Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 3 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 3 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में खंड ‘अ’ में वस्तुपरक तथा खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
- खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘क’
अपठित बोध (18 अंक)
खंड ‘क’ में अपठित बोध के अंतर्गत अपठित गद्यांश व पद्यांश से संबंधित बहुविकल्पीय, अतिलघूत्तरात्मक तथा लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से बहुविकल्पीय तथा अतिलघूत्तरात्मक के प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक तथा लघूत्तरात्मक के लिए 2 अंक निर्धारित हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए। (10)
सिनेमा जगत के अनेक नायक-नायिकाओं, गीतकारो, कहानीकारों और निर्देशकों को हिंदी के माध्यम से पहचान मिली है। यही कारण है कि गैर-हिंदी भाषी कलाकार भी हिंदी की ओर आए हैं। समय और समाज के उभरते सच को परदे पर पूरी अर्थवत्ता में धारण करने वाले ये लोग दिखावे के लिए भले ही अंग्रेज़ी के आग्रही हों लेकिन बुनियादी और जमीनी हकीकत यही है कि इसकी पूँजी, इनकी प्रतिष्ठा का एकमात्र निमित्त हिंदी ही है। लाखों-करोड़ों दिलों की धड़कनों पर राज करने वाले ये सितारे हिंदी फ़िल्म और भाषा के सबसे बड़े प्रतिनिधि हैं।
‘छोटा परदा’ ने आम जनता के घरों में अपना मुकाम बनाया तो लगा हिंदी आम भारतीय की जीवन-शैली बन गई। हमारे आद्यंग्रंथों रामायण और महाभारत को जब हिंदी में प्रस्तुत किया गया तो सड़कों का कोलाहल सन्नाटे में बदल गया। ‘बुनियाद’ और ‘हम लोग’ से शुरू हुआ सोप ऑपिरा का दौर हो या सास-बहू धारावाहिकों का, ये सभी हिंदी की रचनात्मकता और उर्वरता के प्रमाण हैं। ‘कौन बनेगा करोड़पति’ से करोड़पति चाहे जो बने हों, पर सदी के महानायक की हिंदी हर दिल की धड़कन और हर धड़कन की भाषा बन गई।
सुर और संगीत की प्रतियोगिताओं में कर्नाटक, गुजराज, महाराष्ट्र, असोम, सिक्किम जैसे गैर-हिंदी क्षेत्रों के कलाकारों ने हिंदी गीतों के माध्यम से पहचान बनाई। ज्ञान गंभीर ‘डिस्कवरी’ चैनल हो या बच्चों को रिझाने-लुभाने वाला ‘टॉम एंड जेरो’-इनकी हिंदी उच्चारण की मिठास और गुणवत्ता अद्भुत, प्रभावी और ग्राह्य है। धर्म-संस्कृति, कला-कौशल, ज्ञान-विज्ञान सभी कार्यक्रम हिंदी की संप्रेषणीयता के प्रमाण हैं।
(क) सिनेमा जगत में नायक-नायिका, गीतकारों, कहानीकारों आदि की पूँजी व प्रतिष्ठा का कारण है (1)
(i) अंग्रेजी भाषा
(ii) हिंदी भाषा
(iii) जीवन-शैली
(iv) कला ब साहित्य
उत्तर :
(ii) हिंदी भाषा
(ख) निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (1)
1. हिंदी आम भारतीय की जीवन-शैली बन गई।
2. अंग्रेजी हिंदी से आगे निकल गई।
3. हिंदी हर दिल की धड़कन की भाषा बन गई। कूट
(i) केवल 2 सही है।
(ii) 2 और 3 सही हैं
(iii) 1 और 3 सही हैं।
(iv) 1 और 2 सही हैं
उत्तर :
(iii) 1 और 3 सही हैं।
(ग) कथन (A) गैर-हिंदी क्षेत्रों के कलाकारों के हिंदी गीतों के माध्यम से पहचान बनाई। (1)
कारण (R) हिंदी मात्र प्रतिष्ठा का आधार है।
कूट
(i) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है
(ii) कथन (A) गलत है, कितु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं
(iv) कथन (A) व कारण (R) दोनों गलत है।
उत्तर :
(i) कथन (A) सही है, कितु कारण (R) गलत है।
(घ) गैर-हिंदी भाषी कलाकारों के हिंदी सिनेमा में आने के दो कारणों का उल्लेख कीजिए। (1)
उत्तर :
गैर हिंदी भाषी कलाकारों के हिंदी सिनेमा में आने के दो कारण निम्नलिखित हैं
(i) इनकी पूँजी, प्रतिष्ठा का एकमात्र निमित्त हिंदी है।
(ii) हिंदी आम जनमानस की भाषा है। इसी के द्वारा वे आम दर्शकों में अपनी जगह बना पाते हैं।
(ङ) आशय स्पष्ट कीजिए
सड़कों का कोलाहल सन्नाटे में बदल गया। (2)
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति द्वारा लेखक ने यह बताने का प्रयास किया है कि टी.वी. पर प्रसारित होने वाले कुछ कार्यक्रम इतने लोकप्रिय हुए कि उनके प्रसारण के समय लोग अपना सारा काम छोड़कर घरों में टी.वी. के सामने बैठकर उस कार्यक्रम को देखते थे और जिन सड़कों पर वाहनों का शोरगुल रहता था, वहाँ एक सन्नाटा व्याप्त हो जाता था।
(च) फ़िल्म और टी.वी. ने हिंदी के प्रचार-प्रसार में क्या भूमिका निभाई है? गद्यांश के आधार पर बताइए। (2)
उत्तर :
फ़िल्मों और टी.वी. पर प्रसारित होने वाले कई चर्चित कार्यक्रमों से हिंदी भाषा आम भारतीय की जीवन-शैली बन गई है। इनसे हिंदी भाषा की रचनात्मकता व उर्वरता का प्रमाण मिलता है।
(छ) प्रस्तुत गद्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक बताते हुए मूल भाव संक्षेप में लिखिए। (2)
उत्तर :
प्रस्तुत गद्यांश में सिनेमा जगत् के कलाकारों का हिदी भाषा के द्वारा अपनी पहिचान बनाना उनकी पूँजी, प्रतिष्ठा का एकमात्र निमित्त हिंदी का होना आदि के विषय में चर्चा की गई है। इस प्रकार गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक ‘हिंदी भाषा की गुणवत्ता एवं उपयोगिता’ हो सकता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए। (8)
आज जीत की रात
पहरुए, सावधान रहना।
खुले देश के द्वार
अचल दीपक समान रहना।
प्रथम चरण है नए स्वर्ग का
है मंजिल का छोर
इस जनमंथन से उठ आई
पहली रत्न हिलोर,
अभी शेष है पूरी होना
जीवन मुक्ता डोर
क्योंकि नहीं मिट पाई दु:ख की
विगत साँवली कोर।
ले युग की पतवार
बने अंबुधि महान रहना
पहरुए, सावधान रहना।
विषम श्रृंखलाएँ टूटी हैं
खुली समस्त दिशाएँ
आज प्रभंजन बनकर चलतीं
युग बंदिनी हवाएँ,
प्रश्न चिह्न बन खड़ी हो गई
ये सिमटी सीमाएँ
आज पुराने सिंहासन की
दूट रहीं प्रतिमाएँ।
उठता है तूफ़ान, इंदु तम
दीप्तिमान रहना।
पहरुए, सावधान रहना।
ऊँची हुई मशाल हमारी
आगे कठिन डगर है
शत्रु हट गया, लेकिन उसकी
छायाओं का डर है
शोषण से मृत है समाज
कमजजोर हमारा घर है
किंतु, आ रही नई ज़िदगी
यह विश्वास अमर है।
जनगंगा में ज्वार
लहर तुम प्रवाहमान रहना
पहरुए, सावधान रहना।
(क) प्रस्तुत पद्यांश किससे संबंधित है? (1)
(i) देश की स्वाधीनता से
(ii) देशवासियों तथा सैनिकों से
(iii) स्वाधीनतां के पश्चात् आने वाली कठिनाइयों से
(iv) देश के शत्रु व उसकी छाया से
उत्तर :
(iii) स्वाधीनता के पश्चात् आने वाली कठिनाइयों से
(ख) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए (1)
1. स्वतंत्रता की प्रथम रात्रि में देश के रक्षकों को निशिचत नहीं रहना चाहिए।
2. स्वतंत्रता के बाद का रास्ता कठिन है।
3. विदेशी शोषण के पश्चात् भी हम कमजोर नहीं हैं।
उपर्युक्त कधनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(iii) 1 और 2
(ग) सुमेलित कीजिए (1)
सूची I | सूची II |
A. स्वतंत्रता पाप्ति के कारण | 1. रत्न से भरी जल तरंग |
B. प्रगति के तूफ़ान को | 2. चंद्रमा की तरह दीप्तिमान होकर आगे बढ़ाओ |
C. जनता के आंदोलन से यह सुनहरा अवसर | 3. देश के बंद दरवाज़े खुल गए |
A B C
(i) 3 2 1
(iii) 213
(ii) 1 3 2
(iv) 1 2 3
उत्तर :
(i)
सूची I | सूची II |
A. स्वतंत्रता पाप्ति के कारण | 3. देश के बंद दरवाज़े खुल गए |
B. प्रगति के तूफ़ान को | 2. चंद्रमा की तरह दीप्तिमान होकर आगे बढ़ाओ |
C. जनता के आंदोलन से यह सुनहरा अवसर | 1. रत्न से भरी जल तरंग |
(घ) ‘जीवन मुक्ता डोर’ से क्या अभिग्राय है? (1)
उत्तर :
‘जीवन मुक्ता डोर’ से आशय जीवन की समृद्धि एवं देश के निर्माण के लिए बहुत कुछ करने से है।
(ङ) कवि को किसकी छायाओं का डर बना हुआ है? (2)
उत्तर :
कवि को दुश्मन की छायाओं का डर बना हुआ है, क्योंकि भारत देश स्वतंत्र हो गया है, लेकिन दुश्मन की दृष्टि गिद्ध की तरह अभी भी इस और लगी हुई है। विश्व में हमारा सम्मान बढ़ा है, लेकिन रास्ता अभी कठिन है, क्योकि हमारा समाज आर्थिक दृष्टि से कमजोर है और हमारा देश भी इस दृष्टि से कमजोर है। इसलिए बड़ा ही सोच-समझकर चलने की ज्ञरूरत है। हमे यह विश्वास है कि हम अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ेंगे और देश को भी विश्व में सम्मान प्राप्त कराएँगे।
(च) पहरुए को सावधान रहने के लिए क्यों कहा जाता है? (2)
उत्तर :
देश के रक्षक पहरेदारों! आज विजय की रात है। देश की सुरक्षा के लिए सतर्क रहने की जरूरत है। स्वतंत्रता प्राप्ति के कारण देश के बंद दरवाजे खुल गए हैं। अतः हमें अपने देश की सुरक्षा के लिए अधिक सतर्क रहने की ज्ञरूरत है। हमें समय के महत्त्व को समझना है और अपने कर्त्तव्य पथ पर आगे बढ़ना है।
खंड ‘ख’
अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्यपुस्तक (22 अंक)
खंड ‘ख’ में अभिव्यक्ति और माध्यम से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित 3 विषयों में से किसी 1 विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6 × 1 = 6)
(क) काश! मैं प्रधानमंत्री होता
उत्तर :
काश! मैं प्रधानमंत्री होता
भारत में प्रधानमंत्री का पद अति महत्त्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री के पद पर सुशोभित होना निश्चय ही गौरव का विषय है। यह पद जितना महत्त्वपूर्ण है, उतना ही अधिक जिम्मेदारीपूर्ण भी है। मेरा मन भी इस पद के लिए लालायित रहता है।
यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता तो सर्वप्रथम मैं शिक्षा के उचित प्रसार पर ध्यान देता तथा इस बात का भी ध्यान रखता कि शिक्षा में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, व्यावसायिकता आदि के साथ-साथ नैतिंक मूल्यों का भी समावेश हो, जिससे सही अथों में शिक्षित नार्गरिक तैयार हो सकें।
आतंकवाद से जहाँ एक ओर नागरिकों में असुरक्षा की भावना जन्म लेती है, वहीं दूसरी ओर इसका देश की आर्थिक गतिविधियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आतंकवाद को समूल नष्ट करने हेतु मैं जल, थल और वायु तीनों सेनाओं की सामरिक शक्ति में बढ़ोतरी करता, जिससे कोई भी हमारे देश की ओर आंख उठाकर देखने की चेष्टा न कर सके।
भ्रष्ट्राचार से राष्ट्र को आर्थिक क्षति के साथ-साथ, नैतिक तथा चारित्रिक आघात भी सहना पड़ता है, इसलिए मैं अपने चरित्र को भी शुद्ध रखता और दूसरों के चरित्र को भी शुद्ध करने के लिए कठोर नियमों को लागू करता।
वर्तमान समय में आर्धिक विषमता, महँगाई, गरीबी, बेरोज़गारी, औद्योगीकरण की मंद प्रक्रिया आदि भारत के आर्थिक विकास की कुछ मुख्य चुनौतियाँ हैं। मैं प्रधानमंत्री के रूप में इन चुनौतियों का समाधान करने की कोशिश करता। अत: मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में भारत को खुशहाल देश बनाने का प्रयत्न करता।
(ख) 5 जी तकनीक
उत्तर :
5 G तकनीक
वर्तमान समय में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है, जो इंटरनेट का प्रयोग न करता हो। हमारे भारत देश में तकनीक के क्षेत्र में 1 जी से लेकर 5 जी तक की क्रांति आ चुकी है, जिससे भारत नित्त नई-नई तकनीकों की ओर अप्रसर होता जा रहा है। 5 जी तकनीक मोबाइल नेटवर्क तकनीक की पाँचवीं पीढ़ी की सेल्युलर तकनीक है, जिसका निर्माण तीव्र गति, कम विलंबता तथा कनेक्टेड उपकरणों के लिए उनकी क्षमता बढ़ाने के लिए किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अक्टूबर, 2022 को भारत में 5 जी सेवाओं के वाणिज्यिक रोलआडट का उद्धाटन किया था, जिसके बाद दूरसंचार कंपनियों ने महीनों के परीक्षण के बाद उपयोगकर्ताओं के लिए 5 जी की शुरुआत की। 5 जी तकनीक से देश के विकास में तीव्रता आएगी व डिजिटल इंडिया को एक अच्छी गति प्राप्त होगी। इससे जीडीपी व अर्थव्यवस्था में भी काफी सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे सकते हैं।
उच्च गति 5 जी तकनीक का सर्वप्रमुख लाभ है। 5 जी में 20 जीबीपीएस की गति हैं, जो संगठनों के स्वचालन, उन्नत वेब कॉन्क्रेसिंग आदि सेवाओं के उपयोग के लिए सक्षम बनाती है। ड्रोन और सेंसर सहित विभिन्न उपकरणों की एक पूरी शृंखला से जुइने के लिए 5 जी तकनीक एक बेहतर विकल्प है। इस तकनीक में जिन किरणों का प्रयोग किया जाता है उसका परिणाम काफी घातक सिद्ध हो रहा है। उच्च आवृत्ति की तरंगों के संपर्क में आना मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। स्पष्टतः सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की विशेषताओं के अनुसार भारत में 5 जी से आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक आदि सभी क्षेत्रों में मजयूती तो मिलेगी, किंतु इसे विकसित करना स्वयं में एक चुनौती भी है।
(ग) लड़का-लइकी एकसमान
उत्तर :
लड़का-लड़की एकसमान
लड़का व लडकी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। नर-नारी का जीवन एक-दूसरे के बिना अधूरा है। सृष्टि के अस्तित्व के लिए दोनों की महत्ता अनिवार्य है। नर-नारी के अपने-अप़े कार्यक्षेत्र, कर्तन्य व दायित्व हैं, जहाँ पुरुष धन अर्जन करता है, वहीं नारी घर-परिवार के दायित्व को सँभालती है, यहाँ तक कि आज नारी भी पुरुषों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपना योगदान दे रही है, परंतु फिर भी लड़का व लड़की को समान नहीं समझा जाता, नारियों पर अत्याचार होता है। ग्रामीण स्त्रियाँ इस शोषण का अधिक शिकार होती हैं। आज भी लड़के की चाहृत में कन्या श्रूण-हत्या जैसी समस्याएँ हमारे समाज में व्याप्त हैं। नर ब नारी दोनों ही समाज के आधारभूत स्तंभ हैं। समाज के विकास, उन्नति और प्रगति में दोनों की समान भूमिका है। लड़का व लड़की में भेदभाव करने का कारण अनेक सामाजिक रूढ़ियाँ हैं; जैसे-यह मान लेना कि पुत्र ही वंश को चलाता है, दहेज-प्रथा आदि। ये रूढ़ियाँ ही लड़की के आकाशरूपी जीवन में धूमकेतु बनकर छा जाती हैं। यद्यपि शिक्षा के द्वारा नारी की स्थिति में सुधार हुआ है। लोगों में जागरूकता आई है तथा लोगों की मानसिकता में परिवर्तन हुआ है।
प्राचीनकाल से ही इस देश की धरती पर सीता, गार्गी, भारती जैसी नारियों को पूजनीय माना जाता रहा है। आज के युग में नारी भी अंतरिक्ष तक पहुँच गई है, इसलिए नारी की उपेक्षा न कर उसको समान महत्त्व दिया जाना चाहिए। संविधान में लड़का-लड़की को समान माना गया है, दोनों के समान अधिकार हैं, इसलिए समाज के विकास के लिए जीवनरूपी दोनों पहियों (लड़का व लड़की) को समान महत्त्व देकर विश्व को विकास के पथ पर ले जाना चाहिए। समानता एक अवधारणा नहीं है, बल्कि यह एक आवश्यकता है।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढिए किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 4 = 8)
(क) “नाटक का प्रथम अंग समय का बंधन है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए। (2)
उत्तर :
नाटक का प्रथम अंग समय का बंधन है अर्थात् नाटक की समय-सीमा निर्धारित होती है। इसे सीमा से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता। नाटक को निर्धारित समय-सीमा के अंदर ही पूरा करना होता है। समय का यह बंधन नाटक की रचना पर अपना पूरा प्रभाव डालता है। नाटक का विषय भूतकाल हो या भविष्यकाल इन दोनों ही स्थितियों में यह वर्तमानकाल में संयोजित होता है।
यही कारण है कि नाटक के मंच निर्देश सदैव वर्तमानकाल में लिखे जाते हैं। चाहे काल कोई भी हो उसे एक समय में, एक स्थान विशेष पर वर्तमानकाल में ही घट्तित होना होता है। समय को लेकर एक और महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि साहित्य की अन्य विधाओं; जैसे-उपन्यास, कहानी, कविता को हमववाचन या श्रवण करते हुए बीच में रोक भी सकते हैं और कुछ समय बाद पुन: वही से पढ़ और सुन सकते हैं, जबकि नाटक के साथ ऐसा कर पाना संभव नहीं है।
(ख) आमुख का अर्थ बताते हुए इस पर टिप्पणी कीजिए। (2)
उत्तर :
आमुख को ‘मुखड़ा, इंट्रो (Intro) या लीड (Lead) भी कहा जाता है। आमुख समाचार का पहला अनुच्छेद होता है। इसके अंतर्गत समाचार के संबंध में तीन प्रश्न-क्या, कहाँ, कब का परिचय दिया जाता है। कभी-कभी इसमें कौन, क्यों तथा कैसे प्रश्नों का उत्तर देना भी जरूरी हो जाता है। आमुख में घटना क्या है अथवा विशिष्ट कथन क्या है इसका उल्लेख किया जाना अति महत्तपूर्ण है।
(ग) मौलिक प्रयास एवं अभ्यास से ही व्यक्ति के अंदर लिखित अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित होती है। इस कथन के संदर्भ में अप्रत्याशित लेखन के चरणों पर प्रकाश डालिए। (2)
उत्तर :
मौलिक प्रयास एवं अभ्यास से ही व्यक्ति के अंदर अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित होती है और उसमें रचनात्मकता आती है। वह किसी भी नए तथा अप्रत्याशित विषय पर लिखने में तथा अपने विचार अभिव्यक्त करने में समर्थ होता है। इसके लिए सर्वप्रथम हमें अप्रत्याशित विषय पर लिखने से पूर्व दो-तीन मिनट तक सोच-विचार करना चाहिए। मन में यह निश्चित करना चाहिए कि विषय से संबंधित किन बिंदुओं को विस्तृार देना चाहिए तथा किन बिंदुओं पर संक्षेप में लिखना चाहिए। जब हमारे मस्तिष्क में विषय से संबंधित तथ्यों की रूपरेखा होगी, तभी हम अपने विचारों को सुसंबद्ध व सुसंगत रूप से अभिव्यक्त कर पाएँगे।
(घ) ऊर्ध्वस्तूपी पद्धति समाचार की विलोम स्तूपी पद्धति से कम महत्त्वपूर्ण क्यों है? (2)
उत्तर :
ऊर्ण्वस्तूपी पद्धति समाचार लेखन की पद्धति है, किंतु प्राय: समाचार विलोम स्तूपी पद्धति के अनुसार लिखे जाते है, क्योक्रि ऊर्ध्वस्तूपी पद्धति में कम महत्त्वपूर्ण से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण के क्रम में तथ्यों का संकेत किया जाता है। चूँकि पाठक घटना के विषय में शीष्र ही सूचना प्राप्त करना चाहता है। वह पूरे ब्यौरे को पढ़ने में रुचि नहीं लेता है, इसलिए ऊर्ध्वस्तूपी पद्धति समाचार की विलोमस्तूपी पद्धति से कम महत्त्वपूर्ण होती है।
(ङ) जनसंचार के मुद्रित माध्यमों की विशेषताएँ लिखिए। (2)
उत्तर :
जनसंचार के मुद्रित माध्यमों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- लिखे हुए शब्द स्थायी होते हैं।
- इन लिखे हुए शब्दों को हम एक बार नहीं, बल्कि अनेक बार पढ़ सकते हैं।
- अपनी रचचि और समझ्ञ के अनुसार उस स्तर के शब्दों से परिचित हो सकते हैं।
- उन शब्दों का अध्ययन, चितन-मनन किया जा सकता है।
- जटिल शब्दों के लिए शब्दकोश का भी प्रयोग कर सकते हैं।
- इसके अतिरिक्त खबर को अपनी रुचि के अनुसार पहले या बाद में पढ़ा जा सकता है।
- किसी भी मुद्रित सामग्री को लंबे समय तक सुरक्षित भी रखा जा सकता है
प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़ए और किन्हीं 2 प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) समाचार लेखन की विलोम स्तूपी पद्धति के बारे में बताइए। (4)
उत्तर :
किसी समाचार को लिखने या कहने का वह तरीका, जिसमें उस घटना, विचार या समस्या के सबसे अहम (मुख्य) तथ्यों को सबसे पहले बताया या लिखा जाता है और उसके पश्चात् घटते हुए क्रम में अन्य तथ्यों या सूचनाओं का बताया या लिखा जाता हैं इस शैली में किसी घटना का वर्णन कालानुक्रम की अपेक्षा सबसे महत्वपूर्ण तथ्य या सूचना से शुरू होता है।
इस पद्धति में समाचार लिखते हुए उसका चरमोत्कर्ष प्रारंभ में दिया जाता है तथा घटनाक्रम की व्याख्या करते हुए अंत किया जाता है। समाचार लेखन की इस शैली को विलोम स्तूपी पद्धति (उल्टा पिरामिड शैली) कहते हैं।
(ख) हिंदी में नेट संचार की व्यापकता पर टिप्पणी कीजिए। (4)
उत्तर :
हिंदी में नेट पत्रकारिता का प्रारंभ वेब दुनिया के साथ हुआ। इंदौर में नई दुनिया समूह से प्रारंभ हुआ यह पोर्टल हिंदी का संपूर्ण पोर्टल है। हिंदुस्तान, अमर उजाला, नवभारत टाइम्स, नई दुनिया, भास्कर राष्ट्रीय सहारा आदि के वेब संस्करण प्रारंभ हुए। ‘प्रभासाक्षी’ नाम से प्रारंभ हुआ अखबार प्रिंट रूप में न होकर केवल इंटरनेट पर ही उपलब्ध है। आज पत्रकारिता के अनुसार श्रेष्ठ साइट बीबीसी है।
हिंदी वेब जगत में आज अनेक सहहित्यिक पत्रिकाएँ चल रही है। कुल मिलाकर हिंदी की वेब पत्रकारिता अभी अपने शैशवकाल में ही है। जब तक हिंदी की-बोर्ड का मानकीकरण नहीं हो जाता, तब तक इस समस्या को दूर नहीं किया जा सकता।
(ग) पत्रकारिता विशेषज्ञता में आपका अनुभव ही महत्त्वपूर्ण है। पत्रकारीय विशेषज्ञता कैसी होती है? स्पष्ट कीजिए। (4)
उत्तर :
पत्रकारीय विशेषज्ञता से तात्पर्य यह है कि किसी भी विषय में व्यावसायिक अर्थात् प्रोफेशनल रूप से प्रशिक्षण प्राप्त न करने के बावजूद भी उस विषय या क्षेत्र के बारे में इतनी जानकारी व अनुभव एकत्र करना, जिससे उस विषय या क्षेत्र से संबंधित होने वाली घटनाओं या खबरों को आम जनता या पाठकों को बड़ी सहजता व सरलता से समझाया जा सके। कहने का तात्पर्य यह है कि पत्रकारिता में यह आवश्यक नहीं है कि आंपके पास रिपोर्टिंग करने वाले विषय से संबंधित कोई प्रोफेशनल दस्तावेज़ हों, उसके लिए केवल आयका अनुभव व जानकारी ही आपका उस विषय में विशेषज होना प्रमाणित करता है।
खंड ‘ग’
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 एवं वितान भाग-2 (40 अंक)
खंड ‘ग’ में पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 से गद्य व पद्य खंड से बहुविकल्पीय प्रश्न, अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न व लघूत्तरात्मक प्रश्न तथा वितान भाग-2 से लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछ्छे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानयूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
तब प्रताप उर राखि प्रभु जैहऊँ नाथ तुरंत।
अस कहि आयसु पाई पद बंदि चलेउ हनुमंत।।
भरत बाहु बल सील गुन प्रभु पद प्रीति अपार।
मन महुँ जात सराहत पुनि पुनि पवन कुमार।।
(क) ‘मन महुँ जात सराहत पुनि पुनि पवन कुमार’ पंक्ति में किसके प्रति भक्ति-भावना का भाव है? (1)
(i) भरत के प्रति
(ii) राम के प्रति
(iii) लक्ष्मण के प्रति
(iv) शत्रुछ्न के प्रति
उत्तर :
(i) भरत के प्रति
(ख) प्रस्तुत पद्यांश के अनुसार हनुमान जी भरत के किन गुणों से प्रभावित हुए? (1)
(i) भरत की निक्क्रियता
(ii) भरत की राज्य के प्रति सेवा भावना
(iii) भरत के बाहुबल व शील गुण
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iii) भरत के बाहुबल वे शील गुण
(ग) हनुमान जी क्या हृदय में रखकर तुरंत स्वामी के पास जाने की बात कह रहे हैं? (1)
(i) राम का यश
(ii) भरत का यश
(iii) स्वयं की वीरता
(iv) राम के प्रति भक्ति
उत्तर :
(ii) भरत का यश
(घ) कथन (A) हनुमान जी आज्ञा पाकर भरत के चरणों की वंदना करके चले गए। (1)
कारण (R) हनुमान जी को अत्यधिक थकावट लग रही थी। कूट
(i) कथन (A) सही है, कितु कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की सही ब्याख्या नहीं करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथनन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(i) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(ङ) कवि द्वारा ‘भरत बाहु बल सील गुन प्रभु पद प्रीति अपार’ कहना प्रतिपादित करता है कि हनुमान (1)
(i) भरत के गुणों व राम के प्रति उनकी अपार भक्ति की प्रशंसा कर रहे हैं।
(ii) भरत के चरणों की वंदना कर रहे है।
(iii) भरत के भ्रातृ प्रेम की प्रशंसा कर रहे हैं।
(iv) भरत की कर्तव्व्यनिष्ठा की प्रशंसा कर रहे हैं।
उत्तर :
(i) भरत के गुणों व राम के प्रति उनकी अपार भक्ति की प्रशंसा कर रहे हैं।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) “कविता के बहाने सब घर एक कर देने के माने क्या होते हैं?” स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तर :
‘कविता के बहाने’ कविता में कवि, कविता और बालक में समानता व्यक्ता करते हुए कहता है कि कविता एक खेल है और बच्चों के खेल में किसी प्रकार की कोई सीमा नहीं होती। जिस प्रकार बच्चा अपने-पराए का भेद किए बिना सब जगह अपने स्वाभाबिक रूप में रहता है, वैसे ही कविता सबके लिए समान अर्थ और भाव व्यक्त करते हुए सभी को एक ही सीख देती है। सब घर एक कर देने का अर्थ है-आपसी भेद, अंतर एवं अलगाव को समाप्त करके सभी में एक जैसे अपनत्य की भावना का प्रसार करना। जिस प्रकार बालक के सपने और कल्पनाएँ असीम होती है, वैसे ही कविता में असीम संभावनाएँ, असीम कल्पनाएँ छिपी होती हैं। जिस प्रकार बालक अपने स्तर पर सभी घरों की दूरियाँ मिटा देता है, उसी प्रकार कविता भी सभी के बीच प्रेम एवं सौहार्द का संदेश देती है।
(ख) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता का वास्तविक उद्देश्य अपने कार्यक्रम को सफल बनाना है। इस कविता में निहित व्यंग्य पर टिप्पणी कीजिए। (3)
उत्तर :
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के माध्यम से कवि कहता है कि मीडिया वाले समर्थ एवं सशक्त होते हैं। वे किसी की करुणा को भी खरीद-बेच सकते हैं। वे कमज़ोर एवं अशक्त व्यक्तियों को समाज के सामने लाकर लोगों की सहानुभूति एवं आर्थिक लाभ लेना चाहते हैं। इससे उनकी लोकप्रियता एवं आय दोनों में वृद्धि होती है। इस कविता के माध्यम से कवि ने मीड़िया के व्यावसायिक दृष्टिकोण एवं समाज के हाशिए (किनारे) पर खड़े लोगों के प्रति उनकी तुच्छ मनोवृत्ति पर व्यंग्य किया है।
(ग) ‘बहुत काली सिर जरासे लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो।’ ‘ऊषा’ कविता के आधार पर प्रस्तुत पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि सूयोंदय होने के साथ ही आकाश में हल्की लालिमा छाने लगती है। आकाश के स्लेटी रंग में सूर्य की लालिमा का लाल रंग मिलने से कवि को आकाश ऐसा लगता है जैसे किसी ने काली सिल पर लाल केसर पीस कर उसे धो दिया हो अर्थांत् कवि को उस वक्त आकाश लाल केसर से धुली हुई उस काली सिल के समान दिखाई देता है, जिसे घोने के बाद भी उसमें केसर का हल्का लाल रंग रह जाता है।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर लिखिए।
(क) ‘कवितावली’ में तुलसी की वाणी में लोगों के प्रति उलाहने और तिरस्कार का भाव है। इसका क्या कारण रहा होगा? स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
तुलसी अपने समय में बहुत लोकप्रिय कवि चे। उन्होने जाति-पाँति और रक्त-गोत्र की शुद्धता को आधार बनाकर समाज में व्यक्ति का स्थान निर्धारित करने वाले धर्म के ठेकेदारों को समाज की प्रगति में सबस्ष बड़ा बाधक बताया। उनकी इस बात से तथा उनकी राम-भक्ति कथा बाँचने की कुशलता और लोकप्रियता के कारण बहुत-से लोग उनसे ईर्ष्या करते थे। वे तुलसी के जन्म, धर्म और कर्म को लेकर बातें भी बनाते थे। ऐसे ही निंदकों से परेशान होकर तुलसी ने उनका तिरस्कार किया होगा।
(ख) बालक द्वारा चाँद माँगने की ज़िद पर माँ क्या करती है? ‘रुबाइयाँ’ शीर्षक के आधार पर अपने शब्दों में उत्तर दीजिए। (2)
उत्तर :
बालक जि़द करके अपनी माँ से चाँद के खिलौने की माँग करता है। वह मचल रहा है और ठुनक रहा है। माँ उसे अन्य खिलौनों से बहलाने की कोशिश करती है, पर बालक चाँद का खिलौना ही चाहता है। माँ घर के* अंदर से आइना ले आती है। वह आइने में बच्चे को उसका चेहरा दिखाती हुई कहती है कि लो, अब चाँद धरती पर उतर आया है।
(ग) ‘बादल राग’ कविता में कवि ने अट्टालिका को ‘आतंक-भवन’ क्यों कहा है? (2)
उत्तर :
‘बादल राग’ कविता में कबि निराला ने लिखा है-‘अट्टालिका नहीं है रे आतंक-भवन’, क्योंकि समाज का प्रभुत्वशाली पूँजीपति वर्ग इन अट्टालिकाओं (महलों) में निवास करता है। अट्टालिकाओं में निवास करने वाला यह वर्ग हमेशा क्रांति के भय से सशंकित रहता है। उसका भय, उसकी आशंका इस अट्टालिका को अट्टालिका नहीं रहने दंते, बल्कि आतंक-भवन बना देते हैं। इस वर्ग का अस्तित्व शोषण तथा दमन में निहित है, इसलिए जब शोषक वर्ग क्रांति की बात सुनता है, तो उसके अंदर आतंक भर जाता है। इसलिए कवि ने ‘बादल राग’ कविता में अट्टालिका को आतंक भवन कहा है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
रात्रि की विभीषिका को केवल पहलवान की ढोलक ही ललकारकर चुनौती देती रहती थी। पहलवान संध्या से सुबह तक, चाहे जिस ख्याल से ढोलक बजाता हो, किंतु गाँव के अर्द्धमृत, औषधि-उपचार पथ्य-विहीन प्राणियों में यह संजीवनी शक्ति ही भरती थी। बूढ़े, बच्चे, जवानों की शक्तिहीन आँखों के आगे दंगल का दृश्य नाचने लगता था। स्पंदन-शक्ति-शून्य, स्नायुओं में भी बिजली दौड़ जाती थी। अवश्य ही ढोलक की आवाज में न तो बुखार हटाने का कोई गुण था और न महामारी की सर्वनाश शक्ति को रोकने की शक्ति ही, पर इसमें संदेह नहीं कि मरते हुए प्राणियों को आँख मूँदते समय कोई तकलीफ नहीं होती थी, मृत्यु से वे डरते नहीं थे।
(क) गाँव के अर्द्रमृत, औषधि-उपच्चार पथ्य-विहीन प्राणियों में संजीवनी शक्ति भरने का काम कौन करती थी? (1)
(i) शाम की आरती
(ii) पहलवान की ढोलक
(iii) भक्त के गीत
(iv) ये सभी
उत्तर :
(ii) पहलवान की ढ़लक
(ख) ढोलक की आवाज़ को सुनकर बिना किसी तकलीफ़ के अपने प्राण कौन त्याग देता था?
(i) लुट्टन सिंह
(ii) चाँद सिंह
(iii) मरता हुआ व्यक्ति
(iv) स्वस्थ व्यक्ति
उत्तर :
(iii) मरता हुआ व्यक्ति
(ग) कथन (A) पहलवान की ढोलक की आवाज़ सुनकर महामारी से तड़पते हुए लोगों को मृत्यु का भय नहीं लगता था। कारण (R) पहलवान की ढोलक में संजीवनी शक्ति थी। (1)
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की गलत व्याख्या करता है।
उत्तर :
(ii) कथन (A) सही है, कितु कारण (R) गलत है।
(घ) सुमेलित कीजिए (1)
सूयी I | सूची II |
A. सब डरकर अपने घरों में छिप जाते | 1. पहलवान की ढोलक |
B. तेज़ आवाज़ में चुनौती देती | 2. रात्रि का भय |
C. बिजली की-सी तेज़ी दौड़ने लगती | 3. चेतना शून्य शरीर की नसों |
कूट
A B C
(i) 2 3 1
(ii) 3 2 1
(iii) 2 1 3
(iv) 1 2 3
उत्तर :
(i)
सूयी I | सूची II |
A. सब डरकर अपने घरों में छिप जाते | 2. रात्रि का भय |
B. तेज़ आवाज़ में चुनौती देती | 1. पहलवान की ढोलक |
C. बिजली की-सी तेज़ी दौड़ने लगती | 3. चेतना शून्य शरीर की नसों |
(ङ) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए (1)
1. पहलवान की ढोलक की आवाज़ सुनकर गाँव के पीड़ित लोगों के सामने दंगल का दृश्य आ जाता था।
2. पहलवान की ढोलक रात्रि की भयावहता को कम कर देती थी।
3. पहलवान की ढोलक की आवाज़ पीड़ितों का उपचार करती थी। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 2
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(iii) 1 और 2
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढकर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभगा 60 शब्दों में उत्तर लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) भक्तिन लेखिका का हर समय ध्यान रखती थी। वह लेखिका के कार्यों में किस प्रकार से सहायता करती थी? स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तर :
भक्तिन लेखिका के कायों में हर प्रकार से सहायता करती थी। बह लेखिका के खान-पान, रहन-सहन इत्यादि का ध्यान रखती थी। वह उसकी पुस्तकों का भी ध्यान रखती थी और कभी-कभी छात्रावास के बच्चों की भी देखभाल कर लिया करती थौ। वह लेखिका के इधर-उधर रखे रुपयों को भी मटकी में संभालकर रख देती थी। अत: वह लेखिका की सहायता के लिए छाया बनकर उसके साण रहती थी।
(ख) दिनों-दिन गहराते पानी के संकट से निपटने के लिए क्या आज का युवावर्ग ‘काले मेघा पानी दे’ की इंदर सेना की तर्ज़ पर कोई सामूहिक आंदोलन प्रारंभ कर सकता है? अपने विचार लिखिए। (3)
उत्तर :
हाँ, पानी के गहराते संकट से निपटने के लिए आज का युवावर्ग बहुत कुछ कर सकता है। वह गाँव-गाँब में नए तालाब सुदवा सकता है, वर्षा के पानी को संरक्षित करने के नए-नए उपाय खोज सकता है एवं विद्यमान प्रणालियों को सही ढंग से क्रियान्वित करा सकता है। वह घर-घर जाकर पानी के महत्त्व को समझाकर पानी की एक-एक बूँद का सदुपयोग करना सिखा सकता है तथा जल संरक्षण के विभिन्न उपायों को सार्थक ढंग से लागू करवा सकता है।
(ग) लेखक के मित्र बाजार से कुछ भी क्यों नहीं ले सके? (3)
उत्तर :
लेखक के मित्र बाजार से कुछ भी इसलिए नहीं ले सके, क्योंकि उनकी नजर वहाँ मौज़द हर चीज पर पड़ी। सभी चीजों ने उन्हें अपनी ओर आकर्षित किया। उन्हें सभी कुछ पसंद आया, किंतु वे कोई एक-दो चीज ही लाते, तो अन्य चीजों को छोड़ना पड़ता और वे पसंद आई चीजों में से कुछ भी छोडना नहीं चाहते थे, इसलिए वे कुछ भी नहीं ले सके।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढकर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) ढोलक की आवाज अपने गुण और शक्ति की दृष्टि से कहीं कम प्रभावकारी थी और कहीं अधिक, ऐसा क्यों? (2)
उत्तर :
लुट्टन की ढोलक गाँव वालों में असीमित उत्साह्ह का संचार कर देती थी। इस असीम उत्साह के बल पर विषम-से-विषम परिस्थितियों से भी वे लड़ सकते थे, इस अर्थ में ढ़ोलक की आवाज़ अधिक प्रभावकारी थी, परंतु मलेरिया या हैजे जैसी किसी भी महामारी को ढोलक की थाप अपनी बुलंद आवाज़ से समाप्त नहीं कर सकती थी। वह इस महामारी को समाप्त न कर, केवल इससे लडने की शक्ति प्रदान करती थी। इस दृष्टि से ढोलक की आवाज बहुत कम प्रभावकारी थी।
(ख) लेखक के अनुसार, ‘शिरीष के फूल’ पाठ का उद्देश्य क्या है? स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
लेखक ने ‘शिरीष के फूल’ पाठ के माध्यम से मानव की अजेय जिजीविषा और कलह के बीच धैर्यपूर्वक, लोक के साथ और कर्त्तव्यशील बने रहने के महान मानवीय मूल्यों को स्थापित किया है। लेखक शिरीष के पुराने फलों की अधिकार लिप्सा तथा नए पत्ते एवं फलों द्वारा उन्हें धक्का देकर बाहर निकालंने में साहित्य, समाज व राजनीति में पुरानी और नई पीढ़ी के द्वंद्व की ओर भी संकेत करता है।
(ग) सदस्यों की क्षमता का अधिकतम उपयोग करने के लिए समाज को क्या करना चाहिए? (2)
उत्तर :
समाज को प्रारंभ से ही सभी सदस्यों को समान अवसर और समान व्यवहार उपलब्ध कराना चाहिए, तभी समाज अपने सदस्यों की क्षमता का अधिकतम उपयोग कर सकता है। यदि सदस्यों को समाज में उनका उचित स्थान मिलेगा, तभी वे मन लगाकर काम कर पाएँगे, अपनी प्रतिभा व क्षमता का अधिकाधिक उपयोग कर पाएँगे और समाज को भी भरपूर लाभ दे पाएँगे।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 100 शब्दों में उत्तर लिखिए। (5 × 2 = 10)
(क) क्या आप ऐसा मानते हैं कि यशोधर पंत की आँखों में नमी आने का कारण उनके बड़े बेटे भूषण का व्यवहार था? (5)
उत्तर :
यशोधर बाबू यह चाहते थे कि अब उनके बच्चे घर-गृहस्थी की जिम्मेदारी ले सें, परंतु ऐसा नहीं होता। उनके बड़े बेटे भूषण ने उन्हें उनकी शादी की पच्च्चीसवीं सालगिरह पर ड्रेसिंग ऊनी गाउन तो भेंट की, पर साथ-ही-साथ यह भी कहा कि सुबह दूध लेने जब जाएँ, तो इसे अवश्य पहनकर जाएँ। भूषण ने यह नहीं कहा कि दूध मैं ही ले आऊँगा, आप ठंड में बाहर नहीं जाना। इसी कारण यशोधर बाबू की आँखों में नमी आ गई। इसके साथ ही, उन्हें यह लग रहा था कि उनके अंगों में किशनदा उतर आए हैं, जिनकी मौत ‘जो हुआ होगा’ जैसी सोच से जुड़ी हुई थी। संभवत: वे यह सोच रहे हों कि उनका अंतिम समय भी किशनदा जैसा हो सकता है।
(ख) मुअनजो-दड़ो में किस प्रकार के घर बने हुए थे? उन घरों का वर्णन कीजिए। (5)
उत्तर :
मुअनजो-दड़ो में घरों की पीठ सड़क की ओर होती थी अर्थात्त् किसी घर का दरवाज़ा सड़क की ओर नहीं खुलता था। घरों के अंदर से पानी या मैल की नालियाँ बाहर हौदी तक आती थी और फिर नालियों के जाल से जुड़ जाती थी। कहीं-कहीं वे खुली थी, पर अधिकतर बंद थी। प्रत्येक घर में एक स्नानघर था। बस्ती के भीतर छोटी सड़कें थीं और उनसे छोटी गलियाँ भी बनी हुई थीं। छोटी सड़के नी से बारह फुट तक चौँड़ी थीं। इन घरों की दीवारें ऊँची और मोटी थी। मोटी दीवार का अर्थ यह लगाया जाता है कि उस पर दूसरी मंजिल भी रही होगी। सभी घर ईंट के बने थे। एक ही आकार की ड़्टें 1: 2: 4 के अनुपात की धी। इन घरों में एक दिलचस्प बात यह थी कि सामने की दीवार में केवल प्रवेश द्वार बना होता था, जिसमें कोई खिड़की नहीं होती थी। वर्तमान में सभी घर खंडहर हैं और दिखाई देने वाली चीज़ों से हम सिर्फ़ अनुमान लगा सकते हैं।
(ग) ‘जूझ’ कहानी में आपको किस पात्र ने सबसे अधिक प्रभावित किया और क्यों? उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। (5)
उत्तर :
‘जूझ’ कहानी का नायक आनंदा हमें सबसे अधिक प्रभावित करता है। आनंदा की बहुआयामी चारित्रिक विशेषताएँ इसमें ख्रुलकर सामने आई हैं; जैसे-आनंदा का बैर्य के साथ पढ़ाई करना, पाठशाला से पहले तथा बाद में खेत का काम करना आदिए ‘जूझ’ कहानी का नायक पढ़ने में रुचि रखता है, जबकि उसके पित्ता आलसी तथा आवारा प्रकृति के व्यक्ति हैं। वे उससे खेती का काम करवाना चाहते हैं, परंतु लेखक पढ़ना चाहता है। वह अपना लक्ष्य पाने के लिए संघर्ष करता है और गाँव के जमींदार की कृषा से उसकी पढ़ाई पुन: प्रारंभ होती है। उसे विद्यालय में अपने कपड़ं के कारण सहपाठियों के उपहास (मजाक) का पात्र बनना पड़ता है, परंतु वह इसे सहन कर लेता है तथा केवल पढ़ाई की ओर ही ध्यान देता है। उसकी रुचि कविता लेखन में है और अपने मराठी शिक्षक की सहायता से वह धीरे-धीरे अच्छी कविताएँ लिखने में समर्थ हो जाता है। लेखक में विपरीत परिस्थितियों से जुझने की शक्ति है और इसी शक्ति के कारण वह अपने लक्ष्य को पाने में सफल होता है।
वास्तव में, लेखक ने कहानी का शीर्षक ही नायक की समस्याओं से जूझने की प्रवृत्ति के कारण रखा है। इसलिए कथानायक के चरित्र की सर्वप्रथम विशेषता यही है। इसके अतिरिक्त, उसमें कठिन परिश्रम एवं लगनशीलता या दृढ़ संकल्प संबंधी चारित्रिक विशेषताएँ भी उल्लेखनीय हैं। वह पढ़ने के लिए किसी भी स्तर का परिश्रम करने को सहर्ष तैयार है और अपनी धुन में रमने की प्रवृत्ति अर्थात् लगनशीलता के कारण ही वह उच्च स्तर का कवि बन सका।