Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 5 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 5 with Solutions
निर्धारित समय :2 घण्टे
अधिकतम अंक : 40
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र में कुल 2 खंड हैं- खंड ‘क’ और ‘ख’।
- खंड ‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उत्तर दीजिए।
- खंड ‘ख’ में कुल 5 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उत्तर दीजिए।
- कुल प्रश्नों की संख्या 8 है।
- प्रत्येक प्रश्न को ध्यानपूर्वक पढ़ते हुए यथासंभव क्रमानुसार उत्तर लिखिए।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 से 30 शब्दों में दीजिए- (2 × 2 = 4)
(क) मनुष्यता कविता में किन दानवीरों के उदाहरण दिए गए हैं और क्यों?
उत्तरः
‘मनुष्यता’ कविता के अंतर्गत कवि ने ऋषि दधीचि का उदाहरण दिया है जिन्होंने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी अस्थियाँ तक दान में दे दी थी। राजा क्षितीश ने एक पक्षी के प्राण बचाने के लिए शरीर का मांस दान कर दिया था। राजा रंतिदेव ने एक भूख से पीड़ित व्यक्ति की क्षुधा को तृप्त करने के लिए हाथ में लिया हुआ भोजन का थाल दान कर दिया था और दानवीर कर्ण ने खुशी-खुशी अपना सुरक्षा कवच भी परहित में दान कर दिया था। विभिन्न दानवीरों के उदाहरण देकर यह संदेश दिया है कि हमें अपने नश्वर शरीर का प्रयोग सभी के हित में करते हुए अपने अमर तत्व आत्मा को महान बनाने का सौभाग्य प्राप्त करना चाहिए।
(ख) पाठ ‘झेन की देन’ में टी सेरेमनी के दौरान लेखक ने क्या अनुभव किया? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः
लेखक को जापान में अपने मित्र के साथ एक विशेष टी सेरेमनी में जाने का अवसर प्राप्त हुआ, जो एक प्रकार की ध्यान की प्रक्रिया थी। उनके सम्मान में दो-दो बूंट चाय परोसी गई। कुछ देर तो लेखक दुविधा में पड़े रहे, किंतु कुछ समय बीत जाने पर उन्होंने महसूस किया कि उनके दिमाग में विचारों का आवागमन धीमा होते-होते बिल्कुल रुक गया है। वे विचार शून्य हो चुके थे। पहली बार उन्होंने महसूस किया कि वे अतीत की खट्टी-मीठी यादों में नहीं उलझे हुए और न ही भविष्य के रंगीन सपने देख रहे हैं। केवल वर्तमान ही उनके साथ था और वे उसी में जी रहे थे।
(ग) वज़ीर अली ने किसका कत्ल किया और क्यों?
उत्तरः
वजीर अली भारत का एक जांबाज सिपाही था। उसके मन में अंग्रेजों के लिए कूट-कूट कर नफरत भरी हुई थी। उसने कुछ महीने अवध पर राज्य किया और उतने से समय में अवध को अंग्रेजों के अधिपत्य से मुक्त कर दिया था। उसे अवध के शासन से बेदखल करके उसके निसबती भाई सआदत अली को अवध का राज्य दे दिया गया और उसे बनारस भेज दिया गया। गवर्नर जनरल उसे बार-बार अपने पास बुलाता था। शिकायत लेकर जो वज़ीर अली वकील के पास गया तो वकील ने उसकी बात न सुनकर उसे ही भला बुरा कह दिया। उसने गुस्से में आकर वकील का काम तमाम कर दिया।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित दो प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग 60 से 70 शब्दों में दीजिए- (4 × 1 = 4)
(क) एक अच्छे कॉलेज में दाखिला लेना रचित ने अपना लक्ष्य बनाया हुआ था। कभी किसी को उसे पढ़ने के लिए कहना नहीं पड़ा, वह अपनी दिनचर्या खुद बनाता और बड़ी ईमानदारी से उस पर अमल भी करता। दूसरी ओर उसका भाई संचित केवल आज के बारे में सोचता था । जो मन करता खाता, जितना मन करता खेलता। अपनी मर्जी का मालिक था। रचित स्वभाव से जितना गंभीर संचित उतना ही चंचल और शरारती था। खूब हँसता और दूसरों को भी हँसाता। रचित कम बोलता और अपने सपनों को पूरा करने में लगा रहता।
पाठ ‘झेन की देन’ के आधार पर बताइए कि रचित और संचित में से किसके स्वभाव को आप उचित ठहराएंगे और क्यों?
अथवा
(ख) विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम आयोजित होने वाला था। रवि ने उस में सुभाष चंद्र बोस की भूमिका निभानी थी और सोहम ने गाँधीजी की। दोनों तैयार होकर एक साथ विद्यालय की ओर जा रहे थे। अचानक उनके सामने दो लोग दुर्घटनाग्रस्त होकर गिर पड़े और बुरी तरह घायल हो गए। रवि ने सोहम को इस दुर्घटना की ओर ध्यान न देते हुए विद्यालय चलने को कहा, किंतु सोहम ऐसा नहीं कर सका। उनकी मदद के लिए रुका, उन्हें अस्पताल पहुँचाने में मदद की। रवि ने समय से विद्यालय पहुँचकर अपनी भूमिका निभाई किंतु सोहम के समय पर न पहुंचने के कारण वह कार्यक्रम थोड़ा फीका पड़ गया।
रवि और सोहम में से कौन-सा छात्र ‘कर चले हम फिदा’ कविता से अधिक प्रभावित हुआ होगा? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तरः
(क) पाठ ‘झेन की देन’ में लेखक को एक अद्भुत अनुभव हुआ कि अक्सर हम अतीत या भविष्य में ही विचरण करते हैं। वर्तमान पलों को हम जीते ही नहीं। जबकि वर्तमान ही एक मात्र सत्य है, उसी पर हमारा अधिकार है। इस अनुभव के आधार पर लेखक ने यह संदेश दिया कि हमें वर्तमान में जीना चाहिए क्योंकि बहुत और भविष्य दोनों ही मिथ्या हैं। उपरोक्त उदाहरण में रचित और संचित का स्वभाव एक-दूसरे से काफी भिन्न है। रचित भविष्य के लिए सोचता है इसलिए वर्तमान में मेहनत करता है। जबकि संचित केवल वर्तमान में मज़े ले रहा है, भविष्य के लिए शायद सोचता भी नहीं। यदि केवल भविष्य के रंगीन सपने ही देखे जाएं और वर्तमान पलों को गंवा दिया जाए तो वह गलत है। रचित वर्तमान में जीते हुए मेहनत कर रहा है तो वह सर्वथा उचित है। दूसरी ओर संचित को भूत और भविष्य की चिंता तो नहीं है किंतु वह वर्तमान का भी सदुपयोग नहीं कर रहा है, इसलिए उसे वर्तमान में जीना नहीं कहा जा सकता।
अथवा
(ख) कवि ‘कैफी आजमी’ ने ‘कर चले हम फिदा’ कविता के माध्यम से एक सैनिक की भावनाओं को व्यक्त किया है। जो अपने देश की रक्षा करते हुए जीवन का बलिदान करने जा रहा है। यह कविता कई दशक पहले लिखा गया एक देश भक्ति गीत है, जो आज भी हम सबको देश हित में कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। इसे सुनकर न केवल हमारी आँखें नम हो जाती हैं बल्कि हम भी देश और देशवासियों के लिए कुछ कर दिखाने का अवसर ढूंढने लगते हैं।
उपरोक्त उदाहरण में रवि और सोहम दोनों ही देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थे क्योंकि वह स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में अहम् भूमिका निभाने वाले थे। किंतु सोहम समय पर नहीं पहुँच पाया क्योंकि उसने किसी की मदद करना कार्यक्रम में भाग लेने से अधिक आवश्यक समझा। मुझे लगता है सोहम ने कर चले हम फिदा का केंद्रीय भाव और संदेश बखूबी ग्रहण किया है, इसीलिए समय पर अपने कर्तव्य का निर्वाह कर पाया। देश भक्ति की भावना केवल सीमा पर तैनात होकर या देश भक्ति गीत गाकर नहीं बल्कि किसी भी रूप में देश और देशवासियों की मदद करने से सार्थक होती है।
प्रश्न 3.
पूरक पाठ्यपुस्तक संचयन के किन्हीं तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (3 × 2 = 6)
(क) हरिहर काका व लेखक के सम्बन्धों पर प्रकाश डालते हुए बताओ कि आप लेखक के स्थान पर होते तो हरिहर को क्या सलाह देते?
उत्तरः
हरिहर काका का लेखक के साथ कोई खून का रिश्ता नहीं था। वे लेखक के पड़ोस में रहते थे। लेखक को बचपन में हरिहर से पिता जैसा स्नेह मिला था। हरिहर भी अपने मन की सभी बातें लेखक को ही बताया करते थे। इस प्रकार दोनों के गहरे, आत्मीय सम्बन्ध के व्यावहारिक और वैचारिक कारण थे। इतना होते हुए भी हरिहर ने इस बार लेखक से कुछ नहीं कहा, केवल मौन रहे, मानो स्वीकार कर चुके हों कि उनकी परिस्थिति का सामना उन्हें खुद ही करना है, कोई चाहकर भी उनकी मदद नहीं कर सकता। लेखक को भी कुछ कहना या सलाह देना उचित नहीं लगा क्योंकि जिस तरह हरिहर गूंगेपन का शिकार हो गये थे, अब उन्हें कुछ समझाना व्यर्थ था। किन्तु मैं लेखक की जगह होती तो उन्हें उनकी जमीन के सम्बन्ध में विवेकपूर्वक निर्णय लेने को ज़रूर कहती ताकि वे इस बोझ से मुक्त होकर शान्त
व सुकून भरा जीवन बिता पायें।
(ख) नई श्रेणी में जाने पर लेखक क्या महसूस करते हैं और क्यों?
उत्तरः
सामान्यतः सभी बच्चों को अगली कक्षा में जाना अच्छा लगता है किन्तु लेखक को इसका कोई चाव नहीं होता था। बल्कि उनका मन पुरानी मिलने वाली किताबों और नई कॉपियों की गंध से घबराने लगता था। बड़ी कक्षा में जाने पर अध्यापकों की अपेक्षाएँ भी बढ़ जाती थीं और नए अध्यापकों का स्वभाव कैसा हो, यह बात भी भयभीत कर देती थी। इस प्रकार सफल होकर अगली कक्षा में जाने की खुशी कम और इस बात का डर अधिक होता था कि आगे न जाने किन चुनौतियों को झेलना पड़ेगा।
(ग) टोपी ने इफ्फन से दादी बदलने की बात क्यों कही? यदि आप इफ्फन की जगह होते तो टोपी को कैसे समझाते?
उत्तरः
इफ्फन और टोपी गहरे दोस्त थे। टोपी इफ्फन के घर बहुत आता-जाता था। इफ्फन की दादी से उसे विशेष लगाव था क्योंकि वह उन्हें तरह-तरह की कहानियाँ सुनाया करती थीं और उनकी भाषा में टोपी को अपनी माँ की झलक दिखाई देती थी। दूसरी तरफ उसकी अपनी दादी से उसे नफरत थी क्योंकि वे उसकी माँ को देहाती बोली बोलने के लिए हमेशा डाँटती रहती थी। टोपी को भी जब तब उल्टा सीधा सुना देती और कभी-कभी तो उन्हीं के कारण अपनी माँ से भी टोपी को बहुत मार पड़ती थी। इसीलिए भोलेपन में एक दिन उसने इफ्फन से दादी बदलने की बात कह डाली। यदि मैं इफ्फन की जगह होता तो मैं उसे समझाता कि उसे अपनी दादी की भी इज्जत करनी चाहिए। वे क्या और क्यों कहती हैं, इस बात को समझने की कोशिश करनी चाहिए।
खंड ‘ख’ : लेखन
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए
(क) जनसंख्या विस्फोट
- अर्थ
- कारण
- दुष्प्रभाव
- उपाय।
उत्तरः
जनसंख्या विस्फोट:
जनसंख्या प्रत्येक देश की मानवीय सम्पदा होती है, किन्तु तभी तक जब तक वह नियन्त्रण में हो, अन्य संसाधनों के उचित अनुपात में हो, अन्यथा यही आर्थिक विकास में बाधा बन जाती है, सामाजिक समस्याओं की जड़ बन जाती है व वरदान की जगह अभिशाप-सी लगने लगती है। भारत में जिस तेजी से जनसंख्या में वृद्धि हुई, उसे ‘जनसंख्या विस्फोट’ नाम दिया गया। इसके प्रमुख कारण हैं छोटी उम्र में विवाह होना, अशिक्षा, अन्धविश्वास, लिंगभेद आदि। इस जनसंख्या विस्फोट के अनगिनत दुष्परिणाम सामने आये, जैसे-बेरोजगारी, प्राकृतिक शोषण, अपराधों में वृद्धि, गरीबी, आर्थिक व सामाजिक क्षेत्र में उथल-पुथल। जनसंख्या वृद्धि की एक समस्या अन्य अनेक समस्याओं को जन्म देती है। अत: इसे नियन्त्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं; जैसे-सरकार द्वारा लोगों में जागरूकता फैलाना, अनेक योजनाएँ बनाकर लिंग-भेद को मिटाना, शिक्षा के प्रति लोगों को सचेत करना, गर्भ निरोध के विभिन्न उपायों का प्रचार आदि। किन्तु दु:ख की बात है कि विशेष सुधार देखने में नहीं आया है। आशा है, हमारी युवा पीढ़ी इस समस्या के प्रति सचेत हो चुकी है और अगले दशकों में इसके सकारात्मक परिणाम अवश्य देखने को मिलेंगे।
अथवा
(ख) साहित्य समाज का दर्पण
- साहित्य व समाज का सम्बन्ध
- एक-दूसरे पर प्रभाव
- आदर्श स्थिति।
उत्तरः
साहित्य समाज का दर्पण:
प्रत्येक देश का अपना साहित्य होता है। वही देश की असली पहचान, संस्कृति को जीवित रखने का माध्यम, देश का गौरव और स्वाभिमान होता है। इस दृष्टि से देखें तो कह सकते हैं कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, यानि साहित्यकार वही रचता है जो वह समाज में देखता है। किन्तु इसका दूसरा पहलू यह कहता है कि साहित्य समाज का निर्माता होता है। यानि हम अपने देश व समाज को जैसा देखना चाहते हैं, साहित्य के माध्यम से वह आदर्श रूप प्रस्तुत किया जाता है ताकि लोग उससे प्रेरित व प्रोत्साहित होकर तदनुरूप व्यवहार करें, अपने समाज को वैसा आदर्शवादी रूप देने की, सँवारने की कोशिश करें। यदि साहित्य केवल दर्पण का काम करेगा, तो उसका उद्देश्य पूर्ण नहीं हो पायेगा। कलम में तो बहुत ताकत होती है। व्यक्ति, समाज व देश को जगाने व बदलने की, उचित मार्गदर्शन करने की क्षमता होती है। अत: साहित्य अपने इस उद्देश्य को पूर्ण करे, तभी वह सार्थक हो सकता है।
अथवा
(ग) गुरु-शिष्य सम्बन्ध
- प्राचीन भारत में गुरु-शिष्य सम्बन्ध वर्तमान स्थिति
- कारण, निवारण।
उत्तरः
गुरु-शिष्य सम्बन्ध:
गुरु को भारत में सदा से ही अत्यधिक सम्माननीय माना गया है। यहाँ तक कि अनेक सन्त-कवियों ने तो गुरु को ईश्वर का या उससे भी श्रेष्ठ दर्जा दे दिया है। किन्तु केवल गुरु का योग्य या शिक्षा देने में इच्छुक होना पर्याप्त नहीं है, शिष्य को भी शिक्षा प्राप्ति के लिए उतना ही उत्सुक व योग्य होना आवश्यक है और इन दोनों से भी ऊपर है गुरु व शिष्य के सम्बन्धों का मधुर, पवित्र व विश्वसनीय होना। गुरु निःस्वार्थ भाव से, दृढ़ता व लगन से शिक्षा दे व शिष्य पूर्ण निष्ठा, विश्वास, मेहनत व लगन से शिक्षा ग्रहण करे, तभी यह प्रक्रिया सफल हो सकती है। वर्तमान स्थिति इस सम्बन्ध में सन्तोषजनक नहीं है। गुरु वेतनभोगी हो गये हैं और शिष्य अनुशासनहीन, हठी व आचरणहीन होते जा रहे हैं। ऐसे में शिक्षा प्रक्रिया अपना उद्देश्य पूर्ण नहीं कर पाती, बल्कि अनेक प्रकार के अपराधों को जन्म देती है। आवश्यकता इस बात की है कि अध्यापक नि:स्वार्थ भाव से, पूरी तन्मयता से अपना ज्ञान व अनुभव छात्रों तक पहुँचायें व छात्र सम्मानपूर्वक ज्ञान ग्रहण करने में आनन्द लें, तभी यह ज्ञानयज्ञ सफल हो पायेगा।
प्रश्न 5.
प्रधानाचार्या को 120 शब्दों में पत्र लिखकर विद्यालय से आर्थिक सहायता की माँग करते हुए प्रार्थना कीजिए।
अथवा
अपने क्षेत्र के थानाध्यक्ष को 120 शब्दों में पत्र लिखकर अपने साथ हुए किसी अपराध की सूचना दीजिए। (5)
उत्तरः
प्रधानाचार्या महोदया,
क ख ग विद्यालय,
नई दिल्ली।
विषय-आर्थिक सहायता हेतु प्रार्थना।
आदरणीय महोदया,
मैं आपके विद्यालय की कक्षा दसवीं का छात्र हूँ। नर्सरी कक्षा से नियमित रूप से इसी विद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर रहा हूँ व प्रतिवर्ष अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होता हूँ। समय-समय पर खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेकर मैंने विद्यालय का नाम भी रोशन किया है।
महोदया, गत वर्ष से हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है। पिताजी मेरी पढ़ाई का व विद्यालय के अन्य शुल्क चुकाने में समर्थ नहीं हो पा रहे हैं। मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि इस वर्ष मेरा शुल्क माफ कर दीजिए ताकि मैं आपके ही विद्यालय में शिक्षा जारी रख सकूँ।
मुझे आशा है कि आप मेरी प्रार्थना पर विचार करेंगी व मुझे इस रूप में आर्थिक सहायता देकर अनुग्रहीत करेंगी। धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी छात्र,
अ ब स
दिनांक……………….
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक…………………
थानाध्यक्ष महोदय,
विकासपुरी थाना,
नई दिल्ली।
विषय-संगीन अपराध की सूचना।
आदरणीय महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं विकासपुरी क्षेत्र का एक जिम्मेदार नागरिक हूँ व अपने क्षेत्र में गत सप्ताह हुए एक संगीन अपराध की सूचना आपको देना चाहता हूँ। दिनांक 30 मार्च को, सायं 7 बजे के आस-पास मैं बाजार से आ रहा था। अचानक देखा कि एक मोटरसाइकिल पर सवार दो युवकों ने मेरे कुछ आगे चल रही दो महिलाओं से पहले तो छेड़छाड़ की, जब वे घबरा गयीं तो उनका पर्स व गहने लेकर फरार हो गये। वे दोनों महिलाएँ इतना घबरा गयीं और लज्जित महसूस करने लगी कि उन्होंने शायद पुलिस को सूचना भी नहीं दी। किन्तु मुझे लगता है कि इस तरह तो अपराधियों की हिम्मत बढ़ती जायेगी।
आपको जल्दी ही इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। यदि जनता सुरक्षित ही न हो तो नियम-कानूनों का क्या लाभ?
आशा है, आप जल्द ही उचित कदम उठायेंगे।
धन्यवाद
भवदीय,
क ख ग
प्रश्न 6.
(क) ‘संजीवनी’ सोसायटी के सचिव होने के नाते सभी सदस्यों से सफाई बनाए रखने की अपील करते हुए 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए।
अथवा
‘रामकृष्ण’ विद्यालय की प्रधानाचार्या की ओर से छात्रों को अनशासन बनाए रखने की सख्त हिदायत देते हुए 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
संजीवनी सोसायटी
सूचना
दिनांक………………….
‘स्वच्छ रहें, स्वस्थ रहें’
सोसायटी के सभी सदस्यों से अनुरोध है कि अपने क्षेत्र में स्वच्छता बनाए रखने में मदद करें। वातावरण को स्वच्छ रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। यदि सोसायटी में कोई सदस्य गन्दगी फैलाता हुआ नजर आया तो भारी जुर्माने के रूप में दण्ड भुगतना पड़ेगा।
धन्यवाद।
नवीन शर्मा
सचिव
अथवा
रामकृष्ण उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
सूचना
दिनांक………………..
अनुशासन की अपील
विद्यालय में अनुशासन सर्वोपरि है। सभी अध्यापकों व छात्रों की जिम्मेदारी व कर्त्तव्य है कि विद्यालय में अनुशासित वातावरण बनाए रखने में सहयोग दें। अनुशासन भंग करते हुए पाये गये छात्रों को सख्त सजा दी जायेगी व विद्यालय से निलम्बित किया जा सकता है। सभी नियमों को कृपया अपनी डायरी में पढ़ें।
धन्यवाद।
प्रधानाचार्या
(ख) आप अपने विद्यालय के एनसीसी कैंप के नेता हैं। विद्यालय में लगाए जाने वाले कैंप के लिए सहयोगियों को आमंत्रित करने हेतु लगभग 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए।
अथवा
सरकार द्वारा चलाए गए स्वच्छता अभियान में भाग लेने हेतु नागरिकों को प्रेरित करने के लिए लगभग 50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
क ख ग विद्यालय
सूचना
दिनांक……………….
एनसीसी कैंप का आयोजन
हमारे विद्यालय के लिए हर्ष का विषय है। एक बार फिर विद्यालय में एन सी सी कैंप का आयोजन होने जा रहा है। इसका सफल आयोजन सभी की सहायता से होगा। सहयोगियों को सुझावों सहित सभा के लिए आमंत्रित किया जाता है-
सभा का समय – प्रातः 10:00 बजे
दिनांक – 10 फरवरी
विद्यालय का सभागार
सभी सहभागियों से अपेक्षा की जाती है कि समय का तथा कोविड-19 के नियमों का पालन करें।
धन्यवाद
एनसीसी नेता
क ख ग
अथवा
स्वच्छता अभियान:
सूचना
स्वच्छता ही स्वास्थ्य की जननी है
स्वच्छ समाज, स्वच्छ देश…………
पर्यावरण स्वस्थ, हम स्वस्थ।
स्वच्छता अभियान को सफल बनाने का कार्य किसी | एक का नहीं है।
यह हम सब के लिए और
हम सब के प्रयास से संभव
हो सकता है।
स्वच्छता अभियान को सफल बनाने के लिए आगे आएँ बीमारियों से मुक्ति पाएँ।
प्रश्न 7.
(क) एक आध्यात्मिक संस्था/ध्यान केन्द्र के लिए 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
होली के प्राकृतिक रंगों के लिए 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2½)
उत्तरः
आध्यात्मिक चर्चा
यदि आप अध्यात्म में रुचि रखते हैं;
यदि आप जीवन-जगत की सच्चाई को जानना चाहते हैं;
यदि आप हमेशा खुश रहना व खुशियाँ बाँटना चाहते हैं;
तो आइए, 26 मई, प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक होने वाली इस आध्यात्मिक कार्यशाला में भाग लीजिए।
अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें
अथवा
(ख) विश्व पुस्तक मेला आयोजित होने जा रहा है। उसके लिए एक आकर्षक विज्ञापन 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
अथवा
खेल प्रशिक्षण संस्थान की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने हेतु, उसकी विशेषताएँ बताते हुए लगभग 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तरः
विश्व पुस्तक मेला आपके क्षेत्र में फिर एक बार……
विश्व पुस्तक मेला लाखों
पुस्तकों का भंडार है
लाखों पुस्तक प्रेमी यहाँ आने को बेकरार हैं।
पुस्तक प्रेमियों के लिए खुशखबरी
विभिन्न भाषाओं में… विभिन्न विषयों की
अनगिनत पुस्तकें एक ही छत के नीचे….
आए, पढ़े और पढ़ाई
अपना और सबका ज्ञान बढ़ाएँ
अथवा
युवा खेल प्रशिक्षण संस्थान:
खुल गया है आपके क्षेत्र में
युवा खिलाड़ियों को देने के लिए सुनहरा अवसर…
युवा खेल प्रशिक्षण संस्थान
अनुभवी, प्रशिक्षित कोच
शुल्क अन्य प्रशिक्षण संस्थाओं के मुकाबले बहुत ही कम
10 फरवरी से पहले पंजीकरण कराने पर 30% की छूट क्रिकेट… बैडमिंटन… बास्केटबॉल हमारे प्रशिक्षण संस्थान के विशेष आकर्षण।
2 दिन का परीक्षण प्रशिक्षण : निशुल्क
आए और अवसर का लाभ उठाएँ
प्रश्न 8.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में लघु कथा का निर्माण कीजिए- (5)
केशव को नए पेन खरीदने का शौक था जब भी किसी के पास नया पेन देखता तो………
अथवा
‘आजादी’ शीर्षक पर लगभग 100-120 शब्दों में लघुकथा का निर्माण कीजिए।
उत्तरः
लालच बुरी बला है:
केशव को नए-नए, महँगे पेन खरीदने का बहुत शौक था। जब भी किसी और बच्चे के पास नया महँगा पेन देखता तो उसका जी ललचा जाता था। उसने कई बार मम्मी से महँगा पेन लेने की जिद करी और मम्मी ने उसे समझाया कि पेन लिखने का ही काम करता है, उसके लिए उतने ही पैसे खर्च करो कि ठीक तरह से लिख पाओ। बहुत महँगा पेन खरीदने का कोई लाभ नहीं है। वह पेन खरीद तो नहीं पाया पर उसके मन में पेन पाने की लालसा बनी रही।
एक दिन उसका सहपाठी प्रकाश अपना महँगा पेन बेंच पर ही छोड़ कर पानी पीने चला गया। केशव की नजर कई दिन से उस पेन पर थी। उसने इधर-उधर नजर घुमाई और चुपचाप उठा कर अपने बैग में रख लिया जब प्रखर लौटकर आया तो काम करने के लिए वह अपना पेन ढूँढ़ने लगा। बैंच के नीचे इधर-उधर सब जगह देखा फिर उसने केशव से पूछा क्या उसका पेन देखा है। केशव ने साफ इनकार कर दिया। क्योंकि वह पेन बहुत महँगा था तो प्रखर ने अध्यापिका को जाकर बोल दिया। अब केशव घबरा गया। अध्यापिका ने सभी बच्चों को कहा कि अगर गलती से भी किसी के पास वह आ गया है तो उसे वापस करो। सब अपने आस-पास देखने लगे। एक बार तो केशव के मन में आया कि वह प्रखर को दे दे, पर उसके लालच ने उसे रोक लिया। प्रखर ने केशव की ओर देखा, अध्यापिका को कह दिया कि कोई बात नहीं पेन मिल जाएगा। केशव मन ही मन अपने आप को कोसने लगा कि उसने ऐसा क्यों किया। घर जाकर भी वह उदास रहा। अगले दिन जाते ही प्रखर से अकेले में माफी माँगी और उसका पैन उसे लौटा दिया। प्रखर बोला मैं जानता था कि तुम मेरा पेन जरूर लौटा दोगे और देखो मैं तुम्हारे लिए वैसा ही पेन लेकर आया हूँ। केशव ने धन्यवाद कहा किन्तु पेन लेने से इनकार कर दिया। अब वह समझ गया था कि माँ ठीक ही कहती थी महँगा पेन लेने की कोई आवश्यकता नहीं है और इस घटना से उसने सबक ले लिया कि ‘लालच बुरी बला है’।
अथवा
आजादी
जब उसकी आँख खुली तो सूरज ऊपर चढ़ आया था। वह घबरा गया, आज उसकी परीक्षा थी। कॉलेज पहुँचने में देर न हो जाए। नहाने का समय नहीं था। यहाँ तक कि नाश्ता करने का भी समय नहीं बचा। कैंटीन वाले भैया ने आवाज दी “भैया, दूध तो पीते जाओ”। पर उसके पास समय कहाँ था। किसी तरह पेपर देने बैठा, भूख प्यास सता रही थी, पेपर के बीच में ही कुछ चक्कर से भी आने लगे पर पीने के लिए पानी तक नहीं था। पेपर अच्छा नहीं हुआ।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ था। जब से वह पीजी में रहने आया था यह चौथी बार यही परिस्थिति उसके सामने आई थी। जब वह घर पर था माँ उसे उठाने के लिए आवाज लगाती या नाश्ता करने पर जोर देती तो वह झुंझला जाता था और पीजी में रहने की जिद करता था। घर पर रहते हुए उसका स्वभाव दिन-पर-दिन चिड़चिड़ा होता जा रहा था। आखिर उसकी जिद के आगे सबने हार मान ली और शायद यह भी सोचा कि कुछ दिन पीजी में रह कर देख लेगा तो फर्क अपने आप समझ आ जाएगा।
अब वही हो रहा था। न वहाँ अच्छा खाने को मिलता था, न ही खाने के लिए समय मिलता था। बे-समय सोना, टाइम पर न उठ पाना इस सब का असर उसकी पढ़ाई पर भी पड़ा रहा था। जिस आज़ादी की चाह में घर से निकला था वही आज़ादी अब उसे बुरी लगने लगी थी। वह समझ गया था कि अपनों की पाबंदियाँ हमारे लिए बंधन नहीं होती बल्कि आगे बढ़ने के लिए सहारा होती हैं। उनका कुछ कहना टोकना नहीं होता बल्कि समझाना होता है जो हमारे चरित्र-निर्माण और स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। परीक्षाएँ खत्म होते ही उसने तुरंत पीजी छोड़कर घर लौटने का फैसला माँ को सुना दिया।