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CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2019 (Series: JMS/1) with Solutions
निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न- पत्र में चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
खण्ड ‘क’
SET I Code No. 4/1/1
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
” सफलता चाहने वाले मनुष्य का प्रथम कर्त्तव्य यह देखना है कि उसकी रुचि किन कार्यों की ओर अधिक है। यह बात गलत है कि हर कोई मनुष्य हर एक काम कर सकता है। लॉर्ड वेस्टरफील्ड स्वाभाविक प्रवृत्तियों के काम को अनावश्यक समझते थे और केवल परिश्रम को ही सफलता का आधार मानते थे । इसी सिद्धान्त के अनुसार उन्होंने अपने बेटे स्टेनहाप को, जो सुस्त, ढीलाढाला, असावधान था, सत्युरुष बनाने का प्रयास किया। वर्षों परिश्रम करने के बाद भी लड़का ज्यों का त्यों रहा और जीवन-भर योग्य न बन सका । स्वाभाविक प्रवृत्तियों को जानना कठिन भी नहीं है, बचपन के कामों को देखकर बताया जा सकता है कि बच्चा किस प्रकार का मनुष्य होगा । प्रायः यह संभावना प्रबल होती है कि छोटी आयु में कविता करने वाला कवि, सेना बनाकर चलने वाला सेनापति, भुट्टे चुराने वाला चोर डाकू, पुरजे कसने वाला मैकेनिक और विज्ञान में रुचि रखने वाला वैज्ञानिक बनेगा ।
जब यह विदित हो जाए कि लड़के की रुचि किस काम की ओर है तब यह करना चाहिए कि उसे उसी विषय में ऊँची शिक्षा दिलाई जाए। ऊँची शिक्षा प्राप्त करके मनुष्य अपने काम-धन्धे में कम परिश्रम से अधिक सफल हो सकता है। जिनके काम-धन्धे का पूर्ण प्रतिबिम्ब बचपन में नहीं दिखता, वे अपवाद ही हैं। प्रत्येक मनुष्य में एक विशेष कार्य को अच्छी प्रकार करने की शक्ति होती है। वह बड़ी दृढ़ और उत्कृष्ट होती है। वह देर तक नहीं छिपती । उसी के अनुकूल व्यवसाय चुनने से ही सफलता मिलती है। जीवन में यदि आपने सही कार्यक्षेत्र चुन लिया तो समझ लीजिए कि बहुत बड़ा काम कर लिया ।
(क) लॉर्ड वेस्टरफील्ड का क्या सिद्धान्त था ? समझाइए | [2]
(ख) इसे उसने सर्वप्रथम किस पर आज़माया ? और क्या परिणाम रहा? [2]
(ग) बालक आगे चलकर कैसा मनुष्य बनेगा इसका अनुमान कैसे लगाया जा सकता है? [2]
(घ) सही कार्यक्षेत्र चुनने के क्या लाभ हैं? [2]
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए। [1]
उत्तर:
(क) लॉर्ड वेस्टरफील्ड का यह सिद्धांत था कि वह स्वाभाविक प्रवृत्तियों के काम को अनावश्यक समझते थे और केवल परिश्रम को ही सफलता का आधार मानते थे।
(ख) लॉर्ड वेस्टरफील्ड ने इस सिद्धांत को अपने बेटे स्टेनहाप पर आजमाया जो सुस्त, ढीला-ढाला और असावधान था। उन्होंने उसे सत्पुरुष बनाने का प्रयास किया। वर्षों परिश्रम करने के बाद भी वह ज्यों का त्यों रहा और जीवन भर योग्य न बन सका ।
(ग) बालक आगे चलकर कैसा मनुष्य बनेगा, इसका अनुमान उसके बचपन के कामों और उसकी स्वाभाविक प्रवृत्तियों को देखकर लगाया जा सकता है।
(घ) सही कार्यक्षेत्र चुनने के निम्न लाभ-
(i) कार्य को करने में रुचि बनी रहती है।
(ii) मनुष्य अपने काम-धंधे में कम परिश्रम से अधिक सफल हो सकता है।
(iii) कार्य के प्रति दृढ़ता और उत्कृष्टता बढ़ती है।
(ङ) उपयुक्त शीर्षक है- ‘सही कार्यक्षेत्र का चुनाव’
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [1 × 6 = 6]
महात्माओं और विद्वानों का सबसे बड़ा लक्षण है-आवाज़ को ध्यान से सुनना । यह आवाज़ कुछ भी हो सकती है। कौओं की कर्कश आवाज़ से लेकर नदियों की छलछल तक । मार्टिन लूथर किंग के भाषण से लेकर किसी पागल के बड़बड़ाने तक । अमूमन ऐसा होता नहीं। सच यह है कि हम सुनना चाहते ही नहीं। बस बोलना चाहते हैं। हमें लगता है कि इससे लोग हमें बेहतर तरीके से समझेंगे। हालांकि ऐसा होता नहीं। हमें पता ही नहीं चलता और अधिक बोलने की कला हमें अनसुना करने की कला में पारंगत कर देती है । एक मनोवैज्ञानिक ने अपने अध्ययन में पाया कि जिन घरों के अभिभावक ज्यादा बोलते हैं, वहाँ बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान कम विकसित हो पाता है, क्योंकि ज्यादा बोलना बातों को विरोधाभासी तरीके से सामने रखता है और सामने वाला बस शब्दों के जाल में फँसकर रह जाता है। बात औपचारिक हो या अनौपचारिक, दोनों स्थितियों में हम दूसरे की न सुन, बस हावी होने की कोशिश करते हैं। खुद ज्यादा बोलने और दूसरों को अनसुना करने से ज़ाहिर होता है कि हम अपने बारे में ज़्यादा सोचते हैं और दूसरों के बारे में कम । ज़्यादा बोलने वालों के दुश्मनों की भी संख्या ज्यादा होती है। अगर आप नए दुश्मन बनाना चाहते हैं, तो अपने दोस्तों से ज्यादा बोलें और अगर आप नए दोस्त बनाना चाहते हैं, तो दुश्मनों से कम बोलें। अमेरिका के सर्वाधिक चर्चित राष्ट्रपति रूज़वेल्ट अपने माली तक के साथ कुछ समय बिताते और उस दौरान उनकी बातें ज़्यादा सुनने की कोशिश करते। वह कहते थे कि लोगों को अनसुना करना अपनी लोकप्रियता के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। इसका लाभ यह मिला कि ज्यादातर अमेरिकी नागरिक उनके सुख में सुखी होते, और दुख में दुखी ।
(क) अनसुना करने की कला क्यों विकसित होती है?
(ख) अधिक बोलने वाले अभिभावकों का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों?
(ग) अधिक बोलना किन बातों का सूचक है?
(घ) रूज़वेल्ट की लोकप्रियता का क्या कारण बताया गया है?
(ङ) तर्कसम्मत टिप्पणी कीजिए- “हम सुनना चाहते ही नहीं।”
(च) अनुच्छेद का मूलभाव तीन-चार वाक्यों में लिखिए।
उत्तर:
(क) अधिक बोलने की आदत से अनसुना करने की कला विकसित होती है। अधिक बोलने वाला व्यक्ति दूसरों पर हावी होना चाहता है। वह दूसरों की बात सुनने के लिए तैयार नहीं होता। इसी से अनसुना करने की कला का विकास होता है ।
(ख) अधिक बोलने वाले अभिभावकों के बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान कम होता है क्योंकि अधिक बोलने से बातों में विरोधाभास हो जाता है तथा सुनने वाला शब्दजाल में उलझ कर रह जाता है।
(ग) अधिक बोलना इस तथ्य का सूचक है कि वक्ता श्रोता पर हावी होना चाहता है तथा वह अपने विषय में अधिक सोचता है। ऐसा व्यक्ति प्रायः अहंकार की भावना से ग्रस्त होता है।
(घ) रूज़वेल्ट कहते थे कि दूसरों की बातों को अनसुना करना अपनी लोकप्रियता के साथ खिलवाड़ करना है। वे अपने माली से बात करते हुए भी उसकी बातें ध्यान से सुनते थे।
(ङ) इसमें सन्देह नहीं कि हम केवल बोलकर दूसरों पर अपनी धाक जमाना चाहते हैं। हम किसी की बात सुनना नहीं चाहते बल्कि स्वयं को अधिक बुद्धिमान मानते हुए दूसरों को अनसुना कर उन्हें महत्त्व नहीं देते।
(च) प्रस्तुत अनुच्छेद में कहा गया है कि हम लोग दूसरों की बात अनसुनी करते हैं तथा अपनी बात कहते रहते हैं। अधिक बोलने वाला व्यक्ति अनजाने ही अपने शत्रुओं की संख्या बढ़ा लेता है तथा अपनी लोकप्रियता भी खो बैठता है। श्रेष्ठ व्यक्ति दूसरों को महत्त्व देते हुए उनकी बात भी ध्यान से सुनता है।
खण्ड ‘ख’
प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में चार रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए । [4]
(i) कौए उड़ते चले जा रहे हैं।
(ii) सामने के मकान में रहने वाला लड़का आज चला गया।
(iii) निरंतर बहता जल पवित्र होता है।
(iv) वह दौड़ते-दौड़ते थक गया ।
(v) बालक खेल रहा है।
उत्तर:
(i) क्रिया पदबंध
(ii) संज्ञा पदबंध
(iii) संज्ञा पदबंध
(iv) क्रिया पदबंध
(iv) क्रिया विशेषण पदबंध
प्रश्न 4.
नीचे लिखे वाक्यों में से किन्हीं तीन वाक्यों का रूपांतरण कीजिए । [3]
(क) वे हरदम किताबें खोलकर अध्ययन करते रहते थे। ( संयुक्त वाक्य )
(ख) मैं सफल हुआ और कक्षा में प्रथम स्थान पर आया । ( सरल वाक्य )
(ग) एक बार बिल्ली ने उचककर दो में से एक अण्डा तोड़ दिया । ( मिश्र वाक्य )
(घ) वह छह मंज़िली इमारत की छत थी जिस पर एक पर्णकुटी बनी थी। ( सरल वाक्य )
उत्तर:
(क) संयुक्त वाक्य वे हरदम किताबें खोलते और अध्ययन करते रहते थे।
(ख) सरल वाक्य – मैं सफल होकर कक्षा में प्रथम स्थान पर आया ।
(ग) मिश्र वाक्य – जब एक बार बिल्ली उचकी, तब उसने दो में से एक अण्डा तोड़ दिया ।
(घ) सरल वाक्य – छह मंजिली इमारत की छत पर एक पर्णकुटी बनी थी।
प्रश्न 5.
(क) निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं दो की समस्त पदों का विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए-
यथार्थ, शांतिप्रिय, भीमार्जुन [2]
(ख) निम्नलिखित में से किन्हीं दो को समस्त पद में परिवर्तित करके समास का नाम लिखिए:
1. विद्या रूपी धन
2. चंद्र है शिखर पर जिसके अर्थात् शिव
3. युद्ध में वीर
उत्तर:
(क) यथार्थ – अर्थ के अनुसार- अव्ययीभाव समास ।
शांतिप्रिय – शांति को प्रिय – तत्पुरुष समास ।
भीमार्जुन – भीम और अर्जुन – द्वंद्व समास ।
(ख) 1. विद्या रूपी धन- विद्याधन – तत्पुरुष समास ।
2. चंद्र है शिखर पर जिसके अर्थात् शिव – चंद्रशेखर – बहुव्रीहि समास ।
3. युद्ध में वीर – युद्धवीर – तत्पुरुष समास ।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों में निहित भाव के अनुसार उपयुक्त मुहावरे लिखिए: 1 × 2 = 2
(क) अपनी कक्षा में प्रथम आने पर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा ।
(ख) गलत उत्तर देने पर अध्यापक राज से आग बबूला हो गए।
उत्तर:
(क) खुशी का ठिकाना न रहना (बहुत खुश होना)
(ख) आग बबूला होना ( बहुत क्रोध में आना)
प्रश्न 7.
रिक्त स्थानों की पूर्ति किन्हीं दो उपयुक्त मुहावरों के द्वारा कीजिए: [2]
(क) विशेषज्ञ विद्वान को समझाना ऐसा ही है जैसे …………….. |
(ख) गणित का गृहकार्य करना मुझे ………….. प्रतीत होता है।
(ग) मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में हमेशा …………….चाहिए।
उत्तर:
(क) विशेषज्ञ विद्वान को समझाना ऐसा ही है जैसे सूरज को दीया दिखाना ।
(ख) गणित का गृहकार्य करना मुझे बाएँ हाथ का खेल प्रतीत होता है ।
(ग) मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में हमेशा ढाँढस बाँधना चाहिए।
खण्ड ‘ग’
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) बड़े भाईसाहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं? [2]
(ख) बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा है? ‘अब कहाँ दूसरों के दुख में दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए। [2]
(ग) ‘गिन्नी का सोना’ पाठ में शुद्ध आदर्श की तुलना शुद्ध सोने से क्यों की गई है? [1]
अथवा
(ग) जापान में चाय पीना एक ‘सेरेमनी’ क्यों है?
उत्तर:
(क) बड़े भाईसाहब को अपने मन की इच्छाएँ इसलिए दबानी पड़ती थीं क्योंकि वह अपने ऊपर पढ़ाई का बहुत भार अनुभव करते थे। इसके अतिरिक्त वह अपने छोटे भाई के सम्मुख अपना आदर्श प्रस्तुत करना चाहते थे।
(ख) बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। आबादी बढ़ने से लोगों की दैनिक आवश्यकताएँ बढ़ने लगीं, इसलिए उन्होंने प्रकृति से छेड़छाड़ करनी शुरू कर दी जिससे प्रकृति में असंतुलन पैदा होने लगा । इससे अनेक समस्याएँ सामने आने लगीं। गर्मी में अधिक गर्मी, पेड़ काटने से वर्षा का न होना, भूकंप आना, बाढ़, सूखा आदि प्राकृतिक असंतुलन के परिणाम हैं।
(ग) शुद्ध आदर्श में किसी प्रकार का समझौता नहीं होता, वह पूर्णत: शुद्ध होता है। इसलिए शुद्ध आदर्श की तुलना
शुद्ध सोने से की गई है जिसमें कोई मिलावट (खोट) नहीं होती ।
अथवा
(ग) जापान में चाय पीना एक सेरेमनी इसलिए है क्योंकि इसमें दो घूँट चाय पीने में लगभग डेढ घंटे का समय लग जाता है और यह विधि शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होती है।
प्रश्न 9.
परम्पराएँ या मान्यताएँ जब बंधन लगने लगें तो उनका टूट जाना ही क्यों अच्छा है?
‘तताँरा – वामीरो’ ने इसके लिए क्या त्याग किया? [5]
उत्तर:
हर समाज के भिन्न-भिन्न नियम होते हैं। कुछ नियम समाज एवं व्यक्ति के हित में होते हैं, तो कुछ नियम समय के अनुसार बदलते रहते हैं। निरंतर परिवर्तनशील नियम समाज के लिए अच्छे होते हैं जबकि कुछ नियम रूढ़ि बनकर समाज को सदियों पीछे रखते हैं। ऐसी रूढ़ियों का टूट जाना समाज एवं व्यक्ति के हित में होता है। यदि ऐसा न हो तो व्यक्ति एवं समाज दोनों का विकास रुक जाता है। अतः समय के अनुकूल नियम समाज के विकास में सहायक होते हैं।
तताँरा और वामीरो एक दूसरे से प्रेम करते थे परंतु वे अलग-अलग कबीलों से संबंध रखते थे। उनके कबीलों की परंपरा के अनुसार अलग-अलग कबीले के युवक-युवतियों का आपस में विवाह नहीं हो सकता था। इसी संकीर्ण परंपरा के चलते तँतारा और वामीरो अलग हो जाते हैं तथा तँतारा को मृत्यु का वरण करना पड़ता है। अतः स्पष्ट है कि जब रूढ़ियाँ बंधन बनने लगें तो उनका टूट जाना ही श्रेयस्कर होता है।
अथवा
‘कारतूस पाठ के आधार पर वज़ीर अली की चारित्रिक विशेषताओं का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए। 5 उत्तर- वज़ीर अली एक जाँबाज़ सिपाही था। उसने अवध पर अंग्रेज़ों की पकड़ को कमज़ोर कर दिया था। वह एक निर्भय वीर सैनिक था। उसने कंपनी के कार्यालय में जाकर अंग्रेज़ वकील की हत्या कर दी थी। अंग्रेज़ उसकी तुलना रॉबिनहुड से करते थे। अपने साहसिक कारनामों से उसने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। वह अत्यन्त बुद्धिमान था। उसने कर्नल कॉलिज से स्वयं को पकड़ने के लिए कुछ कारतूस मांगे और उसकी जान बख्शते हुए वहाँ से सुरक्षित वापस चला गया।
प्र०10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) मीराबाई ने श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना किस प्रकार की है? अपने शब्दों में लिखिए। [2]
(ख) पर्वतीय प्रदेश में वर्षा के सौन्दर्य का वर्णन ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ के आधार पर अपने शब्दों में कीजिए। [2]
( ग ) ‘कर चले हम फ़िदा’ गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है? [1]
अथवा
(ग) ‘तोप’ को कब-कब चमकाया जाता है? ‘तोप’ कविता के आधार पर लिखिए ।
उत्तर:
(क) मीराबाई ने श्रीकृष्ण से विनती करते हुए कहा कि जिस प्रकार आपने विकट परिस्थितियों में द्रौपदी की लाज की रक्षा उनका चीर बढ़ाकर की थी, भक्त प्रहलाद को भी भगवान ने नरसिंह का रूप धारण कर बचाया था तथा डूबते हुए हाथी को भी मगरमच्छ के चंगुल से छुड़ाया था उसी प्रकार आप मेरे दुःखों का भी नाश कर दो।
(ख) वर्षा ऋतु में प्रकृति पल-पल अपना रूप परिवर्तित करती है। इस ऋतु में पहाड़ों में निर्झर (झरने) पूर्ण यौवन पर होते हैं। पेड़-पौधे, पुष्पों तथा नव पल्लवों से लद जाते हैं। आकाश में बादल छा जाते हैं तथा प्यासी धरती का हृदय आनंद से खिल उठता है।
(ग) ‘कर चले हम फ़िदा’ गीत 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध की ऐतिहासिक पशठभूमि पर आधारित है। चीन ने तिब्बत की ओर से भारत पर आक्रमण किया। उस युद्ध में भारतीय वीरों ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में आक्रमण का मुकाबला किया तथा सैकड़ों शूरवीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया।
अथवा
(ग) तोप को वर्ष में दो बार ‘स्वतंत्रता दिवस’ और ‘गणतंत्र दिवस’ के अवसर पर चमकाया जाता है।
प्र०11.
‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने सबको एक साथ होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है? इससे समाज को क्या लाभ हो सकता है? स्पष्ट कीजिए । [5]
उत्तर:
कवि ने सबको एक साथ चलने की प्रेरणा इसीलिए दी है क्योंकि संसार में एक होकर चलने से परस्पर सहयोग की भावना बढ़ती है। वही सच्चा मानव है जो सहयोग के साथ काम करके सफलता को प्राप्त करे और दूसरों की सफलता में भी योगदान दे। सबका एक साथ होकर चलने से समाज को लाभ होगा, क्योंकि एकता में बड़ी शक्ति होती है। आपस में भेदभाव रखने से समाज की जड़े कमज़ोर हो जाती हैं। इसके विपरीत यदि सभी नागरिक सहयोग की भावना से कार्य करेंगे तो हमारा समाज उन्नति करेगा। एक साथ मिलकर काम करने से काम अच्छा होता है तथा जल्दी हो जाता है तथा दूसरों के नज़रिये से सोचने का भी अवसर मिलता है। एक साथ काम करने से समाज में भेदभाव समाप्त होता है और एकता की भावना का प्रसार होता है।
अथवा
‘आत्मत्राण’ कविता में कवि की प्रार्थना से क्या संदेश मिलता है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘आत्मत्राण’ कविता में ‘कवि की प्रार्थना’ से यह संदेश मिलता है कि प्रभु से विपत्ति के समय रक्षा करने की प्रार्थना नहीं करनी चाहिए बल्कि उससे दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना करनी चाहिए । ऐसे कठिन समय में प्रभु उसे इतनी शक्ति दे कि वह विपदाओं से संघर्ष कर सके, कष्टों से भयभीत न हो तथा प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी हिम्मत बँधी रहे। यदि हमें चारों ओर से संकट घेर लें, कोई हमारा साथ न दे तो भी हमारी आस्था सदैव प्रभु पर बनी रहे और मन में ईश्वर के प्रति कभी भी संदेह न जन्मे तथा प्रभु में हमारा विश्वास अडिग रहे।
प्र०12.
हरिहर काका के साथ उनके भाइयों तथा ठाकुरबाड़ी के महंत ने कैसा व्यवहार किया? क्या आप उसे उचित मानते हैं? कारण सहित स्पष्ट कीजिए। [5]
उत्तर:
हरिहर काका के प्रति उनके भाइयों के व्यवहार में लगातार परिवर्तन आते रहे। सबसे पहले उन्होंने हरिहर काका की सेवा करके उन्हें प्रभावित करना चाहा जिससे काका अपने हिस्से की ज़मीन उनके नाम करके उन्हें समृद्ध कर दें। परंतु जब इससे कुछ प्राप्त न हुआ तो भाइयों की पत्नियों तथा बच्चों ने काका को उठाकर घर में बंद कर दिया। उन्हें बुरी तरह मारा-पीटा और ज़मीन के कागजात पर ज़बरदस्ती अँगूठा लगवाया । इसके पश्चात् जब महंत जी ने हरिहर काका को ज़मीन के लालच में अपने प्रभाव में लेना आरंभ किया तो काका ने अपनी ज़मीन किसी के भी नाम न करने का निर्णय लिया। तब ठाकुरबाड़ी के महंत ने काका का अपहरण करवाकर उनसे कई कागज़ों पर अंगूठे के निशान ले लिए और उनके साथ मारपीट की। हरिहर काका के प्रति दोनों का व्यवहार उचित नहीं था। दोनों ने केवल ज़मीन के लालच में पड़कर काका की आवभगत की तथा ज़मीन न मिलने की बात सुनकर उन्होंने काका के साथ अभद्र व्यवहार किया जो अनुचित था ।
अथवा
‘सपनों के से दिन’ कहानी के आधार पर पी. टी. साहब के व्यक्तित्व की दो विशेषताएँ बताते हुए लिखिए कि स्काउट परेड करते समय लेखक स्वयं को महत्त्वपूर्ण आदमी, एक फौजी जवान क्यों समझता था ? [5]
उत्तर:
पी. टी. साहब के व्यक्तित्व की दो विशेषताएँ-
(i) कुशल प्रशिक्षक – वह कुशल प्रशिक्षक थे। वह छात्रों को स्काउट और गाइड की ट्रेनिंग दिया करते थे। उनके प्रशिक्षण कार्य से छात्र सदा प्रसन्न रहते थे। वे छात्रों द्वारा सही काम करने पर शाबाशी भी देते थे।
(ii) कठोर अनुशासन प्रिय – पी. टी. साहब अनुशासन प्रिय होने के कारण कठोर अनुशासन बनाए रखते थे।वह अनुशासन बनाए रखने के लिए छात्रों की पिटाई करते थे तथा उन्हें अपमानित भी करते थे। यदि कोई विद्यार्थी अपना सिर भी इधर-उधर हिलाता या पाँव से दूसरी पिंडली खुजलाने लगता तो वह उस पर बाज़ की तरह झपट पड़ते थे। लेखक कुछ अन्य विद्यार्थियों के साथ स्काउटों की परेड में हिस्सा लेता था। मास्टर प्रीतम चन्द जब परेड कराते तो मुँह से लेफ्ट राइट बोलते रहते या वे ह्विसल बजा कर मार्च करवाया करते। लेफ्ट टर्न या अबाऊट टर्न कहने पर जब लेखक तथा उसके सहपाठी बूटों की ठक-ठक के साथ अकड़ कर चलते तो उन्हें लगता कि वे विद्यार्थी नहीं बल्कि बहुत महत्त्वपूर्ण ‘आदमी’ फौजी जवान हैं।
खण्ड ‘घ’
प्र०13.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए- [5]
(अ) वृक्षारोपण का महत्त्व
• वृक्षारोपण का अर्थ
• वृक्षारोपण क्यों
• हमारा दायित्व
(ब) इंटरनेट की दुनिया
• इंटरनेट का तात्पर्य
• सूचना का मुख्य साधन
• लाभ तथा हानि
(स) आधुनिक जीवन
• आवश्यकताओं में वृद्धि
• अशांति
• क्या करें
उत्तर:
(अ) वृक्षारोपण का महत्त्व
वृक्षारोपण के महत्व पर समय-समय पर जोर दिया गया है। पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण की वजह से वृक्षारोपण की आवश्यकता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वृक्षारोपण से तात्पर्य वृक्षों के विकास के लिए पौधों को लगाना और हरियाली फैलाना है। वृक्षारोपण पर्यावरण के लिए अच्छा है। पेड़ ऑक्सीजन का स्रोत हैं। वे कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिसके बिना पृथ्वी पर जीवित प्राणियों का अस्तित्व असंभव है। वृक्ष हमारे लिए अनेक प्रकार से लाभदायक हैं। ये हमें छाया देते हैं। वृक्षों से फल-फूल, जड़ी-बूटी, लकड़ी एवं ईंधन आदि अनेक आवश्यक सामग्रियाँ हमें प्राप्त होती हैं। वृक्षों से वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़ने में मदद मिलती है। बाढ़ की विभीषिका को रोकने तथा मिट्टी को उर्वर बनाए रखने में वृक्षों का अमूल्य योगदान है। वृक्षों के इस व्यापक महत्व को देखते हुए हर वर्ष वन महोत्सव का आयोजन किया जाता है। हमारा यह दायित्व है कि हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए, और हमें ऐसा करने के लिए आस-पास के लोगों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए।
“पेड़ लगाओं, जीवन बचाओ,
घुटन भरी जिंदगी से छुटकारा पाओ ।”
इंटरनेट आज पूरे देश के लोगों के
पेड़ लगाओ – पेड़ बचाओ,
इस दुनिया को सुंदर बनाओ।
(ब) इंटरनेट की दुनिया
जीवन में एक प्रमुख भूमिका अदा कर रही है। इंटरनेट संपूर्ण विश्व में फैला हुआ एक ऐसा नेटवर्क है, जिसके माध्यम से कंप्यूटर, विश्व के किसी भी अन्य कंप्यूटर से कनेक्ट हो सकता है। इंटरनेट, नेटवर्कों का बड़ा नेटवर्क है जिसका उपयोग कर हम दुनिया के किसी भी कोने में मौजूद कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह सूचना के आदान-प्रदान का प्रमुख साधन है। इंटरनेट के द्वारा हम कुछ सैकिण्डों में ही बड़ा या छोटा संदेश अथवा किसी प्रकार की जानकारी किसी भी कंप्यूटर या यंत्र – जैसे टैबलेट, मोबाइल, पी.सी. पर भेज सकते हैं। यह जानकारियों का बड़ा संग्रह है जिसमें लाखों वेबसाइट हैं जैसे : घेरलू, व्यापारिक, शैक्षिक, सरकारी आदि।
आज हम इंटरनेट का उपयोग व्यापार, शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन, स्कूलों, कॉलेजों, पारंपरिक कार्यक्रम और निजी जीवन आदि हर क्षेत्र में कर रहे हैं। इंटरनेट अब एक प्रकार से मनुष्य की जरूरत बन चुका है। इंटरनेट ने मनुष्य के जीवन में जितनी सुविधाएँ दी हैं उतना ही यह धीरे-धीरे मनुष्य के लिए खतरा बनता जा रहा है। इसका अधिक उपयोग करने से समय बर्बाद होता है। इंटरनेट पर कई ऐसी वेबसाइट है जिन पर अवांछित तथा अनैतिक जानकारी भी उपलब्ध है जिनके कारण कम उम्र के बच्चों को गलत शिक्षा मिल रही है। कुछ लोग इंटरनेट की मदद से आपकी ज़रूरी जानकारियों को भी हैक कर सकते हैं और आपको नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसकी लत लग जाने पर स्वास्थ्य पर बुरा असर भी पड़ता है। अतः हमें इंटरनेट का उपयोग सही तरीके से करना चाहिए ।
(स) आधुनिक जीवन
आधुनिकता अतीत से स्व-प्रेरित पृथकता और नवीन भावों के अन्वेषण की प्रक्रिया है । आधुनिकता तिथियों पर नहीं, बल्कि दृष्टिकोण पर आधारित होती है। आज हमारा जीवन आधुनिक है और हमारी आवश्यकताओं में भी तेज़ी से वृद्धि हो रही है। नई-नई चीजों को अपनाने की होड़ में हम आगे बढ़ते ही जा रहे हैं और ये सभी आवश्यकताएँ कभी समाप्त ही नहीं होती। पहले मनुष्य केवल अपनी मूलभूत आवश्कताओं की पूर्ति करके खुश रहता था, उसके जीवन में शांति थी। परंतु आधुनिक जीवन में प्रवेश करने के बाद अशांति बढ़ गई है। आज हमारे पास जितनी वस्तुएँ सुविधाएँ उपलब्ध हैं हम उसमें खुश नहीं रहते बल्कि और अधिक पाना चाहते हैं । आधुनिकता के नाम पर अश्लीलता बढ़ती जा रही है, अपराध बढ़ते जा रहे हैं। मनुष्य मानसिक तनाव से ग्रस्त होता जा रहा है- जो हानिकारक है। आधुनिक जीवन में रहन-सहन, वेशभूषा, खान-पान, सभी में बदलाव दिखाई देते हैं। मनुष्य को आधुनिकता के नाम पर अच्छी बातों को अपनाना चाहिए जिससे उसे मानसिक शांति प्राप्त हो और वह उन्नति कर सके। आधुनिकता हमारी सोच में होनी चाहिए जिससे हम सही-गलत में अंतर कर सके और अपने जीवन को उज्ज्वल बना सकें।
प्र014.
अपने क्षेत्र में सार्वजनिक पुस्तकालय खुलवाने की आवश्यकता समझाते हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री के नाम एक पत्र लिखिए। [5]
उत्तर:
1127 – बी मलका गंज
नई दिल्ली।
दिनांक : 27 मार्च, 20xx
सेवा में
शिक्षा मंत्री
दिल्ली
विषय – सार्वजनिक पुस्तकालय खुलवाने की आवश्यकता हेतु पत्र |
माननीय महोदय !
मैं मलका गंज क्षेत्र का निवासी हूँ और दसवीं कक्षा में पढ़ता हूँ। हमारे क्षेत्र में कोई सार्वजनिक पुस्तकालय नहीं है। जो एक पुस्तकालय है वह भी बहुत दूर है जिस कारण हमारे क्षेत्र के पुस्तक प्रेमियों को बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। पढ़ाई से संबंधित विभिन्न विषयों की पुस्तकें हमें आसानी से प्राप्त नहीं हो पातीं। अतः आपसे अनुरोध है कि हमारे क्षेत्र में एक सार्वजनिक पुस्तकालय खुलवाने की व्यवस्था करें। हम आपके बहुत आभारी रहेंगे।
धन्यवाद भवदीय
क. ख. ग
अथवा
प्र०14.
कक्षा में अनजाने में हो गए अभद्र व्यवहार के लिए कक्षा अध्यापक से क्षमा-याचना करते हुए पत्र लिखिए। [5]
उत्तर:
सेवा में
कक्षा अध्यापक
बाल भारती विद्यालय
नई दिल्ली-110005
विषय- अभद्र व्यवहार की क्षमा माँगने हेतु पत्र ।
महोदया,
मेरा नाम सुमित है । मैं कक्षा दसवीं ‘बी’ का छात्र हूँ। कल अनजाने में मैंने जो आपसे अभद्र व्यवहार किया था उसके लिए मैं बहुत ही खेदित महसूस कर रहा हूँ। पिछले कुछ दिनों से मेरे घर में बहुत तनाव चल रहा
है जिसके कारण मैं मानसिक तौर से बहुत परेशान हूँ । आपसे अभद्र व्यवहार करने का एकमात्र यही कारण था जो मुझसे अनजाने में हो गया ।
आपसे विनम्र निवेदन है कि मेरे इस व्यवहार को क्षमा करें। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में ऐसा कभी नहीं होगा।
धन्यवाद
आपका आज्ञाकारी शिष्य
कक्षा दसवीं ‘बी’
प्र015.
आप अपने विद्यालय में सांस्कृतिक सचिव हैं। विद्यालय में होने वाली ‘कविता – प्रतियोगिता’ में भाग लेने के लिए आमंत्रण हेतु 25-30 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए । [5]
उत्तर:
केंद्रीय विद्यालय, दिल्ली सूचना दिनांक : 28.3.20xx सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय में ‘कविता – प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जा रहा है। उसमें भाग लेने के इच्छुक विद्यार्थी 3 अप्रैल 20xx तक अपने नाम हिन्दी अध्यापक को दे दें। यह प्रतियोगिता 15 अप्रैल 20xx को सुबह 11 बजे विद्यालय के हॉल में अयोजित की जाएगी। अजय शाह, सांस्कृतिक सचिव । |
प्र०16.
‘सूझबूझ से काम लेना’ विषय पर एक लघुकथा लगभग 100 शब्दों में लिखिए। [5]
उत्तर:
सूझबूझ से काम लेना
12 वर्षीय विक्रम कक्षा सातवीं का विद्यार्थी था । वह पढ़ाई में बहुत ही कुशाग्र था। साथ ही वह बहुत हिम्मत वाला भी था। उसके पापा पुलिस विभाग में एक ऊँचे पद पर तैनात थे और वह अपने पापा की तरह पुलिस में एक उच्च अधिकारी बनना चाहता था।
एक रोज़ की बात है । वह और उसकी 9 वर्षीय बहन नेहा दोनों घर में अकेले थे। उसके पापा और मम्मी किसी काम से बाहर गए हुए थे। उसके पापा के पास आतंकवादियों से संबंधित कुछ गोपनीय दस्तावेज़ थे जो सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण थे। विक्रम जानता था कि उन दस्तावेज़ों की फाइल अलमारी में रखी है। जिसकी चाबी उसके पापा के पास ही रहती थी ।
वे दोनों भाई-बहन खेल रहे थे कि अचानक चार-पांच आतंकवादी घर में घुस गए। आते ही उन्होंने सारे घर में फाइल को ढूँढना शुरू कर दिया। विक्रम और उसकी बहन इस अप्रत्याशित घटना से डर गए थे। परंतु विक्रम ने हिम्मत नहीं छोड़ी उसने अपनी छोटी बहन का हाथ पकड़ लिया। उसे समझने में देर नहीं लगी कि आतंकवादी उसी महत्वपूर्ण फाइल को लेने आए हैं और वे लोग फाइल को पाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
जब आतंकवादियों को फाइल नहीं मिली तो उन्होंने विक्रम से फाइल के बारे में पूछना शुरू कर दिया। उसने सूझबूझ से काम लिया और उन्हें बताया कि फाइल बेडरूम की अलमारी के ऊपर रखी है। इतना सुनते ही सभी आतंकवादी उन दोनों को छोड़कर बेडरूम की और भागे। विक्रम इसी अवसर की प्रतीक्षा कर रहा था। जैसे ही सारे आतंकवादी बेडरूम में घुसे विक्रम ने बाहर से दरवाज़ा बंद कर दिया और अपने पापा को फोन लगा दिया। यही नहीं वह अपनी बहन को लेकर घर के मुख्य दरवाज़े से भी बाहर आ गया और मुख्य दरवाज़े पर भी कुंडी लगा दी। उसके पापा कुछ ही देर में पुलिस फोर्स के साथ घर आ पहुँचे। पुलिस ने दरवाज़ा खोलकर पांचों आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया। सभी ने विक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की ।
अथवा
खराब सेलफ़ोन के सेट की शिकायत करते हुए संबद्ध कंपनी के स्थानीय अधिकारी को ई-मेल लिखिए ।
उत्तर:
From:[email protected]
To: [email protected]
Cc/Bcc : (आवश्यकतानुसार CC और BCC की लाइन को भरा जाता है । )
विषय – खराब सेलफ़ोन के सेट की शिकायत हेतु ।
महोदय,
आपके नोएडा स्थित विक्रय केंद्र से मैंने पिछले सप्ताह एक सेलफ़ोन क्रय किया था। सेलफ़ोन का प्रयोग करने के लिए मैंने उसे चार्ज किया। चार्ज करने के पश्चात् फोन मिलाने पर ज्ञात हुआ कि यह बीच-बीच में अपने-आप बंद हो जाता है। यही नहीं, कभी-कभी तो दोहरी और काँपती हुई आवाज़ भी आने लगती है। आशा करता हूँ कि आप यह सेट बदलकर मुझे दूसरा अच्छा सेट देने की कृपा करेंगे ताकि मैं सेलफ़ोन का प्रयोग कर सकूँ। कष्ट के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।
प्र०17.
आप एक अच्छे चित्रकार हैं। अपने चित्रों की प्रदर्शनी के लिए लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए। [5]
उत्तर:
चित्र प्रदर्शनी • सुंदर आकर्षक चित्र • शिक्षाप्रद एवं संदेशात्मक चित्र • मर्मस्पर्शी, संवेदनात्मक चित्र • देशभक्ति से ओत-प्रोत चित्र • प्राकृतिक स्थलों के चित्र • विश्व के ऐतिहासिक स्थलों के सुंदर चित्र दिनांक : 10 अप्रैल 2019 समय : प्रातः 10 बजे से सायं 4 बजे तक स्थान : समुदाय भवन, पटेल नगर, नई दिल्ली संपर्क करें -9812345678 |
अथवा
प्र017.
अपनी पुरानी साइकिल की बिक्री के लिए 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए ।
उत्तर:
पुरानी साइकिल की बिक्री के लिए संपर्क करें ! • मात्र पाँच महीने पुरानी ATLAS साइकिल • एकदम नई के समान • चलने में बेहतरीन • रंग काला • कोई पुर्जा खराब नहीं • मात्र ₹1,500 में अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें विनय राठौर (मो० 981234xxxx ) । |