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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 8 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
निर्देश
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-‘अ’ और ‘ब’।
- खंड ‘अ’ में उपप्रश्नों सहित 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कुल 40 प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
- दोनों खंडों के कुल 18 प्रश्न हैं। दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: लिखिए।
खंड ‘अ’ (वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित गद्यांश, व्यावहारिक व्याकरण व पाठ्य-पुस्तक से संबंथित बहुविकल्पीय प्रश्न दिए गए हैं। जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
अपठित गद्यांश
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1×5=5)
चरित्र का मूल भी भावों के विशेष प्रकार के संगठन में ही समझना चाहिए। लोकरक्षा और लोकरंजन की सारी व्यवस्था का ढाँचा इन्हीं पर ठहरा है। धर्म-शासन, राज-शासन, मत-शासन सब ने इनसे पूरा काम लिया गया है।
इनका सदुपयोग भी हुआ है और दुरुपयोग भी। जिस प्रकार लोक-कल्याण के व्यापक उद्देश्य की सिद्धि के लिए मनुष्य के मनोविकार काम में लाए गए हैं, उसी प्रकार संप्रदाय या संस्था के संकुचित और परिमित विधान की सफलता के लिए भी सब प्रकार के शासन में चाहे धर्म-शासन हो, चाहे राज-शासन हो, मनुष्य-जाति से भय और लोभ से पूरा काम लिया गया है।
दंड का भय और अनुग्रह का लोभ दिखाते हुए राज-शासन तथा नरक का भय और स्वर्ग का लोभ दिखाते हुए धर्म-शासन और मत-शासन चलते आ रहे हैं। प्राय: इसके द्वारा भय और लोभ का प्रवर्तन सीमा के बाहर भी हुआ है और होता रहता है। जिस प्रकार शासक वर्ग अपनी रक्षा और स्वार्थसिद्धि के लिए भी इनसे काम लेते आए हैं, उसी प्रकार धर्म-प्रवर्तक और आचार्य अपने स्वरूप वैचित्र की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा के लिए भी शासक वर्ग अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शांति के लिए भी डराते और ललचाते आए हैं।
मत-प्रवर्तक अपने द्वेष और संकुचित विचारों के प्रचार के लिए भी कँपाते और डराते आए हैं। एक जाति को मूर्ति-पूजा करते देख दूसरी जाति के मत-प्रवर्तकों ने उसे पापों में गिना है। एक संप्रदाय को भस्म और रुद्राक्ष धारण करते देख दूसरे संप्रदाय के प्रचारकों ने उनके दर्शन तक को पाप माना है।
(क) लोकरंजन की व्यवस्था का ढाँचा आधारित है
(i) सामाजिक न्याय पर
(ii) मनुष्य के भावों के विशेष प्रकार के संगठन पर
(iii) धर्म व्यवस्था के मत पर
(iv) मनुष्य की समुचित क्रिया कर्म पर
उत्तर :
(ii) मनुष्य के भावों के विशेष प्रकार के संगठन पर प्रस्तुत गद्यांश की आरंभिक पंक्ति में स्पष्ट किया गया है कि लोकरंजन की व्यवस्था का ढाँचा मनुष्य के भावों के विशेष प्रकार के संगठन पर आधारित है। सभी भावों का उपयोग धर्म-शासन, राज-शासन तथा मत-शासन में किया जाता है।
(ख) धर्म प्रवर्तकों ने स्वर्ग-नरक का भय और लोभ क्यों दिखाया है?
(i) धर्म के मार्ग पर चलने के लिए
(ii) अपने स्वरूप वैचित्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए
(iii) अन्याय के पथ पर चल रहे लोगों को सही मार्ग दिखाने के लिए
(iv) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(ii) अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए गद्यांश के अनुसार, धर्म-प्रवर्तकों ने स्वर्ग-नरक का भय इसलिए दिखाया है, जिससे वह अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा को बनाए रख सकें। साथ ही उनके स्वार्थों की पूर्ति भी होती रहे।
(ग) गद्यांश हमें संदेश देता है
(i) समाज में भय और लालच की भावना भरकर अपनी स्वार्थसिद्धि करनी चाहिए।
(ii) भय और लालच जैसे भावों का त्याग करना चाहिए।
(iii) अपने आस-पास के वातावरण के प्रति सजग रहना चाहिए।
(iv) लोकरक्षा और लोकरंजन की सारी व्यवस्था का ढाँचा बदलना चाहिए।
उत्तर :
(ii) भय और लालच जैसे भावों का त्याग करना चाहिए गद्यांश हमें संदेश देता है कि जीवन में भय और लालच जैसे भावों का त्याग करना चाहिए, क्योंकि भय और लालच का प्रयोग करके ही शासन व्यवस्था अन्याय व अत्याचार के विरुद्ध उठने वाली आयाज को दबा सकती है और इन्हीं का सहारा लेकर मत-प्रवर्तक अपने ट्वेष और संकुचित विचारों का मचार कर पाते हैं।
(घ) किसी जाति विशेष के किन कार्यों को अन्य जाति अनिष्ट कार्य मानती है?
(i) मूर्ति पूजा करना
(ii) भस्म या रुद्राक्ष धारण करना
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) अन्य धर्म का सम्मान न करना
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों गद्यांश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी जाति विशेष को मूर्ति पूजा करते देखना तथा भस्म या रुद्राक्ष धारण करना अन्य जातियों के प्रवर्तकों के लिए अनिष्ट कार्य हैं।
(ङ) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) शासन व्यवस्था भय और लालच का सहारा लेती है।
कारण (R) शासक वर्ग अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शांति के लिए प्रयास करते हैं।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, कितु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, लेकिन कारण (R) कथन (A) की गलत व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) , कथन (A) की सही व्याख्या करता है गद्यांश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि शासन व्यवस्था समय-समय पर अपनी रक्षा, स्वार्थसिद्धि और अपने द्वारा किए गए अन्याय व अत्याचार के विरोध की शांति के लिए भय और लालच का सहारा लेती आई है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1×5=5)
युगों-युगों से मानव इस धरती पर आसरा लिए हुए हैं। प्रत्येक युग प्रतिक्षण परिवर्तित हुआ है, इसलिए कहा गया है कि समय परिवर्तनशील है, जो आज हमारे साथ नहीं है, कल हमारे साथ होंगे और हम अपने दु:ख और असफलता से मुक्ति पा लेंगे, यह विचार ही हमें सहजता प्रदान कर सकता है। हम दूसरे की संपन्नता, ऊँचा पद और भौतिक साधनों की उपलब्धता देखकर विचलित हो जाते हैं कि यह उसके पास तो है, किंतु हमारे पास नहीं है, वह हमारे विचारों की गरीबी का प्रमाण है और यही बात अंदर विकट असहज भाव का संचालन करती है।
जीवन में सहजता का भाव न होने के कारण से अधिकतर लोग हमेशा ही असफल होते हैं। सहज भाव लाने के लिए हमें नियमित रूप से योगासन-प्राणायाम और ध्यान करने के साथ-साथ ईश्वर का स्मरण अवश्य करना चाहिए। इसमें हमारे तन-मन और विचारों के विकार बाहर निकलते हैं और तभी हम सहजता के भाव का अनुभव कर सकते हैं। याद रखने की बात है कि हमारे विकार ही हमारे अंदर असहजता का भाव उत्पन्न करते हैं। ईर्ष्या-द्वेष और परनिंदा जैसे गुण हम अनजाने में ही अपना लेते हैं और अंतत: जीवन में हर पल असहज होते हैं। उससे बचने के लिए आवश्यक है कि हम अध्यात्म के प्रति अपने मन और विचारों का रुझान रखें।
(क) मनुष्य का वैचारिक गरीबी से क्या तात्पर्य है?
(i) दूसरों की संपन्नता से विचलित होना
(ii) दूसरों के ऊँचे पद से विचलित होना
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) योगासन से विचलित होना
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों मनुष्य की वैचारिक गरीबी से तात्पर्य है- मनुष्य का दूसरों की संपन्नता, ऊँचा पद आदि देखकर विचलित हो जाना और यह सोचना कि यह सब उसके पास क्यों नहीं है।
(ख) ‘हमें नियमित रूप से योगासन-प्राणायाम और ध्यान करने के साथ-साथ ईश्वर का स्मरण अवश्य करना चाहिए।’ पंक्ति के माध्यम से लेखक जीवन में …………………लाने की प्रेरणा दे रहे हैं।
(i) सहज भाव
(ii) असहज भाव
(iii) ईर्ष्या भाव
(iv) द्वेष भाव
उत्तर :
(i) सहज भाव गद्यांश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि जीवन में वहीं लोग सफल होते हैं, जो सहज भाव धारण करते हैं और सहज भावों को धारण करने के लिए हमें नियमित रूप से योगासन-प्राणायाम और ध्यान करने के साथ-साथ ईश्वर का स्मरण करना चाहिए।
(ग) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. समय परिवर्तनशील होता है।
2. सहजता का भाव रखने वाले लोग जीवन में हमेशा असफल होते हैं।
3. इंख्या, द्वेष और परनिंदा जैसे गुण हमें असहज बनाते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/ हैं?
(i) केवल 1
(ii) 1 और 2
(iii) 1 और 3
(iv) 2 और 3
उत्तर :
(iii) 1 और 3 गद्यांश के अनुसार, क्थन 1 और 3 सही हैं। समय परिवर्तनशील होता है और यह विचार ही हमें सहजता प्रदान कर सकता है। ईर्था, द्वेष और परनिंदा जैसे गुण हमें असहज बनाते हैं। सहजता का भाव रखने वाले लोग जीवन में हमेशा सफल होते हैं।
(घ) निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द गयांश में दिए गए ‘असहज’ शब्द के सह़ी अर्थ को दर्शाता है?
(i) स्वाभाविक
(ii) विश्रंखल
(iii) अकृच्छ
(iv) निरायास
उत्तर :
(ii) विशृंखल गद्यांश में दिए गए ‘असहज’ शब्द का सही अर्थ है- विश्रृंखल।
(ङ) निम्नलिखित में से किस कथन को गद्यांश की सीख के आधार पर कहा जा सकता है?
(i) संगठन में शक्ति होती है
(ii) जीवन में सहजता का भाव आवश्यक है
(iii) कर भला हो भला
(iv) कोई भी निर्णय लेने से पहले सोचें
उत्तर :
(ii) जीवन में सहजता का भाव आवश्यक है गद्यांश हमें यह सीख देता है कि जीवन में सहजता का भाव आवश्यक है, क्योंकि जीवन में सहजता का भाव न होने के कारण अधिकतर लोग हमेशा असफल हो जाते हैं। इसके लिए अध्यात्म के प्रति अपने मन और विचारों का रूझान करना चाहिए।
व्यावहारिक व्याकरण
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘पदबंध’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4=4)
(क) ग्वालियर से मुंबई की दूरी ने काफी कुछ बदल दिया है। रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संज्ञा पदबंध
(ii) सर्वनाम पद्बंध
(iii) विशेषण पद्बंध
(iv) क्रिया पद्बंध
उत्तर :
(ii) सर्वनाम पद्बंध
(ख) फैलते हूए प्रदूषण ने पंघ्यियों को बस्तियों से भगाना शुरू कर दिया। रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संज्ञा पद्बंध
(ii) सर्वनाम पद्बंध
(iii) विशेषण पदर्वंध
(iv) क्रिया पदर्वंध
उत्तर :
(i) संज्ञा पद्बंध
(ग) उसने तताँरा को तरह-तरह से अपमानित किया। रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संझ्ञा पद्बंध
(ii) सर्वनाम पद्वंध
(iii) विशेषण घदबंध
(iv) ड्रिया-विशेषण पदबंध
उत्तर :
(iv) ड्रिया-विशेषण पदबंध
(घ) विशेषण पदबंध का उदाहरण छाँटिए
(i) कभी मेरी लाइबेरी में घुसकर कबीर या मिर्जा गालिब को सताने लगते हैं।
(ii) शुद्ध आदर्श भी शुद्ध सोने के जैसे ही होते है।
(iii) समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगो का ही दिया हुआ है।
(iv) हमारे जीवन की रफ्तार बढ़ गई है।
उत्तर :
(ii) शुद्ध आदर्श भी शुद्ध सोने के जैसे ही होते है।
(ङ) आग और पानी के देवता भी उसके दास थे, मगर उसका अंत क्या हुआ? इस वाक्य में संज़ा पदबंध है
(i) आग और पानी के देवता
(ii) देवता भी उसके दास हे
(iii) उसका अंत क्या हुआ?
(iv) दास थे, मगर उसका
उत्तर :
(i) आग और पानी के देवता
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकत्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) ‘फिर तेज कदमों से चलती हुई ततौरारा के सामने आकर ठिठक गई।’ इस वाक्य का संयुक्त वाक्य होगा
(i) फिर तेज कदमों से चलती हुई आई और तताँरा के सामने आकर डिटक गई।
(ii) तेज कदमों से चलती हुई आई फिर तताँरा के सामने आकर ठिठक गई।
(iii) जब तेज कदमों से चलती हुई आई तब्ब तताँरा के सामने आकर विठक गई।
(iv) जैसे ही तेज कदमों से चलती हुई आकर तताँचा के सामने आकर ठिठक गई।
उत्तर :
(i) फिर तेज कदमों से चलती हुई आई और तताँरा के सामने आकर डिटक गई।
(ख) ‘दो सौ आदमियों का जुलूस लाल बाजार जाकर गिरफ्तार हो गया।’ रचना के आधार पर वाक्य भेद है
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिभ्रित वाक्य
(iv) विधानवाचक वाक्य
उत्तर :
(i) सरल वाक्य
(ग) ‘मैं मंदिर भी जाऊँगा और भजन भी सुनूंगा।’ रचना के आधार पर वाक्य भेद है
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्रित वाक्य
(iv) सामान्य वाक्य
उत्तर :
(ii) संयुक्त वाक्य
(घ) ‘रीति के अनुसार, यह आवश्यक था कि दोनो एक ही गाँब के हों।’ इस वाक्व का सरल वाक्य होगा
(i) दोनों एक ही गाँव के हों और रीति के अनुसार यह आवश्वक था।
(ii) रीति के अनुसार, दोनों का एक ही गाँच का होना आवश्यक था।
(iii) जैसे कि रीति के अनुसार, यह आवश्यक था और दोनों एक ही गाँव के हों।
(iv) जहाँ रीति के अनुसार, यह आवश्यक था, वहाँ दोनों एक ही गाँव के हों।
उत्तर :
(ii) रीति के अनुसार, दोनों का एक ही गाँच का होना आवश्यक था।
(ङ) निम्नलिखित वाक्यों में से मिश्र वाक्य है
(i) जीवन में पहली बार ऐसी हुआ कि मैं इस तरह विचलित हो गया।
(ii) भाई साहब उपदेश देने की कला मे निपुण थे।
(iii) नूह ने दु;खी होकर उसकी बात सुनी और मुद्दत तक रोते रहे।
(iv) आपान में चाय पीने की विधि को ‘चा-नो-खू’ कहते हैं।
उत्तर :
(i) जीवन में पहली बार ऐसी हुआ कि मैं इस तरह विचलित हो गया।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘समास’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) ‘जन्मभूमि’ समस्तपद कौन-से समास का उदाहरण है?
(i) द्विगु समास
(ii) कर्मधारय समास
(iii) तत्पुरुप समास
(iv) बहुब्रीहि समास
उत्तर :
(ii) कर्मधारय समास
(ख) ‘शाखामृग समस्तपद का विग्रह होगा
(i) शाखाओं पर दौड़ने वाला मृग
(ii) शाखा और मृग
(iii) शाघा रूपी मृग
(iv) शाखाओं के समान है जो मृग
उत्तर :
(i) शाखाओं पर दौड़ने वाला मृग
(ग) निम्नलिखित युग्मों पर वियार कीजिए
समस्तपद — समास
1. देशभक्ति — कर्मधारय समास
2. तिरंगा — बहुब्रीहि समास
3. आजन्म — अव्ययीभाव समास
4. लंबोदर — द्वाद्व समास
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?
(i) 1 और 2
(ii) 2 और 3
(iii) 2 और 4
(iv) 3 और 4
उत्तर :
(ii) 2 और 3
(घ) ‘तुलसीकृत’ का सही समास विग्रह व समास क्या होगा?
(i) तुलसी द्वारा रंचित-तत्पुरुष समास
(ii) तुलसी के लिए रचित-तत्पुरुष समास
(iii) वुलसी की रचित-कर्मधारय समास
(iv) तुलसी में रचित-अव्ययीभाव समास
उत्तर :
(i) तुलसी द्वारा रंचित-तत्पुरुष समास
(ङ) “चंद्रशेखर’ का समास विग्रह एवं भेद होगा
(i) चंद्र के समान शिखर है जिसका अर्थात् विष्णु-चहुव्रीहि समास
(ii) चंद्र है शिखर पर जिसके बह अर्थात् श्रिय-खदूव्रीहि समास
(iii) चंद्रमा और शेखर-द्वंद्व समास
(iv) चंद्रमा के समान ऊँचा शिखर-बहुत्रीहि समास
उत्तर :
(ii) चंद्र है शिखर पर जिसके बह अर्थात् श्रिय-खदूव्रीहि समास
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘मुहावरे’ पर आधारित छः बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) ब्यापारी एवं बनिए के लिए कार्य करते हैं। उचित मुह़ावरे से रिवत स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) पौ बारह होने
(ii) उड़न छू होने
(iii) उन्नीस बीस होने
(iv) काफूर होने
उत्तर :
(i) पौ बारह होने
(ख) जब रामपाल की करतूतों की पोल खुली तो वह उपयुक्त विकलय द्वारा रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) फरिश्ता हो गया
(ii) पानी-पानी हो गया
(iii) मीठी छुरी हो गया
(iv) राई का पहाइ हो गया
उत्तर :
(ii) पानी-पानी हो गया
(ग) मुहावरे और अर्थ के उचित मेल वाले विकल्य का चयन कीजिए
(i) दाल न गलना-हैरान होना
(ii) लोहे के चने चबाना-मूर्खतापूर्ण कार्य करना
(iii) गाँठ पड़ना-स्थायी रूप से याद रखना
(iv) आड़े हाथों लेना-कठोरता से पेश आना
उत्तर :
(iv) आड़े हाथों लेना-कठोरता से पेश आना
(घ) ‘बना बनाया काम बिगाड़ देना’ अर्थ के लिए सही मुहावरा है
(i) टोंग अड्राना
(ii) आंखों से बोलना
(iii) गुड़ गोबर कर देना
(iv) दो से चार बनाना
उत्तर :
(iii) गुड़ गोबर कर देना
(छ) ‘अनदेखा कर देना’ अर्थ के लिए उपयुक्त मुहावरा है
(i) उल्टी गंगा बहाना
(ii) आंखें चुरा लेना
(iii) आँच न आने देना
(iv) औंखों पर घदां पड़ना
उत्तर :
(ii) आंखें चुरा लेना
(च) सोहन तो निपट मूर्ख है, उसे कितना भी समझा लो उसकी समझ में कुछ नर्ही आता है। रेखांकित अंश के लिए कौन-सा मुहावरा प्रयुक्त करना उचित रहेगा?
(i) लकीर का फकीर
(ii) नाक का बाल
(iii) काठ का उल्लू
(iv) कोल्टू का बैल
उत्तर :
(iii) काठ का उल्लू
पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पथ्यांश को पद़कर पूठे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्य का चयन कीजिए। (1)5-5) खींच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावन कोई
तोड़्र दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छू न पाए सीता का द्वामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों।
(क) कवि ने देशवासियों और सैनिकों को आत्मबलिदान से प्रेरणा लेकर देश की रक्षा के लिए सदा तैयार रहने का संदेश दिया है। इससे ज्ञात होता है कि कवि
के पक्षपर हैं।
(i) स्वामी भक्ति
(ii) देशभक्ति
(iii) ईशनिद्वा
(iv) क्रमान्वब
उत्तर :
(ii) देशभक्ति पद्यांश में कवि ने देशवासियों और सैनिकों को आत्मबलिदान से प्रेरणा लेकर देश की रक्षा के लिए सदा तैयार रहने का संदेश दिया है। इससे ज्ञात होता है कि कवि देशभक्ति के पक्षधर हैं।
(ख) ‘खूँ से जमीं पर लकीर खींचने’ का क्या आशय है?
(i) दुश्मन पर हमला करना
(ii) सीमाओं पर रक्तपात करना
(iii) बलिदान देकर भी शत्रु को रोकना
(iv) मातृभूमि की रक्षा के लिए तत्पर रहना
उत्तर :
(iii) बलिदान देकर भी शत्रु को रोकना ‘खूँ से जमीं पर लकीर खींचने’ का आशय बलिदान देकर भी शत्रु को रोकने से है। भारतीय सैनिक मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देकर शत्रुओं को रोकते हैं तथा मातृभूमि पर आँच भी नहीं आने देते।
(ग) ‘सीता का दामन’ किसे कहा गया है?
(i) भारतीय सांस्कृतिक परंपरा को
(ii) देबी-देवताओं की मर्यादा को
(iii) देश के स्वाभिमान को
(iv) मातृभूमि के सम्मान को
उत्तर :
(iii) देश के स्वाभिमान को पद्यांश में ‘सीता का दामन’ देश के स्वाभिमान को कहा गया है। जिस प्रकार सीता की रक्षा हेतु राम और लक्ष्मण ने पापी रावण का सर्वनाश कर दिया था, उसी प्रकार प्रत्येक भारतवासी को भी राम-लक्ष्मण की भाँति अपने शत्रुओं का नाश करके भारत के स्वाभिमान की रक्षा करनी चाहिए।
(घ) ‘राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियों कथन से कवि का संकेत किस ओर है?
(i) तुम्हे राम भी बनना है और लक्ष्मण भी
(ii) तुम्ठे नारी के सम्मान की रक्षा भी करनी है और मय्यादा की भी
(iii) तुम्हें युद्ध भी करना है और रक्षा भी
(iv) तुम्हे भारतीयता को भी बचाना है और सीमाओं को भी
उत्तर :
(iv) तुम्हें भारतीयता को भी बचाना है और सीमाओं को भी ‘राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियों’ कथन से कवि इस ओर संकेत करना चाहता है कि तुम्हें भारतीयता को भी बचाना है और सीमाओं को भी। जिस प्रकार राम और लक्ष्मण ने सीता की रक्षा की उसी प्रकार नवयुवकों को भी देश की संस्कृति व अस्मिता की रक्षा करनी चाहिए।
(ङ) निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए
1. जीवन में जिंदा रहने के अनेक कारण मिल जाते हैं।
2. देश की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।
3. ईश्वर में अपना विश्वास कभी कमजोर नहीं होने देना चाहिए।
4. राम और लक्ष्मण मर्यादा रक्षकों के प्रतीक हैं।
5. हर वीर सैनिक इस देश की सुरक्षा करना अपना कर्त्तव्य मानता है। पद्यांश से मेल खाते वाक्यों के लिए उचित विकल्प चुनिए
(i) 1,2 और 3
(ii) 1,3 और 5
(iii) 2,3 और 4
(iv) 2,4 और 5
उत्तर :
(iv) 2,4 और 5 पद्यांश के अनुसार, देश की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। राम और लक्ष्मण मर्यादा रक्षकों के प्रतीक हैं। जिस प्रकार राम और लक्ष्मण ने सीता की रक्षा की, उसी प्रकार वीर सैनिक भी अपने देश की धरती की रक्षा करते हैं। हर वीर सैनिक इस देश की धरती को सीता की तरह पवित्र मानता है और इसकी सुरक्षा करना अपना कर्त्वव्य मानता है।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए। (1×2=2)
(क) पोथी पढने से व्यक्ति पंडित नहीं बन सकता, क्योंकि
(i) पोधी साधारण व्यक्ति द्वारा लिखी होती है।
(ii) पोदी ज्ञान तो प्रदान करती है, परंतु हमारे आचरण को नहीं बदल सकती।
(iii) पंडित लोगों के मानने से बनते है, पोथी पढ़े से नहीं
(iv) पोधी हमें अच्छा मनुष्य नहीं बनाती
उत्तर :
(ii) पोथी ज्ञान तो प्रदान करती है, परंतु हमारे आचरण को नहीं बदल सकती। संत कबीरदास जी ने अपनी साखी में कहा है कि पोथी पढ़ने से व्यक्ति पंडित नहीं बन सकता, क्योंकि पोथी ज्ञान तो प्रदान करती है, परन्तु हमारे आचरण को नहीं बदल सकती।
(ख) ‘अवलोक रहा है बार-बार नीचे जल में निज महाकार’ से क्या आशय है?
(i) परमाल्मा नीचे उल में बार-बार देख रहा है।
(ii) कवि जल को बार-बार निहार रहा है।
(iii) पर्वत नीचे फैले जल में अपने विशाल आकार को निहार रहा है।
(iv) अवलोक महाकार को बार-बार देख रहा है।
उत्तर :
(iii) पर्वत नीचे फैले जल में अपने विशाल आकार को निहार रहा है। सुमित्रानंदन पंत जी की इस पंक्ति ‘अवलोक रहा है बार-बार नीचे जल में निज महाकार’ से आशय है कि पर्वत नीचे फैले जल में अपने विशाल आकार को निहार रहा है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1×5=5)
दुनिया कैसे वजूद में आई? पहले क्या थी? किस बिंदु से इसकी यात्रा शुरू हुई? इन प्रश्नों के उत्तर विज्ञान अपनी तरह से देता है, धार्मिक ग्रंथ अपनी-अपनी तरह से। संसार की रचना भले ही कैसे हुई हो, लेकिन धरती किसी एक की नहीं है।
पंछी, मानव, पशु, नदी, पर्वं, समंदर आदि की इसमें बराबर की हिस्सेदारी है। यह और बात है कि इस हिस्सेदारी में मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं। पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था अब टुकड़ों में बँटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है। पहले बड़े-बड़े दालानो-आंगनों में सब मिल-जुलकर रहते थे, अब छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में जीवन सिमटने लगा है। मानव का धरती पर अधिकार जमाने के कारण संसार छोटे-छोटे टुकड़ों में बँंट गया है। बढ़ती हुई आचादी ने समंदर को पीछे सरकाना शुरू कर दिया है।
(क) “मानव का धरती पर अधिकार जमाने के कारण संसार छोटे-छोटे टुकड़ों में बँट गया है।” लेखक द्वारा ऐसा कहा जाना दर्शाता है, मानव का अन्य प्राणियों और प्रकृति के प्रति उसका
(i) स्वाथंधाव
(ii) मैत्रीभाव
(iii) व्यक्तित्व
(iv) कर्त्तव्यबोध
उत्तर :
(i) स्वार्थभाव गद्यांश में लेखक द्वारा उपर्युक्त क्थन का कहा जाना मानव का अन्य प्राणियों और प्रकृति के प्रति उसका स्वार्थभाव दर्शाता है। गद्यांश में बताया गया है कि मानव इतना स्वार्थी हो गया है कि दूसरे प्राणियों को तो उसने पहले ही बेदखल कर दिया था, लेकिन अब वह अपनी ही जाति अर्थात् मानवों को ही बेदखल करने में भी नहीं हिचकिचाता है।
(ख) ‘धरती किसी एक की नहीं है’, लेखक ने ऐसा कहा, क्योंकि उसके अनुसार
(i) इस पर केवल मनुष्य का अधिकार है
(ii) सभी जीव एक समान नहीं हैं
(iii) धर्म ग्रंथ में इस बात का वर्णन किया गया है
(iv) इस पर प्रत्येक जीव का समान अधिकार है
उत्तर :
(iv) इस पर प्रत्येक जीव का समान अधिकार है लेखक के अनुसार, इस धरती पर पशु, पक्षी, मानव, नदी, पर्वत, समंदर आदि सभी का समान अधिकार है, इसलिए यह धरती किसी एक की नहीं है।
(ग) “पहले बडे-बडे दालानों-औगयों में सब मिल-जुलकर रहते थे, अद छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में जीवन सिमटने लगा है।” कथन के माध्यम से ज्ञात होता है कि मानव है
(i) कर्तब्यनिष्ठ, परिश्रमी, आध्यात्मिक
(ii) समाज-सुधारक, कर्मयोगी, संवेदनशील
(iii) आदर्शवादी, स्वार्थौ, दूड़निश्चयी
(iv) स्वार्थी, मौकाषरस्त, असंवेदनशील
उत्तर :
(iv) स्वार्थी, मौकापरस्त, असंवेदनशील उपर्युक्त क्थन के माध्यम से ज्ञात होता है कि मानव स्वार्थी, मौकापरस्त और असंवेदनशील है, क्योंकि उसे न किसी के सुख-दु:ख से कोई सरोकार है और न ही किसी को सहारा या सहायता देने का इरादा। पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था, अब टुकड़ों में बंटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है।
(घ) निम्नलिखित कथन (A) तथा क्रारण (R) को ध्यानपूर्वक पदिए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) आज संसार टुकड़ों में बँंटकर रह गया है।
कारण (R) मानव की आँखों पर स्वार्ध तथा आधुनिकता का पर्दा पड चुका है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलन है, कितु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, लेकिन कारण (R) कथन (A) की गलत व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है गद्यांश के अनुसार, आज संसार टुकड़ों में बैंटकर रह गया है, क्योंकि मानव की आँखों पर स्वार्थ और आधुनिकता का पर्दा पड़ चुका है। पहले पूरा संसार एक परिवार की तरह मिल-जुलकर रहता था, लेकिन अब टुकड़ों में बैंटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है।
(ङ) लेखक का ‘आबादियों के समंदर को पीछे सरकाने’ से क्या अभिप्राय है?
(i) समंदर को सुखाकर उसकी धरती का उपयोग करना
(ii) समंदर के पानी का स्तर कम करना
(iii) मनुष्य द्वारा समंदर में घर बनाया जाना
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) समंदर को सुखाकर उसकी धरती का उपयोग करना बढ़ती आबादी के कारण मानव समंदर को सुखाकर उसके किनारों पर अपनी इच्छानुसार निर्माण कार्य करने लगा है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए। (1×2=2)
(क) निम्नलिखित में से कौन-से वाक्य ‘झेन की देन’ पाठ से प्राप्त प्रेरणा को दर्शाते हैं?
1. मनुष्य को जीवन में अधिक वनाव नहीं लेना चाहिए।
2. मनुष्य के लिए प्रगति बहुत आवश्यक है।
3. हमें प्रतिदिन चाय पीनी चाहिए।
4. सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए।
कूट
(i) केवल 1
(ii) 1 और 4
(iii) 1, 2 और 3
(iv) 1,2 और 4
उत्तर :
(ii) 1 और 4 ‘ झोन की देन’ पाठ से हमें प्रेरणा मिलती है कि मनुष्य को जीवन में अधिक तनाव नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह तनाव ही मानसिक बीमारियों का कारण बनता है। सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए, क्योंकि वर्तमान में जीने वाले का जीवन सरल और आदर्शपूर्ण होता है।
(ख) कर्नल कालिज के रकका-बक्का हो जाने का क्या कारण था?
(i) बज़ीर अली की निडरता को देखना
(ii) कंपनी के सिपाहियों को देखना
(iii) वकील की हत्वा की खबर सुनना
(iv) सआदत अली के कारनामे सुनना
उत्तर :
(i) वज़ीर अली की निडरता को देखना कर्नल कालिंज के हक्का-बक्का हो जाने का कारण वजीर अली की निडरता को देखना था। वज़ीर अली बिना डरे कर्नल के खेमे में पहुँचकर कर्नल से धोखे से कारतूस ले लेता है। वज़ीर अली की यह हिम्मत और अपने सामने खड़ी मौत देखकर कर्नल हक्का-बक्का रह गया।
खंड ‘ब’ (वर्णनात्मक प्रश्न)
बंड ‘ब’ में पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक-पुस्तक तथा लेखन से संबंघित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक पुस्तक
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) “जब से कानून भंग का काम शुरु हूआ है, तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई़ थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी। आपके द्वारा इस पाठ्यक्रम में पढ़े गए पाठ में कौन-से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
कलकत्ता में 26 जनवरी, 1931 को पुलिस कमिश्नर द्वारा नोटिस निकाला गया कि वहाँ कोई सभा नहीं हो सकती और सभा में भाग लेने वाले दोषी व्यक्ति समझे जाएँगे, लेकिन उनके द्वारा बनाए गए इस कानून को भंग करते हुए कौंसिल की तरफ से खुली चुनौती दी गई कि उसी दिन मोनुमेंट के नीचे लोग इकट्ठे होकर झंडा फहराएँगे। अंग्रेजी सरकार स्वतंत्रता का विरोध करने के लिए जो भी नियम बनाती थी उसे भंग करना अनुचित नहीं कहा जा सकता, क्योंकि हमारे विचार में देश की रक्षा करना, स्वतंत्रता के लिए प्रयास करना और राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार हर देशवासी को होना चाहिए
(ख) ‘तीसरी कसम के शित्यकार शैलैंद्र’ पाठ के माध्यम से हमने जाना कि व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है। इस पाठ से प्राप्त सीख का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
‘तीसरी कसम के शिल्पकार हैलैंद्र’ पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि हमारी जिंदगी में दुःख तकलीफें तो आती ही रहती हैं, परंतु हमें उन दु:खों से हार नहीं माननी चाहिए। जीवन की कठिनाइयों का साहस के साथ सामना करके उन पर काबू पाना चाहिए। यदि व्यथा या करुणा को सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाए, तो वह मनुष्य को परास्त या निराश नहीं करती। वह मनुष्य को आगे-ही-आगे कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देती है। शैलेंद्र के गीतों से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दुखख की घड़ी में भी निराशा का दामन छोड़कर आशावादी बनना चाहिए और निरंतर आगे बढ़ना चाहिए।
(ग) इस वर्ष आपने पाठ्यकम में एक पाठ पढ़ा है, जो हमें आदर्शवादी होने के साथ-साथ व्यावहारिक होने का संदेश भी देता है। कथन का मूल्यांक्न करते हुए अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
‘गिन्नी का सोना’ पाठ में यह संदेश दिया गया है कि हमें आदर्शवादी होने के साथ-साथ व्यावहारिक होना भी जरूरी है। सोने की तुलना आदर्शो से की गई है, जबकि व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से की गई है। शुद्ध सोना आदर्शों की तरह होता है, जो बिलकुल शुद्ध होता है और जब उसमें ताँबा मिला दिया जाता है, तो वह अधिक मजबूत हो जाता है, लेकिन उसकी शुद्धता समाप्त हो जाती है। उसी तरह जीवन में आदर्श शुद्ध तो होते हैं, लेकिन यदि उनमें व्यावहारिकता मिला दी जाए, तो वे आदर्श शुद्ध नहीं रहते, लेकिन वे आदर्श अधिक मजबूत हो जाते हैं। इसीलिए शुद्ध और कमजोर आदर्शों की जगह मजबूत और मिलावटी आदर्श अधिक उपयुक्त हैं। अतः जीवन को हमेशा व्यावहारिक बनाए रखना चाहिए।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) आपके द्वारा इस पाठ्यक्रम में पढ़ी गई किस कविता में कवि ने मनुष्य को मृत्यु से भयभीत न होने की प्रेरणा दी है और क्यों? कौन-से व्यक्ति मरकर भी अमर हो जाते है?
उत्तर :
‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने मनुष्य को मृत्यु से भयभीत न होने की प्रेरणा दी है। कवि के अनुसार, मानव जीवन क्षणभंगुर है, जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए जब मृत्यु ही अंतिम सत्य है और प्रत्येक प्राणी को इसका वरण करना ही है तो मनुष्य को मृत्यु का सामना करने से भयभीत नहीं होना चाहिए। इस संसार में वे व्यक्ति मरकर भी अमर हो जाते हैं, जो अपना संपूर्ण जीवन मानव हितार्थ समर्पित कर देते हैं। जिनका जीवन लोक सेवा के लिए ही होता है, वे व्यक्ति ही अपने महान् कार्यों से संसार में अमर हो जाते हैं।
(ख) आपके पाठ्यक्रम में किस कबिता में बादलों के उठने और वर्षा होने का चित्रण किया गया है? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने बादलों के उठने और वर्षा होने का चित्रण किया है। पंत जी कहते हैं कि बादल अत्यधिक भयानक और विशाल आकार में अचानक ही गरजकर इस प्रकार ऊपर उठे, जैसे कोई पहाड़ बादलरूपी पंखों को फड़फड़ाते हुए आकाश में उड़ गया हो। कुछ ही देर में वे इस प्रकार बरस पड़े, जैसे उन्होंने धरती पर पूरे वेग से आक्रमण कर दिया हो। यह देखकर शाल के पेड़ इतने भयभीत हो गए कि वे धरती में धँस गए और तालाब से धुआँ उठने लगा।
(ग) कबीर की उद्धृत साखियों की भाषा की विशेषताहैं स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कबीर जी की उद्धृत साखियों की भाषा सधुक्कड़ी है। इनमें अवधी, ब्रज, खड़ीबोली, राजस्थानी, फारसी, अरबी, पूर्वी हिंदी तथा पंजाबी आदि भाषाओं के शब्दों का सुंदर प्रयोग हुआ है। इनमें संस्कृत, तद्भव तथा देशज शब्दों के अद्भुत मेल (‘शीतल’ का ‘सीतल’, ‘ वियोगी’ का ‘वियोगी’ आदि) को प्रस्तुत किया गया है। कवि ने अपनी बात कहने के लिए साखी को अपनाया है। यह वस्तुतः दोहा छंद है। इनमें अत्यंत सामान्य भाषा में लोक व्यवहार की शिक्षा दी गई है। इनमें मुक्तक शैली का प्रयोग हुआ है तथा गीति तत्त्व के सभी गुण विद्यमान हैं। भाषा सहज और मधुर है। भाषा में अनुप्रास, रूपक, पुनरुक्ति प्रकाश, उदाहरण व दृष्टांत अलंकार का प्रयोग हुआ है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) ठठकुरबारी के भीतर महंत और उनके कुछ चंद विश्वासी साधु सादे और लिखे कागज्ञों पर अनपद हरिहर काका के अँगूठे के निशान जबरन ले रहे थे। हरिहर काका तो महतं के इस व्यवहार से जैसे आसमान से जमीन पर आ गए थे। उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि महंत जी इस रूप में भी आँँगे।’ हरिहर काका’ कहानी में ठाकुरबारी में साधु-महंतों द्वारा हरिहर काका के हिस्से की ज्ञमीन को अपने नाम लिखवाने के लिए दबाव ज्ञाला जाता है। इससे साधु-महंतों की कैसी भावना झलकती है? पाठ के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी में महंत और उनके समर्थकों ने हरिहर काका की जमीन-जायदाद (संपत्ति) हड़पने (किसी दूसरे की वस्तु अनुचित रूप से लेना)के लिए ज़ोर-जबरदस्ती से काम लिया। वस्तुतः ठाकुरबारी के महंत एवं साधुओं द्वारा हरिहर काका के साथ किए जाने वाले व्यवहार से यह बात स्पष्ट होती है कि लोगों के कल्याण की बाते करने वाले साधु-महंत स्वार्थ-लोलुप व्यक्ति हैं। ये लोग अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। ऐसे ही लोगों के कारण धर्म के क्षेत्र में अनाचार की प्रवृत्तियाँ बढ़ती जा रही हैं।
(ख) इन्हीं वातों से आकर्षित हो कुछ नौजवान भरती के लिए तैयार हो जाया करते। कभी-कभी हमें भी महसूस होता है कि हम भी फ़ौजी जवानों से कम नहीं। धोबी की धुली वर्दी और पॉलिश किए बूट और जुराबों को पहने जब हम स्काउटिंग की परेड करते तो लगता हम फ़्जैजी ही है। वर्दी तथा परेड के उत्साह से लेखक को ऐसा क्यों लगता है कि वह भी एक फौजी है? ‘सपनों के-से बिन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
स्काउट परेड में भाग लेने के लिए लेखक अपने मित्र के साथ शान से जाता था। साफ यर्दी, पॉलिश किए बूट तथा जुराबों को पहनकर लेखक को लगता था कि वह भी एक फौजी है। पी. टी. शिक्षक प्रीतमचंद द्वारा परेड कराते हुए लेफ्ट-राइट की आवाज तथा सीटी की ध्वनि पर बूटों की ठक-ठक करते अकड़कर चलते समय लेखक स्वयं को बिलकुल फौजी जवान के रूप में बहुत महत्त्वपूर्ण व्यक्ति समझता था। अतः वर्दी तथा परेड के उत्साह के कारण स्काउट परेड करते समय लेखक स्वयं को फौजी जवान समझने लगता था।
(ग) इफ़फ़्न से मित्रता करना तथा उसकी दादी के प्रति टोपी का लगाव उसके परिवार वालों को पसंद नहीं था। इफ़्फ़्न से मित्रता करने के लिए उसके भाई मुन्नी बाबू ने भी घर में शिकायत करके उसकी पिटाई करवाई थी। टोपी ने अपने भाई मुन्नी बाबू के विषय में कौन-सा रहस्य छिपाकर रखा था तथा क्यों?
उत्तर :
टोपी ने अपने भाई मुन्नी बाबू के कबाब खाने का रहस्य छिपाकर रखा था। मुन्नी बाबू टोपी का बड़ा भाई था। वह कबाब खाता तथा सिगरेट पीता था। एक दिन जब टोपी की माँ उसकी पिटाई कर रही थी, तो मुन्नी बाबू ने टोपी की झूठी शिकायत की कि वह कबाब खाता है, जबकि टोपी ने कभी भी कबाब नहीं खाए थे। वास्तविकता यह थी कि टोपी ने मुन्नी बाबू को कबाब खाते देख लिया था। मुन्नी बाबू ने उसे सच न बताने के लिए इकन्नी रिश्वत भी दी थी। टोपी ने यही रहस्य छिपाकर रखा था। इफ़्फ़न के अतिरिक्त उसने घर में किसी को नहीं बताया था, क्योंकि वह चुगलखोर नहीं था। टोपी चाहता, तो वह घर में अपनी माँ एवं अन्य सदस्यों को कबाब खाने वाली बात बता देता परंतु उसने ऐसा नहीं किया।
लेखन
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुष्छेद लिखिए। (5×1=5)
(क) आत्मनिर्भर भारत अभियान
संकेत बिंदु
- आत्मनिर्भर भारत अभियान क्या है?
- उद्देश्य
- लाभ
- उपसंहार
उत्तर :
आत्मनिर्भर भारत अभियान
भारत को उस प्रत्येक क्षेत्र में सक्षम बनाना, जिसमें वह दूसरे देशों की मदद लेता है। इस अभियान की शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट वर्ष 2019-20 के दौर में भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए की थी। इस अभियान का उद्देश्य विदेशों से भारत में आने वाली वस्तुओं पर अपनी निर्भरता को कम करना है अर्थात् हमें ज्यादा-से-ज्यादा भारत में बनी हुई वस्तुओं का उपयोग करना है। उनकी गुणवत्ता में सुधार करना है। इससे देश के विकास में बहुत लाभ मिलेगा और भारत एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनेगा।
इस अभियान के अनेक लाभ हैं, आत्मनिर्भर होने से देश में उद्योगों में बढ़ोतरी होगी, जिससे देश बेरोजगारी के साथ-साथ गरीबी से भी मुक्त होगा, देश में निर्यात बढ़ेगा, जिससे पूँजी में वृद्धि होगी तथा हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी आदि। आत्मनिर्भर भारत को लेकर सरकार बहुत सुदृढ़ कदम उठा रही है, तो हमें भी सरकार का सहयोग करना चाहिए। हमें अपने देश को आत्मनिर्भर बनाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। इसके लिए हमें देश में निर्मित वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। इससे हमारा देश आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ आर्थिक रूप से मजबूत होगा।
(ख) ट्रैफिक जाम में फँसा मैं
‘संकेत बिंदु –
- ट्रैफिक की समस्या का आधार
- लोगों की जल्दबाज़ी और व्यवस्था की कमी
- सुधार के उपाय
- अनुभव से सीख
उत्तर :
ट्रैफिक जाम में फँसा मैं
यातायात के साधन विज्ञान का ऐसा आविष्कार है, जिनसे मनुष्य वर्षों, महीनों के स्थान पर कुछ ही घंटों या मिनटों में एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से पहुँच जाता है। आज मनुष्य इतनी प्रगति कर चुका है कि अधिकांश लोग अपने निजी साधन; जैसे – कार, मोटरसाइकिल, स्कूटर आदि खरीदने में सक्षम हैं। इसी कारण सड़कों पर अत्यंत भीषण जाम की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
आज स्कूल से आते समय मैंने देखा कि अनेक वाहन अपनी लाइन में न चलकर हमारी बस लाइन में ओवरटेक कर रहे थे। लोगों की इस जल्दबाज़ी के कारण दो वाहनों की भिड़ंत हो गई जिससे सड़क पर भीषण जाम लग गया। ये सब हमारी भ्रष्ट कानून-व्यवस्था और हमारे नियमों का पालन न करने की आदत के कारण हुआ, वहाँ कोई ट्रैफिक पुलिस नहीं थी, जो इस ट्रैफिक को नियंत्रित करती।
इस समस्या के सुधार के लिए हमारी कानून-व्यवस्था में कठोर नियम बनने चाहिए तथा इसके साथ-साथ लोगों को भी ट्रैफिक नियमों का पालन भली-भाँति करना चाहिए, तभी इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। आज के अनुभव से सीख लेते हुए मैंने यह संकल्प लिया है कि मैं यातायात के नियमों का पालन करूँगा और इसके लिए सभी को प्रेरित करूँगा, ताकि ट्रैफिक जाम की स्थिति उत्पन्न न हो।
(ग) विज्ञापनों से भरी दुनिया
संकेत बिंदु –
- विज्ञापन का युग
- विज्ञापन का प्रभाव
- विज्ञापन के लाभ
- विज्ञापन की हानियाँ
उत्तर :
विज्ञापनों से भरी दुनिया
वर्तमान समय विज्ञापन युग के रूप में जाना जाता है। विज्ञापनों के माध्यम से ही उत्पादक अपने उत्पाद का प्रचार करके लाभ कमाते हैं। विज्ञापनों में इतना आकर्षण होता है कि कम गुणवत्ता वाले उत्पाद भी बड़ी सरलता से बाज़ार में बिकते नज़र आते हैं। हमारे जीवन में विज्ञापनों का इतना प्रभाव है कि ऐसा लगता है, जैसे वे ही यह तय करते हैं कि हम क्या पहनें, क्या खाएँ, कौन-सा साबुन या टूथपेस्ट प्रयोग करें इत्यादि ।
एक सीमा तक विज्ञापनों से हमें लाभ भी है, लेकिन कुछ हानि भी। लाभ यह है कि विज्ञापन एक सशक्त माध्यम है, जिससे हमें नए उत्पादों के बारे में जानकारी मिलती है। यह सही वस्तु के चयन में हमारी सहायता करता है। आज प्रत्येक वस्तु एक-दूसरे का विज्ञापन बन गई है; जैसे- टी.वी. खरीदो तो प्रेस मुफ़्त । इस प्रकार एक वस्तु के दाम से दो वस्तुओं को प्राप्त किया जा सकता है। विज्ञापनों की लुभावनी भाषा के आकर्षण से बचे रह पाना बहुत कठिन होता है। अतः विज्ञापनों की बढ़ती अधिकता के कारण हमें अपने विवेक से काम लेना होगा। अधिकांश विज्ञापनों में सच्चाई की कमी होती है। लुभावने विज्ञापनों से प्रभावित होकर हम उन्हें खरीद तो लेते हैं, परंतु उसमें गुणवत्ता और विश्वसनीयता के अभाव में पैसों के साथ-साथ अपना समय भी बर्बाद कर लेते हैं।
प्रश्न 15.
आपके मोहल्ले की सड़कें बहुत टूटी-फूटी व कूड़े आदि की गंदगी से भरी रहती हैं। किसी प्रमुख दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को एक पत्र लिखकर सड़कों की मरम्मत व सफाई की ओर नगर निगम के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कीजिए। (शब्द-सीमा-लगभग 100 शब्द) (5×1=5)
अथवा
आप पिछले दो दिनों से विद्यालय में निर्धारित समय पर उपस्थित नहीं हो पा रहे थे। प्रधानाचार्य को वियालय में विलंब से पहुँचने का कारण बताते हुए क्षमादान के लिए लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
गाज़ियाबाद।
दिनांक 21 मार्च, 20xx
सेवा में,
संपादक महोदय
दैनिक जागरण, गाजियाबाद।
विषय मोहल्ले की सड़कों की मरम्मत एवं सफाई के संबंध में।
महोदय,
आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से में अपने क्षेत्र गाज़ियाबाद की सड़कों की खराब स्थिति की ओर नगर निगम के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूं। मुझे आशा है कि विषय की गंभीरता को देखते हुए आप इस पत्र को अपने समाचार-पत्र में अवश्य ही प्रकाशित करेंगे।
महोदय, यह एक मिश्रित जनसंख्या वाला क्षेत्र है। यहाँ की सड़कों की स्थिति बहुत बुरी है। मुझे इस कॉलोनी की समिति का सचिव बने हुए पाँच वर्ष हो चुके हैं। इन पाँच वर्षो में एक बार भी इन सड़कों की ओर किसी का ध्यान नहीं गया है। सड़क का लगभग 2 किमी भाग तो पूरी तरह टूट गया है। रात में कई साइकिल और स्कूटर सवार इस क्षेत्र में गिरकर बुरी तरह घायल हो चुके हैं। सड़क में जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं, जिनमें थोड़ी-सी वर्षा होते ही पानी भर जाता है। जगह-जगह से टूटने के कारण सफ़ाई कर्मचारी दूर-दूर से कूड़ा लाकर इन गड्ठों में डाल देते हैं, जिससे सड़क पर भयंकर दुग्गध फैल जाती है।
इस पत्र के माध्यम से नगर निगम के संबंधित अधिकारियों से मेरा अनुरोध है कि वे एक बार समय निकालकर इस क्षेत्र का निरीक्षण करें, ताकि उन्हें यहाँ की वास्तविक स्थिति का पता चल सके।
निरीक्षण तथा उचित कदम की प्रतीक्षा में।
प्रार्थी
क.ख.ग.
संजय नगर, सेक्टर 29 , गाज़ियाबाद।
अथवा
परीक्षा भवन,
मेरठ।
दिनांक 11 मार्च, 20xx
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
अखिल भारतीय शिक्षा संगठन,
मेरठ।
विषय विलंब से विद्यालय पहुँचने के संदर्भ में क्षमादान पत्र।
आदरणीय महोदय,
मैं राज शर्मा आपके विद्यालय की 10 (क) कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरी माताजी का स्वास्थ्य पिछले दो दिनों से सही नहीं है। मुझे उनकी देखभाल के साथ-साथ प्रातःकालीन सभी घरेलू कार्य भी स्वयं करने पड़ रहे हैं। इस कारणवश पिछले दो दिनों से में विद्यालय में विलंब से पहुँच रहा हूँ।
महोदय, मैं भली-भाँति समझता हूँ कि अनुशासन व समय-प्रबंधन विद्यालय व विद्यार्थी दोनों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। में विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में यथाशीघ्र सभी कार्य निपटाकर, समय पर विद्यालय पहुँच जाऊँगा। अतः आपसे प्रार्थना है कि मेरी इन दो दिनों की गलती को क्षमा करें तथा कक्षा अध्यापक को संबंधित निर्देश दें। आशा है आप समस्या को समझते हुए मुझे क्षमा कर देंगे।
सधन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
राज शर्मा
कक्षा 10 (क)
प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 60 शब्दों में सूचना लिखिए। (4×1=4)
अपना परिचय-पत्र खो जाने की जानकारी देते हुए एक सूचना तैयार कीजिए।
अथवा
स्काउट/गाइड कैंप के आयोजन हेतु विद्यार्थी परिषद् की बैठक के लिए एक सूचना तैयार कीजिए।
उत्तर :
विद्या निकेतन, ममफोर्डगंज, इलाह्वाबाद दिनांक 21 अप्रैल, 20xx परिचय-पत्र खो जाने संबंधी सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 20 अप्रैल, 20xx को विद्यालय का मेरा परिचय-पत्र विद्यालय परिसर में ही कहीं गिर गया है। उस पर मेरी फोटो के साथ-साथ मेरा नाम, कक्षा- 10 वीं ‘डी’ तथा अनुक्रमांक -16 अंकित है। में प्रतिदिन बस से विद्यालय आता-जाता हूँ और विद्यालय का परिचय पत्र दिखाने पर मुझे किराए में छूट मिलती है। इसके अतिरिक्त पुस्तकालय से पुस्तकें जारी करवाने के लिए भी मुझे इसकी बहुत आवश्यकता है। परिचय पत्र की दूसरी प्रति लेने में काफी समय लग जाएगा, जिससे पुस्तकों के अभाव में मेरी पढ़ाई का बहुत नुकसान होगा। अतः यदि वह किसी को मिले तो मुझे लौटाने की कृपा करे। में हमेशा आपका आभारी रहूंगा। |
अथवा
डी. के. पब्लिक स्कूल, दिल्ली दिनांक 7 मई, 20xx स्काउट/गाइड कैंप का आयोजन हेतु विद्यार्थी परिषद् के सभी सदस्यों को सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में आगामी सप्ताह की दिनांक 15 मई, 20xx से 17 मई, 20xx तक स्काउट/गाइड कैंप का आयोजन होने जा रहा है। कैंप में शहर के कुछ जाने-माने लोग अतिथि के रूप में आने वाले हैं। प्रधानाचार्य से मिले आदेश के अनुसार कैंप के आयोजन की सभी प्रकार की व्यवस्था का जिम्मा विद्यार्थी परिषद् को सौंपा गया है। कैंप की व्यवस्था से संबंधित कुछ आवश्यक विषयों पर चर्चाकरने के लिए विद्यार्थी परिषद् की बैठक कल दिनांक 8 मई, 20xx को सुबह 11 बजे प्रधानाचार्य कार्यालय में होगी। विद्यार्थी परिषद् के सभी सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य है। शोभित मिश्रा (सचिव) |
प्रश्न 17.
सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले के लिए लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (3×1=3)
अथवा
‘कोरोना महामारी से बचाव’ के संबंध में लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 18.
“परिश्रम ही सफलता का सोपान है।” विषय पर लघु कथा लगभग 100 शब्दों में लिखिए (5x 1=5)
अथवा
आप विद्यालय की साहित्य परिषद् के सचिव है। आप अपने विद्यालय में अंतर्विद्यालय युवा कवि-सम्मेलन कराना चाहते हैं। इस आयोजन के लिए आपको वियालय की ओर से कुछ सुविथाएँ भी चाहिए। उनका उल्लेख करते हुए सम्मेलन के आयोजन की अनुमति प्राप्त करने हेतु अपने प्रधानाचार्य को एक ई-मेल लिखिए। (शब्द-सीमा लगभग 100 शब्द)
उत्तर :
परिश्रम ही सफलता का सोपान है
मेरे मित्र के बड़े भाई ने वर्ष 1993 में एलएलबी की परीक्षा पास की, परंतु घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्होंने आगे की पढ़ाई छोड़कर नौकरी करनी आरंभ कर दी और साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करने लगे।
वर्ष 2005 तक नियमित अध्ययन और मेहनत के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी। एक वकील के अधीन कार्य करते हुए, उन्होंने एलएलएम की परीक्षा दी और प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए। उसके बाद पुनः एक अध्यापक के परामर्श से परीक्षाओं की तैयारी आरंभ की। उन्हें सफलता मिली और क्लर्क की नौकरी प्राप्त की। अब थोड़ा आर्थिक स्थिति में सुधार हो गया था, परंतु मन में अभी भी ‘जज’ बनने की इच्छाशक्ति कम नहीं हुई थी। उन्होंने पुनः स्वयं को अध्ययन करने के लिए तैयार किया।
दिन में कार्यालय से आने के बाद वे रात 10 से 2 बजे तक प्रतिदिन मेहनत और लगन से परीक्षा की तैयारी करते थे। अपने शुरू के प्रयासों में उन्हें असफलता मिली, वह मायूस तो हुए, परंतु स्वयं पर उन्हें पूरा विश्वास था। अपने अंतिम प्रयास को लक्षित करते हुए उन्होंने तीन महीने के लिए कार्यालय से अवकाश लेकर दिन-रात अथक परिश्रम किया और परीक्षा दी। दो माह पश्चात् रिजल्ट आया और इस बार उनकी मेहनत और विश्वास का फल उन्हें मिला। उन्होंने प्रथम रैंक के साथ जज की परीक्षा पास की। नियमित अभ्यास, कठोर परिश्रम और आत्मविश्वास से उन्हें लक्ष्य की प्राप्ति हुई।
सीख इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि परिश्रम कभी निष्फल नहीं होता। मेहनत करने से ही सफलता पाई जा सकती है। अतः ठीक ही कहा गया है कि “परिश्रम ही सफलता का सोपान है।”
अथवा