CBSE Class 11 Hindi Elective Rachana प्रतिवेदन
प्रायः अंग्रेजी शब्द ‘रिपोर्ट’ (Report) और हिंदी शब्द ‘प्रतिवेदन’ को समानार्थी माना जाता है जिसका संबंध सरकारी या ग़ैर-सरकारी कार्यालयों, संगठनों, संस्थानों आदि में घटित होने वाली विभिन्न घटनाओं, गतिविधियों आदि के विवरण से होता है। इसका मूल उद्देश्य आवश्यक सूचनाओं, आँकड़ों आदि को विश्लेषित करने के पश्चात विभिन्न निष्कपों पर पहुँचना होता है जिसमें अनेक लोगों के अनेक प्रकार के सुझाव सम्मिलित रहते हैं। रिपोर्ट और प्रतिवेदन में अंतर है। रिपोर्ट का प्रयोग समाचार, संवाद, सूचना, रपट, विवरण, इतिवृत्त, विज्ञापन आदि के लिए किया जाता है। रेडियो, दूरदर्शन, समाचार-पत्रों आदि में समाचारों के लिए रिपोर्टर अपनी रिपोर्ट भेजते हैं। किसी दुर्घटना, अपराध, चोरी, झगड़े-फ़साद आदि की भी पुलिस-स्टेशन में रिपोर्ट की जाती है।
प्रतिवेदन से तात्पर्य अनुभव से युक्त विस्तृत तथ्यपूर्ण जानकारी है। इसे किसी घटना, कार्य योजना आदि का विवरण देने के लिए तैयार किया जाता है तथा उचित समय पर किसी अधिकारी या सभा के सामने प्रत्तुत किया जाता है। यह विभिन्न तथ्यों का व्यवस्थित लेखा-जोखा है, जो लिखित रूप में प्रस्तुत किया जाता है। ‘प्रतिवेदन’ शब्द ‘प्रति’ उपसर्ग और ‘विद्’ धातु के संयोजन से बनता है जिसका अर्थ है-सम्यक जानकारी । आज के औद्योगिक और व्यावसायिक युग में प्रतिवेदन का विशेष महत्व है। व्यापारिक क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित करने या पहली बार किसी कार्य को आरंभ करने से पहले दूसरों को कुछ जानकारी देना आवश्यक होता है। इस कार्य को करने के लिए जो विवरण तैयार किया जाता है, उसे ही प्रतिवेदन कहते हैं।
- प्रतिवेदन का मूल कार्य किसी नए या पुराने कार्य या विषय की पूरी जानकारी देना है।
- प्रतिवेदन से निष्कर्ष, सुझाव और संस्तुतियाज दी जाती हैं।
- प्रतिवेदन किसी सरकारी या गैर-सरकारी संस्था की स्थिति के विषय में लिखे जाते हैं।
- प्रतिवेदन दैनिक, साप्ताहिक, मासिक और वार्षिक हो सकते हैं।
- प्रतिवेदन विभिन्न जाजच समितियों के द्वारा प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
- विभिन्न अधिवेशनों, सम्मेलनों और संगोष्ठियों के समापन के प्रतिवेदनों के द्वारा कार्य विशेष की जानकारी दी जाती है।
प्रतिवेदन के तत्व –
- प्रामाणिकता-प्रतिवेदन की प्रमाणिकता अति महत्वपूर्ण है। यह साक्ष्यों पर आधारित होती है। इसका रूप लिखित होता है। यदि मौखिक साक्य्यों की प्रस्तुति हो तो उन्हें रिकॉर्ड किया जाता है।
- विशिष्ट प्रकरण पर आधारित-प्रतिवेदन सदा किसी विशिष्ट प्रकरण पर आधारित होता है। जिस प्रकरण के अध्ययन की आवश्यकता होती है, उसी को आधार बनाकर इसे प्रस्तुत किया जाता है, चाहे वह कोई शिकायत हो या विवाद, घटना हो या दुर्घटना, नीति हो या आचरण।
- प्रतिवेदक की निष्पक्षता-प्रतिवेदन लिखने वाले को पूर्ण रूप से निष्मक्ष होना चाहिए। उसका प्रत्यक्ष या परोक्ष संबंध उस घटना या विवाद से नहीं होना चाहिए। प्रतिवेदक विषय का अच्छा जानकार और भाषा का अच्छा ज्ञाता होना चाहिए।
- अवधि निर्धारण-प्रतिवेदन की समय सीमा पूर्व निर्धारित होती है। उसका अव्वधि निर्धारण पूर्व योजना के अनुसार होता है।
- अभिमत-प्रतिवेदन में लिखित निष्कर्ष या मंतव्य का संस्तुति पाना आवश्यक होता है।
प्रतिवेदन के प्रकार –
प्रतिवेदन अनेक प्रकार के होते हैं पर अध्ययन की सुविधा के लिए उन्हें प्रमुख रूप से दो वर्गों में बाँटा जा सकता है-
1. औपचारिक प्रतिवेदन-वे प्रतिवेदन जो किसी सरकारी या गौर-सरकारी संस्था के अधिकारी के आदेश के अनुसार तैयार किए जाते हैं, उन्हें औपचारिक प्रतिवेदन कहते हैं। इनमें निष्कर्षों के साथ-साथ सुझाव दिए जाते हैं और संस्तुतियाँ भी की जाती हैं।
2. अनौपचारिक प्रतिवेदन-ये प्रतिवेदन किसी एक व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्तियों के पास भेजे जाने वाले पत्रों के समान होते हैं। कोई अकेला व्यक्ति अपनी इच्छा से इसका लेखन कार्य करता है। वही इस का उत्तरदायी होता है। ऐसे प्रतिवेदन उत्तम पुरुष में ‘मै’ और ‘हम’ की शैली में लिखे जाते हैं।
प्रतिवेदन तैयार करते समय ध्यान देने योग्य बातें-
एक अच्छे प्रतिवेदन में निम्नलिखित बातों का समावेश होना चाहिए-
- प्रतिवेदन की भाषा सरल और साधारण होनी चाहिए।
- प्रतिवेदन अनुच्छेदों में विभाजित होना चाहिए।
- यह उन लोगों के नाम संबोधित होना चाहिए जिनके लिए यह लिखा गया है।
- इसमें में तब तक कोई सलाह नहीं देनी चाहिए जब तक सलाह माँगी न गई हो।
- प्रतिवेदन लिखते समय उन सभी कागज़-पत्रों, विवरण-पत्रों और टिप्पणियों का सहारा लेना चाहिए जिनका प्रयोग प्रतिवेदन की तैयारी में किया था।
- प्रतिवेदन में मर्यादा का पूर्ण पालन किया जाना चाहिए।
- यह तथ्यों पर आधारित होना चाहिए तथा उसमें कोई गोपनीय बात नहीं होनी चाहिए।
- यह पक्षपात से रहित होना चाहिए।
- इसमें की गई आलोचना किसी व्यक्ति विशेष को हानि पहुँचाने वाली नही होनी चाहिए।
- प्रतिवेदन संक्षिप्त होना चाहिए पर उसमें किसी भी तथ्य को छोड़ना नहीं चाहिए।
- इसमें बहुअर्थी शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
- प्रतिवेदन के अंत में बाई और स्थान का नाम तथा तिधि तथा दाहिनी तरफ हस्ताक्षर होने चाहिए।
प्रतिवेदन के कुछ उदाहरण –
1. आपके स्कूल में हिंदी साहित्य परिषद की एक सभा हिंदी दिवस समारोह को मनाने हेतु आयोजित की गई। उसका प्रतिवेदन लिखिए।
‘हिंदी-दिवस समारोह’ संबंधी प्रतिवेदन
स्कूल में हिंदी भाषा के प्रति विद्यार्थियों के हृदय में इसका निरंतर प्रयोग करने के भाव जगाने और इसकी वैज्ञानिक प्रकृति को समझाने के लिए 14 सितंबर को व्यापक स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता हिंदी साहित्य परिषद् के द्वारा अनुभव की गई है। अंग्रेज़ी माध्यम में शिक्षा प्राप्त करने के कारण विज्ञान और वाणिज्य विषय पढ़ने वाले विद्यार्थियों की सामान्य बोलचाल की भाषा में अंग्रेज़ी का प्रभाव निरंतर बढ़ता जा रहा है, जो किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। हिंदी हमारे देश की राजभाषा है और इस का मान-सम्मान बनाकर रखना अति आवश्यक है। किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के लिए अपनी भाषा की पहचान और प्रयोग गर्व की बात है।
स्कूल में हिंदी दिवस पर भाषण, कविता-पाठ और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएज आयोजित की जाएँगी। हिंदी के गौरव को प्रकट करने वाली उक्तियाज स्कूल परिसर में लिखी जाएंगी। गत वर्ष की वार्षिक हिंदी परीक्षा विषय में अधिकतम अंक प्राप्त करने वाले प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थी को स्कूल की सभा में सम्मानित किया जाएगा।
डॉं० सुनीता कौशल
प्राचार्या
दिनांक : 12 अगस्त, 20….
2. इस वर्ष ग्रीष्म ऋतु में राज्य में विद्युत उत्पादन बहुत कम हुआ है। इस संबंध में जाँच करने के बाद अधिकारी को प्रतिवेदन लिखिए।
‘राज्य में कम विद्युत उत्पादन’ संबंधी प्रतिवेदन
इस वर्ष ग्रीष्म ऋतु में राज्य के सभी जिलों में विद्युत का गंभीर संकट अनुभव किया गया जिस कारण जनता को भीषण कष्ट उठाना पड़ा। इससे खेतों में फ़सलों को अपार क्षति हुई और राज्य की औद्योगिक इकाइयों की उत्पादन क्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा। राज्य के विभिन्न नगरों-कस्बों में विद्युत विभाग को जनता का आक्रोश झेलना पड़ा।
राज्य की विद्युत क्षमता को कोयले की कम आपूर्ति ने प्रभावित किया। राज्य सरकार के द्वारा समय पर भुगतान न होने के कारण कोयला खानों से समय पर कोयला थर्मल प्लांटों में नहीं पहुजचा। पानीपत के चार में से दो यूनिट तो पिछले दो महीने से बंद पड़े हैं। शेष दो अपनी क्षमता से आधा विद्युत उत्पादन कर रहे हैं। भाखड़ा के जल-स्तर में कमी हो जाने के कारण राज्य को अपने पूल में कम बिजली प्राप्त हुई। उत्तर भारत ग्रिड पर अधिक लोड़ होने के कारण भी विद्युत संकट की स्थिति बिगड़ी।
मानसून आने तक यह स्थिति बनी रहने की संभावना है। थर्मल प्लांटों को पूरी क्षमता से विद्युत प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त कोयले को मंगवाना होगा। यदि कोयले की देश में कमी है तो उसे आयात करने का प्रबंध किया जाए।
राजस्थान सीमा के निकट राज्य में कुछ क्षेत्रों पर सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पन्न की जा सकने की स्थितियाँ हैं। नवीकरणीय कर्जा प्रबंधन के केंद्रीय विभाग से सहायता प्राप्त करके सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया आरंभ की जाए।
महीप गोस्वामी
चेयरमैन
18 जुलाई, 20…
3. मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों के लिए आंशिक सरकारी सहायता प्राप्त संस्था कल्याण की स्थिति स्पष्ट करने हेतु जिम्मेदारी उपायुक्त महोदय ने चार सदस्यों की एक जाँच समिति को साँपी थी। इसका एक प्रतिवेदन लिखिए।
मॉडल टाउन में स्थित संस्था ‘कल्याण’ की स्थिति से संबंधित प्रतिवेदन
उपायुक्त महोदय के द्वारा गठित जाँच समिति नगर के मॉडल टाउन में स्थित मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों के लिए आंशिक सरकारी सहायता से चलने वाली संस्था की पूर्ण जाँच करके निम्नलिखित प्रतिवेदन प्रस्तुत करती है –
(i) ‘कल्याण’ पूर्ण रूप से सरकारी संस्था नहीं है। इसे सरकारी सहायता अवश्य प्राप्त होती है पर यह पूर्ण रूप से उससे न चलकर नगर के दानी और उपकारी लोगों के सहयोग से चलती है।
(ii) ‘कल्याण’ की निश्चित आय का स्रोत कोई नहीं है। यह संस्था अपने प्रयलों से अपने लिए कुछ आर्थिक आधार तैयार करने योग्य है।
(iii) ‘कल्याण’ में तीन वर्ष से लेकर पचास वर्ष तक की आयु के 200 मानसिक रूप से विक्षिप्त लोग रहते है। इनमें से तीस लोग शारीरिक रूप से विकलांग भी हैं।
(iv) ‘कल्याण’ में विक्षिप्तों और विकलांगों की देखभाल करने के लिए 24 लोग हैं, जिन्हें संस्था निश्चित वेतन देती है। वह वेतन संस्था के द्वारा ही निर्धारित किया जाता है और उसमें प्रतिवर्ष वृद्धि नहीं होती। इस पर भविष्य निधि का प्रावधान भी नहीं है।
(v) आर्थिक अभाव के कारण वहाँ रहने वालों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।
(vi) संस्था के पास केवल आठ मध्यम आकार के कमरे हैं जहाँ सुबह के समय उन्हें पढ़ाने के लिए कक्षाएं लगती हैं और रात को वे वहीं जमीन पर दरी बिछाकर सोते हैं।
(vii) इनके पास चिकित्सा सुविधाएँ नाम-मात्र की हैं। आवश्यकता पड़ने पर नगर के सेवाभावी चिकिसक उनकी मुक्त देखभाल करते हैं।
(viii) संस्था समाज सेवा के इस कार्य का बढ़ाना चाहती है पर आर्थिक संकट और नाममात्र सरकारी सहायता के कारण ऐसा हो पाना संभव नहीं हो पा रहा।
संस्था का यह भवन 5000 प्रति मास किराए पर है।
सुझाव-समिति यह अनुभव करती है कि –
(i) सरकार को इस समाज सेवी संस्था कल्याण का आर्थिक अनुदान बढ़ाना चाहिए।
(ii) निश्चित योजना के अनुसार इसका किसी खुले स्थान पर भवन बनवाना चाहिए जहां खुली हवा, पानी का समुचित प्रबंध हो।
(iii) इस संस्था की आर्थिक सहायता के लिए जनजागरण के उपाय किए जाने चाहिए।
(iv) यहाँ काम करने वाले कर्मचारियों के नियमित वेतन और भविष्यनिधि की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए।
(v) मानसिक और शारीरिक रूप से विकलांगों को आजीविका प्राप्ति के लिए योग्य बनाने हेतु छोटे-मोटे काम सिखाने का प्रबंध किया जाना चाहिए।
दिनांक : 29 दिसंबर 20 ….
हस्ताक्षर
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(अध्यक्ष)
हस्ताक्षर
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(सदस्य)
हस्ताक्षर
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(सदस्य)
हस्तक्षर
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सदस्य
4. दालों के दाम बड़ी तेज़ी से आकाश को छूने लगे हैं। इन्हें नियंत्रित करने के सुझाव देते हुए एक प्रतिवेदन लिखिए।
‘दालों के बढ़ते दामों’ पर प्रतिवेदन
सारे देश में दालों के दाम बड़ी तेज़ी से बढ़े हैं, जो चिंता का विषय है। ‘दाल-रोटी’ को किसी भी निर्धन या मध्यवर्गीय का सस्ता भोजन स्वीकार किया जाता रहा है पर अब तो दालों का दाम किसी महँगे से महँगे फल से भी महाँगा हो गया है। निर्धन तो क्या, ये तो मध्यवर्गीय लोगों की पहुँच से बाहर हो गई हैं। इनका दाम शीप्र अति शीघ्र नियंत्रित करना होगा ताकि आम आदमी इन्हें खरीद सके।
सुझाव –
(i) दाल व्यापारियों पर कड़ी नजर रखकर जमाखोरी करने वालों को कठोरतापूर्बक नियंत्रित करना चाहिए।
(ii) दालों का निर्यात पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
(iii) जिन दालों की अधिक कमी अनुभव की जा रही है उनका सीमित मात्रा में कुछ समय के लिए आयात किया जाना चाहिए।
(iv) किसानों को दालों की खेती अधिक करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
(v) जनता के द्वारा अधिक मात्रा में प्रयुक्त की जाने वाली मूँग, अरहर, चने और उड़द दालों को सरकारी उपभोक्ता दुकानों पर कम दाम पर तब तक बेचने का प्रबंध किया जाए जब तक इनके दाम नियंत्रित नहीं हो जाते। ये सभी कार्य तब तक जारी रहने चाहिए जब तक दालों के मूल्यों पर पूर्ण रूप से नियंत्रण नहीं होता।
26 मई, 20 ….
दलजीत सिंह
अध्यक्ष
कंज्यूमर प्रोटेकशन सेल
5. नगर सुधार समिति ने नगर में स्वच्छता अभियान चलाने से पूर्व तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति के द्वारा दिए प्रतिवेदन को प्रस्तुत कीजिए।
नगर में स्वच्छता प्रबंधन संबंधी प्रतिवेदन
हमारा नगर प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व का है, जिसकी स्वच्छता का ध्यान रखना अनिवार्य है। यह राष्ट्रीय धरोहर के रूप में देश भर में प्रतिष्ठित है। इसकी स्वच्छता और देखभाल के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जाने चाहिए –
(i) मुख्य मंदिर की ओर जाने वाली सड़क की चौड़ाई बहुत कम है। आवासीय क्षेत्र होने के कारण उसे चौड़ा करना भी संभव प्रतीत नहीं होता पर उसके दोनों ओर बनी नालियाँ अधिक गहरी और पक्की की जानी चाहिए ताकि उनसे बहने वाला गंदा पानी सड़क पर इकट्ठा न हो।
(ii) धार्मिक स्थलों पर चढ़ाई गई फूल मालाओं, पत्तों, छिलकों आदि को इधर-उधर बिखराने या नदी में प्रवाहित करने की अपेक्षा खेतों में दबाकर खाद बनाने के लिए प्रयुक्त किया जाए।
(iii) मुख्य मार्ग से रेहड़ी वालों को हटाकर उन्हें अन्यत्र भेजा जाना चाहिए।
(iv) सड़कों के किनारों पर कुछ-कुछ दूरी पर कूड़ा-कचरा फेंकने के लिए धातुप्लास्टिक के ढक्कनदार ड्रमों आदि का प्रबंध किया जाना चाहिए।
(v) दुकानदारों ने अपनी-अपनी दुकानों के बाहर दूर तक जगह घेर रखी है जहाँ वे ग्राहकों को आकृष्ट करने हेतु सामान सजाते हैं पर इससे लोगों का रास्ता रुकता है। दुकानदारों को समझा-बुझाकर या बलपूर्वक ऐसा करने से रोका जाए।
(vi) टूरी-फूटी सड़कों की मरम्मत कर पटरियों की स्थिति को सुधारा जाए।
(vii) पुराने जर्जर होते धार्मिक स्थलों की देख-रेख हेतु भारतीय पुरातत्व विभाग की सेवाएँ प्राप्त की जाएँ।
(viii) चौराहों का पुनर्निर्माण कर उन पर पेड़-पौधे तथा आकर्षक मूर्तियां आदि लगाई जाएं।
(ix) टेलीफोन के खंभों को तंग सड़कों के दोनों ओर से हटाने का प्रबंध किया जाए। तारों को भूमिगत कर दिया जाए।
(x) टी॰वी॰ केबल लगाने वालों को निर्देश दिए जाएँ कि वे सड़कों पर तारों के जाल न फैलाएँ। इससे नगर की सड़कें मकड़ी के जाल-सी लगती हैं।
(xi) अधिक व्यस्त चौराहों पर यातायात नियंत्रण संबंधी बत्तियों की व्यवस्था की जाए।
दिनांक : 14 अप्रैल, 20….
हस्ताक्षर
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(अध्यक्ष)
हस्तक्षार
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(सदस्य)
हस्ताक्षर
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(सदस्य)
6. महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में कर्ज़ में डूबे निर्धन किसानों की आत्पहत्या करने की घटनाएँ निरंतर बढ़ती जा रही हैं। उन पर नियंत्रण हेतु एक प्रतिवेदन लिखिए।
‘विदर्भ क्षेत्र में कर्ज़ में डूबे किसानों द्वारा आत्पहत्या’ संबंधी प्रतिवेदन
महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के छह जिलों में अतिशय कर्ज्ज में डूबे किसानों की दशा दिन-प्रतिदिन शोचनीय होती जा रही है। समुचित सिंचाई व्यवस्था न होने तथा मानसून की अनिश्चितता के कारण किसानों को बैंकों तथा अन्य ॠणदाता एजेंसियों से उधार लेकर खेती करनी पड़ी लेकिन फ़सल न हो पाने के कारण मानसिक प्रताड़ना ने उन्हें आत्महत्या के लिए विवश कर दिया। पिछले पाँच वर्ष में इस क्षेत्र के 530 किसान अब तक इसी कारण आत्महत्या कर चुके हैं, जो किसी को भी विचलित कर सकने वाली त्रासदी है।
किसानों को इस संकट से उबराने के लिए शीघ्र ठोस कदम सरकार के द्वारा उठाए जाने चाहिए ताकि पीड़ित किसानों, विधवाओं और अनाथ बच्चों को सहारा मिल सके।
सुझाव –
(i) इस क्षेत्र के किसानों के बकाया ऋण माफ़ कर दिए जाने चाहिए।
(ii) इस क्षेत्र में सिंचाई की वैकल्पिक सुविधाएँ दी जानी चाहिए।
(iii) कपास उत्पादकों को बेहतर दाम दिलाने की प्रभावी योजनाएँ बनाई जानी चाहिए।
(iv) पीड़ित बच्चों की शिक्षा का भार सरकार को उठाना चाहिए।
(v) पढ़े-लिखे किसानों की नौकरी की व्यवस्था करनी चाहिए।
प्रभा शंकर मुले
सरपंच
यवतमाल (महाराष्ट्र)
19 जून, 20…
7. राज्य सरकार के द्वारा भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए सीधा ग्राम पंचायतों के द्वारा काम कराने हेतु एक प्रतिवेदन प्रस्तुत कीजिए।
‘ग्राम पंचायतों से विकास कार्य कराने’ संबंधी प्रतिवेदन
राज्य में विकास कार्यों को गति देने हेतु सरकारी दप्तरों में फैली लाल फीताशाइी को समाप्त करने की परम आवश्यकता है। केंद्र और राज्य सरकरों गाँवों के लिए जितनी योजनाएँ बनाती हैं और उनके लिए धन की व्यवस्था करती हैं, वे गाँव तक पहुँचते-पहुँचते आधी से भी कम रह जाती हैं। ऐसा आवश्यक हो गया है कि सरकार कुछ विकास कार्यों को ग्राम पंचायतों के माध्यम से कराने के निर्देश दे ताकि विकास कायों में तेज़ी आए एवं भ्रष्टाचार को कम किया जा सके।
सुझाव –
(i) विकास कार्य ग्राम पंचायतों के द्वारा किए जाएँ।
(ii) उन कार्यों का खंड एवं जिला-स्तर पर गठित सतर्कता समितियों द्वारा परिवेक्षण किया जाए।
(iii) किसी भी पंचायत के द्वारा किए जाने वाले विकास कायों के लिए निर्धारित राशि पाँच लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।
(iv) विकास कायों के लिए ग्राम पंचायतों को धन सीधा मुहैया कराया जाना चाहिए।
(v) विकास कायों के लिए तकनीकी रूप से दक्ष व्यक्तियों की सेवा ली जानी चाहिए।
(vi) परियोजना की लागत का अधिकतम कुल 2 प्रतिशत जिला उपायुक्त द्वारा तकनीकी रूप से दक्ष व्यक्तियों को दक्षता पैनल के आधार पर खर्च किया जाए।
(vii) विकास कार्यों में आम आदमियों को शामिल किया जाए।
सेवा राम
अध्यक्ष
ग्राम सुधार समिति
मंगलपुर, करनाल
27 मई, 20….
8. देश-विदेश में रोज़गार प्रदान कराने हेतु नई युवा नीति संबंधी प्रतिवेदन लिखिए।
रोज़गार प्राप्ति हेतु नई युवा नीति की आवश्यकता
हमारा राज्य आर्थिक सबलता और प्राकृतिक संसाधनों के आधार पर देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा कुछ बेहतर है पर अभी भी राज्य के युवाओं को देश-विदेश में रोज़गार के समुचित अवसर उपलब्ध कराने के लिए नई युवा नीति बनाए जाने की आवश्यकता है। राज्य के कॉलेज प्रतिवर्ष लगभग 15000 इंजीनियर तैयार करते हैं। हजारों की संख्या में उच्च शिक्षित युवा रोज़गार ढूँढ़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। इनकी आकाँक्षाओं और इच्छओओं को समुचित दिशा देने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए ताकि इनकी ऊर्जा और कौशल का सदुपयोग किया जा सके।
सुझाव-
(i) देश-विदेश रोज़गार ब्यूरो विभिन्न देशों के विभिन्न संस्थानों में उपलब्ध रोज़गारोन्मुखी पाठ्यक्रमों तथा रोज़गार के विभिन्न अवसरों के संबंध में युवाओं को आवश्यक जानकारी नि:शुल्क मुहैया कराएँ।
(ii) विदेश जाने के लिए पासपोर्ट तथा वीजा लेने की प्रक्रिया के संबंध में समुचित मार्ग-दर्शन उपलब्ध कराया जाए।
(iii) राज्य में विभिन्न विभागों में रिक्त पदों को योग्यता के अनुसार भरा जाए।
राजेश्वर शुक्ला
सचिब युवा संगठन
19 अगस्त, 20…