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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 3 with Solutions
समय: 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश
- इस प्रश्न-पत्र में चार खंड हैं – ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ और ‘घ’ ।
- खंड ‘क’ में अपठित गद्यांश से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए ।
- खंड ‘ख’ में व्यावहारिक व्याकरण से प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक पर आधारित है, निर्देशानुसार उत्तर दीजिए ।
- खंड ‘घ’ रचनात्मक लेखन पर आधारित है, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- प्रश्न-पत्र में कुल 16 प्रश्न हैं, सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- यथासंभव सभी खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: लिखिए।
खंड ‘क’ (अपठित बोध) (14 अंक)
इस खंड में अपठित गद्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1 × 3 = 3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2 × 2 = 4) प्रश्न दिए गए हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (7)
इंटरनेट ने शिक्षा को इतना आसान बना दिया है कि कोई भी, किसी भी प्रकार की समस्या क्यों न हो, पल भर की प्रतीक्षा किए बिना ही उसका उत्तर हमें मिल जाता है । पुस्तकालयों में बैठकर घंटों माथापच्ची नहीं करनी पड़ती। विद्यालयों में स्मार्ट क्लासों का प्रचलन बढ़ रहा है, जिसमें नेट के माध्यम से छात्रों को अत्याधुनिक ज्ञान प्रदान किया जाता है। इतना ही नहीं विद्यार्थी अपने घरों में रहकर विदेशी विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों से कम खर्च में पढ़ सकते हैं और किसी भी प्रकार की समस्या का हल निकाल सकते हैं।
परीक्षाओं एवं प्रतियोगिताओं की तैयारी में भी इंटरनेट का सहारा लेकर छात्र सफलता की नई ऊँचाइयाँ छू रहे हैं। आज भारतीय युवाओं की सफलता, शिक्षा और तकनीकी शिक्षण में इंटरनेट का बहुत बड़ा हाथ है। गाँव और छोटे शहरों में रहने वाले लोग इसके माध्यम से विश्वस्तरीय ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं और परिश्रम रूपी घोड़े की लगाम पकड़कर विकास की नई-नई ऊँचाइयों को छू रहे हैं। सच ही कहा है- शिक्षा में कमाल, इंटरनेट का धमाल ।
इंटरनेट मानवजाति के भूत, भविष्य और वर्तमान की गाथा भी सुनाने में सक्षम है। आप इतिहास के पन्नों को पलट सकते हैं, भविष्य का अनुमान लगा सकते हैं और वर्तमान में क्या घट रहा है, यह भी देख और पढ़ सकते हैं। किसी भी रचनाकार की कृति को पढ़ सकते हैं, नई-नई खोजें कर सकते हैं, विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं, भौगोलिक परिवर्तनों से रू-ब-रू हो सकते हैं; प्राकृतिक आपदाओं के विषयों में भविष्यवाणी कर सकते हैं और यहाँ तक कि अपने आचरण को शिष्ट एवं अनुशासित रखने के लिए सामाजिक एवं नैतिक शिक्षा पा सकते हैं।
(क) प्रस्तुत गद्यांश किस विषय-वस्तु पर आधारित है? (1)
(i) इंटरनेट और मनोरंजन
(ii) इंटरनेट द्वारा सामाजिक और नैतिक विकास
(iii) ऑनलाइन शिक्षा की सीमाएँ
(iv) इंटरनेट का शिक्षा में प्रभाव
उत्तर:
(iv) इंटरनेट का शिक्षा में प्रभाव प्रस्तुत गद्यांश में इंटरनेट की सहायता से शिक्षा की नई संभावनाओं और उसके द्वारा छात्रों को मिल रही सुविधाओं पर प्रकाश डाला गया है। इंटरनेट ने शिक्षा को बहुत आसान और रोचक बना दिया है। जिससे विद्यार्थी घर बैठे विश्वस्तरीय शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इंटरनेट से शिक्षा में सकारात्मक और क्रांतिकारी बदलाव आए हैं।
(ख) गद्यांश के अनुसार, आचरण को शिष्ट एवं अनुशासित रखने के लिए आवश्यकता है (1)
(i) इंटरनेट की
(ii) सामाजिक एवं नैतिक शिक्षा की
(iii) तकनीकी शिक्षा की
(iv) मानवता की
उत्तर:
(ii) सामाजिक एवं नैतिक शिक्षा की गद्यांश के अनुसार, आचरण को शिष्ट एवं अनुशासित रखने के लिए सामाजिक एवं नैतिक शिक्षा की आवश्यकता होती है। सामाजिक एवं नैतिक शिक्षा आचरण को शिष्ट एवं अनुशासित रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
(ग) कथन (A) वर्तमान में इंटरनेट के माध्यम से हम इतिहास के पन्नों को पलट सकते हैं तथा भविष्य का अनुमान लगा सकते हैं।
कारण (R) इंटरनेट मानवजाति के भूत, भविष्य और वर्तमान की गाथा सुनाने में सक्षम है।
कूट
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की गलत व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता हैं ।
उत्तर:
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है। वर्तमान में इंटरनेट के माध्यम से हम मनुष्य जाति के इतिहास के विषय में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं, वर्तमान का अध्ययन कर सकते हैं तथा भविष्य का अनुमान लगा सकते हैं, क्योंकि इंटरनेट मानवजाति के भूत, भविष्य और वर्तमान की गाथा सुनाने में सक्षम है।
(घ) गद्यांश के आधार पर बताइए कि इंटरनेट ने मानव जीवन को किस प्रकार प्रभावित किया है?
उत्तर:
गद्यांश के अनुसार, इंटरनेट ने मानव जीवन को अत्यंत सहज बना दिया है। आज मनुष्य घर बैठे दूरस्थ लोगों के साथ संपर्क कर सकता है और विचारों का आदान-प्रदान कर सकता है। इंटरनेट ने शिक्षा को भी सहज बना दिया है। आज पुस्तकालय में बैठकर माथापच्ची नहीं करनी पड़ती। इंटरनेट के माध्यम से प्रत्येक समस्या का आसानी से समाधान हो जाता है।
(ङ) इंटरनेट के माध्यम से हम घर बैठे कौन-सी सुविधा प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर:
गद्यांश के आधार पर कह सकते हैं कि इंटरनेट के माध्यम से हम घर बैठे अनेक सुविधाएँ प्राप्त कर सकते हैं। इसके द्वारा वर्तमान में घटित होने वाली घटनाओं, इतिहास की जानकारी तथा भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है। इंटरनेट के माध्यम से हम घर बैठे शिक्षा, समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं। किसी भी रचनाकार की कृति को पढ़ सकते हैं, नई-नई खोज कर सकते हैं, विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं तथा घर बैठे ही प्राकृतिक आपदाओं या मौसम की सूचना प्राप्त कर सकते हैं।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (7)
कहा जाता है कि हमारा लोकतंत्र यदि कहीं कमज़ोर है, तो उसकी एक बड़ी वजह हमारे राजनीतिक दल हैं। वे प्रायः अव्यवस्थित हैं, अमर्यादित हैं और अधिकांशतः निष्ठा और कर्मठता से संपन्न नहीं हैं। हमारी राजनीति का स्तर प्रत्येक दृष्टि से गिरता जा रहा है। लगता है उसमें सुयोग्य और सच्चरित्र लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। लोकतंत्र के मूल में लोकनिष्ठा होनी चाहिए, लोकमंगल की भावना और लोकानुभूति होनी चाहिए और लोकसंपर्क होना चाहिए। हमारे लोकतंत्र में इन आधारभूत तत्त्वों की कमी होने लगी है, इसलिए लोकतंत्र कमज़ोर दिखाई पड़ता है। हम प्राय: सोचते हैं कि हमारा देश-प्रेम कहाँ चला गया, देश के लिए कुछ करने, मर-मिटने की भावना कहाँ चली गई? त्याग और बलिदान के आदर्श कैसे, कहाँ लुप्त हो गए? आज हमारे लोकतंत्र को स्वार्थंधता का घुन लग गया है। क्या राजनीतिज्ञ, क्या अफसर, अधिकांश यही सोचते हैं कि वे किस तरह से स्थिति का लाभ उठाएँ, किस तरह एक-दूसरे का इस्तेमाल करें।
आम आदमी स्वयं को लाचार पाता है और ऐसी स्थिति में उसकी लोकतांत्रिक आस्थाएँ डगमगाने लगती हैं। लोकतंत्र की सफलता के लिए हमें समर्थ और सक्षम नेतृत्व चाहिए, एक नई दृष्टि, एक नई प्रेरणा, एक नई संवेदना, एक नया आत्मविश्वास, एक नया संकल्प और समर्पण आवश्यक है। लोकतंत्र की सफलता के लिए हम सब अपने आप से पूछें कि हम देश के लिए, लोकतंत्र के लिए क्या कर सकते हैं? और हम सिर्फ पूछकर ही न रह जाएँ, बल्कि संगठित होकर समझदारी, विवेक और संतुलन से लोकतंत्र को सफल और सार्थक बनाने में लग जाएँ।
(क) राजनीतिक दल लोकतंत्र की असफलता के कारण बताए जाते हैं, क्योंकि वे प्रायः (1)
(i) धन और पद-लोलुप हैं।
(ii) निष्ठाहीन और कर्त्तव्यविमुख हैं।
(iii) संप्रदायवादी और जातीयतावादी हैं।
(iv) केवल सत्ता-लालसी हैं।
उत्तर:
(ii) निष्ठाहीन और कर्त्तव्यविमुख हैं। राजनीतिक दल लोकतंत्र की असफलता का कारण बताए जाते हैं, क्योंकि वे प्रायः देश के प्रति निष्ठाहीन और कर्त्तव्यविमुख होते हैं।
(ख) लोकतंत्र का मूल तत्त्व नहीं है (1)
(i) लोक-मंगल के प्रति उपेक्षा
(ii) लोक – निष्ठा की अपेक्षा
(iii) लोक-संपर्क की इच्छा
(iv) लोक के सुख-दुःख की अनुभूति
उत्तर:
(i) लोक-मंगल के प्रति उपेक्षा लोकतंत्र का मूल तत्त्व लोक-मंगल की उपेक्षा करना नहीं है, यदि ऐसा किया जाता है, तो लोकतंत्र कमज़ोर दिखाई पड़ने लगता है।
(ग) कथन आजकल राजनीतिज्ञ और अफसर स्वार्थ पर केंद्रित होते हैं। (1)
निष्कर्ष इस स्वार्थधता के कारण लोकतंत्र में आम आदमी की आस्थाएँ डगमगाती हैं।
कूट
(i) कथन सही है, लेकिन निष्कर्ष गलत है।
(ii) कथन गलत है, लेकिन निष्कर्ष सही है।
(iii) कथन और निष्कर्ष दोनों सही हैं।
(iv) कथन और निष्कर्ष दोनों गलत हैं।
उत्तर:
(iii) कथन और निष्कर्ष दोनों सही हैं। गद्यांश के अनुसार आजकल राजनीतिक और अफसर स्वार्थी हो गए हैं, जिस कारण लोकतंत्र में आम आदमी की आस्थाएँ डगमगाने लगी हैं।
(घ) आम आदमी की लोकतांत्रिक आस्थाएँ क्यों डगमगाती हैं? (2)
उत्तर:
गद्यांश के अनुसार, लोकतंत्र में स्वार्थंधता का घुन लग गया है, आम आदमी स्वयं को लाचार पाता है। इस कारण भाई-भतीजावाद और पक्षपात को देखकर आम आदमी की लोकतांत्रिक आस्थाएँ डगमगाने लगती हैं।
(ङ) हमारा लोकतंत्र यदि कहीं कमजोर है, तो उसकी एक बड़ी वजह हमारे राजनीतिक दल हैं। पंक्ति के माध्यम से लेखक
किसकी ओर इशारा कर रहा है? (2)
उत्तर:
गद्यांश के अनुसार, “हमारा लोकतंत्र यदि कहीं कमज़ोर है, तो उसकी एक बड़ी वजह हमारे राजनीतिक दल हैं।” इस पंक्ति के माध्यम से लेखक अव्यवस्थित, अमर्यादित और अकर्मण्य राजनीति की ओर इशारा कर रहा है, क्योंकि राजनीतिक दल पक्ष-विपक्ष में अपने लाभ के लिए मर्यादा तोड़ देते हैं। उसमें सुयोग्य व सच्चरित्र लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है ।
खंड ‘ख’ (व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)
व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक एवं लघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1 × 16 = 16) के उत्तर देने हैं।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार पदबंध पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)
(क) ‘बाहर से आए मनुष्यों में कुछ शरारती तत्त्व भी हैं।’ रेखांकित पदबंध का भेद बताइए ।
उत्तर:
रेखांकित पदबंद ‘बाहर से आए मनुष्यों में कुछ’ सर्वनाम पदबंध है।
(ख) ‘तताँरा को मानो कुछ होश आया ।’ वाक्य में क्रिया पदबंध को बताइए |
उत्तर:
‘तताँरा को मानो कुछ होश आया।’ वाक्य में ‘होश आया’ में क्रिया पदबंध है।
(ग) ‘बड़ी देर से अपने को सँभालकर निखिल बोला ।’ वाक्य में रेखांकित पदबंध का भेद बताइए ।
उत्तर:
रेखांकित पदबंध ‘निखिल’ में संज्ञा पदबंध है।
(घ) ‘वृजलाल गोयनका वंदे मातरम् बोलते हुए मोनुमेंट की ओर भागे।’ रेखांकित पदबंध का भेद बताइए ।
उत्तर:
रेखांकित पदबंध ‘बोलते हुए’ में क्रिया – विशेषण पदबंध है।
(ङ) निम्नलिखित वाक्य में संज्ञा पदबंध को छाँटिए
बड़े भाई साहब लेखक की निडरता को भाप चुके थे।
उत्तर:
‘बड़े भाई साहब’ में संज्ञा पदबंध है।
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार वाक्य रूपांतरण पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘परिश्रमी ‘मनुष्य के लिए इस संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं है।’ प्रस्तुत वाक्य को मिश्र वाक्य में रूपांतरित कीजिए। (1)
उत्तर:
जो व्यक्ति परिश्रमी है, उसके लिए इस संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं है।
(ख) ‘शीला बीमार होने के कारण विद्यालय नहीं जाएगी।’ प्रस्तुत वाक्य को संयुक्त वाक्य में रूपांतरित कीजिए ।
उत्तर:
शीला बीमार है, इसलिए विद्यालय नहीं जाएगी।
(ग) ‘जैसे ही सूर्योदय हुआ, वैसे ही कुहासा जाता रहा । ‘वाक्य को सरल वाक्य में परिवर्तित कीजिए ।
उत्तर:
सूर्योदय होने पर कुहासा जाता रहा।
(घ) ‘मेरे विद्यालय के द्वार पर पहुँचते ही द्वार बंद हो गया ।’ प्रस्तुत वाक्य को मिश्र वाक्य में रूपांतरित कीजिए ।
उत्तर:
ज्यों ही मैं विद्यालय के द्वार पर पहुँचा, त्यों ही द्वार बंद हो गया।
(ङ) ‘मेहनत न करने के कारण वह रह गया।’ प्रस्तुत वाक्य को संयुक्त वाक्य में रूपांतरित कीजिए ।
उत्तर:
उसने मेहनत नहीं की इसलिए वह रह गया।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार समास पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘शास्त्रज्ञ’ शब्द का समास विग्रह बताइए तथा इसमें प्रयुक्त समास कौन-सा है ? (1)
उत्तर:
‘शास्त्रज्ञ’ शब्द का समास विग्रह ‘शास्त्र का ज्ञाता है जो’ तथा इसमें कर्मधारय समास प्रयुक्त है।
(ख) ‘चार दीवार’ शब्द में कौन-सा समास है? (1)
उत्तर:
‘चार दीवार’ शब्द में द्विगु समास है ।
(ग) विद्यारूपी धन’ विग्रह पद का समस्त पद क्या होगा? (1)
उत्तर:
‘विद्यारूपी धन’ विग्रह पद का समस्तपद ‘विद्याधन’ होगा ।
(घ) ‘गृहागत’ पद में कौन-सा समास प्रयुक्त है? (1)
उत्तर:
‘गृहागत’ पद में तत्पुरुष समास प्रयुक्त है।
(ङ) ‘घनश्याम’ शब्द का सही समास विग्रह और समास बताइए | (1)
उत्तर:
‘घनश्याम’ शब्द का सही समास विग्रह ‘घन के सम्मान श्याम’ है और इसमें कर्मधारय समास है।
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार मुहावरे पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘वृंदा अपने माता-पिता के गले का हार है।’ पंक्ति में से मुहावरा चुनकर वाक्य में प्रयोग कीजिए । (1)
उत्तर:
मुहावरा ‘गले का हार होना’
वाक्य प्रयोग तुलसीदासकृत ‘रामचरितमानस’ जनता के लिए गले का हार होने के समान है।
(ख) सोहन की दुकान चलते ही उसने अपने भाई को दुकान से ……. तरह बाहर फेंक दिया।
(उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान की पूर्ति करें ।) (1)
उत्तर:
सोहन की दुकान चलते ही उसने अपने भाई को दुकान से दूध में से मक्खी की तरह बाहर फेंक दिया।
(ग) उपयुक्त मुहावरे का प्रयोग करके वाक्य को पूरा कीजिए ।
परिश्रमी व्यक्ति का मेरे काम …… ही मेरी सफलता का कारण है। (1)
उत्तर:
परिश्रमी व्यक्ति का मेरे काम में हाथ डालना ही मेरी सफलता का कारण है।
(घ) ‘मक्खी मारना’ मुहावरे का अर्थ बताइए | (1)
उत्तर:
‘मक्खी मारना’ मुहावरे का अर्थ है- व्यर्थ में समय नष्ट करना ।
(ङ) ‘स्वावलंबी होना’ अर्थ के लिए उपयुक्त मुहावरा बताकर वाक्य में प्रयोग कीजिए । (1)
उत्तर:
‘स्वावलंबी होना’ अर्थ के लिए उपयुक्त मुहावरा ‘अपने पैरों पर खड़े होना है।
वाक्य प्रयोग वर्तमान युग की महिलाएँ अपने पैरों पर खड़े होकर स्वाभिमान से जीना पसंद करती हैं।
खंड ‘ग’ (पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (28 अंक)
इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए | (1 × 5 = 5)
राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फिल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया पर वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्मसंतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी। ‘तीसरी कसम’ कितनी ही महान फिल्म क्यों न रही हो, लेकिन यह एक दुःखद सत्य है कि इसे प्रदर्शित करने के लिए बमुश्किल वितरक मिले। बावजूद इसके कि ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे नामजद सितारे थे, शंकर-जयकिशन का संगीत था, जिनकी लोकप्रियता उन दिनों सातवें आसमान पर थी और इसके गीत भी फ़िल्म के प्रदर्शन के पूर्व ही बेहद लोकप्रिय हो चुके थे, लेकिन इस फ़िल्म को खरीदने वाला कोई नहीं था। दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने का गणित जानने वाले की समझ से परे थी । उसमें रची-बसी करुणा तराजू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी । इसीलिए बमुश्किल जब ‘तीसरी कसम’ रिलीज हुई तो इसका कोई प्रचार नहीं हुआ। फिल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा ।
(क) आर्थिक खतरों से आगाह किए जाने के बाद भी शैलेंद्र ने ‘तीसरी कसम’ बनाने का निर्णय क्यों लिया? (1)
(i) आत्मसंतुष्टि के लिए
(ii) मित्र के लिए
(iii) जिज्ञासा शांत करने के लिए
(iv) यश प्राप्ति के लिए
उत्तर:
(i) आत्मसंतुष्टि के लिए आर्थिक खतरों से आगाह किए जाने के बाद भी शैलेंद्र ने ‘तीसरी कसम’ बनाने का निर्णय आत्मसंतुष्टि के लिए लिया ।
(ख) ‘तीसरी कसम’ के लिए दुःखद सत्य किसे कहा गया है? (1)
(i) फ़िल्म में गीतों का अभाव
(ii) प्रदर्शित करने के लिए वितरक न मिलना
(iii) लोकप्रियता की कमी
(iv) जाने-माने फ़िल्मी सितारों का न होना
उत्तर:
(ii) प्रदर्शित करने के लिए वितरक न मिलना ‘तीसरी कसम’ के लिए दुःखद सत्य प्रदर्शित करने के लिए वितरक न मिलना को कहा गया है।
(ग) ‘दो से चार बनाने’ का क्या अर्थ है ? (1)
(i) अत्यधिक बनावटी होना
(ii) अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त करना
(iii) सामान्य से बहुत अधिक चाहना
(iv) बिना कारण बहस करना
उत्तर:
(ii) अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त करना ‘दो से चार बनाने’ का अर्थ अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त करना है।
(घ) ‘तीसरी कसम’ फिल्म में तराजू पर तोली जाने वाली चीज़ क्या नहीं थी ? (1)
(i) उसका संगीत
(ii) उसमें रची-बसी करुणा
(iii) उसके नायक-नायिका
(iv) उसके संवाद एवं भाषा-शैली
उत्तर:
(ii) उसमें रची-बसी करुणा ‘तीसरी कसम’ फिल्म में तराजू पर तोली जाने वाली चीज़ उसमें रची-बसी करुणा नहीं थी ।
(ङ) कथन (A) ‘तीसरी कसम’ फिल्म को खरीदने वाला कोई नहीं था। (1)
कारण (R) ‘तीसरी कसम’ फिल्म में राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे प्रसिद्ध सितारे तथा शंकर-जयकिशन का मधुर संगीत नहीं था ।
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है ।
(iii) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है। ‘तीसरी कसम’ फिल्म को खरीदने वाला कोई नहीं था। यह सत्य है, परंतु तीसरी कसम फिल्म में राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे प्रसिद्ध सितारे तथा शंकर-जयकिशन का मधुर संगीत था ।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए। (2 × 3 = 6)
(क) ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के आधार पर वृजलाल गोयनका का संघर्ष अपने शब्दों में लिखिए | (2)
उत्तर:
‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के अनुसार, वृजलाल गोयनका 26 जनवरी, 1931 को कलकत्ता में स्वतंत्रता दिवस मनाने में जुटे थे, इसलिए जब वह वंदे मातरम् बोलते हुए मोनुमेंट की ओर भागे, तब पुलिस ने उन्हें पकड़कर कुछ दूर ले जाकर छोड़ दिया। इसके बाद वह स्त्रियों के जुलूस में घुस गए और वहाँ से दो सौ लोगों का जुलूस लेकर लाल बाजार गए, जहाँ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, यहीं पर मदालसा को भी पकड़ लिया गया और उससे मालूम हुआ कि उसे थाने में भी पीटा गया।
(ख) तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद समुद्र के किनारे टहलने के लिए निकल पड़ा। वह समुद्री बालू पर बैठकर सूरज की अंतिम रंग-बिरंगी किरणों को निहारता है और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेता है । ‘तताँरा-वामीरो कथा’ पाठ के आधार पर समुद्रा के किनारे के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए । (2)
उत्तर:
‘तताँरा – वामीरो कथा’ पाठ के अनुसार, समुद्र के किनारे का वातावरण अत्यंत मनमोहक था । वहाँ पर ठंडी बयारें आ रही थीं। समुद्री बालू भी ठंडी हो चुकी थी । पक्षियों की चहचहाहट धीरे-धीरे कम हो रही थी। सूर्य की अंतिम रंग-बिरंगी किरणें समुद्र के जल में पड़ती हुई बहुत सुंदर लग रही थीं। इस प्रकार, सूर्य अस्त के समय समुद्र के आस-पास का वातावरण शांत और रंगीन हो गया था।
(ग) पहले ज़मीन के बड़े भाग में जंगल थे। पेड़-पौधों व पशु-पक्षियों से धरती हरी-भरी थी, परंतु धीरे-धीरे सब नष्ट होता जा रहा है। बढ़ती हुई आबादी से पर्यावरण में क्या परिवर्तन आए हैं? ‘अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए। (2)
उत्तर:
बढ़ती हुई आबादी से पर्यावरण में अत्यधिक परिवर्तन आए हैं। पहले ज़मीन के बड़े भाग पर जंगल थे, चारों ओर हरियाली व पक्षियों की चहचहाहट थी, परंतु बढ़ती आबादी के कारण लोगों के स्थान विस्तारित करने हेतु जंगलों को काटा गया, इससे पेड़-पौधों तथा पशु-पक्षियों का पलायन हुआ, प्रकृति का संतुलन बिगड़ने लगा, जिससे प्रकृति ने कई विसंगतियों को जन्म दिया; जैसे – अतिवृष्टि, अनावृष्टि, बाढ़, तूफान, सुनामी आदि ।
(घ) छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम टेबल बनाते समय क्या क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया ? (2)
उत्तर:
छोटे भाई ने मन लगाकर पढ़ाई करने का निश्चय कर टाइम टेबल बनाया, इस टाइम टेबल में खेलकूद के लिए कोई स्थान नहीं था । टाइम टेबल बनाते समय छोटे भाई ने सोचा कि टाइम टेबल बना ना एक बात है और इसे अमल करना दूसरी बात है। छोटा भाई टाइम टेबल का पालन नहीं कर पाया, क्योंकि खेल के मैदान में जाते ही वह सब कुछ भूल जाता था।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए | (1 × 5 = 5)
उड़ गया, अचानक लो, भूधर
रव – शेष रह गए हैं निर्झर !
धँस गए धरा में सभयशाली !
-यों जलद – यान में विचर – विचर
फड़का अपार पारद के पैर !
है टूट पड़ा भू पर अंबर !
उठ रहा धुआँ, जल गया ताल !
था इंद्र खेलता इंद्रजाल ।
(क) पर्वत, झरने, शालं के वृक्ष आदि के दिखाई न देने का क्या कारण है? (1)
(i) मूसलाधार वर्षा का होना
(ii) घना अंधकार छा जाना
(iii) चारों ओर धुआँ ही धुआँ होना
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iv) ये सभी पद्यांश के अनुसार, पर्वत, झरने, शाल के वृक्ष आदि के न दिखाई देने का कारण मूसलाधार वर्षा का होना है। वर्षा इतनी तेज़ थी कि चारों ओर धुआँ ही धुआँ होने लगा और घना अंधकार छा गया।
(ख) कवि ने तालाब के जल से उठने वाले धुएँ को किसके समान बताया है? (1)
(i) सफेद हँस के
(ii) अग्नि के
(iii) (i) और (ii) दोनों के
(iv) गहन अंधकार के
उत्तर:
(ii) अग्नि के कवि ने तालाब के जल से उठने वाले धुएँ को अग्नि के समान बताया है । कवि वर्णन करते हुए कहता है कि तालाब के जल से इस तरह धुआँ उठने लगा मानो उसमें आग लग गई हो।
(ग) रव शेष रह गए हैं निर्झर’ पंक्ति से क्या आशय है? (1)
(i) अंधकार छा जाने के कारण कुछ नहीं दिखाई देता, केवल झरनों की आवाज़ ही सुनाई देती है।
(ii) प्रकृति की सुंदरता का चित्रण झरनों के दृश्य के माध्यम से किया गया है।
(iii) झरने बहुत सुंदर दिखाई दे रहे हैं।
(iv) अंधकार में झरनों का दृश्य मनोरम दिखाई देता है।
उत्तर:
(i) अंधकार छा जाने के कारण कुछ नहीं दिखाई केवल झरनों की आवाज ही सुनाई देती है। ‘रव – शेष रह गए हैं निर्झर पंक्ति का आशय यह है कि अत्यधिक तीव्र वर्षा होने के कारण धरती पर अंधकार छा गया है, जिस कुछ भी दिखाई नहीं देता, केवल झरनों की आवाज़ ही देती है।
(घ) प्रस्तुत पद्यांश में किस ऋतु की सुंदरता का वर्णन किया गया है? (1)
(i) वर्षा ऋतु
(ii) ग्रीष्म ऋतु
(iii) शरद ऋतु
(iv) बसंत ऋत
उत्तर:
(i) वर्षा ऋतु प्रस्तुत पद्यांश में वर्षा ऋतु की सुंदरत वर्णन करते हुए बताया गया है कि इसमें पर्वत उड़ता प्रतीत होता है, वर्षा तेज़ होती है व तालाब से धुआँ प्रतीत होता है।
(ङ) कथन (A) इंद्र बादल रूपी विमान में घूम-घूमकर अपने जादुई करतब दिखा रहे हैं। (1)
कारण (R) झरनों की केवल आवाज सुनाई दे दही है।
कूट
(i) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iii) कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है।
(iv) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है ।
उत्तर:
(iv) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है। पद्यांश में कवि ने कहा है कि व देवता इंद्र बादल रूपी विमान में घूम-घूमकर अपने करतब दिखा रहे हैं, जिसके कारण पर्वतों पर विचित्र अद्भुत दृश्य दिखाई दे रहा है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए। (2 × 3 = 6)
(क) कवि मैथिलीशरण गुप्त’ ने मनुष्य को धन के उन्माद में अहंकारी न होने की प्रेरणा क्यों दी है?
उत्तर:
कवि ने मनुष्य को धन के उन्माद में अहंकारी न हो प्रेरणा इसलिए दी है, क्योंकि धन प्राप्ति कोई बहुत उपलब्धि नहीं है। यह केवल एक तुच्छ उपलब्धि है पर कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए, इसलिए धन के ब या सांसारिक दृष्टि से स्वयं को सुरक्षित अनुभव अपने मन में अभिमान करना गलत है, क्योंकि संसार में सिर पर त्रिलोकीनाथ का साया है। वह गरीबों का सहा दयालु है। उसकी शक्ति बहुत अधिक है, वह सबको और सहारा देता है, इसलिए हमें धन प्राप्ति पर घमंड नहीं चाहिए।
(ख) आपके पाठ्यक्रम में किस कविता में बताया गया है कि सैनिकों के लड़ने के लिए परिस्थितियाँ प्रतिकूल थीं और कैसे? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
‘कर चले हम फिदा’ कविता में बताया गया है कि सैनि लड़ने के लिए परिस्थितियाँ प्रतिकूल थीं। वर्ष 1962 में और चीन के बीच युद्ध का क्षेत्र था – हिमालय की घ जहाँ तापमान इतना कम होता है कि वहाँ खड़ा रहन कठिन होता है। हड्डियों में कँपकँपी पैदा कर देने सर्दी में भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों का मुँहतोड़ जव रहे थे। तिरंगे की शान के लिए वे अपने प्राणों की परवाह कर रहे थे। सर्दी के कारण उनकी साँसें थमती हुई प्रती रही थीं और उनकी नसों का खून जमने लगा था पर वे बढ़ते ही जा रहे थे।
(ग) ‘तोप’ कविता में कवि ने किस तोप का वर्णन किया है? अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवि ने 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्रम मे प्रयोग में लाई गई तोप का वर्णन किया है। यह तोप उ द्वारा किए गए अत्याचार का प्रतीक है। इस तोप को अब बाग में विरासत की भाँति सँभालकर रखा गया है। यह आने-जाने वालों को बताती है कि उसने बड़े-बड़े वी धज्जियाँ उड़ा दी थीं, परंतु वर्तमान में इसकी स्थिति बद है। अब यह शांत हो गई है और यह सीख देती है कि अ करने वाली प्रबल शक्तियों को भी एक दिन पराजय क देखना पड़ता है।’
(घ) प्रत्येक प्राणी में राम के बसने की तुलना किससे की गई है ? ‘साखी’ कविता के आधार पर बताइए ।
उत्तर:
राम का वास घट-घट में है अर्थात् हम सभी प्राणियों के ह्रदय तथा प्रकृति के कण-कण में राम विराजमान हैं, परंतु अपनी अज्ञानता और अहंकार के कारण यह बात नहीं पाता है । कवि के अनुसार, मनुष्य में भगवान वैसे ही बसे हु जैसे हिरन की नाभि में कस्तूरी होती है और हिरण को पता ही नहीं चलता।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40-50 शब्दों में दीजिए । (3 × 2 = 6)
(क) ‘हरिहर काका’ की अपने परिवार के सदस्यों से मोहभंग की शुरुआत किस प्रकार हुई ? आप हरिहर काका के इस मोहभंग को उचित मानते हैं अथवा अनुचित ? ‘हरिहर काका’ पाठ के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए । (3)
उत्तर:
हरिहर काका की अपने परिवार के सदस्यों से मोहभंग की शुरुआत तब हुई, जब उनके भाइयों की पत्नियों, बहुओं और बच्चों द्वारा उन्हें उपेक्षित किया जाने लगा। बीमारी के समय में भी उन्हें अपनी आवश्यकताएँ पूरी करने के लिए स्वयं ही उठना पड़ता था, जिसके कारण हरिहर काका का उन लोगों से मोहभंग हो गया, जो सर्वथा उचित है, क्योंकि यदि उनके भाइयों के परिवार के सदस्य उनकी बीमारी में भी देखभाल नहीं कर सकते, तो फिर ऐसे परिवार का क्या लाभ हरिहर काका के परिवार के सदस्यों को केवल उनकी सम्पत्ति अर्थात् ज़मीन जायदाद से ही लगाव था। उनके प्रति कोई लगाव नही था । ऐसे में उनका परिवार से मोहभंग हो जाना उचित है।
(ख) “बाल शिक्षा विद्यार्थियों के जीवन में महत्त्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह बाल केंद्रित होती है और इसमें अनुशासन लचीला होता है।” प्रस्तुत कथन के आधार पर बताइए कि विद्यार्थियों में जीवन मूल्यों के विकास हेतु शिक्षा व्यवस्था में किस प्रकार के सुधार की आवश्यकता है। ‘सपनों के से दिन’ पाठ के आधार पर लिखिए। (3)
उत्तर:
‘सपनों के से दिन’ पाठ में शिक्षा का परंपरावादी रूप दिखाई पड़ता है, किंतु आधुनिक समय में विद्यार्थियों में जीवन मूल्यों के विकास हेतु शिक्षा व्यवस्था को प्रयोगवादी बनाए जाने की आवश्यकता है। इसमें शिक्षा बाल केंद्रित होती है। इस पद्धति में अनुशासन बनाए रखने के लिए शारीरिक दंड का प्रयोग नहीं किया जाता, बल्कि विद्यार्थियों को महान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति से परिचित कराया जाता है, जिससे प्रेरित होकर वह स्वयं के व्यक्तित्व को विकसित करने का प्रयास करता है और शिक्षक उसके मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।
प्रस्तुत पाठ में हेडमास्टर शर्मा जी मार्गदर्शक के रूप में तो दिखाई पड़ते हैं, किंतु वहीं दूसरी ओर प्रीतमचंद सर का शारीरिक दंड के रूप में कठोर व्यवहार भी देखने को मिलता है। अतः आज परंपरावादी शिक्षा प्रणाली के स्थान पर प्रयोगवादी शिक्षा अपनाए जाने की आवश्यकता है।
(ग) ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि ‘इफ़्फ़न को अपनी दादी से विशेष लगाव था।’ (3)
उत्तर:
इफ़्फ़न को अपनी दादी से बड़ा प्यार था। उसे अपने पिता, बहन, माता तथा छोटी बहन नुजहत से भी लगाव था, किंतु दादी में तो जैसे उसके प्राण बसते थे। घर के अन्य सदस्य उसे कभी-कभार डाँटते-डपटते या फिर पिटाई भी कर डालते। छोटी बहन भी उसकी कॉपियों के पन्नों से हवाई जहाज़ बनाने लगती। बस एक दादी थीं, जिन्होंने कभी इफ़्फ़न का दिल नहीं दुखाया। वह रात को उसे बहुत सारी कहानियाँ सुनाया करती थीं। उसे दादी की ग्रामीण बोली बड़ी अच्छी लगती थी। इफ़्फ़न भी अपनी दादी की तरह बोलना चाहता था पर उसके अब्बू उसे नहीं बोलने देते थे। इफ़्फ़न अपनी दादी के प्रेम तथा उनकी सादगी से अत्यधिक प्रभावित था। दादी के प्रति उसका स्नेह पारिवारिक परिस्थितियों तथा उसकी भावुकता के कारण विकसित हुआ था।
खंड ‘घ’ (रचनात्मक लेखन) (22 अंक)
इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।
(क) प्रातःकाल की सैर
संकेत बिंदु
- प्रातः काल का दृश्य
- प्रातःकाल सैर करने के लाभ
- प्रातः काल सैर न करने से हानि
उत्तर:
प्रातः काल की सैर
प्रात:काल का दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है। जब सूरज की पहली किरण धरती पर पड़ती है, तो संपूर्ण वातावरण एक नई ऊर्जा और ताज़गी से भर जाता है। हल्की-हल्की ठंडी हवा, पत्तियों पर ओस की बूँदें, पक्षियों का मधुर संगीत और शांत वातावरण मिलकर एक अद्वितीय अनुभव का सृजन करते हैं। पेड़-पौधे और फूल खिलखिलाते हुए दिखते हैं और प्रकृति अपनी संपूर्ण सुंदरता के साथ प्रत्येक जीव को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस समय की सैर न केवल हमारी आँखों को सुकून देती है, बल्कि हमारे मन व आत्मा को भी शांति और ऊर्जा से भर देती है।
प्रातः काल की सैर के अनेकों लाभ हैं। सबसे पहले, यह हमारे ‘शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। सुबह की ताजगी भरी हवा में टहलने से फेफड़ों को शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है, जो हमारे श्वसन तंत्र को मजबूत बनाती है। इसके अतिरिक्त, सैर करने से हमारे हृदय की धड़कने नियमित होती हैं, रक्त संचार में सुधार होता है और मांसपेशियों को मजबूत किया जा सकता है । मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी प्रातः काल की सैर अत्यंत लाभकारी है। यह तनाव को कम करने में मदद करती है। और हमें दिनभर के कार्यों के लिए तैयार करती है। प्राकृतिक सौंदर्य को निहारते हुए चलने से मन में सकारात्मकता और खुशियों का संचार होता है, जिससे हमारी उत्पादकता में वृद्धि होती है।
इसके विपरीत, प्रात: काल सैर न करने से कई हानियाँ हो सकती हैं। नियमित सैर न करने से हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है; जैसे- मोटापा, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त, शारीरिक निष्क्रियता से मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अवसाद, चिंता और तनाव जैसी मानसिक समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
अतः प्रातः काल की सैर हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह हमें स्वस्थ, ताजगी भरा और सकारात्मक दृष्टिकोण से भरपूर जीवन जीने में मदद करती है।
(ख) धर्म और राजनीति
संकेत बिंदु
- धर्म का अर्थ और महत्त्व
- धर्म का राजनीति में योगदान
- धर्म और राजनीति में संबंध
- धर्म और राजनीति का स्थान
उत्तर:
धर्म और राजनीति
धर्म का शाब्दिक अर्थ है – ‘धारण करना’ अर्थात् जो समाज और व्यक्ति को धारण करने में समर्थ हो। धर्म का मुख्य उद्देश्य मानव जीवन को नैतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करना है। यह एक ऐसी शक्ति है, जो मनुष्य को सत्य, अहिंसा, करुणा और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। धर्म का राजनीति में सकारात्मक योगदान हो सकता है, जब इसका उपयोग नैतिक और न्यायपूर्ण शासन की स्थापना के लिए किया जाए, लेकिन जब राजनीति, धर्म का दुरुपयोग करके लोगों की भावनाओं को भड़काने और वोट बैंक की राजनीति करने में लगी रहती है, तो यह समाज के लिए हानिकारक साबित होती है। धर्म का राजनीति में अतिक्रमण करने से सामाजिक विभाजन, सांप्रदायिक हिंसा और अस्थिरता बढ़ती है।
धर्म और राजनीति का संबंध एक जटिल और विवादास्पद मुद्दा है । राजनीति का उद्देश्य समाज में सत्ता का प्रबंधन और व्यवस्थापन है, जबकि धर्म का उद्देश्य आत्मिक और नैतिक मार्गदर्शन प्रदान करना है। जब धर्म और राजनीति के बीच संतुलन बनता है, तो समाज में नैतिकता और न्याय की स्थापना होती है, लेकिन जब इन दोनों का दुरुपयोग होता है, तो समाज में विभाजन, संघर्ष और असहिष्णुता बढ़ जाती है।
धर्म और राजनीति दोनों का समाज में महत्त्वपूर्ण स्थान है, लेकिन इनके बीच उचित संतुलन और स्वतंत्रता बनाए रखना आवश्यक है। धर्म को व्यक्ति के आत्मिक और नैतिक विकास के साधन के रूप में देखा जाना चाहिए, जबकि राजनीति का उद्देश्य समाज के समग्र विकास और कल्याण को सुनिश्चित करना होना चाहिए। धर्म और राजनीति का मिलन तभी फलदायी हो सकता है, जब इनका उपयोग समाज की भलाई, न्याय और शांति के लिए किया जाए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धर्म का दुरुपयोग न हो और राजनीति का उद्देश्य समाज के प्रत्येक वर्ग के कल्याण के लिए हो।
(ग) ई-कचरा : कारण और निपटान
संकेत बिंदु
- ई-कचरा से तात्पर्य
- ई-कचरा बढ़ने का कारण
- ई-कचरा से उत्पन्न समस्याएँ
- निपटान के उपाय
उत्तर:
ई-कचरा : कारण और निपटान
ई-कचरा, जिसे इलेक्ट्रॉनिक कचरा भी कहा जाता है, उन सभी बेकार और अप्रयुक्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और उनके भागों को संदर्भित करता है, जो समाप्त हो चुके हैं या पुरानी हो चुकी तकनीकों के कारण त्याग दिए गए हैं। इसमें मोबाइल फोन, कंप्यूटर, टी.वी., रेफ्रिजरेटर, बैटरी और अन्य घरेलू तथा औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद शामिल हैं। ई-कचरा विशेष रूप से खतरनाक होता है, क्योंकि इसमें कई विषाक्त पदार्थ होते हैं; जैसे- सीसा, पारा, कैडमियम और अन्य भारी धातुएँ, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। ई-कचरा बढ़ने के कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारणों में से एक है तकनीकी उन्नति की तेज़ गति और लगातार नए उत्पादों का बाज़ार में आना। लोग नए और बेहतर तकनीक वाले उत्पादों की चाह में पुराने उपकरणों को जल्दी-जल्दी बदल देते हैं। इसके अतिरिक्त, उत्पादों का जीवनकाल कम होना और मरम्मत की उच्च लागत भी ई-कचरा बढ़ने का कारण बनते हैं
ई-कचरा कई गंभीर समस्याओं को जन्म देता है। जब ये पदार्थ ज़मीन में मिलते हैं, तो वे मिट्टी और जल स्रोतों को प्रदूषित करते हैं, जिससे फसलों, जल जीवन और पीने के पानी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त, ई-कचरे का सही तरीके से निपटान न होने पर यह जलवायु परिवर्तन में भी योगदान देता है। ई-कचरे से निकलने वाली गैसें और रसायन वायुमंडल में मिलकर ग्लोबल वार्मिंग और ओजोन परत के क्षरण का कारण बनते हैं। मानव स्वास्थ्य पर भी इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है, जैसे कि श्वसन समस्याएँ, त्वचा रोग और अन्य दीर्घकालिक बीमारियाँ |
ई-कचरे के निपटान के कई उपाय हैं, सबसे पहले, हमें ई-कचरे को पुनर्चक्रण (रिसाइकलिंग) के माध्यम से ठीक से निपटाना चाहिए। इसके लिए विशेष ई-कचरा संग्रह केंद्र और पुनर्चक्रण इकाइयों की स्थापना की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, हमें उत्पादों की मरम्मत और पुन: उपयोग (रिपेयर और री – यूज ) को बढ़ावा देना चाहिए।
अतः स्पष्ट है कि ई-कचरा एक गंभीर समस्या है, जिसे हल करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है । जागरूकता, पुनर्चक्रण और जिम्मेदार उपभोग इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हैं।
प्रश्न 13.
अपने क्षेत्र में पेयजल की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए स्वास्थ्य अधिकारी को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए ।
अथवा
आपकी कक्षा की अनुशासनहीनता एवं अभद्र व्यवहार के कारण आपके कक्षा अध्यापक आपकी कक्षा से बहुत नाराज़ हैं। आप पूरी कक्षा की ओर से किए गए दुर्व्यवहार की क्षमा माँगते हुए अध्यापक को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 27 फरवरी, 20XX
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी,
दिल्ली नगर निगम,
नई दिल्ली।
विषय पेयजल की समस्या के संबंध में।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान पूर्वी दिल्ली में पेयजल की समस्या की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। पूर्वी दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में पेयजल का अभाव होने के कारण सार्वजनिक नलों तथा पेयजल वाहनों के निकट भारी भीड़ जमा हो रही है। इसका कारण सुबह के समय मात्र एक घंटे के लिए पानी का आना है। ऊपरी मंजिल पर पानी नहीं पहुँचने से समस्या और अधिक बढ़ गई है। सुबह के समय आने वाला पानी भी गंदा तथा अशुद्ध होता है।
अतः आपसे अनुरोध है कि शीघ्र ही इस स्थिति का मूल्यांकन करें और पेयजल की समस्या से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाएँ।
धन्यवाद ।
भवदीय
क. ख.ग.
अथवा
परीक्षा भवन,
मेरठ।
दिनांक 11 फरवरी, 20XX
सेवा में,
कक्षा अध्यापक महोदय,
केंद्रीय विद्यालय,
मेरठ।
विषय कक्षा में अनुशासनहीनता एवं अभद्र व्यवहार की क्षमा याचना- हेतु।
माननीय गुरुजी,
यह सत्य है कि कल विद्यालय में भोजनावकाश के तुरंत बाद वाली कक्षा में हमारी कक्षा ने अत्यंत शोर तथा दुर्व्यवहार से अनुशासनहीनता का परिचय दिया। कुछ विद्यार्थियों ने पंखे व खिड़की इत्यादि को क्षतिग्रस्त करने का प्रयास किया। मैं छात्रनायक (मॉनीटर) होने के नाते यह अपराध स्वीकार करता हूँ। हमारा विद्यालय अनुशासनप्रिय है, इसी कारण हमें अपने इस कृत्य पर अत्यंत खेद है। हमारे इस कृत्य के कारण प्रधानाचार्य तक को कष्ट पहुँचा, इसके लिए हम अत्यंत लज्जित हैं। हम आपको आश्वासन देते हैं कि भविष्य में इस प्रकार की शिकायत का अवसर पुनः नहीं देंगे। हम आपसे तथा प्रधानाचार्य से पुनः याचना करते हैं कि हमें क्षमा कर दिया जाए। हम सब आपकी इस कृपा दृष्टि के लिए अत्यंत आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद।
प्रार्थी
छात्रनायक,
कक्षा X (क)
प्रश्न 14.
आपका नाम रोहित खन्ना है और आप दसवीं कक्षा में पढ़ते हैं। विद्यालय परिसर में आपकी अंग्रेज़ी की नोटबुक कहीं गिर गई है। इस संदर्भ में 60 शब्दों में एक सूचना लिखिए । (4)
अथवा
आप राजकीय विद्यालय, दिल्ली के प्रधानाचार्य अभिज्ञान वर्मा हैं। विद्यालय की पुस्तक प्रदर्शनी में आने के लिए विद्यार्थियों को 60 शब्दों में एक सूचना लिखिए | (3)
उत्तर:
डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल, द्वारका
सूचना
दिनांक 14 सितंबर, 20XX
अंग्रेज़ी की नोटबुक खो जाने के संदर्भ में
सभी को सूचित किया जाता है कि 13 सितंबर, 20XX को विद्यालय परिसर में मेरी अंग्रेज़ी की नोटबुक गलती से कहीं गिर गई है। जिस किसी को भी यह प्राप्त हुई हो, वे कृपया इसे मुझे लौटा दें या प्रधानाचार्य के कक्ष में जमा करा दें। नोटबुक पर ब्राउन रंग का कवर चढ़ा है तथा उस पर मेरा नाम भी लिखा है। नोटबुक में मेरा परीक्षा का पूरा पाठ्यक्रम है।
रोहित खन्ना
क्रमांक – 19
कक्षा – X ‘सी’
अथवा
राजकीय विद्यालय, दिल्ली
सूचना
दिनांक 4 जुलाई, 20XX
पुस्तक प्रदर्शनी में आमंत्रण हेतु
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में नवीन संस्करणों की पुस्तकों की प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। इसमें विद्यार्थियों के उपयोग की अनेक पुस्तकें हैं, जिन्हें पढ़कर वह अपने अध्ययन को सरल व रोचक बना सकते हैं। सभी पुस्तकों पर 35% की विशेष छूट भी मिलेगी। अतः विद्यार्थी अधिक-से-अधिक संख्या में आकर इस अवसर का लाभ उठाएँ।
समय प्रातः 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक
स्थान विद्यालय का परिसर
दिनांक 10 जुलाई से 15 जुलाई तक
अभिज्ञान वर्मा
(प्रधानाचार्य)
प्रश्न 15.
किसी टूर एंड ट्रैवल्स कंपनी की ओर से गाड़ी की बुकिंग के लिए 40 शब्दों में विज्ञापन लिखिए।
अथवा
गर्मियों की छुट्टियों में किसी संस्थान द्वारा ‘कत्थक नृत्य’ सीखने हेतु 40 शब्दों में विज्ञापन लिखिए |
उत्तर:
अथवा
प्रश्न 16.
आप नेहा कुमारी / नमन कुमार हैं। आपके क्षेत्र में जल की पर्याप्त सप्लाई नहीं हो रही है। नगर योजना अधिकारी को इस समस्या से अवगत कराते हुए 80 शब्दों में एक ई-मेल लिखिए । (5)
अथवा
‘सादा जीवन, उच्च विचार’ उक्ति को आधार बनाकर लगभग 100 शब्दों में एक लघुकथा लिखिए ।
उत्तर:
From : [email protected]
To : [email protected]
CC : [email protected], [email protected]
BCC :
विषय जल की अपर्याप्त सप्लाई की आपूर्ति हेतु ।
महोदय,
आजकल हमारे क्षेत्र में पानी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो रही है तथा जो थोड़ी बहुत पानी की आपूर्ति होती भी है, वह भी नियमित समय पर नहीं होती है, जिसके कारण लोगों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तथा साथ ही लंबे समय तक पानी का इंतजार करना पड़ता है और पानी के लिए यहाँ-वहाँ भटकना पड़ता है। अतः आपसे प्रार्थना है कि हमारे क्षेत्र में पानी की पर्याप्त व नियमित आपूर्ति की व्यवस्था करें।
धन्यवाद ।
प्रार्थी
नेहा कुमारी
अथवा
उक्ति का अर्थ ‘सादा जीवन उच्च विचार’ उक्ति का अर्थ सादगीपूर्ण जीवन शैली तथा उच्चतम अथवा श्रेष्ठ विचारों से है । यह उक्ति किसी भी प्रकार के दिखावे के बिना एक साधारण जीवन जीने के महत्त्व पर बल देती है, किंतु इसके साथ ही अपने जीवन तथा आस-पास के सकारात्मक बदलावों के बारे में भी सोचने के लिए प्रेरित करती है।
लघुकथा एक राजा था, जो अपने सारे फैसले अपने मंत्री से पूछकर किया करता था। वह अपने मंत्री के विवेकपूर्ण निर्णयों से बहुत प्रसन्न था तथा उपहारस्वरूप उसे अनेक कीमती आभूषण, मोहरें इत्यादि देता रहता था, किंतु वह जब भी राजा की सभा में आता तो अत्यंत सादगीपूर्ण वस्त्रों में ही आता था। वह न तो कोई आभूषण धारण करता और न ही बाह्य वेशभूषा, साज-सज्जा पर अधिक ध्यान देता। वह प्रतिदिन साधारण से धोती-कुर्ते में ही राजसभा में उपस्थित होता था ।
एक दिन राजा की पत्नी ने राजा से कहा मुझे लगता है कि यह मंत्री आपसे धन ऐंठने के लिए इतने सादे वस्त्र पहनता है, ताकि आप इसकी दशा देखकर इसे धन-दौलत देते रहें। राजा ने रानी की बातों का कोई जवाब न दिया।
अगले दिन सुबह जब राजसभा आयोजित हुई, तो राजा ने मंत्री के निर्णय से प्रसन्न होकर पुनः उसे बहुत सा धन, वस्त्र आदि दिए । जब मंत्री राजसभा से जाने लगा, तब राजा ने रानी से कहा, चलो, आज हम देखते हैं कि मंत्री इतने सारे धन का क्या करता है ? राजा-रानी उसका पीछा करने लगे। उन्होंने देखा कि मंत्री ने सारा धन, वस्त्र इत्यादि गरीब बच्चों और जरूरतमंद लोगों में बाँट दिया।
राजा ने मंत्री से उसके इस कार्य का कारण पूछा, तो उसने कहा कि आपके द्वारा दिए गए उपहार में से मैं उतना धन ले लेता हूँ, जितना मेरे जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक है। शेष बचा धन, वस्त्र आदि मैं इन गरीब और जरूरतमंद लोगों में बाँट देता हूँ, जिससे ये सभी अपना जीवनयापन उचित तरीके से कर सकें तथा अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें। राजा मंत्री के सादगीपूर्ण और मर्यादित जीवन तथा उत्तम विचारों से बहुत प्रसन्न हुआ और उसे, गले लगा लिया तथा रानी अपने कुवचनों पर लज्जित होते हुए उससे क्षमा माँगने लगी ।
सीख इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन की सार्थकता और वास्तविक सुंदरता, सादगी और शुद्ध आचरण में ही निहित है।