Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 4 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 4 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-‘अ’ और ‘ब’। खंड ‘अ’ में वस्तुपरक/बहुविकल्पीय और खंड ‘ब’ में वस्तुनिष्ठ/वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
- प्रश्न-पत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए।
- खंड ‘अ’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 44 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- खंड ‘ब’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खंड ‘अ’
(बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित गद्यांश-पद्यांश, व्यावहारिक व्याकरण व पाठ्य-पुस्तक से संबंधित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहाँ एक तरफ भौतिक समृद्धि अपनी ऊँचाई पर है, तो दूसरी तरफ चारित्रिक पतन की गहराई है। आधुनिकीकरण में उलझा मानव सफलता की नित नई परिभाषाएँ खोजता रहता है और अपनी अंतहीन इच्छाओं के रेगिस्तान में भटकता रहता है। ऐसे समय में सच्ची सफलता और सुख-शांति की प्यास से व्याकुल व्यक्ति अनेक मानसिक रोगों का शिकार बनता जा रहा है। हममें से कितने लोगों को इस बात का ज्ञान है कि जीवन में सफलता प्राप्त करना और सफल जीवन जीना, यह दोनों दो अलग-अलग बातें हैं।
यह जरूरी नहीं कि जिसने अपने जीवन में साधारण कामनाओं को हासिल कर लिया हो, वह पूर्णत: संतुष्ट और प्रसन्न भी हो। अत: हमें गंभीरतापूर्वक इस बात को समझना चाहिए कि इच्छित फल को प्राप्त कर लेना ही सफलता नहीं है। जब तक हम अपने जीबन में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का सिचन नहीं करेंगे, तब तक यथार्थ सफलता पाना हमारे लिए मुश्किल ही नहीं, अपितु असंभव कार्य हो जाएगा, क्योंकि बिना मूल्यों के प्राप्त सफलता केवल क्षणभंगुर सुख के समान रहती है। यदि आप असफलता से निराश हो चुके हैं और ऐसा सोच रहे हैं कि सब कुछ यहीं खत्म हो गया तो आपको सफल व्यक्तियों के बारे में पढ़ना चाहिए। निराश और उत्साहहीन करने वाले हर विचार हमें पीछे की ओर धकेलते हैं। निराश हो जाना अथवा हिम्मत हारकर उत्साहहीन होकर बैठ जाना स्वयं के प्रति एक अपराध है। हमें अपने आपमें स्फूर्ति तथा मन में उत्साह भरते हुए स्वयं पर विश्वास करना चाहिए। कुछ
निराशावादी लोगों का कहना है कि हम सफल नहीं हो सकते, क्योंकि हमारी तकदीर या परिस्थितियाँ ही ऐसी हैं, परंतु यदि हम अपना ध्येय निश्चित करके उसे अपने मन में बिठा लें तो फिर सफलता स्वयं हमारी ओर चलकर आएगी। सफल होना हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है, परंतु यदि हम अपनी विफलताओं के बारे में ही सोचते रहेंगे, तो सफलता को कभी हासिल नहीं कर पाएँगे। अत: विफलताओं की चिता न करें, क्योंकि वे तो हमारे जीवन का सौदर्य हैं और संघर्ष जीवन का काव्य है। कई बार प्रथम आघात में पत्थर नहीं टूट पाता, उसे तोड़ने के लिए कई आघात करने पड़ते हैं, इसलिए सदैव अपने लक्ष्य को सामने रख आगे बढ़ने की जरूरत है। कहा भी गया है कि जीवन में सकारात्मक कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
(क) “विफलताओं की चिता नहीं करनी चाहिए।” प्रस्तुत कथन पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए।
1. क्योकि उनका लगातार चितन करने से सफलता कभी हासिल नहीं होगी।
2. क्योंकि विफलताएँ हमारे जीवन का सौददर्य हैं।
3. क्योंकि विफल होना अपराध है।
4. क्योंक विफलताएँ पथभ्रष्ट करती हैं।
(i) केवल 1 सही है
(ii) 1 और 2 सही हैं
(iii) 2 और 3 सही हैं
(iv) 3 और 4 सही हैं
उत्तर :
(ii) 1 और 2 सही हैं गद्यांश के अनुसार, हमें विफलताओं की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वे हमारे जीवन का सौंदर्य होती हैं तथा उनका लगातार चिंतन करने से कभी सफलता नहीं मिलती।
(ख) हम कैसे युग में जी रहे हैं?
(i) जहाँ भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होने के साथ-साथ चरित्र का पतन भी होता जा रहा है।
(ii) जहाँ हर प्रकार की सुख-सुविधाएँ हैं, तो साथ ही बहुत-सी समस्याएँ भी है।
(iii) जहाँ मनुष्य प्रतिदिन सफलता के नए-नए प्रतिमान गढ़ता जा रहा है।
(iv) जहाँ मनुष्य केवल और केवल पतनोन्मुख होता जा रहा है।
उत्तर :
(i) जहाँ भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होने के साथ-साथ चरित्र का पतन भी होता जा रह्ा है गद्धांश के अनुसार, हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहाँ एक ओर भौतिक समृद्धि अपनी ऊँचाई पर है, तो दूसरी ओर चारित्रिक पतन अपनी गहराई पर है। जहाँ भोग-विलास की वस्तुओं में वृद्धि हुई है, साथ ही लोगों के चरित्र का भी पतन हुआआ है।
(ग) जीवन में क्या आवश्यक नहीं है?
(i) सफलताओं को प्राप्त करने के बाद कोई असफल न हुआ हो
(ii) जीवन में हर मुकाम हासिल हो गया हो
(iii) जिसने जीवन में अपनी सामान्य इच्छाओं की पूर्ति कर ली हो, वह संतुष्ट और प्रसन्न भी हो
(iv) जो भौतिक रूप से समृद्ध है, वह आध्यात्मिक रूप से भी समृद्ध हो
उत्तर :
(iii) जिसने जीवन में अपनी सामान्य इच्छाओं की पूर्ति कर ली हो, वह संतुष्ट और प्रसन्न भी हो गद्यांश के अनुसार, जीवन में यह जरूरी नहीं है कि जिसने अपने जीवन में साथारण इच्छाओं को प्राप्त कर लिया हो, वह पूर्णतः संतुष्ट और प्रसन्न भी हो। कहने का तात्पर्य यह है कि इच्छाओं की कोई सीमा नहीं होती। इनकी जितनी पूर्ति होती है, ये और बढ़ जाती हैं।
(घ) गद्यांश के अनुसार वास्तविक सफलता क्या है?
(i) हर प्रकार की भौतिक व आध्यात्मिक सुख-सुविधाओं को प्राप्त करना
(ii) जीवन में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों को सिंचित करना
(iii) जीवन में सभी प्रकार की साधारण कामनाओं को हासिल करना
(iv) अपने लक्ष्य को प्राप्त करके उस पर अमल करना
उत्तर :
(ii) जीवन में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों को सिंचित करना गद्यांश के अनुसार, मनुष्य जब तक अपने जीवन में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का सिंचन नहीं करेगा, तब तक उसे वास्तविक सफलता मिलना असंभव है, क्योंकि बिना मूल्यों के प्राप्त सफलता केवल क्षणभंगुर सुख के समान होती है।
(ङ) कथन (A) मनुष्य मानसिक रोगों का शिकार होता जा रहा है।
कारण (R) मनुष्य अपने कार्य से असंतुष्ट रहता है।
(i) कथन A गलत है, कितु कारण R सही है।
(ii) कथन A और कारण R दोनों गलत है।
(iii) कथन A और कारण R दोनों सही हैं तथा कारण R कथन A की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन A और कारण R दोनों सही हैं, परंतु कारण R कथन A की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर :
(iii) कथन A और कारण R दोनों सही हैं तथा कारण R कथन A की सही व्याख्या करता है मनुष्य असंतुष्ट होने के कारण मानसिक रोगों का शिकार होता जा रहा है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांशों पर आधारित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी,
मरो, परंतु यों मरो कि याद जो करें सभी।
हुई न यों सु-मृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए,
मरा नहीं वही कि जो जिया न आपके लिए।
वही पशु प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
उसी उदार की कथा सरस्वती बखानती,
उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मानती।
उसी उदार की सदा सजीव कीर्ति कूजती,
तथा उसी उदार को समस्त सृष्टि पूजती।
अखंड आत्मभाव जो असीम विश्व में भरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
क्षुधार्थ रंतिदेव ने दिया करस्थ थाल भी,
तथा दधीचि ने दिया परार्थ अस्थिजाल भी।
उशीनर शिवि ने स्वमांस दान भी किया,
सहर्ष वीर कर्ण ने शरीर-चर्म भी दिया।
अनित्य देह के लिए अनादि जीव क्यों डरे?
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
(क) इस कविता का केंद्रीय भाव यह है कि ………….
(i) अपने स्वार्थ की पूत्ति हेतु कार्य करने चाहिए।
(ii) मनुष्य को हमेशा परोपकार के कार्य करते रहना चाहिए।
(iii) जरूरतमंदों के लिए सहानुभूति का भाव नहीं रखना चाहिए।
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) 2 और 4 सही हैं प्रस्तुत काव्यांश के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि मनुष्य को हमेशा परोपकार के कार्य करते रहना चाहिए। परोपकारी मनुष्य का यश हमेशा बना रहता है।
(ख) ‘वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे’ का अर्थ है कि
(i) वास्तविक मनुष्य वही है, जो अपने लिए जीता है
(ii) वास्तविक मनुष्य वही है, जो दूसरों के लिए जीता है
(iii) वास्तविक मनुष्य वही है, जो केवल अपने स्वार्थ सिद्ध करता है
(iv) वास्तविक मनुष्य वही है, जो भौतिक वस्तुओं की चाह रखता है
उत्तर :
(ii) वास्तविक मनुष्य वही है, जो दूसरों के लिए जीता है प्रस्तुत पंक्ति का अर्थ है कि वास्तविक मनुष्य वही होता है, जो दूसरों की चिंता करता है, उनके काम आता है तथा उनके लिए जीता है।
(ग) काव्यांश के आधार पर बताइए कि कैसे व्यक्तियों की कथा स्वयं सरस्वती बखानती हैं?
(i) आत्मसम्मानी व्यक्तियों की
(ii) उदार व्यक्तियों की
(iii) अहंकारी व्यक्तियों की
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) उदार व्यक्तियों की काव्यांश में बताया गया है कि जो व्यक्ति दूसरों के लिए परोपकार की भावना रखता है तथा समय पड़ने पर उनकी सहायता करता है, ऐसे उदार व्यक्तियों की क्था स्ययं सरस्वती बखानती हैं।
(घ) कवि ने दर्धीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों के उदाहरण से क्या संदेश दिया है?
(i) अहंकार और स्वार्थ मनुष्य के लिए आवश्यक हैं
(ii) वीरता और शक्ति का कोई पर्याय नहीं होता
(iii) त्याग और बलिदान सर्वश्रेष्ठ होता है
(iv) मनुष्य को यश की कामना करनी चाहिए
उत्तर :
(iii) त्याग और बलिदान सर्वश्रेष्ठ होता है कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर त्याग और बलिदान का संदेश दिया है। उन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए त्याग दिया तथा अपना सर्वस्व उनकी सेवा में न्योछावर कर दिया।
(ङ) कथन (A) महापुरुषों को आज भी याद किया जाता है।
कारण (R) महान व्यक्तियों ने अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए त्याग दिया।
(i) कथन A गलत है, किंतु कारण R सही है।
(ii) कथन A और कारण R दोनों गलत हैं।
(iii) कथन A और कारण R दोनों सही हैं तथा कारण R कथन A की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन A और कारण R दोनों सही है, परंतु कारण R कथन A की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर :
(iii) कथन A और कारण R दोनों सही हैं तथा कारण R कथन A की सही व्याख्या करता है महापुरुषों को आज भी याद किया जाता है, क्योंकि उन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों के लिए त्याग दिया।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘नेताजी का भाषण समाप्त होने पर लोग घर को चले गए।’ इसका संयुक्त वाक्य होगा
(i) नेताजी का भाषण समाप्त हुआ और लोग घर चले गए।
(ii) जब नेताजी का भाषण समाप्त हुआ तब लोग घर चले गए।
(iii) नेताजी के भाषण समाप्त होने पर लोग घर चले गए।
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) नेताजी का भाषण समाप्त हुआ और लोग घर चले गए।
(ख) ‘हम लोगों को दर्शन करने थे, इसलिए हम मंदिर गए।’ इसका मिश्रित वाक्य होगा
(i) दर्शन करने के उद्देश्य से हम मंदिर गए।
(ii) हमें दर्शन करने थे, इसलिए हम मंदिर गए।
(iii) हम लोग मंदिर इसलिए गए, क्योंकि हम लोगों को दर्शन करने थे।
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर :
(iii) हम लोग मंदिर इसलिए गए, क्योंकि हम लोगों को दर्शन करने थे
(ग) ‘प्रिया बाजार गई। वहाँ से सेब लाई।’ इसका सरल वाक्य होगा
(i) प्रिया बाज़ार गई और वहाँ से सेब लाई।
(ii) प्रिया बाजार जाकर वहाँ से सेब लाई।
(iii) प्रिया सेब लाई जब वह बाजार गई।
(iv) जब प्रिया बाजार गई तो वहाँ से सेब लाई।
उत्तर :
(ii) प्रिया बाजार जाकर वहाँ से सेब लाई
(घ) निम्नलिखित वाक्यों में मिश्र वाक्य पहचानकर नीचे दिए गए सबसे सही विकल्प को चुनिए
1. उसने कहा कि वह बहुत बुद्धिमान है।
2. वर्षा होने के कारण वह देर से घर पहुँचा।
3. हम कल यहाँ से जाकर ताजमहल देखेंगे।
4. उसने स्वयं को बुद्धिमान कहा।
कूट
(i) केवल 1 सही है
(ii) 1 और 2 सही हैं
(iii) 2 और 3 सही हैं
(iv) 3 और 4 सही हैं
उत्तर :
(i) केवल 1 सही है
(ङ) सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. सूर्योदय होने पर कुहासा जाता रहा। | 1. संयुक्त वाक्य |
B. जैसे ही सूर्योदय हुआ वैसे ही कुहासा जाता रहा। | 2. सरल वाक्य |
C. सूर्योदय हुआ और कुहासा जाता रहा। | 3. मिश्र वाक्य |
उत्तर :
(ii) A-2, B-3, C-1
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. मेरे द्वारा यह किताब नहीं पढ़ी जाती है। | 1. कर्तृवाच्य |
B. मैं यह किताब नहीं पढ़ सकूँगा। | 2. भाववाच्य |
C. मुझसे यह किताब नहीं पढ़ी जा सकेगी। | 3. कर्मवाच्य |
कूट
A B C
(i) 3 2 1
(ii) 2 3 1
(iii) 1 2 3
(iv) 3 1 2
उत्तर :
(iv) A-3, B-1, C-2
(ख) कर्मवाच्य का उदाहरण है
(i) अध्यापक द्वारा कक्षा में पढ़ाया जाता है।
(ii) अध्यापक कक्षा में पढ़ाता था।
(iii) अध्यापक कक्षा में पढ़ा सकता है।
(iv) अध्यापक कक्षा में पढ़ाता है।
उत्तर :
(i) अध्यापक द्वारा कक्षा में पढ़ाया जाता है
(ग) कर्तृवाच्य का उदाहरण है
(i) आइए, कहीं चला जाए।
(iii) उससे कहीं नहीं चला जाता।
(ii) मजदूरों द्वारा दो वर्ष में यह पुल तैयार किया गया।
(iv) दुकानदार द्वारा उचित मूल्य लिया गया।
उत्तर :
(ii) दुकानदार ने उचित मूल्य लिया
(घ) ‘हम गा नहीं सकते।’ इसका भाववाच्य होगा
(i) हमसे गाया नहीं जा सकता।
(ii) दुकानदार ने उचित मूल्य लिया।
(iii) हमारे द्वारा गाया गया।
(iv) हमने गाया।
उत्तर :
(i) हमसे गाया नहीं जा सकता
(ङ) ‘मजदूरों ने दो वर्ष में यह पुल तैयार किया।’ इसका कर्मवाच्य होगा
(i) मजदूरों से दो वर्ष में पुल तैयार हुआ।
(ii) हमने नहीं गाया।
(iii) मजदूरों द्वारा यह पुल दो वर्ष में तैयार किया जा सकता है।
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) मजदूरों द्वारा दो वर्ष में यह पुल तैयार किया गया
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘पद परिचय’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) वह विश्वास के योग्य नहीं है। रेखांकित अंश का पद परिचय होगा
(i) संबंधबोधक अव्यय, संबंधी शब्द ‘वह’ और ‘विश्वास’
(ii) गुणवाचक विशेषण, एकवचन, पुल्लिग, ‘वह’ विशेष्य
(iii) समुच्चयबोधक अव्यय, संबंधी शब्द ‘वह’ और ‘विश्वास’
(iv) क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘है’
उत्तर :
(i) संबंधबोधक अव्यय, संबंधी शब्द ‘वह’ और ‘विश्वास’
(ख) हम सभी बाहर जा रहे हैं। रेखांकित अंश का पद परिचय होगा
(i) अनिश्चयवाचक सर्वनाम, कर्म कारक, स्त्रीलिंग, बहुवचन, ‘जा रहे हैं क्रिया का कत्ता
(ii) अनिश्चयवाचक सर्वनाम, कर्ता कारक, पुल्लिग, बहुबचन, ‘जा रहे हैं क्रिया का कर्ता
(iii) पुरुषवाचक सर्वनाम, कर्ता कारक, पुल्लिग, बहुवचन, ‘जा रहे हैं क्रिया का कर्ता
(iv) पुरुषवाचक सर्वनाम, कत्ता कारक, स्त्रीलिंग, बहुवचन, ‘जा रहे हैं’ क्रिया का कर्ता
उत्तर :
(iii) पुरुषवाचक सर्वनाम, कर्ता कारक, पुल्लिग, बहुवचन, ‘जा रहे हैं’ क्रिया का कर्ता
(ग) इसके चलते ही मैं दो-एक बार उनके कोप से बच गई थी। रेखांकित अंश का पद परिचय होगा
(i) परिमाणवाचक विशेषण, पुल्लिग, विशेष्य ‘कोप’
(ii) संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिग, विशेष्य ‘कोप’
(iii) गुणवाचक विशेषण, पुल्लिग, विशेष्य ‘कोप’
(iv) सार्वनामिक विशेषण, पुल्लिग, विशेष्य ‘कोप’
उत्तर :
(iv) सार्वनामिक विशेषण, पुल्लिग, विशेष्य ‘कोप’
(घ) अचानक वर्षा होने लगी। रेखांकित अंश का पद परिचय होगा
(i) स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘होने लगी’
(ii) कालवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘होने लगी’
(iii) रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘होने लगी’
(iv) परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘होने लगी’
उत्तर :
(iii) रीतियाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘होने लगी’
(ङ) वह बहुत सुंदर लझकी है। यहाँ तो बहुत पानी फैला है। दोनों वाक्यों के ‘बहुत’ का सामान्य पद परिचय होगा
(i) पहला बहुत-प्रविशेषण, दूसरा बहुत-अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ii) पहला बहुत-प्रविशेषण, दूसरा बहुत-अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(iii) पहला बहुत-अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण, दूसरा बहुत-प्रविशेषण
(iv) पहला बहुत-अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण, दूसरा बहुत-क्रिया-विशेषण
उत्तर :
(ii) पहला बहुत-प्रविशेषण, दूसरा बहुत-अनिश्चित परिमाणवायक विशेषण
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो करै, बढ़े अँधेरो होय।।
इन काव्य-पंवित्तों में प्रयुक्त अलंकार है’
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(i) श्लेष इन काव्य-पंक्तियों में ‘बारे’ और ‘बढ़े’ के दो अर्थ हैं। ‘बारे’ के दोनों अर्थ ‘जलने पर ‘ तथा ‘बचपन’ और ‘बदे’ के दोनों अर्थ ‘बड़ा होने पर’ तथा ‘बुझने पर’ है। अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।
(ख) ‘मंगन को देखि पटे देत बार-बार है।’ इस काव्य-पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(i) श्लेष इस काव्य-पंक्ति में पट के दो अर्थ हैं, पहला अर्थ है-ब्यक्तिवाचक को देखकर बार-बार वस्त्र देता है तथा दूसरा अर्थ है कि याचक को देखते ही दरवाजा बंद कर लेता है।
(ग) ‘ले चला साथ मैं तुझ्शे कनक। ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।।
इन काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(ii) उत्प्रेक्षा प्रस्तुत पंक्तियों में कनक का अर्थ धतूरा है। कवि कहता है कि वह धतूरे को ऐसे ले चला मानो कोई रिक्षुक सोना ले जा रहा हो। इसमें ज्यों शब्द का अर्थ प्रयोग हुआ है एवं कनक-उपमेय में तथा स्वर्ण उपमान के होने की कल्पना हो रही है। इसका कारण यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(घ) ‘देख लो साकेत नगरी है यही, स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही। इन काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(iv) अतिशयोक्ति यहाँ साकेत नगरी का वर्णन बढ़ा-चढ़ाकर किया गया है। अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
(ङ) फाग गाता मास फागुन हैं कई पतर किनारे पी रहे चुप-चाप पक्षी.प्यास जाने कब बुझेगी।’ इन काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(iii) मानवीकरण यहाँ फागुन मास को फाग गाता हुआ तथा पत्थरों को पानी पीते दिखाया गया है। अतः जड़ वस्तुओं में मानवीय क्रियाओं के आरोप के कारण यहाँ मानवीकरण अलंकार है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
आसाढ़ की रिमझिम है। समूचा गाँव खेतों में उतर पड़ा है। कहीं हल चल रहे हैं, कहीं रोपनी हो रही है। धान के पानी-भरे खेतों में बच्चे उछल रहे हैं। औरतें कलेवा लेकर मेंड़ पर बैठी हैं। आसमान बादल से घिरा, धूप का नाम नहीं है, ठंडी पुरवाई चल रही है। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर-तरंग झंकार-सी कर उठी। यह क्या है-यह कौन है! यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े, अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अंगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्ध, खेत में बिठा रही है। सनका कंठ एक-एक शब्द को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर! बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं, गेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं, वे गुनगुनाने लगती हैं, हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं, रोपनी करने वालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं! बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू!
(क) गद्यांश के आधार पर बताइए कि भगत के संगीत के जादू का प्रभाव किस पर और क्या पड़ता है?
(i) हलवाहों के पैर उनके संगीत की लय पर उठने लगते हैं
(ii) बच्चे खेलते हुए झूमने लगते हैं
(iii) मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंड काँप उठते हैं
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी भगत के संगीत के जादू के प्रभाव से हलवाहों के पैर उनके संगीत की लय पर उठने लगते हैं, खेलते हुए बच्चे झूमने लगते हैं और मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ कापप उठते हैं। इस प्रकार, बालगोबिन भगत का संगीत संपूर्ण वातावरण को मुग्ध कर देता है।
(ख) गद्यांश के अनुसार बालगोबिन भगत इस समय क्या कार्य कर रहे हैं?
(i) मेंड़ पर बैठकर गीत गा रहे हैं
(ii) अपने खेत में धान की रोपनी कर रहे हैं
(iii) अपने खेत में पानी दे रहे हैं
(iv) अपने खेत में हल चला रहे हैं
उत्तर :
(ii) अपने खेत में धान की रोपनी कर रहे हैं गद्यांश के अनुसार बालगोबिन भगत इस समय अपने खेत में धान की रोपनी कर रहे हैं। वे कीचड़ में लथपथ हैं।
(ग) बालगोबिन भगत के संगीत की क्या विशेषता है?
(i) उनका संगीत लय-तालबद्ध नहीं है
(ii) उनका संगीत सामान्यजन को प्रभावित नह़ी कर पाता
(iii) उनका संगीत प्रत्येक व्यक्ति को रोमांचित व मुग्ध कर देता है
(iv) उनके संगीत में मन को हरने की शक्ति नहीं है
उत्तर :
(iii) उनका संगीत प्रत्येक व्यक्ति को रोमांचित व मुग्ध कर देता है बालगोबिन भगत का संगीत प्रत्येक व्यक्ति को रोमांचित व मुग्ध कर देता है, जिसके कारण वह व्यक्ति भगत के संगीत की ताल पर ही अपना कार्य करने लगता है।
(घ) भगत अपने संगीत का प्रभाव बढ़ाने के लिए क्या करते थे?
(i) स्वर को ऊँचा करते थे
(ii) स्वर को नीचा करते थे
(iii) स्वर को ऊँचा-नोचा करते थे
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(iii) स्वर को ऊँचा-नीचा करते थे भगत अपने संगीत का प्रभाव बढ़ाने के लिए स्वर को कभी ऊँचा करते व कभी नीचा करते थे।
(ङ) बालगोबिन भगत की कवीर पर अगाध श्रद्ध के क्या कारण थे?
(i) आदर्शों को व्यवहार में उतारना
(ii) सामाजिक कुरीतियों का विरोध करना
(iii) कबीर का आडंबरों से रहित सादा जीवन
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी बालगोबिन भगत की कबीर पर अगाध भ्रद्धा के कई कारण हैं; जैसे-आदर्शों को व्यवहार में उतारना, सामाजिक कुरीतियों का विरोध करना, कब्बीर का आंंबरों से रहित सादा जीवन जीना।
प्रश्न 8.
क्षितिज के गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 2 = 2)
(क) निम्नलिखित रचनाओं को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. नेताजी का चश्मा | 1. यशपाल |
B. बालगोबिन भगत | 2. स्वयं प्रकाश |
C. लखनवी अंदाज | 3. मन्नू भण्डारी |
D. एक कहानी यह भी | 4. रामवृक्ष बेनीपुरी |
कूट
A B B C
(i) 1 2 3 4
(ii) 2 4 1 3
(iii) 4 3 2 1
(iv) 2 4 3 1
उत्तर :
(ii) A-2, B-4, C-1, D-3 सही उत्तर है ‘बालगोबिन भगत’ पाठ के लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी हैं। इसी प्रकार ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के लेखक स्वयं प्रकाश, ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के लेखक यशपाल तथा ‘एक कहानी यह भी पाठ’ की लेखिका मन्नू भंडारी हैं।
(ख) नवाब साहब को खीरा काटते हुए देखकर लेखक क्या सोच रहे थे?
(i) खीरा देखने में तो लजीज लग रहा है
(ii) मियाँ रईस बनते हैं, लेकिन लोगों से बचने के विचार में असलियत पर उत्तर आए हैं
(iii) खीरे में नमक-मिर्च डालने से खीरा पनिया गया है
(iv) नवाबों के शौक भी अजीब होते हैं
उत्तर :
(ii) मियाँ रईस बनते हैं, लेकिन लोगों से बचने के विचार में असलियत पर उतर आए हैं नवाब साहब को खीरा काटते हुए देखकर लेखक यह सोच रहे थे कि मियाँ रईस बनते हैं, लेकिन लोगों से बचने के विचार में असलियत पर उतर आए हैं।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित पद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
नाथ संभुधनु भंजनिहारा।
होइहि केठ एक दास तुम्हारा॥
आयेसु काह कहिअ किन मोही।
सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही।।
सेवकु सो जो करै सेवकाई।
अरिकरनी करि करिअ लराई।
सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा।
सहसबाहु सम सो रिपु मोरा।।
सो बिलगाउ बिहाइ समाजा।
न त मारे जैहहिं सब राजा।।
सुनि मुनिबचन लखन मुसुकाने।
बोले परसुधरहि अवमाने॥
बहु धनुही तोरी लरिकाईं।
कबहुँ न असि रिस कीन्हि गोसाई।।
येहि धनु पर ममता केहि हेतू।
सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू।।
(क) परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए राम ने उनसे क्या कहा?
(i) धनुष तोड़ने वाला कोई राजकुमार है
(ii) घनुष तोड़ने वाला आपका कोई सेवक होगा
(iii) धनुष तोडने वाला आपका कोई मित्र होगा
(iv) यह धनुष अपने आप दूट गया
उत्तर :
(ii) धनुष तोड़ने वाला आपका कोई सेवक होगा परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए राम ने उनसे कहा कि धनुष तोड़ने वाला आपका कोई सेवक होगा।
(ख) स्वयंवर में जो धनुष टूट गया था, वह किसका था?
(i) राजा जनक का
(ii) राम जी का
(iii) विष्णु जी का
(iv) परशुराम जी के आराध्य शिवजी का
उत्तर :
(iv) परशुराम जी के आराध्य शिवजी का स्वयंवर में जो धनुष टूट गया था, वह परशुराम जी के आराध्य शिवजी का था। अपने आराध्य का धनुष टूटने के कारण परशुराम क्रोधित हो गए थे।
(ग) शिव-धनुष टूटने पर परशुराम क्रोधित क्यों हुए?
(i) परशुराम शिव-भक्त थे और उन्हें शिव-धनुष प्रिय था
(ii) उन्हें सीता-स्वयंवर में आमंत्रित नहीं किया गया था
(iii) वे क्षत्रिय कुल के विद्रोही थे
(iv) परशुराम जी क्रोधी स्वभाव के थे
उत्तर :
(i) परशुराम शिक-भक्त थे और उन्हें शिक्धनुष प्रिय था शिव-धनुष टूटने पर परशुराम क्रोधित इसलिए हो गए थे, क्योंकि परशुराम जी शिक-भक्त थे और उन्हें शिव-धनुष प्रिय था। प्रिय वस्तु के टूटने पर क्रोध आना स्वाभाविक है। वे इस धनुष को कोई सामान्य धनुष नहीं समझते थे।
(घ) ‘सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू’ इस पंक्ति में ‘भृगुकुलकेतू’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है?
(i) लक्ष्मण के लिए
(ii) राजा जनक के लिए
(iii) परशुराम के लिए
(iv) विश्वामित्र के लिए
उत्तर :
(iii) परशुराम के लिए प्रस्तुत पंक्ति में ‘ भृगुकुलकेतू ‘ शब्द का प्रयोग परशुराम के लिए किया गया है। भृगुकुलकेतू का अर्थ है- भृगुवंश के पताका रूप परशुराम।
(ङ) शिव-थनुष तोड़ने वाले की तुलना परशुराम ने किससे की है?
(i) अपने शत्रु कर्ण से
(ii) अपने शत्तु सहसबाहु से
(iii) अपने शत्रु वशिष्ठ मुनि से
(iv) अपने शत्तु राजा जनक से
उत्तर :
(ii) अपने शत्रु सहग्रबाहु से शिय-थनुष तोड़ने वाले की तुलना परशुराम ने अपने शत्रु सहख्रबाहु से की है। परशुराम जी कहते हैं कि हे राम! मेरी बात सुनो जिसने भगवान शिव के इस धनुष को तोड़ा है, वह सहसबाहु के समान मेरा शतु है। वह इस समाज को छोड़कर शीघ ही अलग हो जाए।
प्रश्न 10.
पाठ्यपुस्तक में निध्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 2 = 2)
(क) ‘उत्साह’ कविता में कवि ने बादलों को किस रूप में प्रस्तुत किया है?
(i) नवयुवा के रूप में
(ii) क्रांति के सूचक के रूप में
(iii) काले बालों के रूप में
(iv) खिलते फूल के रूप में
उत्तर :
(ii) क्रांति के सूचक के रूप में ‘उत्साह’ कविता में कवि ने बादलों को क्रांति के सूचक के रूप में प्रस्तुत किया है।
(ख) श्रीराम शिव-द्वारा धनुष के टूटने के विषय में लक्ष्मण ने परशुराम को क्या सफाई पेश की?
(i) धनुष की डोरी छोटी होने के कारण प्रत्यंचा चढ़ाते हुए टूट गया
(ii) पुराना होने के कारण वह धनुष जर्जर हो गया था, इसलिए टूट गया
(iii) धनुष अधिक भारी था, इसलिए प्रत्यंचा चढ़ाते हुए टूट गया
(iv) श्रीराम ने तो इसे केवल हुआ था, पर यह छूते ही टूट गया फिर इसमें श्रीराम का क्या दोष
उत्तर :
(iv) श्रीराम ने तो इसे केवल छुआ था, पर यह छूते ही टूट गया फिर इसमें श्रीराम का क्या दोष लक्ष्मण ने शिव-धनुष के टूटने के विषय में परशुराम को सफाई दी कि शीराम ने तो इसे केवल छुआ था, पर यह छूते ही टूट गया फिर इसमें श्रीराम का क्या दोष।
खंड ‘ब’
(वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 11.
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में जब मूर्ति बनाने का कार्य किसी स्थानीय कलाकार को देने का निश्चय हुआ होगा, तो मास्टर मोतीलाल ने लोगों को क्या विश्वास दिलाया होगा? उन्होंने ‘पटक देना’ शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में किया?
उत्तर :
‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में जब मूर्ति बनाने का कार्य किसी स्थानीय कलाकार को देने का निश्चय हुआ होगा, तो मास्टर मोतीलाल ने लोगों को विश्वास दिलाया होगा कि महीने भर में वह मूर्ति बनाकर ‘पटक’ देगा। उन्होंने ‘पटक देना’ शब्द का प्रयोग इसलिए किया कि वह जैसे भी हो, किसी भी प्रकार की व्यवस्था करके मूर्ति को महीने भर में बनाकर नगरपालिका को सौंप देंगे।
(ख) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के लेखक को कल्पना करते रहने की पुरानी आदत क्यों रही होगी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक को कल्पना करते रहने की पुरानी आदत इसलिए रही होगी, क्योंकि वह एक कहानीकार था और नई-नई कल्पनाएँ करते हुए अनेक कहानियों की रचना कर चुका था। अपनी इसी आदत के कारण वह नवाब साहब की आँखों में आए असंतोष के भाय के कारण को जानने की कोशिश करने लगा।
(ग) ‘बालगोबिन भगत’ पाठ के आधार पर बताइए कि आषाढ़ माह में गाँव के वातावरण में क्या परिवर्तन होते थे?
उत्तर :
आषाढ़ का महीना आते ही बारिश शुरू हो जाती थी। ठंडी हवाएँ चलने लगती थीं, चारों ओर हरियाली छाने लगती थी एवं फसलें लहलहाने लगती थीं। खेतों में पानी भर जाने से किसान धान की रोपाई करने लगते थे एवं प्रत्येक व्यक्ति प्रसन्न हो जाता था। वर्षा के कारण मौसम अच्छा हो जाने से मनुष्य, पशु और पक्षी सभी प्रसन्न हो उठते थे। इसी बीच त्योहार भी शुरू हो जाते थे, जिससे वातावरण में खुशी-ही-खुशी दिखाई देने लगती थी, इसलिए गाँव का सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ माह के शुरू होते ही उल्लास से भर जाता था।
(घ) ‘एक कहानी यह भी’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखिका के मन में उपजी हीनता की ग्रंथि का क्या परिणाम हुआ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पिता द्वारा लेखिका की अपनी बहन सुशीला से तुलना करने का यह दुष्परिणाम हुआ कि उसने लेखिका के मन में हीन-भावना भर दी। प्रतिष्ठा, सम्मान और नाम पाने के बाद भी उस हीन-भावना ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। जब कोई उसकी प्रशंसा करने लगता है, तो वह संकोच से स्वयं को लज्जित अनुभव करने लगती और उसे अपनी उपलब्धि पर हमेशा शंका ही बनी रहती।
प्रश्न 12.
निंर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ में पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ में जब राम ने परशुराम से कहा कि धनुष तोड़ने वाला कोई आपका सेवक ही होगा, तब परशुराम ने व्यंग्यपूर्वक विरोध करते हुए कहा, शत्रुता का कार्य करने में सेवक-भाव नहीं होता। लक्ष्मण के यह कहने पर कि सभी धनुष तो एक जैसे ही होते हैं, आप तो अकारण ही क्रोधित हो रहे हैं, तब परशुराम ने लक्ष्मण के यचन सुनकर अपने फरसे (एक प्रकार की तेज धार की कुल्हाड़ी) को दिखाते हुए कहा कि यह बालक कौन है, यह तो मारे जाने योग्य है। राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद में ऐसे अनेक व्यग्यों का अनूठा सौंदर्य व्याप्त है।
(ख) “ऊथौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत थारण” पंक्ति के द्वारा गोपियाँ क्या बताना चाहती हैं? ‘सूरदास के पदों’ के आधार पर बताइए।
उत्तर :
गोपियाँ प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से उद्धव एवं कृष्ण को यह बताना चाहती हैं कि पहले के लोग अर्थात् प्राचीन राजा बहुत भले होते थे, जो दूसरों की भलाई करने के लिए इधर-उधर दौड़ा करते थे, परंतु उद्धव द्वारा लाए गए योग के संदेश को सुनकर न तो अब उद्ध्रव पर विश्वास रहा और न ही भीकृष्षण पर।
(ग) कवि बादल से फुहार या रिमझिम बरसने की जगह ‘गरजने’ के लिए क्यों कहता है? ‘उत्साह कविता के आथार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘उत्साह’ कविता में कवि ने बादलों को क्रांति के सूचक के रूप में प्रस्तुत किया है। समाज में कभी-भी क्रांति बादलों की फुहार या रिमझिम बरसने अर्थात् कोमल या मृदु भावों से नहीं आती, अपितु उसके लिए गरजने अर्थात् विध्यंस की आवश्यकता होती है। इसलिए कवि नव सृष्टि के निर्माण के लिए बादलों से गरजने के लिए कहता है।
(घ) ‘संगतकार’ कविता के आधार पर संगतकार मुख्य गायक का साथ देते समय उसे क्या-क्या याद दिलाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
संगतकार मुख्य गायक का साथ देते समय अप्रत्यक्ष रूप से उसे कुछ बाते याद दिलाता है। कई बार जब मुख्य गायक स्थायी या टेक को छोड़कर अंतरे का चरण पकड़ता है और तानों के जंगल में खो जाता है या अपने सरगम को लाँघकर एक अनहद में भटक जाता है, तब संगतकार ही गाने के स्थायी को पकड़े रहता है। ऐसा लगता है जैसे वह उसे उसका बचपन याद दिला रहा हो कि जब वह संगीत सीख रहा था और सरगम के स्वर से भटक जाया करता था।
प्रश्न 13.
पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50 -60 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) अपने बच्चों के प्रति माँ का ममत्व उनके प्रत्येक क्रिया-कलाप से झलकता है। भोलानाथ की माँ उसके भरपेट खाना खाने के बाद भी उसे थोड़ा और खिलाने का हठ करती थी। ‘माता का अँचल’ अध्याय में आए भोजन खिलाने वाले इस प्रसंग का उदाहरण देते हुए अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
भोलानाथ के भरपेट खाना खाने के बाद भी उसकी माँ उसे थोड़ा और खिलाने का हठ करती थी। वह उसके बाबूजी से कहती थी कि आप तो चार-चार दाने के कौर बच्चे के मुँह में देते जाते हो, इससे वह थोड़ा खाने पर भी यह समझ लेता है कि बहुत खा चुका। आप खिलाने का ढंग नहीं जानते। बच्चे को भर-मुँह कौर खिलाना चाहिए। मॉ के हाथ से खाने पर ही बच्चों का पेट भरता है। माँ के ऐसे व्यवहार से स्पष्ट होता है कि वह अपने बच्चे के प्रति अत्यधिक ममत्व (ममता) का भाव रखती है।
(ख) लोंग स्टॉक पर घूमते चक्र के बारे में पूछा तो यह बताया कि यह चक्र है इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। इससे भारत की आत्मा एक-सी क्यों दिखी? ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर :
लोंग स्टोंक के घूमते चक्र के बारे में जितेन ने बताया कि यह ‘धर्म चक्र’ है, इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। लेखिका को लगा कि मैदानी क्षेत्र में भी ऐसी अनेक मान्यताएँ और विश्वास प्रचलित हैं; जैसे-गंगा नदी को पतितपावनी माना जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि मैदान हो या पहाड़, वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद इस देश की आत्मा एक जैसी है। यहां के लोगों की आस्थाएँ, अंधविश्वास, पाप-पुण्य की अकधारणाएँ और कल्पनाएँ एक जैसी हैं।
(ग) लेखन से जुड़े कलाकारों को बाहरी दबाव प्रभावित करता है। क्या यह अन्य क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों को भी प्रभावित करता है? ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
बाहरी दबाव सभी प्रकार के कलाकारों को प्रभावित करते हैं। उदाहरणतः अधिकतर गायक, नर्तक, अभिनेता, कलाकार आदि अपने दर्शकों, भोताओं, आयोजकों की मोंग पर कला-प्रदर्शन करते हैं। एक चित्रकार या मूर्तिकार जब किसी दूसरे चित्रकार अथवा मूर्तिकार को देखता है, जिसे सम्मान और आर्थिक लाभ भी प्राप्त होता दिखाई देता है, तो वह भी प्रभायित होकर अपनी प्रतिभा को दर्शाने का प्रयत्न और उसका व्यवसायीकरण करता है। फिल्म कलाकर को भी अकसर पूँजीपतियों एवं राजनीतिक नेताओं के दबाव में कार्य करते देखा गया है। आज स्तरहीन श्रोताओं व दर्शकों की माँग पर मंच पर फूहड़ संगीत व अभिनय परोसने वाले कलाकारों की भी कमी नहीं है।
प्रश्न 14.
त्रिम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए।
(क) ई-कचरा
संकेत बिंदु
- तात्पर्य
- ई-कचरे से समस्याएँ
- ई-कचरे का निपटान
उत्तर :
ई-कचरा
ई-कचरा आधुनिक समय की एक गंभीर समस्या है। वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफ़ी काम हो रहा है। इसके फलख्वरूप, आज नित नए-नए उन्नत तकनीक वाले इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों का उत्पादन हो रहा है। जैसे ही बाजार में उन्नत तकनीक वाला उत्पाद आता है, वैसे ही पुराने यंत्र बेकार पड़ जाते हैं। इसी का नतीजा है कि आज कंप्यूटर, लैपटॉंप, मोबाइल फोन, टीवी, रेडियो, प्रिंटर, आई-पोड्स आदि के रूप में ई-कथरा बढ़ता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार एक वर्ष में पूरे विश्व में लगभग 50 मिलियन टन ई-कचरा उत्पन्न होता है। यह अत्यंत चिंता का विषय है कि ई-कचरे का नियटान उस दर से नहीं हो पा रहा है, जितनी तेज़ी से यह उत्पन्न हो रहा है। ई-कचरे को खुले में डालने या जलाने से पर्यावरण के लिए गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों में आर्सेनिक, कोबाल्ट, मरकरी, बेरियम, लिथियम, कॉपर, क्रोम, लेड आदि हानिकारक अवयव होते हैं।
इनसे कैससर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ गया है। ई-कचरे की बढ़ती मात्रा को देख भारत सरकार ने अक्टूबर, 2016 में ई-कचरा प्रबंधन नियम बनाया था। अब समय आ गया है कि ई-कचरे के उचित निपटान और पुनः चक्रण पर ध्यान दिया जाए अन्यथा पूरी दुनिया शीघ ही ई-कचरे का ढेर बन जाएगी। इसके लिए विकसित देशों को आगे आना होगा और विकासशील देशों के साथ अपनी तकनीकों को साझा करना होगा, क्योंकि विकसित देशों में ही ई-कचरे का उत्पादन अघिक होता है और वे जब्तब चोरी-छिपे विकासशील देशों में उसे भेजते रहते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए संपूर्ण विश्व को एक्जुट होकर कार्य करना होगा।
(ख) आत्मविश्वास और सफलता
संकेत बिंदु
- भूमिका
- महत्तव
- आत्मविश्वास की पहचान
उत्तर :
आत्मविश्वास और सफलता
आत्मविश्वास एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है। आत्मविश्वास से ही विचारों की स्वाधीनता प्राप्त होती है और इसके कारण ही महान कार्यो के संपादन में सरलता और सफलता मिलती है। जो व्यक्ति आत्मविश्वास से ओत-प्रोत है, उसे अपने भविष्य के प्रति किसी प्रकार की चिंता नहीं रहती। दूसरे व्यक्ति जिन संदेह और शंकाओं से दबे रहते है, वे उनसे सदैव मुक्त रहते हैं, यह मनुष्य की आंतरिक भावना है। इसके बिना जीवन में सफल होना अनिश्चित है। छात्रों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमेशा प्रेरणा की आवश्यकता होती है और प्रेरणा से आत्मविश्वास बढ़ता है।
आत्मविश्वास सीधे हमारी सफलता से जुड़ा होता है। जितना अधिक छात्र प्रेरित होता है, उतने ही अधिक अंक वह प्राप्त कर सकता है। वर्तमान समय में यदि हमें कुछ पाना है, किसी भी क्षेत्र में कुछ करके दिखाना है, जीवन को खुशी से जीना है, तो इन सबके लिए आत्मविश्वास का होना परम आवश्यक है। आत्मविश्वास में वह शक्ति है, जिसके द्वारा हम कुछ भी कर सकते हैं। अपने ऊपर विश्वास रखकर ही हम बड़े से बड़ा कार्य कर सकते हैं और अपना जीवन सहज बना सकते हैं। मधुमक्खी कण-कण से ही शहद इकट्ठा करती है। उसे कहीं से इसका भंडार नहीं मिलता। उसके छते में भरा शहद उसके आत्मविश्वास और कठिन परिश्नम का ही परिणाम होता है।
दुनिया में ईश्वर ने सभी को अनत शक्तियाँ प्रदान की हैं। हर किसी में कोई-न-कोई विशेष गुण होता है। हमें केवल अपने अंदर के उस विशेष गुण को पहचानने तथा निखारने की आवश्यकता है। जो काम दूसरे कर सकते हैं वे काम आप क्यों नहीं कर सकते। यदि आपका अपने ऊपर विश्वास है, तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है। जरूरत है तो बस आत्मविश्वास बनाए रखने की तथा आत्मविश्यास जगाने की, क्योंकि आत्मविश्वास से ही मनुष्य जीवन के किसी भी मार्ग में सफलता प्राप्त कर सकता है। अंततः कहा जा सकता है कि आत्मविश्वास मनुष्य के अंदर ही समाहित होता है। आपको इसे कहीं से लाने की आवश्यकता नहीं होती। बस जरूरत है अपने अंदर की आंतरिक शक्तियों को इकट्ठा कर अपने आत्मविश्वास को मजबूत करने की।
(ग) प्लास्टिक मुक्त भारत
संकेत बिंदु
- भूमिका
- सरकार के फैसले
- प्लास्टिक मुक्त भारत में हमारा योगदान
उत्तर :
प्लास्टिक मुक्त भारत
आज के समय में प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण के लिए एक गंभीर संकट बन गया है और आने वाले समय में यह और भी अधिक भयावह होने वाला है। आज प्लास्टिक का उपयोग इतना अधिक होने लगा है कि यह हमारे पर्यावरण और पृथ्वी के जनजीवन पर बहुत बुरा प्रभाव डाल रहा है। प्लास्टिक वस्तुओं की बढ्ती माँग के कारण विश्वभर में प्लास्टिक का उत्पादन बढ़ता जा रहा है। भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए सरकार को अब किसी नई संस्था को प्लास्टिक उत्पाद्न की मंजूरी नहीं देनी वाहिए, ताकि प्लास्टिक के उत्पादन को नियंत्रित किया जा सके। भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए सरकार को कड़े फैसले लेने की आवश्यकता है। कुछ जरुरी कदम हैं, जिनका आवश्यक रूप से पालन किया जाना चाहिए
(i) कई देशों की सरकारों द्वारा प्लास्टिक बैग का उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है, क्योंकि इसके द्वारा ही सबसे अधिक प्लास्टिक प्रदूषण फेलता है, हालाँकि भारत जैसे कुछ देशों में इन प्रतिबंधों को सही ढंग से लागू नहीं किया गया है, विंतु यदि भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाना है, तो सरकार को प्लास्टिक बैग के उपयोग को रोकने के लिए कड़े फैसले लेने ही होंगे।
(ii) इसके साथ ही लोगों में प्लास्टिक कचरे के पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव को लेकर जागरूकता फैलाने की भी आवश्यकता है। यह कार्य टेलीविजन और रेडियो व विश्ञापनों आदि के माध्यम से आसानी से किया जा सकता है।
(iii) हम चाहे जितना भी प्रयास कर लें, परंतु प्लास्टिक उत्पादों के उपयोग को पूर्ण रूप से बंद नहीं कर सकते। लेकिन हम चाहें तो इसके उपयोग को निश्चित रूप से कम जरूर कर सकते है। भारत को प्लास्टिक मुक्त करना मात्र सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है और सरकार अकेले इस विषय में कुछ भी नहीं कर सकती। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्त्तव्य है कि प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में हम भी अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दें।
अंततः यही कहा जा सकता है कि भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को इस समस्या के निवारण के लिए आगे आना होगा और अपना बहुमूल्य योगदान देना होगा।
प्रश्न 15.
किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए।
आप गार्गी सिन्हा हैं। आपके शहर में उद्योग-धंधों की चिमनियों से निकलने वाले धुएँ एवं कोयले की राख से दम घुटता है। इस बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराने हेतु किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के संपादक को एक समाचार प्रकाशित करने का अनुरोध करते हुए लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
अथवा
आप अंकित पाराशर हैं। आप अपने मित्र को अनुशासन का हमारे जीवन में कितना महत्त्व है, समझाते हुए लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
सहारनपुर।
दिनांक 12 मार्च, 20XX
सेवा में,
संपादक महोदय
दैनिक जागरण,
दिल्ली रोड,
सहारनपुर।
विषय उद्योग-धंधों के कारण बढ़ते प्रदूषण के विषय में।
महोदय,
में आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से जनता, अधिकारियों तथा सरकार का ध्यान शहरों में कल-कारखानों के कारण होने वाले प्रदूषण की ओर आकर्षित कराना चाहती हूं। आशा है कि आप मेरे पत्र को अपने प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में प्रकाशित करेंगे। आज के आधुनिक युग में उद्योग-धंधों का प्रसार हो रहा है। इनकी चिमनियों से निकलने वाले धुएँ के कारण वायुमंडल में प्रदूषण की मात्रा बहुत बढ़ गई है। इसके अतिरिक्त औच्योगिक केंट्रों से, मशीनों से निकलने वाले कचरे से भी वायुमंडल में प्रदूषण बढ़ रहा है। प्रदूषण चाहे कैसा भी हो, स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। वायुमंडल में शुद्ध वायु की कमी विभिन्न रोगों को जन्म देती है। हमारे शहर के चारों ओर स्थित अनेक उद्योग-धंधों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ तथा कोयले की राख आस-पास के निवासियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे है।
मेरा मुख्यमंत्री, ज़िलाधीशों तथा प्रदूषण विभाग के अधिकारियों से विनम्र अनुरोध है कि वे इस ओर ध्यान दें तथा इस संबंध में आवश्यक एवं कठोर कदम उठाएँ, जिससे समस्या का उचित समाधान हो सके।
भवदीया
गार्गी सिन्हा
अथवा
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 18 नवंबर, 20xx
प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्कार!
में यहीं सकुशल हूँ और आशा करता हूँ कि तुम भी कुशल होंगे। अनुशासन का हमारे जीवन में कितना महत्त्व है, यह कल मैंने प्रत्यक्ष अनुभव किया। इसी संदर्भ में, में तुर्हें यह पत्र लिख रहा हूँ। कल में पानी का बिल जमा करने की लाइन में खड़ा था। वहाँ पर शिक्षित व्यक्तियों ने ऐसा आचरण किया, जिसे देखकर किसी अनपद़ व्यक्ति को भी शर्म आ सकती है। उन्होंने अनुशासन को ध्यान में न रखते हुए बिल जमा करने वाली लाइन को ध्वस्त कर दिया और बिना किसी नियम के बिल जमा करने की ज़िद करने लगे। मित्र, मुझे लगता है कि जीवन में अनुशासन का बहुत महत्त्व है। इसके लिए पहले स्वर्य को ही अनुशासित करना होगा। अनुशासन के महत्त्व को प्रकृति तथा पेड़-पौधों में भी देखा जा सकता है। दिन और रात का क्रम लगातार चलता रहता है। समय पर ही ॠतुओं का परिवर्तन होता है। पेड़पौों में समयानुसार ही फल-फूल आते हैं। यदि प्रकृति नियम और अनुशासन न माने, तो भीषण अकाल तथा अन्य प्राकृतिक आपदाएँ आ सकती हैं। अनुशासन न मानने वाला व्यक्ति समाज में कुछ नहीं कर सकता। तुम भी मेरी इस बात से सहमत होंगे।
बाकी सब कुशल मंगल है। घर पर सभी बड़ों को मेरा अभिवादन और छोटों को प्यार कहना।
तुम्हारा मित्र
अंकित पाराशर
प्रश्न 16.
आप माही खंडेलवाल हैं। आप एम.ए.बी.एड. हैं। आपको महावीर इंटरनेशनल स्कूल अ.ब.स. नगर में अंग्रेजी अध्यापिका पद के लिए आवेदन करना है। इसके लिए आप अपना एक संक्षिप्त स्ववृत्त (बायोडाटा) लगभग 80 शब्दों में तैयार कीजिए।
अथवा
आप राजीव कुमार हैं। आपका बैंक ऑफ बड़ौदा में खाता है। उसमें आपने एटीएम कार्ड के लिए आवेदन किया था, जो 1 माह के पश्चात् भी प्राप्त नहीं हुआ। अतः महाप्रबंधक महोदय को शिकायत करते हुए लगभग 80 शब्दों में एक ई-मेल लिखिए।
उत्तर :
स्ववृत्त
नाम : माही खंडेलवाल
पिता का नाम : श्री प्रकाश खंडेलवाल
माता का नाम : श्रीमती प्रतिभा खंडेलवाल
जन्म तिथि : 16 मार्च, 19XX
वर्तमान पता : D-91, जनता कॉलोनी, आदर्श नगर, जयपुर
स्थायी पता : उपर्युक्त
दूरभाष नंबर : 0141241XX X X
मोबाइल नंबर : 924599XXXX
ई-मेल : 23#[email protected]
शैक्षणिक योग्यताएँ
अन्य संबंधित योग्यताएँ
कंप्यूटर का विशेष ज्ञान और अभ्यास (एम,एस ऑफिस इंटरनेट)
हिंदी भाषा का ज्ञान
उपलब्धियाँ
सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता (राज्य स्तरीय वर्ष 2014) में प्रथम पुरस्कार अनुभव
प्राची इंटरनेशनल स्कूल में 5 वर्ष का अनुभव
संदर्भित व्यक्ति का विवरण
श्री मदनलाल शर्मा प्रिसिपल राजकीय विद्यालय, जयपुर
तिथि 7.10 .2021
स्थान जयपुर
माही खंडेलवाल
हस्ताक्षर
अथवा
प्रश्न 17.
आपके चाचा जी ने मिठाई की दुकान खोली है। वे प्रचार-प्रसार के लिए स्थानीय समाचार-पत्र में उसका विज्ञापन देना चाहते हैं। आप उनके लिए लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
आप पारूल गर्ग हैं। आपके क्षेत्र में जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण लीला का आयोजन हो रहा है। इस अवसर पर लगभग 40 शब्दों में जन्माष्टमी के आयोजन संबंधी संदेश लिखिए।
उत्तर :
अथवा
जन्माष्टमी के आयोजन संबंधी संदेश
दिनांक 12 अगस्त, 20XX
समय 6:00 बजे सायं : से 12:00 बजे रात्रि तक
प्रिय क्षेत्रवासियों
आपको यह बताते हुए मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है कि हमारे क्षेत्र सिद्धार्थ नगर के मंदिर में 12 अगस्त को जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण लीला कार्यक्रम तथा दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें छोटे-छोटे बच्चे राधा कृष्ण बनकर अपनी कला को प्रस्तुत करेंगे। इस कार्यक्रम के उपरांत विजेता टीम को उचित इनाम दिया जाएगा। इस दिव्य आयोजन में आप सभी भक्तजन सादर आमंत्रित हैं।
समस्त गर्ग परिवारजन (आयोजक)