Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Elective with Solutions Set 9 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 12 Hindi Elective Set 9 with Solutions
निर्धारित समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न पत्र तीन खण्डों – खंड ‘क’, ‘ख’ और ‘ग’।
- दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
- तीनों खण्डों के कुल 13 प्रश्न हैं। तीनों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर अनिवार्य है।
- यथासंभव तीनों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर क्रम से लिखिए।
खण्ड-‘क’
(अपठित बोध) (18 अंक)
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर दीजिए-
चित्रकार, मूर्तिकार, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार, लोहार जैसी सभी खूबियाँ गुरू में समाहित हैं। शिष्य का अज्ञान मिटाने की उनमें अद्भुत शक्ति है। गुरू वह है जो अंधकार को मिटाकर प्रकाश की ओर ले जाए। अंधकार के मिटने पर प्रकाश अपने आप आ जाता है। गुरू को कहीं खोजने की आवश्यकता नहीं है। शिष्य को तो वे स्वयं खोज लेते हैं। ज्ञान की तड़प एक-दूसरे को नज़दीक खींच लाती है। जैसे ही होनहार शिष्य मिलता है, गुरू का काम शुरू हो जाता है। जैसे कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए उचित मिट्टी तलाशता है, उसे छानता है और फिर चाक पर चढ़ा उसे बर्तन का रूप देता है। जैसे चित्रकार के मस्तिष्क में चित्र पहले बनता है, बाद में वह उसी हिसाब से उसे कागज पर रंगों की सहायता से उकेरता है और जैसे मूर्तिकार के मन में पहले मूर्ति आकार लेती है, उसके बाद वह मूर्ति बनाता है, ठीक वैसी ही स्थिति गुरू की है। वह शिष्य के अज्ञानरूपी अंधकार को मिटा उसमें ज्ञान का प्रकाश भर अपने जैसा बनाता है। गुरू-शिष्य परंपरा में शिष्य के साथ गुरू का नाम पहले आता है। यह अमुक गुरू का शिष्य है-ऐसा कहा जाता है।
गुरू अपने एक-एक शब्द से शिष्य में अवतरित होता है जो शिष्य पूरी तरह से अपने गुरू को समर्पित है, उसके जीवन में एक समय आता है जब वह गुरू की आराधना और उपासना करते-करते स्वयं गुरूमय हो जाता है। शिष्य की वृत्ति सद्गुरू में घुल मिल जाती है। उसकी प्रत्येक चेष्टा में, हावभाव में, वाणी में गुरू का ही प्रतिबिंब नज़र आता है। इतना ही नहीं, उसकी आकृति भी गुरू जैसी हो जाती है। कई की तो वाणी भी गुरू जैसी ही हो जाती है। वाणी, विचार, वृत्ति, वेशभूषा सबमें जब सद्गुरू अवतरित होते हैं, तब यह नहीं पूछना पढ़ता कि तुम्हारा गुरु कौन है ? तब तो यह शिष्य को देखते ही पता चल जाता है।
गुरू अपने शिष्य से माँ से भी ज़्यादा दुलार और प्यार करते हैं। इस प्रकार गुरूतत्त्व शिष्य परंपरा में अविनाशी बन जाता है। गुरू परंपरा के माध्यम से यह अविनाशी गुरूतत्त्व हमेशा शिष्य को प्रकाश देता रहता है।
गुरू हमारी नौका के कर्णधार हैं। गुरू के चरण की ज्योति का स्मरण करना दिव्य दृष्टि का ही स्मरण करना होता है। गुरू की चरण रज आँख में लगाने का अंजन है, जिससे आत्मदृष्टि के दोष दूर होते हैं।
(i) गद्यांश में अच्छे गुरू के मिलने का कारण बताया गया.
उत्तर देने के लिए सर्वधिकं उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
(क) गुरू में विद्यमान अनेक खूबियाँ
(ख) शिष्य का अज्ञान मिटाने की शक्ति
(ग) ज्ञान लेने-देने की दोनों की व्याकुलता
(घ) अंधकार मिटाने की ललक
उत्तर:
(ग) ज्ञान लेने-देने की दोनों की व्याकुलता
व्याख्या- गद्यांश में अच्छे गुरू के मिलने का कारण ज्ञान लेने-देने की दोनों की व्याकुलता को बताया गया है।
(ii) निम्नलिखित कथन (A) तथा कारण (R) को ध्यानपूर्वक पढ़िए। उसके बाद दिए गए विकल्प में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए ।
कथन (A): गुरु वह है जो अंधकार को मिटाकर प्रकाश की ओर ले जाए।
कारण (R): अंधकार के मिटने पर प्रकाश अपने आप आ जाता है। गुरू को कहीं खोजने की आवश्यकता नहीं है।
(क) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(ख) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(ग) कारण (A) और कारण (R) दोनों ही सही है।
(घ) कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत है।
उत्तर:
(ग) कारण (A) और कारण (R) दोनों ही सही है।
(iii) भारतीय संस्कृति में ‘अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाने के लिए’ कथन को महत्त्वपूर्ण माना गया है ?
(क) मृत्योर्मा अमृतं गमय
(ख) असतो मा सद्गमय
(ग) तमसो मा ज्योतिर्गमय
(घ) सत्यमेव जयते
उत्तर:
(ग) तमसो मा ज्योतिर्गमय
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(iv) शिष्य के व्यक्तित्व में गुरू का प्रतिबिंब कब दिखाई देता है ?
उत्तर:
शिष्य के व्यक्तित्व में गुरू का प्रतिबिम्ब गुरू की आराधना और उपासना करते-करते गुरुमय हो जाने पर दिखाई देता है।
(v) गद्यांश के आधार पर शिष्य से उसका परिचय प्राप्त करने की आवश्यकता कब नहीं रहती ?
उत्तर:
जब शिष्य की वाणी- विचार, वृत्ति, वेशभूषा गुरू जैसे हो जाती है तब शिष्य से उसका परिचय प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं रहती है।
(vi) गुरू के विद्यमान नहीं रहने पर शिष्य की क्या स्थिति होती है ?
उत्तर:
गुरू के विद्यमान नहीं रहने पर यह स्थिति होती है कि अविनाशी गुरुत्व शिष्य को प्रकाश देता है।
(vii) गुरू की तुलना माँ से क्यों की गई है ?
उत्तर:
माँ से भी अधिक स्नेह, दुलार देने के कारण गुरू की तुलना माँ से की गई है।
2. निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर दीजिए-
क्या तुमने कभी सुनी है
सपनों में चमकती कुल्हाड़ियों के भय से
पेड़ों की चीत्कार
कुल्हाड़ियों के बार सहते
किसी पेड़ की हिलती टहनियों में
दिखाई पड़े हैं तुम्हें
बचाव के लिए पुकारते हजारों हजार हाथ ?
क्या होती है तुम्हारे भीतर धमस
कटकर गिरता है जब कोई पेड़ धरती पर ?
सुना है कभी
रात के सन्नाटे में अँधेरे से मुँह ढाँप
किस कदर रोती हैं नदियाँ ?
इस घाट अपने कपड़े और मवेशी धोते
सोचा है कभी कि उस घाट
पी रहा होगा कोई प्यासा पानी
या कोई स्त्री चढ़ा रही होगी किसी देवता को अर्घ्य ?
कभी महसूस किया कि किस कदर दहलता है।
मौन समाधि लिए बैठे पहाड़ का सीना
बिस्फोट से टूटकर जब छिटकता दूर तक कोई पत्थर ?
सुनाई पड़ी है कभी भरी दुपहरिया में
हथौड़ों की चोट से टूटकर बिखरते पत्थरों की चीख ?
खून की उल्टियाँ करते
देखा है कभी हवा को अपने घर के पिछवाड़े ?
थोड़ा सा वक्त चुराकर बतियाया है कभी
कभी शिकायत न करने वाली
गुमसुम बूढ़ी पृथ्वी से उसका दुःख ?
अगर नहीं हो क्षमा करना
मुझे तुम्हारे आदमी होने पर संदेह है।
(i) काव्यांश में ‘पेड़ों की चीत्कार’ शब्द का अर्थ है-
(क) पेड़ों का टूटकर गिर जाना
(ख) पेड़ों का चीखना – चिल्लाना
(ग) पेड़ों का कुल्हाड़ियों के डर से चीखना
(घ) पेड़ों का आपस में टकराना
उत्तर:
(ग) पेड़ों का कुल्हाड़ियों के डर से चीखना
(ii) काव्यांश में ‘पेड़ की हिलती टहनियाँ’ प्रतीक हैं-
(क) हवा से हिलती शाखाएँ
(ख) रक्षा के लिए पुकारते उसके हजारों हाथ
(ग) आपस में टकराती टहनियाँ
(घ) आँधी में टूटती टहनियाँ
उत्तर:
(ग) आपस में टकराती टहनियाँ
व्याख्या – काव्यांश में ‘पेड़ की हिलती टहनियाँ’ रक्षा के लिए पुकारते उसके हज़ारों हाथों का प्रतीक हैं।
(iii) ‘पेड़ों के कटकर गिरने से हमें आघात होता है।’ आघात होने के कारण बताने वाले कथन है/हैं-
I. वे हमारी जीवनी शक्ति हैं।
II. भारी-भरकम पेड़ धरती हिला देते हैं।
III. उनकी आवाज दिल पर असर करती हैं।
(क) केवल (I)
(ख) केवल (II)
(ग) केवल (III)
(घ) (II) और (III)
उत्तर:
(क) केवल (I)
(iv) ‘अँधेरे से मुँह ढाँप किस कदर रोती हैं नदियाँ’ का आशय क्या है ?
उत्तर:
“अंधेरे से मुँह ढाँप किस कदर रोती हैं नदियाँ,” पंक्ति से आशय है कि चुपचाप बहती नदियाँ अपने जल को दूषित होते देख दुःख व्यक्त कर रहीं हैं।
(v) काव्यांश में पहाड़ के सीने को ‘दहलता’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
काव्यांश में पहाड़ के सीने को ‘दहलता’ इसलिए कहा गया है क्योंकि विस्फोट के द्वारा उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए हैं।
(v) काव्यांश में पहाड़ के सीने को ‘दहलता’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
(vi) ‘पहाड़ों की मौन समाधि’ किसका द्योतक है ?
उत्तर:
‘पहाड़ों की मौन समाधि’ उनके अचल होने की स्थिति का द्योतक है।
खण्ड – ‘ख’
(अभिव्यक्ति और माध्यम पुस्तक के आधार पर) (22 अंक)
3. निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए- (1 + 2 + 2 = 5)
(क) किसी मुद्दे के प्रति समाचार पत्र की अपनी राय प्रकट करने वाला लेखन क्या कहलाता है ? (शब्द सीमा लगभग 20 शब्द) (1)
उत्तर:
किसी मुद्दे के प्रति समाचार पत्र की अपनी राय प्रकट करने वाला लेखन सम्पादकीय कहलाता है।
(ख) विशेषीकृत रिपोटिंग में क्या होता है ? (शब्द सीमा लगभग 40 शब्द) (2)
उत्तर:
विशेषीकृत रिपोर्टग में विशेष क्षेत्र या विषय से जुड़ी घटनाओं, मुद्दों, समस्याओं का विश्लेषण होता है। इसमें बिषयो कि पुर्ण जानकारी उपलब्ध होति है।
(ग) मोहित के पास न केवल विषय विशेष का ज्ञान है बल्कि उनमें संवेदनशील, कूटनीति, धैर्य और साहस का गुण भी हैं। उनकी योग्यता और गुणों को देखकर लिखिए कि अखबार के लिए वे पत्रकारीय लेखन का कौन-सा प्रकार लिखते या देखते होंगे ? (शब्द सीमा लगभग 20 शब्द) (2)
जनसंचार और सृजनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न
उत्तर:
मोहित के पास न केवल विषय विशेष का ज्ञान है बल्कि उसमें संवेदनशील, कूटनीति धैर्य और साहस का गुण भी है। मोहित की योग्यता और गुणों को देखकर यह पता चलता है कि वे पत्रकारीय लेखन का सम्पादकीय प्रकार लिखते या देखते होंगे।
4. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए – (3 × 2 = 6)
(क) फ़ीचर को किसी बैठक या सभी के कार्यवाही विवरण की तरह क्यों नहीं लिखा जाना चाहिए ? (3)
उत्तर:
मुराने संवेदनशील, कूटनीति, धैर्य और साहस का गुण भी है फीचर को किसी बैठक या सभा के कार्यवाही विवरण की तरह इसलिए नहीं लिखा जाना चाहिए क्योंकि फ़ीचर एक आत्मनिष्ठ सृजनात्मक, सुव्यवस्थित लेखन है जो शिक्षित करने, सूचना देने और मनोरंजन करने का भी कार्य करता है जबकि कार्यवाही विवरण किसी बैठक की कार्यवाही का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करता है। फीचर कार्यवाही विवरण की भाँति तथ्य प्रधान नहीं होता है क्योंकि कार्यवाही विवरण का एक निश्चित प्रारूप होता है।
(ख) नई पीढ़ी के लिए इंटरनेट एक आदत-सी बनती जा रही है, क्यों ? (3)
उत्तर:
नई पीढ़ी के लिए इंटरनेट एक आदत सी बनती जा रही है क्योंकि उसके माध्यम से सूचना प्राप्त होती है। यह मनोरंजन, ज्ञान, व्यक्तिगत और सार्वजनिक संवादों के आदान-प्रदान का अच्छा माध्यम बन गया है। कुछ ही मिनटों में विश्वव्यापी संजाल के अन्दर से अपनी आवश्यकता के अनुरूप सामग्री उपलब्ध कराने के कारण इस पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। दुनियाभर की चर्चा परिचर्चा में शामिल हो सकने की क्षमता के कारण भी इसकी आदत-सी बनती जा रही है।
5. निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (5 × 1 = 5)
(क) जब अंतरिक्ष में भवन बन जाएँगे
उत्तर:
जब अंतरिक्ष में भवन बन जाएँगे
पृथ्वी पर अधिक जनसंख्या हो गई है जिसके कारण प्रकृति को अधिक नुकसान पहुँचा है। यहाँ पर रहने और खाने की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। वैज्ञानिक नवीन खोज में संलग्न हैं। हाल ही में उन्होंने यह खोज की है कि मंगल पर जीवन सम्भव है इसलिए मानव अंतरिक्ष में जाने की तैयारी में जुट गया है। कुछ लोगों ने तो अभी से वहाँ ज़मीन खरीद ली है। जब अंतरिक्ष में भवन बन जाएँगे तो वहाँ भी लोग रहना शुरू कर देंगे। वहाँ भी बिलकुल पृथ्वी ही जैसा होगा लेकिन प्रारम्भ में बहुत कम ही लोग अंतरिक्ष में रह पाएँगे।
(ख) दैनिक जीवन में मशीनों का बढ़ता उपयोग
उत्तर:
दैनिक जीवन में मशीनों का बढ़ता उपयोग
आज दैनिक जीवन में प्रत्येक व्यक्ति मशीन पर निर्भर हो गया है। चाहे घर, स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, कारखाने क्यों न हों, सभी स्थानों पर मशीनों पर निर्भरता बढ़ गई है। इसका यह कारण है। कि मशीन कम समय में अधिक-से-अधिक कार्य सम्पन्न कर देती है। आम का शेक बनाने के लिए सेनुविट ग्रिल करने तक सभी कार्य मशीन से ही किए जाते है।
सब्ज़ी को काटने के लिए भी विभिन्न उपकरण उपलब्ध हैं। मशीन के इस्तेमाल से हमारा कार्य बहुत आसान हो गया है। मशीन ने व्यक्ति को दूर से बहुत पास लाने का भी कार्य किया है। स्मार्टफोन के ज़रिए हम कहीं की भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा अपने दूर के रिश्तेदारों से बातचीत भी कर सकते हैं। कपड़ों को जल्दी धोने के लिए वॉशिंग मशीन उपलब्ध है जो न केवल कपड़ों को धोने का कार्य करती है बल्कि कपड़े सुखाने का भी कार्य करती है। इस प्रकार मनुष्य आज पूरी तरह मशीन पर निर्भर हो गया है।
(ग) बाज़ारों का बदलता स्वरूप
उत्तर:
बाज़ारों का बदलता स्वरूप
आज भारत के बाज़ारों का स्वरूप बदल रहा है। यहाँ कई मॉल स्थापित हो गए हैं जहाँ एक ही स्थान पर विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ उपलब्ध होती हैं। लोगों को यह अत्यन्त सुविधाजनक प्रतीत हो रहा है क्योंकि लोगों को सब्ज़ी लेने, कपड़े लेने, खिलौने खरीदने के लिए अलग-अलग स्थानों पर नहीं जाना पड़ता है। इससे लोगों के समय की बचत भी हो रही है। कुछ वर्षों में भारत में केक और चॉकलेट की बिक्री में बढ़ोत्तरी हुई है क्योंकि छोट-से-छोटे कार्यक्रम के लिए केक और चॉकलेट की माँग अधिक बढ़ गई है। बाज़ारों में मिठाई के स्थान पर केक और चॉकलेट की दुकानों में भी बढ़ोत्तरी हुई है। इस प्रकार भारत के बाज़ारों का स्वरूप काफ़ी बदल गया है।
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6. निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)
(क) कहानी के संदर्भ में लिखिए कि द्वंद्व से क्या अभिप्राय है ? यह कहानी का महत्त्वपूर्ण तत्त्व क्यों है ? (3)
उत्तर:
हानी की विभिन्न परिस्थितियों में मन-मस्तिष्क में उठने वाले वैचारिक मंथन के कारण द्वंद्व उत्पन्न होता है। दो पात्रों का आपसी मतभेद और किसी काम में आने वाली बाधा ही द्वंद्व का कारण होती है। द्वंद्व कहानी का महत्त्वपूर्ण तत्त्व इसलिए है-
- द्वंद्व के द्वारा कथानक को गति मिलती है।
- द्वंद्व के कारण कहानी में रोचकता आती है।
- द्वंद्व के बिन्दु जितने स्पष्ट होते हैं, कहानी उतनी ही सफल होती है।
(ख) क्या कविता लेखन की कला को प्रशिक्षण द्वारा सिखाया जा सकता है ? इस विषय में अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कविकर्म जन्मजात प्रतिभा होती है। किसी नियम, सिद्धांत, या प्रशिक्षण द्वारा कविता लेखन सिखाना सम्भव नहीं है क्योंकि कविता का सम्बन्ध अनुभूतिजन्य अभिव्यक्ति से होता है। लेकिन कविता को अच्छा करने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है । कविता लेखन की कला हेतु भावानुसार लयात्मक अनुशासन, शब्दों का चयन और उसका गठन सभी चीज़ प्रशिक्षण द्वारा ही निखारी जाती है।
(ग) ‘नाटक का मात्र एक मौन, अंधकार या ध्वनि प्रभाव, कहानी या उपन्यास के बीस-पच्चीस पृष्ठों की बराबरी कर सकता है।’ इस कथन को सिद्ध कीजिए ।
उत्तर:
नाटक कहानी या उपन्यास की भाँति वर्णित विधा नहीं होती है। नाटक में मौन, संक्षिप्त और सांकेतिक भाषा का महत्त्व अधिक होता है। उसमें वर्णित भाषा से अधिक मौन में व्यंजनात्मकता और क्रियात्मकता भी अधिक होती है। इसलिए नाटक का मात्र एक मौन अंधकार या ध्वनि प्रभाव, कहानी या उपन्यास के बीस-पच्चीस पृष्ठों की बराबरी कर सकता है।
खण्ड ‘ग’
(पाठ्य पुस्तकों अंतरा, अंतराल के आधार पर)
7. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
श्रमित स्वप्न की मधुभाषा में,
गहन – विपिन की तरु-छाया में,
पथिक उनींदी श्रुति में किसने-
यह विहाग की तान उठाई।
लगी तृष्ण दीठ थी सबकी,
रही बचाए फिरती कबकी।
मेरी आशा आह ? बावली
तू ने खो दी सकल कमाई ॥
(i) ‘यह विहाग की तान उठाई’ पंक्ति में ‘विहाग’ शब्द का अर्थ ………… है।
(क) वियोगावस्था में गया जाने वाला राग
(ख) अर्धरात्रि में गाया जाने वाला राग
(ग) वर्षा के समय गाया जाने वाला राग
(घ) एकांत में गाया जाने वाला राग
उत्तर:
(ख) अर्धरात्रि में गाया जाने वाला राग
(ii) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढिए तथा उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।
कथन – ‘स्वप्न की मधुमाया’ के विषय में कवि ने बताया है।
कारण – इसका भाव सुख की कामना करने वाले मीठे स्वप्न से है।
(क) कथन गलत है, किंतु कारण सही है।
(ख) कथन सही है किंतु कारण गलत हैं।
(ग) कथन और कारण दोनों सही है।
(घ) कथन और कारण दोनों गलत हैं।
उत्तर:
(ग) कथन और कारण दोनों सही है।
व्याख्या- ‘स्वप्न की मधुमाया’ का भाव सुख की कामना वाले मीठे स्वप्न हैं।
(iii) ‘दीठ’ शब्द का अर्थ क्या है ?
(क) पीठ
(ख) दृष्टि
(ग) संघर्ष
(घ) प्यास
उत्तर:
(ख) दृष्टि
(iv) देवसेना स्वयं को सबकी प्यासी नज़रों से इसलिए बचाती थी, क्योंकि.
(क) लोकलाज के कारण
(ख) स्कंदगुप्त के विरह से पीड़ित होने के कारण
(ग) स्कंदगुप्त से मिलने की आशा के कारण
(घ) करुणापूर्ण गीत गाने के कारण
उत्तर:
(क) लोकलाज के कारण
व्याख्या – देवसेना स्वयं को सबकी प्यासी नज़रों से लोकलाज़ के कारण बचाती थी ।
(v) काव्यांश में आशा को बावली कहा गया है-
कथन 1- देवसेना का जीवन संघर्षपूर्ण होने के कारण।
कथन 2- देवसेना की इच्छापूर्ति के असम्भव होने के कारण
कथन 3 – देवसेना की कामना पूर्ण हो जाने के कारण
(क) केवल कथन 3
(ख) केवल कथन 2
(ग) केवल कथन 1
(घ) कथन 1 और 2
उत्तर:
(ख) केवल कथन 2
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8. निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए- (2 × 2 = 4)
(क) ‘कार्नेलिया का गीत’ कविता में आई पंक्ति ‘मेरी यात्रा पर लेती थी’ नीरवता अनंत अंगड़ाई का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
‘कार्नेलिया का गीत’ कविता में आई पंक्ति, मेरी यात्रा पर लेती थी- नीरवता अनंत अँगड़ाई का तात्पर्य यह है कि देवसेना का सम्पूर्ण जीवन दुःखों से भरा रहा है। वह सुख की कामना करती रही लेकिन उसे आँसू के अतिरिक्त कुछ न प्राप्त हुआ। वह चुपचाप वेदना सहती रही।
(ख) ‘यह दीप अकेला’ कविता के आधार पर गीत ओर मोती की सार्थकता स्पष्ट कीजिए । (2)
उत्तर:
‘यह दीप अकेला’ कविता में गीत सार्थकता यह है कि वह सबके द्वारा गाया जाता है। मोती की सार्थकता यह है कि उसे गोताखोर के द्वारा समुद्र से निकाले जाने पर ही उसका उपयोग किया जा सकता है।
(ग) ‘भरत- राम का प्रेम’ कविता में राम के स्वभाव की किन विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है ? (2)
उत्तर:
‘भरत – राम का प्रेम’ कविता में राम के स्वभाव की निम्न विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है-
- क्षमाशील – यह अपराधी पर भी कभी क्रोध नहीं करते थे ।
- त्याग की मूर्ति – उन्होंने छोटे भाई भरत को हारता देख स्वयं को हराने का निश्चय किया ।
9. निम्नलिखित में से किसी एक काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या लगभग 100 शब्दों में कीजिए- (6 × 1 = 6)
(क) नैन सुबहिं जस माँहुट नीरू। तेहि जल अंग लाग सर चीरू ॥
टूटहिं बुंद परहिं जस ओला बिरह पवन होई मारेँ झोला ॥
केहिक सिंगार को पहिर पटोरा गियाँ नहिं हार होइ डोरा ॥
तुम्ह बिनु कंता धनि हरुई, तन निवर भा डोल।
तेहि पर बिरह जराइ कै, चह उड़ावा झोल ॥
उत्तर:
सन्दर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ जायसी कृत ‘बारहमासा’ से अवतरित हैं।
प्रसंग – इसमें कवि ने नागमती के विरह का मार्मिक वर्णन किया है।
व्याख्या – नागमती की दशा का वर्णन करते हुए कवि बताते हैं। कि नागमती के नेत्रों में माघ के महीने की वर्षा जैसी झड़ी लगती है। नागमती अपनी गर्दन में हार भी नहीं डाल सकती है क्योंकि उसकी गर्दन सूखकर डोरे की भाँति हो गई है। प्रियतम के वियोग में नागमती को माहौर की वर्षा की बूँदें ओले की भाँति प्रतीत हो रही हैं। इस वर्षा में भीगे वस्त्र बाणों की भाँति चुभते हैं। नागमती कहती है कि वह अब किस के लिए श्रृंगार करे ? वह प्रियतम के वियोग में दुबली हो गई है। उसका शरीर तिनके के समान हिलता रहता है। वह कहती है कि विरह की आग मुझे जलाकर राख के समान उड़ा देने के लिए तत्पर है।
विशेष-
- विरह की तीव्रता का वर्णन किया है।
- भाषा अवधी है।
- उपमा, रूपक अलंकार का प्रयोग किया है।
अथवा
(ख) कुसुमित कानन हेरि करालमुखि,
मूदि रहए दु नयान ।
कोकिल-कलरव, मधुकर धुनि सुनि
कर देख झाँपड़ कान ॥
माधब सुन-सुन वचन हमारा।
तुम गुन सुंदरि अति भेल दूबरि-
गुनि – गुनि प्रेम तोहारा ॥
उत्तर:
सन्दर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ विद्यापति कृत ‘पदावली’ से अवतरित हैं।
प्रसंग – राधा की विरह दशा का वर्णन किया है।
व्याख्या – राधा की सखी कहती है कि हे कृष्ण ! फूलों से परिपूर्ण वन को देखकर कमलमुखी राधा अपनी आँखों को मूँदी है। कोयल की बात और भौरों की झनकार को सुनकर भी हाथों से कान को बंद कर लिया है। हे माधव! ज़रा मेरी बात सुनो। वह सुन्दरी बेहद कमज़ोर हो गई है। वह तुम्हारे गुणों एवं प्रेम का स्मरण ही करती रहती है। वह इतनी दुर्बल हो गई है कि यदि पृथ्वी को पकड़कर बैठती है तो उठ नहीं पाती है।
विशेष-
- अतिश्योक्ति अलंकार का प्रयोग हुआ है।
- राधा की विरह की तीव्रता का वर्णन हुआ है।
10. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए- (1 × 5 = 5)
हालाँकि उसे खेती की हर बारीकी के बारे में मालूम था, लेकिन फिर भी डरा दिए जाने के कारण वह अकेला खेती करने का साहस न जुटा पाता था। इससे पहले वह शेर, चीते और मगरमच्छ के साथ साझे की खेती कर चुका था, अब उससे हाथी ने कहा कि अब वह उसके साथ साझे की खेती करे। किसान ने उसको बताया कि साझे में इसका कभी गुज़ारा नहीं होता और अकेले वह खेती कर नहीं सकता। इसलिए वह खेती करेगा ही नहीं। हाथी ने उसे बहुत देर तक पट्टी पढ़ाई और यह भी कहा कि उसके साथ साझे की खेती करने से यह लाभ होगा कि जंगल के छोटे-छोटे जानवर खेतों को नुकसान नहीं पहुँचा सकेंगे और खेती की अच्छी रखवाली हो जाएगी। किसान किसी-न-किसी तरह तैयार हो गया और हाथी से मिलकर गन्ना बोया। हाथी पूरे जंगल में घूमकर डुग्गी पीट आया कि गन्ने में उसका साझा है इसलिए कोई जानवर खेती को नुकसान न पहुँचाए, नहीं तो अच्छा न होगा ।
(i) गद्यांश में हाथी किस वर्ग का प्रतिनिधि माना गया है ?
(क) मध्यम वर्ग
(ख) धनाढ्य वर्ग
(ग) कृषक वर्ग
(घ) अल्प आय वर्ग
उत्तर:
(ख) धनाढ्य वर्ग
व्याख्या – गद्यांश में हाथी धनाढ्य वर्ग का प्रतिनिधि माना गया है।
(ii) किसान अकेले खेती क्यों नहीं कर सकता था ?
(क) खेती के लिए सामग्री और उपकरण के अभाव के कारण
(ख) धनाढ्य लोगों द्वारा फ़सल पर कब्जा कर लिए जाने के कारण
(ग) खेती करने का अनुभव नहीं होने के कारण
(घ) खेती करने में अधिक परिश्रम होने के कारण
उत्तर:
(ख) धनाढ्य लोगों द्वारा फ़सल पर कब्जा कर लिए जाने के कारण
(iii) निम्नलिखित कथन तथा कारण पर विचार कीजिए और सर्वाधिक उचित विकल्प चुनकर लिखिए –
कथन: वैदिक काल के हिंदू ठेले छुआकर स्वयं पत्नीवरण करते थे ।
कारण: जन्मभर के साथी का चयन मिट्टी के टेलों को छूकर किया जाता था।
विकल्पः
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है ।
(ख) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(घ) कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।
उत्तर:
(ख) कथन (A) गलत है, लेकिन कारण (R) सही है।
व्याख्या – साझे की खेती में हाथी ने किसान को यह लाभ बताया कि जंगली जानवरों से खेती की रखवाली होगी।
(iv) खेती को नुकसान से बचाने के लिए हाथी ने क्या उपाय अपनाया ?
(क) उपज में रखवालों को भी हिस्सा देने का वायदा किया।
(ख) खेती की उपज की देखभाल के लिए दैनिक मज़दूर रखे।
(ग) जानवरों की सभा करके समझौता किया कि उसकी खेती की वे रक्षा करें।
(घ) पूरे जंगल में डुग्गी पीटकर चेतावनी दी कि खेत को कोई नुकसान न पहुँचाए।
उत्तर:
(घ) पूरे जंगल में डुग्गी पीटकर चेतावनी दी कि खेत को कोई नुकसान न पहुँचाए।
(v) ‘अब उससे हाथी ने कहा कि अब वह उसके साथ साझे की खेती करे।’ इस पंक्ति में हाथी साझे की खेती का लाभ बता रहा है-
(क) लागत और मेहनत की कमी
(ख) जंगली जानवरों से खेती की रखवाली
(ग) हाथ की ताकत का लाभ
(घ) बिना मेहनत किए नाफी उपज का लाभ
उत्तर:
(घ) बिना मेहनत किए नाफी उपज का लाभ
11. निम्नलिखित तीन प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में दीजिए- (2 × 2 = 4)
(क) ‘दूसरा देवदास’ कहानी में सिविल परीक्षा में सफलता प्राप्ति के लिए संभव के माता-पिता उसे गंगा दर्शन के लिए हरिद्वार भेजते . हैं। क्या आप भी अपनेकार्य की सफलता के लिए इस प्रकार के कार्य करते हैं ? पक्ष या विपक्ष में तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए ।
उत्तर:
‘दूसरा देवदास’ कहानी में सिविल परीक्षा में सफलता प्राप्ति के लिए संभव के माता-पिता उसे गंगा दर्शन के लिए हरिद्वार भेजते हैं। हम भी अपने कार्य की सफलता के लिए इस प्रकार का कार्य करते है। सफलता प्राप्ति के लिए अपने घर के आस-पास स्थित मंदिर में जाते हैं। ईश्वर से आशीर्वाद की कामना करते हैं।
(ख) ‘शेर’ कहानी के आधार पर लिखिए कि गौतम बुद्ध की मुद्रा में बैठा शेर अचानक दहाड़ते हुए लेखक की ओर क्यों झपट पड़ा।
उत्तर:
गौतम बुद्ध की मुद्रा में बैठा शेर सत्ताधारी वर्ग का प्रतीक है। सत्ता तभी तक खामोश रहती है जब तक जनता आँख मूँदकर उसकी आज्ञा का पालन करती रहती है। लेखक शेर (सत्ताधारी वर्ग, असलियत अन्य जानवरों (प्रजा) के बीच स्पष्ट करना चाहता था, इसलिए उसकी पोल खोल रहा था। उसका विरोध कर रहा था।
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(ग) ‘गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए सच्ची आस्था और श्रद्धा की आवश्यकता होती है, बाहरी साधनों की नहीं, क्यों ?
उत्तर:
ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए सच्ची आस्था और श्रद्धा की आवश्यकता होती है, बाहरी साधनों की नहीं क्योंकि ईश्वर भावनाओं तथा सच्ची आस्था को महत्त्व देते हैं। उन्हें धन और पद से कोई फर्क नहीं पड़ता है। ईश्वर को सच्चे मन से प्रसन्न किया जा सकता है।
12. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर किसी एक गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या लगभग 100 शब्दों में कीजिए- (6×1=6 )
(क) धर्म के रहस्य जानने की इच्छा प्रत्येक मनुष्य न करे, जो कहा जाए वही कान ढलकाकर सुन ले, इस सत्ययुगी मत के समर्थन में घड़ी का दृष्टांत बहुत तालियाँ पिटबाकर दिया जाता है। घड़ी समय बतलाती है। किसी घड़ी देखना जानने वाले से समय पूछ लो और काम चला लो। यदि अधिक करो तो घड़ी देखना स्वयं सीख लो किंतु तुम चाहते हो कि घड़ी का पीछा खोलकर देखें, पुर्जे गिन लें, उन्हें खोलकर फिर जमा दें, साफ़ करके फिर लगा लें यह तुमसे नहीं होगा। तुम उसके अधिकारी नहीं ।
उत्तर:
सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यांश ‘सुमिरिनी के मनके (घड़ी के पुर्जे) पाठ’ से अवतरित है जिसके लेखक पं. चन्द्रधर शर्मा गुलेरी हैं।
प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश में घड़ी के पुर्जे के माध्यम से धर्म को समझाने का प्रयास किया है।
व्याख्या – लेखक बताता है कि धर्म के रहस्य को जानने की इच्छा प्रत्येक मनुष्य में होती है लेकिन वह उसके रहस्य को जान नहीं पाता है। धर्म के नाम पर उससे जो कहा जाए उसे सुने । सत्ययुगी मत के समर्थन में लोगों का बहुमत तालियाँ पिटवाकर दिया जाता था। घड़ी समय बताती है। तुम किसी से समय पूछ कर भी काम चला सकते हो। यदि और जिज्ञासा है तो स्वयं घड़ी देखना सीख लो। लेखक आगे कहता है कि तुम चाहते हो कि घड़ी का पीछा खोलकर देखें, उसके पुर्जे गिन लें, फिर उन्हें वैसे ही साफ़ करके जमा दें जो तुमसे उचित रूप से नहीं होगा क्योंकि तुम उसके अधिकारी नहीं हो अर्थात् धर्म के सही व्याख्याता नहीं हो । धर्म के सही व्याख्याता तभी बन सकते हो जब तुम्हें धर्म के प्रत्येक पुर्जे का ज्ञान हो ।
विशेष-
सरल भाषा का प्रयोग किया है।
घड़ी के दृष्टांत के माध्यम से अपनी बात अभिव्यक्त की है।
अथवा
(ख) किंतु कोई भी प्रदेश आज के लोलुप युग में अपने अलगाव में सुरक्षित नहीं रह सकता। कभी-कभी किसी इलाके की संपदा ही उसका अभिशाप बन जाती है। दिल्ली के सत्ताधारियों और उद्योगपतियों की आँखों से सिंगरौली की अपार खनिज संपदा छिपी नहीं रही। विस्थापन की एक लहर रिहंद बाँध बनने से आई थी, जिसके कारण हज़ारों गाँव उजाड़ दिए गए थे। इन्हीं नई योजनाओं के अंतर्गत सेंट्रल कोल फील्ड और नेशनल सुपर थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन का निर्माण हुआ। चारों तरफ पक्की सड़कें और पुल बनाए गए।
उत्तर:
सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यांश ‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ पाठ से अवतरित है जिसके लेखक निर्मल वर्मा हैं।
प्रसंग – इसमें विस्थापन के उपरान्त की समस्या का वर्णन है।
व्याख्या – लेखक बताता है कि आज कोई भी प्रदेश क्यों न हो, वह लोलुप युग में अपने अलगाव में सुरक्षित नहीं रहा है। कभी-कभी किसी स्थान की सम्पदा ही उसका अभिशाप बन जाती है। दिल्ली के सत्ताधारियों और उद्योगपतियों की आँखों से सिंगरौली नहीं बच पाया क्योंकि सिंगरौली प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण था। वहाँ अपार खनिज संपदा थी। यहाँ पर विस्थापन की एक लहर रिहंद बाँध बनाने के कारण आई जिसकी वजह से हज़ारों गाँव उजड़ गए। इन्हीं नई योजनाओं के अन्तर्गत सेन्ट्रल कोलपफील्ड और नेशनल सुपर थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन का निर्माण हुआ। जिसकी वजह से यहाँ चारों तरफ़ पक्की सड़कें और पुल भी निर्मित किए गए।
विशेष-
- औद्योगीकरण की आँधी से सिंगरौली भी नहीं बच पाया।
- भाषा सरल एवं सहज खड़ी बोली हिन्दी है।
13. निम्नलिखित तीन प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 100 शब्दों में दीजिए- (5×2=10)
(क) ‘सूरदास की झोंपड़ी ‘ पाठ से ली गई पंक्ति “मुझे अच्छी तरह से हजम हो जाएँगे” हाथ में आए हुए रुपयों को नहीं लौटा सकता” के संदर्भ में भैरों के चरित्र की उभरती प्रवृत्ति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘सूरदास की झोपड़ी ‘ पाठ से ली गई पंक्ति ‘मुझे अच्छी तरह से हजम हो जाएँगे, हाथ में आए हुए रुपयों को नहीं लौटा सकता” के सन्दर्भ में भैरों के चरित्र की यह प्रवृत्ति उभरकर आती है कि भैरों लालची था। इससे उसका दूषित पक्ष उभर कर सामने आता है। वह बदला लेने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकता है। उसके भीतर ईर्ष्या की भावना अत्यन्त प्रबल थी। स्वार्थ और लोभ की प्रवृत्ति के कारण वह सूरदास के पैसों की पोटली को चुरा लेता है और वापस लौटाने से भी मना कर देता है।
(ख) ‘अपना मालवा खाऊ – उजाडू सभ्यता में’ पाठ के आधार पर औद्योगिक विकास से उत्पन्न होने वाली समस्याओं का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर:
‘अपना मालवा खाऊ-उजाड़ सभ्यता में, औद्योगिक विकास से उत्पन्न होने वाली समस्याएँ इस प्रकार हैं-
- बढ़ते औद्योगीकरण और वैज्ञानिक अनुसंधानों के दुष्परिणाम से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा तेज़ी से बढ़ रहा है।
- कारखानों की गैस से वातावरण अत्यन्न गर्म हो रहा है।
- तापमान की वृद्धि से समुद्री जल भी गर्म हो रहा है।
- ऐसे समय में सरलता से जीवन बिताना भी कठिन हो गया है।
- नदी-नाले भी परिवर्तित तापमान के कारण सूख रहे हैं।
- – फैक्ट्री का गन्दा पानी और कचरा नदियों में गिर रहा है जिससे नदियों का पानी दूषित हो रहा है।
(ग) ‘बिस्कोहर की माटी में किन-किन साँपों का उल्लेख है ? विस्तार से बताइए ।
उत्तर:
घास पात से भरे मेड़ों पर, मैदानों में, तालाब के भीटों पर नाना प्रकार के साँप मिलते थे। साँप से डर लगता था लेकिन वे प्रायः मिलते-दिखते थे। डोड़हा और मजगिदवा विषहीन थे। डोंड़हा को मारा नहीं जाता। उसे साँपों में वामन जाति का मानते थे। धामिन भी विषहीन है लेकिन वह लंबी होती है, मुँह से कुश पकड़कर पूँछ से मार दे तो अंग सड़ जाए। सबसे खतरनाक गोंहुअन जिसे हमारे गाँव में ‘फेंटारा’ कहते थे और उतना ही खतरनाक ‘घोर कड़ाइच’ जिसके काट लेने पर आदमी घोड़े की तरह हिनहिनाकर मरे। फिर भटिहा-जिसके दो मुँह होते हैं। आम, पीपल, केवड़े की झाड़ी में रहनेवाले साँप बहुत खतरनाक। अजीब बात है साँपों से भय भी लगता है और हर जगह अवचेतन में डर से ही सही उनकी प्रतीक्षा भी करते थे। छोटे-छोटे पौधों के बीच में सरसराते हुए साँप को देखना भी भयानक रस हो सकता है।