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NCERT Solutions for Class 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 2 with Solutions

February 15, 2022 by Bhagya

Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 2 will help students in understanding the difficulty level of the exam.

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 2 with Solutions

समय : 2.00
घण्टा पूणांक:40

सामान्य निर्देश:

  • इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘क’ और खंड ‘ख’।
  • सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए।
  • लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए।
  • खंड-‘क’ में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए।
  • खंड-‘ख’ में कुल 4 प्रश्न हैं। सभी प्रश्नों के विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

रखण्ड-‘क’ (20 अंक)
(पाठ्य-पुस्तक व पूरक पाठ्य-पुस्तक)

प्रश्न 1.
उत्तरः
(क) नवाब साहब ने अपनी नवाबी शान का परिचय किस प्रकार दिया? ‘लखनवी अन्दाज’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः
नवाब साहब ने अपनी नवाबी शान का परिचय देने के लिए खीरे खाने के बजाए उनकी फाँकों को सूंघ कर एक-एक करके खिड़की से बाहर फेंक दिया। फिर इस क्रियाकलाप में थकान का अनुभव करते हुए लेट गए। इतना ही नहीं उन्होंने लेखक को दिखाने के लिए पेट भर जाने का प्रमाण देते हुए डकार भी ली।

(ख) लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के अनुसार देवदार की छाया और फादर कामिल बुल्के के व्यक्तित्व में क्या समानता थी?
उत्तरः
देवदार के सघन वृक्ष की छाया घनी, शीतल और मन को शांत करने वाली होती है। फादर कामिल बुल्के ‘परिमल’ के सभी सदस्यों से एक पारिवारिक रिश्ते में बँधे जैसे थे। वे सब के साथ हँसी मजाक में निर्लिप्त शामिल रहते। ‘परिमल’ के सदस्यों के घरों में होने वाले उत्सवों और संस्कार में वे बड़े भाई और पुरोहित जैसे खड़े होकर अपना आशीर्वाद देते थे। फादर की उपस्थिति में लेखक को शांति, सुरक्षा, संरक्षण और अपनत्व का अनुभव होता था। इसी कारण लेखक को फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी।

(ग) नवाब साहब का व्यवहार क्या दर्शाता है? ‘लखनवी अन्दाज’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तरः
नवाब साहब लखनऊ के तथाकथित नवाबों के खानदान से सम्बन्ध रखते थे। नवाबी चले जाने के बाद भी वे उसके प्रभाव से मुक्त नहीं हो पाए थे। उनका व्यवहार उनकी बनावटी जीवन शैली को दर्शाता है, इससे पता चलता है कि उनमें दिखावे की प्रवृत्ति है। वे रईस नहीं है केवल रईस होने का ढोंग कर के लेखक को छोटा दिखाना चाहते थे।

(घ) ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः
‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ संस्मरणात्मक लेख के माध्यम से लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने फादर कामिल बुल्के के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। फादर कामिल बुल्के मानवीय करुणा के प्रतीक थे। उनका हृदय सबके लिए प्रेम, अपनत्व और करुणा से परिपूर्ण था। ईश्वर में उनकी गहरी आस्था थी। उनके द्वारा बोले गए सांत्वना के शब्द दुखी और पीड़ित व्यक्तियों को असीम शांति प्रदान करते थे। दृढ़ संकल्प और सहज मानवीय गुणों से परिपूर्ण फादर का व्यक्तित्व ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ से प्रकाशित था। अत: पाठ का शीर्षक सार्थक है।

सामान्य त्रुटियाँ:

  • प्राय: विद्यार्थी प्रश्न-पत्र में पाठ्य पुस्तक क्षितिज भाग-2 में दिए गए प्रश्नों के अतिरिक्त कोई अन्य प्रश्न आने पर उसका
  • अर्थ समझने में भ्रमित हो जाते हैं और उसका सटीक उत्तर नहीं दे पाते हैं। फादर की उपस्थिति की देवदार के वृक्ष की घनी छाया से समानता दर्शाने में असमर्थ रहते हैं। नवाब साहब के व्यवहार के विषय में भी स्पष्ट उत्तर नहीं देते हैं।
  • कुछ विद्यार्थी पूछे गए प्रश्न का उत्तर दी गई शब्द-सीमा के अनुरूप नहीं देते हैं।

निवारण:

  • इसके लिए आवश्यक है कि विद्यार्थी प्रत्येक पाठ को बहुत ध्यानपूर्वक पढ़ें।
  • लेखन में वर्तनी गत अशुद्धियाँ न हों।
  • समयावधि का ध्यान रखते हुए प्रश्न सम्बन्धित अंकों एवं शब्द-सीमा के अनुसार ही उत्तर लिखने का प्रयास करें। विस्तार से बचें और पूरे अंक प्राप्त करने के लिए पर्याप्त शब्दों में उत्तर दें।

प्रश्न 2.
(क) कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए क्यों कहता है? (2)
उत्तरः
निराला जी की ‘उत्साह’ कविता एक आह्वान गीत है। जिसमें कवि क्रान्ति की अपेक्षा करते हुए बादलों से गर्जना करने को कहता है। बादलों की फुहार और रिमझिम से व्यक्ति के मन में कोमल भावनाओं का संचार होता है। ऐसे भावों से कवि का उद्देश्य पूरा नहीं होता। इसीलिए वह बादलों से गरजने के लिए कहता है। जिससे उदासीन लोगों के मन में उत्साह का संचार हो सके।

(ख) मानव के मन पर फागुन के सौन्दर्य का क्या प्रभाव पड़ता है? ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर लिखिए। (2)
उत्तरः
फागुन मास में प्रकृति की शोभा अनुपम होती है। चारों ओर का वातावरण हरियाली युक्त, रंग-बिरंगे फूलों की सुगन्ध से सुवासित तथा आकर्षक दिखाई देता है। फागुन की अनूठी मस्ती से मानव का मन हर्षित तथा प्रसन्नचित हो जाता है। उसके मन में खुशी का संचार होता है और वह मानो दूर नील गगन में उड़ने को व्याकुल हो जाता है। फागुन की सुन्दरता उसे अपनी ओर इस प्रकार आकर्षित करती है कि वह चाह कर उससे नजरें नहीं हटा पाता।।

(ग) अपनी बेटी को विदा करते समय माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर बताइए। (2)
उत्तरः
अपनी बेटी को विदा करते समय माँ अपना दायित्व समझ कर उसे सीख देती है कि अपने रूप सौन्दर्य पर मुग्ध मत होना। वस्त्रों और आभूषणों को अपने जीवन का बन्धन न बनने देगा। लड़की की तरह विनम्र रहकर सभी मर्यादाओं और संस्कारों का पालन करना किन्तु भोली-भाली, निरीह, अबला बनकर शोषण का शिकार मत होना।

(घ) ‘अट नहीं रही है’ कविता में उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो’ के आलोक में बताइए कि फाल्गुन लोगों के मन को किस तरह प्रभावित करता है? (2)
उत्तरः
फाल्गुन महीने में प्राकृतिक सौन्दर्य चरम पर होता है। मन कल्पनाओं में खोकर उड़ान भरने लगता है। फाल्गुन माह के वासंतिक प्रभाव से मन मन्त्र-मुग्ध हो जाता है। शीतल मंद सुगन्धित पवन नव पल्लवों और रंग-बिरंगे पुष्पों से लदी वृक्षों की डालियाँ वातावरण में मादकता भर देती हैं। मानव मन प्रसन्नता से भर उठता है।

प्रश्न 3.
(क) ‘माता का आँचल’ पाठ में वर्णित तत्कालीन विद्यालयों के अनुशासन से वर्तमान युग के विद्यार्थियों के अनुशासन की तुलना करते हुए बताइए कि आप किस अनुशासन व्यवस्था को अच्छा मानते हैं और क्यों? (3)
उत्तरः
‘माता का अँचल’ पाठ में वर्णित तत्कालीन विद्यालय अनुशासन की दृष्टि से वर्तमान विद्यालयों से बेहतर थे। छात्र एवं शिक्षकों
के मध्य आत्मीय सम्बन्ध होते हुए भी छात्र पूर्णतः अनुशासित थे। वे अपने शिक्षकों को पूरा सम्मान देते थे और शरारत करने से डरते थे क्योंकि शिक्षक पढ़ाई और अनुशासन के साथ कोई समझौता नहीं करते थे। विद्यार्थियों को भय रहता था कि यदि शिक्षक को उनकी शरारत का पता लग गया तो उन्हें दण्ड मिलेगा। जिस प्रकार बच्चों ने जब मूसन तिवारी को चिढ़ाया और उन्होंने गुरु जी से शिकायत की तो लेखक को भी अन्य छात्रों के साथ दण्ड का भागी बनना पड़ा। वर्तमान समय में छात्रों के अन्दर शिक्षक या विद्यालय का डर नहीं रह गया है। आज विद्यालय परिसर के अन्दर भी छात्र आपराधिक कृत्य करने से नहीं चूक रहे हैं। कई बार कुछ उद्दण्ड छात्र शिक्षकों के साथ मारपीट और हिंसा जैसी घटनाएँ करने से भी नहीं घबराते। अतः हम कह सकते हैं कि तत्कालीन विद्यालय वर्तमान विद्यालयों की अपेक्षा अधिक अनुशासित थे।

(ख) ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में ‘नाक’ के माध्यम से समाज पर क्या व्यंग्य किया गया है? (3)
उत्तरः
मानसिक/औपनिवेशिक गुलामी।
दिखावा।

  • नौकरशाही में टालने की प्रवृत्ति।
  • गैर-जिम्मेदारी।
  • पत्रकारिता में कर्त्तव्य बोध का अभाव।
    (कोई चार बिन्दुओं का विस्तार आपेक्षित)

व्याख्यात्मक हलः
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ के माध्यम से लेखक ने समाज पर व्यंग्य किया है कि ‘नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है।’ जॉर्ज पंचम की लाट पर नाक लगाई जाए या नहीं, इसके लिए कई आन्दोलन हुए-यह भी व्यंग्य किया गया है। इंग्लैण्ड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के स्वागत में लाट पर नाक न होने पर उत्पन्न परेशानी तथा उस नाक के नाप की खोज करना आदि के माध्यम से भारत की नाक का प्रश्न भी रखा गया है। जॉर्ज पंचम की लाट पर नाक लगेगी तभी भारत की नाक बचेगी, यह व्यंग्य भी प्रदर्शित होता है। चालीस करोड़ की जनता में से किसी भी एक व्यक्ति की जिन्दा नाक लाट पर लगाना व महारानी का मान-सम्मान करना सर्वथा अनुचित है और जिन्दा व्यक्ति की नाक काटना अनुचित के साथ-साथ पाप भी है। मगर किसी भी तरह से लाट की नाक लगनी चाहिए, इसके लिए अपने देश के लोगों को बेशक कितनी ही परेशानी झेलनी पड़ें, बेशक किसी की जान चली जाए लेकिन किसी दूसरे देश के सामने अपनी नाक नहीं कटनी चाहिए। उस समय के समाज में यह व्यंग्य भली प्रकार से उपयुक्त बैठता है।

(ग) एक संवेदनशील नागरिक के रूप में पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में आपकी क्या महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है? ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर लिखिए। (3)
उत्तरः
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना हम सब का उत्तरदायित्व है। प्रकृति के साथ आज जिस प्रकार का खिलवाड़ किया जा रहा है वह दिन दूर नहीं है, जब हमें इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे। एक संवेदनशील नागरिक के रूप में इसे रोकने में हम महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हमारा कर्तव्य है कि हम प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करें। न तो हम स्वयं वृक्षों को काटें और न ही किसी अन्य को काटने दें। अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। वाहनों का यथासम्भव कम प्रयोग करें, जिससे उसके विषैले धुएँ से वातावरण को दूषित होने से बचाया जा सके। साथ ही पॉलिथीन, फैक्ट्रियों का गन्दा पानी, अपशिष्ट पदार्थों और नालियों के गन्दे पानी को पवित्र नदियों में न जाने दें। अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखें।

सामान्य त्रुटियाँ-विद्यार्थी प्रदूषण से होने वाले दुष्परिणामों को तो लिख पाते हैं लेकिन प्रदूषण रोकने हेतु किए जाने वाले प्रयासों को लिखने में असमर्थ रहते हैं।
निवारण-छात्रों को प्रदूषण रोकने के उपायों की भली प्रकार जानकारी प्राप्त करने हेतु कक्षा में चर्चा करनी चाहिए।

रखण्ड-‘ख’
(रचनात्मक लेवन वंड) (20 अंक)

प्रश्न 4.
(क) देश निर्माण में युवा वर्ग की भूमिका

  • देश की अनमोल पूँजी युवा शक्ति
  • युवा वर्ग में भटकाव की स्थिति
  • राजनैतिक दलों द्वारा युवाओं का शोषण
  • युवाओं को उचित दिशा निर्देश आवश्यक
  • निष्कर्ष

उत्तरः
देश निर्माण में यवा वर्ग की भमिका:
किसी भी देश के युवा उस राष्ट्र की अनमोल पूँजी होते हैं। वे देश का भविष्य, उसके निर्माण का आधार होते हैं। विश्व की लगभग 25 प्रतिशत आबादी युवा है। युवा वर्ग राष्ट्र-विकास के प्रत्येक क्षेत्र में उसका प्रतिनिधित्व करने में सक्षम होता है, अतः राष्ट्र के भविष्य निर्माण में उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। युवावस्था मानव जीवन की चरम ऊर्जावान और उत्साह से परिपूर्ण अवस्था होती है। अगर युवाओं की क्षमताओं का उचित दिशा में उपयोग किया जाए तो वे तेजी से प्रगति करते हैं। ऐसे में किसी भी राष्ट्र को अपने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए युवाओं की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता होती है। अत: यह परम आवश्यक है कि हमारे देश के युवाओं की ऊर्जा, रचनात्मकता, उत्साह और दृढ़ संकल्प को उचित मार्ग दर्शन और दिशा मिले। युवा शिक्षित हों साथ ही उन्हें रोजगार, सशक्तिकरण और विकास के समान अवसर प्राप्त हों। शिक्षा प्राप्ति के पश्चात रोजगार न मिलने से कई बार कुछ युवा आपराधिक प्रवृत्तियों में संलग्न हो जाते हैं। युवाओं का भी यह कर्त्तव्य है कि वे ईमानदार, परिश्रमी और कर्त्तव्यनिष्ठ हों तथा अपनी प्रतिभा का उपयोग राष्ट्र-निर्माण के कार्यों में करें। यदि युवाओं की शक्ति का उपयोग बुद्धिमानी से किया जाए तो वे राष्ट्र को प्रगति के उच्चतम शिखर तक ले जा सकते हैं।

(ख) साइबर अपराध का बढ़ता आतंक

  • साइबर अपराध क्या है?
  • हैकिंग में मददगार उपकरण
  • साइबर अपराध से होने वाली आर्थिक हानि एवं अन्य दुष्प्रभाव
  • साइबर अपराध रोकने के उपाय
  • निष्कर्ष

उत्तरः
साइबर अपराध का बढ़ता आतंक:
इन्टरनेट ने जहाँ मानव को अनेक सुविधाएँ दी हैं, वहीं उसे साइबर अपराध जैसा आतंक का सामना भी करना पड़ रहा है। साइबर अपराधी कम्प्यूटर वायरस के माध्यम से इन्टरनेट से जुड़े हुए कम्प्यूटर में संचित सूचनाओं, आंकड़ों और प्रोग्रामों को प्राप्त करके उन्हें नष्ट कर देते हैं अथवा उनका दुरुपयोग करते हैं। साइबर अपराध के क्षेत्र में किए गए अध्ययनों से यह पता चला है कि हैकिंग की अधिकतर घटनाएँ पूर्व कर्मचारियों के सहयोग से होती हैं। वहीं हैकरों को कम्पनी के आंकड़ा कोष तक पहुँचा देते हैं और इसके बाद पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नम्बर आदि को चुरा लेना या महत्वपूर्ण आंकड़ों को नष्ट कर देना मामूली बात है। इंटरनेट पर ऐसी अनेक वेबसाइट उपलब्ध हैं जो ऐसे डिजिटल उपकरण उपलब्ध कराती हैं जो हैकिंग में मददगार हैं। इन उपकरणों की सहायता से दूसरे के कम्प्यूटरों को जाम किया जा सकता है या उन्हें अपने नियन्त्रण में लिया जाता है। साइबर अपराध के माध्यम से आम आदमी से लेकर बड़ी-बड़ी कम्पनियों तक को कई बार बहुत अधिक आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। कुछ वर्ष पूर्व अमेरिका में साइबर अपराधियों ने मेलिसा नामक वायरस इंटरनेट पर फैला कर ई-मेल कम्पनियों को 8 करोड़ डॉलर का नुकसान पहुंचाया था। साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए भारत समेत नौ एशियाई देशों ने वर्ष 2003 में एक सहयोग समझौता किया। इन देशों के बीच सूचना के आदान-प्रदान हेतु वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क नामक प्रणाली विकसित की गई है। विश्व के अन्य देशों के बीच भी इसी प्रकार के सहयोग की आवश्यकता है। इंटरपोल भी साइबर अपराधों की रोकथाम हेतु कार्य कर रहा है।

(ग) जहाँ चाह वहाँ राह

  • उक्ति का अर्थ
  • सफलता के लिए कर्म के प्रति रुचि और समर्पण भाव
  • कठिनाइयों के बीच मार्ग निकालना
  • उपसंहार

उत्तरः
जहाँ चाह वहाँ राह:
एक प्रसिद्ध कहावत है-जहाँ चाह वहाँ राह। इसका तात्पर्य है-जब मन में कोई इच्छा होती है, कुछ कर दिखाने की चाहत या अभिलाषा होती है उसके लिए रास्ते अपने आप बन जाया करते हैं। यदि व्यक्ति अपने मन में किसी लक्ष्य को पाने की ठान ले तो मार्ग की बड़ी से बड़ी बाधा उसे उसके पथ से विचलित नहीं कर सकती। सफलता पाने के लिए कर्म के प्रति रुचि और समर्पण की भावना होना परम आवश्यक है। जो लोग मन में केवल इच्छा तो रखते हैं किन्तु उसके पूरा करने के लिए न प्रयास करते हैं और न दृढ़ संकल्प ले कर कार्य के प्रति समर्पण भाव रखते हैं, वे अपने कार्य में कभी भी सफल नहीं हो पाते। कर्म के प्रति समर्पित लोग रास्ते की कठिनाइयों से नहीं घबराया करते। किसी प्रसिद्ध कवि ने कहा है
जब नाव जल में छोड़ दी, तूफान ही में मोड़ दी
दे दी चुनौती सिन्धु को, फिर पार क्या मँझधार क्या?
मार्ग में आने वाली बाधाएँ तो मनुष्य को चुनौती देती हैं, उसकी परीक्षा लेती हैं कि वह अपने कर्म के प्रति कितना निष्ठावान है! चुनौतियों के माध्यम से ही कर्म वीरों को कार्य पूरा करने की प्रेरणा मिलती है, इसलिए कठिनाइयों को मार्ग की बाधा न समझ कर उन्हें मार्ग-निर्माण का साधन समझना चाहिए। यदि महात्मा गांधी अंग्रेजी शासन की चुनौती का सामना करते हुए सत्याग्रह के द्वारा स्वतन्त्रता प्राप्ति का प्रयास न करते तो आज भी हम परतन्त्र होते। अतः हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए या किसी भी कार्य की पूर्ति के लिए प्रबल इच्छा शक्ति को मन में धारण करें और कठिन परिश्रम दृढ़ संकल्प और लगन के द्वारा उस लक्ष्य को पाने का प्रयास करें। (5)

प्रश्न 5.
फिल्म जगत में बढ़ती हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर युवा-मन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की चर्चा करते हुए किसी प्रसिद्ध दैनिक समाचार पत्र के सम्पादक को एक पत्र लिखिए।
अथवा
आप अपने आस-पास अनेक निरक्षर बच्चों को घूमते हुए देखकर उन्हें साक्षर बनाने का प्रयास कर रहे हैं। अपने इस सराहनीय कार्य की जानकारी देते हुए अपने मित्र को एक पत्र लिखिए। (5)
उत्तरः

पत्र लेखन

सेवा में,
सम्पादक,
हिन्दुस्तान टाइम्स,
नई दिल्ली।
दिनांक ……………

विषय-किशोर वर्ग पर हिंसा एवं अपराध प्रधान फिल्मों के बढ़ते दुष्प्रभावों के सन्दर्भ में।

महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से सरकार और समाज का ध्यान हिंसा प्रधान फिल्मों के युवाओं पर पड़ते दुष्प्रभावों की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। आजकल सिनेमा जगत में हिंसा प्रधान फिल्में बनाने की होड़ सी लग गई है। दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों से भी समय-समय पर उन फिल्मों का प्रदर्शन होता रहता है। ऐसा लगता है कि सरकार का इन पर कोई नियन्त्रण ही नहीं रह गया है। युवा वर्ग यहाँ तक कि किशोरों और बाल-मन पर इसका कितना दुष्प्रभाव पड़ रहा है शायद इसकी कल्पना भी कार्यक्रम प्रसारण कर्ताओं को नहीं है। कई बार कुछ ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें लूटपाट, चोरी-डकैती और हिंसक घटनाओं का मुख्य कारण इन फिल्मों में दी गई जानकारी ही रही है। फिल्मों में यह भी दर्शाया जाता है कि किस प्रकार अपराधी आसानी से पुलिस और कानून को चकमा दे देते हैं। यह उचित नहीं है क्योंकि युवा वर्ग बुराई की ओर जल्दी आकर्षित होता है। अतः इस प्रकार की फिल्मों के प्रसारण पर रोक लगाना अत्यन्त आवश्यक है।

आपके विश्वसनीय समाचार पत्र के माध्यम से मेरा सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय’ से अनुरोध है कि वह अपनी नीति में उपयुक्त सुधार कर इन बढ़ती हिंसा प्रधान फिल्मों पर रोक लगाएँ ताकि हमारे देश के किशोर एवं युवा वर्ग इसके भयानक दुष्प्रभावों से मुक्त रह सकें।

धन्यवाद सहित
भवदीय,
अ ब स
गोल मार्केट
नई दिल्ली

अथवा

203, कमला नगर
क ख ग नगर,
उत्तर प्रदेश।
दिनांक ……….
प्रिय मित्र अभिनव,
सादर नमस्ते।

मैं यहाँ सकुशल हूँ और आपकी कुशलता की कामना करता हूँ। तुम भी आजकल अपनी परीक्षा की समाप्ति के बाद ग्रीष्मावकाश का आनन्द ले रहे होगे। मित्र, तुमने अपने पिछले पत्र में इस वर्ष के मेरे ग्रीष्मावकाश के कार्यक्रम के विषय में पूछा था।

मित्र, मैंने इस ग्रीष्मावकाश में अपने निवास स्थान के निकट बसी मजदूरों की बस्ती के निरक्षर बच्चों को पढ़ाने का कार्यक्रम शुरू किया है। इसी उद्देश्य से मैंने पहले बस्ती के घर-घर जाकर बच्चों के माता-पिता से बात की और उन्हें सायंकालीन कक्षाओं में अपने बच्चों को पढ़ने भेजने के लिए तैयार किया। इस योजना के कार्यान्वयन में उनकी आर्थिक स्थिति आड़े आ रही थी, जिस कारण वे बच्चों के लिए किताबें-कॉपियाँ नहीं खरीद पा रहे थे। मेरे इस कार्य में मेरे पिता जी ने मुझे सहयोग दिया और हमने बच्चों के लिए आवश्यक स्टेशनरी, पेन, पेंसिल आदि खरीद कर उन्हें वितरित कर दीं। अब बच्चे दिन में अपने माता-पिता के कामों में हाथ बँटाते हैं और शाम को मेरे घर पर पढ़ने आते हैं। अब तक उन बच्चों ने वर्णमाला और गिनती का ज्ञान प्राप्त कर लिया है। मैं बच्चों के लिए कुछ रोचक प्रतियोगिताओं का आयोजन करने की भी तैयारी कर रहा हूँ। इस कार्य को करके मुझे बहुत सुखद अनुभूति हो रही है।

मित्र, तुम भी इसी प्रकार का कोई कार्य करोगे तो तुम्हें बहुत खुशी मिलेगी। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम तथा छोटी बहन सीमा को स्नेह कहना।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
अ ब स

प्रश्न 6.
(क) एक तीन बेडरूम वाले मकान को बेचने के लिए उसकी खूबियाँ बताते हुए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
अथवा
आप अपना पुराना कम्प्यूटर बेचना चाहते हैं। इससे सम्बन्धित एक आकर्षक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। (2.5)
उत्तरः
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Term 2 Set 2 1

अथवा

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Term 2 Set 2 2

(ख) आकाश कोचिंग सेंटर में कक्षा दस के विद्यार्थियों को गणित पढ़ाने हेतु एक योग्य शिक्षक की आवश्यकता है। उसके लिए लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए। (2.5)
उत्तरः
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Term 2 Set 2 3

प्रश्न 7.
(क) अपने बड़े भाई को प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता प्राप्त करने पर लगभग 40 शब्दों में बधाई संदेश लिखिए। (2.5)
अथवा
हिन्दी दिवस के अवसर पर लगभग 40 शब्दों में एक शुभकामना संदेश लिखिए। (2.5)
उत्तरः
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Term 2 Set 2 4

अथवा

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Term 2 Set 2 5

(ख) भाई का बहन को रक्षा-बन्धन के पावन पर्व पर लगभग 40 शब्दों में एक बधाई संदेश लिखिए। (2.5)
उत्तरः
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Term 2 Set 2 6

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