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NCERT Class 8th Hindi Chapter 1 स्वदेश Question Answer
स्वदेश Class 8 Question Answer
कक्षा 8 हिंदी पाठ 1 प्रश्न उत्तर – Class 8 Hindi स्वदेश Question Answer
पाठ से
प्रश्न-अभ्यास (पृष्ठ 3-8)
आइए, अब हम इस कविता को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं। नीचे दी गई गतिविधियाँ इस कार्य में आपकी सहायता करेंगी।
मेरी समझ से
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर के सम्मुख तारा
बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं-
प्रश्न 1.
“वह हृदय नहीं है पत्थर है” इस पंक्ति में हृदय के पत्थर होने से तात्पर्य है-
- सामाजिकता से
- संवेदनहीनता से
- कठोरता से
- नैतिकता से
उत्तर:
- संवेदनहीनता से
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन – सा विषय इस कविता का मुख्य भाव है?
- देश की प्रगति
- देश के प्रति प्रेम
- देश की सुरक्षा
- देश की स्वतंत्रता
उत्तर:
- देश के प्रति प्रेम
प्रश्न 3.
“हम हैं जिसके राजा-रानी ” – इस पंक्ति में ‘हम’ शब्द किसके लिए आया है?
- देश के प्राकृतिक संसाधनों के लिए
- देश की शासन व्यवस्था के लिए
- देश के समस्त नागरिकों के लिए
- देश के सभी प्राणियों के लिए
उत्तर:
- देश के समस्त नागरिकों के लिए
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प्रश्न 4.
कविता के अनुसार कौन-सा हृदय पत्थर के समान है ?
- जिसमें साहस की कमी है
- जिसमें स्नेह का भाव नहीं है
- जिसमें देश-प्रेम का भाव नहीं है
- जिसमें स्फूर्ति और उमंग नहीं है
उत्तर:
- जिसमें देश-प्रेम का भाव नहीं है
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ विचार कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर:
- ‘संवेदनहीनता से’ चयन करने का कारण यह है कि हृदय पत्थर तो बन नहीं सकता। ‘पत्थर’ शब्द भावनाओं का प्रतीक है। अर्थात मन में देश के प्रति प्रेम की भावनाएँ न होना ।
- ‘देश के प्रति प्रेम’ का चयन इसलिए किया गया है। क्योंकि पूरी कविता में देश-प्रेम की भावना ही झलकती है।
- ‘हम है जिसके राजा-रानी’ का चयन करने का कारण यह है कि देश पर समस्त नागरिकों का समान अधिकार है।
- ‘जिसमें देश-प्रेम का भाव नहीं’ का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि कवि के अनुसार जिस हृदय में देश के प्रति प्रेम नहीं है उसे ही पत्थर अर्थात भावनाओं से रहित माना गया है।

मिलकर करें मिलान
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे स्तंभ 1 में दी गई हैं। उन पंक्तियों के भाव या संदर्भ स्तंभ 2 में दिए गए हैं। पंक्तियों का उनके सही अर्थ या संदर्भों से मिलान कीजिए।

उत्तर:
1. → 3
2. → 4
3. → 1
4. → 2
पंक्तियों पर चर्चा
कविता से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए ।

(क) “ निश्चित है निस्संशय निश्चित,
है जान एक दिन जाने को।
है काल- दीप जलता हरदम,
जल जाना है परवानों को।।”
उत्तर:
भावार्थ – इन पंक्तियों में कवि जीवन के एक बड़े सत्य को उजागर करता है – वह निश्चितता। कवि कहता है कि यह मृत्यु की निश्चित है कि एक दिन सभी को मरना है, जैसे दीप जलता है और परवाना उसमें जलकर नष्ट हो जाता है। इसलिए जीवन को व्यर्थ गँवाने के बजाय देश के लिए बलिदान देना अधिक सार्थक है। यदि मृत्यु अनिवार्य है तो क्यों न वह देश सेवा में हो ।
* मुख्य संदेश – मृत्यु निश्चित है, तो क्यों न उसे देश की रक्षा में गौरव से अपनाया जाए।
(ख) “सब कुछ है अपने हाथों में,
क्या तोप नहीं तलवार नहीं।
वह हृदय नहीं है, पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं ।।”
उत्तर:
भावार्थ – कवि इन पंक्तियों के माध्यम से आत्मबल, साहस और देशभक्ति की भावना का संदेश देते हैं। उनका कहना है कि हमारे पास सब कुछ है – शक्ति, साधन, आत्मविश्वास – तो फिर हमें किसी से डरने की ज़रूरत नहीं । परंतु अगर किसी के दिल में अपने देश के लिए प्रेम नहीं है, तो वह हृदय नहीं, बल्कि एक पत्थर है, जिसमें भावनाएँ नहीं ।
* मुख्य संदेश – देश की रक्षा और सेवा के लिए आत्मबल और साधन हमारे पास हैं, बस ज़रूरत है सच्चे देश-प्रेम की ।
(ग) “जो भरा नहीं है भावों से,
बहती जिसमें रस-धार नहीं ।
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं || ‘
उत्तर:
भावार्थ – यहाँ कवि ने ऐसे हृदय को ‘पत्थर’ कहा है जिसमें भावनाएँ नहीं हैं, जो देश के लिए प्रेम नहीं करता और जिसमें संवेदनाएँ नहीं बहतीं ।
रस-धार का अर्थ है – भावनाओं की सतत् धारा । अगर कोई मनुष्य देश के लिए भावुक नहीं हो सकता, तो उसमें मानवता नहीं, बल्कि जड़ता है ।
* मुख्य संदेश – भावनाओं और देश-प्रेम से ही हृदय जीवंत होता है, वरना वह केवल पत्थर समान है।
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सोच-विचार के लिए
कविता को पुनः ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए-
(क) हम हैं जिसके राजा-रानी” पंक्ति में राजा – किसे और क्यों कहा गया है ?
(ख) ‘संसार-संग’ चलने से आप क्या समझते हैं? जो व्यक्ति ‘संसार – संग’ नहीं चलता, संसार उसका क्यों नहीं हो पाता है?
(ग) “उस पर है नहीं पसीजा जो / क्या है वह भू का भार नहीं” पंक्ति से आप क्या समझते हैं? बताइए।
(घ) कविता में देश-प्रेम के लिए बहुत-सी बातें आई हैं। आप ‘देश-प्रेम’ से क्या समझते हैं? बताइए ।
(ङ) यह रचना एक आह्वान गीत है जो हमें देश-प्रेम के लिए प्रेरित और उत्साहित करती है। इस रचना की अन्य विशेषताएँ ढूँढ़िए और लिखिए ।
उत्तर:
(क) इस पंक्ति में ‘हम’ का तात्पर्य भारतवासी (हम सब लोग) से है। कवि ने ‘राजा-रानी’ कहकर इस बात को व्यक्त किया है कि जिस भूमि पर हमने जन्म लिया है, वह इतनी समृद्ध, गौरवशाली और ऐतिहासिक है कि हम उसके स्वाभाविक उत्तराधिकारी हैं। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हम उस देश के निवासी हैं जिसकी धरती पर महान राजा और रानी हुए हैं इसलिए यह हमें प्रेरणा देता है कि हम भी देश के लिए कुछ महान कार्य करें।
(ख) ‘संसार – संग’ का अर्थ है – समाज के साथ मिल-जुलकर चलना, लोगों के दुख-सुख में सहभागी बनना और सामाजिक उत्तरदायित्वों का पालन करना । जो व्यक्ति समाज के साथ नहीं जुड़ता, सहयोग नहीं करता, उसका समाज से कोई संबंध नहीं रह जाता। वह अकेला और स्वार्थी बन जाता है। ऐसा व्यक्ति समाज से कट जाता है और समाज भी उसे स्वीकार नहीं करता। इसलिए उसका संसार में कोई स्थान नहीं रह जाता।
(ग) इस पंक्ति में कवि कहता है कि जो व्यक्ति अपने देश से जुड़ा हुआ नहीं है, जो अपने राष्ट्र की चिंता नहीं करता, उसके लिए यह जीवन व्यर्थ है। वह केवल पृथ्वी पर एक बोझ है, क्योंकि उसका जीवन देश और समाज के लिए कोई उपयोग नहीं करता । ‘पसीजा’ का अर्थ है – द्रवित होना या जुड़े रहना । अतः जो व्यक्ति देश की भावनाओं से द्रवित नहीं होता या जिसके भाव देश के साथ न जुड़े, वह धरती पर केवल बोझ है।
(घ) ‘देश-प्रेम’ का अर्थ है- अपने देश से आत्मिक लगाव, उसकी उन्नति के लिए कार्य करना, संकट में उसके लिए त्याग करना और उसकी संस्कृति, मिट्टी, भाषा व लोगों का सम्मान करना । कविता में देश-प्रेम को हृदय की भावना बताया गया है। कवि ने कहा है कि जिस हृदय में देश-प्रेम नहीं है, वह पत्थर समान है। देश-प्रेम जीवन को सार्थक बनाता है।
(ङ) यह रचना केवल भावनात्मक नहीं, प्रेरणादायक और देशभक्ति से ओत-प्रोत है। इसकी अन्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- सरल और प्रभावशाली भाषा – कविता की भाषा सरल एव प्रभावशाली है।
- भावनात्मक गहराई – कविता हृदय को छू लेने वाली है और हृदय में देश के प्रति प्रेम उत्पन्न करती है।
- प्रतीकात्मकता – ‘पत्थर’, ‘परवाना’, ‘तोप- तलवार’, ‘काल- दीप’ जैसे प्रतीक गहरे अर्थ व्यक्त करते हैं।
- नैतिक शिक्षा – कविता हमें साहस, बलिदान, समाज सेवा और देश-प्रेम का महत्व बताती है।
- देश की महिमा का गुणगान – कविता में देश की मिट्टी, संस्कृति, ज्ञानी – विद्वानों का वर्णन कर देश के गौरव का बोध करवाया गया है।
अनुमान और कल्पना से
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए और लिखिए ।

(क) “ जिसने कि खजाने खोले हैं” अनुमान करके बताइए कि इस पंक्ति में किस प्रकार के खजाने की बात की गई होगी?
(ख) ” जिसकी मिट्टी में उगे बढ़े” पंक्ति में ‘उगे-बढ़े ‘ किसके लिए और क्यों कहा गया होगा?
(ग) वह हृदय नहीं है पत्थर है” पंक्ति में ‘हृदय’ के लिए ‘पत्थर’ शब्द का प्रयोग क्यों किया गया होगा ?
(घ) कल्पना कीजिए कि पत्थर आपको अपनी कथा बता रहा है। वो आपसे क्या-क्या बातें करेगा और आप उसे क्या-क्या कहेंगे?
(संकेत – पत्थर – जब मैं नदी में था तो नदी की धारा मुझे बदलती भी थी।…)
(ङ) देश-प्रेम की भावना देश की सुरक्षा से ही नहीं, बल्कि संरक्षण से भी जुड़ी होती है। अनुमान करके बताइए कि देश के किन-किन संसाधनों या वस्तुओं आदि को संरक्षण की आवश्यकता है और क्यों ?
उत्तर:
(क) देश के लिए कहा गया है कि यह धरती हमें अनगिनत पदार्थ प्रदान करती है।
(ख) ‘उगे-बढ़े’ हम सबके लिए कहा गया है कि हम इस धरती पर पल बढ़कर बड़े हुए हैं।
(ग) ‘हृदय’ के लिए ‘पत्थर’ शब्द का प्रयोग इसलिए किया गया है कि कवि का मानना है जिस हृदय में देश के लिए प्रेम नहीं होता वह पत्थर के समान होता है।
(घ) पत्थर और मैं
पत्थर – जब मैं नदी में जाती, नदी की धारा मुझे बदलती भी थी।
मैं – अच्छा! वह कैसे?
पत्थर – अरे नदी की धारा में लुढ़क – लुढ़क कर में घिस जाता था ।
मैं – अरे! फिर तो तुम्हारा रूप बदल जाता होगा।
पत्थर – हाँ, बालू ………. वह मेरा हो देखते हो घिसा हुआ रूप ही तो है ।
पत्थर – पर खुशी तब होती थी, जब नदी के जल के साथ लुढ़क – लुढ़ककर मेरे सारे नुकीले कोने घिस जाते और मैं कोई-न-कोई सुंदर आकार ले लेता ।
मैं – और बालू भी तो मनुष्य के लिए घर बनाने के लिए उपयोगी होती है। पर तुम्हें दर्द तो होता होगा ।
पत्थर – हाँ भाई/बहन, दर्द तो बहुत होता है। लुढ़कने का दर्द, घिसने का दर्द सब सहन करना पड़ता है, लेकिन जब मेरा आकार सुंदर हो जाता है तो खुशी भी होती है।
कई बार तो लोग मुझे अपने बगीचे या घरों में सजाने के लिए भी नदी किनारों से उठा लेते हैं।
मैं – धन्यवाद पत्थर! तुमसे बात करके बहुत अच्छा लगा। तुम्हारे विचार बहुत ही सकारात्मक है।
(ङ) निम्नलिखित संसाधनों एवं वस्तुओं का संरक्षण देश के हित के लिए अनिवार्य है-
- प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षक – जल, वन, खनिज पदार्थ और धरती ये हमारे जीवन की बुनियादी जरूरतें हैं। यदि हम इनका दुरुपयोग करेंगे तो हमें जल संकट, प्रदूषण एवं खाद्य संकट का सामना करना पड़ेगा। इससे हम कई बीमारियों का शिकार भी हो सकते हैं।
- पर्यावरण संरक्षण – स्वस्थ जीवन हेतु हवा, पानी एवं स्वच्छ वातावरण का होना अनिवार्य है। इसलिए हमें इसे स्वच्छ रखना चाहिए।
- संस्कृति और विरासत का संरक्षक – अपने देश की महत्ता बनाए रखने के लिए देश की सांस्कृतिक धरोहर को कभी आँच नहीं आने देना चाहिए। हमारी परंपराएँ, भाषाएँ और रहन-सहन को सदा बनाए रखना चाहिए। यह भी सत्य है कि नवीन को अपनाना चाहिए लेकिन प्राचीन को भुलाया भी नहीं जाना चाहिए। उसी में भली-भाँति परिवर्तन कर नया स्वरूप देना चाहिए।
- ज्ञान और नैतिक मूल्यों का संरक्षण – विद्वानों के ज्ञान और नैतिक मूल्यों को अक्षुण्ण बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। इन्हीं के आधार पर नवीनता की ओर अग्रसर हो सकते हैं। इसलिए इनके महत्व को कभी खोना नहीं चाहिए ।
- सुरक्षा एवं शांति का संरक्षण- देश में शांति और सुरक्षा रहेगी, तभी विकास संभव है। हिंसा, आतंकवाद और असुरक्षा के माहौल में देश कभी विकास की ओर नहीं बढ़ सकता ।
कविता की रचना

‘जिसकी मिट्टी में उगे बढ़े,
पाया जिसमें दाना-पानी।
हैं माता-पिता बंधु जिसमें,
हम हैं जिसके राजा-रानी।।”
इन पंक्तियों के अंतिम शब्दों को ध्यान से देखिए । ‘दाना-पानी’ और ‘राजा-रानी’ इन शब्दों की अंतिम ध्वनि एक-सी है। इस विशेषता को ‘तुक मिलाना’ कहते हैं। अब नीचे दिए गए प्रश्नों पर पाँच-पाँच के समूह में मिलकर चर्चा कीजिए और उनके उत्तर लिखिए।
(क) शब्दों के तुक मिलाने से कविता में क्या विशेष प्रभाव पड़ा है?
(ख) कविता को प्रभावशाली बनाने के लिए और क्या-क्या प्रयोग किए गए हैं?
उत्तर:
(क) ‘दाना-पानी’ और ‘राजा-रानी’ शब्दों के तुक मिलाने से कविता में लयबद्धता आई है और शब्द प्रभावी बने हैं।
(ख)
- कविता को चार-चार पंक्तियों के रूप में देकर अर्थपूर्ण बनाया गया है।
- विराम चिह्नों का उचित प्रयोग किया गया है। जैसे- बहती जिसमें रस – धार ।
- है और हैं का प्रयोग कुछ पंक्तियों में पहले करके कविता के शब्दों को उभारा गया है। जैसे- है काल- दीप जलता हरदम ।
आपकी कविता

देश-प्रेम से जुड़े अपने विचारों को आधार बनाते हुए कविता को आगे बढ़ाइए-
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
…………………………..
…………………………..
…………………………..
उत्तर:
वह हृदय नहीं है पत्थर है
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं । ।
भूखे को जो खाना दे न सके
द्ररिद्र का सहारा बन पाए न
धन में डूबकर रहे जो सोए
सारे सपने बिखर उसके रोएँ
त्याग बिना ही जीता जाए
तिरंगा देख न झुक पाए
अपनी आन-बान-शान में भरमाए
देश का कुछ सोच न पाए
वह हृदय नहीं है, पत्थर है
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं
भाषा की बात

(क) शब्द से जुड़े शब्द
नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में ‘स्वदेश’ से जुड़े शब्द अपने समूह में चर्चा करके लिखिए। फिर मित्रों से मिलाकर अपनी सूची बढ़ाइए-

उत्तर:

(ख) विराम चिह्नों को समझें
“जो चल न सका संसार-संग”
“बहती जिसमें रस – धार नहीं ”
‘पाया जिसमें दाना-पानी
“हैं माता – पिता बंधु जिसमें ”
“हम हैं जिसके राजा-रानी”
“जिससे न जाति – उद्धार हुआ। ”
कविता में आई हुई उपर्युक्त पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़िए। इनमें कुछ शब्दों के बीच एक चिह्न (-) लगा है। इसे योजक चिह्न कहते हैं। योजक चिह्न दो शब्दों में परस्पर संबंध स्पष्ट करने तथा उन्हें जोड़कर लिखने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। कविता में संदर्भ के अनुसार योजक चिह्नों के स्थान पर का, की, के और में से कौन-से शब्द जोड़ेंगे जिससे अर्थ स्पष्ट हो सके। लिखिए।
(संकेत-‘जो चल न सका संसार के संग’)
उत्तर:
कविता में का, के, की, योजक चिह्नों से संबंधित पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं-

(क) जो चल न सका संसार-संग
उत्तर:
जो चल न सका संसार के संग।

(ख) बहती जिसमें रस-धार नहीं
उत्तर:
बहती जिसमें रस की धारा नहीं ।
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(ग) जिससे न जाति – उद्धार हुआ।
उत्तर:
जिससे न जाति का उद्धार हुआ।
(घ) है काल दीप जलता हरदम।
उत्तर:
है काल का दीप जलता हरदम ।
(ग) शब्द – मित्र
“ है जान एक दिन जाने को ”
“ है काल- दीप जलता हरदम ”
उपर्युक्त पंक्तियों पर ध्यान दीजिए। इन दोनों पंक्तियों में ‘है’ शब्द पहले आया है जिसके कारण कविता में लयात्मकता आ गई है। यदि ‘है’ का प्रयोग पंक्ति के अंत में किया जाए तो यह गद्य जैसी लगने लगेगी, जैसे-
‘जान एक दिन जाने को है।’
‘काल-दीप हरदम जलता है।’
• अब आप कविता में से ऐसी पंक्तियों को चुनिए जिनमें ‘है’ शब्द का प्रयोग पहले हुआ है। चुनी हुई पंक्तियों में शब्दों के स्थान बदलकर पुनः लिखिए ।
उत्तर:
- वह हृदय नहीं है, पत्थर है।
वह हृदय पत्थर है। - हैं जिसके राजा-रानी ।।
जिसके राजा-रानी हैं।
(नोट – मुख्य रूप से है के प्रयोग यही पंक्ति है) - नव रत्न दिये हैं लासानी ।
लासानी नव रत्न दिए हैं। - जिस पर है दुनिया दीवानी ।
जिस पर दुनिया दीवानी है। - उस पर है नहीं पसीजा जो,
जो उस पर नहीं पसीजा है। - क्या है वह भू का भार नहीं ।
क्या वह भू का भार नहीं है? - निश्चित है निस्संशय निश्चित, निस्संशय निश्चित है।
- जल जाना है परवानों को । परवानों को जल जाना है।
- सब कुछ है अपने हाथों में, सब कुछ अपने हाथों में है।
• अब नीचे दी गई पंक्तियों में ‘है, हैं’ शब्द का प्रयोग पहले करके पंक्तियों को पुनः लिखिए और देखिए कि इससे पंक्तियों के सौंदर्य में क्या परिवर्तन आया है। अपने साथियों से चर्चा कीजिए ।
“जिस पर ज्ञानी भी मरते हैं,
जिस पर है दुनिया दीवानी।।”
उत्तर:
जिस पर ज्ञानी भी मरते हैं,
हैं मरते जिस पर ज्ञानी ।
जिस पर है दुनिया दीवानी
है जिस पर दुनिया दीवानी ।।
इन पंक्तियों में हैं और है का प्रयोग पहले अर्थात वाक्य के प्रारंभ में करने से वाक्य प्रभावी बन गए हैं।
(घ) समानार्थी शब्द
कविता से चुनकर कुछ शब्द निम्न तालिका में दिए गए हैं। दिए गए शब्दों से इनके समानार्थी शब्द ढूँढ़कर तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए |

उत्तर:

कविता का शीर्षक
“वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेशी का प्यार नहीं। ”
इस कविता का शीर्षक है ‘स्वदेश’। कई बार कवि कविता की किसी पंक्ति को ही कविता का शीर्षक बनाते हैं। यदि आपको भी इस कविता की किसी एक पंक्ति को चुनकर नया शीर्षक देना हो तो आप कौन-सी पंक्ति चुनेंगे और क्यों ।
उत्तर:
‘वह हृदय नहीं है पत्थर है’ क्योंकि पूरी कविता में कवि ने यह संदेश दिया है कि जिस हृदय में अपने देश के लिए प्रेम नहीं है, वह पत्थर के समान है।
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पाठ से आगे
प्रश्न- अभ्यास (पृष्ठ 9-12)
आपकी बात
(क) नीचे कुछ चित्र दिए गए हैं। उन चित्रों पर सही (✓) का चिह्न लगाइए जिन्हें आप ‘स्वदेश प्रेम’ की श्रेणी में रखना चाहेंगे?


उत्तर:


(ख) अब आप अपने उत्तर के पक्ष में तर्क भी दीजिए ।
उत्तर:
सभी चित्रों के साथ संदेश दिया गया है, विद्यार्थी अपनी योग्यतानुसार तर्क दें।
हमारे अस्त्र-शस्त्र
‘सब कुछ है अपने हाथों में,
क्या तोप नहीं तलवार नहीं ।”
देश की सीमा पर सैनिक सुरक्षा प्रहरी की भाँति खड़े रहते हैं। वे बुरी भावना से अतिक्रमण करने वाले का सामना तोप, तलवार, बंदूक आदि से करते हैं।

आप बताइए कि निम्नलिखित स्वदेश प्रेमियों के अस्त्र-शस्त्र क्या होंगे ?
• विद्यार्थी –
उत्तर:
विद्यार्थी – पुस्तकें, कापियाँ, पेन, पेंसिलें, रबड़ शार्पनर, फुटा, परकार (वर्तमान समय में लैपटॉप, मोबाइल, इंटरनेट भी) आदि ।
• अध्यापक ……………………….
उत्तर:
अध्यापक – श्वेत/श्याम पट्ट, मार्कर या चॉक, विभिन्न पुस्तकें (वर्तमान समय में लैपटॉप, मोबाइल एवं इंटरनेट) आदि ।
• कृषक ……………………….
कृषक – हल, कल्टीवेटर, सीड ड्रिल, हैरो, ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, स्प्रेयर, पावर टिलर, रोटावेयर आदि ।
• चिकित्सक ……………………….
चिकित्सक – स्टेथोस्कोप, थर्मामीटर, बी. पी. कफ, एवं अन्य सर्जिकल उपकरण।
• वैज्ञानिक ……………………….
वैज्ञानिक – अमीटर अल्टीमीटर एनेमोमीटर, बैरोमीटर, क्रोनोमीटर, वर्नियर कैलिपर्स, माइक्रोमीटर, थर्मामीटर, वोल्यूमेट्रिक, कैमरा, नीम बैलेंस आदि।
• श्रमिक ……………………….
श्रमिक – छेनी, हथौड़ा, फावड़ा, आरी, टेप माप, कुदाल, दराती, बेलचा आदि ।
• पत्रकार ……………………….
पत्रकार – पेन, कॉपी, मोबाइल, फोन, कंप्यूटर, रिकार्डिंग, उपकरण, साक्षात्कार, दस्तावेज आदि ।
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अपनी भाषा अपने गीत
(क) कक्षा में सभी विद्यार्थी अपनी-अपनी भाषा में देश – प्रेम से संबंधित कविताओं और गीतों का संकलन करें।
उत्तर:
इन सभी का संकलन करके एक फाइल बनाएँ ।
(ख) किसी एक गीत की कक्षा में संगीतात्मक प्रस्तुति भी करें।
उत्तर:
यह प्रस्तुति संगीत विभाग की ओर से करवाएँ। राष्ट्रीय त्योहारों 15 अगस्त, 26 जनवरी एवं 2 अक्टूबर को इनको गाकर प्रस्तुत करें।
तिरंगा झंडा – कब प्रसन्न और कब उदास
राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा झंडा ) देश का सम्मान है। किसी एक दिन सोने से पहले अपने पूरे दिन के कार्यों को याद कीजिए और विचार कीजिए कि आपके किन कार्यों से तिरंगा झंडा उदास हुआ होगा और किन कार्यों से तिरंगे झंडे को प्रसन्नता हुई होगी। उत्तर- इस कार्य को आप प्रतिदिन करें। ऐसा करने से आप जो कार्य गलत करते हैं जिनके लिए आपको उदास होना पड़ता है, वे आप करना छोड़ देंगे ।
झरोखे से
आपने देश-प्रेम से संबंधित ‘स्वदेश’ कविता पढ़ी | अब आप स्वदेशी कपड़े ‘खादी’ से संबंधित सोहनलाल द्विवेदी की कविता ‘खादी गीत’ का एक अंश पढ़िए।
खादी गीत

खादी के धागे – धागे में
अपनेपन का अभिमान भरा,
माता का इसमें मान भरा,
अन्यायी का अपमान भरा;
खादी के रेशे – रेशे में
अपने भाई का प्यार भरा,
माँ-बहनों का सत्कार भरा,
बच्चों का मधुर दुलार भरा;
खादी की रजत चंद्रिका जब,
आकर तन पर मुसकाती है,
तब नवजीवन की नई ज्योति
अंतस्तल में जग जाती है;
उत्तर:
कक्षा के सभी विद्यार्थी इसे मिलकर लयबद्ध रूप में पढ़ें।
साझी समझ
आपने ‘स्वदेश’ कविता और ‘खादी गीत’ का उपर्युक्त अंश पढ़ा। स्वतंत्रता आंदोलन के समय लिखी गई दोनों कविताओं में देश-प्रेम किस प्रकार अभिव्यक्त हुआ है? साथियों के साथ मिलकर चर्चा कीजिए । साथ ही ‘खादी गीत’ पूरी कविता को पुस्तकालय या इंटरनेट से ढूँढ़कर पढ़िए ।
उत्तर:
‘स्वदेश’ कविता में देश-प्रेम की भावना उजागर होती है कि हमारे हृदय में स्वदेश प्रेम होना चाहिए । जिसके हृदय में देश के प्रति प्रेम न हो वह मृत के समान है।
‘खादी गीत’ यह दर्शाता है कि भारत की पहचान ‘खादी’ अर्थात जब हाथ में बुना सूती कपड़े का वस्त्र धारण करते हैं तो उसे निर्मित करने वाली माँ. बहनों, भाइयों का प्रेम उसमें झलकता है। अपनेपन का अहसास होता है। ऐसा अहसास होने लगता है कि यह देश-प्रेम का ही प्रतीक है।
खोजबीन के लिए
नीचे दी गई इंटरनेट कड़ियों का प्रयोग कर आप देश-प्रेम और स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित रचनाएँ पढ़ सकते हैं-
- सारे जहाँ से अच्छा
https : //www.youtube.com /watch?v=xestTq6jdjI
- दीवानों की हस्ती
https : // w w w .yo u t u be .c om / watch?v=n4LOnShHEC4
- झाँसी की रानी
https : // w w w.yo u t u be .c om /watch?v=QpTL2qBOiwc
NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 1 ध्वनि (Old Syllabus)
प्रश्न-अभ्यास
Question 1.
कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
Solution:
कवि को ऐसा विश्वास इसलिए है क्योंकि अभी उसके मन में नया जोश व उमंग है। अभी उसे काफ़ी नवीन कार्य करने है। वह युवा पीढ़ी को आलस्य की दशा से उबारना चाहते हैं।
Question 2.
फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास करता है?
Solution:
फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि उन्हें कलियों की स्थिति से निकालकर खिले फूल बनाना चाहता है। कवि का मानना है कि उसके जीवन में वसंत आया हुआ है। इसलिए वह कलियों को हाथों के वासंती स्पर्श से खिला देगा। वह फूलों की आँखों से आलस्य हटाकर उन्हें चुस्त व जागरूक करना चाहता है।
Question 3.
कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?
Solution:
कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए उन पर अपना हाथ फेरकर उन्हें जगाना चाहता है। वह उनको चुस्त, प्राणवान, आभावान व पुष्पित करना चाहता है।
अतः कवि नींद में पड़े युवकों को प्रेरित करके उनमें नए उत्कर्ष के स्वप्न जगह देगा, उनका आलस्य दूर भगा देगा तथा उनमें नये उत्साह का संचार करना चाहता है।
Question 4.
वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।
Solution:
वसंत को ऋतुराज कहा जाता है क्योंकि यह सभी ऋतुओं का राजा है। इस ऋतु में प्रकृति पूरे यौवन होती है। इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है। मौसम सुहावना हो जाता है। इस समय पंचतत्व अपना प्रकोप छोड़कर सुहावने रूप में प्रकट होते हैं। पंचतत्व जल, वायु, धरती, आकाश और अग्नि सभी अपना मोहक रूप दिखाते हैं। पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं। आम बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं। सरसों के पीले फूल ऋतुराज के आगमन की घोषणा करते हैं। खेतों में फूली हुई सरसों, पवन के झोंकों से हिलती, ऐसी दिखाई देती है, मानो, सामने सोने का सागर लहरा रहा हो। कोयल पंचम स्वर में गाती है और सभी को कुहू-कुहू की आवाज़ से मंत्रमुग्ध करती है। इस ऋतु में उसकी छठा देखते ही बनती है। इस ऋतु में कई प्रमुख त्यौहार मनाए जाते हैं, जैसे – वसंत पंचमी, महा शिवरात्रि, होली आदि।
Question 5.
वसंत ऋतु में आनेवाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।
Solution:
वसंत ऋतु में कई त्यौहार मनाए जाते है, जैसे – वसंत-पंचमी, महा शिवरात्रि, होली आदि।
होली
हमारा देश भारत विश्व का अकेला एवं ऐसा अनूठा देश है, जहँ पूरे साल कोर्इ न कोर्इ त्योहार मनाया जाता है। रंगों का त्योहार होली हिंदुओं का प्रसि़द्ध त्योहार है, जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
यह त्योहार रंग एवं उमंग का अनुपम त्योहार है जब वसंत अपने पूरे यौवन पर होता है। सर्दी को विदा देने और ग्रीष्म का स्वागत करने के लिए इसे मनाया जाता है। संस्कृत साहित्य में इस त्योहार को ‘मदनोत्सव’ के नाम से भी पुकारा जाता है।
होली के संबंध में एक पौराणिक कथा प्रचलित है कि भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को अग्नि में जलाने के प्रयास में उसकी बुआ ‘होलिका’ अग्नि में जलकर स्वाहा हो गर्इ थी। इसी घटना को याद कर प्रतिवर्ष होलिका दहन किया जाता है। दूसरे दिन फाग खेला जाता है। इस दिन छोटे-बड़े, अमीर-गरीब आदि का भेदभाव मिट जाता है। सब एक दूसरे पर रंग फेंकते हैं, गुलाल लगाते हैं और गले मिलते हैं। चारों ओर आनंद, मस्ती और उल्लास का समाँ बँध जाता है। ढोल पर थिरकते, मजीरों की ताल पर झूमते, नाचते-गाते लोग आपसी भेदभाव भुलाकर अपने शत्रु को भी गले लगा लेते हैं। परन्तु कुछ लोग अशोभनीय व्यवहार कर इस त्योहार की पवित्रता को नष्ट कर देते हैं।
हमारा कर्तव्य है कि हम होली का त्योहार उसके आदर्शो के अनुरूप मनाएँ तथा आपसी वैमनस्य, वैर-भाव, घृणा आदि को जलाकर एक-दूसरे पर गुलाल लगाकर आपस में प्रेम, एकता और सद्भाव बढ़ाने का प्रयास करें।
“होली के अवसर पर आओ एक दूजे पर गुलाल लगाएँ
अपने सब भेदभाव भूलाकर, प्रेम और सद्भाव बढाएँ”
भाषा की बात
Question 1.
‘हरे-हरे’, ‘पुष्प-पुष्प’ में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई है।
कविता के ‘हरे-हरे ये पात’ वाक्यांश में ‘हरे-हरे’ शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। यहाँ ‘पात’ शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है।
ऐसा प्रयोग भी होता है जब कर्ता या विशेष्य एक वचन में हो और कर्म, या क्रिया या विशेषण बहुवचन में; जैसे – वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगा।
कविता में एक ही शब्द का एक से अधिक अर्थों में भी प्रयोग होता है – ”तीन बेर खाती ते वे तीन बेर खाती है।” जो तीन बार खाती थी वह तीन बेर खाने लगी है।
एक शब्द ‘बेर’ का दो अर्थों में प्रयोग करने से वाक्य में चमत्कार आ गया। इसे यमक अलंकार कहा जाता है।
कभी-कभी उच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृत्ति का आभास होता है जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैं; जैसे – मन का/मनका।
ऐसे वाक्यों को एकत्र कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति हो।
ऐसे प्रयोगों को ध्यान से देखिए और निम्नलिखित पुनरावृत शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए –
बातों-बातों में, रह-रहकर, लाल-लाल, सुबह-सुबह, रातों-
रात, घड़ी-घड़ी।
Solution:
बातों-बातों में – बातों-बातों में कब घर आ गया पता ही नहीं चला।
रह-रहकर – कल रात से रह-रहकर बारिश हो रही है।
लाल-लाल – लाल-लाल आँखों से पिताजी अमर को घूर रहें थे।
सुबह-सुबह – दादीजी सुबह-सुबह ही पूजा करने मंदिर निकल जाती हैं।
रातों-रात – ईश्वर की कृपा से रामन रातों-रात अमीर हो गया।
घड़ी-घड़ी – घड़ी-घड़ी शिक्षक उसे पढ़ाई में ध्यान लगाने के लिए टोकते रहते थे।