Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Term 2 Set 11 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 11 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं-‘अ’ और ‘ब’। खंड ‘अ’ में वस्तुपरक/बहुविकल्पीय और खंड ‘ब’ में वस्तुनिष्ठ/वर्णनात्मक प्रश्न दिए गए हैं।
- प्रश्न-पत्र के दोनों खंडों में प्रश्नों की संख्या 17 हैं और सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए।
- खंड ‘अ’ में कुल 10 प्रश्न हैं, जिनमें उपप्रश्नों की संख्या 44 हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 40 उपप्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य हैं।
- खंड ‘ब’ में कुल 7 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
खंड ‘अ’
(बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित गद्यांश-पद्यांश, व्यावहारिक व्याकरण व पाठ्य-पुस्तक से संबंधित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
वर्तमान युग कंप्यूटर का युग है। यदि भारतवर्ष पर नज़र दौड़ाकर देखें तो हम पाएँगे कि जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर का प्रवेश हो गया है। बैंक, रेलवे-स्टेशन, हवाई-अड्डे, डाकखाने, बड़े-बड़े उद्योग-कारखाने, व्यवसाय हिसाब-किताब तथा रुपये गिनने तक की मशीनें कंप्यूटरीकृत हो गई हैं। आज भी कंप्यूटर का प्रारंभिक प्रयोग है तथा आने वाला समय इसके विस्तृत फैलाव का संकेत दे रहा है। प्रश्न उठता है कि कंप्यूटर आज की ज़रूरत है? इसका उत्तर है-कंप्यूटर जीवन की मूलभूत अनिवार्य वस्तु तो नहीं है, कितु इसके बिना आज की दुनिया अधूरी जान पड़ती है।
सांसारिक गतिविधियों, परिवहन और संचार उपकरणों आदि का ऐसा विस्तार हो गया है कि उन्हें सुचारु रूप से चलाना अत्यंत कठिन होता जा रहा है। पहले मनुष्य जीवन-भर में यदि सौ लोगों के संपर्क में आता था, तो आज वह दो-हज़ार लोगों के संपर्क में आता है। पहले वह दिन में पाँच-दस लोगों से मिलता था, तो आज पचास-सौ लोगों से मिलता है। पहले वह दिन में काम करता था, तो आज रातें भी व्यस्त रहती हैं। आज व्यक्ति के संपर्क बढ़ रहे हैं, व्यापार बढ़ रहे हैं, गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, आकांक्षाएँ बढ़ रही हैं तथा साधन बढ़ रहे हैं। इस अनियंत्रित गति को सुव्यवस्था देने की समस्या आज की प्रमुख समस्या है। कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इस आवश्यकता ने अपने अनुसार निदान ढूँढ लिया है।
कंप्यूटर एक ऐसी स्वचालित प्रणाली है जो कैसी भी अव्यवस्था को व्यवस्था में बदल सकती है। हड़ड़ी में होने वाली मानवीय भूलों के लिए कंप्यूटर रामबाण औषधि है। क्रिकेट के मैदान में अंपायर की निर्णायक भूमिका हो या लाखों-करोड़ों की लंबी-लंबी गणनाएँ, कंप्यूटर पलक झपकते ही आपकी समस्या हल कर सकता है। पहले इन कामों को करने वाले कर्मचारी हड़बड़ाकर काम करते थे, एक भूल से घबराकर और अधिक गड़बड़ी करते थे। परिणामस्वरूप काम कम, तनाव अधिक होता था। अब कंप्यूटर की सहायता से काफी सुविधा हो गई है।
(क) ‘वर्तमान युग कंप्यूटर का युग है’ कथन पढ़कर सही विकल्प का चयन करें।
1. क्योंकि कंप्यूटर के बिना जीवन की कल्पना असंभव सी हो गई है।
2. क्योंकि कंप्यूटर ने पूरे विश्व के लोगों को जोड़ दिया है।
3. क्योंकि कंप्यूटर जीवन की अनिवार्य मूलभूत वस्तु बन गया है।
4. क्योंकि कंप्यूटर मानव सभ्यता के सभी अंगों का अभिन्न अवयव बन चुका है।
कूट
(i) केवल 1 सही है
(ii) 1 और 2 सही हैं
(iii) 2 और 3 सही है
(iv) 3 और 4 सही हैं
उत्तर :
(i) केवल 1 सही है वर्तमान युग कंप्यूटर का युग है, क्योंकि क्यूव्यूटर के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव-सा हो गया है। इसके बिना दुनिया अधूरी जान पड़ती है।
(ख) गद्यांश के अनुसार, कंप्यूटर के महत्त्व के विषय में कौन-सा विकल्प सही है?
(i) कंप्यूटर काम के तनाव को समाप्त करने का उपाय है
(ii) कंप्यूटर कई मानवीय भूलों को निर्णायक रूप से सुधार देता है
(iii) कंप्यूटर के आने से सारी हड़बड़ाहट दूर हो गई है
(iv) मानव की सारी समस्याओं का हल कंप्यूटर द्वारा ही संभव है
उत्तर :
(ii) कंप्यूटर कई मानवीय मूलों को निर्णायक रूप से सुधार देता है गद्यांश में स्पष्ट किया गया है कि जल्दी में होने वाली मानवीय भूलों के लिए कंप्यूटर रामबाण औषचि है। अतः कंप्यूटर के महत्त्व के विषय में यह कथन सही है कि कंप्यूटर कई मानवीय भूलों को निर्णायक रूप से सुधार देता है।
(ग) गद्यांश के अनुसार, किस आवश्यकता ने कंप्यूटर में अपना निदान दूँढ लिया है?
(i) अनियंत्रित कर्मचारियों को अनुशासित करने की
(ii) अनियंत्रित गति को सुव्यवस्था देने की
(iii) अधिक-से-अधिक लोगों से जुड़, जन-जागरण लाने की
(iv) अधिक-से-अधिक कार्य कभी भी व कहीं भी करने की
उत्तर :
(ii) अनियंत्रित गति को सुव्यवस्था देने की गद्यांश के अनुसार, अनियंत्रित गति को सुव्यवस्था देने की आवश्यकता ने कंप्यूटर में अपना निदान बूँढ लिया है।
(घ) कंप्यूटर के प्रयोग से पहले अधिक तनाव क्यों होता था?
(i) लंबी-लंबी गणनाएँ करनी पड़ती थी
(ii) गलतियाँ होने के डर से कर्मचारी घबराए हुए रहते थे
(iii) क्रिकेट मैचों में गलत निर्णय का खतरा रहता था
(iv) मानवीय भूलों के कारण बड़ी दुर्घटनाएँ होती थी
उत्तर :
(ii) गलतियाँ होने के डर से कर्मचारी घबराए हुए रहते थे कंप्यूटर के प्रयोग से पहले अधिक तनाव इसलिए होता था, क्योंकि पहले इन कामों को करने वाले कर्मचारी हड़बड़ाकर काम करते थे, एक भूल से घबराकर और अधिक गड़बड़ी करते थे। इसके परिणामस्वरूप काम कम और तनाव अधिक होता था।
(ङ) कथन (A) आज की दुनिया कंप्यूटर के बिना अधूरी है।
कारण (R) वर्तमान समय में सारी व्यवस्था, उपकरण और मशीनें कंप्यूटरीकृत हैं।
(i) कथन A गलत है, किंतु कारण R सही है।
(ii) कथन A और कारण R दोनों गलत हैं।
(iii) कथन A और कारण R दोनों सही हैं तथा कारण R कथन A की सही व्याख्या है।
(iv) कथन A और कारण R दोनों सही हैं, परंतु कारण R कथन A की सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर :
(iii) कथन A और कारण R दोनों सही हैं तथा कारण R कथन A की सही व्याख्या है कंप्यूटर के बिना आज की दुनिया अधूरी है, क्योंकि वर्तमान समय में सारी व्यवस्था, उपकरण और मशीनें कंप्यूटरीकृत हो गई हैं।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांशों पर आधारित बहुविकल्पीय/वस्तुपरक प्रश्नों के उत्तर सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
जो बीत गई सो बात गई, जीवन में एक सितारा था माना, वह बेहद प्यारा था, वह डूब गया तो डूब गया अंबर के आनन को देखो, कितने इसके तारे टूटे कितने इसके प्यारे छूटे, जो छूट गए फिर कहाँ मिले पर बोलो टूटे तारों पर, कब अंबर शोक मनाता है? जो बीत गई सो बात गई। जीवन में वह था एक कुसुम, थे उस पर नित्य निछावर तुम वह सूख गया तो सूख गया, मधुबन की छाती को देखो सूखी कितनी इसकी कलियाँ,
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ जो मुरझाई फिर कहाँ खिलीं, पर बोलो सूखे फूलों पर कब मधुबन शोर मचाता है? जो बीत गई सो बात गई। जीवन में मधु का प्याला था, तुमने तन-मन दे डाला था वह टूट गया तो टूट गया, मदिरालय का आँगन देखो कितने प्याले हिल जाते हैं, गिर मिट्टी में मिल जाते हैं जो गिरते हैं कब उठते हैं, पर बोलो टूटे प्यालों पर कब मदिरालय पछताता है? जो बीत गई सो बात गई।
(क) इस कविता के केंद्रीय भाव हेतु दिए गए कथनों को पढ़कर सबसे सही विकल्प चुनिए।
1. हमें बीती हुई दुःखद यादों पर शोक नहीं मनाना चाहिए।
2. बीती बातों को याद करते रहना चाहिए।
3. बीती हुई बातों पर पछतावा करते रहना चाहिए।
4. बीत गए वक्त के वापस लौट आने का इंतजार करते रहना चाहिए।
कूट
(i) केवल 1 सही है
(ii) 1 और 3 सही है
(iii) 1,3 और 4 सही है
(iv) 1,2,3 और 4 सही हैं
उत्तर :
(i) केवल 1 सही है प्रस्तुत पद्यांश में यह बताया गया है कि हमें बीती हुई दु:खद यादों पर शोक नहीं मनाना चाहिए। उन्हें बीता हुआ कल मानकर भुला देना चाहिए।
(ख) अंबर के शोक मनाने से क्या आशय है?
(i) आकाश टूटे तारों पर शोक नहीं मनाता
(ii) आकाश दूटने वाले तारों की गिनती रखता है
(iii) आकाश टूटे तारों पर शोक मनाता है
(iv) आकाश में तारे टूटते ही रहते हैं
उत्तर :
(i) आकाश टूटे तारों पर शोक नहीं मनाता अंबर के शोक मनाने से यहाँ आशय है कि आकाश टूटे हुए तारों पर शोक नहीं मनाता।
(ग) काव्यांश में ‘सूखे फूल’ व ‘मधुबन’ किसके प्रतीक के रूप में प्रयुक्त हुए हैं?
(i) बीता हुआ समय व जीवन
(ii) आने वाला समय व सुख
(iii) दु:ख व सुख
(iv) सुख व भाग्य
उत्तर :
(i) बीता हुआ समय व जीवन काव्यांश में ‘सूखे फूल’ बीते हुए समय और ‘मधुबन’ जीवन के पतीक के रूप में प्रयुक्त हुए हैं।
(घ) काव्यांश में ‘जीवन में एक सितारा’ किसे माना गया है?
(i) अत्यंत प्रिय व्यक्ति या वस्तु को
(ii) मदिरालय को
(iii) मधुबन को
(iv) अतीत को
उत्तर :
(i) अत्यंत प्रिय व्यक्ति या वस्तु को काव्यांश में ‘जीवन में एक सितारा’ उस व्यक्ति, वस्तु तथा परिस्थिति या समय, जो हमें अत्यंत प्रिय है, को माना गया है।
(ङ) ‘मधुबन कभी शोर नहीं मचता कि’ कथन पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए।
1. उसके फूल सूखने लगे हैं।
2. उसमें कितने पेड़ सूख गए हैं।
3. उसमें कितने फूल लगे हैं।
4. मौसम कैसा हो रहा है।
कूट
(i) केवल 1 सही है
(ii) केवल 2 सही है
(iii) 2 और 3 सही है
(iv) 3 और 4 सही हैं
उत्तर :
(i) केवल 1 सही है मधुबन कभी शोर नहीं मचाता कि उसके फूल सूखने लगे हैं। हमें भी अपने अतीत को याद करते हुए शोक नहीं मनाना चाहिए।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘घायल सैनिक ने उठकर शस्त्र उठा लिए।’ इसका संयुक्त वाक्य होगा
(i) घायल सैनिक उठा और उसने शस्त्र उठा लिए।
(ii) जैसे ही घायल सैनिक उठा उसने शस्त्र उठा लिए।
(iii) सैनिक घायल हुआ और शस्त्र उठा लिए।
(iv) घायल सैनिक ने उठते ही शस्त्र उठा लिए
उत्तर :
(i) घायल सैनिक उठा और उसने शस्त्र उठा लिए।
(ख) “मैंने एक दुबले-पतले व्यक्ति को देखा।” इसका मिश्रित वाक्य होगा
(i) मैने एक ऐसा व्यक्ति देखा, जो दुबला-पतला था।
(ii) एक दुबला-पतला व्यक्ति था, जिसे मैने देखा।
(iii) मेरे द्वारा एक दुबले-पतले व्यक्ति को देखा गया।
(iv) मैने एक व्यक्ति को देखा, वह दुबला-पतला था।
उत्तर :
(i) मैंने एक ऐसा व्यक्ति देखा, जो दुबला-पतला था।
(ग) “मेहुल ने खाना खाया और चला गया।” इसका सरल वाक्य होगा
(i) मेहुल खाना खाकर चला गया।
(ii) मेहुल खाकर चला गया।
(iii) मेहुल ने खाना खाया, इसलिए वह चला गया।
(iv) ज्यों ही मेहुल ने खाना खाया, वह चला गया।
उत्तर :
(i) मेहुल खाना खाकर चला गया।
(घ) निम्नलिखित वाक्यों में सरल वाक्य है
1. जो लोकप्रिय होता है, उसका सम्मान होता है।
2. लोकप्रिय लेखक का सम्मान सभी करते हैं।
3. लोकप्रिय होने पर सम्मान किया जाता है।
4 लोकप्रिय लेखक का सभी ने सम्मान किया।
कूट
(i) केवल 1 सही है
(ii) 2 और 3 सही हैं
(iii) 2 और 4 सही हैं
(iv) 2,3 और 4 सही हैं
उत्तर :
(iv) 2,3 और 4 सही हैं
(ङ) सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. सोनाली पुस्तक पढ़ रही है। | 1. सरल वाक्य |
B. सोनाली ने कहा कि वह पुस्तक पढ़ रही है। | 2. संयुक्त वाक्य |
C. सोनाली की परीक्षा है इसलिए वह पुस्तक पढ़ रही है। | 3. मिश्र वाक्य |
कूट
A B C
(i) 1 3 2
(ii) 2 1 3
(iii) 3 2 1
(iv) 1 2 3
उत्तर :
(i) A-1, B-3, C-2
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए और सही विकल्प का चयन कीजिए।
सूची I | सूची II |
A. पल्लवी से दौड़ा नहीं जाता। | 1. कर्तृवाच्य |
B. पल्लवी दौड़ नहीं सकती है। | 2. कर्मवाच्य |
C. पल्लवी द्वारा दौड़ा जाता है। | 3. भाववाच्य |
कूट
A B C
(i) 2 1 3
(ii) 3 1 2
(iii) 3 2 1
(iv) 1 2 3
उत्तर :
(ii) A-3, B-1, C-2
(ख) निम्नलिखित में से कर्तृवाच्य वाला वाक्य छँटिए।
(i) कारखाना बंद करा दिया गया।
(ii) दिनेश शिकार करता है।
(iii) गोपाल से पत्र लिखा जाता है।
(iv) बच्चे से भागा नहीं गया।
उत्तर :
(ii) दिनेश शिकार करता है।
(ग) “हम इस खुले मैदान में दौड़ सकते है।” इसका भाववाच्य होगा
(i) हम दौड़ सकते हैं इस खुले मैदान में।
(ii) हम इस खुले मैदान में दौड़ सकेंगे।
(iii) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जाएगा।
(iv) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जा सकता है।
उत्तर :
(iv) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जा सकता है।
(घ) “मंत्री जी सभी का स्वागत कर रहे थे।” कर्मवाच्य में परिवर्तित कीजिए।
(i) मंत्री ज़ी ने सभी का स्वागत किया।
(ii) मंत्री जी से सभी का स्वागत कराया गया।
(iii) मंत्री जी द्वारा सभी का स्वागत किया गया।
(iv) सभी का स्वागत मंत्री जी के द्वारा करवाया गया।
उत्तर :
(iii) मंत्री जी द्वारा सभी का स्वागत किया गया।
(ङ) भाववाच्य का उदाहरण है
(i) आओ, नौका विद्हार किया जा सके।
(ii) आओ, नौका विहार किया जाए।
(iii) आकर नौका विहार करें।
(iv) आओ, नौका विहार करते हैं।
उत्तर :
(ii) आओ, नौका विहार किया जाए।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘पद परिचय’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) मुझे आम नहीं मिला। रेखांकित अंश का पद परिचय है
(i) सकर्मक क्रिया, पुल्लिग, एकवचन, कर्तुवाच्य
(ii) अकर्मक क्रिया, पुल्लिग, एकवचन, कर्तृवाच्य
(iii) अकर्मक क्रिया, पुल्लिग, बहुवचन, कर्तृवाच्य
(iv) सकर्मक क्रिया, पुल्लिग, बहुवचन, कर्तुवाच्य
उत्तर :
(i) मिला सकर्मक क्रिया, पुल्लिग, एकवचन, कर्तृवाच्य
(ख) सोहन इसी घर में रहता है। रेखांकित अंश का पद परिचय है
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक
(ii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्म कारक
(iii) जातिवाचक संज्ञ, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) सोहन व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, कर्ता कारक
(ग) घर में कौन रहता है? रेखांकित अंश का पद परिचय है
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, अधिकरण कारक
(ii) जातिवाचक संज्ञ, पुल्लिग, एकवचन, अधिकरण कारक
(iii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, संप्रदान कारक
(iv) जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक
उत्तर :
(ii) घर में जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिग, एकवचन, अधिकरण कारक
(घ) मुड़कर देखा तो अवाक् रह गए। रेखांकित अंश का पद परिचय है
(i) स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘रह गए’
(ii) परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण, ‘होती है’ क्रिया के काल का बोधक
(iii) रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘रह गए’
(iv) कालवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘रह गए’
उत्तर :
(iii) अवाक् रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘रह गए’
(ङ) वे लोग घर पर हैं। वे अभी बाजार में थे। दोनों वाक्यों के ‘वे’ का सामान्य पद परिच्य होगा
(i) पहला वे-निश्चयवाचक सर्वनाम, दूसरा वे-सार्बनामिक विशेषण
(ii) पहला वे-गुणवाचक विशेषण, दूसरा वे-संबंधवाचक सर्वनाम
(iii) पहला वे-सार्वनामिक विशेषण, दूसरा वे-निश्चयवाचक सर्वनाम
(iv) पहला वे-संख्यावाचक विशेषण, दूसरा वे-पुरुषवाचक सर्वनाम
उत्तर :
(iii) पहला वे-सार्वनामिक विशेषण, दूसरा वे–निश्चयवाचक सर्वनाम
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘चाहनहार सुवर्ण के, कविजन और सुनार’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(i) श्लेष प्रस्तुत पंक्ति में सुवर्ण शब्द के दो अर्थ निकलकर आ रहे हैं, सुवर्ण-सुंदर और साफ रंग, सुवर्ण-सोना (धातु)। अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।
(ख) ‘सखि! सोहत गोपाल के उर गुंजन की माल।
बाहर लसत मनो पिए दावानल की ज्वाल।।
इन काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(ii) उत्प्रेक्षा प्रस्तुत पंक्ति में उपमेय ‘गुंजन की माल’ में उपमान ‘ज्वाला’ की संभावना प्रकट की गई है। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(ग) ‘रावण सर सरोज बनचारी।
चलि रघुवीर सिलीमुख।।
इन काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्त्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(iv) अतिशयोक्ति प्रस्तुत पंक्तियों में सिलीमुख शब्द के दो अर्थ निकल रहे हैं। इस शब्द का पहला अर्थ बाण एवं दूसरा अर्थ भ्रमर है। अतः यहाँ अतिशियोक्ति अलकार है।
(घ) ‘खुले बाल, खिले बाल चंदन की टीको लाल। ‘ इन काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अविशयोक्ति
उत्तर :
(i) श्लेष पंक्ति में बाल शब्द दो बार आया है, जिनमें से पहले का अर्थ है- खुले हुए सिर के बाल और दूसरे का अर्थ है- बालक अर्थात् यहाँ पर श्लेष अलंकार है।
(ङ) ‘फूल हँसे कलिया मुस्काई।’ इस काव्य-पंवित में प्रयुक्त अलंकार है
(i) श्लेष
(ii) उत्प्रेक्षा
(iii) मानवीकरण
(iv) अतिशयोक्ति
उत्तर :
(iii) मानवीकरण प्रस्तुत पंक्ति में फूल व कलियों पर मानवीय क्रियाओं (हंसना व मुस्कुराना) का आरोप किया गया है। अतः यहाँ मानवीकरण अलंकार है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
कार्तिक आया नहीं कि बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ शुरू हुई, जो फागुन तक चला करती। इन दिनों वह सवेरे ही उठते। न जाने किस वक्त जगकर वह नदी-स्नान को जाते-गाँव से दो मील दूर! वहाँ से नहा-धोकर लौटते और गाँव के बाहर ही, पोखरे के ऊँचे भिडे पर, अपनी खँजड़ी लेकर जा बैठते और अपने गाने टेरने लगते। मैं शुरू से ही देर तक सोने वाला हुं, कितु एक दिन, माघ की उस दाँत किटकिटाने वाली भोर में भी, उनका संगीत मुझे पोखरे पर ले गया था। अभी आसमान के तारों के दीपक बुझे नहीं थे। हाँ, पूरब में लोही लग गई थी, जिसकी लालिमा को शुक्र तारा और बढ़ा रहा था। खेत, बगीचा, घर-सब पर कुहासा छा रहा था। सारा वातावरण अजीब रहस्य से आवृत्त मालूम पड़ता था। उस रहस्यमय वातावरण में एक कुश की चटाई पर पूरब मुँह, काली कमली ओढ़े, बालगोबिन भगत अपनी खँंड़ी लिए बैठे थे। उनके मुँह से शब्दों का ताँता लगा था, उनकी अँगुलियाँ खँजड़ी पर लगातार चल रही थी। गाते-गाते इतने मस्त हो जाते, इतने सुरूर में आते, उत्तेजित हो उठते कि मालूम होता, अब खड़े हो जाएँगे। कमली तो बार-बार सिर से नीचे सरक जाती। मैं जाडे से कँपकाँपा रहा था, किंतु तारे की छाँव में भी उनके मस्तक के श्रमबिंदु, जब-तब, चमक ही पड़ते।
(क) गद्यांश के आधार पर बताइए कि बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ कब आरंभ हो जाती थीं?
(i) फागुन महीने में
(ii) कार्तिक महीने में
(iii) चैत्र महीने में
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) कार्तिक महीने में कार्तिक का महीना प्रारंभ होते ही बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ आरंभ हो जाती थीं।
(ख) गद्यांश के आधार पर बताइए कि रहस्यमयी वातावरण में बालगोबिन भगत क्या कर रहे थे?
(i) कुश की चटाई पर बैठे थे
(ii) काली कमली ओढ़ी थी
(iii) पूरब दिशा की ओर मुँह करके गा रहे थे
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सनी रहस्यमयी वातावरण में बालगोबिन भगत एक कुश की चटाई पर काली कमली ओढ़कर पूरब दिशा की ओर मुंह करके गा रहे थे।
(ग) बालगोबिन भगत की प्रभाती कार्तिक मास से आरंभ होकर कब तक चलती थी?
(i) कार्तिक मास तक
(ii) फागुन मास तक
(iii) चैत्र मास तक
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) फागुन मास तक बालगोबिन भगत की प्रभाती कार्तिक मास से आरंभ होकर फागुन मास तक चलती थी।
(घ) ‘मैं जाड़े से कँपक्षँपा रहा था’ में ‘मैं’ शब्द किसके किए प्रयुक्त हुआ है?
(i) लेखक के लिए
(ii) बालगोबिन भगत के लिए
(iii) पतोहू के लिए
(iv) इनमें से कोई नही
उत्तर :
(i) लेखक के लिए ‘मैं जाड़े से कैँपक्षपा रहा था’ वाक्य में ‘मै’ शब्द लेखक के लिए प्रयुक्त हुआ है।
(ङ) कथन (A) प्रस्तुत गद्यांश में वातावरण को रहस्मयी कहा गया है।
कारण (R) क्योंकि जब कोहरा होता है तो आसमान स्पष्ट दिखाई नहीं देता।
(i) कथन A गलत है, किंतु कारण R सही है।
(ii) कथन A और कारण R दोनों गलत हैं।
(iii) कथन A और कारण R दोनों सही हैं तथा कारण R कथन A की सही व्याख्या है।
(iv) कथन A और कारण R दोनों सही हैं, परंतु कारण R कथन A की सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर :
(iii) कथन A और कारण R दोनों सही हैं तथा कारण R कथन A की सही व्याख्या है प्रस्तुत गद्यांश में कोहरे की ओट में स्पष्ट दिखाई न देने के कारण वातावरण को रहस्यमयी कहा गया है, क्योंकि खेत-बगीचा, घर-सब पर कुहरा-सा छा रहा था। कुछ भी स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा था।
प्रश्न 8.
क्षितिज के गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 2 = 2)
(क) ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर बताइए कि मुहर्रम के दिन बिस्मिल्ला खों की आँखें नम क्यों रहती हैं?
(i) मुहर्रम के दिन शहनाई न बजा पाने के कारण
(ii) लंबी यात्रा से होने वाली थकान के कारण
(iii) दूसरों के दु:ख-दर्द देखने के कारण
(iv) इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत के कारण
उत्तर :
(iv) इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत के कारण मुहर्रम के दिन बिस्मिल्ला खां की आँखें नम रहती थीं, क्योंकि इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत उन्हें उनकी याद में रोने को मजबूर कर देती थी।
(ख) नवाब साहब खीरे को बाहर फेंककर क्यों लेट गए?
(i) वे खीरे की तैयारी व इस्सेमाल से थक गए थे
(ii) उन्हें खीरा खाकर नींद आ गई थी
(iii) वे लेखक को अपने खानदानी शौक दिखाना चाहते थे
(iv) खीरा खाकर उनका पेट भर गया था
उत्तर :
(i) वे खीरे की तैयारी व इस्तेमाल से थक गए थे नवाब साहब खीरे को बाहर फेंककर लेट गए, क्योंकि वे खीरे को काटने, उस पर नमक-मिर्च बुरकने आदि की तैयारी व इस्तेमाल से थक गए थे।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित पद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
मन की मन ही माँझ रही।
कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।
अवधि अधार आस आवन की, तन मन बिथा सही।
अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि, बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुती गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।
‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।
(क) काव्यांश के आधार पर बताइए कि किनकी अभिलाषाएँ मन में ही रह गईं?
(i) गोपियों की
(ii) कृष्ण की
(iii) उद्धव की
(iv) कवि की
उत्तर :
(i) गोपियों की गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि हमारे मन की अभिलाषाएँ हमारे मन में ही रह गईं, क्योंकि हम श्रीकृष्ण से यह कह नहीं पाई कि हम उनसे प्रेम करती हैं।
(ख) गोपियों के जीने का आधार क्या था?
(i) कृष्ण के आने की आशा
(ii) कृष्ण का योग संदेश
(iii) मन की अभिलाषा
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) कृष्ण के आने की आशा काव्यांश में बताया गया है कि श्रीकृष्ण के आने की आशा ही गोपियों के जीने का आधार थी।
(ग) गोपियाँ विरह की ज्वाला में क्यों जल रही है?
(i) कृष्ण के योग के संदेश से
(ii) उद्धव के संदेश से
(iii) कृष्ण के चले जाने से
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(i) कृष्ण के योग के संदेश से कृष्ण के योग के संदेश को सुनकर गोपियाँ विरह की ज्वाला में जल रही हैं। वे कहती हैं कि हम जहाँ से भी भ्रीकृष्ण के विरह की ज्वाला से अपनी रक्षा करने के लिए सहारा लेना चाहती हैं, वहाँ से ही योग की धारा बहती चली आ रही है।
(घ) काव्यांश के आधार पर बताइए कि गोपियाँ उद्धव से श्रीकृष्ण के बारे में क्या कहती हैं?
(i) उन्होंने हमसे मिलने का वादा भुला दिया है
(ii) उन्होने सभी मयांदाओं का त्याग कर दिया है
(iii) उन्हें हमारे पास आना चाहिए था
(iv) हम उनसे मिलने मथुरा जाएँगी
उत्तर :
(ii) उन्होंने समी मर्यादाओं का त्याग कर दिया है काव्यांश में बताया गया है कि गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि श्रीकृष्ण ने सभी मर्यादाओं का त्याग कर दिया है।
(ङ) प्रस्तुत काव्यांश में सूरदास किसके माध्यम से अपनी बात कह रहे हैं?
(i) उद्धव के माध्यम से
(ii) गोपियों के माध्यम से
(iii) कृष्ण के माध्यम से
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) गोपियों के माध्यम से प्रस्तुत काव्यांश में सूरदास गोपियों के माध्यम से अपनी बात कह रहे हैं।
प्रश्न 10.
पाठ्ययुस्तक में निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित दो बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 2 = 2)
(क) ‘अट नहीं रही है’ कविता के माध्यम से कवि किस ओर आकर्षित करना चाहता है
(i) फागुन की सुंदरता बढ़ नहीं रही है
(ii) फागुन की सुंदरता कहीं भी समा नहीं रही है
(iii) चारों ओर फूल खिल नहीं पा रहे हैं
(iv) पेड्ड-पौधे वृद्धि नहीं कर पा रहे हैं
उत्तर :
(ii) फागुन की सुंदरता कहीं भी समा नहीं रही है ‘अट नहीं रही है’ कविता के माध्यम से कवि सभी का ध्यान फागुन की प्राकृतिक सुंदरता अर्थात् सुषमा की ओर आकर्षित करना चाहता है। कवि कहता है कि फागुन की प्राकृतिक सुषमा इतनी अद्भुत है कि उसकी सुंदरता कहीं भी समा नहीं रही है।
(ख) ‘पद’ में उद्धव के व्यवहार की तुलना किससे की गई है?
(i) कमल के उस पत्ते से जो पानी के अंदर रहते हुए भी पानी व कीचड़ के दाग-धब्बों से अछूता रहता है
(ii) जल में रखी तेल की मटकी से
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) उपरोक्त में से कोई नही
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों ‘पद’ में उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के उस पत्ते से की गई है, जो पानी के अंदर रहते हुए भी पानी व कीचड़ के दाग-धब्बों से अछूता रहता है। दूसरा, जल में रखी हुई तेल की उस मटकी से, जिसकी एक बूँद का भी प्रभाव जल पर नहीं पड़ता है।
खंड ‘ब’
(वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 11.
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) हालदार साहब के द्वारा कैप्टन के बारे में पूछ्ने पर पानवाला अपनी आँखें क्यों पोंछे लगा? ‘नेता जी का चश्मा’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर :
पानवाला एक हैंसमुख एवं मज़ाकिया स्वभाव का व्यक्ति था, इसलिए वह सदैव कैप्टन का उपहास किया करता था। यद्यपि वह कैप्टन की देशभक्ति एवं उसके सरल व सहज व्यक्तित्व के कारण उसका सम्मान करता था। कैप्टन की मृत्यु हो जाने के कारण वह अत्यंत दु:खी था, इसलिए कैप्टन के बारे में पूछे जाने पर वह अपनी नम आँखों को पोंछने लगता है।
(ख) नवाब साहब द्वारा किए गए किस कार्य से लेखक को पात्र, घटना आदि की अनुपस्थिति में कहानी लिखने की प्रेरणा मिली?
उत्तर :
जब लेखक ने नवाब साहब को खीरे को सूँघने मात्र से ही पेट भर लेने और परम संतुष्टि पाने के बाद डकार लेते सुना, तो उसके ज्ञान-चक्षु यह सोचकर खुल गए कि यह तो बड़े आश्चर्य की बात है कि किसी प्रिय खाद्य वस्तु को बिना खाए भी परम संतुष्टि पाई जा सकती है और डकार भी ली जा सकती है। यदि ऐसा है तो फिर पात्र, घटना आदि की अनुपस्थिति में कहानी भी लिखी जा सकती है।
(ग) बालगोबिन भगत का गीत-संगीत आत्मा को परमात्मा से मिलाने का महत्त्वपूर्ण साधन था। पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
बालगोबिन भगत का गीत-संगीत केवल मनोरंजन या शांति पाने के लिए किया गया उपाय नहीं था। उनके लिए यह आत्मा को परमात्मा से मिलाने का एक महत्वपूर्ण साधन था। जब वह मस्त होकर गाते थे, तो संगीत के स्वर मानो उनकी आत्मा की गहराइयों से उठते थे और वे सुनने वालों को अभिभूत कर देते थे। इसलिए उनके गीत-संगीत को भक्ति-भावना के रस में डूबा हुआ संगीत कहा जा सकता है।
(घ) ‘संस्कृति’ पाठ के आधार पर सुसंस्कृत व्यक्ति किसे कहा जा सकता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सुसंस्कृत व्यक्ति उसे कहा गया है, जो अपनी बुद्धि और विवेक से किस्सी नयी वस्तु की खोज करे और दर्शन करे अर्थात् किसी नई वस्तु की खोज करने वाला व्यक्ति ही वास्तविक सुसंस्कृत व्यक्ति कहा जा सकता है। उदाहरण के लिए न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया था, इसलिए न्यूटन को सुसंस्कृत व्यक्ति कहा जा सकता है।
प्रश्न 12.
निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए।
(2 × 3 = 6)
(क) लक्ष्मण और परशुराम के मध्य हुए वाद-विवाद का क्या कारण था? ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर :
लक्षमण श्रीराम के छोटे भाई थे। अपने बड़े भाई श्रीराम के प्रति उनकी अपार श्नद्धा थी। परशुराम सभा में आकर राम पर क्रोध कर रहे थे और उन्हें शिवधनुष भंग करने का अपराधी मान रहे थे। अपने बड़े भाई का पक्ष लेने के लिए लक्ष्मण के लिए परशुरामजी से वाद-विवाद करना आवश्यक हो गया था।
(ख) कवि ने बादलों की सुंदरता का बखान किस प्रकार किया है? ‘उत्साह’ कविता के आधार पर वर्णन कीजिए।
उत्तर :
कविता के अनुसार बादल सुंदर, काले और घुंघराले बालों जैसे हैं। उनके छ्दय में बिजली का निवास है। वे अपनी भयंकर गर्जना से उत्साह प्रकट करते हैं। ये वर्षा करके सभी को नया जीवन प्रदान करते हैं और साथ-ही पीड़ित-प्यासे मनुष्य की इच्छाओं को भी पूरा करते हैं।
(ग) ‘आत्मकथ्य’ पाठ के आधार पर कवि अपने जीवन की दुर्बलताओं को क्यों नहीं बताना चाहता था?
उत्तर :
कवि अपने जीवन की दुर्बलताओं को किसी से नहीं कहना चाहता था, क्योंकि उसके जीवन में सुख के पल कभी नहीं आए। उसका जीवन अभावों से भरा था, जिसे सुनकर किसी को भी सुख प्राप्त नहीं होगा, अपितु वह उनके मध्य हैंसी का पात्र बनेगा।
(घ) ‘भ्रमर गीत’ में सूरदास ने गोपियों की विरह-विवशता को कैसे प्रकट किया है?
उत्तर :
‘भ्रमर गीत’ में सूरदास ने उद्द्रव द्वारा ज्ञान योग का संदेश देते ही गोपियाँ उपालंभ देती हुई अपनी विरह-विवशता प्रकट करती हैं। गोपियाँ कहती हैं कि हमारे मन की बात मन में ही रह गई। अब तक मिलने की आस में हम समय व्यतीत कर रही थीं, परंतु कृष्ण के ज्ञान योग संदेश ने उस विरह की अग्नि की और अधिक बढ़ा दिया है। गोपियों ने कहा कि वे तो रात-दिन, सोते-जागते कृष्ण का नाम जपती हैं।
प्रश्न 13.
पूरक पाठ्ययुस्तक के पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) भोलानाथ के अपने पिताजी के साथ घनिष्ठ संबंध थे। वे उसके साथ हर खेल में हिस्सा लेते थे। भोलानाथ की उसके पिता के साथ कुश्ती से किस प्रकार के संबंधों का पता चलता है? क्या इस प्रकार के संबंध आज भी विद्यमान हैं? ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
भोलानाथ की उसके पिता के साथ कुश्ती से पिता-पुत्र के बीच आत्मीय संबंधों का पता चलता है। आज समाज में अधिक थन कमाने की अंधी दौड़ में पिता-पुत्र के बीच इस प्रकार के संबंध लुप्त होते जा रहे हैं। निर्धन वर्ग में तो इस प्रकार के संबंध फिर भी देखे जा सकते हैं, i किंतु उच्च स्तर के समाज में पिता के लिए इस प्रकार के खेलों के लिए समय निकालना बहुत कठिन है। आधुनिक जीवन-शैली तथा आगे बढ़ने की दौड़ में उपर्युक्त वर्णित आत्मीय संबंध कमजोर पड़ते जा रहे हैं।
(ख) यूमथांग जाते हुए लेखिका ने अद्भुत प्राकृतिक सौदर्य का आनंद लिया। ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखिका को यह अनुभव कब हुआ कि ‘जीवन का आनंद यही चलायमान सौदर्य है?’
उत्तर :
यूमथांग जाने के मार्ग में जब घुंध थोड़ी कम हो गई तो लेखिका ने देखा कि चारों ओर स्वर्ग जैसी सुंदरता विद्यमान है। जहां तक देखो, खूबसूरती-ही-खूबसूरती है। सतत प्रवाहमान झरने और नीचे अत्यंत वेग से गिरती तिस्ता नदी, सामने से उठती हुई धुंध तथा ऊपर की ओर मेंडराते हुए बादल, धीमी हवा में हिलोरे लेते हुए प्रियुता और रूडोडेंड्रो के फूल, ये सभी मन को मोह रहे थे। यह सब देखकर लेखिका को अनुभव हुआ कि जीवन का आनंद यही चलायमान सौंदर्य है।
(ग) हिरोशिमा में विस्फोट पीड़ित लोगों को देखकर लेखक का हुदय उनकी पीड़ा से व्यथित हो गया था। ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर बताइए कि हिरोशिमा पर लिखी कविता अंतः व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है।
उत्तर :
‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ में लेखक जब जापान घूमने गया था तो हिरोशिमा में उस विस्फोट से पीड़ित लोगों को देखकर उसे थोड़ी पीड़ा हुई, परंतु उसका मन लिखने के लिए उसे प्रेरित नहीं कर पा रहा था। हिरोशिमा के पीड़ितों को देखकर लेखक को पहले ही अनुभव हो चुका था, परंतु जले पत्थर पर किसी व्यक्ति की उजली छाया को देखकर उसको हिरोशिमा में विस्फोट से प्रभावित लोगों के दर्द की अनुभूति हुई, जिसने लेखक को लिखने के लिए प्रेरित किया। इस तरह हिरोशिमा पर लिखी कविता अंत व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए। (6)
(क) समय का सदुपयोग
संकेत बिंदु
- भूमिका
- समय की उपेक्षा का परिणाम
- सफल जीवन का रहस्य
- समय की उपयोगिता के लाभ
उत्तर :
समय का सदुपयोग
समय के सदुपयोग का अर्थ है-समय का सही उपयोग। दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि सही समय पर सही कार्य करना ही ‘समय का सदुपयोग’ कहलाता है। किसी भी प्रकार की सफलता का रहस्य समय का सदुपयोग है। समय वह धन है, जिसका दुरुपयोग करने से पछतावे के अतिरिक्त और कुछ नहीं मिलता।
समय के सदुपयोग में ही जीवन की सफलता का रहस्य निहित है। समय सभी के लिए समान रहता है-चाहे वह निर्धन हो या धनवान, राजा हो या रंक, मूर्ख हो या विद्वान्। इसलिए सभी को अपना जीवन सफल और सार्थक बनाने हेतु समय का सदुपयोग करना ही पड़ता है। आज तक जितने भी महान् व्यक्ति हुए हैं, सभी ने समय के महत्त्व को एक मत में स्वीकार किया है। समय का सदुपयोग सामान्य व्यक्ति को भी महान् बना देता है और महान् व्यक्ति को भी अत्यंत सामान्य।
किसी विचारक ने ठीक ही कहा है कि ‘जो व्यक्ति समय को बर्बाद करते है, एक दिन समय उन्हें बर्बाद कर देता है। अंग्रेजी में भी समय को धन कहा गया है। जो व्यक्ति इस धन को यूँ ही लुटाता रहता है, वह एक दिन समय का रोना रोता है, किंतु बाद में पछताने से कुछ नहीं होता है। समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। खोया हुआ धन, पुन: अर्जित किया जा सकता है। खोया हुआ वैभव, पुनः प्राप्त किया जा सकता है। खोया हुआ स्वास्थ्य, उचित चिकित्सा द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। भूली हुई विद्या पुनः अर्जित की जा सकती है, किंतु समय को एक बार खोने के बाद उसे पुन: प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह निरंतर गतिशील है। अतः हमें इसके साथ कदम मिलाकर चलते रहुना चाहिए। अन्यथा हमें समय की उपेक्षा का दंड झेलना ही पड़ता है।
व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने के लिए अपना निश्चित कार्यक्रम बनाकर एवं एकाग्रचित्त होकर कार्य करना चाहिए, तब ही सफलता उसका वरण करेगी। प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना ही बुद्धिमानी है। अतः समय की महता को समझना व पहचानना चाहिए। महादेवी वर्मा ने भी लिखा है-
“तू मोती के द्वीप स्वप्न में रहा खोजता, तब तो बहता समय शिला-सा जम जाएगा”
(ख) खेलकूद का महत्त्व
संकेत बिंदु
- भूमिका
- समग्र व्यक्तित्व का विकास
- खेलकूद से लाभ
- खेलकूद की आवश्यकता
उत्तर :
खेलकूद का महत्त्व
बेलकूद मनुष्य के लिए वरदान स्वरूप माने जाते है। इससे व्यक्ति का मस्तिक्ष पूर्ण रूप से स्वस्थ रहता है। यदि व्यक्ति का मस्तिष्क स्वस्थ न रह, तो इसका प्रतिकूल प्रभाव उसके जीवन पर पड़ता है। किसी भी व्यक्ति का मस्तिक्क तभी स्वस्थ रह सकता है, जब उसका शरीर भी स्वस्थ रहें।
खेलकूद के अनेक लाभ हैं- इससे शरीर की मांसपेशियाँ एवं हड्डिडाँ मज़बूत रहती हैं। रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है, पाथन क्रिज्या सुदृद रहती है, शरीर को अतिरिक्त ऑक्सीजन मिलती है और खेलकूद से रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढती है।
खेल मनुष्य के शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है। अतः एक व्यक्ति को शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना आवश्यक है और खेल व्यायाम का एक ऐसा प्रकार है, जिसमें व्यक्ति का शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक मनोरंजन भी होता है। खेल से मानसिक तनावों को झेलने की क्षमता बढ़ती है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था, “यदि तुम गीता के मर्म को समझना चाहते हो, तो खेल के मैदान में जाकर फुटबॉल खेलो।” सचमुच जीवन में शिक्षा की भांति खेल के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता। खेल के महत्त्वपूर्ण होने के पश्चात् भी यदि व्यक्ति पेशेवर खिलाड़ी नहीं है, तो उसके लिए इस बात का ध्यान रखना अनिवार्य हो जाता है कि खेल को खेल के समय ही खेला जाए, काम के समय नहीं। इस प्रकार हम निष्कर्ष के रूप में कह सकते हैं कि मनुष्य के सर्वांगीण एवं संतुलित विकास के लिए खेलकूद को जीवन में पर्याप्त स्थान दिया जाना चाहिए।
(ग) विकास की देन दूषित पर्यावरण
संकेत बिंदु
- भूमिका
- विज्ञान के आविष्कार
- विकास के नकारात्मक प्रभाव
- पर्यावरण का बचाव
उत्तर :
विकास की देन दूषित पर्यावरण
पर्यावरण और विकास परस्पर जुड़े हुए हैं। पर्यावरण पर विचार किए बिना विकास के बारे में नहीं सोचा जा सकता। विकास एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। हालाँकि विकास के कुछ सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम होते हैं। यदि पर्यावरण पर विचार किए बिना विकास किया जाता है, तो इसका पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
पर्यावरण से तात्पर्य वायु, जल और भूमि से है। इन सभी कारकों का मानव के साथ अंतरंबंध होता है। आज मनुष्य दिनों-दिन विकास के मार्ग में अग्रसर है, किंतु इस विकास के चलते वो अपना अस्तित्व ही खतरे में डाल रहा है तथा वह इस बात से अनभिज है।
ज्यों-ज्यों मानव सभ्यता का विकास हो रहा है, त्यों-त्यों पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है। इसे बढ़ाने में मनुष्य के क्रिया-कलाप और उसकी जीवन-शैली काफी हद तक जिम्मेदार हैं। सभ्यता के विकास के साथ-साथ मनुष्य ने कई नए आविष्कार किए हैं, जिनसे औद्योगीकरण को बढ़ावा मिला है। आधुनिकीकरण एवं जनसंख्या वृद्धि के कारण मनुष्य दिन-प्रतिदिन वनों की कटाई करते हुए खेती और घर के लिए जमीन को पेड़ों से खाली करता जा रहा है।
विज्ञान हर नए अनुसंधान के साथ मानव जीवन को अधिक सरल बनाता चला जा रहा है। आज विश्रान के बढ़ते चहुं ओर विकास के कारण मानव दुनिया के हर क्षेत्र में अग्रसर दिखाई दे रहा है। मानव ने विशान की सहायता से पृथ्वी पर उपलब्ब हर चीज़ को अपने काबू में कर लिया है। विशान की सहायता से आज हम ऊँचे आसमान में उड़ सकते हैं व गहरे पानी में सास ले सकते हैं। आज विज्ञान के नित नए आविष्कार हमारे जीवन में रोज चमत्कार उत्पन्न कर रहें हैं। आविष्कारों ने हमारे जीवन को जटिलता से सरलता की ओर ला दिया है, किंतु इसका हमें बहुत बड़ा नुकसान भी उताना पड़ रहा है और वो है-प्रदूषित पर्यावरण।
अंततः कहा जा सकता है कि किसी भी समाज के लिए विकास करना अपेक्षाकृत काफी कठिन होता है, किंतु विकास के साथ-साथ हमें अपने पर्यावरण का भी ध्यान रखना होगा, तभी विकास सफल कहलाएगा अन्यथा हमें दूषित वातावरण ही मिलेगा।
प्रश्न 15.
किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (5)
आप अवनी कुमारी हैं। आपके क्षेत्र में चुनाव के दौरान राजनीतिक कार्यकर्ता घरों, विद्यालयों की दीवारों पर और मार्गदर्शक बोर्डों आदि पर अपने उम्मीदवार की प्रचार-प्रसार पोस्टर लगा देते हैं। इससे लोगों को होने वाली असुविधा तथा चुनाव पश्चात् दीवारों पर होने वाली गंदगी पर अपने विचार व्यक्त करते हुए किसी प्रतिष्ठित दैनिक समाचार के संपादक को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए।
अथवा
आप प्रियंका गौतम हैं। आपके मित्र के माता-पिता का बस-दुर्घटना में निधन होने पर मित्र को लगभग 100 शब्दों में एक संवेदना पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन,
मेरण।
दिनांक 20 मार्च, 20XX
सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक जागरण,
मेरण।
विषय पोस्टर लगाने से होने वाली असुविधा हेतु।
मान्यवर,
मैं बेगम बाग की निवासी हूँ तथा में आपका ध्यान लोकप्रिय दैनिक समाचार-पत्र के माध्यम से चुनाव के दिनों में विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं द्वारा क्षेत्र के घरों, विद्यालयों की दीवारों, सार्वजनिक स्थानों व मार्गदर्शक बोडों पर लगाए जाने वाले होर्डिंग्स और कागज़ के पोस्टरों से उत्पन्न होने वाली समस्या की ओर ले जाना चाहती हैं।
इस समय चुनाव का माहौल होने के कारण राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता दीवारों पर जगह-जगह पोस्टर चिपका देते हैं व नारे लिख देते हैं जिसके कारण पता आदि दूँडने में काफी परेशानी होती है। चुनाव के बाद भी कोई राजनीतिक दल या सरकारी संस्था इसकी खोज-खबर नहीं लेती है। इस बारे में चुनाव आयोग को आगे आकर इस संदर्म में कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। जिस राजनीतिक दल का पोस्टर दीवारों या दरवाजों पर लगा हो उससे हर्जाना लिया जाना चाहिए। मुझे आशा ही नहीं, बल्कि पूरा विश्वास है कि सामान्य जनता के हित में सभी राजनीतिक दल, चुनाव आयोग तथा नगर निगम अपने कर्तव्यों का सावधानीपूर्वक निर्वाह करेंगे तथा ऐसा कोई भी कार्य नहीं करेंगे, जो जनता के लिए असुविधापूर्ण हो। धन्यवाद!
भवदीया
अवनी कुमारी
अथवा
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 27 मार्च, 20XX
मित्र गगन, सप्रेम नमस्कार!
आज मुझे तुम्हारे माता-पिता के एक बस दुर्घटना में निथन का समाचार मिला। यह समाधार सुनकर मेरे दिल को बहुत दुःख पहुंचा। पता नहीं क्यो, मुझे तो इस समाचार पर अब भी विश्वास नहीं हो रहा है। अभी कुछ ही दिन पहले तो मैं तुम्हारे पास आई थी और माताजी-पिताजी से घंटों बातें की थीं। तुम्हारे पिताजी ने तो मेरे घर आने का वायदा भी किया था, जिसे वह अब कभी नहीं निभा सकेंगे। तुम्हारी माताजी को देखकर तो मुझे अपनी स्वर्गीय मों की याद आती थी।
क्या करें, ईश्वर की लीला भी बड़ी विचित्र है। उसके आगे किसी की नहीं चलती। उसके आगे सभी को अपना सिर झुकाना पड़ता है। में इस बात को भली-भाँति जानती हूँ कि तुम्हारे ऊपर विपत्ति का भारी पहाड़ टूट पड़ा है, किंतु घैर्य धारण करने के अतिरिक्त और कोई उपाय भी नहीं है। मैं परमपिता परमेश्वर से यह प्रार्थना करती हूँ कि वह तुम्हारे माता-पिता की आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार के सदस्यों को इस असीम दुःख को सहन करने की शक्ति दें।
तुम्हारी शोकाकुल मित्र
प्रियंका गौतम
प्रश्न 16.
आप तरुण शर्मा हैं। आप एम.कॉम कर चुके हैं। आपको डी.ए.वी. स्कूल में अ ब स नगर कंप्यूटर अध्यापक पद के लिए आवेदन करना है। इसके लिए आप अपना संक्षिप्त स्ववृत्त (बायोडाटा) लगभग 80 शब्दों में तैयार कीजिए। अथवा
आप सुनील जाँगिड हैं। आपने बैंक ऑफ बड़ौदा में खाता खुलवाया है, लेकिन आपको अभी तक चैक बुक नहीं मिली। इसके लिए शिकायत करते हुए बैंक प्रबंधक को चैक बुक भिजवाने के लिए लगभग 80 शब्दों में ई-मेल लिखिए।
उत्तर :
स्ववृत्त –
नाम : तरुण शर्मा
पिता का नाम : श्री सुनील शर्मा
माता का नाम : श्रीमती राथा शर्मा
जन्म तिथि : 16 मार्च, 19XX
वर्तमान पता : डी-31, आनंदपुरी, एम डी रोड, जयपुर
स्थायी पता : उपर्युक्त
दूरभाष नंबर : 01415468XX
मोबाइल नंबर : 78XXOCXXXX
ई-मेल : [email protected]
शैक्षणिक योग्यताएँ
अन्य संबंधित योग्यताएँ
- कंप्यूटर का विशेष ज्ञान और अभ्यास (एम.एस, ऑफिस, एक्सेल, इंटरनेट)
- अंग्रेजी भाषा का ज्ञान
उपलच्थियाँ
- सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता (राज्य-स्तरीय वर्ष 2014) में प्रथम पुरस्कार।
- सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता (राष्ट्रीय स्तर वर्ष 2017) में प्रथम पुरस्कार।
कार्येत्तर गतिविधियाँ और अभिरुचियाँ
- सांख्यिकी विभाग (राज्य सरकार) में तीन माह की जनगणना के आंकड़ों को एकत्र करने तथा उनका विश्लेषण करने से संबंधित प्रोजेक्ट किया।
- सामान्य ज्ञान से संबंधित पत्रिकाओं का नियमित पाठन किया।
- सामान्य पन्र का नियमित पाठन किया।
संदर्भित व्यक्तियों का विवरण
- श्री मोहन लाल शर्मा, प्रिंसिपल, राजकीय विद्यालय, राजापार्क, जयपुर
- श्री दिकल्प गुप्ता, प्रोफेसर, राजस्थान कॉलेज, जयपुर।
तिथि : 6.10.20xx
स्थान : जयपुर
हस्ताक्षर
तरुण शर्मा
अथवा
प्रश्न 17.
आपके अंकल ने एक हेलमेट की दुकान खोली है। वे प्रचार-प्रसार के लिए स्थानीय समाचार-पत्र में उसका विज्ञापन देना चाहते हैं। आप उनके लिए लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
आप छात्र संघ के अध्यक्ष ललित कुमार हैं। आपके विद्यालय में नेहरू जी के जन्म दिवस पर बाल मेले का आयोजन किया जा रहा है। इस उपलक्ष्य में प्रधानाचार्य की ओर से लगभग 40 शब्दों में एक संदेश लिखिए।
उत्तर :
अथवा
सूचना संदेश
दिनांक : 14 नवंबर, 20XX
समय : 1:00 बजे दोपहर
सभी छात्रों को सूचित किया जाता है कि जवाहरलाल नेहरू जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में विद्यालय में बाल मेले का आयोजन 20 नवंबर को किया जा रहा है, जिसमें खाने के सामान की स्टॉल, अलग-अलग प्रकार की खेल प्रतियोगिताओं को भी शामिल किया जाएगा। इन कार्यक्रमों के लिए इच्छुक विद्यार्थी अपने कक्षा अध्यापक को अपना नाम लिखवा दें। धन्यवाद
प्रधानाचार्य