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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 6 with Solutions
समय: 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश
- इस प्रश्न- पत्र में चार खंड हैं- ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ और ‘घ’ ।
- खंड ‘क’ में अपठित गद्यांश से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए ।
- खंड ‘ख’ में व्यावहारिक व्याकरण से प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक पर आधारित है, निर्देशानुसार उत्तर दीजिए ।
- खंड ‘घ’ रचनात्मक लेखन पर आधारित है, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- प्रश्न पत्र में कुल 16 प्रश्न हैं, सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- यथासंभव सभी खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: लिखिए।
खंड ‘क’ (अपठित बोध) (14 अंक)
इस खंड में अपठित गद्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1 × 3 = 3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2 × 2 = 4) प्रश्न दिए गए हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (7)
चरित्र का मूल भी भावों के विशेष प्रकार के संगठन में ही समझना चाहिए। लोकरक्षा और लोकरंजन की सारी व्यवस्था का ढाँचा इन्हीं पर ठहरा है। धर्म-शासन, राज-शासन, मत-शासन सब ने इनसे पूरा काम लिया है। इनका सदुपयोग भी हुआ है और दुरुपयोग भी। जिस प्रकार लोक-कल्याण के व्यापक उद्देश्य की सिद्धि के लिए मनुष्य के मनोविकार काम में लाए गए हैं, उसी प्रकार संप्रदाय या संस्था के संकुचित और परिमित विधान की सफलता के लिए भी सब प्रकार के शासन में चाहे, धर्म- शासन हो, चाहे राज – शासन- हो, मनुष्य जाति से भय और लोभ से पूरा काम लिया गया है।
दंड का भय और अनुग्रह का लोभ दिखाते हुए राज-शासन तथा नरक का भय और स्वर्ग का लोभ दिखाते हुए धर्म-शासन और मत-शासन चलते आ रहे हैं। प्रायः इसके द्वारा भय और लोभ का प्रवर्तन सीमा के बाहर भी हुआ है और होता रहता है । जिस प्रकार शासक वर्ग अपनी रक्षा और स्वार्थसिद्धि के लिए भी इनसे काम लेते आए हैं, उसी प्रकार धर्म-प्रवर्तक और आचार्य अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा के लिए भी शासक वर्ग अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शांति के लिए भी डराते और ललचाते आए हैं । मत – प्रवर्तक अपने द्वेष और संकुचित विचारों के प्रचार के लिए भी कँपाते और डराते आए हैं। एक जाति को मूर्ति-पूजा करते देख दूसरी जाति के मत – प्रवर्तकों ने उसे पापों में गिना है। एक संप्रदाय को भस्म और रुद्राक्ष धारण करते देख दूसरे संप्रदाय के प्रचारकों ने उनके दर्शन तक को पाप माना है।
(क) लोकरंजन की व्यवस्था का ढाँचा आधारित है (1) (1)
(i) सामाजिक न्याय पर
(ii) मनुष्य के भावों के विशेष प्रकार के संगठन पर
(iii) धर्म व्यवस्था के मत पर
(iv) मनुष्य की समुचित क्रिया कर्म पर
उत्तर:
(ii) मनुष्य के भावों के विशेष प्रकार के संगठन पर प्रस्तुत गद्यांश की आरंभिक पंक्ति में स्पष्ट किया गया है कि लोकरंजन की व्यवस्था का ढाँचा मनुष्य के भावों के विशेष प्रकार के संगठन पर आधारित है। सभी भावों का उपयोग धर्म-शासन, राज-शासन तथा मत – शासन में किया जाता है।
(ख) धर्म प्रवर्तकों ने स्वर्ग-नरक का भय और लोभ क्यों दिखाया है? (1)
(i) धर्म के मार्ग पर चलने के लिए
(ii) अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए
(iii) अन्याय के पथ पर चल रहे लोगों को सही मार्ग दिखाने के लिए
(iv) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ii) अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए गद्यांश के अनुसार, धर्म-प्रवर्तकों ने स्वर्ग-नरक का भय इसलिए दिखाया है, जिससे वह अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा को बनाए रख सकें। साथ ही उनके स्वार्थों की पूर्ति भी होती रहे।
(ग) कथन (A) शासन व्यवस्था भय और लालच का सहारा लेती है। (1)
कारण (R) शासक वर्ग अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शांति के लिए प्रयास करते हैं।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है ।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की गलत व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर:
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है । गद्यांश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि शासन व्यवस्था समय-समय पर अपनी रक्षा, स्वार्थ सिद्धि और अपने द्वारा किए गए अन्याय व अत्याचार के विरोध की शांति के लिए भय और लालच का सहारा लेती आई है।
(घ) किसी जाति विशेष के किन कार्यों को अन्य जाति अनिष्ट कार्य मानती है? (2)
उत्तर:
गद्यांश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी जाति विशेष को मूर्ति पूजा करते देखना तथा भस्म या रुद्राक्ष धारण करना अन्य जातियों के प्रवर्तकों के लिए अनिष्ट कार्य हैं।
(ङ) गद्यांश हमें क्या संदेश देता है? (2)
उत्तर:
गद्यांश हमें संदेश देता है कि जीवन में भय और लालच जैसे भावों का त्याग करना चाहिए, क्योंकि भय और लालच का प्रयोग करके ही शासन व्यवस्था अन्याय व अत्याचार के विरुद्ध उठने वाली आवाज़ को दबा सकती है और इन्हीं का सहारा लेकर मत प्रवर्तक अपने द्वेष और संकुचित विचारों का प्रचार कर पाते हैं।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (7)
युगों-युगों से मानव इस धरती पर आसरा लिए हुए हैं। प्रत्येक युग प्रतिक्षण परिवर्तित हुआ है, इसलिए कहा गया है कि समय परिवर्तनशील है, जो आज हमारे साथ नहीं है, कल हमारे साथ होंगे और हम अपने दुःख और असफलता से मुक्ति पा लेंगे, यह विचार ही हमें सहजता प्रदान कर सकता है। हम दूसरे की संपन्नता, ऊँचा पद और भौतिक साधनों की उपलब्धता देखकर विचलित हो जाते हैं कि यह उसके पास तो है, किंतु हमारे पास नहीं है, वह हमारे विचारों की गरीबी का प्रमाण है और यही बात अंदर विकट असहज भाव का संचालन करती है ।
जीवन में सहजता का भाव न होने के कारण से अधिकतर लोग हमेशा ही असफल होते हैं। सहज भाव लाने के लिए हमें नियमित रूप से योगासन – प्राणायाम और ध्यान करने के साथ-साथ ईश्वर का स्मरण अवश्य करना चाहिए। इससे हमारे तन-मन और विचारों के विकार बाहर निकलते हैं और तभी हम सहजता के भाव का अनुभव कर सकते हैं। याद रखने की बात है कि हमारे विकार ही हमारे अंदर असहजता का भाव उत्पन्न करते हैं। ईर्ष्या-द्वेष और परनिंदा जैसे गुण हम अनजाने में ही अपना लेते हैं और अंततः जीवन में हर पल असहज होते हैं। उससे बचने के लिए आवश्यक है कि हम अध्यात्म के प्रति अपने मन और विचारों का रुझान रखें।
(क) मनुष्य का वैचारिक गरीबी से क्या तात्पर्य है? (1)
(i) दूसरों की संपन्नता से विचलित होना
(ii) दूसरों के ऊँचे पद से विचलित होना
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) योगासन से विचलित होना
उत्तर:
(iii) (i) और (ii) दोनों मनुष्य का वैचारिक गरीबी से तात्पर्य है— मनुष्य का दूसरों की संपन्नता से तथा ऊँचे पद आदि को देखकर विचलित हो जाना और यह सोचना कि यह सब उसके पास क्यों नहीं है।
(ख) ‘हमें नियमित रूप से योगासन प्राणायाम और ध्यान करने के साथ-साथ ईश्वर का स्मरण अवश्य करना चाहिए।’ पंक्ति के माध्यम से लेखक जीवन में …….. लाने की प्रेरणा दे रहे हैं। (1)
(i) सहज भाव
(ii) असहज भाव
(iii) ईर्ष्या भाव
(iv) द्वेष भाव
उत्तर:
(i) सहज भाव गद्यांश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि जीवन में वहीं लोग सफल होते हैं, जो सहज भाव धारण करते हैं और सहज भावों को धारण करने के लिए हमें नियमित रूप से योगासन प्राणायाम और ध्यान करने के साथ-साथ ईश्वर का स्मरण अवश्य करना चाहिए ।
(ग) कथन विकारों से भरे हुए विचार असहजता उत्पन्न करते हैं।
निष्कर्ष असहजता को समाप्त करने के लिए विकारों से मुक्त होना आवश्यक है।
(i) कथन सही है, लेकिन निष्कर्ष गलत है।
(ii) कथन और निष्कर्ष दोनों सही हैं।
(iii) कथन और निष्कर्ष दोनों गलत हैं।
(iv) कथन गलत है, लेकिन निष्कर्ष सही है।
उत्तर:
(ii) कथन और निष्कर्ष दोनों सही हैं गद्यांश के अनुसार, विकारों से भरे विचार असहजता का कारण बनते हैं और असहजता को समाप्त करने के लिए विकारों से मुक्त होना आवश्यक है, क्योंकि विकार असहजता को जन्म देते हैं।
(घ) गद्यांश के अनुसार हम कब विचलित हो जाते हैं?
उत्तर:
गद्यांश के अनुसार, हम दूसरे की संपन्नता, ऊँचा पद और भौतिक साधनों की उपलब्धता देखकर विचलित हो जाते हैं, क्योंकि इससे हमारे मन में यह आ जाता है कि उसके पास तो यह सब है, किंतु हमारे पास नहीं है। वास्तव में ऐसे भाव हमारे विचारों की गरीबी का प्रमाण है।
(ङ) गद्यांश से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर:
उपरोक्त गद्यांश से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में सहजता का भाव आवश्यक है, क्योंकि जीवन में सहजता का भाव न होने के कारण अधिकतर लोग हमेशा असफल हो जाते हैं। इसके लिए अध्यात्म के प्रति अपने मन और विचारों का रुझान करना चाहिए।
खंड ‘ख’ ( व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)
व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक एवं लघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1 × 16 = 16) के उत्तर देने हैं।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार पदबंध पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
(क) ‘ग्वालियर से मुंबई की दूरी ने काफी कुछ बदल दिया है।’ रेखांकित पदबंध का भेद बताइए। (1 × 4 = 4)
उत्तर:
रेखांकित पदबंध ‘काफी कुछ’ में सर्वनाम पदबंध है।
(ख) ‘फैलते हुए प्रदूषण ने पंछियों को बस्तियों से भगाना शुरू कर दिया।’ वाक्य में संज्ञा पदबंध को रेखांकित कीजिए। (1)
उत्तर:
फैलते हुए प्रदूषण ने पंछियों को बस्तियों से भगाना शुरू कर दिया।
(ग) उसने तताँरा को तरह-तरह से अपमानित किया। रेखांकित पदबंध के भेद का नाम बताइए | (1)
उत्तर:
रेखांकित पदबंध ‘तरह – तरह से’ में क्रिया विशेषण पदबंध है।
(घ) ‘शुद्ध आदर्श भी शुद्ध सोने के जैसे ही होते हैं’ वाक्य में विशेषण पदबंध है। (1)
उत्तर:
‘शुद्ध आदर्श भी शुद्ध सोने के जैसे ही होते हैं।’ प्रस्तुत वाक्य में ‘शुद्ध सोने’ में विशेषण पदबंध है।
(ङ) ‘आग और पानी के देवता भी उसके दास थे, मगर उसका अंत क्या हुआ?’ वाक्य में संज्ञा पदबंध को छाँटिए।
उत्तर:
‘आग और पानी के देवता भी उसके दास थे, मगर उसका अंत क्या हुआ?’ वाक्य में ‘आग और पानी के देवता’ संज्ञा पदबंध है।
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार वाक्य रूपांतरण पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘फिर तेज़ कदमों से चलती हुई तताँरा के सामने आकर ठिठक गई।’ प्रस्तुत वाक्य को संयुक्त वाक्य में रूपांतरित कीजिए।
उत्तर:
फिर तेज़ कदमों से चलती हुई आई और तताँरा के सामने आकर ठिठक गई।
(ख) ‘दो सौ आदम्नियों का जुलूस लाल बाजार जाकर गिरफ्तार हो गया।’ प्रस्तुत वाक्य को संयुक्त वाक्य में रूपांतरित कीजिए ।
उत्तर:
दो सौ आदमियों का जुलूस लाल बाज़ार गया और वहाँ गिरफ्तार हो गया।
(ग) ‘मैं मंदिर भी जाऊँगा और भजन भी सुनूँगा ।’ प्रस्तुत वाक्य को सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए।
उत्तर:
मैं मंदिर जाकर भजन सुनूँगा ।
(घ) ‘रीति के अनुसार, यह आवश्यक था कि दोनों एक ही गाँव के हों।’ वाक्य को सरल वाक्य में परिवर्तित कीजिए ।
उत्तर:
सरल वाक्य है- रीति के अनुसार, दोनों का एक ही गाँव का होना आवश्यक था।
(ङ) ‘हम अकेले पड़ने पर अपने आप से लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।’ प्रस्तुत वाक्य को मिश्रित वाक्य में रूपांतरित कीजिए ।
उत्तर:
‘हम जब अकेले पड़ते हैं, तब अपने आप से लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।’
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार समास पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)
(क) ‘जन्मभूमि’ समस्तपद कौन-से समास का उदाहरण है? (1)
उत्तर:
‘जन्मभूमि’ समस्तपद कर्मधारय समास का उदाहरण है।
(ख) ‘शाखामृग’ समस्तपद का विग्रह क्या होगा? (1)
उत्तर:
‘शाखामृग’ समस्तपद का विग्रह ‘शाखाओं पर दौड़ने वाला मृग’ है।
(ग) ‘चारपाई’ पद में कौन-सा समास प्रयुक्त है ? (1)
उत्तर:
‘चारपाई’ पद में द्विगु समास प्रयुक्त है।
(घ) ‘तुलसीकृत’ का सही समास विग्रह व समास क्या होगा? (1)
उत्तर:
‘तुलसीकृत’ का समास विग्रह ‘तुलसी द्वारा रचित’ है तथा इसमें तत्पुरुष समास है।
(ङ) ‘चंद्रशेखर’ का समास विग्रह क्या होगा तथा इसमें कौन-सा समास प्रयुक्त है ? (1)
उत्तर:
‘चंद्रशेखर’ का समास विग्रह ‘चंद्र है शिखर पर जिसके’ अर्थात् शिव तथा इसमें बहुव्रीहि समास प्रयुक्त है।
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार मुहावरों पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)
(क) ‘जब रामपाल की करतूतों की पोल खुली तो वह …….. गया। रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए सटीक मुहावरे का प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
जब रामपाल की करतूतों की पोल खुली तो वह पानी-पानी हो गया।
(ख) ‘आँखें चुरा लेना’ का क्या अर्थ है? इसका वाक्य में प्रयोग कीजिए । (1)
उत्तर:
‘आँखें चुरा लेना’ मुहावरे का अर्थ है- किसी के सामने पड़ने से बचना या अनदेखा करना ।
वाक्य प्रयोग जब से महेश ने सबसे उधार लिया है वह सबसे आँखें चुराता फिर रहा है।
(ग) “जब से नई नियमावली लागू की गई है, ऑफिस का सारा काम गुड़ गोबर कर दिया है।’ पंक्ति से मुहावरा चुनकर वाक्य में प्रयोग कीजिए | (1)
उत्तर:
‘गुड़ गोबर करना’
वाक्य प्रयोग परीक्षा की तैयारी अच्छी चल रही थी, लेकिन बीमारी के कारण सब गुड़ गोबर हो गया ।
(घ) सोहन तो निपट मूर्ख है, उसे कितना भी समझा लो उसकी समझ में कुछ नहीं आता है। रेखांकित अंश के लिए उपयुक्त मुहावरे का प्रयोग करें। (1)
उत्तर:
‘सोहन तो काठ का उल्लू है’ उसे कितना भी समझा लो उसकी समझ में कुछ नाही आता है।
(ङ) ‘अँधेरे घर का उजाला’ मुहावरे का अर्थ बताकर उसका वाक्य में प्रयोग कीजिए । (1)
उत्तर:
‘अँधेरे घर का उजाला’ मुहावरे का अर्थ है- ‘इकलौता बेटा’ वाक्य प्रयोग आज कई वर्षों बाद विदेश से रमेश के अँधेरे घर का उजाला वापस आया है।
खंड ‘ग’ (पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (28 अंक)
इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1 × 5 = 5)
दुनिया कैसे वजूद में आई? पहले क्या थी? किस बिंदु से इसकी यात्रा शुरू हुई ? इन प्रश्नों के उत्तर विज्ञान अपनी तरह से देता है, धार्मिक ग्रंथ अपनी-अपनी तरह से । संसार की रचना भले ही कैसे हुई हो, लेकिन धरती किसी एक की नहीं है। पंछी, मानव, पशु, नदी, पर्वत, समंदर आदि की इसमें बराबर की हिस्सेदारी है। यह और बात है कि इस हिस्सेदारी में मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं। पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था अब टुकड़ों में बँटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है। पहले बड़े-बड़े दालानों – आँगनों में सब मिल-जुलकर रहते थे, अब छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में जीवन सिमटने लगा है। मानव का धरती पर अधिकार जमाने के कारण संसार छोटे-छोटे टुकड़ों में बँट गया है। बढ़ती हुई आबादी ने समंदर को पीछे सरकाना शुरू कर दिया है।
(क) “मानव का धरती पर अधिकार जमाने के कारण संसार छोटे-छोटे टुकड़ों में बँट गया है।” लेखक द्वारा ऐसा कहा जाना दर्शाता है, मानव का अन्य प्राणियों और प्रकृति के प्रति उसका
(i) स्वार्थभाव
(ii) मैत्रीभाव
(iii) व्यक्तित्व
(iv) कर्त्तव्यबोध
उत्तर:
(i) स्वार्थभाव गद्यांश में लेखक द्वारा उपर्युक्त कथन का कहा जाना मानव का अन्य प्राणियों और प्रकृति के प्रति उसका स्वार्थभाव दर्शाता है। गद्यांश में बताया गया है कि मानव इतना स्वार्थी हो गया है कि दूसरे प्राणियों को तो उसने पहले ही बेदखल कर दिया था, लेकिन अब वह अपनी ही जाति अर्थात् मानवों को ही बेदखल करने में भी नहीं हिचकिचाता है।
(ख) ‘धरती किसी एक की नहीं है, लेखक ने ऐसा कहा, क्योंकि उसके अनुसार (1)
(i) इस पर केवल मनुष्य का अधिकार है।
(ii) सभी जीव एक समान नहीं हैं।
(iii) धर्म ग्रंथ में इस बात का वर्णन किया गया है।
(iv) इस पर प्रत्येक जीव का समान अधिकार है।
उत्तर:
(iv) इस पर प्रत्येक जीव का समान अधिकार है। लेखक के अनुसार, इस धरती पर पशु, पक्षी, मानव, नदी, पर्वत, समंदर आदि सभी का समान अधिकार है, इसलिए यह धरती किसी एक की नहीं है।
(ग) “पहले बड़े-बड़े दालानों-आँगनों में सब मिल-जुलकर रहते थे, अब छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में जीवन सिमटने लगा है।”
कथन के माध्यम से ज्ञात होता है कि मानव है (1)
(i) कर्त्तव्यनिष्ठ, परिश्रमी, आध्यात्मिक
(ii) समाज-सुधारक, कर्मयोगी, संवेदनशील
(iii) आदर्शवादी, स्वार्थी, दृढनिश्चयी
(iv) स्वार्थी, मौकापरस्त, असंवेदनशील अभिप्राय है?
उत्तर:
(iv) स्वार्थी, मौकापरस्त, असंवेदनशील उपर्युक्त कथन के माध्यम से ज्ञात होता है कि मानव स्वार्थी, मौकापरस्त और असंवेदनशील है, क्योंकि उसे न किसी के सुख-दुःख से कोई मतलब है और न ही किसी को सहारा या सहायता देने का इरादा। पहले संपूर्ण संसार एक परिवार के समान था, अब टुकड़ों में बँटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है।
(घ) लेखक का ‘आबादियों के समंदर को पीछे सरकाने’ से क्या
(i) समंदर को सुखाकर उसकी धरती का उपयोग करना
(ii) समंदर के पानी का स्तर कम करना
(iii) मनुष्य द्वारा समंदर में घर बनाया जाना
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(i) समंदर को सुखाकर उसकी धरती का उपयोग करना उपरोक्त कथन से लेखक का अभिप्राय है कि बढ़ती आबादी के कारण मानव समंदर को सुखाकर उसके किनारों पर अपनी इच्छानुसार निर्माण कार्य करने लगा है।
(ङ) कथन (A) आज संसार टुकड़ों में बँटकर रह गया है। (1)
कारण (R) मानव की आँखों पर स्वार्थ और आधुनिकता का पर्दा पड़ चुका है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है ।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की गलत व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर:
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। गद्यांश के अनुसार, आज संसार टुकड़ों में बँटकर रह गया है, क्योंकि मानव की आँखों पर स्वार्थ और आधुनिकता का पर्दा पड़ चुका है। पहले संपूर्ण संसार एक परिवार की भाँति मिल-जुलकर रहता था, लेकिन अब टुकड़ों में बँटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए । (2 × 3 = 6)
(क) ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ में कौन-से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? अपने विचार प्रकट कीजिए । (2)
उत्तर:
कलकत्ता में 26 जनवरी, 1931 को पुलिस कमिश्नर द्वारा नोटिस निकाला गया कि वहाँ कोई सभा नहीं हो सकती और यदि कोई सभा हुई, तो सभा में भाग लेने वाले व्यक्ति दोषी समझे जाएँगे, लेकिन उनके द्वारा बनाए गए इस कानून को भंग करते हुए कौंसिल की तरफ़ से खुली चुनौती दी गई कि उसी दिन मोनुमेंट के नीचे लोग इकट्ठे होकर झंडा फहराएँगे। अंग्रेज़ी सरकार स्वतंत्रता का विरोध करने के लिए जो भी नियम बनाती थी उसे भंग करना अनुचित नहीं कहा जा सकता, क्योंकि हमारे विचार में देश की रक्षा करना, स्वतंत्रता के लिए प्रयास करना और राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार प्रत्येक देशवासी को होना चाहिए।
(ख) बड़े भाई साहब छोटे भाई के चुप होने का क्या अर्थ निकालते थे? ‘बड़े भाई साहब’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
बड़े भाई साहब छोटे भाई के चुप होने का यह अर्थ लगाते थे कि उसे अपना अपराध स्वीकार है। इस पर भाई साहब स्नेह और रोष से मिले-जुले शब्दों में उसका स्वागत करते थे। बड़े भाई साहब छोटे भाई से यह प्रश्न करते हैं कि कहाँ थे? वह यह प्रश्न इतने क्रोधित होकर पूछते कि लेखक प्रतिक्रियास्वरूप चुप रहकर अपना अपराध स्वीकार कर लेता। इसके बाद वह छोटे भाई को पढ़ाई व भविष्य से संबंधित उपदेश देना आरंभ कर देते थे। उनका कहना था कि पढ़ाई-लिखाई आसान कार्य नहीं है, क्योंकि अंग्रेजी को वह बेहद कठिन विषय मानते थे। वह लेखक को कहते थे कि यदि वह इसी तरह खेल-कूद में समय व्यतीत करता रहा, तो वह पूरी जिंदगी में कभी उत्तीर्ण नहीं हो पाएगा।
(ग) गिन्नी का सोना’ पाठ के आधार पर बताइए कि हमें आदर्शवादी होने के साथ-साथ व्यावहारिक होना भी जरूरी है । (2)
उत्तर:
गिन्नी का सोना’ पाठ में यह संदेश दिया गया है कि हमें आदर्शवादी होने के साथ-साथ व्यावहारिक होना भी ज़रूरी है। सोने की तुलना आदर्शों से की गई है, जबकि व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से की गई है। शुद्ध सोना आदर्श की भाँति होता है, जो बिल्कुल शुद्ध होता है और जब उसमें ताँबा मिला दिया जाता है, तो वह अधिक मजबूत हो जाता है, लेकिन उसकी शुद्धता समाप्त हो जाती है। उसी तरह जीवन में आदर्श शुद्ध तो होते हैं, लेकिन यदि उनमें व्यावहारिकता मिला दी जाए, तो वे आदर्श शुद्ध नहीं रहते, परन्तु अधिक मजबूत हो जाते हैं। इसीलिए शुद्ध और कमजोर आदर्शों की जगह मजबूत और मिलावटी आदर्श अधिक उपयुक्त हैं। अतः जीवन को हमेशा व्यावहारिक बनाए रखना चाहिए।
(घ) कर्नल कालिंज के हक्का-बक्का हो जाने का क्या कारण था? (2)
उत्तर:
कर्नल कालिंज के हक्का-बक्का हो जाने का कारण वजीर अली की निडरता को देखना था। वजीर अली बिना डरे कर्नल के खेमे में पहुँचकर कर्नल से धोखे से कारतूस ले लेता है। वजीर अली की यह हिम्मत और अपने सामने खड़ी मौत देखकर कर्नल हक्का-बक्का रह गया।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए । (1 × 5 = 5)
खींच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावन कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों ।
(क) कवि ने देशवासियों और सैनिकों को आत्मबलिदान से प्रेरणा लेकर देश की रक्षा के लिए सदा तैयार रहने का संदेश दिया है। इससे ज्ञात होता है कि कवि ……. के पक्षधर हैं। (1)
(i) स्वामी भक्ति
(ii) देशभक्ति
(iii) ईशनिंदा
(iv) क्रमान्वय
उत्तर:
(ii) देशभक्ति पद्यांश में कवि ने देशवासियों और सैनिकों को आत्मबलिदान से प्रेरणा लेकर देश की रक्षा के लिए सदा तैयार
रहने का संदेश दिया है। इससे ज्ञात होता है कि कवि देशभक्ति के पक्षधर हैं।
(ख) ‘खूँ से जमीं पर लकीर खींचने’ का क्या आशय है ? (1)
(i) दुश्मन पर हमला करना
(ii) सीमाओं पर रक्तपात करना
(iii) बलिदान देकर भी शत्रु को रोकना
(iv) मातृभूमि की रक्षा के लिए तत्पर रहना
उत्तर:
(iii) बलिदान देकर भी शत्रु को रोकना ‘खूँ से जमीं पर लकीर खींचने का आशय बलिदान देकर भी शत्रु को रोकने से है। भारतीय सैनिक मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देकर शत्रुओं को रोकते हैं तथा मातृभूमि पर आँच भी नहीं आने देते।
(ग) ‘सीता का दामन’ किसे कहा गया है?
(i) भारतीय सांस्कृतिक परंपरा को
(ii) देवी – देवताओं की मर्यादा को
(iii) देश के स्वाभिमान को
(iv) मातृभूमि के सम्मान को
उत्तर:
(iii) देश के स्वाभिमान को उपरोक्त पद्यांश में ‘सीता का दामन’ देश के स्वाभिमान को कहा गया है। जिस प्रकार सीता की रक्षा हेतु राम और लक्ष्मण ने पापी रावण का सर्वनाश कर दिया था, उसी प्रकार प्रत्येक भारतवासी को भी राम-लक्ष्मण की भाँति अपने शत्रुओं का नाश करके भारत के स्वाभिमान की रक्षा करनी चाहिए।
(घ) ‘राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियों’ कथन से कवि का संकेत किस ओर है ?
(i) तुम्हें राम भी बनना है और लक्ष्मण भी
(ii) तुम्हें नारी के सम्मान की रक्षा भी करनी है और मर्यादा की भी
(iii) तुम्हें युद्ध भी करना है और रक्षा भी
(iv) तुम्हें भारतीयता को भी बचाना है और सीमाओं को भी
उत्तर:
(iv) तुम्हें भारतीयता को भी बचाना है और सीमाओं को, भी ‘राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियों’ कथन से कवि इस ओर संकेत करना चाहता है कि तुम्हें भारतीयता को भी बचाना है और सीमाओं को भी जिस प्रकार राम और लक्ष्मण ने सीता की रक्षा की, उसी प्रकार नवयुवकों को भी देश की संस्कृति व अस्मिता की रक्षा करनी चाहिए।
(ङ) कथन (A) सैनिकों को शत्रुओं के हाथों को काट देने की सलाह दी गई है।
कारण (R) शत्रुओं को भारत माता के सम्मान को ठेस पहुँचाने से रोकना है।
(i) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत हैं।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है ।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, किंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है। काव्यांश के अनुसार, सैनिकों को शत्रुओं के हाथों को काट देने की सलाह दी जाती है, जिससे भारत माता के सम्मान को कोई ठेस न पहुँच सके। शत्रु का हाथ यदि भारत माता की ओर बढ़े, तो उसे तुरंत रोकना आवश्यक है।
10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए। (2 × 3 = 6)
(क) ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने मनुष्य को मृत्यु से भयभीत न होने की प्रेरणा क्यों दी है ? कौन-से व्यक्ति मरकर भी अमर हो जाते हैं? (2)
उत्तर:
‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने मनुष्य को मृत्यु से भयभीत न होने की प्रेरणा दी है।’ कवि के अनुसार, मानव जीवन क्षणभंगुर है, जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए जब मृत्यु ही अंतिम सत्य है और प्रत्येक प्राणी को इसका वरण करना ही है, तो मनुष्य को मृत्यु का सामना करने से भयभीत नहीं होना चाहिए। इस संसार में वे व्यक्ति मरकर भी अमर हो जाते हैं, जो अपना संपूर्ण जीवन मानव हितार्थ को समर्पित कर देते हैं। जिनका जीवन लोक सेवा के लिए ही होता है, वे व्यक्ति ही अपने महान कार्यों से संसार में अमर हो जाते हैं।
(ख) “पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में बादलों के उठने और वर्षा होने का चित्रण किया गया है? स्पष्ट कीजिए । (2)
उत्तर:
‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने बादलों के उठने और वर्षा होने का चित्रण किया है। पंत जी कहते हैं कि बादल अत्यधिक भयानक और विशाल आकार में अचानक ही गरजकर. इस प्रकार ऊपर उठे, जैसे कोई पहाड़ बादलरूपी पंखों को फड़फड़ाते हुए आकाश में उड़ गया हो । कुछ ही देर में वे इस प्रकार बरस पड़े, जैसे उन्होंने धरती पर संपूर्ण वेग से आक्रमण कर दिया हो। यह देखकर शाल के पेड़ इतने भयभीत हो गए कि वे धरती में धँस गए और तालाब से धुआँ उठने लगा।
(ग) कबीर की उद्धृत साखियों की भाषा की विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर:
कबीर जी की उद्धृत साखियों की भाषा सधुक्कड़ी है। इनमें अवधी, ब्रज, खड़ीबोली, राजस्थानी, फारसी, अरबी, पूर्वी हिंदी तथा पंजाबी आदि भाषाओं के शब्दों का सुंदर प्रयोग हुआ है। इनमें संस्कृत, तद्भव तथा देशज शब्दों के अद्भुत मेल (‘शीतल’ का ‘सीतल’, ‘वियोगी’ का ‘बियोगी’ आदि) को प्रस्तुत किया गया है । कवि ने अपनी बात कहने के लिए साखी को अपनाया है। यह वस्तुतः दोहा छंद है। इनमें अत्यंत सामान्य भाषा में लोक व्यवहार की शिक्षा दी गई है। इनमें मुक्तक शैली का प्रयोग हुआ है तथा गीति तत्त्व के सभी गुण विद्यमान हैं। भाषा सहज और मधुर है। भाषा में अनुप्रास, रूपक, पुनरुक्ति प्रकाश, उदाहरण व दृष्टांत अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(घ) ‘विपदाओं से मुझे बचाओ, यही मेरी प्रार्थना नहीं।’ कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है ?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि हे परमात्मा! चाहे आप मुझे दुःखों और मुसीबतों से मत बचाइए, परंतु बस इतनी कृपा अवश्य करना कि दुःख और मुसीबत के समय में भी मैं न घबराऊँ, बल्कि उन चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर सकूँ। हे प्रभु! मैं यह प्रार्थना नहीं करता कि प्रतिदिन आप मुझे भय से मुक्ति दिलाएँ व आश्रय प्रदान करें। मैं तो बस इतना चाहता हूँ, कि आप मुझे शक्ति प्रदान करें। जिससे मैं निर्भयतापूर्वक संघर्ष कर सकूँ।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40-50 शब्दों में दीजिए । (3 × 2 = 6)
(क) ‘हरिहर काका’ कहानी में ठाकुरबारी में साधु-महंतों द्वारा हरिहर काका के हिस्से की ज़मीन को अपने नाम लिखवाने के लिए दबाव डाला जाता है। इससे साधु-महंतों की कैसी भावना झलकती है? पाठ के माध्यम से स्पष्ट कीजिए। (3)
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी में महंत और उनके समर्थकों ने हरिहर काका की ज़मीन-जायदाद (संपत्ति) हड़पने (किसी दूसरे की वस्तु अनुचित रूप से लेना) के लिए ज़ोर-ज़बरदस्ती ‘काम लिया। वस्तुतः ठाकुरबारी के महंत एवं साधुओं द्वारा हरिहर काका के साथ किए जाने वाले व्यवहार से यह बात स्पष्ट होती है कि लोगों के कल्याण की बातें करने वाले साधु-महंत स्वार्थ-लोलुप व्यक्ति हैं। ये लोग अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। ऐसे ही लोगों के कारण धर्म के क्षेत्र में अनाचार की प्रवृत्तियाँ बढ़ती जा रही हैं।
(ख) वर्दी तथा परेड के उत्साह से लेखक को ऐसा क्यों लगता है कि वह भी एक फौजी है? ‘सपनों के-से दिन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए । (3)
उत्तर:
स्काउट परेड में भाग लेने के लिए लेखक अपने मित्र के साथ शान से जाता था। साफ़ वर्दी, पॉलिश किए बूट तथा जुराबों को पहनकर लेखक को लगता था कि वह भी एक फौजी है। पी. टी. शिक्षक प्रीतमचंद द्वारा परेड कराते हुए लेफ्ट राइट की आवाज तथा सीटी की ध्वनि पर बूटों की ठक-ठक करते अकड़कर चलते समय लेखक स्वयं को बिल्कुल फौजी जवान के रूप में बहुत महत्त्वपूर्ण व्यक्ति समझता था। अतः वर्दी तथा परेड के उत्साह के कारण स्काउट परेड करते समय लेखक स्वयं को फौजी जवान समझने लगता था ।
(ग) टोपी ने अपने भाई मुन्नी बाबू के विषय में कौन-सा रहस्य छिपाकर रखा था तथा क्यों ? (3)
उत्तर:
टोपी ने अपने भाई मुन्नी बाबू के कबाब खाने का रहस्य छिपाकर रखा था। मुन्नी बाबू टोपी का बड़ा भाई था। वह कबाब खाता तथा सिगरेट पीता था। एक दिन जब टोपी की माँ उसकी पिटाई कर रही थी, तो मुन्नी बाबू ने टोपी की झूठी शिकायत की कि वह कबाब खाता है, जबकि टोपी ने कभी भी कबाब नहीं खाया था। वास्तविकता यह थी कि टोपी ने मुन्नी बाबू को कबाब खाते देख लिया था। मुन्नी बाबू ने उसे सच न बताने के लिए इकन्नी रिश्वत भी दी थी। टोपी ने यही रहस्य छिपाकर रखा था। इफ़्फ़न के अतिरिक्त उसने घर में किसी को नहीं बताया था, क्योंकि वह चुगलखोर नहीं था। टोपी चाहता, तो वह घर में अपनी माँ एवं अन्य सदस्यों को कबाब खाने वाली बात बता देता, परंतु उसने ऐसा नहीं किया।
खंड ‘घ’ (रचनात्मक लेखन) (22 अंक)
इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।
(क) स्वच्छ भारत अभियानं
संकेत बिंदु
- स्वच्छ भारत अभियान क्या है ?
- स्वच्छ भारत अभियान का लाभ
- स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य
उत्तर:
स्वच्छ भारत अभियान
स्वच्छ भारत अभियान, जिसे ‘क्लीन इंडिया मिशन’ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है, जिसका उद्देश्य भारत को स्वच्छ और साफ-सुथरा बनाना है । इस अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर, 2014 को महात्मा गाँधी की 145वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी।
स्वच्छ भारत अभियान का मुख्य उद्देश्य देश को खुले में शौच से मुक्त करना, सड़कों, गलियों और सार्वजनिक स्थलों की सफाई सुनिश्चित करना और कचरे के उचित प्रबंधन को बढ़ावा देना है। इस अभियान के अंतर्गत शौचालयों का निर्माण, कचरा प्रबंधन प्रणाली का सुधार और स्वच्छता के महत्त्व को जन-जन तक पहुँचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत न केवल शहरी क्षेत्रों में, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वच्छता को प्राथमिकता दी जा रही है।
स्वच्छ भारत अभियान के अनेक लाभ हैं। सबसे पहले इससे देश नागरिकों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार होगा। गंदगी और खुले में शौच से उत्पन्न बीमारियों में कमी आएगी और लोगों की जीवन गुणवत्ता बेहतर होगी, स्वच्छता के कारण पर्यटन में भी वृद्धि होगी, जिससे आर्थिक लाभ होगा।
निष्कर्षत: स्वच्छ भारत अभियान देश की स्वच्छता और नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यह न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी की भावना भी पैदा करता है। हम सभी को इस अभियान का हिस्सा बनना चाहिए और अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखने का प्रयास करना चाहिए।
(ख) ट्रैफिक जाम में फँसा मैं
संकेत बिंदु
- ट्रैफिक की समस्या का आधार सुधार के उपाय
- लोगों की जल्दबाज़ी और व्यवस्था की कमी
- अनुभव से सीख
उत्तर:
ट्रैफिक जाम में फँसा मैं
यातायात के साधन विज्ञान का ऐसा आविष्कार हैं, जिनसे मनुष्य वर्षो महीनों के स्थान पर कुछ ही घंटों या मिनटों में एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से पहुँच जाता है। आज मनुष्य इतनी प्रगति कर चुका है कि अधिकांश लोग अपने निजी साधन; जैसे – कार, मोटरसाइकिल, स्कूटर आदि खरीदने में सक्षम हैं। इसी कारण सड़कों पर अत्यंत भीषण जाम की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आज स्कूल से आते समय मैंने देखा कि अनेक वाहन अपनी लाइन में न चलकर हमारी बस वाली लाइन में ओवरटेक कर रहे थे। लोगों की इस जल्दबाज़ी कै कारण दो वाहन आपस में टकरा गए, जिससे सड़क पर भीषण जाम लग गया। ये सब हमारी भ्रष्ट कानून-व्यवस्था और हमारे नियमों का पालन न करने की आदत के कारण हुआ, वहाँ कोई ट्रैफिक पुलिस नहीं थी, जो इस ट्रैफिक को नियंत्रित करती। इस समस्या के सुधार के लिए हमारी कानून-व्यवस्था में कठोर नियम बनने चाहिए तथा इसके साथ-साथ लोगों को भी ट्रैफिक नियमों का पालन भली-भाँति करना चाहिए, तभी इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। आज के अनुभव से सीख लेते हुए मैंने यह संकल्प लिया है कि मैं यातायात के नियमों का पालन करूँगा और इसके लिए सभी को प्रेरित करूंगा, ताकि ट्रैफिक जाम की स्थिति उत्पन्न न हो।
(ग) विज्ञापनों से भरी दुनिया
संकेत बिंदु
- विज्ञापन का युग
- विज्ञापन का प्रभाव
- विज्ञापन के लाभ
- विज्ञापन की हानियाँ
उत्तर:
विज्ञापनों से भरी दुनिया
वर्तमान समय विज्ञापन युग के रूप में जाना जाता है। विज्ञापनों के माध्यम से ही उत्पादक अपने उत्पाद का प्रचार करके लाभ कमाते हैं। विज्ञापनों में इतना आकर्षण होता है कि कम गुणवत्ता वाले उत्पाद भी बड़ी सरलता से बाज़ार में बिकते नज़र आते हैं। हमारे जीवन में विज्ञापनों का इतना प्रभाव है कि ऐसा लगता है, जैसे वे ही यह तय करते हैं कि हम क्या पहनें क्या खाएँ, कौन-सा साबुन या टूथपेस्ट प्रयोग करें इत्यादि ।
एक सीमा तक विज्ञापनों से हमें लाभ भी है, लेकिन कुछ हानि भी लाभ यह है कि विज्ञापन एक सशक्त माध्यम है, जिससे हमें नए उत्पादों के बारे में जानकारी मिलती है। यह सही वस्तु के चयन में हमारी सहायता करता है। आज प्रत्येक वस्तु एक-दूसरे का विज्ञापन बन गई है; जैसे- टी. वी. खरीदो तो प्रेस मुफ़्त इस प्रकार एक वस्तु के दाम से दो वस्तुओं को प्राप्त किया जा सकता है। विज्ञापनों की लुभावनी भाषा के आकर्षण से बचे रह पाना बहुत कठिन होता है। अतः विज्ञापनों की बढ़ती अधिकता के कारण हमें अपने विवेक से काम लेना होगा। अधिकांश विज्ञापनों में सच्चाई की कमी होती है। लुभावने विज्ञापनों से प्रभावित होकर हम उन्हें खरीद तो लेते हैं, परंतु उसमें गुणवत्ता और विश्वसनीयता के अभाव में पैसों के साथ-साथ अपना समय भी बर्बाद कर लेते हैं।
प्रश्न 13.
आपके मोहल्ले की सड़कें बहुत टूटी-फूटी व कूड़े आदि की गंदगी से भरी रहती हैं। किसी प्रमुख दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को एक पत्र लिखकर सड़कों की मरम्मत व सफ़ाई की ओर नगर निगम के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कीजिए। (शब्द – सीमा लगभग 100 शब्द) (5)
अथवा
आप पिछले दो दिनों से विद्यालय में निर्धारित समय पर उपस्थित नहीं हो पा रहे थे। प्रधानाचार्य को विद्यालय में विलंब से पहुँचने का कारण बताते हुए क्षमादान के लिए लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए ।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
गाज़ियाबाद।
दिनांक 21 मार्च, 20XX
सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक जागरण,
गाज़ियाबाद।
विषय मोहल्ले की सड़कों की मरम्मत एवं सफ़ाई के संबंध में।
महोदय,
आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से मैं अपने क्षेत्र गाज़ियाबाद की सड़कों की खराब स्थिति की ओर नगर निगम के अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ। मुझे आशा है कि विषय की गंभीरता को देखते हुए आप इस पत्र को अपने समाचार पत्र में अवश्य ही प्रकाशित करेंगे।
महोदय, यह एक मिश्रित जनसंख्या वाला क्षेत्र है। यहाँ की सड़कों की स्थिति बहुत खराब है। मुझे इस कॉलोनी की समिति का सचिव बने हुए पाँच वर्ष हो चुके हैं। इन पाँच वर्षों में मैंने कई बार इसी संदर्भ में शिकायत की, किंतु एक बार भी इन सड़कों की ओर किसी का ध्यान नहीं गया है। सड़क का लगभग 2 किमी भाग तो पूरी तरह टूट गया है। रात में कई साइकिल और स्कूटर सवार इस क्षेत्र में गिरकर बुरी तरह घायल हो चुके हैं। सड़क में जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं, जिनमें थोड़ी-सी वर्षा होते ही पानी भर जाता है। जगह-जगह से टूटने के कारण सफ़ाई कर्मचारी दूर-दूर से कूड़ा लाकर इन गड्ढ़ों में डाल देते हैं, जिससे सड़क पर भयंकर दुर्गंध फैल जाती है।
इस पत्र के माध्यम से नगर निगम के संबंधित अधिकारियों से मेरा अनुरोध है कि वे एक बार समय निकालकर इस क्षेत्र का निरीक्षण करें, ताकि उन्हें यहाँ की वास्तविक स्थिति का पता चल सके।
निरीक्षण तथा उचित कदम की प्रतीक्षा में।
प्रार्थी
क. ख.ग.
संजय नगर,
सेक्टर 29,
गाज़ियाबाद |
अथवा
परीक्षा भवन,
मेरठ।
दिनांक 11 मार्च, 20XX
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
अखिल भारतीय शिक्षा संगठन,
मेरठ।
विषय विलंब से विद्यालय पहुँचने के संदर्भ में क्षमादान पत्र ।
आदरणीय महोदय,
मैं राज शर्मा आपके विद्यालय की कक्षा 10 (क) का विद्यार्थी हूँ। मेरी माताजी का स्वास्थ्य पिछले दो दिनों से सही नहीं है। मुझे उनकी देखभाल के साथ-साथ प्रातः कालीन सभी घरेलू कार्य भी स्वयं करने पड़ रहे हैं। इस कारणवश पिछले दो दिनों से मैं विद्यालय में विलंब से पहुँच रहा हूँ।
महोदय, मैं भली-भाँति समझता हूँ कि अनुशासन व समय-प्रबंधन विद्यालय व विद्यार्थी दोनों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । मैं विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में यथाशीघ्र सभी कार्य निपटाकर, समय पर विद्यालय पहुँच जाऊँगा। अतः आपसे प्रार्थना है कि मेरी इन दो दिनों की गलती को क्षमा करें तथा कक्षा अध्यापक को संबंधित निर्देश दें। आशा है आप समस्या को समझते हुए मुझे क्षमा कर देंगे ।
सधन्यवाद ।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
राज शर्मा
कक्षा 10 (क)
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 60 शब्दों में सूचना लिखिए। अपना परिचय-पत्र खो जाने की जानकारी देते हुए एक सूचना तैयार कीजिए ।
अथवा
स्काउट/गाइड कैंप के आयोजन हेतु विद्यार्थी परिषद् की बैठक के लिए एक सूचना तैयार कीजिए।
उत्तर:
विद्या निकेतन, ममफोर्डगंज, इलाहाबाद
सूचना
दिनांक 21 अप्रैल, 20XX
परिचय-पत्र खो जाने संबंधी
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 20 अप्रैल, 20XXX को विद्यालय का मेरा परिचय पत्र विद्यालय परिसर में ही कहीं गिर गया है। उस पर मेरी फोटो के साथ-साथ मेरा नाम पंकज मिश्रा, कक्षा 10वीं ‘डी’ तथा अनुक्रमांक – 16 अंकित है। मैं प्रतिदिन बस से विद्यालय आता-जाता हूँ और विद्यालय का परिचय पत्र दिखाने पर मुझे किराए में छूट मिलती है। इसके अतिरिक्त पुस्तकालय से पुस्तकें जारी करवाने के लिए भी मुझे | इसकी बहुत आवश्यकता है। परिचय पत्र की दूसरी प्रति लेने में काफ़ी समय लग जाएगा, जिससे पुस्तकों के अभाव में मेरी पढ़ाई का बहुत नुकसान होगा। अतः यदि वह किसी को मिले तो मुझे लौटाने की कृपा करे। मैं हमेशा आपका आभारी रहूँगा ।
पंकज मिश्रा
कक्षा – 10वीं ‘डी’
अथवा
डी. के. पब्लिक स्कूल, दिल्ली
सूचना
दिनांक 7 मई, 20XX
स्काउट/गाइड कैंप का आयोजन हेतु
विद्यार्थी परिषद् के सभी सदस्यों को सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में आगामी सप्ताह की दिनांक 15 मई, 20XX से 17 मई, 20XX तक स्काउट/गाइड कैंप का आयोजन होने जा रहा है। कैंप में शहर के कुछ जाने-माने लोग अतिथि के रूप में आने वाले हैं। प्रधानाचार्य से मिले आदेश के अनुसार कैंप के आयोजन की सभी प्रकार की व्यवस्था का जिम्मा विद्यार्थी परिषद् को सौंपा गया है। कैंप की व्यवस्था से संबंधित कुछ आवश्यक विषयों पर चर्चा करने के लिए विद्यार्थी परिषद् की बैठक कल दिनांक 8 मई, 20XX को सुबह 11 बजे प्रधानाचार्य कार्यालय में होगी । विद्यार्थी परिषद् के सभी सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य है।
शोभित मिश्रा
(सचिव)
विद्यार्थी परिषद्
प्रश्न 15.
सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले के लिए लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए ।
अथवा
‘कोरोना महामारी से बचाव’ के संबंध में लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए । (3)
उत्तर:
अथवा
प्रश्न 16.
आप विद्यालय की साहित्य परिषद् के सचिव हैं। आप अपने विद्यालय में अंतर्विद्यालय युवा कवि सम्मेलन कराना चाहते हैं। इस आयोजन के लिए आपको विद्यालय की ओर से कुछ सुविधाएँ भी चाहिए। उनका उल्लेख करते हुए सम्मेलन के आयोजन की अनुमति प्राप्त करने हेतु अपने प्रधानाचार्य को लगभग 80 शब्दों में एक ई-मेल लिखिए। (5)
अथवा
“परिश्रम ही सफलता का सोपान है ।” इस विषय पर लघुकथा लगभग 100 शब्दों में लिखिए |
उत्तर:
(ङ) ‘अँधेरे घर का उजाला’ मुहावरे का अर्थ है – ‘इकलौता बेटा’ वाक्य प्रयोग आज कई वर्षों बाद विदेश से रमेश के अँधेरे घर का उजाला वापस आया है।
उत्तर:
from : [email protected]
To : [email protected]
CC : [email protected]
BCC : –
विषय अंतर्विद्यालय युवा कवि सम्मेलन हेतु ।
महोदय,
विनम्र निवेदन है कि हम सब सर्वसहमति से अपने विद्यालय में अंतर्विद्यालय युवा कवि सम्मेलन कराना चाहते हैं। इस आयोजन के लिए आपकी स्वीकृति के साथ-साथ हमें कुछ सुविधाओं की भी आवश्यकता है। हमें सर्वप्रथम आपके मार्गदर्शन और आपके द्वारा निर्णायक मंडल के चयन की आवश्यकता है, साथ ही निर्णायक मंडल के सदस्यों के लिए निमंत्रण-पत्र, विजेताओं के लिए ट्रॉफी, प्रमाण-पत्र तथा उनके खान-पान की व्यवस्था हेतु लगभग ₹15,000 की सहायता राशि की आवश्यकता है।
अतः महोदय आपसे निवेदन है कि यथाशीघ्र सभी गुरुजनों को योग्यता अनुसार कार्य सौंपा जाए, जिससे यह आयोजन सफल हो और हमारे विद्यालय का नाम रोशन हो। इसके लिए हम सभी छात्र – छात्राएँ आपके आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद ।
भवदीय
अनिल रघुवंशी
सचिव (साहित्य परिषद्)
कक्षा – 10 ‘बी’
क्रमांक – 7
अथवा
उक्ति का अर्थ परिश्रम ही सफलता का सोपान अर्थात् मार्ग है, यह कहना बिल्कुल सही है। किसी भी इंसान को बिना पुरुषार्थ किए अर्थात् बिना मेहनत किए कुछ भी नहीं मिला है। केवल सपना देखने से कुछ भी प्राप्त नहीं होता है, इसके लिए हमें निरंतर परिश्रम की आवश्यकता होती है। लघुकथा मेरे मित्र के बड़े भाई ने वर्ष 1993 में एलएलबी की परीक्षा पास की, परंतु घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्होंने आगे की पढ़ाई छोड़कर नौकरी करनी आरंभ कर दी और साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करने लगे ।
वर्ष 2005 तक नियमित अध्ययन और मेहनत के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली, परंतु उन्होंने हार नहीं मानी। एक वकील के अधीन कार्य करते हुए, उन्होंने एलएलएम की परीक्षा दी और प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए। उसके बाद पुनः एक अध्यापक के परामर्श से परीक्षाओं की तैयारी आरंभ की। उन्हें सफलता मिली और क्लर्क की नौकरी प्राप्त की। अब थोड़ा आर्थिक स्थिति में सुधार हो गया था, परंतु मन में अभी भी ‘जज’ बनने की इच्छाशक्ति कम नहीं हुई थी। उन्होंने पुन: स्वयं को अध्ययन करने के लिए तैयार किया। दिन में कार्यालय से आने के बाद वे रात 10 बजे से 2 बजे तक प्रतिदिन मेहनत और लगन से परीक्षा की तैयारी करते थे। अपने शुरू के प्रयासों में उन्हें असफलता मिली, वह मायूस तो हुए, परंतु स्वयं पर उन्हें पूरा विश्वास था। अपने अंतिम प्रयास को लक्षित करते हुए उन्होंने तीन महीने के लिए कार्यालय से अवकाश लेकर दिन-रात अथक परिश्रम किया और परीक्षा दी। दो माह पश्चात् रिजल्ट आया और इस बार उनकी मेहनत और विश्वास का फल उन्हें मिला। उन्होंने प्रथम रैंक के साथ जज की परीक्षा पास की। नियमित अभ्यास, कठोर परिश्रम और आत्मविश्वास से उन्हें लक्ष्य की प्राप्ति हुई ।
सीख इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि परिश्रम कभी निष्फल नहीं होता । मेहनत करने से ही सफलता पाई जा सकती है। अतः ठीक ही कहा गया है कि “परिश्रम ही सफलता का सोपान है ।”