Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Set 8 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 8 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका सख्ती से अनुपालन कीजिए
- इस प्रश्न पत्र में चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- इस प्रश्न पत्र में कुल 16 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- प्रश्न पत्र में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए।
खंड ‘क’ (अपठित बोध) (14 अंक)
इस खंड में अपठित गद्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1 × 3 = 3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2 × 2 = 4) प्रश्न दिए गए हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए (7)
राष्ट्रीयता का भाषा और साहित्य के साथ बहुत ही घनिष्ठ संबंध है। ऐसा होना स्वाभाविक है, क्योंकि राष्ट्रीयता और जातीयता के अंगों में सबसे अधिक आवश्यक अंग एकता है और वह एकता किसी विषय विशेष में नहीं है। एकता जितनी व्यापक होगी, उतनी ही राष्ट्रीयता स्थिर होगी और वह शक्तिशाली होगी। भावों की एकता सब प्रकार की एकताओं का मूल है। भावों की एकता तभी हो सकती है, जब वे विभिन्न व्यक्ति, जिनके द्वारा राष्ट्रीयता का निर्माण होता है, अपने भावों को किसी दूसरे पर व्यक्त कर सकें। इस महान कार्य के लिए एक भाषा की अत्यंत आवश्यकता है।
साहित्य मानव जाति के उच्च-से-उच्च तथा सुंदर से सुंदर विचारों और भावों का वह गुच्छा है, जिसकी बाहरी सुंदरता तथा भीतरी सुगंध दोनों ही मन को मोह लेते हैं। कोई जाति तब तक बड़ी नहीं हो सकती, जब तक कि उसके भाव तथा विचार उन्नत न हों। जाति और राष्ट्र के उत्थान के साथ-साथ उस जाति या राष्ट्र के साहित्य की उन्नति भी होती है। इस प्रकार, साहित्य की अवनति उस जाति के पतन का अटल और अटूट प्रमाण है। भारत के इतिहास को लीजिए। महाभारत, रामायण तथा उपनिषद् अवश्य ही ऐसे समय में लिखे गए थे, जब यह देश बहुत उन्नत था। यह कल्पना असंभव नहीं तो दुष्कर अवश्य है कि ऐसे ग्रंथ किसी असभ्य, बर्बर जाति के आचार्यों द्वारा लिखे गए हों। जब बौद्धों का राज्य भारत के एक छोर से दूसरे छोर तक फैल गया और उनका प्रभुत्व तथा गौरव भारतवर्ष के बाहर भी फैल गया, तो पालि साहित्य की उन्नति भी उस साम्राज्य की उन्नति के साथ-साथ होती गई।
(क) उपर्युक्त गद्यांश किस विषयवस्तु पर आधारित है? (1)
(i) विज्ञान और प्रौद्योगिकी
(ii) राष्ट्रीयता, भाषा और साहित्य
(iii) राजनीति और शासन
(iv) धर्म और संस्कृति
उत्तर:
(ii) राष्ट्रीयता, भाषा और साहित्य
गद्यांश में मुख्य रूप से राष्ट्रीयता, भाषा और साहित्य के घनिष्ठ संबंध पर चर्चा की गई है। इसमें बताया गया है कि राष्ट्रीयता की स्थिरता और उसकी शक्ति के लिए एकता आवश्यक है और यह एकता भाषा के माध्यम से व्यक्त की जाती है। साथ ही साहित्य को मानव जाति के उच्च विचारों और भावों का संग्रह माना गया है, जो किसी जाति या राष्ट्र के उत्पादन और पतन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(ख) गद्यांश के आधार पर बताइए कि किसी जाति को विशाल रूप ग्रहण करने के लिए क्या आवश्यक है? (1)
(i) जाति विशेषज्ञ के लोगों से संपर्क बनाना
(ii) राष्ट्र निर्माण में सहयोगी होना
(iii) भावों और विचारों का श्रेष्ठ होना
(iv) भावों की एकता होना
उत्तर:
(iii) भावों और विचारों का श्रेष्ठ होना।
गद्यांश के आधार पर किसी जाति को विशाल रूप ग्रहण करने के लिए भावों और विचारों का श्रेष्ठ होना आवश्यक है। कोई जाति तब तक बड़ी नहीं हो सकती है, जब तक कि उसके भाव तथा विचार उन्नत न हो। जाति और राष्ट्र के उत्थान के साथ-साथ उस जाति या राष्ट्र के साहित्य की भी उन्नति होती है।
(ग) कथन (A): साहित्य मनुष्य जाति के विकसित होने का मुख्य साधन है। (1)
कारण (R): साहित्य के माध्यम से ही मनुष्य अपने भावों व विचारों को अभिव्यक्त कर पाता है।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
साहित्य मनुष्य जाति के विकसित होने का मुख्य साधन है, क्योंकि साहित्य के माध्यम से ही मनुष्य अपने भावों व विचारों को अभिव्यक्त करता है। साहित्य मानव जाति के उच्च से उच्च तथा सुंदर से सुंदर विचारों और भावों का वह गुच्छा है, जिसकी बाहरी सुंदरता तथा भीतरी सुगंध दोनों ही मन को मोह लेते हैं।
(घ) गद्यांश के अनुसार, जाति अथवा राष्ट्र की उन्नति किस प्रकार संभव है? (2)
उत्तर:
गद्यांश के अनुसार, जाति अथवा राष्ट्र की उन्नति साहित्यिक उन्नति द्वारा संभव है। जाति और राष्ट्र के उत्थान के साथ-साथ उस जाति या राष्ट्र के साहित्य की भी उन्नति होती है। इस प्रकार साहित्य की अवनति उस जाति के पतन का अटल और अटूट प्रमाण है।
(ङ) राष्ट्रीयता का भाषा और साहित्य के साथ कैसा संबंध है तथा क्यों है? किन्हीं दो बिंदुओं का उल्लेख कीजिए। (2)
उत्तर:
राष्ट्रीयता का भाषा और साहित्य के साथ बहुत ही घनिष्ठ संबंध है। इसके संबंध के विषय में दो बिंदु
(i) राष्ट्रीयता और जातीयता के अंगों में सबसे अधिक आवश्यक अंग एकता है और वह एकता किसी विशेष विषय में नहीं है।
(ii) एकता जितनी व्यापक होगी, राष्ट्रीयता उतनी ही स्थिर और शक्तिशाली होगी।
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए (7)
आज से लगभग छः सौ साल पूर्व संत कबीर ने सांप्रदायिकता की जिस समस्या की ओर ध्यान दिलाया था, वह आज भी प्रसुप्त ज्वालामुखी की भाँति भयंकर बनकर देश के वातावरण को विदग्ध करती रहती है। देश का यह बड़ा दुर्भाग्य है कि जहाँ जाति, धर्म, भाषागत ईर्ष्या, द्वेष, वैर-विरोध की भावना समय-असमय भयंकर ज्वालामुखी के रूप में भड़क उठती है। दस-बीस हताहत होते हैं, लाखों-करोड़ों की संपत्ति नष्ट हो जाती है। भय, त्रास और अशांति का प्रकोप होता है। विकास की गति अवरुद्ध हो जाती है।
कबीर हिंदू-मुसलमान में, जाति-जाति में शारीरिक दृष्टि से कोई भेद नहीं मानते। भेद केवल विचारों और भावों का है। इन विचारों और भावों के भेद को बल धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिकता से मिलता है। हृदय की चरमानुभूति की दशा में राम और रहीम में कोई अंतर नहीं। अंतर केवल उन माध्यमों में है, जिनके द्वारा वहाँ तक पहुँचने का प्रयत्न किया जाता है। इसलिए कबीर साहब ने उन माध्यमों–पूजा, नमाज, व्रत, रोजा आदि के दिखावे का विरोध किया। समाज में एकरूपता तभी संभव है, जब जाति, वर्ण, वर्ग भेद न्यून-से-न्यून हो। संतों ने मंदिर-मस्जिद, जाति- पाँति के भेद में विश्वास नहीं रखा। सदाचार ही संतों के लिए महत्त्वपूर्ण है। कबीर ने समाज में व्याप्त बाह्याडंबरों का कड़ा विरोध किया और समाज में एकता, समानता तथा धर्मनिरपेक्षता की भावनाओं का प्रचार-प्रसार किया।
(क) गद्यांश में किस समस्या को ज्वालामुखी कहा गया है? (1)
(i) अनेकता की समस्या को
(ii) सांप्रदायिकता की समस्या को
(iii) शारीरिक विकलांगता की समस्या को
(iv) बेरोज़गारी की समस्या की
उत्तर:
(ii) सांप्रदायिकता की समस्या को
गद्यांश में सांप्रदायिकता की समस्या को ज्वालामुखी कहा गया है। सांप्रदायिकता की यह समस्या आज भी प्रसुप्त ज्वालामुखी की भाँति भयंकर बनकर देश के वातावरण को विदग्ध करती रहती है।
(ख) मनुष्य के विचारों और भावों के भेद के परिणामस्वरूप किसे बल मिलता है? (1)
(i) भाषागत विभिन्नता को
(ii) ईर्ष्या-द्वेष की भावना को
(iii) धार्मिक सद्भावना को
(iv) धार्मिक कट्टरता को
उत्तर:
(iv) धार्मिक कट्टरता को
कबीर हिंदू-मुसलमान में, जाति-पाँति में शारीरिक दृष्टि से कोई भेद नहीं मानते। भेद केवल विचारों और भावों का है। इन विचारों और भावों के भेद को बल धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिकता से मिलता है।
(ग) कथन (A): कबीर ने पूजा, नमाज, व्रत, रोजा आदि के बाह्य दिखावे का विरोध किया। (1)
कारण (R): क्योंकि वे मानते थे कि हृदय की चरमानुभूति की दशा में राम और रहीम में कोई अंतर नहीं होता।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
गद्यांश में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कबीर ने पूजा, नमाज, रोजा जैसे धार्मिक दिखावों का विरोध इसलिए किया, क्योंकि वे मानते थे कि आत्मिक स्तर पर राम और रहीम में कोई भेद नहीं है। यह भावना सभी धर्मों की एकता पर बदल देती है।
(घ) “संतों ने मंदिर-मस्जिद, जाति पाँति के भेद में विश्वास नहीं रखा।” प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से संत मनुष्य जाति के किस गुण में विश्वास रखते हैं? (2)
उत्तर:
“संतों ने मंदिर-मस्जिद, जाति पाँति के भेद में विश्वास नहीं रखा।” प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से संत मनुष्य जाति के एकता, समानता और धर्मनिरपेक्षता के गुण में विश्वास रखते हैं। सदाचार ही संतों के लिए महत्त्वपूर्ण है। कबीर ने समाज में व्याप्त बाह्याडंबरों का कड़ा विरोध किया और समाज में एकता, समानता तथा धर्मनिरपेक्षता की भावनाओं का प्रचार-प्रसार किया।
(ङ) समाज में व्याप्त जाति-वर्ण से संबंधित भेदभाव कम होने पर क्या संभव है? (2)
उत्तर:
समाज में व्याप्त जाति वर्ण से संबंधित भेदभाव कम होने पर एकरूपता संभव है। गद्यांश के अनुसार, समाज में एकरूपता तभी संभव है, जब जाति, वर्ण, वर्ग और भेद न्यून से न्यून हों।
खंड ‘ख’ (व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)
व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1 × 16 = 16) के उत्तर देने हैं।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘पदबंध पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘मैं मैदान में खेलने चला जाता।’ (पदबंध छाँटकर उसका भेद भी लिखिए।) (1)
(ख) ‘शैलेंद्र ने पूरी लगन और निष्ठा के साथ अपनी फिल्म बनाई।’ (क्रिया-विशेषण पदबंध छाँटिए।) (1)
(ग) ‘स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले नौजवान गिरफ्तार कर लिए गए।’ (संज्ञा पदबंध छाँटिए।) (1)
(घ) ‘तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।’ रेखांकित वाक्यांश में कौन सा पदबंध है? (1)
(ङ) ‘आज का इंसान बहुत स्वार्थी और क्रूर हो गया है।’ (विशेषण पदबंध छाँटिए।) (1)
उत्तर:
(क) ‘खेलने चला जाता’ में क्रिया पदबंध है।
(ख) ‘पूरी लगन और निष्ठा के साथ इसमें क्रियाविशेषण पदबंध है।
(ग) ‘स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले नौजवान’ में सज्ञा पदबंध है।
(घ) रेखांकित वाक्यांश विलक्षण रहस्य में विशेषण पदबंध है।
(ङ) बहुत स्वार्थी और क्रूर में विशेषण पदबंध है।
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1 × 4 = 4)
(क) ‘वज़ीर अली के जन्म को सआदत अली ने अपनी मौत माना।’ प्रस्तुत वाक्य का संयुक्त वाक्य क्या होगा? (1)
(ख) वामीरो गीत गा रही थी और तताँरा मंत्र-मुग्ध होकर सुन रहा था। (सरल वाक्य में परिवर्तित कीजिए।) (1)
(ग) ‘तीसरी कसम’ एक दिल से बनाई गई फिल्म थी। (मिश्रित वाक्य में परिवर्तित कीजिए।) (1)
(घ) समुद्र में प्रदूषण बढ़ रहा है और इससे जीव-जंतुओं का जीवन खतरे में है (रचना की दृष्टि से वाक्य भेद लिखिए।) (1)
(ङ) अंग्रेज़ी पढ़ने वाला विद्वान बनता है।’ वाक्य को मिश्र वाक्य में रूपांतरित कीजिए। (1)
उत्तर:
(क) वज़ीर अली का जन्म हुआ और सआदत अली ने इसे अपनी मौत माना।
(ख) वामीरो के गीत गाने पर तताँरा मंत्र-मुग्ध होकर सुन रहा था।
(ग) ‘तीसरी कसम’ एक ऐसी फिल्म थी, जिसे दिल से बनाया गया था।
(घ) रचना की दृष्टि से यह वाक्य संयुक्त वाक्य है।
(ङ) जो अंग्रेज़ी पढ़ता है, वह विद्वान बनता है।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘समास’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘हृदयस्पर्शी’ पद में कौन-सा समास प्रयुक्त है? (1)
(ख) ‘भलामानस’ शब्द का सही समास विग्रह क्या है? इसमें कौन-सा समास प्रयुक्त है? (1)
(ग) द्वंद्व समास का एक उदाहरण लिखिए। (1)
(घ) ‘धरती पुत्र’ शब्द का समास विग्रह कीजिए और समास बताइए। (1)
(ङ) ‘सप्ताह’ शब्द में कौन-सा समास है? (1)
उत्तर:
(क) ‘हृदयस्पर्शी’ पद में तत्पुरुष समास प्रयुक्त है।
(ख) ‘भलामानस’ शब्द का सही समास विग्रह ‘भला है, जो मानस है। इसमें कर्मधारय समास है।
(ग) द्वंद्व समास का उदाहरण ‘पशु-पक्षी’ है इसका विग्रह पशु और पक्षी हैं।
(घ) ‘धरती पुत्र’ शब्द का समास विग्रह ‘धरती का पुत्र’ है। इसमें तत्पुरुष समास है।
(ङ) ‘सप्ताह’ शब्द में द्विगु समास है।
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प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘मुहावरे’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) रिक्त स्थान की पूर्ति उचित मुहावरे द्वारा किजिए। (1)
‘छोटे भाई ने खेलने जाने के कई बहाने बनाए, मानो वह बड़े भाई साहब की आँखों में ________________ रहा हो।’
(ख) आज का दिन उन देशभक्तों की याद दिलाता है, जिन्होंने देश के लिए अपनी ________________ । (1)
(ग) वज़ीर अली ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था।’ इस वाक्य से मुहावरा छाँटकर उसका वाक्य में प्रयोग कीजिए। (1)
(घ) प्राणों को खतरे में डालना अर्थ के लिए मुहावरा लिखिए। (1)
(ङ) जमीन-आसमान एक करना’ मुहावरे का वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें कि अर्थ स्पष्ट हो जाए। (1)
उत्तर:
(क) धूल झोंक
(ख) कुर्बानी दी
(ग) मुहावरा नाक में दम करना।
वाक्य प्रयोग शरारती छात्रों ने विद्यालय की नाक में दम कर रखा है।
(घ) प्राणों को खतरे में डालना का मुहावरा है जान पर खेलना। तताँरा परंपरा और समाज के विरुद्ध जाकर वामीरो के प्रेम के लिए अपनी जान पर खेल गया।
(ङ) हरिहर काका की जमीन हथियाने के लिए महंत और उनके भाइयों ने जमीन-आसमान एक कर दिया।
खंड ‘ग’ (पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (20 अंक)
इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
मेरी माँ कहती थी, सूरज ढले आँगन के पेड़ों से पत्ते मत तोड़ो, पेड़ रोएँगे। दीया बत्ती के वक्त फूलों को मत तोड़ो, फूल बद्दुआ देते हैं….दरिया पर जाओ तो उसे सलाम किया करो, वह खुश होता है। कबूतरों को मत सताया करो, वे हजरत मुहम्मद को अज़ीज़ हैं। उन्होंने उन्हें अपनी मजार के नीले गुंबद पर घोंसले बनाने की इजाजत दे रखी है। मुर्गे को परेशान नहीं किया करो, वह मुल्ला जी से पहले मोहल्ले में अजान देकर सबको सवेरे जगाता है।
सबकी पूजा एक सी, अलग-अलग है रीत।
मस्जिद जाए मौलवी, कोयल गाए गीत।।
(क) ‘नीले गुंबद पर घोंसले बनाने की इजाजत दे रखी है।’ पंक्ति में गुंबद से क्या तात्पर्य है? (1)
(i) इमारत का अर्द्ध गोलाकार शिखर
(ii) लोगों का समूह
(iii) पक्षियों के रहने का स्थान
(iv) नदियों की समतल भूमि
उत्तर:
(i) इमारत का अर्द्ध-गोलाकार शिखर
गुंबद से तात्पर्य इमारत के अर्द्ध-गोलाकार शिखर से है।
(ख) माँ ने शाम के समय पेड़ों से पत्ते न तोड़ने के पीछे क्या तर्क दिया? (1)
1. उस समय पेड़ सोते हैं।
2. उस समय पेड़ दूसरी दुनिया में होते हैं।
3. ऐसा करने से पेड़ रोते हैं।
4. उस समय पेड़ ध्यान लगाते हैं।
कूट
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) ये सभी
उत्तर:
(ii) केवल 3
लेखक की माँ ने शाम के समय पेड़ों से पत्ते न तोड़ने के पीछे का कारण बताया कि इस समय पत्ते तोड़ने से पेड़ रोते हैं।
(ग) कथन (A): लेखक की माँ कबूतरों को सताने और मुर्गे को परेशान करने से मना करती है। (1)
कारण (R): लेखक की माँ के मन में पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम भरा था।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
लेखक की माँ कबूतरों को सताने और मुर्गे को परेशान करने से मना करती है, क्योंकि लेखक की माँ के मन में पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम भरा था। जब कभी लेखक बच्चों को पशु-पक्षियों को सताते हुए देखता है, तो माँ द्वारा दी गई सीख को याद करता है और सोचता है कि वे लोग कहाँ गए, जिनमें मनुष्य के प्रति ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षियों के प्रति भी प्रेम भाव कूट-कूटकर भरा हुआ था।
(घ) माँ के अनुसार, दीया बत्ती के समय फूल तोड़ने से क्या होता है? (1)
(i) फूल मुरझा जाते हैं।
(ii) फूल बद्दुआ देते हैं।
(iii) फूल अपने-आप गिर जाते हैं।
(iv) फूलों की सुगंध समाप्त हो जाती है।
उत्तर:
(ii) फूल बद्दुआ देते हैं।
माँ के अनुसार, दीया-बाती के समय फूल तोड़ने से फूल बद्दुआ देते हैं।
(ङ) सुमेलित कीजिए (1)
| सूची I | सूची II |
| A. फूल | 1. सुबह सबको जगाता है |
| B. कबूतरों की शरारतें | 2. दरिया पर सलाम करने से वह खुश होता है |
| C. कबतरों से तंग पन्नी | 3. हजरत मोहम्मद को अज़ीज़ हैं। |
| D. कबूतरों के कारण खामोशी | 4. परेशानी और उदासी |
कूट
| A | B | C | D | |
| (i) | 1 | 2 | 3 | 4 |
| (ii) | 2 | 1 | 3 | 4 |
| (iii) | 3 | 4 | 1 | 2 |
| (iv) | 4 | 3 | 1 | 2 |
उत्तर:
(iv) 4 3 1 2
फूलों को मत तोड़ो, क्योंकि वे बददुआ देते हैं। कबूतर हजरत मोहम्मद को प्रिय हैं। मुर्गा सबको सुबह अजान से जगाता है। दरिया पर सलाम करने से वह (नदी) खुश होता है।
प्रश्न 8.
गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए (2 × 3 = 6)
(क) वामीरो पर तताँरा का प्रभाव जम चुका था, उसकी आँखों के सामने बार-बार तताँरा का चेहरा आ जाता। उसने तताँरा के विषय में बहुत-सी बातें सुनी थीं, किंतु वह उन सबसे अलग था। ‘तताँरा-वामीरो कथा पाठ के आधार पर तताँरा के स्वभाव की विशेषता बताइए। (2)
उत्तर:
‘तताँरा-वामीरो कथा’ पाठ में तताँरा में नायक होने के सभी गुण विद्यमान हैं। वह सुंदर, स्वस्थ, साहसी और परोपकारी है। उसकी शारीरिक विशिष्टताओं और आंतरिक गुणों से हर कोई प्रभावित हो जाता है। जब वामीरो ने उसे पहली बार देखा, तो उसे लगा कि उसने अपने जीवनसाथी के रूप में ऐसे ही युवक की कल्पना की थी। वह सरल हृदय का था। वह अपने गाँव के अतिरिक्त बाहर के गाँव की भी विपत्ति के समय मदद करने के लिए पहुँच जाता था। वह स्वभाव से शांत व खुशमिजाज था। वह प्रकृति, गीत जैसे गुणों को पसंद करता था।
(ख) सिपाही किससे तंग आ गए थे और क्यों? ‘कारतूस पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
सिपाही वज़ीर अली से तंग आ गए थे, क्योंकि वे कई हफ्तों से जंगल में डेरा डाले पड़े थे, परंतु वज़ीर अली फिर भी नहीं पकड़ा गया था। अब सभी सिपाही जंगल की कष्ट भरी जिंदगी से तंग आ चुके थे। अवध के अपदस्थ नवाब वज़ीर अली ने विद्रोह कर दिया था तथा गोरखपुर के निकट जंगलों में वह सक्रिय था। ब्रिटिश कंपनी उसे गिरफ्तार करना चाहती थी। इसलिए कर्नल कॉलिंज नेतृत्व में सैनिकों की एक बटालियन जंगल में खेमा डाले पड़ी थी।
(ग) चाय पीने की प्रक्रिया ने लेखक के दिमाग की गति धीमी कैसे कर दी? ‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ पाठ के आधार पर बताइए। (2)
उत्तर:
जापान की ‘टी-सेरेमनी’ में चाय पीने के लिए बैठने का स्थान व वातावरण अत्यंत शांत और गरिमापूर्ण था। टी-सेरेमनी में चाय प्याले में दो घूँट से अधिक चाय नहीं होती है, वे लोग होंठों से प्याला लगाकर एक-एक बूँद चाय पीते हैं। करीब डेढ़ घंटे तक यह सिलसिला चलता रहता है, जिससे दिमाग की रफ्तार धीरे-धीरे धीमी पड़ने लगती है। लोगों को लगता है मानो वह वर्तमान क्षण अनंतकाल जितना विस्तृत है और वे लोग अनंतकाल में जी रहे हैं। यहाँ तक कि उन्हें सन्नाटा भी स्पष्ट रूप से सुनाई देता है।
(घ) धर्म तल्ले के मोड़ पर जुलूस टूटने का क्या कारण था? ‘डायरी का एक पन्ना पाठ के आधार पर बताइए। (2)
उत्तर:
सुभाष बाबू के नेतृत्व में जुलूस पूरे जोश के साथ आगे की ओर बढ़ रहा था, परंतु थोड़ा आगे जाने पर ही सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया तथा उन्हें गाड़ी में बैठाकर लाल बाजार जेल में भेज दिया गया। कुछ देर बाद ही स्त्रियाँ वहाँ से जुलूस बनाकर फिर से आगे बढ़ी और बहुत बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गई। पुलिस ने लाठीचार्ज अर्थात् फिर डंडे चलाने शुरू कर दिए। भीड़ ज्यादा होने के कारण बहुत आदमी घायल हो गए। इस कारण धर्म तल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस टूट गया।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए (1 × 5 = 5)
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
अतीव भाग्यहीन है अधीर भाव जो करें,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
(क) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने क्या प्रेरणा दी है? (1)
(i) ईश्वर का स्मरण करने की
(ii) धन के उन्माद में अहंकारी न होने की
(iii) संघर्षो से न घबराने की
(iv) अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की
उत्तर:
(ii) धन के उन्माद में अहंकारी न होने की
प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने हमें गर्व-रहित जीवन व्यतीत करने की सलाह दी है। हमें तुच्छ धन-संपत्ति पर अहंकार कर मनुष्यता की प्रवृत्तियों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। अपनी मदांधता में स्वयं को वर्चस्वशाली तथा अन्य लोगों को अनाथ समझने की भूल कदापि नहीं करनी चाहिए।
(ख) पद्यांश के अनुसार हमें किस बात पर गर्व नहीं करना चाहिए? (1)
(i) हम धनी हैं
(ii) धन के अहंकार में स्वयं को सनाथ जानकर
(iii) हम अपने आप में पूर्ण हैं
(iv) हम उन्नति के लिए सक्षम हैं
उत्तर:
(ii) धन के अहंकार में स्वयं को सनाथ जानकर।
पद्यांश के अनुसार हमें धन के अहंकार में अंधे होकर स्वयं को अधिक सक्षम मानकर गर्व नहीं करना चाहिए। सभी मनुष्य को समान समझते हुए, सृष्टि की एकता को समझना आवश्यक है। कवि का मानना है कि दयालु ईश्वर ही सृष्टिकर्ता है।
(ग) कवि ने अति भाग्यहीन किसे कहा है? (1)
(i) जो डरता रहता है
(ii) जो मदांध है
(iii) जो धैर्य नहीं रखता
(iv) जो उच्चता का भाव रखता है।
उत्तर:
(iii) जो धैर्य नहीं रखता।
कवि ने अति भाग्यहीन उसे कहा है, जो धैर्य नहीं रखता है। अतः जो भी मनुष्य ईश्वर के रहते हुए भी अपने मन में अधीरता रखता है, वह बहुत अभागा है। सच्चा मनुष्य तो वही है, जो दूसरे मनुष्यों के काम आता है उनके लिए जीता और मरता है।
(घ) पद्यांश के आधार पर बताइए कि यहाँ कोई अनाथ क्यों नहीं है? (1)
(i) क्योंकि समाज सबका ध्यान रखता है।
(ii) क्योंकि सबको परिवार का सहारा है।
(iii) क्योंकि ईश्वर सबके साथ है।
(iv) क्योंकि हमें अपने परिश्रम पर विश्वास है
उत्तर:
(iii) क्योंकि ईश्वर सबके साथ है।
पद्यांश के आधार पर यहाँ कोई अनाथ इसलिए नहीं है, क्योंकि ईश्वर सबके साथ हैं। मनुष्य को अनाथ समझने की भूल कदापि नहीं करनी चाहिए। कवि का मानना है कि ईश्वर ही सृष्टिकर्ता है और वह किसी को अनाथ नहीं रहने देता, क्योंकि उसकी विशाल भुजाएँ हमेशा सहायता के लिए उठी रहती हैं।
(ङ) कथन (A): संसार में कोई अनाथ नहीं है। (1)
कारण (R): त्रिलोकनाथ भगवान सबके साथ हैं।
(i) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, किंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
पद्यांश के अनुसार संसार में कोई अनाथ नहीं है, क्योंकि भगवान त्रिलोकनाथ सबके साथ हैं और उनकी दया से सबको सहारा मिलता है। भगवान दीन और कमजोरों के रक्षक हैं। उनका आशीर्वाद सभी पर बना रहता है।
प्रश्न 10.
काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए (2 × 3 = 6)
(क) “मीरा की रचनाओं में पूर्ण समर्पित भक्ति भावना निहित है।” अपने शब्दों में इस कथन की पुष्टि ‘मीरा के पद’ पाठ के आधार पर कीजिए। (2)
उत्तर:
‘मीरा के पद’ पाठ के आधार पर मीराबाई श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त हैं। वे श्रीकृष्ण की भक्ति में इतनी दीवानी बन गई हैं कि उन्हें लोकलाज, कुल वंश, सामाजिक मर्यादा आदि का भी ध्यान नहीं रहा। मीरा की भक्ति में समर्पण की भावना है। उनके काव्य में अनुभूति की गहराई है। वे श्रीकृष्ण को अपना आराध्य भी मानती हैं तथा प्रियतम भी। वे उनकी सेवा में समर्पित हैं तथा उनके दर्शन की तीव्र अभिलाषा रखती हैं। उनके अनुसार प्रभु के दर्शन, स्मरण और भक्ति ये तीनों ही भक्तों की सच्ची जागीर होती हैं। उनकी रचनाओं में भक्ति भावना की प्रधानता स्पष्ट रूप से द्रष्टव्य है।
(ख) झरने किसके गौरव का गान कर रहे हैं? बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है? ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए। (2)
उत्तर:
पर्वतीय प्रदेश में बहते हुए झरने ऊँचे-ऊँचे पर्वतों के गौरव का गान कर रहे हैं। बहते हुए झरने की तुलना सुंदर मोतियों की लड़ियों से की गई है तथा उनकी आवाज नस-नस में जोश भरने वाली महसूस हो रही है। ये एक संगीतमय वातावरण का सृजन कर रहे हैं। झरनों के झर-झर की आवाज सुनकर मन, उत्साह एवं उमंग से भर जाता है तथा वातावरण संगीतमय हो जाता है। इस प्रकार गिरते हुए झरनों की आवाज़ से संपूर्ण पर्वत प्रदेश मुखर हो उठता है।
(ग) कवि के जीवन में सुखों के आगमन पर कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करता है? ‘आत्मत्राण’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
कवि सुखों के दिनों के लिए ईश्वर से निवेदन करता है कि आप मुझ पर ऐसी कृपा रखिए कि जब मेरे जीवन में सुखों का आगमन हो, तो मैं आपको प्रतिक्षण याद कर सकूँ, मैं आपको कभी विस्मृत न कर पाऊँ। सुख के क्षणों में भी मेरे अंदर अहं भाव न आने पाए तथा मैं पूर्ण विनम्रता के साथ आपको प्रतिक्षण अपने आस-पास अनुभव कर सकूँ।
(घ) कविता ‘तोप’ आपको तोप के बारे में क्या जानकारी देती है? (2)
उत्तर:
इस कविता में कवि हमें कंपनी गार्डन में रखी उस तोप के बारे में जानकारी देता है, जिसका प्रयोग प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश सेना ने किया था। इस तोप ने अपने गोलों से असंख्य शूरवीरों को मौत के घाट उतार दिया था। यह तोप बहुत शक्तिशाली थी, परंतु अब केवल प्रदर्शन की वस्तु बन गई है। अब इससे किसी को डर नहीं लगता। बच्चे इस पर घुड़सवारी करते हैं। चिड़ियाँ, गौरैयां इसके भीतर घुस जाती हैं। यह तोप हमें बताती है कि कोई कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, एक दिन उसे धराशायी होना ही पड़ता है।
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प्रश्न 11.
पूरक पाठ्यपुस्तक ‘संचयन’ पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40-50 शब्दों में दीजिए (3 × 2 = 6)
(क) “यदि तुम अपनी ज़मीन ठाकुरबाड़ी को दान कर दो, तो तुम्हारा नाम अमर हो जाएगा।” ‘हरिहर काका’ कहानी के इस कथन के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि धर्म के ठेकेदार आम लोगों की अंध श्रद्धा का लाभ कैसे उठाते हैं? (3)
उत्तर:
आम आदमी की धर्म के प्रति अंध श्रद्धा को धर्म के ठेकेदार कहे जाने वाले महंत, पुजारी आदि अपने स्वार्थ को पूरा करते हैं। वे व्यक्ति को धर्म के नाम पर डरा-धमकाकर अपनी जेब भरते रहते हैं। जब भी वे किसी व्यक्ति को दुःखी, निराश या परेशान देखते हैं, तो तुरंत ही मोहमाया की बातें कर उसे अपने जाल में फँसा लेते हैं। ‘हरिहर काका’ कहानी के पात्र भी ऐसे ही धर्म के ठेकेदारों के शिकार हो जाते हैं, जब ठाकुरबारी में महंत ने हरिहर काका को समझाया कि यदि वह अपनी जमीन को ठाकुरबारी के नाम लिख देंगे, तो उनका नाम अमर हो जाएगा और समाज में उनका सम्मान बढ़ जाएगा। तब उन्हें लगा कि उन्हें इस पुण्य अवसर को ठुकराना नहीं चाहिए। दूसरी ओर उन्होंने यह सोचा कि उसके भाइयों का परिवार भी तो अपना ही परिवार है। यदि वह अपने भाइयों को अपनी जमीन-जायदाद का हिस्सा नहीं देते, तो यह अपने परिवार से विश्वासघात करने जैसा होगा। चाहे कुछ भी हो जाए, परिवार के सदस्य ही तो अंतिम समय में काम आते हैं। यही सब सोचकर हरिहर काका असमंजस की स्थिति में आ गए और किसी को भी कुछ नहीं कह पाए।
(ख) वह जब इफ्फन के घर जाता तो उसकी दादी ही के पास बैठने की कोशिश करता। इस कथन के आधार पर टोपी शुक्ला’ पाठ में टोपी और इफ्फन की दादी के आत्मीय संबंधों को स्पष्ट कीजिए एवं यह भी बताइए कि इससे आपको क्या प्रेरणा मिलती है? (3)
उत्तर:
टोपी जब भी इफ्फन के घर जाता तो उसकी दादी ही के पास बैठने की कोशिश करता। इफ्फन की अम्मी और बाजी से वह बातचीत करने की भी कोशिश न करता। टोपी कट्टर हिंदू परिवार से था, जबकि इफ्फन की दादी मुसलमान परिवार से जुड़ी थीं। दोनों के बीच धर्मों की भिन्नता होने के बावजूद भी टोपी को इफ्फन की दादी से अत्यधिक अपनापन मिला। इस अकेलेपन को दोनों ने आपसी प्रेम व सम्मान की भावना से एक-दूसरे के लिए बाँटकर साझा करके समाप्त किया। दोनों के बीच न तो धर्म की समानता थी, न संस्कृति की और न ही उम्र की। इसके विपरीत दोनों में एक-दूसरे के प्रति अपार प्रेम व स्नेह की भावना थी। दोनों एक-दूसरे के बिना स्वयं को अकेला महसूस करते थे। टोपी और इफ्फन जैसी मित्रता से हमें प्रेरणा मिलती है कि ऐसी मित्रता सांप्रदायिक भावना, तनाव और झगड़ों को समाप्त करने में उपयोगी सिद्ध हो सकती है। समाज व देश में निर्मित धार्मिक दीवारों को तोड़ सकती है तथा आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा दे सकती है। अतः हम सभी को जाति पाँति, ऊँच-नीच और सांप्रदायिकता को भुलाकर समाज व राष्ट्र को संपन्न और सुदृढ़ करने की ओर कदम बढ़ाने चाहिए।
(ग) स्कूल जाने के प्रति लेखक के मन में निराशा के भाव थे, परंतु धीरे-धीरे स्कूल के प्रति उसका आकर्षण बढ़ने लगा, ऐसा कब संभव हुआ? ‘सपनों के-से दिन’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (3)
उत्तर:
लेखक को बचपन में स्कूल कभी खुशी से जाने की जगह नहीं लगी। चौथी कक्षा तक लेखक अपने कुछ सहपाठियों की तरह रोते- चीखते ही स्कूल पहुँचता था। उसके मन में स्कूल के प्रति एक प्रकार का भय समाया हुआ था। कई बच्चे तो तालाब में किताब कॉपियों को फेंक पढ़ाई को ही तिलांजलि दे चुके थे। स्कूल में जीवन नीरस तथा कैदी सा प्रतीत होता था। स्कूल के प्रति लेखक के मन में निराशा के भाव होते हुए भी धीरे-धीरे स्कूल उसे भाने लगा। यह तब संभव हुआ, जब स्काउटिंग के अभ्यास का अवसर लेखक को मिला। नीली-पीली झंडियों को हिलाते हुए उसे परेड करना अच्छा लगता था और इस कारण स्कूल के प्रति उसका आकर्षण भी बढ़ गया।
खंड ‘घ’ (रचनात्मक लेखन) (22 अंक)
इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए (5)
(क) मेरे जीवन का लक्ष्य
संकेत बिंदु
- जीवन में लक्ष्य की आवश्यकता
- आपका लक्ष्य क्या है?
- लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयास
- सफल होकर समाज के लिए क्या करोगे?
- उपसंहार
उत्तर:
मेरे जीवन का लक्ष्य
जीवन में निश्चित सफलता के लिए एक निश्चित लक्ष्य का होना अत्यंत आवश्यक है। जिस तरह निश्चित गंतव्य तय किए बिना, चलते रहने का कोई अर्थ नहीं रह जाता, उसी तरह लक्ष्य विहीन जीवन भी निरर्थक होता है। मेरे जीवन का लक्ष्य है सफलता और संवेदनशीलता की ओर अग्रसर होना। मैं यह मानता हूँ कि जीवन का उद्देश्य केवल अपने लिए ही नहीं होता, बल्कि उसमें समाज के साथ मिलकर उपयोगी योगदान देना भी शामिल है। मैं शिक्षा, साहित्य और विज्ञान के क्षेत्र में अपनी योग्यता विकसित करने का प्रयास कर रहा हूँ, जिससे कि अपने साथ-साथ समाज का भी हित कर सकूँ। एक व्यक्ति को अपनी योग्यता एवं रुचि के अनुरूप अपने लक्ष्य का चयन करना चाहिए। जहाँ तक मेरे जीवन के लक्ष्य की बात है, तो मुझे बचपन से ही पढ़ने-लिखने का शौक रहा है, इसलिए मैं एक शिक्षक बनना चाहता हूँ। शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास करती है और इस प्रक्रिया में शिक्षक की भूमिका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होती है।
मैं शिक्षक बनकर समाज हित के ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति प्राप्त करना चाहूँगा, क्योकि ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छे एवं समर्पित शिक्षकों का अभाव है। एक आदर्श शिक्षक के रूप में मैं धार्मिक कट्टरता, प्राइवेट ट्यूशन, नशाखोरी आदि से बचाने हेतु छात्रों का उचित मार्गदर्शन करूँगा। मैं सही समय पर विद्यालय जाऊँगा और अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी से करूंगा। शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए सहायक सामग्रियों का भरपूर प्रयोग करूँगा, साथ ही छात्रों को हमेशा अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करूंगा। छात्रों पर नियंत्रण रखने के लिए शैक्षणिक मनोविज्ञान का अच्छा ज्ञान प्राप्त करूँगा। मुझे आज के समाज की आवश्यकताओं का ज्ञान है, इसलिए मैं इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु छात्रों को उनके नैतिक कर्त्तव्यों का ज्ञान कराऊँगा। अतः मेरे जीवन का लक्ष्य होगा- आदर्श शिक्षक बनकर समाज की सेवा करना तथा देश के विकास में योगदान देना।
(ख) प्राकृतिक आपदा : भूकंप
संकेत बिंदु
- भूकंप के कारण
- भूकंप के प्रकोप
- भूकंप के प्रभाव
- उपसंहार
उत्तर:
प्राकृतिक आपदा : भूकंप
भूकंप, तूफान, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, हिमपात आदि की तरह ही एक प्राकृतिक आपदा है। इस आपदा का प्रकोप विश्व के किसी-न-किसी हिस्से पर पड़ता ही रहता है, जिसके शिकार अनेक प्राणी होते हैं। इससे होने वाली जान-माल की हानि का केवल अनुमान ही लगाया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसके प्रभाव असीमित और अनिश्चित होते हैं। फलतः इसके विषय में निश्चित रूप से कहना कुछ कठिन होता है। भूकंप शब्द दो शब्दों के मेल से बना है-‘भू’ और ‘कंप’ भू शब्द का अर्थ होता है- ‘पृथ्वी’ और ‘कंप’ शब्द का अर्थ होता है- काँपना या हिलना। वैज्ञानिकों के अनुसार, प्राकृतिक कारणों के फलस्वरूप पृथ्वी के भीतर की पर्ते या चट्टानें अस्थिर होकर हिलने लगती हैं। उनके हिलने से पृथ्वी के ऊपरी भाग में भी कंपन होता है। इस कंपन की प्रक्रिया और स्वरूप को भूकंप कहा जाता है।
वैज्ञानिकों ने भूकंप आने के अनेक कारण बताए हैं। उनमें से दो मुख्य कारण विवर्तनिक कारण और अविवर्तनिक कारण हैं। विवर्तनिक कारण के अनुसार, पृथ्वी के दाब के कारण भूकंप आता है। दूसरे शब्दों में पृथ्वी का दाब सर्वत्र एक समान नहीं है। अर्थात् पृथ्वी के भीतर कहीं-कहीं अधिक गहराई पर तापमान कम भी है और अधिक भी। फलस्वरूप इसकी भीतरी परतों पर भी दाब कहीं अधिक और कहीं कम है। जहाँ पर दाब अधिक है, वह कभी-कभी बहुत बढ़ जाता है कभी तो इतना अधिक बढ़ जाता है कि पृथ्वी की भीतरी स्थिर चट्टानें हिलने-डुलने के कारण मुड़कर टूटने लगती हैं। इसका प्रभाव ऊपरी चट्टान पर पड़ने लगता है। फलस्वरूप चट्टान सरकने लगती है। इनके सरकने की प्रक्रिया के दौरान भूकंप आने लगता है।
भूगर्भशास्त्रियों का मत है कि धरती के भीतर तरल पदार्थ है। यह जब अंदर की गर्मी के कारण तीव्रता से फैलने लगता है, तो पृथ्वी हिल जाती है। कभी-कभी ज्वालामुखी का फटना भी भूकंप का कारण बन जाता है। भूकंप आने से पहले यदि सूचना या पूर्वानुमान हो जाए, तो हमें सर्वप्रथम स्वयं को व अपने सभी आस-पास के लोगों को सचेत करना चाहिए तथा सभी की सुरक्षित जगह पर पहुँचने में सहायता करनी चाहिए। भूकंप आने पर हमें किसी बड़े पेड़ या खुले मैदान की ओर जाना चाहिए तथा जब तक भूकंप शांत न हो, तब तक सुरक्षित स्थान पर ही रुकना चाहिए।
(ग) समाचार पत्र और भारत
संकेत बिंदु
- समाचार-पत्रों का महत्त्व
- समाचार-पत्रों की पहुँच
- समाचार-पत्रों की संयमित भूमिका
- उपसंहार
उत्तर:
समाचार पत्र और भारत
वर्तमान युग में समाचार पत्र को प्रजातंत्र की शक्ति का आधार स्तंभ समझा जाता है, क्योंकि समाचार पत्र एक ओर जहाँ जनता की आवाज़ है, वहीं दूसरी ओर जन-जागरण का माध्यम भी है। समाचार पत्र के द्वारा देश-विदेश की गतिविधियों, घटनाओं, समस्याओं आदि की जानकारी प्राप्त होती है। यह ज्ञानार्जन के साथ-साथ मनोरंजन का साधन भी है। समाचार-पत्रों के द्वारा आज व्यापार, शिक्षा, मनोरंजन आदि से संबंधित अनेक विज्ञापन तथा सूचनाओं का प्रसारण भी होता है। इसमें खेलकूद, सिनेमा, रेडियो तथा दूरदर्शन के कार्यक्रम, सरकारी सूचनाएँ आदि अनेक बातों की जानकारी रहती है। इसके संपादकीय में सरकारी नीतियों पर टिप्पणी प्रकाशित होती है। हमारे देश में विभिन्न भाषाओं में अनेक समाचार पत्र प्रकाशित किए जाते हैं। आज हिंदी में हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स, जनसत्ता, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला, आज, वीर अर्जन, नई दुनिया, लोकसत्ता, लोकमत, राष्ट्रीय सहारा, पंजाब केसरी जैसे अनेक समाचार-पत्र निकल रहे हैं। हमारा कर्तव्य है कि हम समाचार-पत्रों का अध्ययन करें तथा अपना ज्ञानवर्धन करें।
देश-विदेश में होने वाली प्रत्येक दिन की घटनाओं का परिचय हमें समाचार-पत्रों के माध्यम से ही मिलता है। समाचार पत्र बहुत ही शक्तिशाली यंत्र है, जो व्यक्ति के आत्मविश्वास और व्यक्तित्व को विकसित करता है। यह लोगों और संसार के बीच संबंध स्थापित करता है। हमें अपने देश के नेताओं की विचारधाराओं की जानकारी समाचार-पत्रों के माध्यम से बड़ी आसानी से मिल जाती है। दूसरे देशों में क्या चल रहा है। इन सभी बातों का ज्ञान हमें समाचार-पत्रों से ही होता है। अतः समाचार आज एक बड़ी शक्ति है, जिसके बिना हमारा ज्ञान आज के समय में अधूरा है। इससे बड़े-बड़े नेता भी घबराते हैं। यह कभी-कभी बड़ी-बड़ी सरकारों को भी उखाड़ फेंकता है, जनता में क्रांति की लहर फैलाता है और अच्छी सरकार की स्थापना में भी मदद करता है। समाचार-पत्र एक योग्य शिक्षक की भूमिका भी निभाता है। हम घर में बैठे-बैठे देश-विदेश की खबरों को जानते हैं। यह हमारा व्यावहारिक ज्ञान विकसित करता है।
प्रश्न 13.
बिजली अधिकारियों का ध्यान बिजली वितरण की अव्यवस्था की ओर आकर्षित करने के लिए प्रमुख दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए। (5)
अथवा
मनीऑर्डर खो जाने की शिकायत करते हुए तिलक नगर क्षेत्र, दिल्ली के डाकपाल को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 5 जुलाई, 20XX
सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक जागरण,
दिल्ली।
विषय बिजली वितरण की अव्यवस्था की ओर ध्यान आकर्षित कराने हेतु।
महोदय,
मैं आपके समाचार-पत्र की नियमित पाठिका हूँ। मैं अपनी समस्या इस पत्र के माध्यम से संबंधित अधिकारियों तक पहुँचाना चाहती हूँ। मैं इस क्षेत्र की एक ज़िम्मेदार नागरिक हूँ। हमारे यहाँ लगातार बिजली की कटौती हो रही है। जून माह में गर्मी अपने चरम पर होती है। इस समय लगातार कई घंटों की बिजली की कटौती अनेक समस्याएं पैदा करती है। अधिक गर्मी के कारण बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता, जब कभी बिजली आती भी है, तो उसका वोल्टेज बहुत कम होता है। मैं अपने इस पत्र के माध्यम से बिजली अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ। आशा है कि आप इसे अपने समाचार पत्र में अवश्य स्थान देंगे।
सधन्यवाद।
भवदीया
क.ख.ग.
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक 21 मई, 20XX
सेवा में,
डाकपाल महोदय,
मुख्य डाकघर,
तिलक नगर क्षेत्र,
दिल्ली।
विषय मनीऑर्डर खो जाने की शिकायत हेतु।
महोदय,
निवेदन यह है कि 10 दिन पहले मैंने आपके मुख्य डाकघर 12,000 का मनीऑर्डर (धनादेश) करवाया था। यह धनादेश मैंने अपने पिताजी के पास श्री वेदप्रकाश, मथुरा के पते पर भेजा था। 15 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक वह धनादेश मेरे पिताजी के पास नहीं पहुँचा है। और न ही धनादेश मुझे वापिस प्राप्त हुआ है। इतने दिन बीत जाने के बाद भी मुझे इस विषय की सूचना प्राप्त नहीं हुई है। धनादेश न मिलने के कारण हमें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए मैं आपको धनादेश का विवरण दे रहा हूँ, ताकि आप इस पर जल्द-से-जल्द कार्यवाही करें। धनादेश रसीद संख्या 1035, दिनांक 11 मई, 20XX मैं इस धनादेश की एक छायाप्रति/फोटोकॉपी भी इस पत्र के साथ संलग्न करके आपके पास भेज रहा हूँ। कृपया आप शीघ्रातिशीघ्र इस लापता धनादेश की जाँच करके उक्त पते पर भेजें तथा मुझे सूचित करें। आशा है कि आप शीघ्र इस पर उचित कार्रवाई करेंगे। धन्यवाद।
भवदीय
क.ख.ग.
प्रश्न 14.
आपकी एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक विद्यालय में कहीं खो गई है। उसे लौटाने की अपील करते हुए 60 शब्दों में एक सूचना लिखिए। (4)
अथवा
आप बाल भवन के निदेशक अतुल अग्निहोत्री हैं। ग्रीष्मावकाश में बाल भवन द्वारा आयोजित बाल चित्रकला कार्यशाला के लिए 60 शब्दों में एक सूचना लिखिए।
उत्तर:
केन्द्रीय विद्यालय, द्वारका, नई दिल्ली
सूचना
दिनांक 15 मई, 20XX
गणित की महत्त्वपूर्ण पुस्तक खो जाने के संबंध में
विद्यालय के सभी छात्रगण, मेरे प्रिय सहपाठी व विद्यालय के कर्मचारीगण कृपया ध्यान दें। मैं कविता कक्षा 10वीं ‘ब’ की छात्रा हूँ। मेरी गणित की पुस्तक दुर्भाग्यवश मेरी लापरवाही के कारण विद्यालय में कहीं खो गई है। जिस किसी भी छात्र, सहपाठी व कर्मचारी को वह पुस्तक मिले, तो कृपया वह पुस्तक मेरी कक्षा के रूम नंबर 19, दूसरी मंजिल ‘ए’ ब्लॉक में पहुँचाने का कष्ट करें या फिर विद्यालय कार्यालय में जमा करा दें। आपकी अति कृपा होगी।
पुस्तक का नाम : 10वीं कक्षा गणित
पुस्तक पर मेरा नाम : कविता
धन्यवाद।
कविता
10वीं ‘ब’
अथवा
बाल भवन, नई दिल्ली
सूचना
दिनांक 5 जून, 20XX
ग्रीष्मावकाश में बाल भवन में आयोजित बाल चित्रकला कार्यशाला
बाल भवन में आने वाले सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि 11 जून, 20XX को बाल भवन सभागार में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। जो इच्छुक छात्र चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेना चाहते हैं, वह भाग ले सकते हैं। कार्यक्रम में भाग लेने के इच्छुक छात्रों को पहले नाम पंजीकरण कराना आवश्यक है। इच्छुक छात्र कमरा नंबर 16 में जाकर अपना नाम लिखवा सकते हैं।
धन्यवाद।
बाल भवन निदेशक
अतुल अग्निहोत्री
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प्रश्न 15.
‘साधना स्वयंसेवी संस्था’ की ओर से ‘रक्तदान हेतु एक विज्ञापन 40 शब्दों में लिखिए। (3)
अथवा
‘नेत्रदान महादान’ विषय को आधार बनाकर 40 शब्दों में विज्ञापन लिखिए।
उत्तर:

अथवा

प्रश्न 16.
आप नमन शर्मा/नेहा शर्मा हैं। आपसे आपकी आय से ज्यादा आयकर लिया जा रहा है। इस विषय पर आयकर अधिकारी को सूचित करते हुए एक ई-मेल लगभग 80 शब्दों में लिखिए। (5)
अथवा
‘सीमित समय के लिए आए हुए सुख के लिए हमें सत्य व न्याय को नहीं भूलना चाहिए….।’ इस विषय को आगे बढ़ाते हुए लगभग 100 शब्दों में लघुकथा लिखिए।
उत्तर:
From : [email protected]
To : [email protected]
CC : [email protected]
BCC : [email protected]
विषय आय से अधिक आयकर लेने हेतु।
महोदय,
मैं आपको यह सूचित करना चाहती/चाहता हूँ कि 1/04/20XX को मुझे आयकर भवन से एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें वर्ष 20XX XX के लिए ₹ 25,000 हजार आयकर अदा करने की बात कही गई है। उक्त अवधि में मेरी आय, आयकर को सीमा से निम्न है, जोकि मात्र 1,00,000 वार्षिक है। मुझे आभास होता है कि किसी त्रुटि के कारण मेरी आय पर किसी ओर के आयकर का निर्धारण कर दिया गया है। यह आयकर मेरी आय के आयकर से अधिक है। अतः महोदय, आपसे निवेदन है कि मेरी आय पर आयकर की पुनः जाँच कर मुझे मेरी आय का उचित आयकर भेजने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
भवदीया
नेहा शर्मा
अथवा
लघुकथा एक बार रोम का एक राजा भीषण रोग से पीड़ित हो गया। उस समय के देश-विदेश के प्रख्यात चिकित्सक राजा के उपचार के लिए बुलाए गए, किंतु अच्छी-से-अच्छी औषधियों के प्रयोग से भी वे राजा के रोग का निदान न कर सके। राजा का रोग पहले की अपेक्षा और अधिक बढ़ता चला गया। असाध्य रोग के कारण राजा के हृदय में व्याकुलता और राज्य में उदासी छा गई। एक दिन एक वृद्ध पुरुष राजा के दरबार में आया और रोगग्रस्त राजा कहा कि हे राजन! एक विशेष औषधि के सेवन से आपका रोग ठीक हो सकता है। यह विशेष औषधि किसी अन्य व्यक्ति के पित्ताशय (गॉलब्लेडर) से तैयार की जाती है। यह औषधि आपके रोग को मूल से उखाड़ने की क्षमता ही नहीं रखती, अपितु आपको चिरंजीवी भी बना सकती है। वृद्ध व्यक्ति के वचनों को सुनकर राजा के निराश मन में आशा का संचार हो गया। उसने वृद्ध के प्रति मन-ही-मन कृतज्ञता अभिव्यक्त करते हुए राज्य के चिकित्सकों को ऐसे व्यक्ति को तलाश करने का आदेश दिया, जिसकी पित्त की थैली से औषधि बनाई जा सके।
अंततः चिकित्सकों को एक ऐसा परिवार मिल गया, जिनको हाथ की तंगी के कारण भरपेट भोजन भी उपलब्ध नहीं होता था। चिकित्सकों ने लड़के के माता-पिता को धन का प्रलोभन देकर उसके एकमात्र पुत्र को खरीदने का प्रस्ताव रखा। धन की लालसा ने माता-पिता की आँखों पर पर्दा डाल दिया। उनकी दृष्टि में धन मोह के सम्मुख पुत्र मोह फीका पड़ गया और उन्होंने अपने घर के दीपक को चिकित्सकों को दे दिया। चिकित्सक लड़के को राजा के सामने लेकर आए। राजा ने लड़के की पित्त की थैली को लेने के विषय में राज्य पुरोहित से विचार-विमर्श किया।
पुरोहित ने कहा हे राजन! यद्यपि देश सर्वोपरि होता है, किंतु उसका शासक उससे भी बड़ा होता है, क्योंकि वह देश की रक्षा करता है। पुरोहित के वचनों को सुनकर लड़के को राजा के सम्मुख खड़ा कर दिया गया। जल्लाद भी तलवार लेकर आ पहुँचा। चिकित्सक औषधि तैयार करने वाले उपकरणों को लेकर वहाँ खड़े हो गए। अब राजा के आदेश की प्रतीक्षा थी। उसी क्षण लड़का आकाश की ओर देखकर जोर-जोर से हँसने लगा। उसे हँसते देखकर सम्राट ने लड़के से हँसने का कारण पूछा, तो लड़के ने कहा जिस देश में माँ-बाप धन के लिए संतान को बेच दें, पुरोहित निरअपराध मनुष्य की हत्या को उचित ठहराए, देश और प्रजा की रक्षा करने वाला शासक निर्दोष प्राणी की जान लेकर अपनी जान बचाए, वहाँ तो ऊपर वाले के न्याय पर ही भरोसा करना पड़ेगा। यहाँ की शासन व्यवस्था तो 4 दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात कहावत को चरितार्थ करती है। लड़के की बातों को सुनकर सम्राट की आँखें खुल गई। उसे अपनी भूल पर पश्चाताप होने लगा। सीख प्रस्तुत कथा से हमें यह सीख मिलती है कि हमें क्षणभर की खुशी के लिए अनुचित कार्य नहीं करना चाहिए।