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CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 3 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में खंड ‘अ’ में वस्तुपरक तथा खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
- खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘अ’
(वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’. में अपठित बोध, अभिव्यक्ति और माध्यम, पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग- 2 व पूरक पाठ्य पुस्तक वितान भाग-2 से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
अपठित बोध –
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 10=10)
कहा जाता है, “जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान ………” कहने का तात्पर्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति की पहचान उसके ज्ञान से होनी चाहिए, किसी अन्य आधार पर नहीं, किंतु जाति आधारित व्यवस्था ने एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से भिन्न बना दिया है। यूँ तो भारत में प्राचीनकाल में कर्म आधारित जाति व्यवस्था को अत्यंत उपयोगी सामाजिक व्यवस्था के रूप में देखा गया, लेकिन समय के साथ-साथ कर्म आधारित जाति व्यवस्था जन्म आधारित सामाजिक व्यवस्था की संकीर्ण रूढ़ियों से जकड़ गई और फिर धीरे-धीरे सामाजिक विखंडन की ऐसी प्रक्रिया आरंभ हुई कि किसी युग में समाज को जोड़कर परस्पर पूरक बनाने तथा राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से सामाजिक एकता को सुदृढ बनाए रखने की जो व्यवस्था की गई थी, वही समय बीतने के साथ अनुपयोगी सिद्ध होने लगी। कुछ ऐसी कुरीतियों एवं कुप्रथाओं ने जन्म लिया, जो समाज द्वारा खींची गई लक्ष्मण रेखाओं के कारण पनपीं और उनके उल्लंघन को समाजों के तथाकथित कर्णधारों ने दंडनीय अपराध घोषित कर दिया। सामाजिक बहिष्कार का दंड विधान, समाज से बहिष्कृत होने का भय, मुस्लिम को हिंदू से या हिंदू को मुस्लिम से या फिर एक जाति के सदस्य को किसी अन्य जाति के सदस्यों से प्रेम या विवाह करने से रोकता है।
संभवतः मानव समाज में स्तरीकरण दो भिन्न दिशाओं से विकसित हुआ है, हालाँकि दोनों एक-दूसरे में बहुत हद तक समा भी गए हैं। इस प्रकार के स्तरीकरणों को क्रमश: वंशागत (जातिगत) स्तरीकरण और सामाजिक (गैर-जातिगत) स्तरीकरण कहते हैं।
सामाजिक स्तरीकरण में एक समाज के अंतर्गत ही पद-स्तरों की एक व्यवस्था विकसित हो जाती है। जातिगत स्तरीकरण से दो विभिन्न समाजों के विलय का बोध हो जाता है। जब एक जातीय समूह दूसरे जातीय समूह या समूहों पर स्थायी रूप से न्यूनाधिक प्रबल हो जाता है, तो जातीय स्तरीकरण निर्मित हो जाता है। भारत में हिंदू जाति व्यवस्था इसी प्रकार के स्तरीकरण का उदाहरण है। हिंदू समाज भारत की आदिकालीन जातियों तथा कालांतर में बाहर से आकर बसने वाली विजेता आर्य जातियों के विलय से बना है।
(क) एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से भिन्न बना देने का कार्य किसने किया है?
(i) धर्म आधारित व्यवस्था ने
(ii) कर्म आधारित ख्यवस्था ने
(iii) जाति आधारित व्यवस्था ने
(iv) लिंग आधारित व्यवस्था ने
उत्तर :
(iii) जाति आधारित व्यवस्था ने
(ख) प्राचीनकाल में किस व्यवस्था को अत्यंत उपयोगी सामाजिक व्यवस्था के रूप में देखा गया?
(i) कर्म आधारित
(ii) जाति आधारित
(iii) धर्म आधारित
(iv) ये सभी
उत्तर :
(i) कर्म आधारित
(ग) प्रस्तुत गद्यांश किस विषय-वस्तु पर आधारित है?
(i) आदिकालीन सामाजिक व्यवस्था पर
(ii) जाति आधारित सामाजिक व्यवस्था पर
(iii) हिंदू समाज के उदय पर
(iv) समाज विरोधी धारणा पर
उत्तर :
(ii) जाति आधारित सामाजिक व्यवस्था पर
(घ) समाज द्वारा खींची गई लक्ष्मण रेखाओं के कारण किसका जन्म हुआ?
(i) कुरीतियों एवं कुप्रथाओं का
(ii) अंतर्द्द्व का
(iii) विरोध का
(iv) बहिष्कार का
उत्तर :
(i) कुरीतियों एवं कुप्रथाओं का
(ङ) भारत में हिदू जाति व्यवस्था जातीय स्तरीकरण का उदाहरण है। लेखक इस कथन से सिद्ध करना चाहते हैं कि हिंदू समाज-
(i) भारत की आदिकालीन जातियों तथा बाहर से आकर बसने वाली आर्य जातियों से निर्मित हुआ है
(ii) भारत की आदिकालीन जातियों का समूह मात्र है
(iii) बाहर से आने वाली सभी जातियों के समूह से बना है
(iv) विजेता आर्य जातियों के समूह से बना है
उत्तर :
(i) भारत की आदिकालीन जातियों तथा बाहर से आकर बसने वाली आर्य जातियों से निर्मित हुआ है
(च) मानव समाज में स्तरीकरण किन दिशाओं से विकसित हुआ?
(i) दो समान दिशाओं से
(ii) दो भिन्न दिशाओं से
(iii) दो समानांतर दिशाओं से
(iv) दो अंतर्विरोधी दिशाओं से
उत्तर :
(ii) दो भिन्न दिशाओं से
(छ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. जाति आधारित व्यवस्था परस्पर भेदभाव का मूल कारण है।
2. कर्म आधारित जाति व्यवस्था की अपेक्षा जन्म आधारित जाति व्यवस्था श्रेंष्ठ है।
3. जाति व्यवस्था के कारण समाज में अनेक रूढ़ियों व कुप्रथाओं का जन्म हुआ। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(iv) 1 और 3
(ज) दो विभिन्न समाजों के विलय का बोध किससे होता है?
(i) जातिगत स्तरीकरण से
(ii) सामाजिक स्तरीकरण से
(iii) समतामूलक समाज से
(iv) ये सभी
उत्तर :
(i) जातिगत स्तरीकरण से
(झ) सामाजिक स्तरीकरण के अंतर्गत किस प्रकार की व्यवस्था विकसित होती है?
(i) एक समाज के विचारों की
(ii) एक समाज के पद स्तरों की
(iii) दो भिन्न समाज की
(iv) हिंदू समाज की
उत्तर :
(ii) एक समाज के पद स्तरों की
(ञ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए। कथन (A) सामाजिक कुरीतियों व कुप्रथाओं का उत्लंघन करना दंडनीय अपराध है।
कारण (R) सामाजिक कुरीतियाँ व कुप्रथाएँ समाज द्वारा दृढतापूर्वक उनका पालन कराने के उद्देश्य से विकसित हुईं। कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
उत्तर :
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
प्रश्न 2.
दिए गए पद्यांश पर आधारित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वीधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
एक फाइल ने दूसरी फाइल से कहा
बहन लगता है
साहब हमें छोड़कर जा रहे हैं
इसीलिए तो सारा काम
जल्दी-जल्दी निपटा रहे हैं
मैं बार-बार सामने जाती हूँ
रोती हूँ, गिड्रगिड़ाती हूँ
करती हूँ विनती हर बार
साहब जी! इधर भी देख लो एक बार।
पर साहब हैं कि……
कभी मुझे नीचे पटक देते हैं
कभी पीछे सरका देते हैं
और कभी-कभी तो
फाइलों के ढेर तले
दबा देते हैं।
अधिकारी बार-बार
अंदर झाँक जाता है
डरते-डरते पूछ जाता है
साहब कहाँ गए…..?
हस्ताक्षर हो गए …….?
दूसरी फाइल ने उसे
प्यार से समझाया
जीवन का नया फलसफा सिखाया
बहन! हम यूँ ही रोते हैं
बेकार गिड़गिड़ाते हैं
लोग आते हैं, जाते हैं
हस्ताक्षर कहाँ रुकते हैं
हो ही जाते हैं
पर कुछ बातें ऐसी होती हैं
जो दिखाई नहीं देतीं
और कुछ आवाजें
सुनाई नहीं देतीं
जैसे फूल खिलते है
और अपनी महक छोड़ जाते हैं
वैसे ही कुछ लोग
कागज पर नहीं
दिलों पर हस्ताक्षर छोड़ जाते हैं।
(क) फाइल द्वारा विनती करने पर साहब ने क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?.
(i) फाइल को ध्यान से देखा
(ii) फाइल पर हस्ताक्षर किए
(iii) फाइल को नीचे पटक दिया
(iv) फाइल को ध्यान से पढ़ा
उत्तर :
(iii) फाइल को नीचे पटक दिया
(ख) अधिकारी बार-बार अंदर क्यों झाँकता है?
(i) डर के कारण
(ii) फाइल पर हस्ताक्षर करवाने के लिए
(iii) साहब को देखने के लिए
(iv) फाइल की स्थिति देखने के लिए
उत्तर :
(ii) फाइल पर हस्ताक्षर करवाने के लिए
(ग) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. साहब को जाने की जल्दी थी अत: वे ऑफिस का काम जल्दी-जल्दी निपटा रहे थे।
2. अधिकारी जल्दी के कारण साहब से फाइल पर हस्ताक्षर नहीं ले पाता।
3. महान् व्यक्ति अपने कार्यों व चरित्र की छाप लोगों के दिलों पर छोड़ जाते हैं। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/है?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 3
(iv) 2 और 3
उत्तर :
(iii) 1 और 3
(घ) दूसरी फाइल ने पहली फाइल को क्या समझाया?
(i) साहब जल्दी जा रहे हैं
(ii) हस्ताक्षर आज नहीं होने वाले हैं
(iii) हम बेकार ही रोते हैं
(iv) जीवन संघर्षों का नाम है
उत्तर :
(iii) हम बेकार ही रोते है
(ङ) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए
कॉलम- 1 | कॉलम- 2 |
A. अधिकारी | 1. दर्शन |
B. फलसफा | 2. दस्तखत |
C. हस्ताक्षर | 3. अफसर |
कूट
A B C
(i) 1 3 2
(ii) 2 1 3
(iii) 3 1 2
(iv) 1 2 3
उत्तर :
(iii) 3 1 2
अभिव्यक्ति और माध्यम –
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
(क) संचार प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा आ जाए, तो उसे क्या कहते हैं?
(i) शोर
(ii) कूट
(iii) स्रोत
(iv) कूटीकरण
उत्तर :
(i) शोर
(ख) जनसंचार माध्यम किन कार्यों को संपन्न करता है?
(i) एजेंडा तैयार करना
(ii) सूचना देना
(iii) शिक्षित करना
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(ग) लोकतंत्र का चौथा स्तंभ किसे कहा जाता है?
(i) पत्रकार को
(ii) मीडिया को
(iii) जनता को
(iv) न्यायपालिका को
उत्तर :
(ii) मीडिया को
(घ) भारतीय परंपरा में नाटक को किसकी संज्ञा दी गई है? (1)
(i) रूपक की
(ii) दृश्यकाव्य की
(iii) श्रव्यकाव्य की
(iv) महाकाव्य की
उत्तर :
(ii) दृश्यकाव्य की
(ङ) सूची I को सूची II से सुमेलित कीजिए (1)
सूची I | सूची II |
A. एक रेखीय माध्यम | 1. टेलीविजन |
B. ट्रिपल स्पेस | 2. इंडिया टुडे |
C. नेट साउंड | 3. रेडियो |
D. भुगतान के बाद देखी जाने वाली साइट | 4. समाचार कॉपी |
कूट
A B C D
(i) 2 3 4 1
(ii) 3 4 1 2
(iii) 4 1 2 3
(iv) 1 2 3 4
उत्तर :
(ii) 3412
पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग 2
प्रश्न 4.
निम्नलिखित पद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना।।
अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। जौं जड़ दैव जिआवै मोही।।
जैहउँ अवध कवन मुहूँ लाई। नारि हेतु प्रिय भाई गँवाई।।
बरु अपजस सहतेउँ जग माही। नारि हानि बिसेष छति नाहीं।।
(क) भाई के बिना जीवन की तुलना किससे की गई है?
(i) पंखों के बिना पक्षी से
(ii) मणि के बिना साँप से
(iii) सूँड के बिना हाथी से
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(ख) राम किसकी तुलना में अपने भाई को अधिक महत्त्व दे रहे हैं?
(i) धन की
(ii) यत्नी की
(iii) राज्य की
(iv) पुत्र की
उत्तर :
(ii) पत्नी की
(ग) ‘जैहडँ अवध कवन मुहुँ लाई, नारि हेतु प्रिय भाई गँवाई।’ में कौन-सा भाव है?
(i) विषाद
(ii) ग्लानि
(iii) आमोद
(iv) कटु वचन
उत्तर :
(ii) ग्लानि
(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) यह अपयश रामवीर पुरुष में नहीं हैं जो अपनी स्त्री को गवाँ बैठे भले ही सह लेते।
कारण (R) अपने अनुज के वियोग के आगे स्त्री की हानि कोई विशेष नहीं है। कूट
(i) कथन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
उत्तर :
(iv) क्थन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ङ) ‘नारि हानि बिसेष छति नाहीं पंक्ति में किसका वर्णन है?
(i) भाई के वियोग से उत्पन्न कष्ट का
(ii) पत्नी के वियोग से उत्पन्न कष्ट का
(iii) भ्रातृर्पेम की समाप्ति का
(iv) हर्ष का
उत्तर :
(i) भाई के वियोग से उत्पन्न कष्ट का
प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्यांश के प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5=5)
दोनों ही लड़के राजदरबार के भावी पहलवान घोषित हो चुके थे। अत: दोनों का भरण-पोषण दरबार से ही हो रहा था। प्रतिदिन प्रातःकाल पहलवान स्वयं ढोलक बजा-बजाकर दोनों से कसरत करवाता। दोर्पहर में, लेटे-लेटे दोनों को सांसारिक ज्ञान की भी शिक्षा देता- ‘समझे! ढोलक की आवाज़ पर पूरा ध्यान देना। हाँ, मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है, समझे! ढोल की आवाज़ के प्रताप से ही मैं पहलवान हुआ। दंगल में उतरकर सबसे पहले ढोल को प्रणाम करना, समझ!!”… ऐसी ही बहुत-सी बातें वह कहा करता। फिर मालिक को कैसे खुश रखा जाता है, कब कैसा व्यवहार करना चाहिए, आदि की शिक्षा वह नित्य दिया करता था।
(क) राजदरबार का भावी पहलवान किसे घोषित किया जा चुका था?
(i) लुद्टन सिंह को
(iii) बादल सिंह को
(ii) चाँद सिंह को
(iv) लुट्टन पहलवान के दोनों लड़कों को
उत्तर :
(iv) लुट्टन पहलवान के दोनों लड़कों को
(ख) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) लुट्टन सिंह के दोनों बेटों का भरण-पोषण राजदरबार से ही होता था।
कारण (R) दोनों बेटे राजदरबार के भावी पहलवान घोषित हो चुके थे।
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
(ii) कथन (A) गलत है, कितु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
उत्तर :
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, तथा कारण (R) क्थन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ग) पहलवान अपने बेटों को – की शिक्षा देता था।
(i) पहलवानी
(ii) स्वामी-भक्ति
(iii) ढोलक का सम्मान करने
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी
(घ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. लुट्टन सिंह शेर के बच्चे चाँद सिंह को हराने के कारण दरबारी पहलवान बन गया था।
2. राजा साहब लुट्टन सिंह के ढोलक बजाने के तरीके से बहुत प्रभावित थे।
3. लुट्टन सिह राजदरबार के सैनिकों का गुरु घोषित किया गया था। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 2 और 3
उत्तर :
(i) केवल 1
(ङ) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए
कॉलम – 1 | कॉलम – 2 |
A. लुट्टन पहलवान का गुरु | 1. पहलवान बना |
B. ढोल की आवाज के प्रताप | 2. मनोरंजन के अन्य साधन |
C. गाँव में अखाड़ा का समाप्त होते जाना | 3. ढोल |
कूट
A B C
(i) 3 1 2
(ii) 2 1 3
(iii) 1 3 2
(iv) 1 2 3
उत्तर :
(i) 312
पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग 2
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 10 = 10)
(क) ‘सित्वर वैडिंग’ कहानी में बुजुर्गों के प्रति कम होती सम्मान की भावना क्या व्यक्त करती है?
(i) नई पीढ़ी की नई सोच को
(ii) बुजुर्गों के प्रति उनके दायित्व बोध को
(iii) हाशिए पर जाते मानवीय मूल्यों को
(iv) समाज के नवीन पक्ष को
उत्तर :
(iii) हाशिए पर जाते मानवीय मूल्यों को
(ख) पार्टी के दिन यशोधर बाबू अपनी शाम की पूजा का समय क्यों बढ़ा देते हैं?
(i) क्योंक वे चाहते हैं कि पार्टी में आए लोग खा-पीकर जाएँ
(ii) क्योंकि उंस दिन उनका व्रत था
(iii) क्योंक वे लोगों से नजरें चुराना चाहते थे
(iv) क्योंकि उस दिन वे जल्दी घर आ गए थे
उत्तर :
(i) क्योंकि वे चाहते हैं कि पार्टी में आए लोग खा-पीकर जाएँ
(ग) ‘सित्वर वैंडिंग’ कहानी में यशोधर बाबू ऑफिस के माहौल का तनाव कैसे कम करते हैं?
(i) ऑफिस में चाय-समोसे मैंगाकर
(ii) ऑफिस से जाते समय चुटीली बात करके
(iii) ऑफिस के कर्मचारियों से पूरी तरह घुल-मिलकर
(iv) ऑफिस का काम घर से करके
उत्तर :
(ii) ऑंिस से जाते समय चुटीली बात करके
(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) यशोधर बाबू किशनदा को अपना गुरु मानते थे।
कारण (R) यशोधर बाबू जब गाँव से दिल्ली आए थे, तो किशन दा ने ही उनकी सरकारी नौकरी लगवाई थी।
कूट
(i) कथन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ङ) ‘जूझ’ कहानी के आधार पर बताइए कि आनंदा को गणित कैसे समझ आने लगी थी?
(i) मन की एकाप्रता से
(ii) वसंत पाटिल की सहायता से
(iii) अध्यापक की सहायता से
(iv) माता की सहायता से
उत्तर :
(i) मन की एकाग्रता से
(च) ‘जूझ’ कहानी में आनंदा के मास्टर सौदलगेकर ने किस पर कविता लिखी थी?
(i) आनंदा की जुझारु प्रवृत्ति पर
(ii) मालती लता की सुंदरता पर
(iii) विद्यालय के अनुशासनपूर्ण व्यवहार पर
(iv) मराठी भाषा के महत्त्व पर
उत्तर :
(ii) मालती लता की सुंदरता पर
(छ) मुअनजो-दड़ो के घरों की मोटी दीवारों से क्या अनुमान लगाया जा सकता है?
(i) ये दीवारें केवल प्रदर्शन मात्र के लिए बनवाई गई होंगी
(ii) ये दीवारें प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए बनी होंगी
(iii) इन दीवारों पर दूसरी मंजिल भी रही होगी
(iv) इन दीवारों पर सुंदर चित्रकारी की जाती होगी
उत्तर :
(iii) इन दीवारों पर दूसरी मंजिल भी रही होगी
(ज) सिंधु घाटी की सभ्यता में मिले अजायबधर की सबसे बड़ी विशेषता क्या है? ‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ के आधार पर सही विकल्प चुनिए।
(i) यह अजायबघर बहुत विशाल और सुंदर है
(ii) इसमें सभी प्रकार की वस्तुएँ संग्रहित है
(iii) इसमें औजार तो है, परंतु हथियार नहीं हैं
(iv) इसमें उत्कृष्ट कलात्मकता दिखाई देती है
उत्तर :
(iii) इसमें औजार तो हैं, परंतु हथियार नहीं हैं
(झ) हड्पा और मुअनजो-दडो की खुदाई में प्राप्त पुरातात्विक साक्ष्यों से संबंधित जानकारी के विषय में कौन-सा कथन सही नहीं है?(1)
(i) इनसे इन संस्कृतियों की सांस्कृतिक विशालता का पता चलता है
(ii) इन संस्कृतियों की चित्रकला का पत्ता चलता है
(iii) संस्कृतियों के समाप्त होने के कारण का पता नही चलता है
(iv) इन संस्कृतियों की सोच के विषय में ज्ञान प्राप्त होता है
उत्तर :
(ii) इन संस्कृतियों की चित्रकला का पता चलता है
(ञ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. सिंधु घाटी की सभ्यता के लिखित प्रमाण नहीं मिलते।
2. सिंधु घाटी की सभ्यता के अनेक मौखिक प्रमाण प्राप्त है।
3. सिंधु घाटी सभ्यता अत्यंत सीमित और कमजोर थी।
4. सिंघु घाटी सध्यता समाज को विकसित करने के लिए कार्य करती थी। उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) 2 और 4
(iii) 2 और 3
(iv) 1 और 4
उत्तर :
(iv) 1 और 4
खंड ‘ब’
(वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में जनसंचार और सृजनात्मक लेखन, पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग-2 व पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग-2 से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन –
प्रश्न 7.
निम्नलिखित दिए गए 3 विषयों में से किसी 1 विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6 × 1 = 6)
(क) दुर्घटना से देर भली
उत्तर :
‘दुर्घटना से देर भली’ का अर्थ है कि दुर्घटना का शिकार होने की तुलना में किसी भी समय देर से पहुँचना बेहतर होता है। मनुष्य आज अपने जीवन में इतना अधिक व्यस्त हो गया है कि वह शीघ-से-शीघ्र अपने कार्य पूर्ण कर लेना चाहता है। देश में वाहनों की संख्या में प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है। सड़कों पर ट्रैफिक इतना अधिक हो गया है कि कभी-कभी 15 मिनट की दूरी के लिए 45 मिनट या उससे भी अधिक समय लग जाता है। घंटों जाम में फैसकर व्यक्ति तीव्र गति से वाहनों को चलाते हैं, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि मनुष्य कम-से-कम समय में अधिक-से-अधिक कार्य कर लेना चाहता है। अत्यधिक ट्रैफिक होने के साथ-साथ लोग लापरवाह भी होते जा रहे हैं। सड़क पर चलते समय हमें ट्रैफिक नियमों का पालन करना चाहिए। यदि हम नियमों का पालन नहीं करेंगे, तो दुर्घटना का शिकार हो जाएँगे। एक बार मैं सड़क से जा रहा था, तो मैंने देखा कि सड़क पर काफी भीड़-भाड़ थी। कुछ छोटे बच्चे टोली बनाकर बातें करते हुए मस्ती में जा रहे थे। उन्हें देखकर लग रहा था कि वे अत्यंत उत्साहित थे।
उन्हें किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं थी। वे न तो सड़क पर चलने वाले वाहनों की परवाह कर रहे थे और न ही ट्रैफिक नियमों का पालन कर रहे थे। वाहन अत्यंत तीव्र गति से आ-जा रहे थे। मैंने देखा कि एक ट्रक बहुत तेजी से उनकी ओर बढ़ रहा था, किंतु वे अपनी ही मस्ती में चले जा रहे थे।
मैं दौड़कर उनके पास पहुँचा तथा दुर्घटनाग्रस्त होने से उन्हें बथा पाने में सफल हो गया। यदि कुछ सेकण्ड और हो जाते, तो कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती थी। मेंने उन बच्चों को समझाया कि सड़क पर इस तरह लापरवाह होकर नहीं चलना चाहिए तथा ट्रैफ़िक नियमों का पालन करना चाहिए। आजकल लोग सड़क पर चलते हुए कोई सावधानी नहीं बरतते है। इसी का परिणाम होता है कि आए दिन कोई-न-कोई दुर्घटना घटित होती रहती है, इसलिए कहते हैं कि दुर्घटना से देर भली।
(ख) विद्यालय से लौटते समय जाम में फैंस जाना
उत्तर :
जब एक सड़क पर बहुत सारे वाहन होते हैं और वे एक स्थान पर फँस जाते हैं, तो यह ट्रैफिक जाम का कारण बन जाता है। यह कई प्रकार से हानिकारक होता है। यह हमें परेशान करता है और वायु तथा ध्वनि प्रदूषण का कारण भी बनता है। इस ट्रैफिक जाम का सामना मुझे भी विद्यालय से लौटते समय करना पड़ता है, जिसके कारण मुझे बहुत परेशानी होती है। मेरा विद्यालय अजमेर रोड पर है। में अपने विद्यालय साइकिल से जाता हूँ। वहाँ से लौटते समय बाईपास चौराहे पर अत्यधिक जाम होता है। गाड़ियों रेंग-रेंग कर चलती हैं, चारों ओर अत्यधिक ट्रैफिक का शोरगुल मचा रहता है।
मैं विद्यालय से 2 बजे निकलता हुँ, लेकिन मुझे घर पहुँचते-पहुँचते 4 बज जाते हैं, जिसके कारण में अपनी कोचिंग क्लास के लिए भी लेट हो जाता हूँ। घंटों जाम में फैसा होने के कारण मेरा शरीर एकदम थक जाता है तथा गर्मी के दिनों में लू के थपेड़े व कड़कड़ाती घूप से अत्यधिक परेशान हो जाता हूँ। जाम में फँसने के कारण मेरा अमूल्य समय भी बर्बाद हो जाता है, जिसके कारण मुझे पढ़ने का समय भी कम मिलता है। कभी-कभी यह जाम कई घंटों तक जारी रहता है, जो खतरनाक भी साबित हो सकता है। यह किसी तरह से फायदेमंद नहीं हो सकता है। अतः सरकार के साथ-साथ हमें भी कुछ सख्त नियम बनाने चाहिए और इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए।
(ग) अचानक जब मेट्रो रुक गई
उत्तर :
दिल्ली की मेट्रो रेल यातायात की अत्याधुनिक सुविधा है। यह देश की राजधानी के लाखों लोगों के लिए बरदान सिद्ध हुई है, क्योंकि इससे समय, श्रम और धन तीनों की बचत होती है। लोग बसों की भीड़-भाड़, धूल और उबाऊ यात्रा से बचकर अब मेट्रो रेल से आरामदायक ढेग से यात्रा करना पसंद करने लगे हैं। एक दिन मैं भी सुबह-सुबह मेट्रो रेल से यात्रा कर रहा था, मुझे जल्दी ही अपने मामा से मिलने हॉस्पिटल जाना था, क्योंकि उन्हें ऑपरेशन के लिए पैसों की आवश्यकता थी।
माँ और मैं दोनों ही उनसे मिलने तथा उनकी पैसों की आवश्यकता को पूर्ण करने जा रहे थे। जिस स्टेशन से हम मेट्रो में चढ़े, वहाँ बहुत कम भीड़ थी, इसलिए आसानी से हमें सीट मिल गई। जैसे-जैसे ट्रेन आगे बढ़ती गई, उसमें भीड़ बढ़ती गई। यात्रा अत्यंत आरामदायक थी कि अचानक बीच में ही ट्रेन रुक गई। कुछ देर तक तो सभी यात्री सहज रहे, कितु 15 मिनट से अधिक समय होने पर सभी चिंतित हो गए और तभी ट्रेन में अनारंसमेंट हुआ कि देरी के लिए हमें खेद है।
मेरी माँ को चिंता हुई कि इतना समय क्यों लग रहा है। मैंने उन्हें समझाया कि जरूर कोई तकनीकी खराबी हुई होगी, तभी समय लग रहा है। अन्य यात्री भी ट्रेन रुकने के कारण परेशान हो गए। कोई ऑफिस फोन करके बताने लगा कि मैं लेट हो जाऊँगा, तो कोई अपने धर-परिवार के सदस्यों को फोन करने लगा। कुछ लोग आपस में इस बारे में बातचीत करने लगे। मों शीघ्र ही मामा के पास पहुँचना चाहती थी। इस कारण वे अत्यंत अधीर हो गई। उन्हें देखकर में भी थोड़ा चिंतित हो गया। लगभग 35 मिनट के बाद पुनः हमारी मेट्रो चली, तो सब यात्रियों ने चैन की सॉँस ली। हम भी अपने गतव्य स्थल पर पहुँच गए और मामा से मिलकर उन्हें रुपये दे दिए। इस प्रकार, अचानक जब हमारी मेट्रो रुकी तो वह पल मेरी स्मृतियों में जुड़ गया।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर लगभग 40 शब्दों में निर्देशानुसार उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) कहानी लेखन के आवश्यक तत्त्वों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
रेडियो नाटक में कहानी संवादों के माध्यम से आगे बढ़ती है। इस कथन के महत्त्व के संदर्भ में रेडियो नाटकों में संवादों के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
(i) कथानक कथानक कहानी का केंद्रीय बिंदु होता है, जिसमें प्रारंभ से अंत तक कहानी की सभी घटनाओं और पात्रों का उल्लेख होता है। सरल शब्दों में, कहानी की रचना को ‘कथानक’, कहा जाता है।
(ii) देशकाल और वातावरण प्रत्येक घटना, पात्र, समस्या का अपना देशकाल और वातावरण होता है। कहानी में वास्तविकता का पुट लाने के लिए देशकाल और वातावरण का प्रयोग किया जाता है।
(iii) पात्र एवं चरित्र-चित्रण कहानी का संचालन उसके पात्रों के द्वारा ही होता है। पात्रों के गुण-दोष को उनका चरित्र-चित्रण कहा जाता है।
(iv) संवाद कहानी के पात्रों के द्वारा किए गए उनके विचारों की अभिव्यक्ति को संवाद या कथोपक्थन कहते हैं। कहानी में संवाद का विशेष महत्त्व होता है।
(v) भाषा-शैली कहानीकार के द्वारा कहानी के प्रस्तुतीकरण के ढंग (रूप) को उसकी भाषा-शैली कह्हा जाता है। कहानी की भाषा ऐसी होनी चाहिए, जो पाठक को अपनी ओर आकर्षित करे। अतः कहानी की भाषा सरल, सहज तथा प्रभावमयी होनी चाहिए।
अथवा
सिनेमा और रंगमंच की तरह ही रेडियो नाटक में भी चरित्र होते हैं। उनके आपसी संवाद होते हैं और इन्हीं संवादों के माध्यम से कहानी आगे बढ़ती है। रेडियो नाटक पूर्ण रूप से श्रब्य होते हैं, इसलिए इनका लेखन रंगमंच व सिनेमा के लेखन की अपेक्षा मुश्किल व अलग होता है। रेडियो नाटक में सब कुछ संवादों व ध्वनि प्रभावों के माध्यम से ही संप्रेषित करना होता है।
इन नाटकों में मंध सज्जा, वस्त्र सज्जा, चेहरे की भाव-भंगिमाएँ आदि की जरूरत नहीं पड़ती, केवल संवाद से ही पात्रों के अंतर्द्वद्व, परिचय व समाधान की जानकारी मिलती है। अतः रेडियो नाटक की सफलता व असफलता केवल ‘आवाज’ पर ही आश्रित होती है; जैसे-चोट लगने पर ‘आह’ या ‘ओह’ की आवाज तथा किसी को दूर से बुलाने के लिए तेज आवाज का प्रयोग करना होता है।
(ख) विशेष लेखन क्यों किया जाता है? वर्तमान समय में विशेष लेखन के कौन-कौन से क्षेत्र महत्त्वपूर्ण हैं? (2)
अथवा
पत्रकारीय लेखन से आप क्या समझते हैं? पत्रकार कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
विशेष लेखन इसलिए किया जाता है, क्योंकि
(i) इससे समाचार-पत्रों में विविधता आती है और उनका क्लेवर बढ़ता है।
(ii) पाठकों की व्यापक रुचियों को ध्यान में रखते हुए उनकी जिझासा शांत करते हुए मनोरंजन करने हेतु विशेष लेखन किया जाता है। विशेष लेखन के कुछ महत्त्वपूर्ण क्षेत्र निम्नलिखित हैं-अर्थ व्यापार, खेल, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, कृषि, विदेश, रक्षा, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, फिल्म-मनोरंजन, अपराघ, सामाजिक मुददे, कानून आदि।
अथवा
अखबार या अन्य समाचार माध्यमों में कार्य करने वाले पत्रकार अपने पाठकों, दर्शकों तथा श्रोताओं तक सूचनाएँ पहुँचाने के लिए लेखन के विभिन्न रूपों का प्रयोग करते हैं, इसे ही पत्रकारीय लेखन कहते हैं।
पत्रकारीय लेखन करने वाले पत्रकार तीन प्रकार के होते हैं
(i) पूर्णकालिक पत्रकार यह किसी समाचार संगठन में कार्य करने वाला नियमित वेतनभोगी कर्मचारी होता है।
(ii) अंशकालिक पत्रकार इसे ‘स्ट्रिंगर’ भी कहते हैं। यह किसी समाचार संगठन के लिए एक निश्चित मानदेय पर कार्य करता है।
(iii) फ्रीलांसर पत्रकार इस पत्रकार का संबंध किसी भी विशेष अव्रबार से नहीं होता। यह भुगतान के आधार पर अलग-अलग अखबारों के लिए कार्य करता है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) भारत में वन्यजीव संरक्षण के उपायों पर एक आलेख लिखिए।
उत्तर :
‘वन्यजीव संरक्षण’ यह शब्द हमें उन संसाधनों को बचाने की याद दिलाता है, जो हमें प्रकृति द्वारा उपहार के रूप में प्रदान किए गए हैं। वन्य जीव उन जानवरों का प्रतिनिधित्व करता है, जो पालवू या समझदार नहीं हैं। वे सिर्फ जंगली जानवर हैं और पूरी तरह से जंगल के माहौल में रहते है। ऐसे जानवरों और पौधों की प्रजातियों का संरक्षण आवश्यक है, जिससे कि वे विलुप्त होने के खतरे से बाहर हो सकें। इस पूरी प्रक्रिया को ही वन्यजीव संरक्षण कहा जाता है। भारत में जीव प्रजातियों के विलुप्त होने के अनेक कारण हैं। देश की बक्ती आबादी की आवश्यकता की पूर्ति व विकास के कारण पारिस्थितिकी-तंत्र पर दबाव बढ़ता जा रहा है और वनों की तेजी से कटाई की जा रही है।
वन्यजीवों की खाल, सींग, हड्डी, दाँत आदि का औषधीय एवं भृंगारिक महत्त्व एवं खाय्य पदार्थ के रूप में इनके मांस के प्रयोग के कारण इनका बड़ी संख्या में शिकार किया जाता है। मानवीय क्रिया-कलापों के द्वारा पर्यावरण को हानि पहुँचाने के कारण वन्यजीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। भारत में संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए मुख्य रूप से दो उपाय अपनाए जाते हैं-यथास्थल संरक्षण एवं बहि:स्थल संरक्षण। यथास्थल संरक्षण प्रजातियों के संरक्षण की सर्वश्रेष्ठ विधि है।
इसमें राष्ट्रीय पार्क और अभयारण्य का तंत्र बनाकर निर्जन क्षेत्र का एक पर्याप्त भाग संरक्षित क्षेत्र के रूप में पृथक् कर दिया जाता है, किंतु पूर्ण रूप से विनाश की कगार पर पहुँची संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण हेतु बहि:स्थल संरक्षण के अंतर्गत उन्हे प्राकृतिक आवास से बाहर विशेष रूप से संरक्षित किया जाता है, जहाँ कृत्रिम रूप से बनाई गई दशाओं में उनकी संख्या बढ़ाने का लक्ष्य रखा जाता है। अतः केंद्र व राज्य सरकार के प्रयास के साथ-साथ देश के नागरिकों का भी यह कर्त्त्य बनता है कि वे यहाँ रहने वाले जीव-जंतुओं के जीवन की रक्षा करने में सहयोगी बनें। हमारे प्रयासों से ही भारत जैव-विविधता के क्षेत्र में अपनी समृद्ध विरासत को बचाए रख सकता है।
(ख) समाचार कैसे लिखे जाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘समाचार लेखन’ समाचारों को लिखकर प्रस्तुत करने का ढंग है। समाचार लेखन एक विशिष्ट कला है। समाचार सूथनात्मक एवं तथ्यात्मक दोनों होते हैं। चूँकि इनका सीधा संबंध जनमत से है, इसलिए इनकी प्रस्तुति का ढंग अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रामाणिकता एवं विश्वसनीयता युक्त समाधारों की सामाजिक चेतना के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसी कारण समाचार लेखन में पत्रकारिता की तकनीकों का उपयोग करके समाचार को उपयोगी, रोचक एवं प्रभावशाली बनाया जाता है। अच्छा समाचार स्वयं में सरलता, सुस्पष्टता, क्रमबद्धता, सत्यता एवं संक्षिप्तता की विशेषताओं के साथ-साथ क्या, कहाँ, कब, कैसे, क्यों और कौन संबंधी उत्तर भी लिए हुए होता है।
(ग) अखबारों में विचारपरक सामग्री का भी प्रकाशन होता है। किसी एक विचारपरक लेखन के बारे में बताइए।
उत्तर :
अखबारों में समाचार और फीचर के अलावा विचारपरक सामग्री का भी प्रकाशन होता है। कई अखबारों की पहचान उनके वैचारिक रुझान से होती है। इस तरह से अखबारों में प्रकाशित होने वाले विचारपूर्ण लेखन से उस अखबार की छवि बनती है। अखबारों में संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाले संपादकीय अग्रलेख, लेख और टिप्पणियाँ इसी विचारपरक पत्रकारीय लेखन की श्रेणी में आते हैं।
संपादकीय लेखन संपादक द्वारा किसी प्रमुख घटना या समस्या पर लिखे गए विचारात्मक लेख को, जिसे संबंधित समाचार-पत्र की राय भी कहा जाता है, संपादकीय कहते हैं। संपादकीय किसी एक व्यक्ति का विचार या राय न होकर समग्र पत्र-समूह की राय होता है, इसलिए संपादकीय में संपादक अथवा लेखक का नाम नहीं लिखा जाता।
पाठ्य-पुस्तक आरोह भाग 2
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘उषा’ कविता के आधार पर बताइए कि ‘सिल’ और ‘स्लेट’ के माध्यम से कवि किस प्रकार अपने मंतव्य को प्रदर्शित करता है? (3)
उत्तर :
काली ‘सिल’ तथा काले ‘स्लेट’ के माध्यम से कवि रात्रि की समाप्ति के साथ जाते हुए अंधकार को प्रतीक के रूप में रखता है। उषा के आगमन के समय आकाश का दृश्य ऐसा होता है, मानो काली सिल को किसी ने लाल केसर से धो दिया हो या काली स्लेट पर किसी नन्हे बालक ने लाल खड़िया चाक मल दिया हो। इस प्रकार कवि ‘सिल’ और ‘स्लेट’ के माध्यम से अंधकार की कालिमा तथा प्रातःकाल की लालिमा को सादृश्य के साथ सामने रखता है।
(ख) ‘बात की चूड़ी मरने’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
‘बात की चूड़ी मरने’ का अर्थ है-बात को बेवजह घुमाने से, आडंबरपूर्ण शब्दों के प्रयोग से उसका प्रभाव नष्ट हो जाना। जिस प्रकार पेंच की चूड़ी मरने से, उसका यथास्थान निर्मित खाँचे के नष्ट होने से कंसाव नष्ट हो जाता है, वैसे ही भाषा के अनावश्यक विस्तार से बात का प्रभाव कम हो जाता है। मूल बात शब्दजाल में उलझ कर रह जाती है। फिर खात कील की तरह ठोक भले ही दी जाए, उसका वैसा प्रभाव नहीं रह जाता। वह श्रोता या पाठक के हृदय तक नहीं पहुँच पाती। अतः बात को सरल भाषा और कम-से-कम शब्दों में सटीक ढंग से कहा जाना चाहिए, तभी वह प्रभावशाली रहती है।
(ग) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के अनुसार अपाहिज से पूछे गए प्रश्न किस बात के परिचायक हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के अनुसार अपाहिज से पूछे गए प्रश्न संवेदनहीनता के परिचायक हैं, क्योंकि एक अपाहिज व्यक्ति को कैमरे के सामने लाकर उससे बार-बार उसके अपाहिजपन के बारे में सवाल किया जाता है। इसके पीछे दूरदर्शन वालों का उद्देश्य केवल अपने कार्यक्रम का व्यवसायीकरण करना तथा सस्ती लोकप्रियता हासिल करना है, लेकिन किसी के दुःख की प्रस्तुति करके कार्यक्रम को रोचक बनाना अत्यंत निंदनीय है। जो व्यक्ति दुःखी है, उसके दुःख का प्रदर्शन करना, उससे तरह-तरह के दुःखदायी सवाल पूछना, स्वयं इशारे करके दु:खी मुद्राएँ बनाना आदि मानवता के विरुद्ध कार्य हैं, जोकि सामाजिक संवेदनशून्यता का उदाहरण हैं।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) ‘कविता के बहाने’ कविता में कवि ने कविता एवं बालक में समानता व्यक्त की है, कैसे? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
कवि ने बच्चे और कविता को समानांतर रखा है, क्योंकि जिस प्रकार बच्चों के सपने असीम होते हैं, बच्चों के खेल का कोई अंत नहीं होता, बच्चे की प्रतिभा, बच्चे में छिपी संभावना का कोई अंत नहीं हैं, ठीक वैसे ही कविता असीम होती है। कविता के खेल अर्थात् कविता में किए जाने वाले सार्थक शब्दों का समुचित प्रयोग असीम है। जिस प्रकार बच्चे अपने-पराए का भेद नहीं करते, उन्हें सभी घर अपने ही प्रतीत होते है, ठीक उसी प्रकार कवि के लिए यह सारा संसार अपना है। उसका लक्ष्य सिर्फ मानवता के धर्म का प्रसार करना है, आत्मीयता का संदेश घर-घर पहुँचाना है।
कविता प्रकृति, मनुष्य, जीव, निर्जीव, काल, इतिहास, भावी जीवन अनेक विषयों पर लिखी जा सकती है अर्थात् इसके विषय एवं क्षेत्र भी असीम हैं। कविता में मौजूद भावों और रचनात्मकता के गुण व्यक्ति की चेतना में वैसे ही जान फूँक देते हैं, जैसे कभी न थकने वाला, सदा कुछ-न-कुछ करने वाला रचनात्मक तत्त्व बच्चे में।
(ख) तुलसीदास के अनुसार, राम दुःख में कैसा भाव प्रदर्शित कर रहे हैं? ‘लक्ष्मण मूर्च्ज और राम का विलाप’ काव्यांश के आधार पर बताइए। (2)
उत्तर :
‘लक्षमण-मूच्छा और राम का विलाप’ कविता में लक्ष्मण के प्रति श्रीराम के प्रेम की हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति हुई है। यहाँ श्रीराम का मानवीय रूप दृष्टिगत होता है। वे साधारण मानव की तरह अधीर होते हैं तथा कहते हैं कि उन्हें यदि ज्ञात होता कि वन में भाई का विछोह होगा, तो वे पिता को दिए गए वचन का भी पालन नहीं करते।
ये कहते हैं कि संसार में पुत्र, स्त्री आदि तो एकािक बार मिल जाते हैं, परंतु सहोदर भाई पुनः नहीं मिलता। वे कहते हैं कि लक्ष्मण के बिना वे कौन-सा मुंह लेकर अयोध्या जाएँगे? इन पंक्तियों में श्रीराम की आंतरिक व्यथा का मर्मस्पर्शी चित्रण हुआ है।
(ग) अक्षय पात्र का अभिप्राय है- हमेशा भरा रहने वाला पात्र। ‘छोटा मेरा खेत’ कविता में कवि ने कविता को रस का अक्षय पात्र क्यों कहा है? (2)
उत्तर :
कवि ने रचना को ‘रस का अक्षयपात्र’ कहा है। कवि मानता है कि रचना-कर्म तथा कृषि-कर्म में गुण-साम्य है, किंतु यह गुण-साम्य फसल के पकने तथा रचना के पूर्ण होने तक का ही है। एक ओर जहीं फसल सीमित समय तक ही रस तथा स्वाद प्रदान करने में सक्षम होती है, वहीं रचना अनंतकाल तक पाठकों को आनंद प्रदान करने में सक्षम होती है। कवि रचना को ‘रस का अक्षयपात्र’ कहता है, तो इसमें रचना-कर्म की तमाम विशेषताएँ सामने आ जाती हैं, जिससे संबदेना, भाव तथा कल्पना को एक नई दिशा मिलती है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘श्रम विभाजन और जाति-प्रथा’ पाठ में डॉ, आंबेडकर ने मानव क्षमता को किन तीन बातों पर निर्भर बताया है?
उत्तर :
लेखक के अनुसार, ‘सभी मनुष्य बराबर नहीं होते।” आलोचकों का यह तर्क एक सीमा तक उचित है, परंतु तथ्यात्मक होते हुए भी यह विशेष महत्त्व नहीं रखता। अपने शाब्दिक अर्थ में ‘समता’ काल्पनिक होते हुए भी नियामक सिद्धांत है। मनुष्यों की समता तीन बातों पर निर्भर करती है
(i) शारीरिक वंश-परंपरा।
(ii) सामाजिक उत्तराधिकार अर्थात् सामाजिक परंपरा के रूप में माता-पिता की कल्याण कामना, शिक्षा तथा वैज्ञानिक ज्ञानार्जन आदि; जैसी सभी उपलध्धियाँ, जिनके कारण सभ्य समाज, जंगली लोगों की अपेक्षा विशिष्टता प्राप्त करता है।
(iii) मनुष्य के अपने प्रयास।
इन तीनों दृष्टियों से मनुष्य समान नहीं होते। तो क्या इन विशेषताओं के कारण, समाज को भी व्यक्तियों के साथ असमान व्यवहार करना चाहिए? समता के विरोधी इस बात को लेकर निरुत्तर हो जाते हैं।
(ख) निबंध की अंतिम पंक्ति “हाय! वह अवधूत कहाँ है” के आधार पर लेखक ने किसका स्मरण किया है व क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
“हाय! वह अवधूत आज कहाँ है?” निबंध की अंतिम पंक्ति है। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक कहता है कि महात्मा गाँधी शिरीष के फूल की भाँति थे। लेखक के अनुसार, प्रेरणादायी और आत्मविश्वास रखने वाले लोग अब रहे ही नहीं। अब केवल शरीर यानी भौतिकता को प्राथमिकता देने वाले लोग ही रह गए हैं।
ऐसे लोगों में आत्मविश्वास बिलकुल नहीं होता। ऐसे लोग मन की सुंदरता पर ध्यान नहीं देते। लेखक ने शिरीष के फूल के माध्यम से वर्तमान सम्यता के यथार्थ का चित्रण किया है।
(ग) ‘काले मेघा पानी दे’ कहानी में लेखक, जीजी के तर्कों के सामने स्वयं को असहाय क्यों मानता है?
उत्तर :
लेखक की एक जीजी थी, जो उग्र में उनकी मों से भी बड़ी थीं। जीजी का स्नेह लेखक पर बहुत अधिक था। जीजी सभी पूजा-पाठ व अनुष्ठानों को मानती थीं, जिसका लेखक विरोध करता था, परंतु वह स्पष्ट रूप से विरोध की अभिव्यक्ति नहीं कर पाता था। जब दीदी इंदर सेना पर पानी फेंकने जा रही थीं, तब लेखक इस तरह से पानी की बर्बादी को देखकर उसका विरोध करने लगा, परंतु जीजी लेखक के विरोध को नहीं मानी और लेखक जीजी के स्नेह के सामने स्वयं को लाचार (बेबस) महसूस करने लगता था।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) ‘भवितन’ रेखाचित्र पितृसत्तात्मक समाज की मान्यताओं पर किस प्रकार प्रश्नचिह्ट अंकित करता है?
उत्तर :
भारत एक पुरुष प्रधान देश रहा है। मध्यकालीन भारत में तो बेटियों को बोझ समझा जाता था। समाज में आज भी होने वाली कन्या भूण हत्या की घटनाएँ इसी मनोवृत्ति का प्रमाण देती हैं, साथ ही यह माना जाता है कि बेटी का विवाह करने पर वह तो दूसरे घर की हो जाती उनसे माँ-बाप की सेवा की उम्मीद भी की जाती है। ऐसे ही दकियानुसी विचार हमारे समाज में आज भी व्याप्त हैं। अतः भक्तिन इस पितृत्तात्मक समाज की मान्यताओं भरे समाज से लड़ती रही।
(ख) लेखक ने कैसे बाज़ार को मानवता के लिए विडंबना माना है?
उत्तर :
समाज की आवश्यकताओं की उचित ढंग से पूर्ति करने में ही बाजार की उपयोगिता है। ऐसा करके ही बाजार सार्थक होता है। जो बाजार अपनी सार्थकता त्यागकर ग्राहक के साथ छल-कपटपूर्ण आचरण करता है, वह बाजार होने का महत्त्व खो देता है। जहाँ भाईचारा भूलकर क्रेता और विक्रेता एक-दूसरे को ठगने में लगे रहते हैं एवं जहाँ उनके बीच का विश्वास नष्ट हो जाता है, वह बाजार, बाजार होने का भाव पूरा नहीं करता। जहाँ धनवान लोग अपनी क्रय शक्ति का प्रदर्शन कर बाजार को शैतानी शक्ति और व्यंग्य शक्ति प्रदान करते हैं, वह बाजार मानवता के लिए दुर्भाग्यूपूर्ण बन जाता है। वह मानवता के लिए विडंबना सिद्ध होता है।
(ग) लुट्टन सिंह पहलवान की दी गई शिक्षा-दीक्षा पर पानी क्यों फिर गया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लुट्टन सिंह पहलवान के द्वारा दी गई शिक्षा से उसके दोनों पुत्र सामाजिक व राजसी रूप से भावी पहलवान घोषित हो चुके थे, परंतु अकस्मात् राजा के स्वर्गवासी होने के पश्चात् उत्तराधिकारी बने नए विलायती राजा ने पाया कि इन पहलवानों पर होने वाला राजसी खर्च बहुत अधिक है, क्योंकि नए राजा को कुश्ती का शौक नहीं था। अतः उन तीनों को उसने बिना किसी सुनवाई के ही राज दरबार से निकाल दिया।
पूरक पाठ्य-पुस्तक वितान भाग 2
प्रश्न 14.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 2 प्रश्नों में से किसी 1 प्रश्न का लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (4 × 1 = 4) ‘यशोधर बाबू दो भिन्न कालखंडों में जी रहे हैं’ पक्ष या विपक्ष में सोदाहरण तर्क कीजिए।
अथवा
जूझ कहानी के आधार पर लेखक के जीवन संधर्ष को संक्षेप में वर्णित कीजिए।
उत्तर :
यशोधर बाबू को ‘आदर्श व्यक्तित्व’ कहा ही इसलिए गया है, क्योंकि वे जीवनभर अपने सिद्धांतों पर चलते रहे हैं। यशोधर बाबू पुराने विचारों वाले व्यक्ति हैं और वे ये भी मानते हैं कि उनके बच्चे आधुंनिक युग के साथ चलते-चलते यथार्थ दुनिया के बारे में उनसे अधिक अच्छा सोच पाते हैं। उन्हें समाज में जहाँ कहीं भी नयापन दिखाई देता है, तो वे कहते हैं ‘समहाउ इप्रॉपर’। यशोधर बाबू अपने सामाजिक मूल्यों को बनाए रखना चाहते हैं। आज विश्व में हमें सबके साथ कंचे-से कंधा मिलाकर चलना ही पड़ता है। मेरी दृष्टि में नई पीदी के उन्हीं में थोड़ा बहुत बदलाव लाना ही चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि हम लड़कियों को न पढ़ाएँ तो नुकस्सान अपना ही करेंगे, क्योंकि शिक्षित नारी पूरे परिवार को शिक्षित बनाती है। इसलिए आधुनिक युग की सोच है कि यशोधर बादू जैसे लोगों को अपने पुराने विधारों में नए विवारों को भी शामिल कर लेना चाहिए।
अथवा
लेखक के पिता बहुत आलसी और गैर-ज़िम्मेदार व्यक्ति थे। वे लेखक को पाठशाला नहीं भेजते थे, क्योंकि यदि लेखक पाठशाला चला जाएगा, तो खेत का काम कौन करेगा? वे स्वयं तो दिनभर गाँव में घूमते रहते और रखमाबाई के कोठे पर भी जाते, जबकि लेखक को सुबह के ग्यारह बजे तक खेतों में पानी देकर फिर पाठशाला जाएगा और पाठशाला से आकर फिर एक घंटा पशुओं को चराएगा। यदि किसी दिन खेत में काम ज्यादा होगा, तो उस दिन पाठशाला से छुट्टी ले लेगा।
पाठशाला में भी लड़कों ने उसकी खिल्ली उड़ाई, क्योंकि वह मटमैली धोती और गमछा पहनकर गया था। इस प्रकार लेखक प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष करता हुआ पढ़ाई भी करता है और खेत का काम भी संभालता है तथा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होता है।