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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 8 with Solutions
समय :3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश
- इस प्रश्न-पत्र में चार खंड हैं – ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ और ‘घ’ ।
- खंड ‘क’ में अपठित गद्यांश से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए ।
- खंड ‘ख’ में व्यावहारिक व्याकरण से प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक पर आधारित है, निर्देशानुसार उत्तर दीजिए।
- खंड ‘घ’ रचनात्मक लेखन पर आधारित है, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- प्रश्न पत्र में कुल 16 प्रश्न हैं, सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- यथासंभव सभी खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: लिखिए ।
खंड ‘क’ (अपठित बोध) (14 अंक)
इस खंड में अपठित गद्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1 × 3 = 3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2 × 2 = 4) प्रश्न दिए गए हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (7)
मुंशी प्रेमचंद का जीवन अनुशासित था । वे सवेरे ही उठ जाते थे और नित्यकर्म से निवृत्त होकर एक घंटे घूमने जाते थे। वे अकसर स्कूल के अहाते में ही घूम लेते थे। लौटकर वे घर के ज़रूरी काम निपटाते थे। वे अधिकांश काम स्वयं करते थे। नौकर से अधिक काम लेना उन्हें पसंद न था । अपना बिस्तर स्वयं उठाते, अपनी धोती स्वयं धोते । वे अपनी आदत नहीं बिगाड़ना चाहते थे। उन्हें वह समय सदा याद रहता था कि कभी वे स्वयं पाँच रुपये के नौकर थे। उनका मानना था कि जिस आदमी के हाथ में काम करने के … घट्टे न पड़े हों, उसे खाना खाने का अधिकार नहीं है। उन्हें काम करने में रत्ती भर भी शर्म महसूस नहीं होती थी।
वे बकरी के सामने पत्ती तोड़कर डाल देते थे और गाय की सानी भी कर देते थे। कमरे – बरामदे में झाड़ू लगा देना, पत्नी के बीमार होने पर चूल्हा जला देना, बच्चों को तैयार कर दूध पिला देना आदि काम वे प्राय: कर लेते थे। स्वयं हल्का-सा नाश्ता करके लिखने बैठ जाते थे। लिखने के लिए उन्हें प्रात:काल पसंद था। स्कूल का समय होने तक वे लिखते रहते, फिर कपड़े बदलकर ठीक समय पर स्कूल जा पहुँचते । वे समय के बहुत पाबंद थे। वे छात्रों के सामने अच्छा उदाहरण रखना चाहते थे। समय बर्बाद करना वे बहुत बड़ा गुनाह मानते थे। उनका विचार था कि समय की पाबंदी के बिना कोई जाति तरक्की नहीं कर सकती ।
(क) उपर्युक्त गद्यांश किस विषय-वस्तु पर आधारित है? (1)
(i) मुंशी प्रेमचंद की साहित्यिक कृतियाँ
(ii) मुंशी प्रेमचंद का अनुशासित जीवन
(iii) भारतीय समाज में समय का महत्त्व
(iv) साहित्यकारों का दैनिक’ जीवन
उत्तर:
(ii) मुंशी प्रेमचंद का अनुशासित जीवन उपर्युक्त गद्यांश में मुंशी प्रेमचंद के जीवन के अनुशासन, उनकी दिनचर्या और समय की पाबंदी पर विशेष बल दिया गया है। वे अपने कार्यों को स्वयं करना और समय का सदुपयोग करना महत्त्वपूर्ण मानते थे। अतः गद्यांश का मुख्य विषय उनका अनुशासित जीवन है।
(ख) गद्यांश के अनुसार, प्रेमचंद सबसे बड़ा गुनाह किसे मानते थे ? (1)
(i) घर के काम करना
(ii) समय को नष्ट करना
(iii) किसी के सामने झुकना
(iv) नौकर से काम लेना
उत्तर:
(ii) समय को नष्ट करना गद्यांश के अनुसार प्रेमचंद सबसे बड़ा गुनाह समय को नष्ट करना मानते थे। वे समय के बहुत पाबंद थे। वे छात्रों के सामने अच्छा उदाहरण रखना चाहते थे। उनका विचार था कि समय की पाबंदी के बिना कोई जाति तरक्की नहीं कर सकती।
(ग) कथन (A) मुंशी प्रेमचंद को नौकरों से अधिक काम लेना पसंद नहीं था ।
कारण (R) उन्हें हर समय याद रहता था कि वे स्वयं भी कभी नौकर थे।
कूट
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है ।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है। मुंशी प्रेमचंद को नौकरों से अधिक काम लेना पसंद नहीं था। वे अधिकांश काम स्वयं करते थे। वे अपनी आदत नहीं बिगाड़ना चाहते थे। उन्हें हर समय याद रहता था कि कभी वे स्वयं भी पाँच रुपये के नौकर थे।
(घ) प्रेमचंद के अनुसार कैसे व्यक्ति को खाने का अधिकार नहीं है?
उत्तर:
प्रेमचंद का मानना था कि जिस आदमी के हाथ में कार्य करने के घट्टे (निशान) न पड़े हों, उसे खाना खाने का अधिकार नहीं है। उनके अनुसार हमें अपने सभी कार्य स्वयं करने चाहिए।
(ङ) प्रेमचंद द्वारा अपना काम स्वयं करना किस बात का द्योतक है?
उत्तर:
प्रेमचंद अपने काम जैसे अपना बिस्तर स्वयं उठाना, अपनी धोती स्वयं धोकर सुखाना आदि कार्य स्वयं करते थे। वे अपनी आदत नहीं बिगाड़ना चाहते थे। उन्हें वह समय हमेशा याद रहता था कि कभी वे स्वयं भी पाँच रुपये के नौकर थे।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (7)
आज हम एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थिति प्राप्त कर चुके हैं, राष्ट्र की अनिवार्य विशेषताओं में दो हमारे पास हैं, भौगोलिक अखंडता और सांस्कृतिक एकता । परंतु अब तक हम उस वाणी को प्राप्त नहीं कर सके हैं, जिसमें एक स्वतंत्र राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों को अपना परिचय देता है । बहुभाषा-भाषी देश तो और भी अनेक हैं, परंतु उनकी अविच्छिन्न स्वतंत्रता की तुलना में भारत विषम पराधीनता को झेलता रहा है । हमारी परतंत्रता भी आँधी-तूफान के समान नहीं आई। वह तो रोग के कीटाणु लाने वाले मंद समीर के समान साँस में समाकर शरीर में व्याप्त हो गई है। हमें यह ऐतिहासिक सत्य भी विस्मृत हो गया कि कोई विजेता विजित देश पर राजनीतिक प्रभुत्व पाकर ही संतुष्ट नहीं होता, क्योंकि सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय न पूर्ण है, न स्थायी । घटनाएँ संस्कारों में चिर जीवन पाती हैं और संस्कार के अक्षय वाहक शिक्षा, साहित्य, कला आदि हैं। दीर्घकाल से विदेशी भाषा हमारे विचार-विनिमय और शिक्षा का माध्यम ही नहीं रही। वह हमारे विद्वान और सुसंस्कृत होने का प्रमाण भी मानी जाती रही है। ऐसी स्थिति में यदि हममें से अनेक उसके अभाव में जीवित रहने की कल्पना से सिहर उठते हैं, तो आश्चर्य की बात नहीं। पर रोग की स्थिति को स्थायी मानकर तो चिकित्सा संभव नहीं होती । राष्ट्र – जीवन की पूर्णता के लिए उनके मनोजगत को मुक्त करना होगा और यह कार्य विशेष प्रयत्नसाध्य है, क्योंकि शरीर को बाँधने वाली श्रृंखला से आत्मा को जकड़ने वाली श्रृंखला अधिक दृढ़ होती है।
(क) सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय न पूर्ण है, न स्थायी । पंक्ति के माध्यम से लेखक एक राष्ट्र की को अनिवार्य तत्त्व बता रहे हैं। (1)
(i) सांस्कृतिक एकता
(ii) राजनीतिक एकता
(iii) भौगोलिक अखंडता
(iv) सांस्कृतिक और राजनीतिक एकता
उत्तर:
(iv) सांस्कृतिक और राजनीतिक एकता सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय न पूर्ण है, न स्थायी पंक्ति के माध्यम से लेखक एक राष्ट्र की सांस्कृतिक और राजनीतिक एकता को अनिवार्य तत्त्व बता रहे हैं। हमें यह ऐतिहासिक सत्य भी विस्मृत हो गया कि कोई विजेता विजित देश पर राजनीतिक प्रभुत्व पाकर ही संतुष्ट नहीं होता, क्योंकि सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय न पूर्ण है और न स्थायी ।
(ख) कोई राष्ट्र राजनीतिक प्रभुत्व पाकर भी संतुष्ट क्यों नहीं होता है?
(i) क्योंकि समाज में वह अधिक पाना चाहता है।
(ii) क्योंकि सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय पूर्ण और स्थायी नहीं होती ।
(iii) क्योंकि दीर्घकाल से गुलामी झेलकर राजनीति में पूर्ण विजय प्राप्त नहीं होती ।
(iv) क्योंकि केवल राजनीतिक सफलता से आर्थिक स्वतंत्रता नहीं मिलती।
उत्तर:
(ii) क्योंकि सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय पूर्ण और स्थायी नहीं होती। कोई राष्ट्र राजनीतिक प्रभुत्व पाकर भी संतुष्ट नहीं रहता, क्योंकि सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय न पूर्ण है और न ही स्थायी ।
(ग) कथन भारत ने विदेशी भाषा को विद्वता का प्रमाण मान लिया है। (1)
निष्कर्ष विदेशी भाषा से भारतीय शिक्षा और सांस्कृतिक पहचान प्रभावित हो रही है।
(i) कथन सही है, लेकिन निष्कर्ष गलत है।
(ii) कथन और निष्कर्ष दोनों सही हैं।
(iii) कथन और निष्कर्ष दोनों गलत हैं।
(iv) कथन गलत है, लेकिन निष्कर्ष सही है।
उत्तर:
(ii) कथन और निष्कर्ष दोनों सही हैं गद्यांश के अनुसार, भारत ने विदेशी भाषा को विद्वता और सुसंस्कृत होने का प्रमाण मान लिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि विदेशी भाषा का प्रभाव भारतीय शिक्षा और सांस्कृतिक पहचान पर पड़ा है।
(घ) हमारे राष्ट्र में राष्ट्रभाषा के प्रतिष्ठित न हो सकने का मुख्य कारण क्या था? (2)
उत्तर:
हमारे राष्ट्र में राष्ट्रभाषा के प्रतिष्ठित न होने का मुख्य कारण दीर्घकालीन पराधीनता थी। दीर्घकाल से विदेशी भाषा हमारे विचार-विनिमय और शिक्षा का माध्यम ही नहीं रही, बल्कि हमारे विद्वान और सुसंस्कृत होने का प्रमाण भी मानी जाती रही है।
(ङ) राष्ट्र जीवन की पूर्णता के लिए क्या आवश्यक है ? (2)
उत्तर:
राष्ट्र जीवन की पूर्णता के लिए विदेशी भाषा की मानसिकता से मुक्ति आवश्यक है। आज हम एक स्वतन्त्र राष्ट्र की स्थिति प्राप्त कर चुके हैं। राष्ट्र की अनिवार्य विशेषताओं में दो हमारे पास हैं। भौगोलिक अखंडता और सांस्कृतिक एकता, परंतु अब तक हम उस वाणी को प्राप्त नहीं कर सके हैं, जिसमें एक स्वतंत्र राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों को अपना परिचय देता है।
खंड ‘ख’ (व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)
व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक एवं लघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1 × 16 = 16) के उत्तर देने हैं।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार पदबंध पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
(क) ‘शैलेंद्र गीतकार नहीं, अपितु कवि थे। दिए गए वाक्य में रेखांकित पदबंध का भेद बताइए । (1)
उत्तर:
दिए गए वाक्य में रेखांकित पदबंध ‘शैलेंद्र’ में संज्ञा पदबंध है।
(ख) ‘शुद्ध सोने में ताँबा मिलाने पर गिन्नी का सोना बनता है।’ इस वाक्य में विशेषण पदबंध कौन-सा है ? (1)
उत्तर:
‘शुद्ध सोने में ताँबा मिलाने पर गिन्नी का सोना बनता है।’ इस वाक्य में ‘शुद्ध’ शब्द में विशेषण पदबंध है।
(ग) क्रिया पदबंध का उदाहरण दीजिए तथा क्रिया पदबंध को रेखांकित कीजिए ।
उत्तर:
क्रिया पदबंध का उदाहरण है- बड़े भाई साहब अधिकांश समय पढ़ते रहते थे।
(घ) ‘कबीर जी एक कवि होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थे।’ रेखांकित पदबंध का भेद क्या है? (1)
उत्तर:
दिए गए वाक्य में रेखांकित पदबंध ‘समाज सुधारक भी’ में विशेषण पदबंध है।
(ङ) ‘दादी ने टोपी की डंडे से खूब पिटाई की। ‘ दिए गए वाक्य में क्रिया-विशेषण पदबंध कौन-सा है? (1)
उत्तर:
दिए गए वाक्य में ‘खूब’ शब्द क्रिया विशेषण पदबंध है।
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार वाक्य रूपांतरण पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘जब लेखक जल्दी-जल्दी कार्य करने की योजना बनाते, तब उन्हें ओमा की याद आती । दिए गए वाक्य को सरल वाक्य में परिवर्तित कीजिए। (1)
उत्तर:
लेखक को जल्दी-जल्दी कार्य की योजना बनाते समय ओमा की याद आती थी।
(ख) ‘प्रधानाचार्य के आते ही प्रार्थना शुरू हुई।’ प्रस्तुत वाक्य को मिश्रित वाक्य में रूपांतरित कीजिए । (1)
उत्तर:
जैसे ही प्रधानाचार्य आए, वैसे ही प्रार्थना शुरू हुई।
(ग) ‘हरिहर काका निःसंतान होने के कारण कथावाचक को प्यार करते थे।’ दिए गए वाक्य को मिश्र वाक्य में परिवर्तित कीजिए। (1)
उत्तर:
हरिहर काका नि:संतान थे, इसलिए कथावाचक को प्यार करते थे ।
(घ) ‘जब पुलिस का लाठी चार्ज हुआ, तब उसमें अनेक लोग घायल हुए।’ प्रस्तुत वाक्य को सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए ।
उत्तर:
पुलिस का लाठी चार्ज होने पर अनेक लोग घायल हुए।
(ङ) ‘वामीरो कुछ सचेत होने पर घर की ओर दौड़ी।’ रचना के आधार पर संयुक्त वाक्य में रूपांतरित कीजिए ।
उत्तर:
वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की ओर दौड़ी।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार समास पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)
(क) ‘नेत्रहीन’ शब्द में कौन-सा समास है?
उत्तर:
‘नेत्रहीन’ शब्द में तत्पुरुष समास है।
(ख) ‘असत्य’ शब्द का समास विग्रह कीजिए तथा इसमें कौन-सा समास है? बताइए ।
उत्तर:
‘असत्य’ शब्द का समास विग्रह न सत्य है तथा इसमें, ‘नब्तत्पुरुष’ समास है।
(ग) ‘पूजास्थल’ शब्द का समास विग्रह करके इसमें प्रयुक्त समास का नाम बताइए ।
उत्तर:
पूजास्थल’ शब्द का समास विग्रह पूजा के लिए स्थल है। इसमें तत्पुरुष समास है।
(घ) ‘त्रिफला’ समस्त पद का विग्रह क्या होगा?
उत्तर:
‘त्रिफला’ समस्त पद का विग्रह तीन फलों का समाहार होगा।
(ङ) ‘गिरिधर’ पद में कौन-सा समास प्रयुक्त है?
उत्तर:
गिरिधर पद में बहुव्रीहि समास प्रयुक्त है।
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार मुहावरे पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4 )
(क) “पहले भारत देश में अनेक प्रकार की संस्कृतियाँ थीं, पर आज वह सब मानो गायब सी हो गई हैं, मानो जैसे ……….|”
(उपयुक्त मुहावरे द्वारा रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए |) (1)
उत्तर:
‘उल्टी गंगा बह रही हो’ जिसका अर्थ है- प्रतिकूल कार्य करना ।
(ख) ‘उँगली पर नचाना’ मुहावरे का अर्थ बताकर वाक्य में प्रयोग कीजिए। (1)
उत्तर:
‘उँगली पर नचाना’ मुहावरे का अर्थ है- अपने वश में करना।
वाक्य प्रयोग राम, सुरेश को उँगली पर नचाता है।
(ग) सही मुहावरे का प्रयोग करके वाक्य को पूरा कीजिए ।
क्रांतिकारियों ने भारत को आजाद कराने का ………. था । (1)
उत्तर:
क्रांतिकारियों ने भारत को आजाद कराने का बीड़ा उठाया था।
(घ) “उसने कई दिनों तक अपनी बहन की वापसी की …… और अंततः जब वह लौटी, तो खुशी से उसकी आँखों में आँसू थे।”
(उपर्युक्त मुहावरे द्वारा रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए ।) (1)
उत्तर:
बाट जोही’ जिसका अर्थ है- इंतजार किया।
(ङ) ‘खरी-खोटी सुनाने’ के लिए उपयुक्त मुहावरा क्या है ? (1)
उत्तर:
‘खरी-खोटी सुनाने’ के लिए उपयुक्त मुहावरा आड़े हाथों लेना है।
खंड ‘ग’ (पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (28 अंक)
इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं। (1 × 5 = 5)
प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।
अब भाई साहब बहुत कुछ नरम पड़ गए थे। कई बार मुझे डाँटने का अवसर पाकर भी उन्होंने धीरज से काम लिया । शायद वह खुद समझने लगे थे कि मुझे डाँटने का अधिकार उन्हें नहीं रहा, या रहा भी, तो बहुत कम। मेरी स्वच्छंदता भी बढ़ी। मैं उनकी सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाने लगा। मुझे कुछ ऐसी धारणा हुई कि मैं पास ही हो जाऊँगा, पढूँ या न पढूँ, मेरी तकदीर बलवान है, इसलिए भाई साहब के डर से जो थोड़ा-बहुत पढ़ लिया करता था, वह भी बंद हुआ। मुझे कनकौए उड़ाने का नया शौक पैदा हो गया था और सारा समय पतंगबाजी की ही भेंट होता था, फिर भी मैं भाई साहब का अदब करता था और उनकी नज़र बचाकर कनकौए उड़ाता था। माँझा देना, कनने बाँधना, पतंग टूर्नामेंट की तैयारियाँ आदि समस्याएँ सब गुप्त रूप से हल की जाती थीं। मैं भाई साहब को यह संदेह न करने देना चाहता था कि उनका सम्मान और लिहाज मेरी नज़रों में कम हो गया है।
(क) बड़े भाई साहब के व्यवहार में लेखक को क्या दिखाई देने लगा ? (1)
(i) जोश
(ii) नरमी
(iii) गरमी
(iv) गुस्सा
उत्तर:
(ii) नरमी बड़े भाई साहब के व्यवहार में लेखक को नरमी दिखाई देने लगी।
(ख) ‘मेरी स्वच्छंदता बढ़ी। मैं उनकी सहिष्णुता का अनुचित लाभ उठाने लगा और मुझे धारणा हुई कि मैं पढूँ या ना पढूँ, पास हो ही जाऊँगा ।’ प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से बताइए कि छोटा भाई किस प्रकार बड़े भाई साहब की सहिष्णुता का लाभ उठाने लगा? (1)
(i) वह सारे दिन पतंगबाजी करने लगा
(ii) उसने पढ़ाई करना बिलकुल छोड़ दिया
(iii) पतंग टूर्नामेंट की तैयारी करने लगा
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iv) ये सभी इन पंक्तियों के माध्यम से छोटा भाई बड़े भाई के नरम व्यवहार का फायदा उठाते हुए पढ़ाई-लिखाई छोड़कर अपनी मनमानी पर उतर आया। वह बड़े भाई से छिपकर दूसरे बच्चों के साथ पतंगबाजी में लग गया और पतंग टूर्नामेंट की तैयारी भी करने लगा। उसे विश्वास हो गया कि वह पढ़े न पढ़े पास हो ही जाएगा।
(ग) लेखक बड़े भाई के डर से क्या किया करता था ? (1)
(i) और अधिक खेलता था
(ii) मित्रों से नहीं मिलता था
(iii) थोड़ा-बहुत पढ़ता था
(iv) नवीन योजना बनाता था
उत्तर:
(iii) थोड़ा-बहुत पढ़ता था लेखक बड़े भाई के डर से थोड़ा-बहुत पढ़ता था। अधिकांशतः वह बड़े भाई से छिपकर दूसरे बच्चों के साथ पतंगबाजी में लग जाता था। उसे विश्वास हो गया कि वह पढ़े या न पढ़े पास तो हो ही जाएगा।
(घ) लेखक बड़े भाई साहब को किस बात का संदेह नहीं होने देना चाहता है ?
(i) अनुभव के कारण उनकी बात को जानने का।
(ii) उनका सम्मान लेखक की नज़रों में कम हो गया है।
(iii) उनकी पढ़ाई की पुस्तकें उसने फाड़ दी हैं ।
(iv) उनकी शिकायत दादा जी से कर दी है।
उत्तर:
(ii) उनका सम्मान लेखक की नजरों में कम हो गया है। लेखक बड़े भाई साहब को यह संदेह नहीं होने देना चाहता था कि उनका सम्मान लेखक की नजरों में कम हो गया है अर्थात् लेखक बड़े भाई साहब के सामने यह दिखाना नहीं चाहता था कि वह बड़े भाई का आदर व मान-सम्मान नहीं करता है।
(ङ) कथन (A) बड़े भाई साहब का व्यवहार लेखक के प्रति कुछ नरम हो गया। (1)
कारण (R) बड़े भाई साहब फिर से फेल हो गए और छोटे भाई से केवल एक कक्षा आगे रह गए।
(i) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर:
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है। बड़े भाई साहब का व्यवहार लेखक के प्रति कुछ नरम हो गया, क्योंकि बड़े भाई साहब फिर से फेल हो गए और छोटे भाई से केवल एक कक्षा आगे रह गए।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए । (2 × 3 = 6)
(क) आज सब कुछ बदल गया है। पहले जहाँ समंदर था, दूर-दूर तक घने जंगल थे, वहाँ अब बस्तियाँ बन गई हैं। इन सब बस्तियों ने अनगिनत परिंदों के घर छीन लिए हैं। आपके अनुसार बढ़ती आबादी से पर्यावरण में क्या-क्या परिवर्तन आए हैं? (2)
उत्तर:
बढ़ती हुई आबादी से पर्यावरण असंतुलित हो गया है। आवासीय स्थलों को बढ़ाने के लिए वन, जंगल यहाँ तक कि समुद्रस्थलों को भी छोटा किया जा रहा है। पशु-पक्षियों के लिए स्थान नहीं हैं। इन सब कारणों से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया है और प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ती जा रही हैं। कहीं भूकंप, कहीं बाढ़, कहीं तूफान, कभी गर्मी, कभी तेज वर्षा के कारण अनेक बीमारियाँ हो रही हैं। इस तरह पर्यावरण के असंतुलन का जन जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है। बढ़ती जनसंख्या आज संपूर्ण विश्व के सामने एक बड़ी चुनौती है।
(ख) शाम को लेखक के मित्र उसे ‘टी सेरेमनी’ में ले गए। चाय पीने की यह एक विधि है। इसे जापान में चा-नो-यू कहते हैं। ‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ पाठ के आधार पर बताइए कि यह विधि क्या होती है तथा चाजीन ने किस प्रकार चाय तैयार की? (2)
उत्तर:
‘टी-सेरेमनी’ जापान में चाय पीने की एक विधि है। जापान में इसे चा-नो-यू कहते हैं। इस विधि में शांति को प्रमुखता दी जाती है, इसलिए चाय पीने के स्थान पर एकसाथ तीन लोगों से अधिक को प्रवेश नहीं दिया जाता है। एक बहुमंजिला इमारत की छत पर दफ्ती की दीवारों तथा चटाई जमीन वाली एक सुंदर पर्णकुटी होती है। बाहर मिट्टी के बर्तन में पानी भरा होता है। हाथ-पैर धोकर और तौलिए से पोंछकर अंदर प्रवेश किया जाता है।
चाजीन (जापानी विधि से चाय पिलाने वाला) अँगीठी सुलगाकर चाय तैयार करता है। बर्तन तौलिए से साफ करके चाय को प्यालों में डालकर अतिथि के सामने लाता है। प्याले में दो घूँट से ज्यादा चाय नहीं होती, वहाँ होठों से प्याला लगाकर बूंद-बूंद करके चाय पी जाती है। करीब डेढ़ घंटे तक यह सिलसिला जारी रहता है।
(ग) बुजुर्गों द्वारा दी गई सीख भविष्य निर्माण में किस प्रकार सहायक होती है? ‘अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए । (2)
उत्तर:
‘अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर कहा जाए, तो प्राचीनकाल की एक कहावत है ” नींव जितनी मजबूत होगी, इमारत भी उतनी मजबूत होगी” अर्थात् इमारत की मजबूती नींव की ईंट पर टिकी होती है। बुजुर्ग भी हमारे परिवार की नींव हैं। बुजुर्ग व्यक्ति अपनी उपस्थिति केवल शारीरिक रूप से ही नहीं दर्शाते, बल्कि अपने वर्षों के अनुभवों को सीख के रूप में प्रसादस्वरूप सभी को बाँटते हैं। क्षमता अनुसार हरसंभव सहायता करते हैं। आज संवेदनहीन समाज में यदि नैतिक मूल्यों को जीवंत रखना है, तो बच्चों पर बुजुर्गों की छत्रछाया अनिवार्य है।
(घ) पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था ? ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए । (2)
उत्तर:
पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में अंतर यह था कि एक तरफ पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था, जिसमें लिखा था कि अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती, जो लोग काम करने वाले थे उन सभी को इंस्पेक्टरों के द्वारा नोटिस और सूचना दे दी गई थी कि आप यदि सभा में भाग लेंगे तो दोषी समझे जाएँगे। इधर कौंसिल की तरफ से नोटिस निकल गया था कि मोनुमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए । (1 × 5 = 5)
गिरि का गौरव गाकर झर-झर
मद में नस-नस उत्तेजित कर
मोती की लड़ियों से सुंदर
झरते हैं झाग भरे निर्झर !
गिरिवर के उर से उठ उठ कर
उच्चाकाँक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर |
(क) झरने की आवाज सुनकर कवि की नस नस में जोश भर जाता है। इससे ज्ञात होता है कि कवि ……..है |
(i) उदासीन
(ii) उत्साही
(iii) उमंग से भरपूर
(iv) (ii) और (iii) दोनों
उत्तर:
(iv) (ii) और (iii) दोनों झरने की आवाज सुनकर कवि की नस-नस में जोश भर जाता है। इससे ज्ञात होता है कि कवि उत्साही और उमंग से भरपूर है।
(ख) पर्वतों से बहने वाले झरनों की आवाज सुनकर कवि को कैसा लगता है?
(i) मानो वे पर्वतों का गुणगान कर रहे हों
(ii) मानो वे अपनी सुंदरता का गुणगान कर रहे हों
(iii) मानो वे संसार में सबसे अधिक शक्तिशाली हों
(iv) मानो उनके समान कोई दूसरा न हो
उत्तर:
(i) मानो वे पर्वतों का गुणगान कर रहे हों पर्वतों से बहने वाले झरनों की आवाज को सुनकर कवि को ऐसा लगता है मानो वे पर्वतों का गुणगान कर रहे हों।
(ग) झाग भरा किसे कहा गया है? (1)
(i) बादल को
(ii) निर्झर को
(iii) गिरि को
(iv) नभ को
उत्तर:
(ii) निर्झर को जब पर्वत से झरने में से होता हुआ पानी नीचे गिरता है तो वह झागों से युक्त होता है इसलिए कवि ने निर्झर को झाग भरा कहा है।
(घ) पेड़ शांत आकाश को किस प्रकार निहार रहे हैं?
कारण (R) पेड़ों के मन में ऊँची आकांक्षाएँ छिपी हैं और वे आकाश के रहस्यों को जानना चाहते हैं।
(i) ऊँचा उठकर
(ii) बिना पलक झपकाए
(iii) प्रसन्न भाव से
(iv) निराशापूर्ण भाव से
उत्तर:
(ii) बिना पलक झपकाए पेड़-पौधे शांत आकाश को बिना पलक झपकाए, अटल और कुछ चिंता में डूबे हुए से झाँक रहे हैं। इन्हें देखकर ऐसा लगता है, जैसे वे आकाश के रहस्यों को जानना चाहते हों।
(ङ) कथन (A) पहाड़ों पर उगे पेड़ शांत आकाश को निहार रहे हैं।
कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(i) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत हैं।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, किंतु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है। प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने पर्वतों पर उगे पेड़ों की ऊँचाइयों और उनकी आकांक्षाओं का चित्रण किया है। पेड़ बिना पलक झपकाए शांत आकाश को देख रहे हैं, मानो वे आकाश के रहस्यों को जानने के इच्छुक हों। उनकी ऊँचाइयों उनकी आकांक्षाओं को दर्शाती हैं, जो आकाश तक पहुँचने का प्रतीक है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए। (2 × 3 = 6)
(क) कवि ने लक्ष्मण रेखा को माध्यम बनाकर कौन-सी बात कही थी? ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
कवि ने लक्ष्मण रेखा को माध्यम बनाकर स्पष्ट किया है कि हमारी मातृभूमि हमारी सीता माँ है, जिसे कोई रावणरूपी विदेशी आक्रमणकारी छू न पाए, उस पर कब्जा या नियंत्रण न कर सके। वे भारत की भूमि पर नापाक इरादों से कदम न रख सकें। हमें अपनी सीता रूपी मातृभूमि की ‘राम’ एवं ‘लक्ष्मण’ बनकर रक्षा करनी होगी।
(ख) कवि के अनुसार, मनुष्य की मृत्यु गौरवशाली होनी चाहिए। ‘मनुष्यता’ पाठ के आधार पर गौरवशाली मृत्यु किसे कहा गया है?
उत्तर:
कवि के अनुसार, मृत्यु गौरवशाली होनी चाहिए। मनुष्य को मृत्यु से भयभीत न होने की बात इसलिए कही गई है, क्योंकि मानव जीवन क्षणभंगुर है, जब जन्म हुआ है, तो मृत्यु भी अवश्य होगी। जब मृत्यु ही अंतिम सत्य है और इस सत्य को कोई झुठला नहीं सकता है अर्थात् उसे मृत्यु का वरण करना ही पड़ेगा, तो मनुष्य को मृत्यु से नहीं घबराना चाहिए। इसे ही गौरवशाली मृत्यु कहा गया है।
(ग) मीरा की विरह की व्याकुलता का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ।
उत्तर:
मीराबाई के विरह वर्णन में स्पष्ट रूप से प्रेम में तड़पते हुए अपने प्रेमी की प्रतीक्षा करने का सजीव चित्रण है। वह श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए तड़पती रहती हैं। वह विरह में इतनी व्याकुल हैं कि अपने प्रेमी से मिलने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। वह अर्द्ध-रात्रि के समय श्रीकृष्ण से यमुना नदी के किनारे मिलने की विनती करती हैं। यहाँ तक कि वह उनकी सेविका बनने को भी तैयार हैं। मीरा श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए कुसुम्बी (लाल रंग वाली) साड़ी पहनने को तैयार हैं। मीरा के काव्य में विरह वेदना की अनुभूति अपनी चरम सीमा पर है।
(घ) ‘आत्मत्राण’ शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
कविता का शीर्षक ‘आत्मत्राण’ हमें बताता है कि जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थितियाँ आएँ हमें उनका आनन्द और कृतज्ञता के साथ सामना करना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में आत्मबल, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता नहीं खोनी चाहिए अथवा दीन दुःखी व असहाय की भाँति रुदन नहीं करना चाहिए । ‘आत्मत्राण’ शीर्षक से एक ऐसी प्रार्थना का प्रकटीकरण या उदय होना प्रतीत होता है, जिससे समस्या, दुःख और हानि से स्वयं की रक्षा की जा सके।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40-50 शब्दों में दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) दो साल लगातार फेल होने पर अब्दुल वहीद ने टोपी को ऐसी तीखी बात बोली कि टोपी ने इस वर्ष पास होने की कसम खा और हुआ भी यही असफलता के परिणामस्वरूप मनुष्य में परिवर्तन आता है। अपने जीवन की किसी घटना का उल्लेख ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आधार पर कीजिए । (3)
उत्तर:
‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आधार पर यह कथन पूरी तरह सत्य है कि असफलताएँ हमें जीवन में बहुत कुछ सीखने का अवसर प्रदान करती हैं। असफल होने के बाद व्यक्ति के अंदर कुछ परिवर्तन आता है। प्रस्तुत पाठ में टोपी शुक्ला के माध्यम से भी यही दर्शाया गया है कि असफल होने के बाद टोपी शुक्ला सफलता प्राप्त करने के लिए दोगुना प्रयास करता है। असफलता की पीड़ा उसे सफलता प्राप्त करते रहने को प्रेरित करती है।
मुझे याद है जब मैं आठवीं कक्षा में थी, तो अपनी कक्षा में अनुत्तीर्ण हो गई थी, जिसके कारण मेरे सभी दोस्तों एवं पड़ोसियों ने मेरा काफी मजाक उड़ाया। स्थिति इतनी बदतर लगने लगी थी कि मैंने घर से निकलना भी काफी कम कर दिया था। मैं अपने दोस्तों के साथ खेलने भी नहीं जाती थी । इसका परिणाम यह हुआ कि मैं अंतर्मुखी बनने लगी। मुझे लोगों के बीच जाना अच्छा नहीं लगता था । एक दिन मेरी माँ ने मुझे बहुत समझाया और जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। मैंने इतनी मेहनत से पढ़ाई की कि अगले वर्ष की परीक्षा में मैं अपनी कक्षा में प्रथम आई ।
(ख) लेखक के अनुसार, बचपन में सभी बच्चों का एक जैसा हाल होता है। मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे छोटी-छोटी गलियों में कूदते-फिरते तथा भागने दौड़ने पर हाथ-पैर छिलने पर कोई परवाह नहीं करते, बल्कि परिवार वालों से डाँट ही पड़ती थी । ‘सपनों के से दिन’ पाठ के आधार पर बताइए कि वर्तमान समय में बच्चों के बचपन में तथा अभिभावकों के व्यवहार में क्या परिवर्तन आ गया है? (3)
उत्तर:
वर्तमान समय में बच्चों के बचपन में तथा अभिभावकों के व्यवहार में परिवर्तन आया है। खैलकूद से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। खेलकूद विद्यार्थी को कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलने की तरकीबें सिखाता है । खेलकूद से बच्चों में अनुशासन की वृद्धि होती है।
खेलकूद के माध्यम से विद्यार्थी मानसिक एवं शारीरिक तौर पर स्वयं को स्वस्थ महसूस करता है। कहा भी जाता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास संभव है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि प्रत्येक अभिभावक का अपने बच्चों के प्रति यह कर्त्तव्य होना चाहिए कि वे उन्हें पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ खेलने-कूदने के अवसर से वंचित न करें।
(ग) “हरिहर काका एक नए शोषित वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में दिखाई देते हैं,” इस कथन पर अपने तर्क प्रस्तुत करते हुए विचार व्यक्त कीजिए । (3)
उत्तर:
हरिहर काका समाज के उस वृद्ध व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे संपत्ति के लालच में परिवार के सदस्य तथा धर्माचारी व्यक्ति अपनी स्वार्थ वृत्ति को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं। वृद्ध व्यक्ति हमारे समाज के अत्यंत सम्मानित एवं आवश्यक अंग हैं। इसलिए समाज का यह उत्तरदायित्व है कि वह वृद्धों को उचित मान दें तथा उनसे प्रेम भरा अपनापन युक्त व्यवहार करें। प्रस्तुत पाठ में हरिहर काका के भाई उनकी संपत्ति के लिए उनकी जान लेने पर उतर आते हैं, तो पुलिस-प्रशासन सुरक्षा देने के नाम पर उनका शोषण कर रही है। सामाजिक व्यवस्था में सर्वाधिक पवित्र मानी जाने वाली धार्मिक संस्थाओं का चरित्र भी ठाकुरबारी और महंत की गतिविधियों से स्पष्ट हो जाता है। शोषण करने में वे कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। इस तरह संपत्ति एवं अधिकार संपन्न तथा स्वतंत्र होते हुए भी हरिहर काका परिवार, धर्म एवं समाज द्वारा शोषित एक नए वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में दिखाई देते हैं।
खंड ‘घ’ (रचनात्मक लेखन) (22 अंक)
इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।
(क) डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
संकेत बिंदु
- पारिवारिक स्थिति
- शिक्षा
- उपलब्धियाँ
उत्तर:
डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
भारत भूमि ऋषि-मुनियों और अनेक कर्मवीरों की भूमि है। यहाँ अनेक महापुरुषं पैदा हुए हैं। इन्हीं में एक नाम है – डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम । देश उन्हें जनता के राष्ट्रपति के नाम से जानता है। डॉ. अब्दुल कलाम हमेशा अपनी सादगी और अनुशासन के लिए जाने जाते हैं। डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम् नामक कस्बे में हुआ था। इनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन और माता का नाम अशियम्मा था।
डॉ. कलाम की प्रारंभिक शिक्षा तमिलनाडु में हुई। इसके बाद वे रामनाथपुरम् के स्कूल में गए। अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अखबार वितरित करने का कार्य भी किया था। कलाम ने वर्ष 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।
वर्ष 1972 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े। वहाँ इन्हें भारत का पहला स्वदेश उपग्रह (S. L. V. III) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश भाग अनुसंधान को समर्पित कर दिया । परमाणु क्षेत्र में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता है। उनके नेतृत्व में 1 मई, 1998 का प्रसिद्ध पोखरण परीक्षण किया गया। वह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। मिसाइल कार्यक्रम को नई ऊँचाई तक ले जाने के कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ कहा जाता है।
18 जुलाई, 2002 को कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा भारत का राष्ट्रपति चुना गया और इन्हें 25 जुलाई, 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई।
डॉ. कलाम ने बड़े ही परिश्रम से परमाणु एवं अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाई तक पहुँचाया। उसके लिए वर्ष 1997 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ष 1981 में ‘पद्म विभूषण’ एवं वर्ष 1990 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया। ‘भारत रत्न’ से सम्मानित होने वाले वे देश के तीसरे वैज्ञानिक हैं। इसके साथ ही उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाजा गया; जैसे- इंदिरा गाँधी अवार्ड, वीर सावरकर अवार्ड आदि ।
(ख) परिश्रम का महत्त्व
संकेत बिंदु
- परिश्रम से ही सब कुछ संभव
- अथक प्रयास
- परिश्रम ही भाग्य
उत्तर:
परिश्रम का महत्त्व
परिश्रम सफलता की कुंजी है, जो व्यक्ति परिश्रमी है तथा जो समय का सदुपयोग करना जानता है, सफलता दासी बनकर उसके कदम चूमती है। भाग्यवादी और अकर्मण्य लोग भाग्य के भरोसे बैठे रहते हैं, उन्हें बात-बात पर दूसरों का मुँह देखना पड़ता है । परिश्रमी व्यक्ति आसमान् छू सकता है। वह चट्टानों से भी टकरा सकता है। वह चंद्रतल की यात्रा कर सकता है और अंतरिक्ष की सैर कर सकता है। वह पर्वतों और खाइयों के मध्य से रास्ता बना सकता है। मानव जीवन तो संघर्षों के लिए है, जो प्राणी संघर्ष और परिश्रम से जी चुराता है, वह मूर्ख है । चींटी भी श्रम करके खाती है, शेर को भी शिकार करना पड़ता है। कर्मठ मनुष्य सदैव कार्य में जुटा रहता है।
वह सर्दी-गर्मी, लू और ओले की परवाह नहीं करता है। परिश्रम के उपरांत जब सफलता प्राप्त होती है, तो मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है, उसे आत्मसंतुष्टि मिलती है। कुछ लोग परिश्रम की अपेक्षा भाग्य को महत्त्व देते हैं। उनका कहना है कि भाग्य में जो है वह अवश्य मिलेगा, दौड़ धूप करना व्यर्थ है। यह तर्क निराधार है। यह ठीक है कि भाग्य का भी हमारे जीवन में महत्त्व है, लेकिन आलसी बनकर बैठे रहना और सफलता के लिए भाग्य को कोसना किसी प्रकार उचित नहीं । वेदवाणी में कहा गया है, बैठने वाले का भाग्य भी बैठ जाता है और खड़े होने वाले का भाग्य भी खड़ा हो जाता है। इसलिए स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था, ‘उठो जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको। परिश्रम के बल पर मनुष्य भाग्य की रेखाओं को भी बदल सकता है।
परिश्रमी व्यक्ति ईमानदार, सत्यवादी, चरित्रवान और सेवाभाव से युक्त होता है, जो व्यक्ति परिश्रम करता है, सफलता उसके चरण चूमने लगती है। इसके विपरीत परिश्रम न करने वाला व्यक्ति जीवनभर कष्ट उठाता रहता है। अत: हमें परिश्रम करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
(ग) जी-20 शिखर सम्मेलन
संकेत बिंदु
- आवश्यकता
- महत्त्व
- भारत पर प्रभाव
उत्तर:
जी-20 शिखर सम्मेलन
जी-20 शिखर सम्मेलन, एक अंतरसरकारी संगठन है। इसमें यूरोपीय संघ और अन्य 19 देश सम्मिलित हैं। G-20 शिखर सम्मेलन वैश्विक आर्थिक विकास और कल्याण सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा अग्रणी और विकसित अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ने वाले एक महत्त्वपूर्ण बहुपक्षीय मंच के रूप में कार्य करता है। इसमें विशेष बजट और सुरक्षा व्यवस्था की जाती है।
जी-20 शिखर सम्मेलन की आवश्यकता विभिन्न राष्ट्रों के बीच सहयोग और समझौते की बढ़ती जरूरत को दर्शाती है। विभिन्न देशों के नेता यहाँ अपने विचार-विनिमय करके आपसी सहमति बना सकते हैं और आपसी समझदारी से विश्व शांति बनाए रख सकते हैं।
जी-20 शिखर सम्मेलन का महत्त्व विश्व स्तर पर व्यापक प्रभाव डालता है। यहाँ होने वाली चर्चाएँ और निर्णय विभिन्न देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में सहायक हो सकते हैं, जिससे ग्लोबल समस्याओं के समाधान में मदद मिल सकती है। इससे विश्व की अर्थव्यवस्था, वाणिज्यिक व्यापार और राजनीतिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जो एक सामंजस्य और सशक्त विश्व की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।
जी-20 शिखर सम्मेलन भारत के लिए भी एक अद्भुत अवसर है। अपनी बात रखने, विचार-विमर्श करने और आपसी मुद्दों पर अपने प्रतिस्पद्ध देशों को सुनाने का विशेष मंच है। यह देश को विश्व में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका देने में मदद कर सकता है और सहमति के माध्यम से विश्व शांति और सहयोग की दिशा में काम कर सकता है।
इससे भारत विभिन्न विषयों में सहयोग कर सकता है, जैसे – व्यापार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा वाणिज्यिक सहयोग । इससे भारत अपनी अधिकारिक स्थिति को बढ़ा सकता है और विश्व नैतिकता और समरसता की दिशा में एक अहम भूमिका निभा सकता है।
प्रश्न 13.
भारतीय स्टेट बैंक के शाखा प्रबंधक को निजी उच्च शिक्षण संस्थान में इंजीनियरिंग के अध्ययन हेतु शिक्षा ऋण प्राप्ति के लिए एक आवेदन-पत्र लिखिए। (शब्द – सीमा लगभग 100 शब्द)
अथवा
आपने बंगलुरु में रहने वाले अपने मित्र को जन्मदिन के उपहार का पार्सल स्पीड पोस्ट से भेजा, जो उसे नहीं मिला। इस संबंध में डाक अधीक्षक को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए | (5)
उत्तर:
परीक्षा भवन
नई दिल्ली।
दिनांक 20 जुलाई, 20XX
सेवा में,
श्रीमान शाखा प्रबंधक,
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया,
अजमेरी गेट,
नई दिल्ली।
विषय : उच्च शिक्षण संस्थान में इंजीनियरिंग के अध्ययन के लिए ऋण प्राप्ति हेतु ।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि मेरा नाम राघव है, मैं एक छात्र व आपकी बैंक शाखाका खाताधारक हूँ। मेरा बचत खाता संख्या 31XXXXX है। मैंने इस वर्ष बारहवीं कक्षा में 95.5% अंक प्राप्त किए हैं। मैं भविष्य में इंजीनियर बनना चाहता हूँ, जिसके लिए मुझे अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए ऋण की आवश्यकता है।
वर्तमान समय में मुझे कॉलेज की फीस देने के लिए 2 लाख रुपये की आवश्यकता है, जोकि मैं आपके बैंक से ऋण के रूप में प्राप्त करना चाहता हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मेरा इंजीनियरिंग का अध्ययन पूरा होने के बाद मैं आपको ऋण अदा कर दूँगा।
अतः आपसे निवेदन है कि आप मुझे शीघ्र अति शीघ्र ऋण प्रदान कराने की कृपा करें, जिससे मैं निजी उच्च शिक्षण संस्थान में इंजीनियरिंग के अध्ययन के लिए अपनी फ़ीस जमा कर सकूँ। इसके लिए मैं सदैव आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद ।
प्रार्थी
राघव
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक 10 मई, 20XX
सेवा में,
स्पीड पोस्ट अधीक्षक,
जनरल पोस्ट ऑफिस,
इंदरलोक,
नई दिल्ली।
विषय : पार्सल न पहुँचने की शिकायत हेतु ।
मान्यवर,
मैंने विगत 20 दिन पहले स्पीड पोस्ट से अपने मित्र के लिए, जोकि बंगलुरु में रहता है, जन्मदिन के अवसर पर उपहार स्पीड पोस्ट के द्वारा भेजा था, जिसका पंजीकरण संख्या EPOO12310 है। मैं आपको अवगत कराना चाहता हूँ कि यह पार्सल अभी तक उसे प्राप्त नहीं हुआ है। पता नहीं किसी डाक विभाग के कर्मचारी की लापरवाही के कारण ऐसा हुआ है।
अतः आपसे निवेदन है कि आप शीघ्र अति शीघ्र इस विषय में संज्ञान लें और मुझे सूचित करें, जिससे मैं इसे दोबारा से भेज सकूँ। मुझे आशा है। कि आप मेरी इस परेशानी का शीघ्र ही समाधान करेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय
क. ख. ग.
प्रश्न 14.
आप वित्त मंत्रालय, भारत सरकार में कार्यरत हैं। एक विभागीय समारोह के पश्चात् आपको वहाँ एक मोबाइल फ़ोन गिरा हुआ मिला। इससे संबंधित सूचना 60 शब्दों में लिखिए।
अथवा
रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित योग शिविर के बारे में एक सार्वजनिक सूचना 60 शब्दों में लिखिए |
उत्तर:
वित्त मंत्रालय, भारत सरकार
सूचना
दिनांक : 19 फरवरी, 20XX
मोबाइल फोन पाने के संबंध में
सभी को सूचित किया जाता है कि 17 फरवरी, 20XX को विभागीय समारोह के पश्चात् मुझे किसी का एक मोबाइल फोन गिरा हुआ मिला। वह काले रंग का सैमसंग जे 7 प्राइम फोन है। यह जिस किसी का भी मोबाइल है वह वित्त मंत्रालय कार्यालय के कमरा नं. 16 से प्राप्त कर सकता है।
धन्यवाद।
रंजन कुमार
वित्त मंत्रालय, भारत सरकार
अथवा
रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन, नई दिल्ली
सूचना
दिनांक : 22 फरवरी, 20XX
योग शिविर आयोजन
सभी क्षेत्रवासियों को सूचित किया जाता है कि रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से आपके कमला नगर नेहरू पार्क में दिनांक 25 फरवरी, 20XX सुबह 6:00 से 8:00 बजे तक योग शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इच्छुक क्षेत्रवासी समय पर उपस्थित होकर योग का लाभ उठाएँ ।
धन्यवाद ।
अध्यक्ष प्रताप नारायण शास्त्री
रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन
प्रश्न 15.
शूज़ कंपनी के मालिक की ओर से शूज़ की सेल का विज्ञापन 40 शब्दों में लिखिए | (3)
अथवा
बाढ़ पीड़ितों की मदद हेतु एक निजी संस्था की ओर से 40 शब्दों में विज्ञापन लिखिए ।
उत्तर:
अथवा
प्रश्न 16.
आप कुलदीप वर्मा/सौम्या वर्मा हैं। बैंकिंग सेवा भर्ती बोर्ड, नई दिल्ली के सचिव को लिपिक पद के लिए अपनी योग्यताओं का विवरण देते हुए लगभग 80 शब्दों में एक ई-मेल लिखिए ।
अथवा
‘आगे कुआँ पीछे खाई’ उक्ति को आधार बनाकर लगभग 100 शब्दों में एक लघुकथा लिखिए। (5)
उत्तर:
From : [email protected]
To : Clerical secretary @gmail.com
CC : [email protected]
BCC : –
विषय लिपिक पद की भर्ती हेतु ।
महोदय,
हिंदी के ‘नवभारत टाइम्स’ में प्रकाशित विज्ञान क्रं. 1442 के अनुसार, मैं लिपिक पद के लिए आवेदन कर रही हूँ। मेरी शैक्षणिक योग्यता व अन्य विवरण को मैंने ई-मेल के साथ अटैच किया है। मैं आपके द्वारा जारी की गई सभी योग्यताओं को पूर्ण करती हूँ। अतः मेरी शैक्षणिक व अन्य योग्यताओं को दृष्टिगत रखते मुझे इस पद पर कार्य करने का अवसर प्रदान करने की कृपा करें।
धन्यवाद ।
प्रार्थी
सौम्या वर्मा
अटैचमेंट्स-स्ववृत्त
अथवा
उक्ति का अर्थ ” आगे कुआँ पीछे खाई” अर्थात् दोनों ओर विपत्ति का होना। यह उक्ति ऐसी स्थिति का वर्णन करती है, जहाँ चुनौतियाँ सभी ओर से आ रही हों और व्यक्ति किसी भी प्रकार की समस्या से मुक्त नहीं हो पाता । प्रस्तुत उक्ति को बेहतर समझने के लिए एक लघुकथा प्रस्तुत है। लघुकथा मेरे गाँव का एक निवासी गगनदीप किसी कार्यवश रेलगाड़ी द्वारा भोपाल जा रहा था। वह अत्यंत बहादुर था और अनेक बार अपनी वीरता के लिए प्रशस्ति पत्र प्राप्त कर चुका था।
उसकी गाड़ी दिल्ली से रवाना हुई। रात के लगभग 10 बजे जब गाड़ी चंबल के भयावह क्षेत्र से गुजर रही थी, अचानक विशाल नदी के ऊपर जाकर रुक गई। यात्री इस सुनसान माहौल में थोड़ा भयभीत थे। अचानक ही 4-5 डाकुओं ने ट्रेन पर हमला कर दिया और लूटपाट करने लगे।
गगन द्वारा विरोध करने पर डाकुओं ने उसे बंदूक से घायल कर दिया। तब भी गगन ने हौंसला दिखाते हुए, जान बचाने के उद्देश्य से अपने साथ एक यात्री को चुपचाप गाड़ी से नीचे उतार लिया। वे दोनों गाड़ी के नीचे पटरी पर थे, परंतु परेशानी यही थी कि दोनों तैरना नहीं जानते थे। तब दोनों ने पटरी-पटरी निकलने की योजना बनाई ।
सहसा ही रेलगाड़ी धीमी गति से चल पड़ी। अब उन दोनों को साक्षात् मृत्यु का आभास होने लगा था। दोनों पटरी से लटक गए। अब वे न तो नदी में कूद सकते थे और न ही गाड़ी में चढ़ सकते थे। उनकी अवस्था देखकर यह कहावत साक्षात् प्रतीत हो रही थी कि “ आगे कुआँ पीछे खाई ।”
तभी शायद किसी के सूचना देने पर क्षेत्रीय पुलिस ने आकर डाकुओं को मार भगाया और उन दोनों को भी सकुशल बचा लिया। तत्पश्चात् सभी यात्री गंतव्य स्थल की ओर रवाना हो गए।
सीख प्रस्तुत कथा से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में हमें सदैव सावधान रहना चाहिए और कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी पहलुओं पर विचार कर लेना चाहिए।