मानव समुदाय के विभिन्न प्रकार के व्यक्तित्व को किस तरह समझा जा सकता है? स्पष्ट करें। (2)
उत्तर :
हर एक समुदाय; जैसे-पंजाबी, मद्रासी, बंगाली आदि का अलग-अलग व्यक्तित्व होता है। उनके विचार, आदर्श एवं भावनाएँ भिन्न-भिन्न होती हैं। वे अपने व्यक्तित्व को काव्य, संगीत, साहित्य आदि के माध्यम से प्रकट करते हैं, जो कि भाषा के बिना असंभब है। मानव की अमूर्त भावनाओं एवं विचारों को मूर्त रूप प्रदान करना, भाषा द्वारा ही संभव है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए। (8)
नौका से उठतीं जल-हिलोर,
हिल पड़ते नभ के ओर-छोर!
विस्फारित नयनों से निश्चल कुछ खोज रहे चल तारक दल
ज्योतित कर नभ का अंतस्तल;
जिनके लघु दीपों को चंचल, अंचल की ओट किए अविरल
फिरतीं लहरें लुक-छिप पल-पल!
सामने शुक्र की छवि झलमल, तैरती परी-सी जल में कल,
रुपहरे कचों में हो ओझल!
लहरों के घूँघट से झुक-झुक, दशमी का शशि निज तिर्यक् मुख
दिखलाता मुर्धा-सा रुक-रुक!
जब पहुँची चपला बीच धार
छिप गया चाँदनी का कगार!
दो बाँहों से दूरस्थ तीर धारा का कृश कोमल शरीर
आलिगन करने को अधीर!
अति दूर, क्षितिज पर विटप-माल लगती भ्रू-रेखा-सी अराल,
अपलक नभ, नील-नयन विशाल,
माँ के उर पर शिशु-सा समीप, सोया धारा में एक द्वीप,
उर्मिल प्रवाह को कर प्रतीप,
वह कौन विहग? क्या विकल कोक, उड़ता हरने निज विरह शोक?
छाया को कोकी का विलोक!
(क) नौका चलने के कारण तरंगें कहाँ उठती हैं? (1)
(i) गंगा में
(ii) नौका में
(iii) जल में
(iv) वायु में
उत्तर :
(iii) जल में
(ख) जल में किस तारे की परछाई सुंदर परी की तरह तैरती दिखाई दे रही है? (1)
(i) ध्रुव तारे की
(ii) शुक्र तारे की
(iii) सभी तारों की
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) शुक्र तारे की
(ग) कथन (A) जल में प्रतिबिंबित आकाश इस छोर से उस छोर तक हिलता हुआ-सा प्रतीत होता है। (1)
कारण (R) नौका चलने से जल में तरंगें उठती हैं। कूट
(i) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण ( R ) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, किंतु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(घ) जल में प्रतिबिंबित आकाश कैसा दिखाई देता है? (1)
उत्तर :
जल में प्रतिबिंबित आकाश इस छोर से उस छोर तक हिलता हुआ-सा दिखाई देता है।
(ङ) उल में प्रतिबिंबित तारों की परछाई को देखकर कैसा लगता है? (2)
उत्तर :
जल में प्रतिबिंबित तारों की परछाई को देखकर ऐसा लगता है, मानों तारों का दल जल के अंदर के भाग में प्रकाश फैलाकर अपनी आँखें फाड़-फाइकर कुछ दूँढ रहा हो।
(च) कवि को वृक्षों को देखकर कैसा प्रतीत हुआ? (2)
उत्तर :
कवि को दूर क्षितिज पर कतारबद्ध वृक्षों को देखकर ऐसा प्रतीत हुआ मानों वे नीले आकाश के विशाल नेत्रों की तिरछी भौहै हैं और धरती को एकटक निहार रही हैं।
खंड ‘ख’
अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्यपुस्तक (22 अंक)
खंड ‘ख’ में अभिव्यक्ति और माध्यम से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित 3 विषयों में से किसी 1 विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6 × 1 = 6)
(क) सत्संगति का मानव जीवन में महत्त्व
उत्तर :
सत्संगति का मानव जीवन में महत्त्व
परमात्मा की संपूर्ण सृष्टि में मानव को श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि मनुष्य विवेकशील, विचारशील तथा चिंतनशील प्राणी है। परमात्मा ने केषल मानव को ही लुद्धि अर्थात् चितन शक्ति प्रदान की है। वह बुरा-भला सभी प्रकार का विचार करने में समर्थ है। समाज में उच्च स्थान प्राप्त करने के लिए मानव को नैतिक शिक्षा व सत्संगति की आवश्यकता पड़ती है। मानव को बाल्यावस्था से ही माता-पिता द्वारा अच्छे संस्कार प्राप्त होने चाहिए, क्योंकि बचपन के संस्कारों पर ही मानव का संपूर्ण जीवन निर्भर रहता है।
सत् + संगति अर्थात् अच्छे व्यक्तियों के साथ रहना, उनके आचार-विचार एवं व्यवहार का अनुशासन करना ही ‘सत्संगति’ कहलाता है। सत्संगति मानव को ही नहीं अपितु पशु-पक्षी एवं निरीह जानवरों को भी दुष्रवृत्ति छोड़कर सद्वृत्ति के लिए ग्रेरित करती है।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह नित्य प्रति भिन्न-भिन्न प्रकृति के व्यक्तियों के संपर्क में आता है। वह जिस भी प्रकृति के व्यक्ति के संपर्क में आता है, उसी के गुण-दोषों तथा व्यवहार अदि को ग्रहण कर लेता है। अत: मानव को बुरे लोगों की संगति से बचना चाहिए तथा सत्संगति अपनानी चाहिए, क्योंकि सत्संगति ही मनुष्य को अच्छे संस्कार, उचित व्यवहार तथा उच्च विचार प्रदान करती है। यदि वह कुसंगति में पड़ गया, तो उसका संपूर्ण जीवन नष्ट हो जाएगा।
सत्संगति से मानव के आचार-विचार में परिवर्तन आता है और वह बुराई के मार्ग का त्याग कर सच्चे और अच्छे कर्मों में प्रवृत्त हो, जाता है। सत्संगति ही उसके सच्चे मार्ग को प्रदर्शित करती है। उस पर चलता हुआ मानव देवताओं की श्रेणी में पहुँच जाता है। इस मार्ग पर चलने वाले के सामने धर्म रोड़ा बनकर नहीं आता है। अत: उसे किसी प्रकार के प्रलोभनों से विचलित नहीं होना चाहिए। सत्संगति कुंदन है। इसके मिलने से काँच के समान मानव हीरे के समान चमक उठता है। अत: उन्नति का एकमात्र सोपान कत्संगति ही है। मानव को सज्जन पुरुषों के सत्संग में ही रहकर अपनी जीवनरूपी नौका समाजरूपी सागर से पार लगानी चाहिए। तभी वह आदर को प्राप्त कर सकता है तथा समस्त ऐश्वर्यों के सुख का उपभोग कर सकता है। इसीलिए कहा गया है “जहाँ सुमति तहै संपत्ति नाना।”
(ख) कन्या भ्रूण हत्या : एक अपराध
उत्तर :
कन्या भूण हत्या : एक अपराध
अल्ट्रासाउंड स्कैन जैसी लिंग परीक्षण जाँच से माँ के गर्भ से लडकी के भूण को समाप्त करने के लिए गर्भपात की प्रक्रिया को कन्या भ्रूण-हत्या कहते हैं। भूण का कोई भी लिंग परीक्षण भारत में गैर-कानूनी है। कन्या प्रूण-हत्या भारत में शताब्दियों से चली आ रही है, विशेष रूप से उन परिवारों में, जो केवल पुत्र की ही कामना करते हैं। इसके पीछे विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और भावनात्मक कारण भी हैं। सामान्यतः माता-पिता बालिका शिशु नहीं चाहते हैं, क्योंकि उन्हें लड़की की शादी में दहेज के रूप में एक बड़ी कीमत चुकानी होती है।
लोगों की ऐसी मान्यता है कि लइकियाँ हमेशा उपभोक्ता होती हैं और लइ़के उत्पादक होते है। लोगों की सोच है कि लड़का उनके लिए जीवनभर कमाएगा और उनका ध्यान रंखेगा, जबकि लडकी शादी के बाद दूसरे घर चली जाएगी। भविष्य में पुत्र ही परिवार का नाम आगे बढ़ाएगा, जबकि लड़कियाँ पति के घर के नाम को आगे बढ़ाती हैं। ऐसे ही मिथक, कन्या श्रूण-हत्या जैसे अपराध को जन्म देते है। कन्या भूण-हत्या को रोकने के लिए सरकार द्वारा अनेक कानून बनाए तो गए हैं। कितु इसके बावजूद भी वर्तमान समय में कन्या भ्रूण-हत्या भारतीय समाज में प्रच्चलित है। यह एक अपराथ व सामाजिक कलंक है। इसे समाप्त करने के लिए सरकार को कठोर से कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।
(ग) फिल्मों की समाज में भूमिका
उत्तर :
फिल्मों की समाज में भूमिका
आधुनिक समाज में फिल्म मनोरंजन का मुख्य साधन है। समाज का एक बड़ा वर्ग इससे प्रभावित होता है। अधिकतर लोग कलाकारों की अभिनेयता को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं। अत: फिल्मों का सामाजिक उत्तरदायित्व और भी बढ़ जाता है। समाज की बुराइयों को दूर करने में फिल्में अहम थूमिका निभाती हैं। ये समाज में स्वस्थ वातावरण का निर्माण करने में सहायक हैं। इस संदर्भ में अनेक फिल्मों का उदाहरण दिया जा सकता है; जैसे-‘प्यासा’ और ‘प्रभात’ जैसी फिल्मों को देखकर अनेक नारियों ने वैश्यार्वृत्ति को त्यागकर स्वस्थ जीवन जीने की राह अपनाई। ‘पा’ जैसी फिल्म ने असमय वृद्ध होने वाले बच्चों की कठिनाइयों को प्रदर्शित किया।
वर्तमान समय में आधुनिक समाज श्रेष्ठ साहित्यिक कृतियों से दूर होता जा रहा है। इस दूरी को कम करने में फिल्मों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। ‘आँधी’ और ‘मौसम’ फिल्में कमलेश्वर की साहित्यिक कृतियों पर आधारित हैं। फिल्मों के गीत भी व्यक्ति के एकाकीपन, निराशा व दु:ख को कम करते हैं तथा मन में नई आशा का संचार करते हैं। यद्यपि फिल्मों के सकारात्मक रूप के साथ-साथ उनका एक नकारात्मक रूप भी है। आज के अनेक युवा फिल्मों को देखकर गुमराह हो जाते हैं, लेकिन यदि फिल्मों में समाज की समस्याओं को सकारात्मक बंग से प्रस्तुत किया जाए तथा फिल्मों की व्यावसायिकता को नजर अंदाज़ कर दिया जाए, तो फिल्में समाज को नई दिशा दिखा सकती हैं। ये समाज का नव-निर्माण कर सकती हैं।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पदिए और किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 4 = 8)
(क) ‘नाटक साहित्य की सर्वोत्तम विधा है, जिसे पढ़ने और सुनने के साथ देखा भी जा सकता है।’ नाटक का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए इसके अंगों पर प्रकाश डालिए। (2)
उत्तर :
नाटक साहित्य की वह सवोंत्तम विधा है, जिसे पढ़ने और सुनने के साथ देखा भी जा सकता है। नाटक शब्द की उत्पत्ति ‘नट्’ धातु से मानी जाती है। ‘नट्’ शब्द का अर्थ अभिनय है, जो अभिनेता से जुड़ा हुआ है। इसे ‘रूपक’ भी कहा जाता है। भारतीय परंपरा में नाटक को दृश्यकाव्य की संज्ञा दी गई है। नाटक के मुख्य अंग निम्नलिखित हैं
1. समय का बंधन नाटक का प्रथम अंग समय का बंधन है। समय का यह बंधन नाटक की रचना पर अपना पूरा प्रभाव डालता है, इसलिए नाटक को शुरुआत से लेकर अंत तक एक निश्चित समय-सीमा के अंदर ही पूरा होना होता है।
2. शब्द नाटक का दूसरा महत्त्वपूर्ण अंग शब्द है। नाटक में शब्द अपनी एक नईं, निजी और अलग अस्मिता ग्रहण करता है। शब्द को ‘नाटक का शरीर’ कहा गया है।
(ख) कहानी का सबसे आवश्यक तत्त्व क्या है? वर्णन कीजिए। (2)
उत्तर :
कथानक, कहानी का सबसे आवश्यक तत्त्व एवं केंद्रीय बिंदु होता है, जिसमें प्रारंभ से अंत तक कहानी की सभी घटनाओं और पात्रों का उल्लेख होता है। सरल शब्दों में, कहानी की रचना को ‘कथानक’ कहा जाता है। प्रत्येक कहानी के लिए कथावस्तु का होना अनिवार्य है, क्योंकि इसके अभाव में किसी कहानी की रचना की कल्पना भी नहीं की जा सकती। कथानक को कहानी का प्रारंभिक नक्शा भी माना जा सकता है। कहानी का कथानक कहानीकार के मन में किसी घटना, जानकारी, अनुभव या कल्पना के कारण आता है। कहानीकार एक कल्पना का विकास करते हुए परिवेश, पात्र और समस्या को आकार देता है। इस प्रकार, वह एक ऐसा काल्पनिक ढाँचा (बनावट) तैयार करता है, जो कोरी कल्पना न होकर संभावित हो तथा लेखक के उद्देश्य से मिलती हो।
(ग) आत्मनिर्भर होकर लेखन करना ही अप्रत्याशित लेखन की कुशलता का आधार है, कैसे? स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
आत्मनिर्भर होकर लेखन करना ही अप्रत्याशित लेखन की कुशलता का आधार है, क्योंक जो लोग आत्मनिर्भर होकर लिखित रूप में अभिव्यक्ति का अभ्यास नही करते उन्हें अप्रत्याशित विषयों पर लिखना एक चुनौती के समान लगता है। रटने की बुरी आदत हमे अभ्यास का अवसर नहीं देती और हम दूसरों द्वारा तैयार की गई सामग्री को ज्यों का त्यों प्रस्तुत कर देते हैं। यह निर्भरता हमारे मौलिक अभ्यास को बाधित करती है और हमारी लिखित अभिव्यक्ति की क्षमता को विकसित नहीं होने देती। अत: आवश्यक है कि हमें निब्बध के परंपरागत विषयों को छोड़कर नए प्रकार के विषयों पर लिखने का अभ्यास करना चाहिए।
(घ) मुद्रित माध्यमों के लिए लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है? (2)
उत्तर :
मुद्रित माध्यमों के लिए लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है
- मुद्रित माध्यमों के लिए लेखन करते समय अपने पाठकों के भाषा-ज्ञान व उनकी रुचियों तथा जरुरतों का भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है।
- मुद्रित माध्यमों के लेखकों और पत्रकारों को प्रकाशन की समय-सीमा का भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है।
- मुद्रित माध्यमों में लेखक को स्पेस का भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है; जैसे-किसी अखबार या पत्रिका के संपादक ने यदि आपको 250 शब्दों में रिपोर्ट या फीचर लिखने के लिए कहाहै, तो आपको उस शब्द सीमा का ध्यान रखना पड़ेगा।
- मुद्रित माध्यम के लेखक या पत्रकार को इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि छपने से पहले आलेख में मौजूद सभी गलतियों और अशुद्धियों को दूर कर दिया जाए।
(ङ) डेड लाइन से आप क्या समझते हैं? (2)
उत्तर :
कोई भी समाचार-पत्र जिस अवधि के बाद छपता है, वह अवधि ही किसी समाचार के लिए डेड लाइन होती है। प्राय: समाचार-पत्र 24 घंटे बाद छपते हैं। अत: पिछले 24 घंटों की खबरे ही छपने योग्य होती हैं। उससे पूर्व की सूचनाएँ बेकार हो जाती हैं। अत: समाचार-पत्रों के लिए 24 घंटे की अवधि डेड लाइन होती है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पदिए और किन्हीं 2 प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) जनसंचार के मुद्रित माध्यमों की विशेषताएँ लिखिए। (4)
उत्तर :
जनसंचार के मुद्रित माध्यमों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- मुद्रित माध्यम में लिखे हुए शब्द स्थायी होते हैं।
- इन लिखे हुए शब्दों को हम एक बार नहीं, वल्कि अनेक बार पद्ध सकते हैं।
- अपनी रचि और समझ के अनुसार उस स्तर के शब्दों से परिचित हो सकते हैं।
- लिखित शब्दों का अध्ययन, चिंतन-मनन किया जा सकता है।
- जटिल शब्दों के लिए शब्दकोश का भी प्रयोग कर सकते हैं।
- खबर को अपनी रुचि के अनुसार पहले या बाद में पढ़ा जा सकता है।
- किसी भी मुद्रित सामग्री को लंबे समय तक सुरकित भी रखा जा सकता है।
- मुद्रित सामग्री को साक्ष्य के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।
- यह लिखित भाषा का विस्तार है, जिसमें लिखित भाषा की सभी विशेषताएँ निहित हैं।
(ख) बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में क्या अंतर है? (4)
उत्तर :
बीट रिपोर्टिंग व विशेषीकृत रिपोटिंग में यह अंतर है कि बीट रिपोर्टर को सामान्यत: अपनी बीट से जुड़ी सामान्य खबरें ही लिखनी होती हैं। अपनी बीट की रिपोर्टिंग के लिए संवाददाता को उस क्षेत्र के बारे में जानकारी और रुचि होना पर्याप्त होता है। विशेषीकृत रिपोर्टिंग का तात्पर्य यह है कि संवाददाता सामान्य खबरों से आगे बढ़कर उस विशेष क्षेत्र या विषय से जुड़ी घटनाओं मुद्दों और समस्याओं का सूक्षतता से विश्लेषण करे तथा पाठकों के सामने उनका अर्थ स्पष्ट करने का प्रयास करे। बीट कवर करने वाले रिपोर्टर को संवाददाता कहा जाता है, जबकि विशेषीकृत रिपोर्टर को ‘विशेष संवाददाता’ कहा जाता है।
(ग) विशेष रिपोर्ट किसी घटना, मुद्दे या समस्या के बारे में लिखी जाती है। विशेष रिपोर्ट के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए (4)
उत्तर :
अखबारों और पत्रिकाओं में किसी घटना, समस्या या मुद्दे की गहरी छानबीन, विश्लेषण और व्याख्या की जाती है, इसे ही विशेष रिपोट्टे कहा जाता है।
विशेष रिपोर्ट निम्नलिखित प्रकार की होती हैं
- खोजी (इन्वेस्टिगेटिव) रिपोर्ट इस रिपोर्ट में रिपोर्टर मौलिक शोध और छानबीन के माध्यम से ऐसी सूचनाएँ या तथ्य सामने लाता है, जो सार्वजनिक तौर पर पहले से उपलब्ध नहीं थीं। खोजी रिपोर्ट का प्रयोग प्राय: भषष्टाचार, अनियमितताओं और गडबड़ियों को उजागर करने के लिए किया जाता है।
- इन-ड्डेप्थ रिपोर्ट इस रिपोर्ट में सार्वजनिक तौर पर उपलब्ष तथ्यों, सूचनाओं और आँकड़ों की गहरी छानबीन की जाती है तथा उसके आधार पर किसी घटना, समस्या और मुद्दों से जुड़े महत्त्वपूर्ण पहलुओं को सामने लाया जाता है।
- विश्लेषणात्मक रिपोर्ट इस रिपोर्ट में किसी घटना या समस्या के तथ्यों का विश्लेषण या व्याख्या की जाती है।
- विवरणात्मक रिपोर्ट इस रिपोर्ट में किसी घटना या समस्या के विवरण को सूक्ष्म या विस्तृत रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास किया जाता है।
खंड ‘ग’
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 एवं वितान भाग-2 (40 अंक)
खंड ‘ग’ में पाठ्यपुस्तक आरोह भाग- 2 से गद्य व पद्य खंड से बहुविकल्पीय प्रश्न, अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न व लघूत्तरात्मक प्रश्न तथा वितान भाग- 2 से लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित पध्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्य को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
किसबी, किसान-कुल, बनिक, भिखारी, भाट,
चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी।
पेट को पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त गिरि,
अटत गहन-गन अहन अखेटकी।।
ऊँचे-नीचे करम, धरम-अधरम करि,
पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।
‘तुलसी’ बुझाइ एक राम-घनस्याम ही तें,
आगि बड़वागितें बड़ी है आगि पेटकी।।
(क) कवि के अनुसार कौन लोग भूख शांत करने में लगे हैं? (1)
(i) भिखारी
(ii) कुशल अभिनेता
(iii) व्यापारी
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(ख) प्रस्तुत पद्यांश में वर्णित भूख से उत्पन्न स्थितियों में सर्वाधिक मार्मिक स्थिति कौन-सी है? (1)
(i) पेट भरने के लिए अनुचित कार्य करना
(ii) पेट भरने के लिए पुत्र-पुत्री को बेचना
(iii) पेट भरने के लिए पर्वतों पर आजीविका खोजना
(iv) पेट भरने के लिए दिनभर धूप में शिकार खोजना
उत्तर :
(ii) पेट भरने के लिए पुत्र-पुत्री को बेचना
(ग) ‘पेट की आग’ मनुष्य को क्या करने पर मज़बूर कर देती है? (1)
(i) धर्म-अधर्म करने पर
(ii) सुकर्म करने पर
(iii) नौकरी करने पर
(iv) भजन करने पर
उत्तर :
(i) धर्म-अधर्म करने पर
(घ) कथन (A) जन-सामान्य कोई भी बुरा-से-बुरा काम करने के लिए विवश है। (1)
कारण (R) लोगों की विषम आर्थिक परिस्थिति थीं।
कूट
(i) कथन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ङ) सुमेलित कीजिए (1)
सूची I | सूची II |
A. भाट | 1. शिकार करना |
B. किसबी | 2. बाजीगर, जादूगर |
C. अखेटकी | 3. घूम-घूमकर गाने वाले |
D. चेटकी | 4. काम-धंधा करने वाले |
A B C D
(i) 2 1 4 3
(ii) 1 2 3 4
(iii) 2 3 1 4
(iv) 3 4 1 2
उत्तर :
(iv)
सूची I | सूची II |
A. भाट | 3. घूम-घूमकर गाने वाले |
B. किसबी | 4. काम-धंधा करने वाले |
C. अखेटकी | 1. शिकार करना |
D. चेटकी | 2. बाजीगर, जादूगर |
प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) शीतल वाणी में आग के होने का क्या अभिप्राय है? (3)
उत्तर :
वाणी भावों की अभिव्यक्ति का माध्यम है। भावों का आवास हृदय है। भाव कोमल एवं कठोर दोनों प्रकार के हो सकते हैं। कवि शांत भाव से कविता की रचना कर रहा है, पर उसके अंदर अत्यधिक वैचारिक उथल-पुथल है। उसमें पर्याप्त आग छिपी हुई है। कवि के सामान्य शब्दों में भी शक्ति, क्षमता और क्रांति की आग व्याप्त है। वास्तव में, वह अपनी शीतल वाणी में ही जनमानस के सोए हुए हुदयों को जागृत करने की शक्ति रखता है। इसी भाव को व्यक्त करते हुए कवि कहता है कि “शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ।” ऐसा कहकर कवि ने विरोधाभास अलंकार का प्रदर्शन किया है।
(ख) “पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है” तुलसी का यह काव्य-सत्य क्या आधुनिक समय का भी सत्य है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए। (3)
उत्तर :
तुलसीदास ने ‘कवितावली’ के एक पद में माना है कि ‘पेट की आग’ रामधक्ति रूपी मेघ ही बुझा सकते हैं। कवि का मानना है कि कर्म-फल ईंश्वर के अधीन है। ईश्वर को ‘पेट की आग’ का शमन करने वाला बताना सिर्फ आस्था का विषय है।
बिना कर्म के किसी फल की प्राप्ति संभव नहीं है। ईश्वर को पेट की आग बुझाने वाला मानना न तो तुलसी के युग में सत्य था और न ही आज के युग में सत्य है। जो मनुष्य परिश्रम करता है, वह आगे बढ़ता है। वर्तमान आर्थिक युग में ईश्वर क्रपा की जगह श्रम की महत्ता को स्थान दिया जाता है। ईश्वर के भरोसे रह जाने वाला जीवन, जगत में पीछे छूट जाता है।
(ग) रक्षाबंधन की तैयारी का वर्णन शायर द्वारा किस प्रकार किया गया है? ‘रुबाइयाँ’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तर :
रक्षाबंधन के दिन सुबह-सुबह जब आकाश पर काले बादल छाए होते हैं, तो एक नन्हीं-सी बच्ची अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधने को तैयार होती है। वह नन्ही-सी बच्ची बड़े उत्साह में है। वह उमंग के साथ हाथ में राखी लेकर खड़ी है। राली के लच्छे में बिजली-सी चमक है। ऐसी ही चमक उस बच्च्ची के चेहरे पर भी है।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ में प्रेम की अभिव्यक्ति हुई है, सिद्ध कीजिए। (2)
उत्तर :
‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ कविता में कवि ने समय बीत जाने के अहसास का वर्णन किया है। समय के साथ हमें लक्ष्य को प्राप्त कर लेना चाहिए। इसमें कवि ने प्रेम की अभिव्यक्ति करते हुए कहा है कि जब चिड्डिया अपने बच्चों के लिए सुबह भोजन की तलाश में निकल जाती है, तब बच्चे घोंसले से बाहर झाँक-झाँककर अपनी माँ का इंतजार कर रहे होते हैं। बच्चे और माँ एक-दूसरे से प्रेम करते हैं। अत: यहाँ चिडिया और उसके बच्चे के प्रेम को दर्शाया गया है।
(ख) ‘बात सीधी थी पर’ कविता के आधार पर लिखिए कि कवि को ‘भाषा’ के संदर्भ में किस बात का डर था और क्यों? (2)
उत्तर :
बात का अर्थ है- भावा भाषा उसे प्रकट करने का माध्यम है। दोनों के बीच घनिष्ठ संबंध है, कितु यहाँं ‘भाषा’ के संदर्भ में कवि को इस बात का डर है कि कभी-कभी भाषा के चक्कर में सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है। इसका कारण यह है कि जो बात सीधी, सरल शब्दावली में कही जा सकती है, उसे अधिक प्रभावपूर्ण बनाने हेतु कठिन शब्दावली का प्रयोग कर व्यक्त करने का प्रयास. किया जाता है और परिणामस्वरूप इससे सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है।
(ग) विप्लव के बादल की घोर गर्जना सुनकर धनी वर्ग किस आशंका से ग्रस्त हो जाता है और क्यों? ‘बादलं राग’ कविता के आधार पर बताइए। (2)
उत्तर :
समाज का धनी वर्ग प्रभुत्वशाली है। यह वर्ग पूँजीवादी तथा सामंती है। इसे किसी भी प्रकार के सामाजिक परिवर्तन से भय होता है। यह वर्ग शोषण की बुनियाद पर टिका होता है। कमजोर, वंचित तथा पिछडे लोग इसके शिकार बनते हैं, लेकिन जब दबी-कुचली जनता अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने लगती है, तो शोषक वर्ग भयभीत हो जाता है।
विप्लव के बादल जब घोर गर्जना करते हैं, तो धनी वर्ग अपने विनाश, मृत्यु तथा लुटने की आशंका से ग्रस्त हो जाता है। ऐसा धनी वर्ग अपने महल के शयनकक्ष में भी भयभीत दिखता है। उसे अपने अस्तित्व तथा शोषण की प्रक्रिया के अंत का बोध काँपने के लिए विवश कर देता है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
बाज़ार आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो। सब भूल जाओ, मुझे देखो। मेरा रूप और किसके लिए है? मैं तुम्हारे लिए हूँ। नहीं कुछ चाहते हो, तो भी देखने में क्या हरजज है। अजी आओ भी। इस आमंत्रण में यह खूबी है कि आग्रह नहीं है आग्रह तिरस्कार जगाता है, लेकिन ऊँचे बाजार का आमंत्रण मूक होता है और उससे यह जगती है। चाह मतलब अभाव। चौक बाज़ार में खड़े होकर आदमी को लगने लगता है कि उसके अपने पास काफी नहीं है और चाहिए और चाहिए। मेरे यहाँ कितना परिमित है और यहाँ कितना अतुलित है ओह!
(क) बाज़ार लोगों को आमंत्रित क्यों करता है? (1)
(i) नया सामान खरीदने के लिए
(ii) ग्राहकों को लूटने के लिए
(iii) नए उत्पाद से अवगत कराने के लिए
(iv) अपना स्वरूप दिखाने के लिए
उत्तर :
(ii) ग्राहकों को लूटने के लिए
(ख) ‘मैं तुम्हारे लिए हूँ’ पंक्ति में ‘मैं शब्द किसके लिए प्रयोग हुआ है? (1)
(i) लेखक के लिए
(ii) ग्राहक के लिए
(iii) उत्पादक के लिए
(iv) बाज़ार के लिए
उत्तर :
(iv) बाज़ार के लिए
(ग) सुमेलित कीजिए (1)
सूची I | सूची II |
A. हरज़ | 1. बहुत अधिक |
B. परिमित | 2. हानि |
C. अतुलित | 3. सीमित |
कूट
A B C
(i) 3 1 2
(ii) 1 3 2
(iii) 1 2 3
(iv) 2 3 1
उत्तर :
(iv)
सूची I | सूची II |
A. हरज़ | 1. बहुत अधिक |
B. परिमित | 2. हानि |
C. अतुलित | 3. सीमित |
(घ) लेखक के अनुसार, व्यक्ति को बाज़ार की चकार्चौध के बीच खडे होकर क्या अनुभव होने लगता है?
(i) उसके पास पर्याप्त सामान है
(ii) उसे और सामान खरीदने की आवश्यकता है
(iii) उसे बाज़ार से निकल जाना चाहिए
(iv) उसे अधिक सामान नहीं खरीदना है
उत्तर :
(ii) उसे और सामान खरीदने की आवश्यकता है
(ङ) ‘अजी आओ भी’ पंक्ति से कौन-सा भाव स्पष्ट हो रहा है? (1)
(i) विनय का
(ii) आदेश का
(iii) आकर्षण का
(iv) अलगाव का
उत्तर :
(iii) आकर्षण का
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़र दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) भक्तिन की तुलना हनुमान जी से करने के कारणों को स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तर :
लेखिका भक्तिन के सेवाभाव से बहुत प्रभावित थी। भक्तिन लेखिका के साथ हर समय उपस्थित रहती थी। लेखिका को जिस किसी भी चीज की आवश्यकता होती, वह तत्काल लेखिका को हाजिए कर देती थी। भर्तिन लेखिका के लिए भोजन का प्रबंध करती, उसके कपड़े धोती, पुस्तकों को सही तरीके से रखती आदि अनेक कार्य करती।
वह लेखिका के साथ बद्रीनाथ व केदारनाथ भी गई। भक्तिन की बेटी व दामाद जब उसे बुलाने आए, तो वह लेखिका को छोड़ने का मन नहीं बना पाई। उसने लेखिका के सामने धन के महत्त्व को कम कर दिया। वह लेखिका के लिए अपना सबकुछ लुटाने के लिए तैयार थी। अत: भक्तिन के इस तरह सेवा-भाव को देखकर ही लेखिका ने भक्तिन के सेवा-भाव की तुलना हनुमान जी से की।
(ख) ढोलक की आवाज का पूरे गाँव पर क्या असर होता था? (3)
उत्तर :
गाँव के बड़े-बूदे, अर्द्धमृत और पथ्यविहीन गाँववासियों में ढोलक की आवाज संजीवनी की शक्ति भरती थी। केवल ढोलक की आवाज़ ही निस्तब्ध (सन्नाटा) रात को चीरती हुई लोगों को जीवित होने का अहसास कराती थी। जैसे ही ढोलक की आवाज़ सुनाई देती थी, वैसे ही नसों में बिजली-सी दौड़ जाती थी। गाँववासियों को इस ढोलक की आवाज़ के कारण ही मृत्यु से डर नहीं लगता था।
(ग) ‘काले मेघा पानी दे’ कहानी में इंदर सेना का अन्य नाम क्या था? (3)
उत्तर :
‘काले मेघा पानी दे’ कहानी में इंदर सेना का अन्य नाम ‘मेंबक मंडली’ था। गाँव के कुछ लोगों को लड़कों का नंग-धड़ंग होकर कीचड़ में लथपथ होना अच्छ नहीं लगता था। वे उनके अंधविश्वास एवं ढोंग से चिढ़ते थे। इस कारण वे उन लड़कों की टोली से चिढ़ने के कारण उन्हें ‘मेंढक मंडली’ नाम से पुकारते थे।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) सभी पर बाज़ार का जादू क्यों नहीं चल सकता है? भगत जी का उदाहरण देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए। (2)
उत्तर :
लेखक के अनुसार, सभी लोगों पर बाज़ार का जादू नहीं चलता है अर्थात् जिन लोगों की क्रय-र्शक्ति होने पर मी उनका मन भरा हुआ है, उसमें किसी विशेष चीज को लेने का निश्चित लक्ष्य हो तथा अन्य किसी सामान की लालसा न हो, ऐसे लोगों पर बाज़ार का जादू नहीं चलता है। भगत जी भी उन्ही लोगों में से एक थे। इनका चूरन प्रसिद्ध था वे एक दिन में छ: आने से अधिक नहीं कमाते थे और इतनी कमाई होती कि वह बाकी चूरन बच्चों में मुफ्त बाँट देते थे। वे बाज्ञार से काला नमक और जीरा खरीदने जाते, तो सीधे पंसारी के पास जाकर खरीद लाते थे। उन पर चौक बाज़ार का न कोई आकर्षण रहता था और न कोई लालच। बाज़ार की चकाचौँध से मुक्त रहने से ही उन पर उसका जादू नहीं चलता था।
(ख) शिरीष के माध्यम से लेखक ने कोलाहल तथा संघर्ष में अविच्चल रहकर जिजीवषु बने रहने की प्रेरणा दी है। कैसे? स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
‘शिरीष के फूल’ द्विवेदी जी का उत्कृष्ट निबंध है। इसके माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है कि जिस प्रकार शिरीष का फूल लू, गर्मी, आँधी और शुष्क मौसम में भी खिलकर अपना सौंदर्यं बिखेरता रहता है, उसी प्रकार हमें भी जीवन के संघर्षों का सामना करते हुए प्रसन्नतापूर्वक जीवन जीना चाहिए। हमारी जिजीविषा भी ऐसी होनी चाहिए कि जब हमें कहीं से भी पोषण और नमी न मिल सके, वब हम अपनी आत्मा से बल अर्थात् पोषण पा सकें, जिससे हम विकट समय में भी सुकोमल सौंदर्यमयी जीवन को बनाने में अपने आपको सक्षम पाएँ।
(ग) जाति-प्रथा आर्थिक विकास के लिए हानिकारक कैसे है? ‘जाति-प्रथा और श्रम विभाजन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
जाति-प्रथा के कारण व्यक्ति की व्यवसाय करने में रुचि, क्षमता और प्रशिक्षण आदि का कोई योगदान नहीं रहता है। व्यवसाय को मजबूरी में अपनाने से वह जीवनभर के लिए उससे बँध जाता है। जिससे उसकी कार्य-कुशलता कमजोर पड़ जाती है और आर्थिक लाभ भी नहीं मिलता एवं न ही वह अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार रह पाता है। करी-कभी वह इस प्रथा के कारण भूख से मरने की स्थिति में भी पहुँच जाता है जिस कारण समाज एवं व्यक्ति को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है।
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग 2
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 100 शब्दों में उत्तर लिखिए। (5 × 2 = 10)
(क) “सिल्पर वैडिंग वर्तमान युग में बदलते जीवन-मूल्यों की कहानी है।” सोदाहरण सिद्ध कीजिए। (5)
उत्तर :
‘सिल्वर वैडिंग’ यथार्थ में वर्तमान युग के बदलते जीवन-मूल्यों की कहानी है। कहानी के केंद्रीय चरित्र यशोधर बाबू पाश्चात्य सभ्यता से विरक्ति रखते है। उनका व्यवहार अपनी पत्नी एवं बच्चों के प्रति उनके विरोध की भावना को दर्शाता है, क्योंकि वे पुराने विचारों का समर्थन करते हैं, जबकि उनका परिवार आधुनिक विचारों के पक्ष में रहता है।
वर्तमान समय पूरी तरह अर्थ पर आधारित हो गया है। आजकल परिवार में धन की अधिकता रहने पर ही पारिवारिक संबंध ठीक से निम पाते हैं, अन्यथा परिवार को बिखरते देर नहीं लगती। यशोधर बाबू को धन से विशेष लगाव नहीं है। इसलिए वे अधिक कमाने पर ध्यान नही देते। उनका बड़ा बेटा भूषण विज्ञापन कंपनी में ₹ 1500 प्रतिमाह पर काम करता है और उसमें अमीर व्यक्ति बनने की आकांक्षा है। वह यशोधर वाबू के विचारों के विपरीत सामाजिक संबंधों की मर्यादा को नकारता है।
इसी कारण वह अपनी बुआ को पैसे नहीं भेजता। उसे न अपने माता-पिता की इच्छा की परवाह है और न रिश्तेदारी की। बदलवे जीवन-मूल्यों के साथ आज की पीढ़ी सामाजिक परंपराओं को दकियानूसी मानकर छोड़ रही है।
पुरानी पीढ़ी निस्तेज होकर हाशिए पर लाचार खड़ी नज़र आती है। नई और पुरानी पीढ़ी के बीच वैचारिक अंतर बहुत गहरा हो गया है। अत: कहा जा सकता है कि ‘सिल्वर वैडिंग’ वर्तमान युग में हो रहे पारिवारिक मूल्यों के विघटन का यथार्थ चित्रण है।
(ख) “सिंधु सभ्यता की खूडी उसका सौँदर्य है, जो राज-पोषित या धर्म-पोषित न होकर समाज-पोषित था” ऐसा क्यों कहा गया? (5)
उत्तर :
मुअनजो-दड़ो की सभ्यता साधन संपन्न थी। यहाँ के लोगों की रुचि कला से जुड़ी होती थी। यहाँ पर पत्थर की मूर्तियाँ, मृद्भांड़, पशु-पक्षियों की छवियाँ, सुनिर्मित मुहरें, खिलौने, केश विन्यास, आभूषण इत्यादि सिंधु सभ्यता को तकनीकी रूप से अधिक सिद्ध होने की अपेक्षा उसके कला प्रेम को अधिक दर्शति हैं। यह सभ्यता धर्मतंत्र या राजतंत्र की ताकत का प्रदर्शन करने वाले महलों, उपासना स्थलों आदि का निर्माण नहीं करती थी। सिंधु सभ्यता समाज पोषित संस्था का समर्थन करती थी।
सभ्यता में आडंबर को स्थान नहीं दिया गया था, अपितु चारों ओर से सुंदरता ही दिखाई देती थी। समाज में सौंदर्य बोध था, न कि कोई राजनीतिक या, धार्मिक आड्डबर। सभ्यता के केंद्र में समाज को प्रथम स्थान दिया गया है। इसमें न किसी राज्या का प्रभाव था और न ही किसी धमं विशेष का। इतना अवश्य है कि कोई-न-कोई राजा अवश्य रहा होगा, लेकिन यह सभ्यता राजा पर अभ्रित नहीं थी। इन्हीं बातों के आधार पर हम कह सकते हैं कि “सिंधु सभ्यता राज-पोषित या धर्म-पोषित न होकर पूरी तरह से समाज-पोषित थी।”
(ग) ‘जूझ’ कहानी का कथानायक किशोर छात्रों के लिए एक आदर्श प्रेरणा स्रोत है। कहानी के आधार पर इस कथन की पुष्टि कीजिए। (5)
उत्तर :
‘जूझ’ कहानी का कथानायक किशोर छात्रों के लिए एक आदर्श प्रेरणास्रोत कहा जा सकता है। कथानायक आनंदा अत्यंत समझदार एवं होशियार विद्यार्थी धा। वहु कभी-भी कक्षा में अनुत्तीर्ण नहीं हुआ था, किंतु उसके पिता ने खेतों में काम न करने व दिनभर रखमाबाई के यहाँ बैठने की अपनी दिनचर्या के कारण उसे स्कूल जाने से मना कर दिया।
ऐसी जटिल परिस्थितियों में भी वह शिक्षा प्राप्ति के लिए प्रयास करता है। वह दत्ता जी राव देसाई से अनुरोध करते हुए अपने पिता को उसे स्कूल भेजने के विषय में समझाने के लिए कहकर किसी तरह पढ़ने की अनुमति लेता है तथा पढ़ाई के साथ वह खेती का काम भी करता है। उसके पास धन का नितांत अभाव है। उसके सहपाठी भी उसके पहनावे को लेकर उसकी खिल्ली उड्राते हैं, फिर भी वह शिक्षा प्राप्त करने में सफल होता है। इसी प्रकार किशोर-किशोरियों को भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मान-सम्मान की चिंता किए बिना कठोर परिश्रम करना चाहिए। उसके चरित्र से समस्त किशोर विद्धार्थियों को शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा लेनी चाहिए।