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CBSE Class 10 Hindi A Question Paper 2022 (Term-II) with Solutions
निर्धारित समय : 2 घंटे
अधिकतम अंक : 40
सामान्य निर्देश :
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका अनुपालन कीजिए
- इस प्रश्न-पत्र में कुल 7 प्रश्न हैं।
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड हैं- खंड-क और खंड-ख। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार लिखिए।
- लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए ।
- खंड-क में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
- खंड – ख में कुल 4 प्रश्न हैं। सभी प्रश्नों के साथ विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
खण्ड – क ( पाठ्य-पुस्तक और पूरक पाठ्य-पुस्तक)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए : (2 × 4 = 8)
(क) बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी ? [2]
(ख) भगतजी ने बेटे की मृत्यु के बाद क्या किया? [2]
( ग ) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में लेखक ने नवाब साहब की किस प्रकार की सनक का परिचय दिया है?
ऐसी सनक के क्या-क्या परिणाम हो सकते हैं? उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए । [2]
(घ) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर बताइए कि नवाब साहब को खीरे खाने की तैयारी करते देख लेखक ने क्या सोचा? उसके मन में कौन-सी इच्छा जगी और नवाब साहब के पूछने पर उसने खाने से क्यों मना कर दिया ? [2]
उत्तर:
(क) बालगोबिन भगत सुबह बहुत जल्दी उठ जाते थे। वे गाँव से दो मील दूर नदी में स्नान के लिए जाते थे। नित्यकर्म से निवृत्त होकर वह गाँव से बाहर पोखरे के ऊँचे भिंडे पर बैठ कर खँजड़ी बजा-बजा कर भजन-कीर्तन करते थे। वे दिन-भर खेतों में काम करते तथा संध्या को अपने घर के आँगन में फिर से खँजड़ी लेकर भजन गाने बैठ जाते थे। उनकी इस दिनचर्या को देखकर लोगों को काफी अचरज होता था ।
(ख) बेटे की मृत्यु पर भगत जी ने कहा कि आत्मा परमात्मा के पास चली गई है। विरहणी का अपने प्रियतम से मिलन हो गया, इससे अधिक आनंद की बात और क्या हो सकती है । इसीलिए भगत जी उस समय भी तल्लीनता से भजन गा रहे थे तथा बीच-बीच में अपनी पतोहू से भी रोने के बदले उत्सव मनाने को कह रहे थे।
(ग) खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक ही कहा जा सकता है।
हाँ, सनक का सकारात्मक रूप भी हो सकता है। सनक ही किसी काम को अनथक परिश्रम द्वारा पूरा करवा सकती है। इससे आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
उदाहरण :
• देश – रक्षा में अपने प्राण वे व्यक्ति ही गँवाते हैं जिन्हें देशभक्ति की सनक होती है।
• महात्मा गाँधी, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह तथा चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे देशभक्तों की सनक के कारण ही भारत अंग्रेज़ों की दासता से मुक्त हो सका ।
प्रायः सकारात्मक सनकें समाज और देश में अच्छे परिवर्तन ही लाती हैं।
(घ) नवाब साहब को खीरे खाने की तैयारी करते देख लेखक ने सोचा कि वैसे तो मियाँ रईस बनते हैं परंतु खीरे जैसे मामूली चीज़ को खाने के लिए सैकंड क्लास के बैठ गए। लोगों की नज़रों से बच सकने के खयाल से वह अपनी असलियत पर उतर आए हैं। लेखक के मन में खीरा खाने की इच्छा जगी, लेकिन चूंकि वह एक बार नवाब साहब द्वारा खीरा पेश करने के बाद मना कर चुका था इसलिए आत्मसम्मान के कारण उन्होंने दोबारा भी मना कर दिया।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए : (2 × 3 = 6)
(क) इस सत्र में पढ़ी गई किस कविता में कवि ने बादलों के विविध रूपों का चित्रण किया है? उनका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए । [2]
(ख) गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है? [2]
(ग) संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है? [2]
(घ) प्रकृति के सौदर्य का जो चित्र ‘अट नहीं रही है’ कविता, उपस्थित करती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए | [2]
उत्तर:
( क ) इस सत्र में पढ़ी गई ‘उत्साह’ कविता में कवि ने बादलों के विविध रूपों का चित्रण किया है। बादल बरसने के साथ-साथ गरजता भी है, जो क्रांति का सूचक है। उसी प्रकार बादलों का बरसना प्यासे लोगों के तृप्ति का सूचक भी है।
(ख) गोपियों ने उद्धव से कहा है कि वे योग की शिक्षा ऐसे लोगों को दें जिनके मन स्थिर नहीं हैं। जिनके हृदयों में श्रीकृष्ण के प्रति सच्चा प्रेम नहीं है। जिनके मन में भटकाव है, दुविधा है और भ्रम है।
(ग) संगतकार के माध्यम से कवि उन व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है जो सफल एवं प्रसिद्ध व्यक्तियों को सफलता तथा प्रसिद्धि पाने में सहयोग देते हैं। इनके महत्त्व एवं योगदान को कभी आंका नहीं जाता। इनकी भूमिका रचनात्मक होती है। ये लोग अपने आदर्श व्यक्ति की छवि को निखारने का काम करते हैं, मुसीबत में उनका साथ देते हैं तथा ढाँढ़स भी बँधाते हैं।
(घ) ‘अट नहीं रही है’ कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन अनेक रूपों में किया है। प्रकृति की शोभा सर्वत्र व्याप्त है। उसका प्रभाव सभी जगह देखा जा सकता है। पतझड़ ऋतु के आते ही सभी पेड़-पौधे अपने पुराने पत्ते झाड़ देते हैं। ऋतुराज बसंत उन्हें फल-फूलों से लाद देता है। फागुन के आते ही वे अपने भरपूर यौवन में उन्मत्त दिखने लगते हैं तब प्रकृति का सौंदर्य व सौरभ घर – घर के हर मन को अपनी सुगंध से भर देता है और चारों ओर प्रकृति का साम्राज्य दिखाई देता है, अर्थात् सर्वत्र उल्लास और उत्साह का वातावरण बन जाता है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए। (3 × 2 = 6 )
(क) “ वात्सल्य और ममता की आधार – भूमि एक रहने पर भी माता-पिता और बच्चों के संबंधों में तब से अब तक बहुत परिवर्तन हुए हैं। ” ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर इसे सोदाहरण स्पष्ट कीजिए । [2]
(ख) ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर बताइए कि पहाड़ के सौंदर्य पर मंत्रमुग्ध लेखिका पहाड़ों पर किस दृश्य को देख क्षुब्ध और परेशान हो उठती है? क्या आपने भ्रमण या पर्यटन के दौरान ऐसे दृश्य देखे हैं? ऐसे दृश्यों और अपने मन पर पड़े उनके प्रभाव को अपने शब्दों में लिखिए। [2]
( ग ) ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर बताइए कि हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह से हो रहा है? आप इसे रोकने के लिए क्या-क्या कर सकते हैं? [2]
उत्तर:
(क) ‘माता का अँचल’ का कथानक ग्रामीण परिवेश पर आधारित है। बच्चे गाँव में रहते हैं तथा काठ के घोड़े अथवा मिट्टी के खिलौनों से खेलते हैं। वे कभी खेती करने का नाटक करते हैं तो कभी धूल-मिट्टी में खेलकर अपना मन बहलाते हैं। वे सर्दी-गर्मी की भी परवाह नहीं करते। हमारा बचपन शहरी परिवेश में बीता है। हम लोग घर से बाहर धूल-मिट्टी तथा गर्मी में खेलने की अपेक्षा घर में बैठकर टी०वी० पर कार्टून देखना अथवा कम्प्यूटर पर अपना मनपसंद खेल खेलना अधिक पसंद करते हैं। हम लोग इलैक्ट्रॉनिक खिलौनों से खेलते हैं। काठ के घोड़ों अथवा मिट्टी के खिलौनों की अपेक्षा बैटरी से चलने वाली कारों को अधिक पसंद करते हैं। हम लोग महँगे ब्राँडेड कपड़े पहनते हैं तथा अपनी छुट्टियाँ बिताने किसी दूसरी जगह जाना पसंद करते हैं। इस प्रकार हमारे बचपन की दुनिया इस पाठ में दर्शायी गई बच्चों की दुनिया से पूर्णत: भिन्न है।
(ख) लेखिका प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में भाव-विभोर हो रही थी। अचानक उसकी दृष्टि पत्थर तोड़ती हुई पहाड़ी औरतों पर पड़ी। उन औरतों का शरीर तो कोमल प्रतीत हो रहा था परंतु उनके हाथों में कुदाल और हथौड़े जैसी भारी वस्तुएँ थीं। कई स्त्रियों की पीठ पर बँधी टोकरियों में उनके छोटे-छोटे बच्चे बँधे हुए थे। यह सब होते हुए भी वह भरपूर ताकत से कुदाल को ज़मीन पर मार रही थीं। यह दृश्य ही लेखिका की चेतना को झकझोरने के लिए पर्याप्त था। पहाड़ों, वादियों और झरनों के अद्भुत सौन्दर्य के बीच भूख, मौत, दीनता और जीवित रहने के लिए इतना कठिन संघर्ष करती उन स्त्रियों की मार्मिक दशा को देखकर लेखिका का मन उस मनोहारी प्राकृतिक सौंदर्य के बीच रहते हुए भी उदास हो गया।
अपने भ्रमण के दौरान मैंने भी इस तरह के कई मार्मिक दृश्य देखे हैं। शिमला यात्रा के दौरान मैंने कई पर्यटन स्थलों पर छोटे-छोटे बच्चों को खिलौने बेचते हुए देखा। पूछने पर यह पता चला कि वे स्कूल ना जाकर खिलौने बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट भरते हैं। यह देखकर मेरा मन क्षुब्ध हो गया कि जिस उम्र में बच्चों को स्कूल में होना चाहिए, उस उम्र में वह भूख मिटाने के लिए काम करने पर विवश थे।
(ग) ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ में लेखक ने हिरोशिमा की घटना का उल्लेख कर विज्ञान के भयानकतम दुरुपयोग की ओर ध्यान आकृष्ट किया है। विज्ञान का दुरुपयोग जीवन के हर क्षेत्र में हो रहा है। शक्तिशाली देश बम विस्फोट कर छोटे-छोटे तथा विकासशील देशों पर कब्ज़ा कर लेते हैं। आतंकवादी संगठन वैज्ञानिक अस्त्रों-शस्त्रों का प्रयोग कर अपनी हर बात मनवा लेते हैं। खेतों में कीटनाशक और ज़हरीले रासायनिक द्रव्य छिड़के जाते हैं। कीटनाशकों तथा रासायनिक खादों के परिणामस्वरूप जल, स्थल तथा वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है। विज्ञान के उपकरणों के अंधाधुंध प्रयोग करने से पृथ्वी का वातावरण गर्म होता जा रहा है अर्थात् ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। जिसके कारण अत्यधिक बर्फ पिघलने से बाढ़ का खतरा भी बढ़ जाता है। इन सबके कारण मौसम का चक्र भी प्रभावित हो रहा है और प्राकृतिक आपदाएँ भयंकर रूप ले रही हैं। सुरक्षित भविष्य को ध्यान में रखे बिना प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है।
मैं एक ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते विज्ञान के दुरुपयोग को रोकने के लिए निम्न उपाय करूंगा :
(i) वैज्ञानिक उपकरणों का प्रयोग सावधानी से करूँगा ।
(ii) प्रदूषण फैलाने वाली वस्तुओं का प्रयोग नहीं करूँगा अथवा कम से कम करूँगा ।
(iii) आस-पास के वातावरण को साफ-सुथरा तथा प्रदूषण रहित रखने की कोशिश करूँगा ।
खण्ड – ख ( रचनात्मक लेखन )
प्रश्न 4.
दिए गए विषयों में से किसी एक पर संकेत- बिंदुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए : (1 × 5 = 5)
(क) कोरोना काल के सहयात्री
• कोरोना महामारी का आरंभ और प्रसार
• गत् दो वर्षों में जीवन का स्वरूप
• जीवन-यात्रा में साथ देने वाले व्यक्ति और वस्तुएँ
(ख) पॉलीथिन थैलियों पर अनिवार्य प्रतिबंध
• पॉलीथिन थैलियों का प्रचलन, प्रसार
• प्रतिबंध की आवश्यकता
• सरकार और आदमी के सहयोग
(ग) कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का दौर
• कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्या है? कैसे काम करती है ?
• वर्तमान में इनका प्रचार-प्रसार अधिक कैसे हुआ ?
• इसके लाभ और खतरे, हमारे जीवन पर प्रभाव
उत्तर:
( क ) कोरोना काल के सहयात्री
दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में कोरोना नामक एक नए वायरस ने कहर बरपाना शुरू कर दिया। कोरोना वायरस से जो बीमारी हुई उसको विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-19 का नाम दिया। देखते ही देखते वहाँ से यह बीमारी विश्व के अधिकांश देशों में फैल गई। प्रतिदिन हज़ारों की संख्या में लोग मरने लगे। इसकी भयावहता को देखते हुए 11 मार्च, 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित कर दिया। इससे बचने के लिए अधिकांश देशों ने अपने यहाँ संपूर्ण लॉकडाउन घोषित कर दिया और लगभग सारी दुनिया अपने घरों में कैद होकर रह गई। इस प्रकार विकसित देशों की अर्थव्यवस्था भी इस बीमारी के चलते बुरी तरह प्रभावित हुई।
पिछले दो वर्षों में मानव जीवन का स्वरूप बिलकुल ही बदल गया था। भारत में कभी संपूर्ण लॉकडाउन हुआ तो कभी आंशिक लॉकडाउन इनसे हमारा जीवन प्रभावित रहा। आवागमन के साधन बंद पड़े थे। कुछ आवश्यक सेवाओं, जैसे अस्पताल, संचार, जलापूर्ति, बिजली वितरण आदि को छोड़कर सरकारी तथा प्राइवेट दफ्तरों में काम करने वाले लोग घर से ही काम कर रहे थे। सबसे बुरा हाल तो स्कूल और कॉलेजों का रहा। सभी स्कूल / कॉलेज ऑनलाइन संचालित हो रहे थे और बच्चे घरों में कैद होकर ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई कर रहे थे।
इस महामारी के काल में परिवार के सभी सदस्य ही एक दूसरे के संबल बने रहे। खाने-पीने की वस्तुएँ बेचने वाले स्थानीय दुकानदार, सब्जी विक्रेता, ऑनलाइन सेवाएँ आदि सभी जैसे निकटतम सहयोगी लगने लगे थे। स्थानीय कैमिस्ट तथा डॉक्टर्स भी इस यात्रा में सहयात्री सिद्ध हुए । मास्क, सैनेटाइज़र, आवश्यक दवाइयाँ, खाद्य वस्तुएँ आदि जीवन यात्रा में साथ देने वाली वस्तुएँ थीं। इन वस्तुओं को उपलब्ध करवाने वाले सभी सहयात्रियों ने एक-दूसरे का भरपुर साथ दिया। ज़रूरत पड़ने पर लोगों ने अपने-अपने घरों से निकलकर एक-दूसरे को सहयोग किया और ज़रूरतमंदों को दवाइयाँ और खाना पहुँचाया। अस्पताल में ऑक्सीजन आपूर्ति से लेकर कोविड से मरने वाले शवों का अंतिम संस्कर करने तक, आम लोग सहयात्रियों के रूप में अपनी भूमिका निभाते नज़र आए। इस प्रकार कोरोना काल में न केवल डॉक्टर अपितु आम लोग भी एक-दूसरे के सहयात्री बने ।
(ख) पॉलीथिन थैलियों पर अनिवार्य प्रतिबंध
वज़न में हल्के होने और आसानी से उपयोग आने के कारण पॉलीथिन थैलियाँ लोगों के बीच प्रचलित है। इसके अलावा सामान लेते समय हमें इन्हें खरीदना भी नहीं पड़ता क्योंकि सस्ती होने के कारण सामान खरीदते समय दुकानदार इसमें सामान डालकर इसे मुफ्त में दे देता है। इन्हीं सब कारणों से पॉलीथिन थैलियों का प्रचलन और प्रसार काफी बढ़ा है। एक ओर जहाँ यह अत्यंत सुविधाजनक है वहीं दूसरी ओर पॉलीथिन बैग पर्यावरण प्रदूषणों के प्रमुख कारणों में से एक है। यह एक गैर जैव – निम्नीकरणीय पदार्थ है, इसलिए यह पर्यावरण में सैकड़ों वर्षों तक बना रहता है और लगातार प्रदूषण फैलाता है। इससे पहले कि यह हमारे पर्यावरण को पूरी तरह से नष्ट कर दे पॉलीथिन थैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है।
भारत सरकार कई राज्यों में इसके उपयोग को प्रतिबंधित कर चुकी है, फिर भी इसका उपयोग पूरी तरह से बंद नहीं हो पाया है। आम आदमी को इस संदर्भ में अपनी ज़िम्मेदारी का वहन करते हुए इसके उपयोग को बंद करने के साथ दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना होगा। पर्यावरण की सुरक्षा हम सभी की जिम्मेदारी है।
(ग) कृत्रिम बुद्धिमत्ता
कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंप्यूटर विज्ञान में हो रही प्रगति में से एक है। यह मशीनों की बुद्धिमत्ता है। आमतौर, पर हम इंसानों की बुद्धिमत्ता को ही समझते है लेकिन जब इसी को मशीन द्वारा दर्शाया जाता है तो उसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहते हैं। एक मशीन में मानव जैसी सोच और विश्लेषण, समस्या को सुलझाने क्षमता आदि स्थापित कर दिया जाता है। जिस प्रकार मानवीय बुद्धिमत्ता कुछ संसाधित निर्देशों के माध्यम से जुड़ी हुई है उसी प्रकार मशीनों के निर्देश के रूप में कई संसाधित कमांड होती हैं जिनको प्रयोग कर मशीनों से मनचाहे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। वर्तमान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संसाधित मशीनों का हमारे जीवन में काफी महत्व है। एयरकंडीशनर, कंप्यूटर, मोबाइल, बायो सेंसर, एलैक्सा. आदि सभी कृत्रिम बुद्धिमत्ता से युक्त हमारे दैनिक उपयोग के संसाधन हैं। ये हमारे काम को सरल बनाते हैं।
हर तकनीक के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव होते हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के भी दोनों ही प्रभाव हैं। विभिन्न उद्योगों और अनुसंधानों में इसका काफी महत्व होता है लेकिन गलत तरीके से इस्तेमाल किए जाने पर यही कृत्रिम बुद्धिमत्ता अभिशाप भी सिद्ध हो सकती है और मानव जाति के लिए खतरा भी ।
प्रश्न 5.
(क) आपका नाम सना / सोहम है और आपने बीते दो वर्षों में ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ाई की है। अपने मित्र को इस अनुभव की अच्छाइयों और सीमाओं से अवगत कराते हुए लगभग 120 शब्दों में एक पत्र लिखिए। [5]
अथवा
(ख) आप जयपुर में रहने वाले चंद्रप्रकाश / चाँदनी हैं और हाल में ही आपने नया घर बनवाया है। उसके लिए बिजली का कनेक्शन लेने के लिए बिजली विभाग के अधिकारी को एक प्रार्थना पत्र लगभग 120 शब्दों में लिखिए । [5]
उत्तर:
( क ) ऑनलाइन कक्षा की अच्छाइयों और सीमाओं से अवगत करवाते हुए मित्र को पत्र :
16 / 14, विवेक सराय
दिनांक : 10 जून, 20xx
प्रिय मित्र करण
मधुर स्नेह !
मैं यहाँ सकुशल हूँ। आशा है कि तुम भी सपरिवार कुशल होगे। दो वर्ष के लॉकडाउन के बाद अब विद्यालय में नियमित कक्षाएँ होने लगी हैं। पिछले दो वर्षों में तो हमने ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से ही पढ़ाई की है। मित्र ! ऑनलाइन शिक्षा बहुत सुविधाजनक है इसमें विद्यार्थी कहीं भी बैठकर पढ़ाई कर सकता है। इस शिक्षा पद्धति में नोट्स लिखने की ज़रूरत नहीं पड़ती है क्योंकि सब कुछ तो मोबाइल में ही रहता है।
इस सबके बावजूद ऑनलाइन कक्षाओं की कुछ सीमाएँ हैं। इसमें शिक्षक और बच्चों का सांमजस्य नहीं हो पाता है। इस प्रकार की पढ़ाई में क्लासरूम जैसा माहौल भी नहीं मिल पाता है। पत्र के
उत्तर में तुम भी अपनी पढ़ाई के बारे में बताना । अंकल-आंटी को मेरा चरण स्पर्श कहना । तुम्हारी / तुम्हारा मित्र
सना / सोहम
अथवा
(ख) बिजली का नया कनैक्शन लेने के लिए बिजली विभाग के अधिकारी को प्रार्थना पत्र :
मकान नं० 230, गली नं 10
बेगमपुर, जयपुर
दिनांक : 8 जून, 20xx
सेवा में
मुख्य अभियंता
बिजली विभाग
हजरतगंज, जयपुर |
विषय : बिजली का नया कनैक्शन लेने हेतु प्रार्थना पत्र |
मान्यवर
सविनय निवेदन यह है कि मेरा नाम चाँदनी है और मैं मकान नंबर 230, गली नंबर 10 बेगमपुर, जयपुर में रहती हूँ। पिछले दिनों मैंने अपना नया घर बनवाया है जो 120/34, हजरतगंज रोड पर स्थित है। मुझे अपने नए घर में बिजली का एक नया कनैक्शन लगवाना है। मैंने नए कनैक्शन के लिए नियत राशि तथा आवश्यक दस्तावेजैं पहले ही बिजली विभाग में जमा कर दिए थे। परंतु अभी तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है।
अतः आपसे करबद्ध अनुरोध है कि मेरे नए घर में शीघ्रातिशीघ्र बिजली का कनैक्शन दिया जाए ताकि मैं अपने नए घर में जल्दी से शिफ्ट कर सकूँ। पत्र के साथ मैंने मेरे द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों की फोटोकॉपी भी संलग्न कर दी है।
भवदीया
चाँदनी
प्रश्न 6.
(क) (a) आपके बड़े भाई ने बेकरी की एक दुकान खोली है। उसके लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए । (21/2)
अथवा
(b) आपकी बहन का एक थिएटर समूह है। वे इस शहर में अपने नए नाटक का मंचन करने जा रही हैं। उसके प्रचार-प्रसार के लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए । (2 1/2)
(ख) (a) मुख्य चुनाव आयुक्त की ओर से 50 शब्दों का एक विज्ञापन तैयार कीजिए जिसका विषय है – ” मतदान : प्रत्येक नागरिक का अधिकार और कर्त्तव्य” । (2 1/2)
अथवा
(b) आपकी सोसायटी के पास ठेले लगाने वाले व्यक्ति का 10 वर्षीय बच्चा गुम हो गया है। उसके लिए अखबार में ‘खोया-पाया’ कॉलम के अंतर्गत एक विज्ञापन 50 शब्दों में तैयार कीजिए । (2 1/2)
उत्तर:
प्रश्न 7.
(क) (a) आपके मित्र ने नीट की परीक्षा में राज्य में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। उसे बधाई देते हुए लगभग 40 शब्दों में एक संदेश लिखिए। (2 1/2)
अथवा
(b) चेन्नई निवासी अपने मित्र को पोंगल के अवसर पर लगभग 40 शब्दों में एक बधाई संदेश लिखिए। (2 1/2)
(ख) (a) विदेश में रहने वाले अपने चाचा-चाची को नववर्ष की शुभकामना का संदेश लगभग 40 शब्दों में दीजिए । (2 1/2)
अथवा
(b) अपनी कक्षा के प्रतिनिधि के रूप में सभी सहपाठियों को आगामी बोर्ड की परीक्षा के लिए शुभकामना का संदेश लगभग 40 शब्दों में दीजिए । (2 1/2)
उत्तर: