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CBSE Class 10 Hindi A Question Paper 2016 (Delhi) with Solutions
निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए।
खण्ड – क ( अपठित बोध)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- [8]
पाठको! उस सुंदर मकबरे का वर्णन पार्थिव जिह्वा भी नहीं कर सकती, फिर इस बेचारी जड़ लेखनी का क्या ? यह मक़बरा शाहजहाँ की उस महान् साधना का, अपनी प्रेमिका के प्रति उस अनन्य तथा अगाध प्रेम का फल है। वह कितना सुंदर है? वह कितना करुणोत्पादक है ? आँखें ही उसकी सुंदरता को देख सकती हैं, हृदय ही उसकी अनुपम सुकोमल करुणा का अनुभव कर सकता है। संसार उसकी सुंदरता को देखकर स्तब्ध है, सुखी मानव जीवन के इस करुणाजनक अंत को देखकर क्षुब्ध है। शाहजहाँ ने अपनी मृत प्रियतमा की समाधि पर अपने प्रेम की अंजलि अर्पण की, तथा भारत ने अपने महान् शिल्पकारों और चतुर कारीगरों के हाथों शुद्ध प्रेम की उस अनुपम और अद्वितीय समाधि का निर्माण करवाकर पवित्र प्रेम की वेदी पर जो अपूर्व श्रंद्धाजलि अर्पित की उसकी सानी इस भूतल पर खोजे नहीं मिलता।
मक़बरा बरसों में परिश्रम के बाद अंत में मुमताज़ का वह मक़बरा पूर्ण हुआ। शाहजहाँ की वर्षों की साध पूरी हुई। एक महान् यज्ञ की पूर्णाहुति हुई । इस मकबरे के पूरे होने पर जब शाहजहाँ बड़े समारोह के साथ उसे देखने गया होगा, आगरा के लिए, वह दिन कितना गौरवपूर्ण हुआ होगा । उस दिन का भारत की ही नहीं संसार की शिल्पकला के इतिहास के उस महान् दिवस का वर्णन इतिहासकारों ने कहीं भी नहीं किया है। मक़बरे को देखकर शाहजहाँ की आंखों के सन्मुख उसका सारा जीवन, जब मुमताज़ के साथ वह सुखपूर्वक रहता था, सिनेमा की फ़िल्म के समान दिखाई दिया होगा । प्रियतमा मुमताज़ की स्मृति पर पुनः आँसू ढलके होंगे, पुन: स्मृतियाँ जग उठी होंगी और चोट खाए हुए उस हृदय के वे पुराने घाव फिर हरे हो गए होंगे।
(i) ताजमहल को देखकर मन में करुणा की अनुभूति क्यों होती है? [2]
(ii) ताजमहल का निर्माण पूरा होने पर आगरा में किस प्रकार का वातावरण रहा होगा ? [2]
(iii) ताजमहल पूर्ण होने पर शाहजहाँ की मानसिक स्थिति कैसी रही होगी? [2]
(iv) इस अनुच्छेद का शीर्षक लिखिए। [1]
(v) ‘क्षुब्ध’ तथा ‘श्रद्धांजलि’ शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए । [1]
उत्तर:
(i) ताजमहल को देखकर मन में जब यह भाव उभरता है कि सुखी और आरामदेह जीवन का अंत कितना
करुणाजनक हो सकता है तो मानव मेन में करुणा की अनुभूति जागृत होती है।
(ii) ताजमहल का निर्माण पूरा होने पर जब जनसमूह ने उसे प्रथम बार देखा होगा तो भिन्न-भिन्न दर्शकों के मन में विभिन्न प्रकार के भाव उमड़े होंगे। अनेक लोगों को इस बात का गौरव अनुभव हुआ होगा कि उनके देश में एक ऐसी अद्वितीय वस्तु का निर्माण हुआ है जिसकी तुलना में संसार की कोई वस्तु नहीं ठहरती । कितने ही लोग ताजमहल की सुंदरता को देखकर मुग्ध हुए होंगे।
(iii) ताजमहल के पूर्ण होने पर शाहजहाँ को मानसिक शांति मिली होगी कि उसने अपनी जीवनसंगिनी की स्मृति को अमर कर दिया है। उसे मुमताज़ के साथ बिताए क्षण याद आए होंगे तथा उसकी आंखों से आंसुओं का गंगाजल प्रवाहित हुआ होगा ।
(iv) शीर्षक – ताजमहल ।
(v) 1. अपनी विधवा बहन के ससुराल से भाग जाने का समाचार पाकर उसका मन झुब्ध हो उठा।
2. प्रत्येक वर्ष तीस जनवरी को अनेक लोग राजघाट पर गाँधीजी को श्रद्धांजलि अर्पित करने जाते हैं।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [7]
चींटी को देखा? वह सरल, विरल, काली रेखा,
तम के तागे-सी जो हिल-डुल चलती लघुपद,
पल-पल मिल-जुल ।
वह है पिपीलिका पाँति देखो ना, किस भान्ति ।
काम करती वह सतत ।
कन- कन करके चुनती अविरत ।
गाय चराती, धूप खिलाती, बच्चों की निगरानी करती,
लड़ती, अरि से तनिक न डरती,
दल के दल सेना सँवारती,
घर, आँगन, जनपथ बुहारती ।
(i) इन पंक्तियों का उचित शीर्षक लिखिए। [1]
(ii) चींटी कैसे चलती है? [2]
(iii) शत्रु के प्रति चींटी का क्या व्यवहार होता है? [2]
(iv) चींटियाँ क्या-क्या कार्य करती हैं? [1]
(v) इन पंक्तियों का मूल भाव क्या है? [1]
उत्तर:
(i) शीर्षक – चींटी |
(ii) चींटी अपने छोटे-छोटे पैरों से डगमगाते हुए चलती है और एक काले रंग की महीन रेखा – सी लगती है ।
(iii) चींटी अपने शत्रु से डरती नहीं बल्कि उसका डट कर मुकाबला करती है।
(iv) चींटियाँ अन्न एकत्र करती हैं। अपने बच्चों की देखभाल करती हैं। घर, आँगन, सड़क को साफ़ करती हैं तथा अपने शत्रु से लड़ती हैं।
(v) कवि चींटी द्वारा सतत् परिश्रम करने का वर्णन करके मनुष्य को परिश्रमी बनने की प्रेरणा देता है।
खण्ड – ख ( व्यावहारिक व्याकरण )
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए : 1 × 3 = 3
(क) एक तुमने ही इस जादू पर विजय प्राप्त की है। ( वाक्य भेद बताइए )
(ख) एक मोटरकार उनकी दुकान के सामने आकर रुकी। ( संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ग) सभी विद्यार्थी कवि सम्मेलन में समय से पहुँचे और शांति से बैठे रहे । ( मिश्रित वाक्य में बदलिए)
उत्तर:
(क) सरल वाक्य |
(ख) एक मोटरकार आई और उनकी दुकान के सामने आकर रुकी।
(ग) सभी विद्यार्थी कवि सम्मेलन में समय से पहुंचे जो शांति से बैठे रहे ।
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तित कीजिए : 1 × 4 = 4
(क) मेरे द्वारा समय की पाबंदी पर निबंध लिखा गया।- ( कर्तृवाच्य में )
(ख) मेरे मित्र से चला नहीं जाता। ( कर्तृवाच्य में )
(ग) उनके सामने कौन बोल सकेगा ? ( भाववाच्य में )
(घ) भाई साहब ने मुझे पतंग दी। ( कर्मवाच्य में )
उत्तर:
(क) मैंने समय की पाबंदी पर निबंध लिखा ।
(ख) मेरा मित्र चल नहीं सकता।
(ग) उनके सामने किससे बोला जा सकेगा?
(घ) भाई साहब द्वारा मुझे पतंग दी गई।
प्रश्न 5.
रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए : 1 × 4 = 4
सुरेश, यदि मैं बीमार हो जाऊँ तो घर की व्यवस्था रुक जाएगी।
उत्तर:
सुरेश संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन ।
मैं – सर्वनाम, प्रथम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन।
घर की – संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन ।
रुक जाएगी – क्रिया, सकर्मक स्त्रीलिंग, एकवचन |
प्रश्न 6.
(क) काव्यांश का अलंकार पहचानकर उसका नाम लिखिए- 1 × 4 = 4
सिर फट गया उसका वहीं । मानो अरुण रंग का घड़ा हो ।
(ख) मेरी भव बाधा हरौ राधा नागरि सोय ।
जा तन की झाईं परै स्याम हरित दुति होय ।।
(ग) लो यह लतिका भी भर लाई
मधु मुकुल नवल रस गागरी ।
(घ) अतिश्योक्ति अलंकार का एक उदाहरण दीजिए ।
उत्तर:
(क) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ख) श्लेष अलंकार
(ग) मानवीकरण अलंकार
(घ) जो तनिक बाग से हवा हिली, लेकर सवार उड़ जाता था ।
राणा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतक मुड़ जाता था ।।
खण्ड – ग ( पाठ्य-पुस्तक)
प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: [5]
शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूँका जाता है। रीड, नरकट (एक प्रकार की घास) से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है। इतनी ही महत्ता है इस समय डुमराँव की जिसके कारण शहनाई जैसा वाद्य बजता है । फिर अमीरुद्दीन जो हम सबके प्रिय हैं, अपने उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब हैं। उनका जन्म-स्थान भी डुमराँव ही है। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमराँव निवासी थे। बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं।
(क) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के पूरक हैं, कैसे? [2]
(ख) यहाँ रीड के बारे में क्या-क्या जानकारियाँ मिलती हैं? [2]
(ग) अमीरुद्दीन के माता-पिता कौन थे? [1]
उत्तर:
(क) शहनाई और डुमराँव को एक-दूसरे का पूरक कहा जा सकता है, शहनाई में प्रयुक्त होने वाली रीड जिस विशेष घास से तैयार होती है वह डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारे पाई जाती है।
(ख) शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड वाद्य यंत्र शहनाई का महत्त्वपूर्ण भाग है। रीड भीतर से पोली होती है। इसके सहारे ही शहनाई को फूंका जाता है। रीड एक विशेष प्रकार की घास से बनाई जाती है।
(ग) अमीरुद्दीन के पिता का नाम उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ तथा माता का नाम मिट्ठन था ।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए। 2 × 4 = 8
(क) ‘मन्नू भंडारी की माँ त्याग और धैर्य की पराकाष्ठा थी फिर भी लेखिका के लिए आदर्श न बन सकी।’ क्यों?
(ख) ‘संस्कृति’ पाठ के आधार पर ‘संस्कृत व्यक्ति’ के लक्षणों का उल्लेख कीजिए ।
(ग) ‘सुषिर वाद्यों’ से क्या अभिप्राय है? शहनाई को ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि क्यों दी गई होगी?
(घ) बालगोबिन भगत की पुत्रवधु उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी ?
उत्तर:
(क) लेखिका अपनी माँ को अपना आदर्श नहीं बना सकी। इसके निम्नलिखित कारण थे :
(i) वह अनपढ़ थीं।
(ii) वह पिता के सामने दबी रहती थीं तथा उनकी हर उचित – अनुचित इच्छा को अपना धर्म मानकर सदैव पूरा करती थीं।
(iii) वह बच्चों की प्रत्येक ज़िद को पूरा करना अपना कर्त्तव्य समझती रहीं और कभी भी किसी से अपने लिए कुछ नहीं चाहा।
(ख) लेखक के अनुसार वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ उसी व्यक्ति को कहा जा सकता है जो अपनी बुद्धि और विवेक द्वारा किसी नवीन तथ्य का दर्शन करता है। ऐसे व्यक्ति तथ्य विशेष को भौतिक प्रेरणा के कारण नहीं बल्कि अपने भीतर की सहज प्रवृत्ति और संस्कृति के कारण प्राप्त करने में समर्थ होते हैं, जैसे न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त खोजा । वह वास्तविक रूप से संस्कृत व्यक्ति था ।
(ग) ‘सुषिर वाद्यों’ से अभिप्राय है- फूँककर बजाए जाने वाले वाद्य । शहनाई एक अत्यंत मधुर व हृदयग्राही स्वर उत्पन्न करने वाला वाद्य है। इसमें समस्त राग-रागिनियों को आकर्षक सुरों में बाँधा जा सकता है । इसलिए शहनाई को ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि दी गई है।
(घ) भगत जी की पुत्रवधु उनके मस्त स्वभाव को भली-भांति जानती थी। पति की मृत्यु के पश्चात् उसके मन में यह विचार उभरता था कि यदि वह भी अपने ससुर ( भगत जी ) को छोड़ कर चली जाएगी तो उनके लिए भोजन कौन बनाएगा? यदि वे बीमार पड़े तो उनकी सेवा कौन करेगा? यही विचार कर वह भगत जी को अकेला छोड़कर नहीं जाना चाहती थी ।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [5]
मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,
मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज घनी ।
इस गंभीर अनंत- नीलिमा में असंख्य जीवन – इतिहास
यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य – मलिन उपहास
तब भी कहते हो – कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती ।
तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे – यह गागर रीती ।
किंतु कहीं ऐसा न हो कि तुम ही खाली करने वाले –
अपने को समझो, मेरा रस ले अपनी भरने वाले ।
(क) मधुप गुनगुना कर कौन-सी कहानी कहता है ? [2]
(ख) कवि की दुर्बलता के विषय में जानकर सुनने वाले को क्या प्राप्त होगा ? [1]
( ग ) मुरझाकर गिरती पत्तियाँ क्या संदेश देती हैं? [2]
उत्तर:
(क) भँवरा जब तक फूल का रस ग्रहण नहीं करता तब तक वह गुनगुनाता रहता है। उसकी गुनगुनाहट उसकी अतृप्ति की कहानी कहती है।
(ख) कवि की दुर्बलता को जानकर सुनने वाले को सुख का अनुभव होगा। यह एक स्वाभाविक तथ्य है कि व्यक्ति अपनी हीनता की भावना से मुक्ति पाने के लिए दूसरों की दुर्बलताएँ खोजता है ।
(ग) मुरझाकर गिरती पत्तियाँ यह संदेश देती हैं कि जीवन में मिलन के क्षण सदैव नहीं रहते । मिलन के बाद बिछुड़ना प्रकृति का अमिट नियम है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।. 2 × 4 = 8
(क) ‘गाधिसूनु’ किसे कहा गया है? वे मुनि की किस बात पर मन ही मन मुस्कुरा रहे थे?
(ख) श्रीकृष्ण को ‘हारिल की लकड़ी’ क्यों कहा गया है?
(ग) संगतकार में त्याग की उत्कट भावना भरी है – पुष्टि कीजिए ।
(घ) कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?
उत्तर:
(क) ‘गाधिसूनु’ विश्वामित्र को कहा गया है। वे परशुराम की अहंकार भरी बातों को सुनकर मुस्कुरा रहे थे। वे इस बात पर मन्द-मन्द मुस्कुरा रहे थे कि परशुराम जी भगवान राम की महिमा को न जानते हुए उनके समक्ष अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं।
(ख) हारिल पक्षी जब उड़ता है तो वह सदैव अपने पंजों में एक लकड़ी दबाए रहता है। गोपियाँ भी श्रीकृष्ण को सदैव अपने हृदय में बसाए रखती हैं। अतः श्रीकृष्ण को ‘ हारिल की लकड़ी’ कहा गया है।
(ग) संगतकार में त्याग की उत्कट भावना भरी रहती है। वह मुख्य गायक का सहयोगी होता है परन्तु वह अपना यश नहीं चाहता। वह मुख्य गायक को सहयोग देने में ही अपनी कला की सार्थकता मानता है।
(घ) जीवन में विगत की स्मृतियों में खोए रहने से केवल दुःख की प्राप्ति ही होती है। जीवन में यथार्थ या वर्तमान की वास्तविकता का अधिक महत्त्व होता है अतः व्यक्ति को यथार्थ का ही अभिनन्दन करना चाहिए। उसे जीवन की कठोर वास्तविकता का सामना करना ही पड़ता है। अतः कवि कहता है कि कठोर यथार्थ को महत्त्व देना चाहिए।
प्रश्न 11.
‘कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।’ ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के इस कथन में निहित जीवनमूल्यों को स्पष्ट कीजिए और बताइए कि देश की प्रगति में नागरिक की क्या भूमिका है? [4]
उत्तर:
प्रस्तुत कथन के द्वारा लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी देश की आर्थिक प्रगति आम जनता की कर्मठता पर निर्भर करती है। देश की आम जनता खून-पसीना बहाकर परिश्रम करती है परन्तु उससे होने वाले लाभ में से अपने हिस्से से ही वंचित रहती है। देश का विकास नेता नहीं बल्कि सामान्य जनता के कठोर परिश्रम द्वारा होता है। किसान, मजदूर तथा प्रतिभाशाली एवं ईमानदार लोग ही देश की उन्नति में विशेष योगदान देते हैं। देश की प्रगति में नागरिकों की भूमिका ही सर्वाधिक होती है। अधिकांश नेता तो कुछ वर्षों में ही अरबों रुपए की सम्पत्ति जमा कर लेते हैं। वे रिश्वत लेकर देश की उन्नति में बाधा बनते हैं। केवल थोड़े से ईमानदार नेता अच्छी नीतियाँ बनाकर देश की प्रगति में योगदान करते हैं। सामान्य जनता द्वारा किया गया परिश्रम तथा संतोष की भावना ही देश की प्रगति में सहयोगी होती है।
खण्ड – घ (लेखन)
प्रश्न 12.
दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 200-250 शब्दों में निबंध लिखिए- [10]
(i) सफलता की कुंजी – मन की एकाग्रता : मन की एकाग्रता क्या और क्यों – सफलता की कुंजी – सतत् – अभ्यास |
(ii) पश्चिम की ओर बढ़ते कदम : पश्चिम की चमक-धमक – आकर्षण के कारण – बचाव |
(iii) इंटरनेट का प्रभाव : इंटरनेट क्या है मानव मन पर प्रभाव – सदुपयोग |
उत्तर:
(i) सफलता की कुंजी : मन की एकाग्रता
प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सफलता चाहता है। विद्यार्थी परीक्षा में सफल होना चाहता है। व्यापारी व्यापार में अधिकाधिक धन अर्जित कर सफलता प्राप्त करना चाहता है तथा व्यापार में उन्नति के शिखर पर पहुँचना चाहता है । स्थानीय नेता विधायक, विधायक संसद सदस्य तथा संसद सदस्य मंत्री बना चाहते हैं। इसी प्रकार वैज्ञानिक आविष्कार कर सफलता के शिखर पर पहुँचना चाहता है। अभिनेता, गायक, चित्रकार, मूर्तिकार आदि सभी अपने क्षेत्र में सफलता के नये आयाम स्थापित करना चाहते हैं। सफलता का मुख्य रहस्य मन की एकाग्रता है। व्यक्ति यदि मन की एकाग्रता प्राप्त कर लेता है तो वह अपने इच्छित क्षेत्र में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त कर सकता है। ऐडीसन, मैडम क्यूरी, डॉ० भाभा, ए०पी०जे० अब्दुल कलाम तथा अन्य अनेक महान् वैज्ञानिकों में मानसिक एकाग्रता का अभाव नहीं था। इन महान् वैज्ञानिकों की दृष्टि सदैव लक्ष्य पर निर्भर रहती थी। वस्तुतः मन की एकाग्रता के बिना किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
(ii) पश्चिम की ओर बढ़ते कदम
वर्तमान युग में सम्पूर्ण विश्व एक विशाल देश की तरह हो गया है। ऐसी स्थिति में विभिन्न देशों का अन्य देशों पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। भारत की भाषा, धर्म तथा संस्कृति का प्रभाव अनेक देशों में देखा जा सकता है परन्तु भारत पर विदेशी प्रभाव बहुत अधिक मात्रा में लक्षित होता है। यहाँ की शिक्षा प्रणाली भी विदेशों से विशेष रूप से प्रभावित है। भारत में बड़े शहरों में विद्यार्थी राष्ट्रभाषा के स्थान पर अंग्रेज़ी भाषा पढ़ना तथा बोलना अधिक पसन्द करते हैं। हमारे शहरों, कस्बों में वेशभूषा पर भी विदेशी प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगत होता है। लोग फेसबुक, ट्विटर आदि में रुचि लेने लगे हैं। भारत में युवावर्ग का विदेशों के प्रति मोह बढ़ता ही जा रहा है । आजकल अमीर माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ने के लिए विदेश भेज देते हैं और फिर बाद में वही बच्चे विदेश में नौकरी करने लगते हैं। स्पष्टतया भारतवासियों का विदेशी जीवन के प्रति विशेष आकर्षण दिखता है।
युवा वहाँ की सभ्यता व संस्कृति को अपनाना चाहते हैं। विदेश जाकर आर्थिक रूप से संपन्न बनना चाहते हैं। वे आर्थिक संपन्न बनकर अपने परिवार को एक अच्छी और बेहतर ज़िन्दगी देना चाहते हैं। भारत में अधिक बेरोज़गारी है। अच्छे पढ़े-लिखे लोग भी नौकरी की तलाश में घूमते रहते हैं। योग्यता को कम तथा रिश्वत एवं को अधिक महत्त्व दिया जाता है। इसी कारण साक्षर युवा विदेशों में नौकरी करने के लिए उत्सुक होते हैं। विदेशों में बेहतरीन जीवनशैली के दर्शन होते हैं। प्रत्येक मनुष्य ऐसी जीवनशैली को अपनाना चाहता है जहाँ कोई रोक-टोक न हो, पूर्ण स्वतंत्रता हो तथा वह ज़िन्दगी को अपनी इच्छानुसार जी सके। इन्हीं सभी कारणों से युवा वर्ग का विदेशों के प्रति आकर्षण दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।
(iii) इंटरनेट का प्रभाव
वर्तमान युग विज्ञान का युग है। विज्ञान के आधुनिक आविष्कारों में इंटरनेट सर्वाधिक महत्वपूर्ण है । यह एक ऐसा माध्यम है जिससे क्षण भर में किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त की जा सकती है। किसी विषय की पृष्ठभूमि जानी जा सकती है। किसी भी विषय की जानकारी तुरंत प्राप्त की जा सकती है। इंटरनेट के अभाव में तो आज की दुनिया की कल्पना भी नहीं की जा सकती। बैंकिंग के क्षेत्र में भी इंटरनेट का बहुत महत्व है। हम इसकी सहायता से घर बैठे किसी अन्य के खाते में धन हस्तान्तरित करवा सकते हैं। बिजली तथा अन्य बिलों का भुगतान कर सकते हैं। इंटरनेट का व्यापारिक जगत पर गहरा प्रभाव परिलक्षित होता है। ऑनलाइन सामान बेचने वाली कम्पनियों ने कुछ वर्षों में ही करोड़ों रुपए अर्जित किए हैं। इंटरनेट के माध्यम से रेल, हवाईजहाज आदि के टिकट बुक कराए जा सकते हैं तथा होटल में कमरे आरक्षित कराए जा सकते हैं। इंटरनेट ने शेयर बाजार की दुनिया भी बदल दी है।
इंटरनेट के असंख्य लाभ हैं परन्तु इससे अनेक हानियाँ भी हैं। इस पर अनेक लोग अश्लील फिल्में देखते हैं। असामाजिक तत्व दंगे फैलाने में भी इंटरनेट का सहयोग लेते हैं। पिछले दिनों कश्मीर में पत्थर बाजी की अनेक घटनाएँ हुई, जिसके कारण प्रशासन को वहाँ इंटरनेट का प्रयोग अवरुद्ध करना पड़ा। अपरिपक्व बुद्धि के किशोर भी कई बार इंटरनेट का दुरुपयोग करते हैं। आतंकवादी भी इसका दुरुपयोग करते हैं। इस प्रकार इंटरनेट का प्रयोग अत्यन्त व्यापक कहा जा सकता है।
प्रश्न 13.
प्लास्टिक की चीज़ों से हो रही हानि के बारे में किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखकर अपने सुझाव दीजिए। [5]
उत्तर- सेवा में
मुख्य सम्पादक
पंजाब केसरी
नई दिल्ली
दिनांक : 20 अक्टूबर, 20xx
महोदय,
मैं आपके समाचार पत्र द्वारा लोगों का ध्यान आजकल बहुतायत में प्रयोग हो रही प्लास्टिक की चीजों की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। प्लास्टिक के बर्तन, खिलौने, विभिन्न उपकरणों आदि का पर्याप्त प्रयोग होता है। पैकिंग के लिए प्लास्टिक बैग का प्रयोग होता है। लोग प्लास्टिक की पन्नियाँ सड़कों पर फैंक देते हैं, जिसे खाकर गाएँ बीमार होती हैं तथा असमय काल कवलित हो जाती हैं। प्लास्टिक के खिलौनों का बच्चों के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है। मैं आपके समाचार पत्र के माध्यम से यह कहना चाहता हूँ कि स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने वाली प्लास्टिक की सभी वस्तुओं पर रोक लगानी चाहिए तथा प्लास्टिक की पन्नियों का प्रयोग करने वालों लोगों को कठोर दण्ड मिलना चाहिए।
निवेदक
आलोक मिश्र
60, पटेल नगर
नई दिल्ली
अथवा
तेजस्विन आपका मित्र है और उसने नेशनल स्तर पर ऊँची कूद में स्वर्ण पदक प्राप्त कर देश का नाम रोशन किया है, उसे बधाई देते हुए पत्र लिखिए ।
उत्तर:
21, राजपुर रोड
दिल्ली-110054
दिनांक : 15 अक्टूबर, 20xx
प्रिय तेजस्विन
नमस्कार !
समाचार पत्र द्वारा मुझे ज्ञात हुआ कि आपने नेशनल स्तर पर ऊँची कूद में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। यह जानकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई। मेरी कामना है कि तुम राष्ट्रमण्डल तथा ओलम्पिक खेलों में भी भाग लेकर इस खेल में पदक प्राप्त करो। तुमने इस सफलता के द्वारा अपने परिवार का ही नहीं बल्कि अपने जिले और राज्य का नाम भी रोशन किया है। तुम्हारी इस अपूर्व सफलता पर मैं तुम्हें हार्दिक बधाई देता हूँ ।
तुम्हारा मित्र
वेदमित्र
प्रश्न 14.
‘उज्जवला क्रीम’ की बिक्री बढ़ाने के लिए एक विज्ञापन 25-50 शब्दों में प्रस्तुत कीजिए । [5]
उत्तर:
उज्जवला क्रीम दाग, धब्बे और मुहासों से मुक्ति पाएँ चेहरे की चमक और कोमलता बढ़ाएँ उज्जवला क्रीम का प्रयोग करें। प्राप्ति के लिए सम्पर्क करें : 9900001234 |