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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 3 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-‘अ’ और ‘ब’। खंड ‘अ’ में वस्तुपरक/बहुविकल्पीय और खंड ‘ब’ में वस्तुनिष्ठ/वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
- प्रश्न-पत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 है और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए।
- खंड ‘अ’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उप्रश्नों की संख्या 44 है। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- खंड ‘ब’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खंड ‘अ’
(बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित गद्यांश-पद्यांश, व्यावहारिक व्याकरण व पाठ्य-पुस्तक से संबंधित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
जीवन में सफल वही होता है, जो उपयुक्त चुनाव करना जानता है। चुनाव करने में तनिक भी भूल-चूक होने से हानि सुनिश्चित होती है। कुछ चुनाव हमारे वश में नहीं होते; जैसे-माता-पिता का, जन्म-मृत्यु का आदि, किंतु कुछ चुनाव हमारे वश में होते हैं, जिन पर हमारी सफलता-असफलता निर्भर करती है; जैसे-अच्छी-बुरी संगति का चुनाव, आलस्य और परिश्रम का चुनाव आदि। ‘संगति का चुनाव’ इन सब चुनावों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होता है, क्योकि इस चुनाव पर हमारा आचरण, कर्म, विचार, भाषा, स्तर, मनुष्यता और हमारी सफलता-असफलता निर्भर करती है। मनुष्य का चित्त बुराइयों और बुरे लोगों की ओर जल्दी आकृष्ट होता है। जिस तरह पानी सदा नीचे की ओर जाता है, उसी तरह मनुष्य का मन भी बुराइयों की ओर शीघ्र भागता है।
जिस प्रकार ऊँचाई तक जाने में कष्ट उठाना पड़ता है, उसी प्रकार अच्छाई की ओर जाने में परिश्रम करना पड़ता है। हम विवेक से काम लेकर अच्छे और बुरे का चुनाव कर सकते हैं और इसी विवेक के आधार पर जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, क्योकि संगति मनुष्य को संमार्ग की ओर अग्रसर करती है। संगति व्यक्ति को उच्च सामाजिक स्तर प्रदान करती है, विकास के लिए सुमार्ग की ओर प्रेरित करती है, बड़ी-से-बड़ी कठिनाइयों का सफलतापूर्वक सामना करने की शक्ति प्रदान करती है और सबसे बढ़कर व्यक्ति को स्वाभिमान प्रदान करती है। संगति के प्रभाव से पापी पुण्यात्मा और दुराचारी हो जाते हैं। ऋषियों की संगति के प्रभाव से ही, वाल्मीकि जैसे भयानक डाकू महान कवि बन गए तथा अंगुलिमाल ने महात्मा बुद्ध की संगति में आने से हत्या, लूटपाट के कार्य को छोड़कर सदाचार के मार्ग को अपनाया।
संगति एक प्राण वायु है, जिसके संसर्ग मात्र से मनुष्य सदाचरण का पालक बन जाता है दयावान, विनम्र, परोपकारी एवं ज्ञानवान बन जाता है। दयावान, विनम्र, परोपकारी एवं ज्ञानवान बन जाता है।
(क) निम्नलिखित कथन पढ़कर नीचे दिए सही विकल्प का चयन कीजिए जीवन में संगति का चुनाव महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि
1. इस पर हमारा आचरण निर्भर करता है।
2. इस पर हमारे कर्म निर्भर करते हैं।
3. इस पर हमारी सफलता-असफलता निर्भर करती है।
4. इस पर हमारे विचार निर्भर करते हैं।
कूट
(i) केवल 2 सही है
(ii) 1 और 3 सही हैं
(iii) 1, 3 और 4 सही है
(iv) 1, 2, 3 और 4 सही है
उत्तर :
(iv) 1,2,3 और 4 सही हैं जीवन में संगति का चुनाव सर्वाधिक महत्त्पूूर्ण होता हैं, क्योंकि इस चुनाव पर हमारा आचरण, कर्म, बिचार, भाषा स्तर, मनुष्यता और हमारी सफलता-असफलता निर्भर करती है।
(ख) निम्नलिखित में से किसका चुनाव हमारे वश में नहीं होता है?
(i) अच्छी-बुरी संगति का
(ii) माता-पिता का
(iii) आलस्य और परिश्रम का
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) माता-पिता का जीवन में कुछ यीजों का चुनाव करना हमारे वश में नहीं होता; जैसे-माता-पिता तथा जन्म-मृत्यु का चुनाव।
(ग) गद्यांश में मानव मन की तुलना किससे की गई है?
(i) तेज बहने वाली पवनों से
(ii) सदा नीचे की ओर बहने वाले पानी से
(iii) परिश्रमी व्यक्ति से
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) सदा नीचे की ओर बहने वाले पानी से गद्यांश के अनुसार सदा नीचे की ओर बहने वाले पानी की तरह ही मानव मन भी नीच कार्यों अर्थात् बुराइयों की ओर अधिक आकर्षित होता है।
(घ) मनुष्य का चित्त किस ओर जल्धी आकृष्ट होता है?
(i) बुराइयों और बुरे लोगों की ओर
(ii) अच्छाइयों की ओर
(iii) परिश्रम की ओर
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) बुराइयों और बुरे लोगों की ओर मनुष्य का चित्त बुराइयों और बुरे लोगों की ओर जल्दी आकृष्ट होता है।
(ङ) कथन (A) एक सफल व्यक्ति अपने विवेक के आधार पर ही सफलता प्राप्त कर सकता है। कारण (R) अपने विवेक से ही उसे सही-गलत के चुनाव की जानकारी होती है।
(i) कथन A गलत है, किंतु कारण R सही है।
(ii) कथन A और कारण R दोनों गलत हैं।
(iii) कथन A और कारण R दोनों सही हैं तथा कारण R कथन A की सही व्याख्या है।
(iv) कथन A और कारण R दोनों सही हैं, परंतु कारण R कथन A की सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर :
(iii) कथन A और कारण R दोनों सही हैं, परंतु कारण R कथन A की सही व्याख्या है व्यक्ति अपने विवेक की सहायता से सही-गलत का निर्णय करके जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। अपने विवेक से ही उसे सही-गलत के चुनाव की जानकारी होती है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांशों पर आधारित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
बिन बैसाखी अपनी शर्तों पर, मैं मदमस्त चला।
सब्जबाग को दिखा-दिखा
दुनिया रह-रह मुसकाई।
कंचन और कामिनी ने भी
अपनी छटा दिखाई।
सतरंगे जग के साँचे में, मैं न कभी ढला।।
चिनगारी पर चलते-चलते
रुका-झुका ना पल-छिन।
गिरे हुओं को रहा उठाता
गले लगाता अनुदिन।
बस आता है मुझको।
पीड़ाओं के संग-संग जीना
भाता है बस मुझको।
मैं तटस्थ, जो भी जग समझे कह ले बुरा-भला।
हलाहल पीते-पीते ही मैं जीवन-भर चला।।
कितने बढ़े-चढ़े द्रुत चलकर
शैलशिखर श्रृंगों पर।
कितने अपनी लाश लिए
फिरते अपने कंधों पर।
सबकी अपनी अलग नियति है, है जीने की कला।।
आँधी से जूझा करना ही
(क) इस कविता के केंद्रीय भाव हेतु दिए गए कथनों को पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए।
1. मनुष्य को सुख-दुःख में एकसमान रहना चाहिए।
2. मनुष्य को कष्टों में अवलंब तलाश करना चाहिए।
3. मनुष्य को स्वयं को भाग्य के सहारे नहीं छोड़ना चाहिए।
4. मनुष्य को आँधियों के साथ जूझ़ा चाहिए।
कूट
(i) केवल 2 सही है
(ii) 1 और 3 सही हैं
(iii) 1,3 और 4 सही हैं
(iv) 1,2,3 और 4 सही हैं
उत्तर :
(ii) 1 और 3 सही हैं मनुष्य को सुख-दु:ख में समान रहना चाहिए, विपत्तियों में भी जीवन हैसकर बिताना चाहिए। कभी भी स्वयं को भाग्य के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए।
(ख) कवि को जीवन में क्या रास नहीं आया?
(i) कष्टों से भरे मार्ग पर चलना
(ii) दीनों का उद्धार करना
(iii) सुखमय क्षणों को भोगना
(iv) आजीवन वेदनाओं का विष पान करना
उत्तर :
(iii) सुखमय क्षणों को भोगना कवि ने अपने जीवन में सुख और भोगों को स्थान नहीं दिया। वह हमेशा सभी परिस्थितियों में एक जैसा ही रहा। उसने अपने सिद्धांतों के अनुकूल जीवन जिया। दुःख और सुख में उसने किसी को भी अपना सहारा नहीं बनाया। अतः कवि को जीवन में सुखमय क्षणों को भोगना रास नहीं आया, क्योंकि उसने इनके प्रति केवल तटस्थता की भूमिका निभाई।
(ग) ‘सबकी अपनी अलग नियति है, है जीने की कला’ से कवि का क्या आशय है?
(i) कोई धनी है, तो कोई धनहीन है
(ii) कोई उन्नति करता है, तो कोई निराश रहता है
(iii) कोई सुख भोग रहा है, तो कोई दु:ख
(iv) कोई स्वस्थ है, तो कोई रोगी है
उत्तर :
(ii) कोई उन्नति करता है, तो कोई निराश रहृता है दी गई पंक्ति से यह आशय है कि संसार में सबकी जीवन-शैली भिन्न-भिन्न प्रकार की है। सभी के जीवन जीने का तरीका अलग-अलग है। अतः इसका यह प्रभाव पड़ता है कि कोई तो अत्यधिक उन्नति करता है अर्थात् उत्तरोत्तर सफलता को प्राप्त करता है तथा कोई सफलता न मिलने पर निराश हो जाता है।
(घ) कवि ने जीवन कैसे बिताया है?
(i) कष्ट्रों से जूझकर और पीड़ाओं को चूमकर
(ii) दु:खियों के दु;ख दूर कर और निराश्रितों को आश्रय देकर
(iii) डूबते को बचाकर और भूखों को भोजन देकर
(iv) क्रांति का बिगुल बजाकर और मातृभूमि को जीवन देकर
उत्तर :
(i) कष्टों से जूझ्लकर और पीड़ाओं को चूमकर कवि कहता है कि उसने जीवन को कष्टों से जूझकर तथा पीड़ाओं को चूमकर बिताया है। वह हमेशा गिरते हुए व्यक्ति को उठाता रहा। उसने अपने जीवन में आई समी विपत्तियों का साहस के साथ सामना किया।
(ङ) कथन (A) और कारण (R) पर विचार करते हुए सही विकल्प चुनिए।
कथन (A) वह मनुष्य सतरंगी संसार में मोहित नहीं हो सकता।
कारण (R) जो अपने सिद्धान्तों से प्यार और सुख-दुख में तटस्थ रहता
(i) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, कितु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कथन (A) कारण (R) की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कथन (A) कारण (R) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर :
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कथन (A) कारण (R) की सही व्याख्या करता है। प्रस्तुत कविता के अनुसार वह मनुष्य जो सतरंगी संसार में मोहित नहीं होता है अर्थात् यहाँ के देख-देखावे से प्रभवित नहीं होता और अपने सिद्धांतों से प्यार करता है तथा सदैव अपने दुःख-सुख में हमेशा तटस्थ अर्थात् परिवर्तनशील नहीं होता वह मनुष्य ही आदर्श पुरुष है।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘पत्नी के बीमार होने के कारण वह कार्यालय नहीं गया।’ इसका मिश्र वाक्य होगा
(i) वह इसलिए कार्यालय नहीं गया, क्योकि उसकी पत्नी बीमार है।
(ii) पत्नी की बीमारी के कारण वह कार्यालय नहीं गया।
(iii) पत्नी बीमार थी, इसलिए वह कार्यालय नहीं गया।
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर :
(i) वह इसलिए कार्यालय नहीं गया, क्योंकि उसकी पत्नी बीमार है।
(ख) ‘रीता पढ़ रही है और लिख रही है।’ इसका सरल वाक्य होगा
(i) रीता पढ़ रही है, परंतु लिख भी रही है।
(ii) रीता पढ़कर लिख रही है।
(iii) रीता पढ़ रही है, इसलिए लिख रही है।
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) रीता पढ्कर लिख रही है।
(ग) ‘रघु सड़क पर चल रहा था, उसे एक साँप दिखाई दिया।’ इसका संयुक्त वाक्य होगा
(i) रघु सड़क पर चल रहा था और उसे एक साँप दिखाई दिया।
(ii) रघु को सड़क पर चलते हुए एक साँप दिखाई दिया।
(iii) रघु जब सड़क पर चल रहा था, तो उसे एक साँप दिखाई दिया।
(iv) जैसे ही रघु सड़क पर चल रहा था, उसे एक साँप दिखाई दिया।
उत्तर :
(i) रघु सड़क पर चल रहा था और उसे एक साँप दिखाई दिया।
(घ) निम्नलिखित में से संयुक्त वाक्य पहचानकर नीचे दिए गए सबसे सही विकल्प को चुनिए
1. राम ने खाना खाया और खेलने चला गया।
2. ज्यों ही राम ने खाना खाया त्यों ही खेलने चला गया।
3. राम खाना खाकर खेलने चला गया।
4. राम को खेलना था इसलिए खाना खाकर चला गया। कूट
(i) केवल 1 सही है
(ii) 2 और 3 सही हैं
(iii) 1 और 4 सही हैं
(iv) 1,2,3 और 4 सही हैं
उत्तर :
(iii) 1 और 4 सही हैं।
(ङ) सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. रवि पत्र लिखकर डाकघर चला गया। | 1. संयुक्त वाक्य |
B. रवि ने पत्र लिखा और डाकघर चला गया। | 2. मिश्र वाक्य |
C. जैसे ही रवि ने पत्र लिखा, वह डाकघर चला गया। | 3. सरल वाक्य |
A B C
(i) 3 1 2
(ii) 2 3 1
(iii) 2 1 3
(iv) 123
उत्तर :
(i) A-3, B-1, C-2
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकत्प का चयन कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. मुझसे यह किताब पढ़ी नहीं जाती है। | 1. कर्तृवाच्य |
B. मुझसे अब पढ़ा नहीं जाता। | 2. कर्मवाच्य |
C. मैं यह किताब नहीं पढ़ सकूँगा। | 3. भाववाच्य |
कूट
A B C
(i) 1 2 3
(ii) 3 2 1
(iii) 3 1 2
(iv) 2 3 1
उत्तर :
(iv) A-2, B-3, C-1
(ख) निम्नलिखित वाक्यों में से कर्मवाच्य वाला वाक्य छाँटिए।
(i) क्या यह पत्र तुम्हारे द्वारा लिखा गया है?
(ii) क्या यह पत्र तुम लिख रहे हो?
(iii) क्या यह पत्र तुमने लिखा है?
(iv) क्या पत्र तुम लिखते हो?
उत्तर :
(i) क्या यह पत्र तुम्हारे द्वारा लिखा गया है?
(ग) निम्नलिखित में से कर्तृवाच्य वाला वाक्य छाँटिए।
(i) पुलिस ने चेतावनी दी।
(ii) कवि द्वारा एक कविता सुनाई गई।
(iii) उससे चुपचाप नहीं रहा जाता।
(iv) उससे उठा-बैठा नहीं जाता।
उत्तर :
(i) पुलिस ने चेतावनी दी।
(घ) ‘मैं अब नहीं खा पाता।’ (भाववाच्य में परिवर्तित कीजिए)
(i) मुझसे अब नहीं खाया जाता।
(ii) मेरे द्वारा अब खाया नहीं जाता है।
(iii) मेरे से खाया नहीं गया।
(iv) मैं अब नहीं खा सकता।
उत्तर :
(i) मुझसे अब नहीं खाया जाता।
(ङ) ‘पक्षी बाग छोड़कर नहीं उड़े।’ इसका कर्मवाच्य होगा
(i) पक्षी बाग छोड़कर नहीं उड़ सकते।
(ii) पक्षी बाग छोड़कर नहीं उड़ सके।
(iii) पक्षी से बाग छोड़कर उड़ा नहीं जाता।
(iv) पक्षियों द्वारा बाग छोड़कर नहीं उड़ा गया।
उत्तर :
(iv) पक्षियों द्वारा बाग छोड़कर नहीं उड़ा गया।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘पद परिचय’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) पहले श्याम यहाँ रहता था। रेखांकित अंश का पद परिचय होगा
(i) जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक
(ii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्वा कारक
(iii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, बहुवचन, कर्म कारक
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) श्याम व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकववन, कर्ता कारक
(ख) उन्होंने मुझे इनाम में दस रुपये दिए। रेखांकित अंश का पद परिचय होगा
(i) समूहवाचक संज्ञा, बहुवचन, स्त्रीलिंग, कर्ता कारक
(ii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिग, कर्म कारक
(iii) जातिवाचक संजा, बहुवचन, पुल्लिग, कर्म कारक
(iv) जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिग, कर्ता कारक
उत्तर :
(iii) रुपये जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिग, कर्म कारक
(ग) दौडकर बाजार चले जाओ। रेखांकित अंश का पद परिचय होगा
(i) सकर्मक क्रिया, एकवचन, पुल्लिग, कर्तृवाच्य
(ii) द्विकर्मक क्रिया, एकवचन, पुल्लिग, कर्तृवाच्य
(iii) पूर्वकालिक क्रिया, रीतिवाचक क्रिया-विशेषण
(iv) अकर्मक क्रिया, एकवचन, पुल्लिग, कर्मवाच्य
उत्तर :
(iii) दौड़कर पूर्वकालिक क्रिया, रीतिवाचक क्रिया-विशेषण
(घ) समूचा गाँव खेतों में उतर पड़ा है। रेखांकित अंश का पद परिचय होगा
(i) अकर्मक, संयुक्त क्रिया, आसन्न भूत, कर्तृवाच्य
(ii) सकर्मक, संयुक्त क्रिया, कर्म-खेत, आसन्न भूत, कर्तृंवाच्य
(iii) पूर्वकालिक क्रिया, आसन्न भूत, कर्तृवाच्य
(iv) प्रेरणार्थक क्रिया, आसन्न भूत, कर्तृवाच्य
उत्तर :
(i) उतर पड़ा है अकर्मक संयुक्त क्रिया, आसन्न भूत, कर्तृवाच्य
(ङ) वह यहाँ अपने आप आया था। आप वहाँ कल चले जाते। दोनों वाक्यों के ‘आप’ का सामान्य पद परिचय होगा
(i) पहला आप-अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम, दूसरा आप-निजवाचक सर्वनाम
(ii) पहला आप-निजवाचक सर्वनाम, दूसरा आप-अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम
(iii) पहला आप-संबंधवाचक सर्वनाम, दूसरा आप-निजवाचक सर्वनाम
(iv) पहला आप-निश्चयवाचक सर्वनाम, दूसरा आप-अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम
उत्तर :
(ii) पहला आप-निजवाचक सर्वनाम, दूसरा आप-अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक।
जो करते विप्लव, उन्हें ‘हरि’ का है आतंक।।’
प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(i) श्लेष प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में ‘ हरि’ शब्द एक बार प्रयुक्त हुआ है, परंतु उसके दो अर्थ निकलते हैं। पहला अर्थ है-बंदर एवं दूसरा अर्थ है-भगवान। इसलिए यहाँ श्लेष अलंकार है।
(ख) ‘एक दिन बोला यूँ पुष्प डाल से, लगते हैं कुछ हाल तुम्हारे निढाल से’ इन काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
उत्तर :
(iii) मानवीकरण काव्यांश में पुष्प डाल से बोलने जैसी मानवीय क्रिया कर रहा है। अतः यहाँ मानवीकरण अलंकार है।
(ग) ‘परवल पाक, फाट हिय गेहूँ।’ इस काव्य पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(iv) अतिशयोक्ति प्रस्तुत पंक्ति में गेहूँ का ह्ददय फट गया। यह बात बढ़ा-चड़ाकर बोली गई है। अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
(घ) “बहुत काली सिल जरा-से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो” इन पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(ii) उत्रेक्षा प्रस्तुत पंक्ति में बहुत काले पत्थर की जरा से लाल केसर से धुलने की कल्पना की गई है। अतः यहाँ उत्रेक्षा अलंकार है।
(ङ) ‘मैं बरजी कैबार तू, इतकल लेती करौटं।
(iv) अतिशयोक्ति पंखुरी लगे गुलाब की, परि है गात खरौटं। इन काव्य पंक्तियों में प्रयुक्त अंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(iv) अतिशयोक्ति यहाँ गुलाब की पंखुड़ियों से चोट लगने की बात कही गई है, जोकि असंभव है। अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सवाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5 ) बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी, जीवन-ज़िद्गी सब कुछ छोड़ देने वालों पर भी हैसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढती है। दु;खी हो गए। पंद्रह दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुज़रे। कस्बे में घुसने से पहले ही ख्याल आया कि कस्बे कि हुदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिस्थापित होगी, लेकिन सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा….! क्योकि मास्टर बनाना भूल गया।… और कैप्टन मर गया। सोचा, आज वहाँ रुकेंगे नहीं, पान भी नहीं खाएँगे, मूर्ति की तरफ़ देखेंगे भी नहीं, सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चौराहे पर रुकना नहीं, आज बहुत काम है, पान आगे कहीं खा लेंगे।
(क) हालदार साहब के दुःख का क्या कारण था?
(i) नेताजी की आँखों पर चश्मा न देखकर
(ii) नेताजी जैसे व्यक्तित्व का मज़ाक उड़ाने के कारण
(iii) नेताजी की मूर्ति के पास न रुकने के कारण
(iv) कैप्टन की मृत्यु हो जाने के कारण
उत्तर :
(i) नेताजी की आँखों पर चश्मा न देखकर गद्यांश के अनुसार हालदार साहब के दु:ख का कारण नेताजी की मूर्ति पर चश्मे को न देख पाना था, क्योंकि कैप्टन जो बार-बार मूर्ति पर चश्मा बदल-बदल कर लगाता था। उसकी मृत्यु हो गई थी।
(ख) हालदार साहब क्या सोच रहे थे?
(i) कैप्टन की मृत्यु हो गई होगी
(ii) नेताजी की आँखों पर चश्मा नहीं होगा
(iii) आज वहाँ रूकेंगे नहीं, पान नहीं खाएंगे
(iv) मूर्ति की ओर न देखकर सीधा निकल जाएँगे
उत्तर :
(ii) नेताजी की औँखों पर चश्मा नहीं होगा हालदार साहब सोच रहे थे कि अब जब भी वह करबे से जाएँगे, तो उन्हें नेताजी की ऑँखों पर चश्मा लगा हुआ नहीं दिखेगा।
(ग) सुभाष की प्रतिमा कहाँ प्रतिस्थापित थी?
(i) शहर के बीचो-बीच में
(ii) गाँव के बीचों-बीच में
(iii) गाँव से शहर जाने वाले मार्ग के बीच
(iv) कस्बे के चौराहे पर
उत्तर :
(iii) कस्वे के चौराहे पर सुभाष की प्रतिमा कस्बे के चौराहे पर स्थित थी।
(घ) देश की खातिर घर-गृहस्थी, जीवन-ज़िदगी सब कुछ छोड़ देने वालों के ऊपर कौन हैसता है?
(i) देशभक्तों का मजाक उड़ाने वाली बिकाऊ कौम
(ii) सच्चे देशभक्त
(iii) कैप्टन और पानवाला
(iv) हालदार साहव
उत्तर :
(i) देशभक्तों का मजाक उड़ाने वाली बिकाऊ कौम देश की खातिर घर-गृहस्थी, जीवन जिंदगी सब कुछ छोड़ देने वालों के ऊपर देशभक्तों का मजाक उड़ाने वाली बिकाफ कौम हैसती है।
(ङ) हालदार साहब चौराहे पर क्यों नहीं रुकना चाहते थे?
(i) आज उनका मन पान खाने का नहीं था।
(ii) आज उन्हें बहुत काम था।
(iii) वे कहीं भी व्यर्थ रूकना नहीं चाहते थे।
(iv) कैप्टन के मरने से मूर्ति पर आज चश्मा नहीं होगा
उत्तर :
(iv) कैष्टन के मरने से मूर्ति पर आज चश्मा नहीं होगा गद्यांश के आधार पर कैप्टन के मरने से मूर्ति पर चश्मा नहीं होगा। यह सोथकर हालदार साहब चौराहे पर नहीं रुकना चाहते थे, क्योंकि उनको मूर्ति पर चश्मा लगा देखने की आदत हो गई थी।
प्रश्न 8.
क्षितिज के गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 2 = 2)
(क) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में लेखक ने किस पर कटाक्ष किया है?
(i) सामंती वर्ग की बनावटी जीवन-शैली पर
(ii) सामंती वर्ग की यथार्थवादी जीवन-शैली पर
(iii) सामान्य जनजीवन पर
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) सामंती वर्ग की बनावटी जीवन-शैली पर पाठ में लेखक ने उस सामंती वर्ग की बनावटी जीवन-सौली पर कटाक्ष किया है, जो वास्तविकता से बेखबर कृत्रिम जीवन जीने में विश्वास रखता है।
(ख) ‘संस्कृति’ पाठ के आथार पर बताइए कि वास्तव में ‘संस्कृत व्यक्ति’ कौन है?
(i) जो व्यक्ति अपनी बुद्धि व विवेक से समाज को किसी नए तथ्य से अवगत कराता है
(ii) जो व्यक्ति अपनी संस्कृति को भली-भाँति समझता है
(iii) जो व्यक्ति अपने प्राचीन रीति-रिवाजों व परंपराओं से बँधा रहता है
(iv) जो व्यक्ति सफलता के नए सोपान चढ़ता है
उत्तर :
(i) जो व्यक्ति अपनी बुद्धि व विवेक से समाज को किसी नए तथ्य से अवगत कराता है वही व्यक्ति वास्तव में ‘संस्कृत व्यक्ति’ है, जो अपनी बुद्धि व विवेक से समाज को किसी नए तथ्य से अवगत कराता है और अनुसंधान करता है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित पद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
मधुप गुन-गुनाकर कह जाता कौन कहानी यह अपनी, मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज घनी। इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती। तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती। किंतु कहीं ऐसा न हो कि तुम ही खाली करने वालेअपने को समझो, मेरा रस ले अपनी भरने वाले।
(क) कवि पद्यांश में किसके माध्यम से अपनी कथा का उल्लेख करते हैं?
(i) तितली
(ii) भौरें
(iii) फूल
(iv) चंद्रमा
उत्तर :
(ii) भौरें के पद्यांश में भौरें के माध्यम से अपनी कथा का उल्लेख करते हैं।
(ख) कवि का जीवन किससे भरा हुआ है?
(i) सुखों
(ii) अभावों
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) बुराइयों
उत्तर :
(iii) (ii) और (iii) दोनों कवि आकाश की ओर देखते हैं और फिर बड़े ही उल्लास के साथ कहते हैं कि कवि का जीवन सुखों और अभावों से भरा हुआ है।
(ग) कवि ने अपने मन को किसके समान बताया है?
(i) समुद्र के समान
(ii) खाली गागर के समान
(iii) प्रकृति के समान
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) खाली गागर के समान कवि ने अपने-अपने मन को खाली गागर के समान बताया है
(घ) कवि के अनुसार, उसके खाली जीवन को देखकर किसे सुख प्राप्त होगा?
(i) पुत्र को
(ii) समाज को
(iii) मित्रों को
(iv) पत्नी को
उत्तर :
(iii) मित्रों को कवि के अनुसार, उसके खाली जीवन को देखकर उसके मित्रों को सुख प्राप्त होगा।
(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. कवि के जीवन की इच्छाएँ उचित वातावरण न पाकर मुरझाकर गिर रही हैं।
2. महान पुरुषों की कथाओं को पढ़कर ऐसा लगता है जैसे वह स्वयं का उपहास करते हैं।
3. कवि अपने जीवन में अनेक सुखों का आनंद ले चुके थे। इन कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
कूट
(i) केवल 1
(ii) 1 और 2
(iii) केवल 3
(iv) 2 और 3
उत्तर :
(ii) 1 और 2 गद्यांश के अनुसार, कवि के जीवन की इच्छाएँ उचित वातावरण न पाकर मुरझाकर गिर रही हैं तथा महान पुरुष्षों की कथाओं को पढ़कर ऐसा लगता है जैसे-वह स्वयं का उपहास करते हैं।
प्रश्न 10.
पाठ्यपुस्तक में निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त त्रिकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 2 = 2)
(क) ‘पद’ के आधार पर बताइए कि श्रीकृष्ण ने उद्धव के माध्यम से निर्गुण ब्रह्म एवं योग का संदेश किस उद्देश्य से भेजा?
(i) गोपियों की पीड़ा को कम करने के लिए
(ii) गोपियों की पीड़ा को बढ़ाने के लिए
(iii) गोपियों को समझाने के लिए
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) गोपियों की पीड़ा को कम करने के लिए श्रीकृष्ण ने उद्धव के माध्यम से निर्गुण ब्रह्म एवं योग का संदेश गोपियों की पीड़ा को कम करने के उद्देश्य से भेजा।
(ख) ‘अट नहीं रही है’ कविता में कवि ने क्या दर्शाया है?
(i) फाल्गुन के सौदर्य और उल्लास को
(ii) ग्रीष्म ऋतु के सौददर्य को
(iii) शीत ऋतुतु के सौद्यं को
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) फाल्गुन के सौंदर्य और उल्लास को ‘अट नहीं रही है’ कविता में कवि ने फाल्गुन के सौंदर्य और उल्लास को दर्शाया है। चारों ओर फाल्गुन की शोभा संपूर्ण वातावरण में इतनी फैली हुई है कि वह कवि के तन में समा नहीं पा रही है अर्थात् कवि उसके सौदर्य का वर्णन शब्दों में नहीं कर सकत्ता। इस समय चारों ओर फूल खिलते हैं और फूलों की खुशबू प्रकृति को सुगंधित कर देती है। यह सब देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है।
खंड ‘ब’
(वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 11.
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 – 30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) पाठ ‘बालगोबिन भगत’ में अपने पुत्र से अत्यधिक स्नेह करने के उपरांत भी बालगोबिन भगत ने उसकी मृत्यु होने पर उसे गले क्यों नहीं लगाया?
उत्तर :
बालगोबिन भगत अपने इकलौते पुत्र से बहुत प्यार करते थे। उन्होंने एक सुशील लड़की से अपने पुत्र का विवाह किया। जब बीमारी के कारण उसकी मृत्यु हो गई, तो उन्हें इसका दु:ख तो बहुत हुआ, किंतु उस दुःख को दिल से नहीं लगाया। उसे ईश्वर की इच्छ मानकर स्वीकार कर लिया। उनके अनुसार, आत्मा परमात्मा से जा मिली है, इसलिए दुःख नहीं, उत्सव मनाना चाहिए। इसी विचारधारा के कारण उन्होंने अपना दु:ख व्यक्त नहीं किया और पुत्र को गले नहीं लगाया।
(ख) जब नवाब साहब ने खीरा खाया ही नहीं, तो उनकी ओर से ‘डकार’ का शब्द किस प्रकार सुनाई दिया? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
नवाब साहब ने खीरे की फाँकों में जीरा-नमक लगाया, उन पर थोड़ी मिर्च डाली और उसके बाद उन्होंने सूँघ-सूँचकर उन फाँकों को एक-एक करके ट्रेन की खिड़की से बाहर फेंक दिया, क्योंकि लेखक ने खीरे को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया था। खीरे को न खाने पर भी केवल उसे सूँघ लेने से ही नवाब साहब को परम संतुष्टि हो गई। इसी कारण खीरा न खाने पर भी उनकी ओर से ‘डकार’ का शब्द सुनाई दिया।
(ग) आपके विचार से ‘पान वाला’ या ‘कैप्टन’ में से असली लॉँगड़ा कौन है? ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
शारीरिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो कैप्टन लैगड़ा है, परंतु ‘असली लैंगड़ा’ पान वाला है। कैप्टन की विकलांगता ईश्वर प्रदत्त है, वह देशभक्तों के प्रति सम्मान की भावना रखता है तथा देशभक्ति जैसे महत्त्वपूर्ण मूल्य का निर्वाह भी करता है, परंतु पान वाले के मन में देशभक्ति की भावना नहीं है। वह एक अस्वस्थ तथा संवेदनहीन मानसिकता का परिचय देते हुए देशमक्तों का उपहास करता है। अतः असली लेंगड़ा ‘पान वाला’ ही है।
(घ) “मेरे मालिक सुर बखा दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।”
‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ के इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सुमधुर सुरों को सुनकर व्यक्ति इतना भाव-विभोर हो जाता है कि उसकी आंखों से आँसू निकल आते हैं। ये औँसू सच्चे मोती की तरह होते हैं। इनके निकल आने पर सुर की परीक्षा हो जाती है। बिस्मिल्ला खाँ नमाज के बाद सजदे में खुदा से ऐसे ही सुर की माँग करते हैं, वे सुर को खुदा की देन मानते थे। उनके लिए सुरों से बढ़कर कोई चीज़ कीमती नहीं थी।
प्रश्न 12.
निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25 – 30 शब्दों में लिखिए (2 × 3 = 6)
(क) “राज धरम तो यहै ‘सूर’, जो प्रजा ने जाहि सताए” ‘पद’ के आधार पर बताइए कि पंक्ति में गोपियों की कौन-सी आकांक्षा निहित है?
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति में गोपियों कृष्ण को राजधर्म का स्मरण कराते हुए कहती हैं कि प्रजा को सताना या उन पर अत्याचार करना राजधर्म नहीं है। इस उक्ति के पीछे उनकी यह आकांक्षा निहित है कि कृष्ण स्वर्य गोपियों से मिलने के लिए उनके पास आएँ और उनकी विरह व्यथा को दूर करें।
(ख) ‘उत्साह’ कविता के आधार पर बताइए कि कवि ने किसके विरोध पर बल दिया है?
उत्तर :
‘उत्साह’ एक प्रतीकात्मक कविता है, जिसमें कवि निराला ने बादलों के माध्यम से सामाजिक विकृतियों का विरोध करने पर बल दिया है। उनका मानना है कि समाज में परिवर्तन केवल क्रांति के माध्यम से ही लाया जा सकता है।
(ग) ‘संगतकार’ काव्य के आथार पर बताइए कि संगतकार द्वारा स्थायी को सँभाल रखने की तुलना किन-किन बातों से की गई है?
उत्तर :
संगतकार द्वारा स्थायी को संभाले रखने की तुलना मुख्य गायक के गायन के उपरांत पीछे छूटे हुए सामान को समेटने से की गई है, क्योंकि सुरों के साथ उसके सामान को सँभालना वह अपना दायित्व समझता है। इसके अतिरिक्त उसकी तुलना किसी नौसिखिए अर्थात् नए-नए सीखने वाले के सुरों में होने वाले भटकाय की याद दिलाने वाले से की है, जो उसके भटकाव को दूर करने में उसकी सहायता करते थे।
(घ) सूरदास के पद के आधार पर बताइए कि कृष्ण के किस कार्य को गोपियाँ अन्याय मानती हैं?
उत्तर :
गोपियाँ कृष्ण की अनन्य मेमिका हैं। भीकृष्ण से एक क्षण का वियोग भी वे सहन नहीं कर सकती हैं। कृष्ण उनकी विरह वेदना से भली-भाँति परिचित होते हुए भी उनसे मिलने न आकर उन्हें योग साथना का मार्ग अपनाने का संदेश उद्धव द्वारा भिजवाते हैं। श्रीकृष्ण के इस कार्य को गोपियाँ अन्याय मानती हैं।
प्रश्न 13.
पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) पहाइों पर पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का जीवन अधिक कठिनाइयों से भरा है। उन कठिनाइयों का निवारण वे कर्तव्यपरायणता से ही करती हैं। पाठ ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ के आधार पर सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पहाड़ों पर पुरुष्षों की अपेक्षा स्त्रियों का जीवन अधिक कठिनाइयों से भरा होता है, क्योंकि घरेलू जिम्मेदारियों का भार स्त्रियों को ही वहन (सहन) करना पड़ता है। घर के सभी सदस्यों के लिए पीने के पानी का प्रबंध करना, खाना बनाने के लिए ईंधन इकट्ठा करना, मवेशियों को चराना आदि कार्य स्त्रियों को ही करने पड़ते हैं। इसके लिए उन्हें काफ़ी परिश्रम करना पड़ता है। अपने परिवार की आर्थिक सहायता के लिए वे सड़के बनाने जैसा दुसाध्य कार्य भी करती हैं। वे इन सभी कठिनाइयों का निवारण अत्यंत कर्त्तव्यपरायणता से करती हैं। भूख, मृत्यु, गरीबी और जीवित रहने की जंग में भी वे मुस्कुराकर अपने कर्त्तब्यों का सहज भाव से पालन करती हैं।
(ख) ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर बताइए कि तत्कालीन व वर्तमान ग्रामीण संस्कृति में आपको क्या परिवर्तन दिखाई देते हैं तथा इन्होंने हमारे मूल्यों को कितना प्रभावित किया है?
उत्तर :
‘माता का अँचल’ उपन्यास में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का वर्णन किया गया है, जिसमें लोगों के बीच में भाईचारा, सहयोग और आपसी प्रेम था। बच्चे अपने परिवार के सदस्यों से अत्यंत घुले-मिले रहते थे। आज की ग्रामीण संस्कृति में अनेक परिवर्तन दिखाई देते हैं; जैसे-सादगी का स्थान चकाचौंध और बनावटीपन ने ले लिया है, व्यवहार और बातयीत में सादगी के स्थान पर चालाकी तथा धूर्तता आ गई है। सुख-दु:ख में परिवार के सद्य पहले की भाँति एकसाथ एकत्र नहीं हो पाते हैं। अब संबंधों में अपनत्व नहीं रहा है, उनमें धन और स्वार्थ आ गया है। इन परिवर्तनों ने हमारे मूल्यों को अत्यधिक प्रभावित किया है। अब लोगों के बीच वह आत्मीयता, प्रेम, सहयोग नहीं दिखाई देता, जो तत्कालीन संबंधों में दिखाई देता था।
(ग) जापान में जब हिरोशिमा और उस अस्पताल को देखा जहाँ रेडियम पदार्थ से आहत लोग वर्षों से कष्ट पा रहे थे, उन्हें देखकर यह प्रत्यक्ष अनुभव हुआ कि अनुभव से अनुभूति गहरी चीज है। मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर प्रस्तुत कथन के विषय में अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
एक बार लेखक ने जापान जाने पर हिरोशिमा के उस अस्पताल को भी देखा, जहाँ रेडियोधर्मी पदार्थ से आहत लोग वर्षों से कष्ट पा रहे थे। इस प्रकार उसे इसका प्रत्यक्ष अनुभव हुआ। उसे लगा कि कृतिकार के लिए अनुभव से अनुभूति गहरी चीज़ है। यही कारण है कि हिरोशिमा में सब देखकर भी उसने तत्काल कुछ नहीं लिखा। फिर एक दिन उसने वहीं सड़क पर घूमते हुए देखा कि एक जले हुए पत्थर पर एक मानव की लंबी उजली छाया है। उसकी समझ में आया कि विस्फोट के समय कोई वहाँ खड़ा रहा होगा और विस्फोट से बिखरे हुए रेडियोधर्मी पदार्थ की किरणों ने उसे भाप बनाकर उड़ा दिया होगा। यह देखकर उसे लगा कि समूची ट्रेजडी जैसे पत्थर पर लिखी गई है। अणु विस्फोट के वे क्षण उसके मन में साकार हो उठे।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए। (6 × 1 = 6)
(क) सिकुड़े वन बिगड़ता पर्यावरण
संकेत बिंदु –
- भूमिका
- सिकुड़ते वन
- वनों का महत्त्व
- पर्यावरण पर प्रभाव
उत्तर :
सिकुड़ते वन बिगड़ता पर्यावरण
आज विश्व में विकास की अंधी दौड़ में बड़ी तेजी से वनों को काटा जा रहा है, जिससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। इसी कारण पृथ्वी पर जीवों के अस्तित्य के लिए खतरा बढ़ता ही जा रहा है। वनों का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। इनसे हमें जीवन रक्षक जड़ी-बूटियाँ, औषधियाँ, इंचन आदि मिलता है। साथ ही हरे-भरे पेड़ों से हमें ऑक्सीजन मिलती है, जो जीवित रहने के लिए परम आवश्यक है। वृक्षों से पर्यावरण संतुलन बना रहता है, क्योंकि जीवों द्वारा उत्सर्जित कार्बन-डाइ ऑक्साइड को पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में शोषित कर लेते हैं तथा बदले में ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं। दूसरी ओर जंगलों के कारण बारिश होती है। यनों के रहने से पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बाँधने का कार्य करती हैं, जिससे भूमि कटाव तथा भूरखलन नहीं होता या कम होता है। आधुनिक समय में जनसंख्या वृद्धि के साथ जंगलों का विनाश बढ़ गया है।
पेड़ों और जंगलों से हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, परंतु तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण मानय अपनी आवश्यकताओं के लिए अधधाधुध जंगलों का दिनाश कर रहा है। यही कारण है कि आज जंगलों का अस्तित्व खतरे में है। शहरीकरण का दबाव, बढ़ती आबादी और तेजी से विकास की भूख ने हमें प्रकृति से वंचित कर दिया है। जब मनुष्य ने जंगलों को काटकर बस्तियाँ बसाई थीं और खेती शुरू की, तब यह सभ्यता के विस्तार की शुरुआत थी, किंतु विकास के नाम पर मनुष्य की अपनी स्वार्थ पूर्ति के चलते जंगलों की कटाई का सिलसिला लगातार चलता रहा है। यदि जंगल नहीं बचे, तो हमारी सभ्यता का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। सिकुड़ते वनों के कारण अब हमें शुद्ध वायु, जल और धरातल मुश्कित से प्राप्त हो रहे हैं।
यह हमारे स्वास्थ्य और जीवन के लिए कष्टदायक और अवरोधक स्थिति है। वनों के अभाव के कारण विभिन्न प्रकार के जंगली जीव-जंतुओं की भारी कमी हो रही है। इससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। अंततः कहा जा सकता है कि पृथ्वी पर सभी प्राणियों का अस्तित्व बचाने के लिए पेड़-पौधों को मित्र समझकर उनकी रक्षा करना आवश्यक है। सरकार के साथ-साथ प्रत्येक नागरिक को यह संकल्प लेना चाहिए कि वह अपने निजी स्वार्थ के लिए वनों का विनाश करके पर्यावरण को हानि नहीं पहुँचाएगा।
(ख) सिनेमा और युवा पीढ़ी
संकेत बिंदु –
- भूमिका
- युवा पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव
- युवा पीढ़ी पर सकारात्मक प्रभाव
- उद्देश्य प्रधान सिनेमा की आवश्यकता
उत्तर :
सिनेमा और युवा पीढ़ी
आज के आधुनिक युग में सिनेमा का हमारे जीवन में प्रभाव बहुत अधिक बढ़ गया है। फिल्में हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग बन गई हैं। बच्चे-बूढ़ सभी फिल्मों की नकल करने की कोशिश करते है। युवा पीढ़ी की बात की जाए तो सिनेमा का प्रभाव उन पर सबसे अधिक पड़ता है। सिनेमा के बहुत सारे प्रभाव हैं, जिनसे युवा पीढ़ी सबसे अधिक प्रभावित होती है। सिनेमा एक तरफ जहाँ हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव डालता है, वहीं दूसरी ओर इसका युरा प्रभाव भी होता है। सभी फिल्में विभिन्न प्रकार के दर्शकों की रुचि को पूरा करने के लिए बनाई जाती हैं। ऐसी फिल्मों, जिनमें शिक्षाप्रद सामग्री शामिल होती है, को देखने से युवा पीढ़ी का ज्ञान बढ़ता है और उन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
दूसरी ओर, फिल्में युवा पीढ़ी के लिए मनोरंजन के रूप में भी सहायक सिद्ध होती हैं। अत्यधिक सिनेमा देखना युवाओं के लिए समय की बर्बादी बन जाता है। कई युवाओं को फिल्मों की लत लग जाती है और वे अपना कीमती समय पढ़ाई के स्थान पर फिल्में देखने में नष्ट कर देते हैं। आजकल ऐसी कई फिल्में प्रदर्शित हो रही हैं, जो अपना दुष्प्रभाव सीथा दर्शक पर छोड़ती है, जिनमें नए-्नए फैशन दर्शकों को दिखाए जाते हैं। फिल्मों में दिखाए गए चोरी, डकैती, बलात्कार के दृश्यी से युवा पीढ़ी पर बहुत अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और देश की संस्कृति भी इससे प्रभावित होती है।
सिनेमा युवा पीद़ी की मानसिकता पर सीधा प्रभाव डालता है। कभी-कभी तो वे स्वयं को खतरे में भी डाल लेते हैं और जीवन को बर्बाद कर लेते है। वास्तव में, सिनेमा के कुछ लाभ हैं, तो बहुत अधिक हानि भी है। फिल्मों ने हमारे सामाजिक जीवन को विकृत कर दिया है। इसमें सुधार लाने के लिए सामाजिक उद्देश्य प्रधान फिल्मों के निर्माण की आवश्यकता है। फिल्मों में मनोरंजन के साथ-साथ मार्गदर्शन भी होना चाहिए। युवा पीढ़ी देश की भावी निर्माता है। उन पर फिल्मों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए ऐसी फिल्मों का निर्माण होना चाहिए, जिनमें मनोरंजन और मार्गदर्शन दोनों का सम्भिलित पुट हो।
(ग) राष्ट्रीय एकता
संकेत बिंदु –
- भूमिका
- राष्ट्रीय एकता के अभाव के दुष्परिणाम
- महत्त्व एवं आवश्यकता
- राष्ट्रीय एकता में बाधक तत्त्व
उत्तर :
राष्ट्रीय एकता
राष्ट्रीय एकता का तात्पर्य राष्ट्र के विभिन्न घटकों में परस्पर एकता, प्रेम एवं भाईचारा विद्यमान रहने से है, भले ही उनमें विचारों और आस्थाओं के आधार पर असमानता क्यों न हो। राष्ट्रीय एकता किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए सर्वाधिक महत्त्चपूर्ण मानी गई है। एकता में असीम शक्ति होती है, जिस प्रकार छोटी-छोटी इकाइयाँ परस्पर संगठित होकर बलवती हो जाती हैं, उसी प्रकार एक राष्ट्र की छोटी-छोटी इकाइयाँ अर्थात् उसके नागरिक मिलकर राष्ट्र को बलवान बनाते हैं। राष्ट्रीयता के लिए भौगोलिक सीमाएँ, राजनीतिक चेतना और सास्कृतिक एकबद्धता अनिवार्य होती है। राष्ट्र की आंतरिक शांति तथा सुव्यवस्था बनाए रखने और बाहरी दुश्मनों से रक्षा के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक है। यदि हम भारतवासी किसी कारणवश छिन्न-भिन्न हो गए, तो हमारी पारस्परिक फूट को देखकर अन्य देश इसका लाभ उठाने की कोशिश करेंगे।
यदि हमारा देश संगकित है, तो विश्व पटल पर इसे बड़ी शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। एकता तथा सामूहिक प्रयास के कारण देश सदा प्रगति के पथ पर अग्रसर रहता है। जिस प्रकार समाज, जाति या परिवार में एकता का अभाव होने से वह विखंडित हो जाता है, उसी प्रकार राष्ट्रीय एकता के अभाव में राष्ट्र खंडित हो जाता है। प्राचीन समय में हमारे देश में लोग मिल-जुलकर रहते थे, परंतु धीरे-धीरे यहाँ के लोग धर्म के नाम पर बेंट गए और अपने-अपने व्यक्तिगत हितों के लिए आपस में ही लड़ने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि हमें अंग्रेजों ने अपना गुलाम बना लिया।
सबसे अधिक दु:ख की बात तो यह है कि हमें गुलामी के साथ-साथ विभाजन का दर्द भी सहना पड़ा। अतः हमें अपने इतिहास से सीख लेकर अपनी राष्ट्रीय एकत्ता को बनाए रखना चाहिए, जिससे भविध्य में कोई हमारा शोषण न कर पाए। यद्यपि अंग्रेजों से तो हम आज़ाद हो गए है, परंतु अभी भी हम देख रहे है कि आतंकवाद, सांप्रदायिकता, क्षेत्रीयता, जातीयता, अशिक्षा आदि ने देश को आक्रांत कर रखा है। ये सभी हमारी राष्ट्रीय एकता के विकास में बाधक हैं। अतः हमें शीघ ही इनका समाधान करना होगा।
प्रश्न 15.
किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए। आप कंचन मिश्रा हैं। अपने क्षेत्र में बिजली वितरण की अव्यवस्था की ओर बिजली अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने हेतु दैनिक जागरण अ. ब. स. नगर के संपादक को एक समाचार प्रकाशित करने का अनुरोध करते हुए लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए।
अथवा
आप काव्य चौधरी हैं। आपके पिताजी के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर आपके मित्र संभव ने आपकी बहुत सहायता की तथा आपको स्थिति का सामना करने का हौसला दिया, उसे धन्यवाद देते हुए 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
मेरठ।
दिनांक 25 फरवरी, 20XX
सेवा में,
प्रधान संपादक महोदय
दैनिक जागरण,
मेरठ।
विषय विद्युत वितरण की अव्यवस्था और उससे उत्पन्न परेशानी हेतु।
महोदय,
आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से में अपने क्षेत्र में विद्युत वितरण की अव्यवस्था और इससे होने वाली परेशानियों के विषय में सरकार तथा संबंधित विभाग का ध्यान आकर्षित कराना चाहती हूँ। मुझे आशा है कि विषय की गंभीरता को देखते हुए आप इस पत्र को अपने समाचार-पत्र में अवश्य ही प्रकाशित करेंगे। आजकल हमारे शहर में विद्युत वितरण विभाग की ओर से बिजली की अत्यधिक कटौती की जा रही है। दिन में कटौती के साथ-साथ रात्रि में भी कटौती की जा रही है। इस गर्मी के मौसम में बिजली की इस प्रकार की जाने वाली कटौती जन-जीवन के लिए संकट उत्पन्न कर रही है। विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख उद्योग, व्यापारिक संस्थान तथा विट्यार्थी इससे बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
मेरा प्रदेश सरकार तथा विद्युत विभाग के अधिकारियों से विनम्र अनुरोध है कि समस्या की गंभीरता को देखते हुए विद्युत आपूर्ति नियमित कराने का प्रबंध किया जाए, ताकि क्षेत्रवासियों को इस भयंकर गर्मी से राहत मिल सके।
धन्यवाद सहित!
भवदीय
कचन मिश्रा
अथवा
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 12 जुलाई, 20XX
प्रिय मित्र संभव,
सप्रेम नमस्कार!
मित्र कल ही मुझे तुम्हारा पत्र मिला। पत्र पढ़कर पता चला कि तुम मेरे पिताजी के स्वास्थ को लेकर बहुत चिंतित हो। मित्र, पिताजी का स्वास्थ्य अब पहले से बेहतर है और वे धीरे-धीरे दुर्घटना के प्रभाव से उबर रहे हैं। अकस्मात् ही सड़क दुर्घटना में पिताजी को गंभीर चोट लगने से मेरे और मेरे परिवार के ऊपर विपत्तियों का पहाड़ ही टूट पड़ा था। उस समय तुमने मेरे साथ अस्पताल में रुककर मेरी बहुत सहायता की और मुझे इस मुश्किल वक्त का सामना करने की हिम्मत दी। तुम्हारे साथ के कारण ही में पिताजी की उचित देखभाल कर सका। इस विपत्ति के समय साथ देकर तुमने यह सिद्ध कर दिया कि तुम मेरे सच्चे मित्र हो। में हृदय से तुम्हारा आभार प्रकट करता हूँ। भविष्य में यदि में तुम्हारे कुछ काम आ सकूँ, तो मुझे बड़ी खुशी होगी।
घर के सभी बड़ों को मेरा प्रणाम।
तुम्हारा मित्र
काव्य चौधरी
प्रश्न 16.
आप प्रतिभा शर्मा हैं। आप एक समाजसेविका के रूप में कार्य कर रही हैं और आँगनबाड़ी में सहायिका पद के लिए आवेदन करना चाहती हैं, इसके लिए आप अपना एक संक्षिप्त स्ववृत्त (बायोडाटा) लगभग 80 शब्दों में तैयार कीजिए। (5)
अधवा
आप जितेंद्र त्यागी हैं। आप शिपिंग कंपनी से सामान भेजने के लिए जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। इस संदर्भ में लगभग 80 शब्दों में एक ई-मेल लिखिए।
उत्तर :
स्ववृत्त-
नाम : प्रतिभा शर्मा
पिता का नाम : विराज शर्मा
माता का नाम : साक्षी शर्मा
जन्म तिथि : 5 जुलाई, 19XX
वर्तमान पता : मकान नंबर 32, शिवाजी नगर, अजमेर (राजस्थान)
स्थायी पता : अ-69, सूर्या कॉलोनी, अजमेर (राजस्थान)
दूरभाष नंबर : 0140-56283XX
मोबाइल नंबर : 8867 X X X X X
ई-मेल : 17 [email protected]
शैक्षणिक योग्यताएँ
अन्य संबंधित योग्यताएँ
- कंप्यूटर का ज्ञान
- डे-कैंपों व ओवर-नाइट-कैंपों के आयोजन का अनुभव
- राजस्थानी भाषा का विशेष ज्ञान
उपलब्धियाँ
- वाद-विवाद राज्य-स्तरीय प्रतियोगिता, प्रथम पुरस्कार, 2013
- आशुभाषण प्रतियोगिता राष्ट्रीय स्तर पर (द्वितीय पुरस्कार) 2016
कार्योत्तर गतिविधियाँ तथा अभिरुचियाँ
- समाजसेविका के रूप में कार्यरत्
- अनाथ आश्रमों व मदर टेरेसा होम का नियमित अंतराल पर दौरा
- समाचार-पत्र का नियमित पठन
संदर्भित व्यक्तियों का विवरण
- श्री गणेश लाल चौधरी, सरपंच ग्राम तिलोनिया
- श्रीमती रीता मल्होत्रा, प्रिंसिपल डी.ए.वी. कॉलेज, अजमेर
तिथि : 7.10.20XX
स्थान : अजमेर
प्रतिभा शर्मा
हस्ताक्षर
अथवा
प्रश्न 17.
आपके शहर में होली के अवसर पर हास्य कवि सम्मेलन होने वाला है। इसके लिए आर्य समाज की ओर से लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (4)
अथवा
आप अमाया सिंघल हैं। आपका मित्र सड़क दुर्घटना में घायल हो गया है। आप उससे मिलने नहीं जा सकते। अतः इसके लिए लगभग 40 शब्दों में सांत्वना संदेश लिखिए।
उत्तर :
अथवा
सांत्वना संदेश
दिनांक : 10 जनवरी, 20XX
समय : 9:00 बजे प्रात:
प्रिय मित्र
मुझे यह जानकर बहुत दु:ख हुआ कि कुछ समय पहले सड़क दुर्घटना में तुम बहुत घायल हो गए थे। यह जानते हुए भी मैं COVID-19 के चलते तुमसे मिलने नहीं आ सकी, क्योंकि उस समय सभी जगह लॉकडाउन लगा हुआ था, इसका मुझे जीवनभर खेद रहेगा, परंतु में जानती हूँ कि तुम बहुत धैर्यवान व हिम्मत वाले हो और इस कठिन समय से भी जल्दी ही बाहर निकल जाओगे। तुम अपना ध्यान रखो, तुम्हारे शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए में भगवान से प्रार्थना करूँगी तथा बहुत जल्द तुमसे मिलने आऊँगी।
तुम्हारी मित्र
अमाया सिंघल