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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 5 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
निर्देश
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-‘अ’ और ‘ब’।
- खंड ‘अ’ में उपप्रश्नों सहित 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कुल 40 प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
- दोनों खंडों के कुल 18 प्रश्न हैं। दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: लिखिए।
खंड ‘अ’ (वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित गद्यांश, व्यावहारिक व्याकरण व पाठ्य-पुस्तक से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न दिए गए हैं। जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
अपठित गद्यांश
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1×5=5)
साक्षात्कार की सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है कि आपकी अभिव्यक्ति की क्षमता कैसी है। यदि आप अपनी बात स्पष्ट रूप से प्रभावशाली तरीके से रख पा रहे हैं, तो निश्चित रूप से उसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसलिए विद्यार्थियों को प्रयास करना चाहिए कि वे अपनी बोलने की शक्ति को बढ़ाएँ। अच्छे शब्दों का चुनाव करें। घटिया एवं द्विअर्थी शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। इसी प्रकार आपके वाक्य जटिल न होकर सरल और सुबोध हों। कठिन शब्दों एवं जटिल वाक्यों का प्रयोग आपकी भाषा को कृत्रिम बना देता है।
इसके अतिरिक्त बोर्ड के समक्ष आपका व्यवहार अत्यंत संतुलित और सौम्य होना चाहिए अर्थात् आपके बोलचाल के लहजे में सौम्यता होनी चाहिए। यदि आप सदस्य की किसी बात से सहमत नहीं हैं, तो पूरी विनम्रता के साथ उसका खंडन करें। यदि आप ऐसे अवसरों पर उग्रता अपनाते हैं, तो वह आपके असंतुलित व्यक्तित्व का परिचायक होगा। यदि आप किसी प्रश्न का उत्तर दे पाने की स्थिति में नहीं हैं, तो उसके लिए अफसोस व्यक्त करने में संकोच नहीं करना चाहिए।
सदस्य इस बात को समझते हैं कि जरूरी नहीं कि आप सभी प्रश्नों के उत्तर दे सकें। गलत उत्तर देकर सदस्यों को मूर्ख बनाने का प्रयत्न कदापि न करें। इसी तरह साफ एवं स्पष्ट उत्तर न देने पर आप स्वयं फँस सकते हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में सदस्य आपसे उस उत्तर का स्पष्टीकरण मागेंगे और आप अनावश्यक उलझते चले जाएँगे। इसलिए बोलना साक्षात्कार की एक आदर्श नीति मानी जाती है। जो जितना अधिक बोलेगा, उसके पकड़ में आने की आशंका उतनी ही अधिक होगी।
(क) साक्षात्कार की सफलता के लिए किस प्रकार की भाषा का अभ्यास आवश्यक माना गया है?
(i) प्रभावशाली वक्तव्य की भाषा का
(ii) क्लिष्ट एवं साहित्यिक भाषा का
(iii) स्पष्ट एवं सरल सुबोध भाषा का
(iv) कृत्रिम भावाभिव्यक्ति की भाषा का
उत्तर :
(iii) स्पष्ट एवं सरल सुवोध भाषा का साक्षात्कार की सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है, कि आपकी अभिव्यक्ति की क्षमता कैसी है। यदि आप अपनी बात स्पष्ट रूप से प्रभावशाली तरीके से रख पा रहे हैं, तो निश्चित रूप से उसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है, इसलिए विद्यार्थियों को प्रयास करना चाहिए कि वे अपनी बोलने की शक्ति को बढ़ाएँ। अच्छे शब्दों का चुनाव करें।
(ख) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) साक्षात्कार की सफलता और अभिव्यक्ति की क्षमता का आपस में कोई संबंध नहीं है। कारण (R) ये दोनों मनुष्य जीवन के अलग-अलग पहलू हैं।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iii) कथन (A) तथा करण (R) दोनों गलत हैं साक्षात्कार की सफलता बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करती है, कि आपकी अभिव्यक्ति की क्षमता का आपस में संबंध है। ये दोनों ही मनुष्य जीयन के एक जैसे पहलू हैं।
(ग)’ बोर्ड की बात पर असहमत होकर उग्रता अपनाना किस बात का परिचायक है?
(i) असंतुलित व्यक्तित्व का
(ii) असंतुलित व्यवहार का
(iii) परिवार द्वारा दिए गए आदर्श का
(iv) समाज द्वारा सीखे गए आचरण का
उत्तर :
(i) असंतुलित व्यक्तित्व का बोर्ड की बात पर असहमत होकर उग्रता अपनाना असंतुलित व्यक्तित्व का परिचायक है। यदि आप सदस्य की किसी बात से सहमत नहीं हैं, तो पूरी विनम्रता के साथ उसका खंडन करें। यदि आप ऐसे अवसरों पर उग्रता अपनाते हैं, तो वह आपके असंतुलित व्यक्तित्व का परिचायक होगा।
(घ) गद्यांश के आधार पर बताइए कि साक्षात्कार की आदर्श नीति क्या है?
(i) सरल सुबोध भाषा का प्रयोग
(ii) कथन का स्पष्टीकरण करना
(iii) प्रश्न के उत्तर की जानकारी होना
(iv) ज्यादा न बोलना
उत्तर :
(iv) ज्यादा न बोलना गद्यांश के आधार पर साक्षात्कार की आदर्श नीति ज्यादा न बोलना है। इसी तरह साफ एवं स्पष्ट उत्तर न देने पर आप स्वयं फँस सकते हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में सदस्य आपसे उस उत्तर का स्पष्टीकरण माँगेंगे और आप अनावश्यक उलझते चले जाएँगे। इसलिए बोलना साक्षात्कार की एक आदर्श नीति मानी जाती है, जो जितना अधिक बोलेगा, उसके पकड़ में आने की आशंका उतनी ही अधिक होगी।
(ङ) अपनी बात को स्पष्ट एवं प्रभावशाली तरीके से रखने के लिए क्या करना चाहिए?
(i) अपनी बोलने की शक्ति बढ़ानी चाहिए
(ii) अच्छे शब्दों का चुनाव करना चाहिए
(iii) घटिया या द्विअर्थीं शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये समी अपनी बात को स्पष्ट एवं प्रभावशाली तरीके से रखने के लिए अपनी बोलने की शक्ति बढ़ानी चाहिए। अच्छे शब्दों का चुनाव करना चाहिए। धटिया या द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1×5=5)
गीता के इस उपदेश की लोग प्राय: चर्चा करते हैं कि कर्म करें, फल की इच्छा न करें। यह कहना तो सरल है पर पालन करना उतना सरल नहीं। कर्म के मार्ग पर आनंदपूर्वक चलता हुआ उत्साही मनुष्य यदि अंतिम फल तक न भी पहुँचे तो भी उसकी दशा कर्म न करने वाले की अपेक्षा अधिकतर अवस्थाओं में अच्छी रहेगी, क्योंकि एक तो कर्म करते हुए उसका जो जीवन बीता वह संतोष या आनंद में बीता, उसके उपरांत फल की अप्राप्ति पर भी उसे यह पछतावा न रहा कि मैंने प्रयत्न नहीं किया।
फल पहले से कोई बना-बनाया पदार्थ नहीं होता। अनुकूल प्रयत्न-कर्म के अनुसार, उसके एक-एक अंग की योजना होती है। किसी मनुष्य के घर का कोई प्राणी बीमार है। वह वैद्यों के यहाँ से तब तक औरधि ला-लाकर रोगी को देता जाता है, जब तक उसके चित्त में संतोष रहता है, प्रत्येक नए उपचार के साथ जो आनंद का उन्मेष होता रहता है, यह उसे कदापि प्राप्त न होता, यदि वह रोता हुआ बैठा रहता।
प्रयत्ल की अवस्था में उसके जीवन का जितना अंश संतोष, आशा और उत्साह में बीता, अप्रयत्न की दशा में उतना ही अंश केवल शोक और दुःख में कटता। इसके अतिरिक्त रोगी के न अच्छे होने की दशा में भी वह आत्मग्लानि के उस कठोर दु:ख से बचा रहेगा, जो उसे जीवनभर यह सोच-सोचकर होता कि मैंने पूरा प्रयत्ल नहीं किया। कर्म में आनंद अनुभव करने वालों का नाम ही कर्मण्य है। धर्म और उदारता के उच्च कर्मों के विधान में ही एक ऐसा दिव्य आनंद भरा रहता है कि कर्ता को वे कर्म ही फल-स्वरूप लगते हैं। अत्याचार का दमन और शमन करते हुए कर्म करने से चित्त में जो तुष्टि होती है, वही लोकोपकारी कर्मवीर का सच्चा सुख है।
(क) कर्म करने वाले को फल न मिलने पर भी पछतावा नहीं होता, क्योंकि
(i) अंतिम फल पहुँच से दूर होता है
(ii) प्रयत्न न करने का भी पश्चाताप नहीं होता
(iii) वह आनंदपूर्वक काम करता रहता है
(iv) उसका जीवन संतुष्ट रूप से बीतता है
उत्तर :
(iv) उसका जीवन संतुष्ट रूप से बीतता है कर्म करने वाले को फल न मिलने पर भी पछतावा नहीं होता, क्योंकि उसका जीवन संतुष्ट रूप से बीतता है, गीता के इस उपदेश की लोग प्रायः चर्चा करते हैं, कि कर्म करें, फल की इच्छा न करें। यह कहना तो सरल है पर पालन करना उतना सरल नहीं। कर्म के मार्ग पर आनंदपूर्वक चलता हुआ उत्साही मनुष्य यदि अंतिम फल तक न भी पहुँचे तो भी उसकी दशा कर्म न करने वाले की अपेक्षा अधिकतर अवस्थाओं में अच्छी रहेगी, क्योंकि एक तो कर्म करते हुए उसका जो जीवन बीता वह संतोष या आनंद में बीता, उसके उपरांत फल की अप्राप्ति पर भी उसे यह पछतावा न रहा कि मैंने प्रयत्न नहीं किया।
(ख) घर के बीमार सदस्य का उदाहरण क्यों दिया गया है?
(i) पारिवारिक कष्ट बताने के लिए
(ii) नया उपचार बताने के लिए
(iii) शोक और दु:ख की अवस्था के लिए
(iv) सेवा के संतोष के लिए
उत्तर :
(iv) सेवा के संतोष के लिए घर के बीमार सदस्य का उदाहरण सेवा के संतोष के लिए दिया गया है। किसी मनुष्य के घर का कोई प्राणी बीमार है। वह वैद्यों के यहाँ से तब तक औषधि ला-लाकर रोगी को देता जाता है, जब तक उसके चित्त में संतोष रहता है, प्रत्येक नए उपचार के साथ जो आनंद का उंमेष होता रहता है, यह उसे कदापि प्राप्त न होता, यदि वह रोता हुआ बैठा रहता।
(ग) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कर्म करने वाले व्यक्ति का जीवन संतोष में बीतता है।
2. कर्म का फल न प्राप्त करने वाले व्यक्ति की अपेक्षा अकर्मण्य की स्थिति अधिक अच्छी होती है।
3. कर्म का फल मनुष्य के जीवन में पहले से ही निश्चित होता है।
4. कर्म करना मनुष्य के वश की बात है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) 1 और 4
(iii) 1,2 और 3
(iv) 2 और 3
उत्तर :
(ii) 1 और 4 दिए गए कथनों में से सही क्थन हैं-कर्म करने वाले व्यक्ति का जीवन संतोष में बीतता है और कर्म करना मनुष्य के वश की बात है।
(घ) कर्मवीर का सुख किसे माना गया है?
(i) अत्याचार का दमन
(ii) कर्म करते रहना
(iii) कर्म करने से प्राप्त संतोष
(iv) फल के प्रति तिरस्कार भावना
उत्तर :
(iii) कर्म करने से प्राप्त संतोष कर्मवीर का सुख कर्म करने से प्राप्त संतोष को माना गया है। व्यक्ति का कर्म करते हुए उसका जो जीवन बीता वह संतोष या आनंद में बीता, उसके उपरांत फल की अप्राप्ति पर भी उसे यह पछतावा न रहा कि मैंने प्रयत्न नहीं किया।
(ङ) ‘कर्म में आनंद अनुभव करने वालों का नाम ही कर्मण्य है’ पंक्ति के माध्यम से लेखक मनुष्य को प्रेरित कर रहे हैं।
(i) कर्म करने हेतु
(ii) फल की इच्छा करने हेतु
(iii) अकर्मण्य बने रहने हेतु
(iv) प्रतीक्षा करने हेतु
उत्तर :
(i) कर्म करने हेतु ‘ कर्म में आनंद अनुभव करने वालों का नाम ही कर्मण्य है’ पंक्ति के माध्यम से लेखक मनुष्य को कर्म करने हेतु प्रेरित कर रहे हैं। धर्म और उदारता के उच्च कर्मों के विधान में ही एक ऐसा दिव्य आनंद भरा रहता है, कि कर्ता को वे कर्म ही फल-स्वरूप लगते हैं।
व्यावहारिक व्याकरण
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘पदबंध’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) ‘तताँरा नामक एक युवक को वामीरों से प्रेम हो गया।’ रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संज्ञा पदबंध
(ii) सर्वनाम पदबंध
(iii) क्रिया-विशेषण पदबंध
(iv) क्रिया पदबंध
उत्तर :
(i) संज्ञा पदबंध
(ख) ‘तीसरी कसम’ फिल्म का निर्माण शैलेंद्र द्वारा किया गया था।’ वाक्य में क्रिया पदबंध है
(i) फिल्म का निर्माण
(ii) तीसरी कसम
(iii) द्वारा
(iv) किया गया था
उत्तर :
(iv) किया गया था
(ग) विशेषण पदबंध का उदाहरण छाँटिए
(i) वह मनुष्यों के साथ पशु-पक्षियों की भाषा भी समझता था
(ii) घर में कबूतरों ने घोंसला बना लिया था
(iii) दिमाग की रफ्तार धीरे-धीरे धीमी पड़ने लगी
(iv) ‘वजीर अली’ एक जाँबाज सिपाही था
उत्तर :
(iv) ‘वजीर अली’ एक जाँबाज सिपाही था
(घ) ‘टोपी और इफ़्फन की दादी अलग-अलग मजहब और जाति की थीं, पर एक अटूट रिश्ते से बँधी थीं।’ रेखांकित पदबंध का भेद है (1)
(i) संज्ञा पदबंध
(ii) क्रिया पदबंध
(iii) क्रिया-विशेषण पदबंध
(iv) सर्वनाम पदबंध
उत्तर :
(iv) सर्वनाम पदबंध
(ङ) ‘फैलते हुए प्रदूषण ने मनुष्य के जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएँ पैदा कर दीं।’ रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) सर्वनाम पदबंध
(ii) संज्ञा पदबंध
(iii) विशेषण पदबंध
(iv) क्रिया पदबंध
उत्तर :
(ii) संज्ञा पदबंध
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4=4)
(क) ‘जब दुःशासन ने भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण किया था, तब आपने ही चीर को बढ़ाया था।’ इस वाक्य का सरल वाक्य होगा
(i) दु:शासन द्वारा भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण करने पर आपने चीर बढ़ाया था।
(ii) दु:शासन ने भरी सभा में चीरहरण किया और आपने चीर बढ़ाया था।
(iii) आपने चीर बढ़ाया था, क्योंकि दु:शासन ने भरी सभा में चीरहरण किया था।
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर :
(i) दु:शासन द्वारा भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण करने पर आपने चीर बढ़ाया था।
(ख) सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. सूर्योदय होने पर कुहासा जाता रह्गा। | 1. संयुक्त वाक्य |
B. जैसे ही सूर्योदय हुआ वैसे ही कुहासा जाता रहा। | 2. भाववाच्य |
C. सूर्योदय हुआ और कुहासा जाता रहा। | 3. मिश्र वाक्य |
कूट
A — B — C
(i) 1 — 3 — 2
(ii) 2 — 3 — 1
(iii) 3 — 1 –2
(iv) 1 — 2 — 3
उत्तर :
(ii) 2–3–1
(ग) ‘मेहनत न करने के कारण वह रह गया।’ दिए गए वाक्य का संयुक्त वाक्य होगा
(i) उसने मेहनत नहीं की और वह रह गया।
(ii) उसने मेहनत नहीं की, इसलिए वह रह गया।
(iii) वह रह गया, क्योंकि उसने मेहनत नहीं की।
(iv) उसने मेहनत भी नहीं की और रह भी गया।
उत्तर :
(ii) उसने मेहनत नहीं की, इसलिए वह रह गया।
(घ) निम्नलिखित वाक्यों में संयुक्त वाक्य है
(i) लेख़क अज्वल दरजे में पास हुआ था।
(ii) सुभाष वाबू को पकड़ा और लॉंकअप में भेज दिया।
(iii) शैलैंद्र गौतकार ही नहीं, अपितु कवि भी थे।
(iv) जैसे ही सूरज बलता माँ पेड़ से पत्ता तोडने के लिए मना करती।
उत्तर :
(ii) सुभाष बाबू को पकड़ा और लॉकअप में भेज दिया।
(ङ) ‘माँ दूसरे अंडे को वचाने का प्रयास करने लगी, तभी माँ से वह अंडा भी गिर गया।’ रचना के आधार पर वाक्य का भेद है
(i) विधानवाचक वाक्य
(ii) मिश्र वाक्य
(iii) सरल वाक्य
(iv) संयुक्त वाक्य
उत्तर :
(ii) मिश्र वाक्य
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘समास’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं घार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) निम्नलिखित युग्मों पर विधार कीजिए
समस्तपद — समास
1. कृष्ण सर्प — कर्मधारय समास
2. धर्म विमुख — तत्पुरुष समास
3. रातों-राव — बहुलीहि समास
4. गंगात्र — अव्ययी भाव समास
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?
(i) 1 और 3
(ii) 3 और 4
(iii) केबल 2
(iv) 1 और 2
उत्तर :
(iv) 1 और 2
(ख) विकारग्रस्त’ शब्द के सही समास-विग्रह का चयन कीजिए
(i) विकार में ग्रस्त है जो-कर्मधारय समास
(ii) विकार से ग्रस्त-तत्पुरुष समास
(iii) ग्रस्त है जो विकार-कर्मधारय समास
(iv) विकार और ग्रस्त-वंद्ध समास
उत्तर :
(ii) विकार से ग्रस्त-तत्पुरुष समास
(ग) ‘भवसागर’ शब्द में कौन-सा समास है?
(i) द्विगु समास
(ii) तत्पुरुष समास
(iii) द्वंद्र समास
(iv) कर्मधारय समास
उत्तर :
(iv) कर्मधारय समास
(घ) ‘शासनपद्धति’ समस्तपद का विग्रह होगा
(i) शासन का पद्धति
(ii) शासन पर पद्धति
(iii) शासन की पद्धति
(iv) शासन से पद्धति
उत्तर :
(iii) शासन की पद्धति
(ङ) ‘ध्यानमगन’ का समास-विग्रह एवं भेद होगा
(i) ध्यान में है जो मग्न-कर्मधारय समास
(ii) ध्यान और मग्न-द्वेद्ध समास
(iii) ध्यान में मग्न-तत्पुरुष समास
(ii) ध्यान के लिए मग्न-अव्ययीभाव समास
उत्तर :
(iii) ध्यान में मग्न-तत्पुरुष समास
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘मुहावरे’ पर आधारित छः बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4 = 4)
(क) मुहावरे और अर्थ के उचित मेल वाले विकल्प का चयन कीजिए
(i) आग लगाना-जलाना
(ii) अंग-अंग ढीला होना-बहुत थक जाना
(iii) आँखें चुराना-शर्माना
(iv) कान काटना-बहुत चालाक होना
उत्तर :
(ii) अंग-अंग ढीला होना-बहुत थक जाना
(ख) शहर की ऊँची-ऊँची इमारतें देखकर गाँव का युवक ………………… उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) इधर-उधर की हाँकने लगा
(ii) एड़ियाँ घिसने लगा
(iii) चक्कर खा गया
(iv) आग बबूला हो गया
उत्तर :
(iii) चक्कर खा गया
(ग) मनपसंद खिलौना न मिलने पर बालक का ………………… । रिक्त स्थान की पूर्ति सटीक मुहावरे से कीजिए
(i) चेहरा मुरझा गया
(ii) आँख का काँटा हो गया
(iii) चेहरा खिल उठा
(iv) उल्टी माला फेरने लगा
उत्तर :
(i) चेहरा मुरझा गया
(घ) पुलिस ने सारा दोष निरीह पीड़ित के …………… । रिक्त स्थान की पूर्ति सटीक मुहावरे से कीजिए
(i) मोहर लगा दिया
(ii) आँखों से गिरा दिया
(iii) डंका बजा दिया
(iv) मत्चे मढ़ दिया
उत्तर :
(iv) मत्थे मढ़ दिया
(ङ) ‘लाभ-ही-लाभ होना’ के लिए उपयुक्त मुहावरा है
(i) कंचन बरसना
(ii) घन मिलना
(iii) भाग्य चमकना
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) कंचन बरसना
(च) रेखांकित अंश के लिए कौन-सा मुहावरा प्रयुक्त करना उचित होगा? रमेश प्रत्येक बात को सही-गलत का निर्णय करके बताता है।
(i) तूती बोलना
(ii) तराजू पर तोलना
(iii) लगती बात
(iv) दिमाग होना
उत्तर :
(ii) तराजू पर तोलना
पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1 x 5=5)
कर चले हम फिदा जानो-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
साँस थमती गई, नख़्ज जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों।
(क) ‘मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों’ से तात्पर्य है
(i) अंतिम साँस तक साहस से शत्रुओं का सामना किया
(ii) मरते-मरते मार्ग से विचलित हो गए
(iii) शरीर में बाँकापन आ गया
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) अंतिम साँस तक साहस से शत्रुओं का सामना किया ‘मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों’ से तात्पर्य मरते समय भी हमारे मन में बलिदान और संघर्ष का जोश बना रहा। अंतिम समय तक भी हमने हिम्मत और साहस से शत्रुओं का सामना किया।
(ख) सैनिकों ने सौसें रुकने और नक्ष जमने पर भी क्या नहीं रोका?
(i) गीत गाना
(ii) अपने कदम आगे बड़ाना
(iii) दुइ्मनों को घोजना
(iv) युद्ध करना
उत्तर :
(ii) अपने कदम आगे बढ़ाना सैनिकों ने साँसें रुकने और नब्ज जमने पर भी अपने कदम को आगे बढ़ने से नहीं रोका। हमने स्वयं को मिटाकर भी हिमालय का मस्तक झुकने से बचाया है।
(ग) युद्ध भूमि में सैनिकों का सिर कट जाने पर भी उन्हें किस बात का गर्व है?
(i) हिमालय पर्वत के सिर को झुकने वहीं दिया
(ii) देश के मान-सम्मान को ठेस नहीं लगने दी
(iii) मरते समय भी मन में बलिदान व संघर्ष का जोश बना रहा
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी युद्ध भूमि में सैनिकों के सिर कटने का गम भारतीय सैनिकों को नहीं है, क्योंकि वह अपनी भारत माता की रक्षा एवं सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। वह अपने कर्त्तव्यों का पालन ईमानदारी के साथ करते हैं। उन्होंने हिमालय का सर नहीं झुकने दिया, देश के मान-सम्मान को ठोस नहीं लगने दी व उनके मरते समय भी मन में बलिदान व संघर्ष का जोश बना रहा। वह अपने धर्म और कर्त्त्य पालन करते समय हमें अपने दुःख का आभास भी नहीं होने देते हैं, बल्कि अपने प्राणों को देश के प्रति समर्पित करके वह गौरान्वित महसूस करते हैं। इसलिए वह देश की रक्षा के लिए हैंसते-हैंसते बलिदान देने को तैयार रहते हैं।
(घ) मरते समय सैनिकों के मन में क्या बना रहा?
(i) भय और आतंक का भाव
(ii) बलिदान और संघर्ष का जोश्ष
(iii) राष्ट्र के गुलाम होने का विचार
(iv) अन्य साथियों से बिछ्डने का दु;ख
उत्तर :
(ii) बलिदान और संघर्ष का जोश मरते समय भी सैनिकों के मन में बलिदान और संघर्ष का जोश आता है। अंतिम समय तक भी सैनिकों ने हिम्मत और साहस से शत्रुओं का सामना किया।
(ङ) निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए
1. कवि ने देशहित के लिए बलिदान की भावना को महत्त्व दिया है।
2. देश की रक्षा का भार अन्य साथियों को साँप रहे हैं।
3. बलिदान के पथ पर हमें विजय अवश्य प्राप्त होगी।
4. जवानी में सौदयं, प्रेम और जोश चरमोल्कर्ष पर होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/है?
(i) 1 और 4
(ii) 1,2 और 3
(iii) 1 और 2
(iv) 3 और 4
उत्तर :
(iii) 1 और 2 दिए गए कथनों में से सही कथन हैं-कवि ने देशहित के लिए बलिदान की भावना को महत्त्व दिया है। देश की रक्षा का भार अन्य साथियों को सौंप रहे हैं।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए। (1×2=2)
(क) ‘आत्भत्राण’ कविता में कवि रोग रहित रहने की बात क्यों करता है?
(i) शकित को बनाए रखने के लिए
(ii) भवसागर को पार करने के लिए
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) जीवन की रक्षा करने के लिए
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों आत्मत्राण कविता में कवि ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है कि वह उसे विपत्तियों से उबारने का काम न करें, केवल उसकी आन्तरिक चेतना में ऐसी क्षमता भरने का प्रयास करें, जिसके कारण यह विपदाओं में घबराए नहीं और बड़ी-बड़ी विपदाओं पर भी विजय प्राप्त कर सके।
(ख) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कबीर संसार की नश्वरता को देखकर रोते हैं।
2. कबीर ईश्वर को संसार में ढूँढते रहते हैं।
3. कबीर के अनुसार जिसने परमात्मा को जान लिया वही सच्चा ज्ञानी है।
4. कबीरदास अहंकार व कटु वचन त्यागने का संदेश देते हैं। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) 1 और 2
(ii) केवल 3
(iii) 2,3 और 4
(iv) 1,3 और 4
उत्तर :
(ii) केवल 3 दिए गए कथनों में से सही कथन है-कबीर के अनुसार जिसने परमात्मा को जान लिया वहीं सच्चा ज्ञानी है। उनका मानना है, कि यदि मनुष्य में यह गुण विद्यमान हो, तो वह कठिन-से-कठिन मार्ग को भी पार कर लेता है। ऐसे व्यक्ति पर ईश्वर की कृपा दृष्टि भी सदैव बनी रहती है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1×5=5)
ग्वालियर से मुंबई की दूरी ने संसार का काफी कुछ बदल दिया है। वर्सोवा में जहाँ आज मेरा घर है, पहले यहाँ दूर तक जंगल था। पेड़ थे, परिंदे थे और दूसरे जानवर थे। अब यहाँ समंदर के किनारे लंबी-चौड़ी बस्ती बन गई है। इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं, उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है। इनमें से दो कबूतरों ने मेरे फ्लैट के एक मचान में घोंसला बना लिया है।
(क) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) लेखक का पास होने पर भी तिरस्कार हो रहा था।
कारण (R) लेखक नकल करके पास हुआ था।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) गलत है, कितु कारण (R) सही है।
उत्तर :
(ii) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) गलत है। लेखक का पास होने पर भी तिरस्कार हो रहा था, लेकिन लेखक जो भी पढ़ता था वह उस विषय को गहराई से समझता था। पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ वह व्यावहारिक ज्ञान का भी अपना विशेष महत्त्व रखता था।
(ख) ग्वालियर से मुंबई की दूरी ने संसार को कैसे बदल दिया है?
(i) बस्तियाँ बसाकर
(ii) पशु-पक्षियों को रहने की जगह देकर
(iii) प्रकृति से संतुलन बनाकर
(iv) जीवन-शैली को सार्थक बनाकर
उत्तर :
(i) बस्तियाँ बसाकर ग्वालियर से मुंबई की दूरी ने संसार को बस्तियाँ बसाकर बदल दिया है। जहाँ पहले दूर-दूर तक जंगल थे, पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों का वास था। वहाँ पर अब बस्तियाँ बसने लगी हैं। इन बस्तियों ने प्राणियों से उनके घर छीन लिए हैं।
(ग) लेखक का घर किस क्षेत्र में था?
(i) ग्वालियर
(ii) दिल्ली
(iii) जंगल
(iv) मुंबई
उत्तर :
(iv) मुंबई लेखक का घर पहले ग्वालियर में था और वर्तमान में मुंबई के वर्सोवा में है।
(घ) गद्यांश के अनुसार ‘डेरा डालने’ से क्या अभिप्राय है?
(i) अस्थायी घरों का निर्माण
(ii) एक जगह से दूसरी जगह जाना
(iii) प्रकृति की दया पर पलना
(iv) अस्थिर रहना
उत्तर :
(i) अस्थायी घरों का निर्माण गद्यांश के अनुसार ‘डेरा डालने’ से अभिप्राय अस्थायी घरों का निर्माण है। शहरों के विस्तार ने पशु-पक्षियों के वास्तविक घर को समाप्त कर दिया है। पेड़-पौधों को काटकर बस्तियों का निर्माण हुआ है। पहले जहाँ दूर तक जंगल थे, परिदे चहचहाते थे, वातावरण में आकर्षण था, वहीं अब परिदे बेधर हो गए हैं।
(ङ) लेखक के घर पर किसने डेरा डाल लिया था?
(i) बिल्डरों ने
(ii) कबूतरों ने
(iii) चिड़ियों ने
(iv) सरकारी अधिकारियों ने
उत्तर :
(ii) कबूतरों ने लेखक के घर पर कबूतरों ने डेरा डाल लिया था। लेखक के मकान के रोशनदान में कबूतर के एक जोड़े ने घोंसला बना लिया था।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए। (1×2=2)
(क) निम्नलिखित में से कौन-से कथन ‘कलकत्ता के राष्ट्रीय ध्वजारोहण’ में स्त्रियों की भागीदारी को दर्शाते हैं?
1. स्त्रियों ने मोनुमेंट की सीढ़ियों पर चढ़कर झंडा फहरा दिया।
2. गुजराती सेविका संघ की लड़कियों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया।
3. स्त्रियों ने भी जुलूस निकाला।
4. स्त्रियाँ लाल बाजार तक आगे बढ़ गईं। कूट
(i) 1 और 2
(ii) 2 और 4
(iii) 1,2 और 3
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी दिए गए कथनों में से ‘कलकत्ता के राष्ट्रीय ध्वजारोहण’ में स्त्रियों की भागीदारी को दर्शाने वाले सही कथन हैं-स्त्रियों ने मोनुमेंट की सीढ़ियों पर चढ़कर झंडा फहरा दिया। गुजराती सेविका संघ की लड़कियों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया। स्त्रियों ने भी जुलूस निकाला। स्त्रियाँ लाल बाजार तक आगे बढ़ गईं।
(ख) लेखक की माँ सूरज ढलने पर फूल तोड़ने और पेड़-पौधों से पत्ते तोड़ने के लिए क्यों मना करती हैं?
(i) वे हजरत मुहम्मद के अजीज हैं
(ii) लेखक की माँ को उनसे अत्यंत प्रेम है
(iii) ऐसा करने से पाप लगता है
(iv) उनमें फिर नए फूल व पत्ते नहीं आते
उत्तर :
(i) वे हजरत मुहम्मद के अजीज हैं लेखक की माँ सूर्यास्त के बाद आँगन के पेड़ों के पत्ते और फूल तोड़ने के लिए मना करती थीं। वह कहती थीं कि इस समय पत्ते तोड़ने से पेड़ रोते हैं और दिया बत्ती के समय फूल तोड़ने से फूल बद्दुआ देते हैं, क्योंकि वे हजरत मुहम्मद के अजीज हैं।
खंड ‘ब’ (वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक-पुस्तक तथा लेखन से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक पुस्तक
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) ‘यह बता देना उल्लेखनीय होगा कि राजकपूर, वहीदा रहमान, शंकर जयकिशन आदि प्रसिद्ध कलाकारों के होने के बाद भी इस फिल्म को खरीदने के लिए कोई वितरक नहीं मिला था। ‘तीसरी कसम’ फिल्म के आधार पर बताइए कि इस फिल्म को कोई वितरक क्यों नहीं मिला था तथा वह अन्य फिल्मों से किस प्रकार भिन्न थी?
उत्तर :
‘तीसरी कसम’ फिल्म के आधार पर तीसरी कसम फिल्म को वितरक इसलिए नहीं मिल रहे थे, क्योंकि इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं था, जो अन्य सामान्य फिल्मों में होता है। यह शुद्ध रूप से एक साहित्यिक रचना पर आधारित फिल्म थी, जिसमें करुणा को स्थान दिया गया था। फिल्म के वितरक उसके साहित्यिक महत्त्व और गौरव को समझ नहीं सकते थे।
तीसरी कसम फिल्म को लेखक ने सैल्यूलाइड पर लिखी फिल्म कहा है, क्योंकि यह भावना प्रधान फिल्म थी, जिसमें साहित्यिक और कलात्मक पक्ष पर पूरा-पूरा ध्यान रखा गया था। इस फिल्म के भाव किसी कविता की तरह गहरे और सूक्ष्म थे इसलिए लेखक ने इस फिल्म को अन्य फिल्मों से भिन्न कहा है।
(ख) मनुष्य ने बुद्धि के बल पर आशातीत उन्नति की है, किंतु उन्नति के साथ-साथ वह अवनति की ओर भी बढ़ गया है कैसे? ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर :
मनुष्य ने बुद्धि के बल पर आशातीत उन्नति की है, किंतु उन्नति के साथ-साथ वह अवनति की ओर भी बढ़ गया है। ‘अब कहाँ दूसरे के दुः:ख से दुखखी होने वाले’ पाठ के आधार पर मनुष्य ने बुद्धि के बल पर बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं। परिवार के समान दिखाई देने वाले संसार को टुकड़ों में बाँट दिया है और विश्व को टुकड़ों में बॉँटकर वह स्वयं को विजयी समझ रहा है, जबकि यही उसकी सबसे बड़ी हार है, क्योंकि जुड़े होने पर सभी एक-दूसरे की परवाह करते हैं, परंतु अलग होने पर सभी अपने-अपने लिए सोचते हैं।
यह सोच सबसे अधिक दुःखायी होती है। ऐसी स्थिति में कोई किसी के दुःख-दर्द को न तो समझता है, न बाँटना चाहता है। संवेदनहीनता सीमा का अतिक्रमण कर चुकी है। प्रस्तुत पाठ में इस तथ्य को स्पष्ट किया जा सकता है कि आज के युग में ऐसे लोग बहुत कम हैं, जो दूसरों के दुःख से दुःखी होते हैं।
(ग) छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई थी? ‘बड़े भाई साहब’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर :
छोटे भाई को खेलना बहुत पसंद था। जब बहुत खेलने के बाद भी उसने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया, तो उसे स्वयं पर अभिमान हो गया। अब उसके मन से बड़े भाई का डर भी जाता रहा। एक दिन पतंग उड़ाते समय उसे बड़े भाई ने पकड़ लिया। उन्होंने उसे समझाया और अगली कक्षा की पढ़ाई की कठिनाइयों का अहसास भी दिलाया।
उन्होंने बताया वह कैसे उसके भविष्य के कारण अपने बचपन का गला घोंट रहे हैं। उनकी बातें सुनकर छोटे भाई की आँखें खुल गईं। उसे समझ में आ गया कि उसके अव्वल आने के पीछे बड़े भाई की ही प्रेरणा रही है। इससे उसके मन में बड़े भाई के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो गई।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) ‘मनुष्यता’ पाठ में कवि ने किन-किन महान दानवीर राजाओं का उल्लेख कर मनुष्यता शब्द के वास्तविक अर्थ को परिभाषित किया है? विस्तार से लिखिए।
उत्तर :
‘मनुष्यता’ पाठ में कवि ने परोपकार, दया तथा उदारता जैसे गुणों के संदर्भ में दधीचि, कर्ण इत्यादि महान् व्यक्तियों की चर्चा कविता में की है। दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी हड्डियों को दान कर दिया, जिससे इंद्र के अस्त्र वज्र का निर्माण हुआ तथा असुरों की पराजय हुई। दधीचि का परोपकार मनुष्यता के इतिहास में प्रशंसित है।
दानवीर कर्ण ने अपने वचन को पूरा करने के लिए, अपने शरीर-चर्म के रूप में विद्यमान कवच-कुण्डल का दान कर दिया। राजा शिवि ने पक्षी के प्राणों की रक्षा हेतु अपने शरीर का मांस काटकर दे दिया। रंतिदेव ने भूखे अतिथियों के लिए अपने हिस्से का भोजन ग्रहण करने हेतु दे दिया। इस प्रकार कहा जा सकता है कि ये उदाहरण हमें त्याग, बलिदान व परोपकार का संदेश देते हैं।
(ख) ‘अब तो उसके ऊपर बैठकर चिड़ियाँ ही अकसर करती हैं गपशप’ पंक्ति के आधार पर बताइए कि वर्तमान समय में तोप की क्या स्थिति है तथा वह हमें क्या सीख देती है?
उत्तर :
एक समय था, जब तोप अत्यंत शक्तिशाली और सामर्थ्यवान थी, परंतु अब अकसर छोटे बच्चे उस पर बैठकर उसकी सवारी करते हैं, चिड़ियाँ उसके ऊपर बैठकर आपस में गपशप करती हैं, गौरैया तो शैतानी में इसके मुँह के भीतर ही घुस जाती हैं, जो यह दर्शाता है कि अब उन्हें कभी भयानक मानी जाने वाली इस तोप से डर नहीं लगता है।
एक समय बेशक यह जबरदस्त शक्तिशाली वस्तु रहती थी, परंतु वर्तमान समय में उसका मुँह बंद हो गया है। अतः यह स्पष्ट है कि समय के साथ तोप की स्थिति में बदलाव हो गया है और एक समय शक्ति की परिचायक तोप आज मात्र संग्रहालयों में प्रदर्शनी व मनोरंजन की वस्तु बनकर रह गई है।
(ग) ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर बताइए कि सहस्र-दृग-सुमन से क्या तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा?
उत्तर :
‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर ‘सहस’ दृग-सुमन से तात्पर्य पर्वतों पर खिले हुए हजारों फूल, जिन्हें देखकर ऐसा लगता है। मानों ये पहाड़ की आँखें हों। इसके द्वारा कवि ने यह कल्पना की है कि पर्वत अपने विशाल आकार को तालाबरूपी दर्पण में देख रहा है। इसके लिए आँखों की आवश्यकता थी, इसलिए कवि ने ‘सुमन’ को पहाड़ के नेत्र कहा होगा।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) अब तक हरिहर काका सब कुछ समझ चुके थे। इन घटनाओं का उन पर इतना गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ा था कि वे मौन रहने लगे, वे
किसी से कुछ नहीं कहते थे। हरिहर काका पर किन घटनाओं का प्रभाव पड़ा? ‘हरिहर काका’ कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
हरिहर काका के लिए उनके भाइयों का परिवार ही सब कुछ था, क्योंकि वे निःसंतान थे और उनकी पत्नी भी जीवित नहीं थी। वे अपने भाइयों के सहारे ही जीवन व्यतीत कर रहे थे। भाइयों के प्रति प्रेम एवं लगाव का जल्दी ही भ्रम टूटने लगा और उनका मोहमंग होना शुरू हो गया। जमीन के लालच में उनके भाइयों ने उनसे मारपीट तक की। इससे पहले मठ के महंत ने भी उनके साथ बुरा व्यवहार किया था। इन घटनाओं के कारण हरिहर काका को बहुत सदमा पहुँचा। उन्होंने अपने भाइयों एवं निकट संबंधियों से इसकी उम्मीद नहीं की थी। सदमे के कारण ही हरिहर काका बिलकुल मौन हो गए।
(ख) टोपी दो साल लगातार फेल हो गया। पिछली कक्षा वाले बच्चों के साथ बैठना आसान काम नहीं था, उस पर अध्यापकों की बेरुखी। ‘टोपी शुक्ला’ कहानी के आधार पर बताइए कि एक अध्यापक द्वारा टोपी जैसे विद्यार्थियों के साथ किस प्रकार का व्यवहार करना उचित है?
उत्तर :
‘टोपी शुक्ला’ कहानी के आधार पर टोपी दो साल लगातार फेल हो गया। फेल होने में उसका कोई दोष नहीं था। अपने से छोटे बच्चों के साथ कक्षा में बैठना बहुत कठिन काम था, उस पर अध्यापक द्वारा यह कहकर व्यंग्य कसना कि क्या बलभद्र की तरह इसी दर्जे में टिके रहना चाहते हो, तीन बरस से यही किताब पढ़ रहे हो, तुम्हें तो सारे जवाब याद हो गए होंगे, इन लड़कों की अगले साल हाई स्कूल की परीक्षा है आदि टिप्पणियाँ टोपी के लिए बहुत पीड़ादायक थीं और उसके मनोबल को तोड़ने का कार्य करती थीं। शिक्षकों द्वारा बालकों के साथ इस प्रकार का व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। इस प्रकार के व्यवहार से वे कुण्ठाग्रस्त एवं अवसाद के शिकार हो सकते हैं।
(ग) लेखक का स्कूल बहुत छोटा था, उसमें केवल नौ कमरे थे। दाईं ओर पहला कमरा हेडमास्टर श्री मदनमोहन शर्मा जी का था। वर्तमान समय में विद्यालयों की स्थिति में क्या-क्या परिवर्तन आए हैं तथा वे किस प्रकार विद्यार्थी की शिक्षा में सहायक बन रहे हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
वर्तमान समय में विद्यालयों की स्थिति में परिवर्तन आए हैं। जीवन मूल्यों के विकास हेतु शिक्षा व्यवस्था को पूर्ण रूप से प्रयोगवादी बनाना चाहिए। इसमें शिक्षा बाल केंद्रित होती है और अनुशासन लचीला होता है। आधुनिक समय में शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य है, परंतु अब शिक्षा प्रणाली पूरी तरह बदल चुकी है। अब सभी अभिभावक बच्चों पर उतना ही ध्यान देते हैं, जितना शिक्षक।
विद्यालय में लिखित कार्य के साथ प्रायोगिक कायों पर भी जोर दिया जाता है। दण्ड के स्थान पर धैर्यपूर्वक प्रोत्साहित करने पर जोर दिया जाता है। शारीरिक दण्ड देना अपराध माना जाता है। ऐसी कोई भी टिप्पणी करने पर पाबंदी है, जो छात्रों में हीनता की भावना को जन्म दे। अतः कहा जा सकता है कि ये ही परिवर्तन विद्यार्थियों की शिक्षा में सहायक बन रहे हैं।
लेखन
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।
(क) आशा ही जीवन है, निराशा ही मृत्य (5×1=5)
संकेत बिंदु —
- आशा-निराशा का अर्थ
- आशा की शक्ति
- उपसंहार
उत्तर :
आशा ही जीवन है, निराशा ही मृत्यु
आशा मनुष्य के जीवन में शक्ति का संचार करती है, जबकि निराशा उसे पतन की ओर ले जाती है। आशा मनुष्य का शुभ संकल्प है। मनुष्य की प्रत्येक उन्नति, लक्ष्य व सफलता की प्राप्ति का संचार आशा से ही है। जैसे-अग्नि का ऊर्जा से, समुद्र का लहरों से और दीप का प्रकाश से संबंध है, उसी प्रकार आशा का मनुष्य से अटूट संबंध है। मनुष्य परिस्थितियों का गुलाम नहीं होता, वह अपनी किस्मत खुद तय कर सकता है, लेकिन ऐसा तभी संभव है, जब वह आशावादी होगा।
आशावादी व्यक्ति अपनी क्षमता और कमजोरियों को ध्यान में रखते हुए ही अपना लक्ष्य तय करता है। उसे यह भान होता है, कि राह में जटिल हालात से उसका मुकाबला होगा, इसलिए वह विपरीत परिस्थितियों में कभी विचलित नहीं होता। वह आवश्यक साधन जुटाकर अपनी लगन व मेहनत से मुश्किल हालात का मुकाबला करता है और ऐसी परिस्थितियाँ भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पातीं। आखिर में सफलता उसके कदम चूमती है। यह आशा का ही कमाल है, कि मनुष्य बड़ी-बड़ी मुसीबतों को हँसते-हँसते जीत लेता है। आशावादी दृष्टिकोण मनुष्य की क्षमता और दक्षता को बढ़ाता है और इससे सफलता उसके और करीब आ जाती है। जहाँ आशा ही नहीं वहाँ प्रयास कैसे हो सकता है और जब कोई प्रयास ही नहीं होगा तो फिर सफलता मिलनी असंभव है।
आशावादी व्यक्ति से ही यह उम्मीद की जा सकती है, कि वह मिट्टी से सोना पैदा कर सकता है। आशावादी कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाता, बल्कि वह दूसरे के बढ़े हुए हाथों को थामकर उन्हें नई जिंदगी देता है। जीवन का आनंद संघर्षों से लड़कर जीने में ही है और मनुष्य आशावादी होकर ही संघर्ष कर सकता है। आशा ही उसे सफलता, सुख व आनंद सब कुछ दिलाती है।
इसके विपरीत निराश व्यक्ति कोशिश करने से पहले ही अपने को हारा हुआ मान लेता है। निराशा से व्यक्ति की मानसिक और शारीस्कि क्षमता भी घटती जाती है। इस वजह से भी सफलता उससे दूर भागती जाती है और जो व्यक्ति पूरी तरह निराश हो जाता है वह अपना जीवन ही समाप्त कर देता है। स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं, कि मनुष्य के लिए निराशा से बढ़कर दूसरा कोई पाप नहीं है। हमें निराशा का विनाश करके आशा को अपना धर्म बनाना चाहिए। अपने जीवन-उद्देश्य के लिए सबसे पहले हमें आशावाद का सहारा लेना चाहिए।
(ख) जलवायु परिवर्तन
संकेत बिंदु —
- विश्व की बड़ी समस्या
- जलवायु परिवर्तन से निपटारा
- निराशा से हानि
- जलवायु परिवर्तन का अर्थ
- उपसंहार
उत्तर :
जलवायु परिवर्तन के कारण
मानवीय कारण जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण मनुष्य ही है। सामान्यतः जलवायु में परिवर्तन कई वर्षों में धीरे-धीरे होता है। लेकिन मनुष्य के द्वारा पेड़-पौधों की निरन्तर कटाई और जगल को खेती या मकान बनाने हेतु उपयोग करने के कारण इसका प्रभाव जलवायु में भी पड़ने लगा है। जबकि पेड़-पौधे काम आते हैं और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए इन्हें बचाना अनिवार्य है।
इसके साथ ही कारखानों को सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला माना जाता है, क्योंकि इसके आस-पास रहने से साँस लेना भी मुश्किल हो जाता है। इसके अतिरिक्त प्रदूषण फैलाने वालों में वाहनों को लिया जाता है। यह सभी वायु प्रदूषण फैलाने में अपना योगदान देते हैं। इसके अतिरिक्त भी कई ऐसे उदाहरण हैं, जो वायु प्रदूषण के कारक बनते हैं। वायु प्रदूषण से गर्मी बढ़ जाती है और गर्मी बढ़ने से जलवायु में भी परिवर्तन होने लगता है।
प्राकृतिक कारण इनमें वे कारण हैं, जो प्राकृतिक रूप से अपने आप ही हो जाते हैं, जिसमें मनुष्य का कोई भी रोल नहीं होता; जैसे-भूकंप, ज्वालामुखी का फटना आदि। ज्वालामुखी फटने से उसमें से जो लावा निकलता है उसके किसी जलस्रोत में जाने या कहीं भी जाने से वहाँ प्रदूषण फैल जाता है और जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण भी प्रदूषण ही है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप दुनिया के मानसूनी क्षेत्रों में वर्षा में वृद्धि होगी जिससे बाढ़, भूस्खलन तथा भूमि अपरदन जैसी समस्याएँ उत्पन्न होंगी। जल की गुणवत्ता में गिरावट आएगी। ताजे जल की आपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ेंगे। जलवायु परिवर्तन जल स्रोतों के विवरण को भी प्रभावित करेगा। उच्च अक्षांश वाले देशों तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के जल स्रोतों में जल की अधिकता होगी, जबकि निम्न अक्षांश वाले देशों में जल की कमी होगी।
जल्वायु परिवर्तन को रोकने के उपाय हालाँकि जलवायु परिवर्तन को रोकना इतना आसान नहीं है, किंतु फिर भी छोटे-छोटे प्रयासों से हम इसकी गति पर अवरोध लगा सकते हैं। जैसे कि-त्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाकर हम जलवायु परिवर्तन को रोकने की शुरुआत कर सकते हैं। विमान और पेट्रोल के वाहनों को छोड़कर बस, ट्रेन या साइकिल का प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही सरकारों पर कार्यवाही के लिए दबाव डाला जा सकता है। हरित ऊर्जा और जहाँ संभव है वहाँ अक्षय ऊर्जा का प्रयोग करें। जरूरत न होने पर लाइट, पंखे, एसी और हीटर को जरूर बंद करें। अधिक-से-अधिक पेड़ लगाएँ।
उपसंहार जलवायु परिवर्तन का संकट मानव के जीवन को काफी हद तक हानि पहुँचा सकता है। यही कारण है कि जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत ही जोर-शोर से कार्य किया जा रहा है। इस विषय में बहुत सी योजनाएँ, नीतियाँ एवं सम्मेलनों का भी आयोजन किया जा रहा है जिससे आने वाली पीढ़ी को जलवायु परिवर्तन के होने वाले गंभीर परिणामों से सुरक्षित रखा जा सके।
“जलवायु परिवर्तन की ना करें अनदेखी,
पर्यावरण संरक्षण का सबका लक्ष्य हो एक ही।”
(ग) अंधविश्वास से घिरा समाज
संकेत बिंदु –
- अंधविश्वास की अवधारणा
- अंधविश्वास के विविध रूप
- अंधविश्वास का समाज पर प्रभाव
- अंधविश्वास समाप्त करने के उपाय
उत्तर :
अंधविश्वास से घिरा समाज
दुनिया का ऐसा कोई देश नहीं है, जहाँ के समाज में अंधविश्वास व्याप्त नहीं है। वस्तुतः हर अंधविश्वास का कोई-न-कोई कारण अवश्य होता है। बताया जाता है कि ‘ईसा मसीह’ को जब सूली पर चढ़ाने के लिए उन्हें पकड़ने कुछ लोग गए उस समय वे कुछ लोगों के साथ भोजन कर रहे थे। भोजन करने वालों की संख्या ‘ 13 ‘ थी।
अत: ’13’ की संख्या ईसाइयों के लिए अशुभ साबित हुई और धीरे-धीरे यह अंधविश्वास बनकर लोगों में घर कर गया। हमारे देश में भी किसी कार्य के समय किसी के द्वारा छींक देना, काली बिल्ली द्वारा रास्ता काटना, किसी के द्वारा पीछे से आवाज देना आदि अनेक अंधविश्वास हैं, जो उत्तर भारत के लोगों के मन में अपनी जगह बनाए हुए हैं। सबसे बड़ा अंधविश्वास अछूतों को छूने को लेकर है। हम उम्मीद कर सकते हैं, कि जैसे-जैसे शिक्षा का प्रचार-प्रसार बढ़ेगा, भारतीय समाज इस दंश से मुक्त होगा।
विवेक का प्रयोग किए बिना ऐसी अतार्किक बातों में विश्वास करना अंधविश्वास कहलाता है।
“अरिहरन की चोरी करें, करे सूई का दान।
ऊँचा चढ़ि कर देखत, केतिक दूर विमान।।”
इस दोहे से अभिमाय है। “मानव कुमार्ग पर चलकर कमाए गए धन का नगण्य भाग दान करके आकाश की ओर देखता है, कि उसे स्वर्ग ले जाने वाला विमान अभी कितनी दूर है?” अज्ञानी मानव द्वारा ऐसा किया जाना अंधविश्वास को ही दर्शाता है। किसी गरीब स्त्री की जमीन जायदाद हड़पने के लिए उसे डायन घोषित कर देना अंधविश्वास का एक ऐसा उदाहरण है, जिसमें मानवीयता को ताँक पर रखकर गरीब लोगों के साथ अन्याय किया जाता है।
यदि अशिक्षित मनुष्य अंधविश्वासों को मानता है, तो यह बात समझ आती है, कि वह वास्तविकता से अनभिश्क है, किन्तु अफसोस की बात यह है, कि आज के वैज्ञानिक युग में शिक्षित लोग भी अनेक प्रकार के अधविश्वासों को मानते हैं। आज दुनिया के विकसित देशों में भी कई प्रकार के अंधविश्वास व्याप्त हैं, किन्तु भारतीय समाज अंधविश्वासों के मामले में उनसे दो कदम आगे है। लोगों को शिक्षित कर अंधविश्वास को दूर किया जा सकता है, किंतु इस कार्य में जिस मीडिया को सशक्त भूमिका अदा करनी चाहिए थी, वही अंधविश्वास को फैलाने का कार्य कर रहा है। ऐसे में हर समझदार एवं जिम्मेदार नागरिक का यह कर्त्तव्य बनता है, कि वह अंधविश्वासों की सच्चाई से लोगों को अवगत कराएँ।
प्रश्न 15.
विद्यालय में सामान्य ज्ञान की मासिक पत्रिकाएँ मँगवाने के लिए प्रधानाचार्य को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (5×1=5)
अथवा
आपकी कक्षा में गणित की पढ़ाई न होने से कोर्स पिछड़ गया है। इस संबंध में अमित/अमिता की ओर से अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को गणित की अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित करवाने के लिए लगभग 100 शब्दों में प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भबन।,
नई दिल्ली- 32
दिनांक 27 मई, 20xx
सेवा में,
प्रधानावार्य महोदय,
केंद्रीय विद्यालय
नई दिल्ली-32
विषय : विचालय में सामान्य छ्ञान की मासिक पत्रिकाएँ मेंगवाने हेतु।
महोदय.
सबिनय निबेदन है कि हमारे विधालय के पुस्तकालय में सामान्य ज्ञान जैसे कि ज्ञान-विज्ञान व खेल संबंधी हिन्दी की मासिक पत्रिकाओं का अभाव है। यहाँ पर अन्य पुस्तके तो आती है, लेकिल अनेक विद्यार्थियों को सामान्य ज्ञान की पत्रिकाओं की आवश्यकता है। अतः आपसे निवेदन है कि पुस्तकालय में क्रिकेट सड़ाट, सामान्य अध्ययन, प्रतियोगिता दर्पण, विश्ञान प्रगति, नंदन आदि पत्रिकाएँ नियमित रूप से मेगवाई जाएँ, जिससे कि अधिक-से-अधिक छात्र ज्ञान क्रहण कर सके। आशा है कि आप हमारी मॉग पूरी करेंगे।
आपका आज्ञाकारी छात्र
नाम : मृणाल
कक्षा : दसवीं ‘ब’
अथवा
सेचा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य जी
राजकीय उच्य माध्यमिक विद्यालय
नजफगद नई दिल्ली।
विषय : गणित विषय की अतिरिक्त कक्षा हेतु।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं इस विद्यालय की कक्षा 10 वी का प्रतिनिथि हैं। महोदय कारण यह है कि हमारी अर्द्धवार्षिक परीक्षा बहुत नजदीक है, लेकिन गणित का पाट्यक्रम अमी तक पूरा नहीं हुआ है। इसका कारण यह है कि गणित के अध्यापक का स्थानांतरण किसी अन्य दिधालय में हो गया है। इपर अगस्त माह का दूसरा सप्ताह भी दीत चुका है। ऐसे में बिना अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित करवाए पाट्यक्रम समय पर पूरा होना असम्भव है। अतः हम छात्रों के मविष्य को ध्यान में रखते हुए छुट्टी के बाद अतिरिक्त कक्षाएँ आयोजित क्रवाकर हमारा पाए्यक्रम पूर्ण करवाया जा सकता है।
अतः आपसे पार्थना है कि गणित विषय की अतिरिक्त कक्षा आयोजित करवाने की कृपा करें।
धन्यवाद।
आपका आक्षाकारी शिष्य
अनित
प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 60 शब्दों में सूचना लिखिए। (4×1=4)
आप ‘महिला समिति’ की अध्यक्ष रचना शास्त्री हैं और समिति के सभी सदस्यों के साथ ‘नारी-सुरक्षा’ के संदर्भ में एक बैठक करना चाहती हैं। इसकी सूचना लगभग 60 शब्दों में लिखिए।
अथवा
पुलिंस थाना, सिविल लाइंस, लुधियाना के थानाध्यक्ष की ओर से एक सूचना-पत्र लगभग 60 शब्दों में लिखिए, जिसमें नगरवासियों को शहर में निरंतर बढ़ रही वाहन चोरियों के प्रति सतर्क किया गया
उत्तर :
महिला विकास समिति, दिल्ली दिनांक : 15 अप्रैल, 20xx ‘नारी-सुरक्षा’ के संदर्भ में बैठक महिला समिति की ओर से सभी महिलाओं को यह सूचित किया जाता है कि 25 मई, 20xx को दोपहर 12: 30 बजे बाल विकास महिला सभागार में महिला समिति की अध्यक्ष रचना शास्त्री की अध्यक्षता में नारी के लिए होने वाले उत्थान के विषयों पर चर्चा करने हेतु बैठक होगी। आप सभी लोगों को आने के लिए आमंत्रित किया जाता है। रचना शास्त्री |
पुलिस थाना, सिविल लाइंस, लुधियाना दिनांक 15 फरवरी, 20x x वाहन चोरी के संबंध में सभी लुधियाना नगरवासियों को सूचित किया जाता है कि वाहन चोरियाँ दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। इस पर रोक लगाने हेतु हमें कुछ नियम पालन करने होंगे। आपको अपने वाहनों को घर में या पार्किंग में पार्क करना होगा। वाहन को सड़क पर एकांत स्थान पर खड़ा मत कीजिए और अपने वाहन को उपयोग न करने पर सदैव लॉक करके रखें। धन्यवाद |
प्रश्न 17.
एयर कंडीशनर की ब्रिकी हेतु लगभग 40 शब्दों में विज्ञापन लिखिए। (3×1=3)
अथवा
यातायात के नियमों का पालन करने हेतु लगभग 40 शब्दों में विज्ञापन लिखिए।
उत्तर :
प्रश्न 18.
‘सत्य को कभी छिपाया नहीं जा सकता’ कथन को आधार बनाकर लगभग 100 शब्दों में लघुकथा लिखिए। (5×1=5)
अथवा
आप अंकित गुप्ता/शालिनी गुप्ता हैं। बस में यात्रा करते समय आपका एटीएम कार्ड कहीं गिर गया है तथा बहुत खोजने पर भी नहीं मिल रहा है? बैंक प्रबंधक महोदय को इसकी जानकारी देते हुए नया कार्ड बनाने के लिए एक ई-मेल भेजिए।
उत्तर :
सत्य को कभी छिपाया नहीं जा सकता
एक समय की बात है। किसी गाँव में दो मित्र रहते थे उनका नाम नेकीराम और फेकूराम था। नेकीराम बहुत ही विनम्र सत्य और दयालु व्यक्ति था, जबकि फेकूराम बहुत ही मतलबी और झूठा था। एक दिन दोनों मित्र पैसा कमाने के लिए शहर की ओर निकले उन लोगों ने बहुत धन कमाया। जैसे ही वह गाँव जाने के लिए निकले तो फेकूराम के मन में एक विचार आया कि क्यों ना हम अपना धन इस पेड़ के खोखले में छिपा दें और जब हम दोनों सुबह लौटेंगे तो सारा धन अपने साथ ले जाएँगे। नेकीराम तैयार हो गया और दोनों मित्र अपना धन पेड़ के खोखले में छिपा कर गाँव की ओर चल पड़े। फेकूराम ने आधी रात को जंगल पहुँचकर सारा धन चुरा लिया। दूसरे दिन जब दोनों दोस्त धन लेने जंगल में पहुँचे तो उन्हें कुछ भी नहीं मिला।
फेकूराम नेकीराम से कहने लगा कि तुमने मेरा पैसा चुराया है, तो नेकीराम बोला मैंने नहीं चुराया, मेरे पास पैसे नहीं हैं और मेरे पैसे भी चोरी हो गए। नेकीराम के चोरी से इंकार करने पर फेकूराम उसे सरपंच के पास सजा दिलाने के लिए ले गया और बोला सरपंच यह चोर है मेरी मदद कीजिए जो हमने धन छिपा रखा था वो सब इसने चुरा लिया है।
नेकीराम ने कहा-यह तुम कैसे कह सकते हो?
फेकूराम-मेरे पास इसका सिर्फ एक सबूत है। सरपंच ने पूछा-वो सबूत कौन है?
फेकूराम बोला-वो देवदूत जो उस पेड़ में रहते हैं हमें उनसे पूछना चाहिए, सब लोग पेड़ के पास पहुँचे और फेकूराम जोर से बोला-ओ इस पेड़ में रहने वाले देवदूत कृपया बताइए कल रात क्या हुआ था?
पेड़ से आवाज आई-नेकीराम कल रात यहाँ आया था और सारा धन चुराकर ले गया। ये सुनकर नेकीराम भौचक्का रह गया और बोला अरे बेवकूफ पेड़ मैं तुम्हें सबक सिखा के रहूँगा।
ये कहते हुए नेकीराम ने लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े इकट्ठे करने शुरू कर दिए और पेड़ के चारों तरफ बिछा दिए और उनमें आग लगा दी। कुछ ही देर में फेकूराम के पिताजी चीखते हुए पेड़ से बाहर निकले और बोले हे भगवान, मेरी मदद करों, मैं जल रहा हूँ।
गाँव के सरपंच ने पूछा तुमने ऐसा क्यों किया तो फेकूराम के पिताजी बोले की मेरे बेटे ने मुझसे छिपने के लिए कहा और कहा कि नेकीराम सारा धन चुराकर ले गया।
असल में धन मेरे बेटे फेकूराम ने चुराया है। फेकूराम के हाथ-पैर थरथराने लगे। सरपंच ने फेकूराम को सजा दी और नेकीराम को धन लौटा दिया सीख : सत्य की हमेशा जीत होती है।
अथवा