NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 7 नए की जन्म कुंडली : एक
Class 11 Hindi Chapter 7 Question Answer Antra नए की जन्म कुंडली : एक
प्रश्न 1.
लेखक ने व्यक्ति को हमारी भारतीय परंपरा का विचित्र परिणाम क्यों कहा है?
उत्तर :
लेखक ने व्यक्ति को हमारी भारतीय परंपरा का विचित्र परिणाम इसलिए कहा है, क्योंकि वह परिवार मै रहता है, परिवार भारतीय परंपराओ का पालन करता है। परपराओं में जो अच्छाइयाँ या बुराइयाँ होती हैं, उन्हें ग्रहण करता है। आशय यह कि व्यक्ति के व्यक्तित्व पर परिवार की परंपराओं का ही असर होता है और वह वैसा ही बन जाता है।
प्रश्न 2.
‘साँदर्य में रहस्य न हो तो वह एक खूबसूरत चौखटा है।’ व्यक्ति के व्यक्तित्व के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति देखने में बहुत सुंदर दिखाई देता हो, परंतु उसमें कोई गुण न हो तो उसका सौँदर्य केवल एक दर्शनीय वस्तु बनकर रह जाता है। जब तक सँददर्य विशेषताओं से युक्त न हो तब तक उस का महत्व शून्य ही रहता है। लेखक का मित्र उसे बारह बर्षों के बाद मिलता है, जिसके बाल सफेद हो गए हैं तथा माथे पर लकीरें पड़ गई हैं परंतु वह आज भी उसकी सुंदरता पर मुग्ध है, जो उसके अंतर का है।
प्रश्न 3.
अभिधार्थ एक होते हुए भी ध्वन्यार्थ और व्यंग्यार्थ अलग-अलग हो जाते हैं। दूरियों के संदर्भ में इसका आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस कथन के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि जब कोई बात कही जाती है तो उसका मुख्य अर्थ एक होते हुए भी उसके ध्वन्यार्थ तथा व्यंग्यार्थ अलग-अलग हो जाते हैं। जैसे ‘वह गधा है’ वाक्य एक ऐसे जीव की ओर संकेत करता है जो ‘गधा’ है। यही वाक्य यदि किसी व्यक्ति विशेष को संबोधित करके कहा गया हो तो इसका अर्थ ‘गधा’ नामक जीव न होकर ‘गधा’ नामक जीव से संबंधित गुणों अथवा अवगुणों पर आधारित सीधा-साधा अथवा मूर्ख होगा। यह अर्थ ध्वन्यार्थ अथवा व्यंग्यार्थ कहलाएगा।
दूरियों का संदभी स्पष्ट करने के लिए लेखक ने शैले की ‘ओड टु वेस्ट विंड’ और ‘स्ववेअर रूट ऑफ़ माइनस वन’ का प्रयोगकर यह बताने के लिए किया है कि जिस प्रकार कविता और गणित में दूर-दूर तक कोई संबंध नही होता, उसी प्रकार से उसके और उसके मित्र में भी दूरियाँ हैं। उसके मित्र को काव्य से तथा लेखक को गणित से कोई लगाव नहीं है। इस प्रकार दोनों में दूरि बनी हुई हैं, जिन्हें वे पहचानते भी हैं और दोनों को यह स्थितियाँ पसंद भी हैं। इन दूरियों के होते हुए भी वे एक-दूसरे के पूरक बने हुए है।
प्रश्न 4.
सामान्य-असामान्य तथा साधारण-असाधारण के अंतर को व्यक्ति और लेखक के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
व्यक्ति के अनुसार सामान्य वह है जो आम आदमियों के समान अपना जीवन व्यतीत करता है तथा असामान्य व्यक्ति किसी-न-किसी मनोरोग से ग्रस्त होता है। व्यक्ति आम लोगों को साधारण आदमी मानता है जबकि असाधारण व्यक्ति समाज में किसी प्रतिष्ठित पद को प्राप्त आदमी होता है। लेखक ने सामान्य और साधारण उसे माना है जो अपने मन के भीतर के असामान्य के उग्र आदेशों का पालन नहीं कर सकता तथा असाधारण और असामान्य वह है जो अपनी एक धुन पर अपना सब कुछ कुर्बान कर सकता है।
प्रश्न 5.
‘उसकी पूरी ज़िदंदी भूल का एक नक्शा है।’ इस कथन के द्वारा लेखक व्यक्ति के बारे में क्या कहना चाहता है ?
उत्तर :
लेखक ने अपने मित्र को ‘पूरी जिंदगी भूल का एक नक्शा’ इसलिए कहा है क्योंकि वह आजीवन अपने सिद्धांतों के अनुसार चलता रहा। उसने कभी भी परिस्थितियों के साथ समझौता नहीं किया था। इसलिए वह असफल, नामहीन तथा आकारहीन रह गया। उसमें क्यावहारिकता का अभाव था। वह स्वयं को बदलते सामाजिक मूल्यों के अनुरूप ढाल नहीं सका था।
प्रश्न 6.
‘पिछले बीस वर्षों की सबसे महान घटना संयुक्त परिवार का ह्ञास है’-क्यों और कैसे ?
उत्तर :
भौतिकतावाद की दौड़ में मनुष्य इतनी तीत्र गति से दौड़ रहा है कि वह अपने सभी संबंधों को भूलता जा रहा है। आज परिवार का अर्थ पति-पत्नी और उनके बच्चों तक सीमित हो गया है। दादा-दादी, चाचा-ताऊ आदि सभी रिशे न जाने किसी अंधी दौड़ में पीछे छूट गए हैं। सभी स्वयं को एक-दूसरे के मुकाबले अधिक अमीर बनाने और दिखाने में लगे हुए हैं। इस कारण सारे संबंध गौण हो गए हैं तथा पैसा प्रधान हो गया है। व्यक्ति संकुचित होता गया तथा संयुक्त परिवार बिखरते चले गए हैं। एकल परिवार व्यवस्था और शीघ्र अमीर बनने की चाहत ने ही आज मानवी रिश्तों को तार-तार कर संयुक्त परिवारों को तोड़ दिया है। कीजिए। उत्तर लेखक का यह कथन बिलकुल सत्य है कि आज राजनीति करने वालों के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम नहीं है। वे केवल अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए राजनीति में आते हैं। उन्हें जन-कल्याण से कुछ भी लेना-देना नहीं होता। यदि राजनीति समाज-सुधार की ओर ध्यान देती तो स्वतंत्रता के इतने दशकों के पश्चात भी देश में गरीबी, अनपढ़ता, भुखमरी, अकाल, बाढ़ जैसी विभीषिकाएँ नही होतीं।
प्रश्न 8.
‘अन्यायपूर्ण व्यवस्था को चुनौती घर में नहीं, घर के बाहर दी गई।’-इससे लेखक का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
इस कथन के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि आज हमारी कथनी और करनी में बहुत अंतर आ गया है। हम घर के बाहर तो सामाजिक क्रांति, पूँजीवादी व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष छेड़ने की बातें करते हैं परंतु जहाँ यह सब हो रहा हो वहाँ अपने-पराए का भेद सामने आ जाने पर चुप्पी साधकर बैठ जाते हैं।
प्रश्न 9.
‘जो पुराना है, अब वह लौटकर आ नहीं सकता। लेकिन नए ने पुराने का स्थान नहीं लिया।’ इस नए और पुराने के अंतद्वंद्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पुराने से लेखक का तात्पर्य परंपरागत संस्कार, जीवन-मूल्य, आस्थाएँ तथा धर्म-भावना है और नए से तात्पर्य आधुनिक वैज्ञानिक बुद्धि के अनुसार भौतिकतावादी जीवन-जीना है। आज स्थिति यह है कि पुराने को छोड़कर नए को अपनाने के मोह में हम नए को भी पूरी तरह से नहीं अपना पा रहे हैं। हमें यह भी पता नहीं कि ‘नया’ है क्या ? यही कारण है कि आज नया जीवन, नए मान-मूल्य तथा नया न्याय सब कुछ परिभाषाहीन तथा आकार-रहित हो गए हैं। इनका कोई अस्तित्व दिखाई नहीं देता है। यह नए विचार, नई जीवन-पद्धति किसी नए व्यापक मानसिक सत्ता के अनुरूप अनुशासन नहीं दे सके। इन्होंने हमारी धार्मिक एवं दार्शनिक भावनाओं का स्थान भी नहीं लिया। सब कुछ गड़बड़ा गया है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए-
(क) इस भीषण संघर्ष की हूदय भेदक …………… इसलिए वह असामान्य था।
(ख) लड़के बाहर राजनीति या साहित्य के मैदान में …………….. घर के बाहर दी गई।
(ग) इसलिए पुराने सामंती अवशेष बड़े मजे ……………….. शिक्षित परिवारों की बात कर रहा हूँ।
(घ) मान-मूल्य, नया इंसाफ़ वे धर्म और दर्शन का स्थान न ले सके।
उत्तर :
सप्रसंग व्याख्या भाग देखिए।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) सांसारिक समझौते से ज्यादा विनाशक कोई चीज़ नहीं।
(ख) बुलबुल भी यह चाहती है कि वह उल्लू क्यों न हुई?
(ग) मैं परिवर्तन के परिणामों को देखने का आदी था, परिवर्तन की प्रक्रिया को नहीं।
(घ) जो पुराना है, वह अब लौटकर नहीं आ सकता।
उत्तर :
(क) दुनिया में रहते हुए दुनियादारी निभाने के लिए मनुष्य को चाहे-अनचाहे अनेक प्रकार के समझाँते करने पड़ते हैं। लेखक का मानना है कि इस प्रकार के समझौते करते रहना मनुष्य के स्वाभिमान का विनाश करना है।
(ख) आधुनिकता की होड़ में मनुष्य अपनी पुरानी अच्छी परंपराओं को छोड़ता जाता है और नए की चाह में नए को पूरी तरह से अपना भी नहीं पाता। उसकी दशा उस बुलबुल जैसी हो रही है जो उल्लू बनना चाह रही है। समाज में प्रत्येक व्यक्ति अच्छाई त्याग कर बुराई की ओर अग्रसर हो रहा है।
(ग) लेखक बताता है कि आधुनिक युग में प्रत्येक सामान्य व्यक्ति का यह स्वभाव बन गया है कि वह नए परिवर्तनों के परिणाम तो देखना चाहता है परंतु यह नहीं सोचता कि इस परिवर्तन की प्रक्रिया क्या थी और उसके लिए लोगों ने क्या-क्या कुर्बानियाँ दी हैं ? सब फल खाना चाहते हैं, काम नहीं करना चाहते।
(घ) लेखक का मानना है कि युग परिवर्तन के साथ-साथ सब कुछ बदलता रहता है। जैसे बीता हुआ समय लौटकर नहीं आता है उसी प्रकार से जो पुराना है, जो अतीत है, जो गत है वह भी लौटकर नहीं आता।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
‘विकास की ओर बढ़ते चरण और बिखरते मानव-मूल्य’ विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए।
प्रश्न 2.
‘आधुनिकता की इस दौड़ में हमने क्या खोया है और क्या पाया है ?’ अपने विद्यालय की पत्रिका के लिए इस विषय पर अध्यापकों का साक्षात्कार लीजिए।
प्रश्न 3.
“साँदद्य में रहस्य न हो तो वह एक खूबसूरत चौखटा है।” लेखक के इस वाक्य को केंद्र में रखते हुए ‘सौंदर्य क्या है’ इस पर चर्चा करें।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 7 नए की जन्म कुंडली : एक
प्रश्न 1.
‘नए की जन्म कुंडली : एक’ निबंध का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘नए की जन्म कुंडली : एक’ गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा रचित एक विचारात्मक निबंध है, जिसमें उन्होंने वर्तमान युग में मनुष्य में आने वाले परिवर्तन को ‘नए’ जीवन का नाम दिया है। लेखक ने इस संदर्भ में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि हमम ‘नए’ के मोह में पुराने को छोड़ तो देते हैं परंतु ‘नए’ को भी उसकी संपूर्णता के साथ अपना नहीं पाते हैं। ऐसे में अपने जीवन को दाँव पर लगाकर भी अनैतिक समझौते न करने वाला व्यक्ति असफल और प्रतिपल चाहे-अनचाहे समझौते करने वाला व्यक्ति सफल हो जाता है। संयुक्त परिवारों का विषटन हो रहा है परंतु पारिवारिक परंपराओं को हम अब भी पाल रहे हैं। राजनीति और साहित्य समाज-सुधार से विमुख हो गए हैं। परिणामस्वरूप सर्वत्र जातिगत और वर्गगत भेदभावों का बोलबाला हो रहा है। नया-नया चिल्लाने वाले भी घर के अंदर जाकर पुराने ही हो जाते हैं।
प्रश्न 2.
लेखक ने अपने मित्र के बारह वर्ष बाद मिलने पर उसके व्यक्तित्व का कैसे वर्णन किया है ?
उत्तर :
लेखक अपने मित्र से बारह वर्ष बाद मिलता है तो वह आनंद और आश्चर्य से भर उठता है। उसके बाल सफ़ेद्द हो गए थे। उसे वह भूतपूर्व नौजवान लग रहा था। लेखक पर उसके भूतपूर्व रंग-रूप का प्रभाव अभी भी छाया हुआ है। वह उसके बारे में रोमांटिक कल्पना करना चाहता है, पर वह समझ नहीं पा रहा था कि वह उसके रूप-सींदर्य से प्रभावित हो रहा है अथवा उसके माथे पर पड़ी हुई रेखाओं से। उसे उसके माथे पर पड़ी हुई रेखाएँ अच्छी लग रही थी। लेखक चाँदनी रात में अपने मित्र के साथ बैठा था।
प्रश्न 3.
लेखक व्यक्ति को बुद्धिमान क्यों मानता था ?
उत्तर :
लेखक उस व्यक्ति को इसलिए बुद्धिमान मानता था, क्योंकि वह व्यक्ति भारतीय परंपरा का पालन करता था और अपने विचारों को अधिक गंभीरतापूर्वक लेता था। वह अपने विचारों को पूरी ईमानदारी और स्पष्टता से व्यक्त करता था।
प्रश्न 4.
लेखक को अपने मित्र में एक मेधावी और प्रतिभाशाली पुरुष की संभावनाएँ क्यों दिखाई देती थीं ?
उत्तर :
लेखक को अपने मित्र में एक मेधावी और प्रतिभाशाली पुरुष की संभावनाएं इसलिए दिखाई देती थीं क्योंक उसका मित्र बहुत बुद्धिमान था। वह भारतीय परंपराओं का पालन करता था। वह अपने विचारों को बहुत गंभीरतापूर्वक लेता था। वह अपने विचारों को प्रकृति द्वारा प्रदत्त धूप और हवा जैसी स्वाभाविक मानता था। उसके विचार उसके मानस में उत्पन्न होने वाली उथल-पुथल के प्रतीक थे। वह जब भी अपने विचार व्यक्त करता था तो, अपने अंतर्मन की पूरी शक्ति के साथ प्रकट करता था।
प्रश्न 5.
आज साहित्य और राजनीति में किस दृष्टि का अभाव है ?
उत्तर :
आज साहित्य और राजनीति में सामाजिक सुधार से संबंधित दृष्टि का अभाव है। राजनीति के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम नहीं है। राजनीतकि केवल खोखले नारे देना तथा अपना उल्लू सीधा करने के लिए जातिवाद को प्रोत्साहन देते रहते हैं। साहित्य के पास भी सामाजिक सुधार का कोई कार्यक्रम नहीं है। इसलिए साहित्य में भी गड़बड़ है। सब अपना-अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हुए हैं।
प्रश्न 6.
अपने मित्र की किस बात से लेखक को लगा कि वह लेखक को गाली दे रहा है ?
उत्तर :
लेखक ने जब अपने मित्र से यह पूछा कि इन वर्षों में सबसे बड़ी भूल क्या हुई है, तब लेखक को उत्तर देते हुए उसके मित्र ने उसे बताया कि राजनीति और साहित्य के पास समाज-सुधार का कोई कार्यक्रम न होना ही सबसे बड़ी भूल है। इसके परिणामस्वरूप देश में जातिवाद का उदय हुआ। समाज विभिन्न वर्गों तथा श्रेणियों में विभाजित हो गया है। संयुक्त परिवार टूटे कितु इस टूटने से नए को पूरी तरह से नहीं अपनाया गया। नई पीड़ी की क्रांति और विद्रोह घर के बाहर तक ही सीमित रहे। घर के अंदर वे भी पुरानी परंपराओं का ही पालन करते रहे। इस प्रकार वे एक अनचाहा समझौता ही करते रहे हैं जो लेखक के मित्र को स्वीकार नहीं था। लेखक को लगा कि उसके मित्र का उसे इस प्रकार से समझौतावादी बनने के लिए कहना ही उसे गाली देने के समान है।
प्रश्न 7.
“मैं सामान्य उसको समझता हैं, जिसमें अपने भीतर के असामान्य के उग्र आदेश का पालन करने का मनोबल न हो। में अपने को ऐसा ही आदमी समझता हूँ…. मैं मात्र सामान्य हूँ।’ इस कथन में निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस कथन के माध्यम से लेखक ने उन लोगों पर व्यंग्य किया है जो संसार में जीवित रहने के लिए प्रतिपल चाहे अनचाहे समझौते करते रहते हैं तथा अपने अंतर्मन में पनप रहे आक्रोश को दबा देते हैं। वे स्वयं को एक सामान्य व्यक्ति दिखाने के लिए अपने सिद्धांतों, मन की आवाज़ आदि की अवहेलना करते रहते हैं। उन्हें अपनी आत्मा की आवाज़ से अधिक प्रिय समाज लगता है और समाज में सामान्य दिखाई देने के लिए वे निरंतर समझौतावादी बने रहते हैं।
प्रश्न 8.
व्यक्ति ने तैश में आकर समाज और परिवार के बारे में जो विचार रखे उससे आप कहाँ तक सहमत हैं ?
उत्तर :
व्यक्ति के अनुसार समाज में वर्ग-भेद और श्रेणी-भेद है। श्रेणियों में परिवार हैं। समाज की एक बुनियादी इकाई परिवार है। समाज की अच्छाई-बुराई परिवार के माध्यम से व्यक्त होती है। मनुष्य के चरित्र का विकास, बच्चों का पालन-पोषण, उनकी संस्कृतिक शिक्षा आदि परिवार से ही होती है। हम इन विचारों से पूरी तरह से सहमत हैं।
प्रश्न 9.
स्वयं और अपने मित्र के बीच लेखक ‘दो धुवों का भेद’ क्यों मानता है?
उत्तर :
लेखक और उसके मित्र की जीवन-दृष्टि में बहुत अंतर था। लेखक जब भी कोई काम करता था तो उसके मन में यह भावना रहती थी कि उसके काम से लोग खुश होते हैं। इसके विपरीत उसका मित्र जब कोई काम करता था तो इसलिए करता था कि जो काम उसने अपने हाथ में लिया है, उस काम को उसे सही ढंग से पूरा कर देना चाहिए। लेखक अपनी सामान्य व्यावहारिक बुद्धि से सब कुछ करता था, परंतु उसका मित्र अपने ही हिसाब से चलता था। इसी को लेखक ने अपने और अपने मित्र के बीच दो ध्रुवों का भेद माना है। अपनी सहजता से लेखक सफल, प्रतिष्ठित तथा भद्र कहलाने लगा और उसका मित्र असफल, नामहीन और आकारहीन रह गया।
प्रश्न 10.
लेखक सामान्य व्यक्ति किसे मानता है?
उत्तर :
लेखक सामान्य व्यक्ति उसे मानता है जो अपने भीतर के असामान्य के उग्र आदेशों को न मानने की सामर्थ्य रखता हो। जब उसका मित्र सदा उसके भीतर के असामान्य को उकसा देता था, तब वह स्वयं को बहुत हीन अनुभव करने लगता था।
प्रश्न 11.
साहित्य की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
साहित्य की उपयोगिता के बारे में किसी प्रकार भी संदेह नहीं किया जा सकता। साहित्य अतीत का ज्ञान तो कराता ही है साथ ही साथ वर्तमान काल का चित्र भी प्रस्तुत करता है और भविष्य के निर्भाण की प्रेरणा देता है। यह स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करता है। साहित्य मानव-जीवन के लिए शाश्वत मूल्यों का ज्ञान कराता है। भविष्य के निर्माण की प्रेरणा देता है। साहित्य के बिना राष्ट्र की सभ्यता एवं संस्कृति निर्जीव है।
प्रश्न 12.
जातिवाद राजनीति पर कैसे पकड़ मजबूत करता जा रहा है ?
उत्तर :
जातिवाद प्रत्येक क्षेत्र में एक बुराई के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। जातिवाद मानव को मानव से अलग करने का काम कर रहा है। आज यह राजनीति में भी आ गया है। जाति के आधार पर अनेक राजनीतिक दल बने हुए है जो जाति विशेष को बढ़ाषा देने पर बल देते हैं। उनके द्वारा ऐसा करने से लोगों में संघर्ष की भावना उत्पन्न होती है जो ऊँच-नीच के भेद बढ़ाने का काम करती है। आज समाज का प्रत्येक अंग एवं क्षेत्र जातिवाद की जकड़ में है। आज देश में कुछ प्रांत जाति के आधार पर आरक्षण की माँग कर रहे हैं तथा अलग प्रांत की माँग भी कर रहे हैं। अनेक जातिगत संगठन क्रियाशील हैं। जातिवाद समरस समाज के लिए एक कोढ़ के समान है।
प्रश्न 13.
संयुक्त परिवारों में विघटन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
आजादी के बाद से ही हमारे समाज में संयुक्त परिवार की परंपरा का प्रचलन कम होता जा रहा है। आज का युवक, युवती संयुक्त परिवार में घुटन अनुभव करने लगे हैं। उन्हें माता-पिता की रोक-टोक चोट के समान लगती है। वे किसी-न-किसी कारण को आधार बनाकर स्वर्य को संयुक्त परिवार से अलग करते जा रहे है। पहले व्यक्ति कमाकर लाता था और मुखिया को अपनी कमाई साँप देता था। तब परिवार की सभी ज्ञिम्मेदारियों से निश्चिंत हो जाता था, लेकिन अब एकल परिवार में उसे दोहरी, तिहरी और न जाने कितनी जिम्मेदारियों को निभाना पड़ रहा है।
प्रश्न 14.
लेखक अपने मित्र से डरकर बातें क्यों कर रहा था ?
उत्तर :
लेखक अपने मित्र से डरकर बातें कर रहा था, क्योंकि वह उसे किसी प्रकार की चोट नहीं पहुँचाना चाहता था। वह चुपचाप उसकी बात सुन रहा था। आवश्यकता होने पर मुसकराकर अपनी बात कह देता था। लेखक ने उससे पूछा कि पिछले बीस वर्षों की सबसे महान घटना क्या है ? इस पर उसके मित्र ने उत्तर दिया कि संयुक्त परिवारों का विघटन होना। लेखक मित्र का उत्तर सुनकर स्तब्ध रह गया।
प्रश्न 15.
गजानन माधव मुक्तिबोध की भाषा पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
लेखक ने अपनी भावनाओं को अत्यंत ही सहज्र, तत्सम-प्रधान भाषा तथा आत्मकथात्मक शैली में रोचकता से प्रस्तुत किया है। लेखक ने मेधावी, स्पर्श, सूक्ष्म जैसे तत्सम शब्दों के साथ कड़ी, नामी-गिरामी, कतई जैसे देशज शब्दों का भी भरपूर प्रयोग किया है। लेखक का कवि-हुदय भी कुछ जगह मुखरित हुआ है। लेखक के कथन में प्रतीकात्मकता एवं लाक्षणिकता का समावेश है। लेखक ने अपने निबंध में यथार्थ का अंकन बड़ी ही कुशलता से किया है।