Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi with Solutions Set 1 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Set 1 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में खंड ‘अ’ में वस्तुपरक तथा खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं।
- खंड ‘अ’ में 40 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘क’
अपठित बोध (18 अंक)
खंड ‘क’ में अपठित बोध के अंतर्गत अपठित गद्यांश व पद्यांश से संबंधित बहुविकल्पीय, अतिलघूत्तरात्मक तथा लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से बहुविकल्पीय तथा अतिलघूत्तरात्मक के प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक तथा लघूत्तरात्मक के लिए 2 अंक निर्धारित हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (10)
अच्छी बात करने वाला सभी का मान सम्मान-हासिल करता है, जबकि अनावश्यक रूप से तिक्त बात करने वाला अपने तमाम गुणों के बानजूद समाज में समुचित सम्मान नहीं प्राप्त कर पाता। बात व्यक्तिगत संबंधों की करें या राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की, हर जगह बातों की जादूगरी का बोलबाला है। बातों ने बड़े-से-बड़े युद्ध को रोका है तो बड़ा-से-बड़ा युद्ध करवाया भी है।
बातों की महत्ता इससे साबित होती है कि वह सकारात्मक भाव से कही जा रही हैं या नकारात्मक भाव से। बातें किसी के दिल से निकली हों, वे गाग या विराग होती हैं। इसका असर बोलने और सुनने वाले दोनों पर होता है। कबीर कहते हैं ‘ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए, औरन को शीतल करे, आपहूं शीतल होए।
किसी व्यक्ति की सफलता इन्हीं राहों से होकर गुज़रती है। व्यक्ति की बातें उसके व्यक्तित्व का आइना होती हैं। पहले धैर्य के साथ सुनना, समझना, मनन करना, फिर बोलना, यह कला जिस व्यक्ति में होती है वह जीवन की हर बाजी को जीतने की क्षमता रखता है। कोई नौकरीपेशा हो, व्यापारी हो, कलाकार हो या अन्य कार्य करता हो, सभी की सफलता और स्थायित्व के लिए वाकपटुता आवश्यक है। बातों के संदर्भ में एक आवश्यक बात यह भी है कि व्यक्ति की कथनी और करनी में सामंजस्य आवश्यक है। ‘कहना कुछ, करना कुछ’ जैसी चीज़े पूरे समाज को चोटिल करती हैं। आजीवन वास्तविक साधुत्व को जीते राष्ट्रपिता गाँधी के विवेकपूर्ण और ओजस्वी वक्तृत्व क्षमता के आगे शक्तिशाली फिरंगी और तमाम लोग नतमस्तक हो जाते थे। (साभार-संगीता सहाय जनसत्ता-23 अप्रैल, 2024)
(क) बात का महत्त्व किस पर आधारित होता है? (1)
(i) माहौल पर
(ii) सकारात्मक या नकारात्मक होने पर
(iii) संवेदनशीलता पर
(iv) बोलने-सुनने वालों पर
उत्तर :
(ii) सकारात्मक या नकारात्मक होने पर
(ख) बापू के आचरण में हमें क्या नहीं मिलेगा? (1)
(i) कथनी-करनी में समानता
(ii) साधुत्व
(iii) जीतने की इच्छा
(iv) वाकपटुता
उत्तर :
(iii) जीतने की इच्छा
(ग) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए (1)
कथन I बात में सकारात्मक-नकारात्मक ऊर्जा होती है।
कथन II बात सम्मान-अपमान का आधार हो सकती है।
कथन III विवाद का समाधान बात पर आधारित होता है।
कथन IV तिक्त बात करने वाले गुणी होते हैं।
गद्यांश के अनुसार कौन-सा/से कथन सही है/हैं।
कूट
(i) कथन I और II सही हैं।
(ii) केवल कथन II सही है।
(iii) कथन I, II और III सही हैं।
(iv) कथन III और IV सही हैं।
उत्तर :
(iii) कथन I, II और III सही हैं।
(घ) व्यक्ति की सफलता का मार्ग क्या है? (1)
उत्तर :
व्यक्ति की सफलता का मार्ग धैर्य के साथ सुनना, समझना, मनन करना और फिर बोलना है।
(ङ) युद्ध करवाने और रोकने की जादूगरी का आधार बातें कैसे हो सकती हैं? (2)
उत्तर :
सकारात्मक या नकारात्मक भाव की संचारक बातें ही होती हैं।
(च) कबीर के दोहे में वाणी अर्थात् बातों की शीतलता से क्या आशय है? (2)
उत्तर :
कबीर की बातों से आशय यह है कि मनुष्य जो बातें करे-उनमें सकारात्मक भाव हों, संवेदनशीलता हो, प्रेम हो, स्नेहिलता का भाव हो।
(छ) कथनी और करनी का भेद समाज को कैसे चोट पहुँचाता है? (2)
उत्तर :
कथनी और करनी का अंतर अविश्वसनीयता में वृद्धि करता है, जिससे पारस्परिक संबंध बिगड़ जाते हैं।
प्रश्न 2
दिए गए पद्यांश पर आधारित पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (8)
एक बार मुझे आँकड़ों की उल्टियाँ होने लगीं
गिनते-गिनते जब संख्या
करोड़ों को पार करने लगी
मैं बेहोश हो गया
होश आया तो मैं अस्पताल में था
खून चढ़ाया जा रहा था
ऑक्सीजन दी जा रही थी
कि मैं चिल्लाया
डॉक्टर मुझे बुरी तरह हँसी आ रही है
यह हँसाने वाली गैस है शायद
प्राण बचाने वाली नहीं
तुम मुझे हँसने पर मजबूर नहीं कर सकते
इस देश में हर एक को अफसोस के साथ जीने का
पैदाइशी हक है वरना
कोई मायने नहीं रखते हमारी आज़ादी और प्रजातंत्र
बोलिए नहीं-नर्स ने कहा-बेहद कमज़ोर हैं आप
बड़ी मुश्किल से काबू में आया है रक्तचाप
डॉक्टर ने समझाया-आंकड़ों का वायरस
बुरी तरह फैल रहा
आजकल सीधे दिमाग पर असर करता
भाग्यवान हैं आप कि बच गए
कुछ भी हो सकता था आपको
(कवि-कुंवर नारायण)
(क) कवि के अनुसार आँकड़ों से क्या किया जा सकता है? (1)
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
कथन I आँकड़ों से सच्च छिपाया जा सकता है।
कथन II आँकड़ों से आज़ादी में बाधा उत्पन्न की जा सकती है।
कथन III आँकड़ों से अफसोस उत्पन्न होता है।
कथन IV औँकड़ों से हँसाया जा सकता है।
पद्यांश के अनुसार कौन-सा/से कथन सही है/हैं।
कूट
(i) केवल कथन I सही है।
(ii) केवल कथन III सही है।
(iii) कथन II और III सही हैं।
(iv) कथन I और IV सही हैं।
उत्तर :
(i) केवल कथन I सही है।
(ख) कवि की हँसी का सभावित कारण था (1)
(i) खून तथा ऑक्सीजन चढ़ाया जाना
(ii) हँसाने वाली गैस
(iii) गलत और झूठे आँकडे
(iv) आँकड़ों की उल्टियाँ
उत्तर :
(iii) गलत और झूठे आँकडे।
(ग) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए। (1)
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
A. आज़ादी और प्रजातंत्र | 1. गुमराह रखने का हथियार |
B. आंकड़ों का वायरस | 2. यथार्थ में रहना |
C. अफ़सोस के साथ जीना | 3. सच जानने का अधिकार |
कूट
A B C
(i) 2 1 3
(ii) 1 3 2
(iii) 1 2 3
(iv) 3 1 2
उत्तर :
(iv)
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
A. आज़ादी और प्रजातंत्र | 3. सच जानने का अधिकार |
B. आंकड़ों का वायरस | 1. गुमराह रखने का हथियार |
C. अफ़सोस के साथ जीना | 2. यथार्थ में रहना |
(घ) ‘आँकड़ों की उल्टियाँ’ से कवि का क्या तात्पर्य है? (1)
उत्तर :
आँकड़ों की उल्टियों से कवि का तात्पर्यं आँकड़ों से अत्यअधिक घिरे रहने से है।
(छ) आँकड़ों का वायरस सीधे दिमाग पर कैसे असर करता है? (2)
उत्तर :
ऑंकड़ों से अ्रम उत्पन्न किया जाता है। व्यक्ति असत्य को सत्य मानने लगता है। संख्याओं का लंबा-चौड़ा जाल बुना जाता है, जो श्रामक होता है।
(च) डॉक्टर के अनुसार कवि के साथ कुछ भी हो सकने से क्या तात्पर्य है? (2)
उत्तर :
डोंक्टर के अनुसार, कवि के साथ कुछ भी हो सकने से तात्पर्य यह है कि कवि भी आँकड़ों का रिकार हो सकता था। सभी अपनी बात को समझाने के लिए आँकड़ों को बताने में लगे रहते हैं। आँकड़ों को अपने हित में बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जा रहा है।
खंड ‘ख’
अभिव्यक्ति और माध्यम पाठ्यपुस्तक (22 अंक)
खंड ‘ख’ में अभिव्यक्ति और माध्यम से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित दिए गए विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए (1 × 6 = 6)
- विद्यालय का वह खास दिन
- बारिश में बिन छतरी
- हवाई जहाज के बिना दुनिया
उत्तर :
विद्यालय का वह खास दिन :
ज्ञान ज्योति पब्लिक स्कूल, मेरठ की स्थापना 24 जून, 1980 को हुई थी। 24 जून, 2024 को स्कूल का स्थापना दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया। प्रांगण को रंग-विंरें फूलों, गुब्बारों और झालरों से सजाया गया। इस अवसर पर यज्ञ का आयोजन भी किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ जिलाधीश महोदय ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित करके किया, क्योंकि आज के कार्यक्रम के मुख्य अर्तिथि जिलाधीश महोदय ही थे। स्कूल प्रांगण में यक्ञ का आयोजन भी किया गया, जिसके यजमान भी मुख्य अतिथि ही रहे। हवन में सभी उपस्थित लोगों ने आहुति दी।
इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुन्ध कर दिया।
जिलाधीश महोदय ने अपने वक्तव्य में स्कूल की कार्यशैली, अध्यापकों एवं छात्र/छात्राओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह स्कूल क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुका है, जो निरतर प्रगति के पथ पर अप्रसर हो रहा है। यह प्रबंधतंत्र की सूल्न-बूझ का परिचायक है। इस स्कूल का उद्देश्य छात्र/छात्राओं को उच्च कोटि की शिक्षा प्रदान करना और उनका सर्वीगीण विकास करना है।
इस अवसर पर क्षेत्र के पार्षद भी उपस्थित थे। उन्होंने भी स्कूल की प्रशंसा की और बताया कि मैं भी इस स्कूल का ही छात्र रहा हूँ। स्कूल में अध्यापकों द्वारा छात्र/छात्राओं के साथ जो मेहनत की जाती है, उसका मैं स्वयं भी भुक्तमोगी हूँ। प्रबंधतंत्र और अध्यापक छात्र हित में सर्वदा संलग्न रहते हैं।
इस अवसर पर स्कूल के प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्र/छात्राओं को जिलाधीश महोदय के कर कमलों द्वारा पुरस्कार वितरित किए गए। अंत में प्रधानाचार्य महोदय ने सभी आर्गतुकों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम का समापन किया।
बारिश में बिन छतरी :
मुझे स्मरण है, मेरे जीवन में 11 जुलाईं, 2024 का वह ऐतिहासिक दिन, जो अविस्मरणीय घटना के रूप में मेरे मानस पटल पर मेरी अन्तिम साँस तक अंकित रहेगा। बृहस्पतिवार का वह दिन जब मैं घर से स्कूल के लिए निकला। आसमान पर बादलों का नामो-निशान तक नहीं था। माँ ने छाता लेने के लिए कहा, लेकिन मैंने छाता लेने से मना कर दिया, क्योंकि हर बारिश के मौसम में मुझसे कम-से-कम एक या दो छाते मेरी लापरवाही की वजह से किसी और के सिर की शोभा बढ़ाते थे। मैं घर से निकला ही था कि मानो बादलों ने मेरा पीछा करना शुरू कर दिया। एक बार के लिए तो मुझे लगा कि ये बादल मुझे एहसास दिला रहे थे कि माँ की बात्त न मानने का क्या परिणाम हो सकता है। बादल बस मेरे ही बाहर निकलने की प्रतीक्षा कर रहे थे। स्कूल के लिए देर हो रही थी, इसलिए कहीं शरण लेना भी मेरे लिए उचित नहीं था।
भीगते-भीगते मैं स्कूल तो पहुँच गया, परंतु कपपे़े गीले हो जाने के कारण मुझ़े ठंड लग रही थी। ऊपर से गणित का ब्लेकबोर्ड टेस्ट। गणित और पिशाच में मुझे इतना ही अंतर नजर आता है कि पिशाच की फिल्मों को मैं न ज्ञाहूँ तो न देखूँ, पर गणित की पुस्तक को न चाहते हुए भी मुझे पिछले सात सालों से ढोना पड़ रहा है। विकास शम्मां मेरा नाम पुकारा गया। गणित शिक्षक के सामने मेरी जुबान न खुलती थी। वही हुआ, जो मैं सोच रहा था। शिक्षक की आई ओपनिंग डाँट से मेंरे कपड़े कुछ सूख गए। अगले दिन मुझे स्कूल जाने का मन नहीं हो रहा था, परंतु मेरी माँ ने मुझे स्कूल भेजा और कहा कि तुम्हारे गणित शिक्षक ने फोन किया था आज टेस्ट में पूरे नंबर लाना और ये लो छाता। मुझे न चाहते हुए भी उस दिन स्कूल जाने के लिए विवश होना पड्रा।
हवाई जहाज के बिना दुनिया :
हवाई जहाज एक प्रकार का वायुयान है, जो अपने पंखों के द्वारा गति मिलने पर हवा में उड़ता है। इसका मुख्य उपयोग वस्तुओं और लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग सेना अनुसंधान कार्यो आदि में थी किया जाता है। बहुत से जहाजों को उडाने के लिए चालक की आवश्यकता होती है, लेकिन कुछ को कंप्यूटर की सहायता से भी चलाया जा सकता है। हवाई जहाज हमारी अर्थव्यवस्था को सुदृद करने में अहम् भूमिका निभाते हैं। हवाई जहाज के बिना हमारी अर्थव्यवस्था काफी धीमी हो जाएगी, क्योंकि वस्तुओं को तीव्र गति से एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं ले जाया जा सकेगा और जल्दी खराब होने वाली वस्तुएँ जमीन से लंबी यात्रा करने के कारण खराब हो जाती है या उन्हें ठँडा रख़े के लिए बड़ी मात्रा में उपकरणों की आवश्यकता पड़ेगी बिना उपकरणों की सहायता से वे खराब होने से नहीं बचाई जा सकेंगी।
वर्तमान में सबकुछ हवाई जहाज पर ही निर्भर है। हवाई जहाज के बिना जीवन की गाड़ी का पहिया रुका सा प्रतीत होने लगता है, क्योंकि हवाई जहाज से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में कम समय लगता है। हम कह सकते हैं कि हमारा समाज और हमारी अर्थव्यवस्था हवाई जहाज पर ही निर्भर है, इसके अभाव में जीवन दूभर सा प्रतीत होने लगेगा। अत: अर्थव्यवस्था को गतिशील एवं सुदृद बनाने के लिए हवाई जहाज की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर किन्हीं चार प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए (4 × 2 = 8)
(क) कहानी और नाटक किन बिंदुओं पर समान होते हैं? (2)
उत्तर :
कहानी और नाटक निम्नलिखित बिंदुओं पर समान होते हैं।
- कथानक कहानी तथा नाटक दोनों का केंद्राबिदु कथानक होता है।
- पात्र कहानी तथा नाटक दोनों में पात्र होते हैं।
- देशकाल और वातावरण कहानी तथा नाटक दोनों में देशकाल और वातावरण होता है।
- क्रमिक विकास कहानी और नाटक दोनों का क्रमिक विकास होता है।
- संवाद कहानी और नाटक दोनों में संवाद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
- द्वंद्व कहानी और नाटक के पात्रों में द्वंद्व चलता है।
- उद्देश्य कहानी और नाटक दोनों के लिखे जाने का कोई-न-कोई उद्देश्य अवश्य होता है।
(ख) अप्रत्याशित विषयों पर लेखन से क्या अभिप्राय है? (2)
उत्तर :
नए और अप्रत्याशित (जिनकी पहले आशा न की गई हो) विष्यों पर कम-से-कम समय में अपने विचारों को संकलित कर उन्हें सुंदर एवं सुदृढ ढंग से अभिव्यक्त करना ही ‘नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन’ कहलाता है। इसका उद्देश्य भाषा के माध्यम से किसी विषय पर विचार करने और उस विचार को व्याकरणिक शुद्धता के साथ सुगठित रूप में अभिव्यक्त करना है। अप्रत्याशित लेखन के विषयों की संख्या असीमित है। इसमें किसी भी विषय पर लिखने के लिए दिया जा सकता है; जैसे-बहुत आवश्यक है शिक्षा, दीवार घड़ी, धारावाहिकों में स्त्री, मेरा प्रिय टाइम पास आदि।
(ग) रेडियो संचार का कैसा माध्यम है? इसकी कोई दो सीमाएँ लिखें। (2)
उत्तर :
रेडियो संचार का एक तरफा माध्यम है। इसलिए, संदेशों के संबंध में कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं की जा सकती है। चूंकि श्रोता का ध्यान केवल ध्वनि पर होता है, इसलिए रेडियों के माध्यम से संचारित संदेश केवल उन लोगों तक पहुँच सकते हैं जो ध्यानपूर्वक और बुद्धिमानी से सुनते हैं। रेडियो से संदेश प्राप्त करने के लिए बहुत चौकस रहना पड़ता है अन्यथा संदेश का कुछ एक हिस्सा ही याद रहता है।
रेडियो में टेलीविजन द्वारा प्रदान की गई चित्रात्मक गुणवत्ता का अभाव है।
(घ) फ्रीलांसर पत्रकार कौन होता है? (2)
उत्तर :
फ्रीलांसर पत्रकार इस पत्रकार का संबंध किसी भी विशेष अखबार से नहीं होता। यह भुगतान के आधार पर अलग-अलग अख्बारों के लिए कार्य करता है।
(ङ) नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन के कोई दो लाभ बताएँ। (2)
उत्तर :
नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन के दो लाभ निम्नलिखित हैं
- इसके माध्यम से अपने विचारों को किसी तर्क, विचार के माध्यम से पुष्ट करने की कला में वृद्धि होती है।
- इससे लेखन में अल्यधिक विकास होता है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 80 शब्दों में उत्तर दीजिए
(2 × 4 = 8)
(क) प्रिंट या मुद्रित माध्यम से आप क्या समझते हैं? इसकी किन्हीं तीन विशेषताओं को रेखांकित कीजिए। (4)
उत्तर :
प्रिंट या मुद्रित माध्यमों के अंतर्गत अखबार, पत्रिकाएँ आदि आते हैं। इनका हमारे दैनिक जीवन में काफी महत्त्व है। इनकी महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित है
- मुद्रित माध्यमों में स्थायित्व होता है।
- आप इन्हें अपनी इच्छानुसार पढ सकते है।
- आप इन्हें लंबे समय तक प्रयोग में ला सकते हैं।
(ख) उल्टा पिरामिड शैली किस प्रकार के लेखन की बुनियादी शैली होती है? इसके मुख्य तीन भागों को स्पष्ट करें। (4)
उत्तर :
समाचार की उल्टा पिरामिड शैली से अभिप्राय
किसी समाचार को लिखने या कहने का वह तरीका जिसमें उस घटना, विचार, समस्या के सबसे अहम तथ्यों या पहलुओं को सबसे बताया जाता है और उसके बाद घटते हुए महत्व क्रम ने अन्य तथ्यों या सूचनाओं को लिख्रा या बताया जाता है। इस शैली में किसी घटना क्रम ब्यौरा कालानुक्रम के बजाए सबसे महत्वपूर्ण तथ्य या सूचना से शुरू होता है।
उल्टा पिरामिड शैली में समाचार लेखन की प्रक्रिया समाचार लेखन की उल्टा पिरामिड शैली के अंतर्गत लिखे गए समाचारों को सुविधा की दृष्टि से तीन भागों में विभाजित किया जाता है।
1. इंट्रो या मुखड़ा समाचार अथवा खबरे एक विशेष शैली में लिखी जाती है जिसके अंतर्गत सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्यों, सूचनाओं एवं जानकारी को सबसे पहले अर्थात् प्रारंभ के अनुच्छेद में लिखा जाता है। इस प्रकार प्रथम पैराग्राफ में दी जा रही जानकारी को इंट्रो या मुखड्रा कहा जाता है।
इंट्रो में समाचार के संबंध में क्या, कहाँ, कब और कौन चार प्रश्नों के उत्तर देना आवश्यक होता है।
2. बॉड्डी या क्लेवर समाचार के बाद दूसरे पैराग्राफ में कम महत्वपूर्ण जानकारी, सूचना या तथ्यों को बताया जाता है, इसे बॉडी या समाचार का कलेवर (Body of the Story) कहा जाता है। समाचार के इस भाग में छह ककारों में से दो ककारों क्यों और कैसे का जवाब देने की कोशिश की जाती है।
3. समापन समाचार का समापन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि न केवल उस समाचार के प्रमुख तथ्य आ गए हैं, बल्कि समाचार के मुखड़ और समापन के बीच एक तारतम्यता भी होनी चाहिए। समाचार में तथ्यों तथा उसके विभिन्न पहलुओं को इस तरह से पेश करना चाहिए कि उससे पाठक को किसी निर्णय या निष्कर्ष पर पहुँचने में मद्द मिले।
(ग) खेल पत्रकारिता के महत्त्व को रेखांकित करते हुए बताएँ कि खेल पत्रकार में क्या विशेषताएँ होनी आवश्यक हैं? (4)
उत्तर :
खेल आयोजनों में अधिक वृद्धि होने के कारण खेल पत्रकारिता सबसे अधिक माँग वाली पत्रकारिता तकनीकों में से एक है। यह समाचार रिपोर्टिंग की एक शैली है, जहाँ पत्रकार जीवत (LIVE) मैच विश्लेषण को कवर करते है, खिलाड़ियों, सहायक कर्मचारियों और प्रबंधन के साक्षात्कार लेते हैं।
खेल पत्रकार में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए
- समाचार के बोध की क्षमता।
- ईमानदार और निष्मक्ष होना चाहिए।
- आलोचनात्मक सोच कौशल होना चाहिए।
- विभिन्न स्रोतों की जाँच करने और तथ्यों को सत्यापित करने में सक्षम होना चाहिए।
- मुद्रण, लेखन, आशुलेखन एवं टंकण का ज्ञान होना चाहिए।
- पैनी दृष्टि तथा विस्तृत श्रवण ₹क्ति होनी चाहिए।
खंड ‘ग’
पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-2 एवं वितान भाग-2 (40 अंक)
खंड ‘ग’ में पाठ्यपुस्तक आरोह भाग- 2 से गद्य व पद्य खंड से बहुविकल्पीय प्रश्न, अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न व लघूत्तरात्मक प्रश्न तथा वितान भाग- 2 से लघूत्तरात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित पूछे गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (5 × 1 = 5)
फिर-फिर
बार-बार गर्जन
वर्षण है मूसलाधार,
हुदय थाम लेता संसार,
सुन-सुन घोर वज्र हुंकार।
अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर,
क्षत-विक्षत हत अचल-शरीर,
गगन-स्पर्शी स्पर्द्धा धीर।
हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार –
शस्य अपार,
हिल-हिल
खिल-खिल,
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।
(क) क्रांति का लाभकारी वर्ग होता है (1)
(i) पूँजीपति
(ii) छोटे पौधे
(iii) बड़े पेड़
(iv) शोषित वर्ग
उत्तर :
(iv) शोषित वर्ग
(ख) ‘गगन-स्पर्शी स्पर्धा’ पंक्ति के अनुसार दिए गए कथनों पर विद्यार करते हुए सही कथन को चयनित कर लिखिए। (1)
(i) आसमान को छूने की कोशिश
(ii) बादलों को छूने की चाह
(iii) अत्यधिक महत्वाकांकी होना
(iv) चुनॉतियों का सामना करना
उत्तर :
(iii) अत्यधिक महत्वाकांक्षी होना
(ग) रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए (1)
‘क्रान्ति के …… के जैसे वज्र गर्जना’
(i) हथियारों
(iii) वीरों
(ii) बादलों
(iv) मूसलाधार
उत्तर :
(ii) बादलों
(घ) निम्नलिखित कथन और कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और सही विकल्प चुनकर लिखिए। (1)
कथन (A) क्रांति से शोषकों के शोषण का अंत संभव है।
कारण (R) क्रांति शोषितों के अधिकार सुनिश्चित करवा पाती है।
कूट
(i) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं, किंतु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iv) कथन (A) तथा कारण ( R ) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iv) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं, कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ङ) तेज बरसात या क्रांति से कौन धराशायी हो जाते हैं? (1)
(i) गरीब और अमीर लोग
(iii) बडे वृक्ष और पूँजीपति
(ii) बड़े वृक्ष और छोटे पौधे
(iv) बडे़ वृक्ष और सर्वहारा
उत्तर :
(iii) बडे वृक्ष और पूँजीपति
प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 3 = 6)
(क) दिन ढलने के बाद लौट रहे राही के कदम शिथिल क्यों हो जाते हैं? पाठ ‘एक गीत’ के आधार पर उत्तर दीजिए। (3)
उत्तर :
दिन ढलने के बाद लौट रहे राही के कदम शिथिल इसलिए हो जाते हैं, उसके मन में विचार उठता है कि उसकी प्रतीक्षा तो कोई नहीं करता। उसके लिए तो कोई व्याकुल नहीं होता। इस विचार के मन में आते ही राही के कद्म शिथिल हो जाते हैं। वह धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए अपने घर की ओर चलता है।
(ख) पाठ कवितावली के आधार पर स्पष्ट करें कि क्या तुलसी युग की समस्याएँ आज भी विद्यमान हैं? (3)
उत्तर :
गोस्वामी तुलसीदास भक्त कवि थे। उन्होंने अपने युग की आर्थिंक विषमता को करीब से देखा ही नहीं, बल्कि उसका अनुभव भी किया है। उस समय अकाल के कारण बेरोज़गारी और भुखमरी फैली थी। लोगों के पास काम नहीं था! लोग संतान तक को बेचने के लिए चिवश थे। चारों ओर लाचारी और विवशता ही दिखाई पड़ती थी। पेट की आग समुद्र की आग से भी अधिक भयंकर थी, जिसके लिए लोग ऊँचे-नीचे कर्म कर रहे थे और धंधे में भी धर्म-अधर्म का ख्याल नहीं रख रहे थे। इस प्रकार तुलसी का युग अनेक आर्थिक विषमताओं से षिरा था। यदि आज के संदर्भ में तुलसीदास युगीन समय को देखा जाए, तो आज भले ही उस समय से थोड़ी बेहतर स्थिति है, परंतु आज के समय में भी लोग पैसे के लिए पाप-पुण्य या धर्म-अधर्म का भेद नही करते। हालॉंकि आज इतनी भुखमरी नहीं है, लेकिन बेरोजगारी की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है।
(ग) ‘छोटा मेरा खेत’ कविता में कवि कागज़ को खेत का ही रूप कर्यों मानता है? (3)
उत्तर :
कवि रचना-कर्म की तुलना कृषि-कर्म से करता है। वह कागज के पन्ने को चार कोने वाले खेत की संज्ञा देता है। कवि का मानना है कि खेत में जिस प्रकार बीज, जल, रसायन इत्यादि डालने के बाद उपज प्राप्त की जाती है, उसी प्रकार कोई भी रचना भाव, कल्पना इत्यादि के कारण अस्तित्व में आती है। शब्द रूपी बीज को खेत रूपी कागज के पन्ने पर डालने के साथ अंधड़ रुपी भावनाएँ तथा कल्पना रूपी रसायन के सह-अस्तित्व की ज्ञरूरत होती है। इसके बाद ही रचना अपना सार्थक स्वरूप ग्रहण कर पाती है।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) कविता ‘बात सीधी थी पर’ में किसी बात को पेचीदा कैसे किया जाता है? (2)
उत्तर :
बात का अर्थ है- भाव। भाषा उसे प्रकट करने का माध्यम है। दोनों के बीच घनिष्ठ संबंध है, किंतु यहाँ ‘भाषा’ के संदर्भ में कवि को इस बात का डर है कि कभी-कभी भाषा के चक्कर में सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है। इसका कारण यह है कि जो बात सीधी, सरल शब्दावली में कही जा सकती है, उसे अधिक प्रभावपूर्ण बनाने हेतु कठिन शब्दावली का प्रयोग कर व्यक्त करने का प्रयास किया जाता है और परिणामस्वरूप इससे सीधी बात भी पेचीदा हो जाती है।
(ख) ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता आज के मिडिया पर प्रासंगिक व्यंग्य है, कैसे? (2)
उत्तर :
इस व्यंग्यात्मक कविता के माध्यम से कवि यह बताना चाहता है कि मीडिया वाले समर्थ तथा सशक्त होते हैं। वे किसी की भी करुणा को खरीद-बेच सकते हैं। वे ऐसे व्यक्तियों को समाज के सामने लाकर सहानुभूति बटोरना चाहते हैं, जो कमजोर और अशक्त हैं। इससे उनकी लोकप्रियता और आमदनी दोनों में वृद्धि होती है। इस कविता के माध्यम से कवि मीडिया के व्यावसायिक दृष्टिकोण एवं समाज के हाशिए पर खड़े लोगों के प्रति उसकी छिछली मनोवृत्ति को स्पष्ट करता है। समाज में मौजूद सफ़ेदपोश वर्ग की मानसिकता की पहचान कराने में यह कविता पूरी तरह सक्षम है। अत: कैमरे में बंद कविता आज के मीडिया पर व्यंग्य है।
(ग) ‘रुबाइयाँ’ पाठ में ‘आँगन में ठुनक रहा है ज़िदयाया है, बालक तो हई चाँद पै ललचाया है’ में व्यक्त बालपन को रेखांकित करें। (2)
उत्तर :
बालक ज़िद करके अपनी माँ से चाँद के खिलौने की माँग करता है। वह मचल रहा है और ठुनक रहा है। यहाँ बच्चे की बाल-सुलभ हठ संबंधी विशेषता की अभिव्यक्ति हुई है। माँ बच्चे को अन्य खिलौनों से बहलाने की कोशिश करती है, पर बालक चाँद का खिलौना ही चाहता है। माँ घर के अंदर से आईना ले आती है। वह आईने में बच्चे को उसका चेहरा दिखाती हुई कहती है कि लो, अब चाँद धरती पर उतर आया है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित पूछे गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (5 × 1 = 5)
मैं सोचता हूँ कि पुराने की यह अधिकार लिप्सा क्यों नहीं समय रहते सावधान हो जाती? जरा और मृत्यु, ये दोनों ही जगत के अतिपरिचित और अतिप्रामाणिक सत्य हैं। तुलसीदास ने अफ़सोस के साथ इनकी सच्चाई पर मुहर लगाई थी ‘धरा को प्रमान यही तुलसी जो फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना !’ मैं शिरीष के फूलों को देखकर कहता हूँ कि क्यों नहीं फलते ही समझ लेते बाबा कि झड़ना निश्चित है! सुनता कौन है? महाकालदेवता सपासप कोड़े चला रहे हैं, जीर्ण और दुर्बल झड़ रहे हैं, जिनमें प्राणकण थोड़ा भी उर्ध्वमुखी है, वे टिक जाते हैं। दुरंत प्राणधारा और सर्वब्यापक कालाग्नि का संघर्ष निरंतर चल रहा है। मूर्ख समझते हैं कि जहाँ बने हैं, वहीं देर तक बने रहें तो कालदेवता की आँख से बच जाएँगे। भोले हैं वे। हिलते-डुलते रहो, स्थान बदलते रहो, आगे की ओर मुँह किए रहो ती कोड़े की मार से बच भी सकते हो। जमे कि मरे।
(क) गद्यांश के अनुसार मूर्ख क्या समझते हैं? (1)
(i) जहाँ हैं, वहीं पर बने रहेंगे।
(ii) प्राण और कालागिन में संघर्ष निश्चित है।
(iii) कि वे बहुत भोले-भाले हैं।
(iv) बदलाव आवश्यक है।
उत्तर :
(i) जहाँ हैं, वहीं पर बने रहेंगे।
(ख) पुराने फूल-पत्तों को यह क्यों समझना आवश्यक है कि ‘झड़ना निश्चित है’? (1)
(i) क्योंकि तुलसीदास ने इसे ही सत्य माना है।
(ii) महाकालदेवता के कोड़े चलने के कारण।
(iii) जन्म और मृत्यु जगत का प्रामाणिक सत्य है।
(iv) जन्म और मृत्यु के आपसी संघर्ष के कारण।
उत्तर :
(iii) जन्म और मृत्यु जगत का प्रामाणिक सत्य है।
(ग) निम्नलिखित कथनों पर विचार करते हुए गद्यांश के अनुसार सही कथन को चयनित कर लिखिए। (1)
(i) अफ़सोस जीवन का सच है।
(ii) जो चीज़ फलती-फूलती है, उसका अंत निश्चित है।
(iii) न्याय का चक्र गतिमान है।
(iv) अधिकार प्राध्ति संघर्ष से ही संभव है।
उत्तर :
(ii) जो चीज़ फलती-फूलती है, उसका अंत निश्चित है।
(घ) कॉलम 1 को कॉलम 2 से सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए। (1)
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
A. जीवन का सत्य | 1. अधिकार – लिप्सा |
B. जीवन की स्थिरता | 2. दुरंत प्राणधारा |
C. जीवन की गतिशीलता | 3. बुदापा और मरणशीलता |
A B C
(i) 3 1 2
(ii) 1 3 2
(iii) 1 1 2
(iv) 2 1 3
उत्तर :
(i)
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
A. जीवन का सत्य | 3. बुदापा और मरणशीलता |
B. जीवन की स्थिरता | 1. अधिकार – लिप्सा |
C. जीवन की गतिशीलता | 2. दुरंत प्राणधारा |
(ङ) गद्यांश का केंद्रीय भाव हो सकता है
(i) सभी को अपने प्राण प्रिय हैं।
(ii) स्थिर रहना भोलापन है।
(iii) स्थिरता संघर्ष से आती है।
(iv) परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
उत्तर :
(iv) परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 60 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 3 = 6)
(क) भक्तिन पाठ के आधार पर पंचायत द्वारा किए गए अन्याय पर टिप्पणी कीजिए। (3)
उत्तर :
भक्तिन की बेटी पर पंचायत ने जबरन पति थोप दिया था। यह कार्य स्त्रियों के मानवाधिकारों के विरुद्ध है। नारी पर प्राचीनकाल से ही हर फैसला जबरदस्ती लागू कर दिया जाता है। विवाह जैसे गंभीर निर्णय भी वह अपनी मर्जी से नहीं ले सकती। लड़की को माता-पिता की इच्छा से ही विवाह करना पड़ता है और यदि वह विरोध करती है, तो उसे समाज से बाहर कर दिया जाता है।
उसे अपनी पसंद और इच्छा के अनुसार अपने जीवनसाथी का चुनाव करने का भी अधिकार नहीं दिया जाता। यही भक्तिन की बेटी के साथ भी हुआ।
(ख) ‘बाज़ार दर्शन’ पाठ के आधार पर बताएँ कि भगत जी का व्यक्तित्व बाज़ार को कैसे सार्थकता देता है? (3)
उत्तर :
भगत जी का व्यक्तित्व बाजार को इस प्रकार सार्थकता प्रदान करता है कि बाजार की चकाचौंध उन पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकी। वे अपनी आवश्यकताओं को ठीक-ठीक समझकर बाजार का उपयोग करते हैं। यदि हम बाजार की चमक-दमक में फँसकर रह गुए तो वह असंतोष, तृष्णा एवं ईर्ष्यां से घायल कर बेकार बना डालती है। अत: बाजार की सार्थकता भगत जी जैसे लोगों से ही है, जिन्हें अपनी आवश्यकताओं का पूर्ण ज्ञान होता है।
(ग) ‘काले मेघा पानी दे’ विज्ञान के तथ्य पर सहज प्रेम की विजय है।’ आशय स्पष्ट करें। (3)
उत्तर :
‘काले मेघा पानी दे’ संस्मरण निश्चय ही विज़ान के सत्य की अपेक्षा सहज प्रेम के बल को महत्त्व देता है। लेखक यह पसंद नहीं करता कि मेंडक-मंडली पर पानी फेंककर पानी का अपव्यय किया जाए। वह नही मानता कि ऐसा करने से इंद्र देवता प्रसन्न हो जाते हैं, परंतु उसकी जीजी इसमें विश्वास करती हैं कि यदि कुछ पाना हो, तो पहले हमें कुछ देना भी पड़ता है। जैसे फसल उगानी हो, तो पहले घरती में बीज बोने पइते हैं। लेखक अपनी जीजी की भाचनाओं को महत्त्व देता है।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 40 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 2 = 4)
(क) लुट्टन पहलवान की किन दो चारित्रिक विशेषताओं को आप अपने जीवन में समायोजित करना चाहेंगे? (2)
उत्तर :
लुट्टन पहलवान की निम्नलिखित दो चारित्रिक विशेषताओं को मैं अपने जीवन में समायोजित करना चाहूँगा।
(i) साहसी लुट्टन साहसी पुरुष था। उसके अंदर साहस कूट-कूटकर भरा था। इसी कारण वह प्रत्येक परिस्थिति का डटकर सामना करता था। महामारी की विभीषिका का भी उसने डटकर सामना किया। मैं भी उसके जैसा साहसी बनने का प्रयास करूँगा और कैसी भी परिस्थिति हो डटकर सामना करूँगा।
(ii) सहयोगी लुद्टन एक संवेदनशील पुरुष था। वह सुख-दु:ख में गाँव वालों का पूरा साथ देता था। वह बीमारों के घर-घर जाकर उनका हाल-चाल पूछता था और उन्हें धैर्य बँधाता था। मैं भी जितना हो सकेगा अपने आस-पड्डोस में सभी को सभी प्रकार से सहयोग करने का प्रयास करूँगा।
(ख) शिरीष के फूल पाठ के आधार पर स्पष्ट करें कि लेखक गाँधीजी और शिरीष को एक समान क्यों बताता है? (2)
उत्तर :
शिरीष और महात्मा गाँधी की तुलना समानता के आधार पर की गई है। शिरीष का वृक्ष बाह्डु परिवर्तन धूप, औँधी, लू, वर्षा सब में शांत बना रहता है तथा पुष्यित और पल्लवित होता रहता है। इसी प्रकार गाँधी जी भी मार-काट, अन्निदाह, लूट-पाट आदि के बीच स्थिर रह सके थे।
शिरौष वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर एक साथ हो सका है, वैसे ही महात्मा गाँधी भी कठोर-कोमल स्वभाव वाले व्यक्ति थे। इस प्रकार शिरीष का वृक्ष और महात्मा गाँधी दोनों ही समान हैं।
(ग) बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के अनुसार दासता की व्यापक परिभाषा क्या है? (2)
उत्तर :
लेखक के अनुसार, ‘दासता’ केवल कानूनी पराधीनता को ही नहीं कहा जा सकता। दासता में वह स्थिति भी सम्मिलित है, जिससे कुछ व्यक्तियों को दूसरे लोगों के द्वारा निर्धारित व्यवहार एवं कर्तव्यों का पालन करने के लिए विवश होना पड़ता है। अपनी इच्छा के विरुद्ध व्यवसायों को अपनाना ‘दासता’ का सशक्त उदाहरण है। लेखक के अनुसार, जब तक समाज में, समानता स्थापित नहीं हो जाती, तब तक हम स्वतंत्र नहीं हो सकते। जब तक स्वर्तंत्रता कुछ ही लोगों तक सीमित रहेगी, तब तक दासता से मुक्ति पाना संभव नहीं हो सकता। इस तथ्य को देखकर लगता है कि विदेशी ताकतों को देश से भगाना अघूरी स्वतंत्रता की ही प्राप्ति है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर किन्हीं दो प्रश्नों के लगभग 100 शब्दों में उत्तर दीजिए। (2 × 5 = 10)
(क) कहानी ‘सिल्चर वैडिंग’ के आधार पर उन भारतीय जीवन-मूल्यों को समझाएँ, जो समय के साथ बदल रहे है। (5)
उत्तर :
वर्तमान युग में अनेक जीवन-मूल्यों में परिवर्तन आ चुका है तथा अनेक जीवन-मूल्य परिवर्तन की प्रक्रिया में हैं। आजकल लोग रिश्तों का महत्त्व भूलते जा रहे हैं। वे रिश्तों की अपेक्षा धन को अधिक महत्त्व देने लगे हैं। उनके भीतर से सामूहिकता का गुण धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है और वे एकल जीवन जीने को महत्त्व देने लगे हैं। जहाँ कहानी में किशनदा का घर गाँव के लोगों का आश्रयस्थल हुआ करता था और उन्हीं की परंपरा का निर्वहन करते हुए यशोधर बानू भी रामलीला की तैयारी के लिए अपना कमरा दिया करते थे, लेकिन उनके बच्चों में इस गुण का अभाव दिखाई देता है। इसी के साथ अधिकांश युवक तथा युवतियाँ अपने माता-पिता का अपेक्षित सम्मान भी नहीं करते। ईमानदारी की परिभाषा भी बदल चुकी है। धनी लोगों का सम्मान होता है। ईमानदार गरीब लोगों को मूर्ख समझा जाता है।
आजकल पहनावे में भी बहुत अंतर आ चुका है। पहले वृद्धा स्त्रियाँ सादगी से रहती थीं, परंतु आजकल वे भी युवतियों की तरह श्रृंगार करने लगी हैं। युवा पीढ़ी पहले की तुलना में धार्मिक कर्मकांडों में कम रुचि लेती है तथा साथ ही वह अधिक भौतिकवादी होते जा रहे हैं। आज का जीवन इतना भाग-दौड़ भरा है, जिससे आपसी संबंधों का विघटन हो रहा है। किसी के पास इतना समय नहीं है कि किसी के सुख-दु:ख में सम्मिलित हो सके। वस्तुतः जीवन-मूल्यों में आए सभी परिवर्तनों को सही नहीं ठहराया जा सकता। पाश्चात्य जीवन-मूल्यों के इस बदलाव को एक सीमा तक ही ठीक कहा जा सकता है।
(ख) कविता के प्रति लगाव के बाद लेखक की अकेलेपन को लेकर धारणा क्यों बदल गई? ‘जूझ’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (5)
उत्तर :
जब तक लेखक के जीवन में कविता के प्रति लगाव उत्पन्न नहीं हुआ था, तब तक उसे अकेलापन सताता था। उसे अपने जीवन से विशेष मोह नहीं रह गया था। जब उसे कविता लिखने और पढ़ने में रुचि आने लगी, तभी से उसके जीवन में नए रंग भर गए। अब उसे अकेलापन अच्छा लगने लगा, क्योंकि उसी समय में वह कविताएँ लिखने या गाने लगतः अब वह चाहता कि कविता लिखते समय उसे कोई रोके -टोके नहीं।
(ग) यदि आप पर्यटक के रूप में मोहनजोदड़ो जाएँ, तो आप क्या-क्या देख सकते है? ‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ के आधार पर लिखें। (5)
उत्तर :
पयंटक के रूप में मुअनजो-दहो में निम्न चीज़े देख सकते हैं
(i) बौन्द्ध स्तूप यह सबसे ऊँचे चबूतरे पर निर्मित बड्रा बौद्ध स्तूप है। वर्ष 1922 में राखालदास बनजीं ने इसी बौद्ध स्तूप की स्रुदाई करते हुए सिंधु सभ्यता के बारे में पहली बार जाना था। स्तूप वाले चबूतरे के पीछे वाले हिस्से को विद्वान् ‘गड़’ कहते हैं। लेखक वहाँ की धूप की विशेषता को रेखांकित करता है।
(ii) विशाल स्नानागार और कुंड यहाँ सामूहिक स्नानागार का स्थान महाकुंड के नाम से जाना जाता है। एक पंक्ति में आठ स्नानघर हैं, जिनमें किसी के भी द्वार एक-दूसरे के सामने लहीं खुलते। कुंड के तल में और दीवारों पर इंटों के बीच चूने और चिरोड़ी के गारे का प्रयोग हुआ है, जिससे कुंड का पानी रिस न सके और बाहर का अशुद्ध पानी कुंड में न आने पाए।
(iii) अजायबघर अजायबषर में काला पड़ गया गेहूँ, बर्तन, मुहरें, चौपह की गोटियाँ, दीये, ताँबे का आईना आदि दिखाई देते हैं। अजायबषर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वहाँ औजार तो है, पर हधियार नहीं हैं।