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CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2018 (Delhi & Outside Delhi) with Solutions
निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खण्ड-क ( अपठित बोध )
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए : [9]
हँसी भीतरी आनंद का बाहरी चिह्न है। जीवन की सबसे प्यारी और उत्तम से उत्तम वस्तु एक बार हँस लेना तथा शरीर को अच्छा रखने की अच्छी से अच्छी दवा एक बार खिलखिला उठना है। पुराने लोग कह गए हैं कि हँसो और पेट फुलाओ। हँसी कितने ही कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनंद से हँसोगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। एक यूनानी विद्वान कहता है कि सदा अपने कर्मों पर खीझने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया, पर प्रसन्न मन डेमाक्रीट्स 109 वर्ष तक जिया । हँसी-खुशी का नाम जीवन है। जो रोते हैं उनका जीवन व्यर्थ है । कवि कहता है- ‘जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं।’ मनुष्य के शरीर के वर्णन पर एक विलायती विद्वान ने पुस्तक लिखी है। उसमें वह कहता है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास – से – उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। आनंद एक ऐसा प्रबल इंजन है कि उससे शोक और दुख की दीवारों को ढा सकते हैं। प्राण रक्षा के लिए सदा सब देशों में उत्तम – से- उत्तम उपाय मनुष्य के चित्त को प्रसन्न रखना है। सुयोग्य वैद्य अपने रोगी के कानों में आनंदरूपी मंत्र सुनाता है।
एक अंग्रेज़ डॉक्टर कहता है कि किसी नगर में दवाई लदे हुए बीस गधे ले जाने से एक हँसोड़ आदमी को ले जाना अधिक लाभकारी है।
(क) हँसी भीतरी आनंद को कैसे प्रकट करती है? [2]
(ख) पुराने समय में लोगों ने हँसी को महत्त्व क्यों दिया ? [2]
(ग) हँसी को एक शक्तिशाली इंजन के समान क्यों कहा गया है? [2]
(घ) हेरीक्लेस और डेमाक्रीट्स के उदाहरण से लेखक क्या स्पष्ट करना चाहता है? [2]
(ङ) गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए । [1]
उत्तर:
(क) व्यक्ति का हृदय जब आनंदित होता है तो उसके आनंद को हँसी से ही अभिव्यक्ति मिलती है। हँसी व्यक्ति की आनंदपूर्ण मानसिक स्थिति को सहजे ही व्यक्त कर देती है।
(ख) पुराने समय में लोग हँसी को पर्याप्त महत्त्व देते थे। उनकी मान्यता थी कि खिलखिला कर हँसने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। व्यक्ति जितना आनंदित रहता है, वह उतना ही दीर्घायु होता है।
(ग) हँसी को एक शक्तिशाली इंजन कहा गया है। जिस प्रकार इंजन की टक्कर से मज़बूत दीवार भी आसानी से ढह जाती है, उसी प्रकार हँसी या आनंद से शोक और विषाद की दीवारें भी ढह जाती हैं।
(घ) लेखक हेरीक्लेस और डेमाक्रीट्स के उदाहरण से यह स्पष्ट करना चाहता है कि दुखी व्यक्ति जल्दी ही मृत्यु की ग्रीस बन जाता है। जबकि आनंदित रहने वाला व्यक्ति दीर्घजीवी होता है।
(ङ) गद्यांश का शीर्षक- आनंद : एक वरदान ।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए : [1 × 6 = 6]
हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहाँ एक तरफ भौतिक समृद्धि अपनी ऊँचाई पर है, तो दूसरी तरफ चारित्रिक पतन की गहराई है। आधुनिकीकरण में उलझा मानव सफलता की नित नई परिभाषाएँ खोजता रहता है और अपनी अंतहीन इच्छाओं के रेगिस्तान में भटकता रहता है। ऐसे समय में सच्ची सफलता और सुख-शांति की प्यास से व्याकुल व्यक्ति अनेक मानसिक रोगों का शिकार बनता जा रहा है। हममें से कितने लोगों को इस बात का ज्ञान है कि जीवन में सफलता प्राप्त करना और सफल जीवन जीना, यह दोनों दो अलग-अलग बातें हैं। यह ज़रूरी नहीं कि जिसने अपने जीवन में साधारण कामनाओं को हासिल कर लिया हो, वह पूर्णतः संतुष्ट और प्रसन्न भी हो । अतः हमें गंभीरतापूर्वक इस बात को समझना चाहिए कि इच्छित फल को प्राप्त कर लेना ही सफलता नहीं है। जब तक हम अपने जीवन में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का सिंचन नहीं करेंगे, तब तक यथार्थ सफलता पाना हमारे लिए मुश्किल ही नहीं, अपितु असंभव कार्य हो जाएगा, क्योंकि बिना मूल्यों के प्राप्त सफलता केवल क्षणभंगुर सुख के समान रहती है। कुछ निराशावादी लोगों का कहना है कि हम सफल नहीं हो सकते, क्योंकि हमारी तकदीर या परिस्थितियाँ ही ऐसी हैं।
परंतु यदि हम अपना ध्येय निश्चित करके उसे अपने मन में बिठा लें, तो फिर सफलता स्वयं हमारी ओर चलकर आएगी। सफल होना हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है, परंतु यदि हम अपनी विफलताओं के बारे में ही सोचते रहेंगे, तो सफलता को कभी हासिल नहीं कर पाएंगे। अतः विफलताओं की चिंता न करें, क्योंकि वे तो हमारे जीवन का सौंदर्य हैं और संघर्ष जीवन का काव्य है, कई बार प्रथम आघात में पत्थर नहीं टूट पाता, उसे तोड़ने के लिए कई आघात करने पड़ते हैं, इसलिए सदैव अपने लक्ष्य को सामने रख आगे बढ़ने की ज़रूरत है। कहा भी गया है कि जीवन में सकारात्मक कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
(क) मनुष्य के मानसिक रोग और अशांति का कारण किसे माना गया है?
(ख) सफलता पाना और सफल जीवन जीना दोनों बातें अलग कैसे हैं?
(ग) गद्यांश में जीवन का सौंदर्य और संघर्ष किसे बताया गया है? क्यों ?
(घ) पत्थर का उदाहरण क्यों दिया गया है ?
(ङ) वास्तविक सफलता पाने के लिए क्या आवश्यक है और क्यों?
(च) आशय स्पष्ट कीजिए : ‘संघर्ष जीवन का काव्य है । ‘
उत्तर:
(क) मनुष्य जीवन में भौतिक सफलता पाने के लिए कठिन प्रयास करता है। ऐसी स्थिति में वह नैतिकता और आध्यात्मिकता से दूर होता जाता है। मनुष्य के मानसिक रोगों और अशांति का यही मुख्य कारण है।
(ख) सफलता पाने और सफल जीवन जीने में बहुत अंतर है। मनुष्य भौतिक सफलता पा सकता है परंतु उससे सुख और शांति का अनुभव हो, ऐसा आवश्यक नहीं। भौतिक सफलता जीवन के शाश्वत मूल्यों की प्राप्ति नहीं करा सकती। उसके अभाव में सफल जीवन जीने की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
(ग) प्रस्तुत गद्यांश में विफलता या असफलता को जीवन का सौंदर्य कहा गया है। वस्तुतः असफलता प्राप्त होने पर व्यक्ति और अधिक शक्ति से सफलता पाने का प्रयास करता है। लेखक ने संघर्ष को जीवन का काव्य कहा है। संघर्ष ही सफलता की ओर अग्रसर करता है।
(घ) लेखक ने पत्थर का उदाहरण देते हुए कहा है कि कई बार पत्थर एक आघात में नहीं टूटता। कई बार आघात
करने पर पत्थर टूटता है। इसी प्रकार सफलता भी कई बार एकाधिक प्रयास से उपलब्ध होती है।
(ङ) वास्तविक सफलता पाने के लिए व्यक्ति का नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों में आस्था रखना आवश्यक है। धूर्त, कपटी और नीच लोग कई बार सफल प्रतीत होते हैं, परंतु उन्हें वास्तविक सफलता नहीं मिलती।
(च) संघर्ष को निश्चय ही जीवन का काव्य कहा जा सकता है। जिस प्रकार काव्य हमें प्रेरणा और आनंद प्रदान करता है, उसी प्रकार संघर्ष सफलता की सीढ़ी बन जाता है। संघर्ष ही हमें ध्येय प्राप्ति की ओर अग्रसर करता है।
खण्ड – ख (व्यावहारिक व्याकरण )
प्रश्न 3.
निम्नलिखित रेखांकित पदों को पद परिचय दीजिए । 1 × 4 = 4
(i) माला पत्र लिखती है।
(ii) मैं पिछले साल उसे मुंबई में मिला था।
(iii) ईमानदारी बड़ी दुर्लभ वस्तु है ।
(iv) वह घर गया।
उत्तर:
(i) पत्र – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक
(ii) मुंबई – व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन अधिकरणकारक
(iii) ईमानदारी – भाववाचक संज्ञा स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ताकारक
(iv) वह – सर्वनाम, पुरूषवाचक, अन्य पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ताकारक
प्रश्न 4.
नीचे लिखे वाक्यों का निर्देशानुसार रूपांतरण कीजिए : 1 × 3 = 3
(क) जापान में चाय पीने की एक विधि है जिसे ‘चा-नो-यू’ कहते हैं। ( सरल वाक्य में )
(ख) तताँरा को देखते ही वामीरो फूट-फूट कर रोने लगी। ( मिश्र वाक्य में )
(ग) तताँरा की व्याकुल आँखे वामीरो को ढूँढ़ने में व्यस्त थीं । ( संयुक्त वाक्य में )
उत्तर:
(क) सरल वाक्य- जापान में चाय पीने की एक विधि को ‘चा-नो-यू’ कहते हैं।
(ख) मिश्र वाक्य – वामीरो ने जैसे ही तताँरा को देखा वह फूट-फूट कर रोने लगी ।
(ग) संयुक्त वाक्य – तताँरा की आँखें व्याकुल थीं और वे वामीरो को ढूँढ़ने में व्यस्त थीं ।
प्रश्न 5.
( क ) निम्नलिखित शब्दों का सामासिक पद बनाकर समास के भेद का नाम भी लिखिए : 1 × 2 = 2
जन का आंदोलन, नीला है जो कमल
(ख) निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास के भेद का नाम लिखिए : 1 × 2 = 2
नवनिधि, यथासमय
उत्तर:
(क) जन का आंदोलन – जन आंदोलन – तत्पुरुष समास
नीला है जो कमल – नीलकमल – कर्मधारय समास ।
(ख) नवनिधि – नव निधियों का समूह – द्विगु समास
यथासमय-समय के अनुसार – अव्ययी भाव समास ।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों में निहित भाव के अनुसार उपयुक्त मुहावरे लिखिए: 1 × 2 = 2
(क) रेलवे पर बनने वाले पुल का काम फिर से ठंडा पड़ गया है।
(ख) इतने सुंदर नृत्य को देखकर दर्शक सुध-बुध खो बैठे।
उत्तर:
(क) ठंडा पड़ना ( ढीला पड़ना)
(ख) सुध-बुध खोना ( अपने वश में न रहना)
प्रश्न 7.
निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग इस प्रकार कीजिए कि अर्थ स्पष्ट हो जाए : [2]
मौत सिर पर होना, चेहरा मुरझा जाना
उत्तर:
(i) वीर पुरुष मौत सिर पर होने की स्थिति में भी विचलित नहीं होते ।
(ii) मुझे देखते ही कल्पना का चेहरा मुरझा गया।
खण्ड – ग ( पाठ्यपुस्तक )
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए : [2 + 1 + 2 = 5]
(क) तताँरा – वामीरो कथा के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि रूढ़ियाँ बंधन बनने लगें तो उन्हें टूट जाना चाहिए ।
(ख) लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने की बात क्यों कही है?
(ग) प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
(क) तताँरा और वामीरो एक दूसरे से प्रेम करते थे परंतु वे अलग-अलग कबीलों से संबंध रखते थे। उनके कबीलों की परंपरा के अनुसार अलग-अलग कबीले के युवक-युवतियों का आपस में विवाह नहीं हो सकता था। इसी संकीर्ण परंपरा के चलते तँतारा और वामीरो अलग हो जाते हैं तथा तँतारा को मृत्यु का वरण करना पड़ता है। अतः स्पष्ट है कि जब रूढ़ियाँ बंधन बनने लगें तो उनका टूट जाना ही श्रेयस्कर होता है।
(ख) लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने की बात इसलिए कही है क्योंकि जापानियों का दिमाग तेज़ चलता है। वे हर काम को जल्दी करना चाहते हैं ।
(ग) अब संपूर्ण विश्व में गर्मी अधिक पड़ने लगी है। बेमौसम की बरसात होने लगी है। कभी भूकंप आता है तो कभी समुद्र में सुनामी के कारण जलप्लावन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। मानव को नित्य नए रोगों का सामना करना पड़ रहा है। यह सब मानव और प्रकृति के असंतुलन का ही परिणाम है।
प्रश्न 9.
‘बड़े भाई साहब’ कहानी के आधार पर लगभग 100 शब्दों में लिखिए कि लेखक ने समूची शिक्षा प्रणाली के किन पहलुओं पर व्यंग्य किया है? आपके विचारों से इसका क्या समाधान हो सकता है ? तर्कपूर्ण उत्तर लिखिए। [5]
उत्तर:
‘बड़े भाई साहब’ कहानी में लेखक मुंशी प्रेमचन्द्र ने समूची शिक्षा प्रणाली के अनेक पहलुओं पर व्यंग्य किया है। लेखक कहता है कि परीक्षा में सफलता प्राप्त करना ही शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य है। छात्र बिना सोचे-समझे रटने की शक्ति को सर्वोपरि मान लेते हैं। शिक्षा में व्यावहारिकता नहीं है। इतिहास में सैंकड़ों वर्ष पूर्व हुए राजाओं के विषय में पढ़ाया जाता है और गणित में ऐसी चीजें सिखाई जाती हैं जिनका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं होता । ज्यामिति में जो कुछ भी पढ़ाया जाता है उसका कुछ भी सिर पैर नहीं होता। बड़े भाई साहब कहते हैं, “ इस रेखा पर लंब गिरा दो तो आधार लंब से दुगुना होगा । पूछिए, इससे प्रयोजन ? …… परीक्षा में पास होना है तो यह सब खुराफात याद करनी पड़ेगी । ” शिक्षित होना बुद्धिमत्ता का परिचायक नहीं । शिक्षित लोग अनपढ़ों को मूर्ख कहते हैं परंतु अनेक अशिक्षितों में जीवन का गहरा अनुभव होता है।
अथवा
‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि बढ़ती हुई आबादी का पशु-पक्षियों और मनुष्यों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? इसका समाधान क्या हो सकता है? उत्तर लगभग 100 शब्दों में दीजिए।
उत्तर:
बढ़ती हुई आबादी का पशु-पक्षियों और मनुष्यों के जीवन पर अत्यंत घातक प्रभाव पड़ रहा है। बढ़ती आबादी की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने तथा रहने के संकट को दूर करने के कारण जंगलों को नष्ट किया जा रहा है। कटते जंगलों के कारण पशु-पक्षियों को रहने की जगह नहीं मिल रही। वाहनों की बढ़ती संख्या से प्रदूषण कई गुना बढ़ गया है जिससे पशु-पक्षियों की अनेक प्रजातियाँ समाप्त हो गई हैं। इससे मानव के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। सैकड़ों प्रकार के नवीन रोग उत्पन्न हो गए हैं। कैंसर जैसी घातक बीमारियाँ मानव के लिए अभिशाप बन चुकी हैं। समाज में आपराधिक मनोवृत्ति बढ़ रही है। बढ़ती आबादी के कारण प्रकृति में असंतुलन पैदा हो गया है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं परिणामस्वरूप समुद्रों का जलस्तर बढ़ रहा है। सुनामी तथा भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाएँ पृथ्वी पर जीवन के लिए खतरा उत्पन्न कर रही हैं। इस प्रकार बढ़ती आबादी मानवता के लिए अभिशाप सिद्ध हो रही है। समाधान – पशु-पक्षियों तथा मानव जीवन को बचाने के लिए वृक्षों को काटने के स्थान पर वृक्षारोपण पर अत्यधिक बल देना होगा। निजी वाहनों के स्थान पर सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना चाहिए ताकि प्रदूषण के स्तर में कमी आए । प्रदूषण कम होगा तो ग्लोबल वार्मिंग में कमी आएगी। जनसंख्या नियंत्रण के तरीकों को भी अपनाना होगा जिससे जनसंख्या वृद्धि न हो तथा प्राकृतिक संतुलन न बिगड़े।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए : [2 + 2 + 1 = 5]
(क) ‘आत्मत्राण’ शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए ।
(ख) ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता के आधार पर पर्वत के रूप-स्वरूप का चित्रण कीजिए ।
(ग) कबीर के अनुसार निंदक कौन होता है? उन्होंने उसे अपना सबसे बड़ा शुभचिंतक क्यों माना है?
उत्तर:
(क) ‘आत्मत्राण’ शब्द का शाब्दिक अर्थ आत्मा के भय निवारण से है जिसे कवि ने स्वयं के लिए प्रयोग किया है, क्योंकि इस कविता में वह प्रभु से दुख के दिनों में निर्भय होकर जीने की प्रार्थना करता है । वह स्वयं दुख से बचने और उबरने के योग्य बनना चाहता है। इसके लिए वह स्वयं समर्थ व सक्षम बनना चाहता है। अतः यह शीर्षक विषय-वस्तु के अनुरूप बिल्कुल सटीक है।
(ख) प्रस्तुत कविता में कहा गया है कि पर्वत का आकार मेखला के समान है। वह अपने असंख्य पुष्प – नेत्रों द्वारा जल में पड़ते प्रतिबिम्ब को देखकर अपना रूप निहार रहा है। पहाड़ पर आकांक्षाओं के समान हज़ारों वृक्ष हैं जो आकाश को निहार रहे हैं।
(ग) निंदक का कार्य हमेशा लोगों की निंदा करना होता है। कबीर के अनुसार हमें सहनशील होकर अपनी निंदा सुननी चाहिए। जब निंदक उँगली उठाकर हमें हमारी गलतियों के प्रति सचेत करता है तब हम अपने व्यवहार संबंधी दोज़ों के प्रति सतर्क हो जाते हैं और उसे सुधारने का प्रयास करते हैं।
प्रश्न 11.
‘कर चले हम फ़िदा’ अथवा ‘मनुष्यता’ कविता का प्रतिपाद्य लगभग 100 शब्दों में लिखिए ।
उत्तर:
‘कर चले हम फिदा’ कविता का प्रतिपाद्य – प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि ने यह स्पष्ट किया है कि वीर सैनिक देश के गौरव की रक्षा के लिए अपने प्राण भी न्योछावर कर देते हैं। देश की भावी पीढ़ी को भी शत्रुओं से देश की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए । देशवासी राम-लक्ष्मण के समान वीर हैं। यह देश तभी सुरक्षित रह सकता है जब हम देश के गौरव की रक्षा के लिए सर्वस्व बलिदान करने के लिए सदा उद्यत रहें। कवि देश के नवयुवकों से आशा करता है कि वे देश की सीमाओं की रक्षा के लिए शत्रुओं का सम्पूर्ण विनाश करेंगे।
अथवा
‘मनुष्यता’ कविता का प्रतिपाद्य – प्रकृति के अन्य प्राणियों की तुलना में मनुष्य में चेतना शक्ति की प्रबलता होती है। वह दूसरों के हित का ख्याल रख सकता है। इस कविता के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि हमेंमृत्यु से भयभीत नहीं होना चाहिए और परोपकार के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। जब हम दूसरों के लिए जीते हैं तभी लोग हमें हमारी मृत्यु के पश्चात् भी याद रखते हैं। हमें धन-दौलत का कभी अभिमान नहीं करना चाहिए। सभी मनुष्य बंधु हैं, अतः हमें दूसरों की व्यथा हरने का उपाय करना चाहिए। हमें स्वयं आगे बढ़ना चाहिए तथा अन्य लोगों को भी जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर होने के लिए सहयोग करना चाहिए ।
प्रश्न 12.
इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला की मित्रता भारतीय समाज के लिए किस प्रकार प्रेरक है? जीवन-मूल्यों की दृष्टि से लगभग 150 शब्दों में उत्तर दीजिए । [5]
उत्तर:
इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला की मित्रता निश्चय ही भारतीय समाज के लिए प्रेरक है। इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला में निस्वार्थ प्रेम है। उनके मन में धर्म के कारण कोई मतभेद नहीं है। वे दोनों नादान हैं। टोपी शुक्ला इफ़्फ़न की दादी का अत्यधिक सम्मान करता है। इफ़्फ़न की दादी भी टोपी शुक्ला के प्रति ममता का भाव रखती हैं। टोपी शुक्ला को उनकी डांट भी अच्छी लगती है। उनमें आपसी गहरे स्नेह की वजह यह थी इफ़्फ़न की दादी टोपी शुक्ला से ‘पूरब’ की भाषा में बात करती है। इसके अतिरिक्त टोपी को इफ़्फ़न के घर में प्रयुक्त होने वाले अम्मी- अब्बू, बाजी आदि शब्द बहुत अच्छे लगते हैं। वस्तुतः इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला के बीच मानवता, मित्रता तथा प्रेम का सम्बन्ध है । इस संबंध में धर्म की दीवार बाधा नहीं डालती । वर्तमान समाज में धर्म के नाम पर आए दिन दंगें होते हैं। धर्म के नाम पर मौलवी तथा पंडित लोग वैमनस्य फैलाते हैं। अनेक नेता तो धर्म के नाम पर समाज को बाँटने का निरंतर प्रयास करते हैं। धर्म के नाम पर वोट माँगते हैं तथा हिन्दू और मुसलमानों को अपने स्वार्थ के नाम पर आपस में लड़ाने का काम करने से भी पीछे नहीं हटते। ऐसी विषम परिस्थितियों में इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला की मित्रता समाज को सही दिशा प्रदान करती है ।
अथवा
‘हरिहर काका’ कहानी के आधार पर बताइए कि एक महंत से समाज की क्या अपेक्षा होती है। उक्त कहानी में महंतों की भूमिका पर टिप्पणी कीजिए। उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए ।
उत्तर:
एक महंत से समाज को यह अपेक्षा होती है कि वह अपना जीवन अपना सर्वस्व भगवान को अर्पित कर चुका है तथा अब उसका जीवन समाज की धरोहर है। इसमें स्वार्थ की किंचित मात्र भावना भी नहीं होनी चाहिए। महंत को समाज में शांति, प्रेम तथा आनंद की भावना का प्रसार करना चाहिए तथा अपने मंदिर या आश्रम में आने वाले लोगों की मानसिक अशांति का निवारण करना चाहिए । इसको त्याग भावना से युक्त होना चाहिए। इसे लोगों के मन में अध्यात्म के प्रति रूचि जाग्रत करनी चाहिए। इसे सामाजिक बुराइयों को मिटाने का प्रयास करना चाहिए। इसका जीवन सात्विक तथा आचरण पवित्र होना चाहिए जिससे वह समाज के लिए आदर्श बन सके। प्रस्तुत कहानी में महंतों को सामाजिक अभिशाप के रूप में चित्रित किया है। गाँव के छोटे से मंदिर को एक बड़ी-सी ठाकुरबारी में परिवर्तित करने से लेकर गाँव के भोले-भाले गरीब किसानों की भूमि का ठाकुरबारी के नाम करवाने तक सारे तथ्य महंतों की काली करतूतों को उजागर करते हैं। ठाकुरबारी का लालची और दबंग महंत हरिहर काका की ज़मीन पर अपनी गिद्ध दृष्टि जमाए बैठा था क्योंकि हरिहर काका का कोई वारिस नहीं था। वह हरिहर काका को उनके भाइयों के विरुद्ध बरगलाता है। जब हरिहर काका आसानी से नहीं मानते तो वह उनकी बुरी तरह पिटाई करता है तथा उनको ठाकुरबारी में कैद कर ज़बरदस्ती ज़मीन के कागज़ों पर उनके अंगूठे का निशान ले लेता है। वह साम, दाम, दंड, भेद किसी भी प्रकार हरिहर काका से उनकी ज़मीन छीनना चाहता है। इस प्रकार प्रस्तुत रचना में महंतों के स्वार्थी तथा घृणित रूप को दिखाया गया है।
खण्ड – घ (लेखन)
प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 80-100 शब्दों का अनुच्छेद लिखिए : [5]
(क) भारतीय किसान के कष्ट
• अन्नदाता की कठिनाइयाँ
• कठोर दिनचर्या
• सुधार के उपाय
(ख) स्वच्छता आंदोलन
• क्यों
• बदलाव
• हमारा उत्तरदायित्व
(ग) मन के हारे हार है मन के जीते जीत
• निराशा अभिशाप
• दृष्टिकोण परिवर्तन
• सकारात्मक सोच
उत्तर:
(क) भारतीय किसान के कष्ट
भारतीय किसान का जीवन किसी अभिशाप से कम नहीं कहा जा सकता। किसान को अन्नदाता कहा जाता है। भारत का ग्रामीण जीवन मुख्यतः खेती-बाड़ी पर ही आधारित है परंतु भारतीय किसान जीवनपर्यन्त दुःखों का बोझ वहन करने के लिए विवश रहता है। प्रशासन भी किसानों के प्रति असंवेदनशील रवैया अपनाता है। इसका परिणाम यह हुआ है कि भारत में पिछले 20 वर्षों में तीन लाख से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। अधिकांश भारतीय किसान ऋणग्रस्त हैं। कम वर्षा होने अथवा न होने की स्थिति में उपज कम होती है जिससे किसानों को जीवनयापन में कठिनाई आती है। उपज अधिक होने की स्थिति में फसल का दाम बहुत कम हो जाता है। जिससे किसान को लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता। सरकार द्वारा लागत मूल्य निश्चित करने के बावजूद भी मध्यस्थों के कारण किसान को उसकी मेहनत का फल नहीं मिल पाता । उसका लाभ मध्यस्थ खा जाते हैं। बीमा कम्पनियाँ भी किसानों से धोखा करती हैं। वस्तुतः किसान को जीवन भर आर्थिक कष्ट सहन करना पड़ता है। सरकार को किसानों के कल्याण के लिए ठोस योजनाएँ बनानी चाहिए ।
(ख) स्वच्छता आंदोलन
पिछले एक वर्ष से भारत में स्वच्छता अभियान ने एक जन आंदोलन का रूप ले लिया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से प्रत्येक भारतीय के मन में स्वच्छता के प्रति जागरूकता की भावना उत्पन्न हुई है। एक वर्ष में कई गावों तथा शहरों में करोड़ों शौचालयों का निर्माण हुआ है। देश के कुछ राज्य तो ‘खुले में शौच’ के अभिशाप से मुक्त हो चुके हैं। रेलवे स्टेशनों पर पहले गंदगी का साम्राज्य रहता था परन्तु अब तो अनेक रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प हो चुका है।
सरकारी कार्यालयों में भी पहले की अपेक्षा अधिक सफाई लक्षित होती है। छोटे-छोटे बच्चे भी स्वच्छता अभियान में रूचि लेने लगे हैं। वस्तुतः सफाई की ओर ध्यान देना हमारा महत्त्वपूर्ण कर्तव्य है। टी०वी० तथा रेडियो पर इस विषय पर अनेक विज्ञापन आते हैं । महानायक अमिताभ बच्चन जैसे कलाकार भी टी०वी० के माध्यम से जनता को सफ़ाई रखने के लिए विशेष जागरूक करते हैं। सरकार को चाहिए कि सड़कों तथा सार्वजनिक स्थानों पर गन्दगी मचाने पर कड़ा अर्थ दण्ड देने का प्रावधान करे और दण्ड न दे पाने की स्थिति में कारावास की सजा दे। यदि यह कानून बन जाए तो अभियान शीघ्र ही सफल हो सकता है।
(ग) मन के हारे हार है मन के जीते जीत
मानव को जीवन में अनेक बार विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति अनेक बार निराशा का अनुभव करता है तथा कई-कई बार तो यह निराशाजनक स्थिति देर तक बनी रह जाती है। ऐसी स्थिति में वह हतोत्साहित हो जाता है। उसका मनोबल समाप्त हो जाता है। इसके बाद की स्थिति तो अत्यंत भयावह हो जाती है क्योंकि व्यक्ति अवसाद रोग का शिकार हो जाता है। एक बार अवसाद से घिर जाने पर उससे उबर पाना बहुत कठिन हो सकता है। ऐसी स्थिति में दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना अत्यंत आवश्यक है। व्यक्ति यदि सकारात्मक सोच रखता है तो वह जीवन में पुनः सफलता प्राप्त करता है। व्यक्ति में यदि जीवन के प्रति आस्था है तो वह प्रतिकूल परिस्थितियों में भी निराश और हताश नहीं होता। वह पुनः सफलता के पथ पर अग्रसर होता है। इसमें संदेह नहीं कि दृढ़ मानसिक शक्ति व्यक्ति को महान् बना देती है ।
प्रश्न 14.
बस में छूट गए सामान को आपके घर तक सुरक्षित रूप से पहुँचाने वाले बस कंडक्टर की प्रशंसा करते हुए उसे पुरस्कृत करने के लिए परिवहन अध्यक्ष को एक पत्र लगभग 100 शब्दों में लिखिए। [5]
उत्तर:
9 – बी, राजपुर रोड
नई दिल्ली- 110054
दिनांक : 25 मार्च, 20xx
सेवा में
परिवहन अध्यक्ष
सिंधिया हाउस, नई दिल्ली।
महोदय,
5
मैं कल 856 नंबर बस में दोपहर के समय यात्रा कर रहा था। मेरा कुछ आवश्यक सामान बस में ही रह गया था। मैं अत्यंत चिंतित था। शाम 7 बजे उसी बस का कंडक्टर मेरे घर आया और उसने मेरा वह सामान लौटा दिया। वह चाहता तो फोन करके मुझे अपने घर बुला सकता था । परंतु उसने स्वयं समय निकाल कर यह कार्य किया। मैं इस प्रशंसनीय कार्य हेतु सुरेश मिश्रा नामक इस संवाहक को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ।
मेरा आपसे अनुरोध है कि इस संवाहक को पुरस्कृत किया जाए। इससे अन्य कर्मचारियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा । भवदीय
आलोक मित्र
अथवा
अपने बैंक के प्रबंधक को पत्र लिखकर अपने आधार कार्ड को बैंक खाते से जोड़ने का अनुरोध कीजिए ।
उत्तर:
सेवा में
मुख्य प्रबंधक
केनरा बैंक
कमला नगर शाखा, नई दिल्ली।
दिनांक : 27 मार्च, 2018
महोदय
मैं आपके बैंक का एक ग्राहक हूँ। मेरा खाता संख्या 456142214230 है। मैं आपसे अपने आधार कार्ड को खाते से संलग्न करने का अनुरोध करता हूँ। मैंने आधार कार्ड की कॉपी संबंधित कर्मचारी को दे दी है। आपसे प्रार्थना है कि मेरा अनुरोध स्वीकार कीजिए ।
भवदीय
अनन्य अरोड़ा
1127 – बी, मलकागंज, दिल्ली ।
प्रश्न 15.
आप हिन्दी छात्र परिषद् के सचिव प्रगण्य हैं। आगामी सांस्कृतिक संध्या के बारे में अनुभागीय दीवार पट्टिका के लिए 25-30 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए । [5]
उत्तर:
सांस्कृतिक संध्या सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में 17 अप्रैल, 2018 को शाम 5 बजे से 7 बजे तक एक ‘सांस्कृतिक संध्या’ का आयोजन किया जा रहा है। इस विशिष्ट आयोजन में सुप्रसिद्ध गायिका सुश्री सुनिधि चौहान को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। आप सभी छात्रों का इस कार्यक्रम में स्वागत है । सचिव, हिन्दी छात्र परिषद् |
अथवा
विद्यालय की सांस्कृतिक संस्था ‘रंगमंच’ की सचिव लतिका की ओर से ‘स्वरपरीक्षा’ के लिए इच्छुक विद्यार्थियों को यथासमय उपस्थित रहने की सूचना लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। समय और स्थान का उल्लेख भी कीजिए ।
उत्तर:
स्वरपरीक्षा विद्यालय की संस्था ‘रंगमंच’ की ओर से इच्छुक छात्र ‘स्वरपरीक्षा’ के लिए आमंत्रित हैं। यह आयोजन शाह ऑडिटोरियम में 20 मार्च, सांय 4 बजे से 8 बजे तक आयोजित किया जाएगा। लतिका, सचिव (रंगमंच ) |
प्रश्न 16.
‘मेहनत की कमाई’ विषय पर लघु कथा लगभग 100 शब्दों में लिखिए। (5 × 1 = 5)
उत्तर:
मेहनत की कमाई
एक अमीर बात ने अपने आलसी बेटे को बुलाकर कहा, “जा कुछ कमा ला, वरना भोजन नहीं मिलेगा “। लड़का लापरवाह और निर्लज्ज था, काम करने की उसकी आदत न थी। सीधा माँ के पास गया और रो-धोकर मिन्नतें कर उसे कुछ देने के राजी कर लिया। माँ से बेटे का दुःख देखा नहीं गया, उसने बक्से से कुछ रुपए निकाल कर उसे दे दिए। रात को पिता ने पूछा बेटा तूने क्या कमाया? लड़के ने झट से माँ के दिए रुपए निकाल कर रख दिए । अनुभवी पिता सब कुछ समझ गया। उसने कहा- जा इसे कुँए में फेंक आ । लड़के ने झटपट जाकर रुपए कुँए में फेंक दिए । अगले दिन पिता ने फिर से उसे कुछ कमाकर लाने को कहा।
इस बार लड़का अपनी बहन के पास जाकर रोने लगा। बहन ने तरस खाकर अपने पास से कुछ रुपए उसको दे दिए। रात को पिता ने बेटे से पूछा, “आज तू क्या कमाकर लाया है?” लड़के ने जेब में से निकालकर बहन के दिए हुए रुपए पिता के आगे रख दिए। पिता के कहने पर उसने बिना कोई देर किए रुपए कुँए में डाल दिए ।
अनुभवी पिता ने पत्नी और बेटी को बाहर भेज दिया और सुबह उठते ही बेटे से फिर कुछ कमाकर लाने को कहा । बेटा दिन-भर सुस्त बैठा रहा । परंतु उसको किसी ने नहीं पूछा । विवष्ठा होकर वह ष्टशाम को उठा और बाहर जाकर मज़दूरी खोजने लगा, एक सेठ ने उसे कहा कि वह उसका सामान उठा देगा तो वह उसे मज़दूरी में कुछ रुपए दे देगा। बेटे ने सामान उठाकर सेठ के घर पहुँचा दिया। सेठ ने उसका मेहनताना दे दिया। उसके पांव कांप रहे थे और उसकी गर्दन में दर्द हो रहा था। रात को पिता ने फिर उसको पूछा तो बेटे ने अपने कमाए रुपए उनको दिखाए। पिता ने फिर से उन रुपयों को कुँए में डालने को कहा तो बेटा क्रोधित हो गया। उसने क्रोधपूर्ण स्वर में अपने पिता से कहा कि यह मेरे मेहनत की कमाई है और आप इसे भी कुँए में डालने को कह रहे हैं।
यह सुनकर पिता हंसने लगे और उन्होंने बेटे से कहा कि तुम्हें आज वास्तव में मेहनत की कमाई का ज्ञान हुआ है और उन्होंने अगले ही दिन अपना सारा व्यापार अपने बेटे के हवाले कर दिया।
अथवा
अपने नगर के शिक्षा अधिकारी को एक ईमेल लिखकर अपने क्षेत्र में एक और विद्यालय खोलने के लिए अनुरोध कीजिए। ( शब्द – सीमा – लगभग 100 शब्द )
उत्तर:
From: [email protected]
To: [email protected]
Cc/Bcc : (आवश्यकतानुसार CC और BCC की लाइन को भरा जाता है । )
विषय : क्षेत्र में एक और विद्यालय खोलने के संबंध में ।
महोदय
मैं जिस क्षेत्र में रहता हूँ वह एक घनी आबादी वाला क्षेत्र है। यहाँ लगभग दो से तीन हज़ार परिवार बसे
हुए हैं। इस क्षेत्र में उचित शिक्षा के लिए मात्र एक ही विद्यालय है इसलिए हर वर्ष विद्यालय में प्रवेश के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिन विद्यार्थियों को अपने क्षेत्र के स्कूल में प्रवेश नहीं मिलता, उनको विवश होकर घर से दूर स्थित स्कूलों में दाखिला लेना पड़ता है जिस कारण यहाँ से आने-जाने में ही उन विद्यार्थियों का काफ़ी समय नष्ट हो जाता है। अतः आपसे अनुरोध है कि शीघ्र ही एक नया विद्यालय खोलने की कृपा प्रदान करें ।
प्रश्न 17.
अपने विद्यालय की संस्था ‘पहरेदार’ की ओर से जल का दुरुपयोग रोकने का आग्रह करते हुए लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन का आलेख तैयार कीजिए। [5]
उत्तर:
जल ही जीवन है जल का दुरुपयोग किसी अपराध से कम नहीं। देश में असंख्य लोग तरसते हैं जल की आपूर्ति के लिए। हमें चाहिए कि व्यर्थ न होने दें जल की एक बूँद भी, क्योंकि इसी पर टिका हुआ है हमारा भविष्य । जल का उपयोग करते हुए विशेष सावधानी रखें – जनहित में जारी । |
अथवा
विद्यालय की कलावीथि में कुछ चित्र (पेंटिंग्स) बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। इसके लिए एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में लिखिए। [5]
उत्तर:
विद्यालय की कलावीथि में बिक्री के लिए उपलब्ध हैं कुछ अत्यंत कलात्मक चित्र- ये चित्र अद्भुत एवं अकल्पनीय हैं – छात्र कलाकारों द्वारा निर्मित उत्कृष्ट नमूने इससे मिलेगा प्रोत्साहन एवं धन भावी चित्रकारों को एवं चित्रकारों को मिलेगी एक नई दिशा । चित्र खरीदें और छात्र – कलाकारों को सम्मान प्रदान करें। |