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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 4 with Solutions
निर्देश
समय : 3 घंटे पूर्णांक : 80
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं–‘अ’ और ‘ब’।
- खंड ‘अ’ में उपप्रश्नों सहित 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कुल 40 प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
- दोनों खंडों के कुल 18 प्रश्न हैं। दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘अ’ (वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित गद्यांश, व्यावहारिक व्याकरण व पाठ्य-पुस्तक से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न दिए गए हैं। जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
अपठित गद्यांश
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1×5=5)
राष्ट्रीयता का भाषा और साहित्य के साथ बहुत ही घनिष्ठ संबंध है। ऐसा होना स्वाभाविक है, क्योंकि राष्ट्रीयता और जातीयता के अंगों में सबसे अधिक आवश्यक अंग एकता है और वह एकता किसी विषय विशेष में नहीं है। एकता जितनी व्यापक होगी, उतनी ही राष्ट्रीयता स्थिर होगी और वह शक्तिशाली होगी। भावों की एकता सब प्रकार की एकताओं का मूल है। भावों की एकता तभी हो सकती है, जब वे विभिन्न व्यक्ति, जिनके द्वारा राष्ट्रीयता का निर्माण होता है, अपने भावों को किसी दूसरे पर व्यक्त कर सकें। इस महान कार्य के लिए एक भाषा की अत्यंत आवश्यकता है।
साहित्य मानव जाति के उच्च-से-उच्च तथा सुंदर-से-सुंदर विचारों और भावों का वह गुच्छा है, जिसकी बाहरी सुंदरता तथा भीतरी सुगंध दोनों ही मन को मोह लेते हैं। कोई जाति तब तक बड़ी नहीं हो सकती, जब तक कि उसके भाव तथा विचार उन्नत न हों। जाति और राष्ट्र के उत्थान के साथ-साथ उस जाति या राष्ट्र के साहित्य की उन्नति भी होती है। इस प्रकार, साहित्य की अवनति उस जाति के पतन का अटल और अटूट प्रमाण है। भारत के इतिहास को लीजिए।
महाभारत, रामायण तथा उपनिषद् अवश्य ही ऐसे समय में लिखे गए थे, जब यह देश बहुत उन्नत था। यह कल्पना असंभव नहीं तो दुष्कर अवश्य है कि ऐसे ग्रंथ किसी असभ्य, बर्बर जाति के आचार्यों द्वारा लिखे गए हों। जब बौद्धों का राज्य भारत के एक छोर से दूसरे छोर तक फैल गया और उनका प्रभुत्व तथा गौरव भारतवर्ष के बाहर भी फैल गया, तो पालि-साहित्य की उन्नति भी उस साम्राज्य की उन्नति के साथ-साथ होती गई।
(क) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पद्रिए उसके बाद विए गए विकल्यों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) साहित्य मनुष्य जाति के विकसित होने का मुख्य साथन है।
कारण (R) साहित्य के माध्यम से ही मनुष्य अपने भावों व विचारों को अभिव्यक्त कर पाता है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) सही है, कितु कारण (R) गलत है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही ब्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) गलत है किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) और कारण (A) दोनों सही है, लेकिन कारण (A) कथन (A) की सही व्याख्या करता है साहित्य मानव जाति के उच्च-से-्चच्च तथा सुददर-से-सुंदर विथारों और भावों का वह गुच्चा है, जिसकी बाहरी सुंदरता तथा भीतरी सुगंध दोनों ही मन को मोह लेते हैं। कोई जाति तब तक बड़ी नहीं हो सकती जब तक कि उसके भाव तथा विचार उन्नत न हों।
(ख) राष्ट्रीयता में स्थिरता तथा शक्ति का समावेश कब होता है?
(i) एकता की व्यापकता से
(ii) साहित्य की उदारता से
(iii) विचारों की भिन्तत से
(iv) मौलिक स्वत्त्रता से
उत्तर:
(i) एकता की व्यापकता से राष्ट्रीयता में स्थिरता तथा शक्ति का समापेश एकता की व्यापकता से होता है। एकता जितनी व्यापक होगी, उतनी ही राष्ट्रीयता स्थिर होगी और वह शक्तिशाली होगी। मावों की एकता सब प्रकार की एकताओं का मूल है।
(ग) गयांश के आधार पर बताइए कि किसी जाति द्वारा विशाल रूप ग्रहण करने के लिए क्या आवश्यक है?
(i) ज्ञाति विशेषन के लोगों से संपर्क बनाना
(ii) राष्ट्र निर्माण में सहयोगी होना
(iii) भावों और विचारों का श्रेष्ठ होना
(iv) भावों की एकता होना
उत्तर:
(iii) भावों और बिचारों का स्रेष्ठ होना गद्यांश के आधार पर किसी जाति द्वारा विशाल रूप ग्रहण करने के लिए भावों और विधारों का श्रेष्ठ होना आवश्यक है। कोई जाति तब तक बड़ी नहीं हो सकती है जब तक कि उसके भाव तथा विचार उन्नत न हों। जाति और राष्ट्र के उत्थान के साथ-साथ उस जाति या राष्ट्र के साहित्य की उन्नति भी होती है।
(घ) गद्यांश के अनुसार, जाति अथवा राष्ट्र की उन्नति किस प्रकार संभव है?
(i) साह्रित्चिक उन्नति द्वारा
(ii) एकांकी विकास द्वारा
(iii) सर्वाधिक प्रचार-प्रसार द्वारा
(ii) उच्च विचारों द्वारा
उत्तर:
(i) साहित्थिक उन्नति द्वारा गद्यांश के अनुसार, जाति अथवा राष्ट्र की उन्नति साहित्यिक उन्नति द्वारा सम्भव है। जाति और राष्ट्र के उत्थान के साथ-साथ उस जाति या राष्ट्र के साहित्य की उन्नति मी होती है। इस प्रकार साहित्य की अवनति उस जाति के पतन का अटल और अटूट प्रमाण है।
(ङ) राष्ट्रीयता और जातीयता के अवयवों में सबसे महत्त्वपूर्ण अवयव किसे माना जाता है?
(i) विचारों को
(ii) एकता को
(iii) सारित्य को
(iv) भाषा को
उत्तर:
(ii) एकता को राष्ट्रीयता का भाषा और साहित्य के साथ बहुत ही घनिष्ठ संबंध है। ऐसा होना स्वाभाविक है, क्योंकि राष्ट्रीयता और जातीयता के अंगों में सबसे अधिक आवश्यक अंग एकता है और वह एकता किसी विशेष विषय में नहीं है। एकत्ता जितनी व्यापक होगी, उतनी ही राष्ट्रीयता स्थिर होगी और वह शक्तिशाली होगी।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सवीधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1 x 5 = 5)
आज से लगभग छः सौ साल पूर्व संत कबीर ने सांप्रदायिकता की जिस समस्या की ओर ध्यान दिलाया था, वह आज़ भी प्रसुप्त ज्वालामुखी की भाँति भयंकर बनकर देश के वातावरण को विदग्ध करती रहती है। देश का यह बड़ा दुर्भाग्य है कि जहाँ जाति, धर्म, भाषागत ईर्ष्या, द्वेष, वैर-विरोध की भावना समय-असमय भयंकर ज्वालामुख्बी के रूप में भड़क उठती है।
दस-बीस हताहत होते है, कबीर हिंदू-मुसलमान में, जाति-जाति में शारीरिक दृष्टि से कोई भेद नही मानते। भेद केवल विचारों और भावों का है। इन विचारों और भाबों के भेद को बल धार्मिक कट्टरता और साप्रदायिकता से मिलता है। हुदय की चरमानुभूति की दशा में राम और रहीम में कोई अंतर नहीं। अंतर केवल उन माध्यमों में है, जिनके द्वारा वहाँ तक पहुँचने का प्रयत्न किया जाता है। इसलिए कबीर साहब ने उन माध्यमों-पूजा, नमाज, व्रत, रोजा आदि के दिखावे का विरोध किया। समाज में एकरूपता तभी संभव है, जब जाति, वर्ण, वर्ग
भेद न्यून-से-न्यून हों। संतों ने मंदिर-मस्जिद, जाति-पाँति के भेद में विश्वास नहीं रखा। सदाचार ही संतों के लिए महत्त्वपूर्ण है। कबीर ने समाज में व्याप्त बाह्याडंबरों का कड़ा विरोध किया और समाज में एकता, समानता तथा धर्मनिरपेक्षता की भावनाओं का प्रचार-प्रसार किया।
(क) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. संतों के अनुसार राम और रहीम एक हैं।
2. हिंदू-मुसलमान में शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से भी अंतर होता है।
3. वर्तमान में सांग्रदायिकता की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
4. कबीर ने समाज में एकता, समानता, धर्मनिरपेक्षता को महत्त्व दिया। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) 1 और 2
(ii) 1,3 और 4
(iii) केवल 2
(iv) 2 और 4
उत्तर:
(ii) 1,3 और 4 दिए गए कथनों में से सही कथन हैं-द्धदय की चरमानुभूति की दशा में राम और रहीम में कोई अन्तर नहीं। अंतर केवल उन माध्यमों में है, जिनके द्वारा वहाँ तक पहुँचने का प्रयत्न किया जाता है। वर्तमान में सांप्रदायिकता की समस्या की ओर ध्यान दिलाया था, – वह आज भी प्रसुप्त ज्वालामुखी की भाँति दिन-प्रतिदिन भयंकर बनकर देश के वातावरण को विदग्ध करती रहती है। कबीर ने समाज में एकता, समानता, धर्मनिरपेक्षता को महत्त्व दिया है।
(ख) गद्यांश में किस समस्या को ज्वालामुखी कहा गया है?
(i) अनेकता की समस्या को
(ii) सांप्रदायिकता की समस्या को
(iii) शारीरिक विकलांगता की समस्या को
(iv) बेरोजगारी की समस्या को
उत्तर:
(ii) संप्रदायिकता की समस्या को आज से लगभग सौ साल पूर्व संत कबीर ने सांप्रदायकिता की जिस समस्या की ओर ध्यान दिलाया था। वह आज भी प्रसुप्त ज्वालामुखी की भाँति भयंकर बनकर देश के वातावरण को विदग्ध करती रहती है।
(ग) मनुष्य के विचारों और भावों के भेद के परिणामस्वरूप किसे बल मिलता है?
(i) भाषागत विभिन्नता को
(ii) ईष्ष्या-द्वेष की भावना को
(iii) धार्मिक सद्भावना को
(iv) धार्मिक कट्टरता को
उत्तर:
(iv) धार्मिक कट्टरता को कबीर हिंदू-मुसलमान में, जाति-पाँति में शारीरिक दृष्टि से कोई भेद नहीं मानते। भेद केवल विचारों और भावों का है। इन विचारों और भावों के भेद को बल धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिकता से मिलता है।
(घ) संतों ने मंदिर-मस्जिद, जाति-पाँति के भेद में विश्वास नहीं रखा। पंक्ति के माध्यम से संत मनुष्य जाति के किस गुण में विश्वास रखते हैं।
(i) एकता
(ii) समानता
(iii) धर्मनिरपेक्षता
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iv) ये सभी संतों ने मंदिर-मस्जिद, जाति-पाँति के भेद में विश्वास नहीं रखा। सदाचार ही संतों के लिए महत्त्वपूर्ण है। कबीर ने समाज में व्याप्त बाह्याडबरों का कड़ा विरोध किया और समाज में एकता, समानता तथा धर्मनिरपेक्षता की भावनाओं का प्रचार-प्रसार किया।
(ङ) समाज में व्याप्त जाति-वर्ण से संबंधित भेदभाव कम होने पर क्या संभव है?
(i) संतों और सूफियों की एकता
(ii) धर्मनिरपेक्षता
(iii) एकरूपता
(iv) सांप्रदायिकता
उत्तर:
(ii) धर्मनिरपेक्षता समाज में व्याप्त जाति-वर्ण से संबंधित भेदभाव कम होने पर धर्मनिरपेक्षता संभव है।
व्यावहारिक व्याकरण
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘पदबंध’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4=4)
(क) ‘कबीर ने ईश्वर का निवास सृष्टि के कण-कण में बताया है।’ रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) सर्वनाम पदबंध
(ii) संज्ञा पदबंध
(iii) क्रिया पदबंध
(iv) क्रिया-विशेषण पदबंध
उत्तर:
(ii) संज्ञा पदबंध
(ख) ‘परमदानी राजा रंतिदेव ने एक भूखे व्यक्ति को अपनी भोजन की थाली दे दी थी।’ वाक्य में विशेषण पदबंध है
(i) व्यक्ति
(ii) भोजन
(iii) परमदानी
(iv) राजा रंतिदेव
उत्तर:
(iii) परमदानी
(ग) क्रिया-विशेषण पदबंध का उदाहरण छाँटिए
(i) कवि वर्षा ऋतु का अत्यंत सुंदर वर्णन करता है।
(ii) साथियों इस देश की रक्षा अब तुम करना।
(iii) बड़े भाई साहब ने दिन-रात एक करके पढ़ाई की।
(iv) पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था।
उत्तर:
(iii) बड़े भाई साहब ने दिन-रात एक करके पढ़ाई की।
(घ) ‘तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।’ रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) विशेषण पदबंध
(ii) सर्वनाम पदबंध
(iii) क्रिया पदबंध
(iv) क्रिया-विशेषण पदबंध
उत्तर:
(i) विशेषण पदबंध
(ङ) ‘यह वही कुत्ता है, जिसे नूह ने दुत्कार दिया था।’ रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) क्रिया पदबंध
(ii) संज्ञा पदबंध
(iii) विशेषण पदबंध
(iv) सर्वनाम पदबंध
उत्तर:
(iv) सर्वनाम पदबंध
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4 = 4)
(क) ‘वजीर अली के जन्म को सआदत अली ने अपनी मौत माना।’ इस वाक्य का संयुक्त वाक्य होगा
(i) वजीर अली का जन्म हुआ और सआदत अली ने इसे अपनी मौत माना।
(ii) सआदत अली ने अपनी मौत मानी, क्योकि वजीर अली का जन्म हुआ।
(iii) वजीर अली का जन्म हुआ, इसलिए सआदत अली ने इसे अपनी मौत माना।
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(i) वजीर अली का जन्म हुआ और सआदत अली ने इसे अपनी मौत माना।
(ख) सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. राजा घर आया, परंतु तरुण चला गया। | 1. मिश्रित वाक्य |
B. राजा से मिलकर रोहित बहुत खुश हुआ। | 2. संयुक्त वाक्य |
C. जब राजा घर में आया तो रोहित चला गया था। | 3. सरल वाक्य |
कूट
A –B — C
(i) 3 — 2 — 1
(ii) 2 — 3 — 1
(iii) 2 — 1 — 3
(iv) 1 — 2 — 3
उत्तर:
(ii) 2 — 3 — 1
(ग) निम्न में से मिश्र वाक्य है
(i) यदि बड़े भाई साहब सोच-समझकर अध्ययन करते, तो अवश्य सफल होते।
(ii) पेड़ों को रास्ते से हटाना शुरू कर दिया है।
(iii) लोग टोलियाँ बनाकर मैदान में घूमने लगे।
(iv) मैं मंदिर भी जाऊँगा और भजन भी सुनूँगा।
उत्तर:
(i) यदि बड़े भाई साहब सोच-समझकर अध्ययन करते, तो अवश्य सफल होते।
(घ) ‘कबीर जी ने सरल और सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग किया है।’ रचना के आधार पर वाक्य का भेद है
(i) मिश्र वाक्य
(ii) विधानवाचक वाक्य
(iii) सरल वाक्य
(iv) संयुक्त वाक्य
उत्तर:
(iv) संयुक्त वाक्य
(ङ) ‘अंग्रेजी पढ़कर विद्वान बनो।’ का मिश्र वाक्य होगा
(i) जब अंग्रेजी पढ़ोगे, तब विद्वान बनोगे।
(ii) अंग्रेजी पढ़कर विद्वान बना जा सकता है।
(iii) जो अंग्रेजी पढ़ता है, वह विद्वान बनता है।
(iv) विद्वान बनना है, इसलिए अंग्रेजी पढ्रो।
उत्तर:
(iii) जो अंग्रेजी पढ़ता है, वह विद्वान बनता है।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘समास’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4=4)
(क) निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए
समस्त पद — समास
1. हवन सामश्री — तत्पुरुष समास
2. देवमूर्ति — अव्ययीभाव समास
3. स्त्रीरत्न — बहुव्रीहि समास
4. वचनामृत — कर्मधारय समास
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?
(i) 1 और 2
(ii) 2 और 3
(iii) 3 और 4
(iv) 1 और 4
उत्तर:
(iv) 1 और 4
(ख) ‘चौराहा’ शब्द का सही समास-विग्रह क्या होगा?
(i) चार राहों वाला-तत्पुरुष समास
(ii) चार राहों का समाहार-द्विगु समास
(iii) चार हैं जो राहें-कर्मधारय समास
(iv) राहों में चार हैं जो-द्वंद्व समास
उत्तर:
(ii) चार राहों का समाहार-द्विगु समास
(ग) ‘स्वर्गनरक’ समस्तपद का विग्रह होगा
(i) नरक अथवा स्वर्ग
(ii) स्वर्ग और नरक
(iii) स्वर्गरूपी नरक
(iv) स्वर्ग है जो नरक
उत्तर:
(ii) स्वर्ग और नरक
(घ) ‘देशोद्धार’ शब्द के लिए सही समास-विग्रह और समास का चयन कीजिए
(i) देश का उद्धार — तत्पुरुष समास
(ii) देश के लिए उद्धार — बहुव्रीहि समास
(iii) देश में उद्धार — कर्मधारय समास
(iv) देश और उद्धार — द्वंद्व समास
उत्तर:
(i) देश का उद्धार-तत्पुरुष समास
(ङ) ‘शोकमग्न’ शब्द में कौन-सा समास है?
(i) तत्पुरुष समास
(ii) अव्ययीभाव समास
(iii) कर्मधारय समास
(iv) द्विगु समास
उत्तर:
(i) तत्पुरुष समास
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘मुहावरे’ पर आधारित छः बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) गाँधीजी में देश-सेवा की भावना थी। रिक्त स्थान की पूर्ति उचित मुहावरे से कीजिए
(i) जान से प्यारी
(ii) कूट-कूटकर भरी
(iii) ईंट से ईंट बजाना
(iv) गीदड़ भभकी
उत्तर:
(ii) कूट-कूटकर भरी
(ख) मुठभेड़ में सेना के जवानों ने आतंकवादियों का दिया। रिक्त स्थान की पूर्ति सटीक मुहावरे से कीजिए
(i) आड़े हाथों लेना
(ii) तिल का पहाड़ बनाना
(iii) तीन-पाँच करना
(iv) काम तमाम करना
उत्तर:
(iv) काम तमाम करना
(ग) दोषी व्यक्ति के बाइज़्ज़त बरी होने पर सब गए। उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) नाको चने चबाना
(ii) पीठ में छुरा घोंपना
(iii) हक्का-बक्का रहना
(iv) दुम दबाकर भागना
उत्तर:
(iii) हक्का-बक्का रहना
(घ) मुहावरे और अर्थ के उचित मेल वाले विकल्प का चयन कीजिए
(i) गीदड़ भभकी – खतरनाक धमकी
(ii) कब्र में पैर लटकना — मृत्यु के समीप होना
(iii) झाड़ फेरना – सफाई करना
(iv) ठेर करना – इकट्ठा करना
उत्तर:
(ii) कब्र में पैर लटकना-मृत्यु के समीप होना
(ङ) ‘भयंकर शत्रु’ के लिए उपयुक्त मुहावरा है
(i) अजातशत्रु
(ii) खून का प्यासा
(iii) काम तमाम करना
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ii) खून का प्यासा
(च) रेखांकित अंश के लिए कौन-सा मुहावरा प्रयुक्त करना उचित होगा?
पिछले कई वर्षों से कंपनी बहुत ऊँचाई पर पहुँच रही है।
(i) रंग दिखाना
(ii) गाढ़ी कमाई
(iii) सातवें आसमान पर होना
(iv) किस्मत चमकना
उत्तर:
(iii) सातवें आसमान पर होना
पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1×5=5)
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
अतीव भाग्यहीन है अधीर भाव जो करें,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
(क) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने क्या प्रेरणा दी है?
(i) ईश्वर का स्मरण करने की
(ii) धन के उन्माद में अहंकारी न होने की
(iii) संघर्षों से न घबराने की
(iv) अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की
उत्तर:
(ii) धन के उन्माद में अहंकारी न होने की प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने हमें गर्व-रहित जीवन व्यतीत करने की सलाह दी है। हमें तुच्छ धन-सम्पत्ति पर अहंकार कर मनुष्यता की प्रवृत्तियों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। अपनी मदांधता में स्वयं को वर्चस्वशाली तथा अन्य लोगों को अनाथ समझने की भूल कदापि नहीं करनी चाहिए।
(ख) पद्यांश के अनुसार हमें किस बात पर गर्व नहीं करना चाहिए?
(i) हम धनी हैं
(ii) हम अनाथ हैं
(iii) हम अपने आपमें पूर्ण हैं
(iv) हम उन्नति के लिए सक्षम हैं
उत्तर:
(ii) हम अनाथ हैं पद्यांश के अनुसार हमें अनाथ होने पर गर्व नहीं करना चाहिए। मनुष्य, मनुष्य को समान समझते हुए, सृष्टि की एकता को समझना जरूरी है। कवि का मानना है कि दयालु ईश्वर ही सृष्टिकर्ता है और वह किसी को अनाथ नहीं रहने देता, क्योंकि उसकी विशाल भुजाएँ हमेशा सहायता के लिए उठी रहती है।
(ग) कवि ने अति भाग्यहीन किसे कहा है?
(i) जो डरता रहता है
(ii) जो मदांध है
(iii) जो धैर्य नहीं रखता
(iv) जो उच्चता का भाव रखता है
उत्तर:
(iii) जो धैर्य नहीं रखता कवि ने अति भाग्यहीन ससे कहा है, जो धैर्य नहीं रखता है। अतः जो भी मनुष्य अपने मन में अधीरता रखता है, वह बहुत अभागा है। सच्चा मनुष्य तो वही है, जो दूसरे मनुष्यों के काम आता है। उनके लिए जीता और मरता है।
(घ) प्यांश के आधार पर बताइए कि यहाँ कोई अनाथ क्यों नहीं है?
(i) क्योंकि समाज सबका ध्यान रखता है
(ii) क्योंकि सबको परिवार का सहारा है
(iii) क्योकि ईश्वर सबके साथ है
(iv) क्योंकि हमें अपने परिश्रम पर विश्वास है
उत्तर:
(iii) क्योंकि ईश्वर सबके साथ है पद्यांश के आधार पर यहाँ कोई अनाथ इसलिए नहीं है, क्योंकि ईश्वर सबके साथ है। मनुष्य को अनाथ समझने की भूल कदापि नहीं करनी चाहिए। कवि का मानना है कि ईश्वर ही सृष्टिकर्ता है और वह किसी को अनाथ नहीं रहने देता, क्योंकि उसकी विशाल भुजाएँ हमेशा सहायता के लिए उठी रहती हैं।
(ङ) निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए
1. कवि के अनुसार, धन प्राप्ति मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
2. इस संसार में ईश्वर सबका है।
3. पद्यांश में सहज, सरल एवं भावानुकूल भाषा का प्रयोग किया गया है।
4. अपने मन में अधीरता रखने वाला मनुष्य सौभाग्यशाली है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) 2 और 3
(iii) केवल 3
(iv) 2 और 4
उत्तर:
(ii) 2 और 3 दिए गए कथनों में से सही कथन हैं-इस संसार में ईश्वर सबका है। वह सबको सुरक्षा व सहारा देता है। पद्यांश में सहज, सरल एवं भावानुकूल भाषा का प्रयोग किया गया है। संस्कृतनिष्ठ खड़ीबोली का प्रयोग किया गया है।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए। (1 x 2=2)
(क) पर्वतों पर बहने वाले झरनों की झर-झर की आवाज से कवि कैसे प्रेरित होता है?
(i) कवि की नस-नस में जोश भर जाता है
(ii) मन उत्साह एवं उमंग से भर जाता है
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) अत्यंत मधुर आवाज लगती है
उत्तर:
(iii) 1 और 2 दोनों पर्वतों पर बहने वाले झरनों की झर-झर की आवाज को सुनकर कवि की नस-नस में जोश भर जाता है, मन उत्साह व उमंग से भर जाता है तथा वातावरण संगीतमय हो जाता है।
(ख) ‘फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है।’ पंक्ति में कवि किस जश्न के बाद फ़तह का जश्न मनाने के लिए कह रहा है?
(i) संघर्ष व बलिदान के जश्न के बाद
(ii) देश की स्वतंत्रता के जश्न के बाद
(iii) जिंदगी में आगे बढ़ने के जश्न के बाद
(iv) हार के बाद जीतने के जश्न के बाद
उत्तर:
(i) संघर्ष व बलिदान के जश्न के बाद ‘फतह का जश्न इस जश्न के बाद है।’ इस पंक्ति में कवि संघर्ष व बलिदान के जश्न के बाद फतह का जश्न मनाने के लिए कह रहा है। कवि अन्य सैनिकों को बलिदान के लिए प्रेरित करना चाहता है। उनका मानना है कि यदि देश रक्षा के कार्यों को अधूरा छोड़ दिया जाएगा, तो शहीदों का बलिदान व्यर्थ ही है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1×5=5)
मेरी माँ कहती थी, सूरज ढले आँगन के पेड़ों से पत्ते मत तोड़ो, पेड़ रोएँगे। दीया-बत्ती के वक्त फूलों को मत तोड़ो, फूल बद्दुआ देते, हैं।…दरिया पर जाओ तो उसे सलाम किया करो, वह खुश होता है। कबूतरों को मत सताया करो, वे हजरत मुहम्मद को अजीज़ हैं। उन्होंने उन्हें अपनी मजार के नीले गुंबद पर घोंसले बनाने की इजाजत दे रखी है। मुर्गे को परेशान नहीं किया करो, वह मुल्ला जी से पहले मोहल्ले में अजान देकर सबको सवेरे जगाता है।
सबकी पूजा एक-सी, अलग-अलग है रीत।
मस्जिद जाए मौलवी, कोयल गाए गीत।।
(क) गुंबद से क्या तात्पर्य है?
(i) इमारत का अर्द्ध-गोलाकार शिखर
(ii) लोगों का समूह
(iii) पक्षियों के रहने का स्थान
(iv) नदियों की समतल भूमि
उत्तर:
(i) इमारत का अर्द्ध-गोलाकार शिखर गुंबद से तात्पर्य इमारत का अर्द्ध-गोलाकार शिखर से है।
(ख) माँ ने शाम के समय पेड़ों से पत्ते न तोइने के पीछे क्या तर्क दिया?
(i) उस समय पेड़ सोते हैं
(ii) उस समय पेड़ दूसरी दुनिया में होते हैं
(iii) ऐसा करने से पेड़ रोते हैं
(iv) उस समय पेड़ ध्यान लगाते हैं
उत्तर:
(iii) ऐसा करने से पेड़ रोते हैं लेखक की मों ने शाम के समय पेड़ों से पत्ते न तोड़ने के पीछे कारण बताया कि इस समय पत्ते तोड़ने से पेड़ रोते हैं।
(ग) निम्नलिखित कथन (S) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए। कथन (S) लेखक की माँ कबूतरों को सताने से, मुर्गें को परेशान करने से मना करती है। कारण (R) लेखक की माँ के मन में पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम भरा था।
(i) कथन (S) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (S) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (S) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (S) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर:
(i) कथ्थन (A) और कारण (P) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है। लेखक की मों कबूतरों को सताने से, मुर्ग को परेशान करने से मना करती है, क्योंकि लेख्यक की नां के मन में पशु-पक्षियों के प्रति मेन भरा था। जब कभी लेखक बच्चों को पशु-पक्षियों को सताते दुए देखता है, तो मों द्वारा दी गई सीख को याद करता है और सोचता है कि वे लोग कहां गए, जिनमें मनुष्य के प्रति ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षियों के बीच प्रेम भाव कूट-कूट कर भश हुआ था।
(घ) माँ के अनुसार, दीया-बाती के समय फूल तोड़ने से क्या होता है?
(i) फूल मुरझा जाते हैं
(ii) फूल बदुदुआ देते हैं
(iii). फूल अपने आप गिर जाते हैं
(iv) फूलों की सुगंध समाप्त हो जाती है
उत्तर:
(ii) फूल बदुदुआ देते हैं मों के अनुसार, दीया-घाती के समय फूल तोड़ने से फूल बदुदुआ देते है।
(ङ) दरिया पर जाओ, तो उसे सलाम करो, वह खुश होता है, कबूतरों को मत सताया करो, वे हजरत मुहम्मद को अज़ीज हैं। दीया-बत्ती के वक्त फूलों को तोइने से वे बदुदुआ देते हैं। पंक्ति के माध्यम से ज्ञात होता है कि लेखिका की माँ
(i) प्रकृति से अत्यंत प्रेम करती हैं
(ii) मन में प्राणी मात्र के प्रति द्या-भाव रखती हैं
(iii) पशु-पक्षियों की रक्षा करना अपना कर्त्तव्य मानती हैं
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iv) ये समी दरिया पर जाओ, तो उसे सलाम करो, वह खुश होता है, कबूतरों को मत सताया करो, वे हुजरत मुहम्मद को अजीज हैं, दीया-बत्ती के वक्त पूल्लों को तोड़ने से वे बदुदुआ देते हैं। इन सनी पंकित के माध्यम से ज्ञात होता है कि मौ प्रकृति से अत्यन्त प्रेम करती हैं। मन में प्राणी मात्र के प्रति दया-भाव रखती हैं और पशु-पक्षियों की रक्षा करना अपना कर्त्त्य मानती हैं।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए। (1 x 2 = 2)
(क) लेखक बड़े भाई साहब की किस ब्वात से पूर्णतः सहमत हैं?
(i) बड़े भाई साहब को अनुभव अधिक होने से उनमें समझ अधिक है
(ii) बड़े भाई साहव अध्ययन में होशियार हैं
(iii) बड़े भाई साहब लेखक से बहुत प्यार करते हैं
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(i) बड़े भाई साहब को अनुभव अधिक होने से उनमें समझ अधिक है लेखक दड़े भाई साहब की सलाह, व्यावहारिक अनुभव अधिक होने से उनमें समझ अधिक है और वह भविष्ध के लिए कैसे अपने बचपन का गला घोंट रहे हैं। उनकी बातें सुनकर छोटे भाई की औँखें खुल गई। उसे समझ आ गया कि उसके अब्यल आने के पीछे बड़े भाई की ही पेरणा रही है। अतः वे अपने बड़े माई साहब की उपरोक्त बातों से सहमत हैं।
(ख) निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन कलकत्ता के राष्ट्रीय ध्वजारोहण के विषय में सत्य है/है?
1. यह 26 जनवरी, 1931 को मनाया जा रहा था।
2. कलकता में वहाँ के लोगों द्वारा ही इसका संपूर्ण प्रबंध किया गया था।
3. यह छोटे रूप में मनाया जा रहा था।
4. इसके प्रचार में ही केवल दो हजार रुपये खर्च किए थे।
कूट
(i) 1 और 2
(ii) 2 और 4
(iii) 1,2 और 4
(iv) केषल 2
उत्तर:
(iii) 1,2 और 4 दिए गए कथनों में से कलकत्ता के राष्ट्रीय ध्वजारोहण के विषय में सत्य कथन है-यह 26 जनवरी, 1931 को मनाया जा रहा था। कलकत्ता में वहाँ के लोगों द्वारा ही इसका सम्पूर्ण प्रबन्ध किया गया था। इसके प्रचार-म्पसार में केवल दो हजार रुपये खर्य किए गए थे।
खंड ‘ब’ (वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक-पुस्तक तथा लेखन से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक पुस्तक
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) वामीरो पर तताँरा का प्रभाव जम चुका था, उसकी आँखों के सामने बार-बार तताँरा का घेहरा आ जाता। उसने ततॉरा के विषय में बहुत-सी बातें सुनी थीं, कितु वह उन सबसे अलग था। ‘तताँरा-वामीरो कथा’ पाठ के आधार पर तताँरा के स्वभाव की विशेषता बताइए और बताइए कि वे दोनों जीवनसाथी क्यों नहीं बन सकते थे?
उत्तर:
‘तताँरा-वामीरो क्था’ पाठ के आधार पर तताँरा में नायक होने के सभी गुण विद्यमान हैं। वह सुंदर, स्वस्थ, साहसी और परोपकारी है। उसकी शारीरिक विशिष्टताओं और आन्तरिक गुणों से हर कोई प्रभवित हो जाता है जब वानीरो ने उसे पहली बार देखा तो चसे लगा कि उसने अपने जीवनसाथी के रूप में ऐसे ही युवक की कल्पना की थी। तताँरा की कमर में लकड़ी की एक तलवार लटकी रहृती थी, जिसके बारे में लोगों को लगता था कि उस तलवार में कोई अद्मुत दैवीय शक्ति है।
वह सरल हृय का था। वह अपने गॉव के अलावा बाहर के गाँव की विपति के समय मदद क्रने पहुँच जाता था। वह स्वभाव से शांत व खुशमिजाज था। वह मकृति, गीत जैसे गुणों को पसंद करता था। इसी कारण उसने वामीरो का मधुर गीत सुना, तो वह तुरन्त ही उसकी ओर आकर्षित हो गया। लेकिन समाज में जातीय, धार्मिक और सामाजिक मेद के चलते प्रेम की खातिर उसने अपना बलिदान तक दे दिया परिण्मामस्वस्प ततॉरा-वमीरो जीवनसाथी नहीं बन सके।
(ख) बुजुगों द्वारा दी गई सीख भविष्य निर्माण में किस प्रकार सहायक होती है? ‘अव कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अब कहाँ दूसरे के दुखख से दुःखी होने वाले पाठ के आधार पर कह्हा जाए, तो प्रायीन काल की एक कह्हावत है ‘ नीव जितनी मजबूत होगी, इमारत भी उतनी मजबूत होगी” अर्थात् इमारत की मजबूती नींव की ईटट पर टिकी होती है। वही कहाइत हमारे इस कथन को स्पष्ट करती है कि जिस परिवार में बुजुर्गों की उपस्थिति होती है, उनको प्रमुखता दी जाती है, उनका मान-सम्मान किया जाता है, उस घर के लोगों का भदिष्य सदैव उज्ज्यल रहता है।
बुजुर्ग व्यक्ति अपनी उपरिथित केषल शारीरिक रूप से ही नहीं दर्शाते वरन् अपने वर्षो के अनुभवों को सीख के रूप में प्रसादस्वरूप सभी को बॉटते है। समय-समय पर चुनॉतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करते है। क्षमता अनुसार हरसंभव सहायता करते हैं। वे आघुनिक समय में व्यस्त माता-पिता की स्नेह की कमी को अपने प्यार-दुलार व आशीर्वाद से पूरा करते हैं। आज संवेदनहीन समाज में यदि नैतिक मूल्यों को जीवत रखना है, तो बच्चों पर बुजुर्गौ की छत्रछाया अनिवार्य है।
(ग) चाय पीने की प्रक्रिया ने लेखक के दिमाग की गति धीमी कैसे कर दी? ‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर:
‘पतझ्ञर में दूटी पतियाँ’ पाठ के आधार पर लेखक अपने दो मित्रों के साथ जापान की एक ‘टी-सेरेमनी’ में शामिल हुआ। यह चाय पीने की एक वियि है, जिसे जापानी ‘चा-नो-यू’ कहत्ते है। तनाव से नुक्ति दिलाने में चा-नो-यू की परंपरा को ‘एक बड़ी वेन’ इसतिए कहा गया है, क्योंकि चाय पीने की इस प्रक्रिया में मुख्य बात शांति है। चाय पीने के लिए बैठने का जो स्थान है, वहॉँ का वातादरण अत्यत शांत और गरिमापूर्ण होता है। वहाँ तीन से अधिक आदमी नहीं होते।
प्याले में दो घूँट से अधिक चाय नहीं होती, वे लोग होंठों से प्याला लगाकर एक-एक बूँद चाय पीते है। करीब डेढ़ घंटे तक यह सिलसिला चलता रहता है। दिमाग की रफ्तार धीरे-धीरे धीमी पड़ने लगती है। लोगों को लगता है मानो वह वर्तमान क्षण अनतकाल जितना विस्तृत है और वे लोग अनतकाल में जी रहे है। यहाँ तक कि उन्हे सन्नाटा भी स्पष्ट रूप से सुनाई देता है। इस अवस्था में पहुँचने पर वे व्यक्ति तनाव से नुक्ति माप्त कर लेते हैं।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3×2=6)
(क) ‘जवानी की अवस्था ही वह अवस्था होती है, जिसमें सौदर्य, प्रेम और जोश चरमोत्कर्व पर होता है।’ पंक्ति के माध्यम से कवि देश के युवाओं को क्या संदेश दे रहा है?
उत्तर:
‘जवानी की अवस्था ही वह अवस्था होती है, जिसमें सौददर्य, प्रेम और जोश वरमोत्कर्व पर होता है।’ इस पंक्ति के माध्यम से कवि देश के युवाओं को संदेश दे रहा है कि जिसमें जोश, उत्साह, शक्ति, ऊर्जा आदि भरपूर होती है। यदि इन गुणों का उथित लाभ उढाया जाए, तो जदानी को सार्थक बनाया जा सकता है। यदि युदा वर्ग अपने इस साहस, जोश तथा शबित का मयोग देशहित में करे, तो केवल युवावस्था (जवानी) ही नहीं, उनका पूरा जीबन सार्थक हो जाता है।
कवि ने सैनिकों के माध्यम से देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले लोगों की भावना को आलोकित किया है। देश की रक्षा में अपने प्राणों का उत्सर्ग करने दाला सैनिक ऐसी ही अपेक्षा आने वाली युवा पीड़ियों से मी करता है। उसे देश के लिए ‘मर-मिटना’ अपने जीवन में सॉदर्य तथा प्यार की प्राप्ति से कही अधिक महत्तपूर्ण एवं अर्थपूर्ण लगता है। इसी में जीवन की सार्थकता है। देशभक्ति का उत्साह पवाहित करना ही ‘कर चले हम फिद्या’ कविता का प्रतिमाद्य है।
(ख) करने किसके गौरव का गान कर रहे हैं? बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है? ‘पर्वत प्रदेश में पावस कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
पर्दतीय प्रदेश में बहते हुए झरने ऊँचे-केंगे पर्वतों के गौरव का गान कर रहे हैं। बहते हुए झरने की तुलना सुंदर मोतियों की लड़ियों से की गई है तथा उनकी आवाज नस-नस में जोश भरने वाली महसूस हो रही है। ये एक संगीतमय वातावरण की सृजन कर रहे है। झरनों के झर-झर की आवाज सुनकर नस-नस में जोश भर जाता है, मन उत्साह एवं उमंग से भर जाता है तथा वातावरण संगीतमय हो जाता है। इस प्रकार गिरते हुए झरनों की आवाज से संपूर्च पर्वत प्रदेश मुखर हो उठता है।
(ग) कवि के जीवन में सुखों के आगमन पर कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करता है? ‘आत्मत्राण’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि ईशवर से प्रार्थना करता है कि वह उसे विपतियों से उबारने का काम करें, केवल उसकी आंतरिक चेतना में ऐसी क्षमता भरने का प्रयान करें, जिसके कारण वह दिपदाओं से घबराए नहीं और बड़ी-बड़ी वियदाओं पर भी बिजय प्राप्त कर सके कवि ईश्वर से किसी मकार की सहायता नहीं चाहता। वह चाहता है कि ईश्वर उसे पौरुष दें, जिससे वह अपनी सहायता करने में सक्षम हो सके।
कबि ईश्वर से इतना ही चाहत्ता है कि वह उसे मयरहित बनाऐँ, जिससे वह उसकी सता पर, उसके प्रति आस्था पर संदेह न कर सके। कवि ईश्वर को विपदाओं से बचाने के लिए नही बुलाता है। यह मानव की शक्ति पर असीम विश्वास के कारण सम्भव हुआ है। कवि ईश्वर की समृति इसलिए नहीं कारना चाहता कि विपदा के क्षण से वे उसे उबार लें, बल्कि वह ईश्वर से संघर्ष की क्षमता व दु:खों को झेल पाने की शक्ति की कामना करता है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3 x 2=6)
(क) ठाकुरबारी का-महंत जानता है कि हरिहर काका की अपनी कोई संतान नहीं है। इसी बात का फायदा उठाकर वह उनसे कहता है कि मोह-माया के जाल में नहीं पड़ना चाहिए और अपनी हिस्से की जमीन ठाकुरबारी के नाम कर देनी चाहिए। आम आदमी की धर्म के प्रति अंध शद्धा को ठेकेदार किस रूप में भुनाते हैं? ‘हरिहर काका’ कहानी में हरिहर काका किस प्रकार इसका शिकार हुए हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आम आदमी के प्रति अंघ भन्दा को ठेकेद्दार इस रूप में भुनाते है कि ‘हरिहर काका ‘ उनका शिकार हो जाते है, जब उाकुरबारी में महंत ने हरिहर काका को समझाया कि यदि वह अपनी जमीन को ठाकुरबारी के नाम लिख देंगे, तो उनका नाम अमर हो जाएगा और समाज़ में उनका सम्मान बद जाएगा। तद उन्हें लगा कि उन्हें इस पुण्य अवसर को तुक्राना नहीं चाहिए।
दूसरी ओर उन्होंने यह सोचा कि उसके भाइयों का परिबार भी तो अपना ही परिवार है। यदि वह अपने भाइयों को अपनी जमीन-जायदाद का हिस्सा नहीं देते, तो यह अपने परिवार से विश्वासधात करने जैसा होगा। चाहे कुछ भी हो जाए परियार के सदस्य ही तो अंतिम समय तक काम आते है। यही सब सोचकर हरिहर काका असमंजस की स्थिति में आ गए और किसी, को मी कुछ नहीं कह पाए।
(ख) ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आधार पर टोपी और इफ़फ्न की दादी के आत्मीय संबंधों को स्पष्ट कीजिए एवं यह भी बताइए कि इसके आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
टोपी और इफ्फन की दादी अलग-अलग धर्मों से होते हुए भी जिस तरह से स्तेह की डोर को एक-दूसरे से बॉधे रखती थीं, वह मानवीय मूल्यों की दृष्टि से प्रत्येक समाज के लिए अनुकरणीय आदर्श बन सकते हैं। टोपी कट्टर हिंदू परिवार से था, जदकि द्वप्न की दादी मुसलमान परिवार से जुड़ी थी।
दोनों के बीच धर्मों की निन्नता होने के बावजूद टोपी को इफ्फन की दादी से अत्यधिक अपनापन मिला। इस अकेलेपन को दोनों ने आपसी प्रेम व सम्मान की भाबना से एक-दूसरे के लिए बाँटकर साझा करके समाप्त किया। दोनों के बीच न तो धर्म की समानता थी, न संस्कृति की और न ही चस्त की। इसके बदले दोनों के प्रति अपार प्रेम व स्नेह की भावना थी। दोनों एक-दूसरे के बिना स्वर्य को अकेला महसूस करती थीं।
(ग) स्कूल जाने के प्रति लेखक के मन में निराशा के भाव थे, परंतु धीरे-धीरे स्कूल के प्रति उसका आकर्षण बढ़ने लगा, ऐसा कब संभव हुआ? ‘सपनों के-से दिन’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
लेखक को बचपन में स्कूल कभी भी खुशी से भागे जाने की जगह नहीं लगी। चौथी कक्षा तक लेखक अपने कुछ सहपाठियों की तरह रोते-चीखते ही स्कूल पह्हुंचता था। उसके मन में स्कूल के प्रति एक प्रकार का भय समाया हुआ था। कर्ई बच्चे तो तालाब में किताब-कोंपियों को फेंक पढ़ाई को ही तिलांजलि दे चुके थे। स्कूल में जीवन नीरस तथा कैदी-सा प्रतीत होता था। स्कूल के मति लेखक के मन में निराशा के भाव होते हुए भी धीरे-धीरे स्कूल उसे भाने लगा। यह तब संभव दुआ, जब स्काउटिंग के अभ्यास का अवसर लेखक को मिला। नीली-पीली झंड्धिर्यों को हिलाते हुए उसे परेड करना अच्छा लगता था और इस कारण स्कूल के मति हसका आकर्षण भी बढ़ गया।
लेखन
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए। (5 x 1=5)
(क) मेरे जीवन का लक्ष्य
संकेत बिंदु –
- जीवन में लक्ष्य की आवश्यकता
- लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयास
- उपसंहार
- आपका लक्ष्य क्या है?
- सफल होकर समाज के लिए क्या करोगे?
उत्तर:
जीवन में निश्चित सफलता के लिए एक निश्चित लक्ष्व का होना अत्यंत आवश्यक है। जिस तरह निश्चित गंतव्य तय किए बिना, चलते रहने का कोई अर्थ नहीं रह जाता, उसी तरह लक्ष्य विहीन जीवन मी निर्थक होता है।
एक व्यक्ति को अपनी योग्यता एवं रुचि के अनुरूप अपने लक्ष्य का चयन करना चाहिए। जहाँ तक मेरे जीवन के लक्क्य की बात है, तो मुझे बचपन से ही पदने लिखने का शॉक रह्षा है, इसलिए में एक शिक्षक बनना वाहता हूँ। शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास करती है और इस प्रक्रिया में शिक्षक की मूमिका सर्वांिक महत्त्यपूर्ण होती है।
में विक्षक बनकर समाज हित के ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति प्राप्त करना चार्दूँा का, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छे एवं समर्पित शिक्षकों का अभाव है। एक आदर्श शिक्षक के रूप में गैं धार्मिक कट्टरता, माइवेट ट्यूशन, नशाखोरी आदि से बचाने हेतु सभी छात्रों का उचित मार्गदर्शन कर्जँगा। सही समय पर विद्यालय जाऊँगा और अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी से करॉगा।
शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए सहायक सामग्रियों का भरपूर अच्छा छ्ञान प्राप्त कर्लेंगा। मुझे आज के समाज की आवश्चकताओं का ज्ञान है, इसलिए ने इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु छात्रों को उनके नैतिक कर्त्तव्यों का ज्ञान कराऊँगा। अतः मेरे जीवन का लक्ष्य होगा-आदर्श शिक्षक बनकर समाज की सेवा करना तथा देश के विकास में योगदान देना।
(ख) प्राकृतिक आपबा : भूकंप
संकेत बिंदु –
- भूकंष के कनरण
- भूकंप के प्रकोप
- मूकरप के प्रभाव
- उपसंह्षर
उत्तर:
भूक्य ‘तूफान, अतिवृष्टि, अनावृष्टि हिमपात’ आदि की तरह एक प्राकृतिक आपदा है। इस आपदा का प्रकोप विश्व के किसी-भ-किसी हिस्से पर पड़ता ही रहता है। इस आपदा के शिकार अनेक माणी होते है। इसके होने वाली जान माल की हानि का केवल अनुमान ही लगाया जाता है। ऐसा इसलिए कि इसके प्रभाव असीमित और अनिश्चित होते है। फलतः इसके विषय में निश्चित रूप से कहना कुछ कठिन अवश्य होता है। भूकंप शब्द दो शब्दों के मेल से बना है-भू और कंपा भू शब्द का अर्थ होता है-पृथ्वी और कंप शब्द का अर्थ होता है-काँपना या हिलना। अब म्रश्न यह है कि पृथ्वी का काँपना और हिल्लना क्यों होता है?
दूसरे शब्दों में पृथ्वी क्यों काँपती या हिलती है? इस प्रश्न का उत्तर यैज्ञानिकों ने बड़ी खोजबीन करके दिया है। उनके अनुसार प्राकृतिक कारणों के फलस्वरूप पृथ्वी के भीतर की पर्तें या वट्टाने अस्थिर होकर हिलने लगती है। उनके हिलने से पृथ्वी के कपरी भाग में भी कंपन होता है। इस केपन की प्रक्रिया और स्वरूप को भूरंग कहा जाता है।
भूकम आने के कारण वैज्ञानिकों ने अनेक कारण बताए है। उनमें दो कारण मुख्य रूप से है-विवर्तनिक कारण और अविदर्तनिक कारण। विवर्तनिक कारण के अनुसार पृथ्नी के दाब के कारण भूकें आता है। दूसरे शब्दों में पृथ्वी का दाब सर्वन्र एक समान नहीं है अर्थात् पृथ्यी के नीतर कहीं-कहीं अधिक गहराई पर तापमान कम भी है और अधिक भी।
फलस्वस्त्य इसकी भीतरी परतों पर भी दाब कह्ही अधिक और कहीं कम है। जहाँ पर दाब अधिक है, वह कभी न कभी बहुत बद़ जाता है कभी तो इतना अधिक बढ़ जाता है कि पृथ्वी की भीतरी स्थिर चट्टाने हिलने-डोलने के कारण मुछकर दूटने लगती है। इसका पभाव कपरी चट्टान पर पड़ने लगता है। पलस्वरूप चट्टान सरकने लगती है। इनके सरकने की प्रक्रिया के दौरान भूरंप आने लगता है।
भूकंय के विषय में लोगों के भिन्न-भिन्न मत हैं। भूगर्म शास्त्रियों का मत है कि धरती के भीतर तरल पदार्थ है। यह जब अंदर की गर्मी के कारण तीव्रता से फैलने लगते हैं, तो फृथ्यी हिल जाती है। कभी-कभी ज्वालमुखी का फटना भी भूक्षम का कारण बन जाता है। यहों के लोगों का मत है, कि जब पृथ्वी के किसी भाग पर अत्याचार और अनाचार बढ़ जाते है, तो उस माग में देवी प्रकोप के कारण भूकंप आते है। देहातो में यह कथा भी प्रचलित है कि शेष नाग ने पृथ्वी को अपने सिर पर धारण कर रखा है।
उसके सात सिर है, जब एक सिर पृथ्वी के बोझ के कारण धक जाता है, तो उसे दूसरे सिर पर बदलता है। उसकी इसी क्रिन्या से पृथ्वी हिल जाती है और भूक्रं आ जाता है। भूकप आने से पहले यदि सूबना या पूर्वानुमान हो जाए, तो हमें सर्वमथम स्वय को व अपने सभी आस-पास के लोगो को सचेत करना चाहिए तथा सभी की सुरक्षित जगह पर पहुँचने में सहायता करनी चाहिए। भूके आने पर हमें किसी बड़े पेड़ या सुले मैदान की ओर जाना चाहिए तथा जब तक भूरंग शांत न हो तब तक सुरिक्षत स्थान पर ही रुकना चाहिए।
(ग) समाचार-पत्र और भारत
संकेत बिंदु –
- समाचार-प्पत्रों का महत्त्य
- समाचार-पत्रों की संयमित मूमिका
- समाचार-पत्रों की पह्हुंय
- उपसंहार
उत्तर:
वर्तमान युग में समाचारेक्ष्व को प्रजातंत्र की शक्ति का आवार स्तं भ समझा जाता है, क्योंकि समाधार-पत्र एक ओर जहों जनता की आवाज है, वहीं दूसरी ओर जन-जागरण का भाध्यम भी है। समाचार पत्र के द्वारा देश-विदेश की गतिविधियों, घटनाओं, समस्याओं आद्वि की जानकारी प्राप्त होती है। यह ज्ञानार्जन के साध-साध मनोरंजन का साधन मी है। समाचार-प्रों के द्वारा आज व्यापार, शिक्षा, मनोरंजन आदि से संबंधित अनेक विज्ञापन तथा सूवनाओं का प्रसारण भी होता है।
इसमें खेलकूद, सिनेमा, रेडियो तश दूरदर्शन के कार्यक्म, सरकारी सूचनाएँ आदि अनेक बातों की जानकारी रहती है। इसके सपादकीय में सरकारी नीतियों पर टिण्पणी प्रकाशित होती है। हमारे देश में विभिन्न भाषाओं में अनेक समाधार-पत्र प्रकाशित किए जाते है। आज हिन्दी में हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स, जनसता, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला, आज वीर अर्जन, नई दुनिया, लोकसत्ता, लोकमत, राप्ट्रीय सहारा, पंजाब फेसरी जैसे अनेक समाचार-पत्र निकल रहे हैं। हमारा कर्त्तव्य है कि हम समाचार-पत्रों का अध्ययन कर्रें तथा अपना ब्रानवर्षन करें।
देश-दिदेश में होने वाली हर दिन की घटनाओं का परिचय हमें समाचास-पत्रों के माध्यम से मिलता है। समाचास्पत्र बहुत ही शक्तिशाली यंत्र है, जो व्यक्ति के आत्मविश्वास और व्यक्तित्व को विकसित करता है। यह लोगों और संसार के बीच संबंच स्थापित करता है। हमें अपने देश के नेताओं की विचारधाराओं की जानकारी समाचार-पत्रों के माध्यम से बड़ी आसानी से कम खर्च में ही मिल जाती है। दूसरे देशों में क्या चल रहा है। इन सारी बातों को ज्ञान हमें समाचार-पत्रों से ही होता है। अत: समाचार आज एक बडी शक्ति है। जिसके बिना हमारा ज्ञान आज के समय में अचूरा है।
समाथार-पत्र एक वड़ी शक्ति है। इससे बड़े-बड़े नेता भी घबराते हैं। यह कभी-कभी बड़ी-बड़ी सरकारों को भी उखाड़ फेंकला है। कभी जनता में क्रांति की लहर फेलाता है और अच्छी सरकार की स्थापना में मदद भी करता है। समाचार-्पत्र एक योग्य शिक्षक की भूमिका भी निमाता है। हम पर में बैटे-बेठे देश-विदेश की खबरों को जानते है। यह हमारा व्यावहारिक ज्ञान विकसित करता है।
प्रश्न 15.
बिजली अधिकारियों का ध्यान बिजली वितरण की अव्यवस्था की ओर आकर्षित करने के लिए प्रमुख दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए। (5 x 1=5)
अथवा
मनीऑर्डर खो जाने की शिकायत करते हुए तिलक नगर क्षेत्र, दिल्ली के डाकपाल को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
परीक्षा भवन
– दिल्ली।
दिनांक 5 जुलाई, 20xx
सेवा में,
संपादक महोदय
दैनिक जागरण
दिल्ली।
विषय बिजली पितरण की आवशयकता पर ध्यान आकर्षित करने हेतु।
महोदय,
में आपके समाचास्थत्र की नियमित पाठक हूं। मैं अपनी समस्या इस पत्र के माध्यम से संबंधित अधिकारियों तक पाँचाना चाहती हैं। आशा है आप अपने संपादकीय में इसे जरूर स्थान देंगे। मैं इस क्षेत्र की एक जिम्मेदार नागरिक हैं। हमारे यहाँ लगातार बिजली की कटौती हो रही है। जून माह में गर्मी अपने घरम पर होती है। लगातार कई घंटों की कटौती अनेक समस्याएँ पैदा करती है। बच्चे प्रीज्ञायकाश में कम्पटीशन की तैयारी कर रहे होते है। अधिक गर्मी के कारण पढ़ाई में मन नहीं लगता, जब कभी बिजली आती भी है, तो उसका वोल्टेज बहुत कम होता है। में अपने इस पत्र के माध्यन से बिजली अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करना चाहती हैं। आशा है कि आप इसे अपने समाचार-पत्र में अवश्य स्थान देंगे। सधन्यवाद।
भवदीया
क,ख.ग.
अथवा
परीक्षा भवन, नई दिल्ली।
दिनांक 21 मई, 20xx
सेवा में,
डाक्याल महोदय
मुख्य द्वाकघर
तिलक नगर क्षेत्र
दिल्ली।
विष्य मनीओर्डर खो जाने की शिकायत हैतु।
महोदय,
नियेदन यह है कि 10 दिन पहले मैने आपके मुख्य डाकघर से ₹ 12,000 का मनीओंर्डर (घनादेश) करदाया था। यह धनादेश मैंने अपने पिताजी के पास श्री वेदापकाश, मथुरा के पते पर भेजा था। 15 दिन हो गए है, लेकिन अभी तक वह धनादेश मेरे पिताजी के पास नहीं पहुँचा है और न ही धनादेश वापिस मुझे प्राप्त हुआ है। हतने दिन बीत जाने के बाद भी मुझे इस विषय की सूबना प्राप्त नहीं हुई है। धनादेश न मिलने के कारण हमें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इसलिए, में आपको धनादेश का विवरण दे रहा हूं ताकि आप इस पर कार्यवाही जल्द से जल्द करें। धनादेश रसीद संख्या : 1035, दिनांक 11 मई, 20xx में इस धनादेश की एक छायाजति/फोटोकोपी भी आपके पास मेज रहा हूँ।
कृपया आप शीय अतिशीघ इस लापता घनादेश की जाँच करके उक्त पते पर थेजें तथा मुद्धे सूचित करें। मुझे आशा है कि आप शीम्र इस पर उचित कार्रवाई करेंगे।
धन्धवाद
भवदीय
राकेश कुमार
प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 60 शब्दों में सूचना लिखिए। (4×1=4)
आपकी एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक विद्यालय में कहीं खो गई है। उसे लौटाने की अपील करते हुए 60 शब्दों में एक सूचना लिखिए।
अथवा
आप बाल भवन के निदेशक अतुल अग्निहोत्री हैं। ग्रीष्मावकाश में बाल भवन द्वारा आयोजित बाल चित्रकला कार्यशाला के लिए 60 शब्दों में एक सूचना लिखिए।
उत्तर:
केन्द्रीय विद्यालय, द्वारका, नई दिल्ली दिनांक : 15 मई, 20xx गणित की महत्त्वपूर्ण पुत्तक खो जाने के संबंध में विद्यालय के सभी छात्रगण, मेरे प्रिय सहुपाठी व विद्यातय के कर्मचारीगण कृपया ध्यान दें। में कविता कक्षा 10 वी ‘ब’ की छात्रा हूं। मेरी गणित की पुस्तक दुर्भाग्यवश मेरी लापरवाही के कारण दियालय में कहीं खो गई है। जिस किस्सी भी छात्र सहपाठी व कर्मचारी को वह पुस्तक मिले तो कृग्यया वह पुस्तक मेरी कक्षा के रूम नंबर 19 , दूसरी मंजिल ‘ए’ ब्लॉक में पहुँचाने का कल्ट करें या फिर विद्यालय कार्यालय में जमा करा दें। आपकी अति कृषा होगी। |
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक 21 मई, 20xx
सेवा में,
डाकपाल महोदय
मुख्य डाकघर
तिलक नगर क्षेत्र
दिल्ली।
विषय मनीऑर्डर खो जाने की शिकायत हेतु।
महोदय,
निवेदन यह है कि 10 दिन पहले मैंने आपके मुख्य डाकघर से ₹ 12,000 का मनीऑर्डर (धनादेश) करवाया था। यह धनादेश मैंने अपने पिताजी के पास श्री वेदप्रकाश, मथुरा के पते पर भेज़ा था। 15 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक वह धनादेश मेरे पिताजी के पास नहीं पहुँचा है और न ही धनादेश वापिस मुझे प्राप्त हुआ है। इतने दिन बीत जाने के बाद भी मुझे इस विषय की सूचना प्राप्त नहीं हुई है। धनादेश न मिलने के कारण हमें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इसलिए, में आपको धनादेश का विवरण दे रहा हूँ ताकि आप इस पर कार्यवाही जल्द से जल्द करें। धनादेश रसीद संख्या : 1035, दिनांक 11 मई, 20xx में इस धनादेश की एक छायाप्रति/फोटोकॉपी भी आपके पास भेज रहा हूँ।
कृपया आप शीघ्र अतिशीघ इस लापता धनादेश की जाँच करके उक्त पते पर भेजें तथा मुझे सूचित करें। मुझे आशा है कि आप शीघ्र इस पर उचित कार्रवाई करेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
राकेश कुमार
प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 60 शब्दों में सूचना लिखिए। (4 x 1 = 4)
आपकी एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक विद्यालय में कहीं खो गई है। उसे लौटाने की अपील करते हुए 60 शब्दों में एक सूचना लिखिए।
अथवा
आप बाल भवन के निदेशक अतुल अग्निहोत्री हैं। ग्रीष्मावकाश में बाल भवन द्वारा आयोजित बाल चित्रकला कार्यशाला के लिए 60 शब्दों में एक सूचना लिखिए।
उत्तर:
केन्द्रीय विद्यालय, द्वारका, नई दिल्ली दिनांक : 15 मई, 20xx गणित की महत्त्वपूर्ण पुस्तक खो जाने के संबंध में विद्यालय के सभी छात्रगण, मेरे प्रिय सहपाठी व विद्यालय के कर्मचारीगण कृपया ध्यान दें। मैं कविता कक्षा 10 वीं ‘ब’ की छात्रा हूँ मेरी गणित की पुस्तक दुर्भाग्यवश मेरी लापरवाही के कारण विद्यालय में कहीं खो गई है। जिस किसी भी छात्र सहपाठी व कर्मचारी को वह पुस्तक मिले तो कृपया वह पुस्तक मेरी कक्षा के रूम नंबर 19 , दूसरी मंजिल ‘ए’ ब्लॉक में पहुँचाने का कष्ट करें या फिर विद्यालय कार्यालय में जमा करा दें। आपकी अति कृपा होगी। पुस्तक का नाम : 10 वीं कक्षा गणित |
अथवा
बाल भवन, नई दिल्ली दिनांक : 5 जून, 20xx बाल भवन में आने वाले सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि 11 जून, 20xx को बाल भवन सभागार में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। जो इच्छुक छात्र चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेना चाहते हैं, तो वह भाग ले सकते हैं। कार्यक्रम में भाग लेने के इच्छुक छात्रों को पहले नाम पंजीकरण कराना आवश्यक है। इच्छुक छात्र कमरा नंबर 16 में जाकर अपना नाम लिखवा सकते हैं। धन्यवाद |
प्रश्न 17.
‘साधना स्वयंसेवी संस्था’ की ओर से एक विज्ञापन 40 शब्दों में लिखिए। (3×1=3)
अथवा
‘नेत्रदान महादान’ विषय को आधार बनाकर 40 शब्दों में विज्ञापन लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 18.
‘चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात’ उक्ति को आधार बनाकर लगभग 100 शब्दों में एक लघुकथा लिखिए। अथवा (5 x 1=5)
आप नमन शर्मा/नेहा शर्मा हैं। आपसे आपकी आय से ज्यादा आयकर लिया जा रहा है। इस विषय पर आयकर अधिकारी को सूचित करते हुए एक ई-मेल लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
एक बार रोम का एक राजा भीषण रोग से पीड़ित हो गया। उस समय के देश-विदेश के प्रख्यात एवं निष्णात चिकित्सक राजा के उपचार के लिए बुलाए गए, किन्तु अच्छी-से-अच्छी औषधियों के प्रयोग से भी वे राजा के रोग का निदान न कर सकें। राजा का रोग पहले की अपेक्षा और अधिक बढ़ता चला गया। असाध्य रोग के कारण राजा के हृद्य में विकलता और राज्य में उदासी छा गई। एक दिन एक वृद्ध पुरुष राजा के दरबार में आया और रोगग्रस्त राजा से कहा राजन एक विशेष औषधि के सेवन से आपका रोग ठीक हो सकता है।
यह विशेष औषधि किसी अन्य व्यक्ति के पित्ताशय (गॉलब्लेडर) से तैयार की जाती है। यह औषधि आपके रोग को मूल से उखाड़ने की क्षमता ही नहीं रखती अपितु आपको चिरंजीवी भी बना सकती है। वृद्ध व्यक्ति के वचनों को सुनकर राजा के निराश मन में आशा का संचार हो गया। उसने वृद्ध के प्रति मन ही मन कृतज्ञता अभिव्यक्त करते हुए राज्य के चिकित्सकों को ऐसे व्यक्ति को तलाश करने का आदेश दिया, जिसकी पित्त की थैली से औषधि बनाई जा सके।
अंततः चिकित्सकों को एक ऐसा परिवार मिल गया, जिनको हाथ की तंगी के कारण भरपेट भोजन भी उपलब्ध नहीं होता था। इस परिवार में केवल 3 सदस्य थे-एक लड़का और उसके माता-पिता। चिकित्सकों ने लड़के के माता-पिता को धन का प्रलोभन देकर उसके एकमात्र पुत्र को खरीदने का प्रस्ताव रखा। धन की लालसा ने माता-पिता की आँखों पर पर्दा डाल दिया। उनकी दृष्टि में धन मोह के सम्मुख पुत्र मोह फीका पड़ गया और उन्होंने अपने घर के दीपक को चिकित्सकों को दे दिया। चिकित्सक लड़के को राजा के सामने लेकर आए। राजा ने लड़के की पित्त की थैली को लेने के विषय में राज्य-पुरोहित से विचार-विमर्श किया।
पुरोहित ने कहा-राजन! यद्यपि देश सर्वोपरि होता है, किन्तु उसका शासक उससे भी बड़ा होता है, क्योंकि वह देश की रक्षा करता है तथा अहर्निश समृद्धि के लिए प्रयास करता है। ऐसे शासक के लिए किसी भी व्यक्ति के जीवन की बलि देना अपराध नहीं है। पुरोहित के वचनों को सुनकर लड़के को राजा के सम्मुख खड़ा कर दिया गया। जल्लाद भी तलवार लेकर आ पहुँचा।
चिकित्सक औषधि तैयार करने वाले उपकरणों को लेकर वहाँ खड़े हो गए। अब राजा के आदेश की प्रतीक्षा थी। उसी क्षण लड़का आकाश की ओर देखकर जोर-जोर से हँसने लगा। उसे हँसते देखकर सम्राट ने लड़के से हँसने का कारण पूछा, लड़के ने कहा जिस देश में माँ-बाप धन के लिए संतान को बेच दें, पुरोहित निरअपराध मनुष्य की हत्या को उचित ठहराए, देश और प्रजा की रक्षा करने वाला शासक निर्दोष प्राणी की जान लेकर अपनी जान बचाएँ, वहाँ तो ऊपर वाले के न्याय पर ही भरोसा करना पड़ेगा।
यहाँ की शासन व्यवस्था तो 4 दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात कहावत को चरितार्थ करती है। लड़के की बातों को सुनकर सम्राट की आँखें खुल गईं। उसे अपनी भूल पर पश्चाताप होने लगा। उसका मन ग्लानि से भर गया। उसके अंदर में मानवता के अंकुर फूट पड़े तथा उसने जल्लाद को वापस भेज दिया।
अथवा