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CBSE Class 10 Hindi A Question Paper 2019 (Series – JMS – 1) with Solutions
निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खण्ड ‘क’
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [8]
आजकल दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिक देखने का प्रचलन बढ़ गया है । बाल्यावस्था में यह शौक हानिकारक है । दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले धारावाहिक निम्न स्तर के होते हैं। उनमें अश्लीलता, अनास्था, फैशन तथा नैतिक बुराइयाँ ही अधिक देखने को मिलती हैं। छोटे बालक मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होते। इस उम्र में वे जो भी देखते हैं उसका प्रभाव उनके दिमाग पर अंकित हो जाता है। बुरी आदतों को वे शीघ्र ही अपना लेते हैं। समाजशास्त्रियों के एक वर्ग का मानना है कि समाज में चारों ओर फैली बुराइयों का एक बड़ा कारण दूरदर्शन तथा चलचित्र भी है। दूरदर्शन से आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता, अकेलापन आदि दोष बढ़े हैं। बिना समय की पाबंदी के घंटों दूरदर्शन के साथ चिपके रहना बिलकुल गलत है। इससे मानसिक विकास रुक जाता है, नज़र कमज़ोर हो सकती है और तनाव बढ़ सकता है।
(क) आजकल दूरदर्शन के धारावाहिकों का स्तर कैसा है? [2]
(ख) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव किन पर अधिक पड़ता है और क्यों? [2]
(ग) दूरदर्शन के क्या-क्या दुष्प्रभाव हैं? [2]
(घ) ‘बाल्यावस्था’ शब्द का संधि-विच्छेद कीजिए । [1]
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए। [1]
उत्तर:
(क) आजकल दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले धारावाहिक निम्न स्तर के हैं। उनमें अश्लीलता, अनास्था, फैशन तथा नैतिक बुराइयाँ ही अधिक देखने को मिलती हैं।
(ख) दूरदर्शन का प्रभाव छोटे बच्चों पर अधिक पड़ता है क्योंकि छोटे बालक मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होते। इस उम्र में वे जो भी देखते हैं उसका प्रभाव उनके दिमाग पर अंकित हो जाता है। बुरी आदतों को वे शीघ्र ही अपना लेते हैं।
(ग) दूरदर्शन से आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता, अकेलापन आदि दोष बढ़े हैं। इससे मानसिक विकास रुक जाता है, नज़र कमज़ोर हो सकती है और तनाव बढ़ सकता है।
(घ) ‘बाल्यावस्था’ का संधि-विच्छेद – बाल्य + अवस्था है।
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक ‘दूरदर्शन का दुष्प्रभाव’
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [7]
कोलाहल हो
या सन्नाटा कविता सदा सृजन करती है
जब भी आँसू हुआ पराजित,
कविता सदा जंग लड़ती है
जब भी कर्ता हुआ अकर्ता
कविता ने जीना सिखलाया
यात्राएँ जब मौन हो गईं
कविता ने चलना सिखलाया
जब भी तम का जुल्म बढ़ा है,
कविता नया सूर्य गढ़ती है,
जब गीतों की फसलें लुटतीं
शीलहरण होता कलियों का,
शब्दहीन जब हुई चेतना
तब-तब चैन लुटा गलियों का
अपने भी हो गए पराए
यों झूठे अनुबंध हो गए
घर में ही वनवास हो रहा
यों गूंगे संबंध हो गए।
(क) कविता कैसी परिस्थितियों में सृजन करती है? स्पष्ट कीजिए। [2]
(ख) भाव समझाइए – जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है । [2]
(ग) गलियों का चैन कब लुटता है? [1]
(घ) ‘परस्पर संबंधों में दूरियाँ बढ़ने लगीं’ – यह भाव किस पंक्ति में आया है? [1]
(ङ) कविता जीना कब सिखाती है? [1]
उत्तर:
(क) कोलाहल या सन्नाटे की कठिन परिस्थितियों में कविता सृजन करती है। वह हर विपरीत परिस्थिति में
सर्जक की भूमिका निभाती है।
(ख) समाज में जब भी ज़ुल्म बढ़ता है और लोग अन्यायी हो जाते हैं तथा निराशा के अंधेरे में डूब जाते हैं, तब कविता सूर्य के समान अंधकार दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाती है।
(ग) जब मनुष्य की चेतना ‘शब्दहीन’ हो जाती है, तब गलियों का चैन लुटता है।
(घ) ‘यूँ गूंगे संबंध हो गए’ पंक्ति में ‘परस्पर संबंधों में दूरियाँ बढ़ने लगीं’ भाव को दर्शाया गया है।
(ङ) जब कर्मठ अकर्मण्य हो जाता है तब कविता जीना सिखाती है।
अथवा
जो बीत गई सो बात गई।
जीवन में एक सितारा था,
माना, वह बेहद प्यारा था.
वह डूब गया तो डूब गया।
अंबर के आनन को देखो,
कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहाँ मिले;
पर बोलो टूटे तारों पर,
कब अंबर शोक मनाता है?
जो बीत गई सो बात गई।
जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उस पर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया;
मधुबन की छाती को देखो,
सूखी कितनी इसकी कलियाँ,
मुरझाई कितनी वल्लरियाँ,
जो मुरझाई फिर कहाँ खिलीं,
पर बोलो सूखे फूलों पर,
कब मधुबन शोर मचाता है?
जो बीत गई सो बात गई।
(क) ‘जो बीत गई सो बात गई’ से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए । [2]
(ख) आकाश की ओर कब देखना चाहिए और क्यों? [2]
(ग) ‘सूखे फूल’ और ‘मधुबन’ के प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए । [1]
(घ) टूटे तारों का शोक कौन नहीं मनाता है? [1]
(ङ) आपके विचार से ‘जीवन में एक सितारा’ किसे माना होगा ? [1]
उत्तर:
(क) ‘जो बीत गई सो बात गई’ से तात्पर्य है कि जो बात हाथ से निकल गई हो अथवा जो व्यक्ति आपसे दूर चला गया हो, उसे जाने दो। दुःख का मूल कारण मोह है। अतः जो आपसे दूर हो गया हो उससे मोह रखकर तथा उसके बारे में निरंतर सोच कर शोक व्यक्त करना व्यर्थ है ।
(ख) जब हमारा कोई प्रिय हमसे दूर चला जाए और हम उसके खोने का लगातार शोक मना रहे हों तब हमें आकाश की ओर देखना चाहिए। इसका कारण यह है कि ना जाने कितने तारे टूट कर आकाश से दूर हो जाते हैं परंतु आकाश उन टूटे हुए तारों के लिए कभी शोकाकुल नहीं होता। हमें आकाश से यह सीख लेनी चाहिए।
(ग) ‘सूखे फूल’ और ‘मधुबन’ उन प्रिय व्यक्तियों के प्रतीकार्थ हैं जो हमसे अलग होकर बहुत दूर चले गए हैं।
(घ) अंबर टूटे तारों का शोक नहीं मनाता है।
(ङ) हमारे विचार से ‘जीवन में एक सितारा’ उस व्यक्ति को माना होगा जो हमें सर्वप्रिय हो ।
खण्ड ‘ख’
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार किन्हीं तीन के उत्तर लिखिए- 1 × 3 = 3
(क) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था। ( संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ख) जो व्यक्ति परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है। ( सरल वाक्य में बदलिए)
(ग) वह कौन-सी पुस्तक है जो आपको बहुत पसंद है। ( रेखांकित उपवाक्य का भेद लिखिए )
(घ) कश्मीरी गेट के निकल्सन कब्रगाह में उनका ताबूत उतारा गया। ( मिश्र वाक्य में बदलिए)
उत्तर:
(क) मैंने उस व्यक्ति को देखा और वह पीड़ा से कराह रहा था – संयुक्त वाक्य |
(ख) परिश्रमी व्यक्ति अवश्य सफल होता है-सरल वाक्य |
(ग) प्रधान उपवाक्य-उपवाक्य का भेद ।
(घ) निकल्सन कब्रगाह में उनका ताबूत उतारा गया जो कश्मीरी गेट में था – मिश्र वाक्य |
प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए- 1 × 4 = 4
(क) बालगोबिन भगत प्रभातियाँ गाते थे। ( कर्मवाच्च में बदलिए)
(ख) बीमारी के कारण वह यहाँ न आ सका। ( भाववाच्य में बदलिए)
(ग) माँ के द्वारा बचपन में ही घोषित कर दिया गया था। ( कर्तृवाच्य में बदलिए)
(घ) अवनि चाय बना रही है। ( कर्मवाच्च में बदलिए)
(ङ) घायल हंस उड़ न पाया। ( भाववाच्य में बदलिए)
उत्तर:
(क) बालगोबिन भगत द्वारा प्रभातियाँ गाईं जाती थीं।
(ख) बीमारी के कारण उससे यहाँ नहीं आया जा सका।
(ग) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था।
(घ) अवनि के द्वारा चाय बनाई जा रही है।
(ङ) घायल हंस से उड़ा नहीं जा सका ।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रेखांकित पदों का पद परिचय लिखिए- 1 × 4 = 4
(क) दादी जी प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ती हैं।
(ख) रोहन यहाँ नहीं आया था।
(ग) वे मुंबई जा चुके हैं।
(घ) परिश्रमी अंकिता अपना काम समय से पूरा कर लेती है ।
(ङ) रवि रोज सवेरे दौड़ता है।
उत्तर:
(क) पढ़ती हैं- सकर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, एकवचन, वर्तमान काल ।
(ख) यहाँ – स्थानवाचक क्रियाविशेषण, ‘आया था’ क्रिया का स्थान निर्देश ।
(ग) वे – अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम, पुल्लिंग, बहुवचन ।
(घ) परिश्रमी – गुणवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन ।
(ङ) रवि – व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्त्ता कारक ।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में अलंकार पहचान कर लिखिए- 1 × 4 = 4
(क) रो-रोकर सिसक-सिसक कर कहता मैं करुण कहानी |
तुम सुमन नोचते सुनते-करते जानी-पहचानी ।।
(ख) कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए ।
हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए । ।
(ग) मानवीकरण अलंकार का एक उदाहरण लिखिए।
(घ) अतिश्योक्ति अलंकार का एक उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
(क) श्लेष अलंकार
(ख) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग) दिवसावसान का समय
मेघमय आसमान से उतर रही है
वह संध्या सुंदरी, परी-सी
(घ) ‘मैं तो राम विरह की मारी, मोरी मुंदरी हो गई कंगना’
खण्ड ‘ग’
प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्याननूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [5]
किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, ” बाबा! आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी । अब तो आपको भारत रत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं । ” खाँ साहब मुसकराए । लाड़ से भरकर बोले, “धत् ! पगली, ई भारत रत्न हमके शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं । तुम लोगों की तरह बनाव- सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती हो चुकती शहनाई। तब क्या रियाज़ हो पाता ?”
(क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को क्या कहा? क्यों? [2]
(ख) खाँ साहब ने शिष्या को क्या समझाया ? [2]
(ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता है? [1]
उत्तर:
(क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को लोगों के सामने फटी तहमद न पहनने के लिए कहा क्योंकि वह इसे बिस्मिल्ला खाँ जैसे महान शहनाईवादक का अपमान मानती थी। वह उन्हें ऐसे कपड़ों में देखना चाहती थी, जिससे उनकी गरिमा बढ़े और लोग उनका और अधिक सम्मान करें।
(ख) खाँ साहब ने शिष्या को समझाया कि उन्हें भारत रत्न शहनाई बजाने पर मिला है कपड़ों पर नहीं। अतः उनको खाँ साहब की शहनाई के सुरों पर ही ध्यान देना चाहिए ना कि कपड़ों पर क्योंकि यदि वह उन लोगों की तरह बनाव- शृंगार करने में ही ध्यान लगाते तो शहनाई बजाने का रियाज़ नहीं कर पाते।
(ग) खाँ साहब स्वभाव से सरल और सादगी पसंद थे। उनका जीवन सादगी से परिपूर्ण था। उन्होंने कभी दिखावे पर विश्वास नहीं किया।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए- 2 × 4 = 8
(क) ‘संस्कृति’ निबंध के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि मानव संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।
(ख) मन्नु भंडारी का अपने पिता से जो वैचारिक मतभेद था उसे अपने शब्दों में लिखिए।
(ग) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना क्या प्रदर्शित करता है?
(घ) बालगोबिन भगत अपने सुस्त और बोदे-से बेटे के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों?
(ङ) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा?
उत्तर:
(क) मानव संस्कृति को हिंदू संस्कृति और मुस्लिम संस्कृति आदि में विभाजित नहीं किया जा सकता। कोई हिंदू या मुसलमान या अन्य धर्मावलंबी समाज के हित के लिए जो खोज करता है उससे मानव संस्कृति प्रभावित होती है। अतः संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है।
(ख) लेखिका के पिता शक्की स्वभाव के थे। उनमें अहंकार की भावना थी। उन्हें लेखिका का काला रंग पसंद नहीं था। वे अपनी दूसरी बेटी को अधिक महत्त्व देते थे क्योंकि वह गोरी स्वस्थ और हँसमुख थी। वे उसकी प्रशंसा करते थे तथा लेखिका को उसकी तुलना में हीन समझते थे। लेखिका ने राजेंद्र यादव से अपनी इच्छानुसार विवाह किया था। उसके दकियानूसी पिता के लिए यह सहन करना भी दुरूह था। विचारों के इन्हीं मतभेदों को लेकर लेखिका और उसके पिता में वैचारिक टकराहट बनी रहती थी ।
(ग) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना यह प्रदर्शित करता है कि बच्चों के मन में भी देशभक्ति की भावना और नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति सम्मान अभी भी जीवित है। उन्होंने जब नेताजी की मूर्ति को बिना चश्मे के देखा तो सरकंडे का चश्मा बनाकर मूर्ति की आँखों पर लगा दिया जो देश के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।
(घ) बालगोबिन भगत अपने सुस्त और बोदे-से बेटे से विशेष लगाव रखते थे। उनका बेटा दिमाग से कमज़ोर था इसलिए वह उसका आवश्यकता से अधिक ध्यान रखते थे। उनका मानना था कि मानसिक रूप से कमज़ोर व्यक्ति अधिक देखभाल और प्रेम के हकदार होते हैं।
(ङ) लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट इसलिए खरीदा क्योंकि उसे अधिक दूर नहीं जाना था। उसने यह भी सोचा कि सेकंड क्लास में उसे एकांत मिलेगा अतः वह सरलता से अपनी नई कहानी के विषय में सोच सकेगा। साथ ही साथ वह रेल की खिड़की से प्राकृतिक दृश्यों का आनंद भी ले सकेगा ।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- 2 × 4 = 8
क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूँ?
छोटे से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ ?
क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूँ?
सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म – कथा ?
अभी समय भी नहीं थकी सोई है मेरी मौन व्यथा ।
(क) कवि ने किस प्रकार विनय प्रकट की है? [1]
(ख) ‘छोटे से जीवन की बड़ी कथाएँ’ कवि के जीवन के किस तथ्य की ओर संकेत करती हैं? [2]
(ग) कवि अपनी आत्मकथा को सुनाने के लिए अनिच्छुक क्यों है? [2]
उत्तर:
(क) कवि ने स्वयं को सामान्य, छोटा-सा और साधारण कहकर विनय प्रकट की है।
(ख) कवि के जीवन में अनेक घटनाएँ घटित हुई हैं। छोटे से जीवन में कवि को कठिन संघर्ष तथा कटु अनुभवों का सामना भी करना पड़ा। इसी तथ्य को इस पंक्ति द्वारा यहाँ व्यक्त किया गया है।
(ग) कवि कहता है कि उसकी कष्टों से भरी आत्मकथा को सुनने से किसी को क्या मिलेगा। इससे तो केवल उसके अपने सूखे घाव फिर से हरे हो जाएँगे । विगत बातों की कटु स्मृतियाँ उसे पुनः अधिक दुख देंगी। इसलिए कवि अपनी आत्मकथा सुनाने का इच्छुक नहीं है ।
प्रश्न 10.
निन्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए- 2 × 4 = 8
(क) संगतकार की मनुष्यता किसे कहा गया है? वह मनुष्यता कैसे बनाए रखता है?
(ख) ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन कीजिए।
(ग) परशुराम ने अपनी किन विशेषताओं के उल्लेख के द्वारा लक्ष्मण को डराने का प्रयास किया?
(घ) ‘फसल’ कविता में कवि ने मिट्टी का गुणधर्म किसे कहा है?
(ङ) कवि ने शिशु की मुसकान को दंतुरित मुसकान क्यों कहा है? कवि के मन पर उस मुसकान का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
(क) संगतकार की मनुष्यता उसके त्याग को कहा गया है। वह प्रतिभा और शक्ति होते हुए भी कभी अपनी आवाज़ को मुख्य गायक से अधिक प्रभावी नहीं होने देता। वह मुख्य गायक का सहयोगी होता है परंतु अपना यश नहीं चाहता । संगतकार मुख्य गायक-गायिका के स्वर में स्वर मिलाकर उसे ऊँचा उठा देता है। इतना ही नहीं जब मुख्य गायक के स्वर बिखरने लगते हैं तो वह उन्हें भी संभाल लेता है जिससे उनमें नया जोश भर जाता है।
(ख) • वसंत ऋतु की अतिशय सुंदरता चारों ओर समा नहीं पा रही है।
• वसंत की मादक हवा से धरती का कोना-कोना भर जाता है।
• प्रकृति की सुंदरता को निहारते हुए मन बार – बार कल्पना के आकाश में उड़ान भरने लगता है।
• पेड़ों की शाखाएँ कहीं तो लाल कोंपलों और कहीं हरे पत्तों से लद जाती हैं।
• कहीं भीनी-भीनी सुगंध से भरे हुए फूलों की मालाएँ डालियों के गले में पड़ी प्रतीत होती हैं।
• वसंत का मादक सौंदर्य चारों ओर अपनी छटा बिखेर रहा है।
(ग) परशुराम ने अपने विषय में बताया कि वे बाल ब्रह्मचारी हैं और क्षत्रिय कुल का नाश करने के कारण सम्पूर्ण विश्व उन्हें जानता है । अपनी शक्ति के बल पर वे पृथ्वी को दो बार क्षत्रियविहीन कर चुके हैं और फिर इसी भूमि को वे कई बार ब्राह्मणों को दान कर चुके हैं। उनके इसी डर के कारण क्षत्रिय माताएँ पुत्रों को जन्म देने से डरती हैं। उन्होंने अपने फरसे से सहस्रबाहु को भी मारा है। वह लक्ष्मण से कहते हैं तुम अपने माता-पिता को शोक के वश में अर्थात् दुखी मत करो। मेरा फरसा बहुत ही भयानक है तथा यह गर्भ में पल रहे बच्चों का भी नाश करने में सक्षम है।
(घ) ‘फसल’ कविता में फसल को हज़ारों खेतों की मिट्टी का गुणधर्म कहा है। मिट्टी का गुण और धर्म है कि वह बीज से फसल उगाने में सर्वाधिक सहयोग देती है।
(ङ) कवि ने शिशु की मुसकान को दंतुरित मुसकान इसलिए कहा है क्योंकि कविता में ऐसे नन्हे बच्चे की मुसकान के विषय में कहा गया है जिसके दाँत अभी निकल रहे हैं। छोटे बच्चों की मुसकान बहुत भोली और निश्छल होती है। बच्चे की दंतुरित मुसकान को देखकर कवि का उदास मन प्रसन्न हो उठता है। उसे लगता है जैसे उसकी झोंपड़ी में कमल के फूल खिल उठे हों।
प्रश्न 11.
हिरोशिमा की घटना का उल्लेख करते हुए बताइए कि मनुष्य किन-किन रूपों में विज्ञान का दुरुपयोग करने में प्रवृत होता जा रहा है? [4]
उत्तर:
हिरोशिमा पर अण बम का प्रयोग किया गया था। विज्ञान के इस दुरुपयोग से मानव जाति क्रन्दन कर उठी थी । लाखों लोग क्षणभर में शव के रूप में परिवर्तित हो गए थे तथा रेडियोधर्मी किरणों से आक्रान्त असंख्य लोग असाध्य रोगी हो गए थे। मेरी दृष्टि में परमाणु बम, रसायनिक बम, लेज़र बम, हाइड्रोजन बम आदि संहारक अस्त्र बनाना विज्ञान का भयानक दुरुपयोग है। विश्व के अधिकांश देश शस्त्रों की दौड़ में मानव जाति का विनाश करने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। आतंकवादी भी विज्ञान का दुरुपयोग करने में पीछे नहीं हैं। वे विज्ञान की सहायता से अपनी अनुचित माँगें मनवाने का प्रयास करते हैं। मनोरंजन के क्षेत्र में भी कई लोगों द्वारा विज्ञान का दुरुपयोग दृष्टिगोचर है। क्लोनिंग और कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया विज्ञान के दुरुपयोग का सशक्त प्रमाण है। इसके कारण प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने लगा है। इसके अतिरिक्त कन्याभ्रूण हत्या को बढ़ावा मिला है जिससे विश्व का लिंग अनुपात बिगड़ गया है। विज्ञान जहाँ वरदान है वहाँ अभिशाप भी है।
अथवा
सिक्किम की युवती के कथन ‘मैं इंडियन हूँ’ से स्पष्ट होता है कि अपनी जाति, धर्म-क्षेत्र और संप्रदाय से अधिक महत्वपूर्ण राष्ट्र है। आप किस प्रकार राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रकट कर सकते हैं? समझाइए |
उत्तर:
सिक्किम की युवती के कथन ‘मैं इंडियन हूँ’ से स्पष्ट होता है कि जाति, धर्म-क्षेत्र और संप्रदाय से अधिक महत्त्वपूर्ण राष्ट्र है। जिस प्रकार सिक्किमी युवती को अपने राष्ट्र से अधिक प्रेम है उसी प्रकार हम भी राष्ट्र के प्रति अपने कर्त्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रकट कर सकते हैं। हमें भी धर्म, जाति, संप्रदाय आदि के नाम पर भेदभाव नहीं करना चाहिए बल्कि सभी के साथ मिलजुल कर रहना चाहिए और अपने देश की उन्नति के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। हम प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट होने से बचाकर, देश की प्रगति के लिए कार्य करके और देश की रक्षा करके राष्ट्र के प्रति अपने प्रेम को प्रकट कर सकते हैं। हमें कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे हमारे देश का प्राकृतिक सौंदर्य नष्ट हो, गंदगी फैले और तापमान में वृद्धि हो । हमें सदैव अपने देश को सर्वोपरि स्थान देना चाहिए ।
खण्ड ‘घ’
प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए- [10]
(क) कमरतोड़ महँगाई : महंगाई के कारण समाज पर प्रभाव – व्यावहारिक समाधान
(ख) स्वच्छ भारत अभियान : विकास में स्वच्छता का योगदान – अस्वच्छता से हानियाँ – रोकने के उपाय
(ग) बदलती जीवन शैली जीवन शैली का आशय – बदलाव कैसा – परिणाम
उत्तर:
(क) कमरतोड़ महँगाई
उत्पादन में कमी, माँग की पूर्ति में असमर्थता, मूल्यों में निरन्तर वृद्धि, आज सुरसा के मुँह की तरह बढ़ती महँगाई के मूल कारण हैं । जीवन-यापन के तीन अनिवार्य तत्त्वों की बढ़ती हुई महँगाई गरीबों को खून के आँसू रोने को, मध्यवर्ग की आवश्यकताओं में कटौती, तो धनिक वर्ग के लिए आय के स्त्रोत उत्पन्न करने को मजबूर करती है। खाने की सामान्य चीज़ों के मूल्य इतने अधिक हैं कि अधिकांश लोग दाने-दाने के मोहताज हो गए हैं। यह महँगाई आज के युग में न मन-भर खाने देती है, न मन के अनुसार तन ढकने देती है। काला धन, तस्करी तथा जमाखोरी महँगाई वृद्धि के परम मित्र हैं। तस्कर खुलेआम तस्करी करता है। गरीब देश की बादशाही सरकारों के बढ़ते खर्च ने देश की आर्थिक रीढ़ को तोड़कर रख दिया है। करोड़ों रुपया लगाकर हम उपग्रह बना रहे हैं, मेट्रो बना रहे हैं, वैज्ञानिक प्रगति में विश्व के महान् राष्ट्रों की गिनती में आना चाहते हैं, किन्तु आज भी भारत का आम आदमी भूखा और नंगा है। बढ़ती हुई महँगाई भारत सरकार की आर्थिक नीतियों की विफलता है। प्रकृति के रोष और प्रकोप का फल नहीं, शासकों की बदइंतजामी की बोलती तस्वीर है।
अमीर के कुत्ते बिस्कुट खा रहे हैं, तो गरीब के बच्चे अन्न के लिए तड़प रहे हैं। जहाँ उत्पादन न बढ़ने के लिए अयोग्य अधिकारी दोषी हैं, वहीं कर्मचारियों की हड़ताल एवं आन्दोलनों द्वारा घाटा बढ़ता है, महँगाई बढ़ती है। विदेशी कर्ज़ और उसके सेवा शुल्क ने भारत की आर्थिक नीति को चौपट कर रखा है। भारत का खजाना खाली है। अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्रियों की चेतावनी के बावजूद हम सतर्क नहीं हैं। यदि हम इस बढ़ती महँगाई को रोकने में असफल रहे तो प्रगति के पथ की ओर अग्रसर भारत विनाश के कगार पर आ खड़ा होगा। वस्तुतः महँगाई को रोकने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिएँ । सरकार को प्रशासनिक खर्चों में कटौती करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना अति आवश्यक है। घोटाला करने वाले नेताओं और उच्चाधिकारियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। सरकार को अपनी आर्थिक नीतियाँ सोच-समझ कर बनानी चाहिएँ तथा मंत्रियों की अनावश्यक विदेश यात्राओं पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए। ऐसी स्थिति में ही महँगाई कम होने की संभावना हो सकती है।
(ख) स्वच्छ भारत अभियान
स्वच्छता के महत्त्व को समझते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत अभियान का श्रीगणेश किया था। इसके अंतर्गत गलियों, सड़कों, मोहल्लों, गाँवों और शहरों को स्वच्छ रखने की ज़िम्मेदारी आम नागरिकों को ही सौंपी गई थी। स्वच्छ और सुंदर भारत का स्वप्न कई दशकों पहले गाँधीजी ने देखा था जिसे साकार करने की ज़िम्मेदारी नरेंद्र मोदी जी ने ली है। जिंदगी की आपाधापी में लोग स्वच्छता की अहमियत भूलते जा रहे हैं। जहाँ दृष्टि डालो वहीं गंदगी नज़र आती है। लोग घरों से कूड़ा निकालकर यहाँ-वहाँ फेंक देते हैं जिससे सैकड़ों बीमारियाँ उत्पन्न हो रही हैं और लोग अधिक बीमार हो रहे हैं। पूरे भारत को स्वच्छ बनाने के लिए सरकार ने जगह-जगह पर कूड़ेदान रखवाए हैं। मौहल्लों में प्रतिदिन कूड़ा लेने के लिए निशुल्क गाड़ी भेजी जाती है। सरकार द्वारा चलाए गए स्वच्छता अभियान ने लोगों को स्वच्छता के प्रति काफी जागरूक किया है। शहरों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण भी करवाया गया है ताकि लोग खुले में शौच न जाएँ तथा गंदगी न फैलाएं। यदि हमारे चारों ओर स्वच्छता होगी तो वातावरण स्वस्थ और सुंदर होगा । स्वस्थ वातावरण में रहने से लोग भी स्वस्थ रहेंगे। कई लोगों की सोच यह है कि केवल अपने घर को स्वच्छ रखना ही काफी है अतः वे घर से निकले कूड़े-कचरे को इधर-उधर फेंक देते हैं। परंतु ऐसी बीमार सोच सम्पूर्ण समाज को बीमार कर सकती है। हम सबको अपने घरों के साथ-साथ आस-पास की स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे समाज निरोगी रहे। केवल एक अभियान मात्र से अथवा एक व्यक्ति के प्रयास से देश को स्वच्छ नहीं बनाया जा सकता अतः हम सबको मिलकर ही इस दिशा में काम करना होगा।
(ग) बदलती जीवन शैली
जीवन शैली का आशय जीवनचर्या अर्थात् जीवन पद्धति से है। व्यक्ति, समूहों, समाजों का वह जीवन-मार्ग जो उनके शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक व आर्थिक वातावरणों को दैनिक आधार पर सामना करने के रूप में अभिव्यक्त होता है उसकी जीवन शैली कहलाता है। भोजन विकल्प, गतिविधि स्तर और व्यवहार के आधार पर आपकी जीवन शैली आपको आनंदित रख सकती है और एक नकारात्मक जीवन शैली उदासी, बीमारी और अवसाद ला सकती है। जितनी तेज़ी से विज्ञान ने तरक्की कर हमें सुख-सुविधाएँ उपलब्ध करवाई हैं उतनी ही तेज़ी से तरह-तरह रोगों ने हमारे शरीर में घर बना लिया है। अवसाद, विकार, तनाव जैसे मानसिक रोग एवं मोटापा, अस्थमा, जोड़ों का दर्द, माइग्रेन, बवासीर, उच्च रक्तचाप, मधुमेह व हृदयरोग जैसे गंभीर शारीरिक रोग इसी आधुनिक जीवन शैली की ही तो देन हैं। व्यस्तता भरी जिंदगी आज की जीवन शैली का हिस्सा हो गई है । बहुराष्ट्रीय कंपनियों और कार्य के आधुनिकीकरण ने दिन और रात के भेद को खत्म कर दिया है। कार्यशैली में बदलाव आया है तो भागदौड़ भी बढ़ी है और इसके साथ ही बढ़ी है एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़। काल सेंटर और इंटरनेट के बाद सोशल मीडिया ने भी जीवन शैली को बदलकर रख दिया है। अब देर रात तक जागना, सुबह देर से उठना और इसके बाद काम पर चले जाना ही जीवन जीने का ढंग हो गया है।
आज का युवा व्यवस्तता के चलते पेट भरने के लिए फास्ट फूड, पैकैज्ड फूड अथवा होटल के भोजन पर आश्रित हो गया है। आजकल हर चौराहे पर चाइनीज़ एवं फास्ट फूड स्टॉल्स के आगे युवाओं की भीड़ इस बात का प्रमाण है। इस प्रकार के खाने से मोटापा बढ़ता है, जो अन्य कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है। आज का युवावर्ग एल्कोहॉल तथा कई प्रकार के नशों का आदी होता जा रहा है। सिगरेट पीना तो मानो सबके लिए फैशन बन गया है। एल्कोहॉल के सेवन से किडनी और पेट से संबंधित रोग होते हैं वहीं दूसरी और तंबाकू सेवन से कैंसर होने का खतरा कई गुना अधिक बढ़ जाता है। आधुनिक जीवन शैली में संतुलित आहार एवं शारीरिक क्रियाकलाप न जाने कहाँ गायब हो गए हैं। बदली जीवन शैली के दुष्परिणाम धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। युवावर्ग आधुनिक जीवन शैली का आदी हो गया है जो बिल्कुल भी सही नहीं कहा जा सकता। अतः हमें सकारात्मक जीवन शैली को अपनाना चाहिए जिससे हम स्वस्थ तथा प्रसन्न रहें ।
प्रश्न 13.
गत कुछ दिनों से आपके क्षेत्र में अपराध बढ़ने लगे हैं जिससे ‘आप चिंतित हैं। इन अपराधों की रोकथाम के लिए थानाध्यक्ष को पत्र लिखिए। [5]
उत्तर:
543/4 सराय रोहिल्ला
नई दिल्ली-110007
सेवा में
थानाध्यक्ष महोदय
सराय रोहिल्ला
नई दिल्ली।
विषय : क्षेत्र में बढ़ते अपराध की रोकथाम हेतु पत्र ।
महोदय
मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे अपराधों की ओर दिलाना चाहता हूँ। गत् कुछ दिनों से हमारे क्षेत्र सराय रोहिल्ला के निवासी स्वयं को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। गली में दिन-दहाड़े चोरी की तीन वारदातें हो चुकी हैं। पिछले सप्ताह घरों के आगे से ही दो मोटरसाइकिल चोरी हो गईं। चेन तथा मोबाइल फोन झपटने की घटनाएँ तो आम हो चुकी हैं। लोग डर के कारण घर से बाहर भी निकलने से कतराने लगे हैं। आपसे अनुरोध है कि आप हमारे क्षेत्र में पुलिसकर्मियों को गश्त लगाने का आदेश दें और अपराधियों को पकड़कर दंडित करें। हम आपके बहुत आभारी रहेंगे।
धन्यवाद !
भवदीय
क० ख०ग०
अथवा
आपका एक मित्र शिमला में रहता है। आप उसके आमंत्रण पर ग्रीष्मावकाश में वहां गए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का खूब आनंद उठाया था। घर वापस लौटने पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।
उत्तर:
बी-720
गणेश नगर, नई दिल्ली।
दिनांक : 30 जनवरी, 20xx
प्रिय मित्र रवि
सप्रेम नमस्ते ।
आशा है तुम हमेशा की तरह स्वस्थ और प्रसन्न होंगे। मैं भी सकुशल घर पहुँच गया हूँ। मैंने यह पत्र तुम्हें कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए लिखा है। ग्रीष्मावकाश में तुमने मुझे अपने घर शिमला आने का आमंत्रण दिया और मेरा ध्यान रखा। अपना समय निकाल कर मुझे शिमला के रमणीय प्राकृतिक स्थल दिखाए और मुझे शिमला का सुप्रसिद्ध माल रोड़ भी घुमाया। इतना ही नहीं तुम्हारे परिवार के सभी सदस्यों ने मेरा बहुत ध्यान रखा तथा भी मुझे परिवार की कमी महसूस नहीं होने दी। शिमला में मैंने प्राकृतिक सौंदर्य का अत्यंत आनंद उठाया। मुझे शिमला बुलाने और उसके खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के दर्शन करवाने के लिए मैं तुम्हारा सहृदय धन्यवादी हूँ। मैं अगले वर्ष ग्रीष्मावकाश में तुम्हें सपरिवार दिल्ली आने के लिए आमंत्रित करता हूँ। मैं तुम्हें दिल्ली – दर्शन करवाने के लिए आतुर हूँ।
तुम्हारा मित्र
सचिन
प्रश्न 14.
अतिवृष्टि के कारण कुछ शहर बाढ़ग्रस्त हैं। वहाँ के निवासियों की सहायतार्थ सामग्री एकत्र करने हेतु एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए ।
उत्तर:
अतिवृष्टि के कारण केरल के कुछ शहर बाढ़ग्रस्त हो गए हैं। जिससे जान-माल दोनों की बहुत हानि हुई है। बाढ़ के कारण लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। जिसके कारण वहाँ के निवासी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी तरस रहे हैं। अधिकाधिक संख्या में बाढ़ग्रस्त लोगों की सहायता के लिए स्वेच्छा से सहायता राशि व विभिन्न सामग्री दान देने की कृपा करें। बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए दान देने के लिए इच्छुक व्यक्ति निम्नलिखित नम्बरों पर संपर्क करें- 9564829213, 2453218010 |
अथवा
बॉल पेनों की एक कंपनी ‘सफल’ नाम से बाज़ार में आई है। उसके लिए एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए ।
उत्तर:
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