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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 2 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश
- इस प्रश्न- पत्र में चार खंड हैं- ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ और ‘घ’ ।
- खंड ‘क’ में अपठित गद्यांश से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
- खंड ‘ख’ में व्यावहारिक व्याकरण से प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- खंड ‘ग’ पाठ्यपुस्तक पर आधारित है, निर्देशानुसार उत्तर दीजिए ।
- खंड ‘घ’ रचनात्मक लेखन पर आधारित है, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- प्रश्न – पत्र में कुल 16 प्रश्न हैं, सभी प्रश्न अनिवार्य हैं !
- यथासंभव सभी खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: लिखिए।
खंड ‘क’ (अपठित बोध) (14 अंक)
इस खंड में अपठित गद्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1 × 3 = 3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2 × 2 = 4) प्रश्न दिए गए हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
विद्वान लोग नम्रता को स्वतंत्रता की जननी मानते हैं। आत्मसंस्कार हेतु स्वतंत्रता आवश्यक है । मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए आत्मनिर्भरता आवश्यक है। आत्ममर्यादा हेतु आवश्यक है कि हम बड़ों से सम्मानपूर्वक तथा छोटों और बराबर वालों के साथ कोमलता का व्यवहार करें। युवाओं को याद रखना चाहिए कि उनका ज्ञान कम है। वे अपने लक्ष्य से पीछे हैं तथा उनकी आकांक्षाएँ उनकी योग्यता से अधिक हैं। सभी लोग युवाओं से कुशल आचरण और विनम्रता की उम्मीद करते हैं। नम्रता का अर्थ दूसरों का मुँह ताकना नहीं है। इससे तो प्रज्ञा मंद पड़ जाती है, संकल्प क्षीण होता है, विकास रुक जाता है तथा निर्णय क्षमता नहीं आती। मनुष्य को अपना भाग्यविधाता स्वयं होना चाहिए । हमेशा याद रखो, अपने फैसले तुम्हें स्वयं ही करने होंगे। विश्वासपात्र मित्र भी तुम्हारी ज़िम्मेदारी नहीं ले सकता। हमें अनुभवी लोगों के अनुभवों से लाभ उठाना चाहिए, लेकिन हमारे निर्णयों तथा विचारों से ही हमारी रक्षा व हमारा पतन होगा। हमें नज़रें तो नीचे रखनी हैं, लेकिन सामने का रास्ता भी देखना है । हमारा व्यवहार कोमल तथा लक्ष्य उच्च होना चाहिए। हमारी प्रवृत्ति ऐसी होनी चाहिए कि संक्रमणकाल में भी हम स्वयं को साधारण रख पाएँ। वही मनुष्य कर्मक्षेत्र में श्रेष्ठ और उत्तम रहते हैं, जिनमें बुद्धि, चतुराई तथा दृढ़ निश्चय होता है।
(क) प्रस्तुत गद्यांश में मूलतः स्वतंत्रता की जननी किसे माना गया है? (1)
(i) आत्मनिर्भरता को
(ii) मर्यादा को
(iii) नम्रता को
(iv) आकांक्षा को
उत्तर:
(iii) नम्रता को गद्यांश की आरंभिक पंक्तियों में स्पष्ट कहा गया है कि नम्रता को स्वतंत्रता की जननी माना गया है। नम्रता से व्यक्ति समाज के अंदर व्यावहारिक व कार्यकुशल बनता है।
(ख) गद्यांश हमें संदेश देता है
(i) हमें अपने आचरण को विशिष्ट बनाने की आवश्यकता है।
(ii) मनुष्य को आत्मनिर्भर बनना चाहिए।
(iii) मनुष्य ही कर्मक्षेत्र में श्रेष्ठ और उत्तम होता है।
(iv) स्वतंत्रता और नम्रता एक-दूसरे के पूरक हैं।
उत्तर:
(iii) मनुष्य ही कर्मक्षेत्र में श्रेष्ठ और उत्तम होता है। गद्यांश हमें संदेश देता है कि मनुष्य को आत्मनिर्भर बनना चाहिए। मनुष्य ही कर्म क्षेत्र में श्रेष्ठ और उत्तम होता है। मनुष्य को दूसरों का मुँह नहीं ताकना चाहिए और अपने निर्णय स्वयं लेने चाहिए। मर्यादापूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए आत्मनिर्भरता जरूरी है।
(ग) कथन (A) विनम्रता के बिना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं होता ।
कारण (R) मनुष्य में स्वतंत्रता का भाव आते ही अहंकार आ जाता है।
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है ।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की गलत व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर:
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। गद्यांश के अनुसार, विनम्रता के विना स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं होता, क्योंकि स्वतंत्रता का भाव आते ही मनुष्य के मन में अहंकार आ जाता है। इस अहंकार के कारण वह दूसरों को खुद से हीन समझने लगता है। ऐसे में अहंकार की मन में न आने देने के लिए स्वतंत्र यो समा विनम्रता होना आवश्यक है अन्यथा
अथहीन हो जाएगी।
(घ) ‘अपना भाग्य विधाता होना’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
गद्यांश के अनुसार, ‘अपना भाग्य विधाता होना’ से तात्पर्य स्वयं अपना निर्णय लेने से है। हमें दूसरों के भरोसे न रहकर अपने निर्णय स्वयं लेने चाहिए, क्योंकि हमारे स्वयं के निर्णय और विचार ही हमारी रक्षा अथवा हमारा पतन तय करते हैं।
(ङ) मनुष्य को अपना भाग्य विधाता स्वयं क्यों होना चाहिए?
उत्तर:
गद्यांश के अनुसार, मनुष्य को अपना भाग्य विधाता स्वयं होना चाहिए, क्योंकि दूसरों के भरोसे रहकर मनुष्य का संकल्प क्षीण होता है, उसमें निर्णय क्षमता का अभाव होता है तथा मनुष्य का विकास रुक जाता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (7)
प्रत्येक राष्ट्र के लिए एक राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रप्रतीक और राष्ट्रभाषा आवश्यक है। इन्हीं के माध्यम से कोई राष्ट्र विश्व के अन्य राष्ट्रों के मध्य अपनी विशिष्ट पहचान बनाता है। राष्ट्रभाषा पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य करती है। इसी के माध्यम से जनता अपने कष्टों को शासन तक पहुँचाती है और शासन भी अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं को जनसामान्य तक पहुँचाता है। इस प्रकार राष्ट्रभाषा शासन और जनता के बीच सेतु का कार्य करती है।
किसी राष्ट्र में अनेक भाषाएँ बोली व समझी जाती हैं । उनमें सर्वाधिक लोगों द्वारा व्यवहार में लाई जाने वाली भाषा को ही राष्ट्रभाषा बनाया जाता है। इसी आधार पर हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता दी गई। देश के स्वतंत्र होने पर जब राष्ट्रभाषा का प्रश्न उपस्थित हुआ, तो अंग्रेज़ी जानने वालों ने जी-जान से प्रयास किया कि अंग्रेज़ों के समय से चली आ रही अंग्रेज़ी को भारत की राष्ट्रभाषा के रूप में कायम रखा जाए, किंतु संविधान निर्माताओं ने सर्वसम्मति से हिंदी को राजभाषा घोषित किया। इनमें संघ का यह कर्त्तव्य रहा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे, जिससे वह भारत की संस्कृति के सभी तत्त्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप, शैली और पदों को आत्मसात् कर अन्य भाषाओं के शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करे ।
(क) निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द गद्यांश में दिए गए ‘आत्मसात्’ शब्द के सही अर्थ को दर्शाता है ? (1)
(i) व्यतिक्रम
(ii) आत्मीकरणः
(iii) अंतरित
(iv) आमोदित
उत्तर:
(ii) आत्मीकरण गद्यांश में दिए गए ‘आत्मसात्’ शब्द के सही अर्थ को दर्शाने वाला शब्द ‘आत्मीकरण’ है।
(ख) कथन राष्ट्रभाषा राष्ट्र को सांस्कृतिक एकता प्रदान करती है।
निष्कर्ष हिंदी भाषा अन्य भारतीय भाषाओं के शब्दों को आत्मसात नहीं कर पाती है। (1)
कूट
(i) कथन सही है, लेकिन निष्कर्ष गलत है।
(ii) कथन और निष्कर्ष दोनों सही हैं।
(iii) कथन और निष्कर्ष दोनों गलत हैं।
(iv) कथन गलत है, लेकिन निष्कर्ष सही है।
उत्तर:
(i) कथन सही है, लेकिन निष्कर्ष गलत है। गद्यांश के अनुसार राष्ट्रभाषा राष्ट्र को सांस्कृतिक एकता प्रदान करती है क्योंकि राष्ट्रभाषा के माध्यम से राष्ट्र की संस्कृति और तत्त्वों की अभिव्यक्ति होती है। हिंदी भाषा, भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप, शैली और पदों की आत्मसात् कर अन्य भाषाओं के शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करती है।
(ग) संविधान निर्माताओं ने सर्वसम्मति से किसे राजभाषा घोषित किया?
(i) अंग्रेज़ी को
(ii) हिंदी को
(iii) (i) और (ii) दोनों को
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ii) हिंदी को गद्यांश में बताया गया है कि संविधान निमिशाओं ने सर्वसम्मति से हिंदी को राजभाषा घोषित किया
(घ) गद्यांश के अनुसार, कौन-सी भाषा राष्ट्र की पहचान होती है ? (2)
उत्तर:
गद्यांश के अनुसार, राष्ट्रभाषा राष्ट्र की पहचान होती है। प्रत्येक राष्ट्र के लिए एक राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान राष्ट्रप्रतीक और राष्ट्रभाषा आवश्यक है। इन्हीं के माध्यम से कोई राष्ट्र विश्व के अन्य राष्ट्रों के मध्य अपनी विशिष्ट पहचान बनाता है।
(ङ) गद्यांश के आधार पर बताइए कि किस भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता दी जाती है ? (2)
उत्तर:
गद्यांश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि सर्वाधिक लोगों द्वारा व्यवहार में लाई जाने वाली भाषा को ही राष्ट्रभाषा बनारा जाता है। राष्ट्रभाषा पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य करती है।
खंड ‘ख’ ( व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)
व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक एवं लघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1 × 16 = 16) के उत्तर देने हैं।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार पदबंध पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
(क) ‘अब यहाँ समंदर के किनारे लंबी-चौड़ी बस्ती बन गई है।’ रेखांकित पदबंध का भेद बताइए । (1)
उत्तर:
दिए गए वाक्य में रेखांकित पद समूह ‘लंबी-चौड़ी’ संज्ञा शब्द ‘बस्ती’ की विशेषता बता रहा है। इसलिए यह विशेषण पदबंध है।
(ख) ‘लकीर की सीध में धरती फटती ही जा रही थी ।‘ रेखांकित पदबंध का भेद बताइए । (1)
उत्तर:
दिए गए वाक्य में रेखांकित पद समूह ‘फटती ही जा रही थी’ अनेक क्रियापदों से मिलकर बना है। इसलिए यह क्रिया पदबंध है।
(ग) ‘एक बार बिल्ली ने उचककर दो में से एक अंडा तोड़ दिया।’ वाक्य में क्रिया-विशेषण पदबंध को रेखांकित कीजिए।
उत्तर:
दिए गए वाक्य में रेखांकित पद समूह ‘उचककर’ वाक्य में क्रिया ‘तोड़ दिया’ की विशेषता बता रहा है। इसलिए यह क्रिया – विशेषण पदबंध है। अतः वाक्य है- एक बार बिल्ली ने उचककर दो में से एक अंडा तोड़ दिया।
(घ) ‘वह इसलिए कि आप सारी उम्र रोते रहे ।’ वाक्य में सर्वनाम पदबंध को छाँटिए ।
उत्तर:
दिए गए वाक्य में रेखांकित पद-समूह ‘वह इसलिए कि आप’ वाक्य में सर्वनाम का कार्य कर रहा है और इसका अंतिम शब्द ‘आप’ एक सर्वनाम शब्द है व अन्य सभी शब्द उसी का विस्तार हैं। अतः यह सर्वनाम पदबंध का उदाहरण है।
(ङ) ‘खेलकूद का कोई अवसर हाथ से न जाने देता।’ वाक्य में संज्ञा पदबंध कौन-सा है ?
उत्तर:
दिए गए वाक्य में ‘खेलकूद का कोई अवसर’ पद- समूह संज्ञा का कार्य कर रहा है और इसका अंतिम शब्द ‘अवसर’ संज्ञा है। अतः यह संज्ञा पदबंध है।
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार वाक्य रूपांतरण पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए | (1 × 4 = 4)
(क) ‘वे जंगल में प्रवेश कर गए और अँधेरा बढ़ने लगा ।’ प्रस्तुत वाक्य को सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए | (1)
उत्तर:
उनके जंगल में प्रवेश करते ही अँधेरा बढ़ने लगा।
(ख) ‘भाई साहब के फेल व मेरे पास होने पर मैं दरजे में प्रथम आया ।’ प्रस्तुत वाक्य को संयुक्त वाक्य में बदलिए । (1)
उत्तर:
भाई साहब फेल हो गए, मैं पास हो गया और दरजे में प्रथम आया।
(ग) उसे अपनी बहादुरी पर और शक्ति पर भी पूरा भरोसा था।’ प्रस्तुत वाक्य को संयुक्त वाक्य में रूपांतरित कीजिए। (1)
उत्तर:
उसे अपनी बहादुरी पर पूरा भरोसा था और शक्ति पर भी पूरा भरोसा था।
(घ) ‘बगल के कमरे में जाकर कुछ बर्तन लाकर तौलिए से साफ़ किए।’ इस वाक्य को मिश्र वाक्य में रूपांतरित कीजिए । (1)
उत्तर:
जब बगल के कमरे में जाकर कुछ बर्तन लाया तब तौलिए से बर्तन साफ़ किए ।
(ङ) ‘ग्वालियर में हमारा एक मकान था और उस मकान के दालान में दो रोशनदान थे।’ प्रस्तुत वाक्य को सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए | (1)
उत्तर:
ग्वालियर में हमारे मकान के दालान में दो रोशनदान थे।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार समास पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)
(क) ‘निशाचर’ शब्द में कौन-सा समास है?
उत्तर:
‘निशाचर’ शब्द में बहुव्रीहि समास है। निशाचर का अर्थ है- रात में विचरण करने वाला अर्थात् ‘राक्षस’।
(ख) ‘जलधारा’ शब्द का समास विग्रह और समास बताइए ।
उत्तर:
‘जलधारा’ शब्द का समास-विड जल की धारा है और इसमें तत्पुरुष समास है।
(ग) ‘चरणकमल’ समस्तपद का विग्रह क्या होगा?
उत्तर:
‘चरल’ समस्तपद का विग्रह ‘कमल के समान चरण’ होगा
(घ) ‘नौ रत्नों का समूह’ समास विग्रह का समस्तपद क्या होगा ?
उत्तर:
‘नौ रत्नों का समूह’ विग्रह का समस्तपद नवरत्न होगा।
(ङ) ‘वीणापाणि’ में कौन-सा समास प्रयुक्त है ?
उत्तर:
‘वीणापाणि’ में बहुव्रीहि समास प्रयुक्त है।
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार मुहावरे पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)
(क) “ढोंगी बाबा ने अपने वादों और लुभावनी बातों से कई लोगों को अपने चंगुल में फँसा लिया और अब ईश्वर के नाम पर उनको लूट रहा है।” पंक्ति में से मुहावरा चुनकर वाक्य में प्रयोग कीजिए । (1)
उत्तर:
मुहावरा ‘चंगुल में फँसाना’
वाक्य प्रयोग आजकल कुछ ढोंगी बाबा सीधे-सादे लोगों को अपने चंगुल में फँसा लेते हैं।
(ख) ‘सिर ऊँचा करना’ मुहावरे का अर्थ बताइए । (1)
उत्तर:
‘सिर ऊँचा करना’ मुहावरे का अर्थ है- मान-सम्मान व प्रतिष्ठा के साथ खड़ा होना या जीवन जीना ।
(ग) ‘स्वार्थ सिद्ध करना’ अर्थ के लिए सही मुहावरा क्या है? (1)
उत्तर:
‘स्वार्थ सिद्ध करना’ अर्थ के लिए सही मुहावरा ‘अपना उल्लू सीधा करना’ है।
(घ) उपयुक्त मुहावरे का प्रयोग करके वाक्य को पूरा करें
मिशन चन्द्रयान-3 की सफलता ने पूरे विश्व में भारत के नाम का …….. दिया। (1)
उत्तर:
मिशन चन्द्रयान-3 की सफलता ने पूरे विश्व में भारत के नाम का डंका बजा दिया।
(ङ) जगन्नाथ तो सिद्धांतहीन व्यक्ति है, उसे जिसकी तरफ से पैसे मिलेंगे, वह उसके पक्ष में गवाही देगा। प्रस्तुत वाक्य में रेखांकित वाक्यांश के लिए उपयुक्त मुहावरा क्या होगा? (1)
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य में रेखांकित वाक्यांश सिद्धांतहीन व्यक्ति’ के लिए उपयुक्त मुहावरा ‘थाली का बैंगन’ होगा।
खंड ‘ग’ (पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (28 अंक)
इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए | (1 × 5 = 5)
मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ और हमेशा रहूँगा। मुझे दुनिया का और जिंदगी का जो तजुरबा है, तुम उसकी बराबरी नहीं कर सकते, चाहे तुम एम. ए. और डी. फिल् और डी. लिट् ही क्यों न हो जाओ। समझ किताबें पढ़ने से नहीं आती, दुनिया देखने से आती है। हमारी अम्मा ने कोई दरजा पास नहीं किया और दादा भी शायद पाँचवीं – छठी जमात के आगे नहीं गए, लेकिन हम दोनों चाहे सारी दुनिया की विद्या पढ़ लें, अम्मा और दादा को हमें समझाने और सुधारने का अधिकार हमेशा रहेगा। केवल इसलिए नहीं कि वे हमारे जन्मदाता हैं, बल्कि इसलिए कि उन्हें दुनिया का हमसे ज्यादा तजुरबा है और रहेगा। अमेरिका में किस तरह की राज व्यवस्था है और आठवें हेनरी ने कितने ब्याह किए और आकाश में कितने नक्षत्र हैं, ये बातें चाहे उन्हें न मालूम हों, लेकिन हजारों ऐसी बातें हैं, जिनका ज्ञान उन्हें हमसे और तुमसे ज्यादा है।
(क) बड़े भाई साहब ने छोटे भाई पर रोब जमाने के लिए किस बात की दुहाई दी ? (1)
(i) अपनी पढ़ाई की
(ii) अपने अनुभवों व आयु की
(iii) चित्र बनाने की कला की
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ii) अपने अनुभवों व आयु की बड़े भाई साहब ने छोटे भाई पर रोब जमाने के लिए अपने अनुभवों व आयु की दुहाई दी। बड़े भाई साहब छोटे भाई से पाँच साल बड़े थे और उनके पास जिंदगी और दुनिया का अनुभव भी छोटे भाई से अधिक था।
(ख) “मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ और हमेशा रहूँगा। मुझे दुनिया का और जिंदगी का जो तजुरबा है, तुम उसकी बराबरी नहीं कर
सकते…” कथन के माध्यम से ज्ञात होता है कि (1)
(i) छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।
(ii) भाई साहब को ज़िंदगी का अच्छा अनुभव है।
(iii) भाई साहब के भीतर भी एक छोटा बच्चा है।
(iv) भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।
उत्तर:
(ii) भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है। प्रश्न में दिए गए कथन के माध्यम से ज्ञात होता है कि भाई साहब को जिगी का अच्छा अनुभव है। भाई साहब लेखक से पाँच साल बड़े थे तथा उन्हें ज़िंदगी और दुनिया का उससे अधिक अनुभव था।
(ग) बड़े भाई के अनुसार, दुनिया की समझ किसके द्वारा आती है?
(i) किताबें पढ़ने से
(ii) उच्च शिक्षा प्राप्त करने से
(iii) अनुभव से
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(iii) अनुभव से बड़े भाई के अनुसार, दुनिया की समझ अनुभव प्राप्त करने से आती है, किताबें पढ़ने या उच्च शिक्षा प्राप्त करने से नहीं।
(घ) “हमारी अम्मा ने कोई दरजा पास नहीं किया और दादा भी शायद पाँचवीं छठी जमात के आगे नहीं गए, लेकिन हम दोनों चाहे सारी दुनिया की विद्या पढ़ लें, अम्मा और दादा को हमें समझाने और सुधारने का अधिकार हमेशा रहेगा।” यह कथन दर्शाता है, अपने अम्मा-दादा के प्रति भाई साहब का
(i) अभिमान
(ii) अपनत्व
(iii) प्रेम
(iv) आदर
उत्तर:
(iv) आदर प्रश्न में दिए गए कथन के माध्यम से अपने अम्मा-दादा के प्रति भाई साहब का आदर भाव दर्शाया गया है। भाई साहब किताबी ज्ञान के साथ-साथ अनुभव और व्यावहारिकता को महत्त्वपूर्ण मानते थे, इसलिए वे अपने अम्मा-दादा के कम पढ़े-लिखे होने पर भी उनके अनुभवी होने की वजह से उनके प्रति आदर भाव रखते थे।
(ङ) कथन (A) किताबी ज्ञान के साथ-साथ जिंदगी के अनुभव भी महत्त्वपूर्ण होते हैं।
कारण (R) जीवन की समझ ज्ञान के साथ-साथ अनुभव और व्यावहारिकता से आती है।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की गलत व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर:
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है । गद्यांश के आधार पर कहा जा सकता है कि किताबी ज्ञान के साथ-साथ ज़िंदगी के अनुभव भी महत्त्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि जीवन की समझ ज्ञान के साथ-साथ अनुभव और व्यावहारिकता से आती है। किताबी ज्ञान को अनुभव में उतारने पर ही हम सही जीवन जी सकते हैं।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए । (2 × 3 = 6)
(क) ‘जो जितना बड़ा होता है, उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।” ‘अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर इसका आशय बताइए । (2)
उत्तर:
लेखक का मानना है कि जो जितना बड़ा होता है, उसका हृदय भी उतना ही बड़ा होता है। उसके बड़प्पन में सहनशीलता तथा सामंजस्य का गुण होता है। उसे क्रोध या गुस्सा कम ही आता है, किंतु जब उसे गुस्सा आता है, तो उसे रोक पाना कठिन हो जाता है। लेखक ने समुद्र की सहनशीलता के बारे में लिखा है कि सागर विशाल है, अतः वह सिमटता जा रहा है, क्योंकि उसमें सहनशक्ति अधिक है। उसे क्रोध देर से आता है, ठीक वैसे ही जैसे छोटी वस्तु जल्दी गर्म हो जाती है, परंतु बड़ी वस्तु को गर्म होने में देर लगती है।
(ख) ‘सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए।’ ‘झेन की देन’ पाठ में लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? (2)
उत्तर:
‘झेन की देन’ पाठ में लेखक ने ऐसा इसलिए कहा होगा, क्योकि हम या तो भूतकाल में जीते हैं या फिर भविष्य में, वे दोनों ही मिथ्या हैं। एक बीत चुका है और दूसरा अभी आया ही नहीं है। लेखक मानते हैं कि हमारे सामने जो वर्तमान है, वही सत्य है। हमें उसी में जीना चाहिए। वर्तमान काल अत्यधिक विस्तृत होता है। वर्तमान काल में जीने वाले का जीवन सरल तथा आदर्शपूर्ण हो सकता है, क्योंकि भविष्य उसे चिंतित नहीं करता और भूतकाल उसे परेशान नहीं कर सकता। इस तरह जीवन की सारी गुत्थियाँ स्वयं ही सुलझ जाती हैं।
(ग) ‘कारतूस’ पाठ में वज़ीर अली ने अंग्रेज़ों के अत्याचारों का साहसपूर्वक सामना किया। इस पाठ से हमें क्या सीख मिलती है? (2)
उत्तर:
कारतूस’ पाठ से हमें अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने की सीख मिलती है। हमें साहसी बनना चाहिए और ऐसा होने पर हमसे “शत्रुता रखने वाले भी हमारी प्रशंसा करेंगे। जीवन की कोई भी ऐसी समस्या नहीं होती, जिसका समाधान न हो । मनुष्य अपने बल पर ही अपने आपको इतिहास के पन्नों पर अंकित करता है । वज़ीर अली का चरित्र हिम्मत और बहादुरी से लड़ने की प्रेरणा देता है। जिस प्रकार वज़ीर अली अपने दुश्मन सआदत अली तथा अंग्रेज़ों से बदला लेने की अकेले ही हिम्मत जुटा रहा था, उसी प्रकार हमें भी साहसपूर्वक अत्याचारों का सामना करना चाहिए।
(घ) वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया ?
उत्तर:
वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से जवाब दिया कि वह उसके कहने पर गाना क्यों गाए ? पहले वह उसे बताए कि वह कौन है ? और वह उससे असंगत प्रश्न क्यों पूछ रहा है? वह अपने गाँव के पुरुष के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को जवाब देने को विवश नहीं है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1 × 5 = 5)
चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए,
विपत्ति, विघ्न जो पड़ें, उन्हें ढकेलते हुए।
घटेन हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी ।
तभी समर्थ भाव है कि तारता हुआ तरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे ||
(क) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने क्या प्रेरणा दी है?
(i) संघर्षों से मुख मोड़ने की
(ii) संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत न करने की
(iii) लक्ष्य पथ की ओर आगे बढ़ते रहने की
(iv) भेदभाव सहन करने की
उत्तर:
(iii) लक्ष्य पथ की ओर आगे बढ़ते रहने की प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए लक्ष्य पथ की ओर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी है।
(ख) जीवन में विपत्ति या विघ्न आने पर क्या करना चाहिए?
(i) ईश्वर का स्मरण करना चाहिए
(ii) सहर्ष खेलना चाहिए
(iii) बाधा को दूर करना चाहिए
(iv) डटकर मुकाबला करना चाहिए
उत्तर:
(iv) डटकर मुकाबला करना चाहिए कवि के अनुसार, जीवन में विघ्न-बाधा आने पर हमें उनका डाटकर मुकाबला करना चाहिए। जीवन के मार्ग में जो भी बाधाएँ आएँ, उन्हें पीछे की ओर ढकेलते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए तथा अपने लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर रहना चाहिए।
(ग) ‘सतर्क पंथ’ से कवि का क्या आशय है?
(i) सावधानीपूर्वक आगे बढ़ना
(ii) अच्छा तर्क प्रस्तुत करना
(iii) एक साथ तर्क देना
(iv) बिना तर्क किए रहना
उत्तर:
(i) सावधानीपूर्वक आगे बढ़ना ‘सतर्क पंथ’ से कवि का आशय सावधानीपूर्वक आगे बढ़ने से है । कवि कहते हैं कि तर्क से परे होकर सभी अपनी मंजिल को पाने के लिए सावधानीपूर्वक आगे बढ़ो।
(घ) ‘तभी समर्थ भाव है कि तारता हुआ तरे’ से क्या तात्पर्य है?
(i) ईश्वर पर विश्वास रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए
(ii) सोच-समझकर आगे बढ़ना चाहिए
(iii) चिंता मुक्त होकर आगे बढ़ना चाहिए
(iv) दूसरों का कल्याण करते हुए आगे बढ़ना चाहिए
उत्तर:
(iv) दूसरों का कल्याण करते हुए आगे बढ़ना चाहिए ‘तभी समर्थ भाव है कि तारता हुआ तरे’ से तात्पर्य है कि दूसरों का कल्याण करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। कवि कहते हैं कि मनुष्य जीवन को सार्थक और सामर्थ्यवान तभी माना जा सकता है, ज वह अपनी उन्नति के साथ-साथ दूसरों के हितार्थ व उत्थान के लिए भी प्रयत्नशील हो ।
(ङ) कथन (A) जीवन के मार्ग में आने वाली विपत्तियों और विघ्नों को सहर्ष स्वीकार किया जाना चाहिए। कारण (R) विपत्तियों और विघ्नों को ढकेलते हुए आगे बढ़ना मनुष्य की महानता को दर्शाता है। कूट
(i) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है ।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारणं (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है ।
उत्तर:
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या है । कवि के अनुसार जीवन के मार्ग में आने वाली विपत्तियाँ और विघ्नों को सहर्ष स्वीकार करते हुए उन्हें पार करना चाहिए, क्योंकि विपत्तियों और विघ्नों को ढकेलते हुए आगे बढ़ना मनुष्य की महानता और दृढ़ता को दर्शाता है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए । (2 × 3 = 6 )
(क) कवि ने सैनिकों को राम-लक्ष्मण जैसा बनने के लिए क्यों कहा है? ‘कर चले हम फिदा’ कविता के आधार पर बताइए। (2)
उत्तर:
कवि ने देश के सैनिकों से राम-लक्ष्मण जैसा बनने की अपेक्षा इसलिए की है कि जिस प्रकार राम-लक्ष्मण ने माता सीता की रक्षा करके अपने क्षत्रिय धर्म का पालन किया था, उसी प्रकार देश के सैनिक भी दुश्मनों से अपनी भारत माता की रक्षा करके अपने देशभक्त होने के कर्त्तव्य का पालन करें।
(ख) ‘तोप’ कविता के आधार पर तोप की विशेषताओं को उजागर करते हुए इससे मिलने वाली सीख का उल्लेख कीजिए। (2)
उत्तर:
‘तोप’ कविता में प्रस्तुत की गई तोप 1857 ई. की है। आज यह कंपनी बाग की तरह हमारी धरोहर है, किंतु कभी यह अंग्रेज़ी शासन की क्रूरता की प्रतीक रही है अब इस पर सैलानियों के बच्चे घुड़सवारी करते हैं तथा गौरैया इस पर बैठकर गपशप करती हैं। कभी जो तोप आतंक का पर्याय रही हो, उस पर बच्चों व चिड़ियों का इस प्रकार खेलना यह सिद्ध करता है कि अत्याचारी चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, एक न एक दिन उसके अत्याचारों का अंत अवश्य होता है और तब भी तोप के समान बेबस और लाचार बनकर रह जाता है।
(ग) आपके द्वारा इस पाठ्यक्रम में पढ़ी गई कविता के आधार पर बताइए कि अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थन अतिरिक्त क्या-क्या प्रयास करते हैं?
उत्तर:
‘आत्मत्राण’ कविता के आधार पर हम अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए निम्नलिखित प्रयास करते हैं
- अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए हम सही दिशा चुनते हैं और जी-जान से परिश्रम करते हैं।
- जीवन में आने वाली परेशानियों व बाधाओं से न तो घबराते हैं और न ही पीछे हटते हैं।
- दूसरों को सहयोग और सलाह भी देते हैं।
- अपने प्रयासों की समय-समय पर समीक्षा करते रहते हैं, सुधार करते हैं तथा छोटी से छोटी सफलता को भी स्वीकार करते हैं।
- जब तक इच्छा पूरी न हो जाए, तब तक धैर्य और सहनशीलता से कार्य करते हैं।
(घ) भगवान को नरहरि का रूप क्यों धारण करना पड़ा?
उत्तर:
भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए भगवान ने नरहरि का रूप धारण किया। हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्याचारी एवं अभिमानी राजा था, जो स्वयं को ईश्वर मानता था, उसे प्रह्लाद नामक पुत्र हुआ, जो भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्लाद को तरह-तरह से समझाया डराया तथा न मानने पर यातनाएँ दीं, परंतु भक्त प्रह्लाद का विश्वास ईश्वर पर ओर बढ़ता गया। जब हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया, तो भगवान ने नरसिंह का रूप धारण कर हिरण्यकश्यप को मार दिया।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40-50 शब्दों में दीजिए । (3 × 2 = 6 )
(क) विभाजन के इतने दुःखद परिणामों के बाद भी आज भौगोलिक और धार्मिक विवाद बढ़ते जा रहे हैं, इन्हें रोकने के लिए युवा शक्ति की क्या भूमिका होनी चाहिए? ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए । (3)
उत्तर:
सांप्रदायिक विवादों का परिणाम सदैव दुःखद ही होता है। आज चारों ओर विवाद नज़र आता है। लोगों ने धर्म, जाति – पाँति तथा सीमाओं के नाम पर सब कुछ बाँट लिया है। आज आवश्यक है कि युवा वर्ग जाति व धर्म को भूलकर, उसकी सीमाओं से ऊपर उठकर एकता का उदाहरण बने, ताकि आपसी व धार्मिक बैर भाव भुलाकर सारे देश को एकता के सूत्र में बाँधा जा सके, क्योंकि तभी इस देश की उन्नति होगी तथा आपसी प्रेम व भाईचारे की भावना सबल होगी। टोपी और इफ़्फ़न की दादी का आपसी संबंध युवा वर्ग तथा समाज के लिए अनुकरणीय आदर्श बन सकता है।
(ख) “हरिहर काका संयुक्त परिवार के मूल्यों के प्रति एक समर्पित व प्रेरक मानव थे।” “हरिहर काका’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(3)
उत्तर:
हरिहर काका अपने भाइयों के भरे-पूरे परिवार के साथ रहा करते थे। वह संयुक्त परिवार के महत्त्व को जानते थे । इसलिए वे अपने भाइयों के साथ मिलकर रहना चाहते थे, ताकि परिवार का प्यार और अपनापन प्राप्त कर सकें। भाइयों के परिवार के प्रति हरिहर काका में अपनेपन का भाव इतना अधिक था कि जब परिवार के सदस्यों ने उनसे अनुचित व्यवहार किया, तो वे इससे दुःखी हो गए और घर छोड़कर चले गए। भाइयों द्वारा मना लेने पर वह वापस घर आ गए। इस प्रकार ये सब घटनाएँ स्पष्ट करती हैं कि हरिहर काका संयुक्त परिवार के मूल्यों के प्रति एक समर्पित व प्रेरक मानव थे, जो समाज के लिए प्रेरणा देने का कार्य करते हैं।
(ग) नई श्रेणी में जाने और नई कॉपियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन क्यों उदास हो उठता था? ‘सपनों के-से दिन’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए । (3)
उत्तर:
नई श्रेणी में जाने का उत्साह रोचक होता है। बच्चे अगली कक्षा में प्रवेश की प्रतीक्षा करते हैं, इसका कारण नई किताब-कॉपियों की प्राप्ति भी है। बच्चे नई किताब- कॉपियों से खुश हो जाते हैं। नई किताबों में उन्हें नवीन ताज़गी का अहसास होता है। लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, जिस कारण नई पुस्तकों को खरीदना संभव नहीं था। लेखक को नई कक्षा में जाने पर नई कॉपियों के साथ पुरानी किताबें ही मिलती थीं, जिस कारण लेखक का बालमन पुरानी किताबों की विशेष गंध से उदास हो जाता था।
खंड ‘घ’ (रचनात्मक लेखन) (22 अंक)
इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।
(क) राष्ट्र के निर्माण में युवाओं का योगदान
संकेत बिंदु
- देश की शक्ति का मुख्य आधार युवा
- युवा तथा राष्ट्र : एक सिक्के के दो पहलू
- सामाजिक कुरीतियों को मिटाने में सक्षम
- उपसंहार
उत्तर:
राष्ट्र के निर्माण में युवाओं का योगदान
युवाओं का योगदान राष्ट्र के विकास में अद्वितीय और महत्त्वपूर्ण है। युवा न केवल देश की आर्थिक और सामाजिक उपलब्धियों के विकास में सक्रिय भूमिका निभाते हैं, बल्कि उनकी सोच, ऊर्जा और नवाचारी दृष्टिकोण राष्ट्र को नई दिशाओं में ले जाने में मदद करते हैं।
युवाओं को देश की शक्ति का मुख्य आधार माना जाता है। उनकी ऊर्जा और उत्साह नए और उच्च स्तरीय सोच को प्रेरित करते हैं। वे नवाचार प्रौद्योगिकी और सामाजिक उन्नति में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। युवाओं के बिना किसी भी राष्ट्र की प्रगति और विकास संभव नहीं है, क्योंकि वे ही नई सोच और नए दिशा-निर्देश लाते हैं, जो आगे बढ़ने में सहायक होते हैं। युवा और राष्ट्र के बीच एक सजीव संबंध होता है, जिसमें युवा अपनी ऊर्जा को समाज के लाभान्वित होने में लगाते हैं। वे सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं को समझते हैं। और उनके समाधान के लिए सक्रिय रूप से काम करते हैं। युवा शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, तकनीकी उन्नति और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में अहम योगदान देते हैं।
सामाजिक कुरीतियों (बुराइयों) को मिटाने में भी युवाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। उन्होंने विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अपनी आवाज उठाई और सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास किया। उनकी सक्रियता और योगदान से ही समाज में सुधार होता है और देश की समृद्धि में उनका योगदान अद्वितीय है।
इस प्रकार, राष्ट्र के निर्माण में युवाओं का योगदान अमूल्य है। उनकी सक्रिय भागीदारी और नई सोच देश को मजबूत और प्रगतिशील बनाती है, जो समग्र समाज के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
(ख) मोबाइल फोन
संकेत बिंदु
- मोबाइल फोन एक बड़ी क्रांति
- मोबाइल फोन से लाभ
- मोबाइल फोन से हानि
- उपसंहार
उत्तर:
मोबाइल फोन
मोबाइल फोन एक बड़ी क्रांति के रूप में हमारे जीवन में आया है। यह आधुनिक तकनीक का अद्वितीय उपहार है, जिसने संचार के क्षेत्र में एक नया युग शुरू किया है। मोबाइल फोन ने न केवल लोगों के बीच की दूरियों को कम किया है, बल्कि उनके जीवन को भी सरल और सुविधाजनक बना दिया है। मोबाइल फोन के अनेक लाभ हैं। सबसे पहले यह हमें कभी भी, कहीं भी, किसी से भी संपर्क करने की सुविधा प्रदान करता है। इसके माध्यम से हम केवल कॉल ही नहीं, बल्कि संदेश, वीडियो कॉल, ई-मेल आदि के माध्यम से भी संवाद कर सकते हैं। मोबाइल फोन ने इंटरनेट को भी हमारी उंगलियों पर ला दिया है। इसके माध्यम से हम दुनियाभर की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, सोशल मीडिया पर सक्रिय रह सकते हैं और विभिन्न ऐप्स का उपयोग कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त मोबाइल फोन ने शिक्षा, व्यवसाय, मनोरंजन और स्वास्थ्य सेवाओं को भी बहुत अधिक सुलभ बना दिया है।
हालाँकि, मोबाईल फोन से कुछ हानियाँ भी हैं। इसके अत्यधिक उपयोग से आँखों की समस्याएँ, गर्दन और पीठ में दर्द और नींद की कमी जैसी समस्याएँ आम हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त मोबाइल फोन की लत से सामाजिक और पारिवारिक संबंधों में भी दूरी आ सकती है। लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ कम समय बिताते हैं और आभासी दुनिया में अधिक समय बिताने लगते हैं।
निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि मोबाइल फोन ने हमारे जीवन को एक नई दिशा दी है। यह एक बड़ी क्रांति है, जिसने हमारे जीवन को सरल और अधिक सुविधाजनक बना दिया है। हालाँकि, इसका सही और संतुलित उपयोग आवश्यक है ताकि हम इसके लाभों का पूरा लाभ उठा सकें और इसके संभावित नुकसान से बच सकें।
(ग) परोपकार
संकेत बिंदु
- परोपकार की अवधारणा
- प्रकृति में परोपकार की भावना
- परोपकार के लाभ
- परोपकार का महत्त्व
- उपसंहार
उत्तर:
परोपकार
परोपकार एक अवधारणा है, जो दूसरों की भलाई और सेवा के लिए अपने संसाधनों, समय और ऊर्जा का उपयोग करने पर आधारित है। यह मानवता के मूल्यों में से एक है। परोपकार दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘पर + उपकार’ अर्थात् दूसरों पर किया गया उपकार। प्रकृति में परोपकार की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। पेड़ बिना किसी स्वार्थ के हमें छाया, ऑक्सीजन और फल देते हैं। नदियाँ बिना किसी भेदभाव के सभी को जल प्रदान करती हैं।
सूरज बिना किसी अपेक्षा के अपनी रोशनी और गर्मी से पूरे संसार को प्रकाशित करता है । इस तरह प्रकृति हमें नि:स्वार्थ सेवा और परोपकार का महत्त्वपूर्ण पाठ पढ़ाती है। परोपकार के कई लाभ हैं। यह हमें मानसिक शांति और संतुष्टि प्रदान करता है। दूसरों की सहायता करने से हमें गहरी आत्मिक संतुष्टि मिलती है।
परोपकार समाज में एकता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है । परोपकार के माध्यम से हम सामाजिक समस्याओं को हल करने में भी योगदान कर सकते हैं; जैसे- गरीबी, शिक्षा की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता ।
परोपकार न केवल समाज को सुदृढ़ और संवेदनशील बनाता है, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी हमें एक बेहतर इंसान बनाता है। परोपकारी व्यक्ति समाज में सम्मान और आदर पाता है। उनके कार्य दूसरों को प्रेरित करते हैं और समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। परोपकार से समाज में सामाजिक न्याय और समरसता को बढ़ावा मिलता है, जो किसी भी समाज के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक है।
निष्कर्षतः परोपकार मानव जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। यह हमें प्रकृति से मिली एक अद्वितीय शिक्षा है, जिसे हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए। हमें हमेशा दूसरों की भलाई के लिए तत्पर रहना चाहिए और इस आदर्श को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाना चाहिए।
प्रश्न 13.
हिंसा प्रधान फ़िल्मों के समाज पर पड़ते दुष्प्रभाव पर अपने विचार प्रकट करते हुए ‘अमर उजाला’ समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए। (शब्द – सीमा लगभग 100 शब्द) (5)
अथवा
अपने नगर के स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखकर चारों ओर व्याप्त गंदगी और उसके दुष्परिणाम के बारे में बताइए |
उत्तर:
परीक्षा भवन,
मेरठ।
दिनांक 12 जुलाई, 20XX
सेवा में,
संपादक महोदय,
अमर उजाला,
मोहकमपुर,
दिल्ली रोड, मेरठ।
विषय हिंसा प्रधान फ़िल्मों का समाज पर पड़ता दुष्प्रभाव के संबंध में।
मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से सरकार और समाज का ध्यान हिंसा प्रधान फ़िल्मों के दुष्प्रभाव की और दिलाना चाहती हूँ, जिससे इनके विरुद्ध जनमत तैयार किया जा सके। आजकल दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों पर हिंसा प्रधान फ़िल्मों और सीरियलों का स्वतंत्र रूप से प्रदर्शन किया जा रहा है। समाज में तेज़ी से फैलती अनैतिकता और हिंसा इसी का परिणाम है। हमारी भारतीय फ़िल्में तथा भारतीय चैनल यह कार्य बहुत आसानी से कर रहे हैं। यही कारण है कि युवा वर्ग इनकी ओर आकृष्ट हो रहा है और उसका परिणाम भी सामने दिखाई दे रहा है। यदि इस प्रवृत्ति को समय रहते नहीं रोका गया, तो आने वाला समय बहुत भयंकर होगा।
मैं आपके समाचार-पत्र के माध्यम से सरकार के ‘सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय’ से यह निवेदन करती हूँ कि वह अपनी प्रसारण नीति में आवश्यक संशोधन करें, ताकि समाज में हिंसा फैलाने वाली फ़िल्मों और अन्य कार्यक्रमों पर रोक लगाई जा सके।
धन्यवाद ।
भवदीया
क. ख. ग.
अथवा
परीक्षा भवन,
दिल्ली |
दिनांक 13 नवंबर, 20XX
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी महोदय,
दरियागंज,
दिल्ली।
विषय अपने क्षेत्र में व्याप्त गंदगी की समस्या के संदर्भ में।
महोदय,
मैं राकेश त्यागी, कमला नगर का निवासी हूँ। इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र में फैली गंदगी की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। पिछले 10-12 दिनों से हमारे आस-पास के क्षेत्रों में गंदगी तथा कूड़े-करकट के ढेर सर्वत्र दिखाई दे रहे हैं एवं इस कूड़े के ढेर में निरंतर वृद्धि हो रही है। सफ़ाई कर्मचारी भी बहुत दिनों से नज़र नहीं आ रहे हैं। अत्यधिक गंदगी व कूड़े आदि के कारण यहाँ के निवासियों का जीवन दूभर हो गया है तथा पास की कॉलोनी के कुछ जानवर कूड़े कचरे के ढेर को बिखेरकर सड़क पर चलने वालों के लिए और भी असुविधा पैदा कर देते हैं। संक्रामक बीमारियाँ होने का खतरा भी उत्पन्न हो गया है। अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि अविलंब इस समस्या का समाधान करें तथा संबंधित कर्मचारियों को त्वरित कार्यवाही हेतु आवश्यक निर्देश दें। मैं आपकी इस त्वरित प्रतिक्रिया के लिए आपका अत्यंत आभारी रहूँगा ।
सधन्यवाद।
भवदीय
क. ख. ग.
प्रश्न 14.
विद्यालय के कैप्टन की ओर से लगभग 60 शब्दों में एक सूचना लिखिए, जिसमें विद्यालय के वार्षिक उत्सव में भाग लेने से संबंधित जानकारी सभी विद्यार्थियों को दी गई हो । (4)
अथवा
आप पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक मनोज कुमार हैं। विलंब से ट्रेन चलने की सूचना लगभग 60 शब्दों में लिखिए ।
उत्तर:
बाल विद्या मंदिर, पंतनगर सूचना
दिनांक 16 सितंबर, 20XX
वार्षिक उत्सव में भाग लेने संबंधी जानकारी
विद्यालय के सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी 2 अक्टूबर, 20XX को गाँधी जयंती के शुभ अवसर पर हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव आयोजित किया जाएगा। विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा अन्य प्रतियोगिताओं में भाग लेने के इच्छुक विद्यार्थी 23 सितंबर, 20XX तक अपना नाम, कक्षा एवं संबंधित कार्यक्रम का नाम विद्यालय की संगीत शिक्षिका श्रीमती ऊषा अग्रवाल को एक कागज़ पर लिखकर दे दें।
शालिनी श्रीवास्तव
(कैप्टन)
अथवा
पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन सूचना
दिनांक 5 अप्रैल, 20XX
विलंब से ट्रेन चलने के संदर्भ में
सभी यात्रियों को सूचित किया जाता है कि तकनीकी खराबी की वजह से जम्मू एक्सप्रेस अपने निश्चित समय से 2 घंटे विलंब से चलेगी। अत: यह ट्रेन प्रात:काल 6 बजे के स्थान पर 8 बजे प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर आएगी। दो घंटे से अधिक समय लगता है, तो आपके मोबाइल पर रेलवे द्वारा मैसेज किया जाएगा। यदि यह ट्रेन तीन घंटे या इससे अधिक लेट होती है तो यात्री टिकट कैंसिल करा सकते हैं। कैंसिल टिकट के लिए रेलवे बिना किसी कटौती के पूरी रकम यात्रियों को लौटाएगा। 139 पर कॉल करके भी आप ट्रेन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। असुविधा के लिए हमें खेद है।
मनोज कुमार
स्टेशन अधीक्षक
(पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन)
प्रश्न 15.
उत्तम गुणवत्ता की कॉपियाँ अथवा नोटबुक्स बनाने वाली कंपनी की ओर से लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए ।
अथवा
विद्यार्थियों के लिए बैग बनाने वाली कंपनी की ओर से लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर:
अथवा
प्रश्न 16.
आपका नाम अविनाश चटर्जी है। आपके क्षेत्र के नए डाकिए द्वारा डाक वितरण में की जा रही गड़बड़ी की शिकायत करने के लिए अपने क्षेत्र के पोस्टमास्टर को एक ई-मेल लिखिए। (शब्द सीमा लगभग 80 शब्द)
अथवा
‘जहाँ सुमति तहँ संपत्ति नाना’ विषय पर लघुकथा लगभग 100 शब्दों में लिखिए । (5)
उत्तर:
From : [email protected]
To : [email protected]
CC : [email protected]
BCC : –
विषय डाक-वितरण में हो रही गड़बड़ी के संबंध में।
महोदय,
मुझे खेद के साथ अपने मोहल्ले में डाक वितरण की गड़बड़ी के संबंध में आपका ध्यान आकृष्ट कराना पड़ रहा है । विगत तीन-चार माह से मेरे मोहल्ले में डाक वितरण की स्थिति ठीक नहीं है । यह स्थिति नए डाकिए के आने के बाद हुई है। डाकिया प्रतिदिन नहीं आता है और आने पर मोहल्ले में किसी को भी किसी की डाक देकर चला जाता है। परिणामतः डाक या तो मिल ही नहीं पाती है या बहुत दिनों के बाद मिलती है। उससे पूछने पर वह गाली-गलौच करने लगता है। इससे मोहल्ले के लोगों की परेशानी बढ़ गई है। कुछ अत्यावश्यक रजिस्ट्री पत्र समयानुसार उपलब्ध नहीं होने के कारण मोहल्ले के एक दो लोगों को नौकरी से वंचित रह जाना पड़ा है।
अत: महोदय से निवेदन है कि इस क्षेत्र के डाकिए के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही कर डाक वितरण प्रणाली को ठीक कराया जाए।
सधन्यवाद ।
भवदीय
अविनाश चटर्जी
अथवा
उक्त का अर्थ ‘जहाँ सुमति तहँ संपत्ति नाना उक्ति का अर्थ है कि जिस घर में आपसी प्रेम और सद्भाव होता है, वहाँ सारे सुख और संपत्ति होती है और जहाँ आपस में द्वेष और वैमनस्य होता है, उस घर के वासी दुःखी व विपन्न हो जाते हैं। इसे निम्न लघुकथा से समझा जा सकता है। कथा दो भाई थे – रवि और किशन । रवि अत्यंत सुशील, विवेकी और सद्गुणों से युक्त था तथा किशन पूर्णत: विलासी और झगड़ालू प्रवृत्ति का था। रवि के परिवार में आपसी प्रेम और सद्भाव था, इसी कारण उसके घर में सभी प्रकार के सुख और संपत्ति विद्यमान थी। दूसरी ओर, किशन के घर में सदैव झगड़ा, क्लेश, ईर्ष्या, द्वेष के भाव रहने के कारण परिवार के सभी लोग दुःखी व विपन्न रहते थे।
किशन के परिवार में आपसी द्वेष और क्लेश तो था ही, साथ ही वह रवि के परिवार की सुख-संपन्नता देखकर उससे ईर्ष्या भाव भी रखता था। एक दिन परिवार में एक विशेष आयोजन के दौरान रवि का किशन के घर आना हुआ। किशन ने रवि से उसके घर में व्याप्त सुख-शांति का कारण पूछा तो उसने कहा कि घर के सभी लोग परस्पर प्यार, अपनेपन और सौहार्दता के साथ रहते हैं । अतः परिवार में व्याप्त इन्हीं सद्गुणों और सद्बुद्धि के कारण ही घर में सुख-संपन्नता बनी रहती है। रवि की बातों का किशन पर बहुत प्रभाव पड़ा। जब उसने अपने परिवार वालों को रवि के वैभवपूर्ण जीवन का रहस्य बताया, तो सभी ने अपने व्यवहार को बदलने का निश्चय किया। किशन अब सभी काम नियत समय पर करने लगा। वह न तो लड़ाई-झगड़ा करता और न ही किसी से बैर-भाव रखता और अपनी विलासी प्रवृत्ति को भी त्याग चुका था।
घर के अन्य लोग भी परस्पर प्रेमपूर्वक रहने लगे। सुमति और वैचारिक परिवर्तन के परिणामस्वरूप उनके घर से क्लेश, दुर्विचार आदि दुर्गुण चले गए और उसका स्थान मधुरता, सरलता, सद्विचार, नम्रता आदि सद्गुणों ने ले लिया। परिणामस्वरूप उसके घर में सभी प्रकार की सुख-संपत्ति, आनंद तथा संतोष का वास हो गया। अब वे खुशहालपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करने लगे। सीख इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जिस घर में सभी लोग परस्पर प्रेम एवं आनंद के साथ रहते हैं, उस घर में सदैव सुख-समृद्धि का वास रहता है। अतः सुखी जीवन व्यतीत करने के लिए सुमति अर्थात् सद्गुणों को अपनाना अतिआवश्यक है।