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CBSE Class 10 Hindi B Question Paper 2016 (Delhi) with Solutions
निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खण्ड – क ( अपठित बोध )
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए : [9]
हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहाँ एक तरफ भौतिक समृद्धि अपनी ऊँचाई पर है, तो दूसरी तरफ चारित्रिक पतन की गहराई है। आधुनिकीकरण में उलझा मानव सफलता की नित नई परिभाषाएँ खोजता रहता है और अपनी अंतहीन इच्छाओं के रेगिस्तान में भटकता रहता है। ऐसे समय में सच्ची सफलता और सुख-शांति की प्यास से व्याकुल व्यक्ति अनेक मानसिक रोगों का शिकार बनता जा रहा है। हममें से कितने लोगों को इस बात का ज्ञान है कि जीवन में सफलता प्राप्त करना और सफल जीवन जीना, यह दोनों दो अलग-अलग बातें हैं । यह ज़रूरी नहीं कि जिसने अपने जीवन में साधारण कामनाओं को हासिल कर लिया हो, वह पूर्णत: संतुष्ट और प्रसन्न भी हो । अतः हमें गंभीरतापूर्वक इस बात को समझना चाहिए कि इच्छित फल को प्राप्त कर लेना ही सफलता नहीं है। जब तक हम अपने जीवन में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का सिंचन नहीं करेंगे, तब तक यथार्थ सफलता पाना हमारे लिए मुश्किल ही नहीं, अपितु असंभव कार्य हो जाएगा, क्योंकि बिना मूल्यों के प्राप्त सफलता केवल क्षणभंगुर सुख के समान रहती है।
कुछ निराशावादी लोगों का कहना है कि हम सफल नहीं हो सकते, क्योंकि हमारी तकदीर या परिस्थितियाँ ही ऐसी हैं। परंतु यदि हम अपना ध्येय निश्चित करके उसे अपने मन में बिठा लें, तो फिर सफलता स्वयं हमारी ओर चलकर आएगी। सफल होना हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है, परंतु यदि हम अपनी विफलताओं के बारे में ही सोचते रहेंगे, तो सफलता को कभी हासिल नहीं कर पाएंगे। अतः विफलताओं की चिंता न करें, क्योंकि वे तो हमारे जीवन का सौंदर्य हैं और संघर्ष जीवन का काव्य है, कई बार प्रथम आघात में पत्थर नहीं टूट पाता, उसे तोड़ने के लिए कई आघात करने पड़ते हैं, इसलिए सदैव अपने लक्ष्य को सामने रख आगे बढ़ने की ज़रूरत है। कहा भी गया है कि जीवन में सकारात्मक कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
(क) मनुष्य के मानसिक रोग और अशांति का कारण किसे माना गया है? [2]
(ख) सफलता पाना और सफल जीवन जीना दोनों बातें अलग कैसे हैं? [2]
(ग) गद्यांश में जीवन का सौंदर्य और संघर्ष किसे बताया गया है? क्यों? [2]
(घ) वास्तविक सफलता पाने के लिए क्या आवश्यक है और क्यों? [2]
(ङ) आशय स्पष्ट कीजिए: ‘संघर्ष जीवन को काव्य है।’ [2]
उत्तर:
(क) मनुष्य जीवन में भौतिक सफलता पाने के लिए कठिन प्रयास करता है। ऐसी स्थिति में वह नैतिकता और आध्यात्मिकता से दूर होता जाता है। मनुष्य के मानसिक रोगों और अशांति का यही मुख्य कारण है।
(ख) सफलता पाने और सफल जीवन जीने में बहुत अंतर है। मनुष्य भौतिक सफलता पा सकता है परंतु उससे सुख और शांति का अनुभव हो, ऐसा आवश्यक नहीं। भौतिक सफलता जीवन के शाश्वत मूल्यों की प्राप्ति नहीं करा सकती। उसके अभाव में सफल जीवन जीने की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
(ग) प्रस्तुत गद्यांश में विफलता या असफलता को जीवन का सौंदर्य कहा गया है। वस्तुतः असफलता प्राप्त होने पर व्यक्ति और अधिक शक्ति से सफलता पाने का प्रयास करता है। लेखक ने संघर्ष को जीवन का काव्य कहा है। संघर्ष ही सफलता की ओर अग्रसर करता है।
(घ) वास्तविक सफलता पाने के लिए व्यक्ति का नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों में आस्था रखना आवश्यक है। धूर्त, कपटी और नीच लोग कई बार सफल प्रतीत होते हैं, परंतु उन्हें वास्तविक सफलता नहीं मिलती।
(ङ) संघर्ष को निश्चय ही जीवन का काव्य कहा जा सकता है। जिस प्रकार काव्य हमें प्रेरणा और आनंद प्रदान करता है, उसी प्रकार संघर्ष सफलता की सीढ़ी बन जाता है। संघर्ष ही हमें ध्येय प्राप्ति की ओर अग्रसर करता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
शहरी जीवन में समस्याएँ आए दिन पैदा होती रहती है जिनका शीघ्र समाधान न ढूंढा जाए तो समाज में असुरक्षा तथा अन्याय – अनाचार की भावना प्रबल होती जाएगी। अतः पारिवारिक अदालतों की स्थापना का निर्णय अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। इन अदालतों के सूझ-बूझ भरे फैसले किसी भी टूटते हुए परिवार की शांति को नया जीवन प्रदान कर सकते हैं। इन अदालतों के मामले मुकदमे तूल पकड़ने के पहले ही सुलझा दिए जाएँगे। आपसी विचार-विमर्श और समझौते का भाव प्रबल हो सकेगा तथा कानूनी दाँव-पेंचों की दुर्दशा से परिवारों की रक्षा हो सकेगी। न्यायालय के बढ़ते हुए ख़र्च से भी लोग राहत पा सकेंगे, साथ ही सरकारी न्यायालयों पर काम का बोझ कम हो सकेगा और आम जनता को समय पर न्याय मिल सकेगा।
पारिवारिक अदालतें विश्व के अनेक देशों में अच्छा काम कर रही हैं। ब्रिटेन, जापान, आस्ट्रेलिया आदि देशों में इन अदालतों ने समाज को काफी लाभ पहुँचाया है। भारत में अभी इनकी शुरुआत हुई है तथा इनकी सफलता के प्रति काफ़ी आशाएँ हैं। भारत में पारिवारिक अदालतों की नितांत आवश्यकता है, क्योंकि इस देश की बहुसंख्यक जनता
अशिक्षित, निर्धन तथा समस्याओं से ग्रस्त है।
(क) समाज में असुरक्षा, अन्याय, अनाचार के बढ़ने के क्या कारण हैं? [1]
(ख) पारिवारिक अदालतों की स्थापना का निर्णय अत्याधिक महत्त्वपूर्ण क्यों है? पारिवारिक अदालतों से कौन-सा भाव प्रबल हो सकेगा? [1]
(ग) ‘तूल पकड़ना’ मुहावरे का क्या अर्थ है ? [1]
(घ) कौन-सी अदालतें विश्व के अनेक देशों में अच्छा काम रही हैं? [1]
(ङ) भारत में पारिवारिक अदालतों की नितांत आवश्यकता क्यों है? [1]
(च) किन देशों में पारिवारिक अदालतों ने समाज को काफी लाभ पहुँचाया है? [1]
उत्तर:
(क) शहरी जीवन में आए दिन पैदा होने वाली समस्याएँ समाज में असुरक्षा, अन्याय तथा अनाचार के बढ़ने का कारण हैं।
(ख) पारिवारिक अदालतों की स्थापना का निर्णय अत्यधिक महत्त्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इन अदालतों के सूझ-बूझ भरे फैसले किसी भी टूटते हुए परिवार की शांति को नया जीवन प्रदान कर सकते हैं। पारिवारिक अदालतों से आपसी विचार-विमर्श और समझौते का भाव प्रबल हो सकेगा।
(ग) ‘तूल पकड़ना’ मुहावरे का अर्थ बात बढ़ जाना है।
(घ) पारिवारिक अदालतें विश्व के अनेक देशों में अच्छा काम रही हैं।
(ङ) भारत में पारिवारिक अदालतों की नितांत आवश्यकता इसलिए है क्योंकि इस देश की बहुसंख्यक जनता अशिक्षित, निर्धन तथा समस्याओं से ग्रस्त है।
(च) ब्रिटेन, जापान, आस्ट्रेलिया आदि देशों में पारिवारिक अदालतों ने समाज को काफी लाभ पहुँचाया है।
खण्ड-ख (व्यावहारिक व्याकरण )
प्रश्न 3.
निम्नलिखित रेखांकित पदबंधों के प्रकार बताइए ।[1 × 4 = 4]
(i) केशव मुड़ा और भीड़ की तरफ चल पड़ा।
(ii) सदैव जल से भरी रहने वाली नदी यहाँ बहती है।
(iii) दुष्यंत धीरे – धीरे चलकर वहाँ पहुँचा ।
(iv) बच्चा कहानी सुनते-सुनते सो गया होगा ।
उत्तर:
(i) भीड़ की तरफ – क्रिया विशेषण पदबंध
(ii) जल से भरी रहने वाली नदी – संज्ञा पदबंध
(iii) धीरे – धीरे चलकर – क्रिया विशेषण पदबंध
(iv) सो गया होगा – क्रिया पदबंध
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए : [1 × 3 = 3]
(i) ज्यों ही वह पहुँचा वर्षा होने लगी। ( सरल वाक्य में बदलिए)
(ii) जब उसने भाषण शुरू किया तो तालियों की गड़गड़ाहट से उसका स्वागत हुआ। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(iii) मैंने वहाँ एक हृष्ट-पुष्ट व्यक्ति देखा । (मिश्र वाक्य में बदलिए)
उत्तर:
(i) सरल वाक्य- उसके पहुँचते ही वर्षा होने लगी।
(ii) संयुक्त वाक्य – उसने भाषण शुरू किया और तालियों की गड़गड़ाहट से उसका स्वागत हुआ।
(iii) मिश्र वाक्य – मैंने वहाँ पर एक व्यक्ति देखा जो हृष्ट-पुष्ट था।
प्रश्न 5.
(क) निम्नलिखित का विग्रह करके समास का नाम लिखिए : [1 + 1 = 2]
ऋणमुक्त, चन्द्रखिलौना
(ख) निम्नलिखित का समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए : [1 + 1 = 2]
धन और दौलत, राष्ट्र की संपत्ति
उत्तर:
(क) ऋणमुक्त ऋण से मुक्त – तत्पुरुष समास ।
चन्द्रखिलौना – चन्द्र रूपी खिलौना – कर्मधारय समास ।
(ख) धन और दौलत – धन-दौलत – द्वन्द्व समास ।
राष्ट्र की सम्पत्ति – राष्ट्रीय सम्पत्ति तत्पुरुष समास।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों में निहित भाव के अनुसार उपयुक्त मुहावरे लिखिए: [1 × 2 = 2]
(क) राम जब गृहकार्य करके नहीं आया तब अध्यापक ने उसे आड़े हाथों लिया।
(ख) पैदल तीर्थ-यात्रा करना आसान नहीं है। दाँतों पसीना आ जाएगा।
उत्तर:
(क) आड़े हाथों लेना ( कठोरतापूर्ण व्यवहार करना)
(ख) दाँतों पसीना आना ( बहुत कठिनाई होना)
प्रश्न 7.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में इस प्रकार प्रयोग कीजिए कि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाए : [2]
छक्के छुड़ाना, आँखें खुल जाना
उत्तर:
(i) कारगिल के युद्ध में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए |
(ii) धर्मगुरु की काली करतूतों का पर्दाफाश होते ही उनके भक्तों की आँखें खुल गईं।
खण्ड – ग ( पाठ्यपुस्तक )
प्रश्न 8.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
अकसर हम या तो गुजरे हुए दिनों की खट्टी-मीठी यादों में उलझे रहते हैं या भविष्य के रंगीन सपने देखते रहते हैं। हम या तो भूतकाल में रहते हैं या भविष्यकाल में। असल में दोनों काल मिथ्या हैं। एक चला गया है, दूसरा आया नहीं है । हमारे सामने जो वर्तमान क्षण है, वहीं सत्य है। उसी में जीना चाहिए।
(क) गद्यांश में लेखक ने किन बातों में उलझे रहने की बात कही है?
(ख) आशय स्पष्ट कीजिए : ” असल में दोनों काल मिथ्या हैं “।
(ग) लेखक ने सत्य किसे कहा है और क्यों?
उत्तर:
(क) हम अपने अतीत की खट्टी-मीठी स्मृतियों अथवा भविष्य के रंगीन सपनों में उलझे रहते हैं।
(ख) लेखक के अनुसार भूतकाल और भविष्यकाल दोनों ही मिथ्या इसलिए हैं क्योंकि भूतकाल तो समाप्त हो चुका है । उसका अस्तित्व ही नहीं होता तथा भविष्य अभी आया नहीं है, इसके विषय में कुछ कहा नहीं जा सकता ।
(ग) लेखक के अनुसार हम या तो भूतकाल की यादों में रहते हैं या भविष्यकाल के सपनों में। इसलिए जो चला गया और जो आया नहीं, उसके लिए कोशिश करना व्यर्थ है। हमारे सामने जो वर्तमान क्षण है वही सत्य है क्योंकि हम उसी क्षण में जीते हैं और कर्म करते हैं। उसके दुख-सुख को हम अनुभव कर रहे है। इसलिए वर्तमान में ही जीना चाहिए।
अथवा
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा? [1]
(ख) ‘टी – सेरेमनी’ में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता है और क्यों? [2]
(ग) तताँरा गाँव में क्यों चर्चित था? कहानी के आधार पर लिखिए। [2]
उत्तर:
(क) लेखक की माँ के हाथों असावधानीवश कबूतर का एक अंडा टूट गया, जिसे वे अपनी गलती मान रही थीं। इस गलती का प्रायश्चित करने के लिए उन्होंने पूरे दिन का रोज़ा रखा।
(ख) ‘टी-सेरेमनी’ में एक समय में तीन व्यक्तियों को प्रवेश दिया जाता है। चाय पीने की इस विधि में शान्ति प्राप्त करना मुख्य बात होती है । अतः इसमें तीन से अधिक व्यक्तियों को एक समय में प्रवेश नहीं दिया जाता ।
(ग) तताँरा गाँव में बहुत चर्चित था। वह एक शक्तिशाली वीर नवयुवक था। वह दूसरों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहता था। वह समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना अपना कर्त्तव्य समझता था । तताँरा का व्यक्तित्व अत्यन्त आकर्षक था। उसके आत्मीय स्वभाव के कारण लोग उसके आस-पास रहना चाहते थे। लोगों में यह मान्यता थी कि उसकी तलवार में अद्भुत दैवी शक्ति थी ।
प्रश्न 9.
सवार ने कर्नल से कारतूस कैसे हासिल किए? [5]
उत्तर:
सवार बड़ा होशियार और जाँबाज़ था । उसने कैम्प में पहुँचकर कर्नल से मिलने का आग्रह किया। कर्नल ने उसको तुरंत मिलने का आदेश दिया, उसने कहा कि वह कर्नल से एकांत में बात करना चाहता है क्योंकि उसे कुछ गुप्त बात करनी है, कर्नल के कहने पर सभी बाहर चले गए। जब सवार कर्नल से अकेले में बात कर रहा था, तो उसने वज़ीर अली के बारे में पूछा। कर्नल ने उसे बताया कि वह उसी को पकड़ने के लिए खेमा डाले हुए हैं। वह उसे पकड़वाने में सवार की सहायता चाहते हैं। सवार ने वज़ीर अली को पकड़वाने की बात कहकर उससे दस कारतूस ले लिए और वहाँ से चला गया।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर लिखिए :
विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं
केवल इतना हो ( करुणामय)
कभी न विपदा में पाऊँ भय।
दुःख – ताप से व्यथित चित्त को न दो सांत्वना नहीं सही
पर इतना होवे ( करुणामय)
दुख को मैं कर सकूँ सदा जय ।
कोई कहीं सहायक न मिले
तो अपना बल पौरुष न हिले;
हानि उठानी पड़े जग॑त् में लाभ अगर वंचना रही
तो भी मन में ना मानूँ क्षय ।।
(क) कवि एवं कविता का नाम लिखिए । [1]
(ख) किस स्थिति में कवि अपनी हानि नहीं मानना चाहता ? [2]
(ग) विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं’ – पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है? [2]
उत्तर:
(क) कवि – रवीन्द्रनाथ ठाकुर;
कविता – आत्मत्राण
(ख) कवि दुख – ताप से व्यथित होने पर, किसी द्वारा सहायता न करने पर तथा संसार द्वारा धोखा दिए जाने की स्थिति में अपनी हानि नहीं मानता।
(ग) कवि कहता है कि वह प्रभु से विपदाओं में रक्षा करने की प्रार्थना नहीं करता बल्कि उन्हें सहन करने की शक्ति देने के लिए प्रार्थना करता है।
अथवा
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(क) ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में वर्णित प्रकृति में दृश्यों का वर्णन अपने शब्दों में लिखिए। [2]
(ख) ‘हरि आप हरो जन री पीर’ पद के आधार पर मीरा की लोक-कल्याण की भावना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। [2]
(ग) कबीर के अनुसार दुखी व्यक्ति कौन है? [1]
उत्तर:
(क) प्रकृति प्रेमी कविवर सुमित्रानंदन पंत ने पर्वत प्रदेश में वर्षा ऋतु का मनोहारी चित्रण किया है। वर्षा का जल नीचे एकत्र होता है तो मानो तालाब – सा भर उठता है तथा बादलों के ऊपर धुँआ उठता प्रतीत होता है। स्थान-स्थान पर वेगपूर्ण बहते झरने मनमोहक लगते हैं। वे पर्वत का गुणगान करते जान पड़ते हैं। बादल गरज- गरज कर बरसते हैं तथा बार-बार बिजली चमकती रहती है। पेड़ों की हरियाली, वर्षा से नहाए पेड़-पौधे स्वच्छ एवं आकर्षक लगते हैं। पानी की अधिकता से लगता है मानो आकाश टूटकर धरती पर ही गिर गया हो । चारों ओर जलमय सृष्टि देखने को मिलती है।
(ख) ‘हरि आप हरो जन री पीर’ पद में मीरा भगवान से प्रार्थना करती हैं कि वे अपने शरणागत भक्तों की संकटों से रक्षा करें। मीरा की भावना है कि प्रभु अपने भक्तों की व्यथा हर लें। वह कहती हैं, “हे प्रभु! तुमने द्रौपदी की लाज रखी, प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिंह रूप धारण किया। आपने गज की ग्राह से रक्षा की । हे प्रभु! आप अपने भक्तों की रक्षा करें। ”
(ग) कबीर के अनुसार दुखी वह व्यक्ति है जो भगवान के प्रेम में पड़ गया हो। जो दिन-रात ईश्वर से मिलने के लिए जागता और तड़पता हो ।
प्रश्न 11.
विरासत में मिली चीज़ों की बड़ी सँभाल क्यों होती है? कंपनी बाग में रखी तोप क्या सीख देती है? ‘तोप’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए । [5]
उत्तर:
‘तोप’ कविता हमें याद दिलाती है कि ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के इरादे से आई थी। भारत ने उसका स्वागत भी किया था, लेकिन व्यापार करते-करते वह हमारी शासक बन बैठी। उसने कुछ बाग बनवाए तो कुछ तोपें भी तैयार कीं। भले ही अंग्रेज़ों की तोपों ने इस देश को आज़ाद कराने का सपना साकार करने निकले जाँबाज़ों को मौत के घाट उतारा था पर एक दिन ऐसा भी आया जब हमारे पूर्वजों ने उनकी सत्ता को उखाड़ फेंका। उनके द्वारा निर्मित तोपों को निस्तेज कर दिया। भविष्य के लिए हमें सतर्क रहना चाहिए कि फिर कोई विदेशी हमारे देश में घुसपैठ करके हमारा शासक न बन बैठे। ‘तोप’ कविता प्रतीकात्मक कविता है। इसमें तोप, चिड़िया, बच्चे आदि प्रतीकों का प्रयोग किया गया है। किसी भी स्थिति का वर्णन करने के लिए उससे मिलते-जुलते प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है जो प्रकृति से संबंधित होते हैं। हमारे पूर्वजों की, उनके पूर्व अनुभवों की और पुरानी परंपराओं व संस्कारों की धरोहर नई पीढ़ी को मिलती है जिससे नई पीढ़ी उनके बारे में जान सकती है, उनके अनुभवों से कुछ सीख सकती है और उनकी बनाई श्रेष्ठ परंपराओं का पालन कर सकती है। इसीलिए इन्हें बचाकर रखना हमारा परम कर्त्तव्य है ।
प्रश्न 12.
जीवन मूल्यों के आधार पर इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला के संबंधों की समीक्षा कीजिए । [5]
उत्तर:
इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला में मित्रता थी। दोनों में धार्मिक आधार पर कोई मतभेद नहीं था। वे परस्पर निस्वार्थ प्रेम करते थे। टोपी शुक्ला को इफ़्फ़न की दादी से अधिक आत्मीयता थी क्योंकि दोनों की बोली एक ही थी । प्रेम, सद्भावना तथा स्वार्थहीनता आदि जीवन मूल्यों के कारण इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला का परस्पर गहरा सम्बन्ध था। टोपी शुक्ला को इफ़्फ़न के घर का वातावरण अपने घर के वातावरण की अपेक्षा अधिक सुखद प्रतीत होता था। जीवन मूल्यों की समानता के कारण ही दोनों में गहन मित्रता थी ।
खण्ड – घ ( लेखन)
प्रश्न 13.
दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 80-100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए: [5]
(क) विद्यालय की प्रार्थना सभा
• सभा का समय
• कार्यक्रम
• लाभ।
(ख) विश्व – पर्यावरण दिवस
• पर्यावरण का महत्त्व
• प्रदूषण बढ़ाने वाले तत्त्व
• पर्यावरण कैसे बचाएँ।
(ग) समय सबसे बड़ा धन है
• समय का महत्त्व
• बीता समय वापस नहीं आता
• सफलता का मंत्र ।
उत्तर:
(क) विद्यालय की प्रार्थना सभा
हमारे विद्यालय में नित्य सात बजकर तीस मिनट पर प्रार्थना सभा होती है। प्रार्थना सभा में सभी विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से उपस्थित होना पड़ता है। इस सभा में सभी विद्यार्थी मिलकर ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनका जीवन शक्ति और पवित्रता से युक्त हो । विद्यार्थियों का समवेत स्वर विद्यालय के प्रांगण में गूँजता है :
इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमज़ोर हो ना।
हम चलें नेक रस्ते पे, हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना।
प्रार्थना के पश्चात् हमारे प्रधानाचार्य लगभग दस मिनट हमारे जीवन के उपयोगी विचार प्रकट करते हैं। वे हमें सत्य, अहिंसा, प्रेम, त्याग, परिश्रम, आस्था, विश्वास आदि के विषय में बताते हैं तथा हमें उन्नति की राह पर अग्रसर होने के लिए प्रेरणा देते हैं। प्रार्थना सभा में सम्मिलित होकर हमें बहुत शान्ति मिलती है तथा इसके पश्चात् हम मन लगाकर अध्ययन में व्यस्त हो जाते हैं।
(ख) विश्व – पर्यावरण दिवस
विश्व – पर्यावरण दिवस के दिन सभी देशों में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए विचार गोष्ठियाँ आयोजित की जाती हैं। इस दिन लोगों के मन में पर्यावरण की सुरक्षा की भावना में वृद्धि होती है। वस्तुतः पर्यावरण दिवस के अतिरिक्त हमें सदैव ही पर्यावरण के प्रति जागरूक रहना होगा। पर्यावरण के बढ़ते संकट को देखकर लगता है कि आने वाले कुछ वर्षों में मानव जाति भीषण संकट में फँस जायेगी। वैज्ञानिकों की मान्यता है कि प्रदूषण की वृद्धि से आने वाले पचास वर्ष के पश्चात् मानव जाति बहुत सिमट जायेगी । वस्तुत: पर्यावरण की चिन्ता न करते हुए सभी देशों में अन्धाधुन्ध विकास हो रहा है। यह विकास एक दिन महाविनाश में बदल जायेगा । दिल्ली महानगर में वाहनों की संख्या 75 लाख से भी अधिक हो चुकी है जिसके कारण हवा साँस लेने योग्य नहीं रही। दिल्ली विश्व का सर्वाधिक प्रदूषित शहर बन गया है। हमें पर्यावरण को शुद्ध बनाने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे। प्रशासन के अतिरिक्त नागरिकों को भी इस ओर पर्याप्त ध्यान देना चाहिए ।
(ग) समय सबसे बड़ा धन है
इसमें सन्देह नहीं कि जीवन में समय सर्वाधिक मूल्यवान है। जो समय नष्ट करता है, समय उसे नष्ट कर देता है । जो व्यक्ति समय के महत्त्व को समझता है तथा प्रत्येक कार्य समय पर करता है, उसे जीवन में निश्चय ही सफलता मिलती है। उचित समय बीत जाने के बाद यदि कार्य किया जाता है तो वह फलदायी नहीं होता । वस्तुतः बीता हुआ समय वापस नहीं आता । सन्त तुलसीदास जी ने भी कहा है- ‘समय चूकि पुनि का पछिताने । उनके कथन का आशय है कि यदि हम समय पर कार्य नहीं करते तो फिर पश्चाताप करने से कोई लाभ नहीं होता। जीवन में सफलता प्राप्त करने वाले व्यक्ति समय के महत्त्व को समझते हैं तथा समय को अमूल्य धन समझते हुए समयानुसार कार्य करते हैं।
प्रश्न 14.
यात्रा करते समय मेट्रो में छूट गए अपने बैग और मोबाइल को मेट्रो कर्मचारी द्वारा आपको वापस भेज दिए जाने पर उसकी ईमानदारी की प्रशंसा करते हुए प्रबंधक को एक पत्र लिखिए। [5]
उत्तर:
सेवा में
प्रबंधक दिल्ली मेट्रो
दिनांक : 10 अक्टूबर, 20xx
महोदय,
पाँच दिन पूर्व मैं मेट्रो में कश्मीरी गेट से दिलशाद गार्डन जा रहा था । यात्रा करते समय मेरा बैग तथा मोबाइल मेट्रो में ही रह गए। मेरे बैग में मेरा पहचान पत्र, आधार कार्ड तथा अन्य महत्त्वपूर्ण प्रपत्र थे। मैंने मैट्रो स्टेशन पर स्थित मैट्रो के खोया-पाया विभाग में इस बात की सूचना दे दी थी।
मैं तो अपने सामान को पाने की उम्मीद खो चुका था। परन्तु आज पाँच दिन बाद जब मुझे मेरा बैग तथा मोबाइल कोरियर द्वारा मिले तो मेरी खुशी की कोई सीमा नहीं थी। ये कोरियर मुझे आपके कश्मीरी गेट स्टेशन पर तैनात प्रीतम सिंह नामक सफ़ाई कर्मचारी ने भेजा है।
मेट्रो कर्मचारी के इस प्रशंसनीय कार्य के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद देता हूँ तथा इस कर्त्तव्यनिष्ठ कर्मचारी का भी हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।
भवदीय
आलोक नरूला
5- बी, ऋषि अपार्टमेन्ट
राजपुर रोड, दिल्ली-110054
अथवा
विद्यालय में खेल की उपयुक्त सामग्री की कमी की ओर ध्यान दिलाते हुए समुचित व्यवस्था करवाने के लिए प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए ।
उत्तर:
खेल की सामग्री की कमी की ओर ध्यान दिलाते हुए प्रधानाचार्य को पत्र :
प्रधानाचार्य महोदय
श्री गुरु गोबिन्द मॉडल स्कूल
दिल्ली
विषय – खेल – कूद के सामान की व्यवस्था हेतु पत्र ।
श्रीमानजी,
सविनय निवेदन है कि मैं विद्यालय की खेल – कूद समिति का छात्र प्रतिनिधि हूँ। मैं आपका ध्यान खेल-कूद के सामान की कमी की ओर दिलाना चाहता हूँ। पिछले वर्ष हमारी टेबल टेनिस की टेबल खराब हो गई थी, बास्केटबॉल के बास्केट टूट गए थे तथा इस वर्ष क्रिकेट के पैड फट गए हैं और बल्ले भी खेलने योग्य नहीं रहे। यह सभी सामग्री अब नई खरीदने की आवश्यकता है।
आपसे निवेदन है कि उपर्युक्त सामग्री यथाशीघ्र मँगवाने की कृपा करें ताकि समय से खेलों का अभ्यास आरंभ
हो सके ।
धन्यवाद ।
आपका आज्ञाकारी छात्र
क० ख०ग०
दसवीं ब
दिनांक : ….
प्रश्न 15.
विद्यालय के वार्षिकोत्सव की सूचना साहित्यिक क्लब की ‘प्राचीर’ पत्रिका के लिए लगभग 20-30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
वार्षिकोत्सव सम्बन्धी सूचना
हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव 15 फरवरी, 2017 को मनाया जायेगा । वार्षिकोत्सव के मुख्य अतिथि के रूप में माननीय मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल जी को आमंत्रित किया जायेगा। इस कार्यक्रम में नाटक, सामूहिक गान तथा एकल नृत्य एवं सामूहिक नृत्य आदि कार्यक्रम प्रस्तुत किए जायेंगे ।
प्रश्न 16.
‘कर भला तो हो भला’ विषय पर लघुकथा लिखिए। [5]
उत्तर:
कर भला तो हो भला
किसी जंगल में एक घना पीपल का पेड़ था । उस पेड़ पर मधुमक्खियों का एक बड़ा-सा छत्ता था । उसी पेड़ पर एक कबूतर का घोंसला भी था। एक दिन की बात है, कबूतर आराम से अपने घोंसले में आराम कर रहा था। अचानक उसने देखा कि मधुमक्खियों की रानी नदी में गिर गई है। कबूतर जल्दी से उड़कर एक पीपल का पता अपनी चोंच में दबाकर ले आया । वह रानी मधुमक्खी के ऊपर उड़ता हुआ गया और वह पत्ता नदी में रानी मधुमक्खी के आगे गिरा दिया। मधुमक्खी उस पत्ते पर चढ़ गई। वह अभी मरी नहीं थी। कबूतर ने फटाफट पत्ते को चोंच से पकड़कर नदी से बाहर निकाल लिया। थोड़ी देर में रानी मधुमक्खी ठीक होकर अपने छत्ते में चली गई। एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। उसने पीपल के पेड़ पर बैठे कबूतर को देखा। उसने कबूतर पर निशाना लगाना चाहा। छत्ते पर बैठी रानी मधुमक्खी ने यह देख लिया। उसने कबूतर को भी पहचान लिया कि यही वह कबूतर है जिसने उसके प्राण बचाए थे। रानी मधुमक्खी ने सब मधुमक्खियों को इशारा किया। अभी शिकारी तीर भी नहीं छोड़ पाया था कि सारी मधुमक्खियाँ उस पर झपट पड़ीं और शिकारी का निशाना चूक गया। शिकारी मधुमक्खियों को देखकर भाग खड़ा हुआ। इस प्रकार कबूतर की जान बच गई।
प्रश्न 17.
अपने पुराने घरेलू फर्नीचर को बेचने के लिए एक विज्ञापन 25-50 शब्दों में तैयार कीजिए | [5]
उत्तर:
मैं पुराना घरेलू फर्नीचर बेचने का इच्छुक हूँ।
फर्नीचर अच्छी स्थिति में है।
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