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NCERT Solutions for Class 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 2 with Solutions

December 30, 2024 by Bhagya

Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 2 will help students in understanding the difficulty level of the exam.

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 2 with Solutions

सामान्य निर्देश

  1. इस प्रश्न-पत्र में कुल 15 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  2. इस प्रश्न- पत्र में कुल चार खंड हैं- क, ख, ग, घ
  3. खंड-क में कुल 2 प्रश्न हैं, जिनमें उप- प्रश्नों की संख्या 10 है।
  4. खंड-ख में कुल 4 प्रश्न हैं, जिनमें उप- प्रश्नों की संख्या 20 है । दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 16 उप- प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  5. खंड-ग में कुल 5 प्रश्न हैं, जिनमें उप- प्रश्नों की संख्या 20 है।
  6. खंड-घ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं।
  7. प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए।

खंड ‘क’ (अपठित बोध) (14 अंक)

इस खंड में अपठित गद्यांश व काव्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1 × 3 = 3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2 × 2 = 4) प्रश्न दिए गए हैं।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए (7)

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। कोई भी व्यक्ति अकेला नहीं रह सकता, क्योंकि अकेला रहना एक बहुत बड़ी साधना है। जो लोग समाज या परिवार में रहते हैं, वे इसलिए रहते हैं, क्योंकि उन्हें एक-दूसरे की आवश्यकता होती है। परिवार का अर्थ ही है माता-पिता, दादा-दादी, चाचा-चाची, भाई-बहन का समूह। इन्हीं से परिवार बनता है और कई परिवारों के मेल से समाज बनता है। व्यक्ति से परिवार, परिवार से समाज, समाज से शहर, राज्य और राष्ट्र बनते हैं। इसीलिए जो भी व्यक्ति समाज में रहता है वह एक-दूसरे से जुड़ा रहता है । मित्रता, मनुष्य के जीवन की एक अद्भुत उपलब्धि है इसीलिए मनुष्य को समाज के लिए उपयोगी बनाना पड़ता है। ईसा ने कहा है, “जो तुममें सबसे बड़ा होगा, वह तुम्हारा सेवक होगा । ” समाज की प्रवृत्ति ऐसी है कि यदि आप दूसरों के काम आएँगे, तो समय पड़ने पर दूसरे भी आपका साथ देंगे । अतः लोकसेवा से मनुष्य की यश पाने की आकांक्षा की भी पूर्ति हो जाती है। लोकसेवा के अनेक रूप हैं; जैसे- देश – सेवा, साहित्य-सेवा आदि। कोई भी रचनात्मक कार्य, जिससे सार्वजनिक हित हो, वह परोपकार है। रोग, मृत्यु, शोक, बाढ़, भूकंप, संकट, दरिद्रता, महामारी, उपद्रव आदि में कदम-कदम पर सहानुभूति दर्शाने के अवसर विद्यमान हैं। सहानुभूति और परोपकार का अर्थ केवल दधीचि और गाँधी जैसा बलिदान ही नहीं, बल्कि दयालुता के छोटे-छोटे कार्य, मृदुता का व्यवहार, पड़ोसियों का सहायक बनने की चेष्टा, दूसरों की भावनाओं को ठेस न पहुँचाना, दूसरों की दुर्बलताओं के प्रति उदार होना, किसी को निर्धन न मानना आदि भी सहानुभूति से जुड़े परोपकार के ही लक्षण हैं।

(क) गद्यांश के आधार पर लोकसेवा का कौन-सा रूप है ?
(i) देश की सेवा
(ii) साहित्य की सेवा
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) सार्वजनिक हित
उत्तर:
(iii) (i) और (ii) दोनों गद्यांश के आधार पर लोकसेवा के दो रूप हैं; जैसे- देश की सेवा, साहित्य की सेवा आदि।

(ख) निम्नलिखित कथन पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए समाज में कोई भी व्यक्ति अकेला नहीं रह सकता, क्योंकि
1. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।
2. अकेला रहना बहुत बड़ी साधना है।
3. अकेला मनुष्य भयभीत रहता है।
4. अकेला रहना असंभव कार्य है।
कूट
(i) केवल 1 सही है
(ii) 1 और 2 सही हैं
(iii) 2 और 3 सही हैं
(iv) 3 और 4 सही हैं
उत्तर:
(ii) 1 और 2 सही हैं गद्यांश के अनुसार समाज में कोई भी व्यक्ति अकेला नहीं रह सकता, क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और अकेला रहना उसके लिए एक बहुत बड़ी साधना है।

(ग) कथन (A) अपने पड़ोसी के साथ मृदुल व विनम्र व्यवहार करना भी परोपकार है।
कारण (R) सहानुभूति से जुड़ा व्यवहार भी परोपकार का ही लक्षण है।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। गद्यांश के आधार पर अपने पड़ोसी के साथ मृदुल व विनम्र व्यवहार करना परोपकार है और सहानुभूति से जुड़ा व्यवहार भी परोपकार का ही लक्षण है।

(घ) ‘लोकसेवा से यश पाने की आकांक्षा की पूर्ति भी हो जाती है ।’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि मनुष्य यदि दूसरों की सहायता करता है, तो अवसर पड़ने पर दूसरों द्वारा उसको भी उनका साथ प्राप्त हो पाएगा। जब मनुष्य दूसरों की सहायता करता है तो उसकी लोकसेवा से यश पाने की इच्छा भी पूर्ण हो जाती है।

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में प्रमुख अंतर्निहित मूलभाव क्या है?
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश में प्रमुख अंतनिर्हित मूलभाव सहानुभूति और परोपकार हैं। हमें दूसरों की भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए, जिससे कि उन्हें ठेस न पहुँचे, साथ ही हमें दूसरों की दुर्बलताओं के प्रति उदारता का भाव भी रखना चाहिए।

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 2 with Solutions

प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

थूके, मुझ पर त्रैलोक्य भले ही थूके,
जो कोई जो कह सके, कहे, क्यों चूके
छीने न मातृपद किंतु भरत का मुझसे,
रे राम, दुहाई करूँ और क्या तुझसे?
कहते आते थे यही अभी नरदेही,
‘माता न कुमाता, पुत्र कुपुत्र भले ही ।’
अब कहें सभी यह हाय ! विरुद्ध विधाता-
‘है पुत्र-पुत्र ही, रहे कुमाता माता ।’
बस मैंने इसका बाह्य मात्र ही देखा,
दृढ़ हृदय न देखा, मृदुल गात्र ही देखा ।

परमार्थ न देखा, पूर्ण स्वार्थ ही साधा,
इस कारण ही तो हाय आज यह बाधा
युग-युग तक चलती रहे कठोर कहानी-
‘रघुकुल में भी थी एक अभागिन रानी ।’
निज जन्म-जन्म में सुनें जीव यह मेरा-
‘धिक्कार ! उसे था महा स्वार्थ ने घेरा’ !
“सौ बार धन्य वह एक लाल की माई,
जिस जननी ने है जना भरत-सा भाई”
पागल-सी प्रभु के साथ सभा चिल्लाई-
“सौ बार धन्य वह एक लाल की माई” !

(क) प्रस्तुत काव्यांश के मूल में क्या है?
(i) राम के वन आगमन पर कैकेयी की प्रसन्नता
(ii) कैकेयी का पश्चाताप
(iii) भरत का राज – तिलक
(iv) राम का वन आगमन
उत्तर:
(ii) कैकेयी का पश्चाताप प्रस्तुत काव्यांश में कैकेयी को अपने द्वारा किए गए कार्य पर पश्चाताप हो रहा है ।”

(ख) परमार्थ न देखा, पूर्ण स्वार्थ ही साधा का अर्थ है
(i) अपना स्वार्थ न देखा और दूसरों का भला सोचा
(ii) अपना ही स्वार्थ देखा और दूसरों का भला न सोचा
(iii) परमार्थ के लिए अपना स्वार्थ छोड़ दिया
(iv) स्वार्थ के लिए परमार्थ को अपना लिया
उत्तर:
(ii) अपना ही स्वार्थ देखा और दूसरों का भला न सोचा प्रस्तुत काव्यांश में बताया गया है कि कैकेयी ने सिर्फ अपने स्वार्थ को पूरा करने के में बारे सोचा था, उन्होंने यह नहीं सोचा कि राम भी उनके बेटे के समान हैं।

(ग) कैकेयी का पश्चाताप सिखाता है कि
1. अपने सुख के लिए दूसरों को दुःख न दें।
2. भरत जैसे पुत्र मुश्किल से ही पैदा होते हैं।
3. स्वार्थ की भावना कभी फलीभूत नहीं होती ।
4. स्वार्थ की भावना को सर्वोपरि रखना चाहिए।
कूट
(i) 1 और 2 सही हैं
(ii) 1 और 3 सही हैं
(iii) 1, 2 और 3 सही हैं’
(iv) 3 और 4 सही हैं
उत्तर:
(iii) 1, 2 और 3 सही हैं प्रस्तुत काव्यांश के माध्यम से कैकेयी का पश्चाताप सिखाता है कि अपने सुख के लिए दूसरों को दुःख नहीं देना चाहिए, भरत जैसे पुत्र मुश्किल से ही प्राप्त होते हैं तथा स्वार्थ की भावना को मन में रखकर किए गए कार्य में हमें कभी सफलता प्राप्त नहीं होती है।

(घ) ‘माता न कुमाता, पुत्र कुपुत्र भले ही’ से क्या आशय है?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि समाज में पुत्र – कुपुत्र हो सकता है, लेकिन माता कुमाता कभी नहीं हो सकती अर्थात् पुत्र माता के प्रति कठोर हो सकता है अहित कर सकता है, परंतु माता कभी भी अपने पुत्र का अहित नहीं कर सकती।

(ङ) प्रस्तुत काव्यांश का केंद्रीय भाव लिखिए ।
उत्तर:
प्रस्तुत काव्यांश का केंद्रीय भाव यह है कि मनुष्य को अपनी स्वार्थ सिद्धि में दूसरों को कष्ट नहीं देना चाहिए। जिस प्रकार युग-युग से यह कठोर कहानी चली आ रही है कि रघुकुल की अभागिन रानी ने अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए अहितकर कार्य किया। इससे यह सिद्ध होता है कि अपनी स्वार्थी प्रवृत्ति के कारण दूसरों का अहित नहीं करना चाहिए ।

खंड ‘ख’ ( व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)

व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1 × 16 = 16) के उत्तर देने हैं।

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 2 with Solutions

प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)

(क) ‘पिता के ठीक विपरीत जो थी वह हमारी बेपढ़ी-लिखी माँ थी। सरल वाक्य में परिवर्तित कीजिए ।
उत्तर:
पिता के ठीक विपरीत हमारी बेपढ़ी-लिखी माँ थी।

(ख) ‘मैंने एक बहुत गोरे व्यक्ति को देखा ।’ मिश्र वाक्य में परिवर्तित कीजिए ।
उत्तर:
मैंने एक व्यक्ति देखा, जो बहुत गोरा था।

(ग) पानी की ओर देखकर सभी डर गए ।’ संयुक्त वाक्य में परिवर्तित कीजिए ।
उत्तर:
सभी ने पानी की ओर देखा और सब डर गए।

(घ) ‘शहर में बाढ़ आई और तबाही मच गई।’ रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए ।
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य संयुक्त वाक्य है।

(ङ) ‘सीमा इसलिए विद्यालय नहीं गई, क्योंकि वह बीमार है।’ रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए ।
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य मिश्र वाक्य है।

प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)

(क) ‘सारे संसार द्वारा निस्तब्धता में सोया जा रहा है।’ वाच्य का प्रकार बताइए ।
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य भाववाच्य है।

(ख) ‘राधा द्वारा बच्चों को भोजन दिया गया।’ इसे कर्तृवाच्य में बदलिए ।
उत्तर:
राधा ने बच्चों को भोजन दिया।

(ग) उससे चुपचाप नहीं बैठा जाता।’ वाच्य का प्रकार बताइए ।
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य भाववाच्य है।

(घ) ‘प्रिंसिपल ने पिताजी को स्कूल में बुलाया।’ कर्मवाच्य में बदलिए ।
उत्तर:
प्रिंसिपल द्वारा पिताजी को स्कूल में बुलाया गया।

(ङ) राजा खेल नहीं सकता। इसे भाववाच्य में बदलिए ।
उत्तर:
राजा से खेला नहीं जा सकता।

प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘पद परिचय’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदों का पद परिचय लिखिए | ( 1 × 4 = 4 )

(क) तुम हमारी बुराई कर रहे थे।
उत्तर:
बुराई भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ता कारक

(ख) रजनी मधुर गीत गाती है।
उत्तर:
मधुर गुणवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन, विशेष्य, गीत

(ग) निरंतर कार्य करने से ही सफलता मिलती है।
उत्तर:
निरंतर कालवाचक क्रियाविशेषण, विशेष्य क्रिया ‘मिलती है’

(घ) अनुमान के प्रतिकूल डिब्बा निर्जन नहीं था |
उत्तर:
प्रतिकूल संबंधबोधक अव्यय अनुमान और डिब्बा के बीच संबंध

(ङ) कोई तुम्हें पूछ रहा है। कोई लड़का उठकर चला गया।
उत्तर:
पहला कोई अनिश्चयवाचक सर्वनाम, दूसरा कोई सार्वनामिक विशेषण

प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)

(क) “तब बहता समय शिला-सा जम जाएगा ।”
प्रस्तुत काव्य पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर:
प्रस्तुत काव्य पंक्ति में समय को पत्थर-सा जमने के लिए कहा गया है। अतः यहाँ उपमा अलंकार है।

(ख) “सोहत ओढे पीत पटु, श्याम सलौने गात ।
मनो नीलमणि शैल पर आतप परयौ प्रभात ।”
उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर:
प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में श्रीकृष्ण के सुंदर श्याम शरीर पर नीलमणि पर्वत की तथा प्रभात की धूप की मनोरम कल्पना की गई है। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है ।

(ग) “भूप सहस दस एकहिं बारा । लगे उठावन टरत न टारा” पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्तियों में बताया गया है कि धनुषभंग के समय दस हजार राजा एक साथ ही उस शिव धनुष को उठाने लगे, पर वह तनिक भी अपनी जगह से नहीं हिला । अतः यहाँ लोक सीमा से अधिक बढ़ा बढ़ाकर उसका वर्णन किया गया है, अतएव अतिशयोक्ति अलंकार है।

(घ) “मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के” पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर:
मेघ आए बड़े बन-ठन के सवर के पंक्ति निर्जीव वस्तु (मेघ) में मानवीय क्रियाओं का आरोप होने से मानवीकरण अलंकार है ।

(ङ) प्रीति-नदी मैं पाऊँ न बोरयौ । प्रस्तुत पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति में उपमेय में उपमान का भेद रहित आरोप होने के कारण रूपक अलंकार है।

खंड ‘ग’ (पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (30 अंक)

इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक ‘उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)

एक संस्कृत व्यक्तिं किसी नई चीज की खोज करता है, किंतु उसकी संतान को वह अपने पूर्वजों से अनायास ही प्राप्त हो जाती है। जिस व्यक्ति की बुद्धि ने अथवा उसके विवेक ने किसी भी नए तथ्य का दर्शन किया, वह व्यक्ति ही वास्तविक संस्कृत व्यक्ति है और उसकी संतान, जिसे अपने पूर्वज से वह वस्तु अनायास ही प्राप्त हो गई है, वह अपने पूर्वज की भाँति सभ्य भले ही बन जाए, संस्कृत नहीं कहला सकता।

एक आधुनिक उदाहरण लें। न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त का आविष्कार किया। वह संस्कृत मानव था। आज के युग का भौतिक विज्ञान का विद्यार्थी न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण से तो परिचित है ही, लेकिन उसके साथ उसे और भी अनेक बातों का ज्ञान प्राप्त है, जिनसे शायद न्यूटन अपरिचित ही रहा । ऐसा होने पर हम आज के भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी को न्यूटन की अपेक्षा अधिक सभ्य भले ही कह सके, परंतु न्यूटन जितना संस्कृत नहीं कह सकते।

(क) संस्कृत व्यक्ति की उपलब्धि क्या है?
(i) अनायास ही वस्तु प्राप्त हो जाना
(ii) पूर्वजों द्वारा अपरिचित होना
(iii) अपने विवेक से नई चीज की खोज करना
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iii) अपने विवेक से नई चीज की खोज करना प्रस्तुत गद्यांश के ‘अनुसार, संस्कृत व्यक्ति की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि वह अपने विवेक से नई चीज की खोज तथा नए तथ्य के दर्शन करता है।

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 2 with Solutions

(ख) संस्कृत व्यक्ति की संतान संस्कृत क्यों नहीं कहला सकती क्योंकि
1. उसने नए तथ्य की खोज करने में सहायता की है।
2. उसे अपने पूर्वजों से वस्तु अनायास ही प्राप्त हुई है।
3. वह आविष्कार करने के तथ्यों से परिचित है।
4. उसने अपने विवेक का प्रयोग किया है।
कूट
(i) कथन 1 सही है।
(ii) कथन 2 सही है।
(iii) कथन 3 और 4 सही हैं।
(iv) कथन 1 और 2 सही हैं।
उत्तर:
(ii) कथन 2 सही है। गद्यांश के अनुसार, संस्कृत व्यक्ति की संतान संस्कृत नहीं कहला सकती, क्योंकि उसे अपने पूर्वजों से वस्तु अनायास ही प्राप्त हुई है, इसलिए वह सभ्य कहला सकती है, परंतु संस्कृत नहीं।

(ग) न्यूटन को संस्कृत मानव किस प्रकार कहा जा सकता है?
(i) न्यूटन भौतिक विज्ञान का आविष्कारक है.
(ii) न्यूटन अनेक बातों से सहमत था
(iii) न्यूटन ने सभ्य बनने के लिए अनेक प्रयोग किए.
(iv) न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का आविष्कार किया
उत्तर:
(iv) न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का आविष्कार किया न्यूटन को संस्कृत मानव इसलिए कहा जाता है, क्योंकि न्यूट ही गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का आविष्कार किया था।

(घ) कथन (A) आज के भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी को सभ्य कह सकते हैं।
कारण (R) उन्होंने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है ।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है ।
उत्तर:
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है। आज के भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी को सभ्य कह सकते हैं, किंतु न्यूटन जितना संस्कृत नहीं | न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया था।

(ङ) न्यूटन अनेक बातों से अपरिचित क्यों रहा?
(i) क्योंकि उसे बाद की अनेक बातों का ज्ञान नहीं था ।
(ii) क्योंकि उसे सिद्धांतों की जानकारी नहीं थी ।
(iii) क्योंकि वह नियमों का ज्ञाता नहीं था ।
(iv) क्योंकि उसे संस्कृति की पहचान थी ।
उत्तर:
(i) क्योंकि उसे बाद की अनेक बातों का ज्ञान नहीं था न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया था, लेकिन वे कुछ बातों से अपरिचित थे। आज के भौतिक विज्ञान के विद्यार्थी को गुरुत्वाकर्षण के अतिरिक्त अन्य बातों का भी ज्ञान है, जिससे शायद न्यूटन अपरिचित ही रहे।

प्रश्न 8.
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)

(क) “बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है? आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं? अपने विचार लिखिए |
उत्तर:
लेखक का यह कथन कि बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती हैं? यह नई कहानी आंदोलन के कथाकारों पर किया गया व्यंग्य है। इस व्यंग्य के माध्यम से वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि कोई भी कहानी विचार, घटना व पात्रों के अभाव में उसी प्रकार नहीं लिखी जा सकती, जिस प्रकार खाद्य सामग्री को खाएँ बिना उसका रसास्वादन नहीं किया जा सकता, केवल खाने का अभिनय किया जा सकता है। विचार कहानी लेखन के लिए लेखक को प्रेरित करते हैं, घटनाएँ कथावस्तु को आगे बढ़ाने का कार्य करती हैं और पात्र कहानी में प्राणों का संचार करते हैं। यह कहानी के आवश्यक तत्त्व हैं, इनके बिना लिखी गई रचना को एक स्वतंत्र रचना कहा जा सकता है, लेकिन कहानी नहीं। अतः हम उनके विचार से सहमत हैं।

(ख) बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर अपने तर्क प्रस्तुत कीजिए |
उत्तर:
कुछ ऐसे मार्मिक प्रसंग हैं, जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे, जो निम्नलिखित हैं
(i) बालगोबिन भगत ने अपने इकलौते जवान बेटे की मृत्यु पर शोक मनाने के स्थान पर कहा कि उनके पुत्र की आत्मा परमात्मा में जाकर लीन हो गई है, इसलिए इस बात का शोक नहीं करना चाहिए।
(ii) सामाजिक मान्यता है कि मृत शरीर को मुखाग्नि पुरुष वर्ग के हाथों दी जाती है, परंतु भगत ने अपने पुत्र का क्रियाकर्म स्वयं न करके अपनी पतोहू से ही करवाया।
(iii) जब भगत के पुत्र के श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई, तो उन्होंने अपनी पतोहू के भाई को बुलाकर आदेश दिया कि इसे अपने घर ले जाओ और इसका दूसरा विवाह कर देना, क्योकि इसकी आयु अभी बहुत कम है, जबकि हमारे समाज में विधवा विवाह को मान्यता नहीं दी गई है। वह अन्य साधुओं की तरह भिक्षा माँगकर खाने के विरोधी थे।

(ग) बिस्मिल्ला खाँ का क्या दुःख-दर्द था ? ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
बिस्मिल्ला खाँ का दुःख-दर्द यह था कि उन्हें एक ही जुनून था, एक ही धुन थी, खुदा से सच्चा सुर पाने की प्रार्थना करते थे, पाँचों वक्त की नमाज सुर को पाने की प्रार्थना में खर्च हो जाती थी। वे नमाज के बाद सजदे में यही गिड़गिड़ाते थे। मेरे मालिक एक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर दे कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगिनत आँसू निकल आएँ। उनके लिए सुरों से बढ़कर कोई चीज कीमती नहीं थी ।

(घ) ‘एक कहानी यह भी पाठ के आधार पर लेखिका की माँ के स्वभाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लेखिका की माँ का स्वभाव अपने पति जैसा नहीं था। वह एक अनपढ़ महिला, थी । वह अपने पति के क्रोध को चुपचाप सहते हुए स्वयं को घर के कामों में व्यस्त किए रहती थी । अनपढ़ होने पर भी लेखिका की माँ धरती से भी अधिक धैर्य और सहनशीलता वाली थी। उन्होंने अपने पति के सभी अत्याचारों को भाग्य समझा। उन्होंने परिवार में किसी से कुछ न माँगा, बल्कि दिया ही दिया है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)

बहसि लखन बोले मृदु बानी । अहो मुनीसु महाभट मानी ।।
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू । चहत उड़ावन फूँकि पहारू ।।
इहाँ कुम्हड़बतिआ कोउ नाहिं । जे तरजनी देखि मरि जाहीं ।।
देखि कुठारू सरासन बाना । मैं कछु कहा सहित अभिमाना ।।
भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी । जो कछु कहहु सहौं रिस रोकी ।।
सुर महिसुर हरिजन अरु गाई । हमरे कुल इन्ह पर न सुराई ।।
बधे पापु अपकीरति हारें । मारतहूँ पा परिअ तुम्हारें ।
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा । ब्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा।।
जो बिलोकि अनुचित कहेउँ छमहु महामुनि धीर ।
सुनि सरोष भृगुबंसमनि बोले गिरा गंभीर ।।

(क) ‘चहत उड़ावन फूँकि पहारु’ पंक्ति का आशय है सही विकल्प का चयन कीजिए ।

1. फूँककर पहाड़ उठाना चाहते हैं
2. फूँक से पहाड़ उड़ाना चाहते हैं
3. कुठार को फूँक मारकर उड़ाना चाहते हैं
4. बाण को फूँक से उठाना चाहते हैं।
कूट
(i) कथन 1 सही है ।
(ii) कथन 2 सही है।
(iii) कंथन 1 और 2 सही हैं।
(iv) कथन 3 और 4 सही हैं।
उत्तर:
(ii) कथन 2 सही है। प्रस्तुत पंक्ति में लक्ष्मण परशुराम के विषय में व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि आप फूँक से पहाड़ उड़ाना चाहते हैं।

(ख) लक्ष्मण जी ने फरसा दिखाने पर परशुराम जी को क्या कहा ?
(i) आप हमारी तुलना स्वयं से न कीजिए
(ii) यहाँ कोई कुम्हड़े के छोटे फल के समान नहीं है
(iii) हम आपकी इन धमकियों से नहीं डरने वाले
(iv) आप अधिक क्रोध न कीजिए
उत्तर:
(ii) यहाँ कोई कुम्हड़े के छोटे फल के समान नहीं है जब परशुराम जी लक्ष्मण को बार-बार अपना फरसा दिखा रहे थे, तो लक्ष्मण जी ने उनसे कहा कि मुझे ऐसा लगता है आप फूँक से ही पहाड़ उड़ाना चाहते हैं, परंतु हे मुनिवर ! यहाँ पर कोई कुम्हड़े के फल के समान नहीं है, जो आपकी तर्जनी उँगली को देखते ही मर जाएगा अर्थात् यहाँ कोई इतना कमजोर नहीं है, जो आपके फरसे से डर जाए।

(ग) कथन (A) लक्ष्मण जी परशुराम के वचनों से अपने क्रोध को सहन कर रहे थे।
कारण (R) परशुराम जी जनेऊधारी थे।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है ।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। लक्ष्मण जी परशुराम जी के क्रोध भरे वचनों को सुनकर कहते हैं कि हे मुनिवर ! मैं अपने क्रोध को इसलिए सहन कर रहा हूँ कि आप महर्षि भृगु के वंशज हैं और जनेऊधारी ब्राह्मण भी हैं। अन्यथा आपके इन वज्र के समान कठोर वचनों को कौन सहन करेगा।

(घ) काव्यांश के अनुसार रघुकुल की मर्यादा है।
(i) देवता, ब्राह्मण, हरिभक्त व गाय की रक्षा करना
(ii) स्त्री का सम्मान नहीं करना
(iii) लोगों पर अत्याचार करना
(iv) बड़े-बुजुर्गों का सम्मान नहीं करना
उत्तर:
(i) देवता, ब्राह्मण, हरिभक्त व गाय की रक्षा करना रघुकुल की मर्यादा के विषय में बताते हुए लक्ष्मण जी परशुराम जी से कहते हैं कि रघुकुल में देवताओं, ब्राह्मणों, हरिभक्तों और गाय पर वीरता नहीं दिखाई जाती है। इन्हें मारने से पाप लगता है तथा इनसे हारने पर अपयश मिलता है।

(ङ) परशुराम के वचनों की क्या विशेषता है सही विकल्प का चयन कीजिए।
1. वे अत्यंत मृदु वचन बोलते हैं
2. वे अत्यंत कटु वचन बोलते हैं
3. वे व्यर्थ वचनों का संभाषण करते हैं
4. वे करोड़ों वज्रों के समान कठोर वचन बोलते हैं
कूट
(i) कथन 1 सही है।
(ii) कथन 1 और 2 सही हैं।
(iii) कथन 3 और 4 सही हैं।
(iv) कथन 4 सही है।
उत्तर:
(iv) कथन 4 सही है लक्ष्मण परशुराम जी से कहते हैं कि आप तो धनुष-बाण और कुठार (फरसा) व्यर्थ में ही धारण किए हुए हैं, क्योंकि आपके वचन ही करोड़ों वज्रों के समान कठोर हैं।

प्रश्न 10.
कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)

(क) ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर बताइए कि फागुन (फाल्गुन) मास के आने से पेड़ों की डालियों के स्वरूप में क्या परिवर्तन दिखाई देता है ?
उत्तर:
‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर कवि यह बताना चाहते हैं कि जैसे ही फाल्गुन मास आता है उस समय डालियों के रंग में परिवर्तन दिखाई देने लगता है। कहीं लाल, तो कहीं हरे-हरे पत्तों से लदी डालियाँ दिखाई देने लगती है, चारों ओर फूल ख़िल जाते हैं, जो सभी दिशाओं को सुंगध से भर देते हैं। फाल्गुन में प्रकृति की सुंदरता को देखकर मनुष्य, पशु-पक्षी आदि सभी का मन प्रसन्न हो जाता है।

(ख) सूरदास द्वारा प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
यहाँ गोपियों का योग साधना के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण दिखाई देता है। उन्हें श्रीकृष्ण से अनन्य प्रेम था। उनके अनुसार, योग-साधना का महत्त्व तो उनके लिए होता है, जो जीवन से प्यार करते हैं, परंतु वे तो केवल श्रीकृष्ण से प्यार करती हैं। अतः वे योग को तुच्छ वस्तु समझती हैं। इसीलिए वे कहती हैं कि योग का संदेश उन्हें सौंप दो, जिनके मन चंचल हैं।

(ग) संगतकार की आवाज में दिखाई देने वाली हिचक क्या प्रदर्शित करती है ?
उत्तर:
संगतकार की आवाज की हिचक उसकी कमजोरी को प्रदर्शित करती है। वह अपनी पूरी आवाज से नहीं गाता, क्योंकि वह नहीं चाहता कि मुख्य गायक से उसकी आवाज तेज हो जाए, क्योंकि इससे मुख्य गायक का प्रभाव क्षीण हो सकता है। इस कारण उसकी आवाज में एक हिचक लगती है।

(घ) यदि बच्चे की माँ उसका परिचय कवि से नहीं कराती, तो क्या होता? ‘यह दंतुरित मुसकान’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए |
उत्तर:
यदि बच्चे की माँ उसका परिचय कवि से नहीं कराती, तो बच्चा कवि को देखकर हँसता नहीं और कवि उसके नए-नए निकले दाँतों वाली मुसकान को देखने का सौभाग्य प्राप्त न कर पाता, क्योंकि माँ के परिचय कराने से पहले बच्चा कवि को पहचान नहीं पाया था, वह कवि से पहली बार मिल रहा था, इसलिए उसकी माँ उन दोनों के बीच माध्यम बनी थी।

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प्रश्न 11.
पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए।
(4 × 2 = 8)

(क) ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर बताइए कि बच्चा माता के द्वारा अधिक सजाया-सँवारा जा सकता है या पिता के द्वारा? उदाहरण सहित यह भी बताइए कि भोलानाथ के खाने तथा खेलने हेतु जाने के प्रसंगों से आपको क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
माता का अंचल’ पाठ के आधार पर यह पता चलता है कि बच्चा न केवल माँ और न केवल पिता के द्वारा सजाया-सँवारा जा सकता है, बल्कि इसके लिए माता और पिता दोनों की संयुक्त रूप से जरूरत है। जब भोलानाथ के पिता उसे भोजन कराना भूल जाते थे, तो उसकी माँ से रहा नहीं जाता था और वह भोलानाथ को भोजन कराती थी। इसी प्रकार जब भोलानाथ खेलने जाता और उसको कोई संकट महसूस होता था, तो वह पिता के पास न जाकर माँ के पास जाता है, क्योंकि माँ की गोद में जो ममता और स्नेह होता है वही उसके जख्मों को भरकर सुरक्षा दे सकता है।

इस पाठ में एक प्रसंग है कि भोलानाथ एक साँप को देखता है, तो वह किसी सुरक्षित स्थान पर छिपना चाहता था, जहाँ वह साँप से सुरक्षित रह सके, तब वह अपनी माँ के आँचल में छिप जाता है, क्योंकि माँ प्यार, दुलार व स्नेह से उसे अधिक सुरक्षा प्रदान करती है। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि एक बच्चे के लिए उसकी माँ का आँचल ही सबसे सुरक्षित स्थान होता है।

(ख) पर्यावरण संरक्षण में हमारे रीति-रिवाजों व परंपराओं का महत्त्वपूर्ण योगदान है, इसलिए हमें उन्हें पुनः अपनाने की आवश्यकता है। ‘साना-साना हाथ जोड़ि ́ पाठ के आधार पर इस कथन के पक्ष या विपक्ष में अपना मत प्रकट कीजिए ।
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण में हमारे रीति-रिवाजों व परंपराओं का महत्त्वपूर्ण योगदान है, इसलिए हमें उन्हें पुनः अपनाने की आवश्यकता है। ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर हम इस कथन के पक्ष में हैं, क्योंकि हम भी ऐसे ही समाज में रहते हैं, जहाँ बहुत ही रीति-रिवाज व परंपराओं का महत्त्वपूर्ण योगदान है, ये रीति-रिवाज हमारे पूर्वजों की पीढ़ी से चले आ रहे हैं, इसलिए हमें इनको बरकरार रखना चाहिए और साथ ही पर्यावरण संरक्षण से जुड़े सभी रीति-रिवाजों को अपनाना चाहिए तथा हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए।

(ग) कृतिकार की ईमानदारी से आप क्या समझते हैं? ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ के लेखक ने इस ईमानदारी के समक्ष किस तरह की लेखकीय विवशताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर:
लेखक को विश्वास है कि सच्चा लेखन भावनाओं, भावुकता और आंतरिक अनुभव से प्रेरित होता है। लेखन की विवशता मन के अंदर छिपी हुई भावनाओं और अनुभूतियों के साथ जागती है, बाहरी घटनाओं से नहीं। एक कवि तब तक उन भावनाओं को व्यक्त करने के लिए लिखने में सक्षम नहीं होता, जब तक उसका हृदय उन अनुभवों के कारण संवेदनशील नहीं होता। लेखक बताता है कि वह लिखने से मन के दबाव से मुक्त होता है अर्थात् लेखन उनके भावों और भावनाओं को अवगत कराने का एक माध्यम बनता है। कई बार लेखक का मन शायद लेखन के लिए उत्सुक नहीं होता, लेकिन प्रकाशक की विनती उसे लेखन के लिए विवश कर देती है। इसके अतिरिक्त आर्थिक कारण से भी लेखक को लेखन के लिए विवश होना पड़ता है।

खंड ‘घ’ (रचनात्मक लेखन) (20 अंक)

इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए । (6)

(क) प्राकृतिक आपदाएँ
संकेत बिंदु
• भूमिका
• प्राकृतिक आपदाओं के दुष्प्रभाव
• प्राकृतिक आपदाओं के कारण
• बचाव के उपाय
उत्तर:
प्राकृतिक आपदाएँ
प्रकृति ने मनुष्य को जीवन के सभी प्रकार के सुख प्रदान किए हैं। प्रकृति मनुष्य को हर प्रकार से सहयोग प्रदान करती है, लेकिन मनुष्य अपने स्वार्थ के वशीभूत होकर प्रकृति का अनुचित लाभ उठाता है, जिसके फलस्वरूप प्रकृति क्रोधित होकर अपना विनाशकारी रूप दिखाती है। कुछ आपदाएँ स्वाभाविक होती हैं तथा कुछ आपदाएँ मनुष्य के द्वारा उत्पन्न की गई होती हैं।

प्राकृतिक आपदा को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है, कि एक ऐसी प्राकृतिक घटना, जिसमें एक हजार से लेकर दस लाख तक लोग प्रभावित हों और उनका जीवन खतरे में हो, तो वह प्राकृतिक आपदी कहलाती है। वस्तुतः मनुष्य सदा अपनी बौद्धिक क्षमता से प्राकृतिक शक्तियों को नियंत्रित करता रहा है, लेकिन प्रकृति का एक हल्का-सा झटका भी उसे उसकी हैसियत बता देता है।

यद्यपि मनुष्य ने जल, थल, वायु, आकाश आदि पर अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया है, तथापि प्रकृति की शक्ति के सामने अभी भी उसकी स्थिति एक बच्चे जैसी ही है। उसकी सारी तकनीकें, आविष्कार, खोज आदि प्रकृति की एक करवट के समक्ष धरे के धरे रह जाते हैं। अभी हाल ही में आई उत्तराखंड की आपदा और जम्मू-कश्मीर की बाढ़ ऐसी ही चेतावनियाँ थीं, जिन्होंने मानव को अपने विकास के मॉडल पर पुनर्विचार करने के लिए विवश कर दिया।

प्राकृतिक आपदा एक असामान्य प्राकृतिक घटना है, जो कुछ समय के लिए ही आती है, परंतु अपने विनाश के चिह्न लंबे समय के लिए छोड़ जाती है। प्राकृतिक आपदाएँ अनेक तरह की होती हैं; जैसे- हरिकेन, सुनामी, सूखा, बाढ़, टायफून, बवंडर, चक्रवात आदि मौसम से संबंधित प्राकृतिक आपदाएँ हैं। दूसरी ओर भूस्खलन एवं बर्फ की सरकती चट्टानें ऐसी प्राकृतिक आपदाएँ हैं, जिनमें स्थलाकृति परिवर्तित हो जाती है।
प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय यह है कि ऐसी तकनीकें विकसित करने पर जोर दिया जाए, जिनसे प्राकृतिक आपदाओं की सटीक भविष्यवाणी की जा सके, ताकि समय रहते जान-माल की सुरक्षा संभव हो सके।

इसके अतिरिक्त प्राकृतिक आपदा की स्थिति उपस्थित होने पर किस तरह उससे निपटना चाहिए, इसके लिए आपदा प्रबंधन सीखना अति आवश्यक है। इस उद्देश्य हेतु एक व्यवस्थित पाठ्यक्रम होना चाहिए तथा प्रत्येक नागरिक के लिए इसका प्रशिक्षण अनिवार्य होना चाहिए।

(ख) दूरदर्शन का समाज पर प्रभाव

संकेत बिंदु
• भूमिका
• समाज पर दूरदर्शन का प्रभाव
• दूरदर्शन के लाभ और उपयोगिता
• दूरदर्शन की कमियाँ
उत्तर:
दूरदर्शन का समाज पर प्रभाव
भारत में दूरदर्शन की स्थापना 15 सितंबर, 1959 को हुई, किंतु अधिकतर जनता तक इसको पहुँचने में बहुत वर्ष लग गए। विज्ञान के ऐसे चमत्कारिक आविष्कार के कारण हमें मनोरंजन की सुविधा इतनी आसानी से आज इसके द्वारा उपलब्ध हो पाती है। भारत में दूरदर्शन का बड़ा सामाजिक महत्त्व है, वास्तव में यदि हम भारत को एक आधुनिक समाज बनाने और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति की गति को तीव्र करने के लिए हमें दूरदर्शन स्टेशनों का जाल बिछाना बहुत आवश्यक था और शीघ्र से शीघ्र समस्त जनता तक टेलीविजन पहुँचाना भी जरूरी था। टेलीविजन मनोरंजन का एक अच्छा साधन है। यह जनसंचार के बहुत ही प्रभावी साधनों में से एक है।

सरकार टेलीविजन के माध्यम से जनसंचार के अन्य माध्यमों की अपेक्षा नीति और कार्यक्रमों को अधिक से अधिक जनता तक अधिक प्रभावी रूप में पहुँचाती है, वांछित तरीके से जनता को शिक्षित भी करती है। ग्रामीण भारत के आधुनिकीकरण में टेलीविजन ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रोजगार के अवसरों और विभिन्न क्षेत्रों में वर्तमान रिक्तियों के विषय में दूरदर्शन पर समाचार देकर सरकार बेरोजगार लोगों को उनके लिए आवेदन करने में सहायता दे सकती है, क्योंकि टेलीविजन में श्रव्य और दृश्य दोनों सुविधाएँ होती हैं, जिसका प्रभाव जनसंचार के अन्य साधनों से अधिक होता है। नाटकों, प्रहसनों के द्वारा टेलीविजन बहुत प्रभावी ढंग से उन बहुत-सी बुराइयों को दूर करने में सहायता कर सकता है, जिन्होंने भारतीय समाज को खोखला कर रखा है। टेलीविजन के द्वारा जनता को अच्छी राजनीतिक शिक्षा प्रदान की जा सकती हैं।

दूरदर्शन विज्ञान के अत्यंत मनमोहक आविष्कारों में से एक है। वायरलेस और रेडियो को विज्ञान के महान चमत्कारों में गिना जाता था। हजारों मील बाहर से आवाज सुनकर लोगों में सनसनी पैदा हो जाती थी और वे यह आश्चर्य करते थे कि ऐसा कैसे संभव हो सकता है, किंतु जब दूरदर्शन के पर्दे पर सैकड़ों मील दूर से मनुष्य की आवाज के साथ-साथ उसकी तस्वीर भी दिखाई पड़ने लगी, तब हमारे आश्चर्य का ठिकाना ना रहा और यह निःसन्देह ही सिद्ध हो गया कि मनुष्य की आविष्कार करने की शक्ति पर कोई सीमा नहीं लगाई जा सकती।

टी.वी. देखना आँखों के लिए ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। दूरदर्शन के विरुद्ध एक आरोप यह है कि इसने सामान्य रूप से जनता की और विशेष रूप से छात्रों की अध्ययन करने की आदत पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और इसने ध्यान केद्रित करने वाली हमारी मानसिक शक्ति को प्रभावित किया है, जिससे हम वह गहरा चिंतन नहीं कर सकते, जो हमारी सृजनात्मक शक्तियों के विकास के लिए आवश्यक है। यह सब आरोप बेबुनियाद हैं, क्योंकि उपर्युक्त वर्णित टी.वी. के हानिकारक प्रभाव को टी.वी. के मत्थे न मढ़कर टी.वी. के प्रति हमारे दृष्टिकोण पर मढ़ा जाना चाहिए। हमें टी.वी. को अपना सहायक बनाना चाहिए न कि स्वामी, साधन बनाना चाहिए, न कि साध्य ।

(ग) साँच को आँच नहीं

संकेत बिंदु
• भूमिका
• सत्य बोलने वालों के उदाहरण
• सत्य बोलने का महत्त्व
• सत्य न बोलने का परिणाम
उत्तर:
साँच को आँच नहीं
हम सभी जानते हैं कि साँच को कभी आँच नहीं होती अर्थात् जो व्यक्ति सत्य बोलता है, उसे कभी कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता। जब इंसान अपने जीवन में सत्य के मार्ग पर चलता है, तो उसे कुछ समय तक मुश्किलों का सामना तो करना पड़ता हैं, लेकिन अंत में उसके जीवन की मुसीबतें हमेशा के लिए दूर हो जाती हैं। आज के जमाने में बहुत-से लोग ऐसे हैं, जो कहते हैं कि झूठ बोले बिना काम नहीं चलेगा, लेकिन झूठ बोलकर हम सभी कुछ समय के लिए आनंद जरूर ले सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक जीवन यापन नहीं कर सकते, इसलिए हमें हमेशा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। हमारे भारत देश में आज हम स्वतंत्र है, लेकिन पहले ऐसा कुछ भी नहीं था।

बहुत-से स्वतंत्रता सेनानियों ने हमें अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराया और अगर हम मुक्त नहीं होते तो अभी भी गुलामी की जंजीरों में फँसकर बहुत-सी मुसीबतों का सामना कर रहे होते। महात्मा गाँधी, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह जैसे बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानियों ने हम सभी को गुलामी से आजाद कराने के लिए बहुत-सी परेशानियों का सामना किया। बहुत से स्वतंत्रता सेनानी इस स्वतंत्रता की लड़ाई में मारे गए थे।

कुछ को फाँसी दे दी गई, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। यह एक कटु सत्य है कि असत्य बोलने वालों को क्षणिक सफलता तो मिल जाती है, किंतु उनका अंत बुरा होता है तथा अंतत: पराजय का सामना उन्हें करना पड़ता है। इस विषय में सत्यवादी हरिश्चंद्र का जीवन साक्षात् प्रमाण है, जिन्होंने सत्य की रक्षा के लिए अनेक कष्ट सहे, किंतु सत्य को एक पल के लिए भी नहीं छोड़ा। इसलिए उनका नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है और वह हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो चुके हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए, क्योंकि सत्य को अपनाकर ही हम अपने जीवन में शांति और संतोष प्राप्त कर सकते हैं। सत्य बोलकर हम इस समाज का कल्याण करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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प्रश्न 13.
आप स्वाति गाँधी /अनूप गाँधी हैं। समाचार-पत्रों में विज्ञापनों की भरमार को कम करने और समसामयिक विषयों पर लेखन की आवश्यकता को दर्शाते हुए दैनिक जागरण समाचार-पत्र के संपादक को अनुरोध करते हुए 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (5)
अथवा
आपका नाम राजसिंह / राधा राजपूत है। आप अपने विद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ समाजसेवा के लिए जाना चाहते हो। इस कार्य हेतु अनुमति माँगते हुए अपने पिता को 100 शब्दों में पत्र लिखिए |
उत्तर:
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 17 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
संपादक महोदय,
नव भारत टाइम्स,
नई दिल्ली।
विषय विज्ञापनों की भरमार कम करने एवं समसामयिक विषयों पर लेखन करने हेतु ।
मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान समाचार-पत्रों में छपने वाले विज्ञापनों की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। आजकल समाचार-पत्रों में विज्ञापनों की भरमार रहती है, जिसके कारण समाज में घटित हो रही घटनाओं एवं समसामयिक विषयों के संदर्भ में जानकारी नहीं मिल पाती है। इसके अतिरिक्त कुछ विज्ञापन तो भ्रामक होते हैं, जिन्हें पढ़कर लोग खासकर युवा पीढ़ी गुमराह होती है।
समाचार-पत्रों में दिन-प्रतिदिन की नित्य नवीन घटनाओं को प्रकाशित किया जाना चाहिए, जिससे पाठक वर्ग अधिक-से-अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें एवं विज्ञापन विशेषकर भ्रामक विज्ञापनों से बच सकें ।
अतः मेरा आपसे अनुरोध है कि इस विषय पर गंभीरतापूर्वक विचार करके उचित कदम उठाएँ । विज्ञापनों की भरमार को कम करके केवल उन्हीं विज्ञापनों को समाचार पत्र में प्रकाशित किया जाए, जो विश्वसनीय हों।
धन्यवाद ।
भवदीया
अनूप गाँधी

अथवा

परीक्षा भवन,
दिल्ली |
दिनांक 19 अप्रैल, 20XX
आदरणीय पिताजी,
सादर प्रणाम!
आशा करता हूँ कि आप सभी वहाँ सकुशल होंगे। मैं भी अच्छा हूँ। पिताजी आप आजकल समाचार-पत्रों में पढ़ ही रहे होंगे कि सारे उत्तर भारत में बाढ़ का विनाशकारी रूप देखने को मिल रहा है। ईश्वर की इस विनाशलीला में कई नगर व गाँव बह गए हैं। कई पशु व मानव इस तेज बहाव में बह गए हैं। किसानों की फसल नष्ट हो गई, लोगों के मकान तबाह हो गए हैं। लाखों लोग बाढ़ की चपेट में आकर बेघर हो गए हैं। रोजी-रोटी का साधन भी छिन गया है। उन लोगों के दुःख का अंत नहीं है। बच्चे भूख से बिलख रहे हैं। इन बाढ़ पीड़ितों की सहायता हेतु सरकार अपना कर्त्तव्य निभा रही है। समाज सेवी संस्थाएँ बाढ़ पीड़ितों की हर संभव सहायता कर रही हैं। हमारे विद्यालय से भी एक सेवा दल पंद्रह दिनों के लिए बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में सेवा करने जाने वाला है। मेरी हार्दिक इच्छा है कि मैं भी सेवा दल में सम्मिलित होकर उन लोगों की सेवा करूँ । पिताजी आप तो स्वयं दयालु व करुणा की खान हैं। आशा है कि आप मुझे भी इस सेवा कार्य में भाग लेने की अनुमति प्रदान करेंगे। मैं आपके पत्र की शीघ्रता से प्रतीक्षा करूंगा।
आपका प्रिय पुत्र
राजसिंह

प्रश्न 14.
आपका नाम आशीष शर्मा / आशा शर्मा है। आपने अर्थशास्त्र विषय में परास्नातक (पोस्ट ग्रेजुएट) की डिग्री प्राप्त की है तथा राजस्थान सरकार को सांख्यिकी अधिकारी के पद के लिए आवेदन भेजना चाहते हैं। संक्षिप्त स्ववृत्त (बायोडाटा) लगभग 80 शब्दों में तैयार कीजिए |
अथवा
बेसिक शिक्षा अधिकारी (बी.एस.ए.) को 80 शब्दों में एक ई-मेल लिखिए, जिसमें आपकी दसवीं की मार्कशीट में आपके नाम की मिस्प्रिंट की शिकायत की गई हो । (5)
उत्तर:
स्ववृत्त
नाम : आशा शर्मा
पिता का नाम : डॉ. राकेश शर्मा
माता का नाम : श्रीमती प्रीति शर्मा
जन्म तिथि : 18 नवम्बर, 1982
वर्तमान पता : डी 72, मयूर विहार (फेज – 3) दिल्ली – 110092
मोबाइल नम्बर : 926841XXXX
ई-मेल : [email protected]

शैक्षणिक योग्यताएँ
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 2 with Solutions 0.1

अन्य संबंधित योग्यताएँ
• कंप्यूटर का विशेष ज्ञान और अभ्यास ( एम.एस. ऑफिस, एक्सेल, इंटरनेट)
• अंग्रेजी भाषा का ज्ञान ।

उपलब्धियाँ
• सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार ( 2020 ) ।
• सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार (2021)।

कार्येतर गतिविधियाँ तथा अभिरुचियाँ
• सांख्यिकी विभाग (राज्य सरकार) में तीन माह की जनगणना के आँकड़ों को एकत्र करने तथा उनका विश्लेषण करने से संबंधित प्रोजेक्ट ।
• सामान्य ज्ञान से संबंधित पत्रिकाओं का नियमित पठन ।
• समाचार-पत्र का नियमित पठन ।

संदर्भित व्यक्तियों का विवरण
• श्री गणेश लाल चौधरी, प्रिंसिपल एम. डी. एस. स्कूल दिल्ली ।
• श्रीमती रीता मल्होत्रा, प्रिंसिपल डी.ए.वी. स्कूल, दिल्ली।
उद्घोषणा मैं यह पुष्टि करती हूँ कि मेरे द्वारा दी गई उपर्युक्त जानकारी पूर्ण रूप से सत्य है।
तिथी 05.04.20XX
स्थान दिल्ली
हस्ताक्षर
आशा शर्मा

अथवा

From : [email protected]
To : B.S. A. [email protected]
CC : [email protected]
BCC : [email protected]
विषय दसवीं की मार्कसशीट में मिस्प्रिंट की शिकायत हेतु ।
महोदय,
मेरी दसवीं कक्षा की मार्कशीट संख्या 32XXXX है। मैंने वर्ष 20XX में प्रथम श्रेणी में यह परीक्षा उत्तीर्ण की है, लेकिन मुझे जो अंक पत्र प्राप्त हुआ उसमें मेरे नाम में त्रुटि पाई गई है, जिसमें मेरा नाम चंदन कुमार की जगह चंदना कुमार कर दिया गया है। इसकी शिकायत मैंने पिछले 2 सप्ताह पहले भी की थी, किंतु अभी तक मुझे कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है, जिसकी वजह से मुझे ग्यारहवीं कक्षा का फार्म भरने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। अतः आपसे निवेदन है कि मेरी मार्कशीट में हुई त्रुटि को जल्द से जल्द ठीक करें।
धन्यवाद ।
भवदीय
चंदन कुमार

प्रश्न 15.
किसी पुस्तक भंडार पर उपलब्ध विभिन्न पुस्तकें व अन्य स्टेशनरी सामान की बिक्री बढ़ाने के लिए लगभग 40 शब्दों में एक ‘विज्ञापन लिखिए | (4)
अथवा
आपके छोटे भाई ने एक नया घर खरीदा है, जिसकी बधाई स्वरूप एक संदेश 40 शब्दों में लिखिए ।
उत्तर:
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अथवा

नए घर की बधाई हेतु संदेश

दिनांक 5 अक्टूबर, 20XX
समय प्रातः 9:00 बजे
प्रिय अनुज,

सस्नेह! मुझे माताजी से ज्ञात हुआ कि तुमने शहर में बहुत ही सुंदर घर खरीदा है। यह सुनकर हम सब बहुत प्रसन्न हैं । तुम्हें नया घर खरीदने की ढेरों बधाई व शुभकामनाएँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि तुम्हें यह नया घर और उन्नति दे, साथ ही तुम दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करो। एक बार पुनः हार्दिक शुभकामनाएँ।

तुम्हारी बहन
क. ख.ग.

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