Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 12 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 12 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में खंड ‘अ’ में वस्तुपरक तथा खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
- खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘क’
अपठित बोध (18 अंक)
खंड ‘क’ में अपठित बोध के अंतर्गत अपठित गद्यांश व पद्यांश से संबंधित बहुविकल्पीय, अतिलघूत्तरात्मक तथा लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे़ गए हैं, जिनमें से बहुविकल्पीय तथा अतिलघूत्तरात्मक के प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक तथा लघूत्तरात्मक के लिए 2 अंक निर्धारित हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए। (10)
महात्मा गाँधी उस महान व्यक्ति का नाम है, जो हिंसा को अहिंसा से, घृणा को प्रेम से और अविश्वास को विश्वास से जीतने में यकीन रखते थे। आज गाँधीजी तो नहीं हैं, लेकिन उनके विचार एवं क्रियात्मक योगदान 21 वीं शताब्दी में भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने पहले थे। महात्मा गाँधी ने जनभावना को महत्व देकर और परंपरागत राष्ट्रवाद को परिष्कृत कर 21 वीं सदी के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया।
विभिन्न समुदायों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए उन्होंने विविध प्रकार के रचनात्मक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। गाँधीजी की विचारधारा परंपरागत राष्ट्रीयता से ऊपर थी। उनका राष्ट्रधर्म वैश्विक था। वे भारतीय संस्कृति से प्रभावित होते हुए भी वेदों में अभिव्यक्त संपूर्ण पृथ्वी के वंदन में विश्वास करते थे- ‘माता भूमि: पुत्रोडहं पृथिव्याः।’ गाँधीजी ने राष्ट्रवाद को भारतीय चितन के अनुरूप वैश्विक बनाकर संकटग्रस्त विश्व को एक नई दिशा प्रदान की।
गाँधीवाद के अंतर्गत सर्वधर्म समभाव की नीति की प्रासंगिकता आज स्पष्ट है। सर्वधर्म समभाव का विचार आज एक सामाजिक एवं सांस्कृतिक अनिवार्यता बन चुका है। धर्म तो व्यक्तिगत आस्था का विषय है। उसे सामाजिक स्तर पर लाने के लिए ‘सर्वधर्म समभाव’ तक आना ही होगा। धार्मिक कट्टरता आज हमें आण्विक आतंकवाद की दहलीज़ पर पहुँचा चुकी है। ऐसी विषम परिस्थिति में ही स्वामी विवेकानंद ने ‘विश्व धर्म’ एवं गुरुदेव रवींद्रनाथ ने ‘मानव धर्म’ की संकल्पना की थी।
यदि विज्ञान सार्वभौमिक हो सकता है, तो धर्म भी सार्वभौमिक होना चाहिए, क्योकि किसी भी धर्म को श्रेष्ठ समझने का अर्थ है, दूसरे धर्म को हीन समझना नहीं। गाँधीजी ने इस तथ्य को समझाते हुए धर्म को वैश्विक एवं सार्वभौमिक बनाने की कोशिश की। आज के उत्तर-आधुनिक समाज में भी संकुचित् सांप्रदायिक विचारधारा एवं अंध कट्टरतावाद को कैसे स्वीकार किया जा सकता है?
धर्म को सिर्फ़ नैतिकता का पर्याय मानना चाहिए। आज के वैश्विक संकट का एक प्रमुख कारण सिद्धांतविहीन राजनीति है। मैकियावेली की नीति से असहमत होते हुए गाँधीवाद के अंतर्गत राजनीति में साधन शुद्धि का समावेश कर राजनीति को एक नया आयाम प्रदान किया गया। गाँधीजी ने अन्याय का प्रतिकार करने के लिए शस्त्र के स्थान पर नि:शस्त्र वीरता को प्रदर्शित किया।
अहिंसक प्रतिकार को सामूहिक रूप प्रदान कर उसे अत्यधिक शक्तिशाली हथियार बना दिया। आज सभी लोकतांत्रिक समाजों में इस शक्तिशाली हथियार का सर्वाधिक उपयोग होता है।
(क) महात्मा गाँधी ने 21 वीं सदी के लिए एक आदर्श कैसे प्रस्तुत किया? (1)
(i) जनभावना को महत्त्व देकर
(ii) परंपरागत राष्ट्रवाद को परिष्कृत कर
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) अपने विचारों को प्रस्तुत कर
उत्तर :
(i) और (ii) दोनों
(ख) कथन (A) गाँधीजी अन्याय का प्रतिकार करने के लिए निःशस्त्र वीरता के पक्षधर थे। (1)
कारण (R) गाँधीजी हिंसा को अहिसा से जीतने में विश्वास रखते थे।
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण ( R ) सही है।
(iii) कथन ( A ) तथा कारण ( R ) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर :
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ग) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए (1)
1. गाँधीजी का राष्ट्रधर्म वैश्विक था।
2. गाँधी की विचारधारा परंपरागत राष्ट्रीयता पर आधारित थी।
3. धर्म को सामाजिक स्वरूप प्रदान करने के लिए ‘सर्वधर्म समभाव’ का विचार अपनाना चाहिए। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(iv) 1 और 3
(घ) धर्म को सामाजिक स्तर पर लाने के लिए क्या करना होगा? (1)
उत्तर :
धर्म को सामाजिक स्तर पर लाने के लिए ‘सर्वधर्म समभाव’ के विचार को अपनाना होगा।
(ङ) गाँधीजी की विदारधारा परंपरागत राष्ट्रीयता से ऊपर थी, कैसे? (2)
उत्तर :
गाँधीजी ने राष्ट्रवाद को भारतीय चिंतन के अनुसार ही वैश्विक बनाकर संकटग्रस्त विश्व को एक नई दिशा प्रदान की। इसलिए कहा जा सकता है कि गाँधीजी की विचारधारा राष्ट्रीयता से ऊपर थी। गाँधीजी का राष्ट्रधर्म वैश्विक था। वे भारतीय संस्कृति से प्रभावित होते हुए भी वेदों में अभिश्यक्त समस्त पृथ्वी के वंदन में विश्वास करते थे।
(च) गाँधीजी ने किसे शक्तिशाली हथियार बना दिया? (2)
उत्तर :
गाँधीजी ने अहिंसक प्रतिकार को सामूहिक रूप प्रदान कर उसे अल्यधिक शक्तिशाली हधियार बना दिया। क्योंकि इसी अहिंसक हधियार के बल पर उन्होने देश को स्वतंत्र कराने में अहम् भूमिका निभाई और विश्व को दिखा दिया कि अहिंसा रूपी हथियार हिंसात्मक हथियार से अधिक शक्तिशाली है। आज सभी लोकतांत्रिक समाओों में इस शक्तिशाली हथियार का सबसे अधिक प्रयोग होता है।
(छ) आज के वैश्विक संकट का मुख्य कारण क्या है? (2)
उत्तर :
आज के वैश्विक संकट का मुख्य कारण सिद्धांतविहीन राजनीति है क्योंकि मुद्रास्फीति, खाद्य असुरक्षा, ऊर्जा और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और बढ़ता कर्ज उन गंभीर चुनौतियों में से एक है, जो विश्व को कोविड- 19 महामारी के मानवीय और आर्थिक नुकसान से उभरने और जलवायु परिबत्तन, युद्ध के मौजूदा खतरे का सामना करने के लिए मजबूर कर रही है। यूक्रेन और रूस का युद्ध इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
प्रश्न 2
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए। (8)
एक फाइल ने दूसरी फाइल से कहा
बहन लगता है
साहब हमें छोड़कर जा रहे हैं
इसीलिए तो सारा काम
जल्दी-जल्दी निपटा रहे हैं
मैं बार-बार सामने जाती हूँ
रोती हुँ, गिड़गिड़ाती हूँ
करती हूँ विनती हर बार
साहब जी! इधर भी देख लो एक बार।
पर साहब हैं कि……
कभी मुझे नीचे पटक देते हैं
कभी पीछे सरका देते हैं
और कभी-कभी तो
फाइलों के ठेर तले
दबा देते हैं।
अधिकारी बार-बार
अंदर झाँक जाता है
डरते-डरते पूछ जाता है
साहब कहाँ गए …….?
हस्ताक्षर हो गए …. ?
दूसरी फाइल ने उसे
प्यार से समझाया
जीवन का नया फलसफा सिखाया
बहन! हम यूँ ही रोते हैं
बेकार गिड़गिड़ाते हैं
लोग आते हैं, जाते हैं
हस्ताक्षर कहाँ रुकते हैं
हो ही जाते हैं
पर कुछ बातें ऐसी होती हैं
जो दिखाई नहीं देती
और कुछ आवाजें
सुनाई नहीं देतीं
जैसे फूल खिलते हैं
और अपनी महक छोड़ जाते हैं
वैसे ही कुछ लोग
कागज पर नहीं
दिलों पर हस्ताक्षर छोड़ जाते हैं।
(क) फाइल द्वारा विनती करने पर साहब ने (1)
(i) फाइल को ध्यान से देखा
(ii) फाइल पर हस्ताक्षर किए
(iii) फाइल को नीचे पटक दिया
(iv) फाइल को ध्यान से पढ़ा
उत्तर :
(iii) फाइल को नीचे पटक दिया
(ख) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए (1)
1. साहब को जाने की जल्दी थी। अतः वे ऑफिस का काम जल्दी-जल्दी निपटा रहे थे।
2. अधिकारी जल्दी के कारण साहब से फाइल पर हस्ताक्षर नहीं ले पाता।
3. महान व्यक्ति अपने कायों व चरित्र की छाप लोगों के दिलों पर छोड़ जाते हैं। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/है?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 3
(iv) 2 और 3
उत्तर :
(iii) 1 और 3
(ग) सुमेलित कीजिए (1)
सूयी I | सूयी II |
A. अधिकारी | 1. दर्शन |
B. फलसफा | 2. दस्तखत |
C. हस्ताक्षर | 3. अफसर |
कूट
A B C
(i) 1 3 2
(ii) 2 1 3
(iii) 3 1 2
(iv) 1 1 2
उत्तर :
(iii)
सूयी I | सूयी II |
A. अधिकारी | 3. अफसर |
B. फलसफा | 1. दर्शन |
C. हस्ताक्षर | 2. दस्तखत |
(घ) एक फाइल ने दूसरी फाइल से क्या कहा? (1)
उत्तर :
एक फाइल ने दूसरी फाइल से कहा कि बहन ऐसा लगता है, जैसे साहब हमें छोड़कर दूसरी जगह जा रहे हैं, इसलिए सारा काम जल्दी-जल्दी निपटा रहे हैं।
(ङ) दूसरी फाइल को किस बात का दुःख था और क्यों? (2)
उत्तर :
दूसरी फाइल को इस बात का दु:ख था कि साहब उसको अनदेखा कर जल्दी-जल्दी काम निपटा रहे हैं। उनके कार्य करने की गति को देखकर फाइल को ऐसा लगा कि साह्ब हमें छोड़कर कहीं दूसरी जगह पर जा रहे हैं। मैं बार-बार उनके सामने जाती हूँ अर्थात् चपरासी मुझ्भे बार-बार उनकी मेज पर रखता है, मैं बार-बार उनके सामने गिड़गिड़ाती हुँ, रोती हैं, विनती करती हूँ कि साहब जी एक बार मेरी ओर भी देख लो, पर साहब हैं कि कभी मुझे नीचे पटक देते हैं, तो कभी पीछे रख देते हैं। असीम दु:ख तो मुझे तब होता है, जब मुझ्झे अन्य फाइलों के नीचे दबा दिया जाता है। उन सबके बोझ तले मैं दबी पड़ी रहती हैं, वहाँ साँस लेना भी कठिन होता है।
(च) दूसरी फाइल ने पहली फाइल को क्या समझाया? (2)
उत्तर :
दूसरी फाइल ने पहली फाइल को जीवन का नया दर्शन (ज्ञान) समझाया कि बहन हम बेकार रोते हैं और बेकार में ही दूसरों के सामने अपना काम निकलवाने के लिए गिड़गिडाते (विनती करते) हैं। लोग तो आते-जाते हैं, क्योंकि कोई भी कहीं भी स्थायी नहीं है। आज जो अधिकारी कुर्सी पर बैठा है यदि वह हस्ताक्षर नहीं करता है, तो जो कल आएगा वह करेगा। अत: निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हस्ताक्षर कभी रुकते नहीं हैं। यह उसका कर्त्तव्य है, जिसका उसे पालन करना ही होगा, आज नहीं तो कल। कार्य चाहे कैसा भी हो समय पर हो ही जाता हैं।
खंड ‘ख’
अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्यपुस्तक (22 अंक)
खंड ‘ख’ में अभिव्यक्ति और माध्यम से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित 3 विषयों में से किसी 1 विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए। ((1 × 6 = 6))
(क) सोशल मीडिया का जाल
उत्तर :
सोशल मीड्डिया का जाल
सोशल मीडिया हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। आज सोशल मीडिया के बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है, क्योंकि आज हम उस युग में हैं, जहाँ सूचना केवल एक बटन दबाने पर ही मिल जाती है। जिसके परिणामस्वरूप हम अपने चारों ओर होने वाली जानकारियों से अवगत हो जाते है। सोशल मीडिया के माध्यम से हमें किसी भी चीज के बारे में जानने, पढने, समझने और बोलने का अवसर मिलता है।
सोशल मीडिया उन बडे़त्व्वों में से एक है, जिसके साथ हम जालरूपी संरचना से जुड़े हुए हैं और जिसे हम अनदेखा नहीं कर सकते। सोशल मीडिया वेबसाइटों, अनुप्रयोगों और अन्य प्लेटफॉर्मों का संम्रह है, जो हमें जानकारियों का आदान-प्रदान करने तथा मोशल नेटवर्किंग में भाग लेने में सहायता करता है। सोशल मीडिया ब्लोगिंग और चित्रों को साझा करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें सुदृढ उपकरण भी प्रदान करता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सोशल मीडििया का प्रभाव बहुत दूर तक फैला हुआ है। यह किसी की छवि को बना या बिगाड़ भी सकता है।
सोशल मीड्डिया आज विवाद का विषय बना हुआ है। कुछ लोग इसे वरदान समझते हैं, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी है, जो इसे एक अभिशाप मानते हैं। लोग अधिकतर यह अनुभव करते हैं कि सोशल मीडिएया ने तेज गति के साथ मानवीय अंत:क्रियाओं को नष्ट कर, आधुनिक मानव संबंधों में परिवर्तन कर दिया है, लेकिन कुछ लोग इसे वरदान मानते हैं, क्योंकि इसके कारण वे स्वयं को दुनिया के प्रत्येक कोने से जुड़ा हुआ अनुभव करते हैं। इसके द्वारा वे दूर बसे अपने प्रियजनों से बात भी कर सकते हैं तथा जागरूकता फैला सकते हैं, साथ ही सुरक्षा हेतु उन्हें चेतावनियाँ भी भेज सकते है। ऐसा बहुत कुछ है, जो सोशल मीड्डिया के माध्यम से किया जा सकता है। सोशल मीडिया की उपस्थिति ने हमारे जीवन को सुविधाजनक, आसान और बहुत गतिशील बना दिया है।
(ख) अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत का बढ़ता कद
उत्तर :
अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत का बढ़ता कद
अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत का कद निरंतर बढ़ता जा रहा है। यह कथन शत-प्रतिशत सही है, क्योकि वर्तमान में भारत चतुर्मुखी विकास की ओर अग्रसर हो रहा है। विकासशील भारत की गूँज भारतीय भूगोल को पार कर चुकी है, जिसे संपूर्ण विश्व महसूस कर रहा है। गत वर्षों में विश्व भारत की ओर टकटकी लगाकर देख रहा है। भारत की लोकतांत्रिक छवि, आय में उच्च वृद्धि तथा बहुस्तरीय विविधता प्रबंधन की योग्यता की चारों ओर प्रशंसा हो रही है, जिसके कारण कई देश भारत को अपना आदर्श मानते हुए उसका अनुसरण करना चाहते हैं। आज भारत की गणना न केवल विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में होती है अपितु विश्व के अधिकतम प्रगतिशील देशों में भी होती है।
सांसारिक नेताओं के साथ भारत की बढ़ती सहभागिता और वैश्विक मंचों पर भारत की ओर ध्यान आकर्षण इस बात को सिद्ध करने के लिए अच्छे प्रमाण हैं। G-20 हो या ब्रिक्स सम्मेलन, जलवायु परिवर्तन अथवा अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय छाँचे से सम्बन्धित शिखर बैठक, भारत के शब्दों का अब पहले से कहीं अधिक महत्व होता है। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
(ग) आजादी का अमृत महोत्सव : स्वर्णिम 75 साल
उत्तर :
आजादी का अमृत महोत्सव : स्वर्णिम 75 साल आजादी का अमृत महोत्सव का अर्थ है- स्वतन्त्रता के 75 वर्ष पूरे करना। भारत एक विशालकाय देश है, जहाँ विभिन्न जाति, धर्म, समुदाय, रंग-रूप और संस्कृति के लोग मिल-जुलकर रहते हैं। भारत के संविधान को विश्व का सबसे बड़ा संविधान कहा जाता है। हमारा देश 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ धा। इसी आजादी को कुछ नए ढंग से मनाते हुए लोगों के भीतर देश के प्रतिभक्ति-भावना को तीव्र करने के लिए 21 मार्च, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव का ऐलान किया था, जिसे अति उत्साह के साथ 15 अगस्त, 2023 को मनाया गया।
आजादी का अमृत महोत्सव किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र में तिरंगा झंडा फहराने के लिए प्रेरित करता है। इस वर्ष आजादी दिवस पर ‘हर घर तिरंगा’ योजना चलाई गई। आजादी का यह अमृत महोत्सव सभी स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पात है। इस महोस्सब का उद्देश्य भारत के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों तथा उपलब्धियों के बारे में देश के प्रत्येक नार्गरिक को अवगत कराना तथा उन्हें जागरूक करना है। देश के सभी सैन्य बल व सभी शहीद जवानों को श्रद्धांज्जलि देने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव अत्यधिक उल्लास के साथ अलग-अलग क्षेत्रों में मनाया गया है।
आजादी के अमृत महोत्सव का नेतृत्व प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री बढ़-चढ़कर कर रहे हैं। सबसे पहले भारत के तात्कालिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भिन्न-धिन्न तरीके से रक्षा विभागों का उद्घाटन किया। इसके अतिरिक्त राजनाथ सिंह के नेतृत्व में रक्षा की सभी वस्तुओं को अलग-अलग राज्य में प्रदर्शनी के लिए पहुँचाया गया। आजादी के अमृत महोत्सव ने सभी भारतवासियों के दिल में देश के प्रति सम्मान और गौरव का माहौल बनाया है।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और किन्हीं 4 प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 4 = 8)
(क) कहानी के नाट्य रूपांतरण में किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है? (2)
उत्तर :
कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है
- सबसे मुख्य समस्या कहानी के पात्रों के मनोभावों को कहानीकार द्वारा प्रस्तुत प्रसंगों अथवा मानसिक द्वद्वों की नाटकीय प्रस्तुति में आती है।
- पात्रों के द्वंद्व को अभिनय के अनुरूप बनाने में समस्या का सामना करना पड़ता है।
- संवादों को नाटकीय रूप प्रदान करने में समस्या आती है।
- संगीत, ध्वनि और प्रकाश व्यवस्था करने में समस्या आती है।
- कथानक को अभिनय के अनुरूप बनाने में समस्या आती है।
(ख) सामान्यतः रेडियो नाटकों की अवधि कितनी होती है और क्यों? (2)
उत्तर :
सामान्यत: रेडियो नाटकों की अवधि 15-30 मिनट रखी जाती है, क्योंकि मनुष्य की सुनने की एकाग्रता अवधि 15-30 मिनट तक की होती है। रेडियो पूरी तरह से श्रव्य माध्यम है। इसमें संवादों को ध्वनि प्रभावों के माध्यम से संप्रेषित किया जाता है। यहाँ न तो मंच होता है, न इसमें वस्त्र सज्जा और न ही अभिनेता के चेहरे की भाव भंगिमा होती है, क्योंकि रेडियो नाटक को केवल ध्वनि के माध्यम से ही प्रस्तुत किया जाता है।
(ग) मुद्रित माध्यमों के महत्त्त पर प्रकाश डालिए। (2)
उत्तर :
मुद्रित माध्यमों के अंतगँत अखबार, पत्रिकाएँ आदि आते हैं। मुद्रित माध्यमों का महत्व / विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- मुद्रित माध्यमों में स्थायित्व होता है।
- इन्हें अपनी इच्छानुसार पढ़ा जा सकता है।
- इन्हें लम्बे समय तक प्रयोग में लाया जा सकता है।
- यह माध्यम लिखित भाषा का विस्तार है।
- यह चिंतन, विचार और विश्लेषण का माध्यम है।
(घ) खोजी पत्रकारिता से आप क्या समझते हैं? (2)
उत्तर :
खोजी पत्रकारिता के द्वारा श्रष्टाचार, गड़बड्डियों आदि की गहराई से छानबीन करके ऐसे तथ्यों और सूचनाओं को सामने लाने का प्रयास किया जाता है, जिन्हें छिपाने का प्रयास किया जा रहा हो तथा जो सार्वजनिक तौर पर पहले से उपलब्ध न हो।
(ङ) समाचार लेखन में बॉडी या कलेवर से आप क्या समझते हैं तथा समाचार की बॉडी लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? (2)
उत्तर :
‘अमुख’ या ‘इंट्रो’ के पश्चात् समाचार का शेष भाग, जिसे बॉड़ी या समाचार का कलेवर (Body of the story) कहा जाता है, आता है। इसमे सभी घटनाएँ क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत की जाती हैं। समाचार की ‘बॉड़ी’ लिखते समय निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए
- इसमे घटना क्रमश: वर्णित होनी चाहिए।
- इसमें आमुख से अलग तथ्य प्रस्तुत करने चाहिए।
- संपूर्ण समाचार का विवरण एक स्थान पर आ जाना चाहिए।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों को. ध्यानपूर्वक पदिए और किन्हीं 2 प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) विशेष लेखन क्या है? इसकी भाषा शैली कैसी होती है? (4)
उत्तर :
अखबारों के लिए समाचारों के अतिरिक्त खेल, अर्थ-व्यापार, सिनेमा या मनोरंजन आदि विभिन्न क्षेत्रों और विषयों से सम्बन्धित घटनाओं, समस्याओं आदि के लिए किया गया लेखन ‘विशेष लेखन’ कहलाता है। इस प्रकार के लेखन की भाषा शैली समाचारों की भाषा शैली से अलग होती है।
विशेष लेखन की अपनी एक विशेष शब्दावली होती है। इस शब्दावली से संवाददाता को अवश्य परिचित होना चाहिए। उसे लेखन इस प्रकार करना चाहिए कि रिपोर्ट को समझने में किसी प्रकार की परेशानी न हो। उदाहरण के लिए, ब्यापार से सम्बन्धित कुछछ शब्द; जैसे-मंदड़िए, तेजड़िए, बिकवाली, मुद्रास्फीति, चाँदी लुद़की, सोने में भारी उछाल आदि का प्रयोग करना चाहिए।
(ख) पत्रकारीय लेखन से आप क्या समझते हैं? पत्रकारीय लेखन और सृजनात्मक लेखन में क्या अंतर होता है? (4)
उत्तर :
पत्रकारीय लेखन एक ही समय में घटित होने वाली वास्तविक समस्याओं, मुद्दों, घटनाओं आदि से सम्बन्धित होता है। इसमें कल्पना के आधार पर कुछ मी नहीं लिखा जाता है। इसी कारण यह लेखन साहित्यिक तथा सुजनात्मक लेखन से बिल्कुल अलग होता है, क्योकि साहित्य में कल्पना का समावेश होता है। पत्रकारीय लेखन तत्काल (उसी समय) का होता है। इसमें सुजनात्मक साहित्य की भाँति स्थायित्व नहीं होता है। पत्रकार अपने पाठकों की रुचि और आवश्यकता को ध्यान में रखकर समझकर लिखता है, जबकि साहित्यिक लेखन (सृजनात्मक लेखन) के लेखक पर इस तरह का कोई बंधन नहीं होता है। पत्रकारीय लेखन की भाषा सरल तथा सभी पाठकों की समझ में आने वाली होनी चाहिए, साथ ही उसके वाक्य छोटे और आसान होने चाहिए।
(ग) टी.वी. खबरों के विभिन्न चरणों के बारे में समझाइए। (4)
उत्तर :
टी.वी., प्रिंट, रेडियो आदि माध्यमों पर खबर देने का मूल आधार सबसे पहले सूचना देना होता है। टी.वी. द्वारा भी ये सूचनाएँ विभिन्न चरणों द्वारा दर्शकों तक पहुँचती हैं। ये चरण निम्नलिखित हैं
- फ़्लैशबैक या ब्रेकिंग न्यूज इसमें कम-से-कम शब्दों में केवल सूचना के रूप में कोई बड़ी खबर तुरंत दर्शकों तक पहुँचाई जाती है।
- ड्राई एंकर इसके अंतर्गत एंकर खबर के बारे में दर्शकों को सीधे-सीचे बताता है कि कहाँ, क्या, कब और कैसे हुआ।
- फोन-इन इसमें रिपोर्टर घटनास्थल पर उपस्थित होता है और वहाँ से ज्यादा-से-ज्यादा जानकारियाँ दर्शकों को बताता है।
- एंकर-विजुअल जब घटना के दृश्य या विजुअल मिल जाते हैं, तब उन दृश्यों के आधार पर खबर लिखी जाती है, जो एंकर पढ़ता है।
- एंकर-बाइट बाइट अर्थात् कथन का टेलीविज़न पत्रकारिता में बड़ा महत्त्व है। टी.वी. में किसी भी खबर की पुष्टि करने के लिए उससे संबंधित बाइट दिखाई जाती है।
- लाइव किसी खबर का घटनास्थल से सीधा प्रसारण लाइव कहलाता है।
- एंकर-पैकेज्ज पैकेज किसी भी खबर को संपूर्णता के साथ प्रस्तुत करने का एक माध्यम है। इसमें संबंधित घटना के दृश्य, इससे जुड़े लोगों की बाइट, ग्राफिक द्वारा जरूरी सूचनाएँ आदि होती हैं।
खंड ‘ग’
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 एवं वितान भाग-2 (40 अंक)
खंड ‘ग’ में पाठ्यपुस्तक आरोह भाग- 2 से गद्य व पद्य खंड से बहुविकल्पीय प्रश्न, अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न व लघूत्तरात्मक प्रश्न तथा वितान भाग-2 से लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़र सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्य को चुनकर लिखिए। (5 × 1 = 5)
बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगे
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल?
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्बलता है।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
(क) कवि के पैरों की गति को कौन-सा भाव शिथिल कर देता है? (1)
(i) बच्चों की व्याकुलता
(ii) चिड़िया की तीव्र उड़ान
(iii) समय का तीव्र गति से व्यतीत होना
(iv) कवि से मिलने को किसी का व्याकुल न होना।
उत्तर :
(iv) कवि से मिलने को किसी का व्यकुल न होना।
(ख) कथन (A) चिड़िया की उड़ान की गति तीव्र है। (1)
कारण (R) चिड़िया अपने बच्चों के लिए चिंतित है।
कूट
(i) कथन (A) गलत है, कितु कारण ( R ) सही है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iv) कथन ( A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ग) बच्चे नीड़ से क्यों झाँक रहे होंगे? (1)
(i) भूखे होने के कारण
(ii) बाहर के दृश्य का आनंद लेने के कारण
(iii) बाहर घूमने के लिए
(iv) माता-पिता की प्रतीक्षा के कारण
उत्तर :
(iv) माता-पिता की प्रतीक्षा के कारण
(घ) कवि किससे अत्यधिक प्रभावित है? (1)
(i) बाहर के मनोरम दृश्य को देखकर
(ii) चिड़ियों द्वारा बनाए सुंदर घोंसलों को देखकर
(iii) चिड़ियों के परों की चंचल गति को देखकर
(iv) इनमें से कोई नही
उत्तर :
(iii) चिडियों के परों की चंचल गति को देखकर
(ङ) सुमेलित कीजिए (1)
सूची I | सूची II |
A प्रत्याशा | 1. क्रियाशील |
B. नीड़ | 2. व्याकुल |
C. विकल | 3. पक्षियों का घर (घोंसला) |
D. चंचल | 4. आशा |
कूट
A B C
(i) 1 2 3 4
(ii) 4 3 2 1
(iii) 2 1 4 3
(iv) 3 4 1 2
उत्तर :
(ii)
सूची I | सूची II |
A प्रत्याशा | 4. आशा |
B. नीड़ | 3. पक्षियों का घर (घोंसला) |
C. विकल | 2. व्याकुल |
D. चंचल | 1. क्रियाशील |
प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘बगुलों के पंख’ कविता के आधार पर उस सौदर्य का वर्णन कीजिए, जिसने कवि के मन को मोह लिया। (3)
उत्तर :
‘बगुलों के पंख’ कविता के जिस सौदर्य ने कवि के मन को मोह लिया, उसका वर्णन इस प्रकार है-
‘बगुलों के पंख’ एक सुंदर दृश्य कविता है, उसमें एक-एक दृश्य चित्र की भॉँति उभर जाता है। कवि काले बादलों के नीचे से पंक्ति बनाकर उड़ते बगुलों को देखता रह जाता है। ये उसे कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साँझ की श्वेत काया के समान प्रतीत होते हैं। यह दृश्य इतना मोहक है कि कवि इसमें अटका-सा रह जाता है। कवि इसे माया कहता है। इस दृश्य में कवि प्रकृति सौँदर्य से बँधने तथा बिंधने की चरम स्थिति को व्यक्त करता है। ऐसा प्रकृति के इस दृश्य का कवि के मन पर पडने वाले मोहक प्रभाव के कारण संभव हुआ है।
(ख) शोकग्रस्त वातावरण में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव क्यों कहा गया है? (3)
उत्तर :
मेघनाद के शक्तिशाली शक्तिबाण से मूर्छित लक्ष्मण का उपचार कठिन था। इसके लिए लंका के वैद्य सुषेण ने हिमालय में अवस्थित द्रोण पर्वत से संजीवनी बूटी लाने की बात कही। राम के निदेंश पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने आकाश मार्ग से हिमालय की ओर चल पड़े। अर्द-रात्रि तक हनुमान के न लौटने से राम अत्यंत दु;खी हुए। उन्हें भाई का बिछोह संतप्त कर रहा था। शोकग्रस्त राम जीवन के अतीत की घटनाओं पर विचार करते हुए विलाप कर रहे थे। उनका विलाप उनकी सेना को दु;खी कर रहा था। सभी लोग अत्यंत दु;खी तथा शोकग्रस्त थे।
चरों ओर करुण रस का प्रवाह हो रहा था। उसी समय हनुमान द्रोण पर्वत के साथ लंका पहुँच गए। उनके पहुँचते ही वानर और भालुओं में हर्ष का संचार हो गया। अत: हनुमान के अवतरण से करुण रस की जगह वीर रस का प्रवाह हुआ। हनुमान के इस कार्य से सेना में उत्साह तथा शक्ति का संचार हुआ।
(ग) दिन ढलने के बाद कौन-सा विचार पंधी के कदमों को धीमा कर देता है? ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तर :
दिन ढलने पर पंथी जब घर की ओर कदम बढ़ाता है, तो उसे सुखद अनुभूति होती है कि अपने-अपने प्रतीक्षारत प्रियजनों से मिलने के लिए व्याकुल जीव धकावट के बावजूद कितनी स्कूर्ति से घर की ओर जा रहे हैं, तभी उसके मन में यह विचार आता है कि उसका अपना कोई भी नहीं है, जो घर में उसकी प्रतीक्षा कर रहा हो। इसलिए यह प्रश्न मन में आते ही उसका उत्साह कमज़ोर पड़ने लगता है और दिन छलने के बाद लौट रहे कदमों की गति धीमी पड़ने लगती है।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) “जादू टूटता है इस उषा का अब” उषा का जादू क्या है और कैसे टूटता है? ‘उषा’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
सूयोंदय से पूर्व आकाश में नए-नए रंग उभरते हैं। लाल-काले रंगों के अद्धुत मेल से आकाश में जादू जैसा वातावरण बन जातह है। इस रंग-बिरंगे वातावरण को ‘उषा का जादू’ कहा गया है। सूयोंदय होते ही ये सारे रंग विलौन हो जाते हैं इसलिए उषा का जादू टूट जाता है।
(ख) ‘छोटा मेरा खेत’ कविता के आधार पर बताइए कि कवि ने किस रस की अमृत धारा को अक्षय बताया है और क्यों? (2)
उत्तर :
कवि ने रचना को ‘रस का अक्षयपात्र’ कहा है, क्योकि कवि मानता है कि रचना-कर्म तथा कृषि-कर्म में गुण-साम्य है, कितु यह गुण-साम्य फसल के पकने तथा रचना के पूर्ण होने तक का ही है। एक और जहाँ फसल सीमित समय तक ही रस तथा स्वाद प्रदान करने में सक्षम होती है, वहीं रचना अनंतकाल तक पाठकों को आनंद प्रदान करने में सक्षम होती है। इसमें रचना-कर्म की तमाम विशेषताएँ सामने आ जाती हैं, जिससे संवेदना, भाव तथा कल्पना को एक नई दिशा मिलती है।
(ग) ‘पतंग’ कविता में पतंग के माध्यम से कवि ने किस प्रकार के मनोविज्ञान का चित्रण किया है? (2)
उत्तर :
कवि ने ‘पतंग’ कविता के माध्यम से बाल-मनोविज्ञान का चित्रण किया है। इस कविता में कवि ने बालसुलभ इच्छाओं और उमंगों का मनोरम चित्रण किया है। बच्चे अपनी पतंग की डोर के साथ आकाश की ऊँचाइयों तक पहुँच जाते है और उनके सामने पूरी दुनिया अपनी सूक्ष्मता के साथ प्रस्तुत होती है। गिरकर फिर से उठने का भाव बच्चों की सहजता को अंकित करता है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
बाजार में एक जादू है। वह जादू आँख की राह का काम करता है। वह रूप का जादू है। पर जैसे चुंबक का जादू लोहे पर ही चलता है, वैसे ही इस जादू की भी मर्यादा है। जेब भरी हो और मन खाली हो, ऐसी हालत में जादू का असर खूब होता है। जेब खाली पर मन भरा न हो, तो भी जादू चल जाएगा। मन खाली है, तो बाज़ार की अनेकानेक चीजों का निमंत्रण उस तक पहुँच जाएगा। कहीं हुई उस वक्त जेब भरी, तब तो फिर वह मन किसकी मानने वाला है।
मालूम होता है यह भी लूँ, वह भी लूँ। सभी सामान जरूरी और आराम को बढ़ाने वाला मालूम होता है। पर यह सब जादू का असर है। जादू की सवारी उतरी कि पता चलता है कि फैंसी चीजों की बहुतायत आराम में मदद नहीं देती, बल्कि खलल ही डालती है। थोड़ी देर को स्वाभिमान को जरूर सेंक मिल जाती है पर इससे अभिमान की गिल्टी को और खुराक ही मिलती है। जकड़ रेशमी डोरी की हो, तो मुलायम रेशम के स्पर्श के कारण क्या वह जकड़ कम होगी?
(क) कथन (A) मन का खालीपन बाजारवाद को बढ़ावा देता है। (1)
कारण (R) मन खाली होने पर बाजार में बिकने वाली अनेक तरह की जरूरी वैर-जरूरी वस्तुएँ व्यक्तित को आकर्षित करती हैं।
कूट
(i) कथन (A) और कारण ( R ) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, कितु कारण ( R ) सही है।
(iii) कथन ( A ) तथा कारण ( R ) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन ( A ) और कारण ( R ) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर :
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ख) लेखक के अनुसार, बाज़ार के जादू की क्या मर्यादा है? (1)
(i) वह केवल उन लोगों पर असर करता है, जिनके मन खाली होते हैं।
(ii) वह केवल उन लोगों पर असर करता है, जो वस्तु खरीदने आते हैं।
(iii) वह केवल अमीर लोगों पर असर करता है।
(iv) वह केवल गरीब लोगों पर असर करता है।
उत्तर :
(i) वह केवल उन लोगों पर असर करता है, जिनके मन खाली होते हैं।
(ग) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विच्चार कीजिए (1)
1. जेब में पैसा न होने पर बाजार की वस्तुएँ आकर्षित नहीं करतीं।
2. दिखावटी चीजें अधिक होने पर मन को संतुष्टि मिलती है।
3. बाजार का जादू आँखों के माध्यम से मन पर चलता है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 1 और 3
उत्तर :
(ii) केवल 3
(घ) सुमेलित कीजिए (1)
सूची I | सूची II |
A. ग्राहक को अपनी ओर खींचता है | 1. आकर्षित करने वाली चीजें जीवन में महत्त्व नहीं रखतीं |
B. बाजार का जादू उतरने पर | 2. बाजारवाद को बढ़ावा देता है |
C. मन का खालीपन | 3. बाजार का जादू |
कूट
A B C
(i) 3 1 2
(ii) 2 1 3
(iii) 1 3 2
(iv) 2 3 1
उत्तर :
(i)
सूची I | सूची II |
A. ग्राहक को अपनी ओर खींचता है | 3. बाजार का जादू |
B. बाजार का जादू उतरने पर | 1. आकर्षित करने वाली चीजें जीवन में महत्त्व नहीं रखतीं |
C. मन का खालीपन | 2. बाजारवाद को बढ़ावा देता है |
(ङ) बाज़ार के जादू के आकर्षण की तुलना ….. की गई है। (1)
(i) धन से
(ii) चुंबक से
(iii) रेशमी डोरी से
(iv) सवारी से
उत्तर :
(ii) चुंबक से
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर लिखिए। (3 × 2 = 6)
(क) ‘बाजार दर्शन’ पाठ के आधार पर बताइए कि बाजार की जादुई ताकत कैसे हमें अपना गुलाम बना लेती है? (3)
उत्तर :
बाजार की जादुई ताकत हमें अपना गुलाम इस प्रकार बनाती है कि बाज़ार में हमें हज़ारों तरह की वस्तुएँ दिखाई देती है। इन वस्तुओं में गहरा आकर्षण होता है। इनमें से अनेक वस्तुओं की आवश्यकता न होने पर भी हमारा इन्हे खरीदने को मन करता है। यही बाज़ार की जादुई ताकत होती है, जो व्यक्ति को अपना गुलाम बना लेती है। व्यक्ति बाज्ञार में जाकर वहाँ की चकार्चौध में खो जाता है तथा अनेक आकर्षक वस्तुओं को खरीदना चाहता है।
(ख) ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी के आधार पर बताइए कि लुट्टन पहलवान अपनी ख्याति के विषय में क्या कहता था? (3)
उत्तर :
लुट्टन बहुत साहसी और निडर था। वह अपने शिष्यों से अपनी ख्याति के विषय में कहता था कि वह जिंदगी में किसी से नहीं हारा तथा सदैव संघर्षं करता रहा और बड़े-बड़े पहलवानों से भी चित्त नहीं हुआ। उसके ये शब्द अपने गौरवयुक्त जीवन के उज्ज्वल पक्ष को उद्घाटित करने वाले थे। लुट्टन अपने दोनों पुत्रों से भी कहता था कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, बल्कि ढोल है। बोल की आवाज के प्रताप से ही मैं पहलवान हुआ। इस प्रकार लुट्टन अपनी ख्याति के विषय में लोगों को बताता रहता था।
(ग) ‘शिरीष के फूल’ में लेखक ने शिरीष के फूलों को अवधूत के समान क्यों बताया है तथा शिरीष के वृक्ष को अधिक महत्त्व क्यों दिया है? (3)
उत्तर :
लेखक ने शिरीष के फूलों को अवधूत के समान इसलिए बताया है, क्योंकि शिरीष के फूल कमजोर होते हैं, कितुतु इसके फल अत्यंत ही कठोर होतें है। शिरीष के वृक्ष बड़े और छायादार होते हैं। ये आँधी, तूफ़ान, भयंकर गर्मी तथा लू में भी डटकर खड़े रहते हैं। ज्येष्ठ की प्रचंड गर्मीं में शिरीष का वृक्ष ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है, जो पुष्पित तथा पल्लवित रहता है और शीतलता प्रदान करता है। इसलिए लेखक ने शिरीष के वृक्ष को अधिक महत्त्व दिया है।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर लिखिए। (2 × 2 = 4)
(क) भक्तिन नाम किसने और क्यों दिया? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (2)
उत्तर :
भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था, परंतु वह अपना वास्तविक नाम लोगों से छिपाने का प्रयास करती थी। उसकी वेशभूषा, उसके हावं-भाव, चाल-चलन, मुँडा हुआ सिर और गले में पड़ी माला आदि को देखकर लेखिका महादेवी वर्मां ने उसका नम भक्तिन रख दिया। यह नाम भक्तिन के बाहा रूप को देखकर बिल्कुल उचित प्रतीत होता है।
यही कारण है कि भक्तिन ने अपने इस नए नामकरण का कभी विरोध नहीं किया अन्यथा वह लेखिका से इतना घुलमिल गई थी कि नाम पसंद नहीं आने पर वह लेखिका से अपनी नाराजगी अवश्य व्यक्त कर देती।
(ख) वर्षा न होने पर गाँववासी कौन-कौन से उपाय करते हैं? ‘काले मेघा पानी दे’ के आधार पर लिखिए। (2)
उत्तर :
‘काले मेघा पानी दे’ पाठ के आधार पर वर्षा न होने पर गाँव वालों के द्वारा पूजा-पाठ आदि काम न आने पर वे गाँव-गाँव घूमती मेंढक मंडली पर पानी का अभाव होने पर भी सहेजकर रखा हुआ पानी उन पर उडेल देते थे। उन लोगों का मानना था कि यदि कुछ पाना है, तो पहले ल्याग करना होगा। अषियों व मुनियों ने त्याग व दान की महिमा गाई है। पानी के बीज बोने से काले मेघों से वर्षा होगी जिससे गाँव, शहर, खेत खलिहानों को खूब पानी मिलेगा।
(ग) जन्मजात धंधों में लगे श्रमिक कार्यकुशल क्यों नहीं बन पाते हैं? ‘जाति-प्रथा और श्रम का विभाजन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
जन्मजात धंधों में लगे श्रमिक कार्य कुशल इसलिए नहीं बन पाते हैं, क्योंकि किसी भी व्यवसाय में कार्य-कुशलता के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। यह प्रशिक्षण शैक्षणिक व तकनीक दोनों स्तर पर आवश्यक होता है, जो जन्मजात धंधे में लगते हैं, वे अपने जन्म के आधार पर ही उस कार्य में लगे रहते हैं। वह उस व्यवसाय से संबंधित कोई विशेष प्रशिक्षण प्राप्त नहीं करते। उन्हें अपने व्यवसाय के आधुनिकतम पहलुओं, तकनीकी संबंधी या शैक्षणिक संबंधी पहलुओं की जानकारी नहीं हो पाती। दूसरा कारण यह है कि जो जन्मजात धंधे में लगे होते हैं, अधिकतर उनका स्वयं का घंधा होता है अथबा दिहाड़ी आधारित सेवा वाला कार्य होता है, जिस कारण उन पर बहुत अच्छी कार्य-कुशलता दिखाने का कोई विशेष दबाव भी नहीं होता।
पूरक पाठ्यपुस्तक वितान भाग-2
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए 3 प्रश्नों में से किन्हीं 2 प्रश्नों के लगभग 100 शब्दों में उत्तर लिखिए। (5 × 2 = 10)
(क) यशोधर बाबू किन जीवन-मूल्यों को थामे बैठे हैं? नई पीढ़ी उन्हें प्रासंगिक क्यों नहीं मानती? तर्कसम्मत उत्तर दीजिए। (5)
उत्तर :
यशोधर बाबू पुराने जीवन-सिद्धांतों को अपनाकर चलने वाले व्यक्ति हैं। वे आधुनिक जीवन-शैली एवं जीवन-मूल्यों को व्यर्थ मानते हैं। हालांकि, यशोधर बाबू भी आधुनिकता के प्रभाव से अछूते नहीं रह सके, परंतु वे नए विचारों को अपनाने में सफल भी नहीं हो सके। उन्होने अपने दृढ़ जीवन-मूल्यों के आधार पर चलने के कारण ही नौकरी के अतिरिक्त अन्य तरीकों से धन कमाने की कभी नहीं सोची। अपने सिद्धांतों के कारण ही उन्होंने अपने कोटे का फ्लैट भी नहीं लिया। वे हमेशा चाहते थे कि परिवार के सभी सदस्य उनकी सलाह से ही कोई कार्य करें या अपना पहनावा, व्यवहार आदि रखें। जर्बकि नई पीढ़ी उनके पुराने आदर्शों को अब अप्रासंगिक मानती है।
बहुत-से ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें उनके बच्चे संलग्न हैं, लेकिन उसके बारे में यशोधर बायू को कुछ नहीं पता, तो वे उसमें अपनी राय कैसे दे सकते हैं और वह कहाँ तक उपयोगी होगी? यशोधर बाबू अपने सिद्धांतों के प्रति निष्ठावान थे, जबकि उनकी पत्नी एरं बच्चे आधुनिक जीवन-मूल्यों को अपनाने के कारण उनसे विपरीत सोच रखते थे। यशोधर बाबू को सभी नए विचार ‘समहाड इंप्रॉपर’ लगते हैं। वास्तव में नई पीढ़ी बदलाव चाहती है और अनेक ऐसे क्षेत्र हैं, जिसमें नई पीढ़ी की समझ़ ज़्यादा अच्छी है। नई पीढ़ी के विचारों को, उनके मूल्यों को एकुदम से नकारना उचित नहीं है।
(ख) ‘जूझ” कहानी में लेखक की माँ उसके पिता की आदतों से वाकिफ थी। इसके बावजूद लेखक की माँ ने लेखक का साथ किस प्रकार दिया? (5)
उत्तर :
लेखक की माँ अपने पति के व्यवहार से भली-भाँति परिचित थी। वह जानती थी कि उसके पति को लेखक का पढ़ना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। पढ़ाई की बात से ही वह खतरनाक जानवर की तरह गुर्राता है। इसके लिए लेखक की माँ अपने पति को ‘बनैला (बरहेला) सुअर’ कहती है। उसके व्यवहार को जानने के पश्चात् भी वह लेखक का साथ देने का निर्णय लेती है।
लेखक की माँ लेखक के साथ दत्ता जी के पास जाकर अपने पति के विषय में सब कुछ बताते हुए कहती है कि वह सारा दिन रखमाबाई के कोठे पर ही बिताता है। वह खेती के काम और घर-गृहस्थी के काम में किसी प्रकार की भी मदद नहीं करता और, पूरे दिन गाँव में घूमता-फिरता है। वह लेखक को इसलिए पढ़ाना नहीं चाहता था, क्योकि यदि लेखक पाठशाला जाने लगेगा, तो उसे स्वयं ही खेती का काम करना पड़ेगा। लेखक की माँ ने इन सभी बातों पर दत्ता जी को विश्वास दिला दिया। बाद में दत्ता जी के कहने पर लेखक के पिता ने लेखक को पढ़ने की अनुम्मति दे दी।
(ग) ‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ के आधार पर सिंथु घाटी सभ्यता की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। (5)
उत्तर :
सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से सिंधु घाटी सभ्यता के सामाजिक वातावरण के बहुत अनुशासित होने का अनुमान लगाया गया है। वहाँ का अनुशासन ताकत के बल पर नहीं था। नगर योजना, वार्तुशिल्प, मुहर, पानी या साफ़-सफ़ाई जैसी सामाजिक व्यवस्था में एकरूपता से यह अनुशासन प्रकट होता है। सिंधु सभ्यता में सुनियोजित नगर थे, पानी की निकासी की व्यवस्था अच्छी थी।
सड़के लंबी व चौड़ी थीं, कृषि भी की जाती थी, यातायात के साधन के रूप में बैलगाड़ी भी थी। प्रत्येक नगर में मुद्रा, अनाज भंडार, स्नानगृह अदि थे तथा पक्की इंटों का प्रयोगा होता था। सिंधु सभ्यता में प्रदर्शन या दिखावे की प्रवृत्ति नहीं है। सिंधु सभ्यता की यही विशेषता इसको अलग सांस्कृतिक धरातल पर खड़ा करती है। यह धरातल संसार की दूसरी सभी सभ्यताओं से पृथक् है।