Teachers often provide Class 7 Hindi Notes Malhar Chapter 2 तीन बुद्धिमान Summary in Hindi Explanation to simplify complex chapters.
तीन बुद्धिमान Class 7 Summary in Hindi
तीन बुद्धिमान Class 7 Hindi Summary
तीन बुद्धिमान का सारांश – तीन बुद्धिमान Class 7 Summary in Hindi
एक निर्धन व्यक्ति ने अपने तीन बेटों को सीख दी कि हमारे पास रुपया-पैसा, सोना-चाँदी नहीं है। अत: तुम्हें एक दूसरे प्रकार का धन संचित करना चाहिए यानी हर वस्तु और स्थिति को पूर्णतः समझने और जानने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा करने से तुम्हारी दृष्टि पैनी और बुद्धि तीव्र होगी। ऐसे धन को संचित कर लेने से तुम्हें जीवन में किसी प्रकार की कमी नहीं रहेगी। कुछ समय के बाद उनके पिता जी का देहांत हो गया।
उन तीनों भाइयों ने सारी परिस्थिति पर विचार किया और दुनिया घूमने का निर्णय लिया। उन्होंने योजना बनाई कि ज़रूरत पड़ने पर वे चरवाहों या खेत में श्रमिकों का काम कर लेंगे लेकिन भूखे नहीं मरेंगे। वे तीनों तैयार होकर यात्रा पर चल दिए । लगातार चालीस दिन चलने के बाद वे एक बड़े नगर के पास पहुँच गए। रास्ते में उन्होंने ऊँट के पैरों के निशान देखे। उन्होंने ऊँट को देखे बिना ही अनुमान लगाया और कहा कि उसकी एक आँख नहीं है क्योंकि उसने सिर्फ़ एक तरफ के पौधे खाए थे। ऊँट के साथ महिला और एक बच्चा भी था क्योंकि उनके पैरों के निशान भी वहाँ बने थे।
थोड़ी दूर जाकर उन्हें ऊँट का मालिक मिला जो ऊँट को ढूँढ़ रहा था। उन तीनों भाइयों ने ऊँट को देखे बिना ही उसकी सारी पहचान उसे बता दी। मालिक ने सोचा कि इन तीनों ने ही मेरी पत्नी और बच्चे को मारकर ऊँट को चुरा लिया है। उसने उन तीनों को चोर समझकर राजा के सामने पेश किया। उसने राजा को सारी बात बताई और न्याय की माँग की। राजा ने उन तीनों भाइयों को धमकाते हुए पूछा कि तुमने ऊँट को कहाँ छिपाया है? उन्होंने कहा कि हमने ऊँट को नहीं देखा।

केवल बुद्धि और तर्क के आधार पर बताया कि वह कैसा है। राजा ने उनकी बात की सच्चाई को जानने के लिए एक पेटी मँगवाई और उनसे पूछा कि इसमें क्या है? उन्होंने अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए बता दिया कि इसमें एक कच्चा अनार है। जब राजा ने उस पेटी को खोला और उसमें अनार को देखा तो वह हैरान रह गया । राजा के पूछने पर भाइयों ने बताया कि यह पेटी देखने में हलकी थी। इसे लाते समय इसमें से एक गोल वस्तु के लुढ़कने की आवाज़ आई थी। पेटी बगीचे की तरफ से लाई गई थी जहाँ पेड़ों पर कच्चे अनार लगे हुए थे। इस प्रकार बुद्धि और निरीक्षण से हमने बताया कि इसमें कच्चा अनार है। राजा उनकी पैनी दृष्टि और तीक्ष्ण बुद्धि से बहुत प्रभावित हुआ और उनकी प्रशंसा करते हुए उन्हें दरबार में रख लिया।
तीन बुद्धिमान शब्दार्थ
पृष्ठ संख्या-14 : संचित – जोड़ना / एकत्र करना। पैनी दृष्टि- गहरी समझ रखने वाली नज़र । चरवाहा – पशु चराने वाला व्यक्ति। पैरों में छाले पड़ना-ज़्यादा चलने के कारण पैरों में घाव हो जाना।
पृष्ठ संख्या – 15 : पग- कदम । मझला – बीच का । शंका – संदेह / शक |
पृष्ठ संख्या-16: स्वामी – मालिक । भटक जाना – खो जाना। रेवड़ – पशुओं का झुंड । साहस- हिम्मत। चूकने नहीं देना- बचने ने देना। परिवेश – आस-पास की जगह या वातावरण ।
पृष्ठ संख्या-17: पैनी – तीखी। फुसफुसाना – धीरे-धीरे बोलना । पेटी- छोटा संदूक या बक्सा । ढंग – तरीका ।
पृष्ठ संख्या-18: आश्चर्यचकित हैरान । आवभगत – सेवा – सत्कार करना । चिह्न – निशान ।
पृष्ठ संख्या- 19 : स्पष्ट-साफ । ध्वनि-आवाज़ । असाधारण – खास / असामान्य । तीक्ष्ण – तीव्र / तेज़, कोष – खज़ाना।
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Class 7 Hindi Chapter 2 Summary तीन बुद्धिमान
एक समय की बात है कि एक निर्धन व्यक्ति के तीन बेटे थे। वह प्राय: अपने बेटों से कहता- “मेरे बेटो ! हमारे पास न तो रुपया-पैसा है और न ही सोना चाँदी । इसलिए तुम्हें एक दूसरे प्रकार का धन संचित करना चाहिए— हर वस्तु और स्थिति को पूर्णत: समझने और जानने का प्रयास करो। कुछ भी तुम्हारी दृष्टि से न बच पाए। रुपये-पैसे के स्थान पर तुम्हारे पास पैनी दृष्टि होगी और सोने-चाँदी के स्थान पर तीव्र बुद्धि होगी। ऐसा धन संचित कर लेने पर तुम्हें कभी किसी प्रकार की कमी न रहेगी और तुम दूसरों की तुलना में उन्नीस नहीं रहोगे।”
समय बीता और कुछ समय पश्चात् पिता चल बसे। बेटे मिलकर बैठे, उन्होंने सारी स्थिति पर विचार किया और फिर बोले— “हमारे लिए यहाँ कुछ भी तो करने को नहीं। आओ, घूम फिरकर जगत देखें । आवश्यकता होने पर हम चरवाहों या खेत में श्रमिकों का काम कर लेंगे। हम कहीं भी क्यों न हों, भूखे नहीं मरेंगे।”
अंततः वे तैयार होकर यात्रा पर चल दिए।
उन्होंने सुनसान वीरान घाटियाँ लाँघीं और ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों को पार किया। इस तरह वे लगातार चालीस दिनों तक चलते रहे।
उनके पास जितना खाने-पीने का सामान था, अब तक समाप्त हो गया था। वे थककर चूर हो गए थे और उनके पैरों में छाले पड़ गए थे किंतु सड़क थी कि समाप्त होने को नहीं आ रही थी। वे आराम करने के लिए रुके और पुन: आगे चल दिए। अंत में उन्हें
अपने सामने वृक्ष और मकान दिखाई दिए— वे एक बड़े नगर के पास पहुँच गए थे।
तीनों भाई बहुत प्रसन्न हुए और शीघ्रता से पग बढ़ाने लगे।
जब वे नगर के बिलकुल निकट पहुँच गए तो सबसे बड़ा भाई अचानक रुका, उसने धरती पर दृष्टि डाली और बोला-
“थोड़ी ही देर पहले यहाँ से एक बहुत बड़ा ऊँट गया है।”
वे थोड़ा और आगे गए तो मझला भाई रुका और सड़क के दोनों ओर देखकर बोला- “संभवत: वह ऊँट एक आँख से नहीं देख पाता हो ।”
कुछ और आगे गए तो सबसे छोटे भाई ने कहा—
“ऊँट पर एक महिला और एक बच्चा सवार थे।”
“बिलकुल सही!” दोनों बड़े भाइयों ने कहा और वे तीनों फिर आगे बढ़ चले। कुछ समय पश्चात् एक घुड़सवार उनके पास से निकला। सबसे बड़े भाई ने उसकी ओर देखकर पूछा- “घुड़सवार, तुम किसी खोई हुई वस्तु को ढूँढ़ रहे हो न?” घुड़सवार घोड़ा रोककर उत्तर दिया-
“हाँ।”
“तुम्हारा ऊँट खो गया है न?” सबसे बड़े भाई ने पूछा।
“हाँ।”
“बहुत बड़ा-सा?”
“हाँ।”
“वह एक आँख से नहीं देख पाता है न?” मझले
भाई ने पूछा।
“हाँ।”

“एक छोटे से बच्चे के साथ उस पर महिला सवार थी ?” सबसे छोटे भाई ने सवाल किया।
घुड़सवार ने तीनों भाइयों को शंका की दृष्टि से देखा और बोला-
“आह तो तुम्हारे पास है मेरा ऊँट! तुरंत बताओ, तुमने उसका क्या किया?
“हमने तुम्हारे ऊँट का मुँह तक नहीं देखा”, भाइयों ने उत्तर दिया।
“तो तुम्हें उसके बारे में सभी बातें कैसे पता चलीं?”
“क्योंकि हम अपनी आँखों और बुद्धि से काम लेना जानते हैं”, भाइयों ने उत्तर दिया। “शीघ्रता से उस दिशा में अपना घोड़ा दौड़ाओ। वहाँ तुम्हें तुम्हारा ऊँट मिल जाएगा।”
“नहीं”, ऊँट के स्वामी ने उत्तर दिया, “मैं उस दिशा में नहीं जाऊँगा। मेरा ऊँट तुम्हारे पास है और तुम्हें ही उसे मुझे लौटाना पड़ेगा।”
“हमने तो तुम्हारे ऊँट को देखा तक नहीं”, भाइयों ने चिंतित होते हुए कहा।
लेकिन घुड़सवार उनकी एक भी सुनने को तैयार नहीं था। उसने अपनी तलवार निकाल ली और उसे ज़ोर से घुमाते हुए तीनों भाइयों को अपने आगे-आगे चलने का आदेश दिया। इस प्रकार वह उन्हें सीधे अपने देश के राजा के भवन में ले गया। इन तीनों भाइयों को सुरक्षा कर्मियों को सौंपकर वह स्वयं राजा के पास गया।
“मैं अपने रेवड़ों को पहाड़ों पर लिए जा रहा था ”, उसने कहा, “और मेरी पत्नी मेरे छोटे-से बेटे के साथ एक बड़े-से ऊँट पर मेरे पीछे-पीछे आ रही थी। किसी कारण उनका ऊँट पीछे रह गया और वे रास्ते से भटक गए। मैं उन्हें ढूँढने गया तो मुझे रास्ते में तीन व्यक्ति मिले जो पैदल चले जा रहे थे। मुझे पूरा विश्वास है कि उन्होंने मेरा ऊँट चुराया है और मेरी पत्नी तथा बेटे को मार डाला है।”
“तुम ऐसा क्यों समझते हो?” जब वह व्यक्ति अपनी बात कह चुका तो राजा ने पूछा।
“इसलिए कि मैंने उन लोगों से इस संबंध में एक भी शब्द नहीं कहा था फिर भी उन्होंने मुझे यह बताया कि ऊँट बहुत बड़ा था और एक आँख से नहीं देख पाता था तथा उस पर एक महिला बच्चे के साथ सवार थी । ”
राजा ने थोड़ी देर सोच-विचार किया और फिर बोला-
“जैसा कि तुम कहते हो तुम्हारे बताए बिना ही तुम्हारे ऊँट के विषय में उन्होंने सभी कुछ इतनी अच्छी तरह से बताया है तो अवश्य उन्होंने उसे चुराया होगा। जाओ, उन चोरों को यहाँ लाओ।”
ऊँट का स्वामी बाहर गया और तीनों भाइयों को साथ लेकर झटपट अंदर आया।
“चोरो, तुरंत बताओ!” राजा उन्हें धमकाते हुए बोला। “तुरंत उत्तर दो, तुमने इस आदमी का ऊँट कहाँ छिपाया है?”
“हम चोर नहीं हैं, हमने इसका ऊँट कभी नहीं देखा”, भाइयों ने उत्तर दिया ।
तब राजा बोला— “इस व्यक्ति के कुछ भी बताए बिना तुमने ऊँट के विषय में सब कुछ बिलकुल सही बता दिया। अब तुम यह कहने का कैसे साहस करते हो कि तुमने उसे नहीं चुराया?”
“महाराज, इसमें तो आश्चर्य की कोई बात नहीं है। ” भाइयों ने उत्तर दिया । “बचपन से ही हमें ऐसी आदत पड़ गई है कि हम कुछ भी अपनी दृष्टि से नहीं चूकने देते। हमने अपने परिवेश को पैनी दृष्टि से देखने और बुद्धि से सोचने के प्रयास में बहुत समय लगाया है। इसीलिए ऊँट को देखे बिना ही हमने बता दिया कि वह कैसा है। ”
राजा हँस दिया।
“किसी को भी देखे बिना ही उसके विषय में क्या इतना कुछ जानना संभव हो सकता है?” उसने पूछा।
“हाँ, संभव है”, भाइयों ने उत्तर दिया।
“तो ठीक है, हम अभी तुम्हारी सच्चाई की जाँच कर लेंगे।”
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राजा ने उसी समय अपने मंत्री को बुलाया और उसके कान में कुछ फुसफुसाया। मंत्री तुरंत महल के बाहर चला गया। लेकिन शीघ्र ही वह दो सेवकों के साथ लौटा जो एक बहुत बड़ी- पेटी लाए थे। दोनों ने पेटी को बहुत सावधानी से द्वार के पास ऐसे रख दिया कि वह राजा को दिखाई दे सके और स्वयं एक ओर हट गए। तीनों भाई दूर से खड़े उन्हें देखते रहे। उन्होंने इस बात को ध्यान से देखा कि पेटी कहाँ से और कैसे लाई गई थी और किस ढंग से रखी गई थी।
“हाँ, तो चोरों, हमें बताओ कि उस पेटी में क्या है?” राजा ने कहा ।
“महाराज, हम तो पहले ही यह विनती कर चुके हैं कि हम चोर नहीं हैं, सबसे बड़े भाई ने कहा। “पर यदि आप चाहते हैं तो मैं आपको यह बता सकता हूँ कि उस पेटी में क्या है। उसमें कोई छोटी-सी गोल वस्तु है ।”
“उसमें अनार है”, मझला भाई बोला ।
“हाँ, और वह अभी कच्चा है”, सबसे छोटे भाई ने कहा ।

यह सुनकर राजा ने पेटी को पास लाने का आदेश दिया। सेवकों ने तुरंत आदेश पूरा किया। राजा ने सेवकों से पेटी खोलने के लिए कहा। पेटी खुल जाने पर उसने उसमें झाँका। जब उसे उसमें कच्चा अनार दिखाई दिया तो उसके आश्चर्य की कोई सीमा न रही।
आश्चर्यचकित राजा ने अनार निकालकर वहाँ उपस्थित सभी लोगों को दिखाया। तब उसने ऊँट के मालिक से कहा—
हैं।
“इन लोगों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ये चोर नहीं हैं। वास्तव में ये बहुत ही बुद्धिमान लोग । तुम इनके बताए रास्ते पर जाकर अपने ऊँट को खोजो ।”
राजा के महल में उस समय उपस्थित सभी लोगों के आश्चर्य का कोई ठिकाना न था। किंतु सबसे बढ़कर तो स्वयं राजा चकित था। उसने सभी तरह के अच्छे और स्वादिष्ट भोजन मँगवाए और लगा इन भाइयों की आवभगत करने ।
“तुम लोग बिलकुल निर्दोष हो और जहाँ भी जाना चाहो जा सकते हो। किंतु जाने से पहले तुम मुझे सारी बात विस्तार के साथ बताओ। तुम्हें यह कैसे पता चला कि उस व्यक्ति का ऊँट खो गया है और तुमने यह कैसे जाना कि ऊँट कैसा था?”
सबसे बड़े भाई ने कहा-
“धूल पर उसके पैरों के चिह्नों से मुझे पता चला कि कोई बहुत बड़ा ऊँट वहाँ से गया है। जब मैंने अपने पास से जानेवाले घुड़सवार को अपने चारों ओर नजर दौड़ाते देखा तो उसी समय मेरी समझ में यह बात आ गई कि वह क्या खोज रहा है। ”
“बहुत अच्छा!” राजा ने कहा। “अच्छा, अब यह बताओ कि तुम में से किसने इस घुड़सवार को यह बताया था कि उसका ऊँट एक ही आँख से देख पाता है? उसका तो सड़क पर चिह्न नहीं रहा होगा । ”
“मैंने इस बात का अनुमान ऐसे लगाया कि सड़क के दायीं ओर की घास तो ऊँट ने चरी थी, मगर बायीं ओर की घास ज्यों की त्यों थी”, मझले भाई ने उत्तर दिया।
“बहुत उत्तम!” राजा ने कहा, “तुम में से यह अनुमान किसने लगाया था कि उस पर बच्चे के साथ एक महिला सवार थी?”
“मैंने”, सबसे छोटे भाई ने उत्तर दिया, “मैंने देखा कि एक स्थान पर ऊँट के घुटने टेककर बैठने के चिह्न बने हुए थे। उनके पास ही रेत पर एक महिला के जूतों के चिह्न दिखाई दिए। साथ ही छोटे-छोटे पैरों के चिह्न थे, जिससे मुझे पता चला कि महिला के साथ एक बच्चा भी था।”
“बहुत अच्छा! तुमने बिलकुल सही कहा है, राजा बोला — “लेकिन तुम लोगों को यह कैसे पता चला कि पेटी में एक कच्चा अनार है? यह बात तो मेरी समझ में बिलकुल नहीं आ रही।”

सबसे बड़े भाई ने कहा-
“जिस तरह दोनों व्यक्ति उसे उठाकर लाए थे, उससे बिलकुल स्पष्ट था कि वह थोड़ी भी भारी नहीं है। जब वे पेटी को रख रहे थे तो मुझे उसके अंदर किसी छोटी-सी गोल वस्तु के लुढ़कने की ध्वनि सुनाई दी।”
मझला भाई बोला-
“मैंने ऐसा अनुमान लगाया कि चूँकि पेटी उद्यान की ओर से लाई गई है और उसमें कोई छोटी-सी गोल वस्तु है तो वह अवश्य अनार ही होगा। कारण कि आपके महल के आसपास अनार के बहुत-से पेड़ लगे हुए हैं।”
“बहुत अच्छा!” राजा ने कहा और उसने सबसे छोटे भाई से पूछा—
“लेकिन तुम्हें यह कैसे पता चला कि अनार कच्चा है?”
“इस समय तक उद्यान में सभी अनार कच्चे हैं। यह तो आप स्वयं ही देख सकते हैं”, उसने उत्तर दिया और खुली हुई खिड़की की ओर संकेत किया।
राजा ने बाहर देखा तो पाया कि उद्यान में लगे अनार के सभी वृक्षों पर कच्चे अनार लटक रहे थे।
राजा इन भाइयों की असाधारण पैनी दृष्टि और तीक्ष्ण बुद्धि से चकित रह गया।
“धन-संपत्ति या सांसारिक वस्तुओं की दृष्टि से तो तुम धनवान नहीं हो लेकिन तुम्हारे पास बुद्धि का बहुत बड़ा कोष है”, उसने प्रशंसा करते हुए कहा और उन्हें अपने दरबार में रख लिया।