Teachers often provide Class 8 Hindi Notes Malhar Chapter 9 आदमी का अनुपात Summary in Hindi Explanation to simplify complex chapters.
आदमी का अनुपात कविता Class 8 Summary in Hindi
आदमी का अनुपात Class 8 Hindi Summary
आदमी का अनुपात कविता का सारांश – आदमी का अनुपात Class 8 Summary in Hindi
गिरिजा कुमार माथुर द्वारा रचित कविता में मनुष्य के अस्तित्व, पहचान, उसकी सीमाओं को समझाने का प्रयास किया गया है। आज के भौतिकवादी युग में आदमी भूल गया है कि वह इस असीम सृष्टि का एक छोटा अंश है। ब्रह्मांडीय संरचना में आदमी का स्थान सूक्ष्म है, किंतु फिर भी वह अहंकार, द्वेष, घृणा और स्वार्थ में लीन होकर, दूसरे आदमी को स्वयं के समक्ष तुच्छ समझता है । कविता सृष्टि के विस्तार व मनुष्य की मानसिकता को उजागर करती है।

आदमी का अनुपात कविता कीव परिचय

गिरिजा कुमार माथुर का जन्म मध्य प्रदेश के अशोक नगर जनपद में हुआ था। उनके पिता देवीचरण माथुर भी कविताएँ लिखते थे। गिरिजा कुमार माथुर आकाशवाणी में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। कविताओं के अतिरिक्त उन्होंने कई नाटक, गीत, कहानी और निबंध भी लिखे। उनकी अनेक कृतियाँ प्रकाशित हैं, जिनमें मंजीर, नाश और निर्माण, धूप के धान, शिलापंख चमकीले और मैं वक्त के हूँ सामने प्रमुख हैं। उन्होंने प्रसिद्ध भावांतर गीत ‘होंगे कामयाब’ की भी रचना की थी।
![]()
आदमी का अनुपात कविता हिंदी भावार्थ Pdf Class 8
1. दो व्यक्ति कमरे में
कमरे से छोटे-
कमरा है घर में
घर है मुहल्ले में
मुहल्ला नगर में
नगर है प्रदेश में
प्रदेश कई देश में
देश कई पृथ्वी पर
अनगिन नक्षत्रों में
पृथ्वी एक छोटी
करोड़ों में एक ही
सबको समेटे है
परिधि नभ गंगा की
लाखों ब्रह्मांडों में
अपना एक ब्रह्मांड (पृष्ठ 126)
शब्दार्थ :
मुहल्ला – शहर या गाँव का एक भाग ।
प्रदेश – प्रांत, राज्य।
अनगिन – जिसकी गणना न की जा सके।
नक्षत्रों – आकाश में तारा – समूह ।
परिधि – किसी क्षेत्र की बाहरी सीमा, वस्तु के चारों ओर खिंची रेखा, किसी आकृति की बाहरी सीमा ।
नभ गंगा – आकाशगंगा, एक विशाल प्रणाली जिसमें लाखों तारे, ग्रह शामिल हैं।
ब्रह्मांड – संपूर्ण लोक, ग्रह, तारे, आकाशगंगाएँ व खगोलीय पिंडों और ऊर्जा को समाहित करने वाला।
भावार्थ- कवि जीवन की सीमा और व्यक्तिगत दायरे की बात करता है। छोटे से घर में रहने वाला मनुष्य किसी एक इलाके, नगर, प्रदेश और देश का हिस्सा है। प्रत्येक इंसान सामूहिक व्यवस्था से जुड़ा है। जिस पृथ्वी पर वह रहता है, वह ब्रह्मांड की संरचना का बहुत ही सूक्ष्म तत्व अथवा इकाई है। हमारा पूरा ग्रह भी ब्रह्मांड के विशाल विस्तार का एक छोटा अंश है।

2. हर ब्रह्मांड में
कितनी ही पृथ्वियाँ
कितनी ही भूमियाँ कितनी ही सृष्टियाँ
यह है अनुपात
आदमी का विराट से
इस पर भी आदमी
ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा, अविश्वास लीन
संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है
अपने को दूजे का स्वामी बताता है
देशों की कौन कहे
एक कमरे में
दो दुनिया रचाता है (पृष्ठ 126-127)
शब्दार्थ :
अनुपात – संख्या, संबंध, आकार ।
विराट – विशाल, विश्वरूप।
ईर्ष्या – जलन ।
अहं – अहंकार स्वार्थ – लालच।
घृणा – नफरत ।
लीन – समाया हुआ, खोया हुआ ।
संख्यातीत – अंसख्य, अनगिनत ।
शंख – सीप, कवच ।
स्वामी – मालिक।
भावार्थ- इन पंक्तियों में मनुष्य की कमियों, अहंकारपूर्ण स्वभाव और ब्रह्मांडीय सच्चाई के बीच तुलना की गई है। हर ब्रह्मांड में असंख्य पृथ्वियाँ और सृष्टियाँ विद्यमान हैं। हमारा ग्रह, पृथ्वी और मनुष्य का जीवन तो इस अनंत विस्तार का छोटा हिस्सा है। जीवन के इस सच को समझने की जगह मनुष्य आपस में ही लड़ते रहते हैं। मन की बुराइयों को अपने ऊपर हावी होने देते हैं और स्वयं को दूसरों से दूर कर लेते हैं। एक ही छत के नीचे साथ रहते हुए भी परिवार के सदस्य एक दूसरे से अनजान बन जाते हैं।

![]()
Class 8 Hindi Chapter 9 Summary आदमी का अनुपात
दो व्यक्ति कमरे में
कमरे से छोटे-
कमरा है घर में
घर है मुहल्ले में
मुहल्ला नगर में
नगर है प्रदेश में
प्रदेश कई देश में
देश कई पृथ्वी पर
अनगिन नक्षत्रों में
पृथ्वी एक छोटी
करोड़ों में एक ही
सबको समेटे है
परिधि नभ गंगा की
लाखों ब्रह्मांडों में
अपना एक ब्रह्मांड
हर ब्रह्मांड में
कितनी ही पृथ्वियाँ
कितनी ही भूमियाँ
कितनी ही सृष्टियाँ
यह है अनुपात
आदमी का विराट से
इस पर भी आदमी
ईर्ष्या, अहं, स्वार्थ, घृणा, अविश्वास लीन
संख्यातीत शंख सी दीवारें उठाता है।
अपने को दूजे का स्वामी बताता है
देशों की कौन कहे
एक कमरे में
दो दुनिया रचाता है
— गिरिजा कुमार माथुर