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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 1 with Solutions
समय: 3 घंटे
पूर्णांक: 80
निर्देश
- इस प्रश्न- पत्र में दो खंड हैं-‘अ’ और ‘ब’ |
- खंड ‘अ’ में उपप्रश्नों सहित 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कुल 40 प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए ।
- दोनों खंडों के कुल 18 प्रश्न हैं। दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।
खंड ‘अ’ (वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित गद्यांश, व्यावहारिक व्याकरण व पाठ्य-पुस्तक से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
अपठित गद्यांश
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। ( 1 x 5 = 5)
उत्तर :
आदमी की पहचान उसकी भाषा से होती है और भाषा संस्कार से बनती है। जिसके जैसे संस्कार होंगे, वैसी उसकी भाषा होगी। जब कोई आदमी भाषा बोलता है, तो साथ में उसके संस्कार भी बोलते हैं। यही कारण है कि भाषा शिक्षक का दायित्व बहुत गुरुतर और चुनौतीपूर्ण है। परंपरागत रूप में शिक्षक की भूमिका इन तीन कौशलों ‘बोलना, पढ़ना और लिखना तक सीमित कर दी गई है।
केवल यांत्रिक कौशल किसी जीती-जागती भाषा का उदाहरण नहीं हो सकते हैं। सोचना और महसूस करना दो ऐसे कारक हैं, जिनमें भाषा सही आकार पाती है। इनके बिना भाषा, भाषा नहीं है, इनके बिना भाषा संस्कार नहीं बन सकती, इनके बिना भाषा युगों-युगों का लंबा सफर तय नहीं कर सकती, इनके बिना कोई भाषा किसी देश या समाज की धड़कन नहीं बन सकती। केवल संप्रेषण ही भाषा नहीं है। दर्द और मुस्कान के बिना कोई भाषा जीवंत नहीं हो सकती ।
भाषा हमारे समाज के निर्माण, विकास, अस्मिता, सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान का भी महत्त्वपूर्ण साधन है । भाषा के बिना मनुष्य पूर्ण नहीं है। भाषा में ही हमारे भाव, राज्य, संस्कार, प्रांतीयता झलकती है। इस झलक का संबंध व्यक्ति की मानवीय संवेदना और मानसिकता से भी होता है । जिस व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य और मानसिकता जिस स्तर की होगी, उसकी भाषा के शब्द और मुख्यार्थ भी उसी स्तर के होंगे । साहित्यकार ऐसी भाषा को आधार बनाते हैं, जो उनके पाठकों एवं श्रोताओं की संवेदना के साथ एकाकार करने में समर्थ हों।
(क) आदमी की पहचान उसकी भाषा से होती है, क्योंकि (1)
(i) मनुष्य की पूर्णता भाषा द्वारा ही संभव है
(ii) व्यक्ति के मनोभाव भाषा से ही व्यक्त होते हैं
(iii) भाषा का प्रचार और विकास कोई रोक नहीं सकता
(iv) दर्द और मुस्कान के बिना भाषा जीवित नहीं हो सकती
उत्तर :
(ii) आदमी की पहचान उसकी भाषा से होती है, क्योंकि व्यक्ति के मनोभाव भाषा से ही व्यक्त होते हैं।
(ख) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।कथन (A) जब कोई आदमी बोलता है, तो साथ में उसके संस्कार भी बोलते हैं।
कारण (R) भाषा शिक्षक का दायित्व बहुत चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि उसे कौशलों का विकास करना होता है। (1)
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की गलत व्याख्या करता है ।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iii) जब कोई आदमी बोलता है, तो साथ में उसके संस्कार भी बोलते हैं और भाषा शिक्षक का दायित्व बहुत चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि उसे कौशलों का विकास करना होता है।
अत: दिए गए विकल्पों में से विकल्प (iii), कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की गलत व्याख्या करता है, सही है।
(ग) गद्यांश में साहित्यकार द्वारा किए गए कार्य का उल्लेख इनमें से कौन-से विकल्प से ज्ञात होता है? (1)
(i) साहित्य समाज का दर्पण है
(ii) साहित्यकार साहित्य सृजन में व्यस्त रहता है
(iii) साहित्यकार सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान बनाता है
(iv) साहित्यकार जन सामान्य की अस्मिता का परिचायक होता है
उत्तर :
(iv) गद्यांश में साहित्यकार द्वारा किए गए कार्य का उल्लेख विकल्प (iv) साहित्यकार जन सामान्य की अस्मिता का परिचायक होता है, से ज्ञात होता है।
(घ) ‘दर्द और मुस्कान के बिना भाषा जीवंत नहीं हो सकती।’ लेखक द्वारा ऐसा कथन दर्शाता है (1)
(i) यथार्थ की समझ
(ii) सामाजिक समरसता
(iii) साहित्य-प्रेम
(iv) भाषा कौशल
उत्तर :
(i) ‘दर्द और मुस्कान के बिना भाषा जीवंत नहीं हो सकती’ लेखक द्वारा ऐसा कथन यथार्थ की समझ को दर्शाता है।
(ङ) भाषा तब सही आकार पाती है, जब (1)
(i) मनुष्य निरंतर उसका अभ्यास करता रहता है
(ii) भाषा को सरकारी समर्थन भी प्राप्त होता है
(iii) भाषा सामाजिक संस्थाओं से प्रोत्साहन प्राप्त करती है
(iv) भाषायी कौशलों के साथ मनुष्य सोचता और महसूस भी करता है
उत्तर :
(iv) भाषा तब सही आकार पाती है, जब भाषायी कौशलों के साथ मनुष्य सोचता और महसूस भी करता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। ( 1 × 5 = 5)
साहित्य को समाज का प्रतिबिंब माना गया है अर्थात् समाज का पूर्णरूप साहित्य में प्रतिबिंबित होता रहता है। अनादि काल से साहित्य अपने इसी धर्म का पूर्ण निर्वाह करता चला आ रहा है। वह समाज के विभिन्न रूपों का चित्रण कर एक ओर तो हमारे सामने समाज का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करता है और दूसरी ओर अपनी प्रखर मेधा और स्वस्थ कल्पना द्वारा समाज के विभिन्न पहलुओं का विवेचन करता हुआ यह भी बताता है कि मानव समाज की सुख-समृद्धि, सुरक्षा और विकास के लिए कौन-सा मार्ग उपादेय है? एक आलोचक के शब्दों में “कवि वास्तव में समाज की व्यवस्था, वातावरण, धर्म-कर्म, रीति-नीति तथा सामाजिक शिष्टाचार या लोक व्यवहार से ही अपने काव्य के उपकरण चुनता है और उनका प्रतिपादन अपने आदर्शों के अनुरूप करता है ।
” साहित्यकार उसी समाज का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें वह जन्म लेता है। वह अपनी समस्याओं का सुलझाव, अपने आदर्श की स्थापना अपने समाज के आदर्शों के अनुरूप ही करता है। जिस सामाजिक वातावरण में उसका जन्म होता है, उसी में उसका शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक विकास भी होता है । अतः यह कहना सर्वथा असंभव और अविवेकपूर्ण है कि साहित्यकार समाज से पूर्णत: निरपेक्ष या तटस्थ रहकर साहित्य सृजन करता है। वाल्मीकि, तुलसी, सूर, भारतेंदु, प्रेमचंद आदि का साहित्य इस बात का सर्वाधिक सशक्त प्रमाण है कि साहित्यकार समाज से घनिष्ठ रूप से संबंध रखता हुआ ही साहित्य सृजन करता है । समाज की अवहेलना करने वाला साहित्य क्षणजीवी होता है।
(क) साहित्य समाज का प्रतिबिंब है, क्योंकि यह
(i) समाज की वास्तविकता का द्योतक है
(ii) समाज में लोक व्यवहार का समर्थक है
(iii) व्यक्ति की समस्याओं का निदान करता है
(iv) साहित्य को दिशा प्रदान करता है
उत्तर :
(i) साहित्य समाज का प्रतिबिंब है, क्योंकि यह समाज की वास्तविकता का द्योतक है।
(ख) गद्यांश दर्शाता है
(i) समाज एवं साहित्य का पारस्परिक संबंध
(ii) समाज एवं साहित्य की अवहेलना
(iii) साहित्यकार की सृजन शक्ति
(iv) सामाजिक शिष्टाचार एवं लोक व्यवहार
उत्तर :
(i) प्रस्तुत गद्यांश समाज एवं साहित्य के पारस्परिक सम्बन्ध को दर्शाता है।
(ग) साहित्य की क्षणभंगुरता का कारण होगा
(i) सामाजिक अवज्ञा
(ii) सामाजिक समस्या
(iii) सामाजिक सद्भाव
(iv) सामाजिक समरसता
उत्तर :
(i) प्रस्तुत गद्यांश के आधार पर साहित्य की क्षणभंगुरता का कारण सामाजिक अवज्ञा होगा।
(घ) वाल्मीकि, तुलसी, सूर के उदाहरण द्वारा लेखक चाहता है
(i) भाव साम्यता
(ii) प्रत्यक्ष प्रमाण
(iii) सहानुभूति
(iv) शिष्टाचार
उत्तर :
(ii) वाल्मीकि, तुलसी, सूर आदि के उदाहरण इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि साहित्यकार समाज से घनिष्ठ रूप से संबंध रखता हुआ ही साहित्य का सृजन करता है।
(ङ) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए
कथन (A) कवि अपने काव्य के उपकरणों का प्रतिपादन अपने आदर्शों के अनुरूप करता है।
कारण (R) कवि का हृदय अत्यधिक संवेदनशील होता है एवं सदैव देशहित चाहता है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की गलत व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है। व्यावहारिक व्याकरण
उत्तर :
(iii) कवि अपने काव्य के उपकरणों का प्रतिपादन अपने आदर्शों के अनुरूप करता है तथा कवि का हृदय अत्यधिक संवेदनशील होता है एवं सदैव देशहित चाहता है।
अत: दिए गए विकल्पों में से विकल्प (iii), कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की गलत व्याख्या करता है, सही है। शेष सभी विकल्प असंगत हैं।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘पदबंध’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
(क)’ ‘सुलेमान केवल मानव जाति के ही राजा नहीं थे, सारे छोटे-बड़े पशु-पक्षी के भी हाकिम थे।’ रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संज्ञा पदबंध
(iii) क्रिया पदबंध
(ii) सर्वनाम पदबंध
(iv) विशेषण पदबंध
उत्तर :
(i) संज्ञा पदबंध
(ख) ‘जीने मरने वाले मनुष्य तो हो सकते हैं पर सही अर्थों में नहीं।’ इस वाक्य में विशेषण पदबंध होगा
(i) मनुष्य तो हो सकते हैं
(ii) सही अर्थों में नहीं
(iii) जीने-मरने वाले मनुष्य
(iv) जीने-मरने वाले
उत्तर :
(iv) जीने-मरने वाले
(ग) क्रियाविशेषण पदबंध का उदाहरण छाँटिए ।
(i) ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं
(ii) ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों’ के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं
(iii) ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों’ के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं।
(iv) ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों’ के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं
उत्तर :
(ii) ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों’ के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं
(घ) ‘अकसर हम या तो गुजरे हुए दिनों की खट्टी-मीठी यादों में उलझे रहते हैं या भविष्य के रंगीन सपने देखते रहते हैं।’ रेखांकित
पदबंध का भेद है
(i) संज्ञा पदबंध
(ii) सर्वनाम पदबंध
(iii) विशेषण पदबंध
(iv) क्रिया पदबंध
उत्तर :
(iv) क्रिया पदबंध
(ङ) खिड़की के बाहर अब असहाय दोनों कबूतर रात-भर खामोश और उदास बैठे रहते हैं।’ रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संज्ञा पदबंध
(ii) क्रिया पदबंध
(iii) विशेषण पदबंध
(iv) क्रियाविशेषण पदबंध
उत्तर :
(i) संज्ञा पदबंध
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4= 4)
(क) निम्नलिखित में से उपयुक्त सरल वाक्य छाँटिए ।
(i) जो कहोगे उसका परिणाम तो भुगतना ही पड़ेगा
(ii) नूह ने जब उनकी बात सुनी तो दुःखी हो मुद्दत तक रोते रहे।
(iii) दूसरे गाँव के युवक के साथ संबंध परंपरा के विरुद्ध था
(iv) मैं उनकी लताड़ सुनता और आँसू बहाने लगता
उत्तर :
(iii) दूसरे गाँव के युवक के साथ संबंध परंपरा के विरुद्ध था
(ख) ‘जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी।’
रचना के आधार पर वाक्य भेद
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्रित वाक्य
उत्तर :
(iii) मिश्रित वाक्य
(ग) कॉलम 1, कॉलम 2 के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कॉलम 1 | कॉलम 2 |
1. भाई साहब और मैं कनकौआ लूटने के लिए दौड़ रहे थे। | a.संयुक्त वाक्य |
II. क्योंकि मुझे और भाई साहब को कनकौआ लूटना था इसलिए हम दौड़ रहे थे। | b.सरल वाक्य |
III. मुझे कनकौआ लूटना था और भाई साहब मेरे साथ दौड़ रहे थे। | c. मिश्र वाक्य |
कूट
I — II — III
(i) c — a –b
(ii) b — c — a
(iii) a — b — c
(iv) b — c– c
उत्तर :
(ii) b c a
(घ) निम्नलिखित वाक्यों में मिश्रित वाक्य है
(i) जैसे ही वे घर से बाहर निकले, वैसे ही जोर से धमाका हुआ
(ii) वे लोग घर से बाहर निकले और जोर से धमाका हुआ
(iii) धमाका होते ही घर से बाहर निकले
(iv) उनके घर से निकलते ही जोर से धमाका हुआ
उत्तर :
(i) जैसे ही वे घर से बाहर निकले, वैसे ही जोर से धमाका हुआ
(ङ) ‘शैलेंद्र का दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए ।’ रचना के आधार पर इस वाक्य का भेद होगा
(i) सरल वाक्
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्र वाक्य
(iv) विधानवाचक वाक्य
उत्तर :
(iii) मिश्र वाक्य
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार समास पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
(क) ‘मार्गव्यय’ शब्द / समस्तपद कौन-से समास का उदाहरण है?
(i) द्विगु समास
(ii) कर्मधारय समास
(iii) तत्पुरुष समास
(iv) अव्ययीभाव समास
उत्तर :
(iii) तत्पुरुष समास
(ख) ‘महाजन’- समस्त पद का विग्रह होगा
(i) महान है जो जन
(ii) महा है जो जन
(iii) महान का जन
(iv) जन की महानता
उत्तर :
(i) महान है जो जन
(ग) निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए
समस्त पद — समास
I. पराधीन — (a) तत्पुरुष समास
II. महात्मा — (b) अव्ययीभाव समास
III. नीलकंठ — (c) बहुव्रीहि समास
IV. सज्जन — (d) द्विगु समास
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं?
(i) I और II
(ii) I और III
(iii) II और IV
(iv) III और IV
उत्तर :
(ii) । और III
(घ) ‘यथाशक्ति’ शब्द के लिए सही समास विग्रह और समास का चयन कीजिए ।
(i) यथा और शक्ति – द्वंद्व समास
(ii) यथा की शक्ति – तत्पुरुष समास
(iii) शक्ति के अनुसार अव्ययीभाव समास
(iv) यथार्थ शक्ति का धनी अर्थात् व्यक्ति विशेष – बहुव्रीहि समास
उत्तर :
(iii) शक्ति के अनुसार – अव्ययीभाव समास
(ङ) ‘तिरंगा’ का समास विग्रह एवं भेद होगा
(i) तीन में रंगा – तत्पुरुष समास
(ii) तीन रंग – द्विगु समास
(iii) तीन रंगों के समान कर्मधारय
(iv) तीन रंगों वाला अर्थात् भारत का राष्ट्र ध्वज – बहुव्रीहि समास
उत्तर :
(iv) तीन रंगों वाला अर्थात् भारत का राष्ट्र ध्वज – बहुव्रीहि समास
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार मुहावरे पर आधारित छः बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
(क) मुहावरे और अर्थ के उचित मेल वाले विकल्प का चयन कीजिए।
(i) तूती बोलना – मुसीबत में फँसना
(ii) दूध की मक्खी – अनुपयोगी
(iii) लोहा मानना कठिन काम करना
(iv) टूट पड़ना – काम शुरू करना
उत्तर :
(ii) दूध की मक्खी – अनुपयोगी
(ख) ‘गहरी नींद से जाग जाना/होश आना’ के लिए उपयुक्त मुहावरा है
(i) सुध-बुध खोना
(ii) अलख जगाना
(iii) दिमाग होना
(iv) तंद्रा भंग होना
उत्तर :
(iv) तंद्रा भंग होना
(ग) ‘आड़े हाथों लेना’ मुहावरे का अर्थ है
(i) घमंड करना
(ii) विरोध करना
(iii) खिंचाई करना
(iv) तंद्रा भंग होना
उत्तर :
(iii) खिंचाई करना
(घ) रेखांकित अंश के लिए कौन-सा मुहावरा प्रयुक्त करना उचित रहेगा? ‘तू मित्र है या शत्रु? जहाँ भी जाता हूँ, वहीं मेरे सामने बाधा उत्पन्न कर देता है।’
(i) मजा चखवाना
(ii) दीवार खड़ी करना
(iii) हावी होना
(iv) राह न सूझना
उत्तर :
(ii) दीवार खड़ी करना
(ङ) सेठ दीनदयाल अपने क्षेत्र के जाने-माने व्यापारी हैं। ………………… के द्वारा ही उनकी गिनती चुने हुए धनवानों में होती है।
रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
(i) सातवें आसमान पर होने
(ii) नतमस्तक होने
(iii) हवा में उड़ने
(iv) दो से चार बनाने के गणित
उत्तर :
(iv) दो से चार बनाने के गणित
(च) ‘परेशानी देखकर घबरा जाना’ अर्थ के लिए उपयुक्त मुहावरा है
(i) हाथ-पाँव फूल जाना
(ii) प्राण ले लेना
(iii) सिर फिरना
(iv) ठंडा पड़ना
उत्तर :
(i) हाथ-पाँव फूल जाना
पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए ।
साँस थमसी गई, नब्ज ज़मती गई,
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया,
कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं,
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया,
मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों,
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों ।
जिंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज आती नहीं
(क) ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’ का अर्थ है
(i) हिमालय को सजाना
(ii) शहीदों
(iii) भारत के गौरव को बनाए रखना
(iv) देशवासियों
उत्तर :
(iii) ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’ का अर्थ भारत के गौरव को बनाए रखना है।
(ख) कवि द्वारा ‘साथियों’ संबोधन का प्रयोग …………….. के लिए किया गया है।
(i) कवियों
(iii) सैनिकों
(ii) हिमालय की हिफाजत करना
(iv) भारत का गुणगान करना
उत्तर :
(iv) कवि द्वारा ‘साथियों’ संबोधन का प्रयोग देशवासियों के लिए किया गया है।
(ग) मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों’ कवि ने ऐसा कहा है, क्योंकि
(i) सैनिक धरती को दुल्हन की तरह सजा हुआ देखकर प्रसन्न हो गए
(ii) सैनिकों ने मातृभूमि की रक्षा हेतु जोश और साहस से युद्ध किया
(iii) देशवासियों को बार-बार पुकारकर सैनिकों ने उनमें देशभक्ति का भाव जगाया
(iv) सैनिकों ने कभी भी टेढ़ेपन से बातचीत नहीं की, देश रक्षा ही एकमात्र उद्देश्य रहा
उत्तर :
(ii) ‘मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों’ कवि ने ऐसा कहा है, क्योंकि सैनिकों ने मातृभूमि की रक्षा हेतु जोश और साहस से युद्ध किया।
(घ) ‘जान देने की रुत रोज आती नहीं’ का भाव है
(i) सैनिकों के हृदय में जीवित रहने की इच्छा नहीं
(ii) जीवित रहने का समय आनंददायक होना चाहिए
(iii) आत्म बलिदान द्वारा भी देश की रक्षा के लिए तत्पर
(iv) जीवन और मरण सब कुछ ईश्वर की इच्छा पर निर्भर
उत्तर :
(iii) ‘जान देने की रुत रोज आती नहीं’ पंक्ति का भाव यह है कि देश की रक्षा के लिए मर-मिटने के अवसर बार-बार नहीं मिलते और जीवन में जब भी कभी ऐसा अवसर मिले कि हमें अपने देश के लिए आत्म बलिदान करना पड़े, तो हमें उसके लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
(ङ) इस काव्यांश का संदेश यह है कि हमें
(i) हुस्न और इश्क को रुसवा करना चाहिए
(ii) देश को दूसरों के हवाले कर देना चाहिए
(iii) धरती को दुल्हन की तरह सजाना चाहिए
(iv) देश पर कुर्बान होने के लिए तैयार रहना चाहिए
उत्तर :
(iv) प्रस्तुत काव्यांश का संदेश यह है कि हमें अपने देश पर कुर्बान होने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।
(क) तोप के अतीत और वर्तमान का वर्गन करने के उपरांत कवि ने एक महत्त्वपूर्ण संदेश दिया है कि
(i) स्थिति सदैव एक जैसी नहीं रहती
(ii) गौरैया बैसे पक्षी भी खेलते है
(iii) कंषनी बाग में भी सजावट की गई है
(iv) तोड़ बड़े-बड़े योद्धाओं के पसीने चुटा देती है
उत्तर :
(i) तोप के अतीत और वर्तमान का वर्णन करने के उपरांत कवि ने एक महत्त्वपूर्ण संदेश दिया है कि स्थिति सदैव एक जैसी नहीं रहती।
(ख) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए और उपयुक्त कथन चुनिए
(i) पशु प्रवृति को बनाए रखना ही सुमृत्यु है
(ii) सच्ची मनुष्यता ही सुमृत्यु के समान है
(iii) सुमृत्यु वही है जिसमें व्यक्ति को कष्ट न हो
(iv) सुमृत्यु वही है जिसे मरने के बाद भी लोग याद करें
उत्तर :
(iv) सुमृत्यु वही है जिसे मरने के बाद भी लोग याद करें यह उपयुक्त कथन है अन्य सभी कथन असंगत हैं।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकत्प का चयन कीजिए। (1 x 5 =5)
क्रोध में उसने तलवार निकाली और कुछ विचार करता रहा। क्रोध लगातार अभि्न की तरह बढ़ रहा था। लोग सहम उठे। एक सन्नाटा-सा खिंच गया। जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसमें शक्ति भर उसे धरती में घोप दिया और ताकल से उसे खींचने लगा। वह पसीने से नहा उठा। सब घबराए हुए थे। वह तलवार को अपनी तरफ खींचते-खींचते दूर तक पहुँच गया। वह हाँफ रहा था।
अचानक जहाँ तक लकीर खिंच गई थी, वहाँ एक दरार होने लगी। मानो धरती दो टुकड़ों में बँटने लगी हो। एक गड़गड़ाहट-सी गूँजने लगी और लकीर की सीध में धरती फटती ही जा रही थी। द्वीप के अंतिम सिरे तक तताँरा धरती को मानो क्रोध में काटता जा रहा था। सभी भयाकुल हो उठे। लोगों ने ऐसे दृश्य की कल्पना न की थी, वे सिहर उठे। उधर वामीरो फटती हुई धरती के किनारे चीखती हुई दौड़ रही थी – तताँरा ……….. तताँरा ………… तताँरा उसकी करुण चीख मानो गड़गड़ाहट में डूब गई। तताँरा दुर्भाग्यवश दूसरी तरफ था। द्वीप के अंतिम सिरे तक धरती को चाकता वह जैसे ही अंतिम छोर पर पहुँचा, द्वीप दो टुकझों में विभक्त हो चुका था। एक तरफ तताँरा था दूसरी तरफ वामीरो।
(क) लोगों का सहम जाना किस दात का परिचायक है?
(i) भय
(ii) करुणा
(iii) क्रोष
(iv) प्रसन्तता
उत्तर :
(i) लोगों का सहम जाना भय का परिचायक है।
(ख) तताँरा को कोई राह न सूझने के कारणों पर विचार कीजिए और उचित विकल्प का चयन कीजिए।
1. आत्मसमर्पण का भाय
2. वामीरो से अत्यधिक प्रेम
3. तलवार की दैवीय शक्ति
4. गाँव वालों के प्रति रोष
कृट
(i) 1 और 3
(ii) 1,3 और 4
(iii) केवल 3
(iv) 1,2 और 4
उत्तर :
(iv) तताँरा को कोई राह न सूझने के कारण आत्मसमर्पण का भाव, वामीरो से अत्यधिक प्रेम तथा गाँव वालों के प्रति रोष उत्पन्न होता है।
(ग) निम्नलिखित कथन (A) और कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकलों में से कोई एक विकल्प चुनकर लिखिए। (1)
क्थन (A) लोगों ने ऐसे दृश्य की कल्यना न की थी।
कारण R ग्रामवासियों ने यह कदापि न सोचा था कि तताँरा की प्रतिकिया इतनी विनाशकारी सिद्ध हो सकती है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की गलत व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, लेकिन कारण R कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर :
(iv) लोगों ने ऐसे दृश्य की कल्पना न की थी तथा ग्रामवासियों ने कभी कल्पना भी न थी कि तताँरा की प्रतिक्रिया इतनी विनाशकारी होगी।
(घ) तताँरा और वामीरो अलग कैसे हुए?
(i) अपमान के डर से
(ii) गाँव वालों के द्बाव में
(iii) पद्यु मेले की भौड्र के कारण
(iv) भूमि के दो भागों में कटने से
उत्तर :
(iv) तताँरा और वामीरो भूमि के दो भागों में कटने से अलग हुए।
(ङ) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित में से कौन-सा विचार मेल खाता है?
(i) जो मनुष्ब अपने क्रोष को अपने वश में कर सेता है, वह दूसरों के क्रोध से स्वयंभेव बच जाता है- सुकरात
(ii) क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं कहता, वह केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है- प्रेमचंद
(iii) वह आदमी वास्तव में बुद्धिमान है जो क्रोध में भी गलत बात मुँह से नहीं निकालता – शेखसादी
(iv) ईर्व्या, लोभ, क्रोध एवं कठोर वचन-इन चारों से सदा बचते रहना ही वस्तुत: धर्म है – तिरकवल्लुबर
उत्तर :
(ii) गद्यांश के आधार पर यह विचार मेल खाता है कि क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं करता, वह केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है- प्रेमचंद। शेष सभी विकल्प असंगत हैं।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।
(क) निम्नलिखित में से कौन-से वाक्य ‘झायरी का एक पन्ना’ से मेल खाते हैं?
1. पुरानी सध्यता के बारे में ज्यादा किस्से-कहानियाँ सुनने को मिलते हैं।
2. एक संगठित समाज कृत संकल्प हो तो वह कुछ भी कर सकता है।
3. यह पाठ हमारे क्रांतिकारियों की बाद दिलाता है और देशभक्ति का भाव भरता है।
4. 26 जनवरी, 1930 को गुलाम भारत में पहली बार स्वतंत्रता दिबस मनाया गया था। कृट
(i) केवल 1
(ii) 1 और 2
(iii) केवल 4
(iv) 2,3 और 4
उत्तर :
(iv) प्रस्तुत वाक्य ‘डायरी का एक पन्ना’ से मेल खाते है
- एक संगठित समाज कृत संकल्प हो तो वह कुछ भी कर सकता है।
- यह पाठ हमारे क्रांतिकारियों की याद दिलाता है और देशभक्ति का भाव भरता है।
- 26 जनवरी, 1930 को गुलाम भारत में पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। इसलिए विकल्प (iv) सही उत्तर है शेष अन्य विकल्प असंगत हैं।
(ख) ग्वालियर से मुंबई के बीच लेखक ने एक बदलाव महसूस किया कि
(i) बस्ती ने जंगल का रूप ले लिया है
(ii) जंगल ने बर्ती का रूप से लिया है
(iii) वसोका नाम का शहर बस गया है
(iv) पशु-पक्षी जंगलों को छोड़कर चले गए है
उत्तर :
(ii) ग्वालियर से मुंबई के बीच लेखक ने एक बदलाव महसूस किया कि जंगल ने बस्ती का रूप ले लिया है।
खंड ‘ब’ (वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक-पुस्तक तथा लेखन से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक पुस्तक
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3 x 2 = 6)
(क) परिबार के अनुभवी जनो द्वारा दी गई सीख भविष्य निर्माण में सहायक सिद्ध होती है। आयके द्वारा स्पर्श पाठ्यपुस्तक में पढ़े गए पाठ के माध्यम से भी है यह ज्ञात होता है। कहानी के पात्रों के माध्यम से कथन को सिद्ध कीजिए।
उत्तर :
परिवार के अनुभवी जनों द्वारा दी गई सीख भविष्य निर्माण में सहायक सिद्ध होती है। बड़े भाई साहब ने लखक का अनुभव का महत्त्व बताते हुए कहा कि हमारे दादा और अम्मा अधिक पढ़े-लिखे नहीं हैं, लेकिन यह उनका हक है कि हमें समझाएँ। उन्होंने बताया कि तजुरबेदार व्यक्ति चाहे पढ़ा-लिखा न हो, फिर भी वह समझदार होता है। उन्होंने लेखक को समझाया कि पढ़ा-लिखा होना एक बात है और अनुभवी होना एक बात। मैं बड़ा और अनुभवी होने के नाते तुम्हें राह से भटकने नहीं दूँगा और यदि तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मैं थप्पड़ भी मार सकता हूँ, लेकिन लेखक ने प्रेमपूर्वक अपने भाई साहब की सारी बातें मान ली थीं।
(ख) पाठ्यक्रम में पढ़ी एकांकी द्वारा सिद्ध कीजिए कि मुट्ठी भर आदमी भी बड़ी फौज पर कादू पा सकते हैं।
उत्तर :
एकांकी के आधार पर मुट्ठी भर आदमी भी बड़ी फौज पर काबू पा सकते हैं इसका अर्थ यह है कि वजीर अली मुट्ठी भर लोगों की सहायता से पूरी ब्रिटिश फौज को परेशान कर रहा था। फौज का कर्नल वजीर अली के साहस तथा दृढ़ता से अत्यधिक प्रभावित था, उसने वजीर अली की बहादुरी को निकट से देखा था और उसे पता था कि वजीर अली ने अंग्रेजों को खुली चुनौती दी है। वह किसी से भी डरता नहीं है। इन सब बातों से ही स्पष्ट होता है कि मुट्ठी भर आदमी भी फौज पर काबू पा सकते हैं।
(ग) आशय स्पष्ट कीजिए ‘व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।’
उत्तर :
‘व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है’ इसका आशय यह है कि दुःख मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। शैलेन्द्र द्वारा लिखे गीत दु:ख और करुणा से व्यक्ति को जीवन से निराश होने का संदेश नहीं देते, अपितु वह उसे
कठिनाइयों से घबराए बिना आगे बढ़ने का संदेश देते हैं। कवि ने यही बताया है कि हमें जीवन में कभी भी कठिनाइयों से हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि उनका डटकर सामना करना चाहिए।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3 x 2 = 6)
(क) कबीर ने निंदक को पास रखने की सलाह क्यों दी है? क्या यह सलाह आपको उचित प्रतीत होती है? कारण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कबीर निंदक को अपने निकट रखने का परामर्श इसलिए देते हैं, क्योंकि निंदक अपने स्वभाववश दूसरों के दोष प्रकट करता रहता है। इस प्रकार, वह हमें आत्मनिरीक्षण और आत्मसुधार का अवसर देता है। इससे बिना साबुन और पानी के ही हमारा स्वभाव स्वच्छ और निर्मल बन जाता है। कबीर द्वारा दी गई यह सलाह उचित प्रतीत होती है, क्योंकि कबीर का मानना है कि निदंक हमेशा हमारे प्रत्येक कार्य में कुछ-न-कुछ कमी अवश्य निकालता है जिससे हमें अपने वाले समय में वह गलती न करने का स्मरण रहता है और वह गलती हम दोबारा नहीं करेंगें।
(ख) आपके द्वारा इस पाठ्यक्रम में पढ़ी गई किस कविता की अंतिम पँक्तियाँ आपको सर्वाधिक प्रभावित करती है और क्यो? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों।
‘कर चले हम फिदा’ अध्याय 8 के अंतिम काव्यांश की अंतिम पंक्तियाँ हैं। ये पंक्तियाँ हमें सर्वाधिक प्रभावित करती हैं, क्योंकि इन पंक्तियों में कवि ने सैनिकों के माध्यम से सम्बोधित करते हुए हमें बताया है कि तुम ही राम हो, तुम ही लक्ष्मण हो। स्वयं को पहचानो। जिस प्रकार राम लक्ष्मण की शक्ति के सामने दुनिया के भयानक असुरों के राजा रावण ने घुटने टेक दिए थे। उसी प्रकार अब हम ये वतन तुम्हारे हवाले करके जा रहे हैं और अब इसकी जिम्मेदारी तुम्हारी है तुम ही भारत के रक्षक हो, रखवाले हो और अब इसकी रक्षा करना तुम्हारा धर्म है।
(ग) रवींद्रनाध ठाकुर और मीरा की भक्ति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
उत्तर :
रवींद्रनाथ ठाकुर
1. रवींद्रनाथ ठाकुर का ईश्वर की भक्ति में अगाध विश्वास है।
2. ये ईश्वर से निवेदन करते हैं कि अपनी कृपा दृष्टि हमारे ऊपर हमेशा बनाए रखें।
3. रवींद्रनाथ जी ईश्वर को ही अपना सबकुछ मानते हैं।
मीराबाई
1. मीराबाई की भक्ति श्रीकृष्ण के प्रति माधुर्य भाव की है।
2. मीराबाई कृष्ण की दासी बनना चाहती हैं और जीवन भर उनकी भक्ति करना चाहती हैं।
3. मीराबाई श्रीकृष्ण को अपना सबकुछ मानती हैं।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3 x 2 = 6)
(क) ठाकुर हरिनाम सिंह के तीनो लइको को एहसास था कि वे कलेकटर के बेटे हैं। लेखक द्वारा ऐसा कहा जाना ठफुर हरिनाम सिंह के तीनों बेटों और टोपी के विषय में किस विचारधारा को स्पष्ट करता है?
उत्तर :
ठाकुर हरिनाम सिंह के तीनों लड़कों को एहसास था कि वे कलेक्टर के बेटे हैं। लेखक द्वारा ऐसा कहा जाना ठाकुर हरिनाम सिंह के तीनों बेटों और टोपी के विषय में आज की व्यस्थ विचारधारा को स्पष्ट करता है, जैसे कि ठाकुर हरिनाम सिंह एक पढ़े-लिखे व्यक्ति थे। उसके तीन बेटे हैं-डब्बू, नीलू और गुड्डू। उन तीनों को अपने पिता के कलेक्टर होने का घमंड है। वे पढ़े-लिखे तथा अंग्रेजी भाषा बोलते हैं। वहीं दूसरी तरफ टोपी है, जिसका पढ़ने में मन नहीं लगता वह सीधा-साधा, भावुक और सरल हृदय वाला है। टोपी सिर्फ प्रेम की भाषा समझता है।
(ख) उनकी इस स्थिति ने मुझे चितित कर दिया है। जैसे कोई नाव बीध मझधार में फेसी हो और उस पर सवार लोग चित्ताकर भी अपनी रक्षा ना कर सकते हों, क्योंकि उनकी चिल्लाहट दूर तक फैले सागर के बीच उठती-गिरती लहरों में विलीन हो जाने के अतिरिक्त कर ही क्या सकती है। लेखक के इस क्थन की संदर्भ सहित विवेयना कीजिए।
उत्तर :
संदर्भ प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक के (पूरक भाग) मिथिलेश्वर द्वारा रचित अध्याय 1 (हरिहर काका) से लिया गया है। इन पंक्तियों में लेखक ने हरिहर काका की स्थिति के विषय में बताया है। विवेचना प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक हरिहर काका से मिलने उनके घर गया और तबीयत के विषय में पूछा तब हरिहर काका ने सिर उठाकर एक बार लेखक की ओर देखकर सिर झुका लिया, इसके बाद उन्होंने दुबारा सिर नहीं उठाया। लेखक ने हरिहर काका से बात करना शुरू किया और उनकी आँखों में देखा तो उनकी यंत्रणा और मनोदशा के बारे में आँखों ने सब कुछ कह दिया। उनकी इस दशा ने लेखक को चिंतित कर दिया। उन्होंने अपने परिवार के लिए पूरा जीवन बिता दिया, लेकिन आज उनकी स्थिति सागर के बीच विलीन होने वाली नाव जैसी हो गई अर्थात् गाँव और परिवार में इतने सारे लोग होते हुए भी वे अकेले और असहाय हैं, इसीलिए वह निराश है।
(ग) ‘सपनों के से दिन’ पाठ के आधार पर बताइए कि स्कूल की छुट्टियों के शुरू और आखिरी दिनों में बच्चों की दृष्टि में क्या अंतर होता था? क्या यही स्थिति आपकी भी होती है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
‘सपनों के से दिन’ पाठ के आधार पर स्कूल की छुट्टियों के शुरू और आखिरी दिनों में बच्चों की दृष्टि में यह अंतर होता था कि जब छुट्टियाँ पड़ती हैं तो उन्हें बहुत खुशी होती है और वह अपनी योजना बनाते हैं कि इन छुट्टियों में हमें क्या-क्या मस्ती करनी है, उसी प्रकार जब हमारी स्कूल की छुट्टियाँ होती हैं तो हम भी यह सोचने लगते हैं कि इन छुट्टियों में हमें क्या-क्या काम करने हैं। हम ‘अपनी नानी के घर जाएँगे और बहुत मस्ती करेंगे और जैसे-जैसे छुट्टियाँ बीतने लगती हैं तो मास्टर जी द्वारा दिया गया गृहकार्य सारी मस्ती में बाधा डालने लगता है, तब हमारा मन भटकने लगता है कि स्कूल का काम करें या न करें। हमारे साथ वाले कुछ मित्र ऐसे होते हैं जो काम करने की बजाय मास्टर जी की पिटाई को अधिक सस्ता सौदा समझते हैं तो कभी-कभी हम भी उनको अपना नेता मान लेते हैं और काम की जगह पिटाई को महत्त्व देते हैं।
लेखन
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत-बिंदुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए। (5 x 1 =5)
(क) प्रकृति की रक्षा मानव की सुरक्षा
- मनुष्य प्रकृति का अंग
- मकृति से खिलवादु
- दुक्भिभाव और दूर करने के उपाय
उत्तर :
प्रकृति अनमोल है, लेकिन इसमें पौधों का अपना अलग महत्त्व है। हर पेड़ मनुष्य का सच्चा मित्र है। पृथ्वी इसके बिना अधूरी है। पर्यावरण के कारण ही समस्त प्राणियों का अस्तित्व पनप पाता है। जल, पृथ्वी, आकाश, हवा तथा अग्नि इसके अंग हैं। प्रकृति और पर्यावरण के बीच बहुत गहरा संबंध है। ‘पर्यावरण’ प्रकृति की ही देन है। पर्यावरण पृथ्वी के चारों ओर के वातावरण को कहा जाता है।
हमारे जीने के लिए आवश्यक तत्त्वों को बनाए रखने के लिए उसने समस्त बातों का ध्यान रखा है। पर्यावरण पृथ्वी के चारों ओर से ढककर हमारी रक्षा करता है। इस तरह प्रकृति हमारी हर छोटी-बड़ी आवश्यकताओं को पूरा करती है। प्रकृति इस बात का ध्यान भी रखती है कि पृथ्वी पर हो रही हर छोटी-बड़ी प्रक्रिया में संतुलन बना रहे। यदि प्रकृति के स्वरूप के साथ छेड़छाड़ की जाती है, तो इसका परिणाम हमें पर्यावरण में साफ तौर पर दिखाई देता है।
मनुष्य ने सदैव ही स्वयं के हित के लिए कार्य किए हैं। मनुष्य ने अनेक आविष्कार किए, अनेक ऐसी वस्तुओं का निर्माण किया, जो हमारे लिए सोचना भी संभव नहीं था। मनुष्य ने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर अपनी कल्पना को साकार किया। इस वैज्ञानिक युग ने जहाँ एक ओर हमें प्रगति व उन्नति के पथ पर अग्रसर किया है, वहीं दूसरी ओर उसने पर्यावरण का सबसे बड़ा नुकसान किया है। आधुनिक युग ने प्रकृति की जीवन-शैली को आघात पहुँचाया है। इस आघात से उत्पन्न घाव से उभरने के लिए मनुष्य को शायद ही प्रकृति द्वारा समय दिया जाए।
प्रकृति भगवान द्वारा दी गई हमारे लिए बहुमूल्य भेंट है। प्रकृति मनुष्य को सदैव देती रही है और हम याचक की तरह उसके समक्ष भिक्षा का पात्र लेकर खड़े रहे हैं, परंतु आज स्थिति दूसरी बन गई है। हमने प्रकृति का इतना दोहन कर लिया है कि इसने अपना मैत्री भाव छोड़कर विकराल रूप धारण कर लिया है। बढ़ते प्रकृति दोहन से जलीय, थलीय एवं वायुमंडल प्रदूषण बढ़ गया है तथा भूमि प्रदूषण भी बढ़ गया है। औद्योगिक कचरे के फैलाव के कारण अनेक समस्याओं व बीमारियों को आमंत्रण मिला है, वनों के कटाव से भूमि के कटाव की समस्या और रेगिस्तान के प्रसार की समस्या सामने आई है। वनों के अत्यधिक कटाव ने जंगली जानवरों के अस्तित्व को संकट में डाला है।
रसायनों के अत्यधिक प्रयोग ने मिट्टी संबंधी प्रदूषण को बढ़ाया है। इससे इसकी उर्वरता पर प्रभाव पड़ा है। इन सभी समस्याओं पर यदि अभी ध्यान नहीं दिया गया, तो आगे चलकर ये सभी समस्याएँ विकरालता की हद को भी पार कर जाएँगी। आज पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण के कारण नित बिमारियाँ अपना मुँह खोले मनुष्य को काल का ग्रास बनाने के लिए तैयार हैं। एक बीमारी से हम छुटकारा पाते नहीं है कि नई बीमारी आ खड़ी होती है। हमें यह सोचना पड़ेगा कि यदि प्रकृति सुरक्षित रहेगी, तभी हम भी सुरक्षित रह पाएँगे। इसके बिना हमारा अस्तित्व संभव नहीं है। अतः पहल भी हमें ही करनी पड़ेगी। हमें इससे होने वाले नुकसान से बचने के लिए पर्यावरण का संरक्षण करना अति आवश्यक है।
(ख) जी-20 ही और भारत
- जी- 20 क्या है?
- गतन का कारण
- वर्यप्रैली और भारत की भूनिका
उत्तर :
जी- 20 और भारत
जी-20, एक ऐसा समूह है, जिसमें 19 देश हैं और 20 वाँ यूरोपीय संघ है। वर्ष में एक बार जी-20 शिखर सम्मेलन होता है, जिसमें राज्यों के सरकार प्रमुख के साथ उन देशों के केंद्रीय बैंक के गवर्नर भी शामिल होते हैं। इस सम्मेलन में मुख्य रूप से आर्थिक मामलों पर चर्चा होती है।
जी-20 का गठन वर्ष 1999 में बर्लिन में हुआ था। इसको ग्रुप ऑफ ट्वेंटी भी कहा जाता है। जी-20 वैश्विक वित्तीय मुद्दों के लिए एक प्रमुख मंच है, जिसके सदस्यों में प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ शामिल हैं। जी-20 समूह में अर्जेटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। ये सभी सदस्य मिलकर दुनिया की जीडीपी का 85 फीसदी हिस्सा बनाते हैं।
इस वर्ष भारत जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण कर रहा है। सरकार के स्तर पर अगला जी-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितम्बर, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। भारत के सामने इसे लेकर कठिन चुनौतियाँ हैं। भारत के सामने जी- 20 की प्राथमिकताओं में समावेशी, न्यायसंगत और सतत विकास, महिला सशक्तिकरण, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा और तकनीक सक्षम विकास, जलवायु, वित्तपोषण, वैश्विक विकास खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा आदि शामिल हैं।
जी- 20 भारत के आदर्श वाक्य ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और थीम ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है। प्रौद्योगिकी के प्रति हमारे मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ कृषि से लेकर शिक्षा तक के क्षेत्रों में तकनीक-सक्षम विकास पर चर्चा होगी तथा इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका भारत की है।
(ग) करत-करत अभ्यास्त्र के जहुमति होत सुजान
- सुक्षित का आक्सय
- जीवन में अभ्याय का महत्त्व
- सफलता का मूलम्मत्र
उत्तर :
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
‘करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान’ सूक्ति का आशय यह है कि बार-बार किसी कार्य को करने से या कोई अभ्यास निरंतर करने से अयोग्य से अयोग्य व मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति भी कुशल हो जाता है। इसलिए व्यक्ति को कभी भी अभ्यास करना नहीं छोड़ना चाहिए।
किसी भी रचना में परिपक्वता अभ्यास से आती है। अभ्यास के बल पर एकलव्य प्रखर धनुर्धर, कालिदास, वाल्मीकि और तुलसीदास महाकवि, बोपदेव संस्कृत-प्राकृत के समर्थ वैयाकरण, अमिताभ बच्चन सदी के महान ‘एक्टर’ और कपिलदेव सदी के महान क्रिकेटर सिद्ध हुए।
निरंतर अभ्यास जीवन में साधना का एक रूप है, जिसका सुख साधक को स्वतः मिलता है। इसलिए हमें जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि सफलता पाने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।
उन्नति और सफलता का मूलमंत्र अभ्यास है। सफलता के लिए किया गया परिश्रम अभ्यास से ही मिलता है। एक बार किया हुआ श्रम मनवांछित फल नहीं देता, बार-बार के अभ्यास से ही फल की प्राप्ति होती है चाहे निर्माण कार्य हो, कला-कौशल को सीखना हो, किसी लक्ष्य तक पहुँचना हो अथवा विद्याध्ययन हो। इन सबको प्राप्त करने के लिए सर्वत्र अभ्यास की आवश्यकता है। यहाँ तक कि प्रतिभावान व्यक्ति भी यदि अभ्यास न करे तो वह आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए हमें सफलता प्राप्त करने के लिए निरंतर अभ्यास करते रहना चाहिए।
प्रश्न 15.
आप विद्यालय के हिंदी संघ के सचिव रजत चट्टोपाध्याय और श्वेता बट्टोपाध्याय हैं। अपने वियालय के प्रधानाधार्य को पत्र लिखिए जिसमें पुस्तकालय में हिंदी की अच्ची पुस्तके व पत्रिकाएँ मैगवाने के लिए निवेदन किया गया हो। (5 x 1 = 5)
अथवा
आप शौर्य शर्मा/शारवी शर्मा हैं। नवभारत टाइम्स के संपादक को पत्र लिखिए जिसमें सझक दुर्घटनाओं को रोकने के सुझाव हों।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 20 जनवरी, 20XX
सेवा में,
प्रधानाचार्य जी
डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल
दरियागंज
नई दिल्ली
विषय पुस्तकालय में हिंदी की अच्छी पुस्तकें व पत्रिकाएँ मँगवाने हेतु पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय के हिंदी संघ का सचिव हूँ और मैंने पुस्तकालय की पुस्तकों को देखा है। जिनसे मुझे यह ज्ञात हुआ है कि पुस्तकालय में ज्ञान-विज्ञान व खेल संबंधी हिंदी की पुस्तक और पत्रिकाओं का अभाव है। यहाँ अंग्रेजी की अनेक पुस्तक तथा पत्रिकाएँ आती हैं, लेकिन कई बच्चे अंग्रेजी नहीं समझ पाते हैं। तो उनके लिए पुस्तकालय में हिंदी की पुस्तक और पत्रिकाओं का होना आवश्यक है।
अतः मेरा आपसे अनुरोध है कि पुस्तकालय में हिंदी की अच्छी पुस्तकें तथा पत्रिकाएँ नियमित रूप से मँगवाई जाएँ, ताकि अधिक-से-अधिक छात्र उनको पढ़कर ज्ञान ग्रहण कर सकें।
सधन्यवाद।
भवदीय
रजत चट्टोपाध्याय
अथवा
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 28 फरवरी, 20XX
सेवा में,
संपादक महोदय
नवभारत टाइम्स
दिल्ली।
विषय सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के संबंध में।
महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के द्वारा सरकार और समाज का ध्यान सड़क दुर्घटनाओं की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। आशा है कि आप इसे जनहित में अवश्य प्रकाशित करेंगे। इन दिनों सभी जगहों पर सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ गई है और वाहन चालक यातायात नियमों का उल्लंघन करते हैं।
मेरा आपसे अनुरोध है कि आप मेरी बातों को सरकार तथा जनता तक पहुँचाने का कष्ट करें। प्रातः 8: 00 से 12: 00 बजे तक और शाम को
5: 00 से 8:00 बजे तक सभी व्यस्त चौराहे पर यातायात पुलिस के सिपाही तैनात रहें व नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों का चालान काटें और उन्हें सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली हानि के विषय में बताएँ।
अतः मेरा सभी लोगों से अनुरोध है कि वाहन की गति सीमा निर्धारित रखें और अपने साथ-साथ दूसरों की भी जिंदगी बचाएँ। सधन्यवाद।
भवदीय
शौर्य शर्मा
प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किसी एक विष्य पर लगभग 60 शब्धों में सूचना लिखिए। (4 x 1 = 4)
विद्यालय द्वारा चिकित्सा जाँच शिविर का आयोजन किया जा रहा है। स्वास्थ्य संगठन के सचिव होने के नाते कक्षा छठी से बारहवीं तक के सभी विय्यार्थियों को कार्यक्रम के विवरण सहित इसकी सूचना प्रदान कीजिए।
अधवा
संस्कृति क्लब की ओर से ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्कम को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसकी जानकारी देते हुए तथा सहभागिता के लिए प्रेरित करते हूए अध्यक्ष की और से सूचना लिखिए।
उत्तर :
बाल विकास पब्लिक स्कूल, दिल्ली दिनांक 22 फरवरी, 20xx चिकित्सा जाँच शिविर का आयोजन सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि बाल विकास पब्लिक स्कूल की तरफ से यहाँ चिकित्सा जाँच शिविर का आयोजन किया जा रहा है, जो दिनांक 25 फरवरी सुबह 9: 00 से शाम 5: 00 बजे तक चलेगा। इसमें कक्षा छठी से बारहवीं तक के सभी विद्यार्थियों की निःशुल्क चिकित्सा जाँच होगी। अतः आप सभी विद्यार्थियों से निवेदन है कि इस चिकित्सा जाँच शिविर के आयोजन का लाभ उठाएँ। सचिव |
अथवा
संस्कृति क्लब, मयूर विह्हार दिल्ली दिनांक 13 मार्च, 20XX एक भारत, श्रेष्ठ भारत कॉलोनी के सभी नगरवासियों को सूचित किया जाता है कि एम.सी.डी. पार्क में संस्कृति क्लब की ओर से ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ विषय को समझाने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम 18 मार्च से 21 मार्च तक चलेगा। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. अपूर्वा चौधरी हैं। इसलिए इच्छुक व्यक्ति शीघ्य अपना पंजीकरण कराएँ, जिसकी अंतिम तिथि 14 मार्च, 20x x है। सभी नगरवासियों से अनुरोध है कि वे कुछ समय देश-हित के लिए भी निकालें। |
प्रश्न 17.
योग को बढ़ावा देते हुए एक आकर्षक विज्ञापन लगभग 40 शब्दों में तैयार कीजिए। (3 x 1 = 3)
अथवा
अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के प्रचार-प्रसार के लिए एक आकर्षक विज्ञापन लगभग 40 शब्दों में तैयार कीजिए।
उत्तर :
अथवा
प्रश्न 18.
‘पश्चाताप’ विषय पर लघुक्था लगभग 100 शद्दों में लिखिए। (5 x 1 = 5)
अध्रवा
आपके बैंक खाते में गलती से ₹ 5,000 की राशि अधिक आ गई। इसकी जानकारी बैंक अधिकारी को ई-मेल लिखकर दीजिए।
उत्तर :
गरीबी से परेशान एक युवक अपना जीवन समाप्त करने के लिए नदी पर गया, लेकिन वहाँ एक साधु ने उसे ऐसा करने के लिए मना कर दिया। साधु ने युवक की परेशानी को सुनकर कहा मेरे पास एक विद्या है, जिससे जादुई घड़ा बन जाता है तुम जो भी इस घड़े से माँगोगे, वह तुम्हारे लिए उपस्थित हो जाएगा, परंतु जिस दिन घड़ा फूट गया, उसी समय जो कुछ भी इस घड़े ने दिया था।
वह सब अदृश्य हो जाएगा। साधु ने कहा अगर तुम दो वर्ष तक मेरे आश्रम में रहो, तो यह घड़ा मैं तुम्हें दे सकता हूँ और अगर पाँच वर्ष तक आश्रम में रहो, तो मैं यह घड़ा बनाने की विद्या तुम्हें सिखा दूँगा। तुम क्या चाहते हो? युवक ने कहा- महाराज! मैं तो दो साल ही आपकी सेवा करना चाहूँगा। मुझे तो जल्द-से-जल्द यह घड़ा चाहिए। मैं इसे बहुत सँभालकर रखूँगा कभी फूटने नहीं दूँगा। इस तरह दो वर्ष आश्रम में सेवा करने के बाद युवक ने यह जादुई घड़ा प्राप्त कर लिया और उसे लेकर अपने घर आ गया।
उसने घड़े से हर इच्छा पूरी करनी चाही और वह पूरी होती गई। घर बनवाया, महल बनवाया, नौकर-चाकर माँगे। वह सभी को अपनी धाक व वैभव-सम्पदा दिखाने लगा। उसने शराब पीना भी शुरू कर दिया। एक दिन वह जादुई घड़ा सर पर रखकर नाचने लगा। अचानक उसे ठोकर लगी और घड़ा गिरकर फूट गया। घड़ा फूटते ही सब कुछ छू-मंतर हो गया। अब युवक पश्चाताप करने लगा कि काश! मैंने घड़ा बनाने की विद्या सीख ली होती तो आज मैं फिर से कंगाल न होता। कहानी की सीख इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी भी कार्य को करने में बहुत जल्दी नहीं करनी चाहिए, जो हमारे पास है उसको सँभालकर रखना चाहिए नहीं तो पश्चाताप के अलावा कुछ भी नहीं मिलता है।
अथवा