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CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2017 (Delhi) with Solutions

May 29, 2024 by Bhagya

Students can find that CBSE Previous Year Question Papers Class 10 Hindi with Solutions and CBSE Class 10 Hindi Question Paper 2017 (Delhi) effectively boost their confidence.

CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2017 (Delhi) with Solutions

निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80

सामान्य निर्देश :

  • इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
  • चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।

खण्ड-क ( अपठित बोध )

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए : [9]
पता नहीं क्यों, उनकी कोई नौकरी लंबी नहीं चलती थी। मगर इससे वह न तो परेशान होते, न आतंकित, और न ही कभी निराशा उनके दिमाग में आती। यह बात उनके दिमाग में आई कि उन्हें अब नौकरी के चक्कर में रहने की बजाय अपना काम शुरू करना चाहिए। नई ऊँचाई तक पहुँचने का उन्हें यही रास्ता दिखाई दिया । सत्य है, जो बड़ा सोचता है, वही एक दिन बड़ा करके भी दिखाता है और आज इसी सोच के कारण उनकी गिनती बड़े व्यक्तियों में होती है। हम अक्सर इंसान के छोटे-बड़े होने की बातें करते हैं, पर दरअसल इंसान की सोच ही उसे छोटा या बड़ा बनाती है। स्वेट मार्डेन अपनी पुस्तक ‘ बड़ी सोच का बड़ा कमाल’ में लिखते हैं कि यदि आप दरिद्रता की सोच को ही अपने मन में स्थान दिए रहेंगे, तो आप कभी धनी नहीं बन सकते, लेकिन यदि आप अपने मन में अच्छे विचारों को ही स्थान देंगे और दरिद्रता, नीचता आदि कुविचारों की ओर से मुँह मोड़े रहेंगे और उनको अपने मन में कोई स्थान नहीं देंगे, तो आपकी उन्नति होती जाएगी और समृद्धि के भवन में आप आसानी से प्रवेश कर सकेंगे। ‘भारतीय चिंतन में ऋषियों ने ईश्वर के संकल्प मात्र से सृष्टि रचना को स्वीकार किया है और यह संकेत दिया है कि व्यक्ति जैसा बनना चाहता है, वैसा बार – बार सोचे । व्यक्ति जैसा सोचता है, वह वैसा ही बन जाता है।’ सफलता की ऊँचाइयों को छूने वाले व्यक्तियों का मानना है कि सफलता उनके मस्तिष्क से नहीं, अपितु उनकी सोच से निकलती है। व्यक्ति में सोच की एक ऐसी जादुई शक्ति है कि यदि वह उसका उचित प्रयोग करे, तो कहाँ से कहाँ पहुँच सकता है। इसलिए सदैव बड़ा सोचें, बड़ा सोचने से बड़ी उपलब्धियाँ हासिल होंगी, फायदे बड़े होंगे और देखते-देखते आप अपनी बड़ी सोच द्वारा बड़े आदमी बन जाएँगे। इसके लिए हैजलिट कहते हैं – महान सोच जब कार्यरूप में परिणत हो जाती है, तब वह महान कृति बन जाती है।
(क) गद्यांश में किस प्रकार के व्यक्ति के बारे में चर्चा की गई है? ऐसे व्यक्ति ऊँचाई तक पहुँचने का क्या उपाय अपनाते हैं? [2]
(ख) गद्यांश में समृद्धि और उन्नति के लिए क्या सुझाव दिए गए हैं? [2]
(ग) भारतीय विचारधारा में संकल्प और चिंतन का क्या महत्त्व है? [2]
(घ) गद्यांश में किस जादुई शक्ति की बात की गई है? उसके क्या परिणाम हो सकते हैं? [2]
(ङ) गद्यांश से दो मुहावरे चुनकर उनका वाक्य प्रयोग कीजिए । [1]
उत्तर:
(क) प्रस्तुत गद्यांश में बड़ी सोच वाले व्यक्ति के विषय में चर्चा की गई है। ऐसे व्यक्ति ऊँचाई तक पहुँचने के लिए बड़ा सोचते हैं तथा अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं।

(ख) इस गद्यांश में कहा गया है कि समृद्धि और उन्नति के लिए व्यक्ति को मन में श्रेष्ठ विचारों को स्थान देना चाहिए। उसे दरिद्रता और अनैतिकता संबंधी विचारों से दूर रहना चाहिए ।

(ग) भारतीय विचारधारा में संकल्प और चिंतन का अत्यधिक महत्त्व है। भारतीय चिंतन में तो ऋषियों ने यह माना है कि सृष्टि की रचना ईश्वर के संकल्प मात्र से हुई है।

(घ) प्रस्तुत गद्यांश में अच्छी और ऊँची सोच को जादुई शक्ति की संज्ञा दी गई है। इससे व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त होती है तथा बड़ी-बड़ी उपलब्धियाँ प्राप्त होती है।

(ङ) 1. चक्कर में रहना – तुम स्वार्थी लोगों के चक्कर में रहते हो इसलिए तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाते ।
2. मुँह मोड़ना – जीवन में हम यदि सफलता चाहते हैं तो हमें नीच व्यक्तियों से मुँह मोड़ना पड़ेगा ।

CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2017 (Delhi) with Solutions

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाला विकल्प चुनकर लिखिए:
कई लोग असाधारण अवसर की बाट जोहा करते हैं। साधारण अवसर उनकी दृष्टि में उपयोगी नहीं रहते। परंतु वास्तव में कोई अवसर छोटा-बड़ा नहीं है। छोटे-से-छोटे अवसर का उपयोग करने से, अपनी बुद्धि को उसी में भिड़ा देने से, वही छोटा अवसर बड़ा हो जाता है। सर्वोत्तम मुनष्य वे नहीं हैं, जो अवसरों की बाट देखते रहते हैं, परंतु वे हैं जो अवसर को अपना दास बना लेते हैं। हमारे सामने हमेशा ही अवसर उपस्थित होते रहते हैं। यदि हम में इच्छा-शक्ति है, काम करने की ताकत है, तब तो हम स्वयं ही उनसे लाभ उठा सकते हैं। अवसर न मिलने की शिकायत कमज़ोर मनुष्य ही करते हैं। जीवन अवसरों की एक धारा है। स्कूल, कॉलेज का प्रत्येक पाठ, परीक्षा का समय, कठिनाई का प्रत्येक पल, सदुपदेश का प्रत्येक क्षण एक अवसर है। इन अवसरों से हम नम्र हो सकते हैं, ईमानदार हो सकते हैं, मित्र बना सकते हैं, उत्तरदायित्वों का मूल्य समझ सकते हैं और इस प्रकार उच्च मनुष्यता प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे अनेक लोग हैं जो अवसर को पकड़कर करोड़पति हो गए। परंतु अवसरों का क्षेत्र यहाँ समाप्त नहीं हो जाता। अवसर का उपयोग करके हम इंजीनियर, डॉक्टर, कला-विशारद, कवि और विद्वान् भी बन सकते हैं। यद्यपि अवसरों के उपयोग से धन कमाना अच्छा काम है, परंतु धन से भी कहीं श्रेष्ठ कार्य सामने है। धन ही जीवन के प्रयत्नों का अंत नहीं है, जीवन के लक्ष्य की चरम सीमा नहीं है। अवसरों के सदुपयोग से हम सर्वदृष्टि से महत्त्वपूर्ण इंसान बन सकते हैं।
(क) छोटा अवसर भी कब बड़ा और असाधारण हो जाता है ? [2]
(ख) अवसर का लाभ कैसे उठाया जा सकता है? [1]
(ग) जीवन को अवसरों की एक धारा क्यों कहा है? [1]
(घ) कौन-सा श्रेष्ठ कार्य है, जो धन से भी बढ़कर है? [1]
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए। [1]
उत्तर:
(क) जब हम पूरी लगन से उसका भरपूर उपयोग करते हैं।
(ख) कार्य करने की उत्कट लालसा एवं शक्ति के भरपूर उपयोग से ।
(ग) जीवन में प्रत्येक क्षण अवसर प्राप्त होते रहते हैं।
(घ) समाज में महान एवं आदर्श व्यक्ति बनना ।
(ङ) जीवन में अवसरों का महत्त्व |

खण्ड – ख ( व्यावहारिक व्याकरण )

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में रेखांकित पदबंधों के प्रकार बताइए | [1 × 4 = 4]
(i) सोनू का बड़ा भाई रमेश बुद्धिमान है।
(ii) तुम्हारी नई लाल साइकिल कहाँ गई ?
(iii) रात में पहरा देने वाला आदमी आज नहीं आया ।
(iv) वह हँसकर कहने लगा।
उत्तर:
(i) सोनू का बड़ा भाई रमेश – संज्ञा पदबंध
(ii) तुम्हारी नई लाल साइकिल – विशेषण
(iii) रात में पहरा देने वाला आदमी – संज्ञा पदबंध
(iv) कहने लगा- क्रिया पदबंध

प्रश्न 4.
निर्देशानुसार वाक्य रूपांतरण कीजिए [1 × 3 = 3]
(i) वह फल खरीदने बाज़ार गया। वहाँ से फल लेकर आ गया । ( संयुक्त वाक्य में )
(ii) चाय पीने की यह एक विधि है । जापानी में उसे चा-नो-यू कहते हैं । ( मिश्र वाक्य में )
(iii) भारतीय सैनिक ऐसे हैं कि कोई उनकी बराबरी नहीं कर सकता। ( सरल वाक्य में )
उत्तर:
(i) संयुक्त वाक्य – वह फल खरीदने बाज़ार गया और फल लेकर आ गया।
(ii) मिश्र वाक्य – चाय पीने की यह एक विधि है जिसे जापानी में चा-नो-यू कहते हैं।
(iii) सरल वाक्य – भारतीय सैनिकों की कोई बराबरी नहीं कर सकता ।

प्रश्न 5.
(क) निम्नलिखित शब्दों का विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए : [1 + 1 = 2]
(i) नीलकमल
(ii) घुड़साल
उत्तर:
(i) नीलकमल – नीला है जो कमल – कर्मधारय समास ।
(ii) घुड़साल – घोड़ो के लिए शाला – तत्पुरुष समास ।

(ख) निम्नलिखित शब्दों को समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए : [1 + 1 = 2]
(i) नया जो आभूषण
(ii) गगन में विचरण करने वाला
उत्तर:
(i) नया जो आभूषण – नवआभूषण कर्मधार्य समास।
(ii) गगन में विचरण करने वाला – गगनचारी – तत्पुरुष समास ।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों में निहित भाव के अनुसार उपयुक्त मुहावरे लिखिए: [1 × 2 = 2]
(क) रमेश ने ईर्ष्या के कारण अपने मित्र को एक-से-एक लगती बातें कहीं।
(ख) बाढ़ में सब कुछ तबाह होने के कारण शीला की हिम्मत टूट गई।
उत्तर:
(क) लगती बात ( चुभने वाली बात )
(ख) हिम्मत टूटना ( साहस समाप्त होना)

प्रश्न 7.
निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग इस प्रकार कीजिए कि अर्थ स्पष्ट हो : [1 + 1 = 2]
मुठभेड़ होना, एक-एक शब्द को चाट जाना ।
उत्तर:
(i) सुरक्षाबल और आतंकवादियों की मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों की मृत्यु हो गई ।
(ii) मोहन केवल पुस्तक नहीं पढ़ता बल्कि वह एक-एक शब्द को चाट जाता है।

खण्ड – ग ( पाठ्यपुस्तक )

प्रश्न 8.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए । [5]
सालाना इम्तिहान हुआ। भाई साहब फ़ेल हो गए, मैं पास हो गया और दरजे में प्रथम आया। मेरे और उनके बीच में केवल दो साल का अंतर रह गया। जी में आया, भाई साहब को आड़े हाथों लूँ- ‘आपकी यह घोर तपस्या कहाँ गई ? मुझे देखिए, मज़े से खेलता भी रहा और दरजे में अव्वल भी हूँ।’ लेकिन वह इतने दुखी और उदास थे कि मुझे उनसे दिली हमदर्दी हुई और उनके घाव पर नमक छिड़कने का विचार ही लज्जास्पद जान पड़ा। हाँ, अब मुझे अपने ऊपर कुछ अभिमान हुआ और आत्मसम्मान भी बढ़ा। भाई साहब का वह रौब मुझ पर न रहा। आज़ादी से खेलकूद में शरीक होने लगा। दिल मज़बूत था। अगर उन्होंने फिर मेरी फ़जीहत की, तो साफ़ कह दूँगा – ‘ आपने अपना खून जलाकर कौन-सा तीर मार लिया। मैं तो खेलते-कूदते दरजे में अव्वल आ गया।’ ज़बान से यह हेकड़ी जताने का साहस न होने पर भी मेरे रंग-ढंग से साफ़ ज़ाहिर होता था कि भाई साहब का वह आतंक मुझ पर नहीं था। भाई साहब ने इसे भाँप लिया- उनकी सहज बुद्धि बड़ी तीव्र थी और एक दिन जब मैं भोर का सारा समय गुल्ली-डंडे की भेंट करके ठीक भोजन के समय लौटा, तो भाई साहब ने मानो तलवार खींच ली और मुझ पर टूट पड़े।
( क ) छोटा भाई क्या कह देना चाहता था? वह क्यों न कह सका?
(ख) छोटे भाई की हिम्मत क्यों बढ़ गई ?
(ग) छोटे के कुछ न जताने पर भी बड़ा भाई क्या समझ गया ?
उत्तर:
(क) सालाना इम्तिहान में भाई साहब फेल हो गए और छोटा भाई प्रथम आया। छोटा भाई बड़े भाई से यह कहना चाहता था कि आप हमेशा पढ़ते रहते थे तब भी आप फेल हो गए, आपकी घोर तपस्या कहाँ गई ? परंतु बड़े भाई इतने दुखी और उदास थे कि छोटा भाई उनसे कुछ भी न कह सका।

(ख) परीक्षा में प्रथम आने से छोटे भाई (लेखक) की हिम्मत बढ़ गई। उसने सिद्ध कर दिया कि खेल-कूद से पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आती। इससे लेखक आत्मसम्मान और विश्वास से भर गया। अब वह खेल- -कूद में खुलकर सम्मिलित होने लगा। उसके मन में बड़े भाई का रौब भी न रहा ।

(ग) छोटे के कुछ न जताने पर भी बड़ा भाई समझ गया कि वह प्रथम आने पर अपने को बहुत अच्छा समझ रहा है और बड़े भाई की सीख को तुच्छ जान रहा है ।

अथवा

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
(क) लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के क्या-क्या कारण बताए ? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं ? [2]
(ख) बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे? और क्यों? [2]
(ग) लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं और क्यों? [1]
उत्तर:
(क) लेखक के मित्र के अनुसार आजकल जीवन में आपाधापी बढ़ गई है। लोगों के मन में प्रतिस्पर्धा की भावना में भी वृद्धि हुई है। इससे मानसिक तनाव बढ़ गया है। इसी कारण मानसिक रोगों में भी वृद्धि हो गई है । लेखक के मित्र द्वारा बताए गए कारण सही हैं अतः हम इससे सहमत हैं।

(ख) बड़े भाई साहब कहते थे कि बिना कठिन परिश्रम के विद्या प्राप्त नहीं की जा सकती। वे कहते थे कि छोटे भाई को खेलने में समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए। वे स्वयं भी मेले-तमाशे में नहीं जाते थे। अतः उनका विचार था कि उनके छोटे भाई को अपना अधिकाधिक समय पढ़ने में लगाना चाहिए। वे चाहते थे कि उनका छोटा भाई उनके पदचिन्हों पर चले ।

(ग) लेखक की माँ सूरज के ढलने के बाद पेड़ों के पत्ते तोड़ने से मना करती थी। वे मानती थीं कि सूरज ढलने के बाद पेड़ों के पत्ते तोड़ने पर वे रोते हैं।

CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2017 (Delhi) with Solutions

प्रश्न 9.
वज़ीर अली कौन था? उसके चरित्र की क्या विशेषताएँ हैं? अपने शब्दों में सोदाहरण स्पष्ट कीजिए। [5]
उत्तर:
वज़ीर अली एक जाँबाज़ सिपाही था। उसने अवध पर अंग्रेज़ों की पकड़ को कमज़ोर कर दिया था। वह एक निर्भय वीर सैनिक था। उसने कंपनी के कार्यालय में जाकर अंग्रेज़ वकील की हत्या कर दी थी। अंग्रेज़ उसकी तुलना रॉबिनहुड से करते थे। अपने साहसिक कारनामों से उसने अंग्रेज़ों के छक्के छुड़ा दिए थे। वह अत्यन्त बुद्धिमान था । उसने कर्नल कॉलिंज से स्वयं को पकड़ने के लिए कुछ कारतूस मांगे और उसकी जान बख्शते हुए वहाँ से सुरक्षित वापस चला गया।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर लिखिए [5]
कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै बन माँहि । ऐसैं घटि घटि राँम है, दुनिया देखै नाँहि ।।
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि । सब अँधियारा मिटि गया, दीपक देख्या माँहि ।।
(i) कवि और कविता का नाम लिखिए। [1]
(ii) ‘घटि घटि राँम है’ के माध्यम से कवि ने क्या कहा है? [2]
(iii) कवि ने किस अंधियारे की बात की है और यह किस प्रकार मिटा ? [2]
उत्तर:
(i) कवि – कबीर;
कविता – साखी ।
(ii) जिस प्रकार हिरण के अंदर कस्तूरी विद्यमान है परंतु वह उसे हर जगह ढूंढता रहता है। ठीक इसी प्रकार ईश्वर सर्वव्याप्त है, किन्तु दुनिया वाले इस सत्य से अनभिज्ञ हैं।
(iii) कवि, ने अज्ञानतारूपी अंधकार की बात कही है। जिस प्रकार दीपक के जलने से चारों ओर प्रकाश छा जाता है ठीक उसी प्रकार कवि ज्ञान प्राप्ति से अज्ञानता रूप अंधकार दूर करने की बात कहता है।

अथवा

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) मीराबाई श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्या-क्यो कार्य करने को तैयार हैं? [2]
(ख) ‘मनुष्यता’ कविता में कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा गया है और क्यों? [2]
(ग) ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में धरती को दुलहन क्यों कहा गया है? [1]
उत्तर:
(क) मीरा श्रीकृष्ण का पाने के लिए उनकी चाकर अर्थात् सेविका बनने को तैयार है। वह कहती है कि सेविका बनकर वह उनके लिए बाग लगाएगी तथा सुगंधित पुज्यों से उनकी सेवा करेगी।

(ख) ‘मनुष्यता’ कविता में मानवता का हित करते हुए होने वाली मृत्यु को सुमृत्यु की संज्ञा दी गई है। ऐसा व्यक्ति अपने किए गए कार्यों के कारण मृत्यु के पश्चात् भी लोगों के हृदय पटल पर अंकित रहता है । कवि के अनुसार ऐसे व्यक्ति की मृत्यु को ही सही मायनों में सुमृत्यु कहा जाता है।

(ग) भारतीय सैनिकों की मान्यता है कि भारत की धरती सदैव दुल्हन की तरह सजी धजी रहनी चाहिए । यहाँ खेतों में फसलें लहलहाती रहनी चाहिए । यहाँ की सारी वनस्पतियाँ हरी-भरी रहनी चाहिए तथा सैनिक धरती रूपी दुल्हन की सदैव रक्षा करते रहना चाहते हैं ।

प्रश्न 11.
‘आत्मत्राण’ शीर्षक का अर्थ बताते हुए उसकी सार्थकता, कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए । [5]
उत्तर:
‘आत्मत्राण’ शब्द का शाब्दिक अर्थ आत्मा के भय निवारण से है। इसे कवि ने स्वयं के लिए प्रयोग किया है। कवि प्रस्तुत कविता में प्रभु से दुख के दिनों में निर्भय होकर जीने की प्रार्थना करता है। वह स्वयं दुख से बचने और उबरने के योग्य बनना चाहता है। इसके लिए वह स्वयं समर्थ व सक्षम बनना चाहता है। अतः यह शीर्षक विषय वस्तु के अनुरूप बिल्कुल सटीक है।

प्रश्न 12.
‘सपनों के से दिन’ पाठ में पी.टी. सर की किन चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख किया गया है? वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में स्वीकृत मान्यताओं और पाठ में वर्णित युक्तियों के संबंध में अपने विचार जीवन मूल्यों की दृष्टि से व्यक्त कीजिए। [5]
उत्तर:
‘सपनों के से दिन’ पाठ में पी.टी. सर की अनेक विशेषताएँ लक्षित होती हैं। प्रीतमचन्द अर्थात् पी.टी. सर विद्यार्थियों में अनुशासन बनाये रखने के लिए उनकी पिटाई करना तथा उन्हें सबके सामने अपमानित करना उचित समझते थे। वे अत्यन्त कठोर स्वभाव के अध्यापक थे। कोई विद्यार्थी यदि अपना सिर भी इधर-उधर हिलाता था या अपना पाँव खुजलाता तो वे उस पर बाज़ की तरह झपट पड़ते थे। वे बहुत गंभीर रहते थे। स्कूल में उन्हें किसी ने कभी हँसते – मुस्कुराते नहीं देखा था। वे कभी-कभी विद्यार्थियों को मुर्गा भी बनाते थे। सभी छात्र उनसे भयभीत रहते थे।
वर्तमान काल में विद्यार्थियों को कठोर शारीरिक दण्ड देना अपराध की श्रेणी में आता है। पी. टी. सर जैसे लोगों को जेल भी भेजा जा सकता है। वस्तुतः विद्यार्थियों को समझा बुझा कर तथा अपेक्षित प्रशंसा करके अनुशासित रखा जाना चाहिए। विद्यार्थियों को कठोर शारीरिक दण्ड देना किसी भी दशा में उचित नहीं कहा जा सकता ।

खण्ड – घ ( लेखन )

प्रश्न 13.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए : [5]
(क) अपनी भाषा प्यारी भाषा
• अपनी भाषा का परिचय
• अपनी भाषा प्यारी क्यों है?
• अन्य भाषाओं से मेल ।

(ख) स्वच्छता अभियान
• क्या है
• क्यों और कैसे
• सुझाव |

(ग) लड़कियों की शिक्षा
• समाज में लड़कियों का स्थान
• शिक्षा की अनिवार्यता और बाधाएँ
• सबका सहयोग |
उत्तर:
(क) अपनी भाषा प्यारी भाषा
राष्ट्रभाषा तथा मातृभाषा मेरी अपनी भाषाएँ हैं। शैशव काल में तथा घर में मातृभाषा का प्रयोग ही होता है। शिशु माता-पिता तथा भाई बहिन से जो भाषा सीखता है वह उसे ‘सर्वाधिक प्रिय होती है। इसके अतिरिक्त अपने परिवेश के लोग जिस भाषा का प्रयोग करते हैं। वह भाषा निश्चय ही अत्यन्त प्रिय होती है। कवि विद्यापति ने कहा है- ‘ देसिल बचना सब जन मिट्ठा ।
भारतेन्दु हरिशचन्द्र ने भी कहा है :
निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति को मूल ।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल ।।

मेरी मातृभाषा पंजाबी है परन्तु मैं हिन्दी भाषा को ही अपनी भाषा मानता हूँ। विद्यालय में तथा आस-पास के परिवेश में हिन्दी भाषा के प्रयोग के कारण यह मेरे लिए अत्यन्त सहज है । यह भाषा अत्यन्त सरल तथा वैज्ञानिक है। हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा तथा सम्पर्क भाषा है। भारत में अधिकांश राज्यों में यह भाषा बोली तथा समझी जाती है। इस भाषा का गुजराती तथा मराठी भाषा से गहरा मेल है। हिन्दी भाषा का जानकार गुजराती तथा मराठी भाषा आसानी से समझ सकता है । बंगला, असमी आदि भाषाएँ भी हिन्दी भाषी आसानी से सीख सकता है।

(ख) स्वच्छता अभियान
पिछले एक वर्ष से भारत में स्वच्छता अभियान ने एक जन आंदोलन का रूप ले लिया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से प्रत्येक भारतीय के मन में स्वच्छता के प्रति जागरूकता की भावना उत्पन्न हुई है। एक वर्ष में कई गावों तथा शहरों में करोड़ों शौचालयों का निर्माण हुआ है। देश के कुछ राज्य तो ‘खुले में शौच’ के अभिशाप से मुक्त हो चुके हैं। रेलवे स्टेशनों पर पहले गंदगी का साम्राज्य रहता था परन्तु अब तो अनेक रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प हो चुका है।
सरकारी कार्यालयों में भी पहले की अपेक्षा अधिक सफाई लक्षित होती है। छोटे-छोटे बच्चे भी स्वच्छता अभियान में रूचि लेने लगे हैं। वस्तुतः सफाई की ओर ध्यान देना हमारा महत्त्वपूर्ण कर्त्तव्य है। टी०वी० तथा रेडियो पर इस विषय पर अनेक विज्ञापन आते हैं। महानायक अमिताभ बच्चन जैसे कलाकार भी टी०वी० के माध्यम से जनता को सफ़ाई रखने के लिए विशेष जागरूक करते हैं। सरकार को चाहिए कि सड़कों तथा सार्वजनिक स्थानों पर गन्दगी मचाने पर कड़ा अर्थ दण्ड देने का प्रावधान करे और दण्ड न दे पाने की स्थिति में कारावास की सजा दे। यदि यह कानून बन जाए तो अभियान शीघ्र ही सफल हो सकता है ।

(ग) लड़कियों की शिक्षा
वर्तमान समय में लड़कियाँ शिक्षा के क्षेत्र में लड़कों से भी आगे बढ़ रही हैं। उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में पिछले कई वर्षों से लड़कियाँ लड़कों से अधिक अंक लेकर परीक्षा में उत्तीर्ण हो रही हैं। पन्द्रह-बीस वर्ष पहले लड़कियों की शिक्षा पर लड़कों की अपेक्षा कम ध्यान दिया जाता था परन्तु वर्तमान समय में लड़कियाँ शिक्षा के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं। लड़कियाँ डॉक्टर, मैकेनिकल इंजीनियर, कम्प्यूटर इंजीनियर, पायलट इत्यादि बन रही हैं। लड़कियाँ शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् भारतीय प्रशासनिक सेवा में तथा पुलिस विभाग में उच्च पदों पर कार्य कर रही हैं। इतना ही नहीं आजकल ग्रामीण तथा आदिवासी क्षेत्रों में भी लड़कियाँ शिक्षा प्राप्त करने में पूरी रूचि ले रही हैं।
हमारे कुछ राज्यों के क्षेत्रों में ग्रामीण लड़कियाँ अराजक तत्त्वों के भय से स्कूल या कॉलेज नहीं जा पातीं। राज्य सरकारों को इस समस्या के समाधान के लिए कठोर कदम उठाने चाहिएं। देश में लड़कियाँ शिक्षा प्राप्त करके ने घरों की आर्थिक स्थिति सुधारने में विशेष योगदान दे रही हैं। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे नारे आज जनता को नई दिशा प्रदान कर रहे हैं तथा लड़कियों को लड़कों के समान शिक्षा प्राप्ति का पूरा अधिकार प्राप्त हो रहा है।

CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2017 (Delhi) with Solutions

प्रश्न 14.
आए दिन बसचालकों की असावधानी के कारण हो रही दुर्घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को एक पत्र लिखिए। [5]
उत्तर:
सेवा में
मुख्य संपादक
दैनिक जागरण
नई दिल्ली
दिनांक : 25 जून, 20xx
महोदय
मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से प्रशासन का ध्यान बसचालकों की असावधानी से होने वाली दुर्घटनाओं की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। अनेक बसचालक अपने कर्त्तव्य का ठीक प्रकार से निर्वाह नहीं करते। कुछ बसचालक तो कानों पर इयरफोन लगाए हुए बस चलाते हैं। कुछ चालक बस चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ बसचालक तो मदिरापान करके बस चलाते हैं। कुछ बसचालक सवारियाँ लेने की होड़ में अंधाधुंध बस चलाते हैं। प्रायः इन्हीं कारणों से बसचालक दुर्घटना का शिकार होते हैं। इन दुर्घटनाओं में प्रतिवर्ष हज़ारों निर्दोष लोगों को भी मृत्यु का शिकार बनना पड़ता है।
मैं आपके पत्र के माध्यम से संबंधित अधिकारियों से निवेदन करना चाहता हूँ कि वे इस समस्या की ओर विशेष ध्यान दें।
भवदीय
प्रकाश शुक्ल
37, सहगल कॉलोनी
सिविल लाइन्स
दिल्ली – 110054

अथवा

बैंक की चेक-बुक खो जाने की सूचनार्थ बैंक प्रबंधक को पत्र लिखिए ।
उत्तर:
9 डी, राजपुर रोड
दिल्ली – 110054.
दिनाँक : …………..
सेवा में
बैंक प्रबंधक
पंजाब नेशनल बैंक
अलीपुर रोड, दिल्ली-110054.
विषय – चेक-बुक खो जाने के संबंध में।
महोदय,
मैं आपके बैंक का एक ग्राहक हूँ। मेरा अकाउंट नंबर 3300101422350 है। कल यात्रा करते समय मेरे ब्रीफ़केस में से मेरी चेक-बुक खो गई है। चेक बुक में आठ चेक थे। चेक बुक के चेक 613263 से 613270 संख्या तक थे। आपसे अनुरोध है कि ये सभी चेक रद्द कर दिए जाएँ तथा मुझे नई चेक-बुक प्रदान की जाए।
धन्यवाद !
भवदीय
क० ख०ग०

प्रश्न 15.
विद्यालय में साहित्यिक क्लब के सचिव के रूप में ‘प्राचीर’ पत्रिका के लिए लेख, कविता, निबंध आदि विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत करने हेतु सूचना पट के लिए एक सूचना लगभग 20-30 शब्दों में लिखिए। [5]
उत्तर:

सूचना
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि ‘प्राचीर’ पत्रिका दिसम्बर में प्रकाशित होगी। इस पत्रिका में आप अपने स्वरचित लेख, कविताएँ, कहानी, निबंध आदि प्रकाशन के लिए दे सकते हैं। जुलाई मास के अन्त तक आपके द्वारा लेख, रचनाएँ भेजी जा सकती हैं।
आलोक वर्मा (सचिव)
साहित्यिक क्लब

प्रश्न 16.
‘कल करे सो आज कर’ पर लघु कथा लिखिए। [5]
उत्तर:
कल करे सो आज कर
एक छोटी-सी लड़की थी उसका नाम संध्या था । संध्या बहुत ही प्यारी और नटखट थी। वह पूरे घर की लाडली थी। खेलने में उसको बहुत मज़ा आता था। वह अपनी ही दुनिया में रहती थी। परंतु संध्या में एक कमी थी। उसको हर काम को टालने की आदत थी। जब भी उसकी माँ उसको कोई काम करने को कहतीं तो वह उनको जवाब देती ‘अभी करती हूँ’ पर उसका ‘अभी’ कभी नहीं आता था। माँ जब उसको समझाती तो कहती, माँ कल कर लूंगी और भाग जाती खेलने । संध्या की परीक्षाएँ आरंभ होने वाली थीं। माँ उसको पढ़ने के लिए कहतीं तो उन्हें वही रटा-रटाया जवाब मिलता।

माँ ने संध्या को सबक सिखाने की ठानी। उसको खीर बहुत पसंद थी। एक दिन संध्या ने माँ को खीर बनाने को कहा तो माँ ने टालते हुए कहा कि आज बहुत काम है कल बना दूँगी। संध्या मान गई। अगले दिन उसने फिर से खीर बनाने को कहा तो माँ ने भूल जाने का बहाना बना दिया। इसी प्रकार उसकी माँ उसकी बात प्रत्येक दिन टालती रही । एक सप्ताह बीतने पर एक दिन जब वह सोकर उठी तो उसने देखा कि उसकी माँ ने सात कटोरी में खीर रखी हुई है। संध्या की खुशी का ठिकाना ना रहा । उसने पहली और दूसरी प्लेट बड़े मन से खाई, तीसरी भी किसी तरह खत्म की परंतु चौथी नहीं खा सकी। उसने कहा कि अब नहीं खाया जाएगा । उसकी माँ ने कहा कि खीर तो उसे पसंद है इसलिए उसको सारी खीर खत्म कर देनी चाहिए। संध्या ने कहा कि चाहे खीरे उसे कितनी भी पसंद हो पर एक साथ सात कटोरी खीर वह कैसे खा सकती है? उसकी माँ ने कहा कि जब तुम सात दिन की खीर एक दिन में नहीं खा सकती तो सात दिन की पढ़ाई एक दिन में कैसे कर सकती हो? इसलिए रोज़ का काम रोज़ करना चाहिए। कल पर नहीं टालना चाहिए।
संध्या को माँ की बात समझ आ गई। उसने अपनी माँ से वादा किया कि वह अपना काम समय पर करेगी और कभी भी कल पर नहीं टालेगी।

CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2017 (Delhi) with Solutions

प्रश्न 17.
अपनी पुरानी पुस्तकें गरीब विद्यार्थियों में निःशुल्क वितरण करने के लिए एक विज्ञापन लगभग 25-50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:

पुरानी किताबें – ‘निःशुल्क
25 जून को दोपहर 12 बजे विद्यालय
के प्रांगण में निर्धन विद्यार्थियों को दसवीं कक्षा
की पुरानी पुस्तकें निःशुल्क प्राप्त होंगी।
ज़रूरतमन्द विद्यार्थी अवश्य आएँ और इच्छित पुस्तकें प्राप्त करें।

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