Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 2 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 2 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में खंड ‘अ’ में वस्तुपरक तथा खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
- खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘क’
अपठित बोध (18 अंक)
खंड ‘क’ में अपठित बोध के अंतर्गत अपठित गद्यांश व पद्यांश से संबंधित बहुविकल्पीय, अतिलघूत्तरात्मक तथा लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से बहुविकल्पीय तथा अतिलघूत्तरात्मक के प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक तथा लघूत्तरात्मक के लिए 2 अंक निर्धारित हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए। (10)
आज किसी भी व्यक्ति का सबसे अलग एक टापू की तरह जीना संभव नहीं रह गया है। मानव समाज में विभिन्न पंथों और विविध मत-मतांतरों के लोग साथ-साथ रह रहे हैं। ऐसे में यह अधिक आवश्यक हो गया है कि लोग एक-दूसरे को जानें, उनकी आवश्यकताओं को, उनकी इच्छाओं-आकांक्षाओं को समझें, उन्हें वरीयता दें और उनके धार्मिक विश्वासों, पद्धतियों, अनुष्ठानों को सम्मान दें। भारत जैसे देश में यह और भी अधिक आवश्यक है, क्योंकि यह देश किसी एक धर्म, मत या विचारधारा का नहीं है। स्वामी विवेकानंद इस बात को समझते थे और अपने आचार-विचार में वे अपने समय से बहुत आगे थे। उन्होंने धर्म को मनुष्य की सेवा के केंद्र में रखकर ही आध्यात्मिक चिंतन किया था। उन्होंने यह विद्रोही बयान दिया कि इस देश के तैंतीस करोड़ भूखे, दरिद्र और कुपोषण के शिकार लोगों को देवी-देवताओं की तरह मंदिरों में स्थापित कर दिया जाए और मंदिरों से देवी-देवताओं की मूर्तियों को हटा दिया जाए।
उनका दृद मत था कि विभिन्न धर्मो-संप्रदायों के बीच संवाद होना ही चाहिए। वे विभिन्न संप्रदायों की अनेकरूपता को उचित और स्वाभाविक मानते थे। स्वामी जी विभिन्न धार्मिक आस्थाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने के पक्षधर थे और सभी को एक ही धर्म का अनुयायी बनाने के विरुद्ध थे। वे कहा करते थे-“यदि सभी मानव एक ही धर्म को मानने लगें, एक ही पूजा-पद्धति को अपना लें और एक-सी नैतिकता का अनुपालन करने लगें, तो यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात होगी, क्योंकि यह सब हमारे धार्मिक और आध्यात्मिक विकास के लिए प्राणघातक होगा तथा हमें हमारी सांस्कृतिक जड़ों से काट देगा।”
(क) स्वामी विवेकानंद किस बात को समझते थे? (1)
(i) भारत देश किसी एक धर्म, मत या विचारधारा का नहीं है
(ii) भारत में विभिन्न धमों-संप्रदायों के बीच संवाद नहीं होना चाहिए
(iii) भारत में सभी धर्मों को स्थान देना उचित नहीं है
(iv) भारत में धार्मिक अनुष्ठानों को महत्त्व नहीं देना चाहिए
उत्तर :
(i) भारत देश किसी एक धर्म, मत या विचारधारा का नहीं है
(ख) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए (1)
1. भारत देश में विभिन्न पंथों तथा विविध मत-मतांतरों के लोगों को एकसाथ रहना चाहिए।
2. स्वामी विवेकानंद सभी लोगों को एक ही धर्म के अनुयायी बनाना चाहते थे।
3. स्वामी विवेकानंद सभी लोगों द्वारा समान पूजा-पद्धति अपनाना उचित नहीं मानते थे। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(iv) 1 और 3
(ग) कथन (A) स्वामी विवेकानंद मंदिरों में से देवी-देवताओं की मूर्तियों को हटा देना चाहते थे। (1)
कारण (R) स्वामी विवेकानंद भूखे, दरिद्र तथा कुपोषण के शिकार लोगों को मंदिरों में देवी-देवताओं की जगह स्थापित करना चाहते थे।
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारणं ( R ) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण ( R ) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) और कारण ( R ) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर :
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(घ) स्वामी विवेकानंद को अपने समय से बहुत आगे क्यों कहा गया है? (1)
उत्तर :
स्वामी विवेकानंद को अपने समय से बहुत आगे इसलिए कहा गया है, क्योंकि वे जानते थे कि भारत में एक धर्म, मत या विचारधारा नहीं चल सकती। उनमें संवाद होना अनिवार्य है।
(ङ) भारत देश में क्या जरूरी है और क्यों? (2)
उत्तर :
भारत जैसे देश में विभिन्न धर्मावलंबी एकसाथ मिलकर रहते हैं, इसलिए यहाँ एक-दूसरे को जानना, समझना, इच्छाओं और आकांकाओं को समझना बहुत जरूरी है। सभी लोगों को दूसरों के धार्मिक विश्वासों, पद्धतियों-अनुष्ठानों को सम्मान देना चाहिए।
(च) स्वामी जी के मत में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति क्या होगी? (2)
उत्तर :
स्वामी जी के मत में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति वह होगी, जब सभी व्यक्ति एक धर्म की पूजा-पद्धति व नैतिकता का अनुपालन करने लगेंगे। ऐसा करने से यहाँ का धार्मिक व आध्यात्मिक विकास रुक जाएगा और हमें हमारी संस्कृति से अलग कर देगा।
(छ) टापू किसे कहते हैं? लेखक का टापू की तरह जीने से क्या अभिप्राय है? (2)
उत्तर :
टापू समुद्र के मध्य उभरा भू-स्थल होता है, जिसके चारों ओर जल होता है। वह मुख्य भूमि से अलग होता है। टापू की तरह जीने से लेखक का अभिप्राय है-समाज की मुख्यधारा से कटकर रहना।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए। (8)
आज की शाम
जो बाजार जा रहे हैं
उनसे मेरा अनुरोध है
एक छोटा-सा अनुरोध
क्यों न ऐसा हो कि आज शाम
हम अपने थैले और डोलचियाँ
रख दें एक तरफ
और सीधे धान की मंजरियों तक चलें
चावल जरूरी है
जरूरी है आटा, दाल, नमक, पुदीना
पर क्यों न ऐसा हो कि आज शाम
हम सीधे वही पहुँचें
एक दम वही
जहाँ चावल
दाना बनने से पहले
सुगंध की पीड़ा से छटपटा रहा हो
उचित यही होगा
कि हम शुरू में ही
आमने-सामने
बिना दुभाषिये के
सीधे उस सुगंध से बातचीत करें
यह रक्त के लिए अच्छा है
अच्छा है भूख के लिए
नींद के लिए कैसा रहे
बाजार न आए बीच में।
(क) प्रस्तुत पद्यांश में कवि क्या अनुरोध कर रहा है? (1)
(i) बाजार में जाने का
(ii) बाजार से वस्तुएँ खरीदने का
(iii) सीधे किसान से वस्तुएँ खरीदने का
(iv) बाजार के जाल में न फँसने का
उत्तर :
(iii) सीधे किसान से वस्तुएँ खरीदने का
(ख) कवि सीधे कहाँ पहुँचने के लिए कह रहा है? (1)
(i) दुकानों पर
(ii) किसानों के खेतों पर
(iii) सड़कों पर
(iv) गाँवों के घरों पर
उत्तर :
(ii) किसानों के खेतों पर
(ग) सुमेलित कीजिए (1)
सूची I | सूची II |
A. अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ | 1. बाजार |
B. बिना दुभाषिये के | 2. किसान |
C. सुगंध से बातचीत | 3. सीधे उत्पादन करने वालों से |
कूट
A B C
(i) 3 1 2
(ii) 2 1 3
(iii) 1 2 3
(iv) 2 3 1
उत्तर :
(i)
सूची I | सूची II |
A. अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ | 3. सीधे उत्पादन करने वालों से |
B. बिना दुभाषिये के | 1. बाजार |
C. सुगंध से बातचीत | 2. किसान |
(घ) ‘बाजार न आए बीच में’ पंक्ति का क्या आशय है? (1)
उत्तर :
‘बाजार न आए बीच में’ पंक्ति का आशय यह है कि ग्राहक और उत्पादक के बीच बाजार (दुभाषिया, बिचौलिया) को नहीं आना चाहिए।
(ङ) हमें किसके उत्पादन की प्रकिया से अवगत होना चाहिए? (2)
उत्तर :
हमें जिन चीजों की आवश्यकता होती है, उनके उत्पादनकर्ता के बारे में जानना चाहिए तथा वे चीजें बाजार से न खरीदकर सीधे उत्पादक से ही खरीदनी चाहिए। ऐसा करने से हमारा भी लाभ है और उत्पादक को भी लाभ है। बाजार के बीच में आने से ग्राहक एवं उत्पादक दोनों को हानि उठानी पड़ती है। अतः हमें वस्तु उत्पादक से सीधा संपर्क करना चाहिए।
(च) प्रस्तुत पद्यांश में कवि कहाँ जाने की बात करता है और क्यों? (2)
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश में कवि किसान के खेतों पर जाने की बात्त करता है, क्योंकि बाजार महँगा है। हमें सीधे वहीं पहुँचना चाहिए, जहाँ हमारी आवश्यकता की वस्तुएँ उत्पन्न की जाती हैं और वह स्थान किसान का खेत है। किसान हर जरूरत की वस्तु का उत्पादक है। हमें उसी से बातचीत करनी चाहिए। बाजार के चक्कर में नही पड़ना चाहिए, क्योंकि बाजार ‘धोखा’ है जहाँ व्यक्ति को लूटा जाता है। अत: इस लूट और धोखे से बचने के लिए सीधा उत्पादक (किसान) से संपर्क करना चाहिए।
खंड ‘ख’
अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्यपुस्तक (22 अंक)
खंड ‘ख’ में अभिव्यक्ति और माध्यम से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित 3 विषयों में से किसी 1 विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। (6 × 1 = 6)
(क) वर्तमान युग में रिश्ते-नातों की कम होती अहमियत
उत्तर :
वर्तमान युग में रिश्ते-नातों की कम होती अहमियत मानव जीवन में रिश्ते-नातों का बहुत महत्त्व है। इनके अभाव में तो जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। प्राचीनकाल से संयुक्त परिवारों का चलन रहा है, जिससे इंसान में अपनापन, प्रेम, त्याग, श्रातृत्व और सहयोग की भावना विद्यमान रहती थी। इन रिश्तों के द्वारा ही इंसान सामाजिक जीवन जी पाता है तथा यही मानव जीवन में महत्त्वपूर्ण भी हैं।
समय के साथ संयुक्त परिवार की परंपरा समाप्त होती जा रही है। आज के युवाओं में यह मानसिकता पनपती जा रही है कि यदि आप अलग रहोगे, तो अपनी जिंदगी अपने ढंग से जी सकते हो। वे अपनी ही दुनिया में मस्व रहना चाहते हैं, किसी प्रकार की रोक-टोक उन्हें पसंद नहीं होती। आज के समय में स्वार्थ और धन-लालसा इतनी बढ़ गई है कि इनके वशीभूत होकर व्यक्ति रिश्ते-नातों का गला घोटने से भी पीछे नहीं हटता। परस्पर बढ़ती ईर्ष्या की भाबना के कारण भी रिश्ते-नाते समाप्त होते जा रते हैं।
रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए व्यक्ति को कुछ समय रिश्तेदारों के लिए निकालना ही होगा। एक कहावत भी है कि “रिश्ते-नातों के विकास के लिए मेल-जोल, अपनापन आवश्यक है। बिना पानी के तो पौधे तक सूख जाते हैं।” इंसान को अपने अहंकार को त्यागकर, प्रेम तथा मेल-जोल की भावना का विकास करना होगा, तभी ये रिश्ते-नाते बच पाएँगे।
अत: व्यक्ति को अपने मानसिक सुख के लिए रिश्तों को निभाना अत्यंत आवश्यक है। रिश्ते-नातों को निभाते हुए हम भारतीयों को संपूर्ण विश्व को ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का संदेश देना चाहिए।
(ख) जीवन की एक हास्यास्पद घटना
उत्तर :
जीवन की एक हास्यास्पद घटना
बालपन मानव का श्रेष्ठतम काल होता है। इस दौरान अनेक घटनाएँ घटती हैं, जो सहसा ही हुदय को खुशी का आभास देती हैं तथा उस घटना के स्मरण मात्र से ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। ऐसी ही एक घटना है, जब मैं पाँचर्वीं कक्षा में था, उस समय की वह घटना मुझे याद आ रही है।
एक बार विद्यालय के वार्षिकोत्सव की तैयारी चल रही थी, जिसमें हमारी कक्षा की छात्राओं ने भी भाग लिया था। वे नृत्य का कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए तैयार हो रही थीं, तभी पता चला कि उनके ग्रुप (समूह) की एक सदस्या की अचानक तबीयत खराब हो गई, जिस कारण वह प्रस्तुति नहीं दे सकती थी। सभी को चिंता होने लगी कि अब क्या होगा? उनमें शामिल मेरी मित्र ने समाधान खोजते हुए कहा कि हमारी कक्षा का ‘अभय’ बहुत अच्छा नृत्य करता है। अत: उसे यह कार्यक्रम करने के लिए तैयार किया जा सकता है।
तभी मुझे वहाँ बुलाया गया और सभी के आग्रह करने पर मैं नृत्य करने के लिए तैयार हो गया। मुझे महिलाओं की पोशाक (साड़ी) पहनाकर तथा मेकअप करके तैयार किया गया। जैसे ही स्टेज पर हमारे कार्यक्रम की प्रस्तुति आरंभ हुई, मेरी साड़ी पैरों में अटककर खुल गई। यह देख सभी छात्र-छात्राएँ जोर-ज़ोर से हँसने लगे, उन्हें हँसता देख मेरी भी हँसी छूट गई। अध्यापिका ने तुरंत पर्दा गिरा दिया। उस समय मुझे कुछ समझ़ नहीं आया और मैं घबरा गया कि अब मुझे डाँट पड़ेगी, लेकिन मुझे समझाया गया कि ऐसी घटना हो जाती है, परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। आज मैं जब भी उस घटना को याद करता हुँ. तो मेरे चेहरे पर हँसी आ जाती है।
हास्य हमारे लिए भगवान द्वारा दिए गए सबसे अच्छे उपहारों में से एक है, जो हमें प्रतिकूल परिस्थितियों में भी प्रसन्नतापूर्वक जीवन जीने में मदद करता है। हास्य हमें मनोरंजन प्रदान करता है और गंभीर परिस्थितियों को भी जीवंत रूप में बदल देता है। इसलिए हँसी हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
वर्तमान जीवन की कठिन परिस्थितियों में जहाँ मानव हँसने के लिए तरसता रहता है, वहाँ इस प्रकार की घटनाएँ हदय में खुशी का संचार करती हैं, जो हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अति लाभकारी होती हैं। इसलिए ‘हँसो और हँसाओ’ हमारे जीवन का सिद्धांत होना चाहिए।
(ग) पाश्चात्य संस्कृति का बढ़ता प्रभाव
उत्तर :
पाश्चात्य संस्कृति का बढ़ता प्रभाव
भारतीय संस्कृति अध्यात्म एवं दर्शन से ओत-प्रोत है। हमारे देश की संस्कृति अद्वितीय है। भारतीय संस्कृति का थ्येय मानव-मूल्यों को प्रतिष्ठित करना है। भारतीय संस्कृति, भारतीय वेद, ऋचाएँ ( स्लोक) तथा पुराण अत्यंत प्राचीन हैं। इनमें कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं, जो आज मी इन्हें महत्त्वपूर्ण बनाए हुए हैं।
इस वैज्ञानिक युग में भी हम भारतीय आस्थावादी हैं और धर्म हमारे जीवन का आधार है। हमारी संस्कृति में भौतिक सुख को नहीं वरन् आत्मिक संतुष्टि को महत्व दिया गया है। भारतीय संस्कृति में आत्मा को परमात्मा का अंश मानकर आत्मिक ज्ञान पर बल दिया जाता है। वास्तविक सुख-शांति तो संतोष, परोपकार, दया, अहिंसा आदि गुणों को अपनाने पर प्राप्त होती है। आत्मा के सुख के सम्मुख सभी सुख नगण्य हैं। इन्हीं सिद्धांतों को जन्म देने के कारण ही भारत को विश्वगुरु कहा गया है।
पाश्चात्य सभ्यता उपभोगवाद को जन्म देती है। वहाँ की संस्कृति में स्वतंत्रता के नाम पर स्वच्छंदता देखी जाती है। वहाँ की संस्कृति हमारी संस्कृति से मेल नहीं खाती और दोनों संस्कृतियों में काफी विरोधाभास है, परंतु इन सबके बाद भी कुछ महत्वपूर्ण आविष्कार; जैसे-एक्स-रे, कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल फोन, टेलीविजन आदि पाश्चात्य संस्कृति की ही देन हैं। ये सभी हमारे दैनिक जीवन में बहुत उपयोगी हैं।
पाश्चात्य देशों के लोग साफ-सफाई के प्रति अधिक जागरूक होते हैं। वे अपने आस-पास बहुत सफाई रखते हैं और सडक, पार्क या सार्वजनिक स्थानों पर कागज का एक टुकड़ा तक नहीं फेंकते। अत: भारतीयों को पाश्चात्य देशों से सफ़-सफाई एवं स्वच्छता से संबंधित बातें सीखनी चाहिए। हमें पश्चिमी लोगों की तरह ख्यावसायिक बनना चाहिए। इसके साच ही समय की पार्बंदी और दूसरों का सम्मान करना भी हमें उनसे सीखना चाहिए।
वर्तमान में भारतीय संस्कृति पर पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव बढ़ता जा रहा है और भारत वैज्ञानिक युग में भौतिक सिद्धांतों की प्राप्ति के लिए उसी दृष्टिकोण से सोचने लगा है। यह पाश्चात्य सभ्यता-संस्कृति का भारतीय सभ्यता-संस्कृति पर एक अच्छा प्रभाव समझ़ जा सकता है, परंतु भौतिकता के साथ आध्यात्मिकता का समन्वय करते हुए जीवन को भोगपरक नहीं, बल्कि त्यागपरक होना चाहिए।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढिए किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 4 = 8)
(क) नाटक का अर्थ स्पष्ट करते हुए बताइए कि नाटक साहित्य की अन्य विधाओं से किस प्रकार भिन्न है? (2)
उत्तर :
नाटक साहित्य की वह सबोंत्तम विधा है, जिसे पढ़ने और सुनने के साथ-साथ देखा भी जा सकता है। नाटक शब्द की उत्पत्ति ‘नट्’ धातु से मानी जाती है। ‘नट्’ शब्द का अर्थ अभिनय है, जो अभिनेता से जुड़ा हुआ है। इसे रूपक भी कहा जाता है। भारतीय परंपरा में नाटक को काव्य की संज्ञा दी गई है।
नाटक और अन्य विधाओं में अंतर
साहित्य की अन्य विधाएँ अपने लिखित रूप में ही निश्चित और अंतिम रूप को प्राप्त कर लेती हैं, कितु नाटक लिखित रूप में एक आयामी होता है। मंचन के पश्चात् ही उसमें संपूर्णता आती है। अत: साहित्य की अन्य विधाएँ पदेने या सुनने तक की यात्रा तय करती हैं, परंतु नाटक पढ़ने, सुनने के साथ-साथ देखने के तत्त्व को भी अपने में समेटे हुए है।
(ख) कहानी की मौखिक परंपरा पर अपने विचार व्यक्त कीजिए। कहानी को आकर्षक बनाने हेतु प्रभावशाली तत्त्वों का वर्णन कीजिए। (2)
उत्तर :
कहानी की मौखिक परंपरा बहुत पुरानी है। प्राचीनकाल में मौखिक कहानियों की लोकप्रियता इसलिए थी, क्योंकि यह संचार का बड़ा माध्यम थी। इस कारण धर्म प्रचारकों ने भी अपने सिद्धांत और विचार लोगों तक पहुँचाने के लिए कहानी का सहारा लिया था। शिक्षा देने के लिए भी कहानी विधा का प्रयोग किया गया, जैसे – पंचतंत्र की कहानियाँ लिखी गई, जो विश्व प्रसिद्ध हैं। कहानी का आरंभ आकर्षक होना चाहिए तथा अंत सहज ढंग से होना चाहिए। कहानी की भाषा सरल, स्वाभांविक तथा प्रभावशाल़ी होनी चाहिए। कहानी में विभिन्न घटनाओं तथा प्रसंगों को संतुलित विस्तार देना चाहिए।
(ग) ‘अप्रत्याशित विषयों पर लेखन एक चुनौती है’ कैसे? लेखक इस चुनौती का सामना कैसे करता है? (2)
उत्तर :
अप्रत्याशित विषयों पर लेखन हेतु लोगों को आत्मनिर्भर होकर लिखना पड़ता है। उन्हें अभिव्यक्ति का अभ्यास करना पड़ता है तथा संबंधित विषय पर अपने विचारों को अभिव्यक्त करना पड़ता है। इसमें भाषा की शुद्धता होना भी आवश्यक है। लिखते समय विवरण विषय से सुसंबद्धित होना चाहिए। अत: किसी भी विषय पर लिखने से पूर्व दो-तीन मिनट तक यह विचार करना चाहिए कि हम विषय से संबंधित किन बिंदुओं पर विस्तार से लिख्ख सकते हैं। लेखक आत्मनिर्भर होकर इस अभिख्यक्ति का अभ्यास करके इस चुनौती का सामना करने में समर्थ होता है।
(घ) क्या समाचार लेखन में ‘सकारों’ का ध्यान रखना आवश्यक है? प्रत्येक के बारे में बताइए। (2)
उत्तर :
समाचार लेखन के चार ‘सकारो’ को ध्यान में रखना अति आवश्यक है
(i) सत्यता समाचार पूर्णत: सच्चाई पर आधारित होना चाहिए।
(ii) स्पष्टता समाचार लेखन में यह गुण होना चाहिए कि वह अपने अर्थ को सरलता व स्पष्टता से समझा सके।
(iii) संक्षिप्तता समाचार को अति विस्तार से बचना चाहिए।
(iv) सुरुचि समाचार लेखन की भाषा, शैली व प्रस्तुति रोचक होनी चाहिए।
(ङ) क्या हर घटना समाचार नहीं होती, तो कौन-सी घटना समाचार के अंतर्गत आती है? सोदाहरण उत्तर दीजिए। (2)
उत्तर :
हर घटना समाचार नहीं होती है, सिफ़क वही घटना समाचार बन सकती है, जिसका कमोबेश सार्वजनिक हित हो। अस्पताल में लोग भर्ती होते रहते हैं, अच्छे होते हैं और कुछ मरते भी है, लेकिन यह समाचार नहीं है, परंतु यदि कोई मरीज इसलिए मर जाए कि अस्पताल पहुँचने पर कोईं उसे देखने वाला नहीं था या डॉक्टर की गैर-हाजिरी में उसका गलत इलाज कर दिया गया, नर्स ने एक मरीज की दवा दूसरे को दे दी या ऑपरेशन करते समय कोई औजार पेट में ही रह गया और पेट सिल दिया गया तो ये सब समाचार हो सकते है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और किन्हीं 2 प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए। (2 × 4 = 8)
(क) पत्रकारिता जगत में ‘बीट’ से आप क्या समझते हैं? बीट रिपोर्टिंग के लिए एक पत्रकार को क्या तैयारी करनी पड़ती है? (4)
उत्तर :
संवाददाताओं के बीच काम का विभाजन आमतौर पर उनकी रुचि और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे ‘बीट’ कहते हैं। एक संवाददाता की बीट यदि अपराध है, तो इसका अर्थ है कि आपराधिक घटनाओं की रिपोर्टिग के लिए वही जिम्मेदार होगा। बीट रिपोर्टर को अपने क्षेत्र की छोटी-बड़ी जानकारी इकट्ठी करके कई स्रोतों द्वारा उसकी पुष्टि करके विशेषज्ञता प्राप्त करनी चाहिए। तब ही उसकी खबर विश्वसनीय मानी जाती है। बीट रिपोर्टर को सामान्यतौर पर खबरें ही लिखनी होती हैं। बीट कवर करने वाले रिपोर्टर को संवाददाता कहते हैं। बीट रिपोर्टर रिपोर्टिंग के दौरान मिलने वाले प्रत्येक व्यक्ति से जानकारी इकट्ठा करते हैं। वे लेखों के लिए कोई भी नई जानकारी प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से स्रोतों को कॉल करते हैं, उनसे मिलते हैं और मुद्दों पर रिपोर्ट तैयार करते हैं।
(ख) समाचार लेखन के लिए किन आवश्यक तथ्यों का ध्यान रखना अनिवार्य है? (4)
उत्तर :
समाचार लेखन के लिए आवश्यक तथ्य निम्नलिखित हैं
- समाचार लिखने से पूर्व उसकी पृष्ठभूमि का ज्ञान होना आवश्यक है।
- समाचार प्राप्त होने के बाद उससे संबंधित अनेक पत्रों एवं तथ्यों को समाहित कर समग्रता के साथ लिखना अपेक्षित है।
- समाचार अपेक्षित अनुच्छेदों में विभाजित होना चाहिए।
- ये अनुच्छेद न तो अधिक बड़े होने चाहिए और न ही अति संक्षिप्त होने चाहिए।
- समाचार लेखन में शब्दों की पुनरार्वृत्ति से बचना चाहिए।
- समाचार की भाषा में सामासिकता का गुण होना चाहिए।
- समाचार लेखन में शब्दों का निरर्थक व अनावश्यक प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(ग) विशेष लेखन किसे कहते हैं तथा इसकी भाषा-शैली कैसी होती है? (4)
उत्तर :
जब किसी विशेष विषय पर सामान्य लेखन से हटकर लेखन किया जाए, तो उसे विशेष लेखन कहते हैं। विशेष लेखन में प्रत्येक क्षेत्र की विशेष तकनीकी शब्दार्वलियों का प्रयोग किया जाता है; जैसे-
(i) कारोबार और व्यापार में-तेजड़िए, सोना उछला, चाँदी लुढ़की आदि।
(ii) पर्यावरण संबंधी लेख में-आर्द्रता, टैक्सेस कचरा, ग्लोबल वार्मिंग आदि।
विशेष लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं होती है। विषय के अनुसार उल्टा पिरामिड या फीचर शैली का प्रयोग किया जा सकता है।
पत्रकार चाहे कोई भी शैली अपनाए, लेकिन उसे यह ध्यान रखना चाहिए कि विशेष विषय में किया गया लेखन कार्य सामान्य लेखन से अलग होना चाहिए।
खंड ‘ग’
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 एवं वितान भाग-2 (40 अंक)
खंड ‘ग ‘ में पाठ्यपुस्तक आरोह भाग- 2 से गद्य व पद्य खंड से बहुविकल्पीय प्रश्न, अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न व लघूत्तरात्मक प्रश्न तथा वितान भाग- 2 से लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछ्छे गए हैं, जिनके निर्धरित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
कविता एक उड्रान है चिड़िया के बहाने
कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने
बाहर-भीतर
इस घर, उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
चिड़िया क्या जाने?
(क) कविता किसकी तरह उड़ान भरती है? (1)
(i) चिड़िया की तरह
(ii) तोते की तरह
(iii) कौए की तरह
(iv) पतंग की तरह
उत्तर :
(i) चिड़िया की तरह
(ख) चिड़िया की उड़ान की ……….. होती है। (1)
(i) एक निश्चित सीमा
(ii) एक अनिश्चित सीमा
(iii) एक निश्चित घेरा
(iv) एक निश्चित पर्यावरण
उत्तर :
(i) एक निश्चित सीमा
(ग) कवि ने कविता को किसकी उड़ान माना है? (1)
(i) कल्पना की
(ii) शब्द की
(iii) सीमाओं की
(iv) प्रश्नों की
उत्तर :
(i) कल्पना की
(घ) कथन (A) कविता की उड़ान चिड़िया की उड़ान से भिन्न है। (1)
कारण (R) चिड़िया की उड़ान की एक निश्चित सीमा है। कूट
(i) कथन (A) सही है, किंतु कारण ( R ) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, कितु कारण ( R ) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iv) कथन ( A ) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ङ) “कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने” पंक्ति से क्या आशय है? (1)
(i) कविता की उड़ान चिड़िया की उड़ान से कम होती है।
(ii) कविता की उड़ान असीमित है, इसे चिड़िया नहीं समझ पाती है।
(iii) कविता और चिड़िया दोनों की उड़ान अनंत है।
(iv) कविता की उड़ान से चिड़िया भली-भाँति परिचित है।
उत्तर :
(ii) कक्ति की उड़ान असीमित है, इसे चिड़िया नहीं समझ पाती है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढकर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘पतंग’ कविता में कवि बच्चों के कोमल व उल्लसित मन को किस प्रकार रेखांकित करता है? (3)
उत्तर :
‘पतंग’ कविता में कवि कहता है कि बच्चे तो जन्म से ही अपने साथ कपास जैसी कोमल भावनाएँ एवं लचीला शरीर लेकर आते है। उनकी भायनाएँ स्वच्छ, पवित्र व कोमल होती हैं, साथ ही उनकी शारीरिक सक्रियता देखते ही बनती है। उनके बेचैन चंचल पैरों को तो थमने या रुकने की सुध ही नहीं रहती। वे भागते-दौड़ते सक्रिय व जीबंत रहते हैं। सभी दिशाएँ उनकी सक्रियता की ताल से मृदंग की तरह बजती दिखाई देती हैं।
(ख) ‘कवितावली’ पाठ में तुलसी के संकलित कवित्तों में चित्रित तत्कालीन आर्थिक विषमताओं पर टिप्पणी कीजिए। (3)
उत्तर :
गोस्वामी तुलसीदास भक्त कवि थे। उन्होंने अपने युग की आर्थिक विषमता को निकटता से ही नहीं देखा, बल्कि अनुभव भी किया है। तत्कालीन समय में चारों ओर अकाल के कारण बेरोज़ारी और भुखमरी फैली थी। लोगों के पास काम नहीं था। लोग संतान तक बेचने के लिए विवश थे। चारों ओर लाचारी और विवशता ही दिखाई पड़ती थी। पेट की आग समुद्र की आग से भी अधिक भयंकर थी, जिसके लिए लोग कुकर्म कर रहे चे और अपने धंधे में भी धर्म-अधर्म का विचार नहीं कर रहे चे। इस प्रकार, तुलसी का युग अनेक आर्थिक विषमताओं से घिरा था।
(ग) दिवाली की रात माँ के वात्सल्य का चित्रण कवि ने किस प्रकार किया है? दिवाली के उल्लास के समय वातावरण का चित्रण करते हुए बताइए। (3)
उत्तर :
दिवाली की रात माँ के वात्सल्य का चित्रण करते हुए कवि कहता है कि दिवाली की शाम है। सभी घरों को स्वच्छ तथा पवित्र किया गया है और खूब सजा दिया गया है। माँ अपने बच्चे के लिए चीनी-मिट्टी के खिलौने तथा जगमगाते लावे (धान या चावल से निर्मित खाद्य पदार्थ) लाई है। वह रूपवती माँ, जिसके चेहरे पर ममता, वात्सल्य और दुलार की एक कोमल-सी आभा है, अपने बच्चे के घरौदे (मिट्टी का घर) को सजाती है तथा उसमें एक दीप जलाती है। यह सब देखकर बच्चा प्रसन्न हो जाता है और अपने बच्चे की प्रसन्नता से ही माँ का चेहरा गर्व से खिल उठता है।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) ‘परदे पर वक्त की कीमत है’ कथन किस बात की ओर इशारा करता है? (2)
उत्तर :
‘परदे पर वक्त की कीमत है’, ऐसा कहहकर कायंक्रम को प्रस्तुत करने वाला यह बताना चाहता है कि वह कितने महत्वपूर्ण संचार माध्यम में कार्य कर रहा है। जिसमें उसका उद्देश्य समाज की भलाई करना है। इसके विपरीत उनका उद्देश्य अपने चैनल को प्रसिद्ध करना तथा धन कमाना है। इसलिए वहाँ पर एक-एक पल की कीमत पहले से तय होती है। अपंग व्यक्ति पर आधारित कार्यक्रम अपंग व्यक्ति का साक्षात्कार नहीं है, अपितु उसकी अपंगता को देश के आगे रखकर प्रसिद्धि व धन अर्जित करना है। अत: इस पंक्ति को कहकर कवि ऐसे कार्यक्रमों के प्रति अपनी नाराजगी और क्रोध को व्यक्त करता है।
(ख) ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ में पक्षी तो लौटने को विकल हैं, पर कवि में उत्साह नहीं है। ऐसा क्यों? (2)
उत्तर :
‘दिन जल्दी-जल्दी ठलता है’ में पक्षियों को घोंसले में उनकी प्रतीक्षा करते अपने बचचों का स्मरण होने के कारण वे अपने घोंसले में पहुँचने के लिए व्याकुल है। इसके विपरीत कवि के घर पर उसकी प्रतीक्षा करने वाला कोई नहीं है, उससे मिलने के लिए न कोई व्याकुल है और न ही कोई उत्कंठित, इसलिए वह किसके लिए शी करे? अत: पक्षी तो लौटने को विकल हैं, पर कवि में कोई उत्साह नहीं है।
(ग) “विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा-पाते।” ‘बादल राग’ कविता के आधार पर भाव स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
‘विप्लव-रव’ से तात्पर्य क्रांति रूपी गर्जना से है। जब क्रांति होती है, तब पूँजीपति वर्ग को अपनी सत्ता छिनने का भय लगने लगता है। उन्हें अपना साम्राज्य बिखरता-लुटता हुआ नज़र आने लगता है। इस क्रांति का सर्वांधिक लाभ शोषित वर्ग को मिलता है। उनके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं होता, जो प्राप्त हो जाए वही उनके लिए बहुमूल्य है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
सेवक-धर्म में हनुमान जी से स्पर्द्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है-नाम है लछमिन अर्थात् लक्ष्मी, पर जैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्वह है, वैसे ही लक्ष्मी की समृद्धि भक्तिन के कपाल की कुंचित रेखाओं में नहीं बँध सकी। वैसे तो जीवन में प्राय: सभी को अपने-अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है, पर भक्तिन बहुत समझदार है, क्योंकि वह अपना समृद्धि-सूचक नाम किसी को बताती नहीं। केवल जब नौकरी की खोज में आई थी, तब ईमानदारी का परिचय देने के लिए उसने शेष इतिवृत्त के साथ यह भी बता दिया, पर इस प्रार्थना के साथ कि मैं कभी नाम का उपयोग न करूँ।
(क) प्रस्तुत गद्यांश में हनुमान जी का नाम किस प्रसंग में उद्धृत हुआ है? (1)
(i) थक्तिन का महादेवी जी के प्रति सेवा-भाव दर्शनि के लिए
(ii) महादेवी जी के प्रति उसकी भक्ति-भावना दर्शाने के लिए
(iii) महादेवी जी के प्रति उसकी श्रद्धा-भावना दर्शने के लिए
(iv) महादेवी जी के प्रति उसकी कर्त्वव्यपरायणता दर्शंने के लिए
उत्तर :
(i) भक्तिन का महादेवी जी के प्रति सेवा-भाव दर्शाने के लिए
(ख) ‘अनामधन्या गोपालिका की कन्या’ संबोधन किसके लिए प्रयोग किया गया है? (1)
(i) धन की देवी
(ii) महादेवी
(iii) भक्तिन
(iv) लेखिका
उत्तर :
(iii) भक्तिन
(ग) कथन (A) भक्तिन अपना असली नाम किसी को नहीं बताती थी। (1)
कारण (R) वास्तविक नाम के अर्थ और उसके जीवन के यथार्थ में विरोधाभास था।
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर :
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(घ) सुमेलित कीजिए- (1)
सूची I | सूची II |
A. गोपालिका की बेटी | 1. हनुमान जी से होड़ |
B. भक्तिन सेवा धर्म पालन | 2. भक्तिन |
C. लक्ष्मी की धर्म संपदा | 3. भक्तिन भाग्य-रेखाओं में बंध नहीं सकी |
A B C
(i) 2 3 1
(ii) 1 2 3
(iii) 3 2 1
(iv) 2 1 3
उत्तर :
(iv)
सूची I | सूची II |
A. गोपालिका की बेटी | 2. भक्तिन |
B. भक्तिन सेवा धर्म पालन | 1. हनुमान जी से होड़ |
C. लक्ष्मी की धर्म संपदा | 3. भक्तिन भाग्य-रेखाओं में बंध नहीं सकी |
(ङ) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए- (1)
1. लक्ष्मी के जीवन में उसके नाम का विरोधाभास था।
2. भक्तिन ने लेखिका को अपना असली नाम कभी नहीं बताया।
3. भक्तिन ने लेखिका से उसे वास्तविक नाम से न पुकारने की प्रार्थना की। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 2
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(iv) 1 और 3
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘पानी दे गुड़धानी दे’ कहकर मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है? (3)
उत्तर :
इंदर सेना बादलों से पहले पानी माँगती है और बाद में गुड़धानी। गेहूं या चने को भूनकर उसे पिघले हुए गुड़ में मिलाकर गुड़धानी बनाई जती है। जब वर्षा होगी, तभी गेहूँ, चने, ईख आदि की बुवाई होगी। इन सबके पैदा होने पर ही गुड़धानी बनेगी। इसके साथ ही यहाँ गुड़धानी भोजन का प्रतीक है। बादलों से भोजन माँगा जा रहा है, क्योंकि मनुष्य की मूल आवश्यकताओं में हवा के बाद जल और अन्न का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसलिए इंदर सेना पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग कर रही है।
(ख) लुट्टन सिंह को राज-पहलवान की उपाधि कैसे मिली? (3)
उत्तर :
लुट्टन सिंठ सुडौल शरीर वाला एक देहाती पहलवान था। उसने एक बार श्यामनगर के राजा की आज्ञा लेकर पंजाब के पहलवान चाँद सिंह को ढोलक की ताल का अनुसरण कर चित्त कर दिया। अत: राजा साहब ने खुश होकर उसे अपने दरबार में रख लिया और उस दिन से राजा साहब के देहांत तक वह राज-पहल्त्रान बना रहा।
श्यामनगर के राजा की मृत्यु के पश्चात् उनके पुत्र ने विलायत से आकर राजपाट सँभाला। उनके पुत्र को पहलवानी में कोई भी दिलचस्पी नहीं थी, जब पंद्रह वर्ष की लंबी अवधि के पश्चात् उन्होंने राज-पहलवान को पद से हटा दिया, तब लुट्टन सिंह अपने पुत्रों के साथ गाँव आकर कुछ समय तो गाँव वालों की सहायता से तथा अंत में मजदूरी करके अपना जीवन निर्वाह करने लगा।
(ग) शिरीष का फूल विपरीत परिस्थितियों में भी स्थिर बना रहता है। ‘शिरीष के फूल’ पाठ के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहता है? (3)
उत्तर :
‘शिरीष के फूल’ पाठ के माध्यम से लेखक हमें यह संदेश देना चाहता है कि शिरीष का फूल लू, गर्मी, आँधी और शुष्क मौसम में भी खिला रहता है तथा विपरीत परिस्थितियों में भी चारों ओर अपना सौँदर्य बिखेरता रहता है। इसी प्रकार हमें भी सुख-दु:ख आदि सभी परिस्थितियों को झेलते हुए, जीवन के संघष्षों का सामना करते हुए प्रसन्नतापूर्वक अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। हमारे अंदर सुदृढ़ आत्मबल होना चाहिए, जिससे हम विकट परिस्थितियों में भी हार न मानें तथा विघ्नों का सामना करते हुए भी अपने जीवन को सौंदर्यमयी बनाने में स्वयं को सक्षम बना पाएँ।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़र दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) सदस्यों की क्षमता का अधिकतम उपयोग करने के लिए समाज को क्या करना चाहिए?
उत्तर :
सदस्यों की क्षमता का अधिकतम उपयोग करने के लिए समाज को प्रारंभ से ही सभी सदस्यों को समान अवसर और समान व्यवहार उपलब्ध कराना चाहिए, तभी समाज अपने सदस्यों की क्षमता का अधिकतम उपयोग कर सकता है। यदि सदस्यों को समाज में उनका उचित स्थान मिलेगा, तभी वे मन लगाकर काम कर पाएँगे और समाज को भी भरपूर लाभ दे पाएँगे।
(ख) ‘काले मेघा पानी दे’ पाठ में लेखक अंधविश्वास को न मानते हुए भी जीजी की खुशी के लिए किन-किन कामों को करता था?
उत्तर :
‘काले मेघा पानी दे’ पाठ में लेखक को जीजी की खुशी के लिए वे सभी काम करने पड़ते थे, जिन्हें वह अंधविश्वास मानता था। उसे सारे पूजा-पाठ, अनुष्ठान पूरे करने पड़ते थे। वह दिवाली पर कौड़ियों से गोवर्धन और सतिया बनाता था, जन्माष्टमी पर झाँकी भी सजाता था और पंजीरी बाँटता था। प्रत्येक छठ पर कुल्हियों में भूजा भरता था।
(ग) ‘बाज़ार दर्शन’ पाठ में लेखक ने पैसे को ही पावर कहा है। इसे पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2
उत्तर :
‘बाज्ञार दर्शन’ पाठ में लेखक ने पैसे को ही वास्तविक पावर बताया है, क्योंकि इससे ही व्यक्ति वस्तुएँ खरीद सकता है। पैसे की क्रय-शक्ति के कारण ही हम अपनी आवश्यकताएँ एवं इच्छाएँ पूरी कर सकते हैं। पैसों के अभाव में व्यक्ति को मन मारकर संसार में रहना पड़ता है, इसलिए लोगों के पास यदि अत्यधिक पैसा होता है, तो वे गर्व महसूस करते हैं। इसी कारण लेखक ने पैसे को ही पावर कहा है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 100 शब्दों में उत्तर लिखिए। (5 × 2 = 10)
(क) यशोधर बाबू का व्यवितत्व समाज के बदलाव के साथ तालमेल नहीं बिठा पाया था, इसका क्या कारण था? ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (5)
उत्तर :
यशोधर बाबू पुरानी विचारधारा से प्रभावित थे, जिसके कारण उन्होंने स्वयं के व्यक्तित्व में परिवर्तन लाने की कभी कोशिश ही नहीं की। समय के बदलाव के साथ-साथ वशोधर बाबू का परिवार आधुनिक विचारधारा के सभी तौर-तरीकों को अपनाने में तो सक्षम हो गया, कितु यशोधर बाबू के विचारों पर किशनदा का गहरा प्रभाव था। वे प्राय: ‘समहाउ इंप्रॉपर’ वाक्य का प्रयोग किया करते थे। यह वाक्य उनके मन-मस्तिष्क में चल रही असंतोषजनक स्थिति को दर्शांता है, जिससे यशोधर बाबू स्वय को आधुनिकता के अनुसार बदलने के फैसले में असमर्थ थे। उनके अनुसार समाज और मनुष्य के आधुनिक विचार दोनों ही किसी वाहन के पहिए की भाँति भिन्न-भिन्न दिशा में गति कर रहे थे। इन्हीं सब विचारों के कारण यशोधर बाबू समाज के बदलाव के साथ तालमेल नहीं बिठा पाए थे।
(ख) ‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ के आधार पर शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए। (5)
उत्तर :
‘अतीत में दबे पाँद’ लेखक के वे अनुभव हैं, जो उन्हें सिंधु घाटी, की सभ्यता के अवशेषों को देखते समय हुए थे। प्रस्तुत पाठ अतीत में बसे सुंदर सुनियोजित नगर में प्रवेश करके लेखक वहाँ की एक-एक चीज से अपना परिचय बढ़ाता है। उस सम्यता के अतीत में झाँककर वहाँ के निवासियों और क्रियाकलापों को अनुभव करता है। लेखक वहाँ की चीजों को देखकर चकित हो जाता है कि वहाँ के लोग कैसे रहते थे? वहाँ की सडकें, नालियाँ, स्कूल, अन्न. भंडार, विशाल स्नानागार, कुएँ आदि के अत्तिरिक्त मकानों की सुव्यवस्था को देखकर लेखक को ऐसा आभास होता है जैसे अभी भी वे लोग वहाँँ हैं। यदि इन लोगों की सभ्यता नष्ट न हुई होती तो उनके पाँउ प्रगति के पथ पर निरंतर बढ़ रहे होते और आज भारतीय उपमहाद्वीप महाश्शक्ति बन चुका होता, कितु दुर्भाग्यवश प्रगति की ओर बढ़ रहे पाँव अतीत में ही दबकर रह गए। इसलिए ‘अतीत में दबे पाँव’ शीर्षक पूर्णत: सार्थक और सटीक है।
(ग) ‘जूझ’ कहानी के लेखक का पिता उसे पढ़ने से क्यों रोकना चाहता था? दत्ता राव को उसने लेखक की किन आदतों के बारे में बताया? (5)
उत्तर :
‘जूझ’ कहानी के लेखक का पिता उसे पब़ने से इसलिए रोकना चाहता था, जिससे लेखक अपना सारा समय खेती के कायों में लगा सके। वास्तव में, लेखक का पिता खेती के कार्यों से स्वयं को अलग रखना चाहता था, जिससे वह अपनी आवारा जीवन-शैली को आगे भी जारी रख सके। लेखक का पिता एक आवारा किस्म का व्यक्ति था, जो रखमाबाई के कोठे पर भी जाता था। यदि वह खेती के कार्यों में अपना समय देने लगता, तो उसकी अय्याशी समाप्त हो जाती।
वह अपनी अप्याशीपूर्ण जीवन-शैली को बनाए रखने के लिए अपने बेटे को स्कूल की जगह खेतों पर भेज देता था, जिससे खेती का सारा काम पूरा हो सके। लेखक को स्कूल न मेजने के अपने निर्णय के बारे में उसने तर्क दिया कि लेखक को स्कूल में गलत आदते पड़ गई थीं। लेखक कभी कंडे बेचता, कभी चारा बेचता, सिनेमा देखता, तो कभी खेलने लग जाता। घर एवं खेती के काम में उसका ध्यान नहीं लगता था। हालाँकि लेखक के पिता द्वारा लेखक की आदतों के बारे में सभी बातें सही नहीं बताई गई थीं।