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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 2 with Solutions
निर्देश
समय : 3 घंटे पूर्णांक : 80
- इस प्रश्न-पत्र में दो खंड है-‘अ’ और ‘ब’।
- खंड ‘अ’ में उपप्रश्नों सहित 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए कुल 40 प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं, आंतरिक विकल्प भी दिए गए हैं।
- निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पालन कीजिए।
- दोनों खंडों के कुल 18 प्रश्न हैं। दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: लिखिए।
खंड ‘अ’ (वस्तुपरक प्रश्न)
खंड ‘अ’ में अपठित गद्यांश, व्यावहारिक व्याकरण व पाठ्य-पुस्तक से संबंधित बहुविकल्पीय प्रश्न दिए गए हैं। जिनमें प्रत्येक प्रश्न के लिए 1 अंक निर्धारित है।
अपठित गद्यांश
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़र इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1 x 5=5)
संस्कृतियों के निर्माण में एक सीमा तक देश और जाति का योगदान रहता है। संस्कृति के मूल उपादान तो प्रायः सभी सुसंस्कृत और सभ्य देशों के एक सीमा तक समान रहते हैं, किंतु बाह्य उपादानों में अंतर अवश्य आता है। राष्ट्रीय या जातीय संस्कृति का सबसे बड़ा योगदान यही है कि वह हमें अपने राष्ट्र की परंपरा से संपृक्त बनाती है, अपनी रीति-नीति की संपदा से विच्छिन्न नहीं होने देती। आज के युग में राष्ट्रीय एवं जातीय संस्कृतियों के मिलन के अवसर अति सुलभ हो गए हैं, संस्कृतियों का पारस्परिक संघर्ष भी शुरू हो गया है।
कुछ ऐसे विदेशी प्रभाव हमारे देश पर पड़ रहे हैं, जिनके आतंक ने हमें स्वयं अपनी संस्कृति के प्रति संशयालु बना दिया है। हमारी आस्था डिगने लगी है। यह हमारी वैचारिक दुर्बलता का फल है। अपनी संस्कृति को छोड़, विदेशी संस्कृति के विवेकहीन अनुकरण से हमारे राष्ट्रीय गौरव को जो ठेस पहुँच रही है, वह किसी राष्ट्रप्रेमी जागरूक व्यक्ति से छिपी नहीं है। भारतीय संस्कृति में त्याग और ग्रहण की अद्भुत क्षमता रही है। अत: आज के वैज्ञानिक युग में हम किसी भी विदेशी संस्कृति के जीवंत तत्त्वों को ग्रहण करने
में पीछे नहीं रहना चाहेंगे, किंतु अपनी सांस्कृतिक निधि की उपेक्षा करके नहीं। यह परावलंबन राष्ट्र की गरिमा के अनुरूप नहीं है। यह स्मरण रखना चाहिए कि सूर्य की आलोकप्रदायिनी किरणों से पौधे को चाहे जितनी जीवनीशक्ति मिले, किंतु अपनी जमीन और अपनी जड़ों के बिना कोई पौधा जीवित नहीं रह सकता। अविवेकी अनुकरण, अज्ञान का ही पर्याय है।
(क) राष्ट्रीय या जातीय संस्कृति का सबसे बड़ा योगदान है
(i) वह हमें अपने अतीत से जोड़े रखती है
(ii) वह हमें अपने राष्ट्र की परंपरा और रीति-नीति का केवल बोध कराती है
(iii) वह हमें अपने कर्त्तव्य से जोड़े रखती है
(iv) वह हमें अपने राष्ट्र की परंपरा और रीति-नीति से जोड़े रखती है
उत्तर :
(iv) वह हमें अपने राष्ट्र की परंपरा और रीति-नीति से जोड़े रखती है गद्यांश में स्पष्टतः कहा गया है कि राष्ट्रीय या जातीय संस्कृति का सबसे बड़ा योगदान यही है कि वह हमें अपने राष्ट्र की परंपरा से संपृक्त (संबद्ध) बनाती है और अपनी रीति-नीति की संपदा से विच्छिन्न नहीं होने देती अर्थात् उससे जोड़े रखती है।
(ख) गद्यांश हमें सीख देता है
(i) अपनी संस्कृति में पूर्ण विश्वास करने की
(ii) अपनी जमीन व जड़ों से जुड़े रहने की
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) विवेकहीन अनुकरण करने की
उत्तर :
(iii) (i) और (ii) दोनों प्रस्तुत गद्यांश हमें अपनी संस्कृति में पूर्ण आस्था रखने का संदेश देता है और हमें हमेशा अपनी जमीन व जड़ों से जुड़े रहकर अन्य संस्कृतियों का विवेकहीन अनुकरण नहीं करना चाहिए।
(ग) आधुनिक युग में संस्कृतियों में परस्पर संघर्ष प्रारंभ होने का प्रमुख कारण क्या है?
(i) विरोधी संस्कृतियाँ एक-दूसरे के निकट आई हैं
(ii) विरोधी संस्कृतियों ने सीमाओं का अतिक्रमण प्रारंभ कर दिया है
(iii) भिन्न संस्कृतियों के निकट आने के कारण
(iv) कुछ संस्कृतियाँ संघर्ष की भावना से ग्रस्त रहती हैं
उत्तर :
(iii) भिन्न संस्कृतियों के निकट आने के कारण आधुनिक युग में राष्ट्रीय या जातीय संस्कृतियों के मिलन के अवसर अति सुलभ हो गए हैं, जिसके कारण संस्कृतियों का पारस्परिक संघर्ष शुरू हो गया है। इस प्रकार स्पष्ट है कि भिन्न संस्कृतियों के निकट आने के कारण अतिक्रमण एवं विरोध स्वाभाविक है।
(घ) हम विदेशी संस्कृति के महत्त्वपूर्ण तत्त्वों को ग्रहण कर सकते हैं
(i) वैज्ञानिक युग की माँग के कारण
(ii) भारतीय संस्कृति के त्याग एवं ग्रहुण की अद्भुत क्षमता के कारण
(iii) भारतीय संस्कृति के लेन-देन में विश्वास रखने के कारण
(iv) विदेशी संस्कृति के जीवंत तत्त्वों द्वारा हमारी संस्कृति को समृद्ध करने के कारण
उत्तर :
(ii) भारतीय संस्कृति के त्याग एवं ग्रहण की अदुभुत क्षमता के कारण गद्यांश के अनुसार, हम विदेशी संस्कृति के महत्त्वपूर्ण तत्त्वों को ग्रहण कर सकते हैं, क्योंकि भारतीय संस्कृति में त्याग एवं ग्रहण की अद्भुत क्षमता है।
(ङ) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) हम अपनी सांस्कृतिक संपदा की उपेक्षा कर रहे हैं।
कारण (R) हम वैचारिक रूप से दुर्वल हो गए हैं।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) सही है, परंतु कारण (R) गलत है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) गलत है, परंतु कारण (R) सही है।
उत्तर :
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है विदेशी प्रभाव के कारण आज हम अपनी ही सांस्कृतिक संपदा की उपेक्षा करने में लगे हैं। वस्तुतः यह हमारी वैचारिक दुर्बलताओं का परिणाम है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इसके आधार पर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1 X 5 = 5)
नागरिक के कर्त्तव्य और अधिकारों की समष्टि को नागरिकता कहा जाता है। नागरिकता ऐसी विशेषता है, जिसके अभाव में मनुष्य न तो समाज का आवश्यक अंग बन पाता है और न राज्य का। इसके बिना मनुष्य का जीवन एक प्रकार से या तो पशुवत् हो जाता है या महान विरागी संन्यासी के समान, जिसका सांसारिकता से कोई संबंध नहीं होता।
अत: नागरिकता हर मनुष्य को नागरिक बनाने के लिए आवश्यक है। सदाचार का अर्थ है-सत् + आचार = सात्विक व्यवहार। किंतु साधारण अर्थ में इसका प्रयोग उन सभी व्यवहारों और कार्यों के लिए होता है, जो समाज द्वारा ग्राह्य हों और अच्छी सामाजिक क्रियाओं को नियंत्रित करता रहता है। इसकी आवश्यकता होती है, समाज को व्यवस्थित तथा मर्यादित रखने के लिए। झूठ न बोलना, चोरी न करना, किसी को अनावश्यक ढंग से न सताना, अनुचित रीति से कामाचार न करना आदि सदाचार माने जाते हैं।
इन सब कार्यों का त्याग इसलिए आवश्यक होता है कि इनसे समाज में अव्यवस्था उत्पन्न होती है तथा समाज का ढाँचा लड़खड़ा जाता है। समाज उन्हीं गुणों का आदर-सम्मान करता है, जो सामाजिक विधियों को दृढ़ बनाने में तथा बहुजन-हिताय और बहुजन-सुखाय कार्यों में सहायक होते हैं।
(क) प्रस्तुत गद्यांश में ‘सांसारिकता’ से अभिप्राय है
(i) सांसारिक जीवन से विरक्ति का भाव
(ii) सांसारिक भोग-विलास के साधन
(iii) सांसारिक कर्तव्यों और अधिकारों का निर्वहन
(iv) सांसारिक जीवन से मोह
उत्तर :
(iii) सांसारिक कर्त्त्यों और अधिकारों का निर्वहन गद्यांश के आधार पर कह सकते हैं कि ‘सांसारिकता’ से अभिप्राय सांसारिक कर्त्तव्यों और अधिकारों का निर्वहन करना है। मनुष्य समाज में रहकर ही अपने सांसारिक धर्म का पालन करता है।
(ख) निम्न में से कौन-सा शब्द गद्यांश में दिए गए ‘ग्राह्य’ शब्द के सही अर्थ को दर्शाता है?
(i) घृणित
(ii) ग्रहण करने योग्य
(iii) अनुकरणीय
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ii) ग्रहण करने योग्य प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार, ‘ग्राह्यता’ शब्द का अर्थ ग्रहण करने योग्य होता है, जिसमें समाज द्वारा नागरिकों को ऐसा व्यवहार करने के लिए कहा गया है, जो समाज ग्रहण कर सके।
(ग) समाज उन्हीं गुणों का आदर-सम्मान करता है, जो बहुजन हिताय व बहुजन सुखाय कार्यों में सहायक होते हैं। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक मनुष्य को बनने की प्रेरणा दे रहा है।
(i) परोपकारी
(ii) सदाचारी
(iii) स्वार्थी
(iv) (i) और (ii) दोनों
उत्तर :
(iv) (i) और (ii) दोनों प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से लेखक मनुष्य को परोपकारी व सदाचारी बनने की प्रेरणा दे रहा है, क्योंकि ऐसे लोग ही समाज में आदर-सम्मान पाते हैं।
(घ) प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से हमें समाज में किस तरह का व्यवहार करने की सीख मिलती है?
(i) सात्विक व्यवहार करने की
(ii) मर्यादित आचरण करने की
(iii) अनुचित रीति से कामाचार न करने की
(iv) ये सभी
उत्तर :
(iv) ये सभी प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से हमें समाज में सात्विक व्यवहार, मर्यादित आचरण करने की सीख मिलती है, जिसके अंतर्गत हमें चोरी, झूठ बोलना, किसी को सताना व अनुचित रीति के कामाचार आदि कार्य नहीं करने चाहिए।
(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. नागरिकता के अभाव में मनुष्य समाज व राज्य का आवश्यक अंग नहीं बन पाता है।
2. नागरिकता व सदाचार एक-दूसरे से संबंधित हैं।
3. सदाचार के लिए किसी त्याग की आवश्यकता नहीं होती।
4. सदाचार से समाज मर्यादित तथा व्यवस्थित रहता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/है?
(i) केवल 1
(ii) 1 और 2
(iii) केवल 3
(iv) 1, 2 और 4
उत्तर :
(iv) 1,2 और 4 नागरिक के कर्त्तव्य और अधिकारों की समष्टि को नागरिकता कहा जाता है। अतः इसके अभाव में मनुष्य समाज व राज्य का अंग बन नहीं पाता है। नागरिकता व सदाचार एक-दूसरे से संबंधित हैं। सदाचार से समाज मर्यादित व व्यवस्थित रहता है तथा इसके लिए चोरी न करना, झूठ न बोलना, किसी को न सताना आदि आवश्यक कार्य हैं।
व्यावहारिक व्याकरण
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘पदबंध’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4=4)
(क) कबीरदास जी के अनुसार कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ हिरण की नाभि में ही होता है। रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संज्ञा पदबंध
(ii) सर्वनाम पदबंध
(iii) क्रिया पदबंध
(iv) विशेषण पदबंध
उत्तर :
(i) संज्ञा पदबंध
(ख) ‘मीराबाई श्रीकृष्ण के रूप सौंदर्य पर अत्यंत मोहित है।’ इस वाक्य में विशेषण पदबंध है
(i) मीराबाई
(ii) श्रीकृष्ण के रूप सौंदर्य
(iii) अत्यंत
(iv) मोहित
उत्तर :
(ii) श्रीकृष्ण के रूप सौंदर्य
(ग) क्रिया पदबंध का उदाहरण छाँटिए
(i) बड़े भाई साहब उपदेश देने की कला में निपुण थे।
(ii) बृजलाल गोयनका ने 200 आदमियों के साथ जुलूस निकाला।
(iii) सुभाष बाबू बड़े जोर से वंदेमातरम बोलते थे।
(iv) कलाकार का कर्त्तव्य दर्शकों की रुचि में सुधार करना है।
उत्तर :
(ii) बृजलाल गोयनका ने 200 आदमियों के साथ जुलूस निकाला।
(घ) “जापान के अस्सी फीसदी लोग तनाव के कारण मन से अस्वस्थ हैं।” रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संज्ञा पदबंध
(ii) सर्वनाम पदबंध
(iii) विशेषण पदबंध
(iv) क्रिया-विशेषण पदबंध
उत्तर :
(ii) सर्वनाम पदबंध
(ङ) ‘कर्नल की पूरी फौज धीरे-धीरे वज़ीर अली का पीछा कर रही है।’ रेखांकित पदबंध का भेद है
(i) संज्ञा पदबंध
(ii) सर्वनाम पदबंध
(iii) विशेषण पद्बंध
(iv) क्रिया-विशेषण पदबंध
उत्तर :
(iv) क्रिया-विशेषण पदबंध
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4=4)
(क) ‘एक सिपाही ने आकर कर्नल को बताया है कि दूर से धूल उड़ती दिखाई दे रही है।’ इस वाक्य का सरल वाक्य होगा
(i) सिपाही ने आकर कर्नल को बताया दूर से धूल उड़ती दिखाई दे रही है।
(ii) सिपाही आता है और कर्नल को बताता है कि दूर से धूल उड़ती दिखाई दे रही है।
(iii) सिपाही आता है, इसलिए कर्नल को बताता है कि दूर से धूल उड़ती दिखाई दे रही है।
(iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(i) सिपाही ने आकर कर्नल को बताया दूर से धूल उड़ती दिखाई दे रही है।
(ख) ‘अब तक हरिहर काका सब कुछ समझ चुके थे।’ रचना के आधार पर वाक्य भेद है
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्र वाक्य
(iv) सामान्य वाक्य
उत्तर:
(i) सरल वाक्य
(ग) ‘तुम बस रुकने के स्थान पर चले जाओ।’ दिए गए वाक्य का मिश्रित वाक्य होगा
(i) तुम रूको और बस रूकने के स्थान पर जाओ।
(ii) तुम उस स्थान पर जाओ, जहाँ बस रुकती है।
(iii) तुम जाओ, जहाँ बस रूकती है।
(iv) जहाँ बस रूकती है, वहाँ तुम जाओ।
उत्तर:
(ii) तुम उस स्थान पर जाओ, जहाँ बस रुकती है।
(घ) ‘यदि आप दवाई लेना चाहते हैं, तो लाइन में लग जाएँ।’ वाक्य-रचना की दृष्टि से है
(i) सरल वाक्य
(ii) मिश्र वाक्य
(iii) संयुक्त वाक्य
(iv) सार्थक वाक्य
उत्तर:
(ii) मिश्र वाक्य
(ङ) निम्न में से संयुक्त वाक्य है
(i) तताँरा ने विवश होकर आग्रह किया।
(ii) ग्वालियर में जहाँ हमारा मकान था, वहाँ उस मकान के दालान में दो रोशनदान थे।
(iii) खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले कभी नहीं की गई थी।
(iv) वे हरदम किताबें खोलते हैं और अध्ययन करते रहते हैं।
उत्तर:
(iv) वे हरदम किताबें खोलते हैं और अध्ययन करते रहते हैं।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार समास पर आधारित पाँच बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4=4)
(क) ‘जीवनमुक्त’ शब्द में कौन-सा समास है?
(i) बहुव्रीहि समास
(ii) द्विगु समास
(iii) तत्पुरुष समास
(iv) कर्मधारय समास
उत्तर:
(iii) तत्पुरुष समास
(ख) ‘आशाकिरण’ समस्त पद का विग्रह होगा
(i) आशा और किरण
(ii) आशा की किरण
(iii) आशा के लिए किरण
(iv) आशा में किरण
उत्तर:
(ii) आशा की किरण
(ग) सूची I को सूची II से मिलाइए और सही विकल्प चुनकर लिखिए
समस्त पद — समास
1. गृह प्रवेश — तत्पुरुष
2. नरसिंह — बहुव्रीहि
3. प्राणप्रिय — कर्मधारय
4. बेकाम — तत्पुरुष
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा युग्म सुमेलित है?
(i) 1 और 2
(ii) 2 और 3
(iii) 1 और 3
(iv) 1,2 और 4
उत्तर:
(iii) 1 और 3
(घ) ‘लालमणि’ शब्द के सही समास-विग्रह और समास का चयन कीजिए
(i) लाल है, जो मणि-कर्मधारय समास
(ii) मणियों में लाल-तत्पुरुष समास
(iii) मणियों का लाल-तत्पुरुष समास
(iv) लाल मणि का समाहार-द्विगु समास
उत्तर:
(i) लाल है, जो मणि-कर्मधारय समास
(ङ) ‘धर्मवीर’ शब्द के लिए सही समास विग्रह और समास का चयन कीजिए
(i) धर्म का वीर-अव्ययीभाव समास
(ii) धर्म और वीर-द्वंद्व समास
(iii) धर्म में वीर-तत्पुरुष समास
(iv) धर्म के लिए वीर-बहुब्रीहि समास
उत्तर:
(iii) धर्म में वीर-तत्पुरुष समास
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार मुहावरे पर आधारित छः बहुविकल्पीय प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 x 4 = 4)
(क) व्यापारी हमेशा ……….. लगे रहते हैं। उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) नाक-भौं चढ़ाने में
(ii) थाह लेने में
(iii) दुम दबाकर भागने में
(iv) निन्यानवे के फेर में
उत्तर:
(iv) निन्यानवे के फेर में
(ख) मालिक और मजदूर एक-दूसरे की ……………..। उपयुक्त मुहावरे से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) नस-नस पहचानते हैं
(ii) चुगली करते हैं
(iii) पीठ थपथपाते हैं
(iv) वारी जाते हैं
उत्तर:
(i) नस-नस पहचानते हैं
(ग) मुहावरे और अर्थ के उचित मेल वाले विकल्प का चयन कीजिए
(i) आँख भरकर देखना-मन भर देखना
(ii) आकाश-पाताल एक करना-खोजना
(iii) कलम तोड़ना-चीजें तोड़ना
(iv) दीर्घ निश्वास लेना-बहुत सोचना
उत्तर:
(i) आँख भरकर देखना-मन भर देखना
(घ) खोया हुआ बेटा मिलने पर माँ की …………. आई। रिक्त स्थान की पूर्ति उचित मुहावरे से कीजिए
(i) जान के लाले पड़ना
(ii) जड़ जमना
(iii) जान में जान आना
(iv) जामे से बाहर होना
उत्तर:
(iii) जान में जान आना
(ङ) रेखांकित अंश के लिए कौन-सा मुहावरा प्रयुक्त करना उचित रहेगा?
रमेश हमेशा गरीबों की इज्जत उतारता रहता है।
(i) नाक कटना
(ii) नाक काटना
(iii) पछाड़ देना
(iv) नाक में दम करना
उत्तर:
(ii) नाक काटना
(च) ‘उलझ जाना’ के लिए उपयुक्त मुहावरा है
(i) चक्कर काटना
(ii) चक्कर खा जाना
(iii) सुध-बुध खोना
(iv) हिम्मत टूटना
उत्तर:
(ii) चक्कर खा जाना
पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1 x 5=5)
‘मनुष्य मात्र बंधु है’ यही बड़ा विवेक है,
पुराणपुरुष स्वयंभू पिता प्रसिद्ध एक है।
फलानुसार कर्म के अवश्य बाह्य भेद हैं,
परंतु अंतरैक्य में प्रमाणभूत वेद है।
अनर्थ है कि बंधु ही न बंधु की व्यथा हरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
(क) निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए
1. सच्चा मनुष्य वही है, जो अन्य मनुष्यों के लिए जीता व मरता है।
2. कवि के अनुसार, जिस मार्ग पर भी चलना हो हँसी-खुशी से चलो।
3. जिसने जैसे कर्म किए, उसे वैसा ही जन्म मिला।
4. सहानुभूति के गुणों से सज्जित व्यक्ति को ही पूजनीय माना जाता है। पद्यांश से मेल खाते वाक्यों के लिए उचित विकल्प चुनिए
(i) 1 और 2
(ii) 1,3 और 4
(iii) 1 और 3
(iv) 2 और 4
उत्तर:
(iii) 1 और 3 प्रस्तुत पद्यांश से मेल खाते हुए वाक्यों के अनुसार सच्चा मनुष्य वही है, जो अन्य मनुष्यों के लिए जीता व मरता है अर्थात् स्वार्थ से ऊपर परमार्थ में विश्वास रखता है तथा इस संसार में सबका पिता एक ही पिता है, जिनके अनुसार जिसने जैसे कर्म किए, उसे वैसा ही जन्म मिला।
(ख) पद्यांश के अनुसार, प्रत्येक मनुष्य अपना बंधु कैसे है?
(i) एक राष्ट्र में जन्म लेने के कारण
(ii) एक प्रांत में जन्म लेने के कारण
(iii) एक जैसा भोजन करने के कारण
(iv) एक परमेश्वर की संतान होने के कारण
उत्तर:
(iv) एक परमेश्वर की संतान होने के कारण पद्यांश के अनुसार, प्रत्येक मनुष्य अपना बंधु है, क्योंकि सभी मनुष्य का पिता एक ही परमात्मा है अर्थात् हम सभी मनुष्य परमेश्वर की संतान हैं।
(ग) मनुष्य-मनुष्य में बाहरी अंतर …….. दिखाई देता है।
(i) विचारों से अलग होने के कारण
(ii) रंग-रूप में अंतर होने के कारण
(iii) कर्म के अनुसार फल भोगने के कारण
(iv) विभिन्न जातियों में जन्म लेने के कारण
उत्तर:
(iii) कर्म के अनुसार फल भोगने के कारण कवि के अनुसार, मनुष्य-मनुष्य में बाहरी अंतर इसलिए दिखाई देता है, क्योंकि कर्म के फल अनुसार सब आपस में भिन्न हैं। जिसने जैसे कर्म किए हैं, उसे वैसा ही फल मिला है।
(घ) पद्यांश के माध्यम से कवि ने क्या संदेश दिया है?
(i) ईश्वर के प्रति कृतज्ञा का भाव
(ii) आपसी भाई-चारे का भाव
(iii) पर के प्रति अनय का भाव
(iv) पर के प्रति अपनत्व का भाव
उत्तर:
(iv) पर के प्रति अपनत्व का भाव प्रस्तुत पद्याश के माध्यम से कवि ने यह संदेश दिया है कि हमें दूसरे व्यक्ति के प्रति अपनेपन का भाव रखना चाहिए, क्योंकि वास्तव में सच्चा मनुष्य वही है, जो अन्य मनुष्यों के लिए जीता और मरता है।
(ङ) संसार में सबसे बड़ा अनर्थ क्या है?
(i) जब कोई मनुष्य केवल अपने लिए ही जीता है
(ii) जब को व्यक्ति अपने ही बंधु के दु:खों को दूर नहीं करता
(iii) जब कोई व्यक्ति अपने ही बंधु के दु:ख हरता है
(iv) जब व्यक्ति दीन-दुखियों की सहायता करता है
उत्तर:
(ii) जब कोई व्यक्ति अपने ही बंधु के दुःखों को दूर नहीं करता कवि के अनुसार संसार में सबसे बड़ा अनर्थ यह है, जब कोई बंधु अपने ही बंधु के दुःख दूर नहीं करता। उसके कष्ट में उसके काम नहीं आता।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए। (1 x 2=2)
(क) ‘तरने की शक्ति हो अनामय’ पंक्ति का भाव है
(i) ईश्वर मनुष्य की सहायता करे
(ii) ईश्वर मनुष्य को सांत्वना दे
(iii) भवसागर से पार करने को ईश्वर मनुष्य के अंदर शक्ति संचारित करे
(iv) ईश्वर मनुष्य को क्षमा करे
उत्तर:
(iii) भवसागर से पार करने को ईश्वर मनुष्य के अंदर शक्ति संचारित करे प्रस्तुत पंक्ति में कवि प्रार्थना करता है कि ईश्वर उसकी सहायता के लिए आगे नहीं आए, अपितु भवसागर को पार करने की अनंत शक्ति उसके अंद्र संचारित करे।
(ख) युद्ध भूमि में सैनिक देश को साथियों के हवाले क्यों कर देता है?
(i) देश की रक्षा करते समय वह अपने प्राण न्योछावर कर रहा है
(ii) उससे अब देश की रक्षा नहीं होगी
(iii) वह शत्रुओं का सामना नहीं कर सकता
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(i) देश की रक्षा करते समय वह अपने प्राण न्योछावर कर रहा है युद्ध भूमि में सैनिक देश की रक्षा करते समय अपने प्राण न्योछावर कर रहा है, इसलिए वह देश तथा उसकी रक्षा की जिम्मेदारी साथियों के हवाले कर रहा है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए। (1 x 5=5)
वे दिन में कई-कई बार आते-जाते हैं और क्यों न आएँ-जाएँ आखिर उनका भी घर है, लेकिन उनके आने-जाने से हमें परेशानी भी होती है। वे कभी किसी चीज को गिराकर तोड़ देते हैं। कभी मेरी लाइब्रेरी में घुसकर कबीर या मिर्जा गालिब को सताने लगते हैं। इस रोज-रोज की परेशानी से तंग आकर मेरी पत्नी ने उस जगह जहाँ उनका आशियाना था, एक जाली लगा दी है, उनके बच्चों को दूसरी जगह कर दिया है। उनके आने की खिड़की को भी बंद किया जाने लगा है। खिड़की के बाहर अब दोनों कबूतर रात-भर खामोश और उदास बैठे रहते हैं।
(क) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए।
कथन (A) लेखक की पत्नी ने कबूतरों से परेशान होकर उनका आशियाना दूसरी जगह कर दिया। कारण (R) लेखक की पत्नी को उनका आना-जाना अच्छा नहीं लगता था।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलत है किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर:
(ii) कथन (A) गलत है कितु कारण (A) सही है लेखक की पत्नी ने कबूतरों से परेशान होकर उनके आशियाने पर एक जाली लगवा दी तथा उनके बच्चों को दूसरी जगह कर दिया, क्योंकि लेखक की पत्नी को कबूतरों का आना-जाना अच्छा नहीं लगता था।
(ख) कबूतर लेखक के घर में दिन में कई बार क्यों आते-जाते रहते थे?
(i) लेखक से घनिष्ठ प्रेम के कारण
(ii) अपने अंडों के कारण
(iii) लेखक की माता के स्नेह के कारण
(iv) अपने अधिकार के कारण
उत्तर:
(ii) अपने अंडों के कारण कबूतर ने लेखक के घर में घोंसला बना रखा था, जिसमें उसके अंडे भी थे, इसलिए कबूतर लेखक के घर में दिन में कई बार आया-जाया करते थे।
(ग) लेखक व उनकी पत्नी को कबूतरों का आना-जाना अच्छा क्यों नहीं लगता था?
(i) कबूतर उनका नुकसान करते थे
(ii) कबूतर के प्रति उनमें घृणा भाव था
(iii) वे कबूतर से डरते थे
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(i) कबूतर उनका नुकसान करते थे कबूतर लेखक के घर में चीजों को गिराकर तोड़ दिया करते या अन्य प्रकार से नुकसान पहुँचाते थे, इसलिए लेखक व उनकी पत्नी को कबूतरों का घर में आना-जाना अच्छा नहीं लगता था।
(घ) कबूतरों के आने से लेखक को क्या नुकसान झेलना पडा?
(i) पुस्तकालय की किताबें गंदी हो गई
(ii) चीजें गिरकर टूट गईं
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) भोजन खा जाते थे
उत्तर:
(iii) (i) और (ii) दोनों कबूतर लेखक की पुस्तकालय में रखी किताबों को गंदा कर दिया करते तथा चीज़ों को गिराकर तोड़ दिया करते थे।
(ङ) लेखक व उसकी पत्नी द्वारा कबूतरों के आशियाने पर जाली लगा दी गई व उनके बच्चों को दूसरी जगह कर दिया गया। उनके द्वारा किया गया कृत्य अन्य प्राणियों के प्रति दर्शाता है
(i) निर्ममता
(ii) ममता
(iii) प्रेम
(iv) भेदभाव
उत्तर:
(i) निर्ममता लेखक व उसकी पत्नी द्वारा कबूतरों के आशियाने पर जाली लगाना व उनके बच्चों को दूसरी जगह करना अन्य प्राणियों के प्रति निर्ममता व कठोरता को दर्शाता है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए।
(क) कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर छोटे भाई का बड़े भाई के प्रति व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?
(i) वह उनका सम्मान करने लगा
(ii) वह उनसे हमदर्दी रखने लगा
(iii) उसमें थोड़ा अभिमान आ गया और उसने डरना छोड़ दिया
(iv) वह बड़े भाई साहब का अपमान करने लगा
उत्तर:
(iii) उसमें थोड़ा अभिमान आ गया और उसने डरना छोड़ दिया कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर छोटे भाई को स्वयं पर थोड़ा अभिमान हुआ और उसका आत्मसम्मान भी बढ़ा तथा वह खेलकूद में निर्भीक होकर पहले से अधिक समय व्यतीत करने लगा।
(ख) ‘अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के आधार पर कौन से कथन बताते हैं कि संसार टुकड़ों में बँट गया?
1. आपसी प्रेमभाव कम हो गया है।
2. भौगोलिक दूरियाँ बढ़ गई हैं।
3. लोगों की स्वार्थ भावना बढ़ रही है।
4. पारिवारिक सौहार्द की कमी हो रही है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(i) 1 और 2
(ii) 2 और 3
(iii) 1,3 और 4
(iv) 3 और 4
उत्तर:
(iii) 1,3 और 4 प्रस्तुत पाठ के अनुसार, संसार टुकड़ों में बैंट गया है, क्योंकि अब जीवन डिब्बे जैसे घरों में सिमटकर रह गया है व आपसी प्रेमभाव खत्म हो गया है तथा लोगों में स्वार्थ की भावना बढ़ गई है व पारिवारिक सोहार्द की कमी होती जा रही है।
खंड ‘ब’ (वर्णनात्मक प्रश्न)
खंड ‘ब’ में पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक-पुस्तक तथा लेखन से संबंधित वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
पाठ्य-पुस्तक एवं पूरक पुस्तक
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3 x 2 = 6)
(क) ‘वामीरो के रुदन के स्वर को सुनकर उसकी माँ वहाँ पहुँची और दोनों को एकसाथ देखकर आग बबूला हो उठी। उसने तताँरा को तरह-तरह से अपमानित किया? वामीरो की माँ ने क्या देखकर तताँरा का अपमान किया तथा क्या उनके द्वारा किया गया यह बर्ताव ठीक था। अपने शब्दों में लिखिए।
(ख) ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के माध्यम से हमने गुलाम भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले सुभाषचंद्र बोस के संघर्ष को जाना। देश के प्रति इनके द्वारा किए गए संघर्ष को अपने शब्दों में लिखिए।
(ग) लेखक बड़े भाई साहब की किस बात से सहमत है? ‘बड़े भाई साहब’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
(क) पासा गाँव में जब पशु-पर्व का आयोजन हो रहा था, तब वहाँ भी तताँरा वामीरो को तलाश रहा था और जब वह वामीरो से मिला तो वामीरो उसे देखकर फूट-फूटकर रोने लगी, जिसे वामीरो की माँ ने देख लिया। इन दोनों को साथ देखकर उसने सबके सामने तताँरा का तरह-तरह से अपमान किया, जिसके कारण तताररा को क्रोध आ गया और उसने लकड़ी की तलवार निकालकर पूरी शक्ति के साथ जमीन में गाड़ दी। वामीरो की माँ द्वारा सबके सामने तताँरा के साथ किया गया अपमानजनक व्यवहार ठीक नहीं था, क्योंकि उससे उन दोनों को बहुत दु:ख पहुँचा था।
(ख) 26 जनवरी, 1931 को जब संपूर्ण भारत में स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा था, तब कलकत्ता में भी यह भव्य रूप में मनाया जा रहा था, इसलिए जब सुभाष जुलूस लेकर निकले, तो पुलिस ने लाठियाँ चलाना शुरू कर दीं, जिसमें कई लोग घायल हुए तथा सुभाष द्वारा जोर-जोर से वंदेमातरम बोलने पर उन पर भी लाठियाँ पड़ीं, परंतु वे पीछे नहीं हटे और जब स्त्रियों द्वारा मोनुमेंट की सीढ़ियों पर झंडा फहरा दिया गया, तब सुभाष को गिरफ्तार कर लॉकअप में डाल दिया गया। इस प्रकार, सुभाषचंद्र बोस ने देश की स्वतंत्रता में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
(ग) लेखक बड़े भाई साहब की इस बात से पूर्णतः सहमत है कि बड़ा और अधिक अनुभवी होने के नाते बड़े भाई साहब को उससे अधिक समझ है। वह समझ गया था कि बड़े भाई साहब को उसे डाँटने और समझाने का पूरा अधिकार है। लेखक की सहमति से बड़े भाई साहब बहुत खुश हुए और उन्होंने लेखक को प्रसन्नतापूर्वक गले लगा लिया व अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि मैं तुम्हें पतंग उड़ाने के लिए मना नहीं करता, मेरा दिल भी पतंग उड़ाने को करता है, परंतु यदि मैं ऐसा करूँगा, तो तुम्हें किस प्रकार समझाँँगा। इस प्रकार, लेखक बड़े भाई साहब की बात is से पूर्णतः सहमत हो गया।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3 x 2=6)
(क) ‘द्रौपदी री लाज राखी बूढ़तो गजराज, राख्यो, भगत कारण रूप नरहरि’। प्रस्तुत पंक्तियों में मीरा किन उदाहरणों के माध्यम से श्रीकृष्ण से प्रार्थना कर रही है?
(ख) ‘आत्मत्राण’ कविता का कवि ईश्वर को सर्वोच्च सत्ता मानते हुए भी उनसे किसी प्रकार की सहायता की अपेक्षा नहीं करता। क्यों? लिखिए।
(ग) ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में हिमालय पर्वत को किसके प्रतीक के रूप में बताया गया है? ‘सर पर कफ़न बाँधना’ किस ओर संकेत करता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से मीराबाई अपने आराध्य से प्रार्थना करते हुए कहती है कि आप ही अपनी इस दासी को कष्टों से दूर कर सकते हो। आपने ही द्रौपदी की लाज बचाकर उसे अपमानित होने से बचाया था तथा आपने अपने प्रिय भक्त प्रद्धाद को बचाने के लिए नरसिंह भगवान का रूप धारण किया था तथा डूबते हाथी को मगरमच् से बचाकर उसके प्राणों की रक्षा की थी। इसी प्रकार हे प्रभु! आप – मेरे कष्टों को भी दूर कर मुझे हर प्रकार के सांसारिक बंधन से छुटकारा दिलाइए।
(ख) ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि ईश्वर को सर्वोच्च सत्ता मानता है, लेकिन उनसे सहायता की अपेक्षा नहीं करता, क्योंकि वह कहता है कि मुझमें आत्मविश्वास की कमी न हो। मेरे जीवन में कोई भी मुसीबत आने पर मेरा बल, शक्ति और मेरा पराक्रम न डगमगाए। आप मुझे दु:खों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करें। कवि नहीं चाहता कि उसके कष्टों के भार को ईश्वर कम करें। मैं तो केवल इतना चाहता हूँ कि जीवन में आने वाली मुसीबतों का मैं डटकर, निर्भय होकर सामना कर सकूँ अर्थात् आप मुझे निर्भयता का वरदान दें।
(ग) ‘कर चले हम फिदा’ कविता में हिमालय पर्वत को देश की अस्मिता एवं इसके सिर के ताज के प्रतीक के रूप में बताया गया है। भारत-चीन युद्ध के दौरान हिमालय की यादियों में शत्रुओं के अधिकार को रोकने के लिए जवानों ने अपना जीवन त्याग दिया। भारतीय सैनिकों ने अपने बलिदान के द्वारा हिमालय के गौरव को पद-दलित होने से रोका। ‘सर पर कफ़न बाँधने’ जैसी पंक्तियों से कवि ने देशवासियों को देश के लिए मर-मिटने की परंपरा की याद दिलाई है। कवि मानता है कि हमें त्याग के मार्ग को व्यर्थ नहीं होने देना है। हमें ऐसे काफ़िले सजाते रहने होंगे, जो देश के लिए बलिदान करने हेतु तत्पर हों, क्योंकि स्वतंत्रता के बाद स्वतंत्रता की सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए। (3 x 2 = 6)
(क) हेडमास्टर साहब लेखक को प्रत्येक वर्ष किसी धनी लड़के की पुस्तकें दिलवा देते थे, यद्यपि लेखक मध्यमवर्गीय था, पर उसके लिए एक रुपये की कीमत भी बहुत थी।
‘सपनों के से दिन’ पाठ के आधार पर बताइए कि आप किस प्रकार गरीब व मध्यमवर्गीय बच्चों की अध्ययन में सहायता कर सकते हैं?
(ख) “अम्मी शब्द सुनकर टोपी के घरवालों की प्रतिक्रिया संकीर्ण मानसिकता की द्योतक है।” ‘टोपी शुक्ला’ पाठ के आधार पर उक्त कथन के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
(ग) महंत द्वारा हरिहर काका का अपहरण किया जाना, महंत के चरित्र की किस सच्चाई को सामने लाता है? ठाकुरबाड़ी जैसी संस्थाओं से कैसे बचा जा सकता है? विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
(क) लेखक के अनुसार, गरीब व मध्यमवर्गीय बच्चों की हम अनेक प्रकार से सहायता कर सकले हैं
- हम ऐसे बच्चों की पुस्तकें, कॉपियाँ व पुरानी व सस्ती वेशभूषा दिलाकर सहायता कर सकते हैं।
- बच्चों के लिए विद्यालय की ओर से छात्रवृत्ति की व्यवस्था कर सकते हैं।
- उनकी शिक्षा को सरकार के अधिनियम द्वारा नि:शुल्क करवा सकते हैं।
- माता-पिता को शिक्षा के अधिकार के प्रति जागरूक कर उनके बच्चों को विद्यालय भेज सकते हैं।
- घर पर कुछ गरीब बच्चों को नि:शुल्क अध्ययन करा सकते हैं।
(ख) एक दिन जब टोपी अपने घर में सभी घरवालों के साथ बैठकर खाना खा रहा था, तब अचानक टोपी के मुँह से ‘अम्मी ‘ शब्द सुनाई दिया। अम्मी शब्द सुनकर टोपी की दादी और उसकी माँ के चेहरे की हवाइयाँ उड़ चुकी थी। इसके पश्चात् दोनों ने टोपी के साथ अमानवीय व्यवहार किया। घरवालों की यह प्रतिक्रिया उनकी संकीर्ण सोच (मानसिकता) का प्रतिनिधित्व करती है। में घरवालों की इस प्रतिक्रिया को अनुचित मानता हुँ, क्योंकि किसी भाषा को किसी धर्म से जोड़ने पर सदैव गलत धारणा प्रतिपादित होती है। अतः हमें धर्म, जात, वर्ण आदि से ऊपर उठकर मानवीय रिश्तों को अहमियत देने की आवश्यकता है।
(ग) महंत द्वारा हरिहर काका का अपहरण महंत के चरित्र की इस सच्चाई को सामने लाता है कि महंत स्वार्थी एवं धनलोलुप व्यक्ति है। महंत ने हरिहर काका की जमीन-जायदाद हड़पने के लिए पहले उन्हें फुसलाया और जब इससे काम न बना, तो उन्होंने उनका अपहरण कर लिया। उनके इस व्यवहार से यह सच्चाई उजागर होती है कि धर्म के क्षेत्र में दुर्जनों एवं दुराचारी लोगों का प्रवेश हो चुका है और ऐसे ही लोगों के कारण धर्म के क्षेत्र में अनाचार की प्रवृत्तियाँ बढ़ती जा रही हैं। ठाकुरबाड़ी जैसी संस्थाओं से व्यक्ति का मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण ही उसे बचा सकता है, क्योंकि व्यक्ति का विवेक ही उसे सही निर्णय लेने में सहायता करता है और उसे धर्म के ठेकेदारों के स्वार्थों से बचा सकता है।
लेखन
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए। (5 x 1=5)
(क) बिना विचारे जो करै, सो पाछे पछताए
संकेत बिंदु
- चंचल मानव मन
- विवेकपूर्ण कर्म से ही सफलता
- मानव : विवेकशील प्राणी
- उपसंहार
उत्तर:
यह सर्वविदित है कि मानव का मन चंचलता से युक्त होता है। चंचलता के कारण मानव कई बार सत्य के मार्ग से विचलित हो जाता है और अनेक प्रकार की कठिनाइयों-बुराइयों में फैस जाता है। विचार करके कार्य करने से कार्य ठीक होता है, जिससे मानव की उन्नति होती है। इसी को विवेक कहा जाता है। मनुष्य अपनी विवेकशीलता के कारण ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी माना जाता है, विवेक ही मनुष्य को पशुओं से अलग करता है।
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मनुष्य को विवेक, विचारशीलता, सुमति आदि की अत्यंत आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि कार्य प्रारंभ करने से पूर्व यदि सोच-समझकर निर्णय नहीं लिया गया, तो बाद में हाथ मलने या सिर पीटकर पछताने के अतिरिक्त कुछ नहीं बचता।
रावण जैसा महापतापी, महापंडित, शूरवीर, शिव भक्त राजा अपने अविवेकपूर्ण निर्णय के कारण ही सपरिवार विनाश को प्राप्त हुआ, इसलिए सोच-विचारकर ही कदम बढ़ाना चाहिए। विवेकपूर्ण ढंग से आगे बढ़ना ही सफलता का मूलमंत्र है। अतः हमें बिना विचारे न तो बोलना चाहिए और न ही कोई ऐसा कार्य करना चाहिए, जो हमारे प्रगति के मार्ग को अवरुद्ध करता हो।
(ख) धर्म-निरपेक्षता
संकेत बिंदु –
- धर्म-निरपेक्षता का अर्थ और आवश्यकता
- धर्म-निरपेक्षता के लिए आवश्यक तत्त्व
- धर्म-निरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता का संबंध
- उपसंहार
उत्तर:
धर्म-निरपेक्षता का अर्थ है-किसी एक धर्म विशेष को प्रोत्साहन न देकर सभी धर्मों को पनपने तथा विकास करने का अवसर प्रदान करना। भारत जैसा विशाल राष्ट्र आज विभिन्न धर्मों, संप्रदायों और जातियों के रहते हुए भी यदि धार्मिक रूप से एक है, तो इसका श्रेय निश्चित रूप से धर्म-निरपेक्षता को जाता है। धर्म-निरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता का आपस में बहुत गहरा संबंध है। जिस राष्ट्र में अनेक धर्म, जातियाँ, संप्रदाय और भाषाएँ हैं, वहाँ धर्म-निरपेक्षता को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
धर्म-निरपेक्षता को बनाए रखने में सरकार तथा नागरिकों के साथ-साथ धार्मिक संस्थाओं, संगठनों, बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, साहित्यकारों आदि का बहुत बड़ा योगदान होता है। धार्मिक संस्थाओं और संगठनों को अपने धर्म की अच्छाइयों को इस प्रकार सामने लाना चाहिए कि उससे दूसरे धर्मों के लोगों के प्रति वैमनस्य की भावना उनके मन में न आ सके।
शिक्षाविदों का यह कर्त्तव्य है कि वे शिक्षा नीति में इस प्रकार सुधार करें, जिससे ‘सर्वधर्म समभाव’ की भावना को बल मिले। वस्तुतः वर्तमान समय में राष्ट्र के सभी नागरिकों से यह अपेक्षा है कि वे धर्मनिरपेक्षी बनें और अपने भीतर सर्वधर्म समभाव के विचार विकसित करें।
(ग) 18 वर्ष की आयु में मताधिकार
संकेत बिंदु
- 18 वर्ष की आयु में मताधिकार के विचार की तार्किकता
- युवा : राष्ट्र का महत्त्वपूर्ण एवं राजनीतिक वर्ग
- ध्यान रखने योग्य बातें
- उपसंहार
उत्तर:
कुछ लोगों का विचार है कि 18 वर्ष की आयु में मताधिकार का अधिकार सही नहीं है। यह विचार पूर्णत: गलत है कि इससे छात्रों की पढ़ाई पर गलत प्रभाव पड़ेगा। यदि देश के विकास में छात्रों का योगदान है, तो उन्हें मत देने के अधिकार से किस प्रकार वंचित किया जा सकता है ? युवाओं ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अपने राजनीतिक कौशल का परिचय दिया था, जिसके कारण देश को स्वतंत्रता मिली।
जब भी देश पर कोई संकट आया है, तो देश के युवाओं ने आगे बढ़कर प्रत्येक संकट का सफलतापूर्वक सामना किया है। देश की किसी भी समस्या को सुलझाने में युवा वर्ग को आमंत्रित किया जाता है, तो उससे मताधिकार का प्रयोग करने में किस प्रकार गलती हो सकती है? हाँ, यह बात अलग है कि युवा वर्ग का ध्यान इस ओर आकृष्ट करना बहुत आवश्यक है कि उनके कारण देश की प्रतिष्ठा पर किसी भी प्रकार की आँच नहीं आनी चाहिए। 18 वर्ष की आयु के युवाओं को मत देने का अधिकार बहुत अच्छी नीति है।
युवा वर्ग के संदर्भ में इतना अवश्य सुधार किया जाना चाहिए कि उन्हें इस बात का ज्ञान कराया जाए कि वे छोटी-छोटी-सी बात पर आदोलनरत होकर सरकारी व निजी संपत्ति को ‘नुकसान न पहुँचाएँ। किसी भी राष्ट्र के सुनहरे भविष्य की दिशा उसका युवा वर्ग तय करता है। वह अपने मताधिकार द्वारा स्वयं के भविष्य हेतु उचित प्रतिनिधि चुन सकता है। अतः 18 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों को मताधिकार दिया जाना सरकार का एक अच्छा निर्णय माना जाता है।
प्रश्न 15.
बस में यात्रा करते हुए आपके कुछ आवश्यक कागज़ात बस में ही छूट गए। उन्हें प्राप्त करने हेतु बस सेवा के ‘खोया-पाया’ अनुभाग के कार्यालय में अधिकारी को अपने कागज़ों का विवरण देते हुए एक पत्र लगभग 100 शब्दों में लिखिए। (5×1=5)
अथवा
अपने नगर के स्वास्थ्य अधिकारी को लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखकर अपने क्षेत्र में खाने की वस्तुओं में मिलावट की घटनाओं के प्रति उनका ध्यानाकृष्ट कीजिए।
उत्तर:
परीक्षा भवन, मेरठ।
दिनांक 19 मार्च, 20XX
सेवा में,
श्रीमान मुख्य प्रबंधक महोदय,
‘खोया-पाया अनुभाग’, परिवहन विभाग, मेरठ।
विषय बस में यात्रा के दौरान खोए हुए आवश्यक कागज़ात की पूछताछ हेतु।
महोदय,
मैं दिनांक 18 अप्रैल, 20xx को प्रात: 10 बजे मेडिकल कॉलेज से सिटी रेलवे स्टेशन की लो-फ्लोर बस (बस संख्या UP-15F 89XX) में यात्रा कर रहा था। मुझे ठीक 11:30 बजे सहारनपुर पैसेंजर गाड़ी पकड़नी थी और मैं बहुत जल्दी में था। मुझे सहारनपुर में अपनी घायल बहन को जिला अस्पताल में देखने जाना था और मेरा सारा ध्यान उसी ओर लगा हुआ था। यही कारण था कि सिटी रेलवे स्टेशन आने पर मैं अपने बैग को बस में ही भूल गया। यह बैग हल्के नीले रंग का था। इसमें मेरे बहुत से आवश्यक कागजात रखे हुए थे। इस बैग पर ‘स्माइल प्लीज़’ लिखा हुआ था। इसमें मेरे नाम तथा पते की एक स्लिप भी लगी हुई थी। महोदय, यदि किसी संवाहक ने इस प्रकार का कोई बैग इस अनुभाग में जमा कराया हो, तो नीचे लिखे पते पर सूचित करने की कृपा करें।
धन्यवाद।
प्रार्थी
दीपेंद्र रावत
दीप विला H-125
शास्त्रीनगर, मेरठ।
अथवा
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 15 जुलाई, 20xx
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी महोदय,
नगर निगम, दिल्ली।
विषय खाद्य वस्तुओं में मिलावट की सूचना हेतु पत्र।
माननीय महोदय,
मैं आपके सामने एक गंभीर समस्या प्रकाश में लाना चाहता हूँ। हमारे नगर में खाद्य पदार्थों में मिलावट की समस्या बढ़ती ही जा रही है। कल शाम 6 बजे मैंने अपने क्षेत्र की एक प्रतिष्ठित दुकान से मिठाइयाँ खरीदीं। घर आने पर मैंने देखा कि मिठाइयों में मिलावटी तेल व अन्य दोषपूर्ण सामग्री प्रयोग की गई है। इस प्रकार के खाद्य पदार्थों से निर्दोष नागरिकों की जान तक चली जाती है, परंतु ये लालची और निर्दयी दुकानदार केवल अपना हित साधते हैं। मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि दिन के व्यस्त वातावरण में दुकानों पर जाकर निरीक्षण करें तथा सभी खाद्य पदार्थों की जाँच कराएँ। इस अच्छे कृत्य के लिए हम सब आपके अत्यंत आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद।
भवदीय
क. ख. ग.
कमला नगर, दिल्ली।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 60 शब्दों में सूचना लिखिए। (4 x 1=4)
प्रधानाचार्य के द्वारा विशेष कक्षा का आयोजन कराने के संदर्भ में सूचना लिखिए।
अथवा
आप फैरी पब्लिक स्कूल मॉडल टाउन, दिल्ली की छात्रा आरोही गुप्ता हैं। विद्यालय में आपको एक पर्स मिला है। इस संबंध में लगभग 60 शब्दों में सूचना लिखिए।
उत्तर:
प्रतिभा विकास विद्यालय, अशोक विहार, नई दिल्ली-52 दिनांक 1 जुलाई, 20xx. विशेष ‘कक्षा-कक्ष’ का आयोजन सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि कक्षा सात से लेकर ग्यारहवीं तक की कक्षाओं के लिए विशेष कक्षा (कक्षा-कक्ष) का प्रबंध किया गया है, जिसमें सभी विषय के अध्यापकों का प्रबंध किया गया है। अतः उचित समय पर आकर शिक्षार्थी अपने-अपने विषय की समस्या का समाधान शिक्षक से प्राप्त करने का प्रयास करें तथा अपने अध्ययन को सफल व आसान बनाएँ तथा प्रत्येक छात्र से अनुरोध है कि अपनी-अपनी समस्या को लिखकर लाएँ, जिससे उनकी प्रत्येक समस्या का समाधान हो सके। |
अथवा
फैरी पब्लिक स्कूल, दिल्ली दिनांक 3 जुलाई, 20xx खोया-पाया के संबंध में सभी को यह सूचित किया जाता है कि 2 जुलाई, 20xx को विद्धालय के खेल परिसर में मुझे एक पर्स मिला है, जिसमें कुछ रुपये तथा कार्ड है। यह पर्स नीले रंग का है। जिस विद्यार्थी का यह पर्स हो, वह पहचान बताकर प्रधानाचार्य के कक्ष से इसे ले सकता है। पर्स प्रधानाचार्य के पास पूर्णतः सुरक्षित है तथा विद्यालय समय में ही आकर अपना पर्स लें। |
प्रश्न 17.
पेंसिल बनाने वाली किसी प्रसिद्ध कंपनी की ओर से 40 शब्दों में विज्ञापन लिखिए। (3 x 1 = 3)
अथवा
दीपावली के उत्सव पर किसी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद की कंपनी की ओर से धमाका सेल का विज्ञापन 40 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 18.
‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ उक्ति को आधार बनाकर लगभग 100 शब्दों में एक लघु कथा लिखिए (5 x 1=5)
अथवा
आप राम कपूर/नीता कपूर हैं। आपकी कॉलोनी में सड़क अत्यंत टूटी-फूटी है तथा उसमें बहुत से गड्ढे हैं, जिससे प्रतिदिन कोई-न-कोई दुर्घटना होती रहती है। आप अपने क्षेत्र के अतिरिक्त मुख्य अभियंता को लगभग 100 शब्दों में ई-मेल लिखकर उनको इस समस्या से अवगत कराइए।
उत्तर:
उक्ति का अर्थ ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ उक्ति से आशय यह है कि प्रत्येक व्यक्ति दूसरों को उपदेश देने में कुशल होता है। प्रत्येक व्यक्ति दूसरों का कर्त्तव्य-अकर्त्तव्य का बोध कराता है, पर स्वयं उसका आचरण उसके उपदेश के विपरीत होता है। व्यक्ति को दूसरों को उपदेश देने से पूर्व स्वयं भी आत्मचिंतन कर लेना चाहिए कि वह जो उपदेश दे रहा है कि क्या वह उस पर स्वयं अमल भी करता है या नहीं। दूसरों को उपदेश देना बहुत सरल होता है, किंतु स्वयं उन उपदेशों पर आचरण करना कठिन होता है।
कथा प्राचीन समय की बात है किसी गाँव में एक साधु महात्मा रहते थे। उनके सैकड़ों भक्त थे। लोग उनके प्रवचन सुनने के लिए दूर-दूर से आते थे। वे लोगों को तरह-तरह की नैतिक कथाएँ सुनाते तथा ज्ञानवर्द्धक बातें बताते। वे अकसर मोह-माया से दूर रहने का उपदेश देते। एक दिन पास के गाँव में रहने वाली एक वृद्ध माता ने अपने बेटे से उस महात्मा के प्रवचन सुनने की इच्छा व्यक्त की। उसका बेटा अपनी माँ की इच्छा टाल न सका और अगले ही दिन अपनी माँ को लेकर महात्मा के आश्रम में जा पहुँचा और उनके प्रेरक वचन सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुआ। अब वह अपनी माता के साथ महात्मा के प्रवचन सुनने आने लगा।
एक दिन आश्रम से घर जाते समय सड़क दुर्घटना में उसकी माता का देहांत हो गया। वह फूट-फूटकर रोने लगा। वह अत्यंत दुःखी रहने लगा तथा उसने आश्रम में जाना भी छोड़ दिया था। जब महात्मा को इस बात का पता चला तो वह उस व्यक्ति के घर पहुँचे और उसे सांत्वना दी। शरीर की नश्वरता के संदर्भ में उसे विभिन्न उपदेश भी दिए।
महात्मा की बातों को सुनकर वह आदमी धीरे-धीरे सहज होने लगा और अपने दुःख से उभरने लगा। जब उस आदमी ने अपनी पूर्णतः भावनाओं पर नियंत्रण कर लिया तो वह महात्मा को धन्यवाद कहने उनके आश्रम में गया। वहाँ जाकर उसने देखा कि महात्मा जी जोर-जोर से रो रहे थे। सभी भक्तजन उन्हें घेरकर खड़े थे।
एक भक्त से पता चला कि अपने सर्वप्रिय खरगोश की मृत्यु से दु:खी होकर महात्मा फूट-फूटकर रो रहे हैं। तब वह आदमी महात्मा के पास गया और कहने लगा कि मेरी माँ की मृत्यु पर आप मुझे इतने उपदेश दे रहे थे और आज एक खरगोश की मृत्यु से आप इतने दुःखी हो रहे हैं। आपने तो “पर उपदेश कुशल बहुतेरे” उक्ति को चरितार्थ कर दिया और वहाँ से चला आया। सीख इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों को उपदेश देना बहुत सरल है तथा स्वयं उस पर अमल करना बहुत मुश्किल होता है। अतः दूसरों को उपदेश देने से पहले स्वयं के आचरण में भी उन बातों को अपना लेना चाहिए।
अथवा